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#पूर्वी चीन का समुद्र
roh230 · 9 months
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dainiksamachar · 10 months
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शी जिनपिंग ने चीनी तटरक्षक बल को दी खुली छूट, दक्षिण चीन सागर में अब मचेगी तबाही!
बीजिंग: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने तटरक्षक बल को खुली छूट दे दी है। उन्होंने कहा कि चीनी तटरक्षक बल को चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए समुद्री कानून लागू करना चाहिए और "आपराधिक गतिविधियों" पर कार्रवाई करनी चाहिए। इससे अंदेशा जताया जा रहा है कि चीनी तटरक्षक बल अब दक्षिण चीन सागर में और अधिक आक्रामक तरीके से सैन्य कार्रवाइयों को अंजाम दे सकती है। चीनी तटरक्षक बल पहले से ही अपनी आक्रामक और बिना किसी कारण के उकसावे की रणनीति के लिए बदनाम है। हाल में ही चीनी तटरक्षक बल के पोत दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस की नौकाओं को टक्कर मारने से लेकर पानी की बौछार करने, रास्ता रोकने और खतरनाक तरीके से पीछा करने जैसी घटनाओं में शामिल रहे हैं। चीनी तटरक्षक बल को उकसा रहे जिनपिंग चीनी समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, शी जिनपिंग ने पूर्वी चीन सागर क्षेत्र के लिए चीन तट रक्षक के कमांड कार्यालय और तट रक्षक के जहाजों के प्रदर्शन का वीडियो के माध्यम से निरीक्षण करते समय यह टिप्पणी की। पूर्वी चीन सागर में भी चीन का जापान के साथ द्वीपों को लेकर विवाद है। इन द्वीपों को लेकर अक्सर दोनों देशों की नौसेनाएं आमने-सामने आ जाती हैं। इन द्वीपों की पहरेदारी जापानी नौसेना करती है, जबकि चीनी तटरक्षक और नौसेना के पोत उनके घेरे को बार-बार तोड़ने की कोशिश करते हैं। शी जिनपिंग ने तटरक्षक बल से क्या कहा शी जिनपिंग ने कहा, "समुद्री कानून प्रवर्तन के समन्वय और सहयोग तंत्र को स्थापित करना और उसमें सुधार करना, समुद्र में अवैध और आपराधिक गतिविधियों पर सख्ती से कार्रवाई करना आवश्यक है।" चीनी राष्ट्रपति ने यह भी कहा, "समुद्री कानून प्रवर्तन में विदेशी देशों के साथ व्यावहारिक रूप से आदान-प्रदान और सहयोग करना और अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय समुद्री शासन में सक्रिय रूप से भाग लेना आवश्यक है।" चीन के शीर्ष नेता ने यह भी कहा कि चीन की समुद्री अर्थव्यवस्था के स्वस्थ विकास को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। जिनपिंग के बयान से किस बात का डर शी जिनपिंग के बयान से दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में चीनी तटरक्षक की आक्रामकता और ज्यादा बढ़ने की आशंका है। चीन पहले से ही पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है। अपने दावे को मजबूत करने के लिए वह लगातार इस क्षेत्र में कृत्रिम द्वीपों का निर्माण कर उसे सैन्यीकृत कर रहा है। वहीं, चीन के पड़ोसी देश उसके इस दावे को सिरे से खारिज करते हैं। इस कारण कई देशों के साथ चीन का समुद्र में विवाद भी है। http://dlvr.it/Szc9Kb
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mwsnewshindi · 2 years
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देखो | टोक्यो में क्वाड नेताओं की मुलाकात के दौरान चीनी, रूसी युद्धक विमान जापान के पास हवाई गश्त करते हैं
देखो | टोक्यो में क्वाड नेताओं की मुलाकात के दौरान चीनी, रूसी युद्धक विमान जापान के पास हवाई गश्त करते हैं
छवि स्रोत: ग्लोबल टाइम्स ट्विटर स्क्रीनग्राब टोक्यो में क्वाड नेताओं की मुलाकात के दौरान चीन और रूस के युद्धक विमान जापान सागर के ऊपर “हवाई गश्त” करते हैं। हाइलाइट चीनी, रूसी युद्धक विमानों ने क्वाड मेट के रूप में जापान सागर के ऊपर संयुक्त हवाई गश्त की जापानी रक्षा मंत्री नोबुओ किशी ने रूस और चीन के लिए “गंभीर चिंता” व्यक्त की दूसरे इन-पर्सन क्वाड समिट में पीएम मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेन,…
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col-life23 · 4 years
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हिंसक चीन .. जापान ने दी चेतावनी .. चरम पर तनाव!
हिंसक चीन .. जापान ने दी चेतावनी .. चरम पर तनाव!
भारत और चीन के बीच सीमा का मुद्दा, एक तरफ अपने विभिन्न पड़ोसियों के साथ लॉगरहेड्स पर है। ऐसे में जापान और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है। पिछले कुछ दिनों में चीनी तटरक्षक जहाजों ने सेनकाकू द्वीप समूह में प्रवेश किया है। यह द्वीप पूर्वी चीन सागर में स्थित है और निर्जन है। चीन ने निर्जन द्वीपों में अपने प्रवेश का विरोध किया है। इसके बाद, चीनी सरकार ने अवैध रूप से चीनी जल में प्रवेश करने वाले विदेशी…
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naveenmishradr · 2 years
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*भारतीय नव वर्ष विक्रम संवत 2079 की हार्दिक शुभकामनाएं।* *दक्षिण-पूर्वी एशिया में चीन के विस्तारवाद पर कसता शिकंजा* *राष्ट्रीय_सहारा* 02.04.2022 *हस्तक्षेप में प्रकाशित मेरा लेख*👆 चीन द्वारा द्वीपों व बन्दरगाहों पर कब्जे, कृत्रिम द्वीपों के निर्माण तथा सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ समुद्र में रेत की महान दीवार खड़ा करने मंसूबों के साथ पर्यावरण को नुकसान किया है और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों की संप्रभुता को चोट भी किया है। फिलिपिन्स ने युद्ध जैसी स्थिति को देखते हुए भारत से ब्रह्मोस मिसाइल की खरीदारी शुरू कर दी है। इसी के साथ वियतनाम, मलेशिया, थाईलैंड सिंगापुर भी मिसाइल खरीद कर भारत के नेतृत्व में चीन से मुकाबले के लिए तैयार है। इन परिस्थितियों में भारत विश्व में भारत का मिसाइल निर्यात के साथ अपने हजारों वर्षों पुरानी दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के साथ सांस्कृतिक संबंधों को पुनर्जीवित कर चीन पर नकेल कसने के साथ वैश्विक शक्ति बनने का सही समय यही है। https://www.instagram.com/p/Cb1T2zvvhsu/?utm_medium=tumblr
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tezlivenews · 3 years
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सीक्रेट बेस पर रिमोट से चलने वाले युद्धपोत का टेस्ट कर रहा चीन, US नेवल इंस्टीट्यूट के दावे से हड़कंप
सीक्रेट बेस पर रिमोट से चलने वाले युद्धपोत का टेस्ट कर रहा चीन, US नेवल इंस्टीट्यूट के दावे से हड़कंप
वॉशिंगटनदक्षिण चीन सागर में अमेरिका से जारी तनाव के बीच चीन रिमोट से चलने वाले लड़ाकू युद्धपोत का टेस्ट कर रहा है। यूएस नेवल इंस्टीट्यूट ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि चीन अपने पूर्वी तट पर एक गुप्त नौसैनिक अड्डे इन मानव रहित युद्धपोतों का परीक्षण कर रहा है। चीन का अगर यह टेस्ट सफल हो जाता है तो समुद्र में उसकी ताकत कई गुना ज्यादा बढ़ जाएगी। चीन के पास पहले से ही दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना मौजूद…
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uma7861105 · 3 years
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अगर आप चीन गए है तो इन 10 जगह पर जरूर जाये ,जो इतिहास से जुडी याद को कर देगा ताज़ा
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चीन, दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश, प्राकृतिक और सांस्कृतिक आकर्षणों से युक्त है। चीन का इतिहास हजारों साल पुराना है और खास बात यह है कि चीन के 47 पर्यटन स्थल विश्व धरोहर (World Heritage Sites) में शामिल हैं। इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है कि चीन में घूमने वाले पर्यटक यहां के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों पर सबसे पहले जाते हैं। चीन विश्व के सबसे चमकदार, जीवंत, रंगीन और जीवन से भरपूर देशों में से एक है। शायद यही कारण है कि भारत के साथ ही पूरी दुनिया से भारी संख्या में पर्यटक चीन घूमने के लिए आते हैं। इस लेख में हम आपको चीन के पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं इसीलिए इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़े –
1. चीन की दीवार – 
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चीन की दीवार दुनिया की सबसे लंबी दीवार (Longest Wall) है। यह चीन के सबसे प्रतिष्ठित प्रतीकों (Symbols) में से एक है और यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के साथ-साथ दुनिया के नए सात अजूबों (New Seven Wonders Of The World) में भी शामिल है। इसकी वास्तुकला 5,000 से अधिक खड़ी पहाड़ियों पर फैली हुई है, जो चीन को अद्वितीय दृश्य प्रदान करती है।
