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#दूसरा दौर
trendingwatch · 2 years
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डीयू यूजी एडमिशन 2022: स्पॉट एडमिशन का दूसरा दौर आज से शुरू हो रहा है
डीयू यूजी एडमिशन 2022: स्पॉट एडमिशन का दूसरा दौर आज से शुरू हो रहा है
आखरी अपडेट: 28 नवंबर, 2022, 18:11 IST दिल्ली विश्वविद्यालय ने आज, 28 नवंबर से अंडरग्रेजुएट स्पॉट एडमिशन का दूसरा राउंड शुरू कर दिया है। (प्रतिनिधि छवि) स्पॉट राउंड II प्रवेश का विकल्प चुनने वाले उम्मीदवार मंगलवार सुबह 10 बजे से बुधवार शाम 4:59 बजे तक आवेदन कर सकेंगे। दिल्ली यूनिवर्सिटी ने आज, 28 नवंबर से अंडरग्रेजुएट स्पॉट एडमिशन का राउंड 2 शुरू कर दिया है। शेड्यूल के मुताबिक। कुछ सीटें खाली…
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mwsnewshindi · 2 years
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डीयू यूजी एडमिशन 2022: स्पॉट एडमिशन का दूसरा दौर आज से शुरू हो रहा है
डीयू यूजी एडमिशन 2022: स्पॉट एडमिशन का दूसरा दौर आज से शुरू हो रहा है
आखरी अपडेट: 28 नवंबर, 2022, 18:11 IST दिल्ली विश्वविद्यालय ने आज, 28 नवंबर से अंडरग्रेजुएट स्पॉट एडमिशन का दूसरा राउंड शुरू कर दिया है। (प्रतिनिधि छवि) स्पॉट राउंड II प्रवेश का विकल्प चुनने वाले उम्मीदवार मंगलवार सुबह 10 बजे से बुधवार शाम 4:59 बजे तक आवेदन कर सकेंगे। दिल्ली यूनिवर्सिटी ने आज, 28 नवंबर से अंडरग्रेजुएट स्पॉट एडमिशन का राउंड 2 शुरू कर दिया है। शेड्यूल के मुताबिक। कुछ सीटें खाली…
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iammanhar · 18 days
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Day☛1319✍️+91/CG10☛In Home☛06/06/24 (Thu) ☛ 22:00
एक कहावत है कि "जब किस्मत को गंदा तो क्या पंडा"........ यह कहावत कहां तक सार्थक है मुझे नही मालूम, मगर अपने आस पास में हुए घटना से इस कहावत पर विश्वास करना पड़ता हैं। क्या सच में किस्मत नाम की कोई चीज होती है? शायद हां या ना..... एक बात जानता हूं कि समय का सहयोग रहने पर आप हम सफल होते हैं, दुनिया में अनेकों आदमी है, अपने सामर्थ्य अनुसार सब मेहनत करते हैं किंतु सफल यदा कदा लोग ही होते हैं, लोग प्रयास करके भी उसी टूटी फूटी जीवन जीते हैं ऐसा किस लिए यह होता है, यही प्रश्न चिन्ह है।
पापा जी कोई नशा नहीं करता था, इसके बावजूद उसे किडनी का बीमारी हुआ, वे अल्पायु में स्वर्ग लोक सिधार गए जबकि उसके उम्र के आदमी आज दौड़ रहा है, कड़ी मेहनत कर रहा है और अभी भी हिष्ट पुष्ट है, वही लोग नाना प्रकार के नशा में संलिप्त है, रोज मदिरा का सेवन कर रहे हैं, अब ऐसी जिन्दगी और ऐसी भाग्यशाली इंसान को क्या कहेंगे? जीवन की अनेक उदाहरण हैं जो अभी तक पहेली सा है, जिनका जवाब पाना अभी बाकि है।
सामान बेचो या सेवा प्रदान करो, दोनो ही स्तिथि में आपको मार्केटिंग करना ही पड़ेगा, आप मार्केटिंग से भाग नही सकते, वैसे भी आज दौर सेवा का है, service base business करने का युग है, ऑनलाइन के जमाने में सर्विस देने वाली व्यापार खूब फल फूल रहा है । मेरे पास consultant and services का best idea है, जिसे इस साल के अंत तक launch कर ही दूंगा, समय अब कुछ ही साल का बचा है।
आज शाम को सो मेहमान आए थे, पहला राम विलास अपने बेटी आकांक्षा के साथ आया था, जो कुछ समय रुकने के बाद वापस लौट गया, दूसरा पिंकी आई थी, वो भी डिनर के बाद लौट गया।
शेयर बाजार आज थोड़ा ठीक है, चुनावी नतीजे के साथ share market में तेजी से गिरावट आई थी, एक दिन में 20 लाख करोड़ का भारी नुकसान हुआ है,lock down में 13% गिरावट आई थी, मेरा holding एक दो दिन में अपने पुरानी पोजीशन पर आ जाएगा।
ओके good night 🌉🌃
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chunavicharcha · 18 days
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Analysis on the Lok Sabha Election: यह जनादेश किसकी जीत किसकी हार? 10 साल बाद लौट रहा गठबंधन सरकार का दौर
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Analysis of the Lok Sabha Elections: #1 इस जनादेश के क्या मायने हैं?
एनडीए को 400 पार और पार्टी को 370 पार ले जाने की भाजपा की रणनीति कामयाब नहीं हो पाई।.
जनादेश बताता है कि गठबंधन की अहमियत का दौर 10 साल बाद फिर लौट आया है। भाजपा के पास अकेले के बूते अब वह आंकड़ा नहीं है, जिसके सहारे वह अपना एजेंडा आगे बढ़ा सके।
जनादेश ने साफ कर दिया कि सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे के भरोसे रहने से भाजपा का काम नहीं चलेगा। उसके निर्वाचित सांसदों और राज्य के नेतृत्व को भी अच्छा प्रदर्शन करना होगा।
एग्जिट पोल्स की भी हवा निकल गई। 11 एग्जिट पोल्स में एनडीए को 340 से ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान लगाया था। तीन सर्वेक्षणों में तो एनडीए को 400 लोकसभा सीटें मिलने का अनुमान था। रुझानों/नतीजों में एनडीए उससे तकरीबन 100 सीट पीछे है।
2# क्या इसे सत्ता विरोधी लहर कहेंगे?
