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#चांद के बाद अब सूर्य पर भारत
khabarwala247 · 1 year
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Aditya L1 Launch: चांद के बाद अब सूर्य पर भारत, आदित्य एल-1 किया गया लॉन्च
भारत अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज शनिवार को सूर्य का अध्ययन करने के लिए अपना आदित्य-एल1 मिशन (Aditya L1 Mission) सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। आदित्य एल1 मिशन चंद्रयान-3 मिशन के समान दृष्टिकोण अपनाएगा।
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dainiksamachar · 1 year
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रोवर ने पूरा किया अपना काम, अब लंबी नींद 'सोएगा'... चंद्रयान-3 पर देर रात इसरो का बड़ा अपडेट
नई दिल्‍ली: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने मिशन चंद्रयान-3 पर शनिवार देर रात बड़ा अपडेट दिया। उसने बताया कि रोवर प्रज्ञान ने अपना काम पूरा कर लिया है। अब उसे सुरक्षित पार्क कर दिया गया है। रोवर को स्‍लीप मोड में डाल दिया गया है। इसरो के मुताबिक, APXS और LIBS पेलोड को भी स्‍व‍िच ऑफ किया गया है। इन पेलोड से डेटा लैंडर के जरिये धरती पर भेजा जाता है। फिलहाल, बैटरी पूरी तरह चार्ज है। सौर पैनल 22 सितंबर को अपेक्षित अगले सूर्योदय पर प्रकाश प्राप्त करने के लिए तैयार हैं। रिसीवर चालू रखा गया है। उसने असाइनमेंट के दूसरे सेट के लिए रोवर के सफलतापूर्वक जागने की उम्‍मीद जाहिर की। अगर ऐसा नहीं हुआ तो यह हमेशा भारत के लूनर एंबेसडर के रूप में वहीं रहेगा।इसके पहले शनिवार को ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चीफ एस सोमनाथ ने बताया था कि चंद्रमा पर भेजे गए चंद्रयान-3 के रोवर और लैंडर ठीक से काम कर रहे हैं। चूंकि चंद्रमा पर अब रात हो जाएगी। इसलिए इन्हें ‘निष्क्रिय’’ किया जाएगा। सोमनाथ ने कहा था कि लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ अब भी काम कर रहे हैं। टीम अब वैज्ञानिक साजो-सामान के साथ ढेर सारा काम कर रही है। सोमनाथ ने बताया था कि अच्छी खबर यह है कि लैंडर से रोवर कम से कम 100 मीटर दूर हो गया है। हम आने वाले एक या दो दिन में इन्हें निष्क्रिय करने की प्रक्रिया शुरू करने जा रहे हैं। कारण है कि चांद पर रात होने वाली वाली है। इसरो प्रमुख ने पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य एल1’ का श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण होने के बाद मिशन नियंत्रण केंद्र से अपने संबोधन में यह जानकारी दी थी। देर रात इसरो ने 'एक्‍स' पर एक पोस्‍ट शेयर किया। इस पोस्‍ट में उसने बताया कि रोवर ने अपने असाइनमेंट पूरे कर लिए हैं। अब उसे पार्क करके स्‍लीप मोड में सेट कर दिया गया है। अभी बैटरी फुल है। अगला सूर्योदय 22 सितंबर को होने की उम्‍मीद है। सोलर पैनल को उसी के अनुसार उन्‍मुख किया गया है। रिसीवर को ऑन रखा गया है। http://dlvr.it/SvXp5x
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newsdaynight · 1 year
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चंद्रयान-3: चांद पर प्रज्ञान की सेंचुरी! 100 मीटर चल चुका रोवर, हर कदम निहार रहा है विक्रम
Delhi: अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत नित नई उपलब्धियां हासिल कर रहा है। शनिवार सुबह इसरो ने पहला सूर्य मिशन 'आदित्य-एल1' लॉन्‍च किया। कुछ ही देर बाद, चंद्रयान-3 मिशन को लेकर बड़ा अपडेट आ गया। प्रज्ञान रोवर ने 100 मीटर का डिस्टेंस कवर कर लिया है। अब वह लैंडिंग साइट 'शिव शक्ति पॉइंट' पर मौजूद विक्रम लैंडर से 100 मीटर से ज्यादा की दूरी पर है और आगे बढ़ रहा है। इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन का ताजा फोटो भी शेयर किया है। इसमें प्रज्ञान की मूनवॉक साफ नजर आ रही है। चांद पर जैसे ही सूरज ढलेगा और रात की शुरुआत होगी, प्रज्ञान और विक्रम निष्क्रिय हो जाएंगे। दरअसल, इन पर सोलर पैनल लगे हैं और ये सूरज की रोशनी से ही एनर्जी जुटाते हैं। जब सूरज ढलता है तो चांद पर तापमान -203 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। इस तापमान में विक्रम और प्रज्ञान काम नहीं कर सकते। ऐसे में जब चांद पर 14 दिन रात रहेगी तो ये दोनों काम नहीं कर सकेंगे। http://dlvr.it/SvXFMf
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मृत्यु के समय लोगों को अधिकतर अंधेरा ही दिखाई देता है। मगर घबराने की बात नहीं है। वहां चांद जैसी ज्योति तुम को राहत देगी, तुम्हारा आलिंगन करेगी, तुम्हें आगे लेकर जाएगी। मृत्यु होते ही चंद्रमा जैसी शीतल एक चेतना तुम्हारे पास आएगी और तुम्हें लेकर जाएगी। उत्तरायण दक्षिणायन यह एक सूक्ष्म ज्ञान है । ऐसा नहीं है कि जिस व्यक्ति की मृत्यु जनवरी में होती है वह मुक्त हो जाएगा या जिसकी मृत्यु सितंबर में होती है उसे नर्क मिलेगा । हमारे भीतर ही उत्तरायण और दक्षिणायन है। यह सूक्ष्म नाडि़यां जब चलती है उस उस वक्त जो मरता है उसकी स्थिति यहां बताई गई है। सूर्य नाड़ी जब चलती है तो अग्नि , शरीर में गर्मी रहती है उस वक्त। मृत्यु के बाद भी कई लोगों का शरीर ठंडा नहीं होता। कुछ लोग जीते जीते ही ठंडे हो जाते हैं और फिर उनके प्राण निकलते हैं। सूर्य नाड़ी से जब प्राण निकलते हैं तो मृत्यु के बाद भी शरीर में गर्मी बनी रहती है। ज्योति दिखती है और उस गति से जो व्यक्ति जाता है वह