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#आरबीआई की दर में बढ़ोतरी की उम्मीद
newsdaliy · 2 years
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आरबीआई ने दरों में मामूली 0.35% से 6.25% की बढ़ोतरी की, धीमी मुद्रास्फीति का हवाला दिया
आरबीआई ने दरों में मामूली 0.35% से 6.25% की बढ़ोतरी की, धीमी मुद्रास्फीति का हवाला दिया
RBI मौद्रिक नीति: RBI ने रेपो दर बढ़ाकर 6.25% की भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपनी प्रमुख उधार दर को 35 आधार अंकों से अधिक मामूली 6.25 प्रतिशत तक बढ़ा दिया, लगातार तीन 50-बीपीएस (आधार अंक) बढ़ने के बाद धीमी मुद्रास्फीति का हवाला देते हुए कीमतों के दबाव को प्रबंधित करने के लिए जो लगातार इसके ऊपरी छोर से ऊपर बना हुआ है। लक्ष्य बैंड। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी), जो आरबीआई के तीन सदस्यों और तीन बाहरी…
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webvartanewsagency · 1 year
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RBI ने रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत बढ़ाने का किया ऐलान, कार और होम लोन फिर होंगे महंगे
नई दिल्ली, (वेब वार्ता)।  रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने एक बार फिर आम आदमी को झटका दिया है. आरबीआई ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट या 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी (Repo Rate Hike) की है. इसके बाद सभी तरह के लोन महंगे हो जाएंगे. देश में महंगाई (Inflation) काबू में आने के बाद भी आरबीआई ने दरों में बढ़ोतरी का फैसला लिया है. 6.50 फीसदी पर पहुंचा रेपो रेट देश में महंगाई दर का आंकड़ा कम होने के बाद भी रिजर्व बैंक ने लगातार छठी बार नीतिगत दरों (Repo Rate) में बढ़ोतरी का ऐलान किया है. इसके बाद रेपो रेट 6.25% से बढ़कर 6.50% हो गया है. यानी होम लोन से लेकर ऑटो और पर्सनल लोन सब कुछ महंगा हो जाएगा और आपको ज्यादा EMI चुकानी होगी. देश का आम बजट पेश किए जाने के बाद ये आरबीआई एमपीसी की बैठक थी और इसमें फिर से आम आदमी के झटका लगा है. छह बार में इतनी हुई बढ़ोतरी आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shakti Kant Das) ने बुधवार को तीन दिवसीय एसपीसी बैठक (MOC Meet) में लिए गए फैसलों का ऐलान किया. बता दें एक्सपर्ट्स पहले से रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी किए जाने की संभावना जता रहे थे. गौरतलब है कि इससे पहले दिसंबर 2022 में हुई MPC बैठक में ब्याज दरों को 5.90% से बढ़कर 6.25% किया गया था. आरबीआई ने बीते साल से अब तक छह बार रेपो रेट में इजाफा करते हुए कुल 2.50% की बढ़ोतरी की है. 25 बीपीएस की बढ़ोतरी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार, 8 फरवरी, 2023 को मौद्रिक नीति समिति के फैसलों की घोषणा की। रेपो दर में 25 बीपीएस की वृद्धि की गई है। दिसंबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने प्रमुख बेंचमार्क ब्याज दर में 35 आधार अंकों (bps) की वृद्धि की थी। आपको बता दें कि पिछले साल मई से, रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए अल्पकालिक उधार दर में 225 आधार अंकों की वृद्धि की है। मौद्रिक नीति समिति ने बैठक में Liquidity Adjustment Facility (LAF) के तहत रेपो दर को 25 आधार अंक बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है। आज हुई बढ़ोतरी को मिला दिया जाए तो पिछले सात महीनों में आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में की गई छठी वृद्धि है। केंद्रीय बैंक ने मई में 0.40 प्रतिशत, जून, अगस्त और सितंबर में 0.50-0.50-0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी। दिसंबर में दरों में 0.35 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी। वैश्विक परिस्थियों से अछूता नहीं है भारत गवर्नर दास ने कहा कि पिछले वर्षों की अभूतपूर्व घटनाओं ने मौद्रिक नीति का परीक्षण करते रहने की जरूरत महसूस कराई है। उन्होंने कहा कि यह देखते हुए, हाल के महीनों में आरबीआई ने मुद्रास्फीति को कितनी अच्छी तरह नियंत्रित किया है, अनुमान है कि यह जल्द ही यह टॉलरेंस बैंड के भीतर होगी। कराधान के मोर्चे पर हाल के सुधारों के माध्यम से ऐसा लगता है कि सरकार ने भारत की अर्थव्यवस्था को बचत पर केंद्रित अर्थव्यवस्था से उपभोग पर आधारित अर्थव्यवस्था में स्थानांतरित करने के लिए नियमों को बदल दिया है। दरों में आखिरी बढ़ोतरी? रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने उम्मीद जताई कि शायद यह रेपो दरों में आखिरी बढ़ोतरी हो। उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि अगले महीनों में ब्याज दरों में बढ़ोतरी रुक जाएगी, इसके बाद अगले साल से दरों में उलटफेर शुरू हो जाएगा। एमएसएफ, एसडीएफ दरों में बढ़ोतरी एसडीएफ (स्थायी जमा सुविधा) दर 6% से 6.25% तक समायोजित की गई हैं। MSF (मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी) की दरें 25 बीपीएस से बढ़कर 6.75% हो गई हैं।
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा की मुख्य बातें...
