Viral Video: होली के मौके पर बिल्डरों की शराब पार्टी, रशियन डांसरों ने जमकर लगाए ठुमके
मथुरा में होली उत्सव के मौके, पर एक कॉलोनी में दारू पार्टी, का आयोजन किया गया! इस पार्टी में “रशियन’ डांसर को बुलाकर ठुमके लगाए गए! जिसका वीडियो Social-media पर वायरल हो रहा है ll
यूपी के मथुरा: की होली प्रसिद्ध है। यहां होली देखने लोग दूर-दूर से आते हैं! लेकिन मंदिरों की इस नगरी में होली उत्सव के नाम पर शराब की पार्टी का आयोजन कर ‘रशियन’ बालाओं को बुलवाकर नचाया गया! हाई प्रोफाइल लोगों की कॉलोनी में हुए निजी कार्यक्रम का वीडियो बनाया गया जो अब Social-media पर वायरल रहा है।l
अब इसे लेकर लोग तरह तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं…
मथुरा: की लठमार होली हो या लड्डूमार होली…
यहां की इस फेमस रंगोत्सव को देखने दूर- दूर से श्रद्धालु आते हैं! ब्रज की होली की द्वापरयुगीन से ही चली आ रही है!
यहां भगवान कृष्ण और राधा रानी की लीलाओं को जोड़कर मानाए जाने की परंपरा है! जिसे देखने लोग वृंदावन आते हैं, हालांकि इस बीच ब्रज में होली पर हुई एक पार्टी चर्चा में है
वृंदावन-छटीकरा मार्ग स्थित एक कॉलोनी में एक नामचीन बिल्डर ग्रुप द्वारा 21 मार्च, की रात कॉकटेल पार्टी का आयोजन किया गया ll जिसमें शहर के तमाम धनाढ्य लोग शामिल हुए ll
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*होली त्योहार 2023*
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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*महत्वपूर्ण जानकारी*
होली और होलिका दहन 2023
बुधवार, 08 मार्च 2023
होलिका दहन मुहूर्त - मंगलवार, 07 मार्च 2023, समय 06:29 अपराह्न से 08:54 अपराह्न तक
पूर्णिमा तिथि शुरू - 06 मार्च 2023 अपराह्न 04:17 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 07 मार्च 2023 अपराह्न 06:09 बजे*
होली स्पेशल भोग और प्रसाद
होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला रंगों का एक त्योहार है। यह एक प्राचीन हिंदू धार्मिक उत्सव है और कभी-कभी इस त्योहार को प्यार का त्योहार भी कहा जाता है।
यह मुख्यतः भारत, नेपाल और दुनिया के अन्य क्षेत्रों में मुख्य रूप से भारतीय मूल के लोगों के बीच मनाया जाता है। यह त्यौहार यूरोप और उत्तरी अमेरिका के कुछ हिस्सों में भी मनाया जाता है। यह प्रेम, उल्लास और रंगों का एक वसंत उत्सव है। मथुरा, वृन्दावन, बरसाने और नंदगाँव की लठमार होली तो प्रसिद्ध है ही देश विदेश के अन्य स्थलों पर भी होली की परंपरा है। उत्साह का यह त्योहार फाल्गुन मास (फरवरी व मार्च) के अंतिम पूर्णिमा के अवसर पर उल्लास के साथ मनाया जाता है।
त्योहार का एक धार्मिक उद्देश्य भी है, जो प्रतीकात्मक रूप से होलिका की किंवदंती के द्वारा बताया गया है। होली से एक रात पहले होलिका जलाई जाती है जिसे होलिका दहन (होलिका के जलने) के रूप में जाना जाता है। लोग आग के पास इकट्ठा होते है नृत्य और लोक गीत गाते हैं। अगले दिन, होली का त्योहार मनाया जाता जिसे संस्कृत में धुलेंडी के रूप में जाना जाता हैै। रंगों का उत्सव आनंदोत्सव शुरू करता है, जहां हर कोई खेलता है, सूखा पाउडर रंग और रंगीन पानी के साथ एक दूसरे का पीछा करते है और रंग लगाते है। कुछ लोग पानी के पिचकारी और रंगीन पानी से भरा गुब्बारे लेते हैं और दूसरों पर फेंक देते हैं और उन्हें रंग देते हैं। बच्चे और एक दूसरे पर युवाओं स्प्रे रंग, बड़े एक-दूसरे के चेहरे पर सूखी रंग का पाउडर गुलाल लगाते है। आगंतुकों को पहले रंगों से रंगा जाता है, फिर होली के व्यंजनों, डेसर्ट और पेय जल परोसा जाता है।
