खीर बनाए बिलकुल नए तरीक़े से, चावल की रबड़ीदार खीर! Rice kheer Recipe
Rice kheer Recipe in Hindi: Simmo Kitchenwali की रसोई में आएं और उनके साथ खोजें चावल की खीर की एक अनोखी और नवीन रेसिपी। यह खास रेसिपी, जिसमें रबड़ीदार अंदाज में चावल की खीर बनाई गई है, आपको भारतीय मिठाइयों के पारंपरिक स्वाद के साथ-साथ एक नए जायके का अनुभव कराएगी। यह रेसिपी न सिर्फ स्वादिष्ट है, बल्कि इसे बनाने की विधि भी अनूठी है। इस अद्भुत खीर को बनाने के तरीके और स्वाद का राज जानने के लिए,…
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पारस से जाने: ज्ञान की देवी माता सरस्वती
वसंत पंचमी (मां सरस्वती का जन्मोत्सव)
पारस परिवार के संस्थापक, आदरणीय “महंत श्री पारस भाई जी” एक सच्चे मार्गदर्शक, एक महान ज्योतिषी, एक आध्यात्मिक लीडर, एक असाधारण प्रेरक वक्ता और एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो देश और समाज के कल्याण के लिए खुद को समर्पित करते हैं। उनका एक ही लक्ष्य है लोगों के सुखी और समृद्ध जीवन की कामना करना। लोगों को अँधेरे से निकालकर उनके जीवन में रोशनी फैलाना।
“पारस परिवार” हर किसी के जीवन को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रतिबद्ध है। पारस परिवार से जो भी जुड़ जाता है वो इस परिवार का एक अहम हिस्सा बन जाता है और यह संगठन और भी मजबूत बन जाता है। जिस तरह एक परिवार में एक दूसरे की जरूरतों का ख्याल रखा जाता है। ठीक उसी तरह पारस परिवार भी एक परिवार की तरह एक दूसरे का सम्मान करता है और जरूरतमंद लोगों के जीवन में बदलाव लाने के साथ यह परिवार एकजुट की भावना रखता है ।
‘महंत श्री पारस भाई जी’ एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते हैं जहाँ कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे, जहाँ जाति-धर्म के नाम पर झगड़े न हों और जहाँ आपस में लोग मिलजुलकर रहें। साथ ही लोगों में द्वेष न रहे और प्रेम की भावना का विकास हो। पारस परिवार निस्वार्थ रूप से जन कल्याण की विचारधारा से प्रभावित है।
इसी विचारधारा को लेकर वह भक्तों के आंतरिक और बाहरी विकास के लिए कई आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित करते हैं। आध्यात्मिक क्षेत्र (Spiritual Sector) की बात करें तो महंत श्री पारस भाई जी “दुख निवारण महाचण्डी पाठ”, “प्रार्थना सभा” और “पवित्र जल वितरण” जैसे दिव्य कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
जिससे वे भक्तों के दुखों का निवारण, उनकी आंतरिक शांति और उनकी सुख-समृद्धि के लिए समर्पित हैं। इसी तरह सामाजिक क्षेत्र की बात करें तो पारस परिवार सामाजिक जागरूकता और समाज कल्याण के लिए भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने के लिए लंगर, धर्मरथ और गौ सेवा जैसे महान कार्यों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा हरियाणा और मध्य प्रदेश में “डेरा नसीब दा” जैसे महान कार्य का निर्माण भी है, जहाँ जाकर सोया हुआ नसीब भी जाग जाता है।
हिन्दू धर्म में बसंत पंचमी बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा करने का विधान है। यानि यह पर्व शिक्षा की देवी मां सरस्वती को समर्पित है।बसंत पंचमी से बंसत ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है। इस समय पीले-पीले सरसों के खेत एक अलग ही छटा बिखेरते हैं। इस अवसर पर पीले वस्त्र धारण करना शुभ होता है। वसंत ऋतु की महत्ता की बात करें तो गीता में भगवान श्री कृष्ण ने ‘’ऋतूनां कुसुमाकराः’’ अर्थात मैं ऋतुओं में वसंत हूं, यह कहकर वसंत को अपना स्वरूप बताया है।
कब है बसंत पंचमी का त्यौहार?
बसंत पंचमी “वसंत” के आगमन को मनाने का एक पवित्र हिंदू त्यौहार है। इस त्यौहार में सरसों के फूलने की खुशी में लोग वसंत ऋतु का स्वागत करते हैं। प्रकृति के इस पर्व को महाकवि कालीदास ने ‘सर्वप्रिये चारुतर वसंते’’ कहकर अलंकृत किया है। इस दिन मां सरस्वती, ज्ञान की देवी की पूजा भी की जाती है। बसंत पंचमी का त्योहार इस बार 14 फरवरी, 2024 को पूरे देश भर में उत्साह के साथ मनाया जाएगा। बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती की पूरे श्रद्धा भाव के साथ पूजा की जाती है। इस दिन घरों में पीले-केसरिया रंग के खाद्यान्न बनाने और खाने से विशेष कृपा मिलती है। बसंत पंचमी के दिन विद्यालयों, कॉलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
बसंत पंचमी पूजन विधि
बसंत पंचमी के दिन सबसे पहले सुबह स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनें। इसके बाद मां सरस्वती की मन से आराधना करें। मां सरस्वती को पीले रंग के वस्त्र पहनायें। उन्हें हल्दी, केसर, पीले रंग के फूल, पीली मिठाई आदि चीज़ेंअर्पित करें। पूजा प्रारंभ करने से पहले ‘यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः माघ मासे बसंत पंचमी तिथौ भगवत्या: सरस्वत्या: पूजनमहं करिष्ये’ मंत्र का जाप करें। इसके बाद मां सरस्वती की पूजा कर माँ के सामने वाद्य यंत्र और किताबें रखें। अपने पूरे परिवार के साथ खासकर बच्चों के साथ इस दिन जरूर पूजा करें। मां सरस्वती को पीले चावल का भोग लगाकर इसके बाद इस खीर को प्रसाद के रूप में सभी को बांट दें। मां सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा और वीणावादनी आदि नामों से भी पूजा जाता है।
महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि इस दिन पूजा के दौरान मां सरस्वती व्रत कथा का पाठ करने से आपकी मनचाही मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। इसके अलावा मां सरस्वती की पूजा से ज्ञान की प्राप्ति भी होती है। शिक्षा और कला के क्षेत्र में उन्नति के लिए माता सरस्वती की पूजा में शिक्षा से संबंधित चीजें जरूर रखें, जैसे पेन, कॉपी, किताब और वाद्य यंत्र आदि। मां सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए बसंत पंचमी के दिन सरस्वती जी के मंत्रों का जाप करना भी बेहद शुभ फलकारी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि सृष्टि अपनी प्रारंभिक अवस्था में शांत और नीरस थी। इस तरह मौन देखकर भगवान ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का और इससे मां सरस्वती प्रकट हुईं। मां सरस्वती की वीणा से संसार को वाणी मिली। इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है।
मां सरस्वती को अति प्रिय है पीला रंग
ज्ञान की देवी माँ सरस्वती को पीला रंग बेहद प्रिय है। इसलिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करना अच्छा माना जाता है। पीले रंग के वस्त्र पहनने से मां सरस्वती की आप पर कृपा बनी रहती है। इस दिन मां सरस्वती को हल्दी जरूर अर्पित करनी चाहिए। साथ ही इस दिन मां सरस्वती को पीले रंग की मिठाईयों का भी भोग लगाया जाता है। इसके अलावा माँ को पीले रंग के फूल भी अर्पित किए जाते हैं। मां सरस्वती की पूजा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस दिन घर में मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर अवश्य स्थापित करें।
क्यों इतना खास होता है वसंत पंचमी का त्यौहार?
