जातीय आधार पर किया था प्रताड़ित, पूर्व डीजीपी संजय कुंडू, एसपी शालिनी अग्निहोत्री समेत 10 के खिलाफ एससी एसटी एक्ट में मामला दर्ज
Himachal News: पूर्व डीजीपी संजय कुंडू समेत दस पुलिस अधिकारियों के खिलाफ पुलिस कर्मचारी को आठ साल नौकरी पर रखने के बाद नौकरी से निकालने और जाति के आधार पर प्रताड़ित करने की शिकायत दर्ज की गई है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1)(पी) के तहत सदर पुलिस स्टेशन शिमला में मामला दर्ज किया गया है।
जिन अधिकारियों के खिलाफ यह शिकायत दर्ज की गई है, उनमें एसपी कांगड़ा…
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*सुप्रीम कोर्ट ने कहा_ आरक्षण की_समीक्षा_होनी_ही_चाहिए?*
1️⃣ लेकिन इस बात की भी समीक्षा होनी चाहिए कि आखिर क्यों 70 साल में अनुसूचित जाति के # *श्री के.रामास्वामी # श्री के.जी.बालकृष्णन # श्री बी. सी.रे # श्री ए.वर्धराजन* सिर्फ # चार ही लोग सुप्रीम कोर्ट में जज बन पाए हैं! और *ओबीसी* के जज भी *केवल 2* ही हुये, इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए।
2️⃣ 70 साल में *अनुसूचित जनजाति* का एक भी व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट में जज नहीं बना है, इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए!!
3️⃣ सुप्रीम कोर्ट में आखिर एक ही जाति का *वर्चस्व* क्यों है? इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए!!
4️⃣ संविधान के #आर्टिकल 12 के अनुसार सुप्रीम कोर्ट को *राज्य* माना जाना चाहिए। आरक्षण का प्रावधान सुप्रीम कोर्ट में *राज्य की भांति* होना चाहिए! इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए !!
5️⃣ सुप्रीम कोर्ट में जब sc-st # *एट्रोसिटी_एक्ट* पर फैसला दिया जा रहा था, उस वक्त सुप्रीम कोर्ट में एससी, एसटी का एक भी जज नहीं था, क्या यह *न्याय के मूल सिद्धांतों* के अनुरूप था? इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए!!
6️⃣ संविधान के #आर्टिकल *312 (1)* के अनुसार जजों की भर्ती के लिए # *न्यायिक_नियुक्ति_आयोग* का गठन होना चाहिए ऐसा क्यों नहीं किया जाता है ? इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए!!
7️⃣ संविधान संशोधन अधिनियम 1976, के *42 वें संशोधन* के अनुसार जजों की भर्ती के लिए *ऑल इंडिया जुडिशरी सर्विस* का गठन किया जाना चाहिए! यह बिल संसद में कभी पेश ही नहीं किया गया! इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए !!
8️⃣ संविधान के #आर्टिकल *229* के अनुसार कर्मचारियों एवं अधिकारियों के मामले में उच्च न्यायालय अपने आप को *राज्य मानता* है और राज्य के अनुसार #आर्टिकल *15(4), 16(4) और 16(4 )(क)* का पालन क्यों नहीं किया जाता है? इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए !!
9️⃣ जब केशवानंद भारती मामले में भी #आर्टिकल *12* के अनुसार *उच्च एवं उच्चतम न्यायालय को राज्य* माना गया है, तो राज्यों के लिए लागू *_आरक्षण का प्रोविजन* उच्च एवं उच्चतम न्यायालय में लागू क्यों नहीं किया गया? इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए!!
1️⃣0️⃣ जब *ओबीसी, एससी-एसटी आईएएस बन सकता है, आईपीएस बन सकता है, राष्ट्रपति बन सकता है, मुख्यमंत्री* बन सकता है तो सुप्रीम कोर्ट में जज बनने के लिए कौन सी *अनोखी प्रतिभा* होनी चाहिए? इस बात की भी समीक्षा होनी चाहिए!!
