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#ऑक्सीजन की कमी
5 बुरी आदतें जो आपके दिल को नुकसान पहुंचा सकती हैं
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आपका दिल का स्वास्थ्य समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन कुछ आदतें हृदय रोग के जोखिम को काफी हद तक बढ़ा सकती हैं। Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology), पांच हानिकारक आदतों के बारे में बताते हैं जिनसे बचना चाहिए:
धूम्रपान: धूम्रपान रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और हृदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाता है। यह हृदय को ऑक्सीजन की आपूर्ति को कम करता है, जिससे हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
खराब आहार: संतृप्त वसा, ट्रांस वसा और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से भरपूर आहार कोलेस्ट्रॉल के स्तर और रक्तचाप को बढ़ाता है, जिससे हृदय रोग होता है।
शारीरिक निष्क्रियता: व्यायाम की कमी मोटापे, उच्च कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप में योगदान करती है, जो आपके दिल पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं।
दीर्घकालिक तनाव: दीर्घकालिक तनाव उच्च रक्तचाप और अस्वास्थ्यकर आदतों जैसे कि अधिक खाना या धूम्रपान का कारण बन सकता है, जिससे हृदय संबंधी समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है।
अत्यधिक शराब का सेवन: बहुत अधिक शराब पीने से उच्च रक्तचाप, हृदय गति रुकना और यहां तक ​​कि स्ट्रोक भी हो सकता है।
इन आदतों को खत्म करने के लिए कदम उठाने से आपके दिल की सेहत में काफी सुधार हो सकता है। अधिक जानकारी के लिए या हृदय परामर्श के लिए, सुकून हार्ट केयर, सैनिक मार्केट, मेन रोड, रांची, झारखंड: 834001 पर जाएँ या 6200784486 पर कॉल करें। आप drfarhancardiologist.com वेबसाइट पर भी जा सकते हैं।
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drcare4u · 11 days
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4 तरीके जिनसे थैलेसीमिया ग्रस्त जोड़े बेबी प्लान कर सकते हैं - 4 tarike jinse thalasseamia grast jode baby plan kar sakte hain
थैलेसीमिया से लड़ना किसी भी व्यक्ति के लिए शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक चुनौतियों का कारण हो हो सकती है। ज्यादातर लोग यह मान बैठते हैं कि इस बीमारी के रहते न तो वे विवाह कर सकते हैं और न ही परिवार बना सकते हैं। पर ऐसा नहीं है। थैलेसीमिया (Thalassemia) एक खून की बीमारी है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है। इसमें खून में हीमोग्लोबिन नामक पदार्थ की कमी होती है। हीमोग्लोबिन शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए…
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amarkumar123 · 1 month
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एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी होती है या उनमें पर्याप्त हीमोग्लोबिन नहीं होता। हीमोग्लोबिन वह प्रोटीन है जो रक्त में ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुँचाने में मदद करता है। एनीमिया के कारण शरीर को आवश्यक मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे कमजोरी, थकान, सांस लेने में कठिनाई और चक्कर आना जैसे लक्षण हो सकते हैं। यह समस्या आमतौर पर आयरन की कमी, विटामिन बी12 की कमी या किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या के कारण हो सकती है।
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oraal01 · 2 months
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मुंह की दुर्गंध का इलाज स्वच्छ और ताजगी भरी सांस के लिए
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 परिचय (Introduction)
हैलिटोसिस मुंह की दुर्गंध का चिकित्सीय नाम है, जो एक सामान्य स्थिति है और दुनिया भर में हर चार में से एक व्यक्ति को प्रभावित करती है। सभी को कभी-कभी बुरी सांस का सामना करना पड़ता है, खासकर लहसुन या प्याज जैसे तीखे खाद्य पदार्थ खाने के बाद। हालांकि, जब बुरी सांस लगातार बनी रहती है (क्रोनिक हैलिटोसिस), तो यह किसी मौखिक स्वास्थ्य समस्या या शरीर के किसी अन्य हिस्से से संबंधित किसी स्थिति का संकेत हो सकता है। यह आपके शरीर से एक चेतावनी संकेत की तरह है, जो समस्या के मूल कारण को पहचानने की आवश्यकता को इंगित करता है। हैलिटोसिस के कारणों और उपचारों को समझना स्वच्छ और ताजगी भरी सांस बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
मुंह की दुर्गंध ( हैलिटोसिस) के लक्षण
Symptoms 
- जीभ पर सफेद परत, विशेष रूप से पीछे की ओर।
- मुंह का सूखापन।
- दांतों के आसपास जमाव।
- पोस्ट-नेजल ड्रिप या बलगम।
- सुबह की दुर्गंध और जीभ पर जलन।
- गाढ़ी लार और गले को बार-बार साफ करने की आवश्यकता।
- लगातार खट्टा, कड़वा या धातु जैसा स्वाद।
हैलिटोसिस का होना व्यक्ति के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। बुरी सांस के कारण अन्य लोग दूर हट सकते हैं या अपना सिर घुमा सकते हैं, जिससे आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान में कमी आ सकती है।
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मुंह की दुर्गंध ( हैलिटोसिस) के कारण 
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मुंह की दुर्गंध, या हैलिटोसिस, कई कारणों से हो सकती है:
दंत समस्याएं
 जैसे पीरियोडोंटाइटिस (दांतों के आसपास संक्रमण) या खराब मौखिक स्वच्छता।
सूखा मुंह
जो दवाओं, शराब, तनाव या किसी चिकित्सीय स्थिति के कारण हो सकता है।
धूम्रपान
जिससे मुंह में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।
कम सामान्य कारणों में शामिल हैं:
अम्ल और पित्त का रिफ्लक्स: पेट से।
पोस्ट-नेजल डिस्चार्ज : जैसे क्रोनिक      साइनसाइटिस के कारण।
चिकित्सीय स्थितियां : जैसे किडनी फेल्योर, विभिन्न कैंसर, चयापचय असामान्यताएं, और जैव रासायनिक विकार (हालांकि ये दुर्लभ हैं)।
कुछ खाद्य पदार्थ जैसे प्याज, लहसुन, और फूलगोभी भी अस्थायी रूप से मुंह की दुर्गंध का कारण बन सकते हैं।
मुंह की दुर्गंध का इलाज : घरेलू उपचार
(Treatment)
उपचार विधि
यह कैसे मदद करता है
उपयोग करने का तरीका
ग्रीन टी
एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो बैक्टीरिया से लड़ते हैं
एक कप ग्रीन टी पिएं
पानी पीना
मुंह को हाइड्रेट रखता है
पूरे दिन खूब पानी पिएं
सेब का सिरका
बैक्टीरिया को मारता है और गंध को बेअसर करता है
पतला सिरका से मुंह को कुल्ला करें
बेकिंग सोडा
बुरी सांस को बेअसर करता है और दांतों को साफ करता है
बेकिंग सोडा के पेस्ट से दांत साफ करें
नींबू का रस
सांस को ताजगी देता है और बैक्टीरिया को मारता है
नींबू का रस और पानी से मुंह को कुल्ला करें
