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#कितना भी कैलोरी वाला हो
raginisinghjnp10 · 2 years
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healthy foods to keep you warm this winter lunch
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healthy foods to keep you warm this winter lunch 
क्यों खाते हैं सर्दियों में गरिष्ठ भोजन आइए जानते
 हैं?https://raginisingh18.blogspot.com/
हमारे यहां हार में उर्जा प्रदान करने वाले प्रमुख तत्व है। कार्बोहाइड्रेट्स और वसा। इन तत्वों को हम प्राप्त कर सकते हैं अन्य दालो, गुड़ चीनी ,में वे तेल और घी आदि में । सर्दियों में घी व चिकनाई युक्त आहार सूखे मेवे आदि खाए जाते हैं। क्योंकि इनमें कैलोरी ज्यादा होती है यह चीजें हमें अधिक शक्ति देती हैं जिससे शरीर का तापमान बड़ा रहता है और गर्माहट महसूस होती रहती है।
कितना खाए घी चिकनाई
ज्यादा तली भुनी चीजें खाने से शरीर पर काफी प्रभाव पड़ता है शरीर के हिसाब से अगर हम ज्यादा कैलोरी लेते हैं जैसे शरीर को 1200 कैलोरी चाहिए और तली हुई चीजें खाकर कलर इसको अट्ठारह सौ से 2000 तक बढ़ा लिया तो अतिरिक्त 600 से 800 कैलोरी इस्तेमाल में ना आकर हमारे शरीर में वसा के रूप में जमा हो जाती है।
इससे वजन बढ़ जाता है उसे घटाने के लिए डबल एक्सरसाइज करनी पड़ती है इसके अलावा दिल के या छाई राइट के डायबिटीज के मरीजों के लिए ज्यादा तला भुना खाना नुकसानदेह हो सकता है।
शरीर को जितनी जरूरत है उतना ही खाना खाए उसमे ही अगर खाने की क्वालिटी बदल दे जैसे कम तेल इस्तेमाल करें गर्म खाना है तो सब्जियों का सूप वगैरह ले सकते हैं इनसे शरीर को गर्माहट तो मिलेगी ही साथ ही उतनी कैलोरी भी नहीं आएगी।
बढ़ते बच्चे यह सब चीजें ले सकते हैं क्योंकि वह लोग खेलते कुदते हैं और इसी उम्र में उनका शारीरिक मानसिक विकास होता है इसीलिए उन्हें ज्यादा शक्ति की जरूरत होती है लेकिन बड़ी उम्र में लोगों को यह चीजें कम मात्रा में हफ्ते में एक या किसी छुट्टी वाले दिन ही लेनी चाहिए कभी-कभी लेंगे तो कैलोरी इतनी ज्यादा नहीं बढ़ेगी।
मुगलई मसाला गोभी
सामाग्री
दो छोटी-छोटी फूलगोभी
मध्यम आकार के दो प्याज
एक बड़ा चम्मच अदरक लहसुन का पेस्ट
एक छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर
एक बड़ा चम्मच धनिया पाउडर
चुटकी भर हल्दी पाउडर
एक छोटा चम्मच गरम मसाला
5 धागे केसर
एक एक बड़ा चम्मच काजू और बादाम
एक बड़ा चम्मच दूध
4 बड़े चम्मच रिफाइंड आयल
आधा छोटा चम्मच मेथी दाना
नमक स्वादानुसार 
बनाने की विधिफूल गोभी को अच्छी तरह साफ करें एक भगोड़े में पानी उबालें जिसमें गोभी भी डूब जाएं जब पानी उबलने लगे तो उसमें चुटकी भर नमक और एक बड़ा चम्मच दूध डाल दे इसमें गोभी डालकर 3 मिनट तक उबालें पानी से गोभी निकालकर हल्के हल्के हाथों से कपड़े से पूछ ले अब एक कड़ाही में तेल गर्म करें उसमें उलट-पुलट कर गोभी तलने गोभी का रंग बहुत अधिक बदलना नहीं चाहिए।प्याज और बादाम को अलग-अलग पीस लें बादाम को गर्म करें यानी गर्म पानी में दो-तीन मिनट तक उबालें फिर छिलका उसका उतारकर उसका पेस्ट बना ले दही का भी पेस्ट बना लें केसर को गर्म तवे पर डालें थोड़ी देर सूखा ही हाथ से मसल लें। जिस कढ़ाई में गोली चली थी उसी में बच्चे तेल में मेथी दाने का तड़का लगाकर ब्याज व अदरक लहसुन का पेस्ट बने जब मसाला तेल छोड़ने लगे तो उसमें सभी बच्चे मसाले केसर पाउडर व दही वाला पेस्ट आदि डाल दें 1 मिनट सारे मसाले को मिला है फिर उसमें गोभी भी डाल दें कढ़ाई का ढक्कन लगा दे बहुत दिन याद पर गोभी को पकाएं जब मसाला तेल छोड़ दे और गोभी पक जाए तो तले हुए बादाम काजू में सजाकर सर्विग डिश में में निकालें ऊपर से हरी धनिया डालकर सर्व करें।
पनीर, पालक, मेथी रोटी।
 सामग्री( material 
एक कप आटा
 एक छोटा चम्मच तेल 
आधा कप बारीक कटिंग मेथी और पालक के पत्ते 
एक बड़ा चम्मच ताजा दही
 आधा चम्मच लाल मिर्च
 चौथाई चम्मच अमचूर 
चुटकी भर हींग 
आधा छोटा चम्मच चीनी 
नमक स्वाद अनुसार
सजावट के लिए
आधा कप बारीक कटिंग मेथी पालक के पत्ते
एक बड़ा चम्मच कद्दूकस किया पनीर
बनाने की विधि
सभी सामग्री को मिलाकर आटा गूथ लें आवश्यक हो तो थोड़ी दही और मिला दे इस आटे को बराबर बराबर भागों में बांट कर पराठा बनाकर दोनों तरफ से सीख ले सर्व करते समय हर रोटी पर थोड़ा पालक मेथी के पत्ते डालकर बुराक दे और थोड़ी देर के लिए सेके। फिर गरमा गरम चटनी के साथ सर्व करें।
मक्के की खिचड़ी
सामग्री
6 ताजे भुट्टे सिर्फ दाने कद्दूकस किए हुए
 एक छोटा चम्मच चीनी 
नमक स्वाद अनुसार
 आधा नींबू का रस 
2 बड़े चम्मच बारीक कटा धनिया
 तड़का के लिए दो बड़े चम्मच घी
 एक छोटा चम्मच राई 
एक छोटा चम्मच जीरा 
चौथाई चम्मच हींग
 2 हरी मिर्च बारीक कटी हुई
बनाने की विधि
एक पैन में तेल गर्म करें राई जीरा हींग और हरी मिर्च डालें जब ताने चटकने लगे तो कद्दूकस किया हुआ मक्का 5 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं। इतना डाले कि भुट्टा उसमें डूब जाए। नमक और चीनी डालें ढककर मक्के को गलने तक पकाएं। एचडी गाड़ी लगे तो थोड़ा और पानी डाल दें। स्वादानुसार नमक और नींबू का रस डालकर अच्छी तरह मिलाएं धनिया की पत्ती से सजाकर। लहसुन मिर्चा धनिया की चटनी के साथ गरमागरम खाए।
कैरेट वाल्स इन रबडी
सामग्री
500 ग्राम लाल पीली का गाजर
डेढ़ सौ ग्राम बारीक सूजी 
200 ग्राम खोया 
50 ग्राम नारियल पाउडर
 200 ग्राम चीनी
 एक छोटा चम्मच पिस्ता
 10 से 12 कटे बादाम
 चौथाई चम्मच इलायची पाउडर 
और चांदी की वर्क
रबड़ी के लिए सामग्री
1 लीटर फुल क्रीम दूध 
6 बड़े चम्मच मिल्क पाउडर
 3 बड़े चम्मच चीनी
 केवड़े में भीग 6  7 केसर के धागे
 एक छोटा चम्मच बारीक कटा पिस्ता
विधि बनाने की
गाजर को धोकर मोटा मोटा कद्दूकस कर लें अब एक कड़ाही में घी गर्म करके उसमें गाजर को खूब अच्छी तरह भूनें जब तक गाजर का पानी ना सुख जाए उसमें चीनी डाल दे चीनी पिघल जाए और गाजर अच्छी तरह से लिपट जाए तो कढ़ाई को नीचे उतार दे सुजीतथा मावे को हाथ से अच्छी तरह मिलाएं फिर एक सपरेटर में डालकर सूजी मावे के मिश्रण को 10 मिनट प्रेशर कुकर की भाप में पकाएं ।ठंडा होने पर उसमें गाजर का मिश्रण नारियल और इलायची पाउडर मिलाकर लड्डू बना ले। लगभग 30-35 लड्डू बनेंगे उन पर बादाम पिस्ता की कटे हुए टुकड़े चिपकाए को ऐसे भी किया जा सकता है लड्डू किया जा सकता है और रबड़ी के साथ भी।
रबड़ी के लिए दूध वाले 15 मिनट मध्य मार्ग पर दूध पकाए फिर मिल्क पाउडर को थोड़े से दूध में घोलकर उबलते हुए दूध में डाल दें केसर को 10 मिनट के बड़े के पानी में भिगो दें इसको भी उबलते दूध में डाल दें जब दूध रबड़ी की तरह गाढ़ा हो जाए तो उसमें चीनी व कटा हुआ मेवा डालकर 5 मिनट तक और पकाए रबड़ी को ठंडा करें और ठंडा होने के बाद इसे फ्रिज में रख दे बढ़िया स्वीट डिश तैयार है।
मटन दो प्याजा
सामग्री
500 ग्राम मटन
 500 ग्राम मध्यम आकार के प्याज 
आधा कप सरसों का तेल या घी
 चार कप दही 
दो छोटे चम्मच नमक
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smarthulchal · 4 years
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Weight Loss: भरपेट नाश्ता खाकर घटा सकते हैं वजन, रात को कम खाने से रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित रहेगा अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो सुबह नाश्ता ज्यादा करें और रात को कम खाना खाएं। इससे न सिर्फ मोटापा कम होगा बल्कि रक्त शर्करा का स्तर भी नियंत्रित रहेगा। एक हालिया शोध में यह दावा किया गया... Source link
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karanaram · 3 years
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🚩वैज्ञानिक : पिज्जा, बर्गर बीमारियां बढ़ाता है, भारतीय भोजन बीमारियां मिटाता है - 15 सितंबर 2021
🚩जर्मनी के वैज्ञानिकों ने लंबी शोध के बाद निष्कर्ष निकाला कि विदेशी फास्टफूड बर्गर, पिज़ा आदि बीमारियों को बुलावा लाता है जबकि भारतीय भोजन दाल-चावल, सोयाबीन आदि बीमारियों को मिटाने का काम करता है।
🚩भारतीय लोग अपने आहार का महत्व नहीं समझकर विदेशी लोग का अंधानुकरण करके स्वाद के लिए पिज़ा, बर्गर, चिप्स आदि खाने लगे हैं जिसके कारण आज लगभग हर व्यक्ति को कुछ न कुछ बीमारी पकड़ लेती है फिर डॉक्टरों के पास चक्कर काटता रहता है पर बीमारी ठीक नहीं हो पाती है, अब हमें अपने भोजन का महत्व समझकर भोजन करना चाहिए और बीमारियों को बुलावा देने वाले फास्टफूड आदि का त्याग करना चाहिए।
🚩जर्मनी के वैज्ञानिकों ने बीमारी पर शोध किया:
जर्मनी के यूनिवर्सिटी ऑफ़ L .beck के हालिया अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय आहार खराब डीएनए के कारण होने वाली बीमारी को मार सकता है। शोध में यह भी पाया गया कि डीएनए, न केवल डीएनए, बीमारियों का सबसे महत्वपूर्ण कारण है, बल्कि आहार भी सबसे महत्वपूर्ण है जो बीमारी का कारण बन सकता है और इस पर एक स्पंज डाल सकता है। विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रॉल्फ लुडविक के नेतृत्व में तीन वैज्ञानिकों द्वारा हाल ही में किए गए शोध प्रकाशित किए गए थे। तीन शोधकर्ताओं में डॉ. आर्टेम वोरोवैव, इज़राइल के डॉ. तान्या शेजीन और डॉ यास्का गुप्ता शामिल हैं। 2 वर्षों तक चूहों में किए गए शोध से पता चलता है कि पश्चिमी देश में उच्च कैलोरी आहार बीमारी को बढ़ाते हैं। जबकि भारत का कम कैलोरी वाला आहार बीमारियों से बचाता है।
🚩फास्ट फूड, जैसे पिज्जा, बर्गर, आनुवांशिक बीमारियों को बढ़ाता है ।
डॉ. गुप्ता ने जर्मनी से भास्कर को बताया कि अब तक सभी आनुवंशिक बीमारियां केवल डीएनए में दिखाई देती थीं। इस शोध में इसे आहार पर ध्यान केंद्रित करके मापा गया है। शोधकर्ताओं ने ल्यूपस नामक बीमारी से पीड़ित चूहों के एक समूह पर प्रयोग किया। ल्यूपस बीमारी सीधे डीएनए से संबंधित है। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कम करता है और विभिन्न अंगों और जोड़ों, गुर्दे, हृदय, फेफड़े, मस्तिष्क और रक्त कोशिकाओं को नष्ट करता है। डॉ. यास्का गुप्ता ने कहा कि इस शोध के परिणामों से पता चलता है कि पश्चिमी देशों में पिज्जा, बर्गर जैसे फास्ट फूड से भारत के शाकाहारी भोजन - चावल, सोयाबीन तेल, दाल, सब्जियां, विशेष रूप से जड़ी-बूटियों को बढ़ाने में मदद मिलती है - शरीर को इन बीमारियों से बचाता है। है। - स्त्रोत : भास्कर
🚩कौन से फास्ट से फूड क्या नुकसान होता है?
🚩पेस्ट्री - पेस्ट्री में अधिक मात्रा में शुगर, फेट और कैलोरी होती है। पेस्ट्री खाने की आदत आपका मोटापा बढ़ा सकती है। इसलिए थोड़ा ध्यान रखें क्योंकि पेस्ट्री शरीर को काफी नुकसान देती है।
🚩पिज्जा - पिज्जा की लत से आपको दिल संबंधी बीमारी हो सकती है। इसमें कोलेस्ट्रोल के कारण आपकी आर्ट्रीज बंद हो सकती हैं और इससे हार्ट अटैक भी आ सकता है।
🚩पाइज - पाइज खाने में स्वादिष्ट है लेकिन एक अध्ययन में पता चला है कि यह शरीर के लिए बेहद नुकसानदेह है। पाइज खाने से आगे चलकर शुगर लेवल बढ़ने और मधुमेह की समस्या आती है।
🚩बर्गर - बर्गर से वजन तो बढ़ता ही है साथ ही दिल की बीमारी भी हो सकती है। यह डाइटरी कोलेस्ट्रोल को तेजी से बढ़ाता है और बर्गर से हाइ ब्लड प्रेशर की भी परेशानी है।
🚩सैंडविच - सैंडविच खाने की आदत आपका मोटापा बढ़ा देगी।
🚩चिप्स - चिप्स खाने से शरीर को नुकसान होता है। चिप्स में कैलोरी ज्यादा होती है जिसके कारण फेट बढ़ता है। नियमित चिप्स खाने वालों को वजन बढ़ने की समस्या हो जाती है। चिप्स खाने से कोलेस्ट्रोल भी बढ़ता है। सोडियम ज्यादा मात्रा में होने के कारण हाई ब्लड प्रेशर भी हो जाता है।
🚩सॉफ्ट ड्रिंक्स - सॉफ्ट ड्रिंक्स भी लोग काफी पीते हैं और कई लोगों ने तो रोजाना सॉफ्ट ड्रिंक्स पीने की आदक डाल रखी है। मगर इससे समस्या भी उतनी ही है। सॉफ्ट ड्रिंक्स पीने वालों को दांतों में सड़न बहुत तेजी से हो सकती है। सॉफ्ट ड्रिंक्स पीने से मोटापा और छाती में जलन की परेशानी भी धीरे-धीरे गंभीर रूप ले सकती है। - स्त्रोत : अमर उजाला
🚩अब आपने देखा कि फास्टफूड शरीर को कितना नुकसान पहुँचता है अतः इससे बचने के लिए हमारा भारतीय भोजन करें। यह ध्यान रखें कि हमारा पेट गटर नहीं है इसलिए कोई भी बीमारी करे ऐसा भोजन नहीं करे।
🚩भारतीय लोग अपनी संस्कृति की महिमा खुद नहीं समझते, जबतक विदेश के कोई वैज्ञानिक नहीं बोल दें जबकि आज के वैज्ञानिक जो शोध कर रहे हैं वे शोध हमारे ऋषि-मुनि लाखों साल पहले बता चुके हैं पर भारतीय उनका आदर करे तब न, जब भारतीय लोग खुद की संस्कृति का आदर करने लगेंगे तब दुनिया भी भारतीय संस्कृति अपनाकर अपने को धन्य मानेंगी।
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hbadigitech · 3 years
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वजन घटाना: मिस चिंगिंग योर फेवरेट फूड्स? खीजो नहीं; ट्राई करें ये वेजिटेरियन लो कार्ब स्नैक्स
वजन घटाना: मिस चिंगिंग योर फेवरेट फूड्स? खीजो नहीं; ट्राई करें ये वेजिटेरियन लो कार्ब स्नैक्स
क्या आप भी ओट्स, पकी हुई सब्जियां या कोई अन्य कम कैलोरी वाला खाना खा रहे हैं, जबकि आपके परिवार के अन्य सभी सदस्य कुछ स्वादिष्ट व्यंजन खाते हैं? यदि हाँ, तो हम जानते हैं कि फैले हुए सभी को देखते हुए अपनी भूख और प्रलोभनों को नियंत्रित करना कितना कठिन हो सकता है। आखिरकार, कैलोरी की संख्या को बनाए रखना और स्वस्थ खाने की कोशिश करना कभी-कभी एक चुनौती हो सकती है। और जब हम अपने सख्त आहार का पालन करने की…
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shaileshg · 4 years
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इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (एनआईएन) ने 28 सितंबर को देश की खानपान आदतों पर एक रिपोर्ट जारी की है। What India Eats यानी भारत क्या खाता है टाइटल से प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत के शहरों और गांवों में खानपान से जुड़ी आदतों में एक बहुत बड़ा गैप है।
यह रिपोर्ट कहती है कि शहरों में एब्डोमिनल ओबेसिटी यानी तोंद की समस्या 53.6% लोगों को यानी हर दूसरे व्यक्ति को है। वहीं, गांवों में यह 18.8% लोगों की समस्या है। बात जब ओवरवेट और ओबेसिटी (मोटापे) की आती है तो उसमें भी शहर (31.4% और 12.5%) गांवों (16.6% और 4.9%) से आगे है।
क्या बॉडी मास इंडेक्स का कैल्कुलेशन बदल गया है?
