सेना चीन को एलएसी पर 'एकतरफा' यथास्थिति नहीं बदलने देगी: जयशंकर
सेना चीन को एलएसी पर ‘एकतरफा’ यथास्थिति नहीं बदलने देगी: जयशंकर
द्वारा पीटीआई
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कांग्रेस नेता को खारिज करते हुए सोमवार को कहा कि भारतीय सेना चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति में ”एकतरफा” बदलाव नहीं करने देगी और सीमा पर उसकी मौजूदा तैनाती पहले नहीं देखी गई थी। राहुल गांधी की आलोचना सीमा रेखा के सरकार के संचालन के बारे में।
जयशंकर ने कहा कि सेना की तैनाती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर की गई थी और सेना सीमावर्ती…
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Japan-China Standoff: जापान के पास चीनी युद्धपोत की घुसपैठ, बढ़ा तनाव, समुद्री क्षेत्र में हुई हलचल तेज
Japan-China Standoff: चीनी युद्धपोत घुस जाने के बाद से ही जापान के जलक्षेत्र में हलचलें काफी तेज हो चुकी हैं. जापान ने यह दावा किया है कि आज चीन के एक विमानवाहक पोत ने उसके निकटवर्ती जलक्षेत्र में पहली बार प्रवेश किया है. जापान के रक्षा मंत्रालय ने इसको लेकर कहा है कि, सैन्य युद्धाभ्यास की श्रृंखला में यह नवीनतम है, जिसने पड़ोसियों के बीच में तनाव को बढ़ा दिया है. अपने दो विध्वंसकों के साथ चीनी वाहक जापान के दक्षिणी योनागुनी व इरिओमोट द्वीपों के बीच से गुजरा तो जापानी खेमे में इससे खलबली मच गई.
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india vs japan hockey Indian hockey's excellent performance in Asian Games
https://www.biharheadline.in.net/india-vs-japan-hockey-bihar-headline/
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CIN /स्कूल आफ इनलाइटनमेंट चकबैरिया त्रिशूल धारी नगर पटना में भारत की आर्थिक समूह स्वदेशी जागरण मंच के नेतृत्व में उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन का आयोजन
प्रियंका भारद्वाज की रिपोर्ट /स्कूल आफ इनलाइटनमेंट चकबैरिया त्रिशूल धारी नगर पटना में भारत की आर्थिक समूह स्वदेशी जागरण मंच के नेतृत्व में उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है , जिसमें 18 आर्थिक समूह एवं अन्य वैचारिक संगठन भाग ले रहे हैं, आज बिहार में युवा रोजगार एक बड़ा सवाल है, जिसे केवल सरकार के सहारे नहीं छोड़ा जा सकता है विश्व में चीन जापान दक्षिण कोरिया अपने स्कूली…
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बड़ी विडंबना है यहाँ, यहाँ से तात्पर्य भारत से, भारतीयों से l ओलिंपिक में भारत की तरफ से 117 खिलाड़ियों ने भाग लिया है l किन्तु, अभी तक एक भी स्वर्ण पदक भारत के खाते में नहीं आया है l ओलंपिक खेल पेरिस 2024 में कुछ लोगों से उम्मीद बरकरार थी, जैसे की नीरज चोपड़ा से, किन्तु यहाँ भी निराशा ही हाथ लगी, रजत पदक से ही संतुष्ट होना पड़ा, एक बड़ी उम्मीद महिला कुश्ती ओलंपिक में विनेश फौगाट
पेशेवर पहलवान से थी, किन्तु यहाँ भी दुर्भाग्य ने साथ नहीं छोड़ा,
आजकल मीडिया में पाकिस्तान के पाकिस्तानी अरशद नदीम की खूब चर्चा हो रही है, मैं भी जब पढ़ी तो ख़ुश ही हुई कि बिना किसी सुविधा के अपने बल पर यहाँ तक आना और स्वर्ण पदक हासिल करना कोई मामूली बात नहीं है, हम लोग तो सिर्फ बात ही करते रह गएँ, बाजी तो पड़ोसी देश पाकिस्तान ने मार लिया l
