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टॉस जीतकर हार्दिक ने चुनी बल्लेबाजी, गुजरात के इन दो खिलाड़ियों को दी गई जगह, जानिए प्लेइंग इलेवन...
टॉस जीतकर हार्दिक ने चुनी बल्लेबाजी, गुजरात के इन दो खिलाड़ियों को दी गई जगह, जानिए प्लेइंग इलेवन…
भारत और श्रीलंका के बीच तीसरा और आखिरी टी20 मैच इस समय राजकोट में खेला जा रहा है। तीन मैचों की यह टी20 सीरीज आज पूरी होनी है. यह आखिरी मैच दोनों टीमों के लिए अहम होगा। दोनों टीमों की कोशिश इस सीरीज को जीतने के लिए तीसरा मैच जीतने की होगी। हार्दिक पांड्या की अगुवाई में भारतीय टीम इस समय मजबूत प्लेइंग इलेवन के साथ मैदान पर है। तीसरे मैच की बात करें तो भारतीय टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का…
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jyotis-things · 23 days
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart84 के आगे पढिए.....)
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart85
"हिन्दू साहेबान ! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण" Part -85
" समुन्द्र पर रामचन्द्र के पुल के लिए पत्थर तैराना"
एक समय की बात है कि सीता जी को रावण उठा कर ले गया। भगवान राम को पता भी नहीं कि सीता जी को कौन उठा ले गया? श्री रामचन्द्र जी इधर उधर खोज करते हैं। हनुमान जी ने खोज करके बताया कि सीता माता लंकापति रावण की कैद में है। पता लगने के बाद भगवान राम ने रावण के पास शान्ति दूत भेजे तथा प्रार्थना की कि सीता लौटा दे। परन्तु रावण नहीं माना। युद्ध की तैयारी हुई। तब समस्या यह आई कि समुद्र से सेना कैसे पार करें?
भगवान श्री रामचन्द्र ने तीन दिन तक घुटनों पानी में खड़ा होकर हाथ जोड़कर समुद्र से प्रार्थना की कि रास्ता दे। परन्तु समुद्र टस से मस न हुआ। जब समुद्र नहीं माना तब श्री राम ने उसे अग्नि बाण से जलाना चाहा। भयभीत समुद्र एक ब्राह्मण का रूप बनाकर सामने आया और कहा कि भगवन् सबकी अपनी-अपनी मर्यादाएँ हैं। मुझे जलाओ मत। मेरे अंदर न जाने कितने जीव-जंतु वसे हैं। अगर आप मुझे जला भी दोगे तो भी आप मुझे पार नहीं कर सकते, क्योंकि यहाँ पर बहुत गहरा गड्डा बन जायेगा, जिसको आप कभी भी पार नहीं कर सकते।
समुद्र ने कहा भगवन ऐसा काम करो कि सर्प भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। मेरी मर्यादा भी रह जाए और आपका पुल भी बन जाए। तब भगवान श्री राम ने समुद्र से पूछा कि वह क्या है? ब्राह्मण रूप में खड़े समुद्र ने कहा कि आपकी सेना में नल और नील नाम के दो सैनिक हैं। उनके पास उनके गुरुदेव से प्राप्त एक ऐसी शक्ति है कि उनके हाथ से पत्थर भी तैर जाते हैं। हर वस्तु चाहे वह लोहे की हो, तैर जाती है। श्री रामचन्द्र ने नल तथा नील को बुलाया और उनसे पूछा कि क्या आपके पास कोई ऐसी शक्ति है? तो नल तथा नील ने कहा कि हाँ जी, हमारे हाथ से पत्थर भी नहीं डूबेंगे। तो श्रीराम ने कहा कि परीक्षण करवाओ।
