मौन की शक्ति : बुद्धिमान व्यक्ति ये 7 बाते किसी को नही बताते
हम इस बात को देख पाए या भले ना देख पाए पर यह असल सत्य है क्योंकि जाने अनजाने मूर्खता बस हम खुद ही अपनी वह बातें दूसरों को बता देते हैं जो हमें कभी नहीं बतानी चाहिए और वही बातें जो जाने-अनजाने में हमने किसी दूसरे के सामने बता दी थी (मौन की शक्ति ) वही हमारे दुख का कारण बन जाता है वही हमारे झगड़े का कारण बन जाता है और फिर बाद में हमें पछतावा होता है कि मुझे यह बात किसी को बतानी नहीं चाहिए थी
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महान विद्वान पंडित चाणक्य वो व्यक्ति थे जिन्होंने अपनी तीक्ष्ण बुद्धि से इतिहास में अपना नाम अमर कर दिया था। चाणक्य ने अपनी नीतियों से एक आम बालक जिसका नाम चंद्रगुप्त था उसे मौर्य साम्राज्य का राजा बना दिया था।
इसी के चलते चाणक्य का नाम इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है। चाणक्य को लेकर ऐसा कहा जाता है कि अगर उनकी नीतियों को कोई अपने जीवन में उतार ले तो वह बड़ी से बड़ी बाधाओं का चुटकी बजाकर सामना कर सकता है।
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Chankya Niti by Sanskrit Ganga
आचार्य चाणक्य एक ऐसी महान विभूति थे, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता, बुद्धिमता और क्षमता के बल पर भारतीय इतिहास की धारा को बदल दिया। मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में भी विश्वविख्यात हुए।
इतनी सदियाँ गुजरने के बाद आज भी यदि चाणक्य के द्वारा बताए गए सिद्धांत और नीतियाँ प्रासंगिक हैं
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असल विद्यार्थीका पाँच गुणहरु यस्तो हुनुपर्छ हेर्नुस्: पूर्वीय दर्शन चाणक्य नीति
१५ चैत, पूर्वीय दर्शन चाणक्य नीतिले बच्चा हुर्काउने चाखलाग्दो तरिका सिकाएका छन् । बच्चालाई कस्तो व्यवहार गर्ने, कसरी हुर्काउने भन्ने जस्ता प्रश्नको चित्तबुझ्दो जवाफ छ यसमा । चाणक्य नीतिका केही श्लोक बालबच्चामा नै केन्द्रित छन् ।
कुन उमेरका बच्चालाई के गर्ने ?
चाणक्य नीतिमा भनिएको छ, पाँच वर्षसम्म बालबच्चालाई एकदमै स्नेह र स्पर्श दिएर हुर्काउनुपर्छ । त्यस अवधिमा उनीहरुलाई गाली गर्ने, पिट्ने काम…
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चाणक्य नीति/ चाणक्य के प्रेरणाप्रद विचार/ Greatest Motivational Quotes of Chanakya in Hindi
आज के लेख में हम चाणक्य नीति/ चाणक्य के प्रेरणाप्रद विचार/ Motivational Quotes of Chanakya के बारे में बात करेंगे। लेकिन आचार्य चाणक्य के विचारों को जानने से पहले आईये एक नजर डालते हैं, उनके जीवन वृत्त पर….
आचार्य चाणक्य का संक्षिप्त जीवन परिचय
कौटिल्य, विष्णुगुप्त और भारत के मैकियावली जैसे अनेक नामों से अलंकृत आचार्य चाणक्य का नाम सुनते ही प्रत्येक भारतवासी के मानस पटल पर एक शिखाधारी महान…
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मातृभाषा हिंदी l
नमस्ते हिंदी l
हिंदी भाषा की परिभाषा यह है कि व्यक्ति अपनी भावनाएं, इच्छाएं, समस्याएं और अपनी बातों को व्यक्त करते हैं और अपनी वक्तव्य को दूसरों तक पहुंचाता है और भाषा के द्वारा ही व्यक्ति अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढता है, या दूसरों की समस्याओं का समाधान करता है l
यदि एक भाषा दूसरी भाषा को दबाता है तो इंसान खुद ब खुद दबता चला जाता है l
आइए हम सब मिलकर हिंदी को प्रोत्साहित करें, हिंदी को महत्व दें और हिंदी को आगे बढ़ावा देl
अपना एक ही अभियान हिंदी सर्वोपरि है l
हिंदी महान है…l.
