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kaminimohan · 1 year
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1383.
अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति से विचलित थे भारतेंदु हरिश्चंद्र
- कामिनी मोहन पाण्डेय। 
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मुंशी प्रेमचंद ने लिखा है कि जिन्होंने राष्ट्र का निर्माण किया है उनकी कृति अमर हो गई है। त्याग तपस्या और बलिदान 1857 की क्रांति के रणबांकुरों ने ही नहीं किया बल्कि उससे प्रभावित होकर कई लेखकों, साहित्यकारों, पत्रकारों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उसी त्याग की भावना व संघर्ष की प्रेरणा को जगाने में भारतेंदु हरिश्चंद्र ने महती भूमिका निभाई। 
भारतेंदु ने भारत की स्वाधीनता, राष्ट्र उन्नति और सर्वोदय भावना का विकास किया। आज के संदर्भ में बात करें तो भारतेंदु ने हीं देश के सभी पत्रकारों, संपादकों व लेखकों को देश की दुर्दशा यानी देश की दशा और दिशा को समझने का मंत्र दिया। अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति की हुंकार की गूंज के बाद इस संबंध पर बेतहाशा लेखन और पठन-पाठन हुआ। उस समय क्रांति के असफल होने के बाद जब  निराशा का बीज व्याप्त हो गया था, तब समाज की दुर्दशा देखकर भारतेंदु का हृदय काफी व्यथित हुआ। देश की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक गिरावट देखकर वह तिलमिला उठे थे। देश की दशा पर उनकी अभिव्यक्ति थी- "हां हां भारत दुर्दशा न देखी जाई।" उनके इस प्रलाप पर भारत आरत, भारत सौभाग्य, वर्तमान-दशा, देश-दशा, भारत दुर्दिन जैसे नवजागरण की पोषक रचनाएँ प्रकाशित हुई। 
इनमें देश के प्राचीन गौरव के स्मरण, समाज में व्याप्त आलस्य तथा देश की दीनता का वर्णन होता था। क्रांति के समय एवं उसके बाद स्वदेशाभिमानी पत्रकारों ने अपनी विवेचना शक्ति के बल पर जनमानस को सशक्त अभिव्यक्ति दी। उस समय हिंदी अपने विकास के नए आयाम गढ़ रही थी। सारे प्रतिरोधों के बीच पत्रकारिता की पैनी नज़र खुल चुकी थी। ऐसे में स्वाभिमान के संचार व स्वदेश प्रेम के उदय तथा आंग्ल शासन के प्रबल प्रतिरोध पत्रों में प्रकाशित तत्वों में दिखता था। पत्र और पत्रकार ख़ुद स्वतंत्रता आंदोलन के सक्षम सेनानी बन गए थे। अन्याय, अज्ञान, प्रपीड़न व प्रव॔चना के संहारक समाचार पत्रों ने ही हिंदी पत्रकारिता की आधारशिला रखी थी।
राष्ट्र उत्थान की दृष्टि से इतिहास एवं पत्रकारिता दोनों संश्लिष्ट हैं। राष्ट्रीय अस्मिता को समर्पित भारतेंदु की रचनाओं का मूलाधार गौरव की वृद्धि रहा है। नौ सितंबर 1850 को काशी में जन्मे भारतेंदु को हिंदी पत्रकारिता का आधार स्तंभ कहा जाता है। भारतेंदु द्वारा पत्रकारिता में देश प्रेम के लिए जलाई गई अलख काशी में अब भी दिखती है। इसका कारण यह है कि यहाँ जो पैदा हुआ वह भी गुरु जो मर गया वह भी गुरु होता है। यहाँ किसी बात के लिए कोई हाय-हाय नहीं है। 
काशी की हिंदी पत्रकारिता की नींव 1845 में बनारस अखबार के रूप में पड़ी। इसके बारह साल बाद देश का पहला स्वतंत्रता संग्राम आम लोगों को गहरे तक प्रभावित कर गया था। क्रांति का बिगुल काशी में भी सुनाई दिया। क्रांति के दौर में देश की आज़ादी के लिए यहाँ कई अख़बार प्रकाशित होते रहे। स्वाभिमान के साथ उठ खड़े होने को आमजन और क्रांतिकारियों को जो उसे से भरते रहे।
प्रमुख प्रकाशनों में कवि वचन सुधा (1867) हरिश्चंद्र मैगजीन (1875), हरिश्चंद्र चंद्रिका (1879) में भारतेंदु का मूल मंत्र सामाजिक और राष्ट्रीय उन्नति जगाना तथा सभी जातियों के अंदर स्वाभिमान का भाव भरना था। वे मानते थे कि "जिस देश में और जिस समाज में उसी समाज और उसी देश की भाषा में समाचार पत्रों का जब तक प्रचार नहीं होता, तब तक उसे देश और समाज की उन्नति नहीं हो सकती। समाचार पत्र राजा और प्रजा के वकील है। समाचार पत्र दोनों की ख़बर दोनों को पहुँचा सकता है जहाँ सभ्यता है, वहीं स्वाधीन समाचार पत्र है"।
देश में लकड़ी बीनने वाले से लेकर लकड़ी का तमाशा दिखाने वाले तक सभी ने क्रांति के जयकारे में लकड़ी बजाते हुए आहुति दी थी। यह वह दौर था, जिस पर क्रांति ने अपना असर गहरे तक छोड़ा था। इसी का परिणाम रहा कि देश के हर नौजवान ने अपनी छाती अंग्रेजों की गोलियाँ खाने के लिए चौड़ी कर ली थी। अल्पायु में ही भारतेंदु अपने युग का प्रतिनिधित्व करने लगे थे  रचनात्मक लेखन, पत्रकारिता के माध्यम से भारतेंदु ने देश की राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक विसंगतियों पर अपने आक्रामक तेवर के साथ संवेदन पूर्ण विचारों से सार्थक हस्तक्षेप किया था। साहित्य को उन्होंने जनसामान्य के बीच लाकर खड़ा कर दिया था।
