देवशयनी एकादशी व्रत 2020: हरिशयनी एकादशी की तिथि, समय और महत्व के बारे में जानें
देवशयनी एकादशी व्रत 2020: हरिशयनी एकादशी की तिथि, समय और महत्व के बारे में जानें
प्रतिनिधि छवि (फोटो सौजन्य: रॉयटर्स)
देवशयनी एकादशी हिंदू कैलेंडर में चातुर्मास की शुरुआत का प्रतीक है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में, इसे पद्मा एकादशी, महा एकादशी, देवपदी एकादशी या आषाढ़ी एकादशी के रूप में भी जाना जाता है।
ट्रेंडिंग डेस्क
आखरी अपडेट: 29 जून, 2020, 10:19 AM IST
प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा के कुछ ही दिनों बाद, हिंदू लोग आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष (चंद्रमा के एपिलेशन चरण) के…
View On WordPress
0 notes
देवशयनी एकादशी: आज से 5 माह तक योग निद्रा में चले जाएंगे भगवान विष्णु, जानें व्रत रखने का शुभ मुहूर्त और पारण का समय
चैतन्य भा���त न्यूज
सनातन धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। हर वर्ष चौबीस एकादशी होती हैं। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है। कहीं-कहीं इस तिथि को ‘पद्मनाभा’ भी कहते हैं। बता दें सूर्य के मिथुन राशि में आने पर ये एकादशी आती है। इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन से भगवान विष्णु का विश्राम काल आरंभ हो गया है।
आषाढ़ी एकादशी और हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।मान्यता है कि जिस वर्ष 24 एकादशी के स्थान पर 26 एकादशी होती हैं तो चार्तुमास अधिक लंबा होता है। इस कारण इस बार चार्तुमास की अवधि लगभग 5 माह की रहेगी। चार्तुमास आरंभ होते हैं भगवान विष्णु धरती का कार्य भगवान शिव को सौंप देते हैं। भगवान शिव चार्तुमास में धरती के सभी कार्य देखते हैं। इसीलिए चार्तुमास में भगवान शिव की उपासना को विशेष महत्च दिया गया है।
देवशयनी एकादशी पारण
पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 2 जुलाई, 05:32 to 04:14
एकादशी तिथि प्रारम्भ - 30 जून, 2020, 19:49 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त - 1 जुलाई, 2020 को 14:29 बजे
एकादशी के व्रत को समाप्त करने को पारण कहते हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है।
Read the full article
0 notes
।। देवशयनी एकादशी 2020 : इस दिन करें 11
शुभ काम, होगा मनचाहा धन लाभ ।।
।। देवशयनी एकादशी 2020 ।।
1 जुलाई 2020 को आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है जिसे देवशयनी एकादशी या हरिशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु शयन अवस्था में चले जाते हैं दूसरे शब्दों में इस दिन से देवप्रबोधिनी एकादशी तक भगवान विष्णु पाताल लोक में निवास करते हैं।
अगर आप इस दिन व्रत रख सकें तो अति उत्तम है लेकिन अगर ना रख सकें तो कुछ सामान्य सी शुभ गतिविधियां कर सकते हैं।
1 .प्रात:काल स्नान के पश्चात भगवान विष्णु की सोने, चांदी, पीतल या तांबे की मूर्ति को पीतांबर से सजाकर सफेद वस्त्र से सजे तकिए तथा बिस्तर वाले एक छोटे से पलंग पर शयन कराएं। इसके साथ ही कुछ खास मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इन महीनों में कुछ चीजों के त्याग का व्रत लें।
2. देवशयनी एकादशी पर दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरकर उससे भगवान विष्णु का अभिषेक करें।
3. देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु को खीर, पीले फल या पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
4. अगर आप धन लाभ चाहते हैं तो इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करें।
5. एकादशी की शाम तुलसी के सामने गाय के शुद्ध घी का दीपक लगाएं और तुलसी के पौधे को प्रणाम करें।
6. देवशयनी एकादशी पर गाय के कच्चे दूध में केसर मिलाकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें।
7. पीपल में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। इसलिए एकादशी पर पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं।
8. विष्णु भगवान के मंदिर में जाकर अन्न (गेहूं, चावल आदि) दान करें। बाद में इसे गरीबों में बांट दें।
9. मधुर स्वर के लिए गुड़, लंबी आयु के लिए सरसों का तेल, शत्रु बाधा से मुक्ति पाने के लिए सरसों तेल और मीठा तेल, संतान प्राप्ति के लिए दूध, पाप मुक्ति के लिए उपवास।
10. सुबह-सुबह घर की साफ-सफाई के पश्चात मुख्य द्वार पर हल्दी का जल या गंगाजल का छिड़काव करें। “ॐ नमो नारायणाय” या “ॐ नमो भगवते वसुदेवाय नम:” का 108 बार या एक तुलसी की माला जाप करें। घर में धन-धान्य तथा लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का केसर मिले जल से अभिषेक करें।
11.एकादशी की शाम में तुलसी के सामने गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं और “ॐ नमो भगवते वसुदेवाय नम:” का जाप करते हुए तुलसी की 11 परिक्रमा करें। इससे घर के सभी संकट और आने वाली परेशानियां टल जाती हैं।
।। श्री स्नेहा माता जी ।।
0 notes
""जय श्री बालाजी की हर हर महादेव 🙏 "गुरु" आजसे ही साधन तेज करके आदत बदल देनी चाहिये, जल्दी ही लाभ उठा लेना चाहिये। 01-जुलाई-2020 वार.....बुधवार तिथी:-11एकादशी17:29 माह:-आषाढ़ पक्ष:-शुक्लपक्ष नक्षत्र:-विशाखा26:33 योग:-सिद्ध11:16 करण:-वणिज06:39 चन्द्रमा:-तुला20:55तक/वृश्चिक सुर्योदय:-05:42 सुर्यास्त:-19:33 दिशा शुल.....उत्तर निवारण उपाय:-तिल का सेवन ऋतु :-वर्षा ऋतु गुलीक काल:-10:30से 12:00 राहू काल:-12:00से13:30 अभीजित:-नहीं हैं विक्रम सम्वंत .........2077 शक सम्वंत ............1942 युगाब्द ..................5122 सम्वंत सर नाम:-प्रमादी चोघङिया दिन लाभ:-05:42से07:26तक अमृत:-07:26से09:10तक शुभ:-10:54से12:38तक चंचल:-16:06से17:50तक लाभ:-17:50से19:33तक चोघङिया रात शुभ:-20:49से22:05तक अमृत:-22:05से23:21तक चंचल:-23:21से00:37तक लाभ:-03:09से04:25तक चोघङिया का समय सालासर में सूर्योदय के अनुसार है| आज के विशेष योग वर्ष का 99वाँ दिन, भद्रा 06:40 से 17:30 तक-पाताललोक-लाभप्रद-उत्तर, देवशयनी एकादशी व्रत सबका, (स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त्त), चातुर्मास व्रत नियम प्रारंभ, उल्टारथ व पुनर्यात्रा, रविनारायण एकादशी (उड़ीसा), पण्ढ़रपुर यात्रा, जुलाई मास 07 ता. 31 प्रा., 🏡वास्तु टिप्स🏡 फ्लैट में उत्तर दिशा में द्वार का फल:- फ्लैट के अहिभाग में द्वार होने से उस घर में रहने वाले व्यक्ति के शत्रुओं की वृद्धि होता है। सुप्रभात मित्रों विचार न मां कर्माणि लिम्पन्ति न मे कर्मफले स्पृहा। इति मां योभिजानाति कर्मभिर्न स बध्यते।। जय श्री बालाजी की जय श्री मोहन दास बाबा की जय श्री कानी दादी की 🙏रोट्या क देवाल्ल की जय 🙏विश्व सम्राट श्री सालासर दरबार की जय हो 🙏वन्दे गौँ मातरम् जीवन तभी बदलेगा जब आप अपने सपनों के प्रति अधिक प्रतिबद्ध होंगे, अपने आरामदायक क्षेत्रों की तुलना में। https://www.instagram.com/p/CCEyRR_Jiyk/?igshid=1rm9h264fkl5a