उन नादानों (नल-नील) ने सोचा कि आज सब के सामने तुम्हारी बहुत महिमा होगी। उस दिन उन्होंने अपने गुरुदेव मुनिन्द्र जी (कबीर परमेश्वर जी) को यह सोचकर याद नहीं किया कि अगर हम उनको याद करेंगे तो कहीं श्रीराम ये न सोच लें कि इनके पास शक्ति नहीं है, यह तो कहीं और से मांगते हैं। उन्होंने पत्थर उठाकर समुद्र के जल में डाला तो वह पत्थर डूब गया। नल तथा नील ने बहुत कोशिश की, परन्तु उनसे पत्थर नहीं तैरे। तब भगवान राम ने समुद्र की ओर देखा मानो कहना चाह रहे हों कि आप तो झूठ बोल रहे थे। इनमें तो कोई शक्ति नहीं है। समुद्र ने कहा कि नल-नील आज तुमने अपने गुरुदेव को याद नहीं किया। कृप्या अपने गुरुदेव को याद करो। वे दोनों समझ गए कि आज तो हमने गलती कर दी। उन्होंने सतगुरु मुनिन्द्र साहेब जी को याद किया। सतगु���ु मुनिन्द्र (कबीर परमेश्वर) वहाँ पर पहुँच गए। भगवान रामचन्द्र जी ने कहा कि हे ऋषिवर ! मेरा दुर्भाग्य है कि आपके सेवकों से पत्थर नहीं तैर रहे हैं। मुनिन्द्र साहेब ने कहा कि अब इनके हाथ से कभी तैरेंगे भी नहीं, क्योंकि इनको अभिमान हो गया है।
सतगुरु की वाणी प्रमाण करती है किः-
गरीब, जैसे माता गर्भ को, राखे जतन बनाय।
ठेस लगे तो क्षीण होवे, तेरी ऐसे भक्ति जाय।
उस दिन के बाद नल तथा नील की वह शक्ति समाप्त हो गई। श्री रामचन्द्र जी ने परमेश्वर मुनिन्द्र साहेब जी से कहा कि हे ऋषिवर! मुझ पर बहुत आपत्ति पड़ी हुई है। दया करो किसी प्रकार सेना परले पार हो जाए। जब आप अपने सेवकों को शक्ति दे सकते हो तो प्रभु ! मुझ पर भी कुछ रजा करो। मुनिन्द्र साहेब जी ने कहा कि यह जो सामने वाला पहाड़ है, मैंने उसके चारों तरफ एक रेखा खींच दी है। इसके बीच-बीच के पत्थर उठा लाओ, वे नहीं डूबेंगे। श्री राम ने परीक्षण के लिए पत्थर मंगवाया। उसको पानी पर रखा तो वह तैरने लग गया। नल तथा नील कारीगर (शिल्पकार) भी थे। हनुमान जी प्रतिदिन भगवान याद किया करते थे। उसने अपनी दैनिक क्रिया भी करते रहने के लिए राम राम भी लिखता रहा और पहाड़ के पहाड़ उठा कर ले आता था। नल नील उनको जोड़-तोड़ कर पुल में लगा देते थे। इस प्रकार पुल बना था। धर्मदास जी कहते हैं :-
रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरू से करी पुकार।
जा सत रेखा लिखी अपार, सिन्धु पर शिला तिराने वाले।
291
धन-धन सतगुरु सत कबीर, भक्त की पीर मिटाने वाले।
कोई कहता था कि हनुमान जी ने पत्थर पर राम का नाम लिख दिया था इसलिए पत्थर तैर गये। कोई कहता था कि नल-नील ने पुल बनाया था। कोई कहता था कि श्रीराम ने पुल बनाया था। परन्तु यह सतकथा ऐसे है, जो ऊपर लिखी है।
(सत कबीर की साखी पृष्ठ 179 से 182 तक)
-: पीव पिछान को अंग :-
कबीर- तीन देव को सब कोई ध्यावै, चौथे देव का मरम न पावै । चौथा छाड़ पंचम को ध्यावै, कहै कबीर सो हम पर आवै।।3।।
कबीर- ओंकार निश्चय भया, यह कर्ता मत जान । साचा शब्द कबीर का, परदे मांही पहचान।।5।।
कबीर- राम कृष्ण अवतार हैं, इनका नांही संसार । जिन साहेब संसार किया, सो किन्हूं न जन्म्या नार । ।17 ।।
कबीर चार भुजा के भजन में, भूलि परे सब संत । कबिरा सुमिरो तासु को, जाके भुजा अनंत । ।23 ।।
कबीर - समुद्र पाट लंका गये, सीता को भरतार।
ताहि अगस्त मुनि पीय गयो, इनमें को करतार। |26 ।। गिरवर धारयो कृष्ण जी, द्रोणागिरि हनुमंत । कबीर -
शेष नाग सब सृष्टि सहारी, इनमें को भगवंत । | 27 ||
कबीर - काटे बंधन विपति में, कठिन किया संग्राम।
चिन्हों रे नर प्राणियां, गरुड बड़ो की राम ।।28 ।।
कबीर - कह कबीर चित चेतहूं, शब्द करौ निरूवार। श्रीरामहि कर्ता कहत हैं, भूलि परयो संसार।।29 ||
कबीर - जिन राम कृष्ण व निरंजन कियो, सो तो करता न्यार। अंधा ज्ञान न बूझई, कहै कबीर विचार । ।30 ।।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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100newsup · 2 months
