Tumgik
#उल्लू की कहानी
bharatshine · 2 years
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गीदड़ का न्याय /Jackal’s Justice/ Best Birds Story in Hindi
हैलो दोस्तों, क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी किसी चीज पर कोई अन्य यदि अपना अधिकार जताने लगे और वहाँ के आस-पास के सब लोग भी उसकी बात का समर्थन करने लगें, तो आप कैसा अनुभव करेंगे? आज की हमारी कहानी भी कुछ इसी तरह की है जिसमें एक उल्लू एक हंस की पत्नी पर ही अपना अधिकार जमाने लगता है। आखिर क्यों ऐसा हुआ और उसका परिणाम क्या हुआ, यह जानने के लिये चलिये शुरू करते हैं आज की कहानी – गीदड़ का न्याय…
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टिलीलिली / दिनेश कुमार शुक्ल
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बंदर चढ़ा है पेड़ पे
करता टिलीलिली
कि ये ले गुल बकावली
कि ले ले गुल बकावली।
मैं रात की पेंदी से
खुरच लाया हूँ सपने
फुटपाथ पर सोये हुए
सब थे मेरे अपने
अपनों की आँख से
मैं उठा लाया हूँ काजल
काजल की बना स्याही
और सपनों की कहानी
लिखता हूँ सुनाता हूँ
वही सबकी कहानी
पी हमने छाछ फूंककर
फिर जीभ क्यों जली।
आयेंगे अभी रात के
वो पीरो पयम्बर
हफ्ता वसूलने को वो
ख्वाबों के सितमगर
सपने न होंगे आँख में
तो क्या वसूलेंगे
गुस्से में बिफर जायेंगे
हो जायेंगे पागल
तब बच के फूट लेंगे
हम पतली कोई गली।
हम अब तक उसी घर में हैं
जो कब का गिर चुका
उस राह गुजरना
तो बुलाना कभी-कभी,
ऐ रात तुझको अपने
अंधेरों की कसम है
हमको भी अपने साथ
सुलाना कभी-कभी
‘दे जिंदगी ले नींद’ - की आवाज लगाता
अत्तार नींद बेचता फिरता गली-गली।
जो सो रहे हैं
रो रहे हैं -
खो रहे हैं लोग,
चुपचाप जो सहते हैं
वो विष बो रहे हैं लोग
कपड़े भी कातिलों के
वही धो रहे हैं लोग
इनकी है आँख बन्द
और है जुबां सिली।
तुमको न ठगे ठग
तो किसे और ठगेगा
तुमने उसे चुना
वो किसे और ठगेगा
ये कैसा शहर है कि
खुद पे तोड़ता कहर
ये कैसा समन्दर कि
लहर तोड़ती लहर
अब चुप भी रहो
कुछ न कहो सो रही है रात
जग जायेगी, टहनी भी अगर
नीम की हिली।
आलू नहीं है प्याज नहीं
राज उन्हीं का
कल जिनका राज था
है राज आज उन्हीं का
राशन खरीदना है और जेब है फटी
घरवाली क्या करे न कहे जो जली कटी,
कश्ती की बात क्या करो
याँ डूबता साहिल
लगती है गरीबी में
ये दुनियाँ सड़ी-गली
लिखता है रिसालों में
वो बातें बड़ी-बड़ी --
चांदी की उसकी खो गई थी
एक तश्तरी
तुम देखते उसने चलाई
किस तरह छड़ी
नौकर की पीठ थी
मगर चट्टान सी कड़ी,
वो तीन सौ की तश्तरी
थी गिफ्ट में मिली।
आते रहे जाते रहे
इस देश में चुनाव
नेता व नेती घूमते
घर-घर व गाँव-गाँव
ये कुछ भी कहें
मुँह से इनके निकले कांव-कांव
कौवों ने सुना जब से
वो नेतों से हैं खफ़ा
नेतों की आँख फोड़ेंगे
उनकी अगर चली।
जैसे प्रगट हों देवता
धरती पे जब कभी
वैसे ही इधर आते हैं
अफसर कभी-कभी
काजू मिठाई चाय का
जब भोग लगाकर
बैठा हुआ था हाकिम
दरबार सजाकर
चौपाल की छत से गिरी
अफ़सर पर छिपकली।
घर जा रहा था हारा थका
खत्म करके काम
सूरज को अँधेरों ने
छुरी मारी सरे शाम,
उसके लहू से लाल ज़मीं
लाल आसमान
क्या अब सुबह न आयेगी
बस रात रहेगी
कुछ दिन बस हमें
रोशनी की याद रहेगी ?
यादें भी डूब जायेंगी
क्या अंधकार में
नस्लें भी बदल जायेंगी
क्या अन्धकार में
उल्लू ही रहेंगे वहाँ
उजड़े दयार में ?
अब खेल खत्म होता है
आई चला चली।
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timesfusion · 5 months
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Haveli (ULLU Web Series) - Cast, Release Date & More
Haveli एक Suspense-Drama वेब सीरीज है और इसकी कहानी रूबी नाम की महिला के इर्दगिर्द घूमती है। रूबी अपने पिता को खोजने के लिए अपने पार्टनर ‘आनंद’ के साथ अपने होमटाउन लौट आती है। लेकिन वहाँ उसे अपनी बुआ के बारे में ऐसे काले रहस्य का पता चल जाता है, जिससे उसके जीवन में अराजकता फैल जाती है। इस सीरीज को B. Gaikwad द्वारा निर्देशित किया गया है और 29 March 2024 को उल्लू प्लेटफार्म पर रिलीज़ किया गया है।…
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funnysideolife · 7 months
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मोदी और उल्लू सरपंच की कहानी । Tau Vs AndhBhakt । Hemant Soren । Tejashw...