योगी होता है। उनका तुरंत पुनर्जन्म नहीं होता है। जो चंद्र नाडी़ से जाते हैं वह पितृलोक में जाकर फिर कुछ समय के बाद लौट सकते हैं। इसका अर्थ यह नहीं कि सूर्य नाड़ी से जाने वाले श्रेष्ठ है और चंद्र नाड़ी से जाने वाले निकम्मे हैं। दोनों ही अच्छे हैं। अब पितृलोक की बात करते हैं। जब व्यक्ति की मृत्यु होती है तो एक विश्वदेव नाम के एक देवता भी उसके साथ जाते हैं । यह देवता आत्मा के साथ रहते हैं । इसलिए जब श्राद्ध करते हैं तो विश्वेदेवा को प्रार्थना करते हैं कि आप मेरे इन इन पितरों को साथ लेकर आइए। जो पहले मरते हैं वह वसु होते हैं। उनसे पहले जिनकी मृत्यु हुई वह आदित्य होते हैं। उनसे भी पहले जो जिनकी मृत्यु हुई है ,आपके दादा के पिता वह रुद्र होते हैं। यह तीन ग्रिड होते हैं। यह एक ओहदा है , प्रमाण है, स्थान है। आपके दादा के पिता रुद्र के स्थान पर बैठे हैं। दादा आदित्य के स्थान पर है यदि आपके पिताजी की मृत्यु हो गई है तो आप वसु के स्थान पर बैठे हैं। वसु आदित्य और रुद्र इन तीन ग्रेड पर आत्मा रहती है। और यह पितृलोक में रहते हैं इसलिए पितृलोक से इन्हें लाने के लिए विश्वेदेवा को बुलाते हैं। यह पद्धति है। पितृलोक में लोग अपनी इच्छाओं को लेकर रहते हैं। फिर जब सही शरीर मिलता है, जहां संभोग हो रहा हो और उनकी एनर्जी, वाइब्रेशन एक ही जैसी हो , उनके कर्म के हिसाब से वहां आत्मा गर्भ में प्रवेश करती है। और फिर बच्चे का जन्म होता है। यह अद्भुत ज्ञान है। इसकी जितनी में गहराई में जाओगे उतना ही आप चौक जाओगे।
सूर्य और चंद्र नाड़ी शाश्वत है, हमेशा रहने वाली हैं। यह दो मार्ग शाश्वत है। कोई पितृलोक में जाते हैं तो वे वापस लौट कर आते हैं। नाड़ी में भी यदि गहराई से देखें तो इसमें पांच तत्व होते हैं। आध्यात्मिक ज्ञान की बात जहां हो रही हो वहां दोनों नाड़ियां चलती हैं।
किसी ने गुरुदेव से प्रश्न पूछा कि किसी और शरीर के लिए ह्रदय का दान देने पर क्या होता है ?क्या यह सही है?
गुरुदेव ने कहा कि दान देना सही है। आत्मा के लिए शरीर एक कपड़े की तरह है। गुरुदेव कह रहे हैं कि शरीर के अवयवों का दान करना एकदम सही है। लोगों में यह गलत धारणा बन जाती है कि आज इस समय का दान करेंगे तो अगले जन्म में उनके शरीर में वह अवयव नहीं रहेगा जैसे यदि आंखों का दान करें तो अगले जन्म में अंधे होकर जन्म लेंगे। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। गुरुदेव कह रहे हैं कि हमने सुना है ना कि ऋषि दधीचि रहे अस्त्र बनाने के लिए उनकी रीढ़ की हड्डी दे दी थी। उत्तरायण और दक्षिणायन के बारे में बहुत सारे वहम है। उत्तरायण का अर्थ जहां प्रकाश है, लोग अपना काम ढंग से कर सकते थे। ठंड में नहीं बैठना पड़ता था। इसलिए महाभारत के समय उत्तर भारत में उत्तरायण का बहुत महत्व हुआ करता था। आज तो हम जहां चाहे वहां ठंडे वातावरण का निर्माण कर सकते हैं और जहां चाहे वहां गर्मी का वातावरण निर्माण कर सकते हैं। यह उत्तरायण दक्षिणायन बाहर का नहीं है। यह उत्तरायण दक्षिणायन अंदर के प्राण की गति का सूक्ष्म विज्ञान है। एक एक सुर में पांचों तत्व बहते हैं। यदि चंद्र स्वर बह रहा है तो उसमें भी 5 तरह के है। कभी गर्म होगा तो कभी ठंडा होगा। इस त���ह वहां भी तत्वों का ज्ञान है। इसलिए ध्यान की गति अधिक होते होते यह सब अंदर की सूक्ष्म बातें समझ आने लगती हैं। हमारे शरीर में एक ज्ञान नाडी़ होती है ज्ञान नाडी़ खुलती है तभी ज्ञान समझ में आता है, बोलने के लिए भी होता है। नहीं तो नहीं हो सकता । इस तरह शरीर में एक-एक नाडी़ खुलने से इस तरह हमारी मनोदिशा होने लगती है। संशय की भी एक नाड़ी होती है। यदि वह नाड़ी खुल जाए तो मनुष्य परेशान रहता है। उसे हर चीज में संशय रहता है। इसी तरह भय की भी एक नाड़ी है। नाड़ी की शुद्धि हो, अच्छी संगत हो, कभी बूरी संगत में बैठे हैं तो आपके भीतर उस नाड़ी का प्रभाव होने लगता है। जिस व्यक्ति की क्रोध नाडी़ खुल गई है उस व्यक्ति से यदि आप हाथ मिला लेंगे तो अचानक आपके भीतर पता नहीं क्या हो जाता है कि आप भी क्रोधित हो जाते हैं चिड़चिड़ाहट हो जाती है। नाड़ी विज्ञान बहुत गहरा है। 172000 नाडि़यां है शरीर में। यह सब बातें यहां कही है। जब ज्ञान नाड़ी खुलती है तब आपके भीतर प्रकाश होता है। ब्रह्म नाड़ी खुलती है तब धुंधलापन होता है। तो सिर्फ जीने की कला नहीं बताई ,मरने की भी कला बताई है। मरते वक्त कैसे मरना है यह भी बताया है। प्राण त्याग भी करना है या जब लगे कि प्राण त्यागने है या जब लगे कि प्राण छूट रहे हैं ,तो बैठ जाएं औंर दोनों भवों के मध्य ध्यान टिका दें। मृत्यु कब आती है, कैसे आती है इसका भी विज्ञान है। कहते हैं योगियों को इच्छा मरण आता है। अच्छे साधक अपनी इच्छा से शरीर को छोड़ते हैं। इसमें और भी आप की गति हो तो आप अपने मृत्यु का समय भी निश्चित कर सकते हैं या आपने जो समय निश्चित किया है वह बता सकते हैं।
8 वे अध्याय में मृत्यु के बारे में ज्ञान दिया है। गीता पर एक हजार कमेंट्री है। लोगों का ऐसा मानना है कि 15 जनवरी से 15 जुलाई तक उत्तरायण है और इस समय यदि मृत्यु हो तो अच्छा है और 15 जुलाई से 15 जनवरी तक दक्षिणायन है और उसमें मृत्यु नहीं होनी चाहिए मगर यह इतना स्थूल ज्ञान नहीं है।
किसी ने गुरुदेव को गरुड़ पुराण के बारे में प्रश्न किया तो गुरुदेव ने उत्तर दिया कि गरुड़ पुराण में जो भी लिखा है वह प्रतीकात्मक है. गूढ़ अर्थ से निहित है।
