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#कश्मीर हमला
trendingwatch · 2 years
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जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादी हमले में सिपाही शहीद, सीआरपीएफ जवान घायल
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादी हमले में सिपाही शहीद, सीआरपीएफ जवान घायल
द्वारा पीटीआई श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में रविवार को सुरक्षा बलों के एक दल पर आतंकवादियों के हमले में एक पुलिसकर्मी शहीद हो गया और सीआरपीएफ का एक जवान घायल हो गया. पुलिस ने यह जानकारी दी. हमला दक्षिण कश्मीर जिले के पिंगलाना इलाके में हुआ। कश्मीर जोन पुलिस ने एक ट्वीट में कहा, “आतंकवादियों ने पुलवामा के पिंगलाना में सीआरपीएफ और पुलिस की संयुक्त नाका पार्टी पर गोलियां चलाईं। इस आतंकी…
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mwsnewshindi · 2 years
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जम्मू-कश्मीर सेना कैंप हमले में कार्रवाई में 3 सैनिक मारे गए, 2 आतंकवादी मारे गए
जम्मू-कश्मीर सेना कैंप हमले में कार्रवाई में 3 सैनिक मारे गए, 2 आतंकवादी मारे गए
पुलिस ने कहा कि आतंकी हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी समूह है श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के राजौरी में सेना के एक शिविर पर तड़के हुए हमले में तीन जवान शहीद हो गए और दो घायल हो गए। सेना के शिविर में प्रवेश करने के लिए बाड़ लगाने की कोशिश कर रहे दो आतंकवादियों को मार गिराया गया। इस बड़ी कहानी के लिए आपकी 10-सूत्रीय चीटशीट इस प्रकार है: अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मुकेश सिंह ने कहा, “कुछ आतंकवादियों…
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deenihacker · 12 days
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When small children were being killed in Rafah (Gaza), the Hindu community of India was happy to see their dead bodies and were making fun of them. Someone was saying, bomb two or four more, Israel should complete the century, they have killed less and should have killed.
Today, (9 June 2024)when terrorists attacked a bus full of Hindu pilgrims in Jammu and Kashmir and killed innocent people and children, these same people are shedding crocodile tears after seeing their dead bodies.
Everyone is hurt when innocent children are killed. It hurts when Muslim children are killed in Gaza. People who laugh when people of your own religion are killed, tears well up in the eyes the way they were killed in the terrorist attack in Reasi. The people and children were innocent people, similarly the children killed in Rafah are innocent people.
Hindi -
जब Rafah (Gaza) मे छोटे छोटे बच्चे babies मारे जा रहे थे उनकी लाशों को देख कर भारत के हिंदू समाज खुश हो रहे थे मज़ाक उड़ा रहे थे कोई बोलता दो चार और बॉम्ब मारदो इसराइल सेंचुरी पूरी करो कम मारे है और मारने चाहिए थे
आज (9 June 2024) जब जम्मू कश्मीर में हिंदू तीर्थयात्रियों से भरी बस पर आतंकवादियों ने हमला कर के बेकसूर मासूम लोगों बच्चों को मार डाला उनकी लाशों को देखकर यही लोग मगरमच्छ के आंसू बहा रहे है
तकलीफ़ सबको होती है जब मासूम लोग बच्चे मारे जाते है तो तकलीफ़ होती है जब मुस्लिम बच्चे gaza में मारे जाने पर हसने वाले लोग जब खुद तुम्हारे धर्म के लोग मारे गए तो आसूं आया ना आखों में जिस तरीके से Reasi में आतंकवादी हमले में मारे गय लोग बच्चे बेकसूर मासूम थे उसी तरह Rafah में मारे गए बच्चे लोग बेकसूर मासूम हैं
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navabharat · 12 days
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जम्मू-कश्मीर बस आतंकी हमला: 50 लोग हिरासत में, जांच का दायरा दूरस्थ क्षेत्रों तक बढ़ाया गया
जम्मू. जम्मू कश्मीर के रियासी जिले में हाल में तीर्थयात्रियों से भरी एक बस पर हुए आतंकवादी हमले की जांच के सिलसिले में 50 लोगों को हिरासत में लिया गया है. पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. पुलिस ने कहा कि समग्र जांच सुनिश्चित करने के वास्ते आतंकवादियों की धर-पकड़ के लिए तलाशी अभियान का दायरा रियासी जिले के अरनास और माहौर जैसे दूर दराज के क्षेत्रों तक बढ़ाया गया है जो 1995 और 2005 के बीच…
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pniindia · 15 days
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जम्मू-कश्मीर में तीर्थयात्रियों पर आतंकी हमला,अब तक 9 लोगो की जा चुकी जान, जानिए पूरा मामला
Jammu Kashmir Terror Attack: कल 9 जून का दिन जहाँ बेहद खास था वहीं एक ऐसी खबर ने सबको हिला कर रख दिया है। बीते दिन नरेंद्र मोदी ने जहाँ पीएम पद की शपथ ली और भारतीय क्रिकेट टीम ने पकिस्तान को हरा कर न्यूयॉर्क में जीत का झंडा लहराया तो वहीं जम्मू-कश्मीर में आतंकी दर्दनाक हमला हुआ जिसके चपेट में अब तक कई लोगो की जानें जा चुकी है। जी हाँ शिवखोड़ी से कटरा की ओर जा रही बस पर आतंकियों ने करीब 30 से 40 राउंड फायरिंग की। आतंकियों की फायरिंग में बस ड्राइवर को एक गोली लग गई, जिससे ड्राइवर ने गाड़ी पर संतुलन खो दिया और बस गहरी खाई में गिर गई।
दरअसल तीर्थयात्री शिवखोड़ी में भोले बाबा के दर्शन करने के बाद ये बस वापस कटरा लौट रही थी। बस में करीबन 40 से 50 तीर्थ यात्री सवार थे। अचानक से जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में दो से तीन आतंकियों ने बस पर हमला कर दिया। आतंकियों ने बस पर लगातार 30 से 40 राउंड फायरिंग की, फायरिंग में एक गोली बस ड्राइवर को लग गयी जिसके बाद बस खाई में जा गिरा।
बताया जा रहा है कि इस हादसे में अब तक 9 लोगों की जान जा चुकी है और 33 लोग घायल हुए हैं। घायल व्यक्तियों को तत्काल नारायणा हॉस्पिटल और रियासी जिला अस्पताल भेजा गया है। जहाँ उनका इलाज जारी है।
सूत्रों के मुताबकि, ये आतंकी पाकिस्तानी मूल के हैं, जिन्होंने ये हमला किया है। इस मामले की जांच की जा रही है तो वहीं, तीसरी आंख यानी कि ड्रोन से भी घने जंगलों को खंगाल जा रहा है ताकी इन जंगलों में जितने भी आतंकी छुपे हुए हैं उनको ढूंढा जाए। साथ ही साथ उनका खात्मा किया जा सके। बता दें इस हमले के बाद बस की आस पास की तस्वीरें सामने आई है। जिसमे देखा जा सकता है कि कई लोगों का शव जहां तहां पड़े दिखाई दिए। शव क्षत-विक्षत हालात में मिले। इन शवों में कुछ बच्चों के शव भी शामिल थे।
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बता दें बस में सवार तीर्थ यात्री उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान से बताये बताये जा रहे है। आतंकियों को खोजने के लिए सर्च ऑपरेशन चला दिया गया है। पुरे इलाके की घेराबंदी की गई है और तलाश भी जारी है।
पीएम मोदी और अमित शाह ने जताया शोक
इस हादसे को सुनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने शोक जताते हुए घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की है। साथ ही अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल और डीजीपी से बात कर इस पुरे मामले की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि हमले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और उन्हें कानून के शिकंजे में डाला जाएगा। इस बात की जानकारी जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने ट्वीट के माध्यम से बताया है उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने स्थिति की जानकारी ली और हालात पर नजर रखने को कहा है। साथ ही सभी घायलों के बेहतर इलाज और मदद के निर्देश दिए हैं।
