अदालतों में 5 करोड़ मामले हैं लंबित, जानिए क्यों कहा कानून मंत्री ने की आम आदमी की पहुंच से बाहर हैं अच्छे वकील
अदालतों में 5 करोड़ मामले हैं लंबित, जानिए क्यों कहा कानून मंत्री ने की आम आदमी की पहुंच से बाहर हैं अच्छे वकील
Image Source : PTI
Minister of Law and Justice Kiren Rijiju
Highlights
कुछ साल पहले 4 करोड़ से कम मामले थे लंबित
“सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का ब्रिटेन में दिया जाता है रेफरेंस”
“हर दिन एक जज औसतन 40 से 50 मामलों की करता है सुनवाई”
Cases Pending in Court: कानून एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को कहा कि देश की अदालतों में करीब 5 करोड़ मामले लंबित हैं और इस सिलिसले में कोई कदम नहीं उठाया…
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तहसीलदार आनी को हाई कोर्ट से पड़ी कड़ी फटकार, डेढ़ साल से आय प्रमाण पत्र नही किया था सत्यापित
तहसीलदार आनी को हाई कोर्ट से पड़ी कड़ी फटकार, डेढ़ साल से आय प्रमाण पत्र नही किया था सत्यापित
Himachal High Court: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार को सरकारी अधिकारी की लापरवाही और अक्षमता के कारण एक गरीब महिला को न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के मामले में तहसीलदार आनी को कड़ी फटकार लगाई। न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की अदालत ने कहा कि आए दिन अदालतों पर बड़ी संख्या में मामले लंबित होने के आरोप लगते रहते हैं, जिसका मुख्य कारण सरकारी अधिकारियों का उदासीन और संवेदनहीन रवैया है।
ऐसे अधिकारी…
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Property Possession : आपकी जमीन पर भी किसी ने किया है कब्जा, बिना झगड़े इस तरीके से कराएं खाली
Property Possession : अगर आपकी जमीन पर किसी ने कब्जा किया हुआ है और आप उस जमीन को खाली कराना चाहते हैं तो इस तरीके से आसानी से जमीन को बिना किसी लड़ाई झगड़े के खाली करवा सकते हैं।
देश में जमीन पर अतिक्रमण और अवैध कब्जे से जुड़े कई मामले अदालतों में लंबित हैं. पीड़ित लोग आए दिन इन मामलों को लेकर कोर्ट का रूख करते हैं. शहर से लेकर गांव तक, खेती की जमीन से लेकर रिहायशी प्लॉट पर लोगों को अतिक्रमण और अवैध कब्जे का डर सताता रहता है।
पिछले कुछ वर्षों में जमीनों के कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी होने से इस तरह के मामले तेजी से बढ़े हैं. अगर आप भी जमीन से जुड़े इस तरह के विवाद से बचना चाहते हैं तो कुछ तैयारियां पहले ही कर लेना चाहिए ताकि ऐसे मामलों का सामना करने की नौबत ही नहीं आई।
इसलिए जरूरी है कि हर नागरिक को इसकी समझ होनी चाहिए. हालांकि, ऐसी नौबत न आए इसके लिए सावधानी बरतना सबसे अच्छा तरीका है. अगर आपके पास कोई जमीन या प्रॉपर्टी है, जो खाली पड़ी है तो तुरंत ये तरीके अपनाना शुरू कर दें, ताकि कोई इन पर अतिक्रमण या अवैध कब्जा नहीं कर सके।
जमीन खरीदने के बाद तुरंत करें ये काम:
अगर आपने कोई जमीन खरीदी है. चाहे वह शहर में हो या शहर के बाहर व किसी अन्य सिटी में, तो जरूरी है कि अपनी संपत्ति के चारों ओर बाड़ या बाउंड्री वॉल कराएं और बीच में एक बोर्ड लगा दें, जिसमें भू-स्वामी के तौर पर अपना नाम लिख दें. यह एक आसान व काफी प्रचलित तरीका है. आपने अक्सर कई जमीनों पर ऐसा बोर्ड लगा देखा होगा।
यदि आपकी जमीन या संपत्ति शहर से दूर स्थित है, तो इसकी देखरेख के लिए चौकीदार को नियुक्त करें. वहीं, अगर आप किसी नामी डेवलपर से नियोजित लेआउट में प्लॉट खरीदते हैं, तो कंप��ी प्रॉपर्टी के रखरखाव के लिए एक केयरटेकर को नियुक्त करेगी. प्लॉट के मालिक के रूप में, आप केयरटेकर के संपर्क में रह सकते हैं।
सब रजिस्ट्रार कार्यालय में प्रॉपर्टी का पंजीयन कराएं:
जब आप प्लॉट खरीदते हैं तो सबसे पहला काम आस-पास के अन्य प्लॉट मालिकों के साथ जुड़कर एक एसोसिएशन बनाना और उसे सब रजिस्ट्रार के कार्यालय में पंजीकृत करना होता है. इसका फायदा यह होता है कि एक सामूहिक निकाय के रूप में, आप और अन्य भूखंड मालिक आपकी भूमि से संबंधित स्थानीय अधिकारियों के साथ नागरिक और सुरक्षा जैसे अन्य मुद्दे उठा सकते हैं, खासकर यदि परिसर पर कोई अवैध कब्जा है।
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आरपीएफ का लंबित वारंटों के निष्पादन के लिए 01.10.2022 से 31.10.2022 तक, महीने भर का पूरे देश में अभियान
आरपीएफ का लंबित वारंटों के निष्पादन के लिए 01.10.2022 से 31.10.2022 तक, महीने भर का पूरे देश में अभियान
अभियान के दौरान 289 मामलों के 319 अपराधियों को, जो कानूनी प्रक्रिया से बच रहे थे, गिरफ्तार कर संबंधित अदालतों में पेश किया गया
इसमें 52 ऐसे अपराधी शामिल हैं, जो पिछले 10 से 15 साल से फरार थे
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) को रेलवे संपत्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है और इसे सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। रेलवे संपत्ति की चोरी के मामले आरपीएफ द्वारा आरपी (यूपी) अधिनियम के…
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चेक बाउंस होने पर नए नियम लागू करने की तैयारी में 38 लाख से ज्यादा मामले कोर्ट में पेंडिंग
चेक बाउंस होने पर नए नियम लागू करने की तैयारी में 38 लाख से ज्यादा मामले कोर्ट में पेंडिंग
देश की विभिन्न अदालतों में करीब 4.1 करोड़ से ज्यादा मामले लंबित हैं और 38 लाख से ज्यादा मामले सिर्फ चेक बाउंस के हैं. देश में चेक बाउंस के मामलों की इस स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार अब ऐसे मामलों के त्वरित समाधान के लिए नए नियम लागू करने की तैयारी कर रही है. दरअसल, चेक बाउंस के मामलों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए वित्त मंत्रालय चेक दाताओं के अन्य खातों से पैसे काटने और ऐसे मामलों में नए…
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एक जज 50 मामलों का निपटारा करता है... तो 100 और केस हो जाते हैं दायर
एक जज 50 मामलों का निपटारा करता है… तो 100 और केस हो जाते हैं दायर
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने लंबित मामलों की संख्या पांच करोड़ के करीब पहुंचने पर अहम बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर कोई न्यायाधीश 50 मामलों का निपटारा करता है, तो 100 नए मामले दायर हो जाते हैं, क्योंकि लोग अब अधिक जागरूक हैं और वे विवादों के निपटान के लिए अदालतों में पहुंच रहे हैं। रिजिजू ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में शनिवार को सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के कामकाज पर एक सम्मेलन को…
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भारतीय अदालतों में करीब 5 करोड़ मामले लंबित, गरीब नहीं ले पाते अच्छे वकील की सेवा: किरेन रिजिजू
भारतीय अदालतों में करीब 5 करोड़ मामले लंबित, गरीब नहीं ले पाते अच्छे वकील की सेवा: किरेन रिजिजू
कानून एवं न्याय मंत्री(Minister of Law and Justice) किरेन रिजिजू ने शनिवार को कहा कि देश की अदालतों में करीब 5 करोड़ मामले लंबित हैं और इस सिलिसले में कोई कदम नहीं उठाया गया तो यह संख्या और बढ़ जाएगी। औरंगाबाद(Aurangabad) में महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (MNLU) के पहले दीक्षांत समारोह में मंत्री ने आम लोगों को वकीलों की सेवा अफोर्डेबल रेट पर नहीं मिलने के बारे में भी चिंता व्यक्त की।
इंडियन…
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अदालतों में लंबित विधायकों से जुड़े 4,984 आपराधिक मामले: न्यायमित्र
अदालतों में लंबित विधायकों से जुड़े 4,984 आपराधिक मामले: न्यायमित्र
एमिकस क्यूरी द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, 1 दिसंबर, 2021 तक देश भर की विभिन्न अदालतों में विधायकों से जुड़े कुल 4,984 आपराधिक मामले लंबित थे, जो एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की अदालत की सहायता कर रहे हैं, जिसमें शीर्ष अदालत ने स्थापित करने का आदेश दिया था। सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों को फास्ट ट्रैक करने के लिए विशेष अदालतों का गठन।