घोर उथल-पुथल के बावजूद उनके काल में साहित्यिक विचारों के कारण आत्ममंथन शुरू हो गया था। वे ब्रिटिश राज की कार्यप्रणाली पर जमकर बरसते थे। हर समस्या के प्रति भारतेंदु का दृष्टिकोण दूरगामी होता था। वे वैचारिक क्रांति लाने के लिए हर घड़ी प्रतिबद्ध दिखते थे। भारतेंदु चाहते थे कि भारतवासी स्वयं आत्मोत्थान और देशोत्थान में सक्रिय हो। यह बात आज भी प्रासंगिक है कि आर्थिक उत्थान से ही देश का भला हो सकता है। 
आर्थिक लूट पर वे लिखते हैं- 
भीतर-भीतर सब रस चूसै, बाहर से तन-मन-धन मूसै। 
जाहिर बातन में अति तेज, क्यों सखि सज्जन नहिं अंग्रेज अंग्रेजों।। 
अंग्रेजों को अपना भाग्य विधाता मानने वालों को भारतेंदु ने झकझोरा था। कविवचन सुधा में वे लिखते हैं- "देशवासियों तुम इस निद्रा से चौको, इन अंग्रेजों के न्याय के भरोसे मत फूले रहो।... अंग्रेजों ने हम लोगों को विद्यामृत पिलाया और उससे हमारे देश बांधवों को बहुत लाभ हुए, इसे हम लोग अमान्य नहीं करते, परंतु उन्हीं के कहने के अनुसार हिंदुस्तान की वृद्धि का समय आने वाला हो, सो तो, एक तरफ रहा, पर प्रतिदिन मूर्खता दुर्भिक्षता और दैन्य प्राप्त होता जाता है।... अख़बार इतना भूंकते हैं, कोई नहीं सुनता। अंधेर नगरी है। व्यर्थ न्याय और आज़ादी देने का दावा है।"
गांधीजी की कई नीतियों व योजनाओं के बीज भारतेंदु साहित्य में पहले ही आ चुके थे। भारतीय धर्मनिरपेक्षता, जाति निरपेक्षता, जो भारतीय संविधान के मूलाधार है, उन पर भारतेंदु के चिंतन में तात्कालिकता ही नहीं, भविष्योन्मुखता भी थी। वे हिंदू व मुसलमानों के प्रति भाईचारे का भाव रखने को प्रेरित करते थे। कहना ही पड़ता है कि देश के विकास उसकी उन्नति के लिए भारतेंदु स्वदेशी और राष्ट्रीयता के संदर्भ में दूरगामी अंतर्दृष्टि रखते थे। 
समय बदल गया, हम आज़ाद हैं। भारत वही है। संविधान वही है। भारत में रहने वाले जीव-जंतु, पशु-पक्षी और मनुष्य भी वही है। विभिन्न धर्मों, मज़हबों,पंथों को मानने वाले मुसलमानों के सभी फ़िरक़ों, बौद्ध, सिख, जैन, ईसाईयों तथा सनातन धर्म की गहराई में उतरने वाले हिन्दू क्रांति के बीज को आज भी वृक्ष बनते देखते हैं। उन विचारों की जो भारतेंदु के समय लोगों तक पत्रकारिता के माध्यम से पहुंचे थे, वे विचार आज भी प्रासंगिक हैं। देश के लोगों को इसकी परम आवश्यकता है। 
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aartividhi · 4 months
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श्री हनुमान बाहुक पाठ | Sri Hanuman Bahuk
श्री हनुमान बाहुक पाठ | Sri Hanuman Bahuk
श्रीगणेशाय नमः श्रीजानकीवल्लभो विजयते श्रीमद्-गोस्वामी-तुलसीदास-कृत छप्पय सिंधु-तरन, सिय-सोच-हरन, रबि-बाल-बरन तनु । भुज बिसाल, मूरति कराल कालहुको काल जनु ।। गहन-दहन-निरदहन लंक निःसंक, बंक-भुव । जातुधान-बलवान-मान-मद-दवन पवनसुव ।। कह तुलसिदास सेवत सुलभ सेवक हित सन्तत निकट । गुन-गनत, नमत, सुमिरत, जपत समन सकल-संकट-विकट ।।१।। स्वर्न-सैल-संकास कोटि-रबि-तरुन-तेज-घन । उर बिसाल भुज-दंड चंड नख-बज्र बज्र-तन ।। पिंग नयन, भृकुटी कराल रसना दसनानन । कपिस केस, करकस लँगूर, खल-दल बल भानन ।। कह तुलसिदास बस जासु उर मारुतसुत मूरति बिकट । संताप पाप तेहि पुरुष पहिं सपनेहुँ नहिं आवत निकट ।।२।। झूलना पंचमुख-छमुख-भृगु मुख्य भट असुर सुर, सर्व-सरि-समर समरत्थ सूरो । बाँकुरो बीर बिरुदैत बिरुदावली, बेद बंदी बदत पैजपूरो ।। जासु गुनगाथ रघुनाथ क��, जासुबल, बिपुल-जल-भरित जग-जलधि झूरो । दुवन-दल-दमनको कौन तुलसीस है, पवन को पूत रजपूत रुरो ।।३।। घनाक्षरी भानुसों पढ़न हनुमान गये भानु मन-अनुमानि सिसु-केलि कियो फेरफार सो । पाछिले पगनि गम गगन मगन-मन, क्रम को न भ्रम, कपि बालक बिहार सो ।। कौतुक बिलोकि लोकपाल हरि हर बिधि, लोचननि चकाचौंधी चित्तनि खभार सो। बल कैंधौं बीर-रस धीरज कै, साहस कै, तुलसी सरीर धरे सबनि को सार सो ।।