श्री राम का सूर्य तिलक
आज सूर्य देव को मिल रहा अद्वितीय सम्मान,
स्वंय अवध के राघव के ललाट पर विराजमान...
आज श्रेष्ठ सूर्यतिलक से सज रहे सुर्यवंशी,
आलौकिक तेज में प्रगट हुए रघुवंशी...
श्यामवर्ण के राम पर स्वर्ण किरण हो रही शोभित, यह छवी देख हो रहे जन-जन मोहित...
500 बरस बाद इतना सुंदर उत्सव मनाया, आज आदित्य ने राम के मस्तक पर सूर्यतिलक बनाया...
यह छवि, सबके लिए चमत्कार है, श्री राम हर मन में बसने वाले अवतार है... ~ रेवती 🦚 (17-04-2024)
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होली
देखो! आई है होली आज, धर्म ने फिर पहना विजय का ताज...
महान हुई श्री प्रहलाद की भक्ति,
फिर एक बार पालनहार की देखी शक्ति...
संसार की बुराई लेकर दहन हुई होलिका,
ब्रज में कान्हा संग होली खेले राधिका...
होली के उत्साह में सब हो रहे दंग,
जीवन का सार है भक्ति और शक्ति के रंग ...
~ रेवती 🦚
(25-03-2024)
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प्रेम अनुपम सिद्धि है…
प्रेम क्या है ? कभी अपने आप से पूछा है ?
क्या कभी अपने भीतर बसे ब्रह्माण्ड के रहस्य को छुआ है ?
क्या कभी मोह और प्रेम के बीच का अंतर तुमने जाना है?
क्या कभी सच्चे मन से प्रेम प्रवाह का ठाना है ?
प्रेम हर कण में है ,हर ठोर में है…
हर क्षण में है, हर ओर प्रेम है…
जितना गहराई से सोचोगे, उससे ज्यादा पाओगे…
फिर ही तोह धैर्य , तप, रास, वैराग्य और त्याग समझोगे…
तप और वैराग्य किसी के आने की प्रतीक्षा में…
धैर्य और त्याग उस प्रतीक्षा के परीक्षा में…
किसी के आने का विशवास और आभास,
और मिलन के क्षण से हर पल में आनंद का रास…
जब एक-दूजे का आदर, मर्यादा,आधार बनते हुए , सम्बन्ध परे चला जाये…
जब एक -दूजे में लीं होते हुए भी, अपनी पहचान बना पाए…
प्रणय के साथ से जब वसंत छाये…
और संसार की हर कठिनाई में तुम्हारा चेहरा मुस्काये…
प्रेम की भाषा-परिभाषा अनेक,व्यक्त करने का ढंग भी भिन्न ; प्रेम वो ही है…
जो तुम्हे इस जीवन में पुनर्जन्म कराये… प्रेम संसार की अनुपम सिद्धि है…
~रेवती 🦚
11-02-2024
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परीक्षा...
क्या है वो जो जीवन के हर क्षण में होती है ?
जो बड़े से बड़ा हाथी और छोटी सी चींटी को भी देनी होती है ..
हम इंसान जिसे कालचक्र या कहते है समय का पहिया ,
कोई कहे शनि जी की साढ़े साती या शनि की ढैय्या..
कोई कर्मों पर ध्यान देता तो कोई भाग्य को कोसता है ,
कोई इसमें भाग लेता या इससे भागता और कोई केवल आने वाले कल को सोचता है..
वो ही है जो कभी सुख तो कभी सीख देती है,
और इससे जीतने के लिए त्याग भी सिखाती है...
हमसे बेहतर भी इस जगत में कोई है यह बतलाती है ,
हमारे भीतर के अहंकार और अंधकार को मूल से मिटाती है...
कभी अगर यह किसी पर हावी हुई तो मृत्यु तक ले जाती है ,
और जो इससे निरंतर लड़ता है, आखिर में वो उसको विजय तिलक भी लगाती है...