2. शीआन की टेराकोट्टा सेना –
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शीआन का टेराकोट्टा सेना योद्धाओं को प्रदर्शित करने वाला सबसे बड़ा भूमिगत सैन्य संग्रहालय है, जो किसानों द्वारा खुदाई के दौरान खोजा गया था। सेनाएं युद्धरत राज्यों की अवधि के दौरान अन्य सभी चीनी सेनाओं पर विजय प्राप्त करने वाली बटालियन का प्रतिनिधित्व करती हैं। यूनेस्को द्वारा 1987 में, टेराकोट्टा सेना को चीन की विश्व सांस्कृतिक धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया गया। इस संग्रहालय में चार मुख्य श्रेणियां हैं जैसे रथ योद्धा (Chariot Warriors), पैदल सेना Infantrymen), घुड़सवार सेना और घोड़े।
3. बीजिंग की फॉरबिडन सिटी –
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पुराने समय में यह निषिद्ध शहर केवल अभिजात वर्ग के लिए था और यहां आम लोगों को प्रवेश वर्जित था। “द पैलेस म्यूजियम” के नाम से प्रसिद्ध, फॉरबिडन सिटी 1911 तक 560 वर्षों से मिंग (Ming) और किंग राजवंशों (Qing Dynasties) का शाही महल था। बीजिंग की फॉरबिडन सिटी चीनी वास्तुकला (Architecture) का भव्य प्रदर्शन है, जिसमें 8,000 से अधिक कमरे और सुनहरे छत हैं। यह 24 सम्राटों का भी घर था।
4. गुइलिन की ली नदी –
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इस नदी के सुंदर परिदृश्य को हम अक्सर सर्वोत्कृष्ट चीनी चित्रों में देखते हैं। यह नदी पहाड़ियों, खड़ी चट्टानों (Steep Cliffs) और खेती वाले गांवों के बीच अपना रास्ता बनाती है, और यह बांस के पेड़ों से घिरी हुई है। नदी का सबसे खूबसूरत हिस्सा गुइलिन और यांगशो के बीच स्थित है, जो लगभग 83 किलोमीटर तक फैला हुआ है।
5. पीला पर्वत –
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पूर्वी चीन में स्थित, शंघाई और हांग्जो के करीब, येलो पर्वत चीन के सबसे अच्छे तीन राष्ट्रीय उद्यानों में से एक हैं। यह अपनी विषम आकार की चट्टानों (Rocks), अजीबोगरीब चीड़ के पेड़ों, बादलों के समुद्र और गर्म झरनों के कारण चीन में सबसे अधिक चित्रित और छायांकित पहाड़ है। कहा जाता है कि चीन के अलौकिक पूर्वज, येलो सम्राट, वहां रहते हैं। 1990 में, यूनेस्को ने येलो पर्वत को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया।
6. हांग्जो की वेस्ट लेक –
13 वीं शताब्दी में, मार्को पोलो ने हांग्जो को दुनिया का सबसे सुंदर शहर (Elegant City In The World) घोषित किया था। इसे चीन के धरती पर स्वर्ग के रूप में बनाया गया। यह झील शांति का एक प्रतीक है, जिसमें विचित्र पैगोडा (Pagoda) और चीनी शैली के धनुषाकार पुल (Arched Bridges) हैं।
7. बीजिंग का समर पैलेस –
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बीजिंग का समर महल मूल रूप से 1750 में बनाया गया था, लेकिन 1860 में युद्ध के दौरान नष्ट हो गया था। वर्ष 1886 में, महल को इसकी मूल संरचना में बहाल कर दिया गया था। समर पैलेस चीनी परिदृश्य का एक शानदार उद्यान है। यहां पहाड़ियों और झीलों के साथ मानव निर्मित महल, मंदिर, मंडप (Pavilions) और पुल भी हैं।
8 . स्वर्ग का मन्दिर –
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स्वर्ग का मंदिर पृथ्वी और स्वर्ग यानि भगवान की दुनिया और मानव दुनिया के बीच संबंधों का प्रतीक है, जो चीनी ब्रह्मांड (Cosmogony) के केंद्र में स्थित है। चीन पर दो हजार वर्षों से सामंती राजवंशों का शासन था, यही कारण है कि मंदिर की दीवारों पर सभी कालों के राजाओं के शासन को डिजाइन के माध्यम से दर्शाया गया था।
9. मोगाओ गुफा –
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माना जाता है कि पहली मोगा गुफा 366 ईस्वी में एक बौद्ध भिक्षु, लियुन जून द्वारा स्थापित की गई थी, जिनके पास एक हजार बुद्ध की दृष्टि थी। मोगाओ गुफाओं को मोगाओ ग्रूट्स, दुनहंग की गुफाओं या हजार बुद्धों की गुफाओं (Thousand Buddhas) के रूप में भी जाना जाता है। यहां कुल 600 गुफाएं हैं जिनमें से केवल 30 गुफाएं पर्यटकों के लिए खुली हैं।
10. ल्हासा का पोटाला पैलेस –
1994 में, पोटाला पैलेस को यूनेस्को की विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल घोषित किया गया था। यह तिब्बत और घरों के भित्ति चित्र, शास्त्र (Scriptures), मूर्तियां, बौद्ध मूर्तियों, प्राचीन वस्तुओं (Antiques) और धार्मिक आभूषणों का प्रतीक है।
चीन कैसे पहुंचे –
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चीन के प्रमुख हवाई अड्डे बीजिंग, शंघाई, गुआंगझाऊ, हांगकांग ��र कुनमिंग (Kunming) है जहां के लिए भारत से सीधी उड़ानें हैं। वर्तमान में दिल्ली, मुंबई, और कोलकाता से एयर इंडिया, एअरोफ्लोट (Aeroflot), ऑल निप्पॉन एयरवेज, ब्रिटिश एयरवेज, कैथे पैसिफिक (Cathay Pacific),जेट एयरवेज आदि एयरलाइंस चीन से कनेक्टिंग फ्लाइट संचालित करती हैं। आप इन एयरलाइंस से चीन के विभिन्न एयरपोर्ट पर पहुंच सकते हैं। एयरपोर्ट पहुंचने के बाद आप बुलेट ट्रेन, मेट्रो या फिर टैक्सी द्वारा चीन में अपने गंतव्य तक पहुंच सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आप भारत से चीन लगभग 2.5 से 6 घंटे की हवाई यात्रा करके पहुंच सकते हैं।
चीन की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय – 
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अगर आप चीन की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं तो सबसे पहले आपको चीन के मौसम और जलवायु एवं यात्रा करने का सबसे अच्छा समय जान लेना चाहिए। चीन और भारत दोनों ही सामान्य मानसून जलवायु के हैं, लेकिन चीन में शुष्क (Dry) और सर्द मौसम सबसे लंबा होता है। आमतौर पर पर्यटकों को अप्रैल और नवंबर के बीच चीन जाने की सलाह दी जाती है। सितंबर से अक्टूबर तक शरद ऋतु होती है जो चीन की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है, क्योंकि इस दौरान चीन में सबसे खूबसूरत मौसम होता है। दिसंबर से फरवरी के बीच चीन में पर्यटन का ऑफ पीक सीजन होता है क्योंकि क्योंकि तब पर्यटकों की भीड़ कम होती है और होटल एवं उड़ानों की कीमत कम होती है। आप चाहें तो इस मौसम में भी चीन की यात्रा कर सकते हैं। Read the full article
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dainiksamachar · 1 year
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भारत से लेकर अफ्रीका तक जानलेवा हुआ मौसम, 2 करोड़ लोग भुखमरी के शिकार, 80 लाख बेघर
सीमा जावेद, लंदन: द स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट 2022 नाम की विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन का कहर थम नहीं रहा है। चाहे वह पहाड़ की ऊंची ऊंची चोटियां हो या समुद्र की गहराइयां, कुछ भी इससे अनछुआ नहीं बचा है। अफ्रीका में इसकी वजह से भूखमरी की स्थिति है तो वहीं कई लोग बेघर तक हो गए हैं। पाकिस्‍तान में भी विनाशकारी बाढ़ ने देश के अस्तित्‍व पर संकट पैदा कर दिया है। भारत से लेकर यूरोप और अमेरिका तक अब ग्‍लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन का व्‍यापक असर देखने को मिल रहा है। ऐसे में विशेषज्ञों की तरफ से अब कई तरह की चिंताएं तो जताई जा ही रहीं हैं साथ ही साथ चेतावनी भी दी गई है। भुखमरी के हालात सूखे ने पूर्वी अफ्रीका को पिछले पांच सालों से जकड़ लिया है। इसके चलते वहां के 20 मिलियन से ज्‍यादा लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। पिछले साल जुलाई और अगस्त में रिकॉर्ड तोड़ बारिश ने पाकिस्तान में बाढ़ ला दी और 1,700 से अधिक मौतें हुईं। इसके चलते आठ मिलियन लोग बेघर हो गए। जून के मध्य से अगस्त के अंत तक चीन में रिकॉर्ड तोड़ सबसे व्यापक और लंबे समय तक चलने वाली हीटवेव रही। वहीं गर्मियों के दौरान रिकॉर्ड तोड़ लू ने यूरोप को प्रभावित किया। यूरोप में 15000 से ज्‍यादा लोग गर्मी से की वजह से मारे गए। इनमें स्पेन, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस और पुर्तगाल के लोग शामिल थे। इसकी वजह से भारत में फिलहाल हीटवेव अपनी आवृत्ति, तीव्रता, और घातकता में बढ़ रही है जो हमारे सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि, और सामाजिक-आर्थिक प्रणालियों पर बोझ डाल रही है। भारत पर भी असर डालेगी गर्मी पीएलओएस क्लाइमेट में प्रकाशित, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के रमित देबनाथ और उनके सहयोगियों द्वारा किए एक अध्ययन से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से गंभीर होती यह हीट वेव भारत के ससटेनेबल डेव्लपमेंट गोल्स (SDG) को हासिल करने की दिशा में भारत की प्रगति को बाधित कर सकती हैं। गौरतलब है कि भारत सत्रह संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें गरीबी उन्मूलन, अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण, बेहतर जलवायु, और आर्थिक विकास आदि शामिल हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि हीटवेव ने एसडीजी प्रगति को पहले के अनुमान से अधिक कमजोर कर दिया है।