इस घटना को लेकर राहुल गांधी ने आतंकवादी हमले को कायरतापूर्ण बताया है उन्होंने कहा कि पूरा देश एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ खड़ा है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने रियासी आतंकी हमले की निंदा करते हुए कहा है कि जिन इलाकों से आतंकियों को हटा दिया गया था, वहां फिर से वापसी हो गई है।
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aamaadmipatrika · 15 days
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जम्मू मेें बस पर आतंकी हमला, नौ श्रद्धालु मरे
जम्मू . जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में रविवार शाम आतंकवादियों ने उत्तर प्रदेश के श्रद्धालुओं को ले जा रही एक बस पर गोलीबारी की, जिससे बस खाई में जा गिरी. इस घटना में नौ लोगों की मौत हो गई और 33 अन्य घायल हुए हैं. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी. बस शिव खोड़ी मंदिर से कटरा स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर जा रही थी और इसी दौरान पोनी इलाके के तेरयाथ गांव के पास शाम करीब छह बजकर 15 मिनट पर…
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specialcoveragenews · 16 days
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जम्मू-कश्मीर: शिवखोड़ी गुफा के दर्शन करने जा रहे श्रद्धालुओं की बस पर आतंकी हमला! 10 लोगों की मौत
http://dlvr.it/T82th0
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5gdiginews · 2 months
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1 IAF soldier killed, 4 injured in terror attack ahead of polls in Poonch
4 मई, 2024 को पुंछ सेक्टर में आतंकवादियों के हमले की चपेट में आया भारतीय वायु सेना का वाहन। (फोटो: एएनआई) 5 मिनट पढ़ें आखरी अपडेट : 04 मई 2024 | 11:37 अपराह्न प्रथम अनंतनाग-राजौरी लोकसभा क्षेत्र में मतदान से तीन सप्ताह पहले शनिवार को जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में आतंकवादियों ने भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के काफिले पर घात लगाकर हमला किया, जिसमें एक सैनिक की मौत हो गई और चार घायल हो गए। पुंछ…
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dainiksamachar · 2 months
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कश्मीरी अलगाववादियों पर NIA और ED के एक्शन से भड़का पाकिस्तान, भारत के खिलाफ उगला जहर
इस्लामाबाद: कश्मीरी अलगाववादियों के खिलाफ भारतीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई से पाकिस्तान बिलबिला रहा है। पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भारत की निंदा की और कार्रवाई को अवैध बताया। इतना ही नहीं, विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने यहां तक दावा किया कि कश्मीर में भारत की इन कठोर कार्रवाइयों का कोई असर नहीं होगा और इनका विफल होना तय है। पिछले कुछ वर्षों में जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों और जांच एजेंसियों ने जबरदस्त कर्रवाइयां की है। इससे आतंकवाद और भारत विरोधी एजेंडा चलाने वालों की कमर टूट गई है। इनमें से कई लोगों का पाकिस्तान से सीधा संबंध बताया जाता है। यही कारण है कि पाकिस्तान इतना बिलबिला रहा है। पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने क्या कहा पाकिस्तानी विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने कहा, “पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में कश्मीरियों पर हमला करने और उनकी संपत्तियों को जब्त करने के भारत के निरंतर अभियान की कड़ी निंदा करता है। वास्तविकता यह है कि कठोर बयान और औपनिवेशिक रणनीतिया आजादी के लिए कश्मीरियों के दृढ़ संकल्प को कुचलने में असफल रही हैं, और इन उपायों को भविष्य में इसी तरह के परिणामों का सामना करना पड़ेगा।” उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुसार जम्मू-कश्मीर विवाद के उचित और शांतिपूर्ण समाधान के लिए कश्मीरियों को राजनीतिक, राजनयिक और नैतिक समर्थन देना जारी रखने के पाकिस्तान के दृढ़ संकल्प को दोहराया। कश्मीर में प्राकृतिक आपदाओं पर जताया दुख चूंकि जम्मू और कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में हाल ही में भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन हुआ, जिसके परिणामस्वरूप जीवन और संपत्ति का नुकसान हुआ। इस पर पाकिस्तानी प्रवक्ता ने इन आपदाओं के पीड़ितों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की और मृतकों की शाश्वत शांति के लिए प्रार्थना की और चोटिल लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। लेकिन, पाकिस्तानी प्रवक्ता ने यह नहीं बताया कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ितों की सहायता के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। ऐसी भी रिपोर्ट्स हैं कि पीओके में सरकारी कर्मचारियों को वेतन तक नहीं मिल पा रहा है और लोग रोजमर्रा की चीजों के लिए भटक रहे हैं। http://dlvr.it/T6KJRJ
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trendingwatch · 2 years
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वीडियो: "मैंने पीएम मोदी को कच्चा आदमी समझा, लेकिन..." - संसद में आंसू बहाए गुलाम नबी आजाद
वीडियो: “मैंने पीएम मोदी को कच्चा आदमी समझा, लेकिन…” – संसद में आंसू बहाए गुलाम नबी आजाद
गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस छोड़ने के बाद नई दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए अपनी पार्टी शुरू करने के लिए तैयार हैं। नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने आज बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदाई भाषण के दौरान संसद में आंसू क्यों बहाए, जब पिछले साल श्री आजाद का राज्यसभा कार्यकाल समाप्त हो गया था। पिछले हफ्ते श्री आजाद के कांग्रेस छोड़ने के बाद से आंसू फिर से खबर बना रहे…
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lawspark · 4 months
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IPC NOTES
IPC NOTES
धारा 1 - संहिता का नाम और उसके प्रवर्तन का विस्तार *धारा 1: भारतीय दंड संहिता का नाम और विस्तार** भारतीय दंड संहिता को संक्षेप में आईपीसी भी कहा जाता है। * आईपीसी एक कानून है जो भारत में होने वाले अपराधों और उनके लिए सजा का प्रावधान करता है। * आईपीसी 1 जनवरी, 1862 से पूरे भारत में लागू है, सिवाय जम्मू और कश्मीर के। * जम्मू और कश्मीर में आईपीसी 31 अक्टूबर, 2019 से लागू हुई है, जब भारत सरकार ने वहां संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया था। * आईपीसी में कुल 511 धाराएं हैं, जो 23 अध्यायों में विभाजित हैं। * आईपीसी की पहली धारा संहिता का नाम और विस्तार बताती है।*उदाहरण:** अगर कोई व्यक्ति किसी की हत्या करता है, तो उसे आईपीसी की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास या मौत की सजा हो सकती है। * अगर कोई व्यक्ति किसी के साथ बलात्कार करता है, तो उसे आईपीसी की धारा 376 के तहत आजीवन कारावास या 10 साल तक की सजा हो सकती है। * अगर कोई व्यक्ति किसी की जेब से पर्स चुराता है, तो उसे आईपीसी की धारा 379 के तहत 3 साल तक की सजा हो सकती है।*संबंधित कानून:** आईपीसी के अलावा, भारत में कई अन्य कानून हैं जो अपराधों और उनकी सजा का प्रावधान करते हैं। * इन कानूनों में भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), साक्ष्य अधिनियम, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और अन्य शामिल हैं। * ये सभी कानून मिलकर भारत में अपराधों को नियंत्रित करने और अपराधियों को सजा देने का काम करते हैं। धारा 2 - भारत के भीतर किए गए अपराधों का दण्ड धारा 2, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) इस सिद्धांत को निर्धारित करती है कि किसी भी अपराध के लिए दंडित किए जाने के लिए, अपराध को भारत के भीतर किया जाना चाहिए। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति भारत के बाहर अपराध करता है, तो उसे उस अपराध के लिए भारत में दंडित नहीं किया जा सकता है।धारा 2 में निम्नलिखित प्रमुख तत्व हैं:* अपराध भारत के भीतर किया जाना चाहिए। * अपराधी को भारत के भीतर दोषी ठहराया जाना चाहिए। * अपराधी को भारतीय दंड संहिता के तहत दंडित किया जाना चाहिए।धारा 2 के कुछ उदाहरण यहां दिए गए हैं:* अगर कोई व्यक्ति भारत में हत्या करता है, तो उसे भारत में हत्या के लिए दंडित किया जा सकता है। * अगर कोई व्यक्ति भारत में चोरी करता है, तो उसे भारत में चोरी के लिए दंडित किया जा सकता है। * अगर कोई व्यक्ति भारत में बलात्कार करता है, तो उसे भारत में बलात्कार के लिए दंडित किया जा सकता है।धारा 2 के अपवाद भी हैं। कुछ अपराध ऐसे हैं जिन्हें भारत के बाहर भी किया जा सकता है, लेकिन फिर भी भारत में दंडनीय हैं। इन अपराधों में शामिल हैं:* भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ना। * भारत की सरकार को उखाड़ फेंकने का प्रयास। * भारत के राष्ट्रपति या प्रधान मंत्री की हत्या। * भारत में राजनयिक मिशन या वाणिज्य दूतावास पर हमला।धारा 2 भारतीय दंड संहिता का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो सुनिश्चित करता है कि भारत में केवल भारत के भीतर किए गए अपराधों के लिए ही दंडित किया जा सकता है। धारा 3 - भारत से परे किए गए किन्तु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अफराधों का दण्ड *धारा 3, भारतीय दंड संहिता: भारत से परे किए गए अपराधों का दंड**सादे शब्दों में:*धारा 3 IPC के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति भारत से बाहर कोई अपराध करता है, लेकिन उस अपराध पर भारतीय कानून के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है, तो उस व्यक्ति पर उसी तरह से मुकदमा चलाया जाएगा जैसे कि उसने वह अपराध भारत में ही किया हो।*उदाहरण:** अगर कोई भारतीय नागरिक दूसरे देश में किसी भारतीय नागरिक की हत्या करता है, तो उस पर भारत में हत्या के आरोप में मुकदमा चलाया जा सकता है। * अगर कोई विदेशी नागरिक भारत में किसी भारतीय नागरिक की चोरी करता है, तो उस पर भारत में चोरी के आरोप में मुकदमा चलाया जा सकता है। * अगर कोई भारतीय नागरिक दूसरे देश में किसी विदेशी नागरिक की हत्या करता है, और वह भारतीय नागरिक भारत वापस आ जाता है, तो उस पर भारत में हत्या के आरोप में मुकदमा चलाया जा सकता है।*संबंधित धाराएँ:** धारा 4 IPC: अपराध किस जगह किया गया, यह निर्धारित करने के लिए नियम। * धारा 5 IPC: अपराध किस समय किया गया, यह निर्धारित करने के लिए नियम। * धारा 6 IPC: अपराधी की मृत्यु हो जाने पर भी अपराध के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है। * धारा 7 IPC: अपराध की साजिश रचने या भड़काने के लिए भी मुकदमा चलाया जा सकता है।*निष्कर्ष:*धारा 3 IPC यह सुनिश्चित करती है कि भारत से बाहर किए गए अपराधों के लिए भी अपराधियों को सजा दी जा सके। यह धारा भारत के नागरिकों और विदेशी नागरिकों दोनों पर समान रूप से लागू होती है। धारा 4 - राज्यक्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तार *धारा 4 आईपीसी - राज्यक्षेत्रातीत अपराधों पर संहिता का विस्तार*भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 4 भारत के बाहर किए गए अपराधों के लिए भारतीय अदालतों के अधिकार क्षेत्र को निर्धारित करती है। इस धारा के अनुसार, यदि भारत का कोई नागरिक भारत के बाहर कोई अपराध करता है, या यदि भारत में पंजीकृत किसी जहाज या विमान पर कोई व्यक्ति अपराध करता है, तो उस व्यक्ति पर आईपीसी के प्रावधान लागू होंगे और उसे भारत की अदालत में विचारण के लिए लाया जा सकता है।*उदाहरण:** यदि कोई भारतीय नागरिक विदेश में हत्या करता है, तो उसे भारत में हत्या के लिए विचारित और दोषी ठहराया जा सकता है। * यदि कोई व्यक्ति भारत में पंजीकृत जहाज पर चोरी करता है, तो उसे भारत में चोरी के लिए विचारित और दोषी ठहराया जा सकता है।धारा 4 के स्पष्टीकरण में कहा गया है कि "अपराध" शब्द के अंतर्गत भारत के बाहर किया गया ऐसा हर कार्य आता है, जो यदि भारत में किया जाता तो आईपीसी के अधीन दंडनीय होता। इसका मतलब यह है कि धारा 4 केवल उन अपराधों पर लागू होती है जो आईपीसी के तहत दंडनीय हैं।*संबंधित धाराएँ:** आईपीसी की धारा 5: यह धारा उन परिस्थितियों को निर्दिष्ट करती है जिनमें भारत के बाहर किए गए अपराधों के लिए भारतीय अदालतों को अधिकार क्षेत्र नहीं होगा। * आईपीसी की धारा 6: यह धारा उन परिस्थितियों को निर्दिष्ट करती है जिनमें भारत के बाहर किए गए अपराधों के लिए भारतीय अदालतों को अधिकार क्षेत्र होगा। * आईपीसी की धारा 7: यह धारा उन परिस्थितियों को निर्दिष्ट करती है जिनमें भारत के बाहर किए गए अपराधों के लिए भारतीय अदालतों को अधिकार क्षेत्र नहीं होगा, भले ही धारा 6 के तहत भारतीय अदालतों को अधिकार क्षेत्र हो।धारा 4 भारतीय दंड संहिता का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो यह सुनिश्चित करता है कि भारत के बाहर किए गए अपराधों के लिए भारतीय नागरिकों और भारत में पंजीकृत जहाजों या विमानों पर अपराध करने वाले व्यक्तियों को दंडित किया जा सके। धारा 5 - कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जाना धारा 5, भारतीय दंड संहिता: भारत सरकार की सेवा के ऑफिसरों, सैनिकों, नौसैनिकों और वायु सैनिकों को दंडित करने वाले विशेष कानूनधारा 5 कहती है कि इस अधिनियम (IPC) की कोई भी बात निम्नलिखित पर लागू नहीं होगी:- भारत सरकार की सेवा के अधिकारियों द्वारा विद्रोह और अभिजन को दंडित करने वाले किसी अधिनियम के प्रावधान - किसी विशेष या स्थानीय कानून के प्रावधानइसका मतलब यह है कि अगर कोई भारत सरकार का अधिकारी है, सैनिक है, नौसेना का सदस्य है, या वायु सेना का सदस्य है, और वह विद्रोह या अभिजन में शामिल है, तो उसे इस अधिनियम के तहत दंडित नहीं किया जाएगा। इसके बजाय, उसे उस कानून के तहत दंडित किया जाएगा जो विशेष रूप से भारत सरकार के अधिकारियों, सैनिकों, नौसैनिकों और वायु सेना के सदस्यों को दंडित करने के लिए बनाया गया है।उदाहरण के लिए, अगर कोई सैनिक विद्रोह में शामिल है, तो उसे भारतीय दंड संहिता के तहत दंडित नहीं किया जाएगा। इसके बजाय, उसे सैन्य कानून के तहत दंडित किया जाएगा।इसी प्रकार, अगर कोई नौसेना का सदस्य अभिजन में शामिल है, तो उसे भारतीय दंड संहिता के तहत दंडित नहीं किया जाएगा। इसके बजाय, उसे नौसेना कानून के तहत दंडित किया जाएगा।धारा 5 यह सुनिश्चित करती है कि भारत सरकार के अधिकारियों, सैनिकों, नौसैनिकों और वायु सेना के सदस्यों को भारतीय दंड संहिता के तहत दंडित नहीं किया जाएगा, जब तक कि वे भारतीय दंड संहिता के तहत दंडनीय अपराध नहीं करते हैं। धारा 6 - संहिता में की परिभाषाओं का अपवादों के अध्यधीन समझा जाना *धारा 6: परिभाषाओं के अपवाद** यह धारा कहती है कि इस संहिता में हर अपराध की परिभाषा, हर दंड उपबंध और हर ऐसी परिभाषा या दंड उपबंध का हर दृष्टांत, "साधारण अपवाद" शीर्षक वाले अध्याय में शामिल अपवादों के अधीन समझा जाएगा, चाहे उन अपवादों को ऐसी परिभाषा, दंड उपबंध या दृष्टांत में दोहराया न गया हो।* *उदाहरण:* * इस संहिता की वे धाराएं, जिनमें अपराधों की परिभाषाएं शामिल हैं, यह स्पष्ट नहीं करती हैं कि सात वर्ष से कम आयु का बच्चा ऐसे अपराध नहीं कर सकता, लेकिन परिभाषाओं को उस साधारण अपवाद के अधीन समझा जाता है जिसमें यह प्रावधान है कि कोई भी काम, जो सात वर्ष से कम आयु के बच्चे द्वारा किया जाता है, अपराध नहीं है। * क, एक पुलिस अधिकारी, बिना वारंट के, य को पकड़ लेता है, जिसने हत्या की है। यहां क सदोष परिरोध के अपराध का दोषी नहीं है, क्योंकि वह य को पकड़ने के लिए कानून द्वारा बाध्य था, और इसलिए यह मामला उस सामान्य अपवाद के अंतर्गत आता है, जिसमें यह प्रावधान है कि "कोई भी काम अपराध नहीं है जो किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाता है जो उसे करने के लिए कानून द्वारा बाध्य है।"