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#जीवनशैली
geetaparamrahasyam · 24 days
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संतान से ज्यादा मोह रखना गलत
"संतान से ज्यादा मोह रखना गलत" - यह एक महत्वपूर्ण और गहरा विचार है जो परिवार और संबंधों के महत्व को परिभाषित करता है। संतान को प्यार करना और उनकी देखभाल करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, लेकिन उनके प्रति अत्यधिक मोह या आसक्ति का होना गलत है। यह आसक्ति और अत्यधिक मोह व्यक्ति को उनके स्वयं के साथीकारी और विकास की राह में बाधा डाल सकता है।
For more details visit - गीता के श्लोकों को सरल भाषा में समझाने का प्रयास करते हैं। Geeta gyan - Geeta param rahasyam ये श्लोक गीता के महत्वपूर्ण भाग हैं जो मार्गदर्शन के रूप में सेवन किए जा सकते हैं।
संतान के प्रति प्रेम और समर्पण के साथ-साथ, व्यक्ति को अपने स्वयं के लिए भी समय और ध्यान देने की आवश्यकता होती है। संतान से अधिक मोह रखने के कारण, व्यक्ति अपने व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में संतुष्टि नहीं प्राप्त कर सकता है, जो उसके और परिवार के लिए हानिकारक हो सकता है।
इसलिए, संतान से ज्यादा मोह रखना गलत है, और सही संतान के प्रति प्रेम को संतुष्ट और संतुलित रूप से बनाए रखने का प्रयास किया जाना चाहिए।
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rika-news · 11 months
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बदलत्या ऋतूमध्ये अशा प्रकारे घ्या स्वतःची काळजी
Health Tips For Rainy Weather : “आला पावसाळा, आरोग्य सांभाळा”. पावसाळा जेवढा अल्हाददायक वाटतो तितकाच विविध गंभीर आजारांना आमंत्रण देणाराही आहे. पावसाळ्यात अनेक आजार बळावतात. आजकाल हवामान खूप बदलत आहे. कधी ऊन, कधी पाऊस. अशा परिस्थितीत अनेक आजार आपले बळी ठरतात. म्हणूनच बदलत्या ऋतूत आपण थोडे सावध राहणे आवश्यक आहे जेणेकरून रोगाचा धोका नाही. आजकाल अनेक आजार लोकांना आपला बळी बनवत आहेत. या हंगामात…
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ombika2020 · 1 year
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एक ठंडी रात में, एक अरबपति बाहर एक बूढ़े गरीब आदमी से मिला। उसने उससे पूछा, "क्या तुम्हें बाहर ठंड महसूस नहीं हो रही है, और तुमने कोई कोट भी नहीं पहना है?" बूढ़े ने जवाब दिया, "मेरे पास कोट नहीं है लेकिन मुझे इसकी आदत है।" अरबपति ने जवाब दिया, "मेरे लिए रुको। मैं अभी अपने घर में प्रवेश करूंगा और तुम्हारे लिए एक कोट ले लाऊंगा।" वह बेचारा बहुत खुश हुआ और कहा कि वह उसका इंतजार करेगा। अरबपति अपने घर में घुस गया और वहां व्यस्त हो गया और गरीब आदमी को भूल गया। सुबह उसे उस गरीब बूढ़े व्यक्ति की याद आई और वह उसे खोजने निकला लेकिन ठंड के कारण उसे मृत पाया, लेकिन उसने एक चिट्ठी छोड़ी थी, जिसमे लिखा था कि, "जब मेरे पास कोई गर्म कपड़े नहीं थे, तो मेरे पास ठंड से लड़ने की मानसिक शक्ति थी। लेकिन जब आपने मुझे मेरी मदद करने का वादा किया, तो मैं आपके वादे से जुड़ गया और इसने मेरी मानसिक शक्ति को खत्म कर दिया। " अगर आप अपना वादा नहीं निभा सकते तो कुछ भी वादा न करें। यह आप के लिये जरूरी नहीं भी हो सकता है, लेकिन यह किसी और के लिए सब कुछ हो सकता है। 🙏🙏 जीवन की अहम एवं जानने योग्य बातें ✔️✔️ #जीवन #जीवनसंवाद #जीवनपरिचय❤️✨ #जीवनकीसच्चीबातें #जीवन_में_खुद_को_बदलो #जीवन_की_प्रेरणा #जीवन☝️ #जीवन_का_हर_एक_मजंर_देखा_है #जीवन_के_सफर_में_बहुत_से_लोग_मिलेगें #जीवन_का_सत्य #जीवनशैली (at भारतवर्ष-हिन्दुस्तान-India) https://www.instagram.com/p/CnJYd5wB1V4/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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trendswire · 2 years
