शिवजी के आठ बच्चे
शिव को अयोनिजा कहा जाता है, जो गर्भ में नहीं रहता । न ही उनके पास इस अर्थ में बच्चे हैं कि हम इसे समझते हैं या विष्णु के अवतारों की तरह भी । हालाँकि पुराणों में उल्लेख है कि शिव के बच्चे थे । वे आठ हैं।इसमें पाया गया संदर्भ शामिल नहीं है कंध पुराण के बारे
शिव को अयोनिजा कहा जाता है, जो गर्भ में नहीं रहता । न ही उनके पास इस अर्थ में बच्चे हैं कि हम इसे समझते हैं या विष्णु के अवतारों की तरह भी । हालाँकि पुराणों में उल्लेख है कि शिव के बच्चे थे । वे आठ हैं।इसमें पाया गया संदर्भ शामिल नहीं है कंध पुराण के बारे में नव वीर जो सुब्रह्मण्य के साथ पैदा हुए थेहालांकि वे शिव और शक्ति या यहां तक कि एक महिला के बीच मिलन के कारण नहीं थे ।
सूची।गणेश-शक्ति के…
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Haryana News: राज्य सभा सांसद कार्तिकेय शर्मा का धारूहेडा में किया स्वागत
Haryana News: राज्य सभा सांसद कार्तिकेय शर्मा का धारूहेडा में किया स्वागत
धारूहेडा: राज्य सभा सांसद कार्तिकेय का कापडीवास मे पूर्व विधायक रणधीरसिंह कापडीवास के घर भव्य स्वागत किया गया। वे रेवाडी मे आयोजित सम्मान समारोह में शामिल होने के लिए रेवाडी आए थे।
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रेवाडी आने से पहले पूर्व विधायक के घर कापडीवास गांव मे उसका स्वागत कि गया। इस मौके पूव विधायक के भतीजे मुकेश…
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जय श्री कार्तिकेय
जय श्री गणेश देवा
🚩🔱🦚🌷🙏
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Om Kartikeya Vidmahe | Lord Kartikeya Mantra | शक्तिशाली भगवान कार्तिकेय...
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🦚 चम्पा षष्ठी - Champa Shashthi
❀ चंपा षष्ठी व्रत भगवान शिव एवं माता पार्वती के बड़े पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है।
❀ चंपा षष्ठी को स्कंद षष्ठी के नाम से जाना जाता है।
❀ एक अन्य मान्यता के अनुसार, यह त्यौहार भगवान शिव के माने गये अवतार खंडोबा जी को समर्पित है।
❀ भगवान शिव का यह खंडोबा रूप किसानों, चरवाहों और शिकारियों का स्वामी माना जाता है।
खंडोबा मंदिर, चम्पा षष्ठी प्रचलित कथा को हिन्दी मे पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें 👇
📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/champa-shashthi
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🍚 अन्नपूर्णा व्रत - Annapurna Vrat
📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/annapurna-vrat
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Dev Diwali - Kartik Purnima 2023: देव दिवाली पर शिव योग का होगा निर्माण इसका शिव से है गहरा संबंध होगा हर समस्या का समाधान
Dev Deepawali 2023: कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली मनाई जाती है. ये दिवाली देवताओं को समर्पित है, इसका शिव जी से गहरा संबंध है. इस दिन धरती पर आते हैं देवतागण कार्तिक पूर्णिमा का दिन कार्तिक माह का आखिरी दिन होता है. इसी दिन देशभर में देव देवाली भी मनाई जाती है लेकिन इस बार पंचांग के भेद के कारण देव दिवाली 26 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी और कार्तिक पूर्णिमा का व्रत, स्नान 27 नवंबर 2023 को है. देव दिवाली यानी देवता की दीपावली. इस दिन सुबह गंगा स्नान और शाम को घाट पर दीपदान किया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा पर 'शिव' योग का हो रहा है निर्माण, हर समस्या का होगा समाधान |
