Covaxin : કોવિશિલ્ડ બાદ હવે કોવેક્સીન લેનારાઓ માટે માઠા સમાચાર, કોવેક્સિનની પણ આડઅસર થઈ શકે છે. અભ્યાસમાં કરવામાં આવ્યો દાવો
Covaxin : કોરોનાકાળ દરમિયાન કોરોનાથી બચાવવા માટે દેશમાં મોટી સંખ્યામાં લોકોએ કોવિશિલ્ડ અને કોવેક્સિન રસી લગાવી હતી, પરંતુ હવે ધીરે ધીરે આ બંને રસીની આડઅસર સામે આવી રહી છે. કોવિશિલ્ડ બનાવનાર બ્રિટિશ કંપની એસ્ટ્રાઝેનેકાએ તાજેતરમાં જ એક કોર્ટમાં સ્વીકાર્યું હતું કે, તેની રસી કેટલાક લોકોમાં ગંભીર બીમારીનું કારણ બની શકે છે.
ત્યારે હવે એક અભ્યાસમાં સામે આવ્યું છે કે ભારત બાયોટેકની કોરોના વેક્સિન-…
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कोवेक्सिन, कोविशील्ड के टीके वयस्कों के लिए एहतियात के तौर पर कॉर्बेवैक्स को सरकार की मंजूरी
कोवेक्सिन, कोविशील्ड के टीके वयस्कों के लिए एहतियात के तौर पर कॉर्बेवैक्स को सरकार की मंजूरी
सरकार ने बुधवार को जैविक ई के कॉर्बेवैक्स को 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए एहतियाती खुराक के रूप में कोविशील्ड या कोवैक्सिन के साथ पूरी तरह से टीका लगाने को मंजूरी दे दी।
यह पहली बार है कि देश में एक बूस्टर खुराक की अनुमति दी गई है जो कि कोविड के खिलाफ प्राथमिक टीकाकरण के लिए इस्तेमाल की जाने वाली खुराक से अलग है।
को-विन पोर्टल पर पात्र और देय एहतियाती खुराक के लिए कॉर्बेवैक्स का उपयोग…
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देश में पहली बार बूस्टर डोज के लिए 'मिक्स' कोरोना वैक्सीन की सिफारिश, अब सरकार लेगी फैसला
देश में पहली बार बूस्टर डोज के लिए ‘मिक्स’ कोरोना वैक्सीन की सिफारिश, अब सरकार लेगी फैसला
Corbevax Booster Dose: एनटीएजीआई (NTAGI) ने ने कोविशील्ड या कोवैक्सीन की दोनों खुराक लगवा चुके लोगों को एहतियाती खुराक (बूस्टर डोज या तीसरी खुराक) के तौर पर बायोलॉजिकल ई द्वारा विकसित कॉर्बेवैक्स (Corbevax) टीका देने की सिफारिश की है. कॉर्बेवैक्स कोविड-19 के लिए भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (RBD) प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन (Vaccine) है. सूत्रों के मुताबिक टीकाकरण पर…
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AstraZeneca की कोविड वैक्सीन में एक और घातक ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर : Research
New Delhi: शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सहयोग से बनाई गई ब्रिटिश स्वीडिश फार्मा दिग्गज एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन में इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया और थ्रोम्बोसिस (VITT) का बढ़ता हुआ खतरा पाया गया। यह एक गंभीर स्थिति है जिसमें खून का थक्का जम जाता है।
2021 में कोविड महामारी के चरम पर भारत में कोविशील्ड और यूरोप में वैक्सजेवरिया के रूप में बेचे जाने वाले एडेनोवायरस…
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10 लाख लोगों में केवल सात...कोविशील्ड से कितना खतरा, क्या डरने की जरूरत है?
नई दिल्ली: एक बार फिर कोरोना की चर्चा शुरू है लेकिन वायरस नहीं बल्कि कोविड वैक्सीन की। पहले कोरोना से डर लगता था तो वहीं अब कोरोना वैक्सीन के नाम से अचानक लोगों को डर लगने लगा है। इस डर की शुरुआत हुई ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के एक खुलासे से। इस खुलासे के बाद कोरोना की वैक्सीन लेने वाले लोगों के मन में कई सवाल पैदा हो गए। वैक्सीन निर्माता ने कोर्ट में माना है कि दुर्लभ मामलों में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोम्बोसिस (TTS) का कारण बन सकता है। इससे खून के थक्के बन सकते हैं और प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है। थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के कई गंभीर मामलों में यह स्ट्रोक और हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है। इस खुलासे के बाद भारत में भी इसकी चर्चा शुरू हो गई। एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाई। भारत में बड़े पैमाने पर ये वैक्सीन लगाई गई है। लोगों के मन में कई सवाल हैं और इन सवालों के बीच भारत में अधिकांश हेल्थ एक्सपर्ट यह मान रहे हैं कि यह केवल दुर्लभ मामलों में ही हो सकता है। भारत में भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। एक वकील की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट की जांच के लिए मेडिकल एक्सपर्ट का पैनल बनाया जाए। वैक्सीन के कारण किसी भी रिस्क फैक्टर का परीक्षण करने का निर्देश दिया जाए और यह सब सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में किया जाना चाहिए। हालांकि देखा जाए तो सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने साल 2021 में इस टीके से होने वाले साइड इफेक्ट के बारे में अपनी साइट पर जानकारी दी है। सीरम इंस्टीट्यूट ने अपनी वेबसाइट पर अगस्त 2021 में कोविशील्ड टीका लगाने के बाद होने वाले साइड इफेक्ट की जानकारी दी है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि थ्रोम्बोसाइटोपेनिया या प्लेट्सलेट की संख्या कम होने की वजह से ब्लड क्लाटिंग की समस्या हो सकती है। कंपनी ने कहा है कि यह एक लाख में से एक से भी कम लोगों में हो सकती है और कंपनी ने इसे बहुत ही दुर्लभ मामला बताया है। ICMR के पूर्व महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव ने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को लेकर कहा कि इसका साइड इफेक्ट टीका लेने के अधिकतम तीन से चार हफ्तों तक ही हो सकता है। वह भी केवल दुर्लभ मामलों में ही। भारत में कोविशील्ड के करोड़ों डोज लगाए गए हैं लेकिन न के बराबर मामलों में ही साइड इफेक्ट देखने को मिला। उनकी ओर से कहा गया है कि वैक्सीन लगवाने के दो-ढाई साल बाद साइड इफेक्ट का कोई खतरा नहीं है और इससे बेवजह डरने की जरूरत नहीं।