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दीपिका पादुकोण के मन में आत्महत्या के विचार, अवसाद और मानसिक बीमारी थी।
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दीपिका पादुकोण एनजीओ लव लाफ फाउंडेशन: पिछले कुछ वर्षों में, मानसिक रोगियों की संख्या पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रही है। जब कोई व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार होता है, तो लोग और समाज उस व्यक्ति को नीची नजर से देखते हैं, जिससे प्रभावित व्यक्ति और भी अधिक भयभीत हो जाता है। मानसिक रूप से बीमार होना कोई शर्म की बात नहीं है लेकिन फिर भी समाज में बहुत कम लोग हैं जो मानते हैं कि हम मानसिक रूप से बीमार हैं। अभिनेत्री दीपिका पादुकोण बॉलीवुड की एक ऐसी अभिनेत्री हैं जिन्होंने सभी के सामने स्वीकार किया है कि हां वह मानसिक रूप से बीमार हैं। हालांकि अब दीपिका इस सिचुएशन से बाहर आ गई हैं और खुशहाल जिंदगी जी रही हैं। दीपिका मानसिक स्वास्थ्य पर काम कर रही हैं। एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण ने वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे के मौके पर एक एनजीओ शुरू किया है। इस NGO का नाम 'Live Love Laugh' है. दीपिका ने कहा, 'मैंने इस फाउंडेशन को शुरू करने की मुख्य वजह डिप्रेशन ही है और इसके जरिए मैं लोगों को जागरूक कर रही हूं। डिप्रेशन में दीपिका सुसाइड करने की सोचती थीं। इस बीच दीपिका ने अपनी मेंटल हेल्थ को लेकर कई बड़े खुलासे भी किए। दीपिका ने कहा कि जब मैं डिप्रेशन से जूझ रही थी तो मेरे दिमाग में कई बार सुसाइड के ख्याल आते थे। दीपिका ने कहा कि आपकी मानसिक बीमारी पर काबू पाने में आपका परिवार बहुत मदद करता है। जब मैं इस स्थिति से गुजर रही थी तो मेरी मां ने दर्द को समझा और इस स्थिति से निकलने में मेरी मदद की। दीपिका ने कहा कि मैं बिना वजह ब्रेकअप कर लेती थी। मेरे जीवन के वो दिन थे जब मैं जागना नहीं चाहता था, मैं बस सोना चाहता था। नींद ही एकमात्र ऐसी चीज थी जिसने मुझे शांत रखा। जब मेरे माता-पिता मुझसे मिलने आए, तो मैंने सामान्य व्यवहार करने की कोशिश की। परिवार ने मुझे डिप्रेशन से बाहर निकालने में मदद की। लेकिन एक दिन मैं इतना टूट गया कि मैं रोने लगा और फिर मेरे माता-पिता को लगा कि मैं उदास हूं। आज मैं अपने परिवार की वजह से ही इस स्थिति से बाहर निकल पा रहा हूं। मैं ऐसे लोगों का दर्द समझता हूं। मैं इन लोगों से बात करना चाहता हूं। उनके दर्द को साझा करना चाहते हैं और इस कठिन दौर में उनकी मदद करना चाहते हैं। आपको बता दें कि दीपिका पादुकोण अपने करियर के शुरूआती दौर में डिप्रेशन का शिकार हो गई थीं। दीपिका अपनी मेंटल हेल्थ को लेकर काफी चिंतित हैं। हालांकि, परिवार और दोस्तों की मदद से दीपिका इस स्थिति से बाहर निकल आई हैं और अब एक नई जिंदगी जी रही हैं। यह भी पढ़ें: गठिया के मिथक: गठिया के बारे में ये मिथक जानकर आप हैरान रह जाएंगे, जानिए क्या है इसके पीछे की सच्चाई? यह भी पढ़ें: साइलेंट किलर है यह कैंसर, लक्षण नजर आते ही जांच कराएं। नीचे स्वास्थ्य उपकरण देखें- अपने बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) की गणना करें।आयु कैलकुलेटर का उपयोग करके आयु की गणना करें। Source link Read the full article