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आईसीएमआर-एनआईएन की रिपोर्ट के अनुसार भारतीयों का आदर्श वजन अब 60 किलो नहीं बल्कि 65 किलो है। इसी तरह महिलाओं का आदर्श वजन 50 नहीं बल्कि 55 किलो हो गया है। 2010 में जो सिफारिशें की गई थी, उसमें पांच किलो वजन बढ़ाया गया है।
भारतीय पुरुषों का आदर्श कद 5.6 फीट (171 सेमी) से बढ़ाकर 5.8 फीट (177 सेमी) हो गया है। महिलाओं का आदर्श कद भी 5 फीट (152 सेमी) से बढ़ाकर 5.3 फीट (162 सेमी) किया है। इससे बॉडी मास इंडेक्स (BMI) इंडेक्स निकालने का फार्मूला भी बदल सकता है।
क्यों खास है यह What India Eats रिपोर्ट?
दस साल पहले भी इस तरह की रिपोर्ट बनी थी, लेकिन तब गांवों का डेटा नहीं था। पहली बार अलग-अलग फूड ग्रुप्स से कुल एनर्जी, प्रोटीन, फैट्स और कार्बोहाइड्स का योगदान बताया गया है। इसमें दो राष्ट्रीय स्तर के सर्वे डेटा का इस्तेमाल किया गया है।
रिपोर्ट में माय प्लेट की सिफारिश की गई है। आपकी थाली में फूड्स का सही अनुपात क्या होना चाहिए, यह बताया है। इससे इम्युन फंक्शन मजबूत होगा। डाइबिटीज, हायपरटेंशन, कोरोनरी हार्ट डिसीज, स्ट्रोक, कैंसर, आर्थराइटिस आदि बीमारियों से बचा भी जा सकता है।
What India Eats रिपोर्ट को तैयार करने के लिए 2015-16 के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे -4, नेशनल न्यूट्रिशन मॉनिटरिंग ब्यूरो, डब्ल्यूएचओ और इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स 2015 की रिपोर्ट्स को स्टडी किया गया है।
क्या आपका खाना आपके शरीर की एनर्जी की जरूरतों को पूरा करता है?
नहीं। रिपोर्ट कहती है कि शहरों में क्रॉनिक एनर्जी डिफिशियंसी 9.3% थी, जबकि गांवों में यह 35.4% थी। इसका मतलब है कि गांवों में रहने वाला हर तीसरा व्यक्ति खानपान से जुड़े किसी न किसी विकार से जूझ रहा है। शरीर को एनर्जी की जरूरतों को पूरा करने लायक खाना उन्हें नहीं मिल पा रहा है।
रिपोर्ट कहती है कि शहरों में लोग हर दिन 1943 किलो कैलोरी ले रहे हैं, जो 289 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स, 51.6 ग्राम फैट्स, 55.4 ग्राम प्रोटीन से आ रही है। वहीं, ग्रामीण इलाकों में लोग 2081 किलो कैलोरी ले रहे हैं। यह 368 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स, 36 ग्राम फैट्स और 69 ग्राम प्रोटीन से आ रही है।
फूड ग्रुप्स देखें तो शहरों में 998 किलो कैलोरी अनाज से, 265 किलो कैलोरी फैट्स से और 119 किलो कैलोरी दालों-फलियों से आती है। वहीं, गांवों में एनर्जी सोर्स के तौर पर अनाजों की भागीदारी (1358 किलो कैलोरी) सबसे ज्यादा है। इसके बाद फैट्स (145), दाल व फलियां (144) आती है।
रिपोर्ट कहती है कि 66% प्रोटीन का सोर्स दालें, फलियां, नट्स, दूध, मांस होना चाहिए। लेकिन, ऐसा हो नहीं रहा। फल और सब्जियां कम खाने से डाइबिटीज और दूध व दूध के प्रोडक्ट्स कम खाने से हायपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) का खतरा बढ़ाता है।
एनर्जी सोर्स के तौर पर क्या अनाज पर निर्भरता सही है?
आईसीएमआर के हैदराबाद स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन के मुताबिक अनाज आपकी 45% एनर्जी का सोर्स होना चाहिए। हकीकत यह है कि शहरों में 51% और गांवों में 65.2% एनर्जी सोर्स के तौर पर अनाज का सेवन हो रहा है।
एनर्जी सोर्स के तौर पर दालों, फलियों, मांस, अंडे और मछली का योगदान 11% है, जबकि यह 17% होना चाहिए। इसी तरह, गांवों में 8.7% और शहरों में 14.3% आबादी ही दूध और दूध के प्रोडक्ट्स का सही मात्रा में सेवन करती है।
सब्जियों की सही मात्रा लेने वाले भी गांवों में सिर्फ 8.8% और शहरों में 17% ही है। यदि आप नट्स और ऑइल सीड्स की बात करें तो सिर्फ 22% आबादी गांवों में और 27% आबादी शहरों में इसका सही मात्रा में सेवन कर रही है।
यह रिपोर्ट कहती है कि शहरों में लोग एनर्जी की जरूरत का 11% हिस्सा चिप्स, बिस्कुट्स, चॉकलेट्स, मिठाइयों और ज्यूस से लेते हैं। वहीं, गांवों में स्थिति अच्छी है। वहां ऐसा करने वाले सिर्फ 4% है। अच्छी क्वालिटी का प्रोटीन 5% ग्रामीण और 18% शहरी आबादी ही कर रही है।
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माय प्लेट की सिफारिशें क्या कहती हैं?
रिपोर्ट में माय प्लेट के नाम से बताया है कि आपके लिए आदर्श थाली क्या होगी, जहां से आपको पर्याप्त एनर्जी मिलें और वह बेलेंस्ड डाइट कहलाएं। इसके लिए आपकी 45% कैलोरी/एनर्जी का सोर्स अनाज होना चाहिए। 17% कैलोरी/एनर्जी दालों और फ्लेश फूड्स और 10% कैलोरी/एनर्जी दूध और दूध के प्रोडक्ट्स से मिलना चाहिए। फैट इनटेक 30% या उससे कम होना चाहिए।
पहली बार सिफारिशों में फाइबर-बेस्ड एनर्जी इनटेक शामिल किया है। इसके अनुसार रोज 40 ग्राम फाइबर-युक्त भोजन सेफ है। 5 ग्राम आयोडिन या नमक और 2 ग्राम सोडियम की इनटेक लिमिट तय की गई है। 3,510 मिलीग्राम पोटेशियम भी शरीर में न्यूट्रिशनल वैल्यू जोड़ेगी।
सीडेंटरी, मॉडरेट और हेवी एक्टिविटी वाले पुरुषों के लिए 25, 30 और 40 ग्राम फैट्स की सिफारिश की गई है। इसी तरह की एक्टिविटी वाली महिलाओं के लिए फैट्स के इनटेक 20, 25 और 30 ग्राम प्रतिदिन सेट किए गए हैं। 2010 में पुरुषों और महिलाओं के लिए फैट इनटेक की सिफारिशें समान रखी गई थी।
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ICMR-Nutrition Institute of India releases What India Eats reports | Your Nutrition Guide | New Height and Weight Criterion for Indian Males and Females | Nutrition India | What You Should Eat
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gaanaliveent · 4 years
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ब्रेस्टमिल्क माताओं द्वारा निर्मित स्वास्थ्यप्रद और पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य स्रोतों में से एक है। संक्रमण से लड़ने वाले एंटीबॉडी से, आवश्यक वसा और प्रोटीन, एक बच्चे के लिए स्तनपान को सुपर स्वस्थ माना जाता है।
हालांकि, मांसपेशियों के निर्माण के लिए ब्रेस्टमिल्क के आधार पर एक नए स्वास्थ्य सनक ने बड़े हो गए पुरुषों को पाला है। हां, आपने उसे सही पढ़ा है।
जिसे एक विचित्र स्वास्थ्य प्रवृत्ति के रूप में कहा जा सकता है, तगड़े और फिटनेस के प्रति उत्साही अपनी मांसपेशियों को मजबूत करने और एक अधिक थोक शरीर बनाने के लिए ब्रेस्टमिल्क के कई स्वास्थ्य लाभों पर बैंकिंग कर रहे हैं।
एक वेब डॉक्यूमेंट्री के बाद सबसे नया चलन सामने आया, '(अन) कुएं' ने शो में बॉडी बिल्डरों में से एक को ब्रेस्टमिल्क का उपयोग करने के लिए दिखाया, जो कि मांसपेशियों के निर्माण के लिए एक डोनर से प्राप्त किया गया था। बॉडीबिल्डर, जे जे रिटेनर ने सबसे अच्छा पोषण प्राप्त करने के लिए ऐसा करने के पीछे कारण बताया, यह बताते हुए कि "बढ़ते हुए बच्चे" की तरह खाने से उन्हें फिट होने में मदद मिलेगी।
"क्यों? अगर मैं बढ़ता हूं और सबसे अच्छा हो सकता हूं जो मैं कर सकता हूं, तो मैं एक बच्चे की तरह खाने जा रहा हूं।"
माँ का दूध कितना स्वस्थ है?
ब्रेस्टमिल्क को एक खाद्य स्रोत से सभी पोषण प्राप्त करने और तेजी से बढ़ने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। बहुत सारे लोग यह मानते हैं कि बड़े वयस्कों के लिए भी ब्रेस्टमिल्क उतना ही लाभ उठाएगा।
वहाँ अनुसंधान भी हो रहा है जिससे पता चलता है कि स्तनदूध में मौजूद कुछ पदार्थ COVID-19 के उपचार में चिकित्सीय और लाभकारी प्रभाव डाल सकते हैं और वायरस पैदा करते हैं और टीका विकास में भी काम करते हैं।
कहा जा रहा है कि, ब्रेस्टमिल्क बहुत सारे गुणकारी लाभ उठाता है। इसमें विभिन्न पोषक तत्व-घने प्रोफ़ाइल होते हैं, इसमें अच्छी कैलोरी और स्वस्थ एंटीबॉडी होते हैं जो भलाई का समर्थन करते हैं। शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि उन यौगिकों से क्रोहन रोग, गठिया, यहां तक ​​कि ऑटिज़्म से पीड़ित वयस्कों की मदद हो सकती है। कुछ ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि गाय के दूध की तुलना में ब्रेस्टमिल्क आसानी से पचने वाला होता है और इसलिए वयस्कों के लिए अच्छा होता है।
इन जैसे लाभों और अधिक ने पुरुषों को ऑनलाइन स्तनपान कराने के लिए बाजार में प्रमुख ग्राहक बनने के लिए प्रेरित किया है। इसे एक स्वास्थ्य उन्माद माना जाता है जो वास्तव में काम करता है, कुछ जिम-गोअर, जो स्टेरॉयड की शक्तियों में विश्वास नहीं करते हैं, का मानना ​​है कि ब्रेस्टमिलक उन सभी ऊर्जा को वितरित करता ���ै जिनकी उन्हें आवश्यकता होती है। बूढ़े लोग, अपने स्वास्थ्य को "ठीक" करना चाहते हैं, स्तनदूध के स्वास्थ्य लाभों से भी मोहित हैं।
लेकिन क्या किसी वयस्क के लिए ब्रेस्टमिल्क का सेवन करना सुरक्षित है?
सभी व्यवहार्य स्वास्थ्य लाभ जरूरी नहीं कि एक बड़े आदमी के लिए सुपर पौष्टिक हो। यह पोषक तत्व-सघन हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसमें पोषक तत्वों के स्रोतों के उच्च निशान होते हैं जो आमतौर पर बॉडी बिल्डरों की आवश्यकता होती है। अपने शरीर का निर्माण करने के लिए ब्रेस्टमिल्क के स्वास्थ्य लाभों पर भरोसा करना एक अच्छे आहार के काम को कमजोर करेगा। स्तन के दूध में पोषण संबंधी लाभ एक शिशु के पेट में एक वयस्क के पाचन तंत्र में अलग से टूट जाते हैं।
दाताओं से खरीदे गए दूध की सुरक्षा के लिए भी खतरा है। यह मिश्रित हो सकता है, संक्रमण के निशान हो सकते हैं या ठीक से साफ नहीं किया जा सकता है, संचरण को जोखिम में डालना, क्योंकि दाता कठोर स्क्रीनिंग के माध्यम से नहीं जाते हैं। साथ ही, खरीद अविश्वसनीय या स्केचरी स्रोतों के माध्यम से हो सकती है (इस उद्देश्य के लिए इंटरनेट पर एक पूरा बाजार है) जो वास्तव में सहायक नहीं हैं।
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gethealthy18-blog · 5 years
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काली किशमिश के फायदे और नुकसान – Black Raisins Benefits and Side Effects in Hindi
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काली किशमिश के फायदे और नुकसान – Black Raisins Benefits and Side Effects in Hindi
शरीर को पर्याप्त पोषण देने के लिए ड्राई फ्रूट्स का सेवन अच्छा विकल्प हो सकता है। ऐसे में अन्य ड्राई फ्रूट्स के साथ काली किशमिश को भी दैनिक आहार में शामिल किया जा सकता है। माना जाता है कि इसमें कई ऐसे जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए औषधि के रूप में काम कर सकते हैं। स्टाइलक्रेज के इस लेख में जानते हैं स्वास्थ्य के लिए काली किशमिश खाने के फायदे और काली किशमिश का उपयोग। इसके अलावा, लेख में काली किशमिश के नुकसान के विषय में भी जानकारी दी गई है। काली किशमिश सेहत को ठीक रखने में सहायता करने के साथ-साथ विभिन्न बीमारी के लक्षणों को कम करने में भी मदद कर सकती है।
लेख में आगे हैं काम की बातें
इस लेख के पहले भाग में हम काली किशमिश के फायदे की जानकारी दे रहे हैं।
विषय सूची
काली किशमिश के फायदे – Benefits of Black Raisins in Hindi
बेशक, किशमिश के कई रंग और आकार होते हैं, लेकिन सभी किशमिश को अंगूर से ही बनाया जाता है। कुछ को हरे अंगूर से, तो कुछ को काले अंगूर से। अंगूरों की तरह विभिन्न तरह की किशकिश में भी लगभग एक जैसी ही पोषक तत्व पाए जाते हैं। अब ये पोषक तत्व किस प्रकार फायदा पहुंचाते हैं, यहां विस्तार से जानते हैं।
रक्तचाप को नियंत्रित रखने के लिए
एक शोध से पता चलता है कि काली किशमिश खाने के फायदे रक्तचाप को संतुलित बनाए रखने का काम कर सकते हैं। इस शोध के मुताबिक, काली किशमिश पोटैशियम का अच्छा स्रोत होती है, जो रक्तचाप को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। शोध में यह भी जिक्र मिलता है कि पोटैशियम रक्तचाप को नियंत्रित कर शरीर में सोडियम के नकारात्मक प्रभाव को कम करने में भी मदद कर सकता है (1)।
एनीमिया के लिए
एनीमिया को साधारण शब्दों में खून की कमी कहते हैं। यह समस्या तब उत्पन्न होती है, जब शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिसमें सबसे मुख्य शरीर में आयरन की कमी को माना जाता है। ऐसे में आयरन की पूर्ति के लिए जिन खाद्य पदार्थ का जिक्र किया जाता है, उनमें किशमिश भी शामिल है (2)। इसलिए, माना जा सकता है कि काली किशमिश के फायदे एनीमिया की समस्या में कुछ हद तक लाभदायक साबित हो सकते हैं।
नुकसानदायक कोलेस्ट्रॉल से राहत
काली किशमिश का उपयोग कर खराब कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है। इससे जुड़ा एक शोध एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर पर उपलब्ध है। शोध के अनुसार, काली किशमिश का सेवन एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) के साथ ट्राइग्लिसराइड (ब्लड में मौजूद एक प्रकार का फैट) को कम करने में सहायक हो सकता है (3)। इस आधार पर कहा जा सकता है कि काली किशमिश हानिकारक कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकती है।
ऑस्टियोपोरोसिस
ऑस्टियोपोरोसिस ऐसी समस्या है, जिसके कारण हड्डियां पतली और कमजोर हो जाती हैं। ऐसी हड्डियों के जल्द फ्रैक्चर होने का जोखिम रहता है (4)। एनसीबीआई की वेबसाइट पर मौजूद एक वैज्ञानिक शोध के मुताबिक, हड्डियों की मजबूती के लिए मैग्नीशियम फायदेमंद हो सकता है। शोध में शामिल एक परीक्षण में जब ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित एक महिला को प्रतिदिन 250 mg मैग्नीशियम दिया गया, तो उस महिला की हड्डियों में बोन मिनरल डेंसिटी का स्तर बढ़ा हुआ देखा गया। इस शोध के अनुसार जिन खाद्य पदार्थों में मैग्नीशियम की समृद्ध मात्रा पाई जाती है, उनमें काली किशमिश भी शामिल है (5)। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि काली किशमिश खाने के फायदे ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव और उसके प्रभाव को कुछ हद तक कम करने में देखे जा सकते हैं।
त्वचा के लिए
त्वचा के लिए भी काली किशमिश के लाभ देखे जा सकते हैं। दरअसल, किशमिश में  एंटीबैक्टीरियल प्रभाव पाए जाते हैं, जो त्वचा से जुड़े कई बैक्टीरियल संक्रमण से बचाव और आराम दिलाने में मदद कर सकते हैं। किशमिश में मौजूद एंटीबैक्टीरियल प्रभाव एस. औरियस (Staphylococcus Aureus) जैसे बैक्टीरिया से लड़ने में अहम भूमिका निभा सकते हैं (6)। एस. औरियस बैक्टीरिया, शरीर से जुड़े कई संक्रमण के साथ स्किन इन्फेक्शन का भी कारण बनते हैं (7)।
बालों के लिए
एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, विटामिन सी और आयरन की कमी से बाल झड़ने की समस्या उत्पन्न हो सकती है (8)। यहां भी काली किशमिश के लाभ देखे जा सकते हैं, क्योंकि यह आयरन और विटामिन-सी से समृद्ध होती है (9)। ऐसे में बालों की समस्या से राहत पाने के लिए काली किशमिश को दैनिक आहार में जगह दी जा सकती है।
अब आगे हम काली किशमिश के पौष्टिक तत्वों के बारे में बताएंगे।
काली किशमिश के पौष्टिक तत्व – Black Raisins Nutritional Value in Hindi
काली किशमिश में मौजूद पोषक तत्वों को नीचे टेबल के माध्यम से बताया जा रहा है (9)।
पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम ऊर्जा 300 kcal प्रोटीन 3.57 g कार्बोहाइड्रेट 78.57 g फाइबर 3.6 g शुगर 60.71 g कैल्शियम Ca 36 mg आयरन, Fe 1.93 mg सोडियम, Na 11 mg विटामिन सी 2.1 mg
पढ़ते रहें आर्टिकल
आइए जानते हैं कि काली किशमिश का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है।
काली किशमिश का उपयोग – How to Use Black Raisins in Hindi
काली किशमिश का सेवन कई अलग-अलग तरीके से किया जा सकता है। नीचे जानिए इसके सेवन के कुछ बेहतरीन तरीके।
कैसे खाएं:
इसे कुकीज में इस्तेमाल किया जा सकता है।
काली किशमिश को केक बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
इसे अन्य ड्राई फ्रूटस के साथ मिलाकर खाया जा सकता है।
इसे रातभर पानी में भिगोकर, अगली सुबह खाया जा सकता है।
मीठे पकवानों में इसका इस्तेमाल स्वाद बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।
काली किशमिश को दूध के साथ भी खाया जा सकता है।
कब खाएं:
काली किशमिश को सीधे या अन्य ड्राई फ्रूट के साथ सुबह और शाम के वक्त खाया जा सकता है।
दोपहर या रात के खाने के बाद काली किशमिश युक्त मिठाई का सेवन किया जा सकता है।
रात में सोने से पहले काली किशमिश को दूध के साथ लिया जा सकता है।
कितना खाएं:
अन्य ड्राई फ्रूट्स के साथ 10 से 12 काली किशमिश को रात में भिगोकर प्रतिदिन सुबह खाया जा सकता है। शरीर के अनुसार इसके सेवन की उचित मात्रा जानने के लिए आहार विशेषज्ञ से सलाह लेना बेहतर होगा।
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ऊपर हमने काली किशमिश के फायदे बताए हैं, अब जानिए काली किशमिश के नुकसान।
काली किशमिश के नुकसान – Side Effects of Black Raisins in Hindi
कई बार काली किशमिश का अधिक सेवन निम्नलिखित समस्याओं का कारण बन सकता है
किशमिश एक हाई ग्लाइसेमिक युक्त खाद्य पदार्थ है, ऐसे में इसका अधिक सेवन मधुमेह का कारण बन सकता है (10)।
काली किशमिश कैलोरी से भरपूर होती है, ऐसे में इसकी अधिक मात्रा का सेवन शरीर का वजन बढ़ाने का काम कर सकता है (9)।
कुछ लोगों को काली किशमिश के सेवन से एलर्जी हो सकती है (11)।
काली किशमिश का सेवन स्वास्थ्य के लिए किस प्रकार लाभदायक हो सकता है, यह आपको इस लेख के जरिए पता लग गया होगा। ऐसे में काली किशमिश के लाभ प्राप्त करने के लिए इसे दैनिक आहार में शामिल किया जा सकता है। ध्यान रहे, इसकी सीमित मात्रा का ही सेवन करें, नहीं तो लेख में बताए गए दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है। इसका उपयोग करने के लिए आप लेख में बताए गए तरीकों को अपना सकते हैं। उम्मीद करते हैं कि यह लेख आपके स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मददगार साबित होगा।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/kali-kishmish-ke-fayde-aur-nuksan-in-hindi/
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rajatgarg79 · 6 years
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बिना वर्कआउट नमिता ने घटाया अपना 29 किलो वजन जाने कैसे
नमिता को अपने अत्यधिक वजन की वजह से लोगों से बातें सुननी पड़ती थी और जब वो बाहर निकलती थी तो लोग उन्हें घूरते थे जिसकी वजह से उनका आत्म-विश्वास कम हो जाता था। लेकिन यह वही समय था जब नमिता ने वजन घटाने का फैसला लिया। मोटापे के कारण उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याएं भी होने लगी थी और ऐसे वक़्त में उन्हें ये भी लगता था कि बीमार रहने की वजह से कहीं उनकी मौत न हो जाए।
(और पढ़ें - वजन कम करने के तरीके)
आइए आपको आगे नमिता की वेट लॉस यात्रा के बारें में बताते हैं:
आपने वजन घटाने का फैसला कब लिया?