यह त्यौहार सर्दियों के अंत के साथ वसंत के आने का भी प्रतीक है। कई लोगों के लिए यह ऐसा समय होता है जिसमें लोग आपसी दुश्मनी और संचित भावनात्मक दोष समाप्त करके अपने संबंधों को सुधारने के लिए लाता है।
होलिका दहन की तरह, कामा दहानाम भारत के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। इन भागों में रंगों का त्योहार रंगपंचमी कहलाता है, और पंचमी (पूर्णिमा) के बाद पांचवें दिन होता है।
*क्यो मनाया जाता है होली त्योहार*
होली के पर्व से अनेक कहानियाँ जुड़ी हुई हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध कहानी है प्रह्लाद की। माना जाता है कि प्राचीन काल में हिरण्यक्श्यप नाम का एक अत्यंत बलशाली असुर था। अपने बल के अभिमान में वह स्वयं को ही ईश्वर मानने लगा था। हिरण्यक्श्यप का पुत्र प्रह्लाद विष्णु भक्त था। प्रह्लाद की विष्णु भक्ति से क्रोधित होकर हिरण्यक्श्यप ने उसे अनेक कठोर दंड दिए, परंतु उसने विष्णु की भक्ति नही छोड़ी। हिरण्यक्श्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती। हिरण्यक्श्यप ने आदेश दिया कि होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई, पर प्रह्लाद बच गया। ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है। जिसे होलिका दहन कहा जाता है।
प्रह्लाद की कथा के अतिरिक्त यह पर्व राक्षसी ढुंढी, राधा कृष्ण के रास और कामदेव के पुनर्जन्म से भी जुड़ा हुआ है। कुछ लोगों का मानना है कि होली में रंग लगाकर, नाच-गाकर लोग शिव के गणों का वेश धारण करते हैं तथा शिव की बारात का दृश्य बनाते हैं।
रंगों का त्यौहार होली भारत के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली जहाँ एक ओर सामाजिक एवं धार्मिक है, वहीं रंगों का भी त्योहार है। रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते हैं। दूसरे दिन को धुलंडी कहते है इस दिन एक दूसरे को गुलाल अबीर लगाते हैं। होली क्यों मनाई जाती है इस संदर्भ में पुराणों में अनेक कथाएं है। जिसमें सबसे प्रमुख विष्णु भक्त प्रह्लाद और उनकी बुआ होलिका से सम्बंधित है। आइए जानते है होली से सम्बंधित कुछ कथाएं।
*होली व्रत कथा*
प्रथम कथा – नारद पुराण के अनुसार आदिकाल में हिरण्यकश्यप नामक एक राक्षस हुआ था। दैत्यराज खुद को ईश्वर से भी बड़ा समझता था। वह चाहता था कि लोग केवल उसकी पूजा करें। लेकिन उसका खुद का पुत्र प्रह्लाद परम विष्णु भक्त था। भक्ति उसे उसकी मां से विरासत के रूप में मिली थी। हिरण्यकश्यप के लिए यह बड़ी चिंता की बात थी कि उसका स्वयं का पुत्र विष्णु भक्त कैसे हो गया? और वह कैसे उसे भक्ति मार्ग से हटाए। होली की कथा के अनुसार जब हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को विष्णु भक्ति छोड़ने के लिए कहा परन्तु अथक प्रयासों के बाद भी वह सफल नहीं हो सका। कई बार समझाने के बाद भी जब प्रह्लाद नहीं माना तो हिरण्यकश्यप ने अपने ही बेटे को जान से मारने का विचार किया। कई कोशिशों के बाद भी वह प्रह्लाद को जान से मारने में नाकाम रहा। बार-बार की कोशिशों से नाकम होकर हिरण्यकश्यप आग बबूला हो उठा। इसके बाद उसने अपनी बहन होलिका से