ईश्वर सब को देखता है और समय-समय पर हमारे कर्मों का निरिक्षण करता है। वह हमारे मन के भावों और चाल-धाल को समझता है, और हमारे प्रत्येक कदम को देखता है। ईश्वर हमें हमेशा सत्य का मार्ग दिखाते हैं और हमें अपने कर्मों के लिए जिम्मेदार बनाते हैं। उनकी उपस्थिति और उनका ध्यान हमें भयभीत करता है,
For more details visit - गीता के श्लोकों को सरल भाषा में समझाने का प्रयास करते हैं। Geeta gyan - Geeta param rahasyam ये श्लोक गीता के महत्वपूर्ण भाग हैं जो मार्गदर्शन के रूप में सेवन किए जा सकते हैं।
लेकिन यह भी हमें उनकी शरण में आने के लिए प्रेरित करता है। हमें ईश्वर के सामने ईमानदार और निष्कपट रहना चाहिए, क्योंकि वह हमारे हर कार्य का निरीक्षण करते हैं और हमें उसी के अनुसार फल प्रदान करते हैं।
कैसे रहें खुश-
परम गुरूजी कहते हैं की आनंद या खुश रहने की अनुभूति इंसान के भीतर ही होती है। लेकिन लोग इसे स्री, घर, और बाहरी सुखों में ढूंढते हैं। इसका मतलब है कि लोग सोचते हैं कि उन्हें खुश रहने के लिए किसी और चीज़ की ज़रूरत है,
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जैसे कि एक स्री, बड़ा घर, या धन। लेकिन वास्तव में, आनंद इंसान के अंदर ही होता है और उसे बाहर की चीज़ों में ढूंढने की आवश्यकता नहीं है
गीता ज्ञान
गीता के अनुसार, जब आप कोई काम कर रहे होते हैं, तो आपको ना तो बीते हुए कल के बारे में सोचना चाहिए और ना ही भविष्य की चिंता करनी चाहिए। जो काम आपके हाथ में अभी है, वही सबसे श्रेष्ठ है।
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इसका मतलब है कि आपको जो काम कर रहे हैं, उसे पूरी मेहनत और लगन से करना चाहिए। आप अपने काम पर ध्यान केंद्रित करें और उसे अच्छी तरह से पूरा करने की कोशिश करें।
मनुष्य कई बार पाप करता है क्योंकि वह अपने अहंकार, लालच, और अज्ञान में उलझा होता है। अहंकार उसे अपने स्वार्थ को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित करता है, जबकि लालच उसे अन्य लोगों की संपत्ति, स्थिति या सत्ता पर आक्रामक बनाता है। अज्ञान उसे सही और गलत के बीच अंतर को समझने से वंचित करता है,
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जिससे वह गलत कर्मों में प्रवृत्त हो जाता है। इन गुणों के प्रभाव से, मनुष्य अधर्मिक और हानिकारक क्रियाओं की ओर खिंचा जाता है, जो उसके और दूसरों के लिए क्षति का कारण बनते हैं। समाज में उचित दिशा में बदलाव लाने के लिए, हमें इन अधार्मिक गुणों को अपने जीवन से निकालने का प्रयास करना चाहिए।
मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन उसका अपना अहंकार और अज्ञान होता है। अहंकार उसे अन्य लोगों के साथ सहयोग करने से रोकता है और उसकी सोच को अपने स्वार्थ में बाधित करता है। अज्ञान उसे समझने और सहयोग करने की शक्ति से वंचित रखता है, जिससे वह दूसरों के साथ सहयोग करने के अवसरों को खो देता है।
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इन दोनों के अत्यधिक प्रयोग से, मनुष्य खुद को अलग और दूर महसूस करता है, जिससे समाज में दूरी और विभाजन का संदेश मिलता है। इसलिए, समाज के लिए और अपने स्वयं के लिए, हमें अपने अहंकार और अज्ञान को पराजित करने का प्रयास करना चाहिए।
पाप करने से बचने के लिए अन्य महत्वपूर्ण उपाय भी हैं। उदाहरण के लिए, अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करना, स्वार्थ को दूर करके निस्स्वार्थता की दिशा में चलना, और कर्मफल से आसक्ति को छोड़ना भी जरूरी है।
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इन उपायों के माध्यम से हम अपने मन को पाप से दूर रख सकते हैं और एक उच्च आदर्शों वाले जीवन की ओर अ���्रसर हो सकते हैं।
सफल जीवन का मंत्र स्पष्ट लक्ष्य निर्धारण, कड़ी मेहनत, आत्मविश्वास, अनुशासन, लचीलापन, सीखने की इच्छा, संतुलन और सकारात्मक दृष्टिकोण रखना है।
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इन गुणों को अपनाकर व्यक्ति अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है और खुशहाल रह सकता है।
यह एक शुभकामना है जिसका उद्देश्य किसी के वैवाहिक जीवन के लिए आशीर्वाद और कामना व्यक्त करना है। एक सफल और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए कुछ महत्वपूर्ण तत्व हैं जैसे कि पारस्परिक सम्मान, प्यार, विश्वास, समझदारी, और एक-दूसरे के लिए समय निकालना।
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इस शुभकामना में यह इच्छा व्यक्त की जाती है कि दंपति का रिश्ता प्रेम, विश्वास और आपसी समझ से भरा रहे। साथ ही, वे एक-दूसरे के साथ बेहतरीन दोस्त बने रहें और हर परिस्थिति में एक-दूसरे का साथ दें। यह शुभकामना नवविवाहित जोड़ों के लिए भी उपयुक्त है ताकि उनका वैवाहिक जीवन खुशियों से भरा रहे।
