पीएम मोदी की चीफ जस्टिस से बड़ी अपील, कहा, महिला उत्पीड़न मामलों में फैसले देने लाए तेजी
Delhi News: कोलकाता रेप कांड की सीबीआई जांच के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए देश को उनके खिलाफ अपराध के मामलों में तेजी से फैसले की जरूरत है। इस दौरान देश के मुख्य न्यायधीश डीवीआई चंद्रचूड़ सहित सुप्रीम कोर्ट के कई बड़े जज मौजूद थे। आपको बता दें कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था और पश्चिम बंगाल…
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अगर काम में ही “राजनीति” दिखाई देगी तो जस्टिस चंद्रचूड़ की ट्रोलिंग होगी ही। मणिपुर पर एक बयान में मोदी के लिए एलर्जी की पराकाष्ठा दिखाई दे गई, फिर पब्लिक प्रतिकार तो होगा ही।
अभी 2 दिन पहले एक दैनिक अख़बार के यूट्यूब चैनल पर उसका पत्रकार तड़प तड़प कर चीख रहा था कि CJI चंद्रचूड़ को सोशल मीडिया में ट्रोल किया जा रहा है और बता रहा था कि लोग उनके लिए कैसी कैसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। वो पत्रकार चीख रहा था कि चंद्रचूड़ ने तो जरूरत के अनुसार हमेशा सख्त कदम उठाए हैं और बंगाल में केंद्रीय बलों को भी पंचायत चुनाव में निगरानी के लिए भेजा।
उस पत्रकार को सबसे बड़ी आपत्ति थी कि किसी ने ट्विटर पर कोर्ट के लिए “सुप्रीम कोठा” लिख दिया जबकि उस पत्रकार को यह नहीं पता ऐसा कहने वाले एक नहीं सैंकड़ों है। अजीत भारती खुलेआम सुप्रीम कोर्ट को “कोठा” कहता है परंतु सितंबर, 2021 में उस पर अवमानना कार्रवाई शुरू करने को AG द्वारा अनुमति देने के बाद भी उस पर सुप्रीम कोर्ट अवमानना की कार्रवाई शुरू नहीं कर रहा।
सोशल मीडिया पर आखिर चंद्रचूड़ की ट्रोलिंग क्यों हो रही है, इस पर स्वयं चंद्रचूड़, उनके साथी जजों और विधिक समुदाय को सोचना होगा। केवल मणिपुर के लिए चंद्रचूड़ ने बयान देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधा निशाने पर लिया जिससे उनकी नरेंद्र मोदी के प्रति एलर्जी की पराकाष्ठा साफ़ नज़र आ रही थी क्योंकि अन्य किसी राज्य के लिए चंद्रचूड़ ने कभी स्वतः संज्ञान नहीं लिया चाहे वहां कैसी भी आग लगती रही हो और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हुआ हो।
राजस्थान बंगाल में हमेशा चंद्रचूड़ शांत रहे। मणिपुर पर बयान देने के बाद बंगाल के पंचायत चुनाव में महिला प्रत्याशी के साथ घिनौना काम किया ममता की पार्टी के लोगों ने। लेकिन चंद्रचूड़ को “गुस्सा” केवल मणिपुर के लिए आया।
चंद्रचूड़ की ट्रोलिंग का एक बड़ा कारण उनकी कश्मीरी हिन्दुओं पर हुई बर्बरता पर खामोश रहना था। जो लोग जांच की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट गए, उन्हें चंद्रचूड़ ने विज्ञापन के लिए काम करने वाले बता दिया और जांच की मांग यह कह कर ठुकरा दी कि 25 साल बाद क्या सबूत मिल सकते हैं। 5 लाख हिन्दुओं और उनकी महिलाओं की पीड़ा के लिए चंद्रचूड़ के दिल में कोई दर्द नहीं था।
आपको मणिपुर पर “गुस्सा” आए तो ठीक है लेकिन लोगों को भी तो आप और आपकी हरकतों पर “गुस्सा” आ सकता है और इसलिए ही आपकी ट्रोलिंग हुई है। आप लखनऊ में दंगा कर सरकार की संपत्ति राख करने वालों का साथ देंगे तो लोग क्या आप पर “गुस्सा” नहीं करेंगे।