0 notes
Devshayani Ekadashi 2020: कब है देवशयनी एकादशी, जानें तारीख, मुहूर्त और इस व्रत का धार्मिक महत्व
Devshayani Ekadashi 2020: कब है देवशयनी एकादशी, जानें तारीख, मुहूर्त और इस व्रत का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, अमर उजाला
Updated Sat, 27 Jun 2020 12:08 AM IST
Devshayani Ekadashi 2020
– फोटो : Social media
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर Free में
कहीं भी, कभी भी।
70 वर्षों से करोड़ों पाठकों की पसंद
Devshayani Ekadashi 2020: हिन्दू धर्म में आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि बेहद ही महत्वपूर्ण तिथि होती है। इस तिथि के दिन देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इसे आषाढ़ी एकादशी और हरिशयनी…
View On WordPress
0 notes
आषाढ़ महीना 6 जून से 5 जुलाई तक, इन दिनों सूर्य और चंद्रग्रहण के साथ रहेंगे बड़े व्रत-त्योहार
आषाढ़ महीना 6 जून से 5 जुलाई तक, इन दिनों सूर्य और चंद्रग्रहण के साथ रहेंगे बड़े व्रत-त्योहार
[ad_1]
आषाढ़ महीने में गुप्त नवरात्र और देवशयनी एकादशी के अलावा भड़ली नवमी जैसे स्वयं सिद्ध मुहूर्त भी रहेंगे
दैनिक भास्कर
Jun 04, 2020, 11:24 AM IST
हिंदू कैलेंडर का नया महीना आषाढ़ 6 जून से शुरू होगा, जो 5 जुलाई तक रहेगा। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र ने बताया कि इस महीने में दो ग्रहण के साथ कई विशेष व्रत व त्योहार आएंगे। हालांकि उनमें से 21 जून को होने वाला सूर्य ग्रहण ही महत्वपूर्ण…
View On WordPress
0 notes
परिवर्तिनी एकादशी – जानें व्रत कथा
#परिवर्तिनी #एकादशी – जानें व्रत कथा
परिवर्तिनी एकादशी – जानें व्रत कथा :- हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को व्रत, स्नान, दान आदि के लिये बहुत ही शुभ फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि एकादशी व्रत से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। उपासक पर उनकी कृपा बनी रहती है। प्रत्येक मास में दो एकादशी व्रत आते हैं। हर मास की एकादशियों का खास महत्व माना जाता है। देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु चार माह के…
View On WordPress
0 notes
हिंदू धर्म के लिए बेहद खास रहेगा जुलाई का महीना, इस महीने आने वाले हैं ये महत्वपूर्ण तीज-त्योहार
चैतन्य भारत न्यूज
जुलाई का महीना शुरू हो चुका है। इस महीने में देवशयनी एकादशी, हरियाली तीज, नाग पंचमी, मंगला गौरी व्रत समेत कई प्रमुख व्रत-त्योहार आएंगे। इसी माह में चंद्र ग्रहण भी है। इन सभी त्योहारों का धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व है। आइए जानते हैं जुलाई में आने वाले प्रमुख तीज-त्योहारों के बारे में-
जुलाई 2020 व्रत त्यौहार का कैलेंडर
01 जुलाई - देवशयनी एकादशी, अषाढ़ी एकादशी
02 जुलाई - प्रदोष व्रत
04 जुलाई - चौमासी चौदस, कोकिला व्रत
05 जुलाई - गुरु-पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा व्रत
06 जुलाई - सावन प्रारम्भ
08 जुलाई - संकष्टी चतुर्थी
16 जुलाई - कामिका एकादशी, कर्क संक्रांति