अच्छी मौखिक स्वच्छता
भोजन के कणों और बैक्टीरिया को हटाता है
नियमित रूप से ब्रश और फ्लॉस करें
नमक पानी
बैक्टीरिया को मारता है और मुंह को आराम देता है
नमक पानी से मुंह को कुल्ला करें
टी ट्री तेल
एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं
अपने टूथपेस्ट में कुछ बूंदें मिलाएं
सिरका से बना घरेलू माउथवॉश
बैक्टीरिया को मारता है और बुरी सांस को बेअसर करता है
सिरका के घोल से मुंह को कुल्ला करें
फल और सब्जियां खाएं
लार के उत्पादन को बढ़ाता है
कुरकुरे फल और सब्जियां खाएं
अपनी जीभ को साफ करें
जीभ से बैक्टीरिया को हटाता है
जीभ साफ करने वाले या ब्रश से जीभ साफ करें
लौंग
एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं
कुछ लौंग चबाएं
च्यूइंग गम
लार के प्रवाह को बढ़ाता है
शुगर-फ्री गम चबाएं
ये तरीके आपको साफ और ताजगी भरी सांस बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
मुंह से बदबू रोकने के उपाय
(Prevention)
अच्छी मौखिक स्वच्छता:
दांत साफ करें
: दिन में दो बार दांत ब्रश करें, प्रत्येक बार कम से कम दो मिनट तक, ताकि भोजन के कण और प्लाक हटा सकें।
रोज़ाना फ्लॉस करें:
: दांतों के बीच दांत का फ्लॉस करें, ताकि प्लाक जमावट न हो।
जीभ साफ करें
: जीभ को साफ करने के लिए टूथब्रश या जीभ स्क्रेपर का उपयोग करें, जो जीभ पर मौजूद बैक्टीरिया को हटाने में मदद करता है, जो दुर्गंध का कारण बन सकते हैं
माउथवॉश का उपयोग करें
: एक अल्कोहल-मुक्त एंटीबैक्टीरियल माउथवॉश से मुंह को धोएं, जो बैक्टीरिया को मारता है और सांसों को ताजगी देता है।
नियमित डेंटल चेकअप:
- अपने डेंटिस्ट के पास नियमित रूप से जाएं चेकअप और पेशेंट की सफाई के लिए। इससे मौंदित स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद मिलती है और बदबू जैसी समस्याओं को रोकता है।
हाइड्रेट रहें:
- दिन भर में प्रायः पानी पिएं, ताकि आपका मुंह नम रहे और भोजन के कण और बैक्टीरिया को धोने में मदद मिले।
लार उत्पादन बढ़ाएँ:
- शुगर-फ्री गम चबाएं या शुगर-फ्री कैंडी चूसें, और सेहतमंद खाद्य पदार्थ खाएं जो ज्यादा चबाने की आवश्यकता हो, जिससे लार का उत्पादन बढ़े। यदि आवश्यक हो, तो आपके डेंटिस्ट मुंह सूखापन बढ़ाने के उत्पादों का सुझाव दे सकते हैं।
सूखापन वाले एजेंट्स से बचें:
- अल्कोहल, कैफीन, और तंबाकू के उपयोग से बचें, क्योंकि ये आपके मुंह को सूखा सकते हैं और बदबू का कारण बन सकते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
ताजगी भरी सांस और मौखिक स्वच्छता का पालन समग्र स्वास्थ्य और सामाजिक संवाद में महत्वपूर्ण है। हैलिटोसिस, जिसे आमतौर पर बुरी सांस के रूप में जाना जाता है, बुरी मुंह की समस्याओं से आ सकती है जो दांतों की बुरी स्वच्छता, सूखे मुंह, और कुछ चिकित्सीय स्थितियों से हो सकती है। इन कारणों को समझकर और नियमित ब्रशिंग, फ्लॉसिंग, जीभ सफाई, और पानी पीने जैसी आदतों को अपनाकर हम हैलिटोसिस को नियंत्रित कर सकते हैं। इसके अलावा, माउथवॉश का उपयोग और नियमित डेंटल चेक-अप से हम दिन-प्रतिदिन बुरी सांस को कम कर सकते हैं और अपने जीवन को स्वच्छ, ताजगी भरे मुंह से आनंदित कर सकते हैं। इन आदतों का पालन करके व्यक्ति अपने आत्मविश्वास और जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं।
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holydivinehealthcare1 · 2 months
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Importance of Vitamin D3 and Vitamin B12
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विटामिन डी3 और विटामिन बी12, दोनों ही महत्वपूर्ण विटामिन्स हैं जो हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। इन विटामिन्स का सही संतुलन हमारे हड्डियों, इम्यून सिस्टम, न्यूरोलॉजिकल फ़ंक्शन, रक्तनिर्माण, और ऊर्जा उत्पत्ति  में मदद करता है। इसके बिना, हमारे शरीर की कई क्रियाएँ प्रभावित होती हैं, जिससे स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है। इसलिए, इन विटामिन्स की भरपूर आपूर्ति हमारी दैहिक और मानसिक रूप से सुखद जीवनशैली के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
विटामिन डी:
कैल्शियम आवश्यकता: 
यह विटामिन कैल्शियम के संचार में सहारा प्रदान करता है, जो सबसे महत्वपूर्ण खनिज है। विटामिन डी3 के अभाव में हड्डियाँ कमजोर हो सकती हैं और दाँतों  में समस्याएं उत्पन्न होती  हैं। सही मात्रा में विटामिन डी3 से हड्डियों को मजबूती मिलती है और कैल्शियम का संतुलन बना रहता है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।
मजबूत हड्डियाँ:
 विटामिन डी3 की उपस्थिति से हड्डियाँ मजबूत होती हैं, जो स्वस्थ जीवन जीने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
मजबूत हड्डियाँ विटामिन डी3 के महत्वपूर्ण योगदान से होती हैं। यह विटामिन शरीर को स्वस्थ रखने में  मदद करता है, जिससे हड्डियाँ मजबूत और स्वस्थ रहती हैं। विटामिन डी3 की उपस्थिति में कैल्शियम को सही से अवश्रित किया जाता है, जिससे हड्डियाँ आपस में मजबूती प्राप्त करती हैं और इससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों की संभावना कम होती है। विटामिन डी3 का नियमित संबंध रखना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इम्यून सिस्टम का समर्थन: 
विटामिन डी3 इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करके विभिन्न बीमारियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है।
विटामिन डी3 इम्यून सिस्टम को सहयोग प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विटामिन शरीर को बाहरी कीटाणुओं और रोगों के खिलाफ लड़ने के लिए आवश्यक होता है और इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करता है। विटामिन डी3 की उपस्थिति में शरीर में अधिक अंतिरक्षक कार्यवाही होती है, जिससे संक्रमणों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। सही स्तर पर विटामिन डी की देखभाल से शरीर रोगों के प्रति प्रतिरक्षा बढ़ाता है और इम्यून सिस्टम को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
मानसिक स्वास्थ्य:
विटामिन डी मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है। इसकी उपस्थिति मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करती है। विटामिन डी की कमी से डिप्रेशन और अन्य मानसिक समस्याएं होती  हैं। यह विटामिन सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। सूर्य की किरणों से विटामिन डी मिलता है और यह मूड को सुधारने, तनाव को कम करने, और मानसिक चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है। इससे मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए सुरक्षा मिलती है।
