CG News: स्कूलों के खुलने और बंद होन का समय बदला, कलेक्टर ने जारी किए आदेश…देखें
CG News : कोरिया। कोरिया जिले में कलेक्टर ने स्कूलों के खुलने और बंद होन के समय में संशोधन कर दिया है, जारी सूचना के अनुसार अब जिले में सभी सरकारी और निजी स्कूल सुबह की पाली में 7.30 से 11.30 तक लगेंगे। वहीं दूसरी पाली में यह समय 11.30 से 4.30 तक रखा गया है।
पूरी सूचना यहां पर देख सकते हैं।
CG News: स्कूलों के खुलने और बंद होन का समय बदला, कलेक्टर ने जारी किए आदेश…देखें
CG News: स्कूलों के…
एक बार दिल्ली के सम्राट सिकंदर लोधी ने जनता को शांत करने के लिए अपने हाथों से कबीर साहेब को हथकड़ियाँ लगाई, पैर��ं में बेड़ी तथा गले में लोहे की भारी बेल डाली और आदेश दिया गंगा दरिया में डुबोकर मारने का। उनको दरिया में फेंक दिया। कबीर परमेश्वर जी की हथकड़ी, बेड़ी और लोहे की बेल अपने आप टूट गयी परमात्मा जल पर सुखासन में बैठे रहे। कुछ नहीं बिगड़ा।
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श्रद्धा MH ONE टी. वी. पर दोपहर 2:00
साधना टी. वी. पर शाम 7:30
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💎समाज कल्याण हेतु संत रामपाल जी महाराज जी की अद्भुत एवं अलौकिक परमार्थी कार्य💎
समाज में जब जब भी त्रासदी अथवा आपदा आई है संत रामपाल जी महाराज जी व उनके शिष्य हमेशा आगे रहते हैं। संत रामपाल जी महाराज जी का यही ज्ञान है कि परोपकार तथा परमार्थ के कार्य में हमेशा आगे रहना चाहिए और यही कारण है कि संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य हमेशा आगे रहते हैं।
जो कोई करै सो स्वार्थी, अरस परस गुण देत।
बिन किये करै सो सूरमा, परमारथ के हेत ।।
कोरोना कल में मदद
संत रामपाल जी महाराज जी की आदेश अनुसार संत रामपाल जी महाराज जी की शिष्य कोरोना काल में विशेष योगदान दिए थे। कुरूना महामारी में लॉकडाउन के कारण जहां कहीं भी खाने की व्यवस्था नहीं थी वहां खाने की व्यवस्था किए थे। जगह-जगह लोगों को ताज सामग्री पहुंचाई गई थी।
बाढ़ त्रासदी में मदद
संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य कोरोना कल में साथ देने के साथ-साथ बाढ़ टेस्ट में भी लोगों की विशेष मदद की है। हाल ही में जहां कहीं भी बाढ़ आई थी वहां पर लोगों को राहत सामग्री पहुंचाई गई। संत रामपाल जी महाराज जी के शिक्षा का ही परिणाम है संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य आगे रहते हैं।
दहेजमुक्त समाज का निर्माण
एक तरफ समाज में जहां बेटियों को बोझ समझा जाता है वहीं दूसरी ओर संत रामपाल जी महाराज जी बेटियों के लिए दहेज मुक्त समाज का निर्माण कर रहे हैं और यही कारण है कि आज लाखों बेटियां दहेज मुक्त विवाह करके अपना सुखी जीवन जी रही है। संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य न दहेज लेते हैं और ना देते हैं। संत रामपाल जी महाराज जी के पद चिन्हों पर चलकर दहेज मुक्त विवाह करते हैं।
नशा मुक्त समाज का निर्माण
संत रामपाल जी महाराज जी समाज के परोपकारी कार्य में नशा मुक्त का कार्य भी सम्मिलित है। जहां युवा पीढ़ी नसीब मिलत है वहीं दूसरी ओर संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य नशा नहीं करते हैं और यहां तक कि ना ही नशा की सामग्री को हाथ लगाते हैं। इससे समाज एक नई दिशा की ओर अग्रसर होगा जिसमें किसी भी प्रकार का नशा चोरी जारी रिश्वतखोरी इत्यादि से मुक्त होगा।
देहदान एवं रक्तदान में योगदान
संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य सदैव परोपकार के कार्य में आगे रहते हैं और यही कारण है कि वह संत रामपाल जी महाराज जी के प्रत्येक आदेशों का पालन करते हैं। संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य रक्तदान एवं देहदान में विशेष योगदान दिए हैं।
संत रामपाल जी महाराज व उनके शिष्य हमेशा से ही परमार्थ के कार्यों में आगे रहे हैं । संत रामपाल जी महाराज जी का यही उद्देश्य है समाज में अनैतिक कार्यों को समाप्त करके नैतिकता को बढ़ावा देना है।
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हमारे सभी धर्मों के पवित्र धार्मिक ग्रंथों में प्रमाण मिलता पूर्ण परमेश्वर कबीर जी हैं स्वयंभू हैं परिभू हैं सहशरीर है पाप भंजन है बंधनों के शत्रु हैं समरथ पुरुष सुखसागर है परमेश्वर कबीर जी की भक्ति मोक्ष दायक है पूर्ण परमेश्वर कबीर जी की सत भक्ति सहज समाधि है जब अपने दैनिक अनिवार्य कार्यों को करते हुए जीवात्मा का ध्यान और चिंतन पूर्ण परमेश्वर के चरण कमल में निरंतर बना रहता है उसे सहज समाधि कहते हैं इस सहज समाधि के योग्य हमें सतगुरु द्वारा दी हुई मर्यादित परम कर्तव्य रूपी क्रियाएं बनाती हैं जिसमें पूर्ण सतगुरु परमेश्वर तीन समय की, की जाने वाली भक्ति विधि, सुबह का नित्य नियम, असुर निकंदन रमैनी और संध्या आरती + सत्संग + मंत्र जाप + सतगुरु सेवा और बंदगी और मर्यादा का पालन + सतगुरु द्वारा दिया गया मार्गदर्शन विधि है। साथ ही सतगुरु को पूर्ण परमेश्वर जान मानकर जब हम उसके आदेश अनुसार निरंतर सेवा जाप सुमिरन बंदगी करते हुए परमेश्वर में और अपने घर सतलोक में ध्यान बनाए रखते हैं तो वह सहज समाधि कहलाती है इसके विपरीत जब कोई जीवात्मा एक स्थान पर बैठकर ��पनी इंद्रियों को काबू करके किसी प्रकार का भी ध्यान या मेडिटेशन या हठयोग करती है तो ये एक गलत क्रिया है जिससे जीव आत्मा के ना तो दैहिक दैविक भौतिक तीनों ताप कटते हैं और ना ही सुख सिद्धि होती है और ना ही उसका मोक्ष होता क्योंकि यह सारी क्रियाएं शास्त्र के विरुद्ध हैं और परमात्मा के संविधान के विरुद्ध है हमारे चार वेद छह शास्त्र 18 पुराण और सभी धर्मों के धार्मिक पवित्र ग्रंथ इस सत्य को प्रमाणित करते हैं पढ़िए पवित्र पुस्तक_ ज्ञान गंगा नि:शुल्क मंगवायें + यूट्यूब पर सब्सक्राइब करें संत रामपाल जी महाराज और प्रतिदिन देखें तीनों संध्या सत्य तत्वज्ञान से भरा पवित्र और निर्मल मोक्ष दायक सत्संग���� सत्संग परमात्मा ही करते हैं पूर्ण सतगुरु पूर्ण परमेश्वर का ही रूप होते हैं परमेश्वर कबीर जी ने कहा है मम संत जानिए मेरा ही स्वरूपम🙏 मनुष्य जन्म केवल सत भक्ति करके मोक्ष प्राप्ति के लिए मिला है अनमोल जीवन और जन्म को व्यर्थ में ना गवाएं🙏 विश्व की सभी आत्माओं से दासी का विनम्र प्रार्थना है हम जीव आत्माएं एक ही परमेश्वर की संतान हैं जीव हमारी जाति है मानव धर्म हमारा हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा कलयुग मध्य सतयुग लाऊँ तातें बंदी छोड़ कहाउं 🙏 अमर करूं सतलोक पठाऊँ तातें बंदी छोड़ कहाउं🙏 बोलो बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो 🙏बंदी छोड़ कबीर परमेश्वर की जय हो 🙏सत साहेब जी🙏
गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पाएँ 🥀 बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलायें🥀🙏
🎋संत रामपालजी महाराज का जीवन परिचय व् आध्यात्मिक संघर्ष🎋