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Hardoi: दबंग ने कब्रिस्तान की जमीन पर किया कब्जा, दर्जनों प्रार्थना पत्र देने के बाद नहीं हुई सुनवाई
शाहाबाद/हरदोई। भूमाफियाओं के कब्जे से सरकारी जमीनें तो नहीं बच पाई थी लेकिन अब भू माफियाओं ने कब्रिस्तानों की जमीनों पर भी कब्जा करना प्रारंभ कर दिया है लेकिन प्रशासन लाख शिकायतों के बाद भी टस से मस नहीं हो रहा है। शिकायत करने पर कब्रिस्तान के हकदारों को जान माल की धमकियां दबंगों द्वारा दी जा रही। शाहाबाद कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला बाजार संभा निवासी फुरकान खान पुत्र मोहम्मद नबी का बासित नगर…
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samaya-samachar · 5 months
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ओमानलाई हराउदै युएई एशिया कपमा छनौट
काठमाडौँ । युएई २०२५ को टी-२० एशिया कपमा छनौट भएको छ ।  एसीसी प्रिमियर कपको फाइनलमा आयोजक ओमानलाई ५५ रनले पराजित गर्दै युएई एशिया कपका लागि छनौट भएको हो ।   युएईले दिएको २०५ रनको लक्ष्य पछाएको ओमान २० ओभरमा ९ विकेट गुमाउदै १४८ रन मात्र बनाएको थियो ।  यसअघि टस हारेर पहिला ब्याटिंग गरेको युएईले कप्तान मुहमद वासीमको शतकको मद्धतले २० ओभरमा ४ विकेट गुमाउदै २०४ रन बनाएको थियो ।   एसीसी प्रिमियर कपको…
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ratosuryan · 7 months
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नेपालले टस जित्यो, नेदरल्यान्ड्सविरुद्ध पहिले फिल्डिङ गर्ने
काठमाडौं, १६ फागुन। घरेलु मैदानमा जारी टी-२० आई त्रिकोणात्मक सिरिजको दोस्रो खेलमा नेपालले नेदरल्यान्ड्सविरुद्ध फिल्डिङ गर्ने भएको छ। कीर्तिपुरस्थित त्रिवि क्रिकेट मैदानमा नेपालका कप्तान रोहितकुमार पौडेलले टस जितेर पहिले फिल्डिङ गर्ने निर्णय गरेका हुन्। पहिलो खेलमा नामिबियासँग २० रनले पराजित भएको नेपाल दोस्रो खेलमा जित निकाल्न चाहन्छ। उता नेदरल्यान्डस भने नेपाललाई हराउँदै सिरिजमा सुखद सुरुवात…
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nepsebajarofficial · 7 months
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नामिबियासँग टस हारेर पहिला ब्याटिङ गर्दै नेपाल
काठमाडौं, ९ फागुन । आइसीसी क्रिकेट विश्वकप लिग-२ अन्तर्गत आज नेपाल र नामिबियाबीच खेल हुँदैछ। यस खेलमा नामिबियाले टस जितेर पहिला बलिङ गर्ने निर्णय गरेको छ। जस अनुसार नेपालले पहिला ब्याटिङ गर्ने भएको छ। आजको खेलमा नेपालले एक परिवर्तन गर्दै गुलशन झाको ठाउमा  करण केसीलाई टिम सामेल गरेको छ। यस अघि नेपालले पहिलो खेलमा नामिबियासँग ४ विकेटको हार बेहोरेको थियो भने दोस्रो खेलमा नेदरल्याण्ड्सलाई ९ विकेटले…
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041 मालिक कौन?
एक आदमी एक गाय को घर की ओर ले जा रहा था। गाय जाना नहीं चाहती थी। वह आदमी लाख प्रयास कर रहा था, पर गाय टस से मस नहीं हो रही थी। ऐसे ही बहुत समय बीत गया।एक संत यह सारा माजरा देख रहे थे। अब संत तो संत हैं, उनकी दृष्टि अलग ही होती है, तभी तो दुनियावाले उनकी बातें सुन कर अपना सिर ही खुजलाते रह जाते हैं।संत अचानक ही ठहाका लगाकर हंस पड़े।वह आदमी कुछ तो पहले ही खीज रहा था, संत की हंसी उसे तीर की तरह लगी।…
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pradeepdasblog · 9 months
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( #Muktibodh_part160 के आगे पढिए.....)