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travelhub12 · 10 months
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Best Hindi Poem
सन्नाटा
तो पहले अपना नाम बता दूँ तुमको, फिर चुपके-चुपके धाम बता दूँ तुमको, तुम चौंक नहीं पड़ना, यदि धीमे धीमे, मैं अपना कोई काम बता दूँ तुमको।
कुछ लोग भ्रान्तिवश मुझे शान्ति कहते हैं, निस्तब्ध बताते हैं, कुछ चुप रहते हैं, मैं शांत नहीं निस्तब्ध नहीं, फिर क्या हूँ, मैं मौन नहीं हूँ, मुझमें स्वर बहते हैं।
कभी कभी कुछ मुझमें चल जाता है, कभी कभी कुछ मुझमें जल जाता है, जो चलता है, वह शायद है मेंढक हो, वह जुगनू है, जो तुमको छल जाता है।
मैं सन्नाटा हूँ, फिर भी बोल रहा हूँ, मैं शान्त बहुत हूँ, फिर भी डोल रहा हूँ, यह ‘सर-सर’ यह ‘खड़-खड़’ सब मेरी है, है यह रहस्य मैं इसको खोल रहा हूँ।
मैं सूने में रहता हूँ, ऐसा सूना, जहाँ घास उगा रहता है ऊना, और झाड़ कुछ इमली के, पीपल के, अंधकार जिनसे होता है दूना।
तुम देख रहे हो मुझको, जहाँ खड़ा हूँ, तुम देख रहे हो मुझको, जहाँ पड़ा हूँ, मैं ऐसे ही खंडहर चुनता फिरता हूँ, मैं ऐसी ही जगहों में पला, बड़ा हूँ।
हाँ, यहाँ किले की दीवारों के ऊपर, नीचे तलघर में या समतल पर, भू पर, कुछ जन श्रुतियों का पहरा यहाँ लगा है, जो मुझे भयानक कर देती है छू कर।
तुम डरो नहीं, डर वैसे कहाँ नहीं है, पर खास बात डर की कुछ यहाँ नहीं है, बस एक बात है, वह केवल ऐसी है, कुछ लोग यहाँ थे, अब वे यहाँ नहीं हैं।
यहाँ बहुत दिन हुए एक थी रानी, इतिहास बताता उसकी नहीं कहानी, वह किसी एक पागल पर जान दिये थी, थी उसकी केवल एक यही नादानी।
यह घाट नदी का, अब जो टूट गया है, यह घाट नदी का, अब जो फूट गया है, वह यहाँ बैठकर रोज रोज गाता था, अब यहाँ बैठना उसका छूट गया है।
शाम हुए रानी खिड़की पर आती, थी पागल के गीतों को वह दुहराती, तब पागल आता और बजाता बंसी, रानी उसकी बंसी पर छुप कर गाती।
किसी एक दिन राजा ने यह देखा, खिंच गयी हृदय पर उसके दुख की रेखा, यह भरा क्रोध में आया और रानी से, उसने माँगा इन सब साँझों का लेखा।
रानी बोली पागल को जरा बुला दो, मैं पागल हूँ, राजा, तुम मुझे भुला दो, मैं बहुत दिनों से जाग रही हूँ राजा, बंसी बजवा कर मुझको जरा सुला दो।
वह राजा था हाँ, कोई खेल नहीं था, ऐसे जवाब से उसका मेल नहीं था, रानी ऐसे बोली थी, जैसे उसके, इस बड़े किले में कोई जेल नहीं था।
तुम जहाँ खड़े हो, यहीं कभी सूली थी, रानी की कोमल देह यहीं झूली थी, हाँ, पागल की भी यहीं, यहीं रानी की, राजा हँस कर बोला, रानी भूली थी।
किन्तु नहीं फिर राजा ने सुख जाना, हर जगह गूँजता था पागल का गाना, बीच बीच में, राजा तुम भूले थे, रानी का हँसकर सुन पड़ता था ताना।
तब और बरस बीते, राजा भी बीते, रह गये किले के कमरे-कमरे रीते, तब मैं आया, कुछ मेरे साथी आये, अब हम सब मिलकर करते हैं मनचीते।
पर कभी कभी जब पागल आ जाता है, लाता है रानी को, या गा जाता है, तब मेरे उल्लू, साँप और गिरगिट पर, अनजान एक सकता-सा छा जाता है।
∼ भवानी प्रसाद मिश्र
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lifefactsstuff-blog · 11 months
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Sanskari Web Series Cast (Ullu), Actress, Story, Wiki
Sanskari Web Series: संस्कारी एक आगामी उल्लू वेब श्रृंखला है जिसमें रिधिमा तिवारी, अनीता जयसवाल और आलिया नाज़ जैसे कलाकार शामिल हैं। वेब सीरीज़ 31 अक्टूबर 2023 को उल्लू ओट ऐप पर रिलीज़ होने वाली है। सीरीज की कहानी एक शादीशुदा आदमी के बारे में है जिसे डेटिंग ऐप पर मिली लड़की से प्यार हो जाता है। जब उसकी पत्नी आलिया नाज़ को इस बारे में पता चलता है तो वह अपनी शादी को बचाने के लिए उनके रिश्ते को…
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suraj2356 · 1 year
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2023 की सबसे Best bedtime stories for kids in hindi वाली कहानी
दोस्तों आज की इस bedtime stories मे हम 3 सबसे मजेदार और नई bedtime stories for kids in hindi वाली कहानी ले कर आए है जीसे पढ़ने के बाद आप को काफी मजा आने वाला है और ये कहानी पढ़ने के बाद आप को कुछ नया शिखने को जरूर मिलेगा
और मे आप से वादा करता हु की ये bedtime stories for kids in hindi वाली कहानी पढ के आप के बच्चे को जरूर अच्छा लगेगा क्योंकी हम ये bedtime story केवल बच्चों को ध्यान मे रख कर लिखी है
मुझे 2 साल से भी ज्यादा हो गए है Moral Stories for childrens in Hindi वाली स्टोरी लिखते और मेने काफी सारी bedtime stories for kids in hindi वाली कहानी भी लिखी है और लोगों को मेरी कहानी काफी पसंद आती है
3 bedtime stories for kids in hindi
चूहा और पनीर का खजाना
शरारती चूहा और जादुई परी
शेर और जादुई लोमड़ी
चूहा और पनीर का खजाना
एक बार की बात है, दूर एक जादुई भूमि में, मिलो नाम का एक बहादुर छोटा चूहा था। वह अपने परिवार और दोस्तों के साथ एक आरामदायक बिल में रहता था, लेकिन वह हमेशा रोमांच की तलाश में रहता था। एक रात, उसने प्रसिद्ध पनीर के खजाने को खोजने के लिए यात्रा पर जाने का फैसला किया
मिलो अपनी यात्रा पर आपूर्ति से भरा एक बैग और एक नक्शा लेकर निकला, जिसे उसने खुद बनाया था। उन्होंने रास्ते में कई चुनौतियों का सामना करते हुए जंगलों, पहाड़ों और नदियों के पार यात्रा की। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और हमेशा हर बाधा को पार करने का रास्ता खोज लिया।
यात्रा मे मिलो के साथ क्या हुआ | bedtime stories for kids in hindi
यात्रा के दौरान, उसने कई नए दोस्त बनाए, जिसमें एक बुद्धिमान बूढ़ा उल्लू भी शामिल था जिसने उसे रात के आकाश के रहस्य सिखाए, और एक दोस्ताना गिलहरी जिसने उसे दिखाया कि जंगल में भोजन कैसे खोजना है। मिलो को कई खतरों का भी सामना करना पड़ा, जैसे कि भेड़ियों का एक भयंकर झुंड और एक भयंकर तूफान, लेकिन वह हमेशा सुरक्षित बच निकलने में सफल रहा।