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bharatlivenewsmedia · 2 years
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काळजी घेऊन आणि झेपेल एवढाच व्यायाम करा ! तणावाची जीवनशैली टाळून शरीर व मन आनंदी प्रसन्न राहिल याकडे लक्ष द्या
काळजी घेऊन आणि झेपेल एवढाच व्यायाम करा ! तणावाची जीवनशैली टाळून शरीर व मन आनंदी प्रसन्न राहिल याकडे लक्ष द्या
काळजी घेऊन आणि झेपेल एवढाच व्यायाम करा ! तणावाची जीवनशैली टाळून शरीर व मन आनंदी प्रसन्न राहिल याकडे लक्ष द्या   नवी दिल्ली – केवळ जिममध्ये सकाळ-संध्याकाळ घाम गाळून आणि पौष्टीक आहार खाऊन तंदुरुस्त आणि निरोगी राहात येत नाही तर त्यासाठी जीवनशैलीचा आणि दैनंदिनीचाही विचार करावा लागतो, असे मत दिल्लीतील इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटलमधील प्रमुख हृदयरोगतज्ज्ञ डॉ. के. के. पांडे यांनी सांगितले आहे. गेल्या…
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vlogrush · 27 days
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बच्चों में मायोपिया रोकने के उपाय: स्क्रीन समय को नियंत्रित करने पर जोर दें पैरेंट्स
बच्चों में मायोपिया बढ़ रही है। अधिक स्क्रीन टाइम इसका एक प्रमुख कारण है। इस लेख में उपाय बताए गए हैं कि घरेलू स्तर पर बच्चों के स्क्रीन समय को कैसे नियंत्रित किया जाए।आजकल बच्चों में मायोपिया या आंखों की नजदीकी दृष्टि की समस्या तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों के अनुसार अधिक स्मार्टफोन, टैबलेट, टीवी और कंप्यूटर का इस्तेमाल इसका एक प्रमुख कारण है। बच्चों की आंखें अभी विकसित हो रही होती हैं और लंबे…
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70367593 · 3 months
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vedikrootsayurveda · 8 months
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क्या आपको पेट में गैस की समस्या है? चिंता न करें! यहां जानिए 10 सरल तरीके जो आपको गैस से राहत दिला सकते हैं। अपने पेट को स्वस्थ रखने के लिए ये उपाय आजमाएं।
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samaya-samachar · 2 years
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जुत्ता चप्पल सिलाएरै फेरिएको जयबहादुरको जीवनशैली
जुत्ता चप्पल सिलाउने मात्रै नभई मजदुरी होस् या जुनसुकै पनि सानो काम गर्ने गरिब, विपन्न वर्गलाई समाजले राम्रो दर्जामा राख्न सक्दैन ।
जुत्ता चप्पल सिलाउने व्यवसायलाई सम्मानजनक नजरले नहेर्ने गलत प्रवृत्ति हाम्रो समाजमा छ । जुत्ता चप्पल सिलाउने मात्रै नभई मजदुरी होस् या जुनसुकै पनि सानो काम गर्ने गरिब, विपन्न वर्गलाई समाजले राम्रो दर्जामा राख्न सक्दैन । कतिपयले समाजमा इज्जत नहुने, डर र लाजका कारण झट्ट काम गर्न मन पराउँदैनन् । जयबहादुर नेपालीलाई भने जुत्ता चप्पल व्यवसायले दाममात्रै नभई समाजमा राम्रो चिनिने अवसर मिलेको छ । उहाँले…
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itstacharya · 2 years