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#MuktiBodh_Part161
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 309-310
◆ राग निहपाल से शब्द नं. 1 :-
जालिम जुलहै जारति लाई, ऐसा नाद बजाया है।।टेक।।
काजी पंडित पकरि पछारे, तिन कूं
ज्वाब न आया है।
षट्दर्शन सब खारज कीन्हें, दोन्यौं दीन चिताया है।।1।।
सुर नर मुनिजन भेद पावैं, दहूं का पीर कहाया है।
शेष महेश गणेश रु थाके, जिन कूं पार न पाया है।।2।।
नौ औतार हेरि सब हारे, जुलहा नहीं हराया है।
चरचा आंनि परी ब्रह्मा सैं, चार्यों बेद हराया है।।3।।
मघर देश कूं किया पयांना, दोन्यौं दीन डुराया है।
घोर कफन हम काठी दीजौ, चदरि फूल बिछाया है।।4।।
गैबी मजलि मारफति औंड़ी, चादरि बीचि न पाया है।
काशी बासी है अबिनाशी, नाद बिंद
नहीं आया है।।5।।
नां गाड्या ना जार्या जुलहा, शब्द अतीत समाया है।
च्यारि दाग सें रहित सतगुरु, सौ हमरै मन भाया है।।6।।
मुक्ति लोक के मिले प्रगनें, अटलि पटा लिखवाया है।
फिरि तागीर करै ना कोई, धुर का चाकर लाया है।।7।।
तखत हिजूरी चाकर लागे, सति का दाग दगाया है।
सतलोक में सेज हमारी, अबिगत नगर बसाया है।।8।।
चंपा नूर तूर बहु भांती, आंनि पदम
झलकाया है।
धन्य बंदी छोड़ कबीर गोसांई, दास गरीब बधाया है।।9।। 1।।
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 649-702 का सरलार्थ :- काजी तथा पंडितों ने विचार-विमर्श किया कि राजा सिकंदर को तो सिद्धि दिखाकर प्रभावित कर लिया। यह कुछ करने वाला नहीं है। तब उन्होंने कबीर परमेश्वर जी को शास्त्रार्थ की चुनौती दी।
◆ शास्त्रार्थ में भी काजी-पंडितों की किरकिरी हो गई तो सिकंदर राजा के पास फिर गए और कहा कि आप अपने सामने हमारी तथा कबीर जी की सिद्धि-शक्ति का परीक्षण करो।
हमारा मुकाबला (compitition) कराओ। उस समय भिन्न-भिन्न प्रकार के साधक, कोई कनफटा नाथ परंपरा से, दण्डी स्वामी, सन्यासी, षटदर्शनी वाले बाबा सब इकट्ठे हुए थे जो संत कबीर जी से ईर्ष्या करते थे। हाथों में पत्थर लेकर कबीर जी से कहने लगे कि तू हमारे देवताओं का अपमान करता है। हे जुलाहे! तुझे पत्थर मारेंगे। सिकंदर लोधी के पास जाकर पंडितों तथा मुल्ला-काजियों ने कहा कि कबीर जुलाहा पापी है। उसके दिल में दया
नहीं है। वह सबके धर्मों में दोष देखता है। हिन्दुओं से राम-राम नहीं करता तथा मुसलमानों से सलाम भी नहीं करता। कुछ और ही बोलता है। सत साहेब।
◆ संत गरीबदास जी ने तर्क दिया है कि उस काशी नगरी के सब ही नागरिकों की बुद्धि का नाश हो चुका था जो परमात्मा को तो नीच कह रहे थे तथा अपनी गलत साधना को उत्तम बता रहे थे और दयावान कबीर परमेश्वर जी को निर्दयी बता रहे थे। स्वयं जो सर्व व्यसन करते थे, लोगों को ठगते थे, अपने को श्रेष्ठ कह रहे थे।