IVA Vitamin D3 Drops बच्चों के विकास और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। ये ड्रॉप्स हड्डियों को मजबूत बनाने और इम्यून सिस्टम को सुदृढ़ करने में सहायक होते हैं। नियमित रूप से विटामिन D3 ड्रॉप्स देने से बच्चों में रिकेट्स जैसी समस्याओं से बचाव होता है। डॉक्टर की सलाह के अनुसार उचित मात्रा में ही इनका सेवन कराना चाहिए।
नोट: किसी भी दवा या सप्लिमेंट का उपयोग करने से पहले हमेशा चिकित्सक से परामर्श लें।
विटामिन बी12:
रक्तनिर्माण:
विटामिन बी12 रक्तनलिका की निर्माण में मदद करता है, जिससे होमोग्लोबिन उत्पन्न होता है और शरीर को ऑक्सीजन पहुंचता है।
विटामिन बी12 रक्तनिर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विटामिन शरीर में लाल रक्तकोशिकाओं के निर्माण में सहायक है, जो कि रक्त समृद्धि को सुनिश्चित करता है। बी12 की उपस्थिति में होमोग्लोबिन उत्पन्न होता है, जो शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है। इससे अनीमिया और अन्य रक्त संबंधित समस्याएं कम होती हैं और व्यक्ति में ऊर्जा स्तर भी बना रहता है। विटामिन बी12 के योगदान से रक्तनिर्माण को सुनिश्चित करना हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
न्यूरोलॉजिकल फ़ंक्शन:
 बी12 न्यूरोन्स के सही संचार के लिए आवश्यक है, जिससे शरीर के न्यूरोलॉजिकल फ़ंक्शन को सही ढंग से बनाए रखा जा सकता है।
विटामिन बी12 न्यूरोलॉजिकल फ़ंक्शन के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है। यह विटामिन शरीर के न्यूरोन्स के सही संचार को सुनिश्चित करने में मदद करता है, जिससे स्वस्थ न्यूरोलॉजिकल फ़ंक्शन बना रहता है। बी12 की कमी से डीटीरीयम की गतिविधि में कमी हो सकती है, जिससे न्यूरोन्स का स्थायीता प्रभावित होता है। इससे मानसिक स्थिति, समझदारी, और संवेदनशीलता पर भी असर होता है। विटामिन बी12 की उचित मात्रा से यह निश्चि��� करता है कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों ही सही रहता है।
डीटीरीयम शरीर में आवश्यक न्यूरोन्स का स्थायीता: 
विटामिन बी12 डीटीरीयम की शरीर में आवश्यक न्यूरोन्स के स्थायीता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बी12 का सही स्तर बनाए रखना आवश्यक है ताकि डीटीरीयम, जो एक प्रमुख न्यूरोन्स है, की सही गतिविधि हो सके। यह विटामिन न्यूरोलॉजिकल फ़ंक्शन को सुनिश्चित करता है और सोचने, समझने, और न्यूरोलॉजिकल कार्यों को सही रखने में सहायक है। डीटीरीयम की सही संचारशीलता विटामिन बी12 के सही स्तर से ही संभव है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य क�� सुनिश्चित किया जाता  है।
एनर्जी उत्पत्ति 
विटामिन बी12 का एक महत्वपूर्ण कार्य है एनर्जी की उत्पत्ति में सहायक होना। बी12 शरीर में उपस्थित रासायनिक प्रक्रियाओं में भागीदारी करके अमीनो एसिड की भरपूर उत्पत्ति में मदद करता है, जो ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए आवश्यक है। इससे शरीर को स्थिर ऊर्जा स्तर बना रहने में मदद मिलती है और व्यक्ति दिनभर की गतिविधियों को सहने में सक्षम रहता है। विटामिन बी12 की यह विशेष विशेषता शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए एकमात्र नहीं, बल्कि ऊर्जा प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
IVA Vitamin B12 Drops बच्चों के समुचित विकास और ऊर्जा के लिए जरूरी होते हैं। यह विटामिन शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण, तंत्रिका तंत्र के स्वास्थ्य और डीएनए संश्लेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विटामिन B12 की कमी से थकान, कमजोरी और विकास में बाधा जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
नोट: किसी भी दवा या सप्लिमेंट का उपयोग करने से पहले हमेशा चिकित्सक से परामर्श लें।
इन विटामिन्स की कमी से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, इसलिए सही मात्रा में आपकी डाइट में इन्हें शामिल करना महत्वपूर्ण है। यदि किसीको इस विटामिन्स की कमी है, तो उन्हें उचित चिकित्सकीय सलाह के साथ सप्लीमेंट  का इस्तेमाल करना चाहिए।
समापन: 
समाप्ति में, विटामिन डी और बी12 शरीर के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन विटामिन्स की उचित मात्रा से हड्डियाँ मजबूत रहती हैं, इम्यून सिस्टम सुरक्षित रहता है, न्यूरोलॉजिकल फ़ंक्शन सही रूप से काम करता है, रक्तनिर्माण में मदद करते हैं, और ऊर्जा उत्पन्नि में सहायक होते हैं। इन विटामिन्स के सही स्तर का सुनिश्चित करके हम स्वस्थ जीवन जी सकते हैं और बीमारियों से बच सकते हैं।
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samparkpanditji · 3 months
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गायत्री मंत्र के रोमांचक रहस्य: 10 वैज्ञानिक महत्व से जुड़ा नया दृष्टिकोण
गायत्री मंत्र भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और इसे मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। आधुनिक विज्ञान ने भी गायत्री मंत्र के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया है और इसके कुछ वैज्ञानिक महत्व उजागर किए हैं। आइए, गायत्री मंत्र के रोमांचक रहस्यों और 10 वैज्ञानिक महत्वों से जुड़ा नया दृष्टिकोण समझें:
1. ध्वनि कंपन: गायत्री मंत्र के उच्चारण से उत्पन्न ध्वनि कंपन मस्तिष्क के न्यूरॉन्स को सक्रिय करते हैं, जिससे ध्यान केंद्रित होता है और मानसिक स्पष्टता बढ़ती है।
2. सकारात्मक ऊर्जा: मंत्र जाप के दौरान उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा और ध्वनि तरंगें तनाव को कम करती हैं और मानसिक शांति प्रदान करती हैं।
3. स्नायु तंत्र: गायत्री मंत्र के नियमित जाप से स्नायु तंत्र में सुधार होता है, जिससे तनाव और चिंता में कमी आती है।
4. हार्मोनल संतुलन: मंत्र के उच्चारण से शरीर में हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है, जिससे मूड स्विंग्स और अन्य मानसिक समस्याओं में राहत मिलती है।
5. मस्तिष्क की सक्रियता: गायत्री मंत्र का जाप मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों को सक्रिय करता है, जिससे मानसिक क्षमता और स्मरण शक्ति में सुधार होता है।
6. हृदय स्वास्थ्य: मंत्र जाप के दौरान धीमी और गहरी सांसें हृदय स्वास्थ्य में सुधार करती हैं और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखती हैं।
7. श्वसन तंत्र: मंत्र के उच्चारण से श्वसन तंत्र में सुधार होता है, जिससे ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ती है और शारीरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है।
8. माइंडफुलनेस: गायत्री मंत्र का जाप माइंडफुलनेस को बढ़ावा देता है, जिससे मानसिक स्थिरता और आत्म-नियंत्रण में सुधार होता है।
9. इम्यून सिस्टम: नियमित मंत्र जाप से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है, जिससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