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जुत्ता चप्पल सिलाएरै फेरिएको जयबहादुरको जीवनशैली
जुत्ता चप्पल सिलाउने मात्रै नभई मजदुरी होस् या जुनसुकै पनि सानो काम गर्ने गरिब, विपन्न वर्गलाई समाजले राम्रो दर्जामा राख्न सक्दैन ।
जुत्ता चप्पल सिलाउने व्यवसायलाई सम्मानजनक नजरले नहेर्ने गलत प्रवृत्ति हाम्रो समाजमा छ । जुत्ता चप्पल सिलाउने मात्रै नभई मजदुरी होस् या जुनसुकै पनि सानो काम गर्ने गरिब, विपन्न वर्गलाई समाजले राम्रो दर्जामा राख्न सक्दैन । कतिपयले समाजमा इज्जत नहुने, डर र लाजका कारण झट्ट काम गर्न मन पराउँदैनन् । जयबहादुर नेपालीलाई भने जुत्ता चप्पल व्यवसायले दाममात्रै नभई समाजमा राम्रो चिनिने अवसर मिलेको छ । उहाँले…
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mwsnewshindi · 2 years
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स्वस्थ दिल के लिए टिप्स: खाएं ये 10 खाद्य पदार्थ, रिफाइंड चीनी, नमक से बचें - पूरी सूची देखें
स्वस्थ दिल के लिए टिप्स: खाएं ये 10 खाद्य पदार्थ, रिफाइंड चीनी, नमक से बचें – पूरी सूची देखें
नई दिल्ली: हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने के कई लाभों में लंबी उम्र जीने की क्षमता, अवसाद के लक्षणों से राहत और मनोभ्रंश की संभावना को कम करना शामिल है। एक कहावत के अनुसार, “स्वस्थ हृदय से धड़कन चलती है।” एक स्वस्थ हृदय का मार्ग ल्यूक कॉटिन्हो, समग्र पोषण और जीवन शैली – एकीकृत और जीवन शैली चिकित्सा, यू केयर के संस्थापक द्वारा तोड़ा गया है। दिल को स्वस्थ रखने के टिप्स भावनात्मक स्वास्थ्य: आज…
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loksutra · 2 years
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आम्रपाली दुबेने स्वत:च्या मेहनतीने खरेदी केली एक चकचकीत आलिशान कार, किंमत पाहून होश उडेल
आम्रपाली दुबेने स्वत:च्या मेहनतीने खरेदी केली एक चकचकीत आलिशान कार, किंमत पाहून होश उडेल
भोजपुरी अभिनेत्री आम्रपाली दुबेने खरेदी केली नवीन लक्झरी कार-किंमत पहा-भोजपुरी बातम्या ,
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dks91 · 2 years
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Today Healthtips ! Today Lifestyles ! Today news ! Health foods ! Healthy diet ! Health news !healthcare ! In Hindi.
Today Healthtips ! Today Lifestyles ! Today news ! Health foods ! Healthy diet ! Health news !healthcare ! In Hindi.
आदतें जो आपकी किडनी को नुकसान पहुंचाती हैं: आपके गुर्दे आपके शरीर के संपूर्ण स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे शरीर से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को निकालने में मदद करते हैं। वे शरीर में पानी, लवण और खनिजों के स्वस्थ संतुलन को बनाए रखने के लिए एसिड को भी हटाते हैं। किडनी के स्वास्थ्य को बनाए रखना बहुत जरूरी है, जो स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अचेतन आदतें किडनी को…
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essentiallyoutsider · 2 months
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चाहिए थोड़ा दुख
खबरें देखता रहता हूं दिन भर और
कुछ नहीं लिखता मैं
देखता हूं रील, तस्‍वीर और वीडियो
दूसरों का नाच गाना सोना नहाना
सब कुछ पर बेमन
सीने में जाने किसका है वजन
जो काटे नहीं कटता वक्‍त की तरह