◆ राजा सिकंदर ने कहा कि आप तथा कबीर एक स्थान पर इकट्ठे होकर अपना एक ही बार फैसला कर लो। बार-बार के झगड़े अच्छे नहीं होते। पंडित तथा अन्य हिन्दू संत एक ओर तथा कबीर जी तथा रविदास जी एक ओर।
एक निश्चित स्थान पर आमने-सामने बैठ गए। मध्य में 20 फुट की दूरी रखी गई जहाँ पर पत्थर की सुंदर टुकडि़यों पर देवताओं की मूर्तियाँ रखी थी तथा शर्त रखी गई कि पत्थर की एक शिला (सुंदर चकोर टुकड़ी) पर चारों वेद रखे जाएंगे तथा अन्य शिलाओं पर चाँदी, सोने तथा पत्थर के सालिग्राम (विष्णु तथा लक्ष्मी व गणेश आदि देवताओं की मूर्तियाँ) रखी जाएंगी। जिनकी सत्य भक्ति होगी, उनकी ओर शिला ही चलकर जाएगी।
◆ ऐसा ही किया गया। जब पत्थर की शिला पर देवताओं की मूर्ति रखी और पंडितजन वेद वाणी पढ़ने लगे। उसी समय कुत्ता आया और उन पत्थर के देवताओं के मुख में टाँग उठाकर मूतकर भाग गया। धो-मांजकर साफ करके फिर सजाए। फिर कुत्ता आया, मूत की धार मारकर दौड़ गया। परमेश्वर कबीर जी तथा संत रविदास जी बहुत हँसे। ऐसा तीन बार किया। फिर विशेष सुरक्षा में मूर्ति रखकर पहले पंडितों ने अपनी भक्ति प्रारम्भ की।
हवन किए, वेदों के मंत्रों का उच्चारण किया, परंतु जिस चौकी (सुसज्जित पत्थर की शिला जिस पर देव मूर्तियाँ रखी थी) टस से मस नहीं हुई। राजा सिकंदर ने कहा कि हे कबीर जी! आप अपनी भक्ति-शक्ति से इन देवताओं को अपनी ओर बुलाओ। कबीर जी ने कहा
कि राजन! जब उच्च जाति के स्वच्छ वस्त्रा धारण किए हुए स्नान किए हुए पंडितों से देवता अपनी ओर नहीं बुलाए गए तो मुझ शुद्र के पास इनके देवता कैसे आएँगे? सिकंदर लोधी
बादशाह ने कहा कि हे कबीर जी! आपकी सच्ची भक्ति है। आप इन देवताओं को बुलाओ।
कबीर जी ने सत्यनाम का श्वांस से जाप किया तथा रविदास के साथ अपनी महिमा के शब्द गाने लगे। उसी समय पत्थर की शिला तथा उन पर रखे पत्थर, पीतल के देवता अपने
आप सरक कर (धीरे-धीरे चलकर) सब कबीर जी की गोद में बैठ गए। यह देखकर पंडित जी उन अठारह बोध वाली पुस्तकों (चारों वेद, पुरण, छः शास्त्र, उपनिषद आदि कुल अठारह बोध यानि ज्ञान की पुस्तकें मानी गई हैं, को) वहीं पटककर चले पड़े क्योंकि उनको कुत्ते के मूत की बूँदें (छींटें) लग गई थी।
◆ सब उपस्थित नकली विद्वान विचार करने लगे कि कबीर जुलाहे यानि शुद्र जाति वाले के पास भक्ति कैसे गई? परंतु वे अभिमानी-बेईमान अज्ञानी पंडित तथा काजी-मुल्ला व अन्य संत फिर भी परमात्मा के चरणों में नहीं गिरे।
क्रमशः_________________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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भारत ने टॉस जीतकर गेंदबाजी की, दूसरे मैच में हार्दिक ने किए ये 2 बड़े बदलाव...