18 जुलाई - मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत
20 जुलाई - श्रावण अमावस्या
23 जुलाई - हरियाली तीज
25 जुलाई - नाग पंचमी
30 जुलाई - श्रावण पुत्रदा एकादशी
Read the full article
0 notes
जुलाई 2020: जानिए जुलाई माह के व्रत एवं त्योहार
2020 में जुलाई माह में विशेष पर्वो में आषाढ़ी एकादशी, गुरु पूर्णिमा, हरियाली तीज और नाग पंचमी के के बाद भी और भो पर्व पड़ रहे हैं। आइए जानते हैं जुलाई में कौन-कौन से विशेष पर्व और दिन-
1 जुलाई को देवशयनी एकादशी व्रत है। यह आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से प्रचलित है। इसब दिन से चतुर्मास शुरू होता है। अधिकमास लगने के बाद चार महीनों तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है।
2 जुलाई को शुक्ल प्रदोष उपवास होता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए रखा जाता है। यह व्रत प्रति माह में दो बार त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। एक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी में और दूसरा कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी में।
आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु पूर्णिमा शुभ त्योहार मनाया जाता है। 5 जुलाई रविवार को गुरु पूर्णिमा का पावन त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन चंद्र ग्रहण भी लग रहा है।
8 जुलाई को संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। संकष्टी चतुर्थी से आशय संकट को रहने वाली चतुर्थी तिथि से है। ऐसा कहा जाता है कि संकष्टि के दिन गणपति की पूजा-आराधना करने से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
16 जुलाई को कामिका एकादशी व्रत रखा जाएगा। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी के नाम से प्रसिद्ध है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु जी को समर्पित है।
18 जुलाई को मासिक शिवरात्रि में व्रत रखा जाएगा। इसी तारीख को श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन पड़ रही है। इसलिए इस
20 जुलाई को श्रावण मास की अमावस्या तिथि पड़ रही है। अमावस्या तिथि पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए कर्मकांड किया जाता है।
23 जुलाई को हरियाली तीज मनाई जाएगी। हरियाली तीज का त्योहार विशेष रूप से महिलाओं के द्वारा मनाया जाता है। इस त्योहार में महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। हर साल हरियाली तीज श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनायी जाती है।
नाग पंचमी का पर्व इस महीने की 25 तारीख को मनाया जाएगा। हर साल नाग पंचमी का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी इस बार 30 जुलाई को पड़ रही है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को श्राण पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। संतान सुख के लिए यह व्रत भगवान विष्णु जी के लिए रखा जाता है।
https://kisansatta.com/july-2020-know-when-fast-and-festival40154-2/ #July2020KnowThisYearSFastsAndFestivals, #July2020KnowWhenFastAndFestival, #आषढएकदश, #गरपरणम, #नगपचम, #हरयलतज July 2020: Know this year's fasts and festivals, July 2020: Know when fast and festival, आषाढ़ी एकादशी, गुरु पूर्णिमा, नाग पंचमी, हरियाली तीज Religious, Trending #Religious, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