1️⃣1️⃣ यदि सुप्रीम कोर्ट में जज बनने के लिए मेरिट ही आवश्यक है तो # *ऑल_इंडिया_जुडिशरी_सर्विस* का गठन करके खुली प्रतियोगिता में भाग क्यों नहीं लेते? इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए।
Copied
*(कापी पेस्ट करके इस मैसेज को आगे बढ़ाते रहिये, ताकि अधिक से अधिक लोग इस मुहिम में शामिल हो सकें और सुप्रीम कोर्ट के उन न्यायाधीशों को आईना दिखाया जा सके, जो *खुद* *को देश की जनता का भगवान और संविधान से भी बडा समझते हैं l)💐💐*
आरक्षण गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं हैं।
जाति जनगणना बहुत जरूरी है ताकि हमें हमारी संख्या के अनुपात भागीदारी मिले!
#SC #ST #Reservation
#Political #Education #Recruitment #Promotion #Backlog #NFS
#AarakshanBachaoYatra
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Scheduled Tribes Act : एससी एवं एसटी आयोग के अध्यक्षों को विशेष सदस्य के रूप में आमंत्रित किया जाए - CM
देहरादून : Scheduled Tribes Act मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अन्तर्गत गठित राज्य स्तरीय सतर्कता और अनुश्रवण समिति की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक का आयोजन 14 साल बाद किया गया। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि इस बैठक का आयोजन हर 06 माह में किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी बैठकों…
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नैनीताल जनपद में 6 विशेष लोक अभियोजक नियुक्त, रॉयल सोसाइटी ऑफ बायलॉजी लंदन के फेलो बने डॉ. सामंत
नैनीताल जनपद में 6 विशेष लोक अभियोजक नियुक्त
नवीन समाचार, नैनीताल, 5 जुलाई 2024। उत्तराखंड शासन के गृह अनुभाग ने नैनीताल जनपद में विभन्न अधिनियमों के लिये 6 विशेष लोक अभियोजक नियुक्त कर दिये हैं। संयुक्त निदेशक-विधि नैनीताल हीरा सिंह को विशेष न्यायाधीश-गैंगस्टर अधिनियम व जिला शासकीय अधिवक्ता-फौजदारी सुशील कुमार शर्मा को एससी-एसटी अधिनियम, विद्युत अधिनियम, दिव्यांगजन अधिनियम, बाल अपराधी व यूपीआईडी…
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हाथरस फै���ले के हफ्तों बाद भी एक गांव बंटा हुआ है | A Village Is Still Divided Weeks After Hathras Verdict;
Source: th-i.thgim.com
हाथरस में एक एससी / एसटी अदालत के विशेष न्यायाधीश ने अपना 167 पन्नों का फैसला
14 सितंबर, 2020 को चार उच्च जाति के पुरुषों द्वारा एक दलित लड़की के कथित सामूहिक बलात्कार में हाथरस में एक एससी / एसटी अदालत के विशेष न्यायाधीश ने अपना 167 पन्नों का फैसला सुनाए हुए कई हफ्ते हो गए हैं।
अदालत ने मुख्य आरोपी संदीप सिसोदिया को आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और धारा 3(2)(v) एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई, लेकिन उसे दोषी नहीं पाया। सामूहिक बलात्कार का। अन्य तीन आरोपियों रवि, लव कुश और रामू को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया।
बूलगढ़ी में पसरा सन्नाटा
हालाँकि, 30 सितंबर, 2020 को बूलगढ़ी गाँव में उतनी ही बेचैनी है, जब इलाज के दौरान दिल्ली के एक अस्पताल में पीड़िता की मौत के बाद जिला प्रशासन ने जबरन रात के अंधेरे में उसका अंतिम संस्कार कर दिया।
अलग-अलग निवासियों के आदेश पर अलग-अलग राय है, इस पर निर्भर करता है कि वे इस मामले में क्या देखना चाहते हैं, जो गांव में जाति के बोलबाला को सामने लाता है।
'न्याय नहीं हुआ'
पीड़ित के परिवार के सदस्यों ने कहा कि न्याय नहीं हुआ है और वे उच्च न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाएंगे। उसके पिता ने कहा, "फैसले से ऐसा लगता है कि हमने अपनी बेटी को उसके बलात्कार और हत्या के लिए चार लोगों का नाम लेने के लिए सिखाया क्योंकि आरोपी के परिवार के साथ हमारा झगड़ा चल रहा था और उसका संदीप के साथ संबंध था। हम ऐसा क्यों करेंगे?"