भारत ने टॉस जीतकर गेंदबाजी की, दूसरे मैच में हार्दिक ने किए ये 2 बड़े बदलाव…
भारतीय टीम फिलहाल पुणे में श्रीलंका के खिलाफ दूसरा टी20 मैच खेल रही है। तीन मैचों की इस सीरीज का पहला मैच भारत ने जीत लिया। भारतीय टीम इस सीरीज में पहले ही हावी हो चुकी है। हार्दिक पांड्या की कप्तानी में भारतीय टीम दूसरे मैच में भी मजबूत प्लेइंग इलेवन के साथ मैदान पर उतरी है। हार्दिक एक बार फिर कड़े फैसले लेते नजर आए हैं। दूसरे मैच की बात करें तो भारतीय कप्तान हार्दिक पांड्या ने टॉस जीतकर पहले…
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sentient machines Ai horror story , देर रात तक ऑफिस वर्क और सुबह लेट उठना राजवीर की लाइफ का हिस्सा बन चुका था , जब तक दो चार क्लाइंट के फोन नहीं आ जाते हैं तब तक किसी की क्या मजाल की राजवीर को बिस्तर से टस से मस कर ले , खैर अपनी इन्ही सब हरकतों की वजह से बॉस से लटेड़े जाना राजवीर की फितरत बन गया था , घडी में पौने ११ बज चुके थे , मगर आज राजवीर बिस्तर छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं था , बॉक्सर के अंदर कोहराम मचा रखा था मगर मस्तिष्क पर नींद इतनी हावी थी की बिस्तर गीला हो जाए तो हो जाए मगर वाश रूम तक न जाना पड़े , फोन साइलेंट मोड में था मगर वाइब्रेट मोड़ में घिर्र घिर्र किये जा रहा था , बहुत ज़्यादा इर्रिटेट होने के बाद राजवीर फोन उठाता है ट्रू कॉलर
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erupse · 10 months
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केपी ओली कप : बागमतीको विजयी सुरुवात
बागमती प्रदेशले पोखरामा सञ्चालित केपी ओली कप टी–२० क्रिकेट प्रतियोगिताका विजयी सुरुवात गरेको छ । पोखरा रङ्गशालामा बिहीबार भएको उद्घाटन खेलमा बागमतीले मदन भण्डारी स्पोर्ट्स एकेडेमी ‘रातो’ टिमलाई १०९ रनले हरायो । टस हारेर पहिले ब्याटिङको निम्तो पाएको बागमतीले निर्धारित २० ओभरमा सात विकेटको क्षतिमा १८४ रन बनाएको थियो । बागमतीका लागि रित गौतमले सर्वाधिक ७४ रन बनाउनुभयो । बलिङमा मदन भण्डारीका बिप्रसन…
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samaya-samachar · 5 months
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हङकङविरुद्ध नेपालले टस जितेर पहिला ब्याटिंग गर्दै
काठमाडौँ । एसीसी प्रिमियर कप अन्तर्गत तेस्रो स्थानको खेलमा आज नेपाल र हङकङ खेल्दै छन् । यस खेलमा नेपालले टस जितेको छ । नेपालका कप्तान रोहित पौडेलले टस जितेर पहिला ब्याटिङ रोजेका छन् । योसँगै हङकङले पहिला बलिङ गर्ने भएको छ ।    आजको खेलमा नेपालले टिममा कुनै परिवर्तन गरेको छैन । नेपालको प्लेइङ ११-  रोहित पौडेल (कप्तान), कुशल भुर्तेल, आसिफ शेख, कुशल मल्ल, गुलशन झा, सन्दीप जोरा, दीपेन्द्र सिंह ऐरी,…
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ratosuryan · 1 year
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बहराइन विरुद्ध दिपेशले लिए पहिलो विकेट
काठमाडौं, २८ असोज । मलेसियामा जारी एसीसी यू–१९ प्रिमियर कप क्रिकेटमा नेपालले आज बहराइनसँग खेलिरहेको छ । बहराइनविरुद्ध नेपालले पहिलो विकेट लिएको छ । जारी खेलको  ओभरमा दिपेश कँडेलले विकेट लिए । उनले ऋषभ रमेशलाई आउट गरे । १४ बलको सामना गरेका उनले ६ रनमात्रै जोडे समूह ए मा रहेका  नेपाल र बहराइनको खेल मलेसियाको बायुमास ओभलमा जारी छ । बहराइनले टस जितेर नेपालविरुद्ध पहिले ब्याटिङ गरिरहेको छ । जारी खेलमा…
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nepsebajarofficial · 11 months
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टस जितेर फिल्डिङ गर्दै नेपाल , मौसमले डेब्यू गर्ने।
त्रिकोणात्मक श्रृखला अन्तरगत नेपाल र यूएईबीच अहिले केहीबेरमा टि-२० क्रिकेट खेल सुरु हुँदैछ । मुलपानी क्रिकेट मैदानमा नेपालले टस जितेर फिल्डिङ रोजेको छ । आज नेपालीका श्याम (मौसम) ढकालले डेब्यू गर्ने भएका छन् । सन्दीप लामिछानेले प्रतियोगिताबाट नाम फिर्ता लिएपछि उनले अवसर पाएका हुन् ।
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022 शंकर जी का धनुष
किसी विद्यालय में शिक्षा विभाग के एक अधिकारी का आना हुआ। विद्यालय में घूमते घूमते वे एक कक्षा में चले गए।उन्होंने विद्यार्थियों से बातचीत करने का विचार किया और उनसे एक प्रश्न पूछा- बच्चों! मुझे यह बताओ कि शंकर जी का धनुष किसने तोड़ा?पूरी कक्षा को जैसे साँप सूंघ गया। सब के चेहरे की हवाइयाँ उड़ गईं। और सभी जड़वत् रह गए, कोई भी अपनी जगह से टस से मस नहीं हुआ।उन महोदय ने एक बच्चे को उत्तर देने का…
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pradeepdasblog · 1 year
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( #MuktiBodh_Part62 के आगे पढिए.....)