४।। भारत में पारथ के रथ केथू कपिराज, गाज्यो सुनि कुरुराज दल हल बल भो । कह्यो द्रोन भीषम समीर सुत महाबीर, बीर-रस-बारि-निधि जाको बल जल भो ।। बानर सुभाय बाल केलि भूमि भानु लागि, फलँग फलाँग हूँतें घाटि नभतल भो । नाई-नाई माथ जोरि-जोरि हाथ जोधा जोहैं, हनुमान देखे जगजीवन को फल भो ।।५ गो-पद पयोधि करि होलिका ज्यों लाई लंक, निपट निसंक परपुर गलबल भो । द्रोन-सो पहार लियो ख्याल ही उखारि कर, कंदुक-ज्यों कपि खेल बेल कैसो फल भो ।। संकट समाज असमंजस भो रामराज, काज जुग पूगनि को करतल पल भो । साहसी समत्थ तुलसी को नाह जाकी बाँह, लोकपाल पालन को फिर थिर थल भो ।।६ कमठ की पीठि जाके गोडनि की गाड़ैं मानो, नाप के भाजन भरि जल निधि जल भो । जातुधान-दावन परावन को दुर्ग भयो, महामीन बास तिमि तोमनि को थल भो ।। कुम्भकरन-रावन पयोद-नाद-ईंधन को, तुलसी प्रताप जाको प्रबल अनल भो । भीषम कहत मेरे अनुमान हनुमान, सारिखो त्रिकाल न त्रिलोक महाबल भो ।।७ दूत रामराय को, सपूत पूत पौनको, तू अंजनी को नन्दन प्रताप भूरि भानु सो । सीय-सोच-समन, दुरित दोष दमन, सरन आये अवन, लखन प्रिय प्रान सो ।। दसमुख दुसह दरिद्र दरिबे को भयो, प्रकट तिलोक ओक तुलसी निधान सो । ज्ञान गुनवान बलवान सेवा सावधान, साहेब सुजान उर आनु हनुमान सो ।।८ दवन-दुवन-दल भुवन-बिदित बल, बेद जस गावत बिबुध बंदीछोर को । पाप-ताप-तिमिर तुहिन-विघटन-पटु, सेवक-सरोरुह सुखद भानु भोर को ।। लोक-परलोक तें बिसोक सपने न सोक, तुलसी के हिये है भरोसो एक ओर को । राम को दुलारो दास बामदेव को निवास, नाम कलि-कामतरु केसरी-किसोर को ।।९।। महाबल-सीम महाभीम महाबान इत, महाबीर बिदित बरायो रघुबीर को । कुलिस-कठोर तनु जोरपरै रोर रन, करुना-कलित मन धारमिक धीर को ।। दुर्जन को कालसो कराल पाल सज्जन को, सुमिरे हरनहार तुलसी की पीर को । सीय-सुख-दायक दुलारो रघुनायक को, सेवक सहायक है साहसी समीर को ।।१०।। रचिबे को बिधि जैसे, पालिबे को हरि, हर मीच मारिबे को, ज्याईबे को सुधापान भो । धरिबे को धरनि, तरनि तम दलिबे को, सोखिबे कृसानु, पोषिबे को हिम-भानु भो ।। खल-दुःख दोषिबे को, जन-परितोषिबे को, माँगिबो मलीनता को मोदक सुदान भो । आरत की आरति निवारिबे को तिहुँ पुर, तुलसी को साहेब हठीलो हनुमान भो ।।११।। सेवक स्योकाई जानि जानकीस मानै कानि, सानुकूल सूलपानि नवै नाथ नाँक को । देवी देव दानव दयावने ह्वै जोरैं हाथ, बापुरे बराक कहा और राजा राँक को ।। जागत सोवत बैठे बागत बिनोद मोद, ताके जो अनर्थ सो समर्थ एक आँक को । सब दिन रुरो परै पूरो जहाँ-तहाँ ताहि, जाके है भरोसो हिये हनुमान हाँक को ।।१२।। सानुग सगौरि सानुकूल सूलपानि ताहि, लोकपाल सकल लखन राम जानकी । लोक परलोक को बिसोक सो तिलोक ताहि, तुलसी तमाइ कहा काहू बीर आनकी ।। केसरी किसोर बन्दीछोर के नेवाजे सब, कीरति बिमल कपि करुनानिधान की । बालक-ज्यों पालिहैं कृपालु मुनि सिद्ध ताको, जाके हिये हुलसति हाँक हनुमान की ।।१३।। करुनानिधान, बलबुद्धि के निधान ��ोद-महिमा निधान, गुन-ज्ञान के निधान हौ । बामदेव-रुप भूप राम के सनेही, नाम लेत-देत अर्थ धर्म काम निरबान हौ ।। आपने प्रभाव सीताराम के सुभाव सील, लोक-बेद-बिधि के बिदूष हनुमान हौ । मन की बचन की करम की तिहूँ प्रकार, तुलसी तिहारो तुम साहेब सुजान हौ ।।१४।। मन को अगम, तन सुगम किये कपीस, काज महाराज के समाज साज साजे हैं । देव-बंदी छोर रनरोर केसरी किसोर, जुग जुग जग तेरे बिरद बिराजे हैं । बीर बरजोर, घटि जोर तुलसी की ओर, सुनि सकुचाने साधु खल गन गाजे हैं । बिगरी सँवार अंजनी कुमार कीजे मोहिं, जैसे होत आये हनुमान के निवाजे हैं ।।१५।। सवैया जान सिरोमनि हौ हनुमान सदा जन के मन बास तिहारो । ढ़ारो बिगारो मैं काको कहा केहि कारन खीझत हौं तो तिहारो ।। साहेब सेवक नाते तो हातो कियो सो तहाँ तुलसी को न चारो । दोष सुनाये तें आगेहुँ को होशियार ह्वैं हों मन तौ हिय हारो ।।१६।। तेरे थपे उथपै न महेस, थपै थिरको कपि जे घर घाले । तेरे निवाजे गरीब निवाज बिराजत बैरिन के उर साले ।। संकट सोच सबै तुलसी लिये नाम फटै मकरी के से जाले । बूढ़ भये, बलि, मेरिहि बार, कि हारि परे बहुतै नत पाले ।।१७।। सिंधु तरे, बड़े बीर दले खल, जारे हैं लंक से बंक मवा से । तैं रनि-केहरि केहरि के बिदले अरि-कुंजर छैल छवा से ।। तोसों समत्थ सुसाहेब सेई सहै तुलसी दुख दोष दवा से । बानर बाज ! बढ़े खल-खेचर, लीजत क्यों न लपेटि लवा-से ।।