0 notes
पुराण- कथा, धर्म- संहिता, ज्योतिष में देवशयनी (हरिशयनी) एकादशी (पद्मा एकादशी) तथ्य व महात्म्य ---------------------------------------------------- 【इस वर्ष दिनांक 01, जुलाई, 2020 आषाढ़ शुक्ल एकादशी बुधवार को जगन्नाथ- पुरी में जगत प्रसिद्ध "बाहूडा रथयात्रा" तथा समग्र भारत में "देवशयनी (पद्मा) एकादशी" मनाया जाता है। इस देवशयनी/ हरिशयनी- पद्मा एकादशी- तिथि से अगले 148 दिन अर्थात दिनांक 25 नवंबर 2020 बुधवार कार्त्तिक शुक्ल "देवोत्थापनी/ देवोप्रबोधिनी एकादशी" तक श्रीहरि भगवान चतुर्मासी- योगनिद्रा में रहेंगे और स्वाभाविक रूप में इस अवधि के अंदर समस्त प्रकार शुभ कार्यों पर निषेध/ पाबन्दी लागू होंगे।।】 देवशयनी- पद्मा एकादशी -------------------------------- प्रसंग क्रम में धर्मराज युधिष्ठिर ने प्रश्न पूछा था - "हे केशव ! आषाढ़ी शुक्ल एकादशी का क्या नाम है ? इस व्रत के करने की विधि क्या है और इस अवसर में किस देवता का पूजन किया जाता है ?" श्रीकृष्ण कहने लगे कि- "हे युधिष्ठिर! जिस कथा को ब्रह्मा जी ने नारद जी से कहा था, वही मैं तुमसे सुनाता हूं :-- "ब्रह्मा जी ने नारद जी को कहा था कि-- कलियुगी जीवों के उद्धार के लिए, समस्त पाप नष्ट करने में सक्षम तथा सब व्रतों में अधिक उत्तम आषाढ़ शुक्ल एकादशी ही 'देवशयनी (पद्मा) एकादशी व्रत' के नाम में प्रख्यात।।" फिर धर्मराज के आग्रह से श्रीकृष्ण जी ने ब्रह्म जी तथा नारद जी के विच के इस बारे में कथोपकथन को विस्तार से जब सुनाई तो बातावरण में भगवत- आनन्दकन्द- मकरन्द की स्रोत प्रवाहित हुई थी।। देवशयनी- पद्मा एकादशी व्रत- तत्व-------------------------------------- आषाढ़ शुक्ल एकादशी ही देवशयनी- पद्मा एकादशी नाम में प्रसिद्ध। इसी दिन से जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी 'पाताल लोक' (भिन्न कथन में 'क्षीर सागर') में योगनिद्रा के लिए चले जाते हैं।इस वर्षा ऋतू के बाद धरती पर किसी प्रकार का मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। माना जाता है कि इस 'हरिशयनी' के दौरान सूर्य व चंद्र का तेज पृथ्वी पर कम पहुंचता है, जल की मात्रा अधिक हो जाती है, वातावरण में अनेक जीव- जंतु उत्पन्न हो जाते हैं, जो अनेक रोगों का कारण बनते हैं। इसलिए साधु- संत, तपस्वी, मठाधीश इस काल में एक ही स्थान पर रहकर तप, साधना, स्वाध्याय व प्रवचन आदि करते हैं।। देवशयनी एकादशी की साधारण पूजा विधि ये है की-- जो लोग देवशयनी एकादशी का व्रत रखते हैं, उन्हें प्रात:काल उठकर स्नान करना चाहिए। पूजा स्थल को साफ करने के बाद शंख, चक्र, गदा, पद्म धारी भगवान विष्णु की प्रतिमा को आसन पर यथाविधि बैठाएं और उनकी पूजा करें। भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, पीले फूल, पीला चंदन चढ़ाएं। भगवान विष्णु को पान और सुपारी अर्पित करने के बाद धूप, दीप और पुष्प चढ़ाकर आरती उतारें।