2013 में मुझे सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी, टखनों में सूजन आने लगती थी और ��ींद भी अच्छे से नहीं आती थी, इन सभी चीजों को देखकर मैं अंदर से टूटती जा रही थी। अगर आपका वजन बहुत ज्यादा है तो समाज आपके साथ अच्छे से पेश नहीं आएगा। बल्कि लोग आपको बेकार समझने लगते हैं। मैं तनाव में रहने लगी थी और इस वजह से मुझे कोई भी रास्त नहीं दिख रहा था। आखिर में मैंने वजन घटाने का फैसला लिया।
(और पढ़ें - पेट कम करने के लिए डाइट चार्ट)
आप क्या खाती थी?
मेरा नाश्ता: मैं नाश्ते में दो अंडे या ऑमलेट के साथ-साथ कई मिक्स सब्जियां खाती थी और एक कप चाय भी पिया करती थी। मेरे मूड पर निर्भर करते हुए, मैं कभी-कभी डोसा, इडली और सांबर भी खा लिया करती थी। नाश्ते के कुछ घंटे बाद मैं एक कप ग्रीन टी के साथ दो कूकीज खाती थी।
मेरा दोपहर का खाना: एक रोटी, एक कटोरी चावल, एक कटोरी दाल या चिकन और हरी सब्जियां। साथ के साथ मैं गुलाब जामुन भी खाया करती थी।
मेरा रात का खाना: मैं आठ बजे तक अपना डिनर कर लिया करती थी। एक रोटी के साथ खूब सारी दाल या एक कटोरी सब्जी। साथ ही मैं डिनर के बाद एक कप ग्रीन टी भी पीती थी।
चीट डेस के समय: शनिवार के दिन मेरा चीट डे होता था। मेरा जो मन होता था उस दिन मैं वो ही खाती थी। लेकिन उस दिन मैं ग्रीन टी भी पीती थी।
कम कैलोरी वाला आहार: मैं नमक और काली मिर्च मिलाकर उबला बिना जर्दी का सफेद अंडा खाती थी।
(और पढ़ें - हाथ की चर्बी कम करने के उपाय)
क्या आप वर्कआउट करती थीं?
अपनी तीन साल की बेटी के आगे-पीछे घूमना मेरे लिए बहुत बड़ी चुनौती होती थी और वो एक तरह से मेरा वर्कआउट ही होता था। 
(और पढ़ें - कमर पतली करने के योगासन)
आप इस दौरान कैसे प्रेरित रहीं?
मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा थी मेरे कपड़े जिनके साथ मु���े मेहनत नहीं करनी पड़ती थी। वजन घटाने के बाद मेरे कपड़े आसानी से मुझे आने लगे थे। साथ ही वेट लॉस के बाद मुझे लोगों से तारीफें भी सुनने को मिलती थी जो कि मेरे लिए ये एक बहुत बड़ा प्रेरणा का स्रोत बन गया था। 
(और पढ़ें - कमर पतली करने की एक्सरसाइज)
आपने ये कैसे सुनिश्चित किया कि आप कभी अपने लक्ष्य से भटकेंगी नहीं?
मैं अपनी पुरानी तस्वीरों को देखती थी, इस तरह मैं अपने लक्ष्य के साथ डटी रहती थी। मुझे अब यकीन है कि मेरा वजन अब फिर से बढ़ने वाला नहीं है।
(और पढ़ें - वजन कम करने के लिए कितना पानी पीएं)
अधिक वजन की वजह से आपके लिए कौन सा हिस्सा सबसे मुश्किल भरा था?
अधिक वजन की वजह से सबसे मुश्किल भरा हिस्सा तब था जब मेरा आत्म-विश्वास और आत्म-सम्मान खोने लगा था।
(और पढ़ें - रात में सोते हुए कैसें वजन कम करें)
आप खुद को कुछ सालों में किस आकार में देखना चाहती हैं?
अब तो मैं अपना वजन इससे अधिक नहीं जाने देना चाहती हूं, वजन और कम करके हमेशा स्लिम व फिट रहना चाहती हूं।
(और पढ़ें - वजन घटाने के लिए कितना पैदल चलना चाहिए)
जीवनशैली में बदलाव लाने के लिए आपने क्या क्या किया?
जब मेरा वजन अधिक था तब मैं खुद की बॉडी को एक कूड़ादान समझती थी, लेकिन एक समय आया जब मुझे लगा कि अब मुझे अपने शरीर के बारें में सोचना चाहिए। इसलिए मैं हर घंटे पानी पीती थी। ज्यादा से ज्यादा पानी पीने से मुझे वजन घटाने में मदद मिली। मैं इस चीज पर भी ध्यान रखती थी की मैं कब क्या खा रही हूं और कब क्या खाना चाहिए। हालांकि वेट लॉस के दौरान स्वाद पर लगाम लगा पाना बेहद मुश्किल होता है।
(और पढ़ें - वजन घटाने के लिए जड़ी बूटियां)
वजन घटाने के बाद आपने क्या सीखा?
जब से मैंने वजन घटाया है तब से मेरा जीवन हर तरीके से बदल गया है। मैं अब स्वस्थ, खुश और आत्म-विश्वास से भरी हुई हूं।
(और पढ़ें - मोटापा कम करने के लिए डाइट चार्ट)
.........................
आशा करते हैं कि आपको नमिता के बारे में पढ़ कर प्रेरणा मिली होगी और अब आप अपना वजन घटाने का सफर ज़रूर शुरू करेंगे।
अगर आपके पास भी अपनी या अपने किसी मित्र, परिवार के सदस्य या परिचित की कोई ऐसी ही प्रेरणा देने वाली कहानी है, तो हमसे ज़रूर शेयर करें। आप अपनी कहानी हमें [email protected] पर ईमेल कर सकते हैं।
from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख via https://www.myupchar.com/weightloss/without-workout-namita-reduced-29-kg
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sabkuchgyan · 7 years
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अपने आपको बिमारियों से दूर रखने के 10 तरीके 1 चाहे आपके दोस्त किसी ब्रांड का कितना भी हवाला क्यों न दें। आप भीड़ का हिस्सा बनने की बजाए अपना सही तरीके से दिमाग चलाएं। 2 रेस्त्रां बुफे, भूखे छात्रों के लिए ही होते हैं पर जरा सोच कर खाएं क्योंकि वहां काफी कुछ ऐसा होगा, जो सेहत को रास न आए। 3 हां, जबों पैक लेने का मजा ही कुछ और है। यह हमें 25 प्रतिशत अतिरिक्त भी तो दे रहा है। चलिए खरीद ही लीजिए पर किसी दोस्त के साथ बंट कर खाइए। 4 कोई साफ्ट ड्रिंक इसलिए न पीएं कि आपका प्रिय फिल्मस्टार भी वही पीता हैं। 5 आप टी.वी. पर छरहरी व आकर्षक किशोरियों को चॉकलेट खाते व साफ्ट ड्रिंक पीते देखते हैं किंतु वे वास्तविक जीवन में इस तरीके से  नहीं रहती। 6 जब भी बाहर खाना खाने जाएं तो केवल स्वस्थ विकल्प ही चुनें। 7 यदि पैकेज डील में, मेन्यू से अधिक दिया जाए तो लालच न करें, इसका मतलब होगा ‘अतिरिक्त कैलोरी’ 8 सिर्फ लो-फैट देखकर ही उत्पाद न लें। उसमें चीनी या रिफांइड उत्पाद की मात्रा अधिक हो सकती हैं। फिर ज्यादा खा लेने से भी, लो-फैट का कोई फायदा नहीं होने वाला। 9 सेल प्रमोशन व सैंपलिंग उत्पादों से सावधान! ये भी आपको जंक की ओर खींचने का एक तरीका हैं। 10 लेबल पढ़ना सीखें ताकि आप जान सकें कि क्या खा रहें हैं।
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gethealthy18-blog · 5 years
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क्रोहन (क्रोन) रोग के कारण, लक्षण और इलाज – Crohn’s Disease Causes, Symptoms and Treatment in Hindi
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क्रोहन (क्रोन) रोग के कारण, लक्षण और इलाज – Crohn’s Disease Causes, Symptoms and Treatment in Hindi
क्रोहन (क्रोन) रोग के कारण, लक्षण और इलाज – Crohn’s Disease Causes, Symptoms and Treatment in Hindi Soumya Vyas Hyderabd040-395603080 January 16, 2020
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि पेट से जुड़ी समस्याएं सामान्य भी हो सकती हैं और किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी। ऐसी ही एक बीमारी है क्रोहन। क्रोहन रोग, पेट में दर्द, दस्त या फिर लेख में बताए गए अन्य लक्षणों के साथ शरीर में दाखिल हो सकता है। इसलिए, जरूरी है कि इस रोग के विषय में आवश्यक जानकारी रखी जाए। स्टाइलक्रेज के इस लेख में जानिए कि क्रोहन रोग के कारण, लक्षण और जोखिम कारक क्या-क्या हो सकते हैं। इस लेख में क्रोहन रोग से बचने के उपाय के बारे में भी बताया गया है। साथ ही क्रोहन रोग का इलाज कैसे किया जा सकता है, इस विषय पर भी जानकारी दी गई है।
इस समस्या के बारे में बाकी जानकारी लेने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि क्रोहन रोग होता क्या है।
विषय सूची
क्रोहन (क्रोन) रोग क्या है – What is Crohn’s Disease in Hindi
क्रोहन आंत से जुड़ा एक इंफ्लामेटरी रोग (Inflammatory Bowel Disease) है, जो क्रोनिक रोग की श्रेणी में गिना जाता है। यह सूजन और जलन के साथ व्यक्ति के डाइजेस्टिव ट्रैक्ट (Digestive Tract) को प्रभावित करता है। आमतौर पर यह रोग बड़ी आंत के शुरुआती भाग और छोटी आंत को प्रभावित करता है। लेकिन, क्रोन रोग व्यक्ति के डाइजेस्टिव ट्रैक्ट के किसी भी भाग (मुंह से लेकर गुदा) को अपनी चपेट में ले सकता है। यह रोग समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ता है। हालांकि, बीच बीच में कुछ समय के लिए इसके लक्षण हल्के हो जाते हैं (1)।
लेख में आगे जानिए क्रोहन रोग के प्रकार के बारे में।
क्रोहन (क्रोन) रोग के प्रकार – Types of Crohn’s Disease in Hindi
क्रोहन रोग के प्रकार को पांच भागों में बांटा जा सकता है –
इलोकैलाइटिस (Ileocolitis) : यह क्रोहन का आम प्रकार है। इसमें पीड़ित व्यक्ति के कोलन (आंत का भाग) और इलीयम (छोटी आंत का अंतिम भाग) प्रभावित होता है।
जेजुनोइलाइटिस (jejunoileitis) : यह आमतौर पर छोटी आंत के बीच वाले भागे जेजुनम (Jejunum) को प्रभावित करता है।
इलाइटिस (Ileitis) : क्रोहन रोग का यह प्रकार इलीयम (ileum, छोटी आंत का अंतिम भाग) को प्रभावित करता है। इससे इलीयम में सूजन पैदा होती है।
गैस्ट्रोडोडोडेनल क्रोहन रोग (Gastroduodenal Crohn’s Disease) : क्रोहन रोग का यह प्रकार पेट और डूआडनल (Duodenal, छोटी आंत का शुरुआती भाग) को प्रभावित करता है।
क्रोहन (ग्रैनुलोमैटस) कोलाइटिस (Crohn’s (Granulomatous) Colitis) : क्रोहन रोग का यह प्रकार कोलन को प्रभावित करता है, जो बड़ी आंत का मुख्य हिस्सा होता है।
लेख के अगले भाग में आप जानेंगे कि क्रोहन रोग के कारण क्या-क्या हो सकते हैं।
क्रोहन रोग के कारण – Causes of Crohn’s Disease in Hindi
क्रोहन रोग के कारण के बारे में साफ तौर पर कुछ भी कहना मुश्किल होगा। अभी तक इसके सटीक कारण का पता नहीं लगाया जा सका है। डॉक्टर का मानना है कि नीचे बताए गए कारण इनमें शामिल हो सकते हैं (2) :
ऑटोइम्यून रिएक्शन : इस समस्या में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगती हैं। माना जाता है कि पाचन तंत्र के बैक्टीरिया ऐसे ऑटोइम्यून रिएक्शन की वजह हो सकते हैं, जिससे क्रोहन रोग के लक्षण जैसे आंत में सूजन जैसी समस्या हो सकती है।
आनुवंशिक: माना जाता है कि क्रोन रोग आनुवंशिक भी हो सकता है। अगर किसी के माता-पिता या भाई-बहन को क्रोहन रोग रहा हो तो उस व्यक्ति को भी यह हो सकता है।
अन्य कारण : क्रोहन रोग के कारण में धूम्रपान, नॉनस्टेरॉइडल एंटी इंफ्लामेटरी दवाइयां (जैसे बर्थ कंट्रोल पिल्स या एस्पिरिन ) और उच्च फैट युक्त आहार भी शामिल हो सकते हैं।
क्रोहन रोग के कारण जानने के बाद आइए अब आपको बताते हैं कि क्रोहन रोग के लक्षण क्या-क्या हो सकते हैं –
क्रोहन रोग के लक्षण – Symptoms of Crohn’s Disease in Hindi
क्रोहन रोग के लक्षण सभी में एक समान नहीं होते। यह इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि रोग डाइजेस्टिव ट्रैक्ट के किस भाग में है और कितना गंभीर है। कुछ ऐसे लक्षण हैं जो आम हो सकते हैं, जैसे (2) :
डायरिया
पेट में दर्द और मरोड़
वजन कम होना
इसके अलावा, क्रोहन रोग के लक्षण कुछ और भी हो सकते हैं, जैसे :
खून की कमी (एनीमिया)
आंखों का लाल होना या दर्द
थकान
बुखार
जोड़ों में दर्द या अकड़न
मतली या भूख न लगना
लेख के इस भाग में जानिए कि क्रोहन (क्रोन) रोग के जोखिम कारक क्या-क्या हो सकते हैं।
क्रोहन (क्रोन) रोग के जोखिम कारक – Risk Factors of Crohn’s Disease in Hindi
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि क्रोहन आंत से जुड़ा एक इंफ्लामेटरी रोग और इसके कई जोखिम कारक हो सकते हैं। क्रोहन (क्रोन) रोग के जोखिम कारक कुछ इस प्रकार हो सकते हैं (3) :
धूम्रपान।
अपेंडिक्स (बड़ी आंत से जुड़ी एक छोटी नली) की सर्जरी।
गर्भनिरोधक गोलियों या एंटीबायोटिक दवा।
शुगर और फैट से भरपूर डाइट।
किसी प्रकार का संक्रमण।
जिन्हे पहले गैस्ट्रोएंटेराइटिस (आंत से जुड़ा संक्रमण) की समस्या रही हो।
क्रोहन रोग के जोखिम कारक, कारण और लक्षण जानने के साथ यह जानना भी जरूरी है कि क्रोहन रोग का इलाज किस तरह किया जा सकता है। नीचे इससे जुड़ी जानकारी दी गई है।
क्रोहन (क्रोन) रोग का इलाज – Treatment of Crohn’s Disease in Hindi
क्रोहन रोग के उपचार के बारे में बात करें तो इसका इलाज सभी के लिए एक समान काम नहीं करता। इन उपचारों का उपयोग खासकर इसके लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है। ये उपचार तीन तरह से किए जा सकते हैं (4):
दवाइयों की मदद से
आंत को आराम देकर
सर्जरी
दवाइयों की मदद से :
निम्नलिखित दवाइयों की मदद से इसके लक्षणों को कम करके, क्रोहन रोग का इलाज किया जा सकता है :
अमीनोसिलिलेट्स (Aminosalicylates) : इन दवाइयों में एक खास तरह का एसिड (5-ASA) पाया जाता है, जो सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। इसके कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जैसे :
डायरिया
सिरदर्द
सीने में जलन
मलती और उल्टी
पेट दर्द
कॉर्टिकोस्टेरॉइड (Corticosteroids) : ये दवाइयां ऑटोइम्यून रिएक्शन और इन्फ्लेमेशन को कम करने में मदद करती हैं, जिससे क्रोहन रोग के लक्षण को कम करने में मदद मिल सकती है। इसके दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जैसे :
मुंहासे
उच्च रक्तचाप
हाई ब्लड शुगर
हड्डियों का घनत्व कम होना
संक्रमण का खतरा
मूड स्विंग
वजन बढ़ना
इम्यूनोमॉड्यूलेटर्स (Immunomodulators) : ये दवाइयां ऑटोइम्यून रिएक्शन को कम करती हैं, जिससे सूजन कम करने में मदद मिल सकती है। इन्हें ठीक से काम करने में कुछ हफ्तों से तीन महीने तक का समय लग सकता है। ये दवाइयां उन्हें दी जाती हैं, जिन पर कोई और दवा काम नहीं करती। इसके दुष्प्रभाव कुछ इस प्रकार हो सकते हैं :
सफेद रक्त कोशिकाओं का कम होना, जिसके कारण संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
थकान
उल्टी और मलती
पैन्क्रियाटाइटिस (अग्न्याशय में सूजन)
आंत को आराम देकर :
अगर किसी के लक्षण ज्यादा गंभीर हो तो दवाइयों के अलावा, क्रोहन रोग का इलाज आंत को आराम देकर भी किया जा सकता है। इसमें डॉक्टर कुछ खास पेय पदार्थों का सेवन करने की सलाह दे सकता है। यह कुछ इस प्रकार किया जा सकता है –
पोषक तत्वों से भरपूर पेय पदार्थों का सेवन।
ट्यूब के माध्यम से पोषक तत्वों से भरपूर पेय पदार्थों को पेट या छोटी आंत तक पहुंचाना।
खून के माध्यम से शरीर में कुछ खास पोषक तत्वों को पहुंचाना।
सर्जरी :
क्रोहन रोग का इलाज सर्जरी के जरिए भी किया जा सकता है। यह सर्जरी इस रोग के लक्षणों में सुधार और जटिलताओं को कम करने में मदद कर सकती है। क्रोहन रोग के उपचार के दौरान कुछ खास परिस्थितियों में डॉक्टर सर्जरी करने की सलाह देते हैं, जो निम्नलिखित हो सकती हैं :
फिस्टुला के कारण(शरीर के दो हिस्सों के बीच एक अप्राकृतिक जोड़)
जानलेवा रक्तस्त्राव
आंत में कसावट (खाना, पेय पदार्थ, हवा या मल का आंत से न गुजर पाना)
दवाइयों के जानलेवा दुष्प्रभाव
जब दवाइयों से लक्षण बेहतर न हो।
इलाज के साथ आहार का ध्यान रखना भी जरूरी है। इसलिए, क्रोहन रोग के उपचार के बाद जानिए क्रोहन रोग के दौरान कौन-कौन से खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल किया जा सकता है।
क्रोहन रोग आहार – Crohn’s Disease Diet in Hindi