* यह धारा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि अपराध की परिभाषाओं और दंड उपबंधों की व्याख्या करते समय अदालतें "साधारण अपवाद" को ध्यान में रखें। यह यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि अपराधों की परिभाषाओं और दंड उपबंधों की व्याख्या उचित और न्यायसंगत तरीके से की जाए। धारा 7 - एक बार स्पष्टीकॄत पद का भाव *धारा 7 का सरल अर्थ:*धारा 7 के अनुसार, यदि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में किसी शब्द को परिभाषित किया गया है, तो उस शब्द को पूरे आईपीसी में उसी अर्थ में इस्तेमाल किया जाएगा। यह सुनिश्चित करता है कि आईपीसी में इस्तेमाल किए गए शब्दों का मतलब स्पष्ट और सुसंगत हो।*उदाहरण:** धारा 299 में "अपवित्रता" शब्द को परिभाषित किया गया है। इस परिभाषा के अनुसार, अपवित्रता का मतलब है "कोई भी शब्द, इशारा या कृत्य जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है।" इसलिए, आईपीसी में हर जगह "अपवित्रता" शब्द का इस्तेमाल इसी अर्थ में किया जाएगा। * धारा 300 में "हत्या" शब्द को परिभाषित किया गया है। इस परिभाषा के अनुसार, हत्या का मतलब है "किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनना।" इसलिए, आईपीसी में हर जगह "हत्या" शब्द का इस्तेमाल इसी अर्थ में किया जाएगा।*संबंधित धाराएँ:** धारा 3: यह धारा "कारण" शब्द को परिभाषित करती है। * धारा 5: यह धारा "सद्भावना" शब्द को परिभाषित करत�� है। * धारा 6: यह धारा "बाध्यता" शब्द को परिभाषित करती है।*भारतीय दंड संहिता और भारतीय आपराधिक कानून में धारा 7 का महत्व:*धारा 7 आईपीसी में इस्तेमाल किए गए शब्दों के अर्थ को स्पष्ट करती है। यह सुनिश्चित करता है कि आईपीसी को लागू करते समय कोई भ्रम या अनिश्चितता न हो। यह न्यायाधीशों और वकीलों को आईपीसी को सही ढंग से समझने और लागू करने में मदद करता है।धारा 7 आईपीसी की एक महत्वपूर्ण धारा है जो आईपीसी में इस्तेमाल किए गए शब्दों के अर्थ को स्पष्ट करती है। यह सुनिश्चित करता है कि आईपीसी को लागू करते समय कोई भ्रम या अनिश्चितता न हो। यह न्यायाधीशों और वकीलों को आईपीसी को सही ढंग से समझने और लागू करने में मदद करता है। धारा 8 - लिंग धारा 8, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), लिंग-तटस्थ भाषा के उपयोग पर लागू होती है। यह निर्दिष्ट करता है कि जहां किसी व्यक्ति के लिंग को शामिल करने वाला शब्द या वाक्यांश का उपयोग किया जाता है, वहाँ यह दोनों लिंगों के व्यक्तियों पर लागू होगा।*उदाहरण के लिए:*- धारा 300, आईपीसी, "हत्या" को परिभाषित करता है। यदि यह धारा "पुरुष" शब्द का उपयोग करती, तो यह केवल पुरुषों के खिलाफ हत्या के लिए लागू होती। हालाँकि, धारा 8 के कारण, यह धारा महिलाओं के खिलाफ हत्या के लिए भी लागू होती है। - धारा 376, आईपीसी, "बलात्कार" को परिभाषित करता है। यदि यह धारा "पुरुष" शब्द का उपयोग करती, तो यह केवल पुरुषों द्वारा बलात्कार के लिए लागू होती। हालाँकि, धारा 8 के कारण, यह धारा महिलाओं द्वारा बलात्कार के लिए भी लागू होती है।धारा 8 का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए भी किया जाता है कि आईपीसी में निहित विभिन्न अपराधों के दंड दोनों लिंगों के व्यक्तियों के लिए समान हैं। उदाहरण के लिए, धारा 302, आईपीसी, "हत्या" के लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान करती है। यह दंड पुरुषों और महिलाओं दोनों पर समान रूप से लागू होता है।धारा 8 यह सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि आईपीसी लिंग-निरपेक्ष हो और यह पुरुषों और महिलाओं के साथ समान व्यवहार करता हो। यह लैंगिक समानता हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। धारा 9 - वचन धारा 9: एकवचन और बहुवचनभारतीय दंड संहिता की धारा 9 एक व्याख्यात्मक प्रावधान है जो इस बात का मार्गदर्शन करती है कि जब तक संदर्भ से अन्यथा स्पष्ट न हो, एकवचन वाचक शब्दों में बहुवचन भी शामिल है और बहुवचन वाचक शब्दों में एकवचन भी शामिल है। दूसरे शब्दों में, जब कोई कानून एकवचन या बहुवचन शब्द का उपयोग करता है, तो उसका आशय है कि उस शब्द में दोनों संख्याएँ शामिल हैं, जब तक कि कानून के विशिष्ट शब्दांकन या संदर्भ से यह स्पष्ट न हो कि केवल एक संख्या का उल्लेख किया गया है।उदाहरण के लिए, यदि कोई कानून कहता है कि "कोई व्यक्ति जो चोरी करता है उसे कारावास से दंडित किया जाएगा," तो इसका मतलब है कि एक व्यक्ति जो एक वस्तु चुराता है या एक व्यक्ति जो कई वस्तुओं की चोरी करता है, दोनों को कारावास से दंडित किया जाएगा। इसी तरह, यदि कोई कानून कहता है कि "कोई व्यक्ति जो हत्या करता है उसे मौत की सजा दी जाएगी," तो इसका मतलब है कि एक व्यक्ति जो एक व्यक्ति की हत्या करता है या एक व्यक्ति जो कई व्यक्तियों की हत्या करता है, दोनों को मौत की सजा दी जाएगी।धारा 9 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कानून स्पष्ट और संक्षिप्त हों, और यह कि कानूनी प्रक्रिया में अनावश्यक देरी या भ्रम से बचा जाए। धारा 9 यह सुनिश्चित करने में भी मदद करती है कि कानून भेदभावपूर्ण न हो, क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि कानून उन व्यक्तियों पर भी लागू होते हैं जो एकवचन या बहुवचन शब्दों का उपयोग करते हैं।धारा 9 भारतीय दंड संहिता की कई अन्य धाराओं से संबंधित है, जिसमें धारा 10 (शब्दों के अर्थ) और धारा 11 (अनुपातिक व्याख्या) शामिल हैं। धारा 10 शब्दों और वाक्यांशों के अर्थों को परिभाषित करती है, जबकि धारा 11 यह निर्दिष्ट करती है कि कानूनों की व्याख्या एक उचित और आनुपातिक तरीके से की जानी चाहिए। इन धाराओं को एक साथ पढ़ने से, यह स्पष्ट हो जाता है कि भारतीय दंड संहिता का उद्देश्य स्पष्ट और निष्पक्ष कानून बनाना है जो सभी व्यक्तियों पर समान रूप से लागू होते हैं। धारा 10 - “पुरुष”। “स्त्री” *धारा 10: पुरुष और स्त्री की परिभाषा** *पुरुष:* यह शब्द किसी भी उम्र के मानव नर को संदर्भित करता है। यह शब्द व्यापक है और इसमें लड़के और वयस्क पुरुष दोनों शामिल हैं। * *स्त्री:* यह शब्द किसी भी उम्र की मानव नारी को संदर्भित करता है। यह शब्द भी व्यापक है और इसमें लड़कियाँ और वयस्क महिलाएँ दोनों शामिल हैं।धारा 10 भारतीय दंड संहिता की व्याख्यात्मक धाराओं में से एक है। यह धारा भारतीय दंड संहिता में प्रयुक्त शब्दों "पुरुष" और "स्त्री" को परिभाषित करती है। ये परिभाषाएँ भारतीय दंड संहिता में अपराधों की परिभाषा और व्याख्या करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।उदाहरण के लिए, धारा 302 भारतीय दंड संहिता में हत्या के अपराध को परिभाषित करती है। यह धारा कहती है कि "जो कोई भी किसी व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध, किसी ऐसे कृत्य से मृत्यु का कारण बनता है जो मृत्यु का कारण बनने की संभावना है, वह हत्या का दोषी होगा"। इस धारा में "व्यक्ति" शब्द का प्रयोग किया गया है। यह शब्द धारा 10 के अनुसार "किसी भी उम्र का मानव नर या मानव नारी" को संदर्भित करता है। इसलिए, धारा 302 भारतीय दंड संहिता के तहत हत्या का अपराध किसी भी व्यक्ति की हत्या के लिए किया जा सकता है, चाहे वह व्यक्ति पुरुष हो या महिला, बालक हो या वयस्क।धारा 10 भारतीय दंड संहिता की एक महत्वपूर्ण धारा है। यह धारा भारतीय दंड संहिता में प्रयुक्त शब्दों "पुरुष" और "स्त्री" को परिभाषित करती है। ये परिभाषाएँ भारतीय दंड संहिता में अपराधों की परिभाषा और व्याख्या करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। धारा 11 - व्यक्ति धारा 11 भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की व्याख्या:1. "व्यक्ति" की परिभाषा: - धारा 11 के अनुसार, "व्यक्ति" शब्द में कोई भी कंपनी, एसोसिएशन या व्यक्ति निकाय शामिल है, चाहे वह निगमित हो या नहीं। - इसका मतलब यह है कि कानून की नजर में, न सिर्फ इंसान, बल्कि कंपनियां, संगठन और अन्य संस्थाएं भी "व्यक्ति" के दायरे में आती हैं।