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#अज्ञान
geetaparamrahasyam · 4 months
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मनुष्य क्यों करता है पाप
मनुष्य कई बार पाप करता है क्योंकि वह अपने अहंकार, लालच, और अज्ञान में उलझा होता है। अहंकार उसे अपने स्वार्थ को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित करता है, जबकि लालच उसे अन्य लोगों की संपत्ति, स्थिति या सत्ता पर आक्रामक बनाता है। अज्ञान उसे सही और गलत के बीच अंतर को समझने से वंचित करता है,
For more details visit - गीता के श्लोकों को सरल भाषा में समझाने का प्रयास करते हैं। Geeta gyan - Geeta param rahasyam ये श्लोक गीता के महत्वपूर्ण भाग हैं जो मार्गदर्शन के रूप में सेवन किए जा सकते हैं।
जिससे वह गलत कर्मों में प्रवृत्त हो जाता है। इन गुणों के प्रभाव से, मनुष्य अधर्मिक और हानिकारक क्रियाओं की ओर खिंचा जाता है, जो उसके और दूसरों के लिए क्षति का कारण बनते हैं। समाज में उचित दिशा में बदलाव लाने के लिए, हमें इन अधार्मिक गुणों को अपने जीवन से निकालने का प्रयास करना चाहिए।
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bhishmsharma95 · 1 year
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कुंडलिनी की सहायता के बिना देवता भी कामयाब नहीं हो पाते
पिछली पोस्ट को जारी रखते हुए, बुद्धिस्म में तंत्र वाली शाखा को वज्रयान नाम इसीलिए दिया गया है। प्रेमयोगी वज्र नाम भी इसीलिए पड़ा है। उ��की साधना में मूलरूप में तो प्रेमयोग ही है, पर उसमें तंत्र का भी अच्छा योगदान है। देवताओं ने वृत्रासुर के साथ लंबे अरसे तक युद्ध किया था। परंतु वे उसे हरा न सके थे। अंत में वे हार मानते हुए अपने अस्त्रशस्त्र दधिचि मुनि के आश्रम के निकट छोड़कर भाग गए। इसका मतलब है…
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subhashdagar123 · 10 days
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8459022012 · 21 days
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minashrama165 · 3 months
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rakeshkushvah · 6 months
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rockidasi · 6 months
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aryasamaj0 · 8 months
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geetaparamrahasyam · 4 months
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कौन है मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन
मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन उसका अपना अहंकार और अज्ञान होता है। अहंकार उसे अन्य लोगों के साथ सहयोग करने से रोकता है और उसकी सोच को अपने स्वार्थ में बाधित करता है। अज्ञान उसे समझने और सहयोग करने की शक्ति से वंचित रखता है, जिससे वह दूसरों के साथ सहयोग करने के अवसरों को खो देता है।
For more details visit - गीता के श्लोकों को सरल भाषा में समझाने का प्रयास करते हैं। Geeta gyan - Geeta param rahasyam ये श्लोक गीता के महत्वपूर्ण भाग हैं जो मार्गदर्शन के रूप में सेवन किए जा सकते हैं।
इन दोनों के अत्यधिक प्रयोग से, मनुष्य खुद को अलग और दूर महसूस करता है, जिससे समाज में दूरी और विभाजन का संदेश मिलता है। इसलिए, समाज के लिए और अपने स्वयं के लिए, हमें अपने अहंकार और अज्ञान को पराजित करने का प्रयास करना चाहिए।
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subhashdagar123 · 10 days
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shakuntalasworld · 8 months
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राधास्वामी पंथ के सावन सिंह जी को सतनाम भी समझ में नहीं आया | Sant Rampa...
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rajantwiri · 9 months
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balrams-world · 9 months
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sanjaygarg · 1 year
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sapan-ray · 1 year
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narsinghdas3 · 1 month
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ज्ञान vs अज्ञान
देवीपुराण के तीसरे स्कन्ध अध्याय 5 और शिवपुराण, रुद्रसंहिता अध्याय 6,7,9 में प्रमाण मिलता है कि ब्रह्मा, विष्णु, शिव जी अजर अमर नहीं हैं। इनकी भी जन्म-मृत्यु होती है तथा दुर्गा उनकी माता और पिता काल ब्रह्म है। इसे भिन्न पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब हैं।
लेकिन हमारे धर्मगुरु ब्रह्मा, विष्णु, शिव जी को अजर अमर बताते हैं। जिस कारण से यह मालूम होता है। उन्हें शास्त्रों का पूर्ण ज्ञान नहीं है।
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