१८।। अच्छ-विमर्दन कानन-भानि दसानन आनन भा न निहारो । बारिदनाद अकंपन कुंभकरन्न-से कुंजर केहरि-बारो ।। राम-प्रताप-हुतासन, कच्छ, बिपच्छ, समीर समीर-दुलारो । पाप-तें साप-तें ताप तिहूँ-तें सदा तुलसी कहँ सो रखवारो ।।१९।। घनाक्षरी जानत जहान हनुमान को निवाज्यौ जन, मन अनुमानि बलि, बोल न बिसारिये । सेवा-जोग तुलसी कबहुँ कहा चूक परी, साहेब सुभाव कपि साहिबी सँभारिये ।। अपराधी जानि कीजै सासति सहस भाँति, मोदक मरै जो ताहि माहुर न मारिये । साहसी समीर के दुलारे रघुबीर जू के, बाँह पीर महाबीर बेगि ही निवारिये ।।२०।। बालक बिलोकि, बलि बारेतें आपनो कियो, दीनबन्धु दया कीन्हीं निरुपाधि न्यारिये । रावरो भरोसो तुलसी के, रावरोई बल, आस रावरीयै दास रावरो बिचारिये ।। बड़ो बिकराल कलि, काको न बिहाल कियो, माथे पगु बलि को, निहारि सो निवारिये । केसरी किसोर, रनरोर, बरजोर बीर, बाँहुपीर राहुमातु ज्यौं पछारि मारिये ।।२१।। उथपे थपनथिर थपे उथपनहार, केसरी कुमार बल आपनो सँभारिये । राम के गुलामनि को कामतरु रामदूत, मोसे दीन दूबरे को तकिया तिहारिये ।। साहेब समर्थ तोसों तुलसी के माथे पर, सोऊ अपराध बिनु बीर, बाँधि मारिये । पोखरी बिसाल बाँहु, बलि, बारिचर पीर, मकरी ज्यौं पकरि कै बदन बिदारिये ।।२२।। राम को सनेह, राम साहस लखन सिय, राम की भगति, सोच संकट निवारिये । मुद-मरकट रोग-बारिनिधि हेरि हारे, जीव-जामवंत को भरोसो तेरो भारिये ।। कूदिये कृपाल तुलसी सुप्रेम-पब्बयतें, सुथल सुबेल भालू बैठि कै बिचारिये । महाबीर बाँकुरे बराकी बाँह-पीर क्यों न, लंकिनी ज्यों लात-घात ही मरोरि मारिये ।।२३।। लोक-परलोकहुँ तिलोक न बिलोकियत, तोसे समरथ चष चारिहूँ निहारिये । कर्म, काल, लोकपाल, अग-जग जीवजाल, नाथ हाथ सब निज महिमा बिचारिये ।। खास दास रावरो, निवास तेरो तासु उर, तुलसी सो देव दुखी देखियत भारिये । बात तरुमूल बाँहुसूल कपिकच्छु-बेलि, उपजी सकेलि कपिकेलि ही उखारिये ।।२४।। करम-कराल-कंस भूमिपाल के भरोसे, बकी बकभगिनी काहू तें कहा डरैगी । बड़ी बिकराल बाल घातिनी न जात कहि, बाँहूबल बालक छबीले छोटे छरैगी ।। आई है बनाइ बेष आप ही बिचारि देख, पाप जाय सबको गुनी के पाले परैगी । पूतना पिसाचिनी ज्यौं कपिकान्ह तुलसी की, बाँहपीर महाबीर तेरे मारे मरैगी ।।२५।। भालकी कि कालकी कि रोष की त्रिदोष की है, बेदन बिषम पाप ताप छल छाँह की । करमन कूट की कि जन्त्र मन्त्र बूट की, पराहि जाहि पापिनी मलीन मन माँह की ।। पैहहि सजाय, नत कहत बजाय तोहि, बाबरी न होहि बानि जानि कपि नाँह की । आन हनुमान की दुहाई बलवान की, सपथ महाबीर की जो रहै पीर बाँह की ।।२६।। सिंहिका सँहारि बल, सुरसा सुधारि छल, लंकिनी पछारि मारि बाटिका उजारी है । लंक परजारि मकरी बिदारि बारबार, जातुधान धारि धूरिधानी करि डारी है ।। तोरि जमकातरि मंदोदरी कढ़ोरि आनी, रावन की रानी मेघनाद महँतारी है । भीर बाँह पीर की निपट राखी महाबीर, कौन के सकोच तुलसी के सोच भारी है ।।२७।। तेरो बालि केलि बीर सुनि सहमत धीर, भूलत सरीर सुधि सक्र-रबि-राहु की । तेरी बाँह बसत बिसोक लोकपाल सब, तेरो नाम लेत रहै आरति न काहु की ।। साम दान भेद बिधि बेदहू लबेद सिधि, हाथ कपिनाथ ही के चोटी चोर साहु की । आलस अनख परिहास कै सिखावन है, एते दिन रही पीर तुलसी के बाहु की ।।२८।। टूकनि को घर-घर डोलत कँगाल बोलि, बाल ज्यों कृपाल नतपाल पालि पोसो है । कीन्ही है सँभार सार अँजनी कुमार बीर, आपनो बिसारि हैं न मेरेहू भरोसो है ।। इतनो परेखो सब भाँति समरथ आजु, कपिराज साँची कहौं को तिलोक तोसो है । सासति सहत दास कीजे पेखि परिहास, चीरी को मरन खेल बालकनि को सो है ।।२९।। आपने ही पाप तें त्रिपात तें कि साप तें, बढ़ी है बाँह बेदन कही न सहि जाति है । औषध अनेक जन्त्र मन्त्र टोटकादि किये, बादि भये देवता मनाये अधिकाति है ।। करतार, भरतार, हरतार, कर्म काल, को है जगजाल जो न मानत इताति है । चेरो तेरो तुलसी तू मेरो कह्यो राम दूत, ढील तेरी बीर मोहि पीर तें पिराति है ।।३०।। दूत राम राय को, सपूत पूत बाय को, समत्व हाथ पाय को सहाय असहाय को । बाँकी बिरदावली बिदित बेद गाइयत, रावन सो भट भयो मुठिका के घाय को ।। एते बड़े साहेब समर्थ को निवाजो आज, सीदत सुसेवक बचन मन काय को । थोरी बाँह पीर की बड़ी गलानि तुलसी को, कौन पाप कोप, लोप प्रकट प्रभाय को ।।३१।। देवी देव दनुज मनुज मुनि सिद्ध नाग, छोटे बड़े जीव जेते चेतन अचेत हैं । पूतना पिसाची जातुधानी जातुधान बाम, राम दूत की रजाइ माथे मानि लेत हैं ।। घोर जन्त्र मन्त्र कूट कपट कुरोग जोग, हनुमान आन सुनि छाड़त निकेत हैं । क्रोध कीजे कर्म को प्रबोध कीजे तुलसी को, सोध कीजे तिनको जो दोष दुख देत हैं ।।