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#MuktiBodh_Part63
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर (116-117)
हिरण्यकशिपु ने श्री ब्रह्मा जी की भक्ति करके वरदान प्राप्त कर रखा था कि मैं सुबह मरूँ ना शाम मरूँ, दिन में मरूँ न रात्रि में मरूँ, बारह महीने में से किसी में ना मरूँ, न अस्त्र-शस्त्र से मरूँ, पृथ्वी पर मरूँ ना आकाश में मरूँ। न पशु से मरूँ, ना पक्षी, ना कीट से मरूँ, न मानव से मरूँ। न घर में मरूँ, न बाहर मरूँ। हिरण्यकशिपु ने प्रहलाद को मारने के लिए एक लोहे का खम्बा अग्नि से गर्म करके तथा तपाकर लाल कर दिया। प्रहलाद जी को उस खम्बे (Pillar) के पास खड़ा करके हिरण्यकशिपु ने कहा कि क्या तेरा प्रभु इस तपते खम्बे से भी इससे तेरी जलने से रक्षा कर देगा? हजारों दर्शक यह अत्याचार देख रहे थे। प्रहलाद भक्त भयभीत हो गए कि परमात्मा इस जलते खम्बे में कैसे आएगा? उसी समय प्रहलाद ने देखा कि उस खम्बे पर बालु कीड़ी (भूरे रंग की छोटी-छोटी चींटियाँ) पंक्ति बनाकर चल रही थी। ऊपर-नीचे आ-जा रही थी। प्रहलाद ने विचार किया कि जब चीटियाँ नहीं जल रही तो मैं भी नहीं जलूँगा। हिरण्यकशिपु ने कहा, प्रहलाद! इस खम्बे को दोनों हाथों से पकड़कर लिपट, देखूँ तेरा भगवान तेरी कैसे रक्षा करता है? यदि खम्बा नहीं पकड़ा तो देख यह तलवार, इससे तेरी गर्दन काट दूँगा। डर के कारण प्रहलाद जी ने परमात्मा का नाम स्मरण करके खम्बे को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाए।
उसी के अंदर से नरसिंह रूप धारण करके प्रभु प्रकट हुए। हिरण्यकशिपु भयभीत होकर भागने लगा। नरसिंह प्रभु ने उसे पकड़कर अपने गोडों (घुटनों) के पास हवा में लटका दिया। हिरण्यकशिप चीखने लगा कि मुझे क्षमा कर दो, मैं कभी किसी को नहीं सताऊँगा।
तब प्रभु ने कहा, क्या मेरे भक्त ने तेरे से क्षमा याचना नहीं की थी? तूने एक नहीं सुनी। अब तेरी जान पर पड़ी तो डर लग रहा है। हे अपराधी! देख न मैं मानव हूँ, न पशु, न आकाश है, न पृथ्वी पर, न सुबह है न शाम है। न बारह महीने, यह तेरहवां महीना है,
(हरियाणा की भाषा में लौंद का महीना कहते हैं) न अस्त्र ले रखा है, न शस्त्र मेरे पास है।
घर के दरवाजे (Gate) के मध्यम में खड़े थे। न घर में, न बाहर हूँ। अब तेरा अंत है। यह कहकर नरसिंह भगवान ने उस राक्षस का पेट फाड़कर आँतें निकाल दी और जमीन पर उस राक्षस को फैंक दिया। प्रहलाद को गोदी में उठाया और जीभ से चाटा(प्यार किया)।
उस नगरी का राजा प्रहलाद बना। विवाह हुआ। एक पुत्र हुआ जिसका नाम बैलोचन रखा। उस बैलोचन का पुत्र राजा बली हुआ जिसने अश्वमेघ यज्ञ की थी जिसमें परमात्मा बावन
