दीपिका ने 10 मर्दों के साथ शादी कर मनाई सुहागरात, फिर दर्ज करवाया रेप केस; हाई कोर्ट ने दिए यह आदेश
दीपिका ने 10 मर्दों के साथ शादी कर मनाई सुहागरात, फिर दर्ज करवाया रेप केस; हाई कोर्ट ने दिए यह आदेश
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Woman Suhagrat with 10 People: सोशल मीडिया पर शादी से जुड़ी कई खबरें वायरल होती है जिन्हे देख या फिर सुनकर किसी के भी होश उड़ जाए। कर्नाटक से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है।
जिसे जानकर हाईकोर्ट के जज के पैरों तले जमीन खिसक गई। दरअसल, एक महिला ने 10 मर्दों से शादी की। उनके साथ संबंध बनाए। अब जाकर उसने सभी पर बलात्कार का आरोप लगाया है।
इस केस की सुनवाई कर रहे कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में पुलिस…
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अगर काम में ही “राजनीति” दिखाई देगी तो जस्टिस चंद्रचूड़ की ट्रोलिंग होगी ही। मणिपुर पर एक बयान में मोदी के लिए एलर्जी की पराकाष्ठा दिखाई दे गई, फिर पब्लिक प्रतिकार तो होगा ही।
अभी 2 दिन पहले एक दैनिक अख़बार के यूट्यूब चैनल पर उसका पत्रकार तड़प तड़प कर चीख रहा था कि CJI चंद्रचूड़ को सोशल मीडिया में ट्रोल किया जा रहा है और बता रहा था कि लोग उनके लिए कैसी कैसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। वो पत्रकार चीख रहा था कि चंद्रचूड़ ने तो जरूरत के अनुसार हमेशा सख्त कदम उठाए हैं और बंगाल में केंद्रीय बलों को भी पंचायत चुनाव में निगरानी के लिए भेजा।
उस पत्रकार को सबसे बड़ी आपत्ति थी कि किसी ने ट्विटर पर कोर्ट के लिए “सुप्रीम कोठा” लिख दिया जबकि उस पत्रकार को यह नहीं पता ऐसा कहने वाले एक नहीं सैंकड़ों है। अजीत भारती खुलेआम सुप्रीम कोर्ट को “कोठा” कहता है परंतु सितंबर, 2021 में उस पर अवमानना कार्रवाई शुरू करने को AG द्वारा अनुमति देने के बाद भी उस पर सुप्रीम कोर्ट अवमानना की कार्रवाई शुरू नहीं कर रहा।
सोशल मीडिया पर आखिर चंद्रचूड़ की ट्रोलिंग क्यों हो रही है, इस पर स्वयं चंद्रचूड़, उनके साथी जजों और विधिक समुदाय को सोचना होगा। केवल मणिपुर के लिए चंद्रचूड़ ने बयान देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधा निशाने पर लिया जिससे उनकी नरेंद्र मोदी के प्रति एलर्जी की पराकाष्ठा साफ़ नज़र आ रही थी क्योंकि अन्य किसी राज्य के लिए चंद्रचूड़ ने कभी स्वतः संज्ञान नहीं लिया चाहे वहां कैसी भी आग लगती रही हो और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हुआ हो।
राजस्थान बंगाल में हमेशा चंद्रचूड़ शांत रहे। मणिपुर पर बयान देने के बाद बंगाल के पंचायत चुनाव में महिला प्रत्याशी के साथ घिनौना काम किया ममता की पार्टी के लोगों ने। लेकिन चंद्रचूड़ को “गुस्सा” केवल मणिपुर के लिए आया।