1999 में 182 सीटें जीतने वाली भाजपा जब 2004 में 138 सीटों पर आ गई तो उसने सत्ता गंवा दी। उसके पास स्पष्ट बहुमत 1999 में भी नहीं था और उससे पहले भी नहीं था। 2009 में कांग्रेस इससे बढ़कर 206 सीटों पर पहुंच गई, लेकिन 2014 में 44 पर सिमट गई। इसे स्पष्ट तौर पर यूपीए के लिए सत्ता विरोधी लहर माना गया। फिर भी यह माना गया कि जनादेश भाजपा के 'फील गुड फैक्टर' के विरोध में था।वहीं, 2004 में भाजपा से महज सात सीटें ज्यादा यानी 145 सीटें जीतकर कांग्रेस ने यूपीए की सरकार बना ली। 
हालांकि,यहां भाजपा 34-35 सीटों पर सिमटती दिख रही है, जबकि 2014 में यहां भाजपा ने 71 और 2019 में 62 सीटें जीती थीं। जब उत्तर प्रदेश जैसे सबसे अहम राज्य के नतीजे देखते हैं तो तस्वीर इस बार अलग नजर आती है।   सबसे बड़ा नुकसान भाजपा को इसी राज्य से हुआ है।
3# क्या कम मतदान ने भाजपा की सीटें घटा दीं और कांग्रेस-सपा की बढ़ा दीं?
वैसे तो इस बार लोकसभा चुनाव के शुरुआती छह चरण में ही पिछली बार के मुकाबले ढाई करोड़ से ज्यादा वोटरों ने मतदान किया था।क्योंकि भाजपा को पसंद करने वाले वोटरों ने तेज गर्मी के बीच संभवत: खुद ही यह मान लिया कि इस बार भाजपा की जीत आसान रहने वाली है।  फिर भी मतदान का प्रतिशत कम रहा। इसके ये मायने निकाले जा रहे हैं|इसलिए वोटरों का एक बड़ा तबका वोट देने के लिए निकला ही नहीं। कि भाजपा अब की पार 400 पार के नारे में खुद ही उलझ गई। उसके वोट इसलिए नहीं बढ़े |
4# तो यह किसकी जीत, किसकी हार? यह BJP की स्पष्ट जीत नहीं है। यह NDA की जीत ज्यादा है। आंकड़ों की दोपहर तक की स्थिति को देखें तो यह माना जा सकता है|  नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू, दोनों ही अतीत में एनडीए से अलग हो चुके हैं।इंडी गठबंधन की बात करें तो यह उसकी स्पष्ट जीत कम और बड़ी कामयाबी ज्यादा है। इन दोनों दलों के बारे में यह कहना मुश्किल है कि ये भाजपा के साथ पूरे पांच साल बने रहेंगे या नहीं। कि पूरे पांच साल भाजपा गठबंधन के सहयोगियों खासकर जदयू और तेदेपा के भरोसे रहेगी।  राज्य के लिए विशेष पैकेज और केंद्र और प्रदेश की सत्ता में भागीदारी के मुद्दे पर इनके भाजपा से मतभेद के आसार ज्यादा रहेंगे।  यह गठबंधन 200 का आंकड़ा आसानी से पार कर रहा है। इसके ये सीधे तौर पर मायने हैं कि अगले पांच साल विपक्ष केंद्र की राजनीति में मजबूती से बना रहेगा। क्षेत्रीय दल देश की राजनीति में अपरिहार्य बने रहेंगे।
5# मुकाबला भाजपा बनाम विपक्ष था या मोदी बनाम मोदी?
आंकड़ों की मानें तो इसका जवाब है हां, लेकिन इसका दूसरा जवाब यह भी है  पहली बार में ही वह अकेले के बूते 282 सीटों पर पहुंी। In 2019, 303 सीटें जीतीं। कि यह मुकाबला 2014 और 2019 में मोदी की लोकप्रियता बनाम 2024 में मोदी की लोकप्रियता का रहा। भाजपा ने नरेंद्र मोदी के चेहरे पर पहली बार 2014 का लोकसाा चुनाव लड़ा था। भाजपा ने इस बार भाजपा की अपनी सीटें 240 के आसपास हैं। यानी वह 2014 से 40 सीटें और 2019 से 60 सीटें पीछे है।
6# तो क्या गठबंधन की राजनीति लौट रही है?
बिल्कुल, भाजपा ने 10 साल स्पष्ट बहुमत से सरकार चलाई, लेकिन अब गठबंधन सरकार का दौर लौटेगा। भाजपा को भले ही पांच साल तक आसानी से सरकार चला लेने का भरोसा हो, लेकिन उसकी निर्भरता जदयू और तेदेपा जैसे दलों पर रहेगी।
7# पिछली गठबंधन सरकारों के मुकाबले भाजपा किस स्थिति में रहेगी?
डॉ. मनमोहन सिंह के समय कांग्रेस ने इससे भी कम सीटें लाकर गठबंधन की सरकार चलाई। अटल-आडवाणी भी भाजपा को अधिकतम 182 सीटों पर पहुंचा सके थे, लेकिन सरकार चला पाए। भाजपा की 2024 की स्थिति इससे बेहतर है।
8# यह जनादेश कबकी याद दिलाता है?
1991 नतीजे के लोकसभा चुनाव जैसे हैं। 232 सीटें जीतीं और पीवी नरसिंहा राव प्रधानमंत्री बने। उन्होंने पूरे पांच साल अन्य दलों के समर्थन से सरकार चलाई। इस बार भाजपा भी 240 के आसपास है। गठबंधन अब उसकी मजबूरी है।
9# यह चुनाव किसके लिए उत्साहजनक हैं?
इसके पीछे कई चेहरे हैं। जैसे राहुल गांधी। कांग्रेस 2014 में 44 और 2019 में 52 सीटों पर थी तो उन्हें जिम्मेदार माना गया। इस बार वह 100 सीटों के करीब है। देशभर में भाजपा को सबसे बड़ा झटका सपा ने ही दिया है। सपा ने पिछली बार बसपा के साथ गठबंधन किया। यानी पिछली बार के मुकाबले लगभग दोगुनी सीटों पर वह जीत रही है।दूसरा बड़ा नाम है अखिलेश यादव।बसपा को 10 सीटें मिली थीं, लेकिन सपा पांच ही सीटें जीत पाई थी। इस बार सपा ने कांग्रेस से हाथ मिलाया। । 2004 के लोकसभा चुनाव में उसे 35 सीटें मिली थीं। वह 34 से ज्यादा सीटों पर जीत रही है। यह लोकसभा चुनावों में वोट शेयर के लिहाज से सपा का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन हो सकता है वहीं, वोट शेयर के लिहाज  पार्टी का सबसे बेहतर प्रदर्शन 1998 में था जब उसे करीब 29 फीसदी वोट मिले थे। इस बार यह आंकड़ा 33 फीसदी से ज्यादा हो सकता है।
तीसरा बड़ा नाम हैं चंद्रबाबू नायडू। उनकी तेदेपा आंध्र प्रदेश में सरकार बनने के करीब है और एनडीए के सबसे अहम घटक दलों में से एक रहेगी।
ऐसा ही एक नाम उद्धव ठाकरे का है। यह उनके लिए अस्तित्व की लड़ाई थी। शिंदे गुट से ज्यादा सीटें जीतकर उद्धव ठाकरे यह कहने की स्थिति में होंगे कि उनकी शिवसेना ही असली शिवसेना है।
10# इस बार क्या रिकॉर्ड बन सकते हैं?