मदद ली जिसे भगवान शंकर से ऐसा चादर मिला था जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे जला नहीं सकती थी। तय हुआ कि प्रह्लाद को होलिका के साथ बैठाकर अग्निन में स्वाहा कर दिया जाएगा। होलिका अपनी चादर को ओढकर प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता पर बैठ गयी। लेकिन विष्णु जी के चमत्कार से वह चादर उड़ कर प्रह्लाद पर आ गई जिससे प्रह्लाद की जान बच गयी और होलिका जल गई। इसी के बाद से होली की संध्या को अग्नि जलाकर होलिका दहन का आयोजन किया जाता है।
दूसरी कथा – एक अन्य पौराणिक कथा शिव और पार्वती से संबद्ध है। हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान शिव से हो जाए पर शिवजी अपनी तपस्या में लीन थे। कामदेव पार्वती की सहायता को आए व उन्होंने अपना पुष्प बाण चलाया। भगवान शिव की तपस्या भंग हो गयी। शिव को बड़ा क्रोध आया और उन्होंने अपनी तीसरी आँख खोल दी। उनके क्रोध की ज्वाला में कामदेव का भस्म हो गए। तदुपरान्तर शिवजी ने पार्वती को देखा और पार्वती की आराधना सफल हुई। शिवजी ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार कर लिया। इस प्रकार इस कथा के आधार पर होली की अग्नि में वासनात्मक आकर्षण को प्रतीकत्मक रूप से जला कर सच्चे प्रेम की विजय का उत्सव मनाया जाता है।
तीसरी कथा – एक आकाशवाणी हुई कि कंस को मारने वाला गोकुल में जन्म ले चुका है। अत: कंस ने इस दिन गोकुल में जन्म लेने वाले हर शिशु की हत्या कर देने का आदेश दे दिया। इसी आकाशवाणी से भयभीत कंस ने अपने भांजे कृष्ण को भी मारने की योजना बनाई और इसके लिए पूतना नामक राक्षसी का सहारा लिया। पूतना मनचाहा रूप धारण कर सकती थी। उसने सुंदर रूप धारण कर अनेक शिशुओं को अपना विषाक्त स्तनपान करा मौत के घाट उतार दिया। फिर वह बाल कृष्ण के पास जा पहुंची किंतु कृष्ण उसकी सच्चाई को जानते थे और उन्होंने पूतना का वध कर दिया। यह फाल्गुन पूर्णिमा का दिन था अतः पूतनावध के उपलक्ष में होली मनाई जाने लगी।
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मैडम सर ने पूर्व संध्या के साथ विशेष 'लट्ठमार' होली खेली
मैडम सर ने पूर्व संध्या के साथ विशेष ‘लट्ठमार’ होली खेली
शो मैडम सर में लट्ठमार होली खेली जा रही है। रंगों के त्योहार को पूर्व संध्या के साथ मनाया जा रहा है और अपराधियों को सबक सिखाने के लिए लट्ठमार होली की परंपरा का पालन किया जा रहा है। देख लेना! ।
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लाठियों की मार से बरसता है 'प्रेमरस', दुनिया में सबसे अनूठी है ब्रज की होली | Holi 2021
लाठियों की मार से बरसता है ‘प्रेमरस’, दुनिया में सबसे अनूठी है ब्रज की होली | Holi 2021
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Holi 2021: यहां खेली जाती है अनोखी होली, रंग के साथ चलते हैं महिलाओं के लठ
Holi 2021: यहां खेली जाती है अनोखी होली, रंग के साथ चलते हैं महिलाओं के लठ
कन्हैया कुमार/मथुरा: होली का त्योहार नजदीक है. लोग रंगों के इस उत्सव में सराबोर होने की तैयारियां कर रहे हैं. होली को मनाने के कई तरीके हैं. कोई गुलाल उड़ाता है तो कहीं चलती है रंगों की पिचकारी. इसके अलावा भी होली मनाने है का एक अनूठा ढंग है जिसका नाम है लठामार होली. आइए जानते ब्रज में खेली जाने वाली इस होली के बारे में जिसे देखने देशभर से लोग पहुंचते हैं.