देखिए, खेलिए, खेल भावना के साथ किन्तु, स्वर्ण पदक के इतने करीब होकर यूँ किस्मत की बेरुखी मुझे भा नहीं रही है l न्यूज़ में, वीडियो में देख रही थी कि चीन में, जापान में और कई देशों में दो साल के बच्चों को अपने हाथ से, चम्मच के साथ खाना आता है l भारत में परवरिश की यह परम्परा नहीं है, इस आयु में तो बिलकुल नहीं, इस आयु में तो बच्चा केवल चलता, गिरता लुढ़कता है, माँ, बाप की गोदी में सुकून की नींद सोता है,वहीँ चीन में तीन, चार साल का लड़का-लड़की स्कूल से आकर स्वयं भोजन निकालता और खाता है l यहाँ बचपन से ही बच्चों को ट्रेनिंग दी जाती है, इन्हें बचपन से ही एक समय सारणी, समय की महत्ता, अनुशासन(आत्म-नियंत्रण) में रहना सिखाया जाता है l परिणामस्वरुप आप देख सकते हैं कि चीन भी एशिया में आता , भारत भी आता है, जनसंख्या में हम चीन को भी पीछे छोड़ रहे लेकिन पदक में चीन विश्व में दूसरे स्थान पर है l इतना भेद, बहुत बड़ा भेद है l
यह सब पेरेंटिंग की देन है l पेरेंटिंग का अर्थ है माता-पिता द्वारा बच्चे का पालन-पोषण करना। भारत में दो साल का बच्चा भले न बोल पाए किन्तु टीवी, मोबाइल कैसे चलाना है, रिमोट क्या होता, यह अवश्य जानता है l विदेशों में बच्चों को कार्टून के माध्यम से, कहानी की किताबों से, चित्रों के माध्यम से बेहतरीन तरीकों से सिखाया, पढ़ाया जाता है, यहाँ खेल के माध्यम का सदुपयोग भरपूर होता है l
भारत के लोग बस सभ्यता, संस्कृति के बड़बड़ में ही संतुष्ट हैं, इन्हें यूँही सहिष्णु नहीं कहा जाता है l इन्हें आमोद, प्रमोद के माध्यम भाते हैं, किन्तु इसमें भी सही माध्यम से आएं तो, सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग ले तो बहुत आगे तक जाया जा सकता है, किन्तु देसी भाषा में कहूँ तो सबको नचनिया बनना है, मैं यह स्वीकार करती हूँ कि कब किसकी किस्मत, किस क्षेत्र में बदल जाए, कहा नहीं जा सकता, लेकिन यह भी लिख लीजियेगा कि यदि हमारे बच्चे इसी तरह नाचते गाते रहे तो पदक में निल बटे सन्नाटा", जिसका अर्थ है 'कुछ भी न जानना' जारी रहेगा, इसलिए शुरू से बच्चों में देश भावना लाइए, विकसित कीजिए l सब माइकल जैकसन नहीं बन सकते, लता मंगेशकर नहीं बन सकते l खेल की तरफ म���ड़ दीजिए बच्चों को l उनकी इच्छा का सम्मान कीजिए, किन्तु क़ाबिलियत भी होनी चाहिए l
©डॉ.मधुबाला मौर्या
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अगस्त 2024 के लिए भविष्यवाणियाँ - जुसेलिनो लूज़ द्वारा
अगस्त 2024 के लिए भविष्यवाणियाँ – जुसेलिनो लूज़ द्वारा
(पूर्वसूचक सपने, पूर्वनियति नहीं हैं)
इंग्लैंड में हुए हमले में राजधानी के पास 10 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई; तेज़ हवाएँ और भारी बारिश देश में बाढ़ और मौतों का कारण बनेगी; दूसरी ओर, लंदन में संभावित हमला निवासियों को आतंकित कर सकता है;
तूफ़ान ताइवान, फ़िलीपींस, जापान और चीन की ओर बढ़ रहा है;
फ़्रांस में, हमले में 25 से ज़्यादा निर्दोष…
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शेयर बाजार में हाहाकार... सेंसेक्स 800 अंक गिरा, निवेशकों के 4 लाख करोड़ स्वाहा, जोमैटो 10% उछला
नई दिल्ली: घरेलू शेयर बाजार गुरुवार को रेकॉर्ड पर पहुंच गया था लेकिन शुक्रवार को इसमें भारी गिरावट दिख रही है। अमेरिकी इकॉनमी को लेकर चिंताओं और एशियाई बाजारों में गिरावट के कारण भारतीय शेयर बाजार में भारी बिकवाली दिख रही है। बैंकिंग, ऑटो, आईटी और एनर्जी शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट आई है। शुरुआती कारोबार में बीएसई सेंसेक्स 814 अंक गिरकर 81,026 अंक पर आ गया जबकि निफ्टी50 भी 282 अंक गिरकर 24,728 पर था। इस गिरावट से बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 4.26 लाख करोड़ रुपये की गिरावट के साथ 457.36 लाख करोड़ रुपये रह गया। सभी प्रमुख सेक्टोरल इंडेक्सेज में गिरावट आई है। निफ्टी मेटल और पीएसयू बैंक में सबसे अधिक 2% से अधिक की गिरावट आई। निफ्टी स्मॉलकैप 100 और निफ्टी मिडकैप 100 में भी 1% से अधिक की गिरावट आई। इस बीच फूड एग्रीगेटर जोमैटो का शेयर 10 फीसदी उछल गया। जून तिमाही में कंपनी के प्रॉफिट में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। इसके बाद CLSA ने इस शेयर का टारगेट प्राइस बढ़ाकर 350 रुपये कर दिया।