दिल्ली-NCR में फिर बढ़ने लगा कोरोना, स्कूलों में फिर से ऑनलाइन क्लास लगेंगी? जानें क्या कह रहे एक्सपर्ट
नई दिल्ली : दिल्ली में कोरोना के मामलों फिर से बढ़ने लगे हैं। दूसरी तरफ स्कूलों में नए सेशन की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में पैरंट्स के मन में अपने बच्चों के लेकर फिर से डर पैदा होना शुरू हो गया है। वे बच्चों की पढ़ाई के साथ ही उनके हेल्थ को लेकर टेंशन में हैं। पैरंट्स सोच रहे हैं कि यदि कोरोना के मामले इसी तेजी से बढ़े तो क्या फिर से ऑनलाइन क्लासेज शुरू होंगी या स्कूलो में मास्क को फिर से अनिवार्य बनाया जाएगा। वहीं, दिल्ली-एनसीआर में स्कूलों कुछ स्कूलों में नया सेशन शुरू हो गया है तो कुछ स्कूलों में तो नया सेशन शुरू होने वाला है।
क्या कह रहे एक्सपर्ट
स्कूलों के फिर से खुलने पर बच्चों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की चिंताओं के बीच हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि घबराने की जरूरत नहीं है। डॉक्टरों के अनुसार मौसम बदलने के कारण बच्चों में खांसी, जुकाम और बुखार जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में सामान्य इलाज से वे जल्द ही ठीक हो जा रहे हैं। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि जो बच्चे कोविड के खिलाफ टीका लगवाने के योग्य हैं, उन्हें टीका अवश्य लगवाना चाहिए। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोविड उपयुक्त व्यवहार जिसमें मास्क लगाना, हाथ धोते रहना, सैनिटाइजर का यूज करना शामिल हैं, का पालन करना जरूरी है।
सभी जरूरी सावंधानियां बरत रहे
माउंट आबू स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा का कहना है कि कोरोना या फ्लू से बचने के लिए जो भी मानक सावधानियां हैं उनका हम पूरा ध्यान रख रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्कूल में मेडिकल रूम है, जिसमें किसी भी परेशानी में बच्चे को तुरंत ट्रीटमेंट दिया जाता है। इसके अलावा डॉक्टर्स ऑन विजिट भी रहेंगे, जो समय-समय पर बच्चे की हेल्थ चेकअप करते रहेंगे। वहीं, एमआरजी स्कूल रोहिणी की प्रिंसिपल अंशु मित्तल का कहना है कि हम सभी जानते हैं कि कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में हमें अतिरिक्त सावधानी रखने की जरूरत है। बच्चों के स्वास्थ्य से किसी भी प्रकार का कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए।
दिल्ली में 7 महीने बाद रेकॉर्ड केस
दिल्ली में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 416 नए मामले सामने आए हैं। राजधानी में 7 महीने बाद कोरोना के रेकॉर्ड 400 से अधिक केस दर्ज किए गए हैं। पिछले साल 31 अगस्त के बाद पहली बार बुधवार को 300 मामले दर्ज किए गए थे। पिछले 24 घंटे में 14.35 पर्सेंट संक्रमण दर से 416 नए मरीज की पुष्टि की गई। इस दौरान 144 मरीज रिकवर हुए तो एक मरीज की मौत की पुष्टि की गई है। हालांकि रिपोर्ट में पहली बार यह भी बताया गया है कि मरीज की मौत की प्राथमिक वजह कोरोना नहीं है। अब दिल्ली में कोविड के एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़कर 1216 तक पहुंच गई है। http://dlvr.it/Sls955
0 notes
COVID-19: कोरोना संक्रमित होने से घट जाती है सूंघने की क्षमता
COVID-19: कोरोना संक्रमित होने से घट जाती है सूंघने की क्षमता
65 प्रतिशत से अधिक लोग जो कोरोनवायरस पॉजिटिव पाए गए है, उनकी गंध या स्वाद की क्षमता कम होती पाई गई है। एक नए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के लक्षणों की सूची में…
Source link
View On WordPress
0 notes
ब्लड प्रेशर और तनाव के रोगियों को लू लगने का खतरा ज्यादा, जानें क्या करें
ब्लड प्रेशर और तनाव के रोगियों को लू लगने का खतरा ज्यादा, जानें क्या करें
[ad_1]
लू लगने से बचने के उपाय लू से बचने के टिप्स (Tips for Heat Stroke): गर्मियों के मौसम का सीधा असर आपके मूड पर भी होता है। कई लोगों में गर्मियों में सीजनल अफेक्टिव डिस्ऑर्डर (एसएडी) की समस्या सामने आती है।
View On WordPress
0 notes
20 लोग निकले कोरोना पॉजीटिव हमीरपुर जिला में शनिवार को 20 लोग कोरोना पॉजीटिव पाए गए हैं। इनमें से रैपिड एंटीजन टैस्ट में 18 और आरटी-पीसीआर टैस्ट में 2 की पुष्टि हुई है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरके अग्रिहोत्री ने बताया कि शनिवार को रैपिड एंटीजन टैस्ट के लिए जिला में कुल 592 सैंपल लिए गए, जिनमें से 18 पॉजीटिव निकले। इनके अलावा शुक्रवार को आरटी-पीसीआर टैस्ट हेतु लिए गए सैंपलों में से 2 की रिपोर्ट पॉजीटिव आई है। डॉ. अग्रिहोत्री ने जिलावासियों से ऐहतियात बरतने का आग्रह करते हुए कहा कि वे कोरोना संबंधित सभी नियमों एवं सावधानियों का पालन करें। उन्होंने कहा कि सर्दी-जुकाम और बुखार जैसे लक्षण आने पर तुरंत अपने आपको आइसोलेट करें तथा अपना टैस्ट करवाएं। रिपोर्ट पॉजीटिव आने पर अपने प्राथमिक संपर्क में आए सभी लोगों को भी टैस्ट के लिए प्रेरित करें, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। https://www.instagram.com/p/CWhVAEvBC7W/?utm_medium=tumblr