गोकि मैं हूं बहुत बहुत व्‍यस्‍त और
ऐसा सिर्फ दिखाने के लिए नहीं है चूंकि
मैं फोन नहीं उठाता किसी का
मैं वाकई व्‍यस्‍त हूं, और जाने
किन खयालों में मस्‍त हूं कि अब
कुछ भी छू कर नहीं जाता
निकल लेता है ऊपर से या नीचे से
या दाएं से और बाएं से
सर्र से पर मेरी रूह को तो छोड़ दें
त्‍वचा तक को कष्‍ट नहीं होता।
ये जो वजन है
यही दुख का सहन है
वैसे कारण कम नहीं हैं दुखी होने के
दूसरी सहस्राब्दि के तीसरे दशक में, लेकिन
दुख की कमी अखरती है रोज-ब-रोज
जबकि समृद्धि इतनी भी नहीं आई
कि खा पी लें दो चार पुश्‍तें
या फिर कम से कम जी जाएं विशुद्ध
हरामखोर बन के ही बेटा बेटी
या अकेले मैं ही।
मैंने सिकोड़ लिया खुद को बेहद
तितली से लार्वा बनने के बाद भी
फोन आ जाते हैं दिन में दो चार
और सभी उड़ते हुए से करते हैं बात
चुनाव आ गया बॉस, क्‍या प्‍लान है
मेरा मन तो कतई म्‍लान है यह कह देना
हास्‍यास्‍पद बन जाने की हद तक
संन्‍यस्‍त हो जाने की उलाहना को आमंत्रित करता
बेकल आदमी का एकल गान है।
एक कल्‍पना है
जिसका ठोस प्रारूप कागज पर उतारना
इतना कठिन है कि महीनों हो गए
और इतना आसान, कि लगता है
एक रोज बैठूंगा और लिख दूंगा
रोज आता है वह एक रोज
और बीत जाता है रोज
अब उसकी भी तीव्रता चुक रही है
तारीख करीब आ रही है और धौंकनी
धुक धुक रही है
कि क्‍या 4 जून के बाद भी करते रहना होगा
वही सब चूतियापा
जिसके सहारे काट दिए दस साल
अत्‍यंत सुरक्षित, सुविधाजनक
बिना खोए एक क्षण भी आपा
बदले में उपजा लिए कुछ रोग जिन्‍हें
डॉक्‍टर साहब जीवनशैली जनित कहते हैं
जबकि इस बीच न जीवन ही खास रहा
न कोई शैली, सिवाय खुद को
बचाने की एक अदद थैली
आदमी से बन गए कंगारू
स्‍वस्‍थ से हो गए बीमारू
कीड़े पनपते रहे भीतर ही भीतर
बाहर चिल्‍लाते रहे फासीवाद और
भरता रहा मन में दुचित्‍तेपन का
गंदा पीला मवाद।
यार, ऐसे तो नहीं जीना था
सिवाय इस राहत के कि
जीने की भौतिक परिस्थितियां ही
गढ़ती हैं मनुष्‍य को
यह दलील चाहे जितना डिस्‍काउंट दे दे
लेकिन मन तो जानता है (न) कि
दुनिया के सामने आदमी कितनी फानता है
और घर के भीतर चादर कितनी तानता है।
अगर ये सरकार बदल भी जाए तो क्‍या होगा मेरा
यही सोच सोच कर हलकान हुआ जाता हूं
जबकि सभी दोस्‍त ठीक उलटा सोच रहे हैं
जरूरी नहीं कि दोस्‍त एक जैसा सोचें
बिलकुल इसी लोकतांत्रिक आस्‍था ने दोस्‍त
कम कर दिए हैं और जो बच रहे हैं
वे फोन करते हैं और मानकर चलते हैं
मैं उनके जैसी बात कहूंगा हुंकारी भरूंगा
मैं तो अब किसी को फोन नहीं करता
न बाहर जाता हूं मिलने
बहुत जिच की किसी ने तो घर
बुला लेता हूं और जानता हूं कि
दस में से दो आ जाएं तो बहुत
इस तरह कटता है मेरा क्‍लेश और
बच जाता है वक्‍त
चूंकि मैं हूं बहुत बहुत व्‍यस्‍त
बचे हुए वक्‍त में मैं कुछ नहीं करता
यह जानते हुए भी लगातार लोगों से बचता
फिरता हूं क्‍योंकि वे जब मिलते हैं तो
ऐसा लगता है कि बेहतर होता कुछ न करते
घर पर ही रहते और ऐसा
तकरीबन हर बार होता है
हर दिन बस यही संतोष
मुझे बचा ले जाता है
कि मेरा खाली समय कोई बददिमाग
पॉलिटिकली करेक्‍ट
बुनियादी रूप से मूर्ख और अतिमहत्‍वाकांक्षी
लेकिन अनिवार्यत: मुझे जानने वाला मनुष्‍य
नहीं खाता है।
लोगों को ना करते दुख होता है
ना नहीं करने के अपने दुख हैं
आखिर कितनों की इच्‍छाओं, महत्‍वाकांक्षाओं
और मूर्खतापूर्ण लिप्‍साओं की आत्‍यंन्तिक रूप से
मौद्रिक परियोजनाओं में
आदमी कंसल्‍टेंट बन सकता है एक साथ?