३२।। तेरे बल बानर जिताये रन रावन सों, तेरे घाले जातुधान भये घर-घर के । तेरे बल रामराज किये सब सुरकाज, सकल समाज साज साजे रघुबर के ।। तेरो गुनगान सुनि गीरबान पुलकत, सजल बिलोचन बिरंचि हरि हर के । तुलसी के माथे पर हाथ फेरो कीसनाथ, देखिये न दास दुखी तोसो कनिगर के ।।३३।। पालो तेरे टूक को परेहू चूक मूकिये न, कूर कौड़ी दूको हौं आपनी ओर हेरिये । भोरानाथ भोरे ही सरोष होत थोरे दोष, पोषि तोषि थापि आपनी न अवडेरिये ।। अँबु तू हौं अँबुचर, अँबु तू हौं डिंभ सो न, बूझिये बिलंब अवलंब मेरे तेरिये । बालक बिकल जानि पाहि प्रेम पहिचानि, तुलसी की बाँह पर लामी लूम फेरिये ।।३४।। घेरि लियो रोगनि, कुजोगनि, कुलोगनि ज्यौं, बासर जलद घन घटा धुकि धाई है । बरसत बारि पीर जारिये जवासे जस, रोष बिनु दोष धूम-मूल मलिनाई है ।। करुनानिधान हनुमान महा बलवान, हेरि हँसि हाँकि फूँकि फौजैं ते उड़ाई है । खाये हुतो तुलसी कुरोग राढ़ राकसनि, केसरी किसोर राखे बीर बरिआई है ।।३५।। सवैया राम गुलाम तु ही हनुमान गोसाँई सुसाँई सदा अनुकूलो । पाल्यो हौं बाल ज्यों आखर दू पितु मातु सों मंगल मोद समूलो ।। बाँह की बेदन बाँह पगार पुकारत आरत आनँद भूलो । श्री रघुबीर निवारिये पीर रहौं दरबार परो लटि लूलो ।।३६।। घनाक्षरी काल की करालता करम कठिनाई कीधौं, पाप के प्रभाव की सुभाय बाय बावरे । बेदन कुभाँति सो सही न जाति राति दिन, सोई बाँह गही जो गही समीर डाबरे ।। लायो तरु तुलसी तिहारो सो निहारि बारि, स��ंचिये मलीन भो तयो है तिहुँ तावरे । भूतनि की आपनी पराये की कृपा निधान, जानियत सबही की रीति राम रावरे ।।३७।। पाँय पीर पेट पीर बाँह पीर मुँह पीर, जरजर सकल पीर मई है । देव भूत पितर करम खल काल ग्रह, मोहि पर दवरि दमानक सी दई है ।। हौं तो बिनु मोल के बिकानो बलि बारेही तें, ओट राम नाम की ललाट लिखि लई है । कुँभज के किंकर बिकल बूढ़े गोखुरनि, हाय राम राय ऐसी हाल कहूँ भई है ।।३८।। बाहुक-सुबाहु नीच लीचर-मरीच मिलि, मुँहपीर केतुजा कुरोग जातुधान हैं । राम नाम जगजाप कियो चहों सानुराग, काल कैसे दूत भूत कहा मेरे मान हैं ।। सुमिरे सहाय राम लखन आखर दोऊ, जिनके समूह साके जागत जहान हैं । तुलसी सँभारि ताड़का सँहारि भारि भट, बेधे बरगद से बनाइ बानवान हैं ।।३९।। बालपने सूधे मन राम सनमुख भयो, राम नाम लेत माँगि खात टूकटाक हौं । परयो लोक-रीति में पुनीत प्रीति राम राय, मोह बस बैठो तोरि तरकि तराक हौं ।। खोटे-खोटे आचरन आचरत अपनायो, अंजनी कुमार सोध्यो रामपानि पाक हौं । तुलसी गुसाँई भयो भोंडे दिन भूल गयो, ताको फल पावत निदान परिपाक हौं ।।४०।। असन-बसन-हीन बिषम-बिषाद-लीन, देखि दीन दूबरो करै न हाय हाय को । तुलसी अनाथ सो सनाथ रघुनाथ कियो, दियो फल सील सिंधु आपने सुभाय को ।। नीच यहि बीच पति पाइ भरु हाईगो, बिहाइ प्रभु भजन बचन मन काय को । ता तें तनु पेषियत घोर बरतोर मिस, फूटि फूटि निकसत लोन राम राय को ।।४१।। जीओं जग जानकी जीवन को कहाइ जन, मरिबे को बारानसी बारि सुरसरि को । तुलसी के दुहूँ हाथ मोदक हैं ऐसे ठाँउ, जाके जिये मुये सोच करिहैं न लरि को ।। मोको झूटो साँचो लोग राम को कहत सब, मेरे मन मान है न हर को न हरि को । भारी पीर दुसह सरीर तें बिहाल होत, सोऊ रघुबीर बिनु सकै दूर करि को ।।४२।। सीतापति साहेब सहाय हनुमान नित, हित उपदेश को महेस मानो गुरु कै । मानस बचन काय सरन तिहारे पाँय, तुम्हरे भरोसे सुर मैं न जाने सुर कै ।। ब्याधि भूत जनित उपाधि काहु खल की, समाधि कीजे तुलसी को जानि जन फुर कै । कपिनाथ रघुनाथ भोलानाथ भूतनाथ, रोग सिंधु क्यों न डारियत गाय खुर कै ।।४३।। कहों हनुमान सों सुजान राम राय सों, कृपानिधान संकर सों सावधान सुनिये । हरष विषाद राग रोष गुन दोष मई, बिरची बिरञ्ची सब देखियत दुनिये ।। माया जीव काल के करम के सुभाय के, करैया राम बेद कहैं साँची मन गुनिये । तुम्ह तें कहा न होय हा हा सो बुझैये मोहि, हौं हूँ रहों मौनही बयो सो जानि लुनिये ।।४४।। Read the full article
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dotengine · 1 year
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उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में हुई भस्म आरती