0 notes
डेल्टा प्लस वेरिएंट : एनसीडीसी दिल्ली में कोविड संक्रमित 30 लोगों के सैंपल भेजे गए, स्वरूप के साथ लक्षण भी बदल रहा बहरूपिया कोरोना
डेल्टा प्लस वेरिएंट : एनसीडीसी दिल्ली में कोविड संक्रमित 30 लोगों के सैंपल भेजे गए, स्वरूप के साथ लक्षण भी बदल रहा बहरूपिया कोरोना
डेल्टा प्लस वेरिएंट : नई गाइडलाइन के तहत अब आइवरमैक्टिन समेत तमाम दवाओं को प्राथमिक स्तर पर देने पर रोक लगा दी गई है। ऐसे में डॉक्टर की सबसे बड़ी चिंता है कि कोरोना के नए वेरिएंट के संक्रमण में मरीजों का उपचार आखिर किन दवाओं से करेंगे।
एनसीडीसी से रिपोर्ट आने के बाद ही नए वैरिएंट की होगी पुष्टि
कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वेरिएंट की आशंका ने एक बार फिर लोगों को चिंता में डाल दिया है। ऊधमसिंह…
View On WordPress
0 notes
शनिवार रात को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से कोविड संक्रमण, लॉकडाउन तथा संसाधनों की उपलब्धता सहित अन्य संबंधित विषयों पर उच्च स्तरीय समीक्षा की।
शहरों के साथ-साथ कोरोना संक्रमण गांवों में भी बड़ी तेजी से फैल रहा है। इसके प्रसार को रोकने और संक्रमितों को तत्काल इलाज उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में हैल्थ मशीनरी को पूूरी तरह एक्टिव किया जाए। साथ ही लोगों को जागरूक करने और अन्य व्यवस्थाओं के लिए राज्य सरकार के सभी कार्मिकों और पंचायत स्तर के जनप्रतिनिधियों की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित की जाए। गांवों में संक्रमण इसी तरह बढ़ा, तो इसे नियंत्रित करना बेहद मुश्किल होगा।
गांवों से लोगों को शहर में इलाज के लिए पहुंचते-पहुंचते काफी देर हो जाती है और संक्रमण का स्तर बहुत ज्यादा होने से रोगी को खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में, लोगों की जीवन रक्षा के लिए डोर-टू-डोर सर्वे और दवा किट के वितरण के काम को प्रभावी ढंग से अंजाम दिया जाए। इससे लक्षण वाले रोगियों की समय पर जांच हो सकेगी और उन्हें संक्रमण के प्राथमिक स्तर पर ही दवा मिल जाने से जीवन बचाना आसान होगा।
दूसरी लहर के साथ-साथ विशेषज्ञ तीसरी लहर की भी आशंका जता रहे हैं। उनके अनुसार तीसरी लहर और अधिक घातक हो सकती है और बच्चों में इसका अधिक प्रसार होने की आशंका जताई जा रही है। इसे देखते हुए बच्चों के अस्पतालों में उपचार की व्यवस्थाएं पुख्ता की जाएं। इन अस्पतालों में गहन चिकित्सा सुविधाओं एनआईसीयू और पीआईसीयू आदि को मजबूत किया जाए। कोरोना रोग के इलाज में जीनोम सिक्वेंसिंग का विशेष महत्व है। चिकित्सा विशेषज्ञ वायरस की प्रकृति का समुचित अध्ययन करें, ताकि उसके अनुरूप बचाव के तमाम प्रयास अमल में लाए जा सकें।
जिन जिलों में संक्रमण के कारण ज्यादा मौत हो रही हैं, वहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम भेजकर ऑडिट करवाया जाए। ये विशेषज्ञ स्थानीय चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टाफ को उपचार को लेकर आवश्यक सलाह और सुझाव भी दें, ताकि मौतों की संख्या को न्यूनतम किया जा सके। पल्स ऑक्सीमीटर की गुणवत्ता को लेकर भी शिकायतें मिल रही हैं। चिकित्सा विभाग इसकी जांच कराए और आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करे। अस्पतालों में रोगियों के बेहतर उपचार के लिए नियुक्त नोडल अधिकारियों के लिए राज्य स्तर से कॉमन गाइडलाइन जारी की जाए और उनके काम की सतत मॉनिटरिंग भी की जाए।
संक्रमण पर नियंत्रण और जीवन रक्षा के लिए वैक्सीनेशन को गति देने की जरूरत है। प्रदेश में वैक्सीन की उपलब्धता के लिए सभी विकल्पों पर विचार किया जाए। प्रदेशवासियों को जल्द से जल्द वैक्सीनेट करने के लिए यदि आवश्यकता है, तो राज्य सरकार विदेशों से आयात पर भी विचार करेगी। ग्रामीण लोगों को टीकाकरण के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि प्रदेश में वैक्सीन अभियान को गति देने के लिए इसके आयात पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए बच्चों के अस्पतालों में भी ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए जाने का सुझाव दिया।
चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि निजी अस्पतालों में कोविड रोगियों के उपचार के बारे में आने वाली शिकायतों तथा मुनाफाखोरी एवं कालाबाजारी करने वाले दवा दुकानदारों पर सख्त कार्रवाई हो। उन्होंने कहा कि विधायकों के सहयोग से मॉडल सीएचसी में चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार को गति दी जा सकती है।
मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने कहा कि प्रदेश में ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना के संबंध में रक्षा मंत्रालय एवं डीआरडीओ के अधिकारियों से निरंतर समन्वय किया जा रहा है। डीआरडीओ ने कई जिलों में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने का आश्वासन दिया है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव श्री अखिल अरोरा ने बताया कि आगामी आवश्यकताओं को देखते हुए ब्लॉक स्तर पर मॉडल सीएचसी को कोविड केयर कंसल्टेशन सेंटर के रूप में विकसित करने के लिए तेजी से प्रयास किए जा रहें हैं। यहां कोविड के कम गंभीर रोगियों को उपचार की सुविधा मिल सकेगी। इससे लोगों को स्थानीय स्तर पर ही इलाज मिलने के साथ ही बड़े अस्पतालों पर दबाव कम हो सकेगा। उन्होंने बताया कि जयपुर में कोविड उपचार की व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए आरयूएचएस एवं एसएमएस अस्पताल सहित अन्य जगहों पर 5 कंट्रोल रूम स्थापित किए हैं, जो 24 घंटे प्रभावी रहेंगे।
अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री सुबोध अग्रवाल तथा राजस्थान फाउंडेशन के आयुक्त श्री धीरज श्रीवास्तव ने ऑक्सीजन कॉंन्सन्टेªटर के आयात की वस्तुस्थिति से अवगत कराया। प्रमुख शासन सचिव गृह श्री अभय कुमार एवं पुलिस महानिदेशक श्री एमएल लाठर ने 10 मई से शुरू हो रहे लॉकडाउन को सख्ती से लागू करने के लिए की जा रही तैयारियों की जानकारी दी। प्रमुख शासन सचिव नगरीय विकास श्री कुंजीलाल मीणा ने बताया कि प्रदेश के 60 शहरों में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने के लिए निविदा प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।
चिकित्सा शिक्षा सचिव श्री वैभव गालरिया ने बताया कि प्रदेश में कोरोना वायरस की जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए एसएमएस अस्पताल में जांच सुविधा जल्द शुरू की जाएगी। जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए दिल्ली स्थित आईसीएमआर की लैब में करीब 1800 सैम्पल भेजे गए थे। इनमें से 689 सैम्पल की रिपोर्ट प्राप्त हुई है और 32 सैम्पल में यूके वैरियंट मिला है।
प्रमुख सचिव कार्मिक श्री हेमंत गेरा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सचिव श्री सिद्धार्थ महाजन, शासन सचिव स्वायत्त शासन श्री भवानी सिंह देथा, शासन सचिव ग्रामीण विकास श्री केके पाठक, सचिव पंचायतीराज श्रीमती मंजू राजपाल, उद्योग सचिव श्री आशुतोष एटी, आरएमएससीएल के एमडी श्री आलोक रंजन, आरयूएचएस के कुलपति डॉ. राजाबाबू पंवार सहित अन्य अधिकारियों ने भी विचार व्यक्त किए।
0 notes
मंडलायुक्त वाराणसी ने भेजी ‘500 मेडिकल किट’
मंडलायुक्त वाराणसी ने भेजी ‘500 मेडिकल किट’
गाजीपुर। ग्रामीण इलाकों में लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग प्रत्येक स्तर पर प्रयास कर रही है । ग्रामीणों को बुखार, सर्दी, खांसी जो कि कोविड से मिलते जुलते लक्षण हैं, से राहत देने के लिए मंडलायुक्त वाराणसी द्वारा पहल करते हुए 500 मेडिकल किट मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय को भेजी गयी हैं । जिन्हें ग्रामीण इलाकों में आशा और आशा संगिनी के माध्यम से कोरोना…
View On WordPress
0 notes
15 फरवरी से पूरी तरह से संचालित होंगे सभी विश्वविद्यालय, कॉलेज
15 फरवरी से पूरी तरह से संचालित होंगे सभी विश्वविद्यालय, कॉलेज
प्रदेश मे करीब 11 महीने बाद सभी विश्वविद्यालय, महाविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थानों में 15 फरवरी से पूरी क्षमता के साथ पूर्ण रूप कक्षाओं का संचालन शुरू किया जाएगा। किसी भी विद्यार्थी, शिक्षक या कर्मचारी में कोरोना के लक्षण दिखाई देने पर उन्हें प्राथमिक उपचार देते हुए घर भेज दिया जाएगा। उच्च शिक्षा विभाग ने कोविड-19 के प्रोटोकाल का पालन करते हुए विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को संचालित करने के…
View On WordPress
0 notes
वड़ोदरा वली मंडल स्कूलों को खोलने के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगा
वड़ोदरा वली मंडल स्कूलों को खोलने के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगा
[ad_1]
वडोदरा, 11 नवंबर, बुधवार, 2020
स्कूलों में 9 वीं से 12 वीं तक की पढ़ाई शुरू करने की राज्य सरकार द्वारा की गई घोषणा के खिलाफ अभिभावकों में आक्रोश है।
अभिभावकों के अनुसार, सरकार को यह समझना होगा कि शिक्षा के साथ-साथ बच्चों का जीवन भी महत्वपूर्ण है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि यदि कोरोना का कोई भी संदिग्ध लक्षण देखा जाता है, तो छात्र को उपचार के लिए निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया…
View On WordPress
0 notes
CoronaVirus: एक नहीं बल्कि कई मुद्दों पर WHO ने बदला रुख, आलोचना और आरोपों के बीच कब-कब लिया यू-टर्न?
CoronaVirus: एक नहीं बल्कि कई मुद्दों पर WHO ने बदला रुख, आलोचना और आरोपों के बीच कब-कब लिया यू-टर्न?