देव दिवाली तिथि और समय
पूर्णिमा तिथि आरंभ - 26 नवंबर 2023 - 03:53
पूर्णिमा तिथि समापन - 27 नवंबर, 2023 - 02:45
देव दीपावली मुहूर्त - शाम 05:08 बजे से शाम 07:47 बजे तक
पूजन अवधि - 02 घण्टे 39 मिनट्स
शिव मंत्र
ॐ नमः शिवाय
ॐ शंकराय नमः
ॐ महादेवाय नमः
ॐ महेश्वराय नमः
ॐ श्री रुद्राय नमः
ॐ नील कंठाय नमः
देव दिवाली का महत्व
देव दिवाली का सनातन धर्म में बेहद महत्व है। इस पर्व को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप मनाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने इस दिन राक्षस त्रिपुरासुर को हराया था। शिव जी की जीत का जश्न मनाने के लिए सभी देवी-देवता तीर्थ स्थल वाराणसी पहुंचे थे, जहां उन्होंने लाखों मिट्टी के दीपक जलाएं, इसलिए इस त्योहार को रोशनी के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है।
इस शुभ दिन पर, गंगा घाटों पर उत्सव मनाया जाता है और बड़ी संख्या में तीर्थयात्री देव दिवाली मनाने के लिए इस स्थान पर आते हैं और एक दीया जलाकर गंगा नदी में छोड़ देते हैं। इस दिन प्रदोष काल में देव दीपावली मनाई जाती है. इस दिन वाराणसी में गंगा नदी के घाट और मंदिर दीयों की रोशनी से जगमग होते हैं. काशी में देव दिवाली की रौनक खास होती है.
Dev diwali Katha : देव दिवाली की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव बड़े पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया था. पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए तारकासुर के तीनों बेटे तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली ने प्रण लिया. इन तीनों को त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाता था. तीनों ने कठोर तप कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और उनसे अमरत्व का वरदान मांगा लेकिन ब्रह्म देव ने उन्हें यह वरदान देने से इनकार कर दिया.
ब्रह्मा जी ने त्रिपुरासुर को वरदान दिया कि जब निर्मित तीन पुरियां जब अभिजित नक्षत्र में एक पंक्ति में में होगी और असंभव रथ पर सवार असंभव बाण से मारना चाहे, तब ही उनकी मृत्यु होगी. इसके बाद त्रिपुरासुर का आतंक बढ़ गया. इसके बाद स्वंय शंभू ने त्रिपुरासुर का संहार करने का संकल्प लिया.
काशी से देव दिवाली का संबंध एवं त्रिपुरासुर का वध:
शास्त्रों के अनुसार, एक त्रिपुरासुर नाम के राक्षस ने आतंक मचा रखा था, जिससे ऋषि-मुनियों के साथ देवता भी काफी परेशान हो गए थे। ऐसे में सभी देवतागण भगवान शिव की शरण में पहुंचे और उनसे इस समस्या का हल निकालने के लिए कहा। पृथ्वी को ही भगवान ने रथ बनाया, सूर्य-चंद्रमा पहिए बन गए, सृष्टा सारथी बने, भगवान विष्णु बाण, वासुकी धनुष की डोर और मेरूपर्वत धनुष बने. फिर भगवान शिव उस असंभव रथ पर सवार होकर असंभव धनुष पर बाण चढ़ा लिया त्रिपुरासुर पर आक्रमण कर दिया. इसके बाद भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर का वध कर दिया था और फिर सभी देवी-देवता खुशी होकर काशी पहुंचे थे। तभी से शिव को त्रिपुरारी भी कहा जाता है. जहां जाकर उन्होंने दीप प्रज्वलित करके खुशी मनाई थी। इसकी प्रसन्नता में सभी देवता भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचे. फिर गंगा स्नान के बाद दीप दान कर खुशियां मनाई. इसी दिन से पृथ्वी पर देव दिवाली मनाई जाती है.