यह त्योहार पतझड़ के जाने के बाद बसंत ऋतु के आगमन की खुशी में मनाया जाता है। इसके अलावा यह दिन हिन्दू धर्म में ज्ञान की देवी मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। बसंत पंचमी के त्यौहार को सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश नेपाल और बांग्लादेश भी बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। चारों ओर खेतों में खिले सरसों के फूल इसके आने की आहट देते हैं।
बसंत पंचमी के दिन विद्यालयों, कॉलेजों और सांस्कृतिक संस्थाओं में माँ सरस्वती की पूजा के रूप में विशेष कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। यह त्यौहार भारत में मुख्य रूप से माँ सरस्वती की पूजा और उनकी कृपा का उत्सव है। यह त्यौहार विद्यार्थियों को सरस्वती माता का आशीर्वाद लेने का अवसर देता है। वसंत लोगों का सबसे मनचाहा मौसम होता है। इस मौसम में फूलों पर बहार आ जाती है, खेतों में सरसों के फूल लहलहाने लगते हैं। खेतों में ऐसा लगता है जैसे खेतों में पीली चादर सी बिछ गयी हो। सरसों के पीले फूल अपने आकर्षण से सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। ऐसा लगता है मानो सोना चमक रहा हो। साथ ही आमों के पेड़ों पर बौर आ जाते हैं। प्रकृति का माहौल एकदम खुशनुमा हो जाता है। बसंत पचंमी का त्यौहार होली की तैयारियों का संकेत है।
यह दिन किसी भी नए कार्य की शुरुआत के लिए है अत्यंत ही शुभ
महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि यह दिन किसी भी नए व शुभ कार्य की शुरुआत करने के लिए अत्यंत ही शुभ होता है। इस दिन शुभ कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त होता है। साथ ही यह दिन मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। माँ सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा जाता है इसलिए स्कूलों और कॉलेज में भी इस दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना के साथ बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किए जाते हैं। विद्या की देवी को प्रसन्न करने के लिए बच्चे मां की पूजा करते हैं, जिससे वे परीक्षा में अच्छे अंकों को प��राप्त करें और जीवन में आगे बढ़ें।
यह दिन छात्रों, कला, संगीत आदि क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए बेहद खास होता है। वसंत पंचमी कई तरह के शुभ कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। बसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त में विद्यारंभ, गृह प्रवेश, विवाह और कोई भी नई वस्तु की खरीदारी के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है। विद्यार्थी और कला साहित्य से जुड़े हर व्यक्ति को इस दिन मां सरस्वती की पूजा अवश्य करनी चाहिए। महंत श्री पारस भाई जी का मानना है कि इस दिन सच्चे मन से की गई पूजा कभी विफल नहीं जाती है।
बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती को लगायें इन चीज़ों का भोग
बसंत पंचमी पर माँ सरस्वती की विधिवत पूजा की जाती है। सरस्वती पूजा के दिन इन विशेष चीज़ों का भोग लगाना बेहद शुभ माना जाता है। आइये जानते हैं माँ सरस्वती को किन चीज़ों का भोग लगाना शुभ फल देता है।
पीले चावल
माँ सरस्वती की पूजा में पीला रंग बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि माँ सरस्वती को पीला रंग बेहद पसंद है। इसलिए बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती को पीले
चावल का भोग लगायें।
पीले लडडू
बसंत पंचमी के दिन माँ को पीले लडडू यानि बेसन या बूंदी के लडडू का भोग लगाएं। माना जाता है कि पीले लडडू का भोग लगाने से माँ प्रसन्न होती है।
राजभोग
इस दिन माँ सरस्वती को राजभोग का भी भोग लगाया जाता है, जो कि शुभ होता है। इन सबके अलावा मालपुआ और जलेबी का भी भोग लगा सकते हैं।
घर में वीणा रखने से रचनात्मक वातावरण निर्मित होता है
महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार घर में वीणा रखने से घर के अंदर रचनात्मक वातावरण निर्मित होता है। मां सरस्वती की पूजा में मोर पंख को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
यहाँ तक कि घर के मंदिर में मोर पंख रखने से नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं करती है। इस दिन बच्चों के अक्षर का शुभारंभ भी किया जाता है। सरस्वती पूजा के दिन‘ओम् ऐं सरस्वत्यै नम:’ मंत्र का जाप करें और इस मंत्र को बोलकर विद्यार्थी मां सरस्वती का स्मरण करें। इस मंत्र का जाप करने से बुद्धि तेज होती है और आप सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं।
जीवन का यह बसंत, आप सबको अपार खुशियां दे … मां सरस्वती की कृपा आप पर हमेशा बनी रहे। “पारस परिवार” की ओर से आप सबको बसंत पचंमी और सरस्वती
पूजा की ढेर सारी शुभकामनायें !!!