चंद्रचूड़ की ट्रोलिंग का एक बड़ा कारण उनकी कश्मीरी हिन्दुओं पर हुई बर्बरता पर खामोश रहना था। जो लोग जांच की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट गए, उन्हें चंद्रचूड़ ने विज्ञापन के लिए काम करने वाले बता दिया और जांच की मांग यह कह कर ठुकरा दी कि 25 साल बाद क्या सबूत मिल सकते हैं। 5 लाख हिन्दुओं और उनकी महिलाओं की पीड़ा के लिए चंद्रचूड़ के दिल में कोई दर्द नहीं था।
आपको मणिपुर पर “गुस्सा” आए तो ठीक है लेकिन लोगों को भी तो आप और आपकी हरकतों पर “गुस्सा” आ सकता है और इसलिए ही आपकी ट्रोलिंग हुई है। आप लखनऊ में दंगा कर सरकार की संपत्ति राख करने वालों का साथ देंगे तो लोग क्या आप पर “गुस्सा” नहीं करेंगे।
“गुस्सा” तो आम जनमानस को उस दिन आया था जो “असहनीय” था जब आपकी कोर्ट के चीफ जस्टिस यूयू ललित समेत 3 जजों की बेंच ने (जिसमें एक महिला भी थी) एक 4 साल की बच्ची के बलात्कारी और हत्यारे की फांसी की सजा 20 वर्ष के कारावा�� में बदल दी यह कह कर कि “हर पापी का एक भविष्य है”। कोई कल्पना नहीं कर सकता कि लोग इस फैसले पर कितने “गुस्से” में थे वह भी तब, जब फैसला लिखने वाली महिला जज थी।
“गुस्सा” तो चंद्रचूड़ जी उस दिन भी लोगों को बहुत आया था जब आपकी कोर्ट के 2 जजों ने नूपुर शर्मा की आबरू भरी अदालत में तार तार कर दी थी। क्या मिला उन बेशर्म निर्लज्ज जजों को ऐसा करके जो मजे से कोर्ट जाते हैं लेकिन नूपुर को घर में बिठा दिया मगर भगवान शंकर का अपमान करने वाले मौलाना को दोनों जजों ने छुआ तक नहीं।
अभी कुछ दिन पहले दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस नजमी वजीरी ने रिटायर होने के बाद कहा है कि सोशल मीडिया पर लोगों के बोलने से जजों को कोई फर्क नहीं पड़ता। एक बार अपने साथी जजों से पूछ कर देखिए कि क्या अंदर तक हिल नहीं जाते निंदा सुन कर।
इसलिए यदि जजों के बयानों से राजनीति छलकती दिखाई देगी तो ट्रोलिंग तो होगी और उसे जजों को सहना भी होगा।
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क्या भारत देश का सुप्रीम कोर्ट न्याय में पक्षपात करता हैं ?
दो केस को एनालिसिस किया जाए तब समझ मे आएगा भारत देश का सुप्रीम कोर्ट की मंशा , प्राथमिकता क्या हैं ।
एक केस का नाम- गोधरा कांड में ऊंच अधिकारियों को फसाने वाली औरत तीस्ता शीतलवाड़ और बेल
दूसरा केस का नाम - मनीष कश्यप पर NSA एक्ट के तहत जेल में रखना और बेल
आप देखेंगे तीस्ता शीतलवाड़ को गुजरात हाई कोर्ट ने आदेश दिया जल्द से जल्द सरेंडर करें जिसको लेकर यह फ्रॉड महिला सुप्रीम कोर्ट गयी । ऐसी वक़्त गयी जिस सुप्रीम कोर्ट में जजों का छुट्टी था। चीफ जज छुट्टी को फॉलो करते हुए भरतनाट्यम सांस्कृतिक कार्यक्रम देख रहे थे । किसी का कॉल आता हैं चीफ जज चंद्रचूड़ को और तुरंत 2/3 जजों के बेंच बना के इस पर सुनवाई करते हुए इस फ्रॉड महिला को तुरंत राहत देते हुए बेल दे दिया ।