अंत में, कई दिनों की यात्रा के बाद, मिलो उस गुफा में पहुँचे जहाँ पनीर का खजाना छिपा होने की बात कही गई थी। वह पहरेदारों के पास से गुज़रा और गुफा में घुस गया, जहाँ उसे पनीर के ब्लॉक का एक बड़ा ढेर मिला। उसने एक ब्लॉक लिया और उसका स्वादिष्ट स्वाद चखते हुए उसे खा लिया।
लेकिन जैसे ही वह निकलने वाला था, उसने गुफा के भीतर गहरे से एक अजीब सी आवाज सुनी। उसने ध्वनि का पीछा किया और जाल में फंसे छोटे चूहों का एक समूह पाया। मिलो जानता था कि उसे उनकी मदद करनी है, इसलिए उसने अपने तीखे दांतों का इस्तेमाल जाल को काटने और उन्हें आज़ाद करने के लिए किया।
छोटे चूहे बहुत खुश हुए और उन्होंने मिलो को उसकी दया के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने उसे बताया कि उन्हें एक दुष्ट बिल्ली ने फँसाया है जो उन्हें पकड़कर एक सर्कस को बेचना चाहती है। मिलो जानता था कि उसे बिल्ली को रोकना होगा और छोटे चूहों को बचाना होगा।
उसने अपने दोस्तों को इकट्ठा किया और उन्होंने मिलकर बिल्ली को हराने की योजना बनाई। उन्होंने अपने अलग-अलग कौशल और प्रतिभा का उपयोग करते हुए एक साथ काम किया, और एक लंबी और कठिन लड़ाई के बाद, उन्होंने आखिरकार बिल्ली को हरा दिया और छोटे चूहों को बचा लिया।
मिलो और उसके दोस्त नायक के रूप में घर लौट आए, और छोटे चूहे ने इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करने के लिए खुद पर गर्व महसूस किया। जैसे-जैसे वह अपने आरामदायक बिल में घुसा, वह जानता था कि उसने नए दोस्त बनाए हैं, कई नई चीजें सीखी हैं, और एक रोमांचक साहसिक कार्य किया है जिसे वह कभी नहीं भूल पाएगा। और जैसे ही उसने अपनी आँखें बंद कीं और सो गया, वह जानता था कि भविष्य में उसके लिए और भी कई साहसिक कार्य इंतज़ार कर रहे थे
शरारती चूहा और जादुई परी
एक बार जेम्स नाम का एक चालाक छोटा चूहा था जो एक दूर के इलाके में रहता था। जेम्स को शरारत करने और समस्याएँ पैदा करने के अलावा और कुछ पसंद नहीं था।
एक शाम जब जेम्स जंगल से गुजर रहा था, उसे एक अद्भुत पेड़ मिला। पेड़ के चारों ओर चमकीले मशरूम उग रहे थे, जो चमक रहे थे। जेम्स की आँखें कितनी अविश्वसनीय थीं! उसने ऊपर की जगह का पता लगाने के लिए पेड़ पर चढ़ने का फैसला किया।
जेम्स को एक फुसफुसाहट सुनाई दी। जेम्स ने पूछा की वह कौन है लिकीन किसी की भी आवाज नहीं आई । जेम्स खुद को पेड़ के नियंत्रण मे था ।
तब उन्हें समझ में आया कि यह तो कोई साधारण लोग नही है इसलिए जेम्स ने तर्क किया कि उसे परी से बात करनी चाहिए। उस परी का नाम फे था जेम्स फे के जादू में आ गया था। फे ने उसे कई आकर्षक तकनीकों का प्रदर्शन किया, जिसमें मशरूम की रोशनी को कैसे बढ़ाया जाए और एक बुलबुला बनाया जाए जो हवा में तैर सके।
जब वे मस्ती कर रहे थे तो उन्हें झाड़ियों में हलचल सुनाई दी। शरारती रैकून का एक गिरोह था जो परेशानी पैदा कर रहा था। वह जेम्स और फे को मस्ती करते हुए देखने के बाद जादू के पेड़ को आजमाने और अपने लिए उस पेड़ को लेने का फैसला करता है। जेम्स और फे ने यह महसूस करने के बाद कि उन्हें पेड़ की रक्षा करनी है, एक रणनीति तैयार की।
जबकि फे पेड़ को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग करता है, जेम्स रेकून का ध्यान हटा देता है। जेम्स जानवरों पर कूद कर अपने अभिनय का अभ्यास करता है और जोर से शोर करते हुए एक भयानक राक्षस की तरह अभिनय करता है।
रैकून जितनी जल्दी हो सके भाग गए क्योंकि वे बहुत डरे हुए थे। जेम्स और फे दोनों एक जैसे ही थे हैं क्योंकि वे अपनी उपलब्धियों से खुश हैं। शाम का बाकी समय खेलने और अच्छा समय बिताने में बीता, और जेम्स ने कुछ नए जादू कौशल भी सीखे।
सूरज के उगते ही जेम्स को एहसास हुआ कि घर लौटने का समय आ गया है। वह फे को विदा करता है और शीघ्र ही उसे देखने के लिए लौटने की प्रतिबद्धता बनाता है। बिस्तर पर चढ़ते ही जेम्स अपनी शानदार यात्रा के बारे में सोचना बंद नहीं कर सका।
वह जानता था कि वह फे में एक नए दोस्त से मिला था और अगर आप जादू में विश्वास करते हैं तो सब कुछ संभव है। जेम्स ने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपनी आने वाली यात्रा के बारे में दिवास्वप्न देखते हुए सो गया।
शेर और जादुई लोमड़ी
लियो नाम का एक मजेदार शेर एक बार एक विशाल जंगल में रहता था। लियो जंगल के अन्य शेरों से अलग था। चाहे वह तितलियों का पीछा कर रहा हो या अपनी नाक पर गेंद को संतुलित करने का प्रयास कर रहा हो, वह हमेशा कुछ मनोरंजक करने की कोशिश करता था।
लियो का सामना एक बार अलौकिक लोमड़ी फेलिक्स से हुआ। फेलिक्स को जंगल की सबसे मजबूत लोमड़ी के रूप में जाना जाता था। उनके पास अनुरोधों को स्वीकार करने और कई तरह के जादुई कृत्यों को करने की क्षमता थी।
जब उसने उसे देखा तो लियो को फेलिक्स के पास जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। "फेलिक्स, हैलो! वह क्यों है?" शेर ने पूछा। फेलिक्स ने लियो की ओर मुड़ते हुए कहा, "लियो, मैं बहुत अच्छा कर रहा हूं। मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं?" "फेलिक्स, मैं ऊब गया हूं।
क्या आपके पास हमारे लिए कोई रोमांचक विचार है?" लियो ने सवाल किया। इस पर कुछ विचार करने के बाद, फेलिक्स ने उत्तर दिया, "ओह, मैं एक ऐसी जगह के बारे में जानता हूँ जहाँ पेड़ मिठाइयाँ बरसाते हैं
।" "कैंडी? सच में?" लियो चिल्लाया में उस जगह पर जाने के लिए तैयार हु बताओ कब चल रहे हो यह सिर्फ कोई कैंडी नहीं है, हालांकि। आप इस जादुई कैंडी को खा भी सकते हो !" फेलिक्स ने स्पष्ट किया।
लियो अपनी आँखों को उत्साह से चौड़ा करते हुए कहता है, “कृपया, फेलिक्स! मुझे वहाँ पहुंचाओ!”