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पवित्र गंगा स्नान का पर्व - गंगा दशहरा, महत्व और विधि
गंगा दशहरा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व गंगा नदी के पृथ्वी पर अवतरण के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन गंगा माता स्वर्ग से पृथ्वी पर आई थीं, जिससे पृथ्वी पर पवित्रता और शुद्धि का संचार हुआ। गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इसे पापों के नाश और आत्मशुद्धि के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है।
गंगा दशहरा का धार्मिक महत्व
गंगा दशहरा का पर्व गंगा नदी की महिमा और पवित्रता का प्रतीक है। इसे गंगा महोत्सव भी कहा जाता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से दस प्रकार के पापों का नाश होता है, इसलिए इसे दशहरा कहते हैं। यह पर्व गंगा के अद्वितीय महत्व को दर्शाता है और इसे सभी पवित्र नदियों की माता के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है।
गंगा दशहरा की विधि
गंगा दशहरा के दिन निम्नलिखित विधियों का पालन करना चाहिए:
प्रातःकाल स्नान:
प्रातःकाल जल्दी उठकर गंगा नदी या किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
यदि गंगा नदी तक पहुँचना संभव न हो, तो घर पर स्नान करते समय जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
पूजा की तैयारी:
गंगा माता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
पूजा स्थल को स्वच्छ करें और दीप, धूप, फूल, फल, मिठाई, और गंगाजल रखें।
गंगा माता की पूजा:
धूप, दीप जलाएं और गंगा माता की आरती करें।
गंगा स्तोत्र या गंगा लहरी का पाठ करें।
गंगा माता को फल, फूल और नैवेद्य अर्पित करें।
गंगाजल से अभिषेक करें और भगवान विष्णु का स्मरण करें।
दान और सेवा:
इस दिन दान का विशेष महत्व होता है। जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें।
गंगा तट पर स्वच्छता अभियान में भाग लें और नदी की सफाई करें।
संयम और साधना:
गंगा दशहरा के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें और मन, वचन, कर्म से पवित्र रहें।
व्रत रखें और केवल सात्विक भोजन ग्रहण करें।
गंगा दशहरा का आध्यात्मिक महत्व
गंगा दशहरा का पर्व न केवल पवित्रता का प्रतीक है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और आत्मसाक्षात्कार का अवसर भी प्रदान करता है। इस दिन किए गए स्नान, दान, और पूजा से व्यक्ति के मन, वचन, और कर्म की शुद्धि होती है। गंगा स्नान से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है।
गंगा दशहरा का पर्व भारतीय संस्कृति और धार्मिकता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस दिन गंगा स्नान, पूजा, और दान करने से व्यक्ति के जीवन में पवित्रता और शुभता का आगमन होता है। गंगा माता के प्रति श्रद्धा और भक्ति का यह पर्व हमें अपने जीवन को शुद्ध और पवित्र बनाने का संदेश देता है। गंगा दशहरा के अवसर पर पवित्र गंगा स्नान करके हम अपने पापों का नाश कर सकते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त कर सकते हैं।
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1 amazing Kunafa shahi tukda recipe /कुनाफा शाही टुकडा बनाने की विधि:-
Kunafa shahi tukda recipe कुनाफा शाही टुकडा ब्रेड घी दुध और चीनी से बनी एक उत्सवपूर्ण मिठाई है यह एक बहुत ही लोकप्रिय क्लासिक शाही मिठाई है और कहा जाता है की इसकी उत्पत्ति मुगल शासनकाल के दौरान हुई थी इस स्वाद सी मिठाई की अलग अलग कहानिया है ऐसा कहा जाता है की कुनाफा शाही टुकडा को शाही मिठाई कहा जाता है
कुनाफा शाही टुकडा जो एक बहुत ही लाजवाब मिठाई है इसे आप घर पर बड़ी ही आसानी से बना सकते है घर…
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Labh Panchami: लाभ पंचमी दीपावली के बाद लाभ पंचमी का विशेष महत्व
दीपावली के बाद लाभ पंचमी का विशेष महत्व है। इस दिन शिव परिवार, मां लक्ष्मी की पूजा के साथ नए व्यापार की शुरुआत करना शुभ माना जाता है।
दीपावली के त्योहार की शुरुआत धनतेरस से होती है और रोशनी के इस त्योहार का अंतिम दिन लाभ पंचमी के रूप में मनाया जाता है। लाभ पंचमी को सौभाग्य पंचमी, ज्ञान पंचमी और लाभ पंचम के नाम से भी जाना जाता है।
मान्यता है इस दिन शिव परिवार और माता लक्ष्मी की पूजा करने से समस्त विघ्नों का नाश होता है और अपने नाम स्वरूप ये तिथि लाभ प्रदान करती है।
लाभ पंचमी की तिथि
इस साल लाभ पंचमी 18 नवंबर 2023 शनिवार को है। गुजरात में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। बिजनेस करने वाले लोग इस दिन भी शुभ मुहूर्त में अपना प्रतिष्ठान खोलना पसंद करते है। ये तिथि सुख और समृद्धि बढ़ाती है। प्रगति होती है।
लाभ पंचमी महत्व