एमिकस क्यूरिया के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसरिया की…
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दिल्ली की अदालत ने 1 साल में 11 जमानत याचिका दायर करने वाले व्यक्ति पर जुर्माना लगाया | दिल्ली समाचार - टाइम्स ऑफ इंडिया
दिल्ली की अदालत ने 1 साल में 11 जमानत याचिका दायर करने वाले व्यक्ति पर जुर्माना लगाया | दिल्ली समाचार – टाइम्स ऑफ इंडिया
चित्र केवल प्रतिनिधित्व के उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया गया
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने एक व्यक्ति पर एक साल में 11 जमानत याचिका दायर करने के लिए जुर्माना लगाया है, यह देखते हुए कि इस तरह की “तुच्छ” याचिकाओं के लंबित रहने से अदालतों में बाढ़ आ जाती है और कीमती न्यायिक समय बर्बाद हो जाता है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रविंदर बेदी ने एक धोखाधड़ी और साजिश के मामले में आरोपी पर 25,000 रुपये का…
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पोक्सो: पॉक्सो कोर्ट ने 1 दिन में सुनी, दोषियों को सजा सुनाई | इंडिया न्यूज - टाइम्स ऑफ इंडिया
पोक्सो: पॉक्सो कोर्ट ने 1 दिन में सुनी, दोषियों को सजा सुनाई | इंडिया न्यूज – टाइम्स ऑफ इंडिया
अररिया : एक संदिग्ध बलात्कार एक नाबालिग लड़की के मामले में मुकदमा चलाया गया, सुना गया, दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई जीवन अवधि द्वारा जेल में पोक्सो बिहार के अररिया जिले की अदालत ने एक दिन की कार्यवाही में कथित तौर पर एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया और अदालतों में लंबित मामलों से घिरे देश में त्वरित सुनवाई के लिए एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। न्यायाधीश शशिकांत रे ने दोषी को लड़की के पुनर्वास के…
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अदालतों में चार करोड़ मामले लंबित, इंसाफ की कछुआ चाल पर अब होगा वार...आईपीसी, सीपीसी, एविडेंस एक्ट हैं गुनहगार
अदालतों में चार करोड़ मामले लंबित, इंसाफ की कछुआ चाल पर अब होगा वार…आईपीसी, सीपीसी, एविडेंस एक्ट हैं गुनहगार
नई दिल्लीभारत के सामने एक बहुत बड़ी समस्या है केसों की पेंडेंसी। यानी की अदालतों में 20-20 साल पुराने मामले चल रहे हैं। आईपीसी, सीपीसी, एविडेंस एक्ट में ऐसे-ऐसे कानून हैं जिनसे मामले कभी सुलझते नहीं है और लोगों की पीढ़िया खत्म हो जाती हैं मगर केस नहीं खत्म होते। देश के ऐसे कई बड़े मामले सामने आए जिनमें सुनवाई होती रही मगर उसे जुड़े लोगों की मौत तक हो गई। मगर केस खत्म नहीं हुआ। ऐसे में अदालतों का…
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कानून मंत्री रिजीजू ने कहा-'अदालतों में लंबित मामले चुनौती बन गए हैं'
कानून मंत्री रिजीजू ने कहा-‘अदालतों में लंबित मामले चुनौती बन गए हैं’
Image Source : TWITTER/KIRENRIJIJU
कानून मंत्री रिजीजू ने कहा-‘अदालतों में लंबित मामले चुनौती बन गए हैं’
नयी दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने शनिवार को कहा कि अदालतों में लंबित मामले एक चुनौती बन गए हैं और निचली अदालतों पर तत्परता से ध्यान देने की जरूरत है। रिजीजू ने कहा कि सरकार हमेशा न केवल न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की कोशिश करेगी बल्कि इसे सहयोग और मजबूती भी प्रदान…
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किसी-न-किसी बहाने वकील करते रहते हैं हड़ताल, अब कड़ाई के मूड में बार काउंसिल Divya Sandesh
#Divyasandesh
किसी-न-किसी बहाने वकील करते रहते हैं हड़ताल, अब कड़ाई के मूड में बार काउंसिल
नई दिल्ली