पिघलने लगे ग्‍लेशियर साल 2022 में वैश्विक औसत तापमान 1850-1900 के औसत से 1.15 [1.02 से 1.28] डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। सन् 1850 के बाद से अब तक साल 2015 से 2022 तक रिकॉर्ड में आठ सबसे गर्म साल रहे हैं। तीन मुख्य ग्रीनहाउस गैसों - कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड की सांद्रता 2021 में रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई, नवीनतम वर्ष जिसके लिए समेकित वैश्विक मूल्य उपलब्ध हैं (1984-2021)। साल 2020 से 2021 तक मीथेन सांद्रता में वार्षिक वृद्धि रिकॉर्ड पर सबसे अधिक थी।यूरोपीय आल्प्स ग्लेशियर ने मार्च 2022 में पिघलने के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। IPCC की रिपोर्ट के मुताबिक़ वैश्विक स्तर पर ग्लेशियरों ने 1993-2019 की अवधि में 6000 गिगा टन (Gt) से अधिक बर्फ खो दी। अंटार्कटिका में समुद्री बर्फ 25 फरवरी, 2022 को 1.92 मिलियन किमी2 तक गिर गई, जो रिकॉर्ड पर सबसे निचला स्तर है और दीर्घावधि (1991-2020) औसत से लगभग 1 मिलियन वर्ग किमी नीचे है।गायब होते समुद्री संसाधन ग्रीनहाउस गैसों द्वारा पृथ्वी के ऊपरी सतह में फंसी ऊर्जा ( ग्लोबल वार्मिंग) का लगभग 90% समुद्र अपने में सोख लेता है। इसके चलते समुद्र की सतह के 58% हिस्से ने 2022 के दौरान कम से कम एक समुद्री हीटवेव का अनुभ�� किया। वहीं ग्लोबल मीन सी लेवल यानी समुद्र एसटीआर का बढ़ना (GMSL) 2022 में बढ़ना जारी रहा, सैटेलाइट अल्टीमीटर रिकॉर्ड (1993-2022) के लिए एक उच्च स्तर पर पहुंच गया। उपग्रह रिकॉर्ड के अनुसार 1993-2002 के बीच में 2.27 मिमी प्रति वर्ष और 2013-2022 के बीच में 4.62 मिमी प्रति वर्ष के हिसाब से ग्लोबल औसत समुद्र स्तर वृद्धि दर दोगुनी हो गई है।CO2 समुद्री जल के साथ प्रतिक्रिया करता है जिसके परिणामस्वरूप pH में कमी आती है जिसे 'समुद्र अम्लीकरण' कहा जाता है। आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट के अनुसार समुद्र की सतह का पीएच अब पिछले कम से कम 26 हजार साल में सबसे कम है। जिससे साफ जाहिर है की इसका कितना ख़तरनाक असर समुद्री जीव जनतुओं पर होगा। वैसे भी अब अधिकांश समुद्र तटों की रेत से सीपियां, शंख आदि ग़ायब हो चुके हैं।लेखिका वरिष्‍ठ स्‍तंभकार हैं और पर्यावरण से जुड़े मुद्दे पर लिखती रहती हैं। http://dlvr.it/SnNrRJ
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chaitanyabharatnews · 3 years
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चीन का अनिंयत्रित रॉकेट मालदीव्स के पास गिरा
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चैतन्य भारत न्यूज शंघाई. चीन का अनियंत्रित रॉकेट आखिरकार बिना किसी को नुकसान पहुंचाए, हिंद महासागर में मालदीव्स के पास गिर गया। हालांकि अभी तक ये पता नहीं चल सका है कि रॉकेट के गिरने के बाद कितना नुकसान हुआ है। चीन के ‘मैन्ड स्पेस इंजीनियरिंग’ कार्यालय ने बताया कि चीन के लॉन्ग मार्च 5बी रॉकेट के अवशेष बीजिंग के समयानुसार सुबह 10 बजकर 24 मिनट पर पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश कर गए और वे 72।7 डिग्री पूर्वी देशांतर और 2।65 डिग्री उत्तरी अक्षांश में समुद्र के एक खुले क्षेत्र में गिरे। ❗NEWS FLASH| China announces that the wreckage of its booster rocket has re-entered to Earth's atmosphere. According to the MSEO, parts of rocket re-entered the atmosphere at 10:24 ( Chinese Time) over the Indian Ocean, southwest India & Sri Lanka. 🌐 RT. pic.twitter.com/DwkuYRfOy5 — Marcos Cruz. (@MarCruzNic) May 9, 2021 अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन (Pentagon) ने कुछ दिन पहले ही चीन के इस लॉन्ग मार्च 5बी रॉकेट के धरती से टकराने की चेतावनी दे दी थी। अमेरिकी स्पेस फोर्स के डेटा के मुताबिक यह रॉकेट 18 हजार मील प्रतिघंटा की रफ्तार से धरती की ओर बढ़ रहा था। इतनी तेज रफ्तार होने के कारण इस बात की पुष्टि नहीं की सकी थी कि इसकी लैंडिंग कहां होगी। निर्देशांक ने भारत और श्रीलंका के दक्षिण-पश्चिम में समुद्र में प्रभाव के बिंदु को रखा। इसके साथ ही कहा गया कि अधिकांश मलबा वायुमंडल में जल गया था। चीन ने यह रॉकेट 28 अप्रैल को अपने तियानहे स्पेस स्टेशन को बनाने के लिए अपना सबसे बड़ा रॉकेट लॉन्ग मार्च 5बी छोड़ा था। यह एक मॉड्यूल लेकर स्पेस स्टेशन तक गया था। मॉड्यूल को तय कक्षा में छोड़ने के बाद इसे नियंत्रित तरीके से धरती पर लौटना था। लेकिन अब चीन की स्पेस एजेंसी का इस पर से नियंत्रण खत्म हो चुका है। Read the full article
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quickyblog · 4 years
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कैसे महामारी से घिरा हुआ है, पर्यटन आय की हानि और युद्ध की छाया
कैसे महामारी से घिरा हुआ है, पर्यटन आय की हानि और युद्ध की छाया
समुद्र तल से 11,500 फीट की ऊँचाई पर, एक ऊँचाई जो आगंतुकों के लिए पर्वतारोहण का पर्वतारोहण है, पहाड़ी शहर लेहआम तौर पर साल के इस समय में पर्यटकों का एक केंद्र, एक उजाड़ और थके हुए हवा खेल।
का एक ताजा मंत्र कोविड -19 मामलों, पर्यटन राजस्व का परिणामी नुकसान और द्वारा incursions पीपुल्स लिबरेशन आर्मीअपनी पूर्वी सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार चीन ने आत्माओं को सराबोर कर दिया है। डर और हताशा…
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khabaruttarakhandki · 4 years
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भारत के साथ हुई झड़प के बाद अमेरिकी सीनेट में ‘बहुमत के नेता’ मिच मैककोनेल ने गिनाईं चीन की करतूतें
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India- China Stand Off : सीनेट में बहुमत के नेता मिच मैककोनेल ने चीन को घेरा है.
नई दिल्ली :
पूर्वी लद्दाख के गलवान में घाटी में भारतीय सेना के साथ हुई झड़प के बाद चीन के खिलाफ अमेरिका अब खुलकर सामने आ रहा है. अमेरिका के एक टॉप सीनेटर ने साफ-साफ कहा है कि इस घटना के पीछे चीन की सेना का ही हाथ रहा होगा. जिसने उकसाने का काम किया है. सीनेट में बहुमत के नेता मिच मैककोनेल ने कहा, ‘उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि  इलाके को हथियाने के उद्देश्य से चीन सेना पीएलए ने ही सबसे पहने हिंसा को उकसाया होगा. जिसके बाद 1962 के बाद इतनी बड़ी हिंसा हुई है.  मिच मैककोनेल ने कहा सदन में विदेश नीति पर भाषण देते हुए कहा कि चीन ने अमेरिका के हितों और उसके सहयोगियों को धमका रहा है. पूरी दुनिया ने दो परमाणु ताकतों के बीच हुई इस हिंसा को देखा है. उन्होंने कहा कि हम तनाव को शांत करने में लगे हैं और उम्मीद है कि शांति कायम होगी. इसके बाद अमेरिका के इस नेता ने भारत के लिहाज से काफी अहम बात कही. उन्होंने कहा कि दुनिया को इससे संकेत साफ नहीं मिल सकता था कि चीन किस तरह से अपनी सीमा पर लोगों के साथ अत्याचार, दुनिया के नक्शे को चुनौती पैदा करना और उसको अपने तरीके से तय करने में लगा है’.    चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने महामारी (कोरोना वायरस) को पर्दे की तरह इस्तेमाल कर हांककांग में किए जा रहे उत्पीड़न की कोशिश की साथ ही अपने नियंत्रण और दखल को इलाके में और मजबूत किया.’ अमेरिका नेता ने आगे कहा, ‘समुद्र में उसने जापान को धमकाया, आकाश में चीन के फाइटर प्लेन चार बार ताइवान की सीमा में घुसे.  वहीं अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य जिम बैंक्स ने भारत के उस निर्णय का स्वागत किया जिसमें उसने टेलीकॉम सेक्टर में चीन की हुवाई और जेटीई को बैन कर दिया है. उन्होंने कहा, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को पीछे धकेलना में हमेशा आगे रहा. भारत को धमकाया नहीं जा सकता है. यह एक मजबूत और बुद्धिमानी भरा फैसला है’.