क्रोहन रोग के प्रकार के अनुसार, आहार के क्या खाना है, इस बारे में सटीक जानकारी डॉक्टर ही दे पाएंगे। लेकिन इस दौरान आहार से जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखने से फायदा मिल सकता है (5)।
सोडा वाले पेय पदार्थों का सेवन न करें।
उच्च फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे पॉपकॉर्न, नट्स आदि खाने से बचें।
अधिक तरल पदार्थ का सेवन करें।
एक साथ बहुत सारा न खाएं।
समस्या के अनुसार डॉक्टर उच्च कैलोरी, लेक्टोस-फ्री, लो फैट, लो फाइबर या लो सॉल्ट युक्त आहार का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं।
इन बातों के अलावा यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि किन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचने की सलाह दी जाती है (6) :
श्रेणी क्या न खाएं दूध और दूध के उत्पाद क्रीम वाला दूध, क्रीम, बेरी/संतरे वाला दही, नट्स या फैट वाली आइसक्रीम मीट फ्राइड मीट, सॉसेज, बेकन, फ्राइड अंडे और  हॉट डॉग अधिक प्रोटीन नट्स,सूखे बीन्स और मटर अनाज होल ग्रेन, ब्राउन राइस और साबुत अनाज से बने सीरियल सब्जी ब्रोकली, गोभी, मक्का, पत्तेदार सब्जियां (जैसे पालक, सरसों और शलजम) प्याज, और मशरूम फल छिले हुए सेब, पके हुए केले और मेलन (खरबूजा/तरबूज) पेय पदार्थ  कैफीन युक्त पेय, शराब और कोला
शक्कर और कॉर्न सिरप से बने कोल्ड ड्रिंक्स, फ्रूट जूस आदि
फैट और तेल एक दिन में आठ चम्मच से ज्यादा न खाएं।
ऊपर बताए गए खाद्य पदार्थ उच्च फाइबर/लेक्टोस/फैट/ग्लूटेन से समृद्ध हैं, जो क्रोहन रोग के लक्षण जैसे डायरिया, पेट दर्द, सूजन, गैस आदि को बढ़ा सकते हैं। इस वजह से इन्हें आहार में शामिल न करने की सलाह दी जाती है (7)।
लेख के आखिरी भाग में जानिए क्रोहन रोग से बचने के उपाय से बारे में।
क्रोहन रोग से बचने के उपाय – Prevention Tips for Crohn’s Disease in Hindi
लेख में हम पहले भी बता चुके हैं कि क्रोहन एक प्रकार का आंत से जुड़ा इंफ्लेमेटरी रोग है। ऐसे में इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज से बचने की टिप्स क्रोहन रोग से बचने के उपाय के रूप में काम कर सकती हैं। इन टिप्स के बारे में नीचे बताया गया है (8) :
धूम्रपान न करें
जरूरी टीकाकरण करवाएं। इससे संक्रमण का खतरा कम हो सकता है।
हर रोज व्यायाम और कुछ शारीरिक गतिविधि करें।
संतुलित आहार लें।
एनीमिया से बचें
ऐसी दवाइयों से बचें जो क्रोहन रोग का कारण बन सकती हैं, जैसे नॉनस्टेरॉइडल एंटी इंफ्लामेटरी दवाइयां।
हम उम्मीद करते हैं कि लेख के माध्यम से आपको क्रोहन रोग के कारण, लक्षण और इससे जुड़ी अन्य जरूरी जानकारी मिल गई होंगी। इस बात को भी आप अच्छी तरह समझ गए होंगे कि क्रोन रोग आंत के साथ पूरे शरीर को किस तरह प्रभावित कर सकता है। इसलिए, क्रोहन रोग के लक्षण दिखने पर तुंरत डॉक्टर से संपर्क करें और इलाज करवाएं। इसके अलावा, अगर आपके मन में क्रोहन रोग के उपचार या अन्य संबंधित विषयों से जुड़ा कोई भी सवाल है, तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स की मदद ले सकते हैं।
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Soumya Vyas
सौम्या व्यास ने माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, भोपाल से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बीएससी किया है और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ जर्नलिज्म एंड न्यू मीडिया, बेंगलुरु से टेलीविजन मीडिया में पीजी किया है। सौम्या एक प्रशिक्षित डांसर हैं। साथ ही इन्हें कविताएं लिखने का भी शौक है। इनके सबसे पसंदीदा कवि फैज़ अहमद फैज़, गुलज़ार और रूमी हैं। साथ ही ये हैरी पॉटर की भी बड़ी प्रशंसक हैं। अपने खाली समय में सौम्या पढ़ना और फिल्मे देखना पसंद करती हैं।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/crohn-rog-ke-karan-lakshan-aur-ilaj-in-hindi/
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विटामिन बी12 के फायदे और इसकी कमी के कारण, लक्षण – Vitamin B12 Benefits in Hindi
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विटामिन बी12 के फायदे और इसकी कमी के कारण, लक्षण – Vitamin B12 Benefits in Hindi
विटामिन बी12 के फायदे और इसकी कमी के कारण, लक्षण – Vitamin B12 Benefits in Hindi Soumya Vyas Hyderabd040-395603080 October 22, 2019
खानपान में गड़बड़ी से शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। इन पोषक तत्वों में कई प्रकार के विटामिन भी शामिल हैं, जैसे विटामिन-ए, विटामिन-बी, विटामिन-सी, विटामिन-डी आदि। शरीर में विटामिन की पूर्ति इसलिए जरूरी है, क्योंकि इनकी कमी कई शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकती है (1)। ऐसे ही एक विटामिन की बात हम स्टाइलक्रेज के इस लेख में करने वाले हैं, जिसका नाम है, विटामिन बी 12। विटामिन बी 12 एक वाटर सोल्युबल (पानी में घुल जाने वाला) विटामिन है। यह वो विटामिन हैं, जिनका पूरा उपयोग कर लेने के बाद, इनके अवशेष यूरिन के माध्यम से शरीर से निकल जाते हैं (2)। इस लेख में हम विटामिन बी 12 की कमी के कारण और उससे जुड़ी सभी समस्याओं के बारे में बात करेंगे। इस लेख से आप विटामिन बी 12 की कमी के लक्षण और इससे जुड़े रोग के बारे में भी जान पाएंगे।
आइए, सबसे पहले आपको विटामिन बी-12 के प्रकार के बारे में बता दें।
विषय सूची
विटामिन बी12 के प्रकार – Types of Vitamin B12 in Hindi
विटामिन बी12 शरीर के मेटाबॉलिज्म के लिए जरूरी है (2)। इसके दो प्रकार होते हैं, जो मेटाबॉलिज्म को बेहतर करने का काम करते हैं। इसके प्रकार निम्न हैं :
मिथाइलकोबालामिन (Methylcobalamin) : यह विटामिन बी12 का वह प्रकार होता है, जिसका उपयोग कुछ पोषण संबंधी बीमारियों के साथ-साथ अल्जाइमर रोग और रूमेटाइड अर्थराइटिस जैसी रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। साथ ही यह मधुमेह की वजह से होने वाले दर्द, कमर दर्द और नसों के दर्द को कम करने में भी मदद कर सकता है (3)।
एडेनोसिलकोबालामिन (Adenosylcobalamin): यह भी विटामिन बी 12 का दूसरा प्रकार है, जिसकी कमी से मेटाबॉलिज्म स्तर प्रभावित हो सकता है (4)
लेख के अगले भाग में हम आपको बताएंगे कि विटामिन बी12 की कमी का मतलब क्या होता है।
विटामिन बी12 की कमी क्या है? – What is Vitamin B12 Deficiency in Hindi
शरीर में विटामिन बी12 की आवश्यक मात्रा का न होना ही विटामिन बी 12 की कमी है। सामान्य तौर पर एक वयस्क को 2.4 माइक्रोग्राम विटामिन बी 12 की जरूरत होती है (5)। इसे सीरम या प्लाज्मा में विटामिन बी 12 के स्तर से मापा जाता है। यह दुनियाभर में लगभग 15 प्रतिशत लोगों को प्रभावित करता है (3)। इसकी कमी से लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में कमी आ सकती है। इस स्थिति को विटामिन बी 12 डेफिशियेंसी एनीमिया कहा जाता है (6)। विटामिन बी 12 की कमी के कारण खून की कमी हो सकती है और दिमाग व तंत्रिका तंत्र को ठीक से काम करने में समस्या हो सकती है (7)।
आइए, अब आपको बताते हैं कि शरीर में विटामिन बी 12 की कमी के कारण क्या होते हैं।
विटामिन बी12 की कमी होने का कारण – Causes of Vitamin B12 Deficiency in Hindi
विटामिन बी 12 की कमी के कारण में सबसे ऊपर आता है विटामिन बी 12 के स्रोत का सेवन न करना। यह खासकर उन लोगों को होता है, जो शाकाहारी आहार का सेवन करते हैं और उन्हें विटामिन बी 12 के सप्लीमेंट्स लेने की जरूरत पड़ सकती है (1)। इसके अलावा भी कुछ कारण होते हैं, जिनकी वजह से विटामिन बी 12 की कमी हो सकती है, जैसे (8) :
परनीसियस एनीमिया (Pernicious Anemia) : इसमें व्यक्ति के शरीर में ऐसे प्रोटीन की कमी हो जाती है, जो विटामिन बी 12 को शरीर में अवशोषित करने में मदद करते हैं। इन प्रोटीन को इंट्रिन्सिक फैक्टर कहा जाता है। इनकी कमी से गैस्ट्रोइंटेस्टिनल ट्रैक्ट में विटामिन को अवशोषित (Absorption) करने में समस्या आने लगती है और शरीर में विटामिन बी 12 की कमी होने लगती है।
पेट की बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति : पेट या आंत की बीमारी जैसे सीलिएक रोग और क्रोहन रोग (आंत में सूजन से जुड़े रोग) से पीड़ित लोगों के शरीर में पर्याप्त विटामिन बी 12 अवशोषित करने में समस्या होती है। इस वजह से व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता (Cognitive Function) में भी कमी आ सकती है।
पेट की सर्जरी : कई बार लोगों को वजन कम करने के लिए या किसी और बीमारी के वजह से पेट की सर्जरी करवानी पड़ती है। इस सर्जरी के दौरान उन कोशिकाओं की कमी हो जाती है, जो इंट्रिन्सिक फैक्टर का निर्माण करती हैं। शरीर में विटामिन बी12 को अवशोषित करने के लिए इंट्रिन्सिक फैक्टर की जरूरत होती है। इस प्रकार यह विटामिन बी12 की कमी का कारण बन सकता है।
शाकाहारी आहार : विटामिन बी12 के स्रोत में सबसे ऊपर आता है मांसाहारी आहार। ऐसे में शुद्ध शाकाहारी और वीगन आहार का सेवन करने वाले लोगों को विटामिन बी 12 की कमी हो सकती है। मांसाहारी खाद्य पदार्थों के सेवन न करने वालों के लिए विटामिन बी 12 के स्रोत के रूप में अनाज आदि ही होते हैं।
शाकाहारी मां के शिशु : गर्भावस्था के दौरान विटामिन बी 12 प्लेसेंटा से निकल कर मां के दूध में आ जाता है और मां का दूध ही शिशु के लिए विटामिन बी 12 का स्रोत बन जाता है। ऐसे में, उन महिलाओं के शिशुओं को इसकी कमी हो सकती हैं, जिन महिलाओं ने गर्भावस्था के दौरान अपने शरीर में इसके स्तर पर ध्यान न दिया हो। अगर आप गर्भवती हैं या स्तनपान करवा रही हैं, तो अपने शरीर में विटामिन बी12 के स्तर को लेकर अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य करे लें।
बढ़ती उम्र के कारण : बढ़ती उम्र के साथ पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड का उत्पादन कम होने लगता है। इसके चलते विटामिन बी 12 का अवशोषण करने में समस्या आने लगती है। इसके अलावा, हाइड्रोक्लोरिक एसिड की कमी के कारण पेट में बैक्टीरिया भी पनपने लगते हैं, जो शरीर में मौजूद विटामिन बी 12 को खत्म करते हैं। यह समस्या बढ़ती उम्र के साथ लगभग 10 से 30 प्रतिशत लोगों को होती है।
विटामिन बी 12 की कमी के लक्षण जानने के लिए पढ़ते रहिए यह लेख।
विटामिन बी12 की कमी के लक्षण – Symptoms of Vitamin B12 Deficiency in Hindi
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विटामिन बी 12 की कमी के लक्षण शारीरिक रूप से आसानी से समझ आने लगते हैं। ये कुछ इस प्रकार हो सकते हैं (8) (7) :
मेगालोब्लास्टिक एनीमिया (शरीर में सामान्य से अलग और बड़ी लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण होना)
थकान
कमजोरी
कब्ज
भूख न लगना
वजन में कमी
हाथ और पैरों में सुन्नपन और झुनझुनी
मुंह और जुबान में तकलीफ होना
चक्कर आना
धड़कनें तेज होना
चोट लगने पर आसानी से खून आ जाना
अधिक कमी हो जाने पर विटामिन बी 12 की कमी के लक्षण व्यक्ति के व्यवहार में भी दिखने लगते हैं। ये कुछ इस प्रकार हो सकते हैं (8) :
अवसाद
संतुलन बनाए रखने में कठिनाई
असमंजस और भ्रम की स्थिति
स्मृति (Memory) कम होना
विटामिन बी 12 की कमी के लक्षण जानने के बाद जानिए विटामिन बी 12 के फायदे के बारे में।
 विटामिन बी12 के फायदे – Vitamin B12 Benefits In Hindi
1. मानसिक और तंत्रिका स्वास्थ्य के लिए
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न्यूरोलॉजिकल (केंद्रीय तंत्रिका तंत्र) स्वास्थ्य को बनाए रखने में विटामिन बी 12 का अहम योगदान होता है। इसकी कमी से कई न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो सकती हैं, जैसे नींद न आना, संतुलन बनाए रखने में समस्या होना, हाथ व पैरों में कंपकंपी, त्वचा का सुन्न होना आदि (9)। नर्वस सिस्टम को स्वस्थ बनाए रखने के लिए भी विटामिन बी 12 की अहम भूमिका होती है (10)।
2. हृदय रोग के लिए
माना जाता है कि शाकाहारी भोजन करने वाले लोगों को मांसाहारी आहार लेने वाले लोगों के मुकाबले हृदय रोग का खतरा कम होता है। हालांकि, एक शोध में पाया गया है कि कई बार सिर्फ शाकाहारी आहार का सेवन करने वाले लोगों में भी हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। ऐसा विटामिन बी 12 की कमी से हो सकता है। विटामिन बी 12 की कमी से हृदय रोग के खतरे को कम करने वाले शाकाहारी आहार के गुणों का प्रभाव कम हो सकता है। ऐसे में, विटामिन बी 12 के रोग से बचने के लिए विटामिन बी 12 के सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दी जाती है (11)।
3. पाचन शक्ति बेहतर करे
विटामिन बी 12 की उचित मात्रा आपकी पाचन शक्ति को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है। यही वजह है कि इसकी कमी के वजह से अपच, कब्ज और डायरिया जैसी समस्या हो सकती है (7) (12)।
4. डीएनए संश्लेषण में मदद करे
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डीएनए (DNA, Deoxyribonucleic Acid) हमारी कोशिकाओं में पाया जाता है। मनुष्य का शरीर कई कोशिकाओं से बना है और हर कोशिका में कई डीएनए होते हैं। ये व्यक्ति के शारीरिक व मानसिक विकास और प्रजनन में मदद करते हैं (13)। दरअसल, हमारे पूरे जीवन में कोशिकाएं कई बार विभाजित होती हैं और जिनसे नई कोशिकाओं का निर्माण होता है, जिन्हें डीएनए की जरूरत होती है (14)। ऐसे में कोशिकाओं के विभाजन के दौरान डीएनए के प्रतिरूप (Replica) बनते हैं। कोशिका विभाजन के दौरान प्रतिरूप के जरिए डीएनए बढ़ने की इसी प्रक्रिया को डीएनए संश्लेषण (DNA Synthetic/ DNA Replication) कहा जाता है (15)। यहां विटामिन बी 12 इसलिए जरूरी है, क्योंकि यह डीएनए संश्लेषण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने का काम करता है (8)।
5. वजन कम करने में मदद करे
विटामिन बी 12 आपका मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में मदद करता है (8)। मेटाबॉलिज्म बढ़ने से आपके शरीर में कैलोरी बर्न होगी और भोजन फैट के रूप में जमा नहीं होगा (16)। इससे आपके शरीर में फैट की मात्रा कम होगी और आपको वजन नियंत्रि��� करने में मदद मिल सकती है।
6. त्वचा को स्वस्थ रखे :
यूवी किरणों की वजह से अक्सर त्वचा का रंग फीका हो जाता है। ऐसे में विटामिन बी12 का उपयोग करना लाभदायक साबित हो सकता है। यह फोलिक एसिड के साथ मिलकर यूवी किरणों की वजह से फीके पड़े त्वचा के रंग को निखारने में मदद कर सकता है (17)। यह मुंहासे, त्वचा से जुड़ी कुछ एलर्जी और चेहरे पर पड़े लाल चकत्तों से आराम पाने में भी मदद कर सकता है (18)।
7. बालों के लिए फायदेमंद
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विटामिन बी 12 की कमी आपके बालों के लिए भी नुकसानदायक हो सकती है। एक वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार, इसकी कमी बालों के झड़ने का कारण हो सकती है (19)। इसके अलावा, विटामिन बी 12 की कमी के कारण बाल समय से पहले सफेद हो सकते हैं (20)।