अदालत की इस टिप्पणी पर कि घटना का राजनीतिकरण परिवार को अपना बयान बदलने के लिए मजबूर कर सकता है, उन्होंने कहा, “इसका राजनीतिकरण किया गया जब प्रशासन ने हमारी अनुमति के बिना रात में हमारी बेटी का अंतिम संस्कार किया। पीड़िता के बड़े भाई ने कहा, 'ऐसा लगता है कि फैसला सुनाते वक्त हमारी शैक्षणिक और सामाजिक पृष्ठभूमि को ध्यान में नहीं रखा गया। ”
भाजपा से हाथरस के सांसद राजवीर दलेर ने बचाव पक्ष के वकील के इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह परिवार उनसे संबंधित है, यह सच नहीं है।
पीड़िता के परिवार की वकील सीमा कुशवाहा ने कहा कि आदेश ने अजीब तरह से अदालत में उनके तर्कों पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि केवल सरकारी वकील के तर्कों पर ध्यान दिया।
"निर्णय ऐसे मामलों में शामिल सामाजिक कलंक को ध्यान में नहीं रखता है और यह बात नहीं करता है कि यूपी पुलिस की जांच में देरी और चूक कैसे अभियुक्तों के खिलाफ मामले को कमजोर कर सकती थी ... न्यायाधीश ने पीड़िता की मौत को स्वीकार नहीं किया घोषणा, "उसने कहा।
सुश्री कुशवाहा ने कहा, “हमें लगता है कि दोषी का बलात्कार और हत्या करने का इरादा और प्रेरणा थी, और हम उच्च न्यायालय के समक्ष फैसले में अंतर को बढ़ाएंगे।”
कानूनी लड़ाई लड़ने का आरोपी
इस बीच, अभियुक्तों के परिवारों को लगता है कि पूरी तरह से न्याय नहीं किया गया है।
आरोपी रवि के पिता अतर सिंह ने कहा, 'हम अभी भी नहीं जानते कि लड़की को किसने मारा। हमारे लड़कों के नाम इसलिए जोड़े गए क्योंकि परिवार करोड़ों बनाना चाहता था। यह सांसद की बेटी थी जिसने हमारे बेटों पर आरोप लगाया और मीडिया कहानी के साथ भाग गई। इसका भुगतान कौन करेगा?”........
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saraikela dc meeting -डीसी ने की एसटी-एससी अत्याचार निवारण की समीक्षा, दोषियों पर न्यायसंगत कार्रवाई, पीड़ितों को मुआवजा देने का निर्देश
सरायकेला: शनिवार को समाहरणालय सभागार मे उपायुक्त अरवा राजकमल की अध्यक्षता में अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत जिला स्तरीय समिति की बैठक हुई. बैठक में उपायुक्त के साथ पीडी आईटीए संदीप कुमार दोराईबुरु, पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय चन्दन कुमार वत्स, जिला कल्याण पदाधिकारी लक्ष्मण हरिजन, विधायक प्रतिनिधि एवं अन्य समिति सदस्य उपस्थित रहे.(नीचे भी पढ़े)बैठक में अनुसूचित जाति एवं…
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*भारत मे स्वच्छता अभियान के जनक, व्यवस्था परिवर्तक महान संत गाडगे बाबा (जन्म;23फरवरी1876-मृत्यु;20दिसंबर1956) के 66वें स्मृति दिन पर उन्हे सादर नमन 🌹* *मानवता के प्रेरक राष्ट्रसंत गाडगे महाराज के 66वें स्मृति दिवस पर विनम्र अभिवादन🌹🌹* *तिलक कहे, संसद मे न लिये जाए तेली-तंबोली-कुणभट|* *गाडगे महाराज दहाडे, तो फिर करदो हमे भी बामन-भट||* *मानवता के प्रेरक राष्ट्रसंत गाडगे महाराज जी के 66वें स्मृति दिवस पर विनम्र अभिवादन👈* *#हमे_बामण_बना_दो: #संत_गाडगे_बाबा#* ××××××××××××××××××××××××××××××× *भारतमंत्री लॉर्ड मांटेग्यू ने 20अगस्त1917 को ब्रिटिश संसद मे यह घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार का उद्देश्य भारत मे उत्तरदायी शासन की स्थापना करने के लिए भारतीय लोगो को और अधिक राजनैतिक