ऐसा कहां गया है कि वैतरणी नदी को पार करना हो तो गाय की पूंछ पकड़कर पार कर सकते हैं। यहां गाय का अर्थ ज्ञान है। गाय, गम शब्द के चार अर्थ है ज्ञान ,गमन, प्राप्ति, मोक्ष। यदि व्यक्ति ज्ञान को पकड़ ले तो वैतरणी को पार कर जाएगा। गाय शब्द का अर्थ ज्ञान है। ज्ञान हो तो मनुष्य मुश्किल से मुश्किल नदी को भी पार कर जाता है। गोदान का अर्थ सिर्फ गाय का दान नहीं है बल्कि ज्ञान का दान है। वैसे यदि गाय का भी दान करें तो वह भी अच्छा है मगर इसका मूल अर्थ है ज्ञान का दान। और जो मृत्यु शैया पर है उनको ज्ञान का ही तो दान देते हैं। 7 दिन तक गीता का पाठ होता है और उसमें यही बताया जाता है कि तुम अजर हो, अमर हो तुम ऐसी चेतना हो कि तुम्हें आग नहीं जला सकती, पानी तुम्हें गीला नहीं कर सकता। तुम चेतना हो, तुम तरंग हो। यह समझाते हैं कि तुम ऐसी तरंग हो जिसे कोई कुछ नहीं कर सकता। इस ज्ञान से ही लोग तरते हैं। किंतु हमारे यहां इस ज्ञान का बहुत अपभ्रंश हो गया है। श्राद्ध का अर्थ है जो हम श्रद्धा से करते हैं। श्रद्धा का अर्थ है कि वह जो अज्ञात है, जिसको हम जानते नहीं उसे जानने की चेष्टा या उसके प्रति सम्मान। चाहे हम उसे नहीं जानते परंतु फिर भी उसके लिए सम्मान रखना। जब अज्ञात के प्रति सम्मान होता है तब अज्ञात भी धीरे-धीरे ज्ञात होने लगता है। इसी को श्राद्ध कहा गया है। मगर हम तो यह समझते हैं कि श्राद्ध में तरह तरह का खाना बनाना चाहिए पंडित को खिलाना चाहिए। हमारा सूक्ष्म शरीर स्थूल शरीर से बड़ा है। लेकिन जब प्राण शरीर स्थूल शरीर से भी कम हो जाता है तब व्यक्ति को घुटन होने लगती है और लगता है कि कब इस शरीर से बाहर निकले, तब व्यक्ति को लगता है कि यह शरीर कैसे खत्म करूं। फिर वह शरीर को खत्म करने में लग जाता है। जब प्राण शरीर प्राणायाम ध्यान करने से बढ़ जाता है तब व्यक्ति सामान्य महसूस करने लगता है। जो लोग बहुत उत्साही होते हैं उनका प्राण शरीर बड़ा होता है। इसीलिए हमारे देश में जितने मंदिर मस्जिद गिरजाघर हैं इनको लोगों को भरोसा देना चाहिए। जिनकी प्राणशक्ति घट जाती है उनको ईश्वर पर विश्वास नहीं रह जाता। लोगों का यह विश्वास समाप्त हो गया है कि अच्छे लोग भी हैं, परिवार के लोग भी बोझ लगते हैं। उन्हें लगता है कि वे लोग उन्हें परेशान कर रहे हैं। परिवार के लोगों से राहत नहीं मिल रही है और धर्मगुरुओं से भी इन्हें किसी प्रकार का आधार नहीं मिल रहा है, समाज में चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा है तो प्राण और घटता है । तब ऐसे लोगों के पास आत्महत्या करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता। इसलिए समाज के जो अच्छे लोग हैं इन्हें आगे आकर ऐसे लोगों को भरोसा देना चाहिए। योग और प्राणायाम को यदि अनिवार्य कर दें और लोग इसे सीख ले तो कम से कम देश में आत्महत्याएं नहीं होंगी। लोगों को पता ही नहीं है कि कैसे प्राणशक्ति को बढ़ाना है? गांव गांव में राहत देने वाला, उनमें विश्वास जगाने वाला कोई है ही नहीं। ज्ञान का सहारा यदि मिल जाए तो लोग आत्महत्या नहीं करेंगे । केवल पैसे देने से काम नहीं चलेगा। पैसे वाले लोग भी आत्महत्या करते हैं। केवल किसान ही कर्ज के कारण आत्महत्या नहीं कर रहे है अपितु अपनेपन के अभाव से आत्महत्या कर रहे हैं।
किसी ने गुरुदेव से प्रश्न पूछा कि भगीरथ ने अपने पूर्वजों को कैसे वापस लाया तो गुरुदेव ने उत्तर में कहा कि भगीरथ ने अपने पूर्वजों को वापस नहीं लाया बल्कि उन्होंने उन्हें मुक्ति दिलाई। भागीरथ गंगा को लाए। एक बार फिर यहां गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है बल्कि गंगा का अर्थ है ज्ञान। भागीरथ के पूर्वजों के पास यह ज्ञान नहीं था। भागीरथ इस ज्ञान को अपने पूर्वजों तक लाए और उन्हें मुक्ति दिलाई। यही सही कहानी है। सिर्फ पानी के आ जाने से कोई मुक्त हो जाए, ऐसी बात नहीं होती। यदि किसी की मृत्यु दुर्घटना में हो जाती है तो आप उसकी फिक्र ना करें। वे अपने कर्मों को काटने के लिए के वैसा ही संकल्प लेकर आए हैं। किसी की मृत्यु किसी बीमारी की वजह से हो जाती है। यहां वे अपने कर्मों को इस बीमारी से काटने का संकल्प लेकर आए हैं। हमको लगता है कि यह उनके लिए बहुत बड़ी पीड़ा है, बाधा है मगर आपको फिक्र करने की आवश्यकता नहीं है, वह आत्मा जानती है कि उसे कैसे जाना है।
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kisansatta · 4 years
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21 जून को लगेगा सूर्य ग्रहण, सूतक काल से ले कर पड़ने वाले प्रभाव
इस महीने चंद्र ग्रहण के बाद अब सूर्य ग्रहण लगेगा।आज से 10 दिन बाद जून महीने की 21 तारीख को सूर्य ग्रहण लग रहा है। 3 घंटे 25 मिनट तक का यह पूर्ण ग्रहण होगा। यह इस साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा। यह भारत में दिखाई देगा।यह ग्रहण पूर्ण ग्रहण होगा, इसलिए दिन में रात लगने लगेगी। इस सूर्य ग्रहण में चांद सूर्य को केंद्र से कवर करेगा, जिससे सूर्य का किनारे का गोलाकर कुछ भाग दिखेगा, जिसे ‘रिंग ऑफ फायर’ कहा जाता है।
रिंग ऑफ फायर का यह नजारा कुछ सेकेंड से लेकर 12 मिनट तक देखा जा सकता है। इसके बाद साल 2020 के अंत में एक और सूर्य ग्रहण लगेगा। लेकिन इसे नंगी आंखों से देखने का प्रयास कतई न करें।21 जून को सूर्य ग्रहण मिथुन राशि में लगेगा। इस राशि में सूर्य बुध और राहु के साथ युति करेगा। मिथुन राशि के जातकों पर ग्रहण अधिक प्रभाव देखने को मिलेगा। इस दौरान मिथुन राशि के जातकों को संभलकर रहना होगा। ग्रहण के दौरान ग्रह पर ही रहें और सूर्य देव की उपासना करें।