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 को गांव धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा में जाट किसान परिवार में हुआ, जिन्होंने हम जीवों के उद्धार के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद संत ऱामपालजी महाराज हरियाणा प्रांत में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे। इसी दौरान संत रामपाल जी महाराज जी ने 17 फरवरी सन् 1988 को फाल्गुन महीने की अमावस्या को परम संत रामदेवानंद जी से नाम दीक्षा प्राप्त की। उनके अनुयायी इस दिवस को बोध दिवस के रूप में मनाते हैं।
अपने गुरु जी से नाम दीक्षा लेकर दृढ भक्ति करने के बाद संत रामपाल जी महाराज जी को 1994 में स्वामी रामदेवानंद जी ने आदेश दिया कि अब आप लोगों को नाम दीक्षा दिया करो। अपने गुरुजी की आज्ञा को मानकर संत रामपाल जी महाराज ने 18 साल की अपनी नौकरी से 21/05/1995 को इस्तीफा दे दिया और पूर्णतः नामदान देने लग गए।
वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र ऐसे संत है जो शास्त्रों के आधार पर लोगों को तत्वज्ञान का भेद करा रहे हैं व् लोगों को पाखंडवाद से मुक्त कर शास्त्रानुसार कबीर साहेब की सतभक्ति करने के लिए जागृत कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज जी अपने तत्वज्ञान के माध्यम से लोगों को यह बताते हैं कि मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य क्या है, हमें किस तरह से मनुष्य जीवन में रहना चाहिए, किस की भक्ति करनी चाहिए, शास्त्रानुसार वास्तविक भक्ति विधि क्या है इन सबकी जानकारी बताते हैं।
सतगुरु रामपाल जी महाराज को लोगों तक वास्तविक तत्वज्ञान पहुँचाने के लिए अनेकों संघर्षों का सामना करना पड़ा पर उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
जब संत रामपाल जी महाराज ने नौकरी छोड़ी तब वह नौकरी ही उनके परिवार के निर्वाह का एकमात्र साधन थी पर अपने सतगुरु के आदेश का पालन करने के लिए और परमात्मा के बच्चों के उद्धार के लिए उन्होंने नौकरी त्याग दी। उन्होंने अपने परिवार तथा बच्चों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया और परमात्मा के लिए अपना जीवन समर्पण कर दिया।
उन्होंने अपने कुछ भक्तों के सहयोग से गाँव गाँव, नगर नगर जाकर सत्ज्ञान का प्रचार किया। सर्व धर्मों के शास्त्रों का अध्ययन किया और उनमें से परमात्मा का सच्चा ज्ञान निकालकर भक्त समाज के सामने रख दिया। दिन रात सत्संग किये, पुस्तकें लिखी। 20-20 घंटे लगातार काम किया। समाज में व्यापत कुरीतियों तथा नकली संतो द्वारा फैलाये गए गलत ज्ञान पर दृढ़ लोगों ने परम संत और उनके द्वारा दिये गए ज्ञान का बहुत विरोध किया पर सतगुरु जी द्वारा दिया गया परमेश्वर कबीर साहेब का ज्ञान ऐसा था जैसे तोप का गोला हो जिसके आगे कोई टिक नही सका।
इस पृथ्वी पर सिर्फ संत रामपाल जी ही पूर्ण संत हैं फिर चाहे वे जेल में ही क्यों न हों। परमार्थ के लिए, हम जीवों के उद्धार के लिए ही आज उनको जेल जाना पड़ा है। इस तत्वज्ञान के प्रचार के लिए उन्होंने इतना संघर्ष किया है, उसे समझकर संत जी से नाम उपदेश लेना हमारा परम कर्तव्य बनता है क्योंकि मोक्ष प्राप्त करना ही इस मानव जीवन का प्रथम कर्तव्य है।
#17Feb_SantRampalJi_BodhDiwas
#SantRampalJiMaharaj
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🎋संत रामपालजी महाराज का जीवन परिचय व् आध्यात्मिक संघर्ष🎋