अधिकार देने होंगे| इस संबंध मे भारतीयो से विचार विमर्श हेतु एक आयोग का गठन किया गया जिसका अध्यक्ष लॉर्ड साउथब्रो को बनाया गया| इस आयोग की रिपोर्ट के फलस्वरूप ही भारत सरकार अधिनियम 1919 बना जिसे मांटेग्यु-चेम्सफोर्ड सुधार भी कहा जाता है क्योंकि उस समय लॉर्ड मांटेग्यू भारत सचिव (17/07/1917 - 19/07/1922) तथा लॉर्ड चेम्सफ़ोर्ड भारत के वायसराय (04/04/1916 - 02/04/1921) थे| आयोग के समक्ष रखने के लिए अपनी अपनी मांगो के समर्थन मे जनमत तैयार करने हेतु सभी वर्गों के लोग जगह जगह जनसभाएँ कर रहे थे| इसी संदर्भ मे बाबासाहेब डॉ.आंबेडकर और भास्करराव विठोजीराव जाधव (कोल्हापुर नरेश छत्रपति शाहूजी महाराज के प्रमुख व्यक्ति एवं सत्य शोधक समाज के अध्यक्ष) एससी- एसटी व ओबीसी के लिए विधिमंडल मे प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे थे| इन मांगो के विरोध मे, भटमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 14फरवरी1918 को गांव-अथनी, जिला-बेलगाम, कर्नाटक की आम सभा मे भाषण दिया कि "तेली, तंबोली और कुणभटो को विधिमंडल मे जाकर क्या हल चलाना है|" इसके बाद उन्होने गांव-पंढरपुर, जिला सोलापुर, महाराष्ट्र मे सभा ली और वहाँ भी वही बाते कही| ज्ञातव्य हो कि कोल्हापुर, बेलगाम और सोलापुर, यह सभी एक दूसरे के पड़ोसी जिले है| इस सभा मे ‘राष्ट्रसंत गाडगे बाबा’ भी उपस्थित थे किन्तु तिलक को इस बात का पता नही था| तिलक ने उन्हे स्टेज से देख लिया तथा उनसे अनुरोध किया कि गाडगे महाराज हमे मार्गदर्शन करे| भारी भीड के सामने अनुरोध करने पर गाडगे बाबा मना नही कर पाये और स्टेज पर गए| माईक हाथ मे लेकर बोले, "तिलक महाराज गलती मेरी है, मैं परीट, मैं धोबी, पीढ़ी-दर-पीढ़ी आपके कपड़े धोना मेरा काम है, मैं मार्गदर्शन कैसे करूँ" अर्थात मार्गदर्शन करना मेरी जाति का काम ही नही है| गाडगे बाबा न https://www.instagram.com/p/CmYkWYQM1x8/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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Amendment Bill 2022 | राज्यसभा में आज 'ऊर्जा संरक्षण संशोधन बिल 2022' पेश करेंगे केंद्रीय ऊर्जा मंत्री, लोकसभा कर चुकी है पारित
Amendment Bill 2022 | राज्यसभा में आज ‘ऊर्जा संरक्षण संशोधन बिल 2022’ पेश करेंगे केंद्रीय ऊर्जा मंत्री, लोकसभा कर चुकी है पारित
नई दिल्ली: ऊर्जा संरक्षण अधिनियम (Energy Conservation), 2001 में संशोधन के लिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर.के.सिंह (RK Singh) आज राज्यसभा में ‘ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022′ (Energy Conservation (Amendment) Bill, 2022’) पेश करेंगे। बता दें कि लोकसभा पहले ही विधेयक पारित कर चुकी है। वहीं ‘संविधान (एससी और एसटी) आदेश (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2022’भी पेश किया जाएगा।
बता दें कि विधेयक में कार्बन बचत…
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गुजरात में एससी/एसटी एक्ट के तहत बीजेपी के तीन नेताओं पर मामला दर्ज
गुजरात में एससी/एसटी एक्ट के तहत बीजेपी के तीन नेताओं पर मामला दर्ज
गुजरात के वडोदरा के डभोई कस्बे में बीजेपी के तीन नेताओं पर एससी-एसटी (अत्याचार निवारण अधिनियम) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