“गुस्सा” तो आम जनमानस को उस दिन आया था जो “असहनीय” था जब आपकी कोर्ट के चीफ जस्टिस यूयू ललित समेत 3 जजों की बेंच ने (जिसमें एक महिला भी थी) एक 4 साल की बच्ची के बलात्कारी और हत्यारे की फांसी की सजा 20 वर्ष के कारावास में बदल दी यह कह कर कि “हर पापी का एक भविष्य है”। कोई कल्पना नहीं कर सकता कि लोग इस फैसले पर कितने “गुस्से” में थे वह भी तब, जब फैसला लिख��े वाली महिला जज थी।
“गुस्सा” तो चंद्रचूड़ जी उस दिन भी लोगों को बहुत आया था जब आपकी कोर्ट के 2 जजों ने नूपुर शर्मा की आबरू भरी अदालत में तार तार कर दी थी। क्या मिला उन बेशर्म निर्लज्ज जजों को ऐसा करके जो मजे से कोर्ट जाते हैं लेकिन नूपुर को घर में बिठा दिया मगर भगवान शंकर का अपमान करने वाले मौलाना को दोनों जजों ने छुआ तक नहीं।
अभी कुछ दिन पहले दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस नजमी वजीरी ने रिटायर होने के बाद कहा है कि सोशल मीडिया पर लोगों के बोलने से जजों को कोई फर्क नहीं पड़ता। एक बार अपने साथी जजों से पूछ कर देखिए कि क्या अंदर तक हिल नहीं जाते निंदा सुन कर।
इसलिए यदि जजों के बयानों से राजनीति छलकती दिखाई देगी तो ट्रोलिंग तो होगी और उसे जजों को सहना भी होगा।
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क्या भारत देश का सुप्रीम कोर्ट न्याय में पक्षपात करता हैं ?
दो केस को एनालिसिस किया जाए तब समझ मे आएगा भारत देश का सुप्रीम कोर्ट की मंशा , प्राथमिकता क्या हैं ।
एक केस का नाम- गोधरा कांड में ऊंच अधिकारियों को फसाने वाली औरत तीस्ता शीतलवाड़ और बेल
दूसरा केस का नाम - मनीष कश्यप पर NSA एक्ट के तहत जेल में रखना और बेल
आप देखेंगे तीस्ता शीतलवाड़ को गुजरात हाई कोर्ट ने आदेश दिया जल्द से जल्द सरेंडर करें जिसको लेकर यह फ्रॉड महिला सुप्रीम कोर्ट गयी । ऐसी वक़्त गयी जिस सुप्रीम कोर्ट में जजों का छुट्टी था। चीफ जज छुट्टी को फॉलो करते हुए भरतनाट्यम सांस्कृतिक कार्यक्रम देख रहे थे । किसी का कॉल आता हैं चीफ जज चंद्रचूड़ को और तुरंत 2/3 जजों के बेंच बना के इस पर सुनवाई करते हुए इस फ्रॉड महिला को तुरंत राहत देते हुए बेल दे दिया ।
दूसरे केस में आ देखेंगे मनीष कश्यप जो बार बार सुप्रीम कोर्ट मे अर्जी लगाया बेल पाने के लिए लेकिन यही सुप्रीम कोर्ट बार बार यह कहते हुए मामले को खारिज कर दिया कि पहले पटना हाई कोर्ट और तमिलनाडु में जो हाई कोर्ट हैं उससे सलत के आओ। और मामले में जोर लगा तब सुप्रीम कोर्ट में बैठें जज बोलता हैं मेरे पास समय नहीं हैं वहुत से मामले को देखना हैं। भागो यहाँ से।
किसी केस का डायरी में रजिस्ट्रेशन किसी के लिए 1 सेकंडों में हो जाना और किसी के लिए नहीं। जज के पास मनीष कश्यप के लिए समय नहीं हैं लेकिन फ्रॉड महिला तीस्ता शीतलवाड़ के लिए रात को भी कोर्ट खोल के जमानत दे देता हैं । ऐसा सुविधा सिर्फ फ्रॉड अपर���धियों जो लेफ्टिस्ट विचारधारा का समर्थक है सिर्फ उसके लिए क्यों हैं रइटिस्ट विचारधारा वालो के लिए यही समान सुविधा क्यो नहीं हैं ?