लियो और फेलिक्स जादुई पेड़ के पास | bedtime stories for kids in hindi
फेलिक्स ने मुस्कुराते हुए अपना पंजा लहराया। वे दोनों अचानक अपने आप को एक सुंदर जगह पर पाते हैं जहाँ पेड़ों से कैंडी गिरती हैं। लियो जो कुछ देख रहा था उससे अचंभित था। मुँह चौड़ा करके वह जितनी मिठाइयाँ पकड़ सकता था, पकड़ने लगा।
उसके पास एक होने के बाद, वह तुरंत उड़ना शुरू कर दिया। "फेलिक्स, मुझे देखो! अब में उड़ रहा है!" लियो चिल्लाया। फेलिक्स लियो के उत्साह से चकित था और उसने टिप्पणी की, "लियो, तुम वास्तव में उड़ रहे हो।
हालांकि, ध्यान रखना क्योंकि कैंडी का आकर्षण बस क्षणभंगुर है।" लियो ने हवा में उड़ान भरी, काल्पनिक जगहों की यात्रा की और खूब मस्ती की। इसके अलावा, वह अन्य बंदरों के संपर्क में आया, जो कैंडी पकड़ने के लिए उत्साह साझा करते थे।
फेलिक्स ने टिप्पणी की जब वे विदा होने वाले थे, "मुझे खुशी है कि तुमने मज़ा किया, लियो। लेकिन, अब जंगल लौटने का समय है।" लियो ने सिर हिलाकर जवाब दिया, हा बिलकुल और में तुम्हे धन्यवाद कहना चाहता हु, फेलिक्स। लियो ने कहा आज तक का सबसे अच्छा दिन था!"
फेलिक्स द्वारा अपना पंजा लहराने के बाद उन दोनों को वापस जंगल में ले जाया गया। उस सारी उड़ान के बाद, जब लियो नीचे छूता है तो उसे थोड़ा हल्कापन महसूस होता है। फेलिक्स, तुम सबसे अच्छे हो, उसने टिप्पणी की जैसे ही वह फेलिक्स की ओर मुड़ा।
फ़ेलिक्स ने मुस्कराते हुए कहा “लियो, यह मेरा सौभाग्य था। बस मुझे बताएं कि क्या आपको कभी अपने जीवन में थोड़े से जादू की आवश्यकता है।”
लियो और फेलिक्स उसके बाद घनिष्ठ मित्र बन गए। वे उपन्यास और रोमांचकारी अनुभवों की तलाश में अक्सर एक साथ यात्रा पर जाते थे। लियो ने पाया कि आपके जीवन में थोड़ा सा जादू होने से सब कुछ बेहतर हो सकता है और यह कि कभी-कभी सबसे अप्रत्याशित स्थानों से सबसे अच्छा रोमांच आ सकता है।
दोस्तों आप को ये नई bedtime stories for kids in hindi वाली कहानी कैसी लगी हमें comment कर के जरूर बताये क्योकि हम इसी प्रकार के bedtime stories और bedtime stories in hindi panchtantra वाली भी स्टोरी लिखते है
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pacificleo · 2 years
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कुकुरमुत्ता (कविता) / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
एक थे नव्वाब, फ़ारस से मंगाए थे गुलाब। बड़ी बाड़ी में लगाए देशी पौधे भी उगाए रखे माली, कई नौकर गजनवी का बाग मनहर लग रहा था। एक सपना जग रहा था सांस पर तहजबी की, गोद पर तरतीब की। क्यारियां सुन्दर बनी चमन में फैली घनी। फूलों के पौधे वहाँ लग रहे थे खुशनुमा। बेला, गुलशब्बो, चमेली, कामिनी, जूही, नरगिस, रातरानी, कमलिनी, चम्पा, गुलमेंहदी, गुलखैरू, गुलअब्बास, गेंदा, गुलदाऊदी, निवाड़, गन्धराज, और किरने फ़ूल, फ़व्वारे कई, रंग अनेकों-सुर्ख, धनी, चम्पई, आसमानी, सब्ज, फ़िरोज सफ़ेद, जर्द, बादामी, बसन्त, सभी भेद। फ़लों के भी पेड़ थे, आम, लीची, सन्तरे और फ़ालसे। चटकती कलियां, निकलती मृदुल गन्ध, लगे लगकर हवा चलती मन्द-मन्द, चहकती बुलबुल, मचलती टहनियां, बाग चिड़ियों का बना था आशियाँ। साफ़ राह, सरा दानों ओर, दूर तक फैले हुए कुल छोर, बीच में आरामगाह दे रही थी बड़प्पन की थाह। कहीं झरने, कहीं छोटी-सी पहाड़ी, कही सुथरा चमन, नकली कहीं झाड़ी। आया मौसिम, खिला फ़ारस का गुलाब, बाग पर उसका पड़ा था रोब-ओ-दाब; वहीं गन्दे में उगा देता हुआ बुत्ता पहाड़ी से उठे-सर ऐंठकर बोला कुकुरमुत्ता- “अब, सुन बे, गुलाब, भूल मत जो पायी खुशबु, रंग-ओ-आब, खून चूसा खाद का तूने अशिष्ट, डाल पर इतरा रहा है केपीटलिस्ट! कितनों को तूने बनाया है गुलाम, माली कर रक्खा, सहाया जाड़ा-घाम, हाथ जिसके तू लगा, पैर सर रखकर वो पीछे को भागा औरत की जानिब मैदान यह छोड़कर, तबेले को टट्टू जैसे तोड़कर, शाहों, राजों, अमीरों का रहा प्यारा तभी साधारणों से तू रहा न्यारा। वरना क्या तेरी हस्ती है, पोच तू कांटो ही से भरा है यह सोच तू कली जो चटकी अभी सूखकर कांटा हुई होती कभी। रोज पड़ता रहा पानी, तू हरामी खानदानी। चाहिए तुझको सदा मेहरून्निसा जो निकाले इत्र, रू, ऐसी दिशा बहाकर ले चले लोगो को, नही कोई किनारा जहाँ अपना नहीं कोई भी सहारा ख्वाब में डूबा चमकता हो सितारा पेट में डंड पेले हों चूहे, जबां पर लफ़्ज प्यारा। देख मुझको, मैं बढ़ा डेढ़ बालिश्त और ऊंचे पर चढ़ा और अपने से उगा मैं बिना दाने का चुगा मैं कलम मेरा नही लगता मेरा जीवन आप जगता तू है नकली, मै हूँ मौलिक तू है बकरा, मै हूँ कौलिक तू रंगा और मैं धुला पानी मैं, तू बुलबुला तूने दुनिया को बिगाड़ा मैंने गिरते से उभाड़ा तूने रोटी छीन ली जनखा बनाकर एक की दी तीन मैने गुन सुनाकर।
काम मुझ ही से सधा है शेर भी मुझसे गधा है चीन में मेरी नकल, छाता बना छत्र भारत का वही, कैसा तना सब जगह तू देख ले आज का फिर रूप पैराशूट ले। विष्णु का मैं ही सुदर्शनचक्र हूँ। काम दुनिया मे पड़ा ज्यों, वक्र हूँ। उलट दे, मैं ही जसोदा की मथानी और लम्बी कहानी- सामने लाकर मुझे बेंड़ा देख कैंडा तीर से खींचा धनुष मैं राम का। काम का- पड़ा कन्धे पर हूँ हल बलराम का। सुबह का सूरज हूँ मैं ही चांद मैं ही शाम का। कलजुगी मैं ढाल नाव का मैं तला ��ीचे और ऊपर पाल। मैं ही डांड़ी से लगा पल्ला सारी दुनिया तोलती गल्ला मुझसे मूछें, मुझसे कल्ला मेरे उल्लू, मेरे लल्ला कहे रूपया या अधन्ना हो बनारस या न्यवन्ना रूप मेरा, मै चमकता गोला मेरा ही बमकता। लगाता हूँ पार मैं ही डुबाता मझधार मैं ही। डब्बे का मैं ही नमूना पान मैं ही, मैं ही चूना