हिंदी हम सब का सम्मान है..l
हिंदी, अभिव्यक्तित्व की निखार है l
हिंदी, अंतरात्मा की एक पुकार है..l
अपनों से अच्छा व्यवहार है l
हिंदी और संस्कृत भाषा में अपने पूर्वजों का संस्कार हैं l
अपनी भाषा हिंदी है तो समृद्धि है, उत्थान है और…
मानवता को विश्व स्तर पर पहुंचाने का एक बहुत बड़ा योगदान है l
हिंदी भाषा हिंदुस्तान की संपत्ति है l
हिंदी भाषा में स्वाबलंबन है, समरसता है, संभावना है, समर्पण है l
हिंदी है तो खुशियां और समृद्धि है l
हिंदी है तो सब सुख संपन्न है l
हिंदी भाषा में दूरदर्शिता है l
हिंदी भाषा अविष्कारों की जननी हैl
हिंदी भाषा हिंदुस्तान की एक पहचान हैl
हिंदी महान है...l
हिंदी है तो बौद्धिक संस्कृति है
हिंदी है तो कवि और कलाकार है
हिंदी है तो बुद्धिजीवी अपार है l
हिंदी है तो ज्ञान का भंडार है l
हिंदी और संस्कृत है तो ..
लोगों को शास्त्र का ज्ञान है l
उपनिषद और वैदिक विज्ञान है ll
हिंदी है तो राष्ट्रभक्ति है,
नारी की शक्ति है l
हिंदी है तो युवा शक्ति है l
हिंदी है तो हिंदुस्तान शक्तिशाली है l
हिंदी एक साधना है l
हिंदी आराधना है l
अंतर्मन की पूजा है हिंदी l
अपनों की आदर और सत्कार है हिंदी l
हिंदी एक विचारधारा l
जो बहती गंगा सी धारा है ll
हिंदी कामधेनु गो है l
कल्पतरू है हिंदी ll
रिधि सिद्धि है हिंदी l
शुभ लाभ है हिंदी ll
सर्वे भवंतू सुखिना: है l
वसुदेव कुटुंबकम है ll
हिंदी है तो निस्वार्थ भावना है l
एक सहयोग है l
हिंदी एक योग है ll
कवि की कल्पना है हिंदी l
हिंदी है तो परिपक्वता है l
हिंदी, भाषा में एक विश्वास है l
हिंदी, विश्व गुरु बनने का ब्रह्मास्त्र हैl
हिंदी और संस्कृत है तो मानवता है l
ललाट पर लगी भगवा रोड़ी की टीका है हिंदी l
हम सभी के लिए वरदान है हिंदी l
राष्ट्र की मान और सम्मान है हिंदी l
आन, बान और शान हिंदी l
हिंदुत्व की जान है हिंदी l
हिंदी हमारी जुबान है l
हिंदी है तो हम जवान हैं l
उर्दू और फारसी के साथ भाईचारा निभाता आया है हिंदी l
उनके कुछ अनमोल शब्द खरीद रखे हैं हिंदी l
जय हिंद का नारा दिया है हिंदी ने l
राष्ट्रीयता पूरी निभाया है हिंदी ने l
स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर लड़ाई लड़ी है हिंदी ने l
हिंदुस्तान को आजादी दिलाई है हिंदी ने l
हिंदी है तो हम शक्तिमान हैं l
पत्रकारिता की लाठी है हिंदी l
लेखकों की साथी है हिंदी l
छात्रों का सहपाठी हिंदी l
रंगमंच की पहचान है हिंदी l
फिल्म जगत की जान है हिंदी l
गीत संगीत की आत्मा है हिंदी l
14 सितंबर की वार्षिक उत्सव तक ही सीमित नहीं है हिंदी l
साल के 365 दिनों तक साथ निभाता है हिंदी l
कार्यालय में भी बढ़-चढ़कर कार्य करता है हिंदी l
लाखों लेखकों का लेख -निबंध है हिंदी l
अनपढ़ों पर लगाती प्रतिबंध है हिंदी
हिंदी है तो स्वच्छता अभियान है l
हिंदी हमारे देश का अभिमान है l
हिंदी है तो पर्यावरण में गतिविधियां...है ,
प्रकृति के साथ जीने की अनेक विधियां है l
हिंदी है तो अनेकता में एकता हैl
हिंदी है तो ���भिव्यक्ति की आजादी हैl
हिंदी भाषा का सकारात्मक दिशा में एक बहुत बड़ा योगदान है l
हिंदी हैं तो...