लठामार होली?ब्रज में बरसाना, नन्दगांव …
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नंदगांव की लठमार होली आज: बरसाना के बाद श्रीकृष्ण के गांव में छाया रंगोत्सव का उल्लास
नंदगांव की लठमार होली आज: बरसाना के बाद श्रीकृष्ण के गांव में छाया रंगोत्सव का उल्लास
मथुरा में राधारानी के गांव बरसाना के बाद बुधवार को श्रीकृष्ण के नंदगांव में लठमार होली का आनंद बरसेगा। इसे लेकर नंदगांव की हुरियारिनों ने मंगलवार को ही अपनी तैयारियां पूरी कर लीं। हुरियारिनें सोलह शृंगार कर लठमार होली चौक पर पहुंचेंगी। इधर, नंदभवन में बरसाना के हुरियारों का भव्य स्वागत किया जाएगा। नंदबाबा मंदिर के सेवायत सोमदत्त भारद्वाज ने बताया कि कई कुंतल टेसू के फूलों से बने रंगों से…
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देखें: होली के भव्य प्रसार के लिए ये 6 स्वादिष्ट स्नैक्स बनाएं
देखें: होली के भव्य प्रसार के लिए ये 6 स्वादिष्ट स्नैक्स बनाएं
होली से पहले कुछ ही दिन शेष हैं, और हम उत्सव के बारे में उत्साहित होने में मदद नहीं कर सकते हैं! जैसा कि देश इस त्योहार को मनाने की तैयारी कर रहा है, बुराई पर अच्छाई की जीत को चिह्नित करने का प्रत्येक क्षेत्र का अपना अनूठा तरीका है! जहां कुछ लोग डंडों (लठमार होली) से होली खेलते हैं, वहीं कुछ लोग फूलों की पंखुड़ियों से खेलते हैं और कुछ लोग पानी के गुब्बारे, सीरिंज और पेंट से खेलते हैं। होली मनाने…
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मथुरा में बरसाना नंदगांव लठमार होली उत्सव -अविश्वसनीय...अद्वितीय... लौकिक: बरना की लठामार होली में लाठियों से ब्रेस प्रेम, तस्वीरें मन मग्न हो
मथुरा में बरसाना नंदगांव लठमार होली उत्सव -अविश्वसनीय…अद्वितीय… लौकिक: बरना की लठामार होली में लाठियों से ब्रेस प्रेम, तस्वीरें मन मग्न हो
अविश्वसनीय…अद्वितीय और पारलौकिक, नजारा मथुरा के ब्रेस्ना में. वसंती से बेला का बरसाना और नंदगांव के गोप-गोपियों को था, वो बेला शुक्रवार को आई। विश्व चर्चित लठामार होली खेली। एक ओर नगाँव के ग्वाल में ढलने और सिर पर सुरक्षा कवच लगे होते हैं। ब्रेसन की तया में तया के हिसाब से ही अलग अलग होंगे। हूरियारों की ओर से शब्द बाणछोडे जा रहे हैं। एक-एक हुरिया पर पांच-छहुरीयों ने घूघट की ओट से लाठियों की की।…
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झूमटा कहें, गोविंद कहें, लठमार कहें या मटकी फोड़ ! होली तो बस होली है, होली ही हार्दिक बधाई एवं अनेकों शुभकामनाएं, ईश्वर की कृपा आप सभी के सपरिवार बनी रहें कामना करता हूँ― चन्दन कुमार यादव जदयू, बिहार #झूमटा_होली #मटका_फोड़_होली #लठमार_होली #गोविंदा_होली #holi2021 #होली #होली2021 #होलीकोत्सव #शुभकामनाएं #चन्दन_यादव #बेलागंज #बेलागंज_विधानसभा #belaganj #बिहार #नीतीश_कुमार #जदयू #एनडीए #बिहार_होली #Holi_2021 #चन्दन_यादव_बेलागंज_विधानसभा_गया_बिहार #chandan_yadav_jdu_for_232_belaganj_gaya_bihar (at India) https://www.instagram.com/p/CNCLy7zgZe7/?igshid=1ovslgr1vcbo6