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार इस दिन कोई भी नया बिजनेस शुरू किया जा सकता है। दिवाली के बाद व्यापारी वर्ग इस दिन अपने दुकान और प्रतिष्ठान पुनः शुरू करते हैं। लाभ पंचमी पर अबूझ मुहूर्त रहता है। ऐसा माना जाता है कि लाभ पंचमी के दिन की गई पूजा से लोगों के जीवन, व्यवसाय और परिवार में लाभ, सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन व्यवसायी नए खाता बही का उद्घाटन करते हैं और मां लक्ष्मी से व्यापार में वृद्धि के लिए कामना करते हैं।
पूजा विधि
लाभ पंचमी पर सुबह जल्दी नहाने के बाद से सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। इसके बाद शुभ मुहूर्त में भगवान शिव हनुमान जी और गणेश की मूर्तियों की पूजा करें। सुपारी पर मौली लपेटकर चावल के अष्टदल पर श्री गणेश जी के रूप में विराजित करना चाहिए। चंदन, सिंदूर, अक्षत, फूल, दूर्वा से भगवान गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद भगवान शिव को भस्म, बिल्व पत्र, धतूरा, सफेद वस्त्र अर्पित कर पूजन करना चाहिए। भोग चढ़ाएं और फिर नए बही खाता पर शुभ-लाभ लिखकर व्यापार की शुरुआत करें।
कैसे करें पूजन-
1.लाभ पंचमी के दिन अलसुबह जल्दी उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर नए वस्त्र या साफ-स्वच्छ धुले हुए वस्त्र धारण करें।
घर या दुकान, व्यवसायिक प्रतिष्ठान के मंदिर की स���फ-सफाई करके मां सरस्वती, भगवान श्री गणेश तथा धन की देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें।
जो लोग दिवाली पर मां सरस्वती, श्री गणेश और देवी लक्ष्मी का पूजन नहीं कर सके उनके लिए यह दिन बहुत लाभदायी होता हैं, क्योंकि लाभ पंचमी के दिन पूजन से व्यापार में नित नई ऊंचाइयां हासिल की जा सकती है।
इस दिन बुद्धि और ज्ञान को बढ़ाने के लिए किताबों का पूजन किया जाता हैं।
इस दिन से नए बहीखाते लिखना प्रारंभ करने से कारोबार में सफलता मिलती हैं। अत: नए बहीखाते अवश्य लिखें।
बही खाते में लिखते समय दाईं तरफ लाभ और बाईं तरफ शुभ लिखने से जीवन में शुभता का संचार होता है।
इस दिन नए खाता बही खोलकर उसमें बाईं ओर शुभ और दाईं ओर लाभ बनाने तथा पहले पृष्ठ के केंद्र में शुभ प्रतीक बनाकर व्यापार की शुरुआत करें।
साथ ही लाभ पंचमी के दिन नए बही खाते लिखने की शुरुआत करते समय भगवान श्री गणेश का स्मरण करें ताकि आपका आने वाला जीवन सुख-समृद्धि से भरा रहें।
इस दिन श्री गणेश, माता लक्ष्मी और देवी सरस्वती की आरती करें।
देवी-देवताओं को मिठाई का भोग चढ़ाकर देवी लक्ष्मी से अपने लिए दिव्य आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें।
इस दिन अधिक से अधिक लक्ष्मी जी, सरस्वती तथा श्री गणेश एवं शिव जी के मंत्रों का जाप करें।
इस दिन गरीबों तथा असहाय लोगों को भोजन, वस्त्र, रुपए-पैसे तथा अन्य जरूरी सामग्री का दान अवश्य दें।
यह शुभ तिथि विशेष रूप से दीप पर्व का हिस्सा माना जाता है। अत: इस दिन यानी दिवाली के बाद आने वाले लाभ पंचम के दिन दुकान मालिक या व्यापारी अपनी व्यावसायिक गतिविधियों की शुरुआत करें तो निश्चित ही लाभ होगा।
यह दिन सभी तरह की सांसारिक कामनाओं की पूर्ति करने वाला माना जाता है, अत: पूरे मन से शिव जी का पूजन करें तथा परिवार में सुख-शांति और कष्टों से मुक्ति का वरदान भोलेनाथ से प्राप्त करें।
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शुद्ध ज्ञान देसी घी में बनाएं बादाम का हलवा, स्वाद और सेहत दोनों के लिए जबरदस्त
भारतीय रसोई में घी का अपना ही महत्व होता है। शुद्ध ताजा देसी घी जब किसी खाने में मिलाया जाता है, तो उसका स्वाद एकदम से दोगुना हो जाता है। घी का प्रयोग दाल में तड़का लगाने से लेकर लड्डू या मिठाई बनाने तक में किया जाता है। देसी घी ना केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद माना जाता है। यह गुणवत्ता और पौष्टिकता से भरपूर होता है। यही नहीं, आयुर्वेद में घी का इस्तेमाल कुछ प्रकार की बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है। यदि आप भी घी का पूरा लाभ पाना चाहते हैं, तो यहां हम आपको स्वादिष्ट बादाम के हलवे की रेसिपी बनाना सिखाएंगे जो शुद्ध घी के प्रयोग से बनाई गई है। तो चलिए देखते हैं इसकी रेसिपी:बादाम का हलवा रेसिपीसामग्री
* 1/2 - किलो बादाम
* चीनी - 250 ग्राम
* केसर - 5 पत्ती (थोड़े से दूध में भिगोए हुए)
* पिस्ता - 10 ग्राम कतरन
* बादाम - 10 ग्राम कतरन
* इलायची पाउडर - 1/2 चम्मच
* दूध - 1/2 गिलास
* पानी - 1/2 गिलास
* आटा - 2 चम्मच
* देसी घी - 250 ग्राम
बादाम हलवा बनाने की विधि
* सबसे पहले बादाम को एक बाउल में पानी डालकर रातभर के लिए भिगो दें। सुबह इसे छानकर उनका छिलका निकाल लें।
* छिले हुए बादाम को मिक्सर ग्राइंडर में दूध का प्रयोग करते हुए पीस लें। याद रहे कि बादाम बारीक पिसा हुआ होना चाहिए।
* एक गहरी कढ़ाई लें, उसमें घी डालें और गरम करें। एक गहरी कढ़ाई लें और उसमें ज्ञान शुद्ध देसी घी डालें। इसे गरम होने दें।