अनेकों व्यापार है..l
अच्छा व्यवहार है..l
आपस में प्यार और शिष्टाचार है l
हिंदी है तो न्यायालय में न्याय है l
जीने का अधिकार हैl
हिंदी में ही तो...
हीतो पदेस की कहानियां है l
हिंदी में तो विदुर नीति है l
हिंदी है तो चाणक्य नीति है l
जिस पर हिंदुस्तान टिकी है l
हिंदी में लिखी पंचतंत्र है l
राजनीति का एक मूल मंत्र है ll
हिंदी है तो लोकतंत्र है l
हिंदी है तो हम स्वतंत्र है l
हिंदी है तो...
पूजा-अर्चना है l
आशा है, अभिलाषा हैl
हिंदी, हिंदुत्व की परिभाषा है l
हिंदी है तो जीने की इच्छा है l
हिंदी अपने आप में एक उच्च शिक्षा है l
हिंदी में दिखाई देती भविष्य की तस्वीर है l
हिंदी ने कलम से लिखी लाखों लोगों की तकदीर है ll
हिंदी बदलती दशा के साथ दिखाती एक नई दिशा हैl
हिंदी है तो अपनों से रिश्ता है
अनजान भी फरिश्ता है l
हिंदी हिंदुत्व की एकत्रीकरण है
हिंदी इतिहास का स्मरण है l
दिनकर की दिनचर्या थी हिंदी.......l
कबीरदास, सूरदास और मीरा की वंदना थी हिंदी l
संस्कृत-हिंदी है तो तुलसीदास की रामचरितमानस है l हनुमान चालीसा है हिंदी l
सुंदरकांड का पाठ और गीता है हिंदीl
हिंदी है तो दुश्मन भी अपने सामने नतमस्तक है l
हिंदी है तो दुनिया हिंदुस्तान के सामने नतमस्तक है l
जय हिंद l
जय हिंदी ll
जय हिंदुस्तान lll
हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं!
संभार :
मधुसूदन लाल
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Jamshedpur dr Ajoy attack on saryu roy- डॉ अजय का पटलवार, कहा- अर्जुन मुंडा ने स्वीकार किया कि एनजीटी में आवेदन उन्होंने ही किया था, भुईंयाडीह मामले में चाणक्य नीति हुई फेल, विधायक को मामले को सार्वजनिक करना चाहिए
जमशेदपुर: पूर्व सांसद सह कांग्रेस के वरीय नेता डॉ अजय कुमार ने रविवार को प्रेस बयान जारी कर कहा कि भाजपा पहले आग लगाती है और फिर उसको बुझाने का नाटक करती है, यही उसका चरित्र है. इस पूरे खेल में जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय बराबर के भागीदार है. अब तो पूरी तरह से साफ हो गया कि अर्जुन मंडा ने ही एनजीटी में आवेदन किया था. सबसे बड़ी बात की जनजातीय पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को पर्यावरण…
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चाणक्य नीति की 10 बातें - जो आपको बनाएगा सबसे बेहतर
चाणक्य नीति की 10 बातें – जो आपको बनाएगा सबसे बेहतर – चाणक्य महाज्ञानी और राजनीती के महारथी थे। महाज्ञानी चाणक्य की पुस्तके आज के इस आधुनिक समय में भी लोगों के जीवन को सुधारने का काम कर रही हैं। इन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी लोग जानते हैं। इतिहास में आपने चन्द्रगुप्त मौर्य के बारें में जरुर पढ़ा होगा। कौटिल्य इनके महामंत्री थे। चाणक्य नीति की बातें इतनी प्रेरणादायक हैं की जीवन से हारे…
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पड़ोसी और रिश्तेदारों से दूर ही रहना चाहिए! चाणक्य नीति | Chanakya Niti ...