2. उदाहरण: - एक कंपनी जो पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करती है, उसे आईपीसी के प्रावधानों के तहत दंडित किया जा सकता है। - एक एसोसिएशन जो लोगों के बीच झगड़े या हिंसा को बढ़ावा देती है, उसे आईपीसी के तहत अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। - एक व्यक्ति निकाय जो धोखाधड़ी या जालसाजी में शामिल है, उसे आईपीसी के तहत दंडित किया जा सकता है।3. प्रासंगिक तथ्य: - धारा 11 आईपीसी में एक महत्वपूर्ण परिभाषा खंड है, क्योंकि यह निर्धारित करता है कि "व्यक्ति" शब्द का उपयोग पूरे आईपीसी में किस अर्थ में किया जाएगा। - धारा 11 में "व्यक्ति" की परिभाषा "वैधानिक व्यक्ति" की अवधारणा से संबंधित है। वैधानिक व्यक्ति वे संस्थाएं या संगठन हैं जिन्हें कानून ने एक कानूनी इकाई के रूप में मान्यता दी है। - "व्यक्ति" की परिभाषा आईपीसी में अपराधों के लिए जिम्मेदारी को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।4. अन्य संबंधित धाराएँ: - आईपीसी की धारा 12 "अपराध" की परिभाषा प्रदान करती है और धारा 13 "अवरोध" की परिभाषा प्रदान करती है। ये धाराएँ आईपीसी में अपराधों की अवधारणा को समझने के लिए आवश्यक हैं। - आईपीसी की धारा 34 "सामान्य इरादा" की अवधारणा को परिभाषित करती है, जबकि धारा 35 "अप्रत्यक्ष उत्तरदायित्व" की अवधारणा को परिभाषित करती है। ये धाराएँ आईपीसी में अपराधों के लिए जिम्मेदारी को समझने के लिए आवश्यक हैं।निष्कर्ष: धारा 11 आईपीसी में एक महत्वपूर्ण परिभाषा खंड है, क्योंकि यह निर्धारित करता है कि "व्यक्ति" शब्द का उपयोग पूरे आईपीसी में किस अर्थ में किया जाएगा। "व्यक्ति" की परिभाषा आईपीसी में अपराधों के लिए जिम्मेदारी को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। धारा 12 - लोक *धारा 12: लोक**सरल शब्दों में व्याख्या:** "लोक" शब्द का अर्थ है एक बड़ा समूह या लोगों का समुदाय। * यह एक अपराध को परिभाषित करने के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह तय करता है कि क्या कोई कार्रवाई एक अपराध है या नहीं। * यह निर्धारित करने के लिए कि कोई कार्रवाई "सार्वजनिक" है या नहीं, अदालतें निम्नलिखित कारकों पर विचार करेंगी:* क्या कार्रवाई एक सार्वजनिक स्थान पर हुई थी। * क्या कार्रवाई कई लोगों द्वारा देखी गई थी। * क्या कार्रवाई सामाजिक शांति या व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करती है।*उदाहरण:** यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक पार्क में नग्न दौड़ता है, तो यह एक सार्वजनिक अपराध माना जाएगा क्योंकि यह एक सार्वजनिक स्थान पर हुआ था और इसे कई लोगों ने देखा था। * यदि कोई व्यक्ति अपने घर में नग्न दौड़ता है, तो इसे सार्वजनिक अपराध नहीं माना जाएगा क्योंकि यह एक सार्वजनिक स्थान पर नहीं हुआ था और इसे किसी ने नहीं देखा था।*संबंधित धाराएँ:** धारा 11: "अपराध" की परिभाषा देता है। * धारा 23: "सहमति" की परिभाषा देता है। * धारा 29: "आवश्यकता" की परिभाषा देता है। * धारा 30: "उकसावे" की परिभाषा देता है।*निष्कर्ष:*धारा 12 यह परिभाषित करती है कि "लोक" शब्द का अर्थ क्या है और यह किसी अपराध को परिभाषित करने के लिए महत्वपूर्ण है। अदालतें यह निर्धारित करने के लिए कई कारकों पर विचार करेंगी कि कोई कार्रवाई "सार्वजनिक" है या नहीं, जिसमें यह भी शामिल है कि क्या कार्रवाई सार्वजनिक स्थान पर हुई थी, क्या इसे कई लोगों ने देखा था, और क्या यह सामाजिक शांति या व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करती है। धारा 13 - “क्वीन” की परिभाषा *धारा 13 का सरलीकृत स्पष्टीकरण*धारा 13 को भारतीय दंड संहिता, 1860 के विधि अनुकूलन आदेश, 1950 द्वारा निरस्त कर दिया गया है। इस धारा में "क्वीन" शब्द को परिभाषित किया गया था, जो कि ब्रिटिश शासन के दौरान भारत की संप्रभु थी। निरस्तीकरण के बाद, धारा 13 अब भारतीय दंड संहिता का हिस्सा नहीं है। इसलिए, इस धारा के बारे में विस्तार से चर्चा करना और उदाहरण देना प्रासंगिक नहीं है। धारा 14 - सरकार का सेवक *धारा 14: सरकार का सेवक (Government Read the full article
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ainews18 · 5 months
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dgnews · 8 months
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23 अक्टूबर 2023 के मुख्य समाचार
🔸फ्रांस की खुफिया रिपोर्ट ने खोली पोल- फिलीस्तीनी रॉकेट से हुआ गाजा अस्पताल पर हमला !🔸’जेनिन मस्जिद पर एयर स्ट्राइक कर हमास लड़ाकों को किया ढेर’, इजराइली सेना का दावा🔸राजस्थान के 4 दोस्तों की कश्मीर में दर्दनाक मौत, सैंकड़ों फीट जमीन के अंदर दफन लाशें🔸राजनयिक सुरक्षित नहीं, मामलों में दखल; जयशंकर ने खोली कनाडा की पोल🔸भारत में हंसी के पात्र बने ट्रूडो, कनाडाई पीएम के मजे लेने लगे अपने🔸’हमारे…
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bowbloom · 11 months
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India Top 10 News In Hindi
महाराष्ट्र में सियासी संकट, उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद शिंदे सरकार का गठन. महाराष्ट्र में सियासी संकट के बाद एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. उनके साथ देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली है.
कश्मीर में आतंकी हमला, 3 जवान शहीद. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर हमला किया है. इस हमले में 3 जवान शहीद हो गए हैं.
भारत में मंकीपॉक्स का पहला मामला, केरल में एक व्यक्ति में संक्रमण की पुष्टि. भारत में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया है. केरल में एक व्यक्ति में मंकीपॉक्स संक्रमण की पुष्टि हुई है.
भारत में महंगाई से राहत, पेट्रोल-डीजल के दाम में कटौती. केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम में 5 रुपये प्रति लीटर की कटौती की है. इस कटौती के बाद पेट्रोल की कीमत 96.72 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 89.62 रुपये प्रति लीटर हो गई है.
भारत में कोरोना के नए मामले घटे, एक दिन में 15,523 नए मामले दर्ज. भारत में कोरोना के नए मामलों में कमी आई है. पिछले 24 घंटों में 15,523 नए मामले दर्ज किए गए हैं. इस दौरान 25 लोगों की मौत भी हुई है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने अगले 5 दिनों में देश के कई हिस्सों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अगले 5 दिनों में देश के कई हिस्सों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है. इनमें गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम शामिल हैं.
भारत में बाघों की संख्या में इजाफा, 2022 में 1,285 बाघों की गणना हुई. भारत में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है. 2022 में 1,285 बाघों की गणना की गई है. यह संख्या 2018 की तुलना में 23% अधिक है.
भारत में अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रियों की संख्या में 2022 में 256% की बढ़ोतरी. भारत में अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रियों की संख्या में 2022 में 256% की बढ़ोतरी हुई है. पिछले साल 2021 में 1.43 करोड़ यात्री अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर गए थे, जबकि 2022 में यह संख्या बढ़कर 2.36 करोड़ हो गई है.
भारत में वन क्षेत्र में इजाफा, 2021 में 2.31 करोड़ हेक्टेयर वन क्षेत्र का इजाफा हुआ. भारत में वन क्षेत्र में इजाफा हुआ है. 2021 में 2.31 करोड़ हेक्टेयर वन क्षेत्र का इजाफा हुआ है. यह 2019 की तुलना में 5.9% अधिक है.