इससे आपके ऊपर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ेगा। सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को अतिरिक्‍त एहतियात बरतनी चाहिए। बालक, बुजुर्ग और मरीजों को छोड़कर दूसरे लोगों को भोजन का त्‍याग करना चाहिए। ज्योतिषिय दृष्टि से देखा जाए तो इस ग्रहण का सूतक काल होगा। वहीं इस ग्रहण का प्रभाव भी लोगों पर पड़ेगा। इस ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले लग जाएगा। इसलिए ग्रहण के समय खाना पीना और पूजा करने की मनाही होगी। सूतक काल 20 जून की रात 10 बजे से शुरू हो जाएगा।
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chaitanyabharatnews · 5 years
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चंद्रमा के बाद अब सूरज के तेजोमंडल में उड़ान भरने को तैयार है भारत
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चैतन्य भारत न्यूज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) मिशन चांद के बाद अब जल्द ही मिशन सूर्य की ओर अपने कदम बढ़ाने वाला है। हाल ही में आईआईटी-आईएसएम के इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनिरिंग के रिसर्च स्कॉलर सह इसरो वैज्ञानिक धरवेंद्र यादव ने बताया कि, 'इसरो चांद के बाद 'आदित्य मिशन' के तहत सूरज पर जाने की तैयारी कर रहा है।' (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); मिशन आदित्य-एल 1 का लक्ष्य जानकारी के मुताबिक, मिशन चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण के बाद अब इसरो पर सूर्य के बारे में खोजबीन करने को तैयार है। सूत्रों के मुताबिक, मिशन आदित्य-एल 1 के तहत इसरो सूर्य मंडल की परत फोटोस्फीयर व क्रोमोस्फीयर का अध्ययन करेगा। इस मिशन में सूर्य से निकलने वाले विस्फोटक कणों पर भी शोध होगा। ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए यह मिशन खास  बता दें सूर्य की बाहरी परत को तेजोमंडल कहा जाता है। यह हजारों किलोमीटर दूर तक फैली होती हैं। इसरो का आदित्य-एल 1 पृथ्वी से 1.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर जाकर स्थित होगा और वह वहां से हमेशा सूर्य पर नजर रखेगा। दुनियाभर में ग्लोबल वार्मिंग की ��मस्या बढ़ती जा रही है। इसकी चुनौतियों से निपटने के लिए इसरो इस खास मिशन पर काम करेगा। अंतरिक्ष में इंसान भेजेगा इसरो इसरो के वैज्ञानिक इन दिनों मिशन गगनयान पर भी काम कर रहे हैं। यह मिशन भी इसरो के सबसे खास मिशनों में से एक है, क्योंकि इसरो पहली बार इस मिशन के तहत इंसान को अंतरिक्ष में भेजेगा। जानकारी के मुताबिक, इस मिशन में इसरो तीन भारतीय लोगों को अंतरिक्ष में सात दिन की यात्रा के लिए भेजेगा। मिशन गगनयान के तहत अंतरिक्ष में भेजने वाले यात्रियों के चयन का पहला चरण पूरा हो गया है। अंतरिक्ष यात्रियों के चयन की प्रक्रिया इंस्टीट्यूट ऑफ एयरस्पेस मेडिसिन भारतीय वायुसेना द्वारा पूरी की जा रही है। 2022 तक अंतरिक्ष में जाएंगे भारतीय  बताया जा रहा है कि इसरो साल 2022 तक यात्रियों को अंतरिक्ष भेज देगा और फिर उन्हें वापस लेकर आएगा। इस मिशन पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्री अलग-अलग प्रकार के माइक्रो ग्रेविटी टेस्ट को अंजाम देंगे। मिशन गगनयान भारत की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की क्षमता का अहसास दुनिया को कराएगा।   Read the full article
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bisaria · 5 years
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इंडिया के 10 बेस्ट शहरों में शामिल रायपुर सिर्फ रहने के ही नहीं घूमने के लिए भी है बेहतरीन
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नए रायपुर के 100 किलोमीटर के दायरे में छोटे भारत का दर्शन होता है। हाल ही में इसे रहने लायक देश के बेस्ट दस शहरों में शामिल किया गया है।
देश के 26वें राज्य छत्तीसगढ़ की राजधानी है रायपुर। अब अटल नगर के रूप में यहां बसाया और विकसित किया जा रहा है अनूठा नगर नया रायपुर। हाल ही में इसे रहने लायक देश के बेस्ट दस शहरों में शामिल किया गया है। आज चलते हैं स्मार्ट सिटी के शहरों में आदर्श माने जाने वाले शहर रायपुर के सफर पर।
इतिहासकारों की मानें तो इस शहर का अस्तित्व 10वीं शताब्दी से है। आम राय है कि कलचुरी शासकों ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। बाद में यह भोंसले शासकों के अधीन हुआ फिर अंग्रेजों ने इसे कमिश्नरी बनाया। साल-दर-साल शहर बनता गया और आज इसके 100 किलोमीटर के दायरे में छोटे भारत का दर्शन होता है। हर बोली-भाषा के लोग बड़े ही सहज ढंग से यहां रह रहे हैं। मौजूदा समय में इसकी सबसे बड़ी खासियत नया रायपुर है। पूर्व प्रधानमंत्री और छत्तीसगढ़ के निर्माता भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के दिवंगत होने के बाद इसका नाम अब अटल नगर रख दिया गया है। वैसे तो पुराने रायपुर में भी ऐसा बहुत कुछ है, जो आपको यहां रहने-बसने या कुछ वक्त गुजारने के लिए लुभाएगा।
संस्कृति संग अटल नगर