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 को गांव धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा में जाट किसान परिवार में हुआ, जिन्होंने हम जीवों के उद्धार के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद संत ऱामपालजी महाराज हरियाणा प्रांत में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे। इसी दौरान संत रामपाल जी महाराज जी ने 17 फरवरी सन् 1988 को फाल्गुन महीने की अमावस्या को परम संत रामदेवानंद जी से नाम दीक्षा प्राप्त की। उनके अनुयायी इस दिवस को बोध दिवस के रूप में मनाते हैं।
अपने गुरु जी से नाम दीक्षा लेकर दृढ भक्ति करने के बाद संत रामपाल जी महाराज जी को 1994 में स्वामी रामदेवानंद जी ने आदेश दिया कि अब आप लोगों को नाम दीक्षा दिया करो। अपने गुरुजी की आज्ञा को मानकर संत रामपाल जी महाराज ने 18 साल की अपनी नौकरी से 21/05/1995 को इस्तीफा दे दिया और पूर्णतः नामदान देने लग गए।
वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र ऐसे संत है जो शास्त्रों के आधार पर लोगों को तत्वज्ञान का भेद करा रहे हैं व् लोगों को पाखंडवाद से मुक्त कर शास्त्रानुसार कबीर साहेब की सतभक्ति करने के लिए जागृत कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज जी अपने तत्वज्ञान के माध्यम से लोगों को यह बताते हैं कि मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य क्या है, हमें किस तरह से मनुष्य जीवन में रहना चाहिए, किस की भक्ति करनी चाहिए, शास्त्रानुसार वास्तविक भक्ति विधि क्या है इन सबकी जानकारी बताते हैं।
सतगुरु रामपाल जी महाराज को लोगों तक वास्तविक तत्वज्ञान पहुँचाने के लिए अनेकों संघर्षों का सामना करना पड़ा पर उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
जब संत रामपाल जी महाराज ने नौकरी छोड़ी तब वह नौकरी ही उनके परिवार के निर्वाह का एकमात्र साधन थी पर अपने सतगुरु के आदेश का पालन करने के लिए और परमात्मा के बच्चों के उद्धार के लिए उन्होंने नौकरी त्याग दी। उन्होंने अपने परिवार तथा बच्चों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया और परमात्मा के लिए अपना जीवन समर्पण कर दिया।
उन्होंने अपने कुछ भक्तों के सहयोग से गाँव गाँव, नगर नगर जाकर सत्ज्ञान का प्रचार किया। सर्व धर्मों के शास्त्रों का अध्ययन किया और उनमें से परमात्मा का सच्चा ज्ञान निकालकर भक्त समाज के सामने रख दिया। दिन रात सत्संग किये, पुस्तकें लिखी। 20-20 घंटे लगातार काम किया। समाज में व्यापत कुरीतियों तथा नकली संतो द्वारा फैलाये गए गलत ज्ञान पर दृढ़ लोगों ने परम संत और उनके द्वारा दिये गए ज्ञान का बहुत विरोध किया पर सतगुरु जी द्वारा दिया गया परमेश्वर कबीर साहेब का ज्ञान ऐसा था जैसे तोप का गोला हो जिसके आगे कोई टिक नही सका।
इस पृथ्वी पर सिर्फ संत रामपाल जी ही पूर्ण संत हैं फिर चाहे वे जेल में ही क्यों न हों। परमार्थ के लिए, हम जीवों के उद्धार के लिए ही आज उनको जेल जाना पड़ा है। इस तत्वज्ञान के प्रचार के लिए उन्होंने इतना संघर्ष किया है, उसे समझकर संत जी से नाम उपदेश लेना हमारा परम कर्तव्य बनता है क्योंकि मोक्ष प्राप्त करना ही इस मानव जीवन का प्रथम कर्तव्य है।
#17Feb_SantRampalJi_BodhDiwas
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डिप्टी कलेक्टर पोस्टिंग : राज्य प्रशासनिक सेवा के 13 अधिकारियों को मिली पोस्टिंग, आदेश जारी, देखें लिस्ट छत्तीसगढ़ शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी करते हुए प्रदेश के अलग -अलग जिलों में 13 डिप्टी कलेक्टरों की पदस्थापना की है, ये सभी अफसर 2024 बैच के राज्य सेवा के अफसर है।
राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के नवीन पदस्थापना, देखें आदेश...