…प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत किया गया। …मौद्रिक नीति समिति के छह सदस्यों में से चार ने रेपो दर बढ़ाने के पक्ष में मत दिया। …चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर के सात प्रतिशत रहने का अनुमान। 2023-24 में वृद्धि दर घटकर 6.4 प्रतिशत रहेगी। …मौद्रिक नीति समिति उदार रुख को वापस लेने पर ध्यान देने के पक्ष में। …खुदरा मुद्रास्फीति चौथी तिमाही में 5.6 प्रतिशत रहने का अनुमान। ….चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 6.5 प्रतिशत पर रहेगी। अगले वित्त वर्ष में इसके घटकर 5.3 प्रतिशत पर आने का अनुमान। ….बीते साल और इस वर्ष अभी तक अन्य एशियाई मुद्राओं की तुलना में रुपये में कम उतार-चढ़ाव। ….चालू खाते का घाटा 2022-23 की दूसरी छमाही में नीचे आएगा। ….दुकानों पर भुगतान के लिए भारत आने वाले यात्रियों को भी यूपीआई सुविधा देने का प्रस्ताव। शुरुआत में यह सुविधा जी20 देशों के यात्रियों को मिलेगी। Read the full article
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teznews · 2 years
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 रिजर्व बैंक ने दिया झटका, कार-होम और पर्सनल लोन महंगे
 रिजर्व बैंक ने दिया झटका, कार-होम और पर्सनल लोन महंगे
रिजर्व बैंक ने दिया झटका, कार-होम और पर्सनल लोन महंगे  आरबीआई ने रेपो रेट में 0.35% की बढ़ोतरी हुई, 0.35% बढ़ाकर 6.25 % हुआ। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अगले 12 महीनों में मुद्रास्फीति दर 4 फीसदी से ऊपर रहने की उम्मीद है। RBI Monetary Policy MPC Meet । रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने इस साल लगातार 5वीं बार रेपो रेट में बढ़ोतरी करने का ऐलान किया है। RBI ने रेपो रेट को 0.35 फीसदी बढ़ाने…
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sabkuchgyan · 2 years
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रेपो रेट में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी से ईएमआई चुकाने वालों को झटका, आरबीआई ने घटाई आर्थिक वृद्धि का अनुमान
रेपो रेट में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी से ईएमआई चुकाने वालों को झटका, आरबीआई ने घटाई आर्थिक वृद्धि का अनुमान
आज मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए रेपो रेट में 0.50 फीसदी की आरबीआई  बढ़ोतरी की। इससे उपभोक्ताओं के लिए घर, कार और अन्य ऋण और अधिक महंगे हो जाएंगे। हालांकि इसके बाद जमा पर ब्याज भी बढ़ने की उम्मीद है।10:33 बजे: आरबीआई के पास रुपये के लिए कोई निश्चित विनिमय दर नहीं है; अत्यधिक अस्थिरता को रोकने के लिए बाजार का हस्तक्षेप: दास। 10:27 बजे: FY23 के लिए मुद्रास्फीति पूर्वानुमान FY23 के लिए 6.7% पर…
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mwsnewshindi · 2 years
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विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई को लगातार चौथी बार ब्याज दरें बढ़ाने की उम्मीद
विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई को लगातार चौथी बार ब्याज दरें बढ़ाने की उम्मीद
नयी दिल्ली, 25 सितंबर (भाषा) घरेलू शेयर बाजार में इस सप्ताह होने वाली मासिक डेरिवेटिव समाप्ति के बीच उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है, जबकि निवेशकों को मुख्य रूप से शुक्रवार को आरबीआई के ब्याज दर के फैसले के नतीजे का इंतजार रहेगा। हाल ही में अमेरिकी फेडरल रिजर्व और अन्य केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों में बढ़ोतरी के बाद मंदी की प्रवृत्ति के बीच वैश्विक बाजार की गति भी धारणा को आगे बढ़ाना जारी…
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joinnoukri · 2 years
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उम्मीद से अधिक कमज़ोर हो रही है अर्थव्यवस्था
उम्मीद से अधिक कमज़ोर हो रही है अर्थव्यवस्था
24 जनवरी 2012 भारतीय रिज़र्व बैंक ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत उम्मीद से अधिक कमज़ोर हुई है और महंगाई की दर अभी भी ऊंची बनी हुई है. आरबीआई ने मार्च 2010 से अब तक 13 बार महंगाई को कम करने के उद्देश्य से ब्याज़ दरों में बढ़ोतरी की है. पिछले वर्ष दिसंबर में महंगाई की दर 7.47 प्रतिशत थी जो दो वर्ष की सबसे कम दर तो है लेकिन सरकारी लक्ष्यों से कहीं ऊपर. बैंक के अनुसार इन वजहों से सरकार…
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trendingwatch · 2 years
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आरबीआई की मौद्रिक नीति लाइव अपडेट: आरबीआई ने आज रेपो रेट में 25-50 बीपीएस की बढ़ोतरी की तैयारी की
आरबीआई की मौद्रिक नीति लाइव अपडेट: आरबीआई ने आज रेपो रेट में 25-50 बीपीएस की बढ़ोतरी की तैयारी की
अधिक पढ़ें आगे। “हमें उम्मीद है कि इस चक्र में अब तक 90 बीपीएस की संचयी वृद्धि के बाद रेपो दर को 35 बीपीएस से बढ़ाकर 5.25 प्रतिशत कर दिया जाएगा। यह दर को 2019 के अंत के स्तर पर वापस ले जाएगा। डीबीएस ग्रुप रिसर्च में कार्यकारी निदेशक और वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा, “मुद्रास्फीति की उम्मीदों को स्थिर करने के लिए रुख में एकमुश्त बदलाव के अभाव में, मार्गदर्शन में आवास को वापस लेने की…
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sareideas · 2 years
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रिजर्व बैंक के 2022 में ब्याज दरों में 100 आधार अंकों की बढ़ोतरी की संभावना - sarenews 2022
रिजर्व बैंक के 2022 में ब्याज दरों में 100 आधार अंकों की बढ़ोतरी की संभावना – sarenews 2022