आपने यह जान लिया कि बी12 की कमी से आपको विटामिन बी 12 के रोग का सामना करना पड़ सकता है। अब आपके मन में सवाल आता होगा कि इसकी कमी से कैसे बचा जाए। तो इस बारे में जानिए लेख के अगले भाग में।
विटामिन बी12 की कमी से बचने के उपाय – Prevention Tips for Vitamin B12 Deficiency in Hindi
विटामिन बी 12 के रोग से बचना बहुत आसान है। यह आप कुछ इस प्रकार कर सकते हैं (12) :
अपने आहार में विटामिन बी 12 की भरपूर मात्रा लें।
डॉक्टर से अपने शरीर में विटामिन बी 12 के स्तर की जांच करवाते रहें।
लिवर (चिकन या मटन का) को विटामिन बी 12 के स्रोत में सबसे ऊपर रखा जाता है। इसलिए, इसका सेवन करने से आप विटामिन बी 12 के रोग से बच सकते हैं।
इसके अलावा, दूध, दही और चीज़ में भी इसकी भरपूर मात्रा पाई जाती है और इनका सेवन विटामिन बी 12 के स्रोत के रूप में किया जा सकता है।
जो लोग वीगन हैं और किसी डेयरी या मांसाहारी आहार का सेवन नहीं करते, उन्हें विटामिन बी 12 के सप्लीमेंट्स लेने की जरूरत पड़ सकती है।
इस लेख के जरिए आप विस्तार से समझ गए होंगे कि विटामिन बी 12 को अपने आहार में शामिल करना कितना जरूरी है और यह आपके स्वास्थ के लिए कितना महत्वपूर्ण है। विटामिन बी 12 के रोग से बचने के लिए इससे समृद्ध खाद्य पदार्थों या इसके सप्लीमेंट्स का सेवन करें। अगर अब भी आपके मन में विटामिन बी 12 की कमी या उससे जुड़ा कोई सवाल है, तो आप हमसे कमेंट बॉक्स में लिख कर पूछ सकते हैं। साथ ही, यह भी जरूर बताएं कि यह लेख आपको कैसा लगा।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
विटामिन बी 12 के सप्लीमेंट्स लेने का सही समय क्या है?
विटामिन बी 12 के सप्लीमेंट्स को सुबह नाश्ते के साथ लिया जा सकता है। ध्यान रहे कि इन सप्लीमेंट्स को बिना डॉक्टरी परामर्श के न लें।
क्या विटामिन बी 12 का अधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए बुरा है?
जी नहीं, शोध में पाया गया है कि विटामिन बी 12 या उसके सप्लीमेंट्स का अधिक सेवन करने से स्वास्थ्य पर किसी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते (8)। फिर भी इस विषय में एक बार डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
क्या विटामिन बी 12 एक वाटर सोल्युबल विटामिन है?
जी हां, विटामिन बी 12 एक वाटर सोल्युबल (पानी में घुलने वाला) विटामिन है (2)।
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सलाद खाने के 10 फायदे, तरीका और नुकसान – Salad Benefits and Side Effects in Hindi
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सलाद खाने के 10 फायदे, तरीका और नुकसान – Salad Benefits and Side Effects in Hindi
सलाद खाने के 10 फायदे, तरीका और नुकसान – Salad Benefits and Side Effects in Hindi Saral Jain Hyderabd040-395603080 October 21, 2019
अच्छी सेहत के लिए योग और व्यायाम के साथ-साथ खान-पान पर ध्यान देना भी जरूरी है। खान-पान ऐसा होना चाहिए, जिसमें विटामिन और मिनरल के रूप में पर्याप्त पोष��� तत्व मौजूद हों। हमारी सेहत के लिए फायदेमंद हेल्दी फूड में सलाद का भी विशेष स्थान है। यह न सिर्फ हमें कई बीमारियों से बचाता है, बल्कि हमारी त्वचा, आंखों और बालों के लिए भी फायदेमंद है। वैसे सलाद का सेवन सभी करते हैं, लेकिन सलाद खाने के फायदे के बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं। इसकी जानकारी और फायदों के लिए स्टाइल��्रेज के इस आर्टिकल में हम इसी मुद्दे पर बात करेंगे। साथ इसके फायदों और इससे होने वाले नुकसान के बारे में जानेंगे।
आर्टिकल में सबसे पहले यह जान लेते हैं कि सलाद कहते किसे हैं।
विषय सूची
सलाद क्‍या है? – What is Salad in Hindi
अलग-अलग स्थानों पर सलाद बनाने की विधि अगल-अलग है और इसे बड़े ही चाव से खाया भी जाता है। सलाद को विटामिन और खनिज का अच्छा स्रोत माना जाता है। इसके अलावा, इसमें फाइबर भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यहां हम स्पष्ट कर दें कि सभी सलाद स्वास्थ्यवर्धक और पौष्टिक नहीं होते। यइ इस पर निर्भर करता है कि सलाद में क्या-क्या सामग्री मिलाई गई है। इसमें कम मात्रा में ड्रेसिंग और टॉपिंग मिलाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, लेकिन अगर आप इसे अधिक मात्रा में मिलाते हैं, तो सलाद कैलोरी और वजन बढ़ाने का कारण बन सकता है (1)।
आइए, अब सलाद से होने वाले प्रमुख फायदों के बारे में जान लेते हैं।
सलाद के फायदे – Benefits of Salad in Hindi
जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा कि सलाद में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। इन फायदों के बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं।
1. वजन कम करने के लिए
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अधिक वजन और मोटापा आज एक आम समस्या बन गया है। मोटे लोग इससे कैसे भी करके पीछे छुड़ाना चाहते हैं। मोटापे से छुटकारा पाने के लिए और वजन को नियंत्रित करने के लिए सलाद अच्छा आहार हो सकता है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है और कैलोरी की मात्रा कम होती है। साथ ही इसे खाने से पेट ज्यादा देर तक भरा रहता है। इस प्रकार भूख कम लगने और ऊर्जा की कम खपत होने से यह आपके वजन को कम करने और नियंत्रित करने में आपकी मदद कर सकता है (2)।
2. आंखों के लिए सलाद खाने के फायदे
पोषक तत्वों की कमी के कारण आंखों की समस्या भी हो सकती है और सलाद पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसका कारण यह है कि इसमें विभिन्न प्रकार की सब्जियों और फलों को इस्तेमाल किया जाता है। हर फल और सब्जी में विभिन्न तरह के पोषक तत्व होते हैं। जब इन फलों या फिर सब्जियों को मिलाकर सलाद बनाई जाती है, तो सभी पोषक तत्व एक साथ मिल जाते हैं। इस प्रकार कह सकते हैं कि सलाद में ल्यूटिन और जेक्सैंथिन, विटामिन-सी (एस्कॉर्बिक एसिड), विटामिन-ई, विटामिन-ए, बीटा कैरोटीन, आवश्यक फैटी एसिड और जिंक जैसे पोषक तत्व शामिल होते हैं। ये सभी पोषक तत्व आपकी आंखों के लिए लाभदायक हैं, जो आंखों को कई तरह की बीमारियों से बचाते हैं (3)।
3. अच्छी नींद के लिए सलाद खाने के फायदे
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अगर आपको अच्छी तरह से नींद नहीं आती है, तो सलाद आपकी अनिद्रा की समस्या को दूर करने मदद कर सकता है। दरअसल, सलाद में लैक्टुका सैटिवा (Lactuca sativa) नामक सलाद का पत्ता भी मिलाया जाता है। इससे न सिर्फ सलाद का स्वाद बढ़ता है, बल्कि कई पोषक तत्व भी मिलते हैं। लैक्टुका सैटिवा में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से आपकी रक्षा करते हैं। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण अनिद्रा की समस्या हो सकती है (4)।
4. प्रतिरक्षा प्रणाली में करे सुधार
अगर आप अक्सर बीमार रहते हैं, तो हो सकता है कि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो। इस समस्या को दूर करने के लिए सलाद आपकी मदद कर सकता है। सलाद में प्रोटीन पाया जाता है (5)। प्रोटीन न सिर्फ आपकी मसल्स को बेहतर बनाता है, बल्कि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली में भी सुधार करने में आपकी मदद करता है (6)।
5. पाचन में सुधार के लिए सलाद खाने के फायदे
बिगड़ा हुआ पाचन तंत्र कई समस्याओं को जन्म देता है। इससे पेट तो खराब होता ही है साथ ही बिगड़े हुए पेट की वजह से काम में मन भी नहीं लगता। इसके लिए हरी पत्तेदार सब्जियों से बने सलाद का सेवन आपकी इस समस्या का समाधान हो सकता है। इसमें पाया जाना वाला फाइबर पाचन तंत्र और आंतों की समस्या को दूर करने में सहायक होता है (7)।
6. स्वस्थ हृदय के लिए
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हृदय की समस्या से ग्रस्त लोगों को हल्का भोजन करने की सलाह दी जाती है। ऐसे मरीज स्वस्थ हृदय के लिए सलाद का सेवन कर सकते हैं। इसमें उपयोग होने वाली हरी पत्तेदार सब्जियों में पर्याप्त मात्रा में फाेलेट और विटामिन-बी पाया जाता है। ये पोषक तत्व हृदय को कई समस्याओं से बचाने के अलावा, उसकी कार्य प्रणाली में भी सुधार करते हैं। साथ ही सलाद में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं, जो बेहतर हृदय के लिए जरूरी माने गए हैं (7)।
7. फाइबर से भरपूर
सलाद को फलों और सब्जियों के मिश्रण से बनाया जाता है और इन दोनों को पोषक तत्वों की खान माना जाता है। इनमें से एक पोषक तत्व फाइबर है। सलाद के रूप में फाइबर का सेवन आपके स्वास्थ्य के लिए कई प्रकार से फायदेमंद हो सकता है। यह न सिर्फ आपकी पाचन तंत्र की समस्या को दूर करने में आपकी मदद करता है, बल्कि आंतों की समस्या के साथ ही पेट की कई समस्याओं से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद करता है। इसके अलावा, यह वजन को भी नियंत्रण करने में आपकी मदद कर सकता है (7)।
8. मांसपेशियों के निर्माण के लिए सलाद खाने के फायदे
सलाद का सेवन आपकी मांसपेशियों के लिए भी फायदेमंद होता है। इसमें मिलाई जाने वाली पालक में प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है (5), जो आपकी मांसपेशियों के निर्माण में और उनको मजबूत करने में आपकी मदद करता है। इसलिए, जिम करने वालों और एथलीटों को भोजन में पालक शामिल करने की सलाह दी जाती है (6)।
9. हड्डियों के लिए सलाद
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सलाद में हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करना कई प्रकार से फायदेमंद हो सकता है। इनमें पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम पाया जाता हैं (5)। ये हड्डियों के विकास में मदद करने के साथ-साथ हड्डियों को मजबूत करते हैं। इसके अलावा, ये पोषक तत्व ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से भी बचाते हैं (7) (8)।
10. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर
सलाद में एंटीऑक्सीडेंट की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट गुण आपके लिए कई प्रकार से फायदेमंद हो सकते हैं। ये कैंसर की कोशिकाओं को पनपने से रोकते हैं और कैंसर की समस्या को दूर करने में आपकी मदद करते हैं। इसके अलावा, ये आपकी हृदय से संबंधित कई परेशानियों को भी दूर करने में कारगर होते हैं (7)।
सलाद से होने वाले फायदों के बारे में जानने के बाद अब इसमें पाए जाने वाले पौष्टिक तत्वों के बारे में बात करते हैं।
सलाद के पौष्टिक तत्व – Salad Nutritional Value in Hindi
इतना तो आप जान ही गए हैं कि सलाद में कुछ खास पोषक तत्व होते हैं। यहां हम सलाद में पाए जाने वाले सभी पोषक तत्वों के बारे में बता रहे हैं। साथ ही आपको उनकी मात्रा के बारे में भी बताएंगे (5)।
पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम कैलोरी 18 kcal प्रोटीन 2.35 ग्राम कार्बोहाइड्रेट 3.35 ग्राम फाइबर 1.2 ग्राम शुगर 1.18 ग्राम मिनरल्स कैल्शियम 71 मिलीग्राम आयरन 1.69 मिलीग्राम पोटैशियम 353 मिलीग्राम सोडियम 106 मिलीग्राम जिंक 0.16 मिलीग्राम विटामिन विटामिन सी 31.8 मिलीग्राम विटामिन ए 4706 IU विटामिन के 216.5 माइक्रोग्राम
अब हम आर्टिकल के इस हिस्से में बता रहे हैं कि सलाद में क्या-क्या मिक्स किया जा सकता है।
सलाद में क्या-क्या खाना चाहिए – What to Eat in salad in Hindi
सलाद को बनाने के लिए कुछ बातों के बारे में जानना जरूरी है, जिसमें सबसे जरूरी बात यह है कि सलाद को कैसे बनाएं और उसमें क्या-क्या इस्तेमाल करें। यहां हम बता रहे हैं कि सलाद बनाते समय किन चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए (1)।
सलाद में टमाटर, प्याज, पालक और धनिया पत्ता जैसे कम वसा युक्त सब्जियों का उपयोग करना चाहिए।
ड्रेसिंग के लिए आप ऑलिव ऑयल या अन्य वनस्पति तेल के साथ सिरका का उपयोग कर सकते हैं।
टॉपिंग के लिए कम मात्रा में पनीर और सूखे मेवे का उपयोग कर सकते हैं।
आप सलाद में उच्च फाइबर वाली चीजें जैसे फलियां (बीन्स), कच्ची सब्जियां, ताजे और सूखे फलों काे जरूर शामिल करें।
सलाद बनाने के बाद यहां हम आपको बता रहे हैं कि सलाद को कैसे, कब और कितनी मात्रा में खाना चाहिए।
सलाद खाने का तरीका – When to Eat Salad in Hindi
सलाद पाेषक तत्वों से भरपूर होता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसका सेवन कभी भी और कैसे भी कर लो। सलाद बनाने की विधि अलग-अलग स्थानों पर अलग अलग होती है, जिनका अलग-अलग प्रभाव हो सकता है। इसलिए, अच्छा होगा कि आप इसका सेवन सीमित मात्रा में मतलब करीब डेढ़ कप तक ही करें। आप इसे सुबह के नाश्ते, लंच या फिर डिनर में कभी भी खा सकते हैं (9)।
सलाद खाने से पहले सलाद के नुकसान के बारे में जानना भी जरूरी है।
सलाद खाने के नुकसान – Side Effects of Salad in Hindi
इसमें कोई दो राय नहीं कि सलाद में ढेरों पोषक तत्व होते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सलाद हर लिहाज में फायदेमंद होगा। कुछ मामलों में यह हानिकारक भी हो सकता है, जैसे:
कुछ कच्ची सब्जियों में बैक्टीरिया होते हैं, जिन्हें सलाद में शामिल करने से फूड पॉइजनिंग का खतरा हो सकता है (10)।
सलाद में शामिल किए गए उच्च वसा युक्त पदार्थों से मोटापा होने के साथ ही और भी कई बीमारियों की समस्या हो सकती है (1)।
सलाद में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है (1)। इसका अधिक मात्रा में सेवन करने गैस व पेट से जुड़ी कई प्रकार की समस्याएं हो सकती है (11)।
इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद यह तो स्पष्ट हो गया कि सलाद का सेवन स्वास्थ्य के लिहाज से कितना फायदेमंद है। अगर इसे सीमित मात्रा में खाया जाए, तो आप न तो बीमार पड़ेंगे और न ही इलाज पर पानी की तरह पैसा बहाना पड़ेगा। बस आपको करना इतना है कि अपनी डाइट में थोड़ा-सा बदलाव कर सलाद को खास जगह देनी है। इसके बाद कोई भी बीमारी आपके पास फटके भी नहीं। सलाद को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से आपको किस प्रकार लाभ हुआ, इस बारे में हम नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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Saral Jain
सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ से पत्रकारिता में बीए किया है। सरल को इलेक्ट्रानिक मीडिया का लगभग 8 वर्षों का एवं प्रिंट मीडिया का एक साल का अनुभव है। इन्होंने 3 साल तक टीवी चैनल के कई कार्यक्रमों में एंकर की भूमिका भी निभाई है। इन्हें फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, एडवंचर व वाइल्ड लाइफ शूट, कैंपिंग व घूमना पसंद है। सरल जैन संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी व कन्नड़ भाषाओं के जानकार हैं।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/salad-khane-ke-fayde-tarika-aur-nuksan-in-hindi/