* घी गरम होने पर उसमें दो चम्मच आटा डालें और कुछ देर तक इसे पकाएं।
* जब आटा पक जाए तब उसमें पिसा हुआ बादाम डालें और लगातार चलाते रहें।
* जब बादाम गहरे रंग का हो जाए और पक जाए तब इसमें चीनी मिला दें।
* चीनी डालने के बाद इसमें थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पानी डालते जाएं। ध्यान रखें कि इतना पानी न डले कि हलवा पतला हो जाए। और ज्यादा पानी ना डालें नहीं तो हलवा पतला हो जाएगा।
* थोड़ी देर तक हलवे को कढ़ाई में मिक्स करते हुए पकने दें और फिर भिगोया हुआ केसर डालें।
* केसर डालने के बाद मध्यम आंच पर लगातार हिलाते हुए हलवे को पकाएं।
* अब आखिर में इलायची पाउडर डालें और अच्छी तरह से मिलाएं।
* लास्ट में इसे सर्विंग बाउल में निकालें और ऊपर से बादाम की कतरन डाल कर सजाएं।
* अब आपका गरमा-गरम ज्ञान देसी घी से बना बादाम का हलवा सर्व करने के लिए तैयार है।
घी से सेहत को पहुंचने वाले लाभ
* हमारे घर के बड़े-बुजुर्गों ने हमेशा से ही हमें घी खाने की सलाह दी है। वे मानते हैं कि घी ना सिर्फ हमें शारीरिक रूप से बलशाली बनाता है, बल्कि स्वस्थ भी रखता है। घी विटामिन ए, डी और ई से भरपूर होता है। यह विटामिन आपकी स्किन, आंखों और इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करता है।
* NCBI की एक रिसर्च में पाया गया है कि घी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण गठिया, अस्थमा, आंत के रोग में फायदेमंद है। घी की एक खास बात है कि यह हमारे पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करता है। यदि आपको कब्ज या पाइल्स की परेशानी है तो रोज रात को गरम पानी में एक चम्मच घी डालकर सेवन करने से यह दिक्कत तुरंत ही ठीक हो सकती है।
* शुगर पेशेंट्स के लिए घी का सेवन वरदान से कम नहीं है। डॉक्टरों का कहना है कि घी ग्लाइसेमिक इंडेक्स को कम करता है। यह मेटाबॉलिज्म बढ़ाता है, जिससे ब्लड शुगर शरीर में बहुत ही धीरे-धीरे बढ़ती है, जिससे डायबिटीज के रोगी को दिक्कत नहीं होती। इसलिए दोपहर के खाने में घी का सेवन जरूर करें।
शुद्ध होने के साथ हेल्दी है ज्ञान घीइन दिनों आपको बाजार में तरह-तरह के ब्रांड के घी मिल जाएंगे, जो शुद्ध होने का दावा करते हैं। इस प्रकार के घी ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए सस्ते दामों पर बेचे जाते हैं, लेकिन इनका सेवन सेहत के लिए बेहद हानिकारक साबित होता है। अगर आपको शुद्ध और सेहत को अनेक तरह से लाभ पहुंचाने वाला घी चाहिए, तो ज्ञान घी अपने घर ले आएं। हमने आज की इस रेसिपी में ज्ञान घी का ही इस्तेमाल किया ���ै जो शुद्ध है और विटामिन, मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है। यह टेक्सचर में दानेदार होता है और इसकी खुशबू जबरदस्त होती है।इससे बने हलवे या किसी भी व्यंजन को जब आप चखेंगे, तो इसका स्वाद आप भूल नहीं सकेंगे।Disclaimer: This article has been produced on behalf of C.P. Milk and Food Products Pvt Ltd by Times Internet’s Spotlight team. http://dlvr.it/SyG7tf
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छठ पूजा 2023: शुभ मुहूर्त (Date), महत्व और सामग्री
भारत एक ऐसा देश है जो अपनी विविध सांस्कृतिक विरासत और उत्सवों के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। यहाँ, हर एक त्योहार बड़े अनोखे तरीके से मनाया जिसके कारण दुनिया भर से लोग यहां त्योहारों को देखने आते हैं। इन्हीं अनोखे त्योहारों में से एक त्योहार है "छठ पूजा"। छठ पूजा एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे उत्तर भारत के कई राज्यों में विशेष रूप से मनाया जाता है। इस ब्लॉग से आप जानेंगे छठ पूजा का महत्व, उसके तौर तरीके एवं पूजा की विधी और सामग्री।
छठ पूजा कब है:
छठ पूजा हर साल शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। यह पूजा चैत्र मास (मार्च-अप्रैल) और कार्तिक मास (अक्टूबर-नवम्बर) के बीच दो बार मनाई जाती है। पहली बार छठ पूजा चैत्र मास में छठ तिथि को मनाई जाती है, जिसे "छठ छई" कहा जाता है। दूसरी बार यह पूजा कार्तिक मास में कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है, जिसे "खराग छठ" कहा जाता है। इन दोनों अवसरों पर, लोग सूर्यकुंड (पूर्व) या कोषी नदी (पश्चिम) के किनारे जाकर छठ पूजा करते हैं।
छठ पूजा क्यों मनाई जाती है:
छठ पूजा का महत्व पौराणिक समय से चला आ रहा है, जिसमें सूर्यदेव की पूजा कर उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। सूर्यदेव की प्रसन्नता प्राप्त करना और उनकी शक्ति और सौभाग्य की वृद्धि की आशा होती है। छठ पूजा के दौरान, माँ छठी महागौरी और सूर्यदेव का व्रत रखा जाता है, जिसमें व्रती निर्जल सूर्यदेव का पूजन करती है ।
छठ पूजा सामग्री:
छठ पूजा के लिए विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है जो इस उत्सव को पूर्ण बनाती है। यहाँ हम छठ पूजा के सामग्री की एक सूची प्रस्तुत कर रहे हैं:
पूरे परिवार को नए कपड़े पहनने चाहिए, खासकर व्रत करने वाले व्यक्ति को।
छठ पूजा अर्थात दउरी में प्रसाद रखने के लिए बांस की दो बड़ी टोकरियाँ।
सूर्य को अर्घ्य देने के लिए बांस या पीतल से बने बर्तन का उपयोग करना चाहिए।
दूध और गंगाजल के अर्घ्य के लिए एक गिलास, लोटा और थाली सेट होना चाहिए।
नारियल जिस्में जल भरा हुआ हो
पाँच पत्तेदार गन्ने के तने
चावल
बारह दीपक या दीये
रोशनी, कुमकुम और अगरबत्ती
सिन्दूर
एक केले का पत्ता
केला, सेब, सिंघाड़ा, हल्दी, मूली और अदरक के पौधे, शकरकंद और सुथनी (रतालू प्रजाति)
सुपारी
शहद और मिठाई
गुड़ (छठी मैया को प्रसाद बनाने के लिए चीनी की जगह गुड़ का उपयोग किया जाता है)
गेहूं और चावल का आटा
गंगाजल और दूध
ठेकुआ
छठ पूजा के दौरान, व्रती एक बांस की टोकरी में छठी महागौरी की मूर्ति ऱखकर उनकी पूजा करती हैं। इस त्यौहार में ख़ासतौर पर चावल, द���िया, चना, गुड़, और दूध का उपयोग किया जाता है। इन सामग्रियों से वे व्रत के दौरान भोजन बनाते हैं। छठ पूजा के दौरान घर को सजाने के लिए खास रूप से फूल, दीपक, और रंगों का उपयोग किया जाता है। घर को सजाने का उद्देश्य पूजा का माहौल बनाना होता है। छठ पूजा के दौरान, व्रती को भोजन बनाने और सूर्यदेव का पूजन करने के लिए बर्तन और छलना की आवश्यकता होती है।
छठ पूजा के दौरान, व्रती विशेष रूप से लकड़ी का उपयोग करती हैं जिनसे वे सूर्यदेव के पूजन के लिए झूला बनाती हैं। छठ पूजा के इन सामग्रियों का सवाल समय के साथ बदलता है, लेकिन इनका महत्व हमेशा बरकरार रहता है। यह पूजा न केवल एक धार्मिक अद्वितीयता है, बल्कि एक सांस्कृतिक और सामाजिक अद्वितीयता भी है जो हमारे समृद्ध और भारतीय संस्कृति का हिस्सा है।
छठ पूजा विधि:
दिन 1: नहाय खाय (छठ पूजा शुरू)
पहले दिन, भक्त उषा काल के पहले सूर्योदय से पहले, नदी या जलस्रोत में स्नान करते हैं। स्नान के बाद, वे घर लौटकर खुद के लिए एक विशेष भोजन तैयार करते हैं, जिसमें चावल, दाल (लेंटिल्स), और कद्दू शामिल होते हैं। इस भोजन को सूर्य देव को चढ़ाया जाता है, और भक्त दिन भर उपवास करते हैं।
दिन 2: लोहंडा और खरना (बिना पानी के व्रत)
दूसरे दिन, भक्त निर्जल उपवास करते हैं। शाम को, वे थेकुआ (गेहूं के आटे और गुड़ से बनी मिठाई) का प्रसाद तैयार करते हैं। सूर्यास्त होने से पहले, वे इस प्रसाद को खाकर उनका उपवास तोड़ते हैं।
दिन 3: संध्या अर्घ्य (सूर्य देव को शाम का अर्घ्य)
भक्त अपनी संध्या की अर्घ्य क्रिया सूर्यास्त के समय करते हैं। वे कमर तक पानी में खड़े होते हैं और फल, थेकुआ, गन्ना, और नारियल का अर्घ्य सूर्य देव को देते हैं।यह आमतौर पर नदी के किनारे, तालाबों, या अन्य जल स्रोतों के किनारे किया जाता है।
दिन 4: उषा अर्घ्य (सूर्य भगवान को सुबह का अर्घ्य)
छठ पूजा के आखिरी दिन पर, भक्त सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय के समय नदी किनारे जाते हैं। वे सूर्योदय के साथ अर्घ्य (पानी के साथ पूजा) करते हैं, साथ में फल और थेकुआ के साथ उपवास तोड़ते हैं
और च्हठ पूजा समाप्त करते हैं ।
प्रसाद ग्रहण करना:
पूजा करने के बाद, भक्त प्रसाद को अपने परिवार और दोस्तों के साथ साझा करते हैं। प्रसाद को पड़ोसियों और रिश्तेदारों के बीच बाँटना शुभ माना जाता है।
छठ कथा:
पूजा के दौरान, भक्त अक्सर छठ कथा पढ़ते हैं, जिसमें छठ मैया (सूर्य देव की पुत्री उषा) और उनकी तपस्या की कहानी सुनाई जाती है।
भारतीय परंपराओं और समृद्ध विरासत के गौरव का जश्न मनाते हुए, प्रभु श्रीराम- इन्सेंस विद अ स्टोरी अनूठी सुगंध तैयार करते हैं। आइए और उन सुगंधों का अनुभव करें जो भारत की कहानियाँ बयान करती हैं।
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दानेदार मोहनथाल बर्फी बनाने की आसान विधि
मीठा पसंद करने वालो को हमेशा कुछ न कुछ वैराइटी चाहिए। एक जैसा खाकर अगर आप बोर हो गए है तो इस बार त्योहारों पर आप मोहनथाल ट्राय कीजिए। मोहनथाल एक बेहत स्वादिष्ट मिठाई है।
मोहन थाल एक पारंपरिक गुजरात-राजस्थान मिठाई है। जिसे बेसन और घी से बनाया जाता है और शुगर सिरप से मीठा किया जाता है इसे बेसन की बर्फी भी कहते हैं। दिवाली और जन्माष्टमी के त्यौहार पर यह मोहनथाल मिठाई बनाई जाती है।
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Small Business Idea News In Hindi: इस मसाले की खेती कुछ ही सालों में बना देगी करोड़पति, विदेशों में है इतनी डिमांड की पलभर में हो जायेंगे मालामाल