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) निकट भविष्य में नीतिगत दरों में 100 आधार अंकों तक वृद्धि कर सकता है।आनंद राठी शेयर और स्टॉक ब्रोकर्स ने एक रिपोर्ट में कहा है हमारे पड़ोसी देशों पाकिस्तान और श्रीलंका ने नीतिगत दरों में बढा़ेत्तरी की है। हम उम्मीद करते हैं कि भारत भी जल्द ही ब्याज दरें बढ़ाना शुरू कर देगा और आरबीआई 2022 में नीति दर को 100 आधार अंक तक बढ़ा सकता है और कम से कम…
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athibanhindi · 2 years
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रिजर्व बैंक के 2022 में ब्याज दरों में 100 आधार अंकों की बढ़ोतरी की संभावना | RBI likely to increase interest rates by 100 basis points in 2022
रिजर्व बैंक के 2022 में ब्याज दरों में 100 आधार अंकों की बढ़ोतरी की संभावना | RBI likely to increase interest rates by 100 basis points in 2022
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) निकट भविष्य में नीतिगत दरों में 100 आधार अंकों तक वृद्धि कर सकता है।आनंद राठी शेयर और स्टॉक ब्रोकर्स ने एक रिपोर्ट में कहा है हमारे पड़ोसी देशों पाकिस्तान और श्रीलंका ने नीतिगत दरों में बढा़ेत्तरी की है। हम उम्मीद करते हैं कि भारत भी जल्द ही ब्याज दरें बढ़ाना शुरू कर देगा और आरबीआई 2022 में नीति दर को 100 आधार अंक तक बढ़ा सकता है और कम से कम…
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newsdaliy · 2 years
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सेंसेक्स आरबीआई के नीतिगत फैसले से 45 अंक आगे गिर गया
सेंसेक्स आरबीआई के नीतिगत फैसले से 45 अंक आगे गिर गया
स्टॉक मार्केट इंडिया: सेंसेक्स, निफ्टी आरबीआई से आगे हरे रंग में खुले बुधवार को शुरुआती कारोबार में लाभ और हानि के बीच देखने-देखने के बाद भारतीय इक्विटी बेंचमार्क गिर गया, व्यापक रूप से अपेक्षित दर वृद्धि से पहले चौथे सीधे दिन के लिए घाटे का विस्तार, व्यापारियों ने घरेलू मुद्रास्फीति के खिलाफ अपनी लड़ाई में आरबीआई के दृष्टिकोण पर विवरण की प्रतीक्षा की। शुरुआती कारोबार में हरे रंग में खुलने के…
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abhay121996-blog · 3 years
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आरबीआई ने नीतिगत दर को चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा, वित्त वर्ष 2021-22 में 10.5% वृद्धि का अनुमान Divya Sandesh
#Divyasandesh
आरबीआई ने नीतिगत दर को चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा, वित्त वर्ष 2021-22 में 10.5% वृद्धि का अनुमान
नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) कोविड-19 संक्रमण के ताजा मामलों और मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी से चिंतित भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने प्रमुख उधारी दर को चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया, लेकिन साथ ही अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए जरूरत पड़ने पर आगे कटौती की बात कहकर उदार रुख को बरकरार रखा। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसलों की घोषणा करते हुए कहा कि रेपो दर को चार प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। उन्होंने कहा, ‘‘सभी की सहमति से यह भी निर्णय लिया कि टिकाऊ आधार पर वृद्धि को बनाए रखने के लिए जब तक जरूरी हो, उदार रुख को बरकरार रखा जाएगा और अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के असर को कम करने के प्रयास जारी रहेंगे।’’ उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मुद्रास्फीति तय लक्ष्य के भीतर बनी रहे। इसी तरह सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 4.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित है। रिवर्स रेपो दर भी 3.35 प्रतिशत बनी रहेगी। चालू वित्त वर्ष में यह पहली द्विमासिक नीति समीक्षा बैठक है। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए 10.5 प्रतिशत की वृद्धि लक्ष्य को बरकरार रखा है। दास ने कहा कि हाल में कोविड-19 संक्रमण में बढ़ोतरी ने आर्थिक वृद्धि दर में सुधार को लेकर अनिश्चितता पैदा की है। साथ ही उन्होंने वायरस के प्रकोप को रोकने और आर्थिक सुधारों पर घ्यान दिए जाने की आवश्यकाता पर बल दिया। दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक प्रणाली में पर्याप्त नकदी सुनिश्चित करेगा, ताकि उत्पादक क्षेत्रों को ऋण आसानी से मिले। उन्होंने उम्मीद जताई कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत पर रहेगी। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने मार्च में खत्म हुई तिमाही के दौरान मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया है। दास ने कहा कि प्रमुख मुद्रास्फीति फरवरी 2021 में पांच प्रतिशत के स्तर पर बनी रही, हालांकि कुछ कारक सहजता की ऊपरी सीमा (4+2%) को तोड़ने की चुनौती उत्पन्न कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आगे चलकर खाद्य मुद्रास्फीति की स्थिति मानसून की प्रगति पर निर्भर करेगी। दास ने कहा कि केंद्र और राज्यों द्वारा समन्वित प्रयासों से पेट्रोलियम उत्पादों पर घरेलू करों से कुछ राहत मिली है। हालांकि, कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों और लॉजिस्टिक लागतों के चलते विनिर्माण और सेवाएं महंगी हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति को संशोधित कर पांच प्रतिशत किया गया है। इसी तरह मुद्रास्फीति के अनुमान वित्त वर्ष 2021-22 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए 5.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही के लिए 4.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही के लिए 5.1 प्रतिशत हैं। इससे पहले केंद्रीय बैंक ने 2020-21 की चौथी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।