भारत में कृषि निर्यात में इजाफा, 2021-22 में 33.54 अरब डॉलर का कृषि निर्यात हुआ. भारत में कृषि निर्यात में इजाफा हुआ है. 2021-22 में 33.54 अरब डॉलर का कृषि निर्यात हुआ. यह 2020-21 की तुलना में 15.7% अधिक है.
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nidarchhattisgarh · 1 year
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दिल दहलाने वाला मर्डर; फेसबुक पर लाइव आकर व्यक्ति को कुल्हाड़ी से काटा..आरोपी गिरफ्तार
NCG NEWS DESK जम्मू : बड़ी खबर जम्मू-कश्मीर के डोडा से है। यहां के एक गांव से सनसनीखेज खबर सामने आई है। फेसबुक पर लाइव नृशंस हत्या का मामला सामने आया है। सूचना के बाद पहुंची पुलिस ने जांच शुरू की। पुलिस ने हत्यारे को घटना के चार घंटे बाद ही गिरफ्तार कर लिया। जानकारी के अनुसार, डोडा के गांव भलेसा के चौवरी में पत्थर निकालने के विवाद में कुल्हाड़ी से हमला कर एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई। मृतक नंदलाल…
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iobnewsnetwork · 1 year
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9 Years of Modi Government: अधिकांश भारतीय मीडिया पीएम मोदी के बारे में आंशिक रूप से और नकली सफलता बता रहे हैं
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आतिश चाफे द्वारा लिखित (मुख्य संपादक)  26 मई यानी के आज पीएम नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल के 9 साल पूरे हो गए है। साल 2014 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल कर सरकार बनाई थी। 26 मई को पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार शपथ ली थी। इस नौ साल के कार्यकाल में पीएम मोदी ने कई ऐसे फैसले लिए और कई ऐसे काम किए जा हमेशा याद किए जाएंगे। सर्जिकल स्ट्राइक (2016) जम्मू-कश्मीर के उरी कैंप में आतंकवादियों ने भारतीय सेना के ब्रिगेड हेडक्वॉटर्स पर हमला कर दिया था। भारत के 18 जवान शहीद हुए थे। इस हमले के ठीक 10 दिन बाद पाकिस्तान से बदला लिया गया जिसे सर्जिकल स्ट्राइक का नाम दिया गया। पिछले हफ्ते, सरकार ने 29 सितंबर को सर्जिकल स्ट्राइक दिवस मनाने की अपनी योजना का खुलासा किया, दो साल पहले पाकिस्तान में आतंकी शिविरों के खिलाफ भारत द्वारा किए गए सीमा पार ऑपरेशन की याद में। लगभग इशारे पर, भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने एक और सर्जिकल स्ट्राइक की ओर इशारा करते हुए, सीमा पर भारतीय सैनिकों की हालिया मौत का बदला लेने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ एक और "कड़ी कार्रवाई" करने का आह्वान किया। साथ ही, विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला। भारत-पाकिस्तान वार्ता के लिए निमंत्रण स्वीकार करने के लिए, आंशिक रूप से भारत के अंतिम समय में वार्ता से बाहर निकलने में योगदान देने के लिए। ये घटनाक्रम भारत की रणनीतिक संस्कृति के मौलिक परिवर्तन के संकेत हैं- नई दिल्ली अब मनोवैज्ञानिक आधार पर रणनीतिक विकल्प बना रही है सुविचारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के बजाय संतुष्टि। यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है जो दक्षिण एशिया में पहले से ही बिगड़ती सुरक्षा स्थिति को और खराब करने की संभावना है। नोटबंदी साल 2016 में ही मोदी सरकार का एक और ऐसा फैसला ऐसा आया जिसने पूरे देश को हिला दिया। 8 नवंबर साल 2016 को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया और रात 12 बजे 500 और 1000 के नोट को चलन से बाहर कर दिया था। नोटबंदी:  मोदी मेड डिजास्टर 8 नवंबर को, "काले धन" और "नकली नोटों" को साफ करने के प्रयास में भारत की 86% मुद्रा को रद्द कर दिया गया था; इस प्रयास के परिणामस्वरूप दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उभरते बाजार के मौजूदा सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कार्यों में भारी व्यवधान आया। सभी 500 और 1,000 रुपये के नोटों को तत्काल रद्द कर दिया गया था, और 50-दिन की अवधि शुरू हुई जहां आबादी (आदर्श रूप से) 2,000 और बाद में 500 रुपये के नए जारी किए गए नोटों के लिए अपनी रद्द की गई नकदी को भुना सकती थी या उन्हें अपने संबंधित बैंक खातों में जमा कर सकती थी। नोटबंदी के बाद के दिनों में आम जनता पर काफी मार पड़ी थी, लेकिन सबसे ज्यादा दर्द गरीबों ने उठाया। गरीब और निम्न मध्यम वर्ग, जो जनसंख्या का विशाल बहुमत है, के पास इस तरह के झटकेदार अर्थशास्त्र के अनुकूल होने के लिए आवश्यक संरचनात्मक और सांस्कृतिक संसाधनों तक पहुंच नहीं थी। ��हां तक ​​कि जमीन पर सभी भारी भार उठाने के लिए पदार्पण करने वाले बैंकों को भी पाश में नहीं रखा गया था; संकट के लिए कम सुसज्जित और एक अजीब सरकारी आदेश की भावना बनाने में असमर्थ, वे अभी भी एक उल्लेखनीय काम करने में कामयाब रहे, यहां तक ​​कि अमान्य मुद्रा को संतुलित करने के लिए नए नोटों की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने के बावजूद। चलन में मौजूद 86% नकदी के विमुद्रीकरण के साथ, भारतीय अर्थव्यवस्था अचानक, भयानक रूप से रुक गई। अर्थव्यवस्था के सभी पहलुओं पर व्यापार बाधित हो गया था, और कृषि, मछली पकड़ने और बड़े पैमाने पर अनौपचारिक बाजार जैसे नकद-केंद्रित क्षेत्रों को लगभग बंद कर दिया गया था। कई व्यवसाय और आजीविका पूरी तरह से समाप्त हो गए, देश पर आर्थिक प्रभाव का उल्लेख नहीं करना जब आपके पास लाखों उत्पादक लोग काम करने या अपना व्यवसाय चलाने के बजाय, केवल रद्द किए गए नोटों को बदलने या जमा करने के लिए घंटों और घंटों तक लाइन में खड़े रहते हैं। यहां तक ​​कि समाचार कक्षों में अघोषित आपातकाल भी पूरे भारत में जंगल की आग की तरह फैल रही खबरों को रोकने में विफल रहा: विमुद्रीकरण एक भारी और पूरी तरह से टाली जा सकने वाली विफलता थी और इतिहास में सरकार द्वारा प्रेरित सबसे बड़ी मनी लॉन्ड्रिंग योजना थी। नोटबंदी काले धन पर लगाम लगाने में विफल रही, क्योंकि आरबीआई के अनुसार 500 और 1000 रुपये के नोटों में से 99% को वापस कर दिया गया था। यह अपेक्षित था क्योंकि काला धन आमतौर पर मुद्रा में नहीं रखा जाता है, लेकिन संपत्ति, बुलियन और डॉलर जैसी अधिक आसानी से परिवर्तनीय मुद्रा में। इस प्रकार, 'ब्लैक मनी' और 'ब्लैक वेल्थ' के बीच विरोधाभास: एक प्रवाह चर है और एक स्टॉक चर है। और कोई भी विमुद्रीकरण स्टॉक चर में कोई बदलाव नहीं ला सकता है। बड़ी मात्रा में काले धन का पता लगाने के दावे निराधार हैं और वास्तव में काला धन क्या है, इस बारे में एक भोले और बेख़बर दृष्टिकोण पर आधारित है। इसके अलावा, घोषणा किसी भी प्रकार के आतंकी हमलों और उग्रवाद को रोकने में विफल रही क्योंकि घोषणा के बाद अकेले कश्मीर में 23 और हमले हुए। भारतीय सीमा पर बड़ी संख्या में नए नोटों के साथ विद्रोहियों के पकड़े जाने की कई रिपोर्टें थीं। भारतीय अर्थव्यवस्था में नकली नोटों के प्रचलन की सीमा अतिशयोक्तिपूर्ण है। भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI), कोलकाता द्वारा की गई एक विशेष रिपोर्ट में पाया गया कि नकली मुद्रा का प्रचलन लगभग रु। संचलन में कुल नोटों का 400 करोड़ यानी मात्र 0.022%; भारत की जीडीपी वृद्धि को 2% की क्षति के लायक नहीं है। यह कैशलेस अर्थव्यवस्था का उत्पादन करने में विफल रहा क्योंकि उस अवधि के दौरान ई-कॉमर्स की बिक्री में जो कुछ भी वृद्धि हुई थी, कुछ महीनों के मामले में पहले की तरह उसी विकास प्रवृत्ति-रेखा पर लौट आई, जब नकदी की आपूर्ति अंततः सामान्य हो गई। भारतीय असंगठित क्षेत्रों की सीमा को ध्यान