Coronavirus, WHO
– फोटो : Amar Ujala
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹249 Free Coupon worth ₹200
कोरोना वायरस के बारे में प्राथमिक सूचनाएं जारी करने से लेकर विभिन्न विषयों पर बार-बार अपनी राय बदलने के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को दुनियाभर से आलोचना झेलनी पड़ रही है। एसिम्प्टोमैटिक यानी बिना लक्षण वाले मरीजों से संक्रमण फैलने की बात…
View On WordPress
0 notes
मंडी अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर तक पहुंचा कोरोना संक्रमण, वार्ड सील कर आइसोलेट किया स्टाफ जोनल अस्पताल मंडी के ऑपरेशन थियेटर तक कोरोना संक्रमण पहुंच गया है। रसौली की सर्जरी के बाद प्रारंभिक जांच में महिला में कोरोना के लक्षण, ट्रू नेट टेस्ट में पॉज़िटिव पाई गई। इसके बाद महिला का सैंपल लेकर जांच को नेरचौक मेडिकल कॉलेज भेजा है। ऑपेरशन थियेटर व वार्ड को सील कर दिया गया है। डॉक्टर व अन्य स्टाफ आइसोलेट कर दिया गया है। प्राथमिक संपर्कों का पता लगाया जा रहा है। इसके बाद से अस्पताल प्रबंधन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अस्पताल का गायनी वार्ड पहले ही सील है।
0 notes
बेकाबू हो रहे कोरोना वायरस संक्रमण को काबू करने के लिए नोएडा में दस दिवसीय अभियान की हुई शुरुआत
प्रतीकात्मक तस्वीर
नोएडा:
गौतम बुद्ध नगर में में बेकाबू हो रहे कोरोना वायरस संक्रमण को काबू करने के लिए प्रतिदिन चार हजार लोगों की जांच करने का फैसला सरकार ने लिया था. इसकी शुरुआत हरौला सेक्टर-5 में जनपद के नोडल अधिकारी एवं सीईओ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण नरेन्द्र भूषण, पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह एवं जिलाधिकारी सुहास एल वाई द्वारा संयुक्त रूप से किया गया. यह अभियान 02 से 12 जुलाई तक चलेगा, जिसके लिए प्रतिदिन 40 टीमों द्वारा कोरोना की 4000 जांच की जाएगी.
यह भी पढ़ें
कोरोना जांच को बढाने के लिए जिले भर में 10 दिवसीय सघन सर्विलांस अभियान की शुरुआत की गयी. अभियान के अवसर पर नोडल अधिकारी नरेन्द्र भूषण, पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह एवं जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने हरौला सेक्टर-5 का भ्रमण कर लोगों के स्वास्थ्य की जानकारी ली तथा जनसामान्य को सोशल डिस्टेंसिंग, फेसकवर, मास्क पहनने व बार-बार हाथों को साबुन से अच्छे से धुलने तथा सैनेटाइज करने के लिए प्रेरित करते हुए जागरूक किया गया. मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दीपक ओहरी ने बताया कि बिसरख, दादरी, भंगेल, बादलपुर, जेवर व दनकौर के प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्दों और जिला चिकित्सालय में जांच की व्यवस्था की गई है.
इसके अलावा इस अभियान में 300 से अधिक कंटेनमेन्ट जोन में भी सघन स्क्रीनिंग व जांच होगी. 300 से अधिक कंटेनमेंट जोन में भी लक्षण वाले मरीज, किडनी रोगी, गर्भवती महिला, टीबी रोगी, कैंसर पेशेंट आदि गंभीर श्रेणी मरीजों की भी जांच होगी. डॉ ओहरी ने बताया कि यह अभियान दस दिनों तक चलेगा, जिसके लिए 1500 टीमें गठित की गई है तथा प्रतिदिन 40 टीमों द्वारा कोरोना की 4000 जांच की जाएगी. प्रत्येक टीम में चिकित्सक, नर्स एवं लैब टेक्नीशियन को रखा गया है. प्रत्येक दिन 3000 रियल टाइम पीसीआर टेस्ट और 1000 एंटीजन जांच होगी. जांच की संपूर्ण प्रक्रिया का प्रशिक्षण सभी टीमों को दिया गया है.
VIDEO: कोरोना की चपेट में पुलिसकर्मी
Source link
from WordPress https://hindi.khabaruttarakhandki.in/%e0%a4%ac%e0%a5%87%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%ac%e0%a5%82-%e0%a4%b9%e0%a5%8b-%e0%a4%b0%e0%a4%b9%e0%a5%87-%e0%a4%95%e0%a5%8b%e0%a4%b0%e0%a5%8b%e0%a4%a8%e0%a4%be-%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%b0/
0 notes
उन्नाव में पाए गए 4 संक्रमितों की कैसे हुई पहचान, कहां से आए और कहां कहां गए
उन्नाव के असोहा जिले के तीन तहसील क्षेत्रों में मुंबई और सूरत से लौटे चार और प्रवासी कोरोना संक्रमित मिले हैं। इसमें पुरवा तहसील के बैगांव में संक्रमित मिले एक युवक का छोटा भाई 21 मई को कोरोना संक्रमित मिल चुका है। वहीं हसनगंज के गांव गोकुलपुर व सफीपुर तहसील के कन्हैयाखेड़ा गांव निवासी युवक की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद चारों को बिछिया के कोविड एल-1 अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