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kisansatta · 4 years
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कोरोना संकट के बीच आज देश की आर्थिक स्थित के बारे में जानकारी देंगी निर्मला सीतारमण
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नई दिल्ली : कोरोना संकट के बीच ख़राब हुई अर्थव्यवस्था को लेकर आज देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण दोपहर 12:30 बजे देश की आर्थिक स्थिति के बारे में बताएंगी | इससे पहले आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि जनवरी-मार्च 2021 यानी चालू वित्त वर्ष के अंतिम और चौथी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ पॉजिटिव में देखने को मिल सकती है | हालांकि आरबीआई गवर्नर ने यह भी अनुमान लगाया कि चालू वित्त वर्ष यानी 2020-21 में जीडीपी ग्रोथ शून्य से 9.5 फीसदी नीचे रह सकती है |
देश में कोरोना काल के दौरान देश वाशियों के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने दो बड़े रहत पैकेज की घोषणा की थी जिसमे16 मार्च को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेजऔर फिर इसके बाद करीब 21 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत पैकेज का ऐलान किया गया | दूसरे राहत पैकेज में फिस्कल और मॉनेटरी पॉलिसी के फैसलों को भी शामिल किया गया |
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विपक्ष ने पहले देश बांटा, अब बांट रहे समाज : योगी
भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे बुरा वक्त हुआ खत्म?….
एचडीएफसी लिमिटेड के सीईओ केकी मिस्त्री का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे बुरा वक्त पीछे छूट चुका है और आर्थिक सुधार की गति उम्मीद से अधिक तेज है | उन्होंने कहा कि दिसंबर तिमाही के दौरान विकास दर पिछले साल की समान तिमाही के मुकाबले बेहतर रह सकती है |
उन्होंने कहा कि पिछले 6 महीने में भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपना लचीलापन साबित किया है | होम लोन का कारोबार करने वाली वित्तीय कंपनी एचडीएफसी लिमिटेड के सीईओ केकी मिस्त्री ने अखिल भारतीय प्रबंधन संघ की ओर से आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम ये बातें कहीं | केकी मिस्त्री ने कहा कि अनुकूल ब्याज दरों का दौर आगे भी जारी रहेगा और आर्थिक गतिविधियों में गति तेज होने और मुद्रास्फीति के दबाव बढ़ने के बाद ही दरें बढ़ेंगी | हालांकि, उन्होंने कहा कि ब्याज दरें अपने निचले स्तर पर आ चुकी हैं |
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IPL 2020 : टीम को जीत दिलाने के बाद ‘बिहू’ डांस करते रियान पराग का वीडियो वायरल
इन इंडिकेटर्स से मिल रहा आर्थिक रिकवरी का संकेत
वित्त मंत्रालय ने बताया कि रेलवे की माल ढुलाई से होने वाली कमाई 13.5 फीसदी बढ़ी है | इस प्रकार बिजली की मांग 4.2 फीसदी बढ़ी है | ट्रैक्टर की बिक्री में इजाफा हुआ है | बेहतर मॉनसून के साथ ग्रोथ के अन्य इंडिकेटर्स जैसे पीएमआई मैन्युफैक्चरिंग, 8 कोर सेक्टर्स के इंडेक्स, ई-वे बिल्स, निर्यात, खरीफ की बुवाई, कार्गो ट्रैफिक और पैसेंजर वाहनों की बिक्री आदि में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है | इन सब बातों से मंत्रालय को भरोसा है कि अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के असर को कम करने के फैसलों का लाभ मिलने लगा है |
  https://kisansatta.com/amidst-corona-crisis-today-nirmala-sitharaman-will-give-information-about-the-countrys-economic-situation/ #Financeminister, #Financeministerofindia, #Financeministry, #Sitaraman, #AmidstCoronaCrisis, #TodayNirmalaSitharamanWillGiveInformationAboutTheCountrySEconomicSituation #financeminister, #financeministerofindia, #financeministry, #sitaraman, Amidst Corona crisis, today Nirmala Sitharaman will give information about the country's economic situation Business, Top, Trending #Business, #Top, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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sabkuchgyan · 2 years
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RBI की अहम बैठक आज, रेपो रेट तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच सकता है
RBI की अहम बैठक आज, रेपो रेट तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच सकता है
भारतीय रिजर्व बैंक की तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति की बैठक बुधवार से शुरू हो रही है। RBI की अहम बैठक लगातार बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने के लिए आरबीआई एक बार फिर रेपो रेट बढ़ा सकता है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व सहित दुनिया के अन्य प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद आरबीआई द्वारा रेपो दर बढ़ाने की भी उम्मीद है। आरबीआई ने एमपीसी की सिफारिशों के आधार पर जून और अगस्त में रेपो रेट…
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vsplusonline · 4 years
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औद्योगिक उत्पादन में फरवरी में 4.5 फीसदी की बढ़ोतरी, माइनिंग के कारण बेहतर ग्रोथ
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औद्योगिक उत्पादन में फरवरी में 4.5 फीसदी की बढ़ोतरी, माइनिंग के कारण बेहतर ग्रोथ
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औद्योगिक उत्पादन में फरवरी के दौरान 4.5 प्रतिशत की वृद्धि
खनन, विनिर्माण और बिजली क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से देश के औद्योगिक उत्पादन में इस साल फरवरी में 4.5 प्रतिशत की अच्छी वृद्धि दर्ज की गई.