सेंसेक्स में लिस्टेड कंपनियों में से टाटा मोटर्स, मारुति सुजुकी इंडिया, टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, लार्सन एंड टूब्रो, अदाणी पोर्ट्स, टेक महिंद्रा, एनटीपीसी और टेक महिंद्रा के शेयरों को नुकसान हुआ। वहीं एचडीएफसी बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एशियन पेंट्स, नेस्ले इंडिया और आईटीसी के शेयरों में बढ़त आई। एशियाई बाजारों में चीन का शंघाई कम्पोजिट, हांगकांग का हैंगसेंग, जापान का निक्की और दक्षिण कोरिया का कॉस्पी नुकसान में रहे। अमेरिकी बाजार भी बृहस्पतिवार को नकारात्मक रुख के साथ बंद हुए।
क्यों गिरा बाजार
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.78 प्रतिशत की बढ़त के साथ 80.14 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) पूंजी बाजार में बृहस्पतिवार को लिवाल रहे और शुद्ध रूप से 2,089.28 करोड़ रुपये की कीमत के शेयर खरीदे। अमेरिकी बाजारों में गिरावट के बाद भारतीय इक्विटी बाजार में भी गिरावट आई। कमजोर विनिर्माण आंकड़ों के कारण अमेरिकी शेयरों में गिरावट आई। इससे अमेरिकी इकॉनमी के भविष्य के बारे में संदेह पैदा हुआ और फेडरल रिजर्व के ब्याज दर में कटौती की संभावना कमजोर हुई। http://dlvr.it/TBNlfD
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अध्याय 5 : मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया ( इतिहास )
शुरुआत छपी किताबें यूरोप में मुद्रण का आना मुद्रण क्रांति पढ़ने का जुनून भारत का मुद्रण संसार धार्मिक सुधार प्रकाशन प्रिंट
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★ मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया :-
● प्रिंट टेक्नॉलोजी का विकास सबसे पहले चीन, जापान और कोरिया में हुआ।
● चीन में 594 इसवी के बाद से ही लकड़ी के ब्लॉक पर स्याही लगाकर उससे कागज पर प्रिंटिंग की जाती थी।
● अब व्यापारी भी रोजमर्रा के दैनिक जीवन में छ्पाई का इस्तेमाल करने…
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शास्त्र भी यदि विश्राम न दे पाएँ तो समझना कुछ कमी है।
तुम भव-रस सुखाने की चेष्टा मत करो,तुम प्रेम-रस प्रकट करने की चेष्टा करो; भव-रस अपने आप सूख जायेगा।
भूतकाल को शोकपूर्ण दृष्टि से न देखो,वह पुन: लौट नहीं सकता बुद्धिमत्ता के साथ वर्त्तमान की उन्नति करो,वह तुम्हारा है।
संत का कहना है सभी प्राणियों में एक ही ईश्वर का वास होता है,ईश्वर के अलावा और दूसरा है कहाँ? लोभ और द्वेष में पड़कर जब हम किसी को कष्ट,पीड़ा पहुँचाने का प्रयास करते हैं
तो हमारा चिन्तन ईश्वर से हटकर संसार में भटकने - लगता है। हम मुक्ति पाने से वंचित हो जाते हैं।
अत: दूसरे को कष्ट व पीड़ा पहुँचाने का भाव छोड़कर उनमें प्रेम व ज्ञान का प्रकाश करके आत्म सुख का अनुभव प्राप्त करना ही जीवन का मूल्य है।
प्रभु,हमें ऐसे लोगों की संगति देना,जिनके भीतर संदेह हो जो कर्मवादी हों. सपने देखते हों,जिनमें उत्साह भरा हो और जो हर दिन ऐसे जीते हों,जैसे यह आपकी महिमा को समर्पित हो !