उन्नाव के पुरवा तहसील के ब्लाक असोहा के बैगांव का रहने वाला 37 साल का और 27 साल के दोनों युवक रविवार को कोरोना संक्रमित मिले हैं। इनमें 37 साल के युवक का छोटा भाई 21 मई को कोरोना संक्रमित मिला था। 17 मई को यह सभी 35 साथियों के साथ डीसीएम से मुंबई से लौटे थे। इसमें 12 प्रवासियों में बुखार के लक्षण मिलने पर उन्हें सरस्वती मेडिकल कॉलेज में आइसोलेट कराया गया था। जबकि अन्य साथी जीडीआरसी सेंटर में क्वारंटीन किए गए थे। बीडीओ धर्मेंद्र सिंह ने 21 मई को युवक के संक्रमित मिलने के बाद गांव को लगातार सैनिटाइजेशन कराय है। गांव के 900 घरों की 5 लगभग हजार आबादी भी होम क्वारंटीन है।
सफीपुर तहसील के गांव कन्हैयाखेड़ा में संक्रमित मिला 32 साल का युवक गुजरात के सूरत में प्राइवेट नौकरी करता था। पैदल व साधनों के माध्यम से 17 मई को सूरत से गांव आया था। गांव के अंदर आने से पहले उसने ग्राम प्रधान प्रतिनिधि को सूचना दी थी। प्रधान प्रतिनिधि ने उसे गांव के बाहर प्राथमिक स्कूल में क्वारंटीन कराया था। उसी दिन रात में 10 साल की बेटी उसे खाना देने सेंटर गई थी।
18 मई की सुबह उसे दिक्कत बढ़ने पर सीएचसी भेजा गया। वहां से जिला अस्पताल भेज दिया गया था। वहीं से सैंपल जांच के लिए भेजा गया था। रविवार को रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद एसीएमओ डा. एके गुप्ता क्वारंटीन सेंटर पहुंचे। वहां उन्हें कोई नहीं मिला। उन्होंने बताया कि क्वारंटीन सेंटर व गांव को सैनिटाइज कराया गया है। संपर्क में रहे लोगों को सोमवार को आइसोलेट कराया जाएगा। फिलहाल घर में दूरी बनाने के निर्देश दिए गए हैं। माखी एसओ संतोष कुमार ने बताया कि गांव को जाने वाले दो रास्तों पर बैरिकेडिंग लगाकर गांव के अंदर आवागमन बंद कर दिया गया है। दो-दो सिपाहियों को तैनात किया गया है।
हसनगंज तहसील क्षेत्र के गोकुलपुर गांव निवासी 32 साल का युवक 17 मई की रात ट्रक से मुंबई से लौटा था। दो दिन घर में रुका। 18 मई को चचेरी बहन की शादी में भी शामिल हुआ था। बारात पुरवा तहसील के गांव कुदिकाखेड़ा से आई थी। गांववालों को जब युवक के बारे में पता चला कि वो कुछ दिन पहले ही मुंबई से आया है तो ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग को सूचना दी।
स्वास्थ्य टीम को युवक का तापमान अधिक मिलने पर उसे 20 मई को उसे जिला अस्पताल आइसोलेट कराकर सैंपल जांच के भेजा गया था। रविवार को रिपोर्ट संक्रमित आने के बाद सीओ रमेश प्रलयंकर, एसओ असोहा सुरेंद्र कुमार मौके पर पहुंचे। फिलहाल घर वालों को होम क्वारंटीन रहने को कहा गया है।
बिना जांच के घर पहुंच रहे प्रवासी ही निकल रहे कोरोना संक्रमित
दूसरे राज्यों व शहरों से वापस लौट रहे वह लोग ही अधिकतर कोरोना संक्रमित निकल रहे हैं जो बिना जांच के घर पहुंच रहे हैं। घर वालों के साथ ग्रामीण भी इसका विरोध नहीं कर रहे। इसका खामियाजा उन्हें युवक संक्रमित मिलने के बाद भुगतना पड़ रहा है
https://is.gd/Wl7n1Z #HowWereThe4InfectedInUnnaoIdentified, #WhereDidTheyComeFromAndWhereDidTheyGo How were the 4 infected in Unnao identified, where did they come from and where did they go State, Top #State, #Top KISAN SATTA - सच का संकल्प
0 notes
कोभिड-१९ विरुद्ध प्रयोग गरिएका प्रविधि कति उपयोगी र सुरक्षित ?
कोरोना भाइरस डिजिज (कोभिड-१९) अथवा अहिले सार्स-२ नामाकरण गरिएको भाइरस संक्रमणका कारण विश्व नै महाविपद्को अवस्थामा छ । यो विपत्ति खास क्षेत्र, भूगोल जाति, समुदायप्रति मात्र लक्षित होइन विश्वव्यापी संक्रमणका कारण यो सिङ्गो मानव समुदायको अस्तित्वसँग जोडिएको विषय हो । यसको प्रभाव र विस्तार दिन दुई गुणा रात चार गुणाको दरमा फैलिरहेको छ ।
सर्वप्रथम यस भाइरसको बारेमा केही चर्चा गरौं। अध्ययनअनुसार यो सातौं कोरोना भाइरस हो । यो जीव वैज्ञानिक चाल्र्स डार्विनको प्रकृतिको छनौटको सिद्धान्तमा व्याख्या गरेअनुसार यसको उत्पत्ति र विकास हुँदै जाने क्रममा यो पनि परिवर्तन हुँदै गयो र सातौंसम्म पुग्दा वंशाणुगत परिवर्तन (उत्परिवर्तनको सिद्धान्तले भनेअनुसार)भई खतरनाक बन्न पुग्यो ।