में रखते हुए, वैकल्पिक भुगतान अवसंरचना बनाने से पहले डिजिटलीकरण का प्रयास करना भी अतार्किक था। इस विनाशकारी कदम के परिणामस्वरूप, राष्ट्रीय आय में 3 लाख करोड़ रुपये की हानि हुई; एक रूढ़िवादी अनुमान दिया गया है कि अनौपचारिक नकदी आधारित अर्थव्यवस्था सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 50% या 65.25 लाख करोड़ रुपये है। कुछ बैंक मैनेजर लोगों की गाढ़ी कमाई के बाल कटाने से अमीर हो गए, जिससे जल्दी ही एक परिष्कृत और संगठित मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट बन गया। इस बीच, 'नोटबंदी' के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में 115 लोगों की मृत्यु हुई—लगभग सभी गरीब थे। समर्थक मुख्यधारा के मीडिया द्वारा विमुद्रीकरण को विफल घोषित करने के बाद भी, पीएम मोदी अभी भी अपने शोक संतप्त परिवारों के साथ संवेदना व्यक्त करने या उन्हें कई मामलों में उनके प्राथमिक कमाऊ सदस्यों के नुकसान के लिए कोई मुआवजा देने में सक्षम नहीं हुए हैं। विमुद्रीकरण कदम न केवल एक दोषपूर्ण आर्थिक नीति का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि डिजिटल भुगतान प्रणाली के साथ नकद भुगतान के प्रतिस्थापन के साथ अंधाधुंध राज्य निगरानी, ​​​​निजता के उल्लंघन और नागरिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग की उच्च क्षमता भी रखता है। बिग डेटा एनालिटिक्स दिन-ब-दिन बड़े होते जा रहे हैं, निजी नागरिकों का व्यक्तिगत डेटा ग्रे मार्केट्स में वस्तुओं में बदल गया है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य और उसके नागरिकों के बीच बुनियादी सामाजिक-अनुबंध और विश्वास टूट सकता है। अंतिम सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री को उन लोगों को बेदखल करने से 4 लाख करोड़ का अच्छा लाभ होने की उम्मीद थी जो अपने नोटों को बदलने में सक्षम नहीं थे। इसके बजाय, हमारे कर के 21,000 करोड़ रुपये नोट छापने में उड़ा दिए गए, जबकि केवल 16,000 करोड़ ही लावारिस रह गए। जीएसटी 30 जून और 1 जुलाई की मध्य रात्रि को संसद के सेंट्रल हाल में आयोजित समारोह में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी लॉन्च किया था। देश में किए जाने वाले सबसे कठिन सुधारों में से एक- जहां राज्यों ने देश और करदाताओं के व्यापक हित में अपनी कर संप्रभुता को छोड़ दिया- जीएसटी ने एक तरह से करों के बेहतर प्रशासन में मदद की है, राज्य की सीमाओं के पार माल के प्रवाह में वृद्धि हुई है साथ ही सभी राज्यों में दरों में अधिक एकरूपता हासिल की। सुस्त शुरुआत और भारी कर संग्रह के बाद, पिछले दो वर्षों में जीएसटी संग्रह में एक मजबूत उछाल देखा गया है। औसत मासिक संग्रह पहले चार वर्षों में 90,000-100,000 करोड़ रुपये से बढ़कर अब 1.20 लाख करोड़ रुपये हो गया है। GST ने करों का भुगतान करने, इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने, चालान बनाने, ई-वे बिल आदि के लिए एक पूरी नई डिजिटल प्रणाली का निर्माण करने का भी नेतृत्व किया है। डिजिटल प्रणाली, यहां तक ​​​​कि इसकी कई खामियों के साथ, करों के प्रशासन और कर को ट्रैक करने में मदद मिली है। टालना। जीएसटी दो प्रमुख मामलों में विफल रहा है। इसने केवल केंद्र और राज्यों के बीच दरार को चौड़ा किया है और यह 'सही' कर दरों को प्राप्त करने में विफल रही है। जीएसटी संग्रह में हाल ही में तेजी के बावजूद, सरकार और जीएसटी परिषद का मानना ​​है कि वर्तमान कर दरें वांछित स्तरों से काफी नीचे हैं। 15वें वित्त आयोग ने एक रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि 15.5% की राजस्व तटस्थ दर के मुकाबले, औसत जीएसटी दरें लगभग 11.8% हैं। प्रारंभिक वर्षों में, जीएसटी परिषद ने एक नई कर प्रणाली द्वारा बनाई गई प्रारंभिक वर्ष अराजकता के जवाब में दरों में कटौती की और बदल दी। वो रेट कट और छूट सरकार को काटने के लिए वापस आ रहे हैं। इससे केंद्र और राज्यों के बीच दरार भी पैदा हो गई। कई राज्य अपने राजस्व के साथ संघर्ष कर रहे हैं, और वे इसे आंशिक रूप से जीएसटी के तहत अपने कर अधिकारों को छोड़ने के लिए दोषी ठहराते हैं। अब, वे मुआवजे (जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण राजस्व में नुकसान के लिए) की मांग करते हैं, जो केंद्र राज्यों को देता है (शुरुआत में पहले पांच वर्षों के लिए) और तीन से पांच साल तक बढ़ाने के लिए, एक मांग केंद्र बहुत उत्सुक नहीं है देने के लिए। जीएसटी की सफलता (या विफलता) अब इन मुद्दों के सुचारू समाधान पर निर्भर करती है। बालाकोट एयर स्ट्राइक 26 फरवरी 2019 को भारत ने बालाकोट एयरस्ट्राइक करके जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को ढेर कर दिया था। बालाकोट हमले के बाद, सीमा पार से घुसपैठ और आतंकी हमलों/घटनाओं में कमी देखी गई है। तब से भारत की कूटनीतिक ऊंचाई और विशेष स्टैंड-ऑफ सटीक हथियारों के साथ राफेल लड़ाकू विमान को शामिल करने के साथ इसकी सैन्य क्षमता में वृद्धि हुई है। 26 फरवरी, 2019 को, 12 मिराज 2000 लड़ाकू विमानों ने भारत से उड़ान भरी और पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के ठिकाने पर दंडात्मक हमला करने के लिए सीमा पार की। कोड-नाम ऑपरेशन बंदर, यह हमला पुलवामा आतंकवादी हमले के प्रतिशोध में किया गया था जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 40 जवान मारे गए थे। “आज के शुरुआती घंटों में एक खुफिया नेतृत्व वाले ऑपरेशन में, भारत ने बालाकोट में JeM के सबसे बड़े प्रशिक्षण शिविर पर हमला किया। इस ऑपरेशन में बहुत बड़ी संख्या में आतंकवादी, प्रशिक्षक, वरिष्ठ कमांडर और जिहादियों के समूह जिन्हें फिदायीन कार्रवाई के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा था, को समाप्त कर दिया गया, “विदेश मंत्रालय ने कहा। बालाकोट स्ट्राइक पहली बार था जब भारत ने एक साहसिक युद्धाभ्यास किया, इसे आसन्न खतरे के सामने एक गैर-सैन्य पूर्व-खाली कार्रवाई के रूप में उचित ठहराया। भारत ने कहा कि विश्वसनीय ख़ुफ़िया जानकारी से संकेत मिलता है कि और अधिक फिदायीन हमलों की योजना बनाई जा रही थी। भारत सरकार की मंशा पाकिस्तान और दुनिया को स्पष्ट रूप से बताई गई थी कि वह अब ऐसे देश के साथ बातचीत का सहारा नहीं लेगी जो 2004 में किए गए अपने वादे को पूरा करने में बार-बार विफल रहा है कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकवाद के लिए अपने क्षेत्र की अनुमति नहीं देगा। दुनिया भारत के पक्ष में थी। पाकिस्तान ने क्षति से इनकार करने का प्रयास किया, यह दावा करते हुए कि हमलों ने केवल कुछ पेड़ों को नष्ट कर दिया और कोई जनहानि नहीं हुई। यह प्रशंसनीय खंडन, पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस द्वारा बार-बार दोहराई जाने वाली रणनीति, एक बार फिर प्रदर्शित हुई, जैसा कि यह कारगिल घुसपैठ के दौरान हुआ था, जिसे शुरू में आतंकवादियों और कश्मीरी स्वतंत्रता सेनानियों पर दोषी ठहराया गया था। जूरी अभी भी बालाकोट में हताहतों के पैमाने पर बाहर है, लेकिन तब से पुल के नीचे पर्याप्त पानी बह चुका है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक से बेलआउट के लिए बार-बार अनुरोध के साथ पाकिस्तान आर्थिक दबाव में है; राष्ट्र हर पांच साल में अपने कर्ज को दोगुना करना जारी रखता है। भारी राजकोषीय घाटे के साथ मुद्रास्फीति का स्तर रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। यह अनिश्चित वित्तीय स्थिति वर्तमान सरकार से मोहभंग करने के लिए बाध्य है, जो "नया पाकिस्तान" बनाने के वादे के साथ सत्ता में आई थी। इसके अलावा, तालिबान के साथ पाकिस्तान