पुराने शहर से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर है नया रायपुर। अगर हरियाली आपको लुभाती है तो यहां तक के सफर में मजा आ जाएगा। दावा है कि अटल नगर 21वीं सदी का शहर है। 237 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वाले इस शहर को बसाने के लिए चार भागों में बांटा गया है। फिलहाल लेयर वन में काम चल रहा है और इसी लेयर में इतना कुछ है कि आप देखते-देखते मुग्ध हो जाएंगे। छत्तीसगढ़ सरकार की प्रशासनिक राजधानी भी यही है। मंत्रालय-सचिवालय समेत तमाम सरकारी दफ्तर यहां हैं। एकदम साफ-सुथरा और सजा-धजा, बिलकुल कायदे से सारी चीजें व्यवस्थित। सिक्स और फोरलेन सड़कों का करीब 100किलोमीटर लंबा जाल आपको एक सेक्टर से दूसरे सेक्टर में मिनटों में पहुंचा देगा। यह गांवों के संग बस रहा अद्भुत शहर है।
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नैनों को भाए यह हरियाली
स्मार्ट सिटी परियोजना में शामिल छत्तीसगढ़ के नए शहर यानी अटल नगर पर 8000 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं और 20 हजार करोड़ रुपए के काम चल रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि अभी देश के किसी भी स्मार्ट सिटी में सभी सात मापदंडों का वैसा पालन नहीं हो रहा है जैसा कि नया रायपुर में हो रहा है। वैसे तो इस शहर को 2031 तक पूरी तरह बसाने की योजना है और तब यह शहर होगा 5 लाख 60 हजार लोगों के रहने के लिए। पहले लेयर में ही 40 सेक्टर बन रहे हैं, जहां रिहायशी के अलावा व्यावसायिक व औद्योगिक प्रयोजन के लिए स्थान चिह्नित हैं और इसी क्रम में इनकी स्थापना भी हो रही है। हरियाली ऐसी कि कुल क्षेत्र का 38.29 फीसद हिस्सा ग्रीन एरिया के लिए सुरक्षित है। इसमें 500 मीटर चौड़ा ग्रीन बेल्ट शामिल है। हरियाली से पटा यह शहर पहली नजर में ही आपका मन मोह लेगा।
'बूढ़ा तालाब' का गौरव
पुराने रायपुर शहर का सबसे पुराना सरोवर होने का गौरव 'बूढ़ा तालाब' को है। आदिवासियों द्वारा पूजित बूढ़ादेव के नाम पर इसका नामकरण हुआ था। इसके मध्य में एक सुंदर गार्डन है, जहां स्वामी विवेकानंद की 37 फीट ऊंची बैठी हुई प्रतिमा लगी है। वैसे, यहां यानी पुराने रायपुर में कई दर्शनीय स्थल हैं। नगर घड़ी चौक, विवेकानंद आश्रम और राजकुमार कॉलेज भी शहर की पहचान हैं। राजकुमार कॉलेज की स्थापना वर्ष 1894 में हुई, जहां राजाओं, जमींदारों के घरों के बच्चे पढ़ते थे। यह संस्थान आज भी है और रजवाड़ों की पहली पसंद है। अब धनाढ्यों और आला अफसरों के बच्चे यहां शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यहां विशाल तेलीबांधा तालाब को खूबसूरत रंग देकर मरीन ड्राइव के रूप में विकसित किया गया है। मध्य भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय ध्वज यहां लहरा रहा है।
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समरसता की मिसाल
रायपुर ने हर वर्ग व जाति के लोगों को बड़े अपनत्व से अपनाया है। इसीलिए यह एक लघु भारत की तरह नजर आता है। यहां की प्रमुख सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र है-महंत घासीदास संग्रहालय, जहां सालभर संगीत, नाटक, नृत्य, गोष्ठी, कार्यशाला, विभिन्ना कलात्मक विधाओं पर प्रशिक्षण चलता रह��ा है। संग्रहालय में छत्तीसगढ़ में मिलीं छठीं सदी से लेकर 18वीं सदी तक की पुरातात्विक सामग्रियां हैं। शिव, विष्णु व गणेश की प्राचीन प्रस्तर व धातु प्रतिमाएं, बुद्ध-महावीर समेत तीर्थंकरों की मूर्तियां हैं। प्राचीन काल में प्रयोग में लाए गए पुराने हथियार, कृषि उपकरण, वस्त्र, आभूषण भी यहां रखे गए हैं।
आसपास घूमने वाली जगहें
आयुर्वेदिक स्नानकुंड
रायपुर से 85 किमी दूर नेशनल हाइवे पर स्थित है सिरपूर, जो कभी शरभवंशीय व सोमवंशी राजाओं की राजधानी हुआ करता था। चीन के प्रसिद्ध यात्री ह्वेनसांग भी यहां आए थे। खुदाई से मिले पुरावशेषों के कारण पुरातत्वविदों के लिए सिरपुर अनजाना नहीं है। यहां खुदाई में 22 शिव मंदिर, चार विष्णु मंदिर, 10 बौद्ध विहार, तीन जैन विहार मिले थे। छठी शताब्दी में बना आयुर्वेदिक स्नान कुंड और भूमिगत अनाज बाजार लोगों को अचंभित कर देते हैं। ईंटों से बना लक्ष्मणेश्वर और गंधेश्वर मंदिर शिल्प कला का अद्भुत नमूना है।
चंपारण्य
रायपुर से करीब 40 किमी की दूरी पर महाप्रभु वल्लभाचार्य की जन्मस्थली चंपारण्य है। वल्लभ संप्रदाय के लोगों के अलावा महाराष्ट्र और गुजरात से हर साल बड़ी संख्या में भक्तगण यहां आते हैं। यहां पर चंपेश्वर महादेव का मंदिर भी दर्शनीय है।
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समंदर सरीखा रविशंकर जलाशय
रायपुर के दक्षिण दिशा में बढ़े तो गंगरेल डैम यानि रविशंकर जलाशय है। यह विशाल जलाशय समुद्र की तरह नज़र आता है। यहां वॉटर स्पोर्ट्स की भी सुविधा है। महानदी पर बने इस डैम के किनारे चौड़ा रेतीला तट हैं। रेत पर आराम कुर्सी लगाकर बैठें तो ऐसा लगता है जैसे गोवा में समुद्र किनारे बैठे हैं।
खजुराहो भोरमदेव
भोरमदेव मंदिर शिव मंदिर है, जो रायपुर से करीब 130 किमी दूर है। शिवलिंग मंदिर के गर्भगृह में विराजित है। सातवीं सदी में बने इस मंदिर की बाहरी दीवारों पर खजुराहो जैसी मिथुन मुदाएं बनी हुई हैं। यह मंदिर खजुराहों और कोणार्क सूर्य मंदिर का मिला-जुला रूप कहा जा सकता है। कुछ निर्माण 11वीं सदी में भी हुए हैं। मंदिर की खूबसूरती में इसके पीछे की हरियाली चार चांद लगा देती है। इसी से लगा भोरमदेव अभ्यारण्य भी है।
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छत्तीसगढ़ का प्रयाग