वडोदरा ग्रामीण पुलिस उपाधीक्षक (एसटी/एससी सेल) आकाश पटेल ने कहा कि एक आदिवासी युवक (धर्मेश तड़वी) ने सोमवार शाम को अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि इन नेताओं ने जानबूझकर उनका अपमान किया, स्वेच्छा से चोट पहुंचाई और उनके खिलाफ जातिवादी टिप्पणी की।
तडवी ने कहा कि डभोई नगर निगम…
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यूजीसी ने विश्वविद्यालयों, कॉलेजों से ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने पर जोर दिया, एचईआई का दावा नहीं मिला फंड
यूजीसी ने विश्वविद्यालयों, कॉलेजों से ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने पर जोर दिया, एचईआई का दावा नहीं मिला फंड
सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने 7 नवंबर को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण की वैधता को बरकरार रखा।
103वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत, जिसमें ईडब्ल्यूएस आरक्षण का प्रावधान है, उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) में 10 प्रतिशत सीटें एससी, एसटी और ओबीसी को छोड़कर ईडब्ल्यूएस श्रेणी से संबंधित लोगों के लिए आरक्षित…
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एससी या एसटी से होने मात्र से एससी -एसटी एक्ट लागू नहीं होता, अपमानित करना होना चाहिए उद्देश्य; सुप्रीम कोर्ट
SC-ST Atrocity Act: सर्वोच्च न्यायलय ने शुक्रवार को कहा कि अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत अपराध केवल इस आधार पर स्थापित नहीं हो जाता कि शिकायतकर्ता अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति समुदाय का सदस्य है, जब तक कि अपमानित करने का इरादा न हो.
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने यूट्यूबर शजन स्कारिया को अग्रिम जमानत देते हुए ये टिप्पणी की, जो वीडियो…
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यूजीसी ने विश्वविद्यालयों, कॉलेजों से ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने पर जोर दिया, एचईआई का दावा नहीं मिला फंड
यूजीसी ने विश्वविद्यालयों, कॉलेजों से ईडब्ल्यूएस कोटा लागू करने पर जोर दिया, एचईआई का दावा नहीं मिला फंड
सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने 7 नवंबर को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण की वैधता को बरकरार रखा।
103वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम के तहत, जिसमें ईडब्ल्यूएस आरक्षण का प्रावधान है, उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) में एससी, एसटी और ओबीसी को छोड़कर, ईडब्ल्यूएस श्रेणी से संबंधित 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित होंगी।
केंद्र…
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कर्नाटक ने SC/ST के लिए बढ़ा हुआ आरक्षण किया लागू, ब्यूरोक्रेट्स ने बताई कहां आएंगी अड़चनें
बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने मंगलवार से कन्नड़ राज्योत्सव दिवस के अवसर पर अनुसूचित जातियों के लिए 17 फीसदी और अनुसूचित जनजातियों के लिए 7 फीसदी बढ़ा हुआ आरक्षण लागू करने का निर्देश देते हुए एक अधिसूचना जारी की है। हालांकि नौकरशाहों ने कहा है कि कार्यान्वयन के लिए जारी अधिसूचना पर कोई स्पष्टता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि पहले अस्पष्टताओं को दूर करने की जरूरत है। अधिसूचना में कहा गया है कि आरक्षण बढ़ाने के संबंध में उनके निर्देशों को 1 नवंबर से लागू किया जाना चाहिए।