(बौना) रूप बनाकर एक ब्राह्मण के रूप में आए और तीन पैड़ (कदम) जमीन दान में माँगी थी। भगवान ने एक कदम (डंग) में पूरी पृथ्वी नापी तथा दूसरे पग में स्वर्ग, तीसरे के लिए स्थान माँगा तो बली ने कहा कि यह मेरी पीठ पर रखो, यह कहकर पृथ्वी पर मुख के बल लेट गया। तब प्रभु ने खुश होकर कहा कि माँग! क्या माँगता है? बली ने कहा कि मैंने इन्द्र के राज्य के लिए सौवीं (100वीं) यज्ञ की है। भगवान बोले, इस इन्द्र को अपना शासनकाल पूरा करने दो, फिर आपको इन्द्रासन देंगे। आप मेरी शर्त पूरी नहीं कर पाए। इसलिए अभी इन्द्र को पद से नहीं हटा सकते। फिर भी आपने मेरे को सर्वस्व दे दिया। इसलिए इसके पश्चात् तेरे को इन्द्रासन दिया जाएगा। तब तक तेरे को पाताल लोक का राजा बनाता हूँ। वहाँ राज्य करो। मैंने इन्द्र से उसका राज्य बनाए रखने का वचन दिया है। बली ने कहा कि एक मेरी शर्त है, उसके लिए वचन दें। भगवान ने कहा कि बोलो। बली ने कहा कि जब तक मैं पाताल में रहूँ तो आप इसी बावन (बौना-ठिगना) रूप में मेरे द्वार के आगे खड़े रहोगे। भगवान विष्णु ने कहा तथास्तु (ऐसा ही होगा)। भक्त प्रहलाद के पोते राजा बली को पाताल का राज्य प्रदान किया। भक्त प्रहलाद जी अपने धर्म-कर्म पर डटे रहे यानि पतिव्रता धर्म का पालन करके अटल रहे तो परमात्मा ने सहायता
की। जब तक सूरज चाँद रहेगा, महापुरूषों का नाम रोशन रहेगा।(29-30)
◆ वाणी नं. 31 :-
गरीब, पतिब्रता ध्रुव जानिये, और पतिब्रता कौन।
उत्तानपाद का राज सब, छाड्या सकल अलौन।।31।।
◆ सरलार्थ :- भक्त ध्रुव जी ने पतिव्रता धर्म का पालन किया। अपने पिता के राज्य को त्यागकर ठान ली कि परमात्मा देगा, तब ही राज्य लूँगा। जिस कारण से परमात्मा की भक्ति की। टस से मस नहीं हुआ। बाद में उतानपात जी ने धु्रव जी को कह दिया था कि बेटा! मैं सर्व राज्य तुझे दे दूँगा, आप घर त्यागकर मत जाओ, परंतु धु्रव जी ने परमात्मा को महत्व दिया।(31)
कथा सुमरण के अंग में लिखी है।
◆ वाणी नं. 32- 33 :-
गरीब, सोला सहंस सुहेलियां, छाडे़ मीर दिवान।
बलख बुखारा तजि गये, देख अधम सुलतान।।32।।
गरीब, सुलतानी पतिब्रत है, छाड्या बलख बुखार।
मन मंजन अबिगत रते, सांई का दीदार।।33।।
◆ सरलार्थ :- अब्राहिम सुल्तान अधम को जब परमेश्वर का ज्ञान हुआ तो परमात्मा पति के लिए समृद्ध राज्य त्याग दिया। सोलह हजार स्त्रियाँ, अठारह लाख घोड़े-घोड़ी, अन्य धन
को त्यागकर परमात्मा के लिए बेघर हो गए। फिर कभी राज्य की इच्छा मन में नहीं आई। भूख-प्यास, गर्मी-सर्दी को सहन किया, परंतु परमात्मा पति के मार्ग पर डटे रहे। पतिव्रता धर्म का पालन किया, मोक्ष पाया।
वाणी नं. 36-37-38 :-
गरीब, गोपीचंद अरु भरथरी, पतिब्रता हैं दोइ।
गोरख से सतगुरु मिलें, पत्थर पाहन ढोइ।।36।।
गरीब, बारह बरस बिसंभरी, अलवर किला चिनाई।
सतगुरु शब्दों बांधिया, अमर भये हैं ताहिं।।37।।
गरीब, सतगुरु शब्द न उलंघिया, जो धारी सो धार।
कंचन के मटके भयै, निसतरि गया कुम्हार।।38।।
◆ सरलार्थ :- गोपीचंद तथा भरथरी दोनों राजा थे। मामा-भानजा थे। भरथरी जी गोपीचंद के मामा जी थे।
क्रमशः________________
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