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स्टीम/सॉना बाथ के फायदे और नुकसान – Steam/Sauna Bath Benefits and Side Effects in Hindi
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स्टीम/सॉना बाथ के फायदे और नुकसान – Steam/Sauna Bath Benefits and Side Effects in Hindi
स्टीम/सॉना बाथ के फायदे और नुकसान – Steam/Sauna Bath Benefits and Side Effects in Hindi Saral Jain Hyderabd040-395603080 October 18, 2019
जिम हो या फिर स्पा बिना स्टीम बाथ और सॉना बाथ के अधूरे हैं। ऐसा माना जाता है कि स्टीम बाथ का इतिहास प्राचीन रोमन सभ्यता से जुड़ा हुआ है, जहां से इसकी शुरुआत हुई थी। प्राचीन काल में रोमन वासियों ने कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए इस तकनीक को इजात किया था। स्टीम बाथ लेने के फायदे एक नहीं बल्कि कई हैं। समय के साथ-साथ इसमें तकनीकी सुधार होते चले गए। आज भी इसका उपयोग शरीर को रिलैक्स करने से लेकर कई प्रकार की बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख का मुद्दा भी स्टीम बाथ ही है। हम स्टीम बाथ के साथ-साथ सॉना बाथ के फायदे भी बताएंगे। साथ ही इससे होने वाले कुछ नुकसानों के बारे में भी बात करेंगे।
सबसे पहले हम जानते हैं कि स्टीम बाथ और सॉना बाॅथ कहते किसे हैं।
विषय सूची
स्टीम/सॉना बाथ क्‍या है? – What is Steam/Sauna Bath in Hindi
स्टीम बाथ, जैसा की नाम से पता चल रहा है कि भाप के जरिए स्नान करना। यह एक प्रकार का खास स्नान है, जिसमें पानी की जगह पानी की भाप से नहाया जाता है। इसमें सबसे पहले एक कमरे को भाप से लगभग 110 से 114 डिग्री फेरेनहाइट तापमान पर किया जाता है। लोग इस भाप वाले कमरे में कुछ समय के लिए रुक कर भाप के माध्यम से स्नान करते हैं, अर्थात पूरे शरीर की भाप से सिकाई की जाती है। इसलिए, इसे स्टीम बाथ कहते हैं (1)। वहीं, सॉना बाथ में कमरे का तापमान 80 से 90 डिग्री सेल्सियस तक होता है, जिससे पसीने के माध्यम से हानिकारक पदार्थ शरीर से निकल जाते हैं। इसे 5 से लेकर 20 मिनट तक 1 से 3 बार दोहराया जा सकता है (2)।
स्टीम/सॉना बाथ के बारे में जानने के बाद अब इसके फायदाें के बारे में विस्तार से बात करते हैं। 
स्टीम/सॉना बाथ के फायदे – Benefits of Steam / Sauna Bath in Hindi
जो लोग स्टीम बाथ या सॉना बाथ लेते हैं, उन्हें भी नहीं मालूम होगा कि वो कितने फायदों का लाभ ले रहे हैं। यहां हम स्टीम बाथ और सॉना बाथ कुछ प्रमुख फायदों का जिक्र कर रहे हैं।
1. वजन कम करने के लिए स्टीम बाथ लेने के फायदे
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क्या आप सोच सकते हैं कि नहाने से वजन कम हो सकता है। नहीं न, तो हम आपको बता दें कि स्टीम या सॉना बाथ लेने से आप अपना वजन कम कर सकते हैं। यह अतिरिक्त कैलोरी को बर्न करने में आपकी मदद करता है, जिससे वजन कम करने में मदद मिलती हैं। आप सॉना बाथ के लगभग 30 मिनट के सेशन में लगभग 600 कैलोरी तक बर्न कर सकते हैं। कैलोरी बर्न होने से आपके शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम हो जाती है और आप अपने वजन में कमी महसूस कर सकते हैं (1) (3)।
2. रक्त संचार के लिए सॉना बाथ के फायदे
रक्त संचार में सुधार के लिए सॉना या स्टीम बाथ आदर्श तरीके हो सकते हैं। दरअसल, जब आप स्टीम या सॉना बाथ लेने के लिए स्टीम बाथरूम में बैठते हैं, तो शरीर की रक्त वाहिकाएं फैल जाती हैं, जिससे रक्तचाप और पल्स रेट कम हो जाता है, जिससे शरीर में रक्त संचार में सुधार हो सकता है। हालांकि, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है (1) (4)।
3. जोड़ाें की अकड़न को दूर करने के लिए स्टीम बाथ लेने के फायदे
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अगर आप जिम करके आ रहे हैं और जिम के दौरान मांसपेशियों और जोड़ों की अकड़न को दूर करना चाहते हैं, तो स्टीम या सॉना बाॅथ आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। ये आपकी मांसपेशियों को रिलैक्स करता है। साथ ही जोड़ों की अकड़न और दर्द में भी राहत प्रदान कर सकता है (5)।
4. प्रतिरोधक क्षमता को ठीक करने के लिए सॉना बाथ के फायदे
आपको जानकर हैरानी होगी कि स्टीम या सॉना बाथ आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुधारने में भी आपकी मदद करता है। स्टीम बाथ या सॉना बाथ लेने से शरीर का तापमान बढ़ जाता है। इससे मोनोसाइट्स (एक प्रकार की सफेद रक्त कोशिका) की गतिविधि बढ़ जाती है। ये कोशिकाएं बैक्टीरिया को खत्म करने और मृत ऊतकों को हटाने में मदद करती हैं। इसके अलावा, ये कोशिकाओं के विकास में भी भूमिका अदा करती हैं। मोनोसाइट्स और न्यूट्रोफिल (सफेद रक्त कोशिका के प्रकार) हानिकारक सूक्ष्म जीवाें से शरीर की रक्षा करने में मदद करने के साथ ही प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करते हैं (6)।
5. तनाव को दूर करने के लिए स्टीम बाथ लेने के फायदे
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अगर आप किसी काम को लेकर तनाव ग्रस्त हैं, तो कुछ देर के लिए स्टीम बाथ या सॉना बाथ ले सकते हैं। ये खास स्नान आपके तनाव को दूर करने में आपकी मदद करेंगे। ये दोनों बाथ आपकी बॉडी को रिलैक्स करने के साथ ही शरीर के ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को दूर करने में आपकी मदद कर सकते हैं। साथ ही इस स्नान से चिंता और अवसाद में कमी आती है, जिससे अच्छी नींद लेने में मदद मिलती है (7)।
6. रक्तचाप को कम करने में मदद करता है
रक्तचाप की समस्या को दूर करने के लिए स्टीम बाथ बेहतर विकल्प हो सकता है। जब आप स्टीम बाथ लेते हैं, तो शरीर का तापमान बढ़ने लगता है। इससे सभी रक्त वाहिकाएं फैल जाती हैं और रक्त वाहिकाओ�� के फैलने से रक्तचाप कम हो जाता है (1)।
7. त्वचा के लिए सॉना बाथ के फायदे
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आपको जानकर आश्चर्य होगा कि स्टीम बाथ आपकी त्वचा के लिए कितना फायदेमंद हो सकता है। स्टीम बाथ लेने से त्वचा के पोर्स खुल जाते हैं, जिनसे पसीना निकलता है। पसीने के साथ ही त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक बैक्टीरिया भी बाहर निकल जाते हैं। इसके अलावा, ये विषाक्त पदार्थ को भी त्वचा से अलग करने में आपकी मदद करते हैं (1)।
ऊपर आपने स्टीम और सॉना बाथ के फायदे के बारे में जाना, यहां हम इससे होने वाले नुकसान के बारे में बता रहे हैं।
स्टीम/सॉना  बाथ के नुकसान – Side Effects of Steam/Sauna Bath in Hindi 
सावधानीपूर्वक लिया जाने वाला स्टीम या सॉना बाॅथ फायदेमंद होता है, लेकिन लापरवाही बरतने पर नुकसानदायक भी साबित हो सकता है। नीचे जानिए इसके कुछ हानिकारक प्रभाव –
स्टीम या सॉना बाथ लेने से पहले एक बात जरूर ध्यान रखें कि ज्यादा देर तक बाथ लेने से गर्म तापमान के कारण आपकी त्वचा जल सकती है और फफोले पड़ सकते हैं।
अल्कोहल का सेवन करने के बाद आपको स्टीम या सॉना बाथ नहीं लेना चाहिए, इससे आपका रक्तचाप बढ़ सकता है, जो आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है (8)।
हृदय और उच्च रक्तचाप की समस्या से पीड़ित व्यक्तियों के लिए भी ये बाथ नुकसानदायक हो सकते हैं। इससे हृदय गति बढ़ सकती है, जिससे गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है (8)।
अगर आप गर्भवती हैं, तो ध्यान रहे कि अधिक समय तक लिया हुआ स्टीम या सॉना बाथ आपके और आपके गर्भस्थ शिशु के लिए नुकसानदायक हो सकता है (8)।
स्टीम या सॉना बाथ लेने से पहले आप अपने नाजुक अंगों को तौलिये से ढक कर रखें, नहीं तो वहां की त्वचा पर फफोले होने की समस्या जैसे हानिकारक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं (9)।
बाथ के दौरान अन्य लोगों के तौलिये और साबुन का उपयोग करने से संक्रमण का खतरा हो सकता है।
स्टीम बाथ में ज्यादा देर तक बैठने या फिर दिए गए निर्देशों के पालन में किसी भी प्रकार की लापरवाही बरतने पर त्वचा संक्रमण की समस्या हो सकती है। कुछ गंभीर मामलों में तो मृत्यु तक हो सकती है (10)।
अधिक समय तक लिया गया स्टीम या सॉना बाथ हृदयाघात का कारण बन सकता है (11)।
आपने जाना कि स्टीम बाथ या फिर सॉना बाथ किस प्रकार आपको फायदा पहुंचा सकता है। साथ ही ये भी जाना कि इसके उपयोग से हम कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा, आपने इसके नुकसान के बारे में भी पढ़ा, जिससे आप खुद का बचाव कर सकते हैं। स्टीम बाथ और सॉना बाथ के ऊपर लिखा गया यह लेख आपको कैसा लगा और किस प्रकार से फायदेमंद रहा, हमें नीचे दिए कॉमेंट बॉक्स में बताना न भूलें। अगर आप इस विषय के संबंध में कुछ और जानना चाहते हैं या फिर कोई सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स के जरिए हमें संपर्क कर सकते हैं।
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सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ से पत्रकारिता में बीए किया है। सरल को इलेक्ट्रानिक मीडिया का लगभग 8 वर्षों का एवं प्रिंट मीडिया का एक साल का अनुभव है। इन्होंने 3 साल तक टीवी चैनल के कई कार्यक्रमों में एंकर की भूमिका भी निभाई है। इन्हें फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, एडवंचर व वाइल्ड लाइफ शूट, कैंपिंग व घूमना पसंद है। सरल जैन संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी व कन्नड़ भाषाओं के जानकार हैं।
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कोको बटर के फायदे, उपयोग और नुकसान – Cocoa Butter Benefits and Side Effects in Hindi
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कोको बटर के फायदे, उपयोग और नुकसान – Cocoa Butter Benefits and Side Effects in Hindi
Soumya Vyas Hyderabd040-395603080 October 9, 2019
कोको बटर का नाम आते ही, इससे बनने वाले सौंदर्य उत्पादों व खाद्य पदार्थों का जिक्र जरूर किया जाता है। हो भी क्यों न, इसके औषधीय गुण इतने लाभकारी जो हैं। यही कारण है कि कोको बटर का उपयोग सौंदर्य प्रसाधन के रूप में सदियों से किया जा रहा है, लेकिन हम बता दें कि कोको बटर खूबसूरत बनाने के साथ-साथ आपको कई बीमारियों से भी बचाता है। कोको बटर के फायदे में एनीमिया, भूख की कमी, बुखार, ट्यूबरक्लोसिस, पथरी, शारीरिक संबंधों में कम रुचि व दिमागी थकान आदि से आराम दिलाना शामिल है (1)। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम कोको बटर के ऐसे ही कुछ खास फायदों की बात करेंगे। फायदों के अलावा हम कोको बटर के नुकसान के बारे में भी बताएंगे।
आइए, सबसे पहले आपको बता दें कि कोको बटर क्‍या है। 
विषय सूची
कोको बटर क्‍या है – What is Cocoa Butter in Hindi 
कोको बटर एक प्रकार का बटर है, जिसे थियोब्रोम कोको के पौधे पर होने वाले कोको बीज से निकाला जाता है। वास्तविकता में यह कोको बीज का फैट होता है। इन बीजों को पकाने के बाद, दबा कर इनमें से कोको बटर निकाला जाता है। रंग में यह हल्का पीला, मीठी खुशबू और स्वाद में लगभग चॉकलेट जैसा होता है। कोको बटर का उपयोग चॉकलेट और अन्य मीठे खाद्य पदार्थ जैसे बेकरी उत्पाद बनाने में किया जाता है (2)। कोको बटर के फायदे की वजह से इसका उपयोग कई ब्यूटी उत्पाद में किया जाता है (3)। इसमें ऐसे कई गुण पाए जाते हैं, जो आपकी त्वचा के लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं। उन सभी गुणों के बारे हम आपको लेख के अगले भाग में बताएंगे।
यह जानने के बाद कि कोको बटर क्‍या है, आगे जानिये कोको बटर के फायदे के बारे में।
कोको बटर के फायदे – Benefits of Cocoa Butter in Hindi
1. एलर्जी
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कोको बटर का उपयोग एक्जिमा को कम करने में किया जा सकता है। एक्जिमा एक प्रकार की स्किन एलर्जी होती है, जिसमें त्वचा पर लाल चकत्ते, रैशेज, खुजली और सूजन होने लगती है। इससे राहत पाने में कोको बटर का उपयोग 50 से 100 प्रतिशत लाभकारी साबित हो सकता है (4)। इसमें एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो स्किन एलर्जी के लक्षण से आराम दिलाने में मदद करते हैं (3)।
2. स्किन बर्न
कोको बटर के फायदे में त्वचा को स्किन बर्न से राहत दिलाना भी है। इसका उपयोग सनबर्न या अन्य किसी वजह से जली त्वचा को ठीक करने में किया जाता है (5)। कोको बटर में एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जिन्हें जली त्वचा के घाव भरने में लाभकारी माना गया है (3)। यह त्वचा में फ्री रेडिकल्स की गतिविधियों को कम करता है और घाव को जल्दी भरने में मदद करता है (6)।
3. टैटू के घाव
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माना जाता है कि जिस प्रकार कोको बटर का उपयोग जली हुई त्वचा के घाव को भरने में किया जा सकता है, उसी तरह इसका प्रयोग टैटू के घाव भरने में भी किया जा सकता है। फिलहाल, इस संबंध में कोई वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है। इसलिए, अगर आप टैटू के कारण हुए घाव पर कोको बटर लगा रहे हैं, तो एक बार विशेषज्ञ से परामर्श जरूर कर लें।
4. शेविंग क्रीम की तरह
कई शेविंग क्रीम ब्रांड्स अपने उत्पादों में कोको बटर का उपयोग करते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि कोको बटर में मॉइस्चराइजिंग गुण होता है (5)। इसकी इसी खूबी की वजह से माना जाता है कि यह शेविंग क्रीम में त्वचा में नमी बनाए रखने वाले तत्व की तरह काम कर सकता है। यहां हम स्पष्ट कर दें कि कोको बटर के इस गुण के संबंध में अभी कोई वैज्ञानिक शोध उपलब्ध नहीं है।
5. एंटी एजिंग क्रीम
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प्रदूषण और धूप की पराबैंगनी कारणों का त्वचा पर कई प्रकार से बुरा असर होता है। समय से पहले झुर्रियां पड़ना भी इसमें शामिल है। ऐसे में, कोको बटर को एंटी एजिंग क्रीम की तरह उपयोग किया जा सकता है। इसमें विटामिन-ई पाया जाता है (7), जो त्वचा पर एंटी ऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। यह बढ़ती उम्र के लक्षण जैसे झुर्रियां व महीन रेखाएं आदि से निजात पाने में मदद कर सकता है (8)। इस प्रकार कोको बटर के फायदे में एंटी एजिंग गुण भी शामिल है।
6. अंडर आई क्रीम
बिल्कुल एंटी एजिंग क्रीम की तरह कोको बटर का उपयोग अंडर आई क्रीम की तरह भी किया जा सकता है। बढ़ती उम्र के लक्षण जैसे झुरियां, महीन रेखाएं व मुंहासे आदि आंखों के नीचे भी आ सकते हैं। ऐसे में इसमें पाया जाने वाला विटामिन-ई काम आ सकता है (7)। इससे आंखों के नीचे मसाज करने से कोको बटर के फायदे आपको अंडर ऑय क्रीम की तरह मिल सकते हैं (8)।
7. स्ट्रेच मार्क्स