वरिष्ठ नौकरशाहों ने कहा कि बढ़े हुए आरक्षण को लागू करने के बाद, राज्य में कुल आरक्षण बढ़कर 56 प्रतिशत हो जाएगा जो कि इंदिरा साहनी के फैसले में सुप्रीम कोर्ट की तय की गई 50 प्रतिशत सीमा से ऊपर है। उन्होंने कहा कि रोस्टर्स पर फिर से काम करना होगा और कानूनी प्रावधानों के तहत भी आरक्षण में वृद्धि को लागू करना आसान नहीं है। समाज कल्याण विभाग ने अधिसूचना जारी कर राज्य सरकार द्वारा अध्यादेश को लागू करने के निर्देश दिए हैं।
कहां-कहां मिलेगा फायदा?अधिसूचना सभी विभागों, विश्वविद्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों, निगमों, बोर्ड्स, आयोगों, सरकारी उपक्रमों, कर्नाटक लोक सेवा आयोग (केपीएससी) के सचिव और कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (केईए) के सीईओ को दी गई थी। सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार की ओर से घोषित अध्यादेश के अनुसार, बढ़ा हुआ आरक्षण सरकार के संचालित शिक्षण संस्थानों, सहायता प्राप्त स्कूलों और कॉलेजों पर भी लागू होगा और छात्रों के प्रवेश पर भी लागू होगा।
कांग्रेस और बीजेपी के बीच मची होड़
आदेश को कर्नाटक सहकारी समिति अधिनियम और सभी सरकारी उपक्रमों के तहत पंजीकृत कंपनियों और सार्वजनिक संस्थानों में लागू करना होगा। कर्नाटक में एससी और एसटी के लिए आरक्षण बढ़ाने के मुद्दे ने राजनीतिक मोड़ ले लिया है। एससी और एसटी के लिए आरक्षण बढ़ाने का फैसला लेने पर विपक्षी कांग्रेस और सत्तारूढ़ बीजेपी दावा करती रही है। दोनों पार्टियां छह महीने से भी कम समय में होने वाले 2023 के आगामी विधानसभा चुनावों से पहले इसका राजनीतिक लाभ उठाने पर विचार कर रही हैं। http://dlvr.it/Sc3ytm
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अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम का अत्याचार जो तस्वीर मैं यहां पर लगा रहा हूं इसे आप लोगों ने सोशल मीडिया पर अवश्य देख ली होगी, क्योंकि मध्यप्रदेश के सागर जिले की घटना की यह तस्वीर वायरल हो गई थी। इसमें जो व्यक्ति जमीन पर जूतों में पड़ा हुआ है उसका नाम क्षमाधर पटेल है और जिसने उसके सिर पर पैर रख रखा है उसका नाम विनोद अहिरवार है। विनोद अहिरवार अनुसूचित जाति का पटवारी है और जिसके ऊपर उसने अपना जूता रख रखा है वह पिछड़ी जाति से आने वाला उसका मातहत कर्मचारी क्षमाधर पटेल। किसी छोटी बात को लेकर विवाद हुआ तो अहिरवार ने धमकी दी कि "मैं तुम्हें एससी / एसटी एक्ट में फंसा दूंगा"। भयाक्रांत हो पटेल ने उससे माफी मांगी, अनुनय-विनय की और कहा कि ऐसी गलती भविष्य में अब कभी नहीं होगी। लेकिन एससी/ एसटी एक्ट मत लगाइए। विनोद अहिरवार ने क्षमा कर दिया लेकिन कहा कि तुम मेरे पैरों में पड़ो और मेरे जूते चाटों (ऐसी खबर अखबारों में छपी) भयाक्रांत क्षमाधर पटेल ने वैसा ही किया जो उसे इस निरंकुश अधिनियम से उन्हें बचा सकता था। बाद में अहिरवार ने ही इस तस्वीर को वायरल कर दिया। सरकार को भी यह दिखाना था कि वह कुछ कर रही है तो परिणामस्वरूप जिलाधिकारी ने कार्यवाही करते हुए, ऐसा बताते हैं, कि अहिरवार को सस्पेंड कर दिया। प्रश्न यह नहीं है कि सस्पेंड कर दिया या नहीं कर दिया, प्रश्न है कि इस तरह के कितने ही अत्याचार ऐसे हैं जो प्रकाश में ही नहीं आते। हजारों ऐसे लोग हैं जो घुट-घुट कर इस तरह का अपमानजनक जीवन जीने के लिए विवश है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को छोड़कर संपूर्ण समाज इससे, कमोवेश, त्रस्त हैं। अभी कुछ साल हुए ललिता पांडे नाम की एक विधवा के ऊपर एस सी-एस टी एक्ट का एक झूठा केस लगाया गया। निर्बल, गरीब और असहाय विधवा 4 वर्षों तक जेल में रही। उसके पास मुकदमा लड़ने के संसाधन नहीं थे। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक दयालु अधिवक्ता अखिलेश त्रिपाठी के पास किसी तरह बात पहुंची। उन्होंने यह मुकदमा लड़ा और झूठे आरोप में जेल में नर्क की जिंदगी जी रही महिला को जेल से बाहर निकलवाया। उच्च न्यायालय ने महिला को निर्दोष पाया और पाया कि यह पूरा मामला झूठ का है जो दुर्भावना से लगाया गया है। ललितपुर के विष्णु तिवारी को तो आप में से कोई नहीं भूला होगा। अभी कुछ वर्ष पूर्व ही वह निहायत गरीब और असहाय 20 वर्ष की सजा काटकर जेल से बाहर आया। 20 वर्ष तक मुकदमा चलने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उनको भी निर्दोष पाया और यह पाया कि उसे झूठा फंसाया गया था। "बाइज्जत" बरी तो हुआ पर असल में इज्जत https://www.instagram.com/p/CjsC2_Dpggu/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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SC, ST हेल्पलाइन नंबर- 14566: दलित उत्पीड़न के खिलाफ राष्ट्रीय हेल्पलाइन शुरू- आप सभी को पता होना चाहिए
SC, ST हेल्पलाइन नंबर- 14566: दलित उत्पीड़न के खिलाफ राष्ट्रीय हेल्पलाइन शुरू- आप सभी को पता होना चाहिए
SC/ST हेल्पलाइन नंबर: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 13 दिसंबर, 2021 को दलित उत्पीड़न के खिलाफ एक राष्ट्रीय हेल्पलाइन शुरू की। शिकायत हेल्पलाइन नंबर अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) से संबंधित सदस्यों के घृणा को रोकने में मदद करेगा। एससी, एसटी पर अत्याचार के खिलाफ राष्ट्रीय हेल्पलाइन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के निष्पादन को सुनिश्चित…
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jharkhand- cabinet-meeting-झारखंड कैबिनेट की बैठक में 29 प्रस्तावों पर लगी मुहर, आदित्यपुर व रांची नगर निगम एसटी के लिए आरक्षित, धनबाद नगर निगम एससी के लिए रिजर्व, सीएम व मंत्रियों को मिलने वाली सुविधाओं में की गयी बढ़ोत्तरी, उत्पाद अधिनियम संशोधन को स्वीकृति
jharkhand- cabinet-meeting-झारखंड कैबिनेट की बैठक में 29 प्रस्तावों पर लगी मुहर, आदित्यपुर व रांची नगर निगम एसटी के लिए आरक्षित, धनबाद नगर निगम एससी के लिए रिजर्व, सीएम व मंत्रियों को मिलने वाली सुविधाओं में की गयी बढ़ोत्तरी, उत्पाद अधिनियम संशोधन को स्वीकृति
रांची: रांची स्थित प्रोजेक्ट भवन में झारखंड कैबिनेट की बैठक हुई. इस बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने की. इस दौरान करीब 29 प्रस्ताव को पारित किया गया.झारखंड में नगर निकाय चुनाव के लिए मेयर और अध्यक्ष पद के आरक्षण में बदलाव किया गया है.सीएम हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में झारखंड नगरपालिका संशोधन विधेयक 2022 की मंजूरी दी गयी. एसटी-एससी, ओबीसी में रोटेशन शब्द को…
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