रायपुर से करीब 45 किमी दूर देवालयों की नगरी राजिम है। यहां ऐतिहासिक राजीव लोचन मंदिर और कुलेश्वर महादेव का मंदिर है। सों��ुर, पैरी और महानदी का संगम होने के कराण स्थानीय लोग यहां श्राद्ध कर्म भी करते हैं। यही वजह है कि इस त्रिवेणी संगम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है। यहां माघ पूर्णिमा को मेला लगता है, जो पखवाडे भर चलता है। पुरातत्व की दृष्टि से भी यह जगह महत्वपूर्ण है। राजीव लोचन मंदिर की स्थापना का समय सातवीं शताब्दी माना गया है, जबकि कुलेश्वर महादेव का 9वीं शताब्दी। इन मंदिरों से लगे और भी बहुत से मंदिर इसके बाद बने हैं। यहां से आगे जाने पर जतमई-घटारानी पिकनिक स्पॉट हैं, जहां पहाड़ों से गिरती जल धाराएं मन को प्रफुल्लित कर देती हैं। बरसात के दिनों में यहां का नजारा और भी मोहक हो जाता है।
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कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग सभी बड़े शहरों से रायपुर के लिए फ्लाइट्स अवेलेबल हैं।
रेल मार्ग यहां तक पहुंचने के लिए हर एक जगह से ट्रेन की भी सुविधा अवेलेबल है।
सड़क मार्ग सभी बड़े शहरों से यहां तक पहुंचने के लिए लगातार बसें चलती हैं।
Posted By: Priyanka Singh
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gethealthy18-blog · 5 years
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तेंदू फल के फायदे और नुकसान – Persimmon (Tendu) Fruit Benefits and Side Effects in Hindi
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तेंदू फल के फायदे और नुकसान – Persimmon (Tendu) Fruit Benefits and Side Effects in Hindi
तेंदू फल के फायदे और नुकसान – Persimmon (Tendu) Fruit Benefits and Side Effects in Hindi Ankit Rastogi Hyderabd040-395603080 December 17, 2019
बाजार में नजर आने अधिकतर फलों से आप सभी परिचित होंगे, लेकिन इन रंग-रंगीले फलों में से कुछ ऐसे भी हैं, जिनके बारे में शायद ही सभी जानते हों। उन्ही में से एक है, तेंदू फल। इसमें मौजूद मिनरल और विटामिन कई गंभीर बीमारियों को हमसे दूर रखने में सक्षम बनाते हैं। इन्हीं खासियतों को देखते हुए स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम तेंदू फल के फायदे और उपयोग से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बता रहे हैं, ताकि इस फल का बखूबी लाभ हासिल कर सकें। तेंदू फल विभिन्न शारीरिक समस्याओं से बचाने के साथ-साथ बीमारी की अवस्था में कुछ लक्षणों को कम करने में भी मदद कर सकता है।
तेंदू फल के स्वास्थ्य जानने से पहले हम यह पता कर लेते हैं कि तेंदू फल कहते किसे हैं।
विषय सूची
तेंदू फल क्‍या है? – What is Persimmon Fruit in Hindi
तेंदू टमाटर के समान दिखने वाला एक फल है, जो भारत में मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से छूती हुई विंध्याचल की पहाड़ियों पर पाया जाता है। यह फल पीला, लाल और नारंगी रंग में नजर आता है और आकार में गोल होता है। वहीं, चौड़ाई की बात करें, तो इसका व्यास 0.5 से 4 इंच तक देखने को मिल सकता है। पका हुआ तेंदू का फल रसदार और स्वाद में मीठा होता है, जो खाने में खजूर और आलू बुखारे का मिश्रण प्रतीत होता है। वहीं, कच्चे फल की बात करें, तो इसका स्वाद कड़वा और कसैला महसूस होता है। इसे गाब, गाभ और केंदू के नाम से भी पुकारा जाता है।
तेंदू फल क्या है, यह जानने के बाद लेख के अगले भाग में हम तेंदू फल के फायदे संबंधी जरूरी बातें बता रहे हैं।
तेंदू फल के फायदे – Benefits of Persimmon (Tendu) Fruit in Hindi
1. फाइबर का अच्छा स्रोत
तेंदू फल में अन्य पोषक तत्वों के साथ ही फाइबर भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है (1)। फाइबर वजन को नियंत्रित रखने और पाचन क्रिया को सुधारने में सहायक और कब्ज जैसी पेट संबंधी समस्या को दूर रखने में लाभकारी माना जाता है (2)। इस कारण यह कहा जा सकता है कि फाइबर का अच्छा स्रोत होने के कारण तेंदू फल भी इन सभी समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मददगार साबित हो सकता है।
2. सूजन को कम करने में सहायक
लिसबन मेडिसिन एंड फार्मास्यूटिकल साइंसेज विश्वविद्यालय द्वारा तेंदू फल पर किए गए एक शोध में पाया गया कि इस फल के अर्क में एंटी-इन्फ्लेमेटरी (सूजन कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। इस प्रभाव के कारण यह अर्थराइटिस (जोड़ों में दर्द) की समस्या में राहत पहुंचाने में मदद करता है (3)। साथ ही अन्य सामान्य सूजन और उसके कारण होने वाले दर्द की समस्या से भी राहत दिलाने में यह सहायक साबित हो सकता है।
3. हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद
विशेषज्ञों के मुताबिक, तेंदू फल में कैरोटिनॉइड और टैनिन नाम के दो खास तत्व पाए जाते हैं। ये तत्व फ्री-रेडिकल्स (मुक्त कणों) के प्रभाव को दूर कर हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल जैसे हृदय संबंधी जोखिमों को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं (4)। इस कारण यह कहा जा सकता है कि तेंदू फल का उपयोग हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभदायक साबित हो सकता है।
4. उच्च रक्तचाप को करे नियंत्रित
पॉलीफिनोल्स की मौजूदगी के कारण तेंदू फल में ��ंटी-ऑक्सीडेंट (ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने वाले) और एंटी डायबिटिक (बल्ड शुगर को कम करने वाले) प्रभाव पाए जाते हैं। हाई ब्लड शुगर की मुख्य वजहों में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस भी शामिल है। इस कारण तेंदू फल के यह दोनों ही प्रभाव स्वाभाविक रूप से हाई ब्लड शुगर को कम करने में मदद कर सकते हैं (4)। इस कारण यह कहना गलत नहीं होगा कि ब्लड शुगर की समस्या से छुटकारा पाने के लिए तेंदू फल एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है।