🇮🇳 भारत की असली ताकत 🇮🇳
जब हम भारत के अतीत को देखते हैं,तो जो बात हमारा ध्यान सर्वाधिक आकर्षित करती है,वह है उसकी विलक्षण ऊर्जस्विता; उसके जीवन और जीवन के आनंद की ���सीम शक्ति;
सृजनशीलता। कम से कम तीन हजार वर्षों से- वस्तुतः और भी लंबे समय से भारत प्रचुरता से और निरंतरता से खुले हाथों व अनंत बहुपक्षीयता के साथ सुजित करता आ रहा है गणतंत्रों,राज्यों और साम्राज्यों की दर्शनों,राष्टि-मीमांसाओं को विज्ञानों और पंथी को, समुदायों, समाजों और धार्मिक व्यवस्थाओं को,कानूनों व संहिताओं,व्यापारी,उद्योगों को यह सूची अनंत है और प्रत्येक मद में प्रायः क्रियाशीलता का बाहुल्य है। वह सृजन करता ही जाता है,करता ही जाता है और
न संतुष्ट होता है,न थकता है,वह उसका अंत नहीं करना चाहेगा। आराम करने के लिए स्थान की आवश्यकता भी नहीं लगती,न आलस्य अथवा खाली पड़े रहने के लिए समय की। वह अपनी सीमाओं के बाहर भी विस्तार करता है; उसके जहाज महासागर पार करते हैं और उसकी संपदा का उत्तम अतिरेक छलककर
जूडेआ,मिस्र और रोम पहुंचता है; उसके उपनिवेश उसकी कलाओं,उसके महाकाव्यों और उसके पंथों को द्वीप-समूहों में प्रसारित कर देते हैं;
उसके चिह्न मैसोपोटामिया की रेतों में पाए जाते हैं; उसके धर्म चीन और जापान को जीत लेते हैं और पश्चिम की दिशा में
फलस्तीन और सिकंदरिया तक फैल जाते हैं और उपनिषदों के स्वर तथा बौद्धों की उक्तियां ईसा मसीह के होठों पर पुनः गुंजरित हो उठते हैं। सर्वत्र, जैसी उसकी मिट्टी में,वैसी ही उसके कामों में भरपूर जीवन की
ऊर्जा की अति- विपुलता है। ...
वस्तुतः इस भरपूर ऊर्जा और भरपूर बौद्धिकता के बिना भारत इतना कुछ कभी नहीं कर पाता,जितना उसने अपनी आध्यात्मिक प्रवृत्तियों के साथ किया। यह समझना भारी भूल है कि आध्यात्मिकता सबसे अधिक वहां पनपती है,जहां की भूमि दरिद्र होती है,जीवन अधमरा होता है और बुद्धि हतोत्साहित तथा भयाक्रांति होती है।
ऐसी जो आध्यात्मिकता पनपती है,वह विकृत यदि चाहे,तो भारत उन समस्याओं को निर्णायक मोड़ दे सकता है, जिनके ऊपर सारी मानव जाति परिश्रम कर रही है और लड़खड़ा रही है,क्योंकि उनके हल का सुराग उसके प्राचीन ज्ञान में है।
यदि चाहे,तो भारत उन समस्याओं को एक नया और निर्णायक मोड़ दे सकता है, जिनके ऊपर साgरी मानव जाति परिश्रम कर रही है और लड़खड़ा रही है,क्योंकि BHARAT है!