10. आध्यात्मिक उन्नति: गायत्री मंत्र के जाप से व्यक्ति में आध्यात्मिक जागरूकता और आंतरिक शांति का अनुभव होता है, जिससे जीवन में संतुलन और संतुष्टि मिलती है।
गायत्री मंत्र के इन वैज्ञानिक महत्वों के माध्यम से हम इसके अद्वितीय लाभों को समझ सकते हैं और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाकर मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं। गायत्री मंत्र के रोमांचक रहस्य: 10 वैज्ञानिक महत्व से जुड़ा नया दृष्टिकोण। इस दृष्टिकोण से यह स्पष्ट होता है कि गायत्री मंत्र के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक लाभ कितने व्यापक और प्रभावशाली हैं।
गायत्री मंत्र के नियमित जाप से न केवल मानसिक शांति और ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है, बल्कि यह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार लाता है। गायत्री मंत्र के रोमांचक रहस्य: 10 वैज्ञानिक महत्व से जुड़ा ��या दृष्टिकोण। इन वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर, हम गायत्री मंत्र को अपने दैनिक जीवन में शामिल कर सकते हैं और इसके असीमित लाभों का अनुभव कर सकते हैं।
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nidarchhattisgarh · 4 months
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प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की कमी से बच्चों की मौत : हाईकोर्ट
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doctorforcervical1 · 4 months
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कपिंग थेरेपी के 10 विशेष उपयोगी तरीके
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कपिंग थेरेपी एक प्राचीन चीनी चिकित्सा पद्धति है जिसमें त्वचा पर ग्लास या सिलिकॉन के कप लगाकर रक्त प्रवाह को बढ़ावा दिया जाता है। इस चिकित्सा विधि में ग्लास कप को शरीर की चुनी हुई स्थानों पर लगाकर विशिष्ट तरीके से उसमें हवा को बाहर निकाला जाता है, जिससे त्वचा के नीचे रक्त प्रवाह को बढ़ाया जाता है। इस प्रक्रिया से शरीर की ऊर्जा का संतुलन सुधारता है और शारीरिक दर्द, सूजन, और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में राहत मिल सकती है।
कपिंग थेरेपी का माना जाता है कि यह रक्त संचार को बढ़ाने से त्वचा के अंदर के विभिन्न अंगों और ऊतकों को पोषण प्राप्त होता है और इससे त्वचा के रोगों जैसे की मामले में लाभ हो सकता है। इसके अलावा, कपिंग थेरेपी से तंत्रिकाओं की संतुलन और शारीरिक ऊर्जा के बारे में भी सुधार हो सकती है। यह चिकित्सा पद्धति विशेष तौर पर अर्थराइटिस, मांसपेशियों के दर्द, मांसपेशियों में तनाव, और मस्तिष्क के संबंधित समस्याओं में सुधार के लिए इस्तेमाल की जाती है।
कपिंग थेरेपी के 10 विशेष उपयोगी तरीके:
दर्द से राहत:कपिंग थेरेपी मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द, सिरदर्द, माइग्रेन, और मासिक धर्म ऐंठन जैसे विभिन्न प्रकार के दर्द से राहत प्रदान करने में प्रभावी हो सकती है। यह थेरेपी रक्त संचार को बढ़ावा देती है, शरीर में ऊर्जा संतुलन को सुधारती है, और दर्द को कम करने में मदद करती है।
सूजन कम करना: कपिंग थेरेपी सूजन को कम करने में मदद कर सकती है, जो दर्द और गतिशीलता में कमी का कारण बन सकती है। यह गठिया, चोटों और संक्रमण जैसी स्थितियों में फायदेमंद हो सकता है।
रक्त प्रवाह में सुधार: कपिंग थेरेपी त्वचा में रक्त प्रवाह को बढ़ावा दे सकती है, जिससे ऊतकों को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति में सुधार होता है। यह घाव भरने और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
तनाव और चिंता कम करना: कपिंग थेरेपी तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकती है। इस चिकित्सा विधि में बने बड़े बर्तनों को शरीर पर रखकर उनमें हवा को बाहर निकालने से अंदरूनी दबाव कम होता है और एंडोर्फिन की रिहाई को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे मूड में सुधार हो सकता है।
त्वचा स्वास्थ्य में सुधार: कपिंग थेरेपी त्वचा के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है। यह मुंहासे, एक्जिमा और सोरायसिस जैसी स्थितियों के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।
पाचन तंत्र में सुधार: कपिंग थेरेपी पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है। यह कब्ज, अपच, और सूजन जैसी स्थितियों के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है। इस चिकित्सा पद्धति में प्���योग किए गए विशेष बर्तनों को शरीर पर रखकर उनमें हवा को बाहर निकालने से शरीर का अपशिष्ट, विषाक्त रक्त, और दूषित धातुओं से मुक्ति होती है, जिससे पाचन तंत्र की क्रिया सुधारती है।
प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना: कपिंग थेरेपी पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है। यह कब्ज, अपच, और सूजन जैसी स्थितियों के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है। इस चिकित्सा पद्धति में प्रयोग किए गए विशेष बर्तनों को शरीर पर रखकर उनमें हवा को बाहर निकालने से शरीर का अपशिष्ट, विषाक्त रक्त, और दूषित धातुओं से मुक्ति होती है, जिससे पाचन तंत्र की क्रिया सुधारती है।
वजन घटाने में सहायता: कपिंग थेरेपी वजन घटाने में सहायक हो सकती है। इस थेरेपी से चयापचय को बढ़ावा मिलता है और शरीर की वसा को जलाने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, कपिंग थेरेपी से शरीर का अच्छा रक्त संचार होता है जो स्वस्थ वजन प्राप्त करने में सहायक होता है।
डिमेंशिया का इलाज: कुछ अध्ययनों से पता चला है कि कपिंग थेरेपी डिमेंशिया के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है। इस चिकित्सा पद्धति में रक्त संचार को बढ़ावा देने से मस्तिष्क की स्वस्थता में सुधार हो सकता है और इसके परिणामस्वरूप डिमेंशिया जैसी समस्याओं के लक्षणों में कमी आ सकती है।
कैंसर का इलाज: कुछ अध्ययनों से पता चला है कि कपिंग थेरेपी कैंसर के इलाज में सहायक हो सकती है। यह कैंसर कोशिकाओं को मारने और कैंसर के उपचार के दुष्प्रभावों को कम करने में मदद कर सकता है।
कपिंग थेरेपी के कुछ संभावित दुष्प्रभाव:
त्वचा पर चोट या घाव
चक्कर आना या मतली
थकान
सिरदर्द
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कपिंग थेरेपी हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं है। गर्भवती महिलाओं, रक्तस्राव विकारों वाले लोगों, और त्वचा की स्थिति वाले लोगों को कपिंग थेरेपी से बचना चाहिए। यदि आप कपिंग थेरेपी पर विचार कर रहे हैं, तो किसी योग्य चिकित्सक से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
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medrechospital · 5 months
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टॉन्सिल स्टोन्स: कारण, लक्षण, रोकथाम, और उपचार का पूर्ण गाइड!