दूसरे केस में आ देखेंगे मनीष कश्यप जो बार बार सुप्रीम कोर्ट मे अर्जी लगाया बेल पाने के लिए लेकिन यही सुप्रीम कोर्ट बार बार यह कहते हुए मामले को खारिज कर दिया कि पहले पटना हाई कोर्ट और तमिलनाडु में जो हाई कोर्ट हैं उससे सलत के आओ। और मामले में जोर लगा तब सुप्रीम कोर्ट में बैठें जज बोलता हैं मेरे पास समय नहीं हैं वहुत से मामले को देखना हैं। भागो यहाँ से।
किसी केस का डायरी में रजिस्ट्रेशन किसी के लिए 1 सेकंडों में हो जाना और किसी के लिए नहीं। जज के पास मनीष कश्यप के लिए समय ��हीं हैं लेकिन फ्रॉड महिला तीस्ता शीतलवाड़ के लिए रात को भी कोर्ट खोल के जमानत दे देता हैं । ऐसा सुविधा सिर्फ फ्रॉड अपराधियों जो लेफ्टिस्ट विचारधारा का समर्थक है सिर्फ उसके लिए क्यों हैं रइटिस्ट विचारधारा वालो के लिए यही समान सुविधा क्यो नहीं हैं ?
जज न्याय दे रहा या न्याय बेच रहा । जजों के फैसला देख के अंदाजा लगता हैं न्याय बेचा जा रहा । एक विचारधारा वाले को दबाया जा रहा हैं।
गरीबों के लिए ऐसी सुविधा पर सोचना बंद कर दीजिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में बैठे जज गरीबी और अमीरी देख के मामलों को तरजीह देता हैं। इसका परफेक्ट उदाहरण 1- "तीस्ता शीतलवाड़ vs मनीष कश्यप" से देखा जा सकता हैं।
2- सलमान खान vs 4 लोग हिट रन केस
अब आपके पास अगर करोड़ रुपया हैं या लेफ्टिस्ट्स विचारधारा मानने वाले हैं तब आपके मामले की सुनवाई को सेकंडों में तरजीह दिया जाएगा ।
जो संस्था देश मे भेदभाव खत्म करने के लिए बनी थी वे ही चुपचाप भेदभाव करती हैं , बढ़ावा देती हैं लोग सवाल उठाते हैं तब यह संस्था कंटेम्प्ट का डर दिखाती हैं।
भगवान भरोसे न्याय व्यवस्था हैं । आप अपना न्याय खुद लीजिए इनके भरोसे रहिएगा तो आपको न्याय मिलता रह जाएगा 7 जन्म तक।
जय हिंद🇮🇳🙏
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हाई कोर्ट ने जस्टिस को किया बर्खास्त जज का MMS वायरल
हाई कोर्ट ने जस्टिस को किया बर्खास्त जज का MMS वायरल
Delhi High court एमएमएस वीडियो में जज और महिला आपत्तिजनक में पाए गए हैं। इस वीडियो में जल अपने स्तनों के साथ अपने कक्ष में आपत्तिजनक स्थिति में दिखाई दे रहे हैं।
JUDGE MMS एडीशनल सेशन जज राऊज एवेन्यू के ने महिला स्टेनोग्राफर के साथ आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इसके बाद न्यायपालिका सवालों के घेरे में आ गई है।
आम जीवन में न्यायालय को सर्वोच्च समझा जाता है। वहां पर इस तरह का कांड…
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महिला दिवस से आगे का सच: बड़े अफसर हों या जजों की ऊंची कुर्सी, इन पर महिलाएं दिखना मुश्किल; बोर्ड टॉप करने के बावजूद विदेश में पढ़ने का सपना अधूरा
महिला दिवस से आगे का सच: बड़े अफसर हों या जजों की ऊंची कुर्सी, इन पर महिलाएं दिखना म��श्किल; बोर्ड टॉप करने के बावजूद विदेश में पढ़ने का सपना अधूरा
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20 मिनट पहले