यह एक हिंदी कहावत है जिसका अर्थ है कि हमें बहुत सावधान रहना चाहिए और छोटी-छोटी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। 'दो बातों की गिनती' का मतलब है अनावश्यक और बेकार बातों पर ध्यान केंद्रित करना।
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कभी-कभी हम छोटी-छोटी बातों या अफवाहों पर ध्यान देकर अपना समय और ऊर्जा बर्बाद कर देते हैं। इसके बजाय, हमें महत्वपूर्ण और उपयोगी कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह कहावत हमें याद दिलाती है कि हमें अप्रासंगिक चीजों से बचना चाहिए और महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
यह एक महत्वपूर्ण संदेश है जो हमें अपनी किस्मत या भाग्य पर निर्भर न रहने और अपनी जिम्मेदारी लेने के लिए प्रेरित करता है। अक्सर लोग अपनी असफलताओं या कठिनाइयों के लिए किस्मत को दोष देते हैं और सुस्त हो जाते हैं। लेकिन यह उन्हें आगे बढ़ने से रोकता है।
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हमें समझना चाहिए कि हम अपने भविष्य के नियंता हैं और केवल हमारी मेहनत और प्रयास ही हमारी सफलता तय करेंगे। किस्मत के भरोसे बैठने से कुछ नहीं होगा। हमें लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए, योजना बनानी चाहिए और कड़ी मेहनत करनी चाहिए।
यह एक गहरा विचार है जो हर व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण है। एक उद्देश्य को प्राप्त करना और उसे साकार करना अभियान के रूप में होता है, जो व्यक्ति को जीवन में संदेश और ध्येय के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
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उद्देश्य की प्राप्ति आत्म-संवाद, उद्धरणों का अध्ययन, और संघर्ष के माध्यम से संभव होती है। इसके लिए, संघर्ष, समर्थकों का साथ, और संघर्ष की सजगता जरूरी होती है। उद्देश्य की प्राप्ति व्यक्ति को निरंतर उत्साहित और मोटिवेट करती है, और उसे संपूर्णता की ओर आगे बढ़ने में मदद करती है।
"संतान से ज्यादा मोह रखना गलत" - यह एक महत्वपूर्ण और गहरा विचार है जो परिवार और संबंधों के महत्व को परिभाषित करता है। संतान को प्यार करना और उनकी देखभाल करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, लेकिन उनके प्रति अत्यधिक मोह या आसक्ति का होना गलत है। यह आसक्ति और अत्यधिक मोह व्य��्ति को उनके स्वयं के साथीकारी और विकास की राह में बाधा डाल सकता है।
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संतान के प्रति प्रेम और समर्पण के साथ-साथ, व्यक्ति को अपने स्वयं के लिए भी समय और ध्यान देने की आवश्यकता होती है। संतान से अधिक मोह रखने के कारण, व्यक्ति अपने व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में संतुष्टि नहीं प्राप्त कर सकता है, जो उसके और परिवार के लिए हानिकारक हो सकता है।
इसलिए, संतान से ज्यादा मोह रखना गलत है, और सही संतान के प्रति प्रेम को संतुष्ट और संतुलित रूप से बनाए रखने का प्रयास किया जाना चाहिए।
यह एक विचारशील विषय है जो हमें यह स्मृति दिलाता है कि अगर हमारे पास किसी चीज़ का पूरा ज्ञान नहीं है, तो वह हमारे लिए कितना खतरनाक हो सकता है। अधूरा ज्ञान एक जाल बना सकता है जो हमें गलत निर्णय लेने के लिए मजबूर कर सकता है। यह हमें असमर्थ बना सकता है और
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हमें आपसी संबंधों और समाज में बाधा डाल सकता है। सही ज्ञान के अभाव में, हम अपने और अन्यों के लिए खतरनाक स्थितियों में पड़ सकते हैं। इसलिए, सत्यापित और समर्पित ज्ञान का प्राप्त करना हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
युद्ध एक आखिरी विकल्प | Geeta gyan | Geeta param rahasyam
यह एक विचारशील विषय है जो हमें युद्ध के प्रभाव और परिणामों पर विचार करने पर मजबूर करता है। युद्ध हमेशा एक आखिरी विकल्प नहीं होना चाहिए, क्योंकि इसके दुष्परिणाम विशाल और अनपेक्षित होते हैं। युद्ध समस्याओं का हल नहीं है, बल्कि उन्हें बढ़ावा देता है और संघर्ष को बढ़ावा देता है।
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हमें समस्याओं को व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर समाधान करने के लिए उपयुक्त उपायों का खोजना चाहिए, जैसे कि वार्ता, समझौता, और शांति प्रक्रिया। युद्ध अंतिम विकल्प के रूप में होने की बजाय, हमें सभी मानवता के लिए एक शांतिपूर्ण और समृद्ध समाज की ओर प्रयास करना चाहिए।
एक विचारशील विषय है जो हमें यह स्मृति दिलाता है कि अगर हमें किसी चीज़ का सही ज्ञान नहीं है, तो वह हमारे लिए कितना खतरनाक हो सकता है। अधूरा ज्ञान एक जाल बना सकता है जो हमें व्यक्तिगत, सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर परेशानी में डाल सकता है।