5. प्रभावशाली एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत
विशेषज्ञों के मुताबिक तेंदू फल के जूस में फेनोलिक एसिड, कैटेचिन, अमीनो एसिड के साथ-साथ फेनोलिक और फ्लेवोनोइड तत्व पाए जाते हैं, जो संयुक्त रूप से इसे बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट बनाते हैं (5)। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण शुगर, गठिया, सूजन और हृदय रोग जैसी कई समस्याओं के होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं (6)। इस कारण यह माना जा सकता है कि इन सभी समस्याओं में तेंदू का फल काफी हद तक सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है।
तेंदू फल के फायदे जानने के बाद अब हम तेंदू फल के पौष्टिक तत्वों से जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं।
तेंदू फल के पौष्टिक तत्व – Persimmon Fruit Nutritional Value in Hindi
तेंदू फल के पौष्टिक तत्वों के बारे में विस्तार से जानने के लिए नीचे दिए गए चार्ट की सहायता ली जा सकती है (1)।
पोषक तत्व यूनिट मात्रा प्रति 100 ग्राम पानी g 80.32 एनर्जी Kcal 70 प्रोटीन g 0.58 टोटल लिपिड (फैट) g 0.19 कार्बोहाइड्रेट g 18.59 फाइबर (टोटल डाइटरी) g 3.6 शुगर g 12.53 मिनरल कैल्शियम mg 8 आयरन mg 0.15 मैग्नीशियम mg 9 फास्फोरस mg 17 पोटैशियम mg 161 सोडियम mg 1 जिंक mg 0.11 कॉपर mg 0.113 मैंगनीज mg 0.355 सेलेनियम  µg 0.6 विटामिन विटामिन सी mg 7.5 थियामिन mg 0.03 राइबोफ्लेविन mg 0.02 नियासिन mg 0.1 विटामिन बी-6 mg 0.1 फोलेट (डीएफई) µg 8 विटामिन ए (आरएई) µg 81 विटामिन ए (आईयू) IU 1627 विटामिन ई mg 0.73 विटामिन के µg 2.6 लिपिड फैटी एसिड (सैचुरेटेड) g 0.02 फैटी एसिड (मोनोअनसैचुरेटेड) g 0.037 फैटी एसिड (पॉलीअनसैचुरेटेड) g 0.043
पौष्टिक तत्वों के बारे में जानकारी हासिल करने के बाद अब हम लेख के अगले भाग में जानेंगे कि तेंदू फल का उपयोग किन-किन तरीकों से किया जा सकता है।
तेंदू फल का उपयोग – How to Use Persimmon Fruit in Hindi
आइए, अब हम नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से तेंदू फल का उपयोग कैसे किया जा सकता है, इस बारे में जान लेते हैं।
सुबह नाश्ते के साथ एक गिलास तेंदू फल के रस का सेवन किया जा सकता है।
तेंदू फल को अन्य फलों के साथ मिक्स कर फ्रूट सलाद के रूप ��ें खाया जा सकता है।
तेंदू फल की स्मूदी व आइसक्रीम बनाकर भी उपयोग में लाई जा सकती है।
वहीं, इस फल को ऐसे भी खाया जा सकता है।
इसके अलावा, अन्य फलों के साथ मिक्स करके इसका शेक भी बनाया जा सकता है।
तेंदू फल का उपयोग जानने के बाद, अब हम तेंदू फल के नुकसान के बारे में भी बात कर लेते हैं, जो अधिक मात्रा में इसके सेवन से प्रदर्शित हो सकते हैं।
तेंदू फल के नुकसान – Side Effects of Persimmon Fruit in Hindi
वैसे तो तेंदू फल के अधिक सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन कुछ कुछ दुष्परिणाम जरूर हैं। ऐसे में निम्न बिंदुओं के माध्यम से हम तेंदू फल के नुकसान जान सकते हैं।
तेंदू फल फाइबर का अच्छा स्रोत है। इसलिए, इसका अधिक सेवन पेट में गैस, दर्द और मरोड़ की समस्या पैदा कर सकता है(1) (2)।
एंटी डायबिटिक प्रभाव के कारण शुगर की दवा लेने वाले लोगों में इसका अधिक मात्रा में इस्तेमाल लो ब्लड शुगर की समस्या पैदा कर सकता है(4)।
कीड़ों पर किए गए वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, अधिक मात्रा में तेंदू का सेवन प्रजनन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है (7)।
तेंदू फल क्या है और तेंदू फल का उपयोग करने से क्या-क्या फायदे हो सकते हैं, इस बारे में तो अब आपको आवश्यक जानकारी हासिल हो गई होगी। वहीं, लेख के माध्यम से इसके उपयोग संबंधी सभी बातों के बारे में भी पता चल गया होगा। ऐसे में इसके प्रभावों को जान इसे नियमित इस्तेमाल में लाने से पहले लेख में दिए गए तेंदू फल के नुकसान को भी अच्छे से समझ लें और उसके बाद ही कोई कदम उठाएं। साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि तेंदू फल लेख में बताई गई समस्याओं से राहत दिला सकता है, लेकिन इससे समस्या का पूर्ण उपचार कर सके यह संभव नहीं है। ऐसे में किसी भी समस्या के पूर्ण उपचार के लिए डॉक्टरी सलाह जरूर लें। इस विषय से जुड़े किसी भी सवाल या सुझाव को आप नीचे दिए कमेंट बॉक्स के जरिए हम तक पहुंचा सकते हैं।
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Ankit Rastogi
अंकित रस्तोगी ने साल 2013 में हिसार यूनिवर्सिटी, हरियाणा से एमए मास कॉम की डिग्री हासिल की है। वहीं, इन्होंने अपने स्नातक के पहले वर्ष में कदम रखते ही टीवी और प्रिंट मीडिया का अनुभव लेना शुरू कर दिया था। वहीं, प्रोफेसनल तौर पर इन्हें इस फील्ड में करीब 6 सालों का अनुभव है। प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में इन्होंने संपादन का काम किया है। कई डिजिटल वेबसाइट पर इनके राजनीतिक, स्वास्थ्य और लाइफस्टाइल से संबंधित कई लेख प्रकाशित हुए हैं। इनकी मुख्य रुचि फीचर लेखन में है। इन्हें गीत सुनने और गाने के साथ-साथ कई तरह के म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाने का शौक भी हैं।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/tendu-fal-ke-fayde-aur-nuksan-in-hindi/