उनके हल का सुराग उसके प्राचीन ज्ञान में है।
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खासाबाट पहिलो पटक तेस्रो मुलुकको लागि नेपाली खाद्य वस्तु निर्यात
सिन्धुपाल्चोक । नेपाल चीन उत्तरी सिमा नाका तातोपानीबाट पहिलो पटक तेस्रो मुलुकको लागि निर्यात भएको छ। शुक्रबार तातोपानी नाका हुदैन तेस्रो मुलुकको लागि नेपाली बजारमा उत्पादन भएको खाद्य सामाग्री निर्यात भएको हो । शुक्रबार उत्तरी नाका भएर चीनको सेन्जेन पोर्ट हुदै तेस्रो मुलुक जापान खाद्य बस्तु जान लागेको तातोपानी भन्सार कार्यालयले जनाएको छ। छ।
तातोपानी भन्सार प्रमुख दयानन्द केसीका अनुसार चीनको…
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शी जिनपिंग, जापान के पीएम किशिदा मिलते हैं क्योंकि उत्तर कोरिया मिसाइल दागता है
शी जिनपिंग, जापान के पीएम किशिदा मिलते हैं क्योंकि उत्तर कोरिया मिसाइल दागता है
द्वारा एएफपी
बैंकाक: उत्तर कोरिया द्वारा रिकॉर्ड मिसाइल दागे जाने के बाद चीन और जापान के नेताओं ने गुरुवार को तीन साल में अपनी पहली आमने-सामने की वार्ता की, जिसने परमाणु भय को बढ़ा दिया है।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग बाली में जी20 बैठक से बैंकाक में वार्ता में शामिल हुए, जहां अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने उन पर प्योंगयांग की गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने का दबाव…
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चीन हुँदै तेस्रो मुलुकमा नेपाली उत्पादन निर्यात
काठमाडौं, १२ माघ । चीन हुँदै तेस्रो मुलुकमा नेपाली उत्पादन निर्यात हुन थालेको छ । शुक्रबार नेपालको उत्तरी नाका चीन हुँदै पहिलोपटक तेस्रो मुलुकमा नेपाली उत्पादन निर्यात सुरु गरिएको हो ।
तातोपानी नाकाबाट नेपाली उत्पादन वाइवाइ चाउचाउ चीन हुँदै जापान निर्यात भएको हो ।
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गांव, आस्ट्रेलिया, फिलिपींस और बुरुण्डी
ब्लॉग - गांव, आस्ट्रेलिया, फिलिपींस और बुरुण्डी
भारत बहुत बड़ा है। मैं तो भारत की दशा उसकी समग्रता में नहीं सोच पाता। मेरे सामने तो यह गांव भर है। पर यहां भी, लगभग उसी अनुपात में, मुझे आस्ट्रेलिया, फिलिपींस और सब-सहारा वाले अफ्रीका के दर्शन हो जाते हैं।
नीलेश शाह के एक दो वीडियोंं में जिक्र है कि भारत में आजादी के बाद विकास असंतोषजनक रहा। जापान, चीन और कोरिया हमारे बराबर थे सन सैंतालीस में। पर ये सब आगे निकल गये। हमने विकास किया पर सबका नहीं। मसलन, भारत में इस समय सात प्रतिशत आबादी आस्ट्रेलिया के समतुल्य है। बीस प्रतिशत ने जो समृद्धि हासिल की वह फिलिपींस जैसी है। बाकी तिहत्तर प्रतिशत जनता सब-सहारा जैसी है।
भारत बहुत बड़ा है। मैं तो भारत की दशा…
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नेपालबाट जापान आउनुअघि अप्रिलबाट क्षयरोग परिक्षण अनिवार्य
नेपालबाट जापान आउनुअघि अप्रिलबाट क्षयरोग परिक्षण अनिवार्य
जापानले आगामी आर्थिक वर्षदेखि अनिवार्य क्षयरोग (ट्युवरक्लोसिस) जाँच गराउने योजना बनाएको छ ।
तीन महिनाभन्दा लामो समय बस्ने मानिसले क्षयरोग लागे नलागेको स्वास्थ्य परिक्षणको प्रमाण अनिवार्य बुझाउनुपर्नेछ ।