परिचय
हमारे पूर्ण गाइड पर आपका स्वागत है, जो टॉन्सिल स्टोन्स के बारे में है! यदि आप गले में असहजता महसूस कर रहे हैं या अनोखे लक्षणों का सामना कर रहे हैं, तो शायद आप टॉन्सिल स्टोन्स का सामना कर रहे हों। इस विस्तृत लेख में, हम टॉन्सिल स्टोन्स की जटिल प्रकृति को समझेंगे, उनके कारणों को समझेंगे, उनके पहचानकर्ता लक्षणों को खोजेंगे, रोकथाम के उपाय बताएंगे, और विभिन्न उपचार विकल्पों की जांच करेंगे। अंत में, आपको टॉन्सिल स्टोन्स को पराजित करने के लिए आवश्यक ज्ञान के साथ आर्म्ड किया जाएगा, ताकि आप अपने मौखिक स्वास्थ्य को पुनः प्राप्त कर सकें!
टॉन्सिल स्टोन्स के कारण
आइए देखें कि टॉन्सिल स्टोन्स के गठन कारणों के क्या हैं:
अच्छी मौखिक स्वच्छता: सही मौखिक देखभाल की अनदेखी बैक्टीरिया, भोजन के कण, और संद जमा सकते हैं, जो टॉन्सिल में स्टोन्स का निर्माण करने के लिए एक उत्कृष्ट भूमि प्रदान करते हैं।
इस एकत्रिति से टॉन्सिल के क्रिप्ट्स में कैल्सिफाइड मासों का निर्माण हो सकता है, जिसे टॉन्सिल स्टोन्स कहा जाता है।
नियमित ब्रशिंग, फ्लॉसिंग, और जीभ को स्क्रेप करना अद्भुत मौखिक स्वच्छता की खासियत है।
पुरानी टॉन्सिलाइटिस: पुनरावृत्ति टॉन्सिलाइटिस से पीड़ित व्यक्ति टॉन्सिल स्टोन्स विकसित करने के लिए विशेष रूप से प्रवृत्त होते हैं।
प्रायोजित इन्फ्लेमेशन और टॉन्सिल के वृद्धि टॉन्सिल के लिए गठन के लिए उपयुक्त शर्तों को बनाते हैं।
अंडरलाइन टॉन्सिलाइटिस के इलाज के माध्यम से या, गंभीर मामलों में, टॉन्सिल का ऑपरेशन (टॉन्सिलेक्टोमी) के माध्यम से टॉन्सिल स्टोन्स की पुनः प्रावृत्ति को रोकने के लिए जरूरी हो सकता है।
आहारी आदतें: कुछ आहारी आदतें, जैसे कि वसा, डेयरी, या चीनी युक्त आहार का सेवन, टॉन्सिल स्टोन्स के गठन को बढ़ावा दे सकते हैं।
कैल्शियम और डेयरी में उच्च खाद्य पदार्थ टॉन्सिल क्रिप्ट्स में संद की कैल्सिफिकेशन को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे टॉन्सिल स्टोन्स का निर्माण होता है।
एक संतुलित आहार, जिसमें फल, सब्जियां, और प्रोटीन हो, टॉन्सिल स्टोन्स के गठन का जोखिम कम करने में मदद कर सकता है।
सूखा मुंह: लार की कमी मुंह से बैक्टीरिया और संद को बाहर निकालने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सूखा मुंह वातावरण टॉन्सिल स्टोन्स के गठन की संभावना बढ़ा सकता है।
कम लार प्रवाह बैक्टीरिया और संद को टॉन्सिल क्रिप्ट्स में एकत्रित होने की अनुमति देता है, जिससे टॉन्सिल स्टोन्स का निर्माण होता है।
दिन भर में पर्याप्त पानी पिए ताकि आपका मुंह नम रहे और लार का उत्पादन होता रहे।
अनारोबिक बैक्टीरिया: मुंह के अनारोबिक बैक्टीरिया, विशेष रूप से स्ट्रेप्टोकोकस और एक्टिनोमाइसीज जैसी प्रजातियाँ, टॉन्सिल स्टोन्स के गठन को बढ़ावा दे सकते हैं।
ये बैक्टीरिया निम्न-ऑक्सीजन वातावरण ���ें विकसित होते हैं, जैसे कि टॉन्सिल क्रिप्ट्स, जहां वे प्रोटीन को मेटाबोलाइज करते हैं और बदबू के द्रव्य को उत्पन्न करते हैं।
सही मौखिक स्वच्छता व्यवहारों को अनुपालन करने से, जैसे कि नियमित ब्रशिंग और फ्लॉसिंग, मुंह में बैक्टीरियल लोड को कम किया जा सकता है और टॉन्सिल स्टोन्स के गठन का जोखिम कम किया जा सकता है।
टॉन्सिल स्टोन्स के लक्षण
टॉन्सिल स्टोन्स के साथ जुड़े अपरिचित चिन्हों और लक्षणों की पहचान महत्वपूर्ण है, ताकि समय पर हस्तक्षेप और प्रबंधन किया जा सके:
स्थायी बदबू: टॉन्सिल स्टोन्स के एक प्रमुख लक्षण में से एक है स्थायी बदबू, जिसे हलितोसिस कहा जाता है।
टॉन्सिल स्टोन्स बैक्टीरिया को धारित करते हैं जो दुर्गंधीय वायलेटाइल सल्फर कंपाउंड्स (VSCs) उत्पन्न करते हैं, जो स्थायी बदबू का कारण बनते हैं।
टॉन्सिल स्टोन्स के साथ जुड़ी गंध को आमतौर पर बदबू, "सड़ गया," या कच्चाई की खुशबू के रूप में वर्णित किया जाता है।
गले में दर्द: टॉन्सिल स्टोन्स गले में चिढ़ और फूलाव का कारण बन सकते हैं, जिससे स्थायी गले में दर्द होता है।
टॉन्सिल स्टोन्स के मौजूदगी में गले के आसपास के ऊतकों को चिढ़ सकते हैं, जिससे तकलीफ, खराश, या गले में कुछ फँसा होने का एहसास होता है।
टॉन्सिल स्टोन्स के साथ व्यक्तियों को भोजन या तरल पदार्थों को निगलने में तकलीफ या दर्द का अनुभव हो सकता है।
निगलने में कठिनाई: बड़े टॉन्सिल स्टोन्स या उनके समूह गले को रोक सकते हैं, जिससे निगलने में कठिनाई या दर्द हो सकता है।
टॉन्सिल स्टोन्स आकार में विभिन्न हो सकते हैं, छोटे, मात्र कुछ स्पष्ट उपजाऊ फॉर्मेशन्स से लेकर बड़े, अधिक अभिनव मासों तक।
व्यक्तियों को निगलने के दौरान गले में बाधा या असहजता का अहसास हो सकता है, विशेष रूप से जब खाना या तरल पदार्थों को निगला जाता है।
कान में दर्द: कुछ मामलों में, टॉन्सिल स्टोन्स कान में दर्द को संदर्भित कर सकते हैं, जिससे असहजता, दबाव, या कान के दर्द हो सकता है।
टॉन्सिलों को कान से जड़ा होने की क्लोस डूरी के कारण, कान में दर्द हो सकता है।
टॉन्सिल स्टोन्स के संबंधित कानों में दर्द कभी-कभी हो सकता है, जो स्टोन्स की आकार और स्थान के आधार पर अनियमित या स्थायी हो सकता है।
टॉन्सिलों पर सफेद या पीले दाग: निरीक्षण के दौरान, व्यक्तियों को टॉन्सिलों की सतह पर सफेद या पीले रंग के दाग दिख सकते हैं, जो संद या टॉन्सिल स्टोन्स के प्रकरण का पता लगाने में मदद कर सकते हैं।
टॉन्सिल स्टोन्स के साथ जुड़े साथी लक्षणों में से एक यह भी है कि टॉन्सिलों की सतह पर बने हुए दाग जो इस परिस्थिति का संकेत देते हैं।
कई टॉन्सिल स्टोन्स के साथ जुड़े लक्षणों में से कुछ ऐसे होते हैं जो अवसाद और चिंता को बढ़ा सकते हैं, खासकर जब रोगी अपने रोग का समय पर पता नहीं लगा पाता है।
टॉन्सिल स्टोन्स की रोकथाम
टॉन्सिल स्टोन्स को रोकने के लिए इन साधारण उपायों का पालन करें:
अच्छी मौखिक स्वच्छता: टॉन्सिल स्टोन्स के गठन को रोकने के लिए अच्छी मौखिक स्वच्छता की अपेक्षा करें।
कैल्सिफाइड मासों को निरोधित करने और संद को हटाने के लिए नियमित ब्रशिंग, फ्लॉसिंग, और जीभ को स्क्रेप करना महत्वपूर्ण है।
स्वच्छ रहें, सही तरीके से ब्रश करें, और प्रतिदिन दो-तीन बार अच्छे से मुंह धोएं।
आहारी आदतें: आहार में संतुलितता बनाए रखें और जल्दी से टूटने वाले पदार्थों का उपयोग करें, जो टॉन्सिल स्टोन्स के गठन की संभावना को कम कर सकते हैं।
उच्च कैल्शियम और विटामिन संबंधित भोजन टॉन्सिल क्रिप्ट्स की अच्छी स्वच्छता को बढ़ावा देते हैं, जिससे टॉन्सिल स्टोन्स के गठन की संभावना कम होती है।