मैं कुकुरमुत्ता हूँ, पर बेन्जाइन (Bengoin) वैसे बने दर्शनशास्त्र जैसे। ओमफ़लस (Omphalos) और ब्रहमावर्त वैसे ही दुनिया के गोले और पर्त जैसे सिकुड़न और साड़ी, ज्यों सफ़ाई और माड़ी। कास्मोपालिटन और मेट्रोपालिटन जैसे फ़्रायड और लीटन। फ़ेलसी और फ़लसफ़ा जरूरत और हो रफ़ा। सरसता में फ़्राड केपिटल में जैसे लेनिनग्राड। सच समझ जैसे रकीब लेखकों में लण्ठ जैसे खुशनसीब
मैं डबल जब, बना डमरू इकबगल, तब बना वीणा। मन्द्र होकर कभी निकला कभी बनकर ध्वनि छीणा। मैं पुरूष और मैं ही अबला। मै मृदंग और मैं ही तबला। चुन्ने खां के हाथ का मैं ही सितार दिगम्बर का तानपूरा, हसीना का सुरबहार। मैं ही लायर, लिरिक मुझसे ही बने संस्कृत, फ़ारसी, अरबी, ग्रीक, लैटिन के जने मन्त्र, गज़लें, गीत, मुझसे ही हुए शैदा जीते है, फिर मरते है, फिर होते है पैदा। वायलिन मुझसे बजा बेन्जो मुझसे सजा। घण्टा, घण्टी, ढोल, डफ़, घड़ियाल, शंख, तुरही, मजीरे, करताल, करनेट, क्लेरीअनेट, ड्रम, फ़्लूट, गीटर, बजानेवाले हसन खां, बुद्धू, पीटर, मानते हैं सब मुझे ये बायें से, जानते हैं दाये से।
ताताधिन्ना चलती है जितनी तरह देख, सब में लगी है मेरी गिरह नाच में यह मेरा ही जीवन खुला पैरों से मैं ही तुला। कत्थक हो या कथकली या बालडान्स, क्लियोपेट्रा, कमल-भौंरा, कोई रोमान्स बहेलिया हो, मोर हो, मणिपुरी, गरबा, पैर, माझा, हाथ, गरदन, भौंहें मटका नाच अफ़्रीकन हो या यूरोपीयन, सब में मेरी ही गढ़न। किसी भी तरह का हावभाव, मेरा ही रहता है सबमें ताव। मैने बदलें पैंतरे, जहां भी शासक लड़े। पर हैं प्रोलेटेरियन झगड़े जहां, मियां-बीबी के, क्या कहना है वहां। नाचता है सूदखोर जहां कहीं ब्याज डुचता, नाच मेरा क्लाईमेक्स को पहुचंता।
नहीं मेरे हाड़, कांटे, काठ का नहीं मेरा बदन आठोगांठ का। रस-ही-रस मैं हो रहा सफ़ेदी का जहन्नम रोकर रहा। दुनिया में सबने मुझी से रस चुराया, रस में मैं डूबा-उतराया। मुझी में गोते लगाये वाल्मीकि-व्यास ने मुझी से पोथे निकाले भास-कालिदास ने। टुकुर-टुकुर देखा किये मेरे ही किनारे खड़े हाफ़िज-रवीन्द्र जैसे विश्वकवि बड़े-बड़े। कहीं का रोड़ा, कही का पत्थर टी.एस. एलीयट ने जैसे दे मारा पढ़नेवाले ने भी जिगर पर रखकर हाथ, कहां,’लिख दिया जहां सारा’। ज्यादा देखने को आंख दबाकर शाम को किसी ने जैसे देखा तारा। जैसे प्रोग्रेसीव का कलम लेते ही रोका नहीं रूकता जोश का पारा यहीं से यह कुल हुआ जैसे अम्मा से बुआ। मेरी सूरत के नमूने पीरामेड मेरा चेला था यूक्लीड। रामेश्वर, मीनाछी, भुवनेश्वर, जगन्नाथ, जितने मन्दिर सुन्दर मैं ही सबका जनक जेवर जैसे कनक। हो कुतुबमीनार, ताज, आगरा या फ़ोर्ट चुनार, विक्टोरिया मेमोरियल, कलकत्ता, मस्जिद, बगदाद, जुम्मा, अलबत्ता सेन्ट पीटर्स गिरजा हो या घण्टाघर, गुम्बदों में, गढ़न में मेरी मुहर। एरियन हो, पर्शियन या गाथिक आर्च पड़ती है मेरी ही टार्च। पहले के हो, बीच के हो या आज के चेहरे से पिद्दी के हों या बाज के। चीन के फ़ारस के या जापान के अमरिका के, रूस के, इटली के, इंगलिस्तान के। ईंट के, पत्थर के हों या लकड़ी के कहीं की भी मकड़ी के। बुने जाले जैसे मकां कुल मेरे छत्ते के हैं घेरे।
सर सभी का फ़ांसनेवाला हूं ट्रेप टर्की टोपी, दुपलिया या किश्ती-केप। और जितने, लगा जिनमें स्ट्रा या मेट, देख, मेरी नक्ल है अंगरेजी हेट। घूमता हूं सर चढ़ा, तू नहीं, मैं ही बड़ा।”
(२) बाग के बाहर पड़े थे झोपड़े दूर से जो देख रहे थे अधगड़े। जगह गन्दी, रूका, सड़ता हुआ पानी मोरियों मे; जिन्दगी की लन्तरानी- बिलबिलाते किड़े, बिखरी हड्डियां सेलरों की, परों की थी गड्डियां कहीं मुर्गी, कही अण्डे, धूप खाते हुए कण्डे। हवा बदबू से मिली हर तरह की बासीली पड़ी गयी। रहते थे नव्वाब के खादिम अफ़्रिका के आदमी आदिम- खानसामां, बावर्ची और चोबदार; सिपाही, साईस, भिश्ती, घुड़सवार, तामजानवाले कुछ देशी कहार, नाई, धोबी, तेली, तम्बोली, कुम्हार, फ़ीलवान, ऊंटवान, गाड़ीवान एक खासा हिन्दु-मुस्लिम खानदान। एक ही रस्सी से किस्मत की बंधा काटता था जिन्दगी गिरता-सधा। बच्चे, बुड्ढे, औरते और नौजवान रह्ते थे उस बस्ती में, कुछ बागबान पेट के मारे वहां पर आ बसे साथ उनके रहे, रोये और हंसे।
एक मालिन बीबी मोना माली की थी बंगालिन; लड़की उसकी, नाम गोली वह नव्वाबजादी की थी हमजोली। नाम था नव्वाबजादी का बहार नजरों में सारा जहां फ़र्माबरदार। सारंगी जैसी चढ़ी पोएट्री में बोलती थी प्रोज में बिल्कुल अड़ी। गोली की मां बंगालिन, बहुत शिष्ट पोयट्री की स्पेशलिस्ट। बातों जैसे मजती थी सारंगी वह बजती थी। सुनकर राग, सरगम तान खिलती थी बहार की जान। गोली की मां सोचती थी- गुर मिला, बिना पकड़े खिचे कान देखादेखी बोली में मां की अदा सीखी नन्हीं गोली ने। इसलिए बहार वहां बारहोमास डटी रही गोली की मां के कभी गोली के पास। सुबहो-शाम दोनों वक्त जाती थी खुशामद से तनतनाई आती थी। गोली डांडी पर पासंगवाली कौड़ी स्टीमबोट की डोंगी, फ़िरती दौड़ी। पर कहेंगे- ‘साथ-ही-साथ वहां दोनो रहती थीं अपनी-अपनी कहती थी। दोनों के दिल मिले थे तारे खुले-खिले थे। हाथ पकड़े घूमती थीं खिलखिलाती झूमती थीं। इक पर इक करती थीं चोट हंसकर होतीं लोटपोट। सात का दोनों का सिन खुशी से कटते थे दिन। महल में भी गोली जाया करती थी जैसे यहां बहार आया करती थी।