जापानका स्वास्थ्यमन्त्री केइजो ताकेमीले जापान आउनुअघि क्षयरोग नलागेको प्रमाणित गर्ने कागजात बुझाउनुपर्ने देशहरुमा एशियाली देशहरु नेपाल, चीन, इन्डोनेसिया, म्यानमार, फिलिपिन्स र भियतनाम रहेको…
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भारत-चीन बाहरी लोगों से नफरत करने वाले इसीलिए पिछड़ रहे... बाइडेन ने अप्रवासियों के मुद्दे पर दिया जहरीला बयान, घिरे
वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारत, चीन, रूस, और जापान को जेनोफोबिक देश कहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि चीन, जापान और भारत में जेनोफोबिया उनके विकास को रोक रहा है। उन्होंने तर्क दिया कि माइग्रेशन अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा रहा है लेकिन ये देश जेनोफोबिया की भावना की वजह से माइग्रेशन के नाम से डरते हैं। चीन, जापान और भारत के साथ रूस का नाम भी बाइडेन ने उन देशों में लिया, जेनोफोबिक हैं। जेनोफोबिया से ग्रसित उनको कहा जाता है, जो अजनबियों से डरते या बाहरी अपरिचित व्यक्तियों से नफरत रखते हैं। यानी बाइडेन ने भारत को एक ऐसा देश कहा है, जो दूसरे देशों के लोगों से नफरत करता है।बाइडेन ने बुधवार को इस साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए अभियान के दौरान एशियाई और दूसरे गैर अमेरिकी मूल से लोगों को संबोधित करते हुए कहा, 'हमारी अर्थव्यवस्था के बढ़ने का एक कारण आप जैसे अनेक लोग हैं। इसकी वजह ये है कि हम आप्रवासियों का स्वागत करते हैं। लेकिन कई देश प्रवासियों को बोझ की तरह देखते हैं। आज आखिर चीन आर्थिक रूप से इतनी बुरी तरह क्यों रुक रहा है, जापान को परेशानी क्यों हो रही है, रूस को क्यों दिक्कत है, भारत क्यों नहीं बढ़ रहा है? इसलिए क्योंकि वे जेनोफोबिक हैं। वे आप्रवासियों को नहीं चाहते हैं लेकिन सच ये है कि आप्रवासी ही हमें मजबूत बनाते हैं।
अमेरिकी चुनाव में माइग्रेशन बन रहा मुद्दा
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पिछले महीने अनुमान लगाया था कि 2024 में प्रत्येक देश की वृद्धि पिछले वर्ष की तुलना में धीमी हो जाएगी। ये जापान में 0.9% से लेकर भारत में 6.8% तक होगी। मुद्रा कोष का अनुमान है कि अमेरिका 2.7% की दर से बढ़ेगा, जो पिछले साल की 2.5% दर से थोड़ा तेज है। कई अर्थशास्त्री उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन का श्रेय आंशिक रूप से देश की श्रम शक्ति में विस्तार करने वाले प्रवासियों को देते हैं। इसी बात को बाइडेन ने भी अपने प्रचार के दौरान उठाया है। अमेरिका में इस साल नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले माइग्रेशन एक मुद्दा बन रहा है। अमेरिकी मतदाताओं के लिए अनियमित प्रवासन की चिंता एक शीर्ष मुद्दा बन गई है। रिपब्लिक पार्टी इसको उठा रही है तो डेमोक्रेटिक बाइडेन भी इस पर बात कर रहे हैं। बाइडेन ने अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप की आप्रवासी विरोधी बयानबाजी की निंदा की है। बाइडेन का कहना है कि प्रवासी परेशानी का सबब नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा हैं। http://dlvr.it/T6J9ZD
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