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कोको बटर के फायदे आपके स्ट्रेच मार्क्स को बढ़ने से रोकने और कम करने में मदद कर सकते हैं। कोको बटर और इसमें पाए जाने वाला विटामि���-ई त्वचा की इलास्टिसिटी और नमी को बढ़ाता है, जिससे स्ट्रेच मार्क्स को कम करने में मदद मिल सकती है (9)। फिलहाल, इस संबंध में अभी और शोध की जरूरत है।
8. फटे होंठों के लिए
अगर आपके होंठ फटे हुए हैं और उनमें नमी की कमी है, तो आप कोको बटर का उपयोग कर सकते हैं। कोको बटर त्वचा पर नमी की एक परत बनाए रखता है और उन्हें फटने या रूखा होने से बचाता है (5)। इसलिए, जब भी होंठ सूखें, तो उन पर थोड़ा-सा कोको बटर लगाने से आपको फटे होंठों से जल्द आराम मिल सकता है।
9. बालों के लिए फायदेमंद
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शोध में पाया गया है कि कोको बटर का उपयोग त्वचा में रक्त संचार और ऑक्सीजन के संचार को बढ़ाने में मदद कर सकता है (10)। अगर रक्त संचार बेहतर रहता है, तो बालों को बढ़ने में मदद मिलती है (11)। साथ ही कोको बटर में मौजूद विटामिन-ई (7), बालों को फ्री रेडिकल्स से होने वाले ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस से बचाकर झड़ने से रोकता है (12)।
यह जानने के बाद कि कोको बटर क्या होता है और इसके फायदे क्या हैं, आइए आपको इसमें मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी दे दें।
कोको बटर के पौष्टिक तत्व – Cocoa Butter Nutritional Value in Hindi 
नीचे जानिये कि कोको बटर में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व कितनी मात्रा में पाए जाते हैं (7): 
पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम कैलोरी 884 kcal ऊर्जा 3699 किलोजौल टोटल लिपिड (फैट) 100 ग्राम विटामिन्स विटामिन-ई 1.8 मिलीग्राम विटामिन-के 24.7 माइक्रोग्राम लिपिड्स फैटी एसिड (टोटल सैचुरेटेड) 59.7 ग्राम फैटी एसिड (टोटल मोनो अनसैचुरेटेड) 32.9 ग्राम फैटी एसिड (टोटल पॉली अनसैचुरेटेड) 3 ग्राम फाइटोस्टेरोल्स 201 मिलीग्राम
कोको बटर के पौष्टिक तत्वों जानने के बाद अब आपको यह बताते हैं कि आप कोको बटर का उपयोग किस प्रकार कर सकते हैं।
कोको बटर का उपयोग – How to Use Cocoa Butter in Hindi 
कोको बटर का उपयोग कई ब्यूटी उत्पादों, हेयर केयर उत्पाद और खाद्य पदार्थों में किया जाता है, जैसे (2) (3) :
कोको बटर का उपयोग हर रोज मॉइस्चराइजर की तरह किया जा सकता है। जब भी त्वचा रूखी लगे, अपने हाथों में थोड़ा-सा कोको बटर ले कर त्वचा पर लगा लें।
धूप में निकलने से पहले त्वचा पर कोको बटर लगाने से यह त्वचा को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाता है। इसलिए इसका उपयोग सनस्क्रीन की तरह भी किया जा सकता है।
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि यह फटे होंठों के लिए भी लाभदायक है। ऐसे में, आप कोको बटर का उपयोग लिप बाम की तरह भी कर सकते हैं।
रात को सोने से पहले चेहरे पर कोको बटर से एंटी एजिंग क्रीम की तरह मसाज करें। इससे त्वचा मुलायम रहेगी और चेहरे पर झुर्रियां भी नहीं आएंगी।
कोको बटर को पिघला कर आप इससे अपने स्कैल्प और बालों में मसाज कर सकते हैं।
कोको बटर में फैट की मात्रा अधिक होने के वजह से इसका उपयोग केक व अन्य बेकरी उत्पाद में बटर की तरह किया जा सकता है। यह खाने को बेहतर स्वाद देगा।
अब आपको कोको बटर से जुड़ी लगभग हर जानकारी मिल गई होगी। लेख के आखिरी भाग में जानिये कोको बटर के नुकसान के बारे में।
कोको बटर के नुकसान – Side Effects of Cocoa Butter in Hindi
कोको बटर के नुकसान पर अभी कोई वैज्ञानिक रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है। हां, अगर आप कोको बटर का उपयोग किसी खास बीमारी या एलर्जी के लिए कर रहे हैं, तो उपयोग करने से पहले एक बार डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें। इसके अलावा, कोको बटर के कुछ उत्पादों में एस्ट्रोजन हार्मोन (मादा हार्मोन) का स्तर कम करने के प्रभाव देखे गए हैं, जिसे एंटी-एस्ट्रोजेनिक प्रभाव कहा जाता है (13)। एस्ट्रोजेन हॉर्मोन महिलाओं के मासिक धर्म, गर्भावस्था और अन्य शारीरिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एंटी-एस्ट्रोजेनिक को एस्ट्रोजन ब्लॉकर भी कहा जाता है। इसके प्रभाव के कारण महिलाओं के शरीर में मादा हॉर्मोन एस्ट्रोजेन का निर्माण नहीं होता है (14)। एस्ट्रोजेन की कमी से महिलाओं को महावारी, गर्भावस्था और अन्य शारीरिक गतिविधियों में समस्या का सामना करना पड़ सकता है (15)। इससे किशोरावस्था के दौरान भी विकास में समस्या आ सकती है (16)।
इस लेख से यह तो स्पष्ट हो गया कि कोको बटर क्‍या है और यह आपकी त्वचा में प्राकृतिक रूप से नमी बनाए रखने में कितना लाभदायक साबित हो सकता है। उम्मीद करते हैं कि अब जब कभी भी आप एक प्रभावशाली मॉइस्चराइजर के बारे में सोचेंगे, तो कोको बटर के फायदे आपके दिमाग में जरूर आएंगे। कोको बटर के नुकसान सभी को नहीं झेलने पड़ते। अगर आपको नट्स एलर्जी है, तो शायद कोको बटर का उपयोग आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए, इसे इस्तेमाल करने से पहले एक बार डॉक्टर से परामर्श कर लें। साथ ही, अगर अब भी आपके मन में कोको बटर या उससे जुड़ा कोई भी सवाल है, तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिख कर हमसे पूछ सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
कोको बटर की जगह उपयोग किये जाने वाले विकल्प?
कोको बटर की जगह शिया बटर का उपयोग किया जा सकता है। इसमें भी लगभग कोको बटर जैसे ही गुण पाए जाते हैं।
कोको बटर को कितने समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है?
कोको बटर को लगभग दो साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है। जब भी आप कोको बटर से बने उत्पाद खरीदें, तो उनकी एक्सपायरी डेट देख लें और उसी के अनुसार उनका उपयोग करें।
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लेमन ग्रास के फायदे और नुकसान – Lemon Grass Benefits and Side Effects in Hindi
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लेमन ग्रास के फायदे और नुकसान – Lemon Grass Benefits and Side Effects in Hindi
Soumya Vyas Hyderabd040-395603080 September 20, 2019
लेमन ग्रास का नाम सुनते ही आपके दिमाग में जरूर हरी-हरी घास की तस्वीर आई होगी। साथ ही आप सोच रहे होंगे कि भला घास भी क्या स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकती है? बस यहीं आप धोखा खा गए। आपको स्पष्ट कर दें कि हम यहां कोई ऐसी-वैसी घास नहीं, बल्कि लेमन ग्रास की बात कर रहे हैं। लेमन ग्रास के औषधीय गुण के बारे में सुन कर आप हैरान रह जाएंगे। यह सिर से लेकर पैर तक की कई बीमारियों से निजात दिलाने में सहायक हो सकती है। अगर आप नहीं जानते कि लेमन ग्रास क्या है और शरीर के लिए लेमन ग्रास के फायदे क्या-क्या हैं, तो स्टाइलक्रेज का यह लेख जरूर पढ़ें। इस लेख में आप जानेंगे इसके लाभ और इसके उपयोग के बारे में। साथ ही, हम आपको लेमन ग्रास के नुकसान के बारे में भी बताएंगे।
लेख के सबसे पहले भाग में जानिए कि लेमन ग्रास क्या है।
विषय सूची
लेमन ग्रास क्या है – What is Lemon Grass in Hindi
लेमन ग्रास एक औषधीय पौधा है, जो खासकर दक्षिण-पूर्वी एशिया में पाया जाता है। यह घास जैसा ही दिखता है, बस इसकी लंबाई आम घास से ज्यादा होती है। वहीं, इसकी महक नींबू जैसी होती है और इसका ज्यादातर उपयोग चाय में अदरक की तरह किया जाता है। लेमन ग्रास के औषधीय गुण जैसे एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इन्फ्लेमेटरी व एंटी-फंगल आदि आपको कई तरह की बीमारियों और संक्रमण से बचाते हैं (1)। दवा के रूप में लेमन ग्रास तेल का भी उपयोग किया जाता है। इसमें लगभग 75 प्रतिशत सिट्रल पाया जाता है, जिसकी वजह से इसकी खुशबू भी नींबू जैसी होती है। अक्सर लेमन ग्रास तेल का उपयोग सौंदर्य उत्पाद और पेय पदार्थों में भी किया जाता है (2)।
लेमन ग्रास क्या है जानने के बाद आगे जानिए लेमन ग्रास के फायदे क्या-क्या हैं?
लेमन ग्रास के फायदे – Benefits of Lemon Grass in Hindi
1. कोलेस्ट्रोल को करता है नियंत्रित
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शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ने से स्ट्रोक और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है (3)। ऐसे में लेमन ग्रास के औषधीय गुण शरीर में कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम कर सकते हैं और आपको इनसे बचा सकते हैं। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, लेमन ग्रास तेल के सेवन से रक्त में कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम किया जा सकता है (4)।
2. पेट के लिए लेमन ग्रास के फायदे
लेमन ग्रास के गुण आपकी पाचन शक्ति बढ़ाने में भी मदद कर सकते हैं (1)। इसके अलावा, इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस से बचाते हैं और पेट के अल्सर व पेट से जुड़ी अन्य समस्याओं को रोकने का काम कर सकते हैं (5)।
3. किडनी के लिए लेमन ग्रास के फायदे
लेमन ग्रास में मूत्रवर्धक गुण (Diuretic properties) होता है (6)। इसका सेवन करने से आपको बार-बार पेशाब जाने की जरूरत हो सकती है, जो आपकी किडनी के लिए अच्छा है। इससे आपके शरीर के विषाक्त पदार्थ पेशाब के जरिए बाहर निकल जाएंगे और आपकी किडनी स्वस्थ रहेगी। इसके अला���ा, पथरी की दवाइयों में भी मूत्रवर्धक गुण होते हैं, जो किडनी स्टोन को बाहर निकालने में सहायक भूमिका निभाते हैं (7)।
4. कैंसर के लिए लेमन ग्रास के फायदे
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लेमन ग्रास और लेमन ग्रास तेल में एंटी-कैंसर गुण पाए जाते हैं, जो कैंसर सेल्स को खत्म कर कैंसर के खतरे को कम करने में मदद करते हैं (8)। इसके अलावा, कैंसर सेल्स को खत्म करने के लिए आप लेमन ग्रास की चाय भी पी सकते हैं (9)।
5. वजन कम करने के लिए लेमन ग्रास के फायदे
लेमन ग्रास के मूत्रवर्धक गुण (Diuretic Properties) की वजह से यह शरीर को डिटॉक्सिफाई करता है और यूरिन के जरिए विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालता है। माना जाता है कि डिटॉक्सिफिकेशन से आपको वजन कम करने में मदद मिल सकती है (10)। फिलहाल, वजन कम करने के लिए लेमन ग्रास के फायदे पर कोई ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं है और इस पर अधिक शोध की आवश्यकता है।
6. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए
लेमन ग्रास के औषधीय गुण आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सhttps://www.stylecraze.com/hindi/lemongrass-ke-fayde-upyog-aur-nuksan-in-hindi/कते हैं। इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो आपको कई प्रकार के संक्रमण और बीमारियों से बचा सकते हैं (1)। इसके अलावा, इसमें मौजूद विटामिन और मिनरल इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देने का काम कर सकते हैं (11) (12)।
7. नींद में लाभदायक
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अगर आपको ठीक से नींद नहीं आ रही है, तो इस समस्या से आराम पाने के लिए आप लेमन ग्रास तेल का उपयोग कर सकते हैं। इसमें सीडेटिव (Sedative) गुण होते हैं, जो आपको बेहतर नींद लेने में मदद करेंगे (1)। आप चाहें तो लेमन ग्रास तेल की कुछ बूंदें डिफ्यूजर में डाल कर उससे अरोमाथेरेपी ले सकते हैं।
8. गठिया के लिए लेमन ग्रास के फायदे
रूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) ऐसी समस्या है, जिसमें जोड़ों में दर्द, सूजन और अकड़न आने लगती है। 30-60 साल की उम्र में ये समस्या होना आम है। अगर आप भी गठिया की समस्या से परेशान हैं, तो लेमन ग्रास तेल आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो आपको गठिया के लक्षणों से आराम दिलवा सकते हैं (13)। आराम पाने के लिए आप लेमन ग्रास तेल की कुछ बूंदों से प्रभावित जगह पर मसाज कर सकते हैं।
9. अवसाद के लिए लेमन ग्रास
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अवसाद से लड़ने में भी लेमन ग्रास के फायदे देखे गए हैं। दरअसल, लेमन ग्रास में एंटी-डिप्रेसेंट गुण पाए जाते हैं, जो अवसाद (Depression) को दूर करने का काम कर सकते हैं (14)।
10. तंत्रिका तंत्र के लिए लेमन ग्रास के फायदे
लेमन ग्रास के पोषक तत्व तंत्रिका तंत्र (Nervous System) के लिए लाभकारी हो सकते हैं। दरअसल, इसमें मैग्नीशियम पाया जाता है (11), जो न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग (Neurodegenerative Diseases) से बचा सकता है (15)। न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग में मस्तिष्क के न्यूरॉन्स नष्ट होने लगते हैं।
11. अस्थमा के लिए लेमन ग्रास के फायदे
लेमन ग्रास के औषधीय गुण आपको एलर्जिक अस्थमा से बचा सकते हैं। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-एलर्जिक गुण होते हैं, जो संक्रमित कोशिकाओं को आपके फेफड़ों में घुसने से रोकते हैं और आपको एलर्जिक अस्थमा से बचाने में लाभदायक साबित हो सकते हैं (16)।
12. स्ट्रेस के लिए लेमन ग्रास
लेमन गार्स के गुण आपको स्ट्रेस से भी आराम दिला सकते हैं। असल में ये काम लेमन ग्रास में पाया जाने वाला मैग्नीशियम करता है। शोध में पाया गया है कि मैग्नीशियम की कमी तनाव से जुड़ी समस्याओं जैसे सिरदर्द, अनिद्रा, थकान, अति-भावनात्मकता व चिंता आदि हो सकती हैं (17)। ऐसे में लेमन ग्रास का सेवन आपकी मदद कर सकता है, क्योंकि इसमें मैग्नीशियम की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है (11)। आप चाहें तो स्ट्रेस और चिंता को दूर करने के लिए लेमन ग्रास तेल से अरोमाथेरेपी भी ले सकते हैं (18)। फिलहाल, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
13. मधुमेह के लिए लेमन ग्रास के फायदे
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अगर आप मधुमेह से परेशान हैं, तो लेमन ग्रास के गुण आपकी मदद कर सकते हैं। लेमन ग्रास और उसके फूलों को पारंपरिक रूप से मधुमेह के इलाज के लिए उपयोग किया जा रहा है। इसमें एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं, जो खाली पेट और खाने के बाद के ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में आपकी मदद कर सकते हैं (19)।
14. मुहांसों के लिए लेमन ग्रास के फायदे
लेमन ग्रास के गुण आपको बेदाग और पिंपल-फ्री त्वचा पाने में मदद कर सकते हैं। इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो पिम्पल और संक्रमण फैलाने वाले कीटाणुओं से लड़ते हैं और उन्हें जड़ से खत्म करते हैं (1)। इसके अलावा, इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं, जो ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कम करते हैं और मुहांसों को बढ़ने से रोकते हैं (20)।