HARAMII KII PAIDAISH MAIN MOH MAYS MEIN HU ...AA ...JAO....HARAMII KE BACHCHE....
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Chanakya Niti: मुश्किल वक्त में याद रखें आचार्य चाणक्य की ये 5 बातें? हर राह हो जाएगी आसानChanakya Niti: आचार्य चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु थे। उन्हें एक महान विद्वान और विद्वान कहा जाता है। आचार्य चाणक्य ने एक नीति की रचना की है जिसे चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता है
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Chanakya Niti For Success: चाणक्य से सीखें असफलता को सफलता में बदलने का जादू || Prabhat Prakashan
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चाणक्य का जीवन कठोर धरातल पर अनेक विसंगतियों से जूझता हुआ आगे बढ़ा। विष्णुगुप्त चाणक्य एक असाधारण बालक थे। उनके पिता चणक एक शिक्षक थे। वह भी शिक्षक बनना चाहते थे। उन्होंने तक्षशिला विश्वविद्यालय में राजनीति और अर्थशात्र की शिक्षा ग्रहण की।
इसके पूर्व वेद, पुराण इत्यादि वैदिक साहित्य का उन्होंने किशोर वय में ही अध्ययन कर लिया था। उनकी कुशाग्र बुद्धि और तार्किकता से उनके साथी तथा शिक्षक भी प्रभावित थे; इसी कारण उन्हें ‘कौटिल्य’ भी कहा जाने लगा। अध्ययन पूरा करने के बाद तक्षशिला विश्वविद्यालय में ही चाणक्य अध्यापन करने लगे।
इसी दौर में उत्तर भारत पर अनेक विदेशी आक्रमणकारियों की गिद्धदृष्टि पड़ी, जिनमें सेल्यूकस, सिकंदर आदि प्रमुख हैं। परंतु चाणक्य भारतवर्ष को ��कीकृत देखना चाहते थे। इस��िए उन्होंने तक्षशिला में अध्यापन-कार्य छोड़ दिया और राष्ट्रसेवा का व्रत लेकर पाटलिपुत्र आ गए। चाणक्य का जीवन कठोर धरातल पर अनेक विसंगतियों से जूझता हुआ आगे बढ़ा।
कुछ लोग सोच सकते हैं कि उनका जीवन-दर्शन प्रतिशोध लेने की प्रेरणा देता है; लेकिन चाणक्य का प्रतिशोध निजी प्रतिशोध न होकर सार्वजनिक प्रतिशोध था। उन्होंने जनता के दुख-दर्द को देखा और स्वयं भोगा था। उसी की फरियाद लेकर वे राजा से मिले थे। घनानंद चूँकि प्रजा का हितैषी नहीं था, इसलिए चाणक्य ने उसे खत्म करने का प्रण किया। उन्होंने ‘चाणक्य नीति’ जैसा नीतियों का एक अनमोल खजाना दुनिया को दिया, जो जीवन के सभी क्षेत्रों में हमारा मार्गदर्शन करने की क्षमता रखता है।
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साम, दाम, दंड, भेद, नीति - चाणक्य नीति
साम, दाम, दंड, भेद – चाणक्य नीति राजनीति की एक बड़ी पुरानी नीति है ‘साम, दाम, दंड, भेद’. ‘साम’ अर्थात् ‘समता’ से या ‘सम्मान देकर’, ‘समझाकर’; ‘दाम’ अर्थात् ‘मूल्य देकर’ या आज की भाषा में ‘खरीदकर’; ‘दंड’ अर्थात् ‘सजा देकर’ और ‘भेद’ से तात्पर्य ‘तोड़ना’ या ‘फूट डालना’ है.
‘साम, दाम, दंड, भेद’ चाणक्य नीति का महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जो राजनीति और समाज में समान रूप से महत्वपूर्ण है। ‘साम’ का मतलब है…
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जहां श्रोत्रिय अर्थात वेद को ...|चाणक्य नीति | motivation for students |...