45 बरस से हर साल महिला दिवस मना रहे हम, पर नहीं बदला जमीनी सच
टॉप नौकरशाही समेत सभी खास फील्ड में महिलाओं की नाममात्र मौजूदगी
बात 1975 की है। UN यानी यूनाइटेड नेशंस ने इंटरनेशनल विमेंस ईयर मनाते हुए पहली बार इंटरनेशनल विमेंस डे भी…
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Bhopal News: यौन उत्पीड़न को लेकर इस्तीफा दे चुकी MP की जज ने लगाई वापसी याचिका
श्रीप्रकाश दीक्षित की खास खबर
Bhopal: यूँ तो सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ़ जस्टिस और अब राज्यसभा ��दस्य जस्टिस रंजन गोगोई पर भी यौन उत्पीड़न के आरोप लग चुके है. उन पर अप्रैल 2019 में सुप्रीम कोर्ट की एक महिला कर्मचारी ने यह आरोप लगाया था।
इसके कई साल पहले मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज एस.के.गंगेले के खिलाफ एडीजे स्तर की महिला जज ने यौन उत्पीड़न की शिकायत के बाद सेवा से इस्तीफा दे दिया था. अब सालों बाद उक्त पूर्व जज ने सेवा में वापसी के लिए सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दायर की है जिसका मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने विरोध किया है.
यह वाकया साल-2015 का है जब जस्टिस गंगेले ग्वालियर पीठ में पदस्थ थे और महिला जज वहीँ एडीजे थीं।
सीधी तबादला होने पर महिला जज ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया था.तब सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने शिकायत की उच्चस्तरीय जांच एक समिति को सौंपी जिसने जस्टिस गंगेले के खिलाफ सबूतों को इस लायक नहीं माना जिससे यौन प्रताड़ना के आरोपों को सही ठहराया जा सके.
इसे शिकायतकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जिसे सुप्रीमकोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि जांच कार्रवाई को पक्षपातपूर्ण नहीं कहा जा सकता.
इसके बाद राज्यसभा के ५८ सदस्यों ने जस्टिस गंगेले के खिलाफ महाभियोग नोटिस सभापति डा.हामिद अंसारी को सौंपा जिस पर दिग्विजयसिंह,शरद यादव ,सीताराम येचूरी और बसपा के सतीश मिश्र के हस्ताक्षर थे.इस पर डॉ अंसारी ने जांच कमेटी गठित की जिसमे सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस आर भानुमती और जस्टिस मंजुला चेल्लुर के अलावा वरिष्ठ वकील वेणुगोपाल को शामिल किया गया था.इस जांच कमेटी ने भी यौन उत्पीड़न शिकायत को सही नहीं माना पर महिला जज के असमय तबादले को गलत माना था।इसके बाद इस मामले का पटाक्षेप हो चुका था लेकिन 7 साल पहले इस्तीफा दे चुकी MP की उसी महिला जज ने अब सुप्रीम कोर्ट में वापसी की याचिका लगाई है।
हालांकि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट इसका विरोध कर रही है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सुप्रीम कोर्ट इस महिला जज को वापस अपने पद पर पदस्थ होने का रास्ता खोलेगी?