नई दिल्ली. खनन, विनिर्माण और बिजली क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से देश के औद्योगिक उत्पादन में इस साल फरवरी में 4.5 प्रतिशत की अच्छी वृद्धि दर्ज की गई. गुरुवार को जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में इससे पहले फरवरी 2019 में केवल 0.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. पिछले वित्त वर्ष में अप्रैल-फरवरी के दौरान आईआईपी वृद्धि दर घटकर 0.9 प्रतिशत रही जबकि इससे पूर्व 2018-19 की इसी अवधि में इसमें 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के आंकड़े के अनुसार विनिर्माण उत्पादन इस साल फरवरी में 3.2 प्रतिशत बढ़ा जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें 0.3 प्रतिशत की गिरावट आयी थी. बिजली उत्पादन आलोच्य महीने में 8.1 प्रतिशत बढ़ा जबकि फरवरी 2019 में इसमें 1.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. खनन क्षेत्र का उत्पादन इस साल फरवरी में 10 प्रतिशत की दर से बढ़ा जबकि पिछले साल इसी महीने में इसमें 2.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.
ये भी पढ़ें: कोरोना महामारी से लड़ने के लिए इमरजेंसी पैकेज- केंद्र सरकार ने राज्यों को दिए 15 हजार करोड़ रुपये
खुदरा महंगाई दर फरवरी की 6.58% के मुकाबले मार्च में घटकर 5.93% रह सकती है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के 40 अर्थशास्त्रियों के सर्वे में यह अनुमान सामने आया है. खाद्य वस्तुएं और ईंधन सस्ता होने और लॉकडाउन की वजह से महंगाई दर में कमी आने की उम्मीद है. महंगाई दर 5.93% रहती है तो नवंबर 2019 के बाद सबसे कम होगी.महंगाई दर में कमी आने से आरबीआई के पास ब्याज दरों ��ें कटौती करने की गुंजाइश भी रहेगी. आरबीआई ब्याज दरें तय करने वक्त खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है. हालांकि, एएनजेड की इकोनॉमिस्ट रिनि सेन का मानना है कि मौजूदा आर्थिक संकट को देखते हुए आरबीआई का फोकस महंगाई पर नहीं होगा.
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First published: April 9, 2020, 8:13 PM IST
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राकेश झुनझुनवाला ने कहा बीजेपी से होगा मार्किट बुलिश  | Trade Nivesh
मैं आज जितना बुलिश जिंदगी में कभी नहीं था, लेकिन अगले महीने मैं सावधान रहूंगा: राकेश झुनझुनवाला
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बिग बुल राकेश झुनझुनवाला का कहना है कि आने वाले वर्षों में एसआईपी की सुनामी आने वाली है। उन्हें लगता है कि अर्थव्यवस्था में तेजी का दौर शुरू हो चुका है। रेयर एंटरप्राइजेज के पार्टनर राकेश झुनझुनवाला ने ईटी नाउ के निकुंज डालमिया को दिए इंटरव्यू में बताया कि पिछले पांच वर्षों में भारत की जितनी ग्रोथ रही है, अगले 10 साल में देश उससे तेज ग्रोथ रहेगी। पेश हैं इस इंटरव्यू के खास अंश...
1. केंद्र में अगली सरकार किसकी बनेगी? शेयर बाजार को लेकर आप क्या सोच रहे हैं?
झुनझुनवाला: हर नए म्यूचुअल फंड के साथ बाजार में निवेशक आ रहे हैं। हम इसका स्वागत करते हैं। अगर बाजार में अधिक पैसा आता है तो इसका मतलब यह है कि हमारे शेयरों में तेजी आएगी। मुझे अभी भी लगता है कि केंद्र में अगली सरकार एनडीए की बनेगी। मेरा मानना है कि बीजेपी को अपने दम पर बहुमत नहीं मिलेगा, लेकिन उसका दबदबा बना रहेगा। मुझे नहीं लगता कि सरकार बनाने के लिए एनडीए से बाहर के दलों से समर्थन की जरूरत पड़ेगी।
इसके साथ मैं यह भी कहना चाहूंगा कि भारत में किसी भी सरकार हो, उससे बहुत फर्क नहीं पड़ता। आज सेंसेक्स-निफ्टी नए शिखर पर हैं, लेकिन सारे बार खाली हैं। कहीं पार्टी नहीं हो रही है। इसे लेकर दो नजरिये सामने आए हैं। पहला, अगर इसका कोई जश्न नहीं मना रहा है तो इसका मतलब यह है कि इस तेजी का फायदा बहुत ज्यादा लोगों को नहीं मिला है। अगर पार्टिसिपेशन नहीं होता तो यह ट्रेंड जारी रहेगा। दूसरा, कुछ शेयरों की वजह से बाजार नए शिखर पर पहुंचा है। यह द्वंद्व की स्थिति है।
मुझे लगता है कि अभी शेयर बाजार में आक्रामक ढंग से निवेश नहीं करना चाहिए, लेकिन मैं इससे पहले देश पर कभी इतना बुलिश भी नहीं रहा हूं। अगले 10 साल में भारत की ग्रोथ पिछले पांच साल की ग्रोथ से तेज रहेगी। उसकी वजह यह है कि एनपीए यानी बैड लोन की समस्या हल हो चुकी है। कैपिटल इन्वेस्टमेंट का दौर शुरू होने वाला है। मैं खुद भी द्वंद्व में उलझा हूं। मैं लोकसभा चुनाव के नतीजे आने तक आक्रामक ढंग से निवेश नहीं करना चाहता। अगर कुछ अप्रत्याशित होता है तो बाजार में 5 पर्सेंट या 10 पर्सेंट तक की गिरावट आ सकदती है, लेकिन यह बात भी सच है कि मैं इतना बुलिश कभी नहीं था। मैं बुल हूं। शायद इसीलिए मुझे लोग बिग बुल कहते हैं। बुल हमेशा बिग यानी बड़े ही होते हैं।
2. जीएसटी, नोटबंदी या IL&FS क्राइसिस, वजह चाहे जो भी हो, यह बात भी सही है कि इंडिया इंक की प्रॉफिट ग्रोथ में एक साथ रिकवरी नहीं हुई है। क्या आपको लगता है कि आगे कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ तेज होगी, भले ही प्रधानमंत्री कोई बने?