वहीं पूर्वी एशिया मामलों के अधिकारी डेविड स्टिलवेल ने कहा कि कोरोना वायरस के बाद पूरी दुनिया चीन की ओर से अपना मुंह मोड़ रही है. चीन को लगता है कि ऐसी हरकतों से सबका ध्यान हटा लेगा और इससे उसे फायदा होगा. उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन भारत-चीन के बीच जो कुछ भी हो रहा है उस पर नजर बनाए हुए है. 
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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vilaspatelvlogs · 3 years
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समुद्र में ड्रैगन का बढ़ता कद: हिंद महासागर में ताकतवर हुआ चीन, भारत के पड़ोसी देशों को भी कर रहा कंट्रोल; अब पश्चिम अफ्रीका में बंदरगाह बनाने पर विचार
समुद्र में ड्रैगन का बढ़ता कद: हिंद महासागर में ताकतवर हुआ चीन, भारत के पड़ोसी देशों को भी कर रहा कंट्रोल; अब पश्चिम अफ्रीका में बंदरगाह बनाने पर विचार
Hindi News International China Becomes Stronger In The Indian Ocean, India’s Neighboring Countries Are Also Under Its Control; Now Thinking Of Making Port In West Africa Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप बीजिंग/दिल्ली27 मिनट पहले कॉपी लिंक चीन की सबसे बड़ी प्रगति पूर्वी अफ्रीका के देश जिबूती में देखने को मिली है। PLA ने यहां 1 अगस्त 2017 को अपने पहले विदेशी…
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भारत आए अमेरिका के रक्षा मंत्री ने राजनाथ से की मुलाकात, जानें क्‍या-क्‍या देकर जाएंगे Divya Sandesh
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भारत आए अमेरिका के रक्षा मंत्री ने राजनाथ से की मुलाकात, जानें क्‍या-क्‍या देकर जाएंगे
नई दिल्ली अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरी ‘सबसे अहम’ चुनौतियों से निपटने के लिए भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी मजबूत करने की इच्छा जताई। ऑस्टिन तीन दिन की भारत यात्रा पर हैं। पीएम मोदी से शुक्रवार को मुलाकात के बाद अमेरिकी रक्षा मंत्री ने शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बातचीत की। ऑस्टिन अपने पहली तीन देशों की विदेश यात्रा के तहत भारत पहुंचे हैं। इससे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं आपसी हितों पर चर्चा की थी।
भारत-अमेरिका के बीच डिफेंस पार्टनरशिप का महत्व ऑस्टिन का स्वागत करते हुए, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उनकी भारत यात्रा निश्चित रूप से दोनों देशों के बीच सहयोग और साझेदारी को और मजबूत करने वाली है।’ वहीं, ऑस्टिन ने ट्वीट किया, ”यहां भारत में आकर रोमांचित हूं। हमारे दोनों देशों के बीच सहयोग की गहराई हमारी व्यापक रक्षा साझेदारी के महत्व को दर्शाती है और हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों पर मिलकर काम कर सकते हैं।” भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों ने पिछले कुछ वर्षों में नये मुकाम हासिल किये हैं। जून 2016 में अमेरिका ने भारत को ‘प्रमुख रक्षा साझेदार’ का दर्जा दिया था।
मल्टी मिशन प्रिडेटर ड्रोन पर चर्चा उन्होंने बताया कि तीन अरब डॉलर से अधिक (अनुमानित) की लागत से अमेरिका से करीब 30 ‘मल्टी-मिशन’ सशस्त्र प्रीडेटर ड्रोन खरीदने की भारत की योजना पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। ये ड्रोन सेना के तीनों अंगों (थल सेना, वायु सेना और नौ सेना) के लिए खरीदने की योजना है। मध्य ऊंचाई पर लंबी दूरी तक उड़ान भरने में सक्षम इस ड्रोन का निर्माण अमेरिकी रक्षा कंपनी जनरल एटोमिक्स करती है। यह ड्रोन करीब 35 घंटे तक हवा में रहने में सक्षम है और जमीन एवं समुद्र में अपने लक्ष्य को भेद सकता है।
114 फाइटर प्लेन खरीद पर बातचीत बताया जाता है कि करीब 18 अरब डॉलर की लागत से 114 लड़ाकू विमान खरीदने की भारत की योजना पर भी वार्ता हो सकती है। दरअसल, अमेरिकी रक्षा साजो सामान निर्माण कंपनियां बोइंग और लॉकहीड मार्टिन की इस करार पर नजरें हैं। क्वाड समूह द्वारा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना सहयोग विस्तारित करने का संकल्प लेने के कुछ दिनों बाद अमेरिकी रक्षा मंत्री की भारत की यात्रा हो रही है। चार देशों के इस समूह में भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया शामिल हैं।
पूर्वी लद्दाख में चीनी रवैये को लेकर विचार यात्रा की तैयारियों और एजेंडा की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत में भारत-अमेरिका संबंध को और प्रगाढ़ करने के तरीकों, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने, पूर्वी लद्दाख में चीन के आक्रामक व्यवहार, आतंकवाद से पैदा हुई चुनौतियों और अफगान शांति वार्ता पर जोर रहने की उम्मीद है।
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अध्याय 12
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जब सभी लोग सुनते हैं, जब सब कुछ नवीकृत और पुनर्जीवित हो जाता है, जब हर व्यक्ति बिना आशंका के परमेश्वर को समर्पित हो जाता है, और परमेश्वर के बोझ की भारी ज़िम्मेदारी को अपने कंधे पर उठाने के लिए तैयार होता है—तभी ऐसा होता है कि पूर्वी बिजली आगे बढ़ती है, प्रभु यीशुपूर्व से पश्चिम तक सभी को रोशन करते हुए, इस प्रकाश के आगमन के साथ पृथ्वी पर सभी को भयभीत करते हुए; और इस समय, परमेश्वर एक बार फिर अपना नया जीवन शुरू करता है। कहने का अर्थ है इस समय परमेश्वर पृथ्वी पर अपना नया काम शुरू करता है, पूरे विश्व के लोगों के प्रति यह घोषणा करते हुए कि "जब पूर्व से बिजली चमकती है—जो कि निश्चित रूप से वही क्षण भी होता है जब मैं बोलना आरम्भ करता हूँ—जिस क्षण बिजली प्रकट होती है, तो संपूर्ण नभमण्डल जगमगा उठता है, और सभी तारे रूपान्तरित होना शुरू कर देते हैं।" तो, कब वह समय होता है जब बिजली पूर्व दिशा से निकल कर आगे बढ़ती है? जब स्वर्ग पर अंधेरा छाने लगता है और पृथ्वी धुंधली हो जाती है, और ऐसा तब होता है जब परमेश्वर दुनिया से अपना चेहरा छिपा लेता है, और उस क्षण जब आकाश के नीचे सब कुछ एक शक्तिशाली तूफान से घिरने वाला होता है। इस समय, सभी लोग आतंक से ग्रसित हो जाते हैं, गड़गड़ाहट से भयभीत, बिजली की चमक से डरते हुए, और प्रलय के आक्रमण से और भी ज्यादा भयाकुल, इस तरह कि उनमें से ज्यादातर अपनी आँखें मूँद लेते हैं और परमेश्वर के क्रोधित होकर उन्हें मार देने की प्रतीक्षा करते हैं। जैसे ही विभिन्न स्थितियाँ गुजरती हैं, पूर्वी बिजली तत्काल आगे बढती है। जिसका अर्थ है कि दुनिया के पूर्व में, उस समय से लेकर जब खुद परमेश्वर के प्रति गवाही शुरू होती है, और उस समय तक जब वह कार्य करना शुरू करता है, अर्थात् उस समय तक जब देवत्व समग्र पृथ्वी पर अपनी सार्वभौमिक सत्ता का संचालन करने लगता है—यह पूर्वी बिजली की चमचमाती किरणें ही हैं, जो पूरे ब्रह्मांड के लिए सदैव जगमगाती रही हैं। जब धरती के सारे देश मसीह का राज्य बन जाते हैं, तभी पूरा ब्रह्मांड प्रकाशित होता है। अब वह समय है जब पूर्वी बिजली आगे बढ़ती है: देहधारी परमेश्वर कार्य करना शुरू कर देता है, और साथ ही साथ, सीधे दिव्यता में बात करता