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में हुई भस्म आरती #उजजन #क #महकलशवर #मदर #म #हई #भसम #आरत
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newsmug · 1 year
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templeinindia · 2 years
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ॐ जय लक्ष्मी माता, तुमको निस दिन सेवत,मैया जी को निस दिन सेवत
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abhyasschoolofyoga · 2 years
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dukhana rahita dukha...📖| Swarved ||५/१२/०२|| | The Master | Abhyas School of Yoga | #shorts
चतुर्थ मण्डल, द्वादश अध्याय
दुखन रहित दुख हरत हो, शुद्ध शान्ति तव रूप ।
हे प्रभु आरत हरण हो, दुख क्षय सूख स्वरूप ।।०२।।
ukhana rahita dukha harata ho,
śuddha śānti tava rūpa ।
he prabhu ārata haraṇa ho,
dukha kṣaya sūkha svarūpa ।।02।।
"Yoga cannot be restricted to just the physical postures, kriyas, and mudras. The yoga of the physical realm extends much beyond the boundaries of present-day Hatha yoga. The Abhyas School of Yoga not only teaches but also imparts the Yoga of the physical realm to bring about the change we seek in our lives. This school is imparting the universal knowledge of ‘the real essence of Yog’. The message that the real essence of Yog wants to provide and help you with is how you could find yourself and ‘do what is needed’." - Naam Deo
Experience ‘The Real Essence of Yog’ at the Abhyas School of Yoga. http://www.naamdeo.org/
Subscribe to our YouTube channel: https://www.youtube.com/abhyasschoolofyoga
Visit the link below to register for Abhyas Online Yoga Classes. https://www.abhyasschoolofyoga.org/onlineclass . Visit the link below to register for Yoga Teachers' Training Program. https://www.abhyasschoolofyoga.org/ttc . Visit us: www.abhyasschoolofyoga.org Contact us: [email protected] WhatsApp: +91 92945 83000
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newsdaliy · 2 years
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अर्पिता खान-आयुष शर्मा के घर पर सलमान खान ने की गणेश आरती | वीडियो
अर्पिता खान-आयुष शर्मा के घर पर सलमान खान ने की गणेश आरती | वीडियो
छवि स्रोत: इंस्टाग्राम/सलमान खान सलमान खान ने की गणेश आरती सलमान खान गणेश चतुर्थी के पहले दिन बप्पा का अपने घर पर स्वागत करते हुए अपनी बहन अर्पिता खान के आवास पर गणपति पूजा में शामिल हुईं। अर्पिता ने गणेश उत्सव के शुभ अवसर के लिए अपने घर पर कई हस्तियों की मेजबानी की और कई सितारे 31 अगस्त को दर्शन के लिए पहुंचे। उनके अलावा, शुभ उत्सव में शामिल हुए कैटरीना कैफविक्की कौशल, सोहेल खान, हेलेन,…
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studycarewithgsbrar · 2 years
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आज बैठेंगे बप्पा, 10 दिन सुबह-शाम करेंगे गणपति आरती, मिलेगा विशेष आशीर्वाद - Punjab News Latest Punjabi News Update Today
आज बैठेंगे बप्पा, 10 दिन सुबह-शाम करेंगे गणपति आरती, मिलेगा विशेष आशीर्वाद – Punjab News Latest Punjabi News Update Today
गणेश चतुर्थी 2022 आरती: संहारक पूजन का पर्व गणेश चतुर्थी 31 अगस्त 2022 (गणेश उत्सव 2022 तिथि) को है। गणपति को बुद्धि, सुख और समृद्धि का देवता कहा जाता है। जो कोई भी गणेश उत्सव के दौरान 10 दिनों तक उनकी पूजा करता है, उसके सभी कार्य पूरे होते हैं। हर बाधा दूर होती है। गणेश उत्सव के दौरान सुबह और शाम गणेश जी की पूजा करके आरती करनी चाहिए। यह सर्वविदित है कि रिद्धि सिद्धि के दाता भगवान गणेश की…
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satyakosh · 4 years
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A priest will perform Aarti in Shinganapur to observe Shani birth anniversary without devotees due to lockdown | लॉकडाउन के कारण बिना भक्तों के मनेगा शनि जन्मोत्सव, शिंगणापुर में एक पुजारी ही करेगा आरती