पूजन विधि
देव दीपावली की शाम को प्रदोष काल में 5, 11, 21, 51 या फिर 108 दीपकों में घी या फिर सरसों के भर दें। इसके बाद नदी के घाट में जाकर देवी-देवताओं का स्मरण करें। फिर दीपक में सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, हल्दी, फूल, मिठाई आदि चढ़ाने के बाद दीपक जला दें। इसके बाद आप चाहे, तो नदी में भी प्रवाहित कर सकते हैं।
देव दीपावली के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें। हो सके,तो गंगा स्नान करें। अगर आप गंगा स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं, तो स्नान के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डाल लें। ऐसा करने से गंगा स्नान करने के बराबर फलों की प्राप्ति होगी। इसके बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे में जल, सिंदूर, अक्षत, लाल फूल डालकर अर्घ्य दें। फिर भगवान शिव के साथ अन्य देवी देवता पूजा करें। भगवान शिव को फूल, माला, सफेद चंदन, धतूरा, आक का फूल, बेलपत्र चढ़ाने के साथ भोग लाएं। अंत में घी का दीपक और धूर जलाकर चालीसा, स्तुत, मंत्र का पाठ करके विधिवत आरती कर लें।
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💙🌺🌺💙💙🌺🌺💙 Incredible PHENOMENAL DEVI MAA from @mr_artist_shivam_kr beautiful Devi Maa artwork 🌼 • अष्ट मत्रिका Slide for all mantrika paintings दुर्गा सप्तशती के सातवें अध्याय में देवी और शुंभ निशुंभ के मध्य जब युद्ध होता रहता है तो देवी चारों और असुरों से घिर जाती हैं उनकी सहायता के लिए विभिन्न देवताओं के अंदर से अलग-अलग उनकी स्त्री शक्तियों का आविर्भाव होता है वही आठ प्रमुख शक्तियां अष्ट मातृका कहलाती हैं ।वह आठ शक्तियां इस प्रकार है जिसे ब्रह्मा की शक्ति ब्राम्ही, विष्णु की शक्ति वैष्णवी ,महेश्वर की शक्ति माहेश्वरी l इसी प्रकार कार्तिकेय की शक्ति कौमारी, इंद्र की शक्ति इंद्राणी नर्सिंग किस शक्ति नर्सिंग वराह की शक्ति वाराही। चंड मुंड का वध करने के कारण ही कालिका को चामुंडा की संज्ञा दी गई। इस प्रकार यही अष्ट मातृका कहलाती है। #drawing #collab #art #artist #maa #durga #navratri #navdurga #kali #mata #matarani #god #goddess #veshnodevi #mata #maa #kali#bhairvi #shiv #shiva #shivratri #parvati #shankar #bholenath #bholebaba #mahadev #mahakali#mahakalianthhiaarambhhai #shakti #kali #omshaktiarts https://www.instagram.com/p/CndHMEgpWZ0/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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उज्जैन में ज्योतिर्लिंग का अभिषेक और पूजन करेंगी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, यहां जानें दौरे का पूरा शेड्यूल
उज्जैन में ज्योतिर्लिंग का अभिषेक और पूजन करेंगी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, यहां जानें दौरे का पूरा शेड्यूल
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President Draupadi Murmu Ujjain Visit: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु 19 सितंबर को महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में ज्योतिर्लिंग का अभिषेक-पूजन करेंगी। उस समय आम श्रद्धालुओं की दर्शन व्यवस्था कार्तिकेय मंडपम् से निरंतर चालू रहेगी।
जब वे महाकाल के दर्शन के लिए पहुंचेंगी, उस दौरान आम श्रद्धालुओं के लिए कार्तिकेय मंडपम् से दर्शन जारी रहेंगे। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि राष्ट्रपति के स्वागत के…