राज्य शासन द्वारा राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के नवीन पदस्थापना आदेश जारी।
राज्य शासन द्वारा राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के नवीन पदस्थापना आदेश जारी। pic.twitter.com/3uGPlwzjEM
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) May 9, 2023
राज्य शासन द्वारा राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के नवीन पदस्थापना आदेश जारी।
राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के नवीन पदस्थापना, देखें आदेश…
181 मार्गदर्शक कौन?आज एक और बड़ी भूल की ओर इशारा है। निवेदन है की जल्दबाजी न करें, भली प्रकार विचार करके ही आगे बढ़ें।देखें, मार्गदर्शक तो दो ही हैं, संत और शास्त्र। संत का मिलना, उन्हें पहचानना, उनके प्रति समर्पण, उनके आदेश में चलना, उनके प्रति श्रद्धा का टिकना, हर किसी के बस की बात नहीं। यह तो किन्हीं विरले, साहसी, पुण्यात्मा, परमात्मा के चुने हुए प्यारों का ही काम है। जनसाधारण को तो शास्त्र ही…
संत रामपाल जी महाराज का जीवन संघर्ष और बलिदान की मिसाल है। उन्होंने समाज सुधार और सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान के प्रचार के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। सरकारी नौकरी और परिवार को त्यागकर उन्होंने सच्चाई का मार्ग अपनाया। नकली संतों और धर्मगुरुओं ने उनके ज्ञान प्रचार का विरोध किया और उन पर झूठे मुकदमे दर्ज कराए, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें २००६ में करौथा कांड और २०१४ में बरवाला कांड के कारण जेल जाना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने गुरुदेव स्वामी रामदेवानंद जी के आदेश का पालन करते हुए जेल से भी सत्य ज्ञान का प्रचार जारी रखा। आज उनका सत्यज्ञान भारत ही नहीं पूरे विश्व में फैल चुका है और उनके अनुयायी समाज में व्याप्त बुराइयों को त्यागकर शांति और मोक्ष की ओर अग्रसर हो रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज का जीवन प्रेरणा और अद्वितीय बलिदान का प्रतीक है।
हमारे समाज में जीवों के साथ क्रूरता आज एक जटिल समस्या बन चुकी है। लेकिन संत रामपाल जी महाराज की छवि पशु प्रेमी के रूप में भी उभरकर सामने आई है। उनका कहना है कि जीव हिंसा भगवान का आदेश नहीं है। इस विषय में कबीर परमेश्वर ने कहा है:
कबीर-जीव हनै हिंसा करै, प्रगट पाप सिर होय।
निगम पुनि ऐसे पाप तें, भिस्त गया नहिं कोय।।
साथ ही, बाइबिल के उत्पत्ति 1:29 से 30 में भी परमात्मा ने मानव को खाने के लिए बीजदार पौधे और फलदार वृक्ष दिए हैं। यानि माँस खाने का आदेश भगवान का नहीं है। इसीलिए हमें जीव हिंसा नहीं करना चाहिए।
देखें प्रतिदिन श्रद्धा टीवी पर दोपहर 2:00 बजे से 3:00 तक।
हमारे समाज में जीवों के साथ क्रूरता आज एक जटिल समस्या बन चुकी है। लेकिन संत रामपाल जी महाराज की छवि पशु प्रेमी के रूप में भी उभरकर सामने आई है। उनका कहना है कि जीव हिंसा भगवान का आदेश नहीं है। इस विषय में कबीर परमेश्वर ने कहा है:
कबीर-जीव हनै हिंसा करै, प्रगट पाप सिर होय।
निगम पुनि ऐसे पाप तें, भिस्त गया नहिं कोय।।
साथ ही, बाइबिल के उत्पत्ति 1:29 से 30 में भी परमात्मा ने मानव को खाने के लिए बीजदार पौधे और फलदार वृक्ष दिए हैं। यानि माँस खाने का आदेश भगवान का नहीं है। इसीलिए हमें जीव हिंसा नहीं करना चाहिए।
देखें प्रतिदिन श्रद्धा टीवी पर दोपहर 2:00 बजे से 3:00 तक।
*🙏🙇♂️बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय 🙇♂️🙏*
19/09/24
*श्राद्ध की श्रेष्ठ विधि ?*
#GodMorningThursday
#ThursdayMotivation
#ThursdayThoughts
*#श्राद्धकी_शास्त्रानुकूल_विधि*
*Watch Sant RampalJi YouTube*
*🙏प्रतिदिन अवश्य देखें! साधना 📺 चैनल 7:30p.m.