जज न्याय दे रहा या न्याय बेच रहा । जजों के फैसला देख के अंदाजा लगता हैं न्याय बेचा जा रहा । एक विचारधारा वाले को दबाया जा रहा हैं।
गरीबों के लिए ऐसी सुविधा पर सोचना बंद कर दीजिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में बैठे जज गरीबी और अमीरी देख के मामलों को तरजीह देता हैं। इसका परफेक्ट उदाहरण 1- "तीस्ता शीतलवाड़ vs मनीष कश्यप" से देखा जा सकता हैं।
2- सलमान खान vs 4 लोग हिट रन केस
अब आपके पास अगर करोड़ रुपया हैं या लेफ्टिस्ट्स विचारधारा मानने वाले हैं तब आपके मामले की सुनवाई को सेकंडों में तरजीह दिया जाएगा ।
जो संस्था देश मे भेदभाव खत्म करने के लिए बनी थी वे ही चुपचाप भेदभाव करती हैं , बढ़ावा देती हैं लोग सवाल उठाते हैं तब यह संस्था कंटेम्प्ट का डर दिखाती हैं।
भगवान भरोसे न्याय व्यवस्था हैं । आप अपना न्याय खुद लीजिए इनके भरोसे रहिएगा तो आपको न्याय मिलता रह जाएगा 7 जन्म तक।
जय हिंद🇮🇳🙏
#supremecourt #India
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महिला दिवस से आगे का सच: बड़े अफसर हों या जजों की ऊंची कुर्सी, इन पर महिलाएं दिखना मुश्किल; बोर्ड टॉप करने के बावजूद विदेश में पढ़ने का सपना अधूरा
महिला दिवस से आगे का सच: बड़े अफसर हों या जजों की ऊंची कुर्सी, इन पर महिलाएं दिखना मुश्किल; बोर्ड टॉप करने के बावजूद विदेश में पढ़ने का सपना अधूरा
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20 मिनट पहले
45 बरस से हर साल महिला दिवस मना रहे हम, पर नहीं बदला जमीनी सच
टॉप नौकरशाही समेत सभी खास फील्ड में महिलाओं की नाममात्र मौजूदगी
बात 1975 की है। UN यानी यूनाइटेड नेशंस ने इंटरनेशनल विमेंस ईयर मनाते हुए पहली बार इंटरनेशनल विमेंस डे भी…
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केतनजी ब्राउन जैक्सन नेट वर्थ 2022: सैलरी हाउस कारें यूएस सुप्रीम कोर्ट
केतनजी ब्राउन जैक्सन नेट वर्थ 2022: सैलरी हाउस कारें यूएस सुप्रीम कोर्ट
केतनजी ब्राउन जैक्सन की क��ल संपत्ति $23 मिलियन अमेरिकी डॉलर है (नीचे अधिक विशिष्ट विवरण)। केतनजी जैक्सन अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में नामांकित होने वाली पहली अश्वेत महिला बनीं। केतनजी ब्राउन के माता-पिता दोनों ऐतिहासिक रूप से काले कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के स्नातक थे। यूनाइटेड स्टेट्स कोर्ट ऑफ़ अपील्स में एक सर्किट जज के रूप में सेवारत एक न्यायविद के रूप में, केतनजी ब्राउन $ 300,000 यूएस डॉलर का…
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महिला अधिकारों के संघर्ष को नयी ताकत
महिला अधिकारों के संघर्ष को नयी ताकत
पाक सुप्रीम कोर्ट में पहली मर्तबा कोई महिला जज नियुक्त हुई हैं। उनकी नियुक्ति किसी की दया या सिफारिश पर नहीं, अपनी मेहनत और काबिलियत के बूते उन्होंने यह मुकाम पाया है। बुर्के-पर्दे में अपना समूचा जीवन जीने वाली पाकिस्तानी महिलाओं को जस्टिस आयशा मलिक की ताजपोशी ने उम्मीदों का नया संबल दिया है, जिसकी राह वहां की आधी आबादी आजादी से ताक रही थीं। ऐसी उम्मीद की खुशी पहली बार उनके हिस्से आई है।
महिलाओं…
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Bhopal News: यौन उत्पीड़न को लेकर इस्तीफा दे चुकी MP की जज ने लगाई वापसी याचिका
श्रीप्रकाश दीक्षित की खास खबर
Bhopal: यूँ तो सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ़ जस्टिस और अब राज्यसभा सदस्य जस्टिस रंजन गोगोई पर भी यौन उत्पीड़न के आरोप लग चुके है. उन पर अप्रैल 2019 में सुप्रीम कोर्ट की एक महिला कर्मचारी ने यह आरोप लगाया था।
इसके कई साल पहले मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज एस.के.गंगेले के खिलाफ एडीजे स्तर की महिला जज ने यौन उत्पीड़न की शिकायत के बाद सेवा से इस्तीफा दे दिया था. अब सालों बाद उक्त पूर्व जज ने सेवा में वापसी के लिए सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दायर की है जिसका मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने विरोध किया है.