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Holi 2021: रंग खेलने के बाद रूखी त्वचा का ऐसे रखें ख्याल, बालों में पोषण के लिए एलोवेरा जेल को इस तरह करें इस्तेमाल [Source: Patrika : India's Leading Hindi News Portal]
Holi 2021: रंग खेलने के बाद रूखी त्वचा का ऐसे रखें ख्याल, बालों में पोषण के लिए एलोवेरा जेल को इस तरह करें इस्तेमाल [Source: Patrika : India’s Leading Hindi News Portal]
लखनऊ. रंगो का त्योहार होली (Holi) बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार माना जाता है। उत्तर प्रदेश सहित पूरे भारत में इस त्योहार को हर्षोहल्लास के साथ मनाया जाता है। होली सभी के लिए खुशियां, मस्ती, रोमांच और उत्साह लेकर आती है। रंगों के इस त्योहार को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। आमतौर पर इसे होली कहा जाता है। वहीं अलग-अलग स्थानों पर होली को फगुआ, उक्कुली, लठमार होली, होली महल्ला, दोल जात्रा आदि…
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बरसाने की लठमार होली देश ही नही अपितु विदेशों में भी बहुत प्रसिद्ध हैं। दूर-दूर से लाखों की संख्या में भक्तगण होली पर बरसाने गाँव की लठमार होली देखने आते हैं। किंतु सोचने वाली बात यह हैं कि आखिर इसकी शुरुआत कहाँ से हुई और यह क्यों मनाई जाती हैं। इसी के साथ इसे खेलने की क्या परंपरा हैं और कौन-कौन इसे खेल सकता हैं। आज हम आपको बरसाने की लठमार होली के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे।
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महाशिवरात्रि पर काशी शिव बरात में बरसाने की लठमार होली
महाशिवरात्रि पर काशी शिव बरात में बरसाने की लठमार होली
बरसाना में हुरियारों पर लाठी बरसाई
– फोटो: अमर उजाला
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महाशिवरात्रि पर पड़ने वाले शिव बारात में इस बार आपको काशी में होली के विभिन्न रूप देखने को मिलेंगे। शिव बरात में काशी की होली के साथ ही बरसाना की लठमार होली और भोजपुरिया होली के रंग बिखरे होंगे। पहली बार शिव बारात में पर्यटन और संस्कृति विभाग की झांकी भी शामिल होगी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी सुदामा तिवारी, पवन…
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ब्रज में 45 दिन तक चलने वाले होली महोत्सव का हुआ आगाज Divya Sandesh
#Divyasandesh
ब्रज में 45 दिन तक चलने वाले होली महोत्सव का हुआ आगाज
मथुरा। बृज में होली का उल्लास मंगलवार को बसंत पंचमी से शुरू हो गया है। बृज के मंदिरों में होली के राग गूंजने लगे हैं, गुलाल भक्तों पर बरसने लगा है। समूचे बृज के साथ ब्रज के राजा की दाऊजी के मंदिर में भी 45 दिनी होली महोत्सव की शुरुआत बसंतऋतु से हो गयी है। ढांडा गढ़ने के साथ-साथ बसंत पर भक्तों ने अपने ब्रज के राजा दाऊजी महाराज के साथ गुलाल की होली खेली।