https://mediawala.in/bhopal-news-mp-judge-who-resigned-over-sexual-harassment-filed-a-withdrawal-petition/
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Madras high court news: मद्रास हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी माफी, जज बोले- हम आपके विश्वास को कायम नहीं रख पाए
Madras high court news: मद्रास हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी माफी, जज बोले- हम आपके विश्वास को कायम नहीं रख पाए
हाइलाइट्स
मद्रास हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से बाकायदा माफी मांगी है
एक महिला आरोपी ने एक आईपीएस अफसर पर 3 करोड़ की जबरन वसूली का आरोप लगाया था
इसके खिलाफ अफसर ने रिट दायर की थी, इस पूरे केस की सुनवाई में 6 सालों का लंबा समय लगा
चेन्नैमद्रास हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से बाकायदा माफी मांगी है। दरअसल, आर्थिक अपराध में शामिल एक महिला आरोपी…
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कुमारी रेखा बोराना को पहली बार राजस्थान उच्च न्यायालय में महिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है
कुमारी रेखा बोराना को पहली बार राजस्थान उच्च न्यायालय में महिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है
जोधपुर इस बार राजस्थान हाईकोर्ट में नई तारीख तय की गई है। हाई कोर्ट के 75 साल के इतिहास में पहली बार एडवोकेट कोटे से महिला जज कुमारी रेखा बोराना को नियुक्त किया गया है। उनके साथ राजस्थान को दो और जज मिले हैं। राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति आदेश जारी होने के बाद मुख्य न्यायाधीश अकील कुरैशी ने तीनों न्यायाधीशों को पद की शपथ दिलाई. इसके साथ ही राजस्थान उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की कुल संख्या 30 हो…
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2 साल पहले युवक पर लगाया रेप केस, 18 साल की बलिक होने पर उसी से रचाई मंदिर!
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2 साल पहले युवक पर लगाया रेप केस, 18 साल की बलिक होने पर उसी से रचाई मंदिर!
दोस्तों अधिकतर देखने में आता है प्रेम प्रसंग के मामलों में या तो लड़की के घर वाले राजी नहीं होते या फिर लड़के के घरवाले ऐसा ही एक मामला यूपी के आगरा से सामने आया है जहां लड़का लड़की प्यार तो करते थे पर लड़की का नाम बालिक होना इनके लिए मुसीबत बन गया ऐसे में नाबालिक होने का फायदा लड़की के घरवालों ने उठाया और लड़के को जेल करा दी।
नहीं हुआ बल्कि शुरू हो गया। जानते हैं क्या है यह पूरी घटना यह मामला यूपी आगरा के थाना सासनी गेट जय गंज इलाके का है यहां एक लड़की और एक लड़का आपस में मोहब्बत करने लगे लड़की कोचिंग जाती थी जिसका नाम खुशी था उसे अपने सहपाठी वरुण से मोहब्बत हो गई। दोनों का प्यार सच्चा था लेकिन खुशी की उम्र कच्ची थी उस समय वह नाबालिग थी ऐसे में दोनों घर से भाग गए लेकिन पकड़े जाने पर लड़की के घरवालों ने अपहरण और दुष्कर्म का इल्जाम लगाता।
पुलिस ने दोनों को पकड़ लिया,लड़के तो जेल करा दी, लड़के ने 5 महीने की जेल काटी और उसके बाद उसे हाई कोर्ट से जमानत मिल गई, नाबालिक होने के कारण खुशी कुछ भी ना कर सकी। और लड़के को 5 महीने की सजा सुनाई गई खुशी चुप होकर बैठ गई लेकिन उसने प्यार की इस चिंगारी को बुझने नहीं दिया और 3 साल का लंबा इंतजार करने के बाद अट्ठारह की होते ही उसने लड़के के साथ जाकर मंदिर में शादी कर ली और उस पर लगे केस को भी हटवा दिया।