यह वाकया साल-2015 का है जब जस्टिस गं��ेले ग्वालियर पीठ में पदस्थ थे और महिला जज वहीँ एडीजे थीं।
सीधी तबादला होने पर महिला जज ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया था.तब सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने शिकायत की उच्चस्तरीय जांच एक समिति को सौंपी जिसने जस्टिस गंगेले के खिलाफ सबूतों को इस लायक नहीं माना जिससे यौन प्रताड़ना के आरोपों को सही ठहराया जा सके.
इसे शिकायतकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जिसे सुप्रीमकोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि जांच कार्रवाई को पक्षपातपूर्ण नहीं कहा जा सकता.
इसके बाद राज्यसभा के ५८ सदस्यों ने जस्टिस गंगेले के खिलाफ महाभियोग नोटिस सभापति डा.हामिद अंसारी को सौंपा जिस पर दिग्विजयसिंह,शरद यादव ,सीताराम येचूरी और बसपा के सतीश मिश्र के हस्ताक्षर थे.इस पर डॉ अंसारी ने जांच कमेटी गठित की जिसमे सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस आर भानुमती और जस्टिस मंजुला चेल्लुर के अलावा वरिष्ठ वकील वेणुगोपाल को शामिल किया गया था.इस जांच कमेटी ने भी यौन उत्पीड़न शिकायत को सही नहीं माना पर महिला जज के असमय तबादले को गलत माना था।इसके बाद इस मामले का पटाक्षेप हो चुका था लेकिन 7 साल पहले इस्तीफा दे चुकी MP की उसी महिला जज ने अब सुप्रीम कोर्ट में वापसी की याचिका लगाई है।
हालांकि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट इसका विरोध कर रही है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सुप्रीम कोर्ट इस महिला जज को वापस अपने पद पर पदस्थ होने का रास्ता खोलेगी?
https://mediawala.in/bhopal-news-mp-judge-who-resigned-over-sexual-harassment-filed-a-withdrawal-petition/
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Justice Ayesha Malik बनीं पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज
Justice Ayesha Malik बनीं पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज
इस्लामाबाद: लाहौर उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति आयशा मलिक (Justice Ayesha A. Malik) पाकिस्तान सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश होंगी। पाकिस्तान जैसे रूढ़िवादी मुस्लिम देश के न्यायिक इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण क्षण है।
कानून मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने 55 वर्षीया न्यायमूर्ति मलिक की पदोन्नति को मंजूरी दे दी है और उनके पद की शपथ लेते ही उनकी नियुक्ति…
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महिला जज और पुलिस अधिकारी ने नहीं माना सुप्रीम कोर्ट का आदेश, दोनों अवमानना मामले में दोषी करार
Delhi News: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को गुजरात की सूरत की एक जज और एक पुलिस अधिकारी को एक मामले में आरोपी को पूछताछ के लिए पुलिस कस्टडी में भेजे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराया।
आरोपी को पूछताछ के लिए कस्टडी में भेजे जाते समय इस तथ्य की अनदेखी की गई थी कि उसे सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही अग्रिम जमानत दे दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात की उक्त जज पर पुलिस कस्टडी प्रदान करते समय…
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Ayesha Malik will be the first woman judge in Pakistan Supreme Court the commission approved
Ayesha Malik will be the first woman judge in Pakistan Supreme Court the commission approved
लाहौर. पाकिस्तानी न्यायिक आयोग ने लाहौर उच्च न्यायालय की जज आयशा मलिक को पदोन्नत कर पाकिस्तान सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश बनना तय कर दिया है. पाकिस्तानी न्यायपालिका आयोग ने गुरुवार को देश के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में न्यायाधीश आयशा मलिक की नियुक्ति को मंजूरी दे दी. अब जस्टिस आयशा मलिक पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश बनने के लिए तैयार हैं.