A priest will perform Aarti in Shinganapur to observe Shani birth anniversary without devotees due to lockdown | लॉकडाउन के कारण बिना भक्तों के मनेगा शनि जन्मोत्सव, शिंगणापुर में एक पुजारी ही करेगा आरती
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2019 में दो लाख श्रद्धालुओं ने किए थे शिंगणापुर के शनैश्चर मंदिर में दर्शन 
सुबह 4 से रात 11 बजे तक रहेगा जन्मोत्सव कार्यक्रम
दैनिक भास्कर
May 16, 2020, 05:47 AM IST
शिंगणापुर. 22 मई को शनि जयंती है। नेशनल लॉकडाउन के चलते इस साल चैत्र नवरात्र, रामनवमी, हनुमान जयंती और बुद्ध पूर्णिमा के बाद शनि जयंती का उत्सव भी फीका ही रहने वाला है। देश के सबसे प्राचीन शनि मंदिर में इस साल शनि जयंती की धूम…
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sonita0526 · 5 years
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'अतरंगी रे' की शूटिंग करने बनारस के घाटों पर नजर आई सारा अली खान, गंगा आरती में भी पहुंची
'अतरंगी रे' की शूटिंग करने बनारस के घाटों पर नजर आई सारा अली खान, गंगा आरती में भी पहुंची
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बॉलीवुड डेस्क।डायरेक्टर आनंद एल राय की फिल्म & # 039; अतरंगी रे & # 039; की शूटिंग शुरू होने वाली है। जिसके लिए सारा अली खान बनारस पहुंचीं। सारा ने बनारस के घाटों पर होने वाली गंगा आरती में हिस्सा लिया। साथ ही उन्होंने घाट पर फोटोशूट भी करवाया। इस फिल्म में सारा के साथ अक्षय कुमार व साउथ के सुपर स्टार धनुष भी नजर आए।
10 दिन से ज्यादा स्टेगी बनारस में: सारा की फिल्म की शूटिंग करीबडेढ़ सप्ताहतक…
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newsbabahindi-blog · 5 years
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बिग बॉस 13 में बलात्कार के प्रयास के बारे में बात करने के लिए आरती सिंह कहती हैं कि अभिषेक उनसे नाराज थे।
बिग बॉस 13 में बलात्कार के प्रयास के बारे में बात करने के लिए आरती सिंह कहती हैं कि अभिषेक उनसे नाराज थे।
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चित्र सौजन्य: कृष्णा अभिषेक / इंस्टाग्राम
बिग बॉस 13 में एक कार्य के दौरान, आरती सिंह ने अपने घर पर उसके साथ बलात्कार के प्रयास के बारे में खोला था। हालांकि, उसके भाई कृष्ण अभिषेक ने इसे यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उसने इसे प्रवाह में कहा है।
News18.com
आखरी अपडेट: 18 फरवरी, 2020, 10:53 बजे IST
आरती सिंह ने हाल ही में संपन्न बिग बॉस 13. में एक सफल मंचन किया है। शीर्ष छह में जगह…
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news4me · 5 years
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arti singh karan singh grover: Bigg Boss 13: आरती के फोन में 'जिगर का टुकड़ा' नाम से सेव है करण सिंह ग्रोवर का नंबर! - bigg boss 13 arti singh shares close bond with karan singh grover and calls him jigar ka tukda
arti singh karan singh grover: Bigg Boss 13: आरती के फोन में ‘जिगर का टुकड़ा’ नाम से सेव है करण सिंह ग्रोवर का नंबर! – bigg boss 13 arti singh shares close bond with karan singh grover and calls him jigar ka tukda
[ad_1] टाइम्स न्यूज नेटवर्क | Updated: 12 Nov 2019, 05:32:29 PM IST
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करण-आरती
आरती सिंह और करण सिंह ग्रोवर बेस्ट फ्रेंड्स हैं और दोनों के बीच जबरदस्त बॉन्डिंग है। बिग बॉस 13 के घर से एक विडियो क्लिप वायरल हुआ है जिसमें आरती सिंह एलिमिनेट हो चुके कंटेस्टेंट तहसीन पूनावाला से बात करती नजर आ रही हैं। इस विडियो में आरती तहसीन को बता रही हैं कि करण बतौर व्यक्ति कितने अच्छे हैं। वह उनके लिए अपनी…
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abhyasschoolofyoga · 2 years
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kāla khāya saba sṛṣṭi ko...📖| Swarved ।।५/१२/०१।। | The Master | Abhyas School of Yoga | #shorts
चतुर्थ मण्डल, द्वादश अध्याय
काल खाय सब सृष्टि को, ताकर काल सकाल ।
हे प्रभु आरत हरण हो, कालक काल कराल ||०१||
Caturtha maṇḍala, dvādaśa adhyāya
Svarveda | Paṃcama maṇḍala, dvitīya adhyāya
kāla khāya saba sṛṣṭi ko, tākara kāla sakāla ।
he prabhu ārata haraṇa ho, kālaka kāla karāla ||01||