भगवान विष्णु का पूजन करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर स्वयं भोजन या फलाहार ग्रहण करें। एकादशी की रात्र में भगवान विष्णु का भजन व स्तुति करना चाहिए और स्वयं के सोने से पहले भगवान को भी शयन कराना चाहिए।। देवशयनी एकादशी कथा ------------------------------- पुराणों में इस देवशयनी एकादशी के बारे में एकाधिक कथा उपलब्ध। उससे एक रोचक कहानी ये है कि-- शंखचूर (शंखचूड़) नामक असुर से भगवान विष्णु का लंबे समय तक युद्ध चला। आषाढ़ शुक्ल एकादशी के दिन भगवान ने शंखचूड़ का वध कर दिया और क्षीर सागर में सोने चले गये। शंखचूड़ जैसे दुरात्मा से मुक्ति दिलाने के कारण देवताओं ने भगवान विष्णु की विशेष पूजा- अर्चना की। 'देवशयनी' और 'देवउत्थापनी'-- ये दोनों 'एकादशी' इसकी विशेष स्मारकी मान्यता प्राप्त।। एक अन्य कथा के अनुसार वामन अवतार में भगवान विष्णु ने दानवेन्द्र राजा बलि से तीन पग में तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया। इसलिए राजा बलि को पाताललोक वापस जाना पड़ा। लेकिन महादानी बलि की भक्ति और उदारता से भगवान वामन मुग्ध थे। भगवान ने बलि से जब वरदान मांगने के लिए कहा, तो बलि ने भगवान से कहा कि-- "आप सदैव पाताल में ही मेरे पास निवास करें।।" भक्त की इच्छा पूरी करने के लिए भगवान पाताल में रहने लगे। इससे बैकुंठवासिनी लक्ष्मी माँ दुःखी हो गयी। भगवान विष्णु को वापस बैकुंठ लाने के लिए गरीब स्त्री का वेष बनाकर पाताल लोक पहुंची। लक्ष्मी माँ की दीन- हीन अवस्था को देखकर बलि ने उन्हें अपनी बहन बना लिया।। बहन बनने के बाद लक्ष्मी जी भाई बलि को अपनी दुःख कहकर जब विष्णु की मांग की, तो महादानी बलि ने भाई की कर्त्तव्य निभाने के लिए वचन दिया। किन्तु विष्णु जी तो बलि के साथ रहने के लिए 'वचन' दे चुके थे, तो लक्ष्मी जी को प्रदत्त बलि के इस 'वचन' कैसे फलित होगा ! देवकूट सफल हुई। और दो तरफ वचन को फलि�� कर, उस समय से सिर्फ वर्षाऋतु की चतुर्मासी अवधि काल ही (आषाढ़ी देवशयनी एकादशी से कर्त्तिकी देवउत्थापनी एकादशी तक) विष्णु भगवान ने पाताली होकर विष्णु भक्त राजा बलि के साथ रहने लगे।। (संग्राहक, संकलक, सम्पादक, विनीत परिभाषक : महाप्रभुआश्रित प्रफुल्ल कुमार दाश।।) जय जगन्नाथ।। ॐ शांतिः।।
0 notes
आषाढ़ महीना 6 जून से 5 जुलाई तक, इन दिनों सूर्य और चंद्रग्रहण के साथ रहेंगे बड़े व्रत-त्योहार
आषाढ़ महीना 6 जून से 5 जुलाई तक, इन दिनों सूर्य और चंद्रग्रहण के साथ रहेंगे बड़े व्रत-त्योहार
[ad_1]
आषाढ़ महीने में गुप्त नवरात्र और देवशयनी एकादशी के अलावा भड़ली नवमी जैसे स्वयं सिद्ध मुहूर्त भी रहेंगे
दैनिक भास्कर
Jun 04, 2020, 11:24 AM IST
हिंदू कैलेंडर का नया महीना आषाढ़ 6 जून से शुरू होगा, जो 5 जुलाई तक रहेगा। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र ने बताया कि इस महीने में दो ग्रहण के साथ कई विशेष व्रत व त्योहार आएंगे। हालांकि उनमें से 21 जून को होने वाला सूर्य ग्रहण ही महत्वपूर्ण…
View On WordPress
0 notes
देवशयनी एकादशी 2020 व्रत कथा: चार महीने पाताल लोक में सोने चले जाते हैं भगवान विष्णु, जानें वजह
देवशयनी एकादशी 2020 व्रत कथा: चार महीने पाताल लोक में सोने चले जाते हैं भगवान विष्णु, जानें वजह
धर्म डेस्क, अमर उजाला
Updated Mon, 29 Jun 2020 07:12 AM IST
देवशयनी एकादशी 2020
– फोटो : अमर उजाला
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर Free में
कहीं भी, कभी भी।
70 वर्षों से करोड़ों पाठकों की पसंद
देवशयनी एकादशी 1 जुलाई 2020 को है। इसी दिन से जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी पाताल लोक में चार माह तक सोने के लिए चले जाते हैं। जिसके बाद धरती पर किसी प्रकार का मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। माना…