एक दिन हंसकर बहार यह बोली- “चलो, बाग घूम आयें हम, गोली।” दोनों चली, जैसे धूप, और छांह गोली के गले पड़ी बहार की बांह। साथ टेरियर और एक नौकरानी। सामने कुछ औरतें भरती थीं पानी सिटपिटायी जैसे अड़गड़े मे देखा मर्द को बाबू ने देखा हो उठती गर्दन को। निकल जाने पर बहार के, बोली पहली दूसरी से, “देखो, वह गोली मोना बंगाली की लड़की । भैंस भड़्की, ऎसी उसकी मां की सूरत मगर है नव्वाब की आंखों मे मूरत। रोज जाती है महल को, जगे भाग आखं का जब उतरा पानी, लगे आग, रोज ढोया आ रहा है माल-असबाब बन रहे हैं गहने-जेवर पकता है कलिया-कबाब।” झटके से सिर-आंख पर फ़िर लिये घड़े चली ठनकाती कड़े। बाग में आयी बहार चम्पे की लम्बी कतार देखती बढ़्ती गयी फ़ूल पर अड़ती गयी। मौलसिरी की छांह में कुछ देर बैठ बेन्च पर फ़िर निगाह डाली एक रेन्ज पर देखा फ़िर कुछ उड़ रही थी तितलियां डालों पर, कितनी चहकती थीं चिड़ियां। भौरें गूंजते, हुए मतवाले-से उड़ गया इक मकड़ी के फ़ंसकर बड़े-से जाले से। फ़िर निगाह उठायी आसमान की ओर देखती रही कि कितनी दूर तक छोर देखा, उठ रही थी धूप- पड़ती फ़ुनगियों पर, चमचमाया रूप। पेड़ जैसे शाह इक-से-इक बड़े ताज पहने, है खड़े। आया माली, हाथ गुलदस्ते लिये गुलबहार को दिये। गोली को इक गुलदस्ता सूंघकर हंसकर बहार ने दिया। जरा बैठकर उठी, तिरछी गली होती कुन्ज को चली! देखी फ़ारांसीसी लिली और गुलबकावली। फ़िर गुलाबजामुन का बाग छोड़ा तूतो के पेड़ो से बायें मुंह मोड़ा। एक बगल की झाड़ी बढ़ी जिधर थी बड़ी गुलाबबाड़ी। देखा, खिल रहे थे बड़े-बड़े फ़ूल लहराया जी का सागर अकूल। दुम हिलाता भागा टेरियर कुत्ता जैसे दौड़ी गोली चिल्लाती हुई ‘कुकुरमुत्ता’। सकपकायी, बहार देखने लगी जैसे कुकुरमुत्ते के प्रेम से भरी गोली दगी। भूल गयी, उसका था गुलाब पर जो कुछ भी प्यार सिर्फ़ वह गोली को देखती रही निगाह की धार। टूटी गोली जैसे बिल्ली देखकर अपना शिकार तोड़कर कुकुरमुत्तों को होती थी उनके निसार। बहुत उगे थे तब तक उसने कुल अपने आंचल में तोड़कर रखे अब तक। घूमी प्यार से मुसकराती देखकर बोली बहार से- “देखो जी भरकर गुलाब हम खायंगे कुकुरमुत्ते का कबाब।” कुकुरमुत्ते की कहानी सुनी उससे जीभ में बहार की आया पानी। पूछा “क्या इसका कबाब होगा ऎसा भी लजीज? जितनी भाजियां दुनिया में इसके सामने नाचीज?” गोली बोली-”जैसी खुशबू इसका वैसा ही स्वाद, खाते खाते हर एक को आ जाती है बिहिश्त की याद सच समझ लो, इसका कलिया तेल का भूना कबाब, भाजियों में वैसा जैसा आदमियों मे नव्वाब”
“नहीं ऎसा कहते री मालिन की छोकड़ी बंगालिन की!” डांटा नौकरानी ने- चढ़ी-आंख कानी ने। लेकिन यह, कुछ एक घूंट लार के जा चुके थे पेट में तब तक बहार के। “नहीं नही, अगर इसको कुछ कहा” पलटकर बहार ने उसे डांटा- “कुकुरमुत्ते का कबाब खाना है, इसके साथ यहां जाना है।” “बता, गोली” पूछा उसने, “कुकुरमुत्ते का कबाब वैसी खुशबु देता है जैसी कि देता है गुलाब!” गोली ने बनाया मुंह बाये घूमकर फ़िर एक छोटी-सी निकाली “उंह!” कहा,”बकरा हो या दुम्बा मुर्ग या कोई परिन्दा इसके सामने सब छू: सबसे बढ़कर इसकी खुशबु। भरता है गुलाब पानी इसके आगे मरती है इन सबकी नानी।” चाव से गोली चली बहार उसके पीछे हो ली, उसके पीछे टेरियर, फ़िर नौकरानी पोंछती जो आंख कानी। चली गोली आगे जैसे डिक्टेटर बहार उसके पीछे जैसे भुक्खड़ फ़ालोवर। उसके पीछे दुम हिलाता टेरियर- आधुनिक पोयेट (Poet) पीछे बांदी बचत की सोचती केपीटलिस्ट क्वेट। झोपड़ी में जल्दी चलकर गोली आयी जोर से ‘मां’ चिल्लायी। मां ने दरवाजा खोला, आंखो से सबको तोला। भीतर आ डलिये मे रक्खे मोली ने वे कुकुरमुत्ते। देखकर मां खिल गयी। निधि जैसे मिल गयी। कहा गोली ने, “अम्मा, कलिया-कबाब जल्द बना। पकाना मसालेदार अच्छा, खायेंगी बहार। पतली-पतली चपातियां उनके लिए सेख लेना।” जला ज्यों ही उधर चूल्हा, खेलने लगीं दोनों दुल्हन-दूल्हा। कोठरी में अलग चलकर बांदी की कानी को छलकर। टेरियर था बराती आज का गोली का साथ। हो गयी शादी कि फ़िर दूल्हन-बहार से। दूल्हा-गोली बातें करने लगी प्यार से। इस तरह कुछ वक्त बीता, खाना तैयार हो गया, खाने चलीं गोली और बहार। कैसे कहें भाव जो मां की आंखो से बरसे थाली लगायी बड़े समादर से। खाते ही बहार ने यह फ़रमाया, “ऎसा खाना आज तक नही खाया” शौक से लेकर सवाद खाती रहीं दोनो कुकुरमुत्ते का कलिया-कबाब। बांदी को भी थोड़ा-सा गोली की मां ने कबाब परोसा। अच्छा लगा, थोड़ा-सा कलिया भी बाद को ला दिया, हाथ धुलाकर देकर पान उसको बिदा किया।
कुकुरमुत्ते की कहानी सुनी जब बहार से नव्वाब के मुंह आया पानी। बांदी से की पूछताछ, उनको हो गया विश्वास। माली को बुला भेजा, कहा,”कुकुरमुत्ता चलकर ले आ तू ताजा-ताजा।” माली ने कहा,”हुजूर, कुकुरमुत्ता अब नहीं रहा है, अर्ज हो मन्जूर, रहे है अब सिर्फ़ गुलाब।” गुस्सा आया, कांपने लगे नव्वाब। बोले;”चल, गुलाब जहां थे, उगा, सबके साथ हम भी चाहते है अब कुकुरमुत्ता।” बोला माली,”फ़रमाएं मआफ़ खता, कुकुरमुत्ता अब उगाया नहीं उगता।”
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kidzplaytimefan · 5 years
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besthindikahanaiya · 4 years
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सुभागी The Moral Story | Hindi Kahaniya | Bedtime Stories | Kahaniya
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Story