है। यह कहा जा सकता है कि जब परमेश्वर पृथ्वी पर बात करना शुरू करता है, तभी पूर्वी बिजली प्रकट होती है। अधिक सटीकता से कहें तो, जब सिंहासन से जीवन का जल बहता है—जब सिंहासन से आने वाले कथन शुरू होते हैं—ठीक वही समय होता है जब सातगुना आत्मा के कथन औपचारिक रूप से शुरू होते हैं। इस समय, पूर्वी बिजली आगे बढ़ना शुरू करती है, और समय में अंतर के कारण, रोशनी की मात्रा भी बदलती है, और इसमें, तेजस्विता की एक सीमा भी है। लेकिन जैसे ही परमेश्वर का कार्य चल पड़ता है, और जैसे ही उसकी योजना बदलती है— चूँकि परमेश्वर के पुत्रों और प्रजा पर कार्य अलग-अलग होता है, बिजली अधिकाधिक अपना निहित कार्य करती है, इस तरह कि पूरे ब्रह्मांड में सभी प्रकाशित हो जाते हैं, और कोई तलछट या अशुद्धता नहीं रह जाती है। यह परमेश्वर की 6,000 साल की प्रबंधन योजना का रवाकरण है, और यही वह फल है जिसका परमेश्वर आनंद लेता है। "सितारों" का अर्थ आकाश के सितारे नहीं, बल्कि परमेश्वर के सभी पुत्र और प्रजा हैं जो परमेश्वर के लिए काम करते हैं। चूँकि वे परमेश्वर के राज्य में परमेश्वर की गवाही देते हैं, और परमेश्वर के राज्य में परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करते हैं, और क्योंकि वे जीव हैं, उन्हें "सितारे" कहा जाता है। जो परिवर्तन होते हैं, वे लोगों की पहचान और उनके कद में हुए परिवर्तन हैं: वे पृथ्वी के लोगों से राज्य की प्रजा में बदल जाते हैं, और, इसके अलावा, परमेश्वर उनके साथ होता है, और परमेश्वर की महिमा उनमें होती है। नतीजतन, वे परमेश्वर की जगह पर सार्वभौमिक शक्ति का संचालन करते हैं, और उनके जहर और अशुद्धियों को परमेश्वर के कार्य के कारण शुद्ध कर दिया जाता है, अंततः उन्हें परमेश्वर के द्वारा उपयोग के योग्य और परमेश्वर के हृदय के अनुकूल बनाते हुए—जो इन शब्दों के अर्थ का एक पहलू है। जब परमेश्वर की रोशनी की किरणें समस्त भूमि को प्रकाशित करती हैं, तो स्वर्ग और पृथ्वी की सभी चीजें कम-ज्यादा बदल जाएंगी, और आकाश में तारे भी बदलेंगे, सूरज और चंद्रमा का नवीकरण किया जाएगा, और बाद में पृथ्वी पर लोग भी नवीकृत होंगे--जो स्वर्ग और पृथ्वी के बीच परमेश्वर द्वारा किया गया समूचा कार्य है, और इसमें कोई आश्चर्य नहीं है।
जब परमेश्वर लोगों को बचाता है—जो, स्वाभाविक रूप से, उन लोगों को शामिल नहीं करता है जो चुने हुए नहीं हैं—वह ठीक वही समय है जब परमेश्वर लोगों का शुद्धिकरण और न्याय करता है, और सभी लोग फूट फूट कर रोते हैं, या अपने बिस्तरों पर आहत पड़े होते हैं, या परमेश्वर के वचनों की वजह से मृत्यु के नरक में मार गिराए जाते हैं। केवल परमेश्वर की बातों के कारण ही वे खुद को जानना शुरू करते हैं। यदि नहीं, तो उनकी आँखें मेंढक की तरह होंगी, ऊपर ताकती हुईं, उनमें से कोई भी आश्वस्त नहीं होगा, उनमें से कोई भी खुद को नहीं जानता होगा, खुद का वज़न कितना है इससे भी अनजान। लोग वास्तव में एक हद तक शैतान द्वारा भ्रष्ट हो चुके हैं। यह निश्चित रूप से परमेश्वर की सर्वशक्तिमत्ता की वजह से है कि मनुष्य का कुरूप चेहरा इतने स्पष्ट रूप से चित्रित किया गया है, जिसके कारण मनुष्य इसे पढ़ने के बाद, अपने वास्तविक चेहरे से इसकी तुलना करता है। सभी लोग जानते हैं कि उनके सिर में मस्तिष्क की कितनी कोशिकाएँ हैं, यह परमेश्वर को स्पष्ट रूप से दिखता है, उनके बदसूरत चेहरों या अंदरूनी विचारों के बारे में कुछ भी न कहना बेहतर होगा। इन शब्दों में "ऐसा प्रतीत होता है मानो पूरी मानवजाति को उचित प्रकार से शुद्ध करने और काट-छाँट करने के अधीन कर दिया गया हो। पूर्व के प्रकाश की इस किरण के नीचे, समस्त मानवजाति को उसके मूल स्वरूप में प्रकट किया जाता है चुँधियाई आँखें, भ्रम में हक्के बक्के" यह देखा जा सकता है कि एक दिन जब परमेश्वर का कार्य समाप्त हो जाता है, तो समस्त मानवजाति से परमेश्वर न्याय कर चुका होगा। कोई भी भाग नहीं पाएगा, परमेश्वर मानवजाति में से लोगों को एक-एक करके संभाल लेगा, उनमें से एक को भी माफ़ नहीं करते हुए, और उसके बाद ही परमेश्वर का दिल संतुष्ट होगा। और इसलिए, परमेश्वर कहता है, "फिर, वे ऐसे पशुओं के समान हैं जो पहाड़ों की गुफाओं में शरण लेने के लिए मेरे प्रकाश से दूर भाग रहे हैं; फिर भी, उन में से एक को भी मेरे प्रकाश के भीतर से मिटाया नहीं जा सकता है।" लोग अधम और नीच पशु हैं। शैतान के हाथों में रहते हुए ऐसा लगता है कि वे पहाड़ों के भीतर गहरे प्राचीन वनों में शरण ले चुके हैं—परन्तु चूँकि सब चीजें परमेश्वर की आग से जलाए जाने से बच नहीं सकतीं, शैतान की शक्तियों के "संरक्षण" के तहत रहते हुए भी, तो परमेश्वर उन्हें कैसे भूल सकते हैं? जब वे परमेश्वर के वचनों के आगमन को स्वीकार करते हैं, तो सभी लोगों की भद्दी शकलें और विकृत स्थितियाँ परमेश्वर की कलम के द्वारा चित्रित होती हैं; परमेश्वर मनुष्य की ज़रूरतों और मानसिकता के अनुरूप बोलता है। इस प्रकार, लोगों के लिए, परमेश्वर मनोविज्ञान में माहिर नज़र आता है। ऐसा लगता है जैसे परमेश्वर एक मनोवैज्ञानिक है, बल्कि यह भी जैसे कि परमेश्वर आंतरिक उपचार का एक चिकित्सक है—कोई आश्चर्य नहीं है कि उसे मनुष्य की, जो "जटिल" है, ऐसी समझ है। जितना अधिक लोग इस बार में सोचते हैं, परमेश्वर की बहुमूल्यता का उन्हें उतना ही अधिक एहसास होता है और उतना ही अधिक उन्हें लगता है कि परमेश्वर गहन और अथाह है। ऐसा लगता है कि मनुष्य और परमेश्वर के बीच, एक अगम्य स्वर्गीय सीमा-रेखा है, बल्कि यह भी कि मानो चू नदी[क] के दो किनारों से वे दोनों एक दूसरे का लिहाज करते हैं, दोनों में से कोई भी दूसरे को देखने के अलावा कुछ भी करने में सक्षम नहीं है। कहने का अर्थ है, पृथ्वी पर रहने वाले लोग केवल अपनी आँखों से परमेश्वर को देखते हैं, उन्हें कभी भी उसका समीप से अध्ययन करने का मौका नहीं मिला है, और उनके पास केवल एक लगाव की भावना मात्र है। उनके दिल में, वे हमेशा एक भावना रखते हैं कि परमेश्वर सुंदर है, परन्तु चूँकि परमेश्वर इतना "बेरहम और निर्दयी है," उनके पास उनके दिल की पीड़ा की बात उसके सामने करने का अवसर कभी नहीं रहा है। वे पति के सामने रही एक खूबसूरत जवान पत्नी की तरह हैं जो अपने पति की सत्यनिष्ठा के कारण, कभी भी अपनी सच्ची भावनाओं का खुलासा करने का अवसर नहीं पा सकी है। लोग खुद से घृणा करने वाले अभागे हैं, और इसलिए, उनकी भंगुरता के कारण, आत्मसम्मान की कमी के कारण, मनुष्य के प्रति मेरी नफरत कुछ हद तक बढ़ जाती है, और मेरे दिल का रोष फूट पड़ता है। मेरे मन में, ऐसा लगता है जैसे मैंने एक आघात का सामना किया है। मैं लंबे समय से मनुष्य में आशा खो चुका हूँ, लेकिन क्योंकि "एक बार फिर, मेरा दिन मानवजाति के नज़दीक आ रहा है, एक बार फिर मानवजाति को जाग्रत कर रहा है और मानवता को एक स्थान दे रहा है जहाँ से एक नई शुरूआत की जाए," मैं एक बार फिर से समग्र मानव जाति को जीतने के लिए साहस जुटाता हूँ, बड़े लाल अजगर को पकड़ने और हराने के लिए। परमेश्वर का मूल इरादा इस प्रकार था: चीन में बड़े लाल अजगर के वंश-विस्तार पर विजय पाने से बढ़कर कुछ नहीं करना; केवल इसे ही बड़े लाल अजगर की शिकस्त माना जा सकता था, बड़े लाल अजगर की पराजय, और केवल