ICMR के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि वैक्सीन के लॉन्च होने के 6 महीने के अंदर टीटीएस को एडेनोवायरस वेक्टर वैक्सीन के एक साइड इफेक्ट के रूप में पहचाना गया था। इस वैक्सीन की समझ में कोई नया चेंज नहीं है। उनकी ओर से कहा गया कि यह समझने की जरूरत है कि टीका लगवाने वाले दस लाख लोगों में केवल सात या आठ लोगों को ही खतरा है। मेडिकल एक्सपर्ट डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा कि TTS रक्त वाहिकाओं में थक्का बना सकता है, लेकिन कुछ टीकों के इस्तेमाल के बाद इसका होना बेहद दुर्लभ होता है। जयदेवन केरल में नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) कोविड टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया कि कोविड वैक्सीन ने कई मौतों को रोकने में मदद की है। न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, 'TTS का मतलब खून के थक्के बनने से है। कम प्लेटलेट काउंट के साथ दिमाग या अन्य रक्त वाहिकाओं में इससे थक्का बन सकता है।' http://dlvr.it/T6Jt7Y
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कोविशील्ड के साइड इफेक्ट्स पर AAP ने जताई चिंता, केंद्र सरकार को दिया सुझाव
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कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट; 5 लक्षणों से तुरंत पहचाने
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन जो कोरोना से बचने के लिए बनाई गई थी हाल ही में कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट की चर्चा तेज हो गई है, एक व्यक्ति को जब कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट दिखाई दिए तब उसने वैक्सीन बनाने वाली कंपनी पर कोर्ट केस कर दिया। जिसके बाद कंपनी ने इस बात को स्वीकार किया कि ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट Read more..
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'कोविशील्ड' का काला सच नींदे उड़ा देगा ! AstraZeneca Admits covishield's ...
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covishield new information: कोविशील्ड,कोरोना वैक्सीन से ब्रेन स्ट्रॉक व हार्ट अटैक का खतरा, निर्माता ब्रिटिश कंपनी का कोर्ट में हलफनामा, 175 करोड़ लोंगो को लगे थे डोज, आईसीएमआर की विश्वसनीयता भी सवालों के घेरे में
नयी दिल्ली: ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना है कि कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. हालांकि ऐसा बहुत रेयर मामलों में ही होगा. एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कोवीशील्ड नाम से वैक्सीन बनाई. ब्रिटिश मीडिया के अनुसार, एस्ट्राजेनेका पर आरोप है कि उनकी वैक्सीन से कई लोगों की मौत हो गई. वहीं कई अन्य को गंभीर बीमारियों का सामना करना…
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कोविशील्ड वैक्सीन से महिला डॉक्टर की मौत, बॉम्बे HC ने केंद्र को भेजा नोटिस
कोविशील्ड वैक्सीन से महिला डॉक्टर की मौत, बॉम्बे HC ने केंद्र को भेजा नोटिस
Covishield Vaccine Case: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोविशील्ड वैक्सीन (Covishield Vaccine) से कथित तौर पर एक महिला डॉक्टर की मौत के मामले में (Lady Doctor Death Case) भारत सरकार (GOI) समेत अन्य लोगों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. कोर्ट की ओर से भारत सरकार के अलावा, महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Govt), केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW), पुणे का सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII), दिल्ली…
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Leading Pharma Company AstraZeneca ने क्यों वापस ली कोविड-19 वैक्सीन?
New Delhi : दिग्गज फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सहयोग से बनाई गई अपनी कोविड-19 वैक्सीन को दुनिया भर से वापस ले रही है। कंपनी ने ब्रिटेन की एक अदालत में वैक्सीन के खतरनाक साइड इफेक्ट की बात स्वीकार की थी। इसके महीने बाद कंपनी ने यह कदम उठाया है।
टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने स्वेच्छा से भारत में कोविशील्ड और यूरोप में वैक्सजेवरिया के रूप में बेची जाने वाली…
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Gorakhpur News:कॉकटेल, कोविशील्ड और कोवैक्सीन लगवा चुके लोगों की जांची जाएगी एंटीबॉडी, पुणे में भेजे गए सैंपल - Antibodies Will Be Tested For People Who Have Had Cocktail Covishield And Covaccine
सांकेतिक तस्वीर।
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
सिद्धार्थनगर में कोरोनारोधी वैक्सीन की कॉकटेल डोज लगवाने वाले 20 लोगों और कोवैक्सीन-कोविशील्ड लगवाने वाले 40-40 लोगों की एंटीबॉडी पर शोध होगा। इसके लिए सभी के नमूने लेकर राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) पुणे को भेज दिए गए हैं। एनआईवी पुणे एंटीबॉडी की जांच करेगा।
जानकारी के मुताबिक, मई 2021 में सिद्धार्थनगर जिले में 20 लोगों को पहली डोज…
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