झुनझुनवाला: मुझे लगता है कि बैंकों की खराब हालत की वजह से कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ नहीं बढ़ रही है। कभी-कभी एक कंपनी, मिसाल के लिए टाटा मोटर्स (जेएलआर की वजह से) के चलते निफ्टी की अर्निंग काफी कम दिखती है। मुझे नहीं पता कि कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ में कब रिकवरी होगी। यह उसी तरह से है, जैसे जब मैं डैडी से कहता था कि पैसे दे दो, तो वह कहते थे कि सब आपका ही तो है। तब मैं उनसे पूछता था कि अगर सब मेरा ही पैसा है तो यह मुझे कब मिलेगा? मैं इंडेक्स लेवल पर प्रॉफिट ग्रोथ नहीं देखता। मैं कंपनियों के स्तर पर इसे देखता हूं। यकीन मानिए कि मैं कभी अपने जीवन में इतना बुलिश नहीं था, लेकिन मैं अगले महीने को लेकर सावधान भी हूं। अगर इलेक्शन के रिजल्ट के बाद बाजार में गिरावट आती है तो वह निवेश का मौका होगा। मेरे पास अभी बिल्कुल पैसा नहीं है, इसलिए मैं और शेयर नहीं खरीद सकता। शायद इसी वजह से मैं सावधानी बरत रहा हूं।
3. मैं कई वर्षों से आपसे बात कर रहा हूं। आपने इस दौरान हमेशा कहा है कि आप बुलिश हैं। पहली बार आप कह रहे हैं कि आप बहुत ज्यादा बुलिश ह��ं। इसका क्या मतलब है?
झुनझुनवाला: मैं अगले पांच-सात साल के लिए बुलिश होने की बात कर रहा हूं। भारतीय अर्थव्यवस्था में रिकवरी हो रही है। कैपिटल एक्सपेंडिचर में मुझे भारी बढ़ोतरी की उम्मीद है। आप यह भी देखिए कि आज समाज में क्या हो रहा है? लोग ईमानदारी से कानून का पालन कर रहे हैं और वे तरक्की कर रहे हैं। देश में ईमानदारी बढ़ रही है और सुशासन दिख रहा है। हमें यह नहीं पता कि इसका कितना पॉजिटिव असर होगा। यह बदलाव स्थायी है। अगर बैड लोन की समस्या के चलते चार-पांच साल तक हमारी ग्रोथ सुस्त रहती है और कैपिटल एक्सपेंडिचर में बढ़ोतरी नहीं होती तो कोई बात नहीं है। आज मैं दुनिया की एक बड़ी ऐड एजेंसी के चेयरमैन से बात कर रहा था। उन्होंने निवेश बढ़ाने के लिए दुनिया में भारत को चुना है।
इसलिए देश में विदेशी निवेश बढ़ेगा और यह ऊंचे बेस से होगा। भारत में कंज्यूमर डेट टु जीडीपी रेशियो 10-11 पर्सेंट है। भारत में कंज्यूमर डेट जीडीपी का 125 पर्सेंट है, जो चीन में 300 पर्सेंट के लेवल पर पहुंच गया है। मैं आरबीआई गवर्नर से सहमत हूं कि ब्याज दरों में कटौती की जाए, निवेश किया जाए और फिर देखा जाए कि महंगाई दर का क्या होता है। हमें रोड बनाने दीजिए, पुल बनाने दीजिए, हमें ब्याज दरों की चिंता नहीं करनी चाहिए। जो पैसा लाना चाहते हैं, उसे बोलिए कि आइए और लगाइए। 2002-2003 में जैसी फीलिंग आज मुझे हो रही है। उस वक्त स्ट्रक्चरल और सेक्युलर बुल मार्केट था। इस बार शेयरों का वैल्यूएशन 2002-03 से काफी अधिक है। इसलिए मैं इकनॉमी पर बुलिश हूं।
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ferretbuzz · 6 years
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बनती-बिगड़ती अर्थव्यवस्था के बीच कैसा होगा देश का बजट?– News18 Hindi चुनाव का बजट से बहुत गहरा रिश्ता है. जनता अगर मौजूदा बजट से खुश नहीं है, तो शायद ही सत्तारूढ़ पार्टी को, अपने यहां कमान संभालने की इजाजत दे. केंद्र सरकार के लिए इसलिए 2018-19 का बजट बहुत महत्वपूर्ण साबित होने वाला है. इस साल राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर केंद्र सरकार द्वारा लिए गए हर फैसले के मायने बहुत खास साबित होने वाले हैं. एक अनार सौ बीमार करदाताओं को सरकार से छूट चाहिए. सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने की जुमलेबाजी पहले कर चुकी है, इसलिए किसानों की उम्मीद भी सरकार से है. केंद्र सरकार द्वारा कई बार युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने की बात कही गई है, इसलिए युवा भी इस उम्मीद में है कि उन्हें रोजगार मिलेगा. विकास का इतना दावा केंद्र सरकार ने किया है कि उस पर विकास की दर और विदेशी निवेश आकर्षित करने का बोझ भी बढ़ गया है. ऐसे में वित्त मंत्री अरुण जेटली के लिए बजट को समावेशी बना पानामुश्किल जरूर साबित होने वाला है.