यही साबित करने के लिए पर्याप्त होगा कि परमेश्वर समूची पृथ्वी पर राजा के रूप में शासन करता है, परमेश्वर के महान उद्यम की पूर्ति को साबित करते हुए, और (इसे भी साबित करते हुए कि) पृथ्वी पर परमेश्वर की एक नई शुरुआत है, और पृथ्वी पर उसकी महिमा हुई है। अंतिम सुंदर दृश्य की वजह से, परमेश्वर अपने दिल की उत्कंठा को व्यक्त किये बिना नहीं रह सकता: "मेरा हृदय धड़कता है और, मेरे हृदय की धड़कन की लय का अनुसरण करते हुए पहाड़ आनन्द के लिए उछलते हैं और समुद्र खुशी से नृत्य करता है तथा लहरें समय-समय पर चट्टानी भित्तियों से टकराती हैं। जो मेरे हृदय में है उसे व्यक्त करना कठिन है।" इससे यह देखा जा सकता है कि परमेश्वर द्वारा जो योजना बनाई गई थी, उसे वह पहले से ही पूरा कर चुका है, कि यह परमेश्वर द्वारा पूर्व निर्धारित था, और यह ठीक वही है जो परमेश्वर लोगों को अनुभव कराता और दिखाता है। राज्य की संभावना सुंदर है, राज्य का राजा विजयी है, सिर से पैर तक मांस और रक्त का कोई निशान नहीं है, उसका सब कुछ पवित्र है। उसका पूरा देह पवित्र महिमा से उज्जवल है, मानव विचारों से पूरी तरह से अछूता, उसका सारा शरीर ऊपर से नीचे तक, धार्मिकता और स्वर्ग की आभा के साथ छलकता है, और एक मनोरम सुगंध छोड़ता है। श्रेष्ठ गीत में प्राणप्रिय की तरह, वह सभी संतों की तुलना में अधिक सुंदर है, प्राचीन संतों की तुलना में बढ़कर है, वह सभी लोगों के बीच आदर्श है, और मनुष्य के लिए अतुलनीय है; लोग उसे सीधे देखने के योग्य भी नहीं हैं। कोई भी परमेश्वर के महिमापूर्ण चेहरे को, परमेश्वर की उपस्थिति या परमेश्वर की छवि को, प्राप्त नहीं कर सकता, कोई भी प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकता, और कोई भी आसानी से अपने मुंह से इन बातों की प्रशंसा तक नहीं कर सकता।
परमेश्वर के वचनों का कोई अंत नहीं है, एक झरने से फूट पड़ते पानी की तरह वे कभी सूखेंगे नहीं और इस प्रकार कोई भी परमेश्वर की प्रबंधन योजना के रहस्यों की थाह नहीं पा सकता—फिर भी परमेश्वर के लिए, ऐसे रहस्य अनंत हैं। विभिन्न तरीकों और भाषा का प्रयोग करते हुए, परमेश्वर ने कई बार पूरे ब्रह्मांड के अपने नवीकरण और परिवर्तन के बारे में कहा है, हर समय आखिरी बार की तुलना में अधिक गहराई से: "मैं चाहता हूँ कि सभी अशुद्ध चीज़ें मेरे घूरने से जलकर भस्म हो जाएँ। मैं चाहता हूँ कि अवज्ञा के सभी पुत्र मेरी नज़रों के सामने से ओझल हो जाएँ, और आगे से अस्तित्व में न मँडराते रहें।" परमेश्वर बार-बार ऐसी बातों को क्यों कहता है? क्या वह भयभीत नहीं कि लोग इनसे से थक जाएँगे? लोग परमेश्वर के वचनों के बीच यूं ही टटोलते रहते हैं, इस तरह से परमेश्वर को जानना चाहते हुए, लेकिन खुद को जाँचने की कभी याद नहीं रखते। इस प्रकार, परमेश्वर इस साधन का उपयोग करता है उनको याद दिलाने के लिए, ताकि वे खुद को जान सकें, ताकि वे खुद ही मनुष्य की अवज्ञा के बारे में जान सकें, और इस प्रकार परमेश्वर के सामने उनकी अवज्ञा को समाप्त कर सकें। ��ह पढ़कर कि परमेश्वर "साफ और सुव्यवस्थित करना" चाहता है, उनका मनोभाव तुरंत चिंता में पड़ जाता है, और उनकी मांसपेशियाँ भी निष्क्रिय हो जाती हैं। वे तुरंत खुद की आलोचना करने के लिए परमेश्वर के सामने लौट आते हैं, और इस तरह परमेश्वर को जान पाते हैं। इसके बाद—उनके निश्चय कर लेने के बाद—परमेश्वर इस अवसर का उपयोग उन्हें बड़े लाल अजगर का सार दिखाने के लिए करता है; इस प्रकार, लोग सीधे आध्यात्मिक क्षेत्र से जुड़ते हैं, और उनके संकल्प द्वारा निभाई गई भूमिका के कारण, उनके दिमाग भी एक किरदार निभाना शुरू कर देते हैं, जिससे मनुष्य और परमेश्वर के बीच भावना में बढ़ोतरी होती है—जो देहधारी परमेश्वर के कार्य के लिए अधिक लाभकारी है। इस तरह, लोग अनजाने में गुज़रे समय की ओर पीछे मुड़कर देखना चाहते हैं: पिछले कई वर्षों से लोग एक अस्पष्ट परमेश्वर में विश्वास करते थे, कई सालों से, वे अपने दिलों में कभी भी आज़ाद नहीं थे, वे बहुत आनंद लेने में असमर्थ थे, और यद्यपि वे परमेश्वर में विश्वास करते थे, उनके जीवन में कोई व्यवस्था नहीं थी। ऐसा लगता था कि विश्वासी बनकर भी पहले की तुलना में कोई फर्क नहीं पड़ा था, उनके जीवन अभी भी खाली और निराश महसूस होते थे, ऐसा लगता था कि उस समय उनका विश्वास एक प्रकार की उलझन ही था, और यह कि अगर वे विश्वास न ही करते, तो शायद बेहतर होता। जब से उन���होंने आज के स्वयं व्यावहारिक परमेश्वर को देखा, ऐसा लगता है जैसे स्वर्ग और पृथ्वी का नवीकरण हो गया है; उनके जीवन उज्ज्वल हो गए हैं, वे अब आशाहीन नहीं हैं, और व्यावहारिक परमेश्वर के आगमन के कारण, वे अपने दिलों में दृढ़ और अपनी आत्माओं के भीतर शांत हैं। वे जो भी करते हैं उसमें अब वे हवा का पीछा नहीं करते और छाया को नहीं पकड़ते, अब उनकी खोज लक्ष्यहीन नहीं है और अब वे यूं ही इधर-उधर हाथ-पैर नहीं मार रहें हैं। आज का जीवन और भी अधिक सुंदर है, लोगों ने अनपेक्षित रूप से राज्य में प्रवेश किया और परमेश्वर की प्रजा में शामिल हो गए हैं, और बाद में ... उनके दिलों में, जितना अधिक लोग सोचते हैं, उतनी अधिक मिठास होती है, जितना अधिक वे सोचते हैं, उतने ही अधिक वे खुश है, और उतने ही अधिक वे परमेश्वर से प्रेम करने के लिए प्रेरित होते हैं। इस प्रकार, उनके यह जाने बिना ही, परमेश्वर और मनुष्य के बीच की दोस्ती बढ़ जाती है। लोग परमेश्वर से अधिक प्रेम करने, और परमेश्वर को और अधिक जानने लगते हैं, और मनुष्य में परमेश्वर का कार्य अधिक आसान होने लग जाता है, और यह कार्य अब लोगों को मजबूर या विवश नहीं करता है, बल्कि प्रकृति के अनुसार चलता है, और मनुष्य अपना अनोखा काम करता है—केवल तभी परमेश्वर को जानने के लिए वे धीरे-धीरे सक्षम होंगे। केवल यही परमेश्वर का ज्ञान है—इसमें थोड़ी-सी भी कोशिश निहित नहीं है, और इसे मनुष्य के स्वभाव के अनुरूप बनाया जाता है। इस प्रकार, इस समय परमेश्वर कहता है, "मानव जगत में मेरे देहधारण के समय, मानवजाति मेरे मार्गदर्शन करने वाले हाथ की सहायता से अनिच्छापूर्वक इस दिन तक पहुँची, मुझे जानने के लिए अनिच्छापूर्वक आयी। लेकिन, जहाँ तक इसकी बात है कि जो मार्ग सामने है उस पर कैसे चला जाए, तो किसी को कोई आभास नहीं है, कोई नहीं जानता है, और किसी के पास कोई सुराग तो और भी कम है कि वह मार्ग उसे किस दिशा में ले जाएगा? जिस पर सर्वशक्तिमान निग़रानी रखेगा केवल वही मार्ग पर अंत तक चल पाने में समर्थ होगा; केवल पूर्व की चमकती हुई बिजली के मार्गदर्शन के द्वारा ही कोई मेरे राज्य की ओर ले जाने वाली दहलीज़ को पार करने में समर्थ होगा।" क्या यह मनुष्य के दिल के बारे में मैंने जो ऊपर वर्णित किया है, उसका सारांश नहीं है? इसी में परमेश्वर के वचनों का रहस्य है। मनुष्य के दिल के विचार वे ही हैं जो परमेश्वर के मुंह से कहे गए हैं, और परमेश्वर के मुंह से जो बात कही जाती है वह मनुष्य द्वारा चाही जाती है, और यही ठीक वो है जिसमें कि, मनुष्य के दिल को उजागर करने के लिए, परमेश्वर सबसे अधिक कुशल है; यदि नहीं, तो सभी ईमानदारी से कैसे आश्वस्त हो सकते हैं? क्या यही वह परिणाम नहीं है जो कि परमेश्वर बड़े लाल अजगर को जीत कर प्राप्त करना चाहता है?