विदित रहे बड़े भागन ते जे फागुन आयो, होली खेल ले सखी हमारी, रसिया को नार बनाओ री, रसिया को। आदि दिव्य होली के समुधुर गीतों पर होली का भव्य आनंद वंसतऋतु से भक्त लेंगे। वसंत से ब्रज राजा के प्रांगण में प्रतिदिन समाज गायन की शुरुआत हो चुकी है। इसके अलावा गोपी भी मंदिर प्रांगण में होली के समुधुर गीतों पर नृत्य गायन करेंगी। इन गोपियों के नृत्य से समूचा बलदेव होलीमय आनंद में जीवंत हो उठेगा।
प्रतिदिन भव्य श्रृंगार के दर्शन ब्रजराज अपने भक्तों को देंगे। समाज गायन में ढप, ढ़ोलक, झांझ, मंजीरा आदि की दिव्य धुन सुनाई देगी। इसी दिव्य धुन पर बाहर से आने वाले श्रद्धालु अपने आपको धन्य समझते हुए थिरकने लगते हैं। मंदिर के सेवायत यानि पांडेय समाज के लोग भी देश-विदेश से आने बृज की होली का आनन्द लेने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को 100-100 वर्ष बसंत को देखने का आशीर्वाद देते हैं।
होली पर कोड़े भी यहां दिखते हैं महाप्रसाद
होली प्रसिद्ध है बरसाने की। बरसाने की लट्ठमार होली देखने दूर-दूर से लोग आते है। होली से पूर्व की एकादशी को नन्द ग्राम के गोप ढालें लेकर बरसाने आते हैं। ऐसे ही मथुरा में दाऊजी होली लट्ठ के स्थान पर कपड़े के कोड़े से खेली जाती है और भंग की रंग में गोप गोपकाओं के को��े़ खाते ही रहते हैं।
बृ़ज में होली कब और कहां
16 मार्च- रमणरेती आश्रण में रंग गुलाल की होली
22 मार्च- बरसाना में लड्डू की होली
23 मार्च- बरसाना में लठमार होली
24 मार्च- नंदगांव में लठमार होली
25 मार्च- श्रीकृष्ण जन्मस्थान में लठमार होली, बांकेबिहारी मंदिर में होली
27 मार्च- गोकुल में छड़ी मार होली
28 मार्च- होलिका दहन
29 मार्च- रंगो वाली होली
29 मार्च- बलदाऊजी के प्रांगण में गोप-गोपिकाओं का नृत्य
30 मार्च- मंदिर परिसर में दाऊ जी का हुंरगा।
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Indian Festivals in 2020 - Covid Wali Rakhi
हां जी! तो अब राखी का त्यौहार भी आ ही गया। जैसे हर स्टेट की स्पेशल डिशेज अलग ही होती है वैसे ही हर जगह का अपना-अपना स्पेशल त्यौहार मनाने का तरीका होता है। फिर चाहे वह मथुरा वृंदावन की लठमार होली हो, जयपुर की पटाखे वाली दीवाली हो या फिर दिल्ली की मूंगफली और गुड़-चने वाली लोहड़ी, हम भारत की जनता तो हर त्यौहार में चार चाँद लगा ही देते हैं। और इस बार राखी पर तो बहुत कुछ स्पेशल होने वाला है! क्यों ना हो? इस बार हम सभी मनाएंगे प्यार भरी कोविड वाली राखी।
कोविड-19 महामारी के चलते हुए मिलना संभव तो शायद नही हो, पर हां यह पक्का है कि आपके घर में ख़ुशियों की दस्तक जरूर सुनाई देगी। वैसे आपको बता दें कि भाइयों से ज्यादा बहनों को इस राखी के त्यौहार का कितना इंतजार रहता है!