() कम करने और हड़ताल के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से दूसरों को भड़काने वाले वकीलों के खिलाफ कार्रवाई के नियम बनाने के लिए राज्यों के बार काउंसिलों के मीटिंग बुलाई है। बीसीआई ने इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी। बीसीआई के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा ने न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ को बताया कि उन्होंने 4 सितंबर को सभी राज्य विधिज्ञ परिषदों की बैठक बुलाई है।
BCI ने सुप्रीम कोर्ट को बताई यह बात
मिश्रा ने कहा, ‘हम 4 सितंबर को सभी राज्य विधिज्ञ परिषदों एवं संघों की बैठक करेंगे तथा इसमे हम वकीलों की हड़ताल कम करने के लिए नियम बनाने और हड़ताल के लिए अन्य लोगों को सोशल मीडिया के जरिए भड़काने वाले वकीलों के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रस्ताव रखेंगे।’ पीठ ने मिश्रा का अभ्यावेदन (Representation) दर्ज किया और कहा कि वह बीसीआई के इस कदम की सराहना करती है। शीर्ष अदालत ने मिश्रा के अनुरोध पर मामले की आगे की सुनवाई सितंबर के तीसरे सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।
सुनवाई की शुरुआत में मिश्रा ने न्यायालय के पिछले साल के आदेश के अनुपालन में कोरोना वायरस वैश्विक महामारी फैलने के कारण देरी होने और पहले सुझाव नहीं देने के लिए माफी मांगी। उच्चतम न्यायालय ने 26 जुलाई को कहा था कि उसने पिछले साल 28 फरवरी को अपना फैसला सुनाया था और बीसीआई एवं स्टेट बार काउंसिलों को वकीलों के काम से अनुपस्थित रहने और हड़ताल करने की समस्या से निपटने के लिए ठोस सुझाव देने का निर्देश दिया था।
वकीलों की चलती रहती है हड़ताल
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 28 फरवरी को उत्तराखंड जिला अदालतों में वकीलों द्वारा ‘पाकिस्तान में बम विस्फोट’, और ‘नेपाल में भूकंप’ जैसे कारणों से 35 साल तक हर शनिवार को हड़ताल करने पर नाराजगी जताई थी। उसने सप्ताहिक हड़ताल जारी रखने वाले वकीलों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई से संबंधित कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी। न्यायालय ने इस हड़ताल को अवैध बताते हुए वकीलों द्वारा हड़ताल करने/काम पर नहीं आने की समस्या से निपटने के लिए आगे की कार्रवाई संबंधी सुझावों के लिए बीसीआई और सभी राज्य विधिज्ञ परिषदों से छह सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था।
वकीलों की हड़ताल का मुद्दा उत्तराखंड हाई कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई के दौरान सामने आया था। इस फैसले में उच्च न्यायालय ने देहरादून और हरिद्वार तथा ऊधम सिंह नगर के अधिकतर हिस्सों में प्रत्येक शनिवार को वकीलों की हड़ताल या अदालत के बहिष्कार को अवैध करार दिया था। पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को पूरी तरह न्यायोचित बताते हुये कहा था कि यह स्वत: ही अवमानना कार्यवाही शुरू करने का उचित मामला है।
विधि आयोग की रिपोर्ट का हवाला
हाई कोर्ट ने 25 सितंबर, 2019 को अपने फैसले में विधि आयोग की 266वीं रिपोर्ट का भी हवाला दिया था। इस रिपोर्ट में आयोग ने वकीलों की हड़ताल की वजह से कार्य दिवसों (Working Days) के नुकसान के आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद कहा था कि इससे अदालतों का कामकाज प्रभावित होता है और लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ाने में यह योगदान करते हैं।
उत्तराखंड के बारे में उच्च न्यायालय द्वारा विधि आयोग को भेजी गयी सूचना के अनुसार 2012-2016 के दौरान देहरादून जिले में वकील 455 दिन हड़ताल पर रहे जबकि हरिद्वार में 515 दिन वकीलों की हड़ताल रही। विधि आयोग की रिपोर्ट का जिक्र करते हुये उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि स्थानीय मुद्दे से लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के ऐसे मुद्दों पर वकील अदालतों से अनुपस्थित रहते हैं जिनका अदालत के कामकाज से कोई संबंध ही नहीं होता है।
35 साल से जारी है साप्ताहिक हड़ताल!