वास्तव में, जैसा कि परमेश्वर का मूल इरादा था, उसके कई वचनों का मतलब उनके सतही अर्थ में नहीं है। उसके कई वचनों में, परमेश्वर बस जानबूझकर लोगों की धारणाएँ बदल रहा है और उनके ध्यान को दूसरी ओर ले जा रहा है। परमेश्वर इन वचनों को कोई महत्व नहीं देता है, और इस प्रकार कई वचन स्पष्टीकरण के योग्य भी नहीं हैं। जब परमेश्वर के वचनों द्वारा मनुष्य पर प्राप्त विजय उस बिंदु तक पहुँच जाती है जहाँ यह अभी है, तो लोगों की ताकत एक निश्चित सीमा तक पहुँच चुकी होती है, और इसीलिए परमेश्वर चेतावनी के और अधिक वचनों का इस्तेमाल करता है—वह नियमावली जिसे वह परमेश्वर की प्रजा के सामने पेश करता है: "यद्यपि मनुष्य जो पृथ्वी पर बसे हुए हैं वे तारों के समान अनगिनित हैं, फिर भी मैं उन सब को इतना स्पष्ट रूप से जानता हूँ जैसे मैं अपने हाथ की हथेली को देखता हूँ। और, यद्यपि ऐसे मनुष्य जो मुझ से "प्रेम" करते हैं वे भी समुद्र की रेत के कणों के समान अनगिनित हैं, फिर भी मैं थोड़े से लोगों को ही चुनता हूँ: केवल उन्हें जो चमकते हुए प्रकाश का अनुसरण करते हैं, और जो उन से अलग हैं जो मुझ से "प्रेम" करते हैं।" दरअसल, ऐसे कई लोग हैं जो कहते हैं कि वे परमेश्वर से प्यार करते हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे हैं जो उनके दिलों में उससे प्यार करते हैं—जो कि, ऐसा प्रतीत होता है, बंद आँखों से भी स्पष्ट रूप से ज्ञात हो सकता है। यह उन सभी लोगों की दुनिया की वास्तविक स्थिति है जो परमेश्वर पर विश्वास करते हैं। इसमें, हम देखते हैं कि अब परमेश्वर लोगों के निष्कासन के कार्य को कर रहा है, जो यह दर्शाता है कि परमेश्वर जो चाहता है, और जो परमेश्वर को संतुष्ट करता है, वह आज की कलीसिया नहीं है, बल्कि निष्कासन के बाद का राज्य है। इस समय आगे वह सभी "खतरनाक चीज़ों" के प्रति एक चेतावनी देता है: परमेश्वर कार्य ही न करे इसे छोड़ दिया जाए तो, जैसे ही परमेश्वर कार्य करना शुरू करता है, इन लोगों को राज्य से मिटा दिया जाएगा। परमेश्वर कभी भी लापरवाही से चीज़ों को नहीं करता है, वह हमेशा "एक तो एक ही है, और दो तो दो ही है" के सिद्धांत के अनुसार कार्य करता है, और यदि ऐसे लोग हैं जिनकी ओर वह नज़र डालना ही नहीं चाहता है, तो वह हर संभव काम करता है उन्हें मिटाने के लिए, ताकि उन्हें भविष्य में परेशानी पैदा करने से रोका जा सके। इसे "कचरा निकालना और पूरी तरह से सफाई करना" कहा जाता है। जब परमेश्वर मनुष्यों के लिए प्रशासनिक नियमों की घोषणा करता है तो वही वह क्षण है जब अपने चमत्कारिक कार्यों को, और जो कुछ भी उसके भीतर है उसे, वह प्रस्तुत करता है, और इस प्रकार वह बाद में कहता है: "पहाड़ों में असंख्य जंगली जानवर हैं, किन्तु वे सभी मेरे सामने एक भेड़ के समान पालतू हैं; समुद्र की गहराईयों में अथाह रहस्य छिपे हुए हैं, किन्तु वे पृथ्वी की सतह की सभी चीज़ों के समान मेरे सामने स्पष्ट रूप से अपने आपको प्रस्तुत करते हैं; ऊपर नभमण्डल में ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ मनुष्य कभी नहीं पहुँच सकता है, फिर भी मैं उन अगम्य क्षेत्रों में स्वतन्त्र रूप से चलता-फिरता हूँ।" परमेश्वर का तात्पर्य यह है: यद्यपि मनुष्य का हृदय सभी चीजों से अधिक धोखेबाज़ है, और वह लोगों की धारणाओं के नरक के जितना ही रहस्यमय प्रतीत होता है, परमेश्वर मनुष्य की वास्तविक स्थितियों को बहुत अच्छी तरह जानता है। सभी चीजों में, मनुष्य एक ऐसा पशु है जो कि एक जंगली जानवर से भी अधिक खूँखार और क्रूर है, फिर भी परमेश्वर ने मनुष्य पर इस हद तक विजय प्राप्त की है कि कोई भी उठने और विरोध करने की हिम्मत नहीं करता। वास्तव में, जैसा कि परमेश्वर का तात्पर्य है, लोग अपने दिल में जो सोचते हैं वह सभी चीजों में, सभी चीजों की तुलना में, अधिक जटिल है, यह अथाह है, फिर भी परमेश्वर को मनुष्य के दिल से कोई सरोकार नहीं है, वह उसे केवल अपनी आँखों के सामने एक छोटे कीड़े के रूप में देखता है; उसके मुंह से निकले एक शब्द के साथ ही, वह इसे जीतता है, किसी भी समय जब वह चाहे, वह उसे मार गिराता है, अपने हाथ की एक हलकी-सी ही गति के साथ, वह उसे ताड़ना देता है, और वह अपनी इच्छा से इसकी निंदा करता है।
आज, सभी लोग अंधेरों में रहते हैं, परन्तु परमेश्वर के आगमन के कारण, परमेश्वर को देखने के परिणामस्वरूप लोगों को प्रकाश के सार का पता चलता है, और पूरे विश्व में ऐसा लगता है कि पृथ्वी पर एक विशाल काला मटका उलट दिया गया हो; कोई भी सांस नहीं ले सकता है, वे सभी लोग स्थिति को उलटना चाहते हैं, फिर भी कोई भी कभी उस काले मटके को हटा नहीं सका है। यह केवल परमेश्वर के देह्धारण के कारण है कि लोगों की आँखें अचानक खुल गई हैं, और उन्होंने व्यावहारिक परमेश्वर को देखा है, और इस प्रकार, परमेश्वर उनसे सवाल के लहजे में पूछता है: "मनुष्य ने प्रकाश में मुझे कभी नहीं पहचाना है, किन्तु सिर्फ अन्धकार के संसार में ही मुझे देखा है। क्या आज तुम लोग बिल्कुल इसी स्थिति में नहीं हो? यह बड़े लाल अजगर के हिंसात्मक व्यवहार की चरम सीमा का समय था कि मैंने अपने कार्य को करने के लिए विधिवत देह का वस्त्र धारण किया।" आध्यात्मिक क्षेत्र में जो कुछ भी हो रहा है, परमेश्वर उसे छिपाता नहीं है, न ही वह मनुष्य के दिल में क्या हो रहा है, उसे छिपाता है, और इस प्रकार वह बार-बार लोगों को याद दिलाता है: "मैं ऐसा न केवल अपने लोगों को देहधारी परमेश्वर को जानने में सक्षम बनाने के लिए करता हूँ, बल्कि अपने लोगों को शुद्ध करने के लिए भी करता हूँ। मेरी प्रशासनिक आज्ञाओं की कठोरता के कारण, लोगों का एक बहुत बड़ा भाग अभी भी मेरे द्वारा निष्कासित किए जाने के खतरे में है। जब तक तुम लोग स्वयं से निपटने के लिए, अपने शरीर को वश में लाने के लिए हर प्रकार का प्रयास नहीं करते हो, और जब तक तुम लोग ऐसा नहीं करते हो, तब तक तुम लोग निःसन्देह, नरक में फेंके जाने के लिए, एक ऐसी वस्तु बनोगे जिससे मैं घृणा करता हूँ और जिसे मैं अस्वीकार करता हूँ, ठीक वैसे ही जैसे पौलुस ने सीधे मेरे हाथों से ताड़ना प्राप्त की थी, जिससे बचने का कोई रास्ता नहीं था।" जितना अधिक परमेश्वर इस तरह की बातें कहता है, उतना अधिक लोग अपने क़दमों के बारे में सतर्क रहते हैं, और उतना ही अधिक वे परमेश्वर के प्रशासनिक आदेशों से भयभीत होते हैं, और तभी तो परमेश्वर की शक्ति को प्रयोग में लाया जा सकता है और उसकी महिमा को स्पष्ट किया जा सकता है। यहाँ, पौलुस का एक बार फिर उल्लेख किया गया है ताकि लोग परमेश्वर की इच्छा को समझ सकें: उनको ऐसे व्यक्ति नहीं बनना चाहिए जिन्हें परमेश्वर ताड़ना देता है, बल्कि ऐसे लोग बनना चाहिए जो परमेश्वर की इच्छा के प्रति सचेत हैं। केवल यही लोगों को, उनके भय के बीच, परमेश्वर के सामने, उसे पूरी तरह से संतुष्ट करने के लिए किये गए उनके संकल्प की विगत असमर्थता पर ध्यान दिला सकता है, जिससे उन्हें अधिक अफसोस होता है, और जो उन्हें व्यावहारिक परमेश्वर का अधिक ज्ञान प्रदान करता है, और केवल इसी प्रकार यह हो सकता है कि परमेश्वर के वचनों के बारे में उन्हें कोई संदेह न रहे।