View On WordPress
0 notes
हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है। हिंदू पंचांग की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी तिथि कहा जाता है। हर महीने में दो एकादशी तिथि आती है- एक शुक्ल पक्ष में एवं दूसरी कृष्ण पक्ष में। कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पूर्णिमा तिथि के बाद आती है और अमावस्या तिथि के बाद शुक्ल पक्ष वाली एकादशी तिथि कही जाती है। एकादशी तिथि का व्रत बहुत से हिंदू धर्मावंलबी रखते हैं। इस साल 2020 में जनवरी से लेकर दिसंबर तक कुल 25 एकादशी तिथि होगी।
नए साल 2020 का पहला चंद्रग्रहण जनवरी में इस दिन
एकादशी तिथि के व्रत में इनका सेवन कर सकते हैं-
वैसे तो शास्त्रोंक्त मान्यता है कि एकादशी तिथि का व्रत निराहार रखने से इसका लाभ व्रती को अधिक मिलता है। फिर भी एकादशी का व्रत करने वाले व्रती बिना खाए पीए नहीं रह सकते तो इन पदार्थों का सेवन किया जा सकता है- ताजे फल, मेवे, चीनी, कुट्टू, नारियल, जैतून, दूध, अदरक, काली मिर्च, सेंधा नमक, आलू, साबूदाना, शकरकंद आदि।
भारतीय हिंदू संस्कृति की 16 महत्वपूर्ण बातें..क्या आप जानते हैं?
एकादशी तिथि व्रत का महत्व
हिंदू धर्म शास्त्रों में एकादशी तिथि को ‘हरी दिन’ और ‘हरी वासर’ आदि नाम भी बताएं गए है। एकादशी व्रत का फल हवन, यज्ञ, वैदिक कर्म-कांड पूजा आदि से भी अधिक फलदायी माना जाता है। स्कन्द पुराण के अनुसार मान्यता है कि इस व्रत को करने से दिवंगत पूर्वज पितरों की आत्मा को शांति और मूक्ति की प्राप्ति होती है।
साल 2020 में 12 नहीं 13 पूर्णिमा तिथि, जानें पूरी तारीखें
1- पौष पुत्रदा एकादशी- 6 जनवरी दिन सोमवार
2- षटतिला एकादशी- 20 जनवरी दिन सोमवार
3- जया एकादशी- 5 फरवरी दिन बुधवार
4- विजया एकादशी- 19 फरवरी दिन बुधवार
5- आमलकी एकादशी- 6 मार्च दिन शुक्रवार
6- पापमोचिनी एकादशी- 19 मार्च दिन गुरुवार
7- कामदा एकादशी- 4 अप्रैल दिन शनिवार
8- वरुथिनी एकादशी- 18 अप्रैल दिन शनिवार
9- मोहिनी एकादशी- 4 मई दिन सोमवार
10- अपरा एकादशी- 18 मई दिन सोमवार
11- निर्जला एकादशी- 2 जून दिन मंगलवार
12- योगिनी एकादशी- 17 जून दिन बुधवार
13- देवशयनी एकादशी- 1 जुलाई दिन बुधवार
14- कामिका एकादशी- 16 जुलाई दिन गुरुवार
15- श्रावण पुत्रदा एकादशी- 30 जुलाई दिन गुरुवार
16- अजा एकादशी- 15 अगस्त- दिन शनिवार
17- परिवर्तिनी एकादशी- 29 अगस्त दिन शनिवार
18- इन्दिरा एकादशी- 13 सितंबर दिन रविवार
19- पद्मिनी एकादशी- 27 सितंबर दिन रविवार
20- परम एकादशी 13 अक्टूबर दिन मंगलवार
21- पापांकुशा एकादशी- 27 अक्टूबर दिन मंगलवार
22- रमा एकादशी- 11 नवंबर दिन बुधवार
23- देवुत्थान एकादशी- 25 नवंबर दिन बुधवार
24- उत्पन्ना एकादशी- 11 दिसंबर दिन शुक्रवार
25- मोक्षदा एकादशी- 25 दिसंबर दिन शुक्रवार
******************
source https://www.patrika.com/festivals/ekadashi-vrat-2020-dates-list-in-hindi-5586411/
http://poojakamahatva.blogspot.com/2020/01/2020-25.html
0 notes
देवशयनी एकादशी की सम्पूर्ण विधि एवं कथा
देवशयनी एकादशी की सम्पूर्ण विधि एवं कथा