उच्च न्यायालय ने कहा था कि उदाहरण के लिए पाकिस्तान के स्कूल में बम विस्फोट, श्रीलंका के संविधान में संशोधन, अंतर्राज्यीय जल विवाद, किसी वकील पर हमला या उसकी हत्या, नेपाल में भूकंप, अधिवक्ताओं के नजदीकी रिश्तेदार के निधन पर शोक व्यक्त करने और यहां तक कि भारी बारिश और कवि सम्मेलनों जैसे मुद्दे भी अदालत की कार्यवाही के बहिष्कार की वजह बनती रही हैं।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में इस तथ्य का जिक्र किया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पिछले 35 साल से शनिवार को अदालत की कार्यवाही का बहिष्कार करके विरोध करने का सिलसिला चल रहा है। उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के बाद 9 नवंबर, 2000 को उत्तराखंड प्रदेश के सृजन से पहले ये तीनों जिले उत्तर प्रदेश का हिस्सा थे।
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धारा 498a(दहेज़ केस) दुरुपयोग का जवाब कैसे दें?
अदालतों में आज भी 498अ के कई मुकदमे लंबित हैं और कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिनमें यह माना गया कि इस धारा का महिला पक्ष द्वारा दुरुपयोग हुआ है। यह कानून आपराधिक है परन्तु इसका स्वरूप पारिवारिक है। पारिवारिक किसी भी झगड़े को दहेज़ प्रताड़ना के विवाद के रूप में परिवर्तित करना अत्यंत ही सरल है। एक विवाहिता की केवल एक शिकायत पर यह मामला दर्ज़ होता है। परिवार के सभी सदस्यों को अभियुक्त के रूप में नामज़द कर दिया जाता है और सभी अभियुक्तों को जेल में भेज दिया जाता है क्योंकि यह एक गैर ज़मानती, संज्ञेय और असंयोजनीय अपराध है।
कई पुरुष इस धारा में मुकदमे लड़ रहे हैं और अदालतों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिल पा रही है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी कुछ प्रकरणों में धारा 498अ के दुरुपयोग की बात कही है
यह बात सच है कि महिला उत्पीड़न और दहेज़ के खिलाफ एक सख्त कानून की ज़रूरत हमें है, लेकिन इस कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए भी कुछ कदम उठाए जाने चाहिए। आज कितने ही पुरुष इस धारा का शिकार हुए हैं और उनका जीवन खराब हुआ है। कई संगठन इस धारा के दुरुपयोग के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
संपर्क करे - 9528414004
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Advocate Lalit Chauhan
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देश में बड़ी समस्या है न्याय में देरी, विभिन्न अदालतों में लंबित पड़े हैं करोड़ों मामले,
देश में बड़ी समस्या है न्याय में देरी, विभिन्न अदालतों में लंबित पड़े हैं करोड़ों मामले,
देश में बड़ी समस्या है न्याय में देरी, विभिन्न अदालतों में लंबित पड़े हैं करोड़ों मामले,
नई दिल्ली। साल 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एंड अदर्स के केस में केंद्र और राज्य सरकारों को बहुत सारे दिशानिर्देश दिए थे। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-भारत में अगले आने वाले पांच वर्षो यानी 2007 तक 50 न्यायाधीश प्रति 10 लाख लोगों पर करने की जिम्मेदारी सरकारों की है।…
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बिहार: एससी/एसटी एक्ट के तहत करीब 45,000 मामले लंबित, दोषसिद्धि दर केवल 8%
बिहार: एससी/एसटी एक्ट के तहत करीब 45,000 मामले लंबित, दोषसिद्धि दर केवल 8%
बिहार में पिछले 10 वर्षों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत 67,163 मामले दर्ज किए गए हैं। यदि 39,730 मामलों को जोड़ दिया जाए, तो यह 1,06,893 मामलों में आता है। इनमें से 44,986 मामले अभी भी लंबित हैं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बुलाई गई एससी / एसटी अधिनियम के मामलों की समीक्षा बैठक से पता चला है।
पिछले 10 वर्षों में, अदालतों ने केवल 872 ऐसे मामलों में…
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