30 मार्च 2021 को खुशी पाठक की उम्र 18 वर्ष हो गई मतलब कि वह अब बालिक हो गई और वह अपना जीवन साथी खुद चुन सकती हैं, इसके बाद मंगलवार को खुशी ने जज के सामने अपने वकील को खड़ा कर अपने प्यार की पूरी कहानी सबको सुना दी और शादी का स्वतंत्र निर्णय लिया। जज ने खुशी के बयान के बाद वरुन पर चल रहे केस को खारिज कर दिया। उसी ने उनको जय माला पहनाई और अपना जीवन साथी चुन लिया. इन दोनों का प्रेम तो परवान चढ गया लेकिन खुशी सच में खुश नहीं है क्योंकि उसे अपनी जान का खतरा है उसने मुख्यमंत्री एसपी और महिला आयोग को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की है।
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वकील ने शराब पीकर महिला जज को बोले थे गंदे शब्द, हाई कोर्ट ने ठहराया दोषी; पांच महीने जेल में बिताने के कारण नहीं दी सजा
Delhi News: दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में एक वकील को अदालत की आपराधिक अवमानना के लिए दोषी ठहराया। कोर्ट ने पाया कि वह नशे की हालत में अदालत में आया था और जज को धमकी दी थी। जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि नशे की हालत में अदालत के सामने पेश होना पहली नजर में अवमानना है। साथ ही जिस तरह से वकील ने जज को संबोधित किया, वह पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
बार एंड बेंच की…
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तलाक के बाद पति का दूसरी शादी करना क्या घरेलू हिंसा? हाई कोर्ट का यह फैसला जानिए Divya Sandesh
#Divyasandesh
तलाक के बाद पति का दूसरी शादी करना क्या घरेलू हिंसा? हाई कोर्ट का यह फैसला जानिए
नागपुर
बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि शख्स की दूसरी अपनी पहली तलाकशुदा पत्नी पर घरेलू हिंसा का केस नहीं माना जा सकता है। जलगांव निवासी शख्स की याचिका को मंजूर करते हुए जस्टिस मनीष पिटाले ने यह फैसला सुनाया। जज ने कहा कि याचिकाकर्ता की पहली पत्नी अगर अब भी उससे शादीशुदा होती तो केवल उस दशा में ही पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस कर सकती थीं।
फैसला सुनाते हुए जस्टिस मनीष पिटाले ने कहा, ‘सिर्फ इसलिए कि पति दूसरी शादी कर रहा है, यह घरेलू हिंसा महिला सुरक्षा (डीवी) ऐक्ट 2005 के तहत नहीं आ सकता है। जज ने कहा, जो असल तथ्य है वह अपने आप में यह बताने के लिए काफी है कि इस केस में घरेलू हिंसा ऐक्ट के तहत कार्रवाई नहीं हो सकती है। दोनों के बीच तलाक की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।’
पत्नी को मुकदमा जारी करने की इजाजत नहीं
अकोला निवासी पत्नी का अपने ससुराल वालों पर उत्पीड़न का केस दर्ज करने की निंदा करते हुए जस्टिस पिटाले ने कहा कि जिस तरह से घरेलू हिंसा ऐक्ट के तहत कार्यवाही शुरू की गई यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। जस्टिस पिटाले ने कहा,’चूंकि पत्नी की ओर से लगाए गए आरोप घरेलू हिंसा ऐक्ट के तहत उचित नहीं हैं इसलिए उसे अपने पति और सास-ससुर के खिलाफ मुकदमा जारी करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
2014 में फैमिली कोर्ट ने तलाक की मंजूरी दी थी
दंपती की 13 मार्च 2011 को शादी हुई थी लेकिन कुछ समय बाद ही दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया। पति ने पत्नी के खिलाफ क्रूरता के आधार पर तलाक का मुकदमा दायर किया था। 16 सितंबर 2014 को अकोला फैमिली कोर्ट ने केस को मंजूर करते हुए सुनवाई की और वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए महिला की याचिका खारिज कर दी।
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था मामला
पत्नी ने फैमिली कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी लेकिन 10 अगस्त 2015 को वहां से भी खारिज कर दिया गया। इसके बाद 15 फरवरी 2016 को पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई। इस दौरान पति ने दूसरी शादी कर ली। परिणामस्वरूप पत्नी ने घरेलू हिंसा ऐक्ट के तहत पति और सास-ससुर के खिलाफ केस दर्ज किया था।