हार्वर्ड लॉ…
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गनेडीवाला: पॉक्सो मामला: एससी कॉलेजियम ने जस्टिस गनेडीवाला को उनके 'त्वचा से त्वचा के संपर्क' के फैसले पर स्थायी न्यायाधीश बनाने से इनकार कर दिया | इंडिया न्यूज - टाइम्स ऑफ इंडिया
गनेडीवाला: पॉक्सो मामला: एससी कॉलेजियम ने जस्टिस गनेडीवाला को उनके ‘त्वचा से त्वचा के संपर्क’ के फैसले पर स्थायी न्यायाधीश बनाने से इनकार कर दिया | इंडिया न्यूज – टाइम्स ऑफ इंडिया
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बॉम्बे एचसी जज की महिला तदर्थ न्यायाधीश पुष्पा वी गनेडीवाला को नियुक्त नहीं करने का फैसला किया है, जिन्होंने पिछले साल एक में त्वचा से त्वचा के संपर्क के फैसले सहित अपने बैक-टू-बैक विवादास्पद निर्णयों से हलचल मचा दी थी। पॉक्सो केस, स्थायी जज के रूप में। इसका मतलब है कि न्यायमूर्ति गनेडीवाला फरवरी 2022 के दूसरे सप्ताह में अपने तदर्थ न्यायाधीश के रूप में एक जिला…
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Madras high court news: मद्रास हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी माफी, जज बोले- हम आपके विश्वास को कायम नहीं रख पाए
Madras high court news: मद्रास हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी माफी, जज बोले- हम आपके विश्वास को कायम नहीं रख पाए
हाइलाइट्स
मद्रास हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से बाकायदा माफी मांगी है
एक महिला आरोपी ने एक आईपीएस अफसर पर 3 करोड़ की जबरन वसूली का आरोप लगाया था
इसके खिलाफ अफसर ने रिट दायर की थी, इस पूरे केस की सुनवाई में 6 सालों का लंबा समय लगा
चेन्नैमद्रास हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से बाकायदा माफी मांगी है। दरअसल, आर्थिक अपराध में शामिल एक महिला आरोपी…
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ऐतिहासिक शपथ के बाद आज सुप्रीम कोर्ट में 4 महिला जज
ऐतिहासिक शपथ के बाद आज सुप्रीम कोर्ट में 4 महिला जज
तीन महिलाओं समेत नौ जजों ने आज सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर शपथ ली।
हाइलाइट
यह सर्वोच्च न्यायालय में अब तक की महिला न्यायाधीशों की सबसे अधिक संख्या है
सुप्रीम कोर्ट को जस्टिस नागरत्न में मिलेगी अपनी पहली महिला मुख्य न्यायाधीश
यह पहला मौका था जब सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों ने एक बार में शपथ ली
नई दिल्ली:
जैसा कि नौ नए न्यायाधीशों ने आज सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में शपथ ली, भारत के मुख्य…
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इतिहास में पहली बार एक साथ 9 जजों ने ली शपथ, अब कम होगा पेंडिंग केस का बोझ...
इतिहास में पहली बार एक साथ 9 जजों ने ली शपथ, अब कम होगा पेंडिंग केस का बोझ…
देश के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों ने एक साथ शपथ ली। इन्हें भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एन. वी. रमण ने शपथ दिलाई।
मंगलवार को 9 नए न्यायाधीशों के शपथ ग्रहण करने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट की स्वीकृत संख्या 34 में से CJI सहित 33 हो जाएगी।
इसमें खास बात यह है कि इनमें 3 महिला जज भी शामिल हैं और इन्हीं में से एक न्यायमूर्ति नागरत्न देश की पहली महिला चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया भी बन सकती…
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सुप्रीम कोर्ट को नौ नए जज मिले हैं, अब 34 में से एक ही पद खाली है। सुप्रीम कोर्ट को नौ नए जज मिले हैं, अब 34 में से एक ही पद खाली है।
सुप्रीम कोर्ट को नौ नए जज मिले हैं, अब 34 में से एक ही पद खाली है। सुप्रीम कोर्ट को नौ नए जज मिले हैं, अब 34 में से एक ही पद खाली है।
हिंदी समाचार
राष्ट्रीय
सुप्रीम कोर्ट को मिले नौ नए जज, अब 34 में से एक ही पद खाली
नई दिल्ली40 मिनट पहले
लिंक की प्रतिलिपि करें
जस्टिस नागरथना नए जजों में पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं।
राष्ट्रपति रामनाथ कावंद की मंजूरी से गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में तीन नए जजों समेत नौ नए जजों की नियुक्ति हो गई. तब से, सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के 34 स्वीकृत पदों में से केवल एक ही खाली पड़ा है। केंद्रीय…
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सुप्रीम कोर्ट में 3 महिलाओं समेत नौ जज नियुक्त; जस्टिस नागरत्ना 2027 में पहली महिला CJI हो सकती हैं
सुप्रीम कोर्ट में 3 महिलाओं समेत नौ जज नियुक्त; जस्टिस नागरत्ना 2027 में पहली महिला CJI हो सकती हैं
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को तीन महिलाओं सहित नौ नए न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई, जिसमें न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना के 2027 में भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश होने की संभावना है। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने गुरुवार को नियुक्ति के वारंट पर हस्ताक्षर किए।
केंद्र ने शीर्ष अदालत में नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित सभी नौ नामों को मंजूरी दे दी थी, जिसमें वर्तमान में 34 की…
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