"Yoga cannot be restricted to just the physical postures, kriyas, and mudras. The yoga of the physical realm extends much beyond the boundaries of present-day Hatha yoga. The Abhyas School of Yoga not only teaches but also imparts the Yoga of the physical realm to bring about the change we seek in our lives. This school is imparting the universal knowledge of ‘the real essence of Yog’. The message that the real essence of Yog wants to provide and help you with is how you could find yourself and ‘do what is needed’." - Naam Deo
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studycarewithgsbrar · 2 years
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हरतालिका तीज 2022: हरतालिका तीज पूजा में करें मां तीज की आरती - पंजाब समाचार नवीनतम पंजाबी समाचार अपडेट आज
हरतालिका तीज 2022: हरतालिका तीज पूजा में करें मां तीज की आरती – पंजाब समाचार नवीनतम पंजाबी समाचार अपडेट आज
हरतालिका तीज 2022 आरती: हरतालिका तीज 30 अगस्त 2022 (हरतालिका तीज 2022 तिथि) को मनाई जाएगी। पौराणिक कथाओं के अनुसार जिस प्रकार माता पार्वती ने शिव के लिए पति पाने के लिए हरतालिका तीज का व्रत कर घोर तपस्या की थी, उसी प्रकार इस दिन निर्जला व्रत रखने वाली महिलाओं को महादेव और माता पार्वती की कृपा से अखंड शुभता प्राप्त होती है। . वर प्राप्त होता है। हरतालिका तीज पर प्रदोष काल से लेकर ब्रह्म मुहूर्त तक…
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ckpcity · 4 years
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कोरोनावायरस हाइलाइट्स: अमरनाथ यात्रा 2020 तीर्थयात्रा रद्द के रूप में आभासी हो जाती है, आरती टेलीकास्ट होने के लिए; कल से बेंगलुरु में कोई लॉकडाउन नहीं
कोरोनावायरस हाइलाइट्स: अमरनाथ यात्रा 2020 तीर्थयात्रा रद्द के रूप में आभासी हो जाती है, आरती टेलीकास्ट होने के लिए; कल से बेंगलुरु में कोई लॉकडाउन नहीं
कोरोनावायरस हाइलाइट्स: वार्षिक अमरनाथ यात्रा तीर्थयात्रा इस साल नहीं होगी क्योंकि COVID-19 महामारी के कारण, सूत्रों ने मंगलवार को CNN-Information18 को बताया। दक्षिण कश्मीर के हिमालय में अमरनाथ के 3,880 मीटर ऊंचे पवित्र गुफा मंदिर में 42 दिन तक चलने वाली इस यात्रा को पहले कर्ल कर दिया गया था और केवल 15 दिनों के लिए बट्टल मार्ग से आयोजित किया जाना था।
“धार्मिक भावनाओं को जीवित रखने के लिए, श्री…
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sonita0526 · 5 years
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डिजिटल डेस्क, मुम्बई। दुनिया में भाई-बहन का प्यार सबसे अनोखा और प्यारा है। यह बॉन्ड दुनिया के हर रिश्ते से बेहतर होता है। इसमें जितना प्यार और परवाह होती है, उतनी ही शिकायत और लड़ाई भी होती है। ऐसा ही कुछ नजारा बिग बॉस के घर में देखने को​ मिला। जब टेलीविजन के फेमस कॉमेडियन कृष्णा अभिषेक ने बिग बॉस सीजन 13 के घर में शिरकत की। वे यहां फैमिली राउंड के तहत अपनी बहन आरती से मिलने आए थे। इस दौरान कृष्णा और आरती की शानदार कैमेस्ट्री देखने को मिली, जो काफी इमोशनल कर देने वाली थीं। शो पर कृष्णा ने बताया कि वे आरती का भाई होने पर गर्व महसूस करते हैं।
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Comedian Krishna Abhishek Feels Proud To Be Aarti’s Brother
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BB13: जब कॉमेडियन कृष्णा को गले लगाकर जोर-जोर से रोने लगी बहन आरती, देंखे वीडियो  डिजिटल डेस्क, मुम्बई। दुनिया में भाई-बहन का प्यार सबसे अनोखा और प्यारा है। यह बॉन्ड दुनिया के हर रिश्ते से बेहतर होता है। इसमें जितना प्यार और परवाह होती है, उतनी ही शिकायत और लड़ाई भी होती है। ऐसा ही कुछ नजारा बिग बॉस के घर में देखने को​ मिला। जब टेलीविजन के फेमस कॉमेडियन कृष्णा अभिषेक ने बिग बॉस सीजन 13 के घर में शिरकत की। वे यहां फैमिली राउंड के तहत अपनी बहन आरती से मिलने आए थे। इस दौरान कृष्णा और आरती की शानदार कैमेस्ट्री देखने को मिली, जो काफी इमोशनल कर देने वाली थीं। शो पर कृष्णा ने बताया कि वे आरती का भाई होने पर गर्व महसूस करते हैं।
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