देवशयनी एकादशी की सम्पूर्ण विधि एवं कथा :- हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर २६ हो जाती है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है। कहीं-कहीं इस तिथि को ‘पद्मनाभा’ भी कहते हैं। सूर्य के मिथुन राशि में आने पर ये एकादशी आती है। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ माना…
View On WordPress
0 notes
देवशयनी एकादशी: आज से 5 माह तक योग निद्रा में चले जाएंगे भगवान विष्णु, जानें व्रत रखने का शुभ मुहूर्त और पारण का समय
चैतन्य भारत न्यूज
सनातन धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। हर वर्ष चौबीस एकादशी होती हैं। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है। कहीं-कहीं इस तिथि को ‘पद्मनाभा’ भी कहते हैं। बता दें सूर्य के मिथुन राशि में आने पर ये एकादशी आती है। इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन से भगवान विष्णु का विश्राम काल आरंभ हो गया है।
आषाढ़ी एकादशी और हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।मान्यता है कि जिस वर्ष 24 एकादशी के स्थान पर 26 एकादशी होती हैं तो चार्तुमास अधिक लंबा होता है। इस कारण इस बार चार्तुमास की अवधि लगभग 5 माह की रहेगी। चार्तुमास आरंभ होते हैं भगवान विष्णु धरती का कार्य भगवान शिव को सौंप देते हैं। भगवान शिव चार्तुमास में धरती के सभी कार्य देखते हैं। इसीलिए चार्तुमास में भगवान शिव की उपासना को विशेष महत्च दिया गया है।
देवशयनी एकादशी पारण
पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 2 जुलाई, 05:32 to 04:14
एकादशी तिथि प्रारम्भ - 30 जून, 2020, 19:49 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त - 1 जुलाई, 2020 को 14:29 बजे
एकादशी के व्रत को समाप्त करने को पारण कहते हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है।
Read the full article
0 notes
देवशयनी एकादशी: आज से 5 माह तक योग निद्रा में चले जाएंगे भगवान विष्णु, जानें व्रत रखने का शुभ मुहूर्त और पारण का समय
चैतन्य भारत न्यूज
सनातन धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। हर वर्ष चौबीस एकादशी होती हैं। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है। कहीं-कहीं इस तिथि को ‘पद्मनाभा’ भी कहते हैं। बता दें सूर्य के मिथुन राशि में आने पर ये एकादशी आती है। इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन से भगवान विष्णु का विश्राम काल आरंभ हो गया है।
आषाढ़ी एकादशी और हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।मान्यता है कि जिस वर्ष 24 एकादशी के स्थान पर 26 एकादशी होती हैं तो चार्तुमास अधिक लंबा होता है। इस कारण इस बार चार्तुमास की अवधि लगभग 5 माह की रहेगी। चार्तुमास आरंभ होते हैं भगवान विष्णु धरती का कार्य भगवान शिव को सौंप देते हैं। भगवान शिव चार्तुमास में धरती के सभी कार्य देखते हैं। इसीलिए चार्तुमास में भगवान शिव की उपासना को विशेष महत्च दिया गया है।
देवशयनी एकादशी पारण
पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 2 जुलाई, 05:32 to 04:14
एकादशी तिथि प्रारम्भ - 30 जून, 2020, 19:49 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त - 1 जुलाई, 2020 को 14:29 बजे
एकादशी के व्रत को समाप्त करने को पारण कहते हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना ��ति आवश्यक है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है।
Read the full article
0 notes