आपके बगैर तो ये नहीं होगा
आपका होना तो जरूरी है
रोज दो चार लोग ऐसी बातें कह के मुझे
फुलाते रहते हैं और घंटे भर की ऊर्जा
उनके निजी स्‍वार्थों की भेंट चढ़ जाती है
इतने में दस आदमी कांग्रेस से भाजपा में और
चार आदमी भाजपा से कांग्रेस में चले जाते हैं
हेडलाइन बदल जाती है
किसी के यहां छापा पड़ जाता है
तो किसी को जेल हो जाती है
फिर अचानक कोई ऐसा नाम ट्रेंड करने लगता है
जिसे जानने में बची हुई ऊर्जा खप जाती है।
मुझे वाकई ये बातें जानने का शौक नहीं
ज्‍यादा जरूरी यह सोचना है कि अगले टाइम
क्‍या छौंकना है लौकी, करेला या भिंडी
और किस विधि से उन्‍‍हें बनना है
यह और भी अहम है पर संतों के कहे
ये दुनिया एक वहम है और मैं
इस वहम का अनिवार्य नागरिक हूं
और औसत लोगों से दस ग्राम ज्‍यादा
जागरिक हूं और यह विशिष्‍टता 2014 के बाद
अर्जित की हुई नहीं है क्‍योंकि उससे पहले भी
मैं जग रहा था जब सौ करोड़ हिंदू
सो रहा था इस देश का जो आज मुझसे
कहीं ज्‍यादा जाग चुका है और
मेरे जैसा आदमी बाजार से भाग चुका है
भागा हुआ आदमी घर में दुबक कर
खबरें ही देख सकता है और गाहे-बगाहे सजने वाली
महफिलों में अपने प्रासंगिक होने के सुबूत
उछाल के ���ेंक सकता है।
दरअसल मैं इसी की तैयारी करता हूं
इसीलिए खबरें देखता रहता हूं
पर लिखता कुछ नहीं
बस देखता हूं दूसरों का नाच गाना
सोना नहाना सब कुछ
नियमित लेकिन बेमन।
कब आ जाए परीक्षा की घड़ी
खींच लिया जाए सरेबाजार और
पूछ दिया जाए बताओ क्‍या है खबर
और कह सकूं बेधड़क मैं कि सरकार बहादुर
गरीबों में बांटने वाले हैं ईडी के पास आया धन।
छुपा ले जाऊं वो बात जो पता है
सारे जमाने को लेकिन कहने की है मनाही
कि एक स्‍वतंत्र देश का लोकतांत्रिक ढंग से
चुना गया प्रधानमंत्री कर रहा था सात साल से
धनकुबेरों से हजारों करोड़ रुपये की उगाही
खुलवाकर कुछ लाख गरीबों का खाता जनधन।
सच बोलने और प्रिय बोलने के द्वंद्व का समाधान
मैंने इस तरह किया है
बीते बरसों में जमकर झूठ को जिया है
स्‍वांग किया है, अभिनय किया है
जहां गाली देनी थी वहां जय-जय किया है
और सीने पर रख लिया है एक पत्‍थर
विशालकाय
अकेले बैठा पीटता रहता हूं छाती हाय हाय
कि कुछ तो दुख मने, एकाध कविता बने
लगे हाथ कम से कम भ्रम ही हो कि वही हैं हम
जो हुआ करते थे पहले और अकसर सोचा करते थे
किसके बाप में है दम जो साला हमको बदले।
ये तैंतालीस की उम्र का लफड़ा है या जमाने की हवा
छूछी देह ही बरामद हुई हर बार जब-जब
खुद को छुवा
हर सुबह चेहरे पर उग आती है फुंसी गोया
दुख का निशान देह पर उभर आता हो
मिटाने में जिसे आधा दिन गुजर जाता हो
दुख हो या न हो, दिखना नहीं चाहिए
ऐसी मॉडेस्‍टी ने हमें किसी का नहीं छोड़ा
भरता गया मवाद बढ़ता गया फोड़ा
अल्‍ला से मेघ पानी छाया कुछ न मांगिए
बस थोड़ा सा जेनुइन दुख जिसे हम भी
गा सकें, बजा सकें और हताशाओं के
अपने मिट्टी के गमले में सजा सकें
और उसे साक्षी मानकर आवाहन करें
प्रकृति का कि लौट आओ ओ आत्‍मा
कम से कम कुछ तो दो करुणा कि
स्‍पर्श कर सकें वे लोग, वे जगहें, वे हादसे
जिनकी खबरें देखता रहता हूं मैं
दिन भर और कुछ भी नहीं लिख पाता।
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trendswire · 2 years
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मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें तो इन चीजों के सेवन से बचें।