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jamshedpur rural- महिलाओं ने अखंड सौभाग्य के लिए किया हरितालिका तीज व्रत
मुसाबनी: पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की कामना में गुरुवार को महिलाओं ने हरितालिका तीज का निर्जला व्रत रखा. इस अवसर पर महिलाओं ने सोलह श्रृंगार कर भगवान शंकर, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और नंदी की मिट्टी की प्रतिमाएं बनाकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की. इस दौरान भगवान को भोग अर्पित किया और मंगल गीतों के साथ आरती उतारी.(नीचे भी पढ़े)
कई घरों और मोहल्लों में सामूहिक पूजन के बाद हरितालिका व्रत की…
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Navratri Festivals in India
Paras Parivaar Organization(पारस परिवार आर्गेनाइजेशन):
नवरात्रि की नौ रातों में हर रात एक अलग अवतार या रूप में माँ दुर्गा की पूजा की जाती है। हर रात को एक अलग रूप या स्वरुप में माँ की उपासना करते हुए, भक्तों को शक्ति, सदभावना और दिव्यता की अनुभूति होती है। ये रातें नवरात्रि का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। जिनमें भक्ति और आध्यात्मिकता की भावनाओं को जागृत किया जाता है।
नवरात्रि की नौ रातों में हर रूप का एक अलग अर्थ और महत्व है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार नवरात्रि के इस समय में माँ के हर रूप से भक्तों को माँ दुर्गा की शक्ति, साहस और दया को जानने का अवसर मिलता है। नवरात्रि में हर रात और हर दिन मंत्रों और भजनों के साथ भक्ति में वृद्धि होती है। जिससे व्यक्ति अपने आंतरिक अस्तित्व को महसूस करता है और उनका धार्मिक एवं मानसिक विकास होता है।
नवरात्रि का पर्व सामान्य रूप से माँ दुर्गा को समर्पित है। नवरात्रि माँ शक्ति की पूजा का महत्वपूर्ण त्यौहार है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस अवसर पर भक्तों का उद्देश्य माँ दुर्गा की पूजा, स्तुति और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करना है। नवरात्रि भक्ति के महत्व को समझने और अमल में लाने का भी पर्व है।
नवरात्रि का महत्व ये है कि ये त्यौहार माँ दुर्गा की अद्भुत पराक्रम को जानने का अवसर प्रदान करता है। माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के माध्यम से भक्तों को समृद्धि की प्राप्ति की प्रेरणा मिलती है। भक्तों का उद्देश्य माँ दुर्गा की कृपा दृष्टि को प्राप्त करना और उनकी शक्ति को प्राप्त करना है। नवरात्रि एक ऐसे समय का प्रतीक है जहाँ पर परिवार और समाज में प्रेम और सद्भावना का संचार होता है।
नवरात्रि माँ दुर्गा को मनाने का अवसर है। नवरात्रि में मन और शरीर शुद्ध हो जाता है। नवरात्रि इस रूप में भी महत्वपूर्ण है कि इस समय बुराई से दूर रहने और अच्छाई को बढ़ावा देने का संकल्प लिया जाता है। इस अवसर पर भक्ति, ध्यान और साधना के माध्यम से आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक विकास की दिशा में अग्रसर किया जाता है। यह नवरात्रि का त्यौहार एकता और प्रेम का प्रतीक है। जिसमें परिवार और समाज के लोग एक साथ मिलकर माँ दुर्गा की आराधना करते हैं।
माँ दुर्गा के नौ रूप :
1. माँ शैलपुत्री जी
देवी दुर्गा ने पार्वती के रुप में हिमालय के घर जन्म लिया। इसी कारण देवी का पहला नाम पड़ा शैलपुत्री अर्थात हिमालय की बेटी। शैल का मतलब है पहाड़ या चट्टान। माँ शैलपुत्री सिखाती है कि जीवन में सफलता और जीत प्राप्त करने के लिए अपने लक्ष्यों को चट्टान की तरह मजबूत बनायें।