इस मसाले की खेती कुछ ही सालों में बना देगी करोड़पति, विदेशों में है इतनी डिमांड की पलभर में हो जायेंगे मालामाल लोगों को आज कल नौकरी की अपेक्षा अपना व्यवसाय करना ही ज्यादा अच्छा लगता है इसलिए लोग अपना व्यवसाय करने की ओर अग्रसर हो रहे हैं इसलिए आज हम आपके लिए लाये हैं एक ऐसा बिज़नेस आईडिया जिसे कर आप कुछ ही सालो में बहुत सारा पैसा कमा सकते हैं और बन सकते हैं करोड़पति आज हम आपको बताने जा रहे हैं इलायची की खेती के बारे में इलायची एक ऐसा मसाला है जिसका उपयोग अलग-अलग व्यंजनों में किया जाता है इलायची का उपयोग मुख्य रूप से भोजन, मिठाई बनाने और मिठाइयों में अच्छी सुगंध देने के लिए किया जाता है। इलायची में कई औषद्धीय गुण भी होते हैं जिस कारण लोग देश से लेकर विदेशों तक इसकी डिमांड करते हैं। विदेशों में लोग इसकी काफी ज्यादा कीमत चूकते हैं जिस कारण इस मसाले की खेती से भरपूर मुनाफा मिलता है। इसे विदेशों में बेचकर भी बहुत ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है।
खेती के लिए उचित मिट्टी का चुनाव है जरुरी
इलायची की खेती मोटा मुनाफा दिलाने वाली खेती में से एक मानी जाती है जिस कारण लोग इसकी खेती करना बहुत पसंद करते हैं इसकी की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है इसके अलावा लेटराइट मिट्टी, दोमट मिट्टी, काली मिट्टी में भी इलायची की खेती आसानी से कर सकते हैं। इसके लिए आपको खेतों में जल निकासी की पूरी व्यवस्था करनी होती है जिससे की इसकी पैदावार अच्छी हो सके। रेतीली मिट्टी में इलायची की खेती नहीं की जा सकती है क्योंकि इसे आपका बहुत नुकसान हो सकता है। रेतीली मिटटी में इसकी अच्छी उपज नहीं मिलती है जिस कारण मुनाफे में कमी आ जाती है इलायची की खेती बरसात के मौसम में आसानी से की जा सकती है जून जुलाई के महीने में इलायची का पौधा काफी तेजी से पनपता है और आप इसे आसानी से लगा सकते हैं बारिश के मौसम में इसमें सिंचाई की आवश्यकता भी कम होती है जिस कारण आपको पानी की चिंता नहीं करनी होती इसका पौधा बारिश का पानी ग्रहण करके ही अच्छी उपज दे देता है। इलायची के पौधों को गर्मी में नहीं लगाया जा सकता इसे ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है। इलायची के पौधे को खेतों में 2 फीट की दूरी पर लगाना चाहिए। जिससे ये आसानी से बढ़ सकते हैं और इनकी पैदावार काफी अच्छी हो सकती है।
जानिए कैसे करें खेती
इलायची के पौधों की खेती करने के लिए आपको उचित मिटटी और उचित जलवायु की आवश्यकता होती है इलायची के पौधे में फल लगने के बाद हर 20 से 25 दिनों में इसकी तुड़ाई कर लेनी चाहिए। ताकि उस पौधे पर फलों को आने की जगह मिल सके। इलायची की तुड़ाई करने के बाद इसे बिजली के ड्रायर में या धूप में सुखाया जाता है। इलायची के रंग को बरकरार रखने के लिए इसे 2 से 3 प्रतिशत वाशिंग सोडा के घोल में 10 से 15 मिनट तक भिंगोने के बाद सुखाने की विधि की शुरुआत की जाती है। जिससे इसका हरा रंग बरक़रार रहता है और इसमें किसी तरह की कोई अन्य सुगंध नहीं आ पाती। भारत में इलायची की खेती बड़े पैमाने पर होती है। जिससे किसान भाई इससे काफी अच्छा फायदा कमा लेते हैं और मालामाल हो जाते हैं आज के समय में हर कोई इसकी खेती को अपनी पहली पसंद बना रहा है क्योंकि इसमें बहुत ही कम मेहनत की जरूरत होती है। इसकी खेती तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश में की जाती है। इस राज्यों में इसकी पैदावार काफी अच्छी होती है क्योंकि यहाँ बारिश काफी अच्छी होती है।
खेती से होगा लाखों का मुनाफा
इलायची जब सुख जाती है तब इसे हाथों या तार की जाली परअच्छी तरह से रगड़ा जाता है। जिससे की इससे सारा सोडा निकल जाये और इसमें किसी भी तरह की गंदगी न रहे फिर जांच लिया जाता है इसके बाद उसके रेट तय किये जाते हैं जिससे जो इलायची बड़ी होती है उसकी कीमत भी काफी ज्यादा मिलती है एक एकड़ खेत में 150 से 170 kg तक की पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। देशीय बाजार में इसकी कीमत 5 से 6 हजार प्रति kg रहती है जबकि विदेशों में इसकी काफी अच्छी कीमत मिल जाती है जिससे आपको बहुत ज्यादा फायदा मिल सकता है और आप कुछ ही महीनों में करोड़पति बन सकते हैं।
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मेवे की सेवई रेसिपी | Dry Fruit Sewai Recipe
मेवे की सेवई रेसिपी-Sewai Recipe-स्वादिष्ट मीठी सेवई रेसिपी-Best Sewai Recipe
Title Excerpt: मेवे की सेवई के बारे मे , मेवों के साथ बनाए, मेवे की सेवई का स्वाद, बनाने मे समय, सर्विनग / SERVING, मेवे की सेवई के लिए लगने वाली सामग्री, मेवे की सेवई बनाने की विधि, सुझाव,विडिओ लिंक, एफ ए कउ , रिव्यू ।
मेवे की सेवई के बारे मे
सेवई एक इंडियन मिठाई है जिसे वर्मिसेली भी कहा जाता है। यह एक फेस्टिवल…
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Besan laddu recipe in hindi - बेसन के लड्डू बनाने की विधि