यह कांच सा नाज़ुक और हीरे सा मज़बूत बनाती है ,
जो इंसान हिम्मत से इसका सामना करता है, उसके गले का हार बन जाती है...
इससे बारम्बार भिड़कर यह हमे सितारा बनती है,
फिर समाज को हमारी और इसकी दास्तान भी सुनाती है...
यह हमे परखना , हमारे पहले श्वास से ही शुरू करती है,
और आगे बढ़ते हुए अनुभवों का भण्डार भर्ती रहती है,
इन्ही अनुभव से हम इससे लड़ते है, कभी परिस्थिति तो कभी चुनौती कहते है,
यही है परीक्षा , जिसे हम कभी संघर्ष तो कभी ज़िन्दगी कहते है...
~रेवती 🦚
31-01-2024
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मन
आकांक्षाओं के सागर में ऐसा डूब गया, मुस्कुराता हुआ पूरा चाँद बादलों में कहीं छुप गया... भूल गया है होड़ के किचड़ में, कैसे बनते हैं कमल, बिना सोचे-समझे बस पाना चाहता है बड़े से बड़ा फल...
पूरी तरह से फंसा हुआ है झूठे चहारो के दलदल में... कच्ची आशाओं के सहारे इधर-उधर भटकता है पल-पल में... अंधाधुंध ये दुनिया के दबाव की दरिया में बहता है, ना जाने कितनी बार ये खुद छल देता और लेता भी है...
असंतुष्टता के अँधेरे में सुख ढूँढता है, और जीवन के प्रकाश में दुख गिनता है... कभी-कभी बैठे-बैठे रंगीन सपने देखता हैं, तो कभी-कभी डर के पांसे भी फेंकता है...
जो अद्वितीयआनंद की अनुभूति करता है, वही चिंता से घिर कर खुद ही डरता है... यही सबसे रंगीन है, यही कभी दानव है, यहीं भगवान है,यहीं तो है मन जो, समय से भी है ज्यादा गतिवान...
~रेवती 🦚
21-01-2024
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जय श्री राम 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
अयोध्या लौटे है श्री राम
जगमगा उठी है आज अयोध्या,
जानकी संग लौटे लक्ष्मण के भैया...
आज सब के दुखो का होगया है अंत,
आज श्री राम की प्रजा में छाया है वसंत...
रावण के अहंकार से जो वसुधा थी सुखों से वंचित,
आज उस अहंकार का दामन कर, किया धरा को हर्षित...
समाप्त हुई है आज भरत की प्रतीक्षा,
समाप्त हुई है राम-सीता की परीक्षा...
निद्रा से उठी आज उर्मिला,
पुत्रो को देख आज माता कौशल्या का मुख खिला...
कैकेयी के नेत्रों में है क्षमा की अभिलाषा,
देख रही है अपने पुत्रों और वधू की मर्यादा की परिभाषा...
वनवासी से राजा बन ने कि यात्रा में राम ने कितनों को जोड़ा,
इस यात्रा में कितने राक्षसों का अहम् तोड़ा...
आज चौदह बरस बाद लौटें है राम संग सिया,
आज पुन: जगमगाकर दीपों से धन्य धन्य होगी अयोध्या...
~रेवती 🦚
11-11-2023
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ऊर्जा संरक्षण का करें हम प्रण
प्राकृतिक ऊर्जा है पूरे संसार की चेतना ,
विकसित भारत को इस पर है उड़ना। ...
जल मानव जाती का आधार है ,
जिसके कारण जीवन अमूल्य उपहार है...
दिशाओं का बोध कराती है यह पवन,
मनुष्यता करे इनसे श्वासों का हवन। ...
सूर्य जीवन के भिन्न पहलुओं पर डाले प्रकाश,
नई उम्मीद भर जाती है, हम जब भी देखतें आकाश...
ममतामई हमारी यह वसुंधरा है ,
गोख में कितना खनिज भरा है...