इस बार का लोकसभा चुनाव भले ही सुस्त नजर आया, लेकिन जनादेश ऐतिहासिक हो सकता है। अगर भाजपा ही सरकार बनाती है तो यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हैट्रिक होगी। पीएम मोदी पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद वे ऐसे दूसरे नेता होंगे, जो लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे। 1947 में पंडित नेहरू पहली बार प्रधानमंत्री जरूर बने, लेकिन चुनावी राजनीति शुरू होने के बाद उन्होंने 1951-52, 1957, 1962 का चुनाव जीता और लगातार प्रधानमंत्री रहे। वहीं, शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री मोदी अटलजी की भी बराबरी कर लेंगे। अटलजी का कार्यकाल कम रहा, लेकिन उन्होंने तीन बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। more.
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jyotishwithakshayg · 1 month
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Aaj Ka Rashifal 16 May 2024: आज मिलने वाला है इन राशि के लोगों को शुभ समाचार
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Aaj Ka Rashifal 16 May 2024: गुरुवार के दिन विष्णु जी की आराधना करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विष्णु जी के पूजन से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और पैसों से जुड़ी प्रॉब्लम भी दूर होती हैं। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, 16 मई का दिन कुछ राशि वालों के लिए बेहद शुभ रहना वाला है, तो कुछ राशि वालों को जीवन में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। जानें कैसा रहेगा आपका दिन |
मेष राशि- दुःख की लहरें आती हैं और चली जाती हैं। मेष राशि, कभी-कभी असंतोष महसूस करना नॉर्मल है। यह आपको समझने में मदद करेगा कि आप किन टॉक्सिक चीजों से बाहर निकल चुके हैं और अब आपको इनकी कोई आवश्यकता या इच्छा नहीं है। यह कुछ नया करने का समय है। एक नई यात्रा आपका इंतजार कर रही है और यह मुश्किल दौर आपको उसकी ओर ले जाएगा। ज्यादा टेंशन न लें और जीवन को अपनी दिशा में चलने दें। अपने ऊपर ज्यादा दबाव न डालें। भरोसा रखें कि सब कुछ समय के हिसाब से काम करेगा। गुड न्यूज भी मिल सकती है
वृषभ राशि- कुछ लोगों को कमाई बढ़ाने के नए रास्ते मिलेंगे। कार्यस्थल पर आपने जो सोच रखा है उसे हासिल करने से आपको कोई नहीं रोक सकता। किसी मेहमान के घर में आने से काफी उत्साह भरने की संभावना है। सुस्ती के कारण आपकी फिटनेस दिनचर्या प्रभावित हो सकती है। कुछ लोगों के लिए शहर से बाहर की यात्रा का आनंद लेना संभव है। प्रेम जीवन में दिन रोमांटिक साबित हो सकता है। सेहत को लेकर बेवजह चिंता करने की सलाह नहीं दी जाती है।
मिथुन राशि- यह आपके जीवन में खुशी का समय है। यह जश्न मनाने और भविष्य के बारे में अच्छा महसूस करने का क्षण है। आपके पास कई बेहतरीन अवसर आने वाले हैं। आपके पास क्या था या क्या खो गया, इस पर विचार करने के बजाय, आपने जो कुछ हासिल किया है उस पर विचार करें। सकारात्मक बदलावों और आगे की उज्ज्वल संभावनाओं पर ध्यान केंद्रित करें। आखिरकार आप पेशेवर मोर्चे पर महारत हासिल करने में सक्षम होंगे।
कर्क राशि- आप दुनिया को दूसरों से अलग रूप में देखते हैं। आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब आप कोई दरवाजा खुलता हुआ देखें तो मौके को हाथ से न जाने दें। आप दूसरों को अपनी खुशी में इनवॉल्व करना चाहेंगे, लेकिन हो सकता है कि वे तैयार न हों। अपना समय लें लेकिन यह ध्यान रखें कि आपको अपनी यात्रा अकेले ही पूरी करनी होगी। किसी मुद्दे पर चिंता आपको परेशान कर सकती है, लेकिन लंबे समय तक नहीं। वित्तीय मोर्चे पर स्थिरता कुछ लोगों के लिए राहत बनकर आएगी।
सिंह राशि- आपको सारी जिम्मेदारियां अकेले लेने की जरूरत नहीं है। यह मानना ​​कि आपके पास दूसरा कोई ऑप्शन नहीं है, यह आपके लिए सही नहीं है। आपको अनुभव और उन सभी चीजों का आनंद लेने की सलाह दी जाती है, जो जीवन आपको दे सकता है, जिसमें दोस्ती, मौज-मस्ती और परिवार के साथ अच्छा समय शामिल है। जब आप ज्यादा प्रेशर महसूस करें तो मदद मांगने में संकोच न करें। आप पाएंगे कि काम का बोझ शेयर करने से अनुभव मधुर हो सकता है।
कन्या राशि- आज अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। अपनी क्षमता के अनुसार काम करने से इनाम मिलता है, जो आपको प्रमोशन और तारीफ के रूप में मिल सकता है। आपने जो कमाया है उसका पूरा लाभ उठाएं। यह तो बस आपकी यात्रा की शुरुआत है। संपत्ति का कोई मसला सही ढंग से सुलझने की संभावना है। स्टूडेंट्स के लिए शिक्षा के मामलें में अतिरिक्त प्रयास करने का समय है। दोस्तों के साथ बाहर जाने से आपका ध्यान कुछ जरूरी मामलों से हट जाएगा।
तुला राशि- रिश्ते कभी-कभी कष्टदायक हो सकते हैं। खुद को यह सोचकर मूर्ख मत बनाइए कि रिलेशन से सिर्फ खुशियां ही मिलेंगी। सुख-दुख जीवन का हिस्सा है। आपको आनंद और मुश्किलों को अकसेप्ट करना चाहिए। आनंद में जश्न मनाएं और मुश्किलों का सोल्यूशन निकालने पर फोकस करें। सपनों को साकार करने में पैसा कोई दिक्कत नहीं लाएगा। आज आपकी स्किल्स की जरूरत होगी और कार्यस्थल पर आपकी प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी। संपत्ति का कोई मामला आपके पक्ष में सुलझने की संभावना है।