माँ शैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ रूपों में से पहले स्वरूप में जानी जाती हैं। इस रूप में मां दुर्गा को पर्वतराज हिमालय की बेटी के रूप में पूजा जाता है। इनके दाएं हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में इन्होंने कमल धारण किया हुआ है। मां शैलपुत्री की पूजा, धन-दौलत और अच्छे स्वास्थ्य के लिए की जाती है।
2. माँ ब्रह्मचारिणी जी
इस रूप में मां दुर्गा को तपस्विनी के रूप में पूजा जाता हैं। ब्रह्मचारिणी का अर्थ है, जो ब्रह्मा के द्वारा बताए गए आचरण पर आगे बढ़े। क्योंकि जीवन में कुछ भी प्राप्त करने के लिए अनुशासन सबसे ज्यादा जरूरी है। इनकी पूजा से आपको आगे बढ़ने की शक्ति मिलती हैं।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से आपके सभी कार्य पूरे होते हैं और विजय की प्राप्ति होती है। मां ब्रह्माचारिणी के दाहिने हाथ में मंत्र जपने की माला और बाएं में कमंडल है।
3. माँ चंद्रघंटा जी
ये माँ दुर्गा का तीसरा रूप है, जिनके माथे पर घंटे के आकार का चंद्रमा है, इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा है। मां चंद्रघंटा के हाथों में त्रिशूल, धनुष, गदा और तलवार है। मां चंद्रघंटा शक्ति का वरदान देती हैं और साथ ही भय को भी दूर करती हैं। माँ के दस हाथों में अस्त्र-शस्त्र सजे हुए हैं। मां युद्ध मुद्रा में सिंह पर विराजमान होती हैं।
4. माँ कूष्माण्डा जी
कुष्मांडा देवी का चौथा स्वरूप है। ग्रंथों के अनुसार इन्हीं देवी की मंद मुस्कान से अंड यानी ब्रह्मांड की रचना हुई थी। इसी कारण इनका नाम कूष्मांडा पड़ा। ये देवी भय दूर करती हैं। भय यानी डर ही सफलता की राह में सबसे बड़ी मुश्किल होती है। जिसे जीवन में सभी तरह के भय से मुक्त होकर सुख से जीवन बिताना हो, उसे देवी कुष्मांडा की पूजा करनी चाहिए। इनकी साधना करने से जीवन से जुड़े सभी कष्ट दूर होते हैं।
इनके शरीर की कांति सूर्य के समान तेज है। इनके तेज की तुलना इन्हीं से की जा सकती है। इनकीआठ भुजाएं हैं इसलिए ये अष्टभुजादेवी के नाम से भी जानी जाती हैं।
5. माँ स्कंदमाता जी
भगवान शिव और पार्वती के पहले पुत्र हैं कार्तिकेय और उन्हीं का ही एक नाम है स्कंद। इसलिए कार्तिकेय या स्कंद की माँ होने के कारण देवी के पांचवें रुप को स्कंद माता के नाम से जाना जाता है। भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं।
स्कंदमाता की चार भुजाएँ हैं। इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र अर्थात श्वेत है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। इनका वाहन भी सिंह है। इनकी उपासना से साधक को अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है।
6. माँ कात्यायनी जी
कात्यायिनी ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं। कात्यायन ऋषि ने देवी दुर्गा की बहुत तपस्या की थी और फिर दुर्गा प्रसन्न हुई तब ऋषि ने वरदान में माँगा कि देवी दुर्गा उनके घर में पुत्री के रुप में जन्म लें। कात्यायन की बेटी होने के कारण ही नाम इनका पड़ा कात्यायिनी पड़ा।
यह नवदुर्गाओं में छठवीं देवी हैं। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को रोग से मुक्ति पाने के लिए देवी कात्यायिनी की पूजा अर्चना करें। ये स्वास्थ्य की देवी हैं।
7. माँ कालरात्रि जी
इस रूप में मां दुर्गा का भयानक स्वरूप होता हैं। इन्हें काली माँ के रूप में पूजा जाता है। माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। काल यानि समय और रात्रि मतलब रात। इसका अर्थ उन सिद्धियों से है जो रात के समय साधना करने से साधक को मिलती हैं।