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dainiksamachar · 1 year
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नासा के मुकाबले 10% खर्च पर जा रहा हमारा सूर्य मिशन, जानिए कितना है बजट
नई दिल्ली: चांद की सतह पर सफलतापूर्वक मिशन भेजने के बाद भारत आज सूर्य के लिए मिशन भेज रहा है। इसरो के इस मिशन का नाम 'आदित्य एल1' (Aditya-L1) रखा गया है। इसे थोड़ी देर में लॉन्च किया जा रहा है। इस मिशन से सूर्य की अनसुलझे रहस्यों पर से पर्दा उठाने में मदद मिलेगी। इसरो काफी कम कीमत पर अपने मिशन को अंजाम देने के लिए जाना जाता है। इसकी वजह यह है कि इसरो ने नासा (NASA) और दुनिया की दूसरी स्पेस एजेंसियों के मुकाबले काफी कम लागत पर मिशन भेजे हैं। हाल में चांद की सतह पर सफल लैंडिंग करने वाले चंद्रयान-3 मिशन के कम बजट ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा था। आदित्य एल1 का बजट भी दूसरी एजेंसियों के सूर्य मिशन के मुकाबले काफी कम है।वैसे तो इसरो ने सूर्य मिशन के बजट का खुलासा नहीं किया है लेकिन सरकार ने लोकसभा में बताया था कि उसने सोलर मिशन के लिए 378.53 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इसमें लॉन्च की लागत नहीं है। इस बजट के साथ यह अब तक का सबसे सस्ता सोलर मिशन होगा। नासा को स्टीरियो (Stereo) स्पेसक्राफ्ट अक्टूबर 2006 में भेजा गया था जिसका बजट 55 करोड़ डॉलर यानी करीब 4549 करोड़ रुपये था। इसी तरह नासा को पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) की लागत 1.5 अरब डॉलर यानी 1,24,08 करोड़ रुपये है। पार्कर सोलर प्रोब सूर्य के सबसे करीब जाने वाला मिशन है। चंद्रयान का खर्च इसरो के मुताबिक चंद्रयान-3 को तैयार करने पर कुल 615 करोड़ रुपये का खर्च आया। लैंडर विक्रम, रोवर प्रज्ञान और प्रपल्शन मॉड्यूल को तैयार करने की कुल लागत 250 करोड़ रुपये है। साथ ही इसके लॉन्च पर 365 करोड़ रुपये खर्च हुए। इसका कुल खर्च चंद्रयान-2 की तुलना में करीब 30 फीसदी कम है। साल 2008 में भेजे गए चंद्रयान-1 की कुछ खर्च 386 करोड़ रुपये था। इसी तरह साल 2019 में भेजे गए चंद्रयान-2 पर कुल खर्च 978 करोड़ रुपये का खर्च आया था। यानी तीनों मिशन पर इसरो का कुल खर्च 1,979 करोड़ रुपये रहा। इसके मुकाबले अमेरिका और दूसरे देशों के मून मिशन काफी महंगे रहे थे। http://dlvr.it/SvWTyv
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chaitanyabharatnews · 5 years
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2 जुलाई को है साल का पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण, जानिए भारत में सूतक का समय
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चैतन्य भारत न्यूज 2 और 3 जुलाई की मध्यरात्रि में साल 2019 का दूसरा सूर्य ग्रहण लगने वाला है। यह पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा। इस दौरान सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आएगा, जिसके चलते सूर्य पूर्ण रूप से दिखना बंद हो जाएगा। हालांकि, यह सूर्य ग्रहण कुछ ही जगहों पर दिखाई देगा। कहां-कहां दिखेगा सूर्य ग्रहण भारतीय समय के अनुसार यह ग्रहण आधी रात में होगा इसलिए भारत में इसका कोई असर देखने को नहीं मिलेगा। इस ग्रहण को ब्राजील, अर्जेंटीना, चिली, कोलम्बिया, पेरू के अलावा प्रशान्त महासागर के क्षेत्र में देखा जा सकेगा। भारत के अलावा पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नेपाल जैसे एशियाई देशों में इस सूर्य ग्रहण को नहीं देखा जा सकेगा। सूर्य ग्रहण का समय हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या को यह सूर्य ग्रहण होगा। इस दिन भौमवती अमावस्या भी है। 2 जुलाई को सूर्य ग्रहण रात 10 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगा जो कि देर रात 3 बजकर 21 मिनट तक चलेगा। बता दें सूर्यग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है जो कि ग्रहण खत्म होने तक रहता है। 2 जुलाई को सूतक सुबह करीब 10:30 बजे से शुरू हो जाएगा जो रात 3 बजे तक रहेगा। ग्रहण काल के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसलिए अगले दिन यानी 3 जुलाई को सुबह सूर्योदय के बाद जातक स्नान ध्यान और पूजा कर सूतक का निवारण करें। साल का पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण बता दें यह साल का पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण है। इससे पहले 6 जनवरी को आंशिक सूर्य ग्रहण हुआ था। अब 16 जुलाई को आंशिक चंद्र ग्रहण रहेगा। फिर 2019 का तीसरा और आखिरी ग्रहण सूर्य ग्रहण होगा। यह ग्रहण 26 दिसंबर को होगा। यह ग्रहण भारत में भी देखा जा सकेगा।
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क्या होता है सूर्य ग्रहण ज्यादातर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि सूर्य ग्रहण आखिर क्या है? तो इसका जवाब हम आपको देते हैं। बता दें पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है और साथ-साथ वह सौरमंडल में सूर्य के चक्कर भी लगाती है। पृथ्वी का खुद का एक उपग्रह है जिसका नाम है चांद या चंद्रमा। चांद पृथ्वी के चक्कर लगता है। इस दौरान कभी-कभी ऐसा होता है जब चंद्रमा अपनी धूरी पर चलता हुआ सूर्य और पृथ्वी दोनों के बीच आ जाता है, तो उस समय पृथ्वी पर सूर्य दिखना बंद हो जाता है। इसे सूर्यग्रहण कहा जाता है। Read the full article
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