वृश्चिक राशि- कार्यस्थल पर आपका सामना किसी ऐसे व्यक्ति से हो सकता है, जो थोड़ा दबंग है। आप उन्हें खुश करने की पूरी कोशिश कर सकते हैं, लेकिन अगर किसी ने तय कर लिया है कि वे संतुष्ट नहीं होंगे, तो आप उनका मन बदलने के लिए बहुत कुछ नहीं कर सकते। कभी-कभी आपको लोगों को उनकी इच्छाओं के अनुसार चलने देना चाहिए और उन्हें खुश करने की कोशिश में खुद पर तनाव नहीं डालना चाहिए। स्वास्थ्य को लेकर चिंता हो सकती है, लेकिन कोई गंभीर बात नहीं होगी।
धनु राशि- आज का धनु राशि वालों का दिन काफी दिलचस्प रहन��� वाला है। आपकी लॉटरी लग सकती है, या आपकी कोई डील प्रॉफिट दिला सकती है। मेंटल हेल्थ पर ध्यान दें। आपके द्वारा शुरू किया गया व्यवसाय एक ठोस शुरुआत हो सकता है, या आपको अपने जीवन में किसी से एक अच्छा सरप्राइज मिल सकता है। धन आपके पास कहीं से भी आ सकता है, लेकिन याद रखें कि पैसों को सही तरीके से मैनेज करना जरूरी है। आपको अपना बैंक बैलेंस बढ़ाने के नए तरीके मिलेंगे।
मकर राशि- अपने नियमित व्यायाम से ब्रेक लेने से आपको लाभ होगा। यदि आपने व्यवसाय में पैसा खो दिया है, तो आप इसे फिर से करने के लिए तैयार हैं। सफलतापूर्वक पूरा हुआ कोई प्रोजेक्ट आपको प्रतिष्ठा के पद पर पहुंचा देगा। हो सकता है किसी मुद्दे पर परिवार आपके साथ न हो। कुछ स्टूडेंट्स के लिए पढ़ाई के मामले में सुधार होने की संभावना है। जिसे आप प्यार करते हैं उसे प्रभावित करने के आपके प्रयास आपको रोमांटिक शाम बिताने का मौका दे सकते हैं।
कुंभ राशि- यह एक खूबसूरत दिन है। जीवन में चाहे कुछ भी हो, चीजें आपके लिए अनुकूल रहेंगी। आपके पास कोई अच्छी डील आने वाली है। जब आपके मन में कोई दुखद क्षण या विचार आए, तो भविष्य पर ध्यान केंद्रित करें। सकारात्मकता को अपनाएं और इसे किसी भी चुनौती से निपटने में आपका मार्गदर्शन करने दें। कुछ लोग आज काम के सिलसिले में यात्रा कर सकते हैं और उसका आनंद भी उठा सकते हैं। रोमांटिक रिश्ते के फलने-फूलने और आपको आनंद की स्थिति में रखने की संभावना है!
मीन राशि- आपको किसी भी काम का ज्यादा प्रेशर लेने की जरूरत नहीं है। आज आपको बीच का रास्ता अपनाने की सलह दी जाती है। संतुलन बनाना जरूरी है। जिस व्यक्ति से आप प्यार करते हैं उसे यह बताने के लिए बहुत साहस की आवश्यकता होती है कि आपके रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं। किसी को उधार दिया हुआ पैसा वापस मिलने की उम्मीद कर सकते हैं। व्यावसायिक संबंधों को मजबूत करने के लिए यह एक अच्छा दिन है। पारिवारिक विवाद को सुलझाने का आपका प्रयास सफल होने की संभावना है।
Akshay Jamdagni: Expert in Astrology, Vastu, Numerology, Horoscope Reading, Education, Business, Health, Festivals, and Puja, provide you with the best solutions and suggestions for your life’s betterment. 9837376839
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dainiksamachar · 2 months
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मां बीड़ी कारखाने में मजदूर, पापा थे कंडक्टर, बेटी का हौसला तो देखिए... क्रैक कर दिखाया UPSC
नई दिल्ली: एक बहुत पुरानी कहावत है, जहां चाह...वहां राह। मतलब, अगर आपने कुछ करने का ठान लिया, तो फिर मंजिल तक पहुंचने का रास्ता खुद-ब-खुद बन जाता है। और, तमिलनाडु के तेनकासी जिले की रहने वालीं एस इनबा ने इस कहावत को पूरी तरह से सही साबित कर दिखाया है। इनबा के पिता श्रीनिवासन राज्य परिवहन निगम में कंडक्टर के पद से रिटायर हैं। मां एस स्टेला बीड़ी बनाने के एक कारखाने में काम करती हैं। वक्त बचता है, तो कुछ और पैसे कमाने के लिए पास की दुकान पर फूल माला बनाने चली जाती हैं। इनबा ने जब यूपीएससी की तैयारी के लिए कोचिंग सेंटर जॉइन किया, तो कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन लग गया। ऐसी कई मुश्किलों के बावजूद इनबा ने यूपीएससी की परीक्षा क्रैक की है।इनबा को यूपीएससी में 851वीं रैंक मिली है। हालांकि, इस रैंक तक पहुंचने से पहले इनबा के सामने चुनौतियों का एक बड़ा पहाड़ खड़ा था। आर्थिक समस्याएं थी, लॉकडाउन था और ऐसी ही कई अन्य परेशानियां थीं। लेकिन, इन सबके ऊपर इनबा का हौसला भारी पड़ा। करीब ढाई साल तक उन्होंने अपने जिले की सरकारी लाइब्रेरी को ही अपना घर बना लिया। वो 12-12 घंटे तक मेहनत करती थीं। विपरीत हालातों पर जीत हासिल करने के जज्बे और उनकी लगन ने उन्हें आज पूरे देश के लिए एक मिसाल बना दिया है। वासुदेवनल्लूर के नादर कम्युनिटी हायर सेकेंडरी स्कूल से उन्होंने अंग्रेजी मीडियम में 10वीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद 12वीं के लिए उन्होंने तेनकासी जिले के ही एमकेवीके मैट्रिकुलेशन स्कूल में एडमिशन लिया। 