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मानसिक स्वास्थ्य के लिए खाद्य पदार्थों से बचें। खाने-पीने का हमारे शरीर पर बहुत प्रभाव पड़ता है। अगर हम ठीक से खाना नहीं खाते हैं तो हमारे शरीर में बदलाव दिखने लगते हैं। बदलाव के साथ-साथ हमारे शरीर में कई तरह की बीमारियां भी जन्म लेती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भोजन न केवल हमारे शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। कई ऐसे खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ हैं जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी अच्छे नहीं माने जाते हैं। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको उन खाद्य पदार्थों के बारे में बताते हैं जो आपके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। 1. तला हुआ खाना तली हुई चीजें खाने में तो बहुत अच्छी लगती हैं लेकिन सेहत के लिए भी उतनी ही हानिकारक होती हैं। वे सोडियम और वसा में उच्च होते हैं, जो मिजाज और चिड़चिड़ापन पैदा कर सकते हैं। तले हुए खाद्य पदार्थ आपके मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत अधिक प्रभाव डालते हैं, इसलिए हमेशा इन्हें खाने से बचें। 2. ऊर्जा पेय एनर्जी ड्रिंक पीने से शरीर में नींद और बेचैनी पैदा होती है जो हमारे मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है।ऊर्जा पेय में कैफीन, चीनी और कृत्रिम मिठास की मात्रा अधिक होती है। बेहतर होगा कि आप एनर्जी ड्रिंक्स से परहेज करें क्योंकि ये आपके शरीर को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। 3. चीनी मुक्त उत्पाद हम सभी जानते हैं कि प्रोसेस्ड चीनी हमारे लिए कितनी खराब होती है, इसलिए लोग हल्के या शुगर-फ्री उत्पाद पसंद करते हैं। लेकिन ये शुगर फ्री उत्पाद हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी अच्छे नहीं हैं। 4. छोड़ना सोडा किसी भी तरह से शरीर को फायदा नहीं पहुंचाता लेकिन यह सिर्फ हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहु���चाता है। इसमें मौजूद शुगर हमारे ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है जो हमारे मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए इसे पीने से बचें। यह भी पढ़ें- Source link Read the full article
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helputrust · 7 months
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लखनऊ 14.10.2023 | विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2023 के उपलक्ष्य में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा कैरियर कान्वेंट कॉलेज, विकास नगर के संयुक्त तत्वावधान में सेमिनार विषयक "Our Minds, Our Rights" का आयोजन कैरियर कान्वेंट कॉलेज विकास नगर लखनऊ में किया गया| सेमिनार में डॉ शिप्रा श्रीवास्तव, Ayurveda Doctor and Art of Living Yoga Instructor तथा वंदना त्रिभुवन सिंह, Expert in Leadership Communication and Image Management ने छात्र-छात्राओं को मानसिक तनाव से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में बताया तथा उस दुष्प्रभाव से किस तरह बचा जा सकता है यह भी बताया | सेमिनार में कैरियर कान्वेंट कॉलेज के करीब 200 छात्र छात्राओं, शिक्षिकाओं ने सहभागिता की | सेमिनार का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने कहा कि "विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का उद्देश्य लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना और मानसिक बीमारियों के बारे में जानकारी देना है, इसलिए हमें भी जानना चाहिए कि मानसिक विकार से बचने के लिए क्या करना जरूरी है। वर्तमान जीवनशैली में युवा हों या बुजुर्ग, सभी उम्र के लोगों में दबाव, चिंता और किसी तरह की परेशानी के कारण वे मानसिक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। मानसिक विकार शरीर पर तो प्रभाव डालता ही है। साथ ही व्यक्ति के मन में आत्महत्या तक के ख्याल आने का कारण बन जाता है। मेरा यह मानना है कि हमारे दिमाग पर सिर्फ हमारा हक है हम इसे सकारात्मक कार्यों में व्यस्त रखें या नकारात्मक कार्यों से अपनी ऊर्जा खत्म करें यह हमारे ऊपर है | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट अपने स्थापना वर्ष 2012 से ही निरंतर कमजोर और निर्धन वर्ग के उत्थान हेतु अनेकों कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है | लोगों को उनके स्वास्थ देखभाल हेतु जागरूक करने के लिए ट्रस्ट द्वारा समय-समय पर निशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर, नेत्र जांच शिविर, TB अवेयरनेस शिविर, योगा शिविर, कैंसर चेकअप शिविर, रक्तदान शिविर आदि का आयोजन किया जाता रहा है व आगे भी ट्रस्ट द्वारा सभी के सहयोग से जनहित में और भी कार्य किया जाएगा |" सेमिनार को संबोधित करते हुए कैरियर कान्वेंट कॉलेज के प्रधानाध्यापक श्री जॉबी जॉन ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के इस प्रयास की सराहना की तथा कहा कि, "इस तरह के कार्यक्रम स्कूलों में निरंतर आयोजित होते रहने चाहिए| उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह से हम अपने शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं ठीक उसी तरह हमें अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना चाहिए |" वंदना सिंह चौहान ने आज के परिप्रेक्ष्य में बढ़ रहे मानसिक तनाव के बारे में कहा कि "मानसिक स्वास्थ्य को लेकर हमारे दिमाग में यह धारणा बनी हुई है कि यदि कोई मानसिक तनाव में है तो वह पागल है | जब हम बीमार होते हैं तो हम डॉक्टर के पास जाते हैं और बड़े गर्व से बताते हैं कि हमें यह बीमारी है लेकिन जब हम मानसिक तनाव में होते हैं तो थैरेपिस्ट के पास जाने में हमें शर्म आती है| आज हम अलग-अलग तनाव से गिरे हुए हैं लेकिन किसी के साथ साझा करने से घबराते हैं| मेरा यह मानना है कि मन के हारे हार सदा रे, मन के जीते जीत| अगर आपका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा है और आप मानसिक रूप से सशक्त हैं तो आपको कोई नहीं हरा सकता |" डॉ शिप्रा श्रीवास्तव ने मानसिक स्वास्थ्य हेतु आयुर्वेद के महत्व को बताते हुए कहा कि, "यदि हम शरीर से स्वस्थ हैं लेकिन मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है तो हम संपूर्ण स्वस्थ नहीं हैं क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है| हम अपने शरीर की सफाई तो करते हैं लेकिन अपने दिमाग की सफाई कैसे करें इस पर ध्यान देने की जरूरत है जिसके लिए हमें योग क्रिया, प्राणायाम, ध्यान आदि करना चाहिए जिससे न सिर्फ हमारे मन को शांति मिलेगी बल्कि हमारा मानसिक स्वास्थ्य और अधिक मजबूत होगा| आयुर्वेद में कहा गया है कि मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए प्रकृति के अनुकूल भोजन करना चाहिए और अगर हमारे मस्तिष्क में कोई समस्या चल रही हो तो उसे अपने माता-पिता शिक्षक या सहपाठियों के साथ साझा करना चाहिए| ऐसा करने से न सिर्फ हमें आत्मिक शांति मिलती है बल्कि उस समस्या का समाधान भी मिल जाता है |" सेमिनार में डॉ रूपल अग्रवाल ने गणमान्य वक्ताओं डॉ शिप्रा श्रीवास्तव, वंदना त्रिभुवन सिंह एवं कैरियर कान्वेंट कॉलेज के प्रधानाध्यापक श्री जॉबी जॉन का प्रतीक चिन्ह से सम्मान किया| सभी छात्र- छात्राओं ने सम्मानित वक्तागणों से मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कई सवाल पूछे जिनका उत्तर पाकर उनके चेहरे खुशी से खिल उठे| सवाल पूछने वाले छात्र-छात्रा��ं को ट्रस्ट द्वारा सम्मानित किया गया |
सेमिनार में श्री जॉबी जॉन, डॉ शिप्रा श्रीवास्तव, वंदना त्रिभुवन सिंह सहित कैरियर कान्वेंट कॉलेज की शिक्षकों श्रीमती सुनीता गुनियाल, श्रीमती अरुणा श्रीवास्तव, मि. योगेश त्रिपाठी, मि. हृदेश पांडे, सराह खान, श्रीमती कविता उपाध्याय, श्रीमती नम्रता सक्सेना,श्रीमती पूनम सिंह, शाहीन, श्रीमती सुमित्रा, रजा अब्बास, सायरा खान, अनुराधा श्रीवास्तव, आशीष श्रीवास्तव, गौहर, विवेकानंद, मि. मनोज पांडे, गिरीश द्विवेदी, रंजना तथा छात्र-छात्राओं नसरा आफरीन, तृषा कनौजिया, नैना भट्ट, तन्मय रावत, उस्मान, श्रेया, जोया, आयशा अशफेक, अयान खान, यश डेनियल आदि की उपस्थिति रही |
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