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Chanakya Niti In Hindi : Chanakyaniti and Quotes in Hindi - चाणक्य नीति, चाणक्य नीतिशास्त्र
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विश्व प्रसिद्ध भनाइ तथा उखानहरूले ल्यायो हजार बढी प्रेरक भनाइसहितको एप
काठमाडौं, २९ माघ । माघ २९–विश्व प्रसिद्ध भनाइ तथा उखानहरुहरु फेसबुक पेजबाट राख्दै आएको समूहले १ हजारभन्दा धेरै प्रेरक ज्ञानको संगालोसहितको मोबाइल एप सार्वजनिक गरेको छ।
श्रीमद् भागवद् गीता, विश्व प्रसिद्ध भनाइ, नीति ज्ञान चाणक्य नीति, नैतिक शिक्षा, नेपाली सायरी तथा लभ स्टाटस लगायतका समाग्री सहितको मोबाइल एप हाल प्ले स्टोरमा उपलब्ध रहेको छ । युवा तथा सबै उमेरकाले हेर्न सकिने यस एप डाउनलोड गर्न यहाँ…
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मुलुकबाट राजसंस्था जानुका कारणहरु र राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारलाई मेरो सुझाव र सल्लाहहरु यस प्रकार छन ।
अब राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारले सेनाहरु, जनपद प्रहरीहरु, सशस्त्र प्रहरीहरु र राष्ट्रिय अनुसन्धान सुरक्षाकर्मीहरुसंग छलफल र समन्वय गरी अघि बढनुपर्छ ।
सर्वप्रथम राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारले आफु वरिपरिका केही स्वार्थी र अवसरवादी तत्वहरुलाई तत्काल निष्कासन गर्नुपर्ने देखिन्छ । राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारले आफनो को हुन र पराया को हुन भन्ने कुरा सहि पहिचान गर्न सक्नुपर्छ ।
राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारले वीर बलबहादुर कुँवर, जंग बहादुर राणा, पृथ्वीनारायण शाह, महेन्द्र शाह र चाणक्य नीति लिएर अघि बढनुपर्छ । राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारले सेनाहरु, जनपद प्रहरीहरु, सशस्त्र प्रहरीहरु र राष्ट्रिय अनुसन्धान विभिन्न सुरक्षा निकायहरूसंग छलफल र समन्वय गरी अघि बढनुपर्छ । राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारको सुरक्षाकर्मीहरु अर्थात सुरक्षा निकायहरूसंग समन्वय नभए जस्तो कताकतै मलाई महसुस भएको छ ।
श्री ५ ज्ञानेन्द्र शाहको पालामा राजसंस्था जानुका कारणहरु र श्री ५ ज्ञानेन्द्र शाह परिवारलाई मेरो सुझावहरु र सल्लाहहरु यस प्रकार छन :-
(१) राजसंस्था एमाले, काँग्रेस र माओवादी लगायतका राजनीतिक दलका नेताहरूको कारणले गएको होईन ।
(२) जसले जेसुकै भनेपनि वास्तविकमा राजसंस्था केही स्वार्थी र अवसरवादी दरबारीया शक्तिहरू र दरबारीय तत्वहरु तथा राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारको केही मध्यस्थकर्ता र केही सल्लाहकारहरुको कारणले गएको हो ।
(३) राजा श्री ५ ज्ञानेन्द्र शाह परिवारले को आफना हुन र को पराया हुन भन्ने नागरिकहरुको सही पहिचान गर्न सक्नु पर्दथ्यो । तर राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारले आफनो को हुन र पराया को हुन पहिचान गर्न सक्नुभएन । यस्तो संवेदनशील विषयमा राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवार चनाखो हुनु पर्दथ्यो । राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवार चनाखो हुनु भएन ।