विकसित भारत के नव युवा है हम,
फिज़ूल खर्च ऊर्जा का करेंगे कम...
ऊर्जा संरक्षण का करें हम प्रण ,
इस पथ पर पग बढ़ाएं हर क्षण...
यह सब ऊर्जा के स्त्रोत, मानवता का आधार है ,
इनकी रक्षा करना, संसार के प्रति हमारा आभार है...
~ रेवती 🦚 (15-01-2024)
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रिश्ता समझने का हुनर किस्मत से मिलता है,
समझ कर निभाने से वो रिश्ता खिलखिलाता है...
जीवन में कितने रिश्ते हमसे जुड़ते हैं...
आखिर क्यों कुछ ही रिश्ते प्रेम की राह पर मूडते हैं?
इसका कारण सबके लिए अलग होगा,
मेरे लिए रिश्तों में खट्टापन आने के दो मूल हैं-
एक तो व्यक्ति का महत्व न होना और दूजा नियति का धोखा !!
रिश्तों के घाव जीवन-अंत तक गीले रहते हैं,
उसके दर्द से वे सब अंदर ही अंदर आंसू बहाते हैं...
विडम्बना तो देखिये,
चोट देने वाला बिना किसी परेशानी से हंसता है...
याह देख घायल व्यक्ति तिल-तिल कर मरता है...
जीवन में कहीं भी जाओ, कुछ भी करो, याद रखो ये बात,
"रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटका य टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय"||
~रेवती 🦚
23-11-2023
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पलट कर देखा...तो पाया...
पीछे देखती हूँ, तो कुछ बातों पर हंसती हूँ,
की कुछ बातें कभी समझ नहीं आती और जो उन्हें याद कर मुस्कुराती हूं...
मुझे अपने में ही ऐसा अंतर दिखा,
जैसे मुझमें परिवर्तन लाने के लिए कोई मंतर फुंका ...
मन से बच्ची थी, बच्ची हूं और बच्ची ही रहूंगी,
पर अब वो बचपन के दिन वापस कहां से लाऊंगी...
नियति ने मुझे लाखो रंग दिखाए,
मैंने उनको अपने जीवन के सतरंग बनाया...
मैं आज प्रसन्न तो हूं पर उसमे 'किंतु' खूब है,
आज तक, के पहले काल में 'परंतु' बहुत है...
मुझे वो पल वापस जीना है जिनमें कोई शर्त लागू नहीं थी,
जिनके मन मर्जियों के अलावा दूसरी कोई विचारधारा चालू नहीं थी...
मैं प्रसन्न हूं और हमेशा रहूंगी,
और अपने आप से कभी नहीं भागूंगी ...
~रेवती 🦚
23/11/2023
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अयोध्या लौटे है श्री राम
जगमगा उठी है आज अयोध्या,
जानकी संग लौटे लक्ष्मण के भैया...
आज सब के दुखो का होगया है अंत,
आज श्री राम की प्रजा में छाया है वसंत...
रावण के अहंकार से जो वसुधा थी सुखों से वंचित,
आज उस अहंकार का दामन कर, किया धरा को हर्षित...
समाप्त हुई है आज भरत की प्रतीक्षा,
समाप्त हुई है राम-सीता की परीक्षा...
निद्रा से उठी आज उर्मिला,
पुत्रो को देख आज माता कौशल्या का मुख खिला...
कैकेयी के नेत्रों में है क्षमा की अभिलाषा,
देख रही है अपने पुत्रों और वधू की मर्यादा की परिभाषा...
वनवासी से राजा बन ने कि यात्रा में राम ने कितनों को जोड़ा,
इस यात्रा में कितने राक्षसों का अहम् तोड़ा...
आज चौदह बरस बाद लौटें है राम संग सिया,
आज पुन: जगमगाकर दीपों से धन्य धन्य होगी अयोध्या...
~रेवती 🦚
11-11-2023
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