लोकसभा चुनावों ने भी आहट दे दी है2019 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. यह बजट मोदी सरकार के वर्तमान कार्यकाल का आखिरी फुल बजट है. अगर इसे चुनावी बजट कहें तो गलत नहीं होगा. ऐसे में वोटर्स का ध्यान अपनी ओर खींचने की भरपूर कोशिश मोदी सरकार की होगी. अगर प्रधानमंत्री मोदी के हालिया एक टीवी पर दिए गए साक्षात्कार पर गौर करें तो उन्होंने यह संकेत भी दिया है कि यह बजट लोक लुभावन बजट नहीं होगा और सरकार अपने सुधारवादी एजेंडे पर काम करेगी. अगर ऐसा होगा तो वाकई सरकार की यह एकअच्छी पहल होगी. राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को कैसे साधेगी पार्टी?मेघायल, त्रिपुरा, नगालैंड, कर्नाटक और मिजोरम में भी विधानसभा चुनाव होने हैं. हर पार्टी विस्तार चाहती है, ऐसे में यह बजट इन राज्यों के वोटर्स का मूड भी बदल सकता है. मध्‍य प्रदेश, राजस्‍थान और छत्‍तीसगढ़ में भाजपा सत्ता में है. अगर बजट लोक लुभावन नहीं हुआ तो, सत्ता के हाथों से फिसलने का डर, जरूर पार्टी को सता रहा होगा. करदाताओं की मांगयह जनता की प्रवृत्ति है कि वह कम टैक्स पर ज्यादा काम चाहती है. अलग-अलग संस्थानों द्वारा कराए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि टैक्स पर छूट कम से कम 3 लाख रुपए तक की जाए. नए कर प्रणाली जीएसटी की वजह से अर्थव्यवस्था अभी पूरी तरह उबर नहीं पाई है. मध्यम वर्ग को राहत देना वित्त मंत्रालय की पहली प्राथमिकता हो सकती है. सरकार निवेश पर छूट का दायरा बढ़ा सकती है. बता दें कि 1.5 लाख रुपए तक ही टैक्स से छूट मिलती है. इन वादों को पूरा किए बिना नहीं आएंगे जनता के अच्छे दिन-कर में छूटअतिरिक्त कर देना किसी को नहीं पसंद है. लोग टैक्स बचाने के लिए क्या क्या नहीं करते. यह कहना गलत नहीं होगा कि लोग सरकार भी बदल सकते हैं. यह देखने वाली बात होगी कि टैक्स में किस सीमा तक छूट मिलेगी. सरकार को सुधारनी होगी स्वास्थ्य स्कीमकेंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित जन धन योजना से करीब 30 करोड़ और सुरक्षा बीमा योजना से करीब 18 करोड़ लोग जुड़े. इस तरह की योजना से देश की 25 फीसदी आबादी को लाभ पहुंच सकता है, लेकिन इसके लिए सरकार को पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि जिन योजनाओं को सरकार लॉन्च कर रही है, उसका क्रियान्वयन किस तरह से सरकार कर पा रही है.किसानों के लिए ले आएं अच्छे दिन50 फीसदी से ज्‍यादा आबादी कृषि पर निर्भर है. सरकार बनाने से पहले ही मोदी ने दावा किया था कि उनकी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर देगी. अगर सरकारी आंकड़ों और आर्थिक सर्वेक्षणों पर गौर करें तब भी मोदी सरकार इस मसले पर विफल नजर आई.युवाओं को मिले रोजगारदेश की बड़ी आबादी 35 साल से नीचे के लोगों की है. स्किल डिवेलेपमेंट, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया जैसी बातें महज बातें ही न रहें, तो जरूर फायदा हो सकता है लेकिन प्रत्यक्षत: सरकार इस मुद्दे पर बहुत सफल नहीं रही है.स्टॉक मार्केट को मैनेज करे बजटकॉरपोरेट टैक्स में कटौती और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स पर मार्केट की नजर है. कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की उम्मीद कम है. लेकिन अगर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को एक साल से बढ़ाकर 3 साल कर दिया जाता है, तो ये मार्केट के लिए बहुत ज्यादा निगेटिव साबित होगा. हालांकि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगाने के बाद अगर सरकार शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स को हटा दें तो यह मार्केट के लिए पॉजिटिव रहेगा. शेयर बाजार अब काफी महंगे हो चुके हैं. इसलिए मौजूदा स्तर पर एक गिरावट आने की पूरी संभावना है. हालांकि, मार्केट के लिए संकेत पॉजिटिव हैं. फिलहाल मार्केट की नजर बजट पर है. इसके बाद बाजार इस साल 8 राज्यों में होने वाले चुनावों पर फोकस करेगा.