(४) सही र साँचो कुराहरु राख्न, बोल्न सक्ने हिम्मत र खुबी भएका श्री ५ ज्ञानेन्द्र शाह परिवारका शुभ चिन्तकहरुलाई अवसरवादी केही सल्लाहकारहरु र केही मध्यस्थकर्ताहरुले आफनो अस्तित्व सकिन्छ भनी राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवार सँग भेटघाट नै नगराउने परम्परा यथावत नै छ ।
(५) राजा ज्ञानेन्द्र शाह, युवराज्ञी हिमानी शाह र युवराजधिराज पारस शाहका वरिपरिका केही सल्लाहकारहरु र केही मध्यसकर्ताहरु ठिक छैनन । वरिपरिका केही सल्लाहकारहरु र केही मध्यसकर्ताहरुको कारणले नै राजसंस्था गएको हो । मुलुकमा राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारको केही सल्लाहकारहरु र केही मध्यसकर्ताहरुले अप्रत्यक्ष रूपमा दोग्ला भुमिका खेलिरहेका छन । राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारको केही सल्लाहकारहरु र केही मध्यस्थकर्ताहरुको मिलोमतो र साँठगाँठ दलका नेताहरूसँग छ । राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारको पक्षमा रहेका राजावादी संगठनहरुलाई पनि राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारको केही सल्लाहकारहरु र केही मध्यस्थकर्ताहरुले एक आपसमा मिल्न दिंदैनन र फुटाउने गर्छन ।
(६) अवसरवादी केही सचिवहरू र केही सल्लाहकारहरुलाई को को आम नागरिकहरु आफना हुन र आफना पक्षमा बोल्छन तथा खाँटि राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवार पक्षधर को को हुन भन्ने पनि थाहा छ । त्यसकारण केही सचिवहरु र केही सल्लाहकारहरुले आफ्ना पक्षकाहरुलाई मात्र राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवार संग भेट गराउने परम्परा यथावत नै छ ।
(७) राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारका वास्तविक शुभचिन्तक र वफादारहरुले केही सचिवहरु र केही सल्लाहकारहरुको पोल खोलि देलान र राजदरबारबाट खाइ पिइ आएको सुविधा आदि आदि जस्ता कार्यहरुमा राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारका शुभचिन्तकहरुले मध्यस्थकर्ताहरू बारे पोल खोली देलान भन्ने मनसायले राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारलाई वास्तविक कुरा जाहेर नहोस भनेर केही मध्यस्थकर्ताहरु बाट भेट नगराउने प्रथा ।
(८) केही मध्यस्थकर्ताहरु र केही सल्लाहकारहरुको सोच आम नागरिकहरुले आफ्नो संधैभरि चाकरी, गुलामी गरिरहोस भन्ने उद्देश्यले चाकरी र गुलामी नगर्नेहरुलाई भेटघाट नगराउने पन्छाउने रुढीवादी परम्परा यथावत रहेको पाइन्छ ।
(९) राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारका कतिपय मध्यस्थकर्ताहरु र सल्लाहकारहरु राम्रा पनि होलान तर फटाही र धुर्त्यांइ गर्ने अवसरवादीहरुको सामुन्ने सज्जनहरुको केही जोड चल्दैन । ओझेल र अल्पमतमा पर्छन ।
(१०) विगतमा राजा ज्ञानेन्द्र शाहले एक्कासी कार्यभार आफनो हातमा लिनु र नेपाल राष्ट्र नै चाहिँदैन भन्ने तुलसी गिरी लगायतका सल्लाहकारलाई सल्लाहकारको रुपमा ल्याउनु राजाको ठुलो गल्ती र ठुलो भुल थियो । अब राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारले विगतमा भए जस्तो गल्ती वर्तमान समयमा दोहोरिनु दिनु हुँदैन ।
(११) राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारका केही मध्यस्थकर्ताहरु र सल्लाहकारहरु दोहोरो चरित्र भएका ताक परे तिवारी नत्र गोतामे जस्ता अवसरवादी तत्वहरुले राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारलाई फसाए ।