यस भाइरसको संक्रमणले मानिसको श्वासप्रश्वास प्रणालीमा गम्भीर असर गरी ज्यान समेत लिने भएकोले यसलाई खतरनाक मानिन्छ । कतिपय देशमा यसको लक्षण पनि फरक-फरक र कतिपय अवस्थामा सक्रमण भएको लामो समयसम्म लक्षण देखिन पनि छोडेको रिपोर्ट आइरहेका छन् । यसबाट भावी समय कति भयावह हुनेछ अनुमान गर्न कठिन छ ।
मानवजाति लाखौं वर्षदेखि यस खालका अनेकौं विपद्सँग संघर्ष गर्दै यहाँसम्म आइपुगेको हो र अहिले हामीसँग आधुनिक प्रविधि र ज्ञान उपलब्ध छ । यसकै सहायताले हामी सबै मानव समुदाय र यसले निर्माण गरेका सबै संरचना जस्तै राज्य, सरकार र तिनका निकायहरूले आ-आफ्ना ठाउँबाट यसविरुद्ध लड्न अति जरुरी छ ।
त्यसैका निम्ति नेपालका बायोमेडिकल इन्जिनियरहरू हाम्रो सापेक्षतामा के गर्न सकिन्छ भनेर नियमित छलफल र अध्ययनमा छौं । कोरोनाविरुद्ध कुनै खोप अहिलेसम्म विकास हुनसकेको छैन र यसलाई पूर्ण रुपमा निष्कृय पार्न सक्ने अहिलेसम्म कुनै औषधिसमेत बनेको छैन । साथै, अहिले तुरुन्तै कुनै खोप वा औषधि बन्ने सम्भावना पनि छैन । किनकि यो लामो प्रक्रिया हो ।
तसर्थ, अहिलेको प्राथमिक कार्य भनेको कोरोनाको विस्तारलाई रोक्नु अनि उपलब्ध विधि अपनाएर जनजीवन नियमित पार्नु नै हो । यसै सन्दर्भमा केही देशहरूले सुरु गरेका एवं नेपालमा समेत चर्चा परिचर्चामा रहेका केही नवीनतम प्रविधिहरू कोभिड-१९ को रोकथाम वा उपचार पद्धतिलाई सहयोग गर्न उपयोगी ठानिएका छन् ।
तिनिहरूको राम्रा नराम्रा पक्षको चर्चा गर्नु यो आलेखको उद्देश्य हो । सर्वप्रथम प्रयोगमा आएका प्रविधिहरूको चर्चा गरौँ । विश्वस्वास्थ्य संगठनले निर्धा���ण गरेको मापदण्ड पूरा गरी तयार गरिएको पीपीई किट, मस्कहरू, स्यानिटाइजरहरू र केही रजिस्टर्ड डिसइन्फेक्टेन्टहरू, विश्व स्वास्थ्य संगठनले नै विश्वभरी प्रयोग गर्न सकिने गरी स्वीकृत गरिसकेको सन्दर्भमा थप चर्चा गर्न जरुरी भएन । तर, योबाहेक अन्य केही प्रविधिहरू जस्तै, डिसइन्फेक्सन टनेल, हुम्यान स्टेरिलाइजेसन बक्स, गेट, बडिडिसइन्फेक्सन च्याम्बर, नमुना संकलन बुथ लगायतका उपकरणहरू प्रयोग गरेको पाइएको छ ।
टर्की, भियतनाम, भारत, इन्डोनेसिया, मलेसिया, दक्षिण कोरिया लगायतका देशहरूले योमध्ये कुनै न कुनै प्रविधि प्रयोग निजी स्तरमा गरिएको पाइएको छ । नेपालमा पनि नमुना संकलन बुथ, स्यानिटाइजेसन टनेल निजी संघ संस्थाहरूबाट र नमुना संकलन बुथ राष्ट्रिय आविष्कार केन्द्रले समेत तयार गर्दै वितरण गरेको पाइएको छ । यी उपकरणहरू कति उपयोगी र सुरक्षित छन् त ? मूल प्रश्न यहाँनिर छ ।
त्यसखालका उपकरणहरूमा दुई खालको उपचार प्रविधि प्रयोग गरेको पाइन्छ । एक स्वीकृत डिसइन्फेक्टेन्ट र इन्फ्रारेड वा डिसन्फेक्टेन्टले स्प्रे गर्ने तरिका । त्यसमध्ये नमुना संकलन बुथबाहेक अन्यको हकमा हालसम्म यी प्रविधिहरूमा सेन्सर इन्फ्रारेड अथवा मोसनको प्रयोग गरिएको पाइन्छ । कुनै व्यक्तिले टनेल वा च्याम्बर भएर गएमा सेन्सरको माध्यमबाट स्वाचालित रूपमा विश्व स्वास्थ्य संगठनले डिसइन्फेक्टेन्टको लागि रजिस्टर गरेका केमिकलले ५-३० सेकेन्ड स्प्रे गर्ने गरिएको छ ।
साथै, के दाबी गरिँदैछ भने यसले कोभिड-१९ भाइरसलाई निर्मूल वा संक्रमण दरलाई कम गर्न सहयोग गर्छ । उच्च संक्रमणको जोखिम हुने क्षेत्रहरू जस्तै, अस्पताल, एयरपोर्ट, सुपर मार्केट, स्कुल लगायत भिडभाड हुने क्षेत्रमा यो उपयोगी हुने दाबी गरिएको छ । यहाँनिर टनेल र च्याम्बरमा प्रयोग भएको विधि, प्रविधि र अहिलेसम्मको अध्ययनका बारेमा केही कुरा थाहा पाउन जरुरी छ ।
अहिलेसम्मको अध्ययनले कोभिड-१९ लाई अल्ट्राभायोलेट र तापले असर गर्ने देखिएको छ । अध्ययनअनुसार ५६ डिग्री सेल्सियसमा ३० मिनेटभन्दा धेरै राखेमा भाइरसलाई निस्तेज पार्न सकिन्छ । त्यसैगरी विश्व स्वास्थ्य संगठनले डिसइन्फेक्टेन्टको रूपमा परिभाषित लिपिड सोलभेन्टहरू जस्तै, इथर, इथानोल, कोलोरिन र यसको समिश्रणबाट बनेका डिसइन्फेक्टेन्ट, क्लोरोर्फम लगायत अरू डिसइन्फेक्टेन्टहरूले कोभिड-१९ भाइरसलाई निष्कृय पार्न सक्छन् ।
तर, यूएसईपीएका अनुसार यी डिसइन्फेक्टेन्टहरू मान्छेमा होइन कुनै सतहमा प्रयोग गर्नको लागि मात्र भनेको छ । सतह पनि अलि कडा सतह जस्तो मेटल वा ग्लास, जसलाई ननपोरस सर्फेस भनिन्छ । यसमा पनि ती डिसइन्फेक्टेन्टहरू कम्तीमा ५/१० मिनेट सर्फेसको सम्पर्कमा रहनु अनिवार्य छ ।