क्या कहती है इकोनॉमिक सर्वे की रिपोर्ट? हर साल जॉब मार्केट में आ रहे लगभग 1.5 करोड़ युवाओं के समक्ष गहराती रोजगार की समस्‍या अब केंद्र सरकार की सबसे बड़ी सरदर्दी बन गई है. हालांकि 29 जनवरी को संसद में पेश आर्थिक सर्वे में इस मामले में सरकार की तरफ से कोई साफ तस्‍वीर नहीं रखी गई. सर्वे में युवाओं को ट्रेनिंग देकर जॉ‍ब के लिए तैयार करने की बात तो जरूरी की गई, लेकिन यह नहीं बताया गया कि यह ट्रेनिंग किस तरह की होगी और रोजगार के अवसर कहां निकलने जा रहे हैं. सर्वे में यह भी नहीं बताया गया कि फिलहाल कितने लोगों को जॉब की जरूरत है और कहां पर उन्‍हें जॉब मिलेगी. यहां तक कि यह भी साफ नहीं हुआ कि देश में बेरोजगारी है भी या नहीं.स्किल इंडिया पर फोकस करना जरूरी हालांकि इस सर्वे में में सुझाव दिया गया है कि सरकार को मध्‍यम अवधि में शिक्षित और स्‍वस्‍थ लेबर फोर्स तैयार करने की दिशा में काम करना चाहिए. मोदी सरकार को स्किल इंडिया प्रोग्राम पर खास तौर पर फोकस करना चाहिए. इंडस्‍ट्री की यह काफी समय से शिकायत रही है कि भारत के शिक्षा संस्‍थानों से निकलने वाले युवाओं में नौकरी पाने लायक स्किल नहीं होती है. बेहतर नहीं है आर्थिक विकास की दर फाइनेंशिल ईयर 2017-18 में जीडीपी में 6.5 फीसदी की बढ़त स्थिर रह सकती है. यह मोदी सरकार के कार्यकाल का सबसे निचला स्तर होगा. ऐसे में मोदी सरकार के सामने जीडीपी ग्रोथ को सुधारना बड़ी चुनौती है. इकोनॉमिक सर्वे के अनुसार, फाइनेंशियल ईयर 2019 में वित्तीय घाटे (फिस्‍कल डेफिसिट) के लक्ष्य में मामूली बढ़त संभव है.वित्तीय घाटे से उबरने की चुनौतीसरकार के वित्तीय घाटे का गणित बिगड़ सकता है. सरकार ने हाल में ही जनवरी-मार्च के बीच बाजार से कुल 93 हजार करोड़ रुपये कर्ज लेने का एलान किया. इसका मतलब ये है कि सरकार अपने तय लक्ष्य से 50 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज लेगी. वित्तीय घाटा बढ़ने की आशंका के सरकार सरकार जनवरी-मार्च में कुल 93000 करोड़ का कर्ज लेगी जिसमें 50000 करोड़ अतिरिक्त कर्ज होगा. सरकार गिल्ट्स के जरिए ये कर्ज लेगी. सरकार मार्च के अंत तक टी-बिल्स घटाएगी. आरबीआई ने कहा है कि सरकार 1.79 लाख करोड़ के टी-बिल्स जारी कर सकती है. जनवरी-मार्च के बीच टी-बिल्स जारी हो सकते हैं.जनवरी तक कर्ज के हैं ये आंकड़ेसरकार ने 26 दिसंबर तक 5.21 लाख करोड़ रुपये का ग्रॉस मार्केट कर्ज लिया है. 26 दिसंबर तक सरकार का नेट मार्केट कर्ज 3.81 लाख करोड़ रुपये रहा है. जानकारों के मुताबिक ज्यादा उधारी का मतलब ये हैं कि 3.2 फीसदी वित्तीय घाटे का लक्ष्य पूरा करना मुश्किल होगा. वित्तीय घाटे में 0.5 फीसदी तक की बढ़ोतरी संभव है. इससे आरबीआई द्वारा रेपो की दरों में कटौती की संभावना लगभग खत्म हो जाएगी. जीएसटी में टैक्स छूट में अब कमी संभव नहीं होगी. इसके साथ ही अब जीएसटी में टैक्स चोरी पर सख्ती हो सकती है. सरकार पर कमाई बढ़ाने और खर्च कम करने का दबाव भी बढ़ेगा.क्रूड ऑयल की कीमतेंमोदी सरकार के लिए क्रूड की कीमतें किसी समस्या से कम नहीं. इकोनॉमिक सर्वे में भी फाइनेंशियल ईयर 2018-19 में क्रूड की कीमतों में 12% बढ़ोत्तरी का अनुमान जताया गया है. इससे साफ है कि अगर ऐसा होता है तो यह इकोनॉमी के लिए नुकसानदेह साबित होगा. मौजूदा ब्रेंट क्रूड की कीमतें 70 से 71 डॉलर के बीच हैं. ऐसे में अगर 12 फीसदी कीमतें और बढ़ती हैं तो ब्रेंट क्रूड 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है. इससे महंगाई और बढ़ सकती है.अरुण जेटली का बजट कितना समावेशी होगी यह तो बजट लॉन्च होने के बाद ही पता चलेगा लेकिन उनकी मुश्किलों का अंदाजा काफी पहले ही हो रहा है. 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