और लोगों के यहां चाहे जो होता हो तुलसी महतो अपनी लड़की सुभागी को लड़के रामू से जो घर भी कम प्यार ना करते थे रामू जवान होकर भी कुछ काठ का उल्लू था। सुभागी 11 साल की बालिका होकर भी घर के काम में इतनी चतुर और खेतीबारी की काम में इतनी निपुण थी कि उसकी मां लक्ष्मी दिन में डरती रहती कि कहीं लड़की पर देवताओं की आँख न पड़ जाए। अच्छे बालकों से भगवान को भी तो प्रेम है कोई सुभागी का बखान ना करे इस लिए वे अनायास ही उसे डटी रहती थी। बखान से लड़के बिगड़ जाते हैं यह डर तो न था डर ठान नज़र का वहीं सुभागी आज 11 साल की उम्र में विधवा हो गई। घर में कोहराम मचा हुआ था। लक्ष्मी पछाड़ खाती थी तो फिर सिर पीटते थे उन्हें रोते देख सुभागी भी रोती थी। बार बार मा से पूछती क्यों होती हो मां मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी तो क्यों रोती हो। उसकी भोली बात सुनकर मां का दिल और भी फट गया। वह सोचती थी।
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bhaskarhindinews · 5 years
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Shafaq Naaz's Sensational Steamy Scene Viral On Social Media
वेब सीरीज के इस सीन ने इंटरनेट पर मचाई हलचल, ऐसा था एक्ट्रेस का एक्सपीरियंस
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टेलीविजन अभिनेत्री शफाक नाज़ इस समय अपनी वेब सीरीज हलाला को लेकर सुर्खियों में हैं। दरअसल, उनके स्टीमी सेक्स सीन ने सोशल मीडिया पर काफी हलचल पैदा कर दी है। हालही में एक इटरव्यू में एक्ट्रेस ने इस बारे में बात कीं उन्होंने बताया कि वह अपने सीन के दौरान कैसे हिचकिचाती और असहज हो रही थी।
शफाक ने बताया कि "यह वास्तव में मुश्किल था, यह सीन करना ​मेरे कंफर्ट जोन के बाहर था। साथ ही मैं इस सीन के लिए सहमत इसलिए थी, क्योंकि यह कहानी के अनुसार था। इस कहानी में सेक्स सीन को सिर्फ इसलिए नहीं जोड़ा गया था कि वेब सीरीज में ऐसा कुछ होना जरूरी है बल्कि इसलिए जोड़ा गया था कि यह उस कहानी की डिमांड थी। यह दृश्य कहानी से जुड़ा हुआ है और उन्होंने उन पलों को सबसे सुंदर तरीके से सामने लाने में मदद की है।
"जब उन्होंने मुझे इस सीरीज़ के लिए अप्रोच किया और इस तरह के बोल्ड सीन्स के बारे में बताया, तो मैं बहुत झिझक रही थी। मैंने उन्हें साफ तौर पर कहा कि मुझे ऐसा करने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन मेरी चिंता सिर्फ यह है कि स्टोरीलाइन से कोई मतलब है या नहीं। जब हम दृश्य की शूटिंग कर रहे थे, तो मुझे खुद को समझाने में बहुत समय लगा। शुक्र है, मेरे निर्देशक और दोनों अभिनेताओं- एजाज और रवि- ने मुझे सहज होने में मदद की। वे वास्तव में बहुत अच्छे थे और मुझे लगता है। उनकी वजह से ही मैं इतना अच्छा प्रदर्शन कर सकी। उन्होंने मुझे उस माहौल में ढील दी।
साथ ही, रवि ने खुलासा किया था कि उसने अपनी पत्नी से अनुमति ली थी। उन्होंने कहा था, "मैं दो दिमागों में था कि मुझे यह करना चाहिए या नहीं। इसीलिए मैंने इसकी चर्चा युलिदा के साथ की, जो सचमुच मेरी बॉस और फिर एक पत्नी है। वह मेरे काम को पूरी तरह से समझती है और वह है जिसने मुझे प्रोत्साहित किया। बिना किसी हिचकिचाहट के। "
दीपक पांडे द्वारा निर्देशित वेब श्रृंखला का प्रीमियर 29 मार्च को उल्लू मूल पर किया गया था। इसमें रवि भाटिया, दीपिका सिंह, एजाज खान और नीलिमा अज़ीम भी हैं। वेब सीरीज़ मुस्लिम समुदाय में ट्रिपल तल्ख़ पोस्ट के मुद्दों पर प्रकाश डालती है।
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hindi-matribhasha · 2 years
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चिड़ियों ने बाज़ार लगाया
चिड़ियों ने बाज़ार लगाया, एक कुंज को ख़ूब सजाया तितली लाई स��ंदर पत्ते, मकड़ी लाई कपड़े-लत्ते बुलबुल लाई फूल रँगीले, रंग-बिरंगे पीले-नीले तोता तूत और झरबेरी, भर कर लाया कई चँगेरी
पंख सजीले लाया मोर, अंडे लाया अंडे चोर गौरैया ले आई दाने, बत्तख सजाए ताल-मखाने कोयल और कबूतर कौआ, ले कर अपना झोला झउआ करने को निकले बाज़ार, ठेले पर बिक रहे अनार
कोयल ने कुछ आम खरीदे, कौए ने बादाम खरीदे, गौरैया से ले कर दाने, गुटर कबूतर बैठा खाने . करे सभी जन अपना काम, करते सौदा, देते दाम कौए को कुछ और न धंधा, उसने देखा दिन का अंधा,
बैठा है अंडे रख आगे, तब उसके औगुन झट जागे उसने सबकी नज़र बचा कर, उसके अंडे चुरा-चुरा कर कोयल की जाली में जा कर, डाल दिये चुपचाप छिपा कर फिर वह उल्लू से यों बोला, 'क्या बैठ रख खाली झोला'
उल्लू ने जब यह सुन पाया 'चोर-चोर' कह के चिल्लाया हल्ला गुल्ला मचा वहाँ तो, किससे पूछें बता सके जो कौन ले गया मेरे अंडे, पीटो उसको ले कर डंडे बोला ले लो नंगा-झोरी, अभी निकल आयेगी चोरी
सब लाइन से चलते आए, लेकिन कुछ भी हाथ न आये जब कोयल की जाली आई, उसमें अंडे पड़े दिखाई सब के आगे वह बेचारी, क्या बोले आफ़त की मारी 'हाय, करूँ क्या?' कोयल रोई, किन्तु वहाँ क्या करता कोई
आँखों मे आँसू लटकाए, बड़े हितू बन फिर बढ़ आए बोले, 'बहिन तुम्हारी निंदा, सुन मैं हुआ बहुत शर्मिंदा’ राज-हंस की लगी कचहरी, छान-बीन होती थी गहरी सोच विचार कर रहे सारे,न्यायधीश ने बचन उचारे -
'जो अपना ही सेती नहीं दूसरे का वह लेगी कहीं! आओ कोई आगे आओ, देखा हो तो सच बतलाओ रहे दूध, पानी हो पानी, बने न्याय की एक कहानी' गौरैया तब आगे आई, उसने सच्ची बात बताई
कौए की सब कारस्तानी आँखों देखी कही ज़ुबानी मन का भी यह कौआ काला, उसे सभा से गया निकाला गिद्ध- सिपाही बढ़ कर आया, कौए का सिर गया मुँड़ाया राजहंस की बुद्धि सयानी, तब से सब ने जानी मानी!