का हनीमून, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर निकलने के बाद अफगानिस्तान में सत्ता में आया था, दिन पर दिन खट्टा होता जा रहा है, डूरंड रेखा पर बार-बार संघर्ष की खबरें आ रही हैं। प्रस्थान करने वाली अमेरिकी सेनाओं से जब्त किए गए हथियारों की अवैध बिक्री ने इस व्यवसाय को एक नया प्रोत्साहन दिया है, जो इस क्षेत्र में और अशांति को बढ़ावा देगा। चीन के लिए, जिसका पाकिस्तान के साथ "पहाड��ों से भी ऊंचा और समुद्र से गहरा" रिश्ता फलता-फूलता रहा है, अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी उसकी खुद की चुनौतियां हैं। शिनजियांग क्षेत्र में उइगर अशांति के साथ-साथ टीआईपी और टीटीपी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए चीन को आतंक और उग्रवाद के प्रसार के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। ये चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे में बीजिंग के निवेश के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करते हैं। इसके अलावा, पाकिस्तान के साथ चीन के रणनीतिक गठबंधन का निकट भविष्य में परीक्षण किया जाएगा, तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद पड़ोस में खतरनाक स्थिति और पाकिस्तान के बिगड़ते आर्थिक संकट के साथ मोहभंग के साथ। रिश्तों और नीतियों में निवेश, जब निहित और पारलौकिक हितों के साथ किया जाता है, तो कभी लाभांश का भुगतान नहीं करेगा। पाकिस्तान की अपनी धरती के माध्यम से आतंकवाद को बढ़ावा देने की नीति, भारत के खिलाफ बचाव के रूप में पाकिस्तान के साथ चीन का गठबंधन, रणनीतिक गहराई हासिल करने के लिए तालिबान को पाकिस्तान का समर्थन और अफगानिस्तान पर प्रभाव डालने के लिए पाकिस्तान के साथ अमेरिकी साझेदारी ने यह सुनिश्चित किया है कि मुर्गियां आखिरकार घर लौट आई हैं। बालाकोट हमले के बाद, सीमा पार से घुसपैठ और आतंकी हमलों/घटनाओं में कमी देखी गई है। तब से भारत की कूटनीतिक ऊंचाई और विशेष स्टैंड-ऑफ सटीक हथियारों के साथ राफेल लड़ाकू विमान को शामिल करने के साथ इसकी सैन्य क्षमता में वृद्धि हुई है। भारतीय वायुसेना द्वारा किया गया आखिरी फायर पावर डिस्प्ले (एफपीडी) पुलवामा हमले के दो दिन बाद हुआ। इस साल का एफपीडी 7 मार्च को किया जा रहा है। आतंकी हमलों में खामोशी हमें आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए। नहीं। पाउडर को सूखा रखा जाना चाहिए और अभिनव विकल्पों पर विचार किया जाना चाहिए और बहस की जानी चाहिए क्योंकि आश्चर्य और धोखे को शामिल करने वाली ठंडे, गणनात्मक और निर्णायक कार्रवाइयाँ लाभांश का भुगतान करेंगी और यह सुनिश्चित करेंगी कि राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं किया गया है।क्या सीमा पार आतंकवाद का बंदर आखिरकार भारत की पीठ से उतर गया है? केवल समय बताएगा। आर्टिकल 370 5 अगस्त 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर खंडों को समाप्त कर दिया था जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करते थे। साथ ही जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा हटाकर अब वहां के सरकारी दफ्तरों में तिरंगा लहराने लगा। आर्टिकल 370 भी सरकार का बड़ा फैसाला रहा। “इसे एक ऐसे कदम के रूप में पेश करना जो कश्मीर में विकास और शांति लाएगा, भारत की कार्रवाई ने हमारी संस्कृति और राजनीति के लगभग हर पहलू को बाधित कर दिया है। हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है, अर्थव्यवस्था नाटकीय रूप से धीमी हो गई है, सामान्य जीवन राजनीतिक आवश्यकता का शिकार हो गया है, ”उसने लिखा। पिछले साल 5 अगस्त को, भारत सरकार ने विवादास्पद अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया था, जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था और अपने स्वयं के कानूनों को बनाने के लिए पर्याप्त मात्रा में स्वायत्तता प्रदान की थी। निर्णय राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के साथ था: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। इस कदम के बाद मुख्यधारा के राजनीतिक नेताओं को हिरासत में लिया गया और पूरे क्षेत्र में एक संचार नाकाबंदी की गई। नबी ने लिखा, "भारत चाहता था कि हम यह विश्वास करें कि अनुच्छेद 370 आर्थिक विकास में बाधा था, लेकिन पिछले साल विकास के रास्ते में बहुत कम आया है, कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने करीब 6 अरब डॉलर का नुकसान होने का अनुमान लगाया है।" लेखक के अनुसार, मुख्यधारा के कई नेता अभी भी सलाखों के पीछे हैं। 20 नवंबर, 2019 को केंद्र ने कहा कि 5 अगस्त से अब तक 5,161 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें से 609 को हिरासत में लिया गया है, जबकि बाकी को रिहा कर दिया गया है। भारत सरकार के दावों को चुनौती देते हुए, उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति के सदस्यों द्वारा भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के हालिया बयान के अनुसार, लगभग 13,000 लोग अभी भी हिरासत में हैं। उन्होंने लिखा, "अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से जम्मू-कश्मीर राज्य मानवाधिकार आयोग और महिला आयोग सहित विभिन्न आयोगों का समापन हुआ है और इसने हमारी शिक्षा प्रणाली को संकट में डाल दिया है।" उन्होंने आगे इस बात पर जोर दिया कि फैसले के बाद से घाटी में बच्चे 10 दिनों से अधिक समय से स्कूल नहीं जा पाए हैं। हाई-स्पीड इंटरनेट पर चल रहे प्रतिबंध के बारे में उन्होंने कहा कि बच्चों को शिक्षा के मूल अधिकार से वंचित किया जा रहा है. वर्तमान भारत-चीन सीमा संघर्ष पर कटाक्ष करते हुए, नबी ने लिखा कि चीन ने आक्रामक रूप से विवाद के लिए तीसरे पक्ष के रूप में खुद को लद्दाख में प्रवेश करके आग की एक श्रृंखला में शामिल होने के लिए प्रस्तुत किया है, जिसने सीमा पार तनाव को बढ़ा दिया है, भले ही नई दिल्ली ने दावा किया हो कि फैसले के बाद विदेशी दखल खत्म होगा। उन्होंने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला कि भारत कभी भी यह स्वीकार नहीं करेगा कि अनुच्छेद 370 को हटाना विफल रहा है और नई दिल्ली यह पुष्टि करने की कोशिश करेगी कि कश्मीर में जीवन सामान्य है। "यह आशा करना जारी रखेगा कि संचार को अवरुद्ध करने और जमीन पर असंतोष को नियंत्रित करने से किसी को पता नहीं चलेगा कि स्थिति कितनी बिगड़ गई है"। इससे पहले कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने भारत सरकार से जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा और विशेष दर्जा बहाल करने की मांग की थी। सुलह, राहत और पुनर्वास नामक समूह ने सरकार से जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को बहाल करने का आग्रह किया है। समूह ने भारतीय पीएम, गृह मंत्री और सरकार से यह कहते हुए अपील की है, “जम्मू और कश्मीर के लोग आपके अपने लोग थे, उनसे प्यार करें। एक अच्छे भाव के रूप में, जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करें। प्रतिनिधि/सांसद जनता के लिए, जनता के द्वारा हैं और उन्हें लोगों की आकांक्षाओं और इच्छाओं को समझने की जरूरत है। बयान में कहा गया है कि पिछड़े क्षेत्रों के हितों और आकांक्षाओं की रक्षा के लिए, लोगों के सांस्कृतिक और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए, अल्पसंख्यकों की रक्षा करने और राज्य के कुछ हिस्सों में अशांत कानून व्यवस्था से निपटने के लिए विशेष प्रावधान किए जाने चाहिए। आतिश चाफे द्वारा लिखित (मुख्य संपादक) Read the full article
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