राखी के दिन, प्यार-भरे वह खुशी के पल, जो बचपन में साथ बिताए थे, वापस से जीवंत हो उठते हैं। राखी फिर से लाती है वह शरारत का मौसम, वो सावन के झूले, वह खुश नुमा पल, वह हंसी-ठिठोली से भरी बचपन की यादें और सबसे महत्वपूर्ण भाइयों के लिए सजना-संवरना।
याद है मुझे आज भी, कैसे मां हमारे लिए नए-नए कपड़े लेकर आती थी जो हम राखी पर पहनते थे और फिर वही दशहरा- दिवाली पर और फिर वही जब भी बाहर जाए तब। त्योहारों की तरह हमारे कपड़े भी सदाबहार हुआ करते थे।
फिर एक चलन चला, जैसा तोहार वैसे कपड़े, जो सिर्फ एक बार पहनने के बाद वापस अपने यथा-स्थान पर चले जाते थे- अलमारी के एक कोने में। इन महंगे कपड़ों की बारी आना तो दूर की बात है, इनका तो ध्यान भी जल्दी से नहीं आता। और जब ध्यान आता है तो इनका फैशन चला जाता है। तो क्यों ना हम एक समझदार ग्राहक बने और वह वस्त्र खरीदे जो कि हमारे मां के लाए हुए कपड़ों की तरह सदाबहार हो, और जिन का मौसम कभी ना जाए।
हमारे कपड़े, हमारी जिंदगी की तरह आरामदायक होने चाहिए, (Sustainable Fashion) सिर्फ पल भर का साथ देने वाली नहीं, हमें अपनेपन का एहसास कराने वाले। तो क्यों ना इस राखी पर हम कुछ ऐसा खरीदें जो हमारे रिश्तो की तरह सालों साल चलता रहे और समेट ले खुद में वह सारी यादें जो सालों बाद भी अधरों पर एक मीठी सी मुस्कान ले आए।
JOVI fashion इस बार आपके लिए लाया है राखी surprise collection. महीन मलमल और कॉटन सूट्स एवं ड्रेसेस की आभा और हाथ कढ़ाई और ब्लॉक प्रिंट की कारीगरी से इस बार राखी पर अपनी खूबसूरती मे सौम्यताऔर शालीनता की छटा और रंग का अनुभव करें।
यह राखी स्पेशल रेंज इतनी आरामदायक व स्टाइलिश है कि आप इसको पूरा दिन पहन कर भी थकान का अनुभव नहीं करेंगे। आप इसे पहन कर बच्चों के साथ फ्रिज़बी खेल सकती है, पॉपकॉर्न खाते हुए मूवी का आनंद ले सकती हैं, अपनी खास सहेलियों के साथ वीडियो कॉल पर किटी पार्टी भी कर सकती हैं और जब यह लाॅक-डाउन खत्म हो जाए तो हॉलीडे और लॉन्ग ड्राइव का लुफ्त भी उठा सकतीं है।
तो, आइए मिलकर चलते हैं बचपन की उन सुनहरी यादों की ओर और मनाते हैं कोविड वाली राखी।
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वृन्दावन की होली लठमार, मथुरा की होली फुलमार| रंगों की आई फुहार, मुबारख हो होली का त्योहार| (at Jagmara Bhubaneswar) https://www.instagram.com/p/BvURKvmlJtP91BKEkvhtOM1mNtEkVhPEUYmqc80/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=13bvf0vj3x3c9
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