अधिकतम पौष्टिक लाभ के लिए, फल, सब्जियां, पूरी अनाज, और अनाज का उपयोग करें, और प्रोटीन और आल्फा-हाइड्रॉक्सी तत्वों का उपयोग कम करें।
प्रतिदिन अधिक पानी पिएं: प्रतिदिन पर्याप्त पानी पीना आपके मुंह की स्वास्थ्य को बनाए रख सकता है और टॉन्सिल स्टोन्स के गठन की संभावना को कम कर सकता है।
पानी उपायुक्त अनुपात में प्राकृतिक मूत्रसंचार को बढ़ावा देता है, जिससे मुंह में संद का निर्माण कम होता है।
अपने दिन के दौरान पानी की अधिकतम मात्रा को पीने का प्रयास करें, विशेष रूप से भोजन के समय के बाद, ताकि खाद्य संद और बैक्टीरिया को धो दिया जा सके।
टॉन्सिल स्टोन्स का इलाज
टॉन्सिल स्टोन्स का इलाज विभिन्न प्रकार के उपायों का उपयोग करता है, जो गंभीरता के आधार पर अलग हो सकते हैं।
घरेलू उपचार: छोटे और असंगत टॉन्सिल स्टोन्स के लिए, घरेलू उपचार काम कर सकते हैं, जैसे कि गरम पानी गर्गल, स्टीम, और उपयुक्त मुंह में स्वांग करना।
गरम पानी गर्गल अद्भुत ढंग से संद को निकालता है और टॉन्सिल स्टोन्स के गठन को रोकता है।
स्टीमिंग और स्वांग मुंह में बैक्टीरियल लोड को कम करता है और संद को हटाता है, जो टॉन्सिल स्टोन्स के गठन की संभावना को कम कर सकता है।
दवाइयाँ: बड़े और परेशान करने वाले टॉन्सिल स्टोन्स के लिए, डॉक्टर आपको उचित दवाइयों का प्रेस्क्रिप्शन कर सकते हैं, जैसे कि एंटीबायोटिक्स या कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स।
एंटीबायोटिक्स संद को खत्म करने और इन्फेक्शन को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं, जो टॉन्सिल स्टोन्स के गठन के प्रकरण को बंद कर सकते हैं।
कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स संद के लिए शांति और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं, जो टॉन्सिल स्टोन्स के साथ जुड़े दर्द और असहजता को कम कर सकते हैं।
ऑपरेशन: बड़े और असंगत टॉन्सिल स्टोन्स जो उपर्युक्त उपचार से प्रतिसाद नहीं दे रहे हैं, उन्हें साधारण रूप से टॉन्सिलेक्टोमी के माध्यम से हटाया जाता है।
टॉन्सिलेक्टोमी एक आम ऑपरेशन है जिसमें टॉन्सिलों को हटा दिया जाता है, जो स्थायी रूप से टॉन्सिल स्टोन्स के गठन को रोक सकता है।
यह ऑपरेशन आमतौर पर स्थानीय या जनरल एनेस्थेटिक के साथ किया जाता है और डॉक्टर के निर्देशानुसार किया जाता है।
समापन
टॉन्सिल स्टोन्स को संभावना से पहचान करना और इसे ठीक करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि आप अच्छी मौखिक स्वच्छता और स्वस्थ जीवनशैली को पालन करें। नियमित ब्रशिंग, फ्लॉसिंग, पानी पीना, और स्वस्थ आहार अभ्यास करना टॉन्सिल स्टोन्स के गठन को रोकने में मदद कर सकता है और आपको मुंह की स्वास्थ्य को संरक्षित रख सकता है। अगर आपको लगता है कि आप टॉन्सिल स्टोन्स के साथ जूझ रहे हैं, तो डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है, ताकि उचित निदान और उपचार प्राप्त किया जा सके।
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कार्डियक टैम्पोनैड: लक्षणों को पहचानना
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कार्डियक टैम्पोनैड एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है, जिसमें हृदय के चारों ओर की थैली में तरल पदार्थ जमा हो जाता है, जिससे उस पर दबाव पड़ता है और उसका कार्य प्रभावित होता है। लक्षणों के बारे में जागरूक होना जीवन रक्षक हो सकता है। इन पर ध्यान दें:
चिंता और बेचैनी: आसन्न विनाश या बेचैनी की भावना। सीने में दर्द: उरोस्थि के पीछे तेज या चुभने वाला दर्द। सांस लेने में समस्या: सांस लेने में कठिनाई, सांस फूलना। बेहोशी: अचानक चेतना का खो जाना। अनियमित हृदय गति: हृदय की लय में ध्यान देने योग्य परिवर्तन। पीली, ग्रे या नीली त्वचा: रक्त में ऑक्सीजन की कमी के संकेत।
यदि आप या आपका कोई परिचित इन लक्षणों का अनुभव करता है, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेना महत्वपूर्ण है।
पेशेवर परामर्श के लिए, आप सुकून हार्ट केयर, सैनिक मार्केट, मेन रोड, रांची, झारखंड: 834001 में Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology) से संपर्क कर सकते हैं। संपर्क करें: 6200784486। अधिक जानकार�� drfarhancardiologist.com पर उपलब्ध है।
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medanta1 · 6 months
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एनीमिया एक स्थिति है जिसमें शरीर में खून में हेमोग्लोबिन की मात्रा कम होती है, जो कि ऑक्सीजन को शरीर के ऊतकों तक पहुंचाने में मदद करता है। यह असामान्य होमोग्लोबिन स्तर के कारण हो सकता है, जिसकी वजह से शरीर के ऊतकों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। इसकी मुख्य वजहें खून की कमी, खानपान में पोषक तत्वों की कमी, या खून की निर्माण में बाधा हो सकती हैं। एनीमिया के कुछ सामान्य कारण हैं जैसे कि आयरन, फोलेट या विटामिन बी12 की कमी, असामान्य खून की हार्मोनल उत्पादन, असामान्य खून की नष्टी या बाधा, और गर्भावस्था में आयरन की जरूरत का वृद्धि। ���ह स्थिति उपचार के लिए चिकित्सा परामर्श की आवश्यकता पाती है ताकि उचित उपाय किया जा सके।
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medicosutra · 8 months
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मुर्गे की कलेजी खाने के फायदे; और नुकसान Chikan liver health benefits, in hindi
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मुर्गे की कलेजी खाने के फायदे और नुकसान क्या-क्या होते हैं मुर्गे की कलेजी में अनेक प्रकार के विटामिन, मिनरल्स जैसे कि जिंक, कॉपर मैंगनीज, पोटैशियम, मैग्निशियम, फैट, प्रोटीन व ओमेगा एसिड पाया जाता है, आइए अब जानते हैं मुर्गे की कलेजी खाने के फायदे कौन-कौन से होते हैं  मुर्गे की कलेजी खाने के फायदे मिल सकते हैं दरअसल मुर्गे की कलेजी में आयरन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है जो खून को बढ़ाने का कार्य करता है शरीर में आयरन की प्रचुर मात्रा होने से हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन और आयरन तीनों के बीच परस्पर संबंध सही प्रकार से बना रहता है और हमें ऊर्जा मिलती है इसलिए जिनका खून की कमी है या बार-बार थकान महसूस होती है उन्हें मुर्गे की कलेजी खाने से फायदे मिल सकते हैं Read more..