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हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़के से मारपीट की आरोपी महिला को गिरफ्तारी से पहले जमानत दी
हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़के से मारपीट की आरोपी महिला को गिरफ्तारी से पहले जमानत दी
जज ने कहा कि मां द्वारा रिकॉर्ड पर पेश किए गए कुछ मेडिकल दस्तावेज उनके सिद्धांत का समर्थन नहीं करते हैं
नई दिल्ली:
दिल्ली उच्च न्यायालय ने नाबालिग लड़के का यौन उत्पीड़न करने की आरोपी एक महिला को यह कहते हुए अग्रिम जमानत दे दी है कि वह पहले ही जांच में शामिल हो चुकी है और उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत नहीं है।
नाबालिग की मां की शिकायत पर उसके खिलाफ पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था,…
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न्याय व्यवस्था: देश के सुप्रीम कोर्ट में 8 तो हाई कोर्ट में जजों के 456 पद खाली
न्याय व्यवस्था: देश के सुप्रीम कोर्ट में 8 तो हाई कोर्ट में जजों के 456 पद खाली
नई दिल्ली:HN/अन्य कारणों के अलावा देश के अलग-अलग कोर्टों में सालों से लंबित पड़े मामलों का एक बड़ा कारण न्यायालयों में जजों की कमी है. सरकार द्वारा संसद में दिए गए जवाब के मुताबिक़ देश के सुप्रीम कोर्ट में 1 मार्च 2021 तक 66,727 मामले लंबित थे. वहीं सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल स्वीकृत संख्या 34 है जिसमें से 8 पद अभी खाली हैं. सुप्रीम कोर्ट में फ़िलहाल 25 पुरूष और 1 महिला जज हैं. सभी आंकड़े 20…
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Woman Sends 150 Condoms To Judge: महिला ने जज को भेजे 150 कंडोम, बॉम्बे HC के फैसले का किया विरोध
Woman Sends 150 Condoms To Judge: महिला ने जज को भेजे 150 कंडोम, बॉम्बे HC के फैसले का किया विरोध
अहमदाबाद: गुजरात के अहमदाबाद में रहने वाली एक महिला ने बॉम्बे हाई कोर्ट की जज पुष्पा वीरेंद्र गनेडीवाला को 150 कंडोम (Woman Sends 150 Condoms To Justice) भेजे. बताया जा रहा है कि ये महिला नाबालिग के साथ यौन शोषण के मामले पर जज के फैसले से नाराज है. पिछले महीने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने फैसला दिया था कि नाबालिग को कपड़े के ऊपर से छूने को यौन शोषण नहीं माना जाएगा.
12 अलग-अलग जगहों पर भेजे…
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रामघाट में मां मंदाकिनी ट्रस्ट द्वारा मंदाकिनी महाआरती अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को रही समर्पित
रामघाट में दिवारी नृत्य का हुआ आयोजन महिलाओं को समर्पित रंगोली आकर्षण का केंद्र
चित्रकूट। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर रामघाट में होने वाली मंदाकिनी महाआरती महिलाओं को समर्पित की गई। महिलाओं ने महाआरती की। इस अवसर पर घाटों को दियो से सजाया गया। नवांगतुक चित्रकूट जिला अधिकारी शुभ्रांत शुक्ला एवं इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज महा आरती में सम्मिलित हुए। महा आरती के पश्चात नारी सशक्तिकरण को प्रदर्शित करती…
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Woman Sends 150 Condoms To Justice: महिला ने जज को भेजे 150 कंडोम, बॉम्बे HC के फैसले का किया विरोध
Woman Sends 150 Condoms To Justice: महिला ने जज को भेजे 150 कंडोम, बॉम्बे HC के फैसले का किया विरोध
Woman Sends 150 Condoms To Justice: बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) की नागपुर बेंच ने नाबालिग से यौन शोषण (Sexual Abuse) के मामले में फैसला दिया था. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि किसी नाबालिग के कपड़े उतारे बिना उसको छूना यौन शोषण नहीं माना जा सकता.
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