2020 में इनबा ने कोयंबटूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल कर ली। अब वो वक्त आ चुका था, जब इनबा को अपने करियर का फैसला लेना था। उन्होंने तय किया कि वो यूपीएससी परीक्षा पास कर सिविल सर्विस में जाएंगी। इनबा ने सिविल सर्विस की कोचिंग के लिए चेन्नई में शंकर आईएएस अकादमी में एडमिशन ले लिया। लॉकडाउन की वजह से छोड़नी पड़ी कोचिंग परिवार की आर्थिक समस्याओं के बावजूद यहां तक पहुंची इनबा के सामने मुश्किलों का असली दौर अब शुरू हुआ। जैसे ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी के लिए कोचिंग सेंटर में एडमिशन लिया, देश में कोरोना वायरस की वजह से ल़ॉकडाउन लग गया। उन्हें कोचिंग सेंटर छोड़ना पड़ा। अब इनबा ऑनलाइन कोचिंग लेने के लिए मजबूर थी। समस्या ये थी कि उनके घर पर इंटरनेट की सुविधा नहीं थी। ऐसे में शेंगोट्टई इलाके की सरकारी लाइब्रेरी उनके काम आई। इनबा ने अगले ढाई साल तक इस लाइब्रेरी को ही अपना दूसरा घर बना लिया। वो सुबह 8 बजे ही लाइब्रेरी आ जातीं और रात को 8 बजे इसके बंद होने पर ही घर जातीं। दो बार प्री परीक्षा में हुईं फेल लाइब्रेरी में इनबा को अखबारों, किताबों के साथ-साथ फ्री वाईफाई की भी सुविधा मिली। अब उनके लिए ऑनलाइन कोचिंग हासिल करने में कोई मुश्किल नहीं थी। इसके बाद अब वो दिन आया जब इनबा यूपीएससी की परीक्षा में बैठी। हालांकि, उन्हें पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली। इसके बाद दिसंबर 2022 में एक प्रवेश परीक्षा पास करके उन्होंने चेन्नई के एक निःशुल्क सरकारी कोचिंग संस्थान 'अखिल भारतीय सिविल सेवा संस्थान' में एडमिशन ले लिया। इस बीच आया और दूसरी बार भी उन्हें असफलता हाथ लगी। और आखिरकार इनबा ने हासिल की कामयाबी दो-दो असफलताओं से जूझने के बावजूद इनबा ने हिम्मत नहीं हारी। वो फिर से यूपीएससी की परीक्षा में बैठीं और इस बार उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। इनबा ने पूरी रणनीति के साथ इंटरव्यू की तैयारी की और जब 16 अप्रैल 2024 को यूपीएससी का रिजल्ट घोषित हुआ तो इनबा का नाम मेरिट लिस्ट में था। उन्हें 851वीं रैंक मिलीं। इनबा बताती हैं कि उनकी प्रेरणा कोई और नहीं, बल्कि उनकी मां हैं, जिन्होंने हर मुश्किल के बावजूद इनबा की पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ने दिया। वहीं, इनबा की कामयाबी पर उनकी मां भी बेहद खुश हैं और हर किसी से अपनी बेटी के संघर्ष की कहानी बता रही हैं। http://dlvr.it/T6Hx5z
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stressmanagement01 · 2 months
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आयुर्वेद का पुनर्जागरण
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भारतीय परंपरागत चिकित्सा विज्ञान, आयुर्वेद, वर्तमान में एक महत्वपूर्ण और गरिमामय चरम स्थिति की ओर अग्रसर है। आज की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों में, आयुर्वेद का पुनर्जागरण एक विशेष महत्ता रखता है जो भारतीय समाज को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य में संतुलन प्रदान करने के लिए प्रेरित करता है।
प्राचीन आयुर्वेदिक शास्��्रों में बताया गया है कि व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए नियमित रूप से आहार, व्यायाम, ध्यान, और आचार-व्यवहार का महत्व है। आयुर्वेद न केवल रोगों का उपचार करता है, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। यह शास्त्र न केवल उपचार के लिए वनस्पतियों का उपयोग करता है, बल्कि व्यक्ति को अपनी संपूर्ण जीवनशैली के संरक्षण के लिए भी प्रेरित करता है।
आयुर्वेद का पुनर्जागरण न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी आयुर्वेदिक प्रणाली के लोकप्रिय होने का परिणाम है। भारतीय संस्कृति और विज्ञान के इस मेलजोल के कारण, आयुर्वेद विश्व स्तर पर स्वास्थ्य और वेलनेस के क्षेत्र में एक प्रमुख नाम बन गया है।
आयुर्वेद का पुनर्जागरण
आयुर्वेद के पुनर्जागरण के पीछे कई कारण हैं। पहला, आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के अंधविश्वासों और साइड इफेक्ट्स की वजह से, लोग अपने स्वास्थ्य की देखभाल के लिए प्राकृतिक उपचारों की ओर मुख मोड़ रहे हैं। दूसरा, आयुर्वेद की योग्यता और उसके व्यापक विवेचन के कारण, लोग इसे स्वीकार कर रहे हैं।
वैज्ञानिक मान्यता:
आयुर्वेद के पुनर्जागरण की वैज्ञानिक मान्यता उसकी प्राचीन साक्ष्य और वैज्ञानिक अनुसंधानों से प्राप्त हुई है।
वैज्ञानिक समुदाय ने आयुर्वेद के रोग प्रतिरोधक क्षमता, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और रोगों के निदान में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को समझा है।
आयुर्वेद के पुनर्जागरण के साथ, वैज्ञानिक समुदाय ने आधुनिक चिकित्सा की दिशा में एक अद्वितीय योगदान किया है, जिससे समाज को समृद्धि और स्वास्थ्य की दिशा में अधिक प्रामाणिक विकल्प मिले।
वैज्ञानिक अनुसंधानों ने आयुर्वेदिक उपचारों की कार्यक्षमता और सुरक्षा को स्पष्टतः सिद्ध किया है, जिससे इसे सामान्य चिकित्सा पद्धतियों का एक प्रमुख विकल्प बना दिया गया है।
आयुर्वेद के पुनर्जागरण से संघर्ष करते समय, वैज्ञानिक समुदाय ने आयुर्वेद के मौलिक सिद्धांतों को स्वीकार किया है और उन्हें आधुनिक विज्ञान के साथ मेल करने का प्रयास किया है।
प्राकृतिक चिकित्सा की मान्यता:
यह चिकित्सा पद्धति रोगों के निदान, उनके कारणों का खोज, और उनके निवारण के लिए प्राकृतिक उपायों को प्राथमिकता देती है।
वैज्ञानिक समुदाय ने आयुर्वेद के रोग प्रतिरोधक क्षमता, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और रोगों के निदान में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को समझा है।
आयुर्वेदिक पुनर्जागरण की प्राकृतिक चिकित्सा का मूल मंत्र है कि शरीर को स्वास्थ्य और संतुलन में रखने के लिए प्राकृतिक तत्वों का सही उपयोग किया जाए।
यह चिकित्सा प्रणाली शरीर में सामान्य संतुलन बनाए रखने के लिए प्राकृतिक और प्राकृतिक सामग्री का उपयोग करती है।
पुनर्जागरण की प्राकृतिक चिकित्सा में औषधियों, पौधों, और योग का प्रयोग किया जाता है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।
पुनर्जागरण की प्राकृतिक चिकित्सा में संतुलित जीवनशैली, प्राणायाम, और ध्यान की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
व्यक्ति को इस चिकित्सा पद्धति के अनुसार अपने आहार, व्यायाम, और व्यवहार में परिवर्तन करके अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने की सलाह दी जाती है।
समृद्धि का प्रतीक:
आयुर्वेद के प्रति लोगों का उत्साह बढ़ा है।
सरकारों द्वारा आयुर्वेदिक चिकित्सा को समर्थन और प्रोत्साहन मिल रहा है।
जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक उपचारों के प्रति लोगों की रुचि में वृद्धि हुई है।
आयुर्वेद के विभिन्न आसनों, प्राणायाम और ध्यान की महत्वपूर्णता को मान्यता मिली है।
समुदायों में आयुर्वेदिक चिकित्सा के प्रचार-प्रसार की गति बढ़ी है।
आयुर्वेद के प्रयोग से लोगों के स्वास्थ्य स्थिति में सुधार आया है।
आयुर्वेद के गुणों को विश्वभर में मान्यता मिलने की दिशा में कदम बढ़ा है।
आधुनिक प्रणालियों का सम्मिलन:
आधुनिक युग में आयुर्वेद का पुनर्जागरण एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है। आज के दौर में, आयुर्वेद के पुनर्जागरण के साथ-साथ नई और आधुनिक प्रणालियों का सम्मिलन हो रहा है जो संसाधनों, प्रौद्योगिकियों और विज्ञान के आधार पर आयुर्वेदिक चिकित्सा को और भी प्रभावी बना रहा है।
आयुर्वेद के लक्षण, रोग, और उनके उपचार को वैज्ञानिक तथ्यों और शोध के साथ संदर्भित किया जा रहा है। आधुनिक चिकित्सा उपकरणों, जैसे कि जीनोमिक्स, उत्पादन प्रक्रियाएं, तथा बायो-मार्कर्स, का उपयोग करके, आयुर्वेदिक उपचारों की प्रभावकारिता को बढ़ाया जा रहा है।
आयुर्वेद के प्रयोग में डिजिटलीकरण का भी बड़ा योगदान है। आज के समय में, अनलाइन प्लेटफॉर्म्स, मोबाइल एप्लिकेशन्स, और वेबसाइट्स के माध्यम से, आयुर्वेद की जानकारी, उपचार तथा संबंधित उत्पादों तक पहुंच बढ़ाई जा रही है। यह उपचार की सुविधा, ज्ञान का साझा करना और रोगी के साथ संपर्क को अधिक सहज बनाता है।
आयुर्वेद के पुनर्जागरण में यह सभी तत्व - वैज्ञानिक शोध, तकनीकी उन्नति, और डिजिटलीकरण - साथ मिलकर, आयुर्वेद को एक नई दिशा में ले जा रहे हैं, जिसमें यह समृद्धि, उपचार की प्रभावता, और सामुदायिक संप्रेषण के साथ-साथ समर्थन और संरक्षण की एक उन्नत स्तर पर प्रस्तुति करता है।
सामुदायिक सहयोग:
सामुदायिक संगठनों की सहायता से आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्रों का संचालन किया जा सकता है, जिससे लोगों को सस्ते और प्रभावी चिकित्सा सेवाएं प्राप्त हो सकें।
अनेक संगठन और समुदाय आयुर्वेद कैम्प्स, व्यायाम ग्रुप्स, और जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं।
समुदाय के सहयोग से औषधियों की उत्पादन में सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को सहायता मिलती है, जो कि लोगों के लिए सस्ते और प्राकृतिक उपचार उपलब्ध कराते हैं।
सामुदायिक सहयोग आयुर्वेदिक अनुसंधान और उत्पादन को बढ़ावा देता है, जिससे नई औषधियों और उपायों का विकास हो सकता है।
सामुदायिक संगठनों के माध्यम से रोगनिरोधक उपायों की जानकारी और प्रचार-प्रसार होता है, जो लोगों को स्वस्थ जीवनशैली के लिए प्रेरित करता है।
निष्कर्ष
आयुर्वेद का पुनर्जागरण एक संवैधानिक प्रक्रिया है जो हमें प्राकृतिक जीवनशैली की ओर दिशा प्रदान कर रहा है। इससे न केवल हमारे शारीरिक स्वास्थ्य का समर्थन हो रहा है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को भी सुधारा जा रहा है। आयुर्वेद का पुनर्जागरण हमारे जीवन को संतुलित, समृद्ध और स्वस्थ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
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rightnewshindi · 3 months
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England Badminton Championships: भारत की शीर्ष खिलाड़ी पीवी सिंधु दूसरे दौर में हारी, क्वार्टर फाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन
England Badminton Championships: भारत की शीर्ष खिलाड़ी पीवी सिंधु दूसरे दौर में हारी, क्वार्टर फाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन
All England Badminton Championships: भारत के लक्ष्य सेन दुनिया के नंबर तीन खिलाड़ी एंडर्स एंटोनसेन पर तीन गेम तक चले मुकाबले में शानदार जीत दर्ज कर गुरुवार को ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में पहुंच गए लेकिन देश की शीर्ष महिला एकल खिलाड़ी पीवी सिंधू को दूसरे दौर में हार का सामना करना पड़ा। दुनिया के 18वें नंबर खिलाड़ी सेन दूसरा गेम गंवाने के बाद तीसरे गेम में 2-8 से पिछड़ रहे थे। साल…
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इश्क वफा
उसका हुस्न मेरे तारीफ से ज्यादा निकला उसका सोच अपने हुस्न के तैंई कम निकला हो जाता है नाराज फौरन सच्ची तारीफ पर में था उसका कायल पर दिल घायल निकला दिल फिदा हों गया उसी एक मुस्कान पर यह इश्क इश्क ए बूता नही इश्क ए जां निकला ना पूछ दौर ए इश्क व मुहब्बत को साहब एक को मनाया अभी दूसरा कल्ब ए जां निकला
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jyotis-things · 6 months
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( #MuktiBodh_Part151 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part152
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 292-293
‘‘कबीर देव द्वारा ऋषि रामानन्द के आश्रम में दो रूप धारण करना’’
स्वामी रामानन्द जी ने परमेश्वर कबीर जी से कहा कि ‘‘आपने झूठ क्यों बोला?’’ कबीर परमेश्वर जी बोले! कैसा झूठ स्वामी जी? स्वामी रामानन्द जी ने कहा कि आप कह रहे थे कि आपने मेरे से नाम ले रखा है। आपने मेरे से उपदेश कब लिया? बालक रूपधारी कबीर ��रमेश्वर जी बोले एक समय आप स्नान करने के लिए पँचगंगा घाट पर गए थे। मैं वहाँ लेटा हुआ था। आपके पैरों की खड़ाऊँ मेरे सिर में लगी थी! आपने कहा था कि बेटा राम नाम बोलो। रामानन्द जी बोले-हाँ, अब कुछ याद आया। परन्तु वह तो बहुत छोटा बच्चा था (क्योंकि उस समय पाँच वर्ष की आयु के बच्चे बहुत बड़े हो जाया करते थे तथा पाँच वर्ष के बच्चे के शरीर तथा ढ़ाई वर्ष के बच्चे के शरीर में दुगुना अन्तर हो जाता है)। कबीर परमेश्वर जी ने कहा स्वामी जी देखो, मैं ऐसा था। स्वामी रामानन्द जी के सामने भी खड़े हैं और एक ढाई वर्षीय बच्चे का दूसरा रूप बना कर किसी सेवक की वहाँ पर चारपाई बिछी थी उसके ऊपर विराजमान हो गए।
रामानन्द जी ने छः बार तो इधर देखा और छः बार उधर देखा। फिर आँखें मलमल कर देखा कि कहीं तेरी आँखें धोखा तो नहीं खा रही हैं। इस प्रकार देख ही रहे थे कि इतने में कबीर परमेश्वर जी का छोटे वाला रूप हवा में उड़ा और कबीर परमेश्वर जी के बड़े पाँच वर्ष वाले स्वरूप में समा गया। पाँच वर्ष वाले स्वरूप में कबीर परमेश्वर जी रह गए।
रामानन्द जी बोले कि मेरा संशय मिट गया कि आप ही पूर्ण ब्रह्म हो। हे परमेश्वर! आपको कैसे पहचान सकते हैं। आप किस जाति में उत्पन्न तथा कैसी वेश भूषा में खड़े हो। हम अज्ञानी प्राणी आप के साथ वाद-विवाद करके दोषी हो गए, क्षमा करना परमेश्वर कविर्देव, मैं आपका अनजान बच्चा हूँ। रामानन्द जी ने फिर अपनी अन्य शंकाओं का निवारण करवाया।
शंका :- हे कविर्देव! मैं राम-राम कोई मन्त्र शिष्यों को जाप करने को नहीं देता। यदि आपने मुझसे दीक्षा ली है तो वह मन्त्र बताईए जो मैं शिष्य को जाप करने को देता हूँ।
उत्तर कबीर देव का :- हे स्वामी जी! आप ओम् नाम जाप करने को देते हो तथा ओ3म् भगवते वासुदेवाय नमः का जाप तथा विष्णु स्त्रोत की आवर्ती की भी आज्ञा देते हो।
शंका :- आपने जो मन्त्र बताया यह तो सही है। एक शंका और है उसका भी निवारण कीजिए। मैं जिसे शिष्य बनाता हूँ उसे एक चिन्ह देता हूँ। वह आपके पास नहीं है।
उत्तर :- बन्दी छोड़ कबीर देव बोले हे गुरुदेव! आप तुलसी की लकड़ी के एक मणके की कण्ठी (माला) गले में पहनने के लिए देते हो। यह देखो गुरु जी उसी दिन आपने अपनी कण्ठी गले से निकाल कर मेरे गले में पहनाई थी। यह कहते हुए कविर्देव ने अपने कुर्ते के नीचे गले में पहनी वही कण्ठी (माला) सार्वजनिक कर दी तथा कहा कि आप स्वर्ग में जाने की इच्छा का त्याग करो। मेरा ज्ञान सुनो। सनातन परम धाम में जाने की साधना करो।
◆ वाणी नं. 485 :-
ए स्वामी तुम स्वर्ग की, छांडौ आशा रीति।
गरीबदास तुम कारणैं, उतरे शब्दातीत।।485।।
◆ स्वामी रामानंद जी ने कहा :- (पारख के अंग की वाणी नं. 486-499)
सुनि बच्चा में स्वर्ग की कैसैं छांडौं रीति।
गरीबदास गुदरी लगी, जनम जात है बीत।।486।।
च्यारि मुक्ति बैकुंठ में, जिन की मोरै चाह।
गरीबदास घर अगम की, कैसैं पाऊं थाह।।487।।
हेम रूप जहाँ धरणि है, रतन जड़े बौह शोभ।
गरीबदास बैकुंठ कूं, तन मन हमरा लोभ।।488।।
शंख चक्र गदा पदम हैं, मोहन मदन मुरारि।
गरीबदास मुरली बजै, सुरगलोक दरबारि।।489।।
दूधौं की नदियां बगैं, सेत वृक्ष सुभांन। गरीबदास मंदल मुक्ति, सुरगापुर अस्थान।।490।।
रतन जड़ाऊ मनुष्य हैं, गण गंधर्व सब देव।
गरीबदास उस धाम की, कैसे छाडूं सेव।।491।।
ऋग युज साम अथर्वणं, गावैं चारौं बेद।
गरीबदास घर अगम का, कैसे जानो भेद।।492।।
च्यारि मुक्ति चितवन लगी, कैसैं बंचूं ताहि।
गरीबदास गुप्तारगति, हमकूं द्यौ समझाय।।493।।
सुरग लोक बैकुंठ है, यासैं परै न और। गरीबदास षट्शास्त्र, च्यारि बेदकी दौर।।494।।
च्यारि बेद गावैं तिसैं, सुरनर मुनि मिलाप।
गरीबदास धु्रव पोर जिस, मिटि गये तीनूं ताप।।495।।