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6🌀परमात्मा कबीर जी समझाते हैं कि हे भोले प्राणी! गरूड़ पुराण का पाठ जीव को मृत्यु से पहले सुनाना चाहिए था ताकि वह परमात्मा के विधान को समझकर पाप कर्मों से बचता। पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर अपना मोक्ष करता। जिस कारण से वह न प्रेत बनता, न पितर बनता, न पशु-पक्षी आदि-आदि के शरीरों में कष्ट उठाता। मृत्यु के पश्चात् गरूड़ पुराण के पाठ का कोई लाभ नहीं मिलता।
7🌀सूक्ष्मवेद (तत्वज्ञान) में तथा चारों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथवर्वेद) तथा इन चारों वेदों के सारांश गीता में स्पष्ट किया है कि आन-उपासना नहीं करनी चाहिए क्योंकि ये शास्त्रों में वर्णित न होने से मनमाना आचरण है जो गी��ा अध्याय 16 श्लोक 23, 24 में व्यर्थ बताया है। शास्त्रोक्त साधना करने का आदेश दिया है।
8🌀मार्कण्डेय पुराण (गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित) में श्राद्ध के विषय मे एक कथा का वर्णन मिलता है जिसमें रूची नामक एक ऋषि को अपने चार पूर्वज जो शास्त्र विरुद्ध साधना करके पितर बने हुए थे तथा कष्ट भोग रहे थे, दिखाई दिए। पितरों ने कहा कि बेटा रूची हमारे श्राद्ध निकाल, हम दुःखी हो रहे हैं। रूची ऋषि ने जवाब दिया की पित्रामहों वेद में कर्म काण्ड मार्ग (श्राद्ध, पिण्ड भरवाना आदि) को मूर्खों की साधना कहा है, अर्थात यह क्रिया व्यर्थ व शास्त्र विरुद्ध है।
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6🌀परमात्मा कबीर जी समझाते हैं कि हे भोले प्राणी! गरूड़ पुराण का पाठ जीव को मृत्यु से पहले सुनाना चाहिए था ताकि वह परमात्मा के विधान को समझकर पाप कर्मों से बचता। पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर अपना मोक्ष करता। जिस कारण से वह न प्रेत बनता, न पितर बनता, न पशु-पक्षी आदि-आदि के शरीरों में कष्ट उठाता। मृत्यु के पश्चात् गरूड़ पुराण के पाठ का कोई लाभ नहीं मिलता।
7🌀सूक्ष्मवेद (तत्वज्ञान) में तथा चारों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथवर्वेद) तथा इन चारों वेदों के सारांश गीता में स्पष्ट किया है कि आन-उपासना नहीं करनी चाहिए क्योंकि ये शास्त्रों में वर्णित न होने से मनमाना आचरण है जो गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 में व्यर्थ बताया है। शास्त्रोक्त साधना करने का आदेश दिया है।
8🌀मार्कण्डेय पुराण (गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित) में श्राद्ध के विषय मे एक कथा का वर्णन मिलता है जिसमें रूची नामक एक ऋषि को अपने चार पूर्वज जो शास्त्र विरुद्ध साधना करके पितर बने हुए थे तथा कष्ट भोग रहे थे, दिखाई दिए। पितरों ने कहा कि बेटा रूची हमारे श्राद्ध निकाल, हम दुःखी हो रहे हैं। रूची ऋषि ने जवाब दिया की पित्रामहों वेद में कर्म काण्ड मार्ग (श्राद्ध, पिण्ड भरवाना आदि) को मूर्खों की साधना कहा है, अर्थात यह क्रिया व्यर्थ व शास्त्र विरुद्ध है।