"यह मात्र ऐसा नहीं है कि मनुष्य मुझे मेरी देह में नहीं जानता है; उस से भी निकृष्टतर यह है, कि वह अपनी स्वंय की अस्मिता को समझने में असफल हो गया है जो एक दैहिक शरीर में निवास करती है। कितने वर्षों से ऐसा रहा है, और इस पूरे समय में, मेरे साथ एक बाहरी मेहमान के रूप में व्यवहार करते हुए, मनुष्य ने मुझे धोखा दिया है। कितनी बार…?" ये "कितनी बार" परमेश्वर के प्रति मनुष्य के विरोध की वास्तविकता को सूचीबद्ध करते हैं, लोगों को ताड़ना के वास्तविक उदाहरण को दर्शाते हुए; यह पाप का सबूत है, और कोई भी फिर से इसका खंडन नहीं कर सकता है। सभी लोग दिनचर्या की किसी वस्तु की तरह परमेश्वर का उपयोग करते हैं, जैसे कि वह कोई घरेलु आवश्यकता की चीज़ हो जिसका वे इच्छानुसार उपयोग कर सकते हैं। कोई भी परमेश्वर को अपनी आँखों का तारा नहीं मानता है, कोई भी परमेश्वर की सुंदरता को, उसके महिमामय चेहरे को, जानने की कोशिश नहीं करता है, और परमेश्वर के प्रति इच्छापूर्वक समर्पण करने वाले तो और भी कम हैं। न ही किसी ने कभी भी अपने दिल में परमेश्वर को किसी प्रियजन के रूप में देखा है; जब उन्हें उसकी ज़रूरत होती है, तब वे सभी उसे खींच ले आते हैं, और जब उसकी ज़रुरत नहीं होती तो वे उसे एक तरफ फ़ेंक देते हैं और उसकी अवहेलना करते हैं। ऐसा लगता है कि मनुष्य के लिए, परमेश्वर एक कठपुतली है, जिसमें इच्छानुसार मनुष्य हेरफेर कर सकता है, और जैसे भी वह चाहे या इच्छा करे, उसकी माँग कर सकता है। लेकिन परमेश्वर कहता है, "यदि, मेरे देहधारण की अवधि के दौरान, मैंने मनुष्य की कमज़ोरी का ध्यान न रखा होता, तो संपूर्ण मानवजाति, एकमात्र मेरे देहधारण के कारण, भयभीत हो गई होती, और परिणामस्वरूप, अधोलोक में गिर गई होती," जो कि दर्शाता है कि परमेश्वर के अवतार का महत्व कितना विशाल है: देह में, वह समस्त मानव जाति को आध्यात्मिक क्षेत्र से नष्ट कर देने के बजाय मानव जाति पर विजय प्राप्त करने आया है। इस प्रकार, वचन कब देह बन गया, कोई नहीं जान पाया था। अगर परमेश्वर मनुष्य की कमजोरी का ख्याल नहीं करता, तो जब वह देह बना और स्वर्ग तथा पृथ्वी उलट दिए गए, तो सभी लोगों का विनाश हो गया होता। चूँकि यह लोगों की प्रकृति में है कि वे नए को पसंद करें और पुराने से घृणा करें, और जब सब कुछ ठीक चल रहा हो तो वे अक्सर बुरे समय को भूल जाते हैं, और उनमें से कोई भी नहीं जानता कि वे कितने धन्य हैं, तो इस प्रकार परमेश्वर बार-बार उन्हें याद दिलाता है कि उन्हें इस बात को संजोये रखना चाहिए कि आज का दिन कितनी कठिनाई से आया है; आने वाले कल की खातिर, उन्हें आज को और भी अधिक कीमती समझना चाहिए, और उन्हें एक जानवर की तरह नहीं होना चाहिए जो ऊँचाई पर चढ़कर अपने स्वामी को ही न पहचानता हो, और उन्हें उन सभी आशीषों से अनभिज्ञ नहीं होना चाहिए जिनके बीच वे रहते हैं। इस प्रकार, वे अच्छी तरह से व्यवहार करने लगते हैं, अब वे दम्भी या अभिमानी नहीं रहते, और उन्हें पता चल जाता है कि बात यह नहीं है कि मनुष्य का स्वभाव अच्छा है, बल्कि यह कि परमेश्वर की दया और प्रेम मनुष्य पर आ गए हैं; वे लोग ताड़ना से भय करते हैं, तथा और कुछ भी कर डालने की हिम्मत नहीं करते।
                                        स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया
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kisansatta · 4 years
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सीमा तनाव ! इंडोनेशिया ने चीन का गश्ती समुद्री जहाज खदेड़ा
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नई दिल्ली : भारत और चीन के मध्य सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच भारतीय सेना द्वारा पैंगोग लेक के पास खदेड़े जाने के बाद पहले जापान और अब इंडोनेशिया ने भी चीनी सेना को तेवर दिखाना शुरू कर दिया है | गौरतलब है कि इंडोनेशिया ने अपने आर्थिक क्षेत्र में घुसे चीन के एक गश्ती जहाज को खदेड़ दिया है | इंडोनेशिया के इस कदम के बाद से ही साउथ चाइना सी एक बार फिर तनाव बढ़ गया है और माना जा रहा है कि चीनी सेना भी कार्रवाई का मौका तलाश रही है |
इंडोनेशिया के मुताबिक मंगलवार सुबह चीन का एक गश्ती जहाज उसकी समुद्री सीमा में घुस आया था जिसे इंडोनेशियाई युद्धपोतों ने खदेड़ दिया था | जिसके बाद दोनों देशों में तनातनी चरम पर पहुंच गई है | चीन के पलटवार की आशंका को देखते हुए इंडोनेशियाई युद्धपोतों ने अपनी गश्त को तेज कर दिया है | इस घटना के बाद इंडोनेशिया के आस-पास के इलाके में चीनी युद्धपोतों की गतिविधि भी रिकॉर्ड की गई है | इससे पहले जापान ने चीन की पनडुब्बी को अपने इलाके से खदेड़ा था।
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मौसम : राजधानी समेत प्रदेश के कई जिलों में बारिश की संभावना
चीन और इंडोनेशिया के बीच नातुना द्वीप पर तनाव
बता दें कि इंडोनेशिया ने चीन के जहाज को नातुना द्वीप के पास से खदेड़ा है | यह क्षेत्र इंडोनेशिया के एक्सक्लूसिव इकनॉमी जोन में आता है | इंडोनेशियाई समुद्री सुरक्षा एजेंसी को चीन के जहाज 5204 के इंडोनेशियाई विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में प्रवेश करने के बारे में पता शुक्रवार रात में चला था | इंडोनेशियाई समुद्री सुरक्षा एजेंसी के प्रमुख आन कुर्निया ने बताया कि जानकारी मिलने के बाद हमने अपने एक गश्ती जहाज को चीन के इस जहाज के पास भेजा |
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जानें आखिर क्यों धन-दौलत और शोहरत का प्रतीक है कछुआ….
साउथ चाइना सी में चीन की दादागिरी जारी
साउथ चाइना सी के 90 फीसदी हिस्से पर चीन अपना दावा करता है | इस समुद्र को लेकर उसका फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और वियतनाम के साथ विवाद है | वहीं, पूर्वी चाइना सी में जापान के साथ चीन का द्वीपों को लेकर विवाद चरम पर है | हाल में ही अमेरिका ने साउथ चाइना सी पर चीन के दावे को खारिज कर दिया था | जुलाई के आखिरी में इंडोनेशिया ने नातुना द्वीप के पास ही बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास किया था | विशेषज्ञों के अनुसार, चीन से बढ़ती तनातनी के बीच इंडोनेशिया तेजी से अपनी क्षमता को बढ़ा रहा है | इस अभ्यास में 24 युद्धपोतों ने हिस्सा लिया था, जिसमें दो मिसाइल डिस्ट्रॉयर और चार एस्कॉर्ट वेसल थे | इस दौरान इंडोनेशियाई नौसेना ने समुद्र और जमीन पर हमले का अभ्यास किया था. इस द्वीप को चीन अपने क्षेत्र में दिखाता है |
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50 साल के ज्यादा उम्र के बाबुओं की छंटनी करेगी प्रदेश सरकार, कमेटी का गठन
https://kisansatta.com/limit-stress-indonesia-repelled-chinese-patrol-seaplane/ #LimitStressIndonesiaRepelledChinesePatrolSeaplane Limit stress! Indonesia repelled Chinese patrol seaplane International, Top, Trending #International, #Top, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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rana2hinditech · 7 years
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15 मुख्य तथ्य (Indian Geography - Important Facts in Hindi)
15 मुख्य तथ्य (Indian Geography – Important Facts in Hindi)
भारत का भूगोल
भारत का कौन-सा भू-आकृतिक भाग प्राचीन है
उत्तर— प्रायद्वीपीय पठार
भारत के पूर्वी समुद्र तट को किस नाम से जाना जाता है
उत्तर— कोरोमंडल तट
कोंकण तट कहाँ से यहाँ तक स्थित है
उत्तर— गोवा से दमन तक
लक्षद्वीप समूह के द्वीपों की उत्पत्ति किसके द्वारा हुई
उत्तर— प्रवाल द्वारा
न्यू मूर द्वीप कहाँ स्थित है
उत्तर— अंडमान सागर में
कौन-सा द्वीप भारत और श्रीलंका के बीच में स्थित है
उत्तर—…
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