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विटामिन D और B12 का महत्व
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विटामिन डी और विटामिन बी12, दोनों ही महत्वपूर्ण विटामिन्स हैं जो हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। इन विटामिन्स का सही संतुलन हमारे हड्डियों, इम्यून सिस्टम, न्यूरोलॉजिकल फ़ंक्शन, रक्तनिर्माण, और ऊर्जा उत्पत्ति  में मदद करता है। इसके बिना, हमारे शरीर की कई क्रियाएँ प्रभावित होती हैं, जिससे स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है। इसलिए, इन विटामिन्स की भरपूर आपूर्ति हमारी दैहिक और मानसिक रूप से सुखद जीवनशैली के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
विटामिन डी:
कैल्शियम आवश्यकता: 
यह विटामिन कैल्शियम के संचार में सहारा प्रदान करता है, जो सबसे महत्वपूर्ण खनिज है। विटामिन डी के अभाव में हड्डियाँ कमजोर हो सकती हैं और दाँतों  में समस्याएं उत्पन्न होती  हैं। सही मात्रा में विटामिन डी से हड्डियों को मजबूती मिलती है और कैल्शियम का संतुलन बना रहता है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।
मजबूत हड्डियाँ:
 विटामिन डी की उपस्थिति से हड्डियाँ मजबूत होती हैं, जो स्वस्थ जीवन जीने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
मजबूत हड्डियाँ विटामिन डी के महत्वपूर्ण योगदान से होती हैं। यह विटामिन शरीर को स्वस्थ रखने में  मदद करता है, जिससे हड्डियाँ मजबूत और स्वस्थ रहती हैं। विटामिन डी की उपस्थिति में कैल्शियम को सही से अवश्रित किया जाता है, जिससे हड्डियाँ आपस में मजबूती प्राप्त करती हैं और इससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों की संभावना कम होती है। विटामिन डी का नियमित संबंध रखना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इम्यून सिस्टम का समर्थन: 
विटामिन डी इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करके विभिन्न बीमारियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है।
विटामिन डी इम्यून सिस्टम को सहयोग प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विटामिन शरीर को बाहरी कीटाणुओं और रोगों के खिलाफ लड़ने के लिए आवश्यक होता है और इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करता है। विटामिन डी की उपस्थिति में शरीर में अधिक अंतिरक्षक कार्यवाही होती है, जिससे संक्रमणों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। सही स्तर पर विटामिन डी की देखभाल से शरीर रोगों के प्रति प्रतिरक्षा बढ़ाता है और इम्यून सिस्टम को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
मानसिक स्वास्थ्य:
विटामिन डी मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है। इसकी उपस्थिति मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करती है। विटामिन डी की कमी से डिप्रेशन और अन्य मानसिक समस्याएं होती  हैं। यह विटामिन सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। सूर्य की किरणों से विटामिन डी मिलता है और यह मूड को सुधारने, तनाव को कम करने, और मानसिक चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है। इससे मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए सुरक्षा मिलती है।
विटामिन बी12:
रक्तनिर्माण:
विटामिन बी12 रक्तनलिका की निर्माण में मदद करता है, जिससे होमोग्लोबिन उत्पन्न होता है और शरीर को ऑक्सीजन पहुंचता है।
विटामिन बी12 रक्तनिर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विटामिन शरीर में लाल रक्तकोशिकाओं के निर्माण में सहायक है, जो कि रक्त समृद्धि को सुनिश्चित करता है। बी12 की उपस्थिति में होमोग्लोबिन उत्पन्न होता है, जो शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है। इससे अनीमिया और अन्य रक्त संबंधित समस्याएं कम होती हैं और व्यक्ति में ऊर्जा स्तर भी बना रहता है। विटामिन बी12 के योगदान से रक्तनिर्माण को सुनिश्चित करना हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
न्यूरोलॉजिकल फ़ंक्शन:
 बी12 न्यूरोन्स के सही संचार के लिए आवश्यक है, जिससे शरीर के न्यूरोलॉजिकल फ़ंक्शन को सही ढंग से बनाए रखा जा सकता है।
विटामिन बी12 न्यूरोलॉजिकल फ़ंक्शन के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है। यह विटामिन शरीर के न्यूरोन्स के सही संचार को सुनिश्चित करने में मदद करता है, जिससे स्वस्थ न्यूरोलॉजिकल फ़ंक्शन बना रहता है। बी12 की कमी से डीटीरीयम की गतिविधि में कमी हो सकती है, जिससे न्यूरोन्स का स्थायीता प्रभावित होता है। इससे मानसिक स्थिति, समझदारी, और संवेदनशीलता पर भी असर होता है। विटामिन बी12 की उचित मात्रा से यह निश्चित करता है कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों ही सही रहता है।
डीटीरीयम शरीर में आवश्यक न्यूरोन्स का स्थायीता: 
विटामिन बी12 डीटीरीयम की शरीर में आवश्यक न्यूरोन्स के स्थायीता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बी12 का सही स्तर बनाए रखना आवश्यक है ताकि डीटीरीयम, जो एक प्रमुख न्यूरोन्स है, की सही गतिविधि हो सके। यह विटामिन न्यूरोलॉजिकल फ़ंक्शन को सुनिश्चित करता है और सोचने, समझने, और न्यूरोलॉजिकल कार्यों को सही रखने में सहायक है। डीटीरीयम की सही संचारशीलता विटामिन बी12 के सही स्तर से ही संभव है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित किया जाता  है।
एनर्जी उत्पत्ति 
विटामिन बी12 का एक महत्वपूर्ण कार्य है एनर्जी की उत्पत्ति में सहायक होना। बी12 शरीर में उपस्थित रासायनिक प्रक्रियाओं में भागीदारी करके अमीनो एसिड की भरपूर उत्पत्ति में मदद करता है, जो ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए आवश्यक है। इससे शरीर को स्थिर ऊर्जा स्तर बना रहने में मदद मिलती है और व्यक्ति दिनभर की गतिविधियों को सहने में सक्षम रहता है। विटामिन बी12 की यह विशेष विशेषता शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए एकमात्र नहीं, बल्कि ऊर्जा प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