तर, हाल प्रयोगमा आइरहेका प्रविधिहरू जस्तो टनेल, च्याम्बर गेटहरू बढीमा ५ः३० सेकेन्ड स्प्रे गर्ने गरिन्छ । तसर्थ, यो भाइरसलाई निष्कृय पार्न उपयुक्त विधि पक्कै भएन, यो त एउटा कारण मात्र भयो । अर्को कारण व्यक्तिलाई नै टनेल वा च्याम्बरमा लत्ताकपडा सहित ५ः३० सेकेन्ड राख्ने गरिन्छ । यहाँनिर बुझ्नु पर्ने कुरा के हो भने अहिलेसम्मको अध्ययनले पोरस सर्फेस वा लत्ताकपडाको हकमा धुने, निश्चित तापमानमा तताउने र सुकाएर मात्र भाइरसलाई निर्मूल पार्न सकिन्छ र टनेल वा च्याम्बरमा निश्चित समय डिसइन्फेक्टेन्टले स्प्रे गर्दैमा भाइरस निष्कृय हुन सक्दैन ।
त्यसैगरी, पोरस सर्फेस अर्थात् लत्ताकपडा स्प्रे गरिएको डिसइन्फेक्टेन्टले न बाहिरी रुपमा न संक्रमण भएको व्यक्तिमा भएको भाइरसलाई मार्न सक्छ न संक्रमित व्यक्तिलाई कुनै फाइदा हुने देखिन्छ । त्यसको विपरित यो डिसइन्फेक्टेन्ट आँखा र मुखमा हुने म्युकस मेम्ब्रनको लागि हानिकारक हुन्छ । यससँगै यसको प्रभावकारीको बारेमा हालसम्म कुनै वैज्ञानिक अध्ययन, अनुसन्धान भएको भेटिँदैन तसर्थ यो क्लिनिकल्ली परीक्षणसमेत नभएको हुँदा उपयोगी छैन भन्ने सहजै निष्कर्ष निकाल्न सकिन्छ ।
मलेसियामा यो व्यापक प्रयोग हुन थालेपछि त्यहाँको स्वास्थ्य मन्त्रालयले अध्ययनसमेत गरायो । उक्त अध्ययन प्रतिवेदन अनुसार यसप्रकारका उपकरणले कोभिड १९ बाट सुरक्षित गर्नसक्ने कुनै आधार नरहेको ठहर गर्यो । तसर्थ, डिसइन्फेक्सन टनेल, गेट वा च्याम्बर अहिलेको अवस्थामा उपयोगी हुने देखिँदैन । तर, यो कुनै इन्फेक्टेट क्षेत्रमा प्रयोग हुने सवारी साधनहरूलाई समयसमयमा डिसइन्फेक्टेन्ट गर्न उपयोगी हुन सक्ने देखिन्छ ।
तर, नमुना संकलन बुथले भाइरसलाई निर्मूल गर्ने होइन । यसले नमुना संकलन गर्ने स्वास्थ्यकर्मीहरूलाई संक्रमणबाट जोगाउन मद्दत गर्छ अथवा बिरामी र स्वास्थ्यकर्मी बिचमा आइसोलेसन गराउँछ । यो रोग संक्रमणबाट आइसोलेसन कति आवश्यक छ भन्ने कुरा विश्व स्वास्थ्य संगठनले समेत भनिसकेको र करिब विश्व नै अहिले लकडाउनमा रहेको हुँदा यो प्रभावकारी प्रविधि हो भन्नेमा शंका रहेन ।
दक्षिण कोरियालगायतका देशमासमेत यसको प्रयोग गर्दै आइरहेको पाइन्छ । तर, हाम्रो जस्तो देशमा केही सामाजिक तथा पेशागत संघसंस्थाले कसरी निर्माण गरिरहेका छन् । त्यो बुथमा प्रयोग भएको निर्माण सामग्री, नमुना संकलनको लागि सहज हुने गरिएको डिजाइन गरिएको नगरिएको र मुख्य कुरा हावासमेत छिर्न नसक्ने गरी एयर सिल्ड गरे नगरेको र सम्बन्धित क्षेत्रका विज्ञहरूबाट जाँच गराइएको छ कि छैन ।
यी लगायतका विषयमा ध्यान दिने हो भने यो विधि प्रभावकारी हुन सक्छ । त्यसैगरी अम्बु ब्यागलाई अटोमेसन गरेर अस्थायी प्रकारको भेन्टिलेसनको लागि नेपाल भित्रै केही पहल भइरहेको छ । म्यानुवल ल्यारिङोस्कोपलाई क्यामेरा र मोबाइलको सहायताले भिडियो ल्यारिङोस्कोपको रुपमा काम गराउन सकिनेतर्फ वीर अस्पताल केहीअघि परीक्षण गरिएको थियो ।
जुन कम खर्चिलो विधिबाट नमूना संकलनमा सहयोगी हुन सक्छ । भविष्यमा यस्तै थप प्रविधिहरू नियमित निर्माण हुने चरणमा रहेकाले राज्यको भूमिका यहीँनिर आवश्यक देखिन आएको छ । राज्यले विज्ञ बायोमेडिकल इन्जिनियर सम्मिलित एक प्राविधिक समिति बनाई नियमन गर्न र उपयोगी प्रविधि विकासमा सहयोग गर्नु आवश्यक छ ।
(विष्ट बायोमेडिकल इन्जिनियर्स सोसाइटी नेपालको अध्यक्ष हुन्)
0 notes
दुनिया भर को कोरोना ने सताया, जानें- लक्षद्वीप ने खुद को कैसे बचाया - Why lakshadweep islands have not reported a single case of corona virus yet tstk
New Post has been published on https://apzweb.com/%e0%a4%a6%e0%a5%81%e0%a4%a8%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%ad%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%8b-%e0%a4%95%e0%a5%8b%e0%a4%b0%e0%a5%8b%e0%a4%a8%e0%a4%be-%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%b8%e0%a4%a4%e0%a4%be/
दुनिया भर को कोरोना ने सताया, जानें- लक्षद्वीप ने खुद को कैसे बचाया - Why lakshadweep islands have not reported a single case of corona virus yet tstk
लक्षद्वीप में कोरोना पॉजिटिव एक भी केस नहीं
लक्षद्वीप की आबादी करीब 65 हजार लोगों की
इस समय पूरा देश कोरोना वायरस जैसी महामारी से लड़ रहा है. यही वजह है कि लॉकडाउन को एक बार फिर तीन मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है. देश के लगभग हर हिस्से में कोरोना पॉजिटिव मरीज पाए जा चुके हैं लेकिन केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप अभी भी इस महामारी के प्रकोप से अछूता है.