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telnews-in · 2 years
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Cast, Actress Name – upresults entertainment & news hub
Cast, Actress Name – upresults entertainment & news hub
उल्लू ऐप पर देखें फ्रंट विंडो वेब सीरीज ऑनलाइन – वेब सीरीज फ्रंट विंडो का ट्रेलर लोकप्रिय ओटीटी प्लेटफॉर्म उल्लू द्वारा यूट्यूब पर जारी किया गया है। इस वेब सीरीज में फैंटेसी, ड्रामा और रोमांस है। यह वेब सीरीज फिलहाल हर हफ्ते उल्लू ऐप के जरिए रिलीज की जाती है। उल्लू की वेब सीरीज को दुनियाभर में हर कोई पसंद करता है। मैचों की मजेदार कहानी सामना वाली चुच्ची वेब सीरीज ULLU: अभिनेता, अभिनेत्री का…
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listenzaheer · 2 years
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आ गया हैं उल्लू की नयी वेब सीरीज चूड़ी वाले का पार्ट 2 , चूड़ी बेचने के बहाने करता है ये काम..
आ गया हैं उल्लू की नयी वेब सीरीज चूड़ी वाले का पार्ट 2 , चूड़ी बेचने के बहाने करता है ये काम..
आ गया हैं उल्लू की नयी वेब सीरीज चूड़ी वाले का पार्ट 2– हमारी वेबसाइट पर आने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद क्योंकि इस पोस्ट में हम बैंगल पार्ट 2 वेब सीरीज की रिलीज डेट की जानकारी देंगे, यह वेब सीरीज किस तारीख को रिलीज होगी, यह ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर किस भाषा में उपलब्ध होगी और इसके बारे में जानकारी दी जाएगी। कहानी और इसकी स्टार कास्ट के बारे में। यह वेब सीरीज आपको बहुत सारी विस्तृत जानकारी देगी,…
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webseriesorgin · 2 years
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Wrong Turn 2 Ullu Web Series Cast Name [2022]
Wrong Turn 2 Ullu Web Series Cast Name [2022]
Wrong Turn 2 Ullu Web Series Cast Name [2022] एक Indian वेब सीरीज है। Hindi Language की ये वेब सीरीज 31 मई 2022 रिलीज़ हुई थी। यह वेब सीरीज official वेबसाइट और उल्लू ऐप पर ऑनलाइन देखने के लिए उपलब्ध है। वेब सीरीज के भूमिका में कलाकार Paromita Dey, Madhwi Lawre आदि मुख्य हैं। Story कहानी एक ऐसी औरत की है, जो एक नौजवान के पीछे पागल हो जाती है, उससे सुख पाने के लिए वो हर चीज़ करने के लिए तैयार रहती है…
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apniduniya9717 · 3 years
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  एक घाना जंगल था – “मनमोहक वन” . 
एक बार की बात है के वहां किन्हीं कारणों से भीषण आग लग गयी.
सभी परेशान थे. सभी जानवर डर रहे थे की अब क्या होगा?? 
देखते ही देखते आंग फैलने लगी, थोड़ी ही देर में जंगल में भगदड़ मच गयी.
भगदड़ में सभी जानवर इधर से उधर भाग रहे थे. सभी अपनी अपनी जान बचाने में लगे थे | 
उस जंगल में एक नन्हीं चिड़िया रहा करती थी. जब उसने देखा क़ि लोग भयभीत हैं और जंगल में आग लगी है तो उसने सोचा के उसे लोगों की मदद करनी चाहिए। बस यही सोचते हुए वह जल्दी ही पास की नदी में गयी और चोच में पानी भरकर लाई और आग में डालने लगी.
बेचारी बार बार नदी में जाती और अपनी छोटी सी चोच में पानी डालती। वहीँ पास से एक उल्लू गुजर रहा था. अचानक उसने चिड़िया की हरकत को देखते हुए सोचने लगा बोला क़ि ये चिड़िया कितनी वेवकूफ है. 
आग इतनी भीषण है और ये चोंच में पानी भरकर कैसे बुझा सकती है?
यही सोचता हुआ वह चिड़िया के पास जाता है और कहता है कि तुम यह क्या कर रही हो ? 
क्या तुम मूर्ख हो जो इस तरह से आग बुझा ने की कोशीश कर रही हो? ऐसे आग नहीं बुझाई जा सकती है.
होशियार चिड़िया ने बहुत विनम्रता के साथ जवाब दिया- “जी यह मुझे पता है कि मेरे छोटे से प्रयास से शायद ही कुछ होगा लेकिन मुझे अपनी तरफ से जो भी होसके वह करना है. प्रयास ही बड़ी चीज़ है.आग कितनी भी भयंकर हो लेकिन मैं अपना प्रयास करती रहूंगी ” 
यह सुनकर उल्लू बहुत प्रभावित हुआ और चिड़िया की मदद करने लगा | 
प्रिय बच्चो – यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है| परेशानी के वक़्त तो इंसान घबराकर हार मान लेता है लेकिन हमें बिना डरे प्रयास करते रहना चाहिए।��
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