(१२) राजा ज्ञानेन्द्र शाह स्वयं राजा थिए । राजा ज्ञानेन्द्र शाहलाई मन्त्रीपरिषद अध्यक्ष बन्नु परेको किन ? यसकारणले पनि राजसंस्था गएको हो । राजाको सामु अध्यक्ष पद केही पनि होइन । राजा स्वयंलाई अवसरवादी तत्वहरुले अध्यक्ष बन्न लगाई राजालाई फसाए ।
(१३) राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवार अवसरवादी केही मध्यस्थकर्ताहरु र सल्लाहकारहरु भरमा मात्र विश्वस्त हुनु हुँदैनथ्यो । बेला मौकामा राष्ट्रको गतिविधि तथा आम नागरिकहरुको चाहना र माँगलाई बुझ्नु पर्दथ्यो र समयमा सम्बोधन गर्नु पर्दथ्यो । राजा ज्ञानेन्द्र शाहको केही आफ्नो जिद्दी र हठ का कारण पनि राजा ज्ञानेन्द्र शाहले सत्ताबाट हात धुनु परेको हो ।
(१४) एक्काइसौँ शताब्दीमा राजा ज्ञानेन्द्र शाहले एक्कासि आफनो बुवा महेन्द्र शाह जस्तो शासन गर्न खोज्दा पनि विफल हुनु भएको हो । कहाँ विक्रम सम्वत २०१७ सालको समय कहाँ विक्रम सम्वत २०६०/६१ को समय धेरै फरक थियोे । राजा ज्ञानेन्द्र शाहले बुझ्न सक्नु भएन । राजसंस्था समाप्त पार्नु पनि ग्राइन्ड डिजाइन अन्तर्गत नै हो ।
(१५) एक्कासि राजा ज्ञानेन्द्र शाहले सत्ता आफनो हातमा लिएपछि राजा ज्ञानेन्द्र शाहको देश दौडहा, भ्रमण, मन्दिर दर्शन र उद्घाटनमा गर्नमा मात्र व्यस्त रहेकोे थियो । आम नागरिकहरुको आवश्यकता के हो त्यसलाई कसरी परिपूर्ति गर्ने सोच जस्तै शिक्षामा सुधार, स्वास्थ्यमा सुधार, कृषिमा सुधार, रोजगारीको व्यवस्था र रोजगारी नदिउन्जेल सम्म युवाहरूलाई बेरोजगार भत्ता आदि आदि जस्ता कुराहरुमा राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारले ध्यान दिनु पर्दथ्यो तर राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारले जनताहरुको चाहनालाई पुरा गर्न सक्नु भएन । राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारले राष्ट्रलाई विकसित अन्तर्राष्ट्रिय मुलुकहरुको तुलनामा कसरी अगाडी लिएर जाने सोच बनाई दिएको भए आज राजसंस्था जाने अवस्था आउँदैन थियो ।
(१६) राजा ज्ञानेन्द्र शाह, युवराजधिराज पारस शाह र युवराज्ञी हिमानी शाहले अवसरवादी र ताक परे तिवारी नत्र गोतामे जस्ता सोच भएका केही मध्यस्थकर्ताहरु र केही सल्लाहकारहरुलाई लिएर राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवार अघाडी बढनु भयो भने राजसंस्था आयो भने पनि धेरै दिन सम्म टिक्न सक्दैन । राजसंस्थालाई टिकाउन राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारले केही स्वार्थी र अवसरवादी मध्यस्थकर्ताहरु र केही सल्लाहकारहरु पुरै हटाउनुपर्ने हुन्छ ।
(१७) राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारले वीर बलबहादुर कुँवर, जंग बहादुर राणा, पृथ्वीनारायण शाह, महेन्द्र शाह र चाणक्य नीति लिएर अघि बढनुपर्छ ।
(१८) राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारले सेनाहरु, जनपद प्रहरीहरु, सशस्त्र प्रहरीहरु र राष्ट्रिय अनुसन्धान विभिन्न सुरक्षा निकायहरू संग छलफल र समन्वय गरी अघि बढनुपर्छ ।
(१९) राजा ज्ञानेन्द्र शाह परिवारले मुलुकमा जनताहरुको हित बारे के के गर्ने दुरदर्शि कार्ययोजना र भिजन बारे स्पष्ट योजना र खाकाको पुर्व तैयारी रहन आवश्यक छ । पुर्व कार्ययोजना र खाकाको तैयार नगरी लिएको सत्ता धेरै दिन टिक्न सक्दैन ।
स्वतन्त्र नेपाली नागरिक:राकेश कुमार शर्मा, जिल्ला मकवानपुर हेटौंडा उपमहानगरपालिका वडा नम्बर २ मोबाइल नम्बर ९८४८०५५७७६, ९८१२४९१३९७
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