लेमन ग्रास के गुण के बारे में जानने के बाद, लेख के अगले भाग में जानिए लेमन ग्रास के पोषक तत्वों के बारे में।
लेमन ग्रास के पौष्टिक तत्व – Lemon Grass Nutritional Value in Hindi
इस टेबल की मदद से जानिए कि लेमन ग्रास में कौन-कौन से पोषक तत्व कितनी मात्रा में पाए जाते हैं (11)।
पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम पानी  70.58 ग्राम ऊर्जा 99 कैलोरी प्रोटीन 1.82 ग्राम फैट 0.49 ग्राम कार्बोहाइड्रेट 25.31 ग्राम मिनरल कैल्शियम 65 मिलीग्राम आयरन 8.17 मिलीग्राम मैग्नीशियम 60 मिलीग्राम फास्फोरस 101 मिलीग्राम पोटैशियम 723 मिलीग्राम सोडियम 6 मिलीग्राम जिंक 2.23 मिलीग्राम कॉपर 0.266 मिलीग्राम मैंगनीज 5.224 मिलीग्राम सिलेनियम 0.7 माइक्रोग्राम विटामिन विटामिन सी 2.6 मिलीग्राम थियामिन 0.065 मिलीग्राम राइबोफ्लेविन 0.135 मिलीग्राम नियासिन 1.101 मिलीग्राम पैंटोथैनिक एसिड 0.050 मिलीग्राम विटामिन बी-6 0.080 मिली���्राम फोलेट डीएफई 75 माइक्रोग्राम विटामिन ए आईयू 6 आईयू लिपिड फैटी एसिड टोटल सैचुरेटेड 0.119 ग्राम फैटी एसिड टोटल मोनोअनसैचुरेटेड 0.054 ग्राम फैटी एसिड टोटल पॉलीअनसैचुरेटेड 0.170 ग्राम
आइए, अब आपको बताते हैं कि लेमन ग्रास का उपयोग कैसे किया जाता है।
लेमन ग्रास का उपयोग – How to Use Lemon Grass in Hindi
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लेमन ग्रास का स्वाद नींबू से मिलता-जुलता होता है। थाई और कॉन्टिनेंटल खाना बनाने में लेमन ग्रास का खास उपयोग किया जाता है। आप लेमन ग्रास का उपयोग कई तरह से कर सकते हैं, जैसे:
कैसे उपयोग करें:
आप ग्रीन टी की तरह इसकी चाय बना सकते हैं। आप इसे चाय में अदरक/इलाइची की तरह भी उपयोग कर सकते हैं।
चिकन बनाते समय आप उसमें थोड़ी-सी लेमन ग्रास काट कर डाल सकते हैं। यह चिकन को एक अलग स्वाद दे सकती है।
आप लेमन ग्रास का सूप बना सकते हैं। आप थोड़ी-सी लेमन ग्रास टमाटर के सूप में भी डाल सकते हैं।
लेमन ग्रास चाय में बर्फ डाल आप इसकी आइस्ड लेमन ग्रास टी बना सकते हैं।
लेमन ग्रास का पेस्ट बना कर आप सब्जियां बनाने में उपयोग कर सकते हैं।
आप खाने में नींबू के छिलके (Lemon Zest) की जगह लेमन ग्रास का उपयोग कर सकते हैं।
कब उपयोग करें:
लेमन ग्रास चाय का सेवन आप सुबह और शाम कर सकते हैं।
दोपहर या रात के भोजन में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
कितना उपयोग करें:
चाय को कड़क बनाने के लिए आवश्यकतानुसार आप उसमें एक या दो लेमन ग्रास की पत्तियां डाल सकते हैं।
खाना बनाने में भी आप स्वादनुसार (8-10 पत्तियां) लेमन ग्रास डाल सकते हैं, लेकिन इसका उपयोग सीमित मात्रा में ही करें।
नोट: ध्यान रखें कि आप ताजी लेमन ग्रास का ही उपयोग करें। उपयोग करने से पहले इसके डंठल के नीचे का टुकड़ा काट दें और सूखी हुई पत्तियां हटा दें। आप लेमन ग्रास की पत्तियां चाय बनाने में और अंदर का पीला भाग खाना बनाने में उपयोग कर सकते हैं।
लेमन ग्रास के फायदे जानने के बाद अब आगे जानिए लेमन ग्रास के नुकसान।
लेमन ग्रास के नुकसान – Side Effects of Lemon Grass in Hindi
वैस तो इसका सेवन सुरक्षित है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा का सेवन करने से लेमन ग्रास के नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। नीचे जानिए लेमन ग्रास के कुछ दुष्प्रभावों के बारे में :
चक्कर आना
अधिक भूख लगना
मुंह सूखना
अधिक पेशाब आना
थकान
लेमन ग्रास तेल के नुकसान :
रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन
त्वचा पर जलन और रैशेज
आंखों में जाने से आंखों में जलन
निगलने से पाचन तंत्र में समस्या
नोट: लेमन ग्रास के नुकसान का अभी कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। इसके सभी नुकसान लोगों के अनुभवों पर आधारित हैं। इसलिए, अगर आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करें।
अब तो आप लेमन ग्रास के नुकसान और फायदों के बारे में समझ ही गए होंगे। आपने ध्यान दिया होगा कि लेमन ग्रास के नुकसान ज्यादा नहीं हैं और ये लगभग सुरक्षित ही है, बशर्ते आप इसका सेवन सीमित और नियंत्रित मात्रा में करें। साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि अगर आप लेमन ग्रास का उपयोग किसी विशेष समस्या के लिए कर रहे हैं, तो एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें। अगर अब भी आपके मन में लेमन ग्रास के फायदे या उससे जुड़ा कोई सवाल है, तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में लिख कर हमें बता सकते हैं। साथ ही, यह बताना न भूलें कि यह लेख आपको कैसा लगा।
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पान के पत्ते के 12 फायदे, उपयोग और नुकसान – Betel Leaf Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
Saral Jain Hyderabd040-395603080 September 17, 2019
आपने वो गाना तो सुना ही हाेगा ‘खई के पान बनारस वाला, खुल जाए बंद अकल का ताला’। दरअसल, भारत में पान खाने की परंपरा पुरानी है, इसलिए इस पर कई गाने भी बन चुके हैं। पान में दो चीजें सबसे महत्वपूर्ण होती हैं, एक पान का पत्ता और दूसरा सुपारी। आपको जानकर हैरानी होगी कि सुपारी से अलग पान के पत्ते औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। पान के पत्ते का उपयोग शरीर की कई परेशानियों से निजात पाने के लिए किया जा सकता है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम बात करेंगे शरीर के लिए पान के पत्ते के फायदे और इसके उपयोग में लाने के विभिन्न तरीकों और नुकसानों के बारे में।
विषय सूची
पान के पत्ते सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं। कैसे? आइए जानते हैं।
पान के पत्ते आपके सेहत के लिए क्यों अच्छे हैं?
पुराने समय से ही आयुर्वेद में पान के पत्ते का उपयोग इसके औषधीय गुणों की वजह से किया जाता रहा है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व आपकी सेहत के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। पान के पत्तों में टॉक्सिन को खत्म करने से लेकर एंटीऑक्सीडेंट जैसे गुण होते हैं। इसके अलावा, इसमें एंटी-डायबिटिक, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटी-कैंसर, दिल को स्वस्थ रखने वाले और एंटी-अल्सर जैसे गुण भी पाए जाते हैं (1)। तो है न यह हमारी सेहत के लिए फायदेमंद।
पान के पत्ते के फायदे बस सेहत के लिए ही नहीं है, इसके और भी फायदे हैं। आइए जानते हैं।
पान के पत्ते के फायदे – Benefits of Betel Leaf in Hindi
अभी आपने ऊपर जाना कि पान का पत्ता हमारी सेहत के लिए क्यों फायदेमंद हैं, अब जानिए यह शरीर की विभिन्न बीमारियों पर किस प्रकार काम करता है।
1. खांसी और कंजेशन के लिए पान के पत्ते के फायदे
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पान के पत्तों में कई औषधीय गुण होते हैं। यह एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल गुणों से भी समृद्ध होता है। पान के पत्ते के ये गुण खांसी से निजात दिला सकते हैं और संक्रमण को दूर कर खांसी के दौरान गले के कजेशन से छुटकारा यानी गले को साफ करने का काम कर सकते हैं (2)।
2. मधुमेह की रोकथाम के लिए पान खाने के फायदे
पान के पत्तों में एंटी हाइपोग्लाइसेमिक गुण होते हैं, जो रक्त में मौजूद ग्लूकोज को कम करने में अहम भूमिका निभाते हैं। पान के पत्ते में मौजूद इस गुण के कारण यह टाइप 2 डायबिटीज को नियंत्रित करने में मददगार हो सकता है (3)।
3. डेंटल हीलिंग और ओरल हेल्थ के लिए पान के पत्ते के फायदे
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इसमें दांतों को मजबूत करने और ओरल संक्रमण को दूर करने वाले औषधीय गुण मौजूद होते हैं। यह दांतों के क्षय के इलाज के लिए एक कारगर दवा के रूप में कार्य करता है और बैक्टीरिया के कारण होने वाले मुंह के संक्रमण से भी राहत देने का काम कर सकता है (4)।
4. अच्छे पाचन के लिए पान खाने के फायदे
पान की पत्ते आंतों के लाइपेस (Lipase), एमाइलेज (Amylase) और डिसाकारिडेसिस (Disaccharidases) पाचन एंजाइमों पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, जो अच्छे पाचन के लिए उपयोगी होते हैं। इससे पाचन तंत्र को मजबूती मिलती है। पाचन स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए पान एक विकल्प हो सकता है (5)।
5. भूख को बढ़ाने के लिए पान के पत्ते के फायदे
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि पान की पत्ते आंतों के पाचन एंजाइमों पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं (5), जिससे पाचन तंत्र में सुधार होगा और इससे भूख भी बढ़ेगी। हालांकि, इस विषय पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
6. मुंह के छाले में पान खाने के फायदे
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एक शोध् के अनुसार पान के पत्तों के अर्क में एंटी-अल्सर गुण पाए जाते हैं, जो मुंह के छालों को ठीक करने में कारगर हो सकते हैं (7)। हालांकि, इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है।
7. शरीर की दुर्गंध को दूर करने के लिए पान के पत्ते के फायदे
पान के पत्तों का अर्क शरीर की दुर्गंध मिटाने के लिए भी किया जा सकता है। इसमें पाए जाने वाले औषधीय गुण शरीर की बदबू दूर करने में मदद कर सकते हैं। अल्कोहल के सेवन के बाद शरीर से आने वाली दुर्गंध को इसके जरिए दूर किया जा सकता है (8)।
नोट : ध्यान रहे कि अल्कोहल का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
8. कैंसर से बचाव के लिए पान के फायदे
पान के पत्तों के अर्क में एंटी कैंसर गुण पाए जाते हैं, जो कैंसर को पनपने से रोक सकते हैं। इसका यह गुण ट्यूमर को बढ़ने से रोकने में भी कारगर होता है। साथ ही यह कैंसर की रोकथाम में भी मदद कर सकता है (1)।
9. वजन को कम करने के लिए पान के फायदे
मोटापा कम करने में भी पान के फायदे देखे जा सकते हैं, क्योंकि यह फाइबर से समृद्ध होता है (9)। पान वजन को नियंत्रित करने का काम कर सकता है। हालांकि, यह मोटापे के लिए कितना कारगर हो सकता है, इसके लिए अभी और शोध की आवश्यकता है (10)।
10. गैस्ट्रिक
पान के पत्तों के अर्क में गैस्ट्रो प्रोटेक्टिव गुण पाया जाता है, जो आपको गैस की समस्या से निजात दिलाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, इसमें पेट का अल्सर ठीक करने के गुण भी मौजूद होते हैं। पेट से जुड़ी इन समस्याओं के लिए आप इसका इस्तेमाल सीमित मात्रा में कर सकते हैं (11)।
11. घावों को ठीक करने के लिए पान के फायदे
पान के पत्ते का उपयोग प्राचीन काल से ही एक औषधि के रूप में किया जाता रहा है। इसके औषधीय गुण घाव को जल्द भरने का काम कर सकते हैं। यह हाइड्रॉक्सीप्रोलाइन (कोलेजन में पाया जाने वाला हेटेरोसाइक्लिक प्रोटीन अमीनो एसिड) और सुपरऑक्साइड डिसम्यूटेज (शरीर में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कम करने वाला बहुत महत्वपूर्ण एंट��ऑक्सीडेंट) को बढ़ाने में कारगर है, जो घावों को जल्दी भरने में मदद करते हैं। एक शोध के अनुसार, पान के पत्ते से बने अर्क का उपयोग करने से मधुमेह में होने वाले घाव को जल्दी भरा जा सकता है (2)।
12. मुंहासों काे ठीक करे
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शोध में पाया गया है कि ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस मुंहासों को बढ़ाने का काम कर सकते हैं (12)। वहीं, पान के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं, जो ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को दूर कर मुंहासों को बढ़ने से रोक सकते हैं (2)।
पान के पत्ते के स्वास्थ्य लाभ के बाद, जानते हैं इसमें पाए जाने वाले पौष्टिक तत्वों के बारे में।
पान के पत्ते के पौष्टिक तत्व – Betel Leaf Nutritional Value in Hindi
पान के पत्ते के स्वास्थ्य लाभ सेहत के लिए कई मायनों में फायदेमंद होते हैं। कारण है इसमें पाए जाने वाले पौष्टिक तत्व। आइए, पान के पत्तों में पाए जाने वाले पौष्टिक तत्वों के बारे में जानते हैं (9)।
पोषक तत्व पोषक मूल्य पानी 85-90 % प्रोटीन 3-3.5 % वसा 0.4 – 1.0 % मिनरल 2.3 – 3.3 % फाइबर 2.3 % क्लोरोफिल 0.01 – 0.25 % कार्बोहाइड्रेट 0.5 – 6.10 % निकोटिन एसिड 0.63 – 0.89 मिलिग्राम / 100 ग्राम विटामिन सी 0.005 – 0.01 % विटामिन ए  1.9 – 2.9 मिलिग्राम /100 ग्राम थियामिन 10 – 70 µg /100 ग्राम राइबोफ्लेविन 1.9 – 30  µg /100 ग्राम टैनिन 0.1 – 1.3 % नाइट्रोजन 2.0 – 7.0 % फास्फोरस 0.05 – 0.6 % पोटैशियम 1.1 – 4.6 % कैल्शियम 0.2 – 0.5 % आयरन 0.005 – 0.007 % आयोडिन 3.4 µg /100 ग्राम आवश्यक तेल 0.08 – 0.2 % कैलोरी 22 कैलोरी /100 ग्राम
पान के पत्तों का इस्तेमाल सिर्फ पान मसाले के रूप में नहीं होता, बल्कि इसके और भी उपयोग हैं। आगे हम इसी बारे में बता रहे हैं।
पान के पत्ते का उपयोग – How to Use Betel Leaf in Hindi
पान के पत्तों का उपयोग अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तरीके से होता है।
इसका उपयोग पान मसाले के रूप में होता है, यह तो सभी जानते हैं।
पान का पत्ता चबाने से मुंह से दुर्गंध नहीं आती है। आप इसका उपयोग माउथ फ्रेशनर के रूप में कर सकते हैं।
पान का पत्ता पवित्र माना जाता है, इसका उपयोग पूजा लिए भी किया जाता है।
सेहत के लिए फायदेमंद पान का पत्ता नुकसानदायक भी हो सकता है, आइए जानते हैं इसके नुकसान।
पान के पत्ते के नुकसान – Side Effects of Betel Leaf in Hindi
फायदा पहुंचाने के साथ-साथ पान का पत्ता नुकसानदायक भी हो सकता है। यहां हम बता रहे हैं कि पान का पत्ता किस प्रकार हानिकारक हो सकता है।
अधिक पान के पत्ते चबाने से हृदय गति, रक्तचाप, पसीना और शरीर के तापमान में वृद्धि हो सकती है (13)।
शोध के अनुसार, पान चबाने से एसोफैगल (खाद्य नली) और मुंह का कैंसर होने की आशंका हो सकती है (14)।
अगर गर्भावस्था में पान के पत्तों का सेवन किया जाता है, तो यह भ्रूण और उसके विकास के लिए हानिकारक हो सकता है (15)।
अधिक मात्रा में पान के पत्तों का सेवन थायराइड की समस्या पैदा कर सकता है (16)।
आपने इस लेख में जाना कि पान के पत्ते का इस्तेमाल सिर्फ पान बनाने में नहीं किया जाता, बल्कि इसके कई सारे उपयोग भी हैं। साथ ही आपे जाना कि यह किस प्रकार सेहत के साथ-साथ त्वचा के लिए भी फायदेमंद हो सकता है, लेकिन पान के पत्ते का उपयोग सोच समझ कर करना चाहिए, नहीं तो इसके नकारात्मक परिणाम भी देखने मिल सकते हैं। पान के औषधीय गुण इसकी सीमित मात्रा और सही तरह से किए गए उपयोग से दिख सकते हैं। लेख पढ़ने के बाद अगर अभी भी आपके मन में कोई सवाल है, तो उसे नीचे कमेंट बॉक्स मे जरिए हम तक जरूर पहुंचाएं।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/paan-ke-patte-ke-fayde-upyog-aur-nuksan-in-hindi/
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