10 छोटे द्वीपों वाले लक्षद्वीप की आबादी लगभग 65,000 है लेकिन अभी तक वहां कोरोना वायरस के एक भी मामले की रिपोर्ट नहीं मिली है. जबकि वो भौगोलिक रूप से केरल के करीब है जहां कोरोना वायरस ने कहर मचा रखा है. लक्षद्वीप अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए भी केरल पर ही निर्भर है.
लक्षद्वीप में ही रहने वाले 87 साल के मोहम्मद बदागे करीब 30 सालों तक वहां नाविक थे. मार्च में ही उन्हें और अलग-अलग द्वीपों के गांवों के निवासियों को महामारी के बारे में पता चला. ये लोग नाव के जरिए ही केरल के कोझीकोड और एर्नाकुलम जाते हैं क्योंकि द्वीपों पर महज प्राथमिक चिकित्सा की ही सुविधा है.
कोरोना पर भ्रम फैलाने से बचें, आजतक डॉट इन का स्पेशल WhatsApp बुलेटिन शेयर करें
हर द्वीप के सरकारी अस्पताल एक समय में 20 से अधिक रोगियों का इलाज नहीं कर सकते हैं और न ही वहां वेंटिलेटर की सुविधा है. किसी आपात स्थिति में हेलिकॉप्टर के जरिए मरीज को केरल के कोच्चि पहुंचाया जाता है. इतना ही नहीं द्वीप पर रहने वाले लोगों को किराने का सामान, सब्जियां, दवाएं लेने के लिए भी केरल जाना पड़ता है. द्वीपों पर सिर्फ मछली और नारियल ही प्रचूर मात्रा में पाया जाता है.
वहां के एक स्थानीय डॉक्टर मुनीर के मुताबिक महामारी को लेकर “ये द्वीप असुरक्षित है क्योंकि अधिकांश निवासी नाविक हैं और विदेश में काम करते हैं. हम सबसे ज्यादा जोखिम वाली जगह में रहते हैं. उन्होंने कहा, यहां के लोगों को पता ही नहीं था कि यह महामारी कितनी गंभीर है. “
डॉ मुनीर ने यह भी कहा कि लक्षद्वीप में महामारी के खिलाफ सावधानी बरतने की जरूरत है. उन्होंने कहा, “16 मार्च को, 3500 यात्री कोझीकोड और कोच्चि से द्वीपों पर आए. उनमें से 1,000 मिनिकॉय के मूल निवासी थे और बाकी लोग अन्य द्वीपों के रहने वाले ��े. 20 मार्च के बाद ऐसे लोगों को क्वारनटीन में रहने का आदेश दिया गया था और कोई भी उनमें से कोरोना पॉजिटिव नहीं निकला.
कोरोना पर फुल कवरेज के लिए यहां क्लिक करें
डॉक्टर के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति में वायरस के लक्षण दिखते हैं तो जिला प्रशासन ने उनके लिए कुछ व्यवस्थाएं की हैं. ऐसे लोगों को इलाज के लिए केरल ले जाया जाएगा.
केंद्र शासित प्रदेश में 22 मार्च को आंशिक रूप से लॉकडाउन और 25 मार्च से पूर्ण लॉकडाउन जारी है. डॉ मुनीर के मुताबिक “हमारे पास बहुत कम पुलिसकर्मी और कुछ भारतीय रिजर्व बटालियन के अधिकारी हैं. उन्होंने कहा कि बीमारी के प्रसार की जांच करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं क्योंकि कई लोग लॉकडाउन नियमों का कड़ाई से पालन नहीं कर रहे हैं.
आजतक के नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट और सभी खबरें. डाउनलोड करें
!function(e,t,n,c,o,a,f)(window,document,"script"),fbq("init","465285137611514"),fbq("track","PageView"),fbq('track', 'ViewContent');
Source link
0 notes
संक्रमितों के घरों को क्वारंटाइन में किया जा रहा तब्दील पटना। कोरोना संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित रखने हेतु पटना नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत हाउस टू हाउस सर्वे किया जा रहा है। गुरुवार से शुरू किए गए इस सर्वे में घर-घर जाकर सर्वे टीम द्वारा कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां लिए जा रहे हैं। विगत एक महीन में विदेश से लौटे सदस्यों के नाम, घर के किसी सदस्य को सर्दी-खांसी-बुखार आदि की शिकायत या कोरोना संक्रमण के लक्षण पाए जाने संबंधित सवाल पूछे जा रहे हैं। सर्वे हेतु जिला प्रशासन द्वारा प्रत्येक वार्ड को कम से कम पांच सेक्टर में विभाजित किया गया है एवं प्रत्येक सेक्टर के लिए अलग-अलग टीमों का गठन किया गया है। सर्वे हेतु सभी सेक्टर के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई हैं। प्रत्येक टीम में सेक्टर सुपरवाइजर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा प्रतिनियुक्त स्वास्थ्य कर्मी, आंगनबाड़ी कर्मी, पुलिस कर्मी, अन्य कर्मी (शिक्षक/ टैक्स कलेक्टर/ विकास मित्र/ सेविका), प्रत्येक वार्ड अंतर्गत गठित सभी सेक्टर वार टीमों में संबंधित वार्ड के सफाई निरीक्षक आदि सदस्य शामिल किए गये हैं। सर्वे में गृह स्वामी का नाम, मोहल्ला का नाम, वार्ड संख्या, थाना का नाम, घर के कुल सदस्यों की संख्या, सदस्यों के नाम एवं उम्र, क्या घर के किसी सदस्य को विगत 15 दिनों में सर्दी, खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ संबंधी कोई शिकायत हुई है?
0 notes