बेसन के लड्डू एक एसी मिठाई है जो हर किसी को बहुत ही पसंद होती है मुझे तो नही लगता की देसी घी में सेके ज्ञे बेसन के लड्डु किसी को ना पसंद भी होंगे यह आप बहुत ही कं समां मे बहुत ही स्वादिष्ट लड्डु अपने घर मे आसानी से बना सकते हैं आप किसी भी खुशी के अवसर पर या किसी त्योहार पर यह लड्डू बना सकते हैं और सब को खिला कर सबका मन मोह सकते हैं मै आपको आज इस लेख मे Besan laddu recipe in hindi के बारे में बताऊंगी जिन्हे बनाना बेहद ही आसान है read more
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Jalebi Recipe: जलेबी बनाने की विधि
Jalebi Recipe : जलेबी बनाने की विधि - जलेबी एक लोकप्रिय भारतीय मिठाई है जो बाहर से कुरकुरी और अंदर से चाशनी वाली होती है। त्योहारों, समारोहों और विशेष अवसरों के दौरान परोसने के लिए यह एक आदर्श मिठाई है। यहाँ घर पर जलेबी बनाने की विधि दी गई है:
Jalebi Recipe: जलेबी बनाने की विधि
1 कप मैदा
1 बड़ा चम्मच मक्की का आटा
1/2 कप दही
1/2 कप गर्म पानी
एक चुटकी बेकिंग सोडा
1 कप चीनी
1/2 कप पानी
1/4 छोटा चम्मच इलायची पाउडर
नींबू के रस की कुछ बूंदें
तेल तलने के लिये
निर्देश:
एक बड़े मिश्रण के कटोरे में, मैदा, मकई का आटा, बेकिंग सोडा और दही मिलाएं। अच्छी तरह मिलाएं और धीरे-धीरे गर्म पानी डालकर एक चिकना घोल बना लें। 10-15 मिनट के लिए अलग रख दें।
मध्यम आंच पर एक गहरे फ्राइंग पैन में तेल गरम करें।
एक छोटे गोल नोज़ल वाले पाइपिंग बैग में बैटर डालें। आप एक कोने में छोटे छेद वाले जिपलॉक बैग का भी उपयोग कर सकते हैं।
जब तेल अच्छी तरह गर्म हो जाए तो घोल को तेल में स्पाइरल आकार में डालें। जलेबियों को दोनों तरफ से सुनहरा भूरा और कुरकुरा होने तक तलें।
अतिरिक्त तेल निकालने के लिए जलेबियों को पेपर टॉवल पर निकाल लें।
एक अलग सॉस पैन में, चीनी, पानी, इलायची पाउडर और नींबू का रस डालें। धीमी आंच पर तब तक पकाएं जब तक कि चीनी पूरी तरह से घुल न जाए।
आँच बढ़ाएँ और चीनी की चाशनी में उबाल आने दें। चाशनी को थोड़ा गाढ़ा होने तक पकाएं।
जलेबियों को चाशनी में डुबोकर 2-3 मिनिट तक भीगने दीजिए.
जलेबियों को चाशनी से निकाल कर सर्विंग प्लेट में रखें. कटे हुए मेवों (वैकल्पिक) से गार्निश करें और गर्म या ठंडा परोसें।
अपने घर की बनी जलेबियों का आनंद लें!
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जलेबी बनाने की विधि - Jalebi Recipe in Hindi - Pranav Recipes
हेलो फ्रेंड्स , आज की इस पोस्ट में हम आपके साथ जलेबी बनाने की विधि( Jalebi recipe in hindi ) शेयर कर रहे हैं | जलेबी रेसिपी स्टेप बाई स्टेप फोटो के साथ। भारतीय मिठाइयों की श्रेणी में, जलेबी एक बहुत प्रमुख स्थान रखती है। यह रेसिपी आपको घर की सबसे अच्छी जलेबियों में से एक देती है – कुरकुरे, कुरकुरी, चाशनी और रसदार जलेबी। यहां साझा की गई विधि जलेबी बनाने की पारंपरिक विधि है और जलेबी के स्वाद और बनावट के समान है जो हमें मिठाई की दुकानों में मिलती है।
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Til Gud Laddu Recipe
लोहड़ी और मकर संक्रांति का पर्व आ गया है। जनवरी के महीने में लोहड़ी और मकर संक्रांति मनाई जाती है। इन दोनों पर्व का संबंध नई फसल और सर्दी का मौसम खत्म होने व पतझड़ आने से है। लोहड़ी हो या मकर संक्रांति दोनों ही पर्व के मौके पर कुछ खास पारंपरिक व्यंजन बनते हैं।
इन व्यंजनों के सेवन से शरीर को गर्माहट मिलती है और सेहत बेहतर बनती है। इन्हीं में शामिल में तिल से बने व्यंजन। तिल के लड्डू, तिल की मिठाई और तिल की गजक लोग सर्दी में खाते हैं। तिल सेहत के लिए लाभकारी है और खाने में स्वादिष्ट लगता है। मकर संक्रांति पर तिल के लड्डू खाने की परंपरा होती है। स्नान दान के बाद लोग तिल और गुड़ के लड्डू खाते हैं। वैसे तो बाजार में तिल के बने लड्डू मिल जाएंगे लेकिन अगर आप भोग के लिए घर पर ही तिल के लड्डू बनाना चाहते हैं तो यहां आपको तिल और गुड़ के लड्डू बनाने की विधि बताई जा रही है।
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गाजर का हलवा बनाने का आसान तरीका | Easy Gajar ka Halwa | Carrot Halwa | Recipe gajar halwa with khoya
गाजर का हलवा बनाने का आसान तरीका | Easy Gajar ka Halwa | Carrot Halwa | Recipe gajar halwa with khoya
2 मिनट में बनाएं लाल गाजर का हलवा लाल गाजर का हलवा बनाने की विधि
ठंड के मौसम में लगभग सभी घरों में गाजर का हलवा या फिर गजरेला बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। गाजर कई प्रकार की होती हैं। लगभग स��ी प्रकार की गाजर का हलवा बनाया जाता है। लाल गाजर ,ऑरेंज गाजर, सफेद गाजर और काली गाजर की बेसिक प्रजातियां है। हम यहां पर लाल गाजर का हलवा आज बनाएंगे। यह ठंड की सबसे अच्छी मिठाई में से एक है। साथ में विटामिन ए…
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Daliya burfi/daliya sweet/ दलिया से मिठाई बनाने की आसान विधि
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