इन विटामिन्स की कमी से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, इसलिए सही मात्रा में आपकी डाइट में इन्हें शामिल करना महत्वपूर्ण है। यदि किसीको इस विटामिन्स की कमी है, तो उन्हें उचित चिकित्सकीय सला�� के साथ सप्लीमेंट  का इस्तेमाल करना चाहिए।
समापन: 
समाप्ति में, विटामिन डी और बी12 शरीर के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन विटामिन्स की उचित मात्रा से हड्डियाँ मजबूत रहती हैं, इम्यून सिस्टम सुरक्षित रहता है, न्यूरोलॉजिकल फ़ंक्शन सही रूप से काम करता है, रक्तनिर्माण में मदद करते हैं, और ऊर्जा उत्पन्नि में सहायक होते हैं। इन विटामिन्स के सही स्तर का सुनिश्चित करके हम स्वस्थ जीवन जी सकते हैं और बीमारियों से बच सकते हैं।
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abhinews1 · 1 year
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वृक्ष गुरुजन के नाम अभियान के शुभारंभ अवसर प��� बी.एस.ए. इंजीनियरिंग कॉलेज के रजिस्ट्रार भगवान सिंह ने विचार व्यक्त किये
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वृक्ष गुरुजन के नाम अभियान के शुभारंभ अवसर पर बी.एस.ए. इंजीनियरिंग कॉलेज के रजिस्ट्रार भगवान सिंह ने विचार व्यक्त किये
वृक्ष हमारे जीवन की सबसे पहली आवश्यकता है। अगर पेड़ हैं तो ऑक्सीजन है और जिंदगी है। जिंदगी में एक वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए। यह विचार एक वृक्ष गुरुजन के नाम अभियान के शुभारंभ अवसर पर बी.एस.ए. इंजीनियरिंग कॉलेज के रजिस्ट्रार भगवान सिंह ने व्यक्त किये। सामाजिक संस्था आदर्श युवा समिति मथुरा की विशेष कार्य परियोजना आदर्श संस्कार शाला द्वारा शिक्षकों के मान सम्मान को समर्पित विशेष महा अभियान एक वृक्ष गुरुजन के नाम के शुभारंभ अवसर पर युवाओं को संबोधित करते हुए वरिष्ठ समाज सेवी अनिल अग्रवाल ने कहा कि जीवन की खुशियां तभी तक है जब तक हरियाली है। आगे आने वाले समय में आक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए आवश्यक है हम एक पेड़ को लगाकर स्वयं के श्रम से उसे पुल्कित पल्लवित करें। कार्यक्रम में -मथुरा जनपद की दो बालिकाओं को ब्रांड एंबेसडर बनाया गया। कु. दिव्या और दिव्यांशी द्वारा पेडों की उपयोगिता पर चर्चा की गयी। सभी से इस अभियान को आगे बढ़ाने में सहयोग करने की अपील की गयी।. कार्यक्रम के संयोजक निखिल अग्रवाल प्रधानाचार्य द्वारा बताया गया कि आदर्श संस्कार शाला के द्वारा 5 सितम्बर से मथुरा जनपद में आम जन और युवा विद्यार्थियों के सहयोग से 11000 वृक्ष के रोपड़ और उनको संचित कर पुष्पित पल्लवित करने का महा अभियान आज प्रारंभ किया गया। इस अभियान में CAREER ADDA IAS विवेकानंद शिक्षण संस्थान समूह, जे. बी. ग्रीन फाउन्डेशन के सहयोग से यह महाअभियान चलाया जा रहा है। कार्यक्रम के सह संयोजक लकी चौधरी ने बताया मथुरा के 10 ब्लॉक में इस अभियान को चलाया जायेगा। 11000 बच्चों के सहयोग से 11000 वृक्षों का रोपड़ किया जायेगा और उन बच्चों को सम्मानित किया जायेगा।. जे.बी. ग्रीन फाउंडेशन जगराम यादव जी वृक्षों की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमको अपने जीवन काल में एक वृक्ष का रोपण अवश्य करें। अतिथियों का स्वागत अतुल उपाध्याय. कृष्णा कौजगर ने अतिथियों का स्वागत किया धन्यवाद ज्ञापन अतुल उपाध्याय ने किया। कृष्णा फौजदार ने बताया कि वृक्ष और गुरु के सम्मान से जुड़े इस अभियान से जुडकार हम गुरुजन के प्रति सम्मान के साथ ही प्रकृति संरक्षण के कार्य को राष्ट्रहित से जोड़ सकते हैं। पारस एकेडमी के संचालक कुलदीप फौजदार ने बताया की एक वृक्ष एक हजार पुत्र के समान होता है अतः इनका पूर्ण सरक्षण और उनसे प्रेम करना चाहिए। इस अवसर पर, दीपक पाठक, आदित्य सारस्वत, शरद द्विवेदी, सिंकदर गुर्जर तनु उपाध्याय अनमोल, आशीष तिवारी, पीसी पाठक, एडवोकेट विकाश पाराशर, शुशील अग्रवाल, भरत गर्ग, राहुल अग्रवाल, डॉली कल्पना,पूनम, रचना, आयुशी, शिवाली, पूनम, अंजली, अदिति, सोनू, अदिति, हरिकेश,शिवा फौजदार, अर्जुन, मानवेंद्र, अमित, आदि उपस्थित रहे l कार्यक्रम का संचालन दीपक कुमार गोस्वामी ने किया।
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saltyloverrebel · 1 year
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एनीमिया के कारण, लक्षण और होम्योपैथी उपचार
एनीमिया के लक्षण और कारण एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के ऊतकों तक पर्याप्त ऑक्सीजन ले जाने के लिए आपके पास पर्याप्त स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं नहीं होती हैं। एनीमिया होने से आपको थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है। लक्षण: यदि आप आईने में देखते हुए अपनी निचली पलक को नीचे की ओर खींचते हैं, तो अंदर की परत एक जीवंत लाल रंग की होनी चाहिए। यदि यह बहुत हल्का गुलाबी या पीला है, तो आपको आयरन की कमी हो…
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imsaki07 · 1 year
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मनाली से लेह के सफर पर निकले दो पर्यटकों की मौत, यह है वजह
हिमाचल प्रदेश के मनाली से लेह के सफर पर निकले दो पर्यटकों की सरचू और जिंगजिंगबार में मौत हो गई है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के रहने वाले इन दो पर्यटकों की ऑक्सीजन की कमी की वजह से जान चली गई। दोनों पर्यटक लेह के सफर पर निकले थे। अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र सरचू पास और जिंगजिंगबार में ऑक्सीजन की कमी होने के कारण इनका स्वास्थ्य बिगड़ गया। पुलिस ने दोनों पर्यटकों के शव कब्जे में लिए हैं, जिन्हें…
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