इनके नाम से दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत, बाधा आदि सभी भयभीत होकर दूर भाग जाते हैं। माँ कालरात्रि को शुभंकरी, महायोगीश्वरी और महायोगिनी भी कहा जाता है। माँ कालरात्रि की पूजा करने के बाद भक्तों को अकाल मृत्यु का भय भी खत्म हो जाता है।
8. माँ महागौरी जी
इस रूप में मां दुर्गा को सुंदर और उज्ज्वल स्वरूप में पूजा जाता हैं। माँ दुर्गा का आठवा स्वरूप है महागौरी। मां महागौरी का रंग अत्यंत गौरा है यही वजह है कि इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है।
महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार अपनी कठिन तपस्या से मां ने गौर वर्ण प्राप्त किया था। इसलिए इन्हें उज्जवला स्वरूपा महागौरी, धन ऐश्वर्य प्रदान करने वाली कहा जाता है। इनका जो स्वरूप है वह अत्यंत सौम्य है। मां गौरी का यह रूप बेहद मोहक है। इनकी चार भुजाएं हैं। महागौरी का वाहन बैल है।
9. माँ सिद्धिदात्री जी
इस रूप में मां दुर्गा सभी सिद्धियों की देने वाली माँ के रूप में पूजा जाता हैं। माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। इस दिन पूरी श्रद्धा भाव के साथ साधना करने वाले व्यक्ति को सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं।
मां सिद्धिदात्री कमल के पुष्प पर आसीन होती हैं। इनकी उपासना से हर तरह की सिद्धि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है। इन्हीं देवी की कृपा से ही महादेव की आधी देह देवी की हो गई थी और वह अर्धनारीश्वर कहलाए।
“पारस परिवार” की ओर से “चैत्र नवरात्रि” की हार्दिक शुभकामनाएं !!
आपका जीवन धन और प्रेम से भरपूर हो
मां दुर्गा आपको सुख और शांति प्रदान करें !!
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युद्धके⚔️देवता🚩
जय सेनानायक🦚
जय श्री कार्तिकेय🙏
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श्री गौरी चालीसा हिंदी अर्थ सहित (Gori Chalisa – With Hindi Meaning)
श्री गौरी चालीसा विडियो
श्री गौरी चालीसा
।। दोहा ।।
मन मंदिर मेरे आन बसो, आरम्भ करूं गुणगान।
गौरी माँ मातेश्वरी, दो चरणों का ध्यान।।
पूजन विधी न जानती, पर श्रद्धा है आपर।
प्रणाम मेरा स्विकारिये, हे माँ प्राण आधार।।
।। चौपाई ।।
नमो नमो हे गौरी माता, आप हो मेरी भाग्य विधाता।
शरनागत न कभी गभराता, गौरी उमा शंकरी माता।।
आपका प्रिय है आदर पाता, जय हो कार्तिकेय गणेश की माता।
महादेव गणपति संग आओ, मेरे…
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गुजरात में स्थापित श्री नागेश्वर ज्योर्तिलिंग अनूठा और अद्भुत है
इटारसी। सावन मास (Saavan month) के अवसर पर पूरे भारत (India) में भगवान शिव (Lord Shiva) माता पार्वती (Mata Parvati) और उनके नंदी तथा गणेश (Ganesh), कार्तिकेय (Kartikeya) का पूजन होता है लेकिन अभिषेक भगवान शंकर का होता है। वर्षाकाल के चार मास के चर्तुमास में भगवान शिव प्रसन्न दिखाई देते है। उनके गणों, यक्षों, गंधवों, किन्नरों और मनुष्य को सेवा का विशेष फल मिलता है।
उक्त उद्गार पं. विनोद दुबे (Pt.…
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Sri Kartikeya Ji Ki Aarti lyrics: जय जय आरती वेणु गोपाला Kartikeya Ji Ki Aarti LyricsSri Kartikeya Ji Ki Aarti: वैसे तो सभी जानते हैं कि भगवान कार्तिकेय माता पार्वती और महादेव के पुत्र हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन भगवान कार्तिकेय की आरती करता है
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