प्रहलाद गये तिस लोककूं, सुरगा पुरी समूल।
गरीबदास हरि भक्ति की, मैं बंचत हूं धूल।।496।।
बिंद्रावन खेले सही, रज केसर समतूल।
गरीबदास उस मुक्ति कूं, कैसैं जाऊं भूल।।497।।
नारद ब्रह्मा जिस रटैं, गावैं शेष गणेश। गरीबदास बैकुंठ सैं, और परै को देश।।498।।
सहंस अठासी जिस जपैं, और तेतीसौं सेव।
गरीबदास जासैं परै, और कौन है देव।।499।।
◆ वाणी नं. 486-499 का सरलार्थ :- स्वामी रामानंद जी ने कहा कि हे बच्चा! मैं 104 वर्ष का वृद्ध हो चुका हूँ। सारा जीवन स्वर्ग प्राप्ति की साधना करके व्यतीत कर दिया। अब स्वर्ग
जाने की आशा कैसे त्यागूँ? बताते हैं कि स्वर्ग में चार मुक्ति प्राप्त होती हैं। मुझ�� उनकी प्राप्ति की इच्छा है। जो इससे आगे वाले स्थान (अगम घर) सतलोक का (थाह) अंत कैसे प्राप्त करूँ? मेरा तो जीवन अंत होने वाला है। विष्णु जी के लोक की धरती (हेम) हिम यानि बर्फ जैसी सफेद है।
रत्न स्थान-स्थान पर लगे हैं जो स्वर्ग की शोभा बढ़ा रहे हैं। श्री कृष्ण मनमोहन यानि श्री विष्णु जी चारों हाथों में शंख, चक्र, गदा तथा पदम लिए हैं। उस स्वर्ग लोक में श्री कृष्ण जी मुरली बजाते हैं। स्वर्ग लोक में दूधों की नदियां बहती हैं। सब वृक्ष (सेत) सफेद हैं, (सुभान) उत्तम हैं।
सब मनुष्यों के शरीर में स्थान-स्थान पर तिल के स्थान पर रत्न लगे हैं। गण, गंधर्व तथा सब देवताओं के शरीरों पर भी लाल लगे हैं। उस सुंदर स्वर्ग धाम की (सेव) भक्ति कैसे छोड़ूँ? ऋग,
यजु, साम, अथर्वण, ये चारों वेद स्वर्ग तक का ज्ञान देते हैं। उस (अगम घर) सतलोक का भेद मैं कैसे जानूँ? स्वर्ग लोक यानि बैकुण्ठ से परे और कौन-सा देश (लोक) है? मुझे अच्छी तरह समझा। मुझे चार मुक्तियों की (चितवन) लगन लगी है। उसे कैसे छोड़ूँ? चार वेद और (षट्) छः शास्त्रों की दौड़ तो स्वर्ग तक ही है यानि इनमें तो स्वर्ग तक का ज्ञान है। ध्रुव भी स्वर्ग में गया। प्रहलाद भी स्वर्ग में गया। मैं भी उसी भगवान विष्णु की भक्ति करके स्वर्ग जाने की इच्छा कर रहा हूँ। वृंदावन (मथुरा) में श्री कृष्ण रूप में (खेले) रास किया। हमारे लिए उस स्थान की (रज) धूल तो केसर के समान है। हे कबीर जी! उस स्वर्ग जाने वाली मुक्ति को कैसे भूल जाऊँ?
नारद मुनि जी, अठासी हजार ऋषि, ब्रह्मा जी, शेष, गणेश आदि स्वर्ग का गुणगान करते हैं।
इससे (परे) अन्य कौन-सा देश हो सकता है? तेतीस करोड़ देवता, अठासी हजार ऋषि भी श्री विष्णु की पूजा करते हैं। इससे (परै) अन्य कौन प्रभु हो सकता है?
बालक रूप परमात्मा कबीर जी ने कहा :- (पारख के अंग की वाणी नं. 500-567)
सुनि स्वामी निज मूल गति, कहि समझाऊं तोहि।
गरीबदास भगवान कूं, राख्या जगत समोहि।।500।।
तीनि लोक के जीव सब, विषय वास भरमाय।
गरीबदास हमकूं जपैं, तिसकूं धाम दिखाय।।501।।
जो देखैगा धाम कूं, सो जानत है मुझ। गरीबदास तोसैं कहूं, सुनि गायत्रा गुझ।।502।।
कृष्ण बिष्णु भगवान कूं, जहडायें हैं जीव।
गरीबदास त्रिलोक में, काल कर्म शिर शीव।।503।।
सुनि स्वामी तोसैं कहूं, अगम दीप की सैल।
गरीबदास पूठे परें, पुस्तक लादें बैल।।504।।
पौहमी धरणि अकाश थंभ, चलसी चंदर सूर।
गरीबदास रज बिरजकी, कहाँ रहैगी धूर।।505।।
तारायण त्रिलोक सब, चलसी इन्द्र कुबेर।
गरीबदास सब जात हैं, सुरग पाताल सुमेर।।506।।
च्यारि मुक्ति बैकुंठ बट, फना हुआ कई बार।
गरीबदास सतलोक को, नहीं जानैं ���ंसार।।507।।
कहौ स्वामी कित रहौगे, चौदा भुवन बिहंड।
गरीबदास बीजक कह्या, चलत प्राण और पिंड।।508।।
सुन स्वामी एक शक्ति है, अरधंगी ¬कार।
गरीबदास बीजक तहां, अनेक लोक सिंघार।।509।।
जैसेका तैसा रहै, परलो फना प्रान। गरीबदास उसकी शक्तिकूं, बार बार कुरबांन।।510।।
कोटि इन्द्र ब्रह्मा जहाँ, कोटि कृष्ण कैलास।
गरीबदास शिब कोटि हैं, करौ कौंन की आश।।511।।
कोटि बिष्णु जहाँ बसत हैं, उस शक्ति के धाम।
गरीबदास गुल बौहत हैं, अलफ बस्त निहकाम।।512।।
शिब शक्ति जासै हुए, अनंत कोटि अवतार।
गरीबदास उस अलफकूं, लखै सो होय करतार।।513।।
सतपुरूष हम स्वरूप है, तेज पुंज का कंत।
गरीबदास गुलसैं परै, चलना है बिन पंथ।।514।।
बिना पंथ उस कंतकै, धाम चलन है मोर।
गरीबदास गति ना किसी, संख सुरग पर डोर।।515।।
क्रमशः_________________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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vipinjha · 8 months
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प्रेम विवाह में तलाक की दर ज्याद क्यों ?
प्रेम अनंत काल से पवित्र माना जाता है, और प्रेम विवाह सुखी जीवन का मूलमंत्र, ऐसा नहीं है सुसंगत विवाह में प्रेम नहीं होता है, सुसंगत विवाह में मनुष्य के मन में एक इक्षा सदैव रहता है जो कि उसके मन में अनंत काल तक खटकती है, किंतु प्रेम विवाह में मनुष्य को अपने अनुसार पति/पत्नी  चुनने का मौका रहता है, जिसके साथ वो खुशी के संग अपने पूरे जीवन को व्यतीत कर सके!!
किंतु आज के दौर में जैसे-जैसे प्रेम विवाह का दर बढ़ रहा है उसी तेजी से तलाक का दर भी बढ़ रहा है, वैसे भारत में केरल शिक्षा दर में प्रथम स्थान पर है किंतु तलाक लेने के मामले में भी केरल ने ही  सर्वप्रथम स्थान पर कब्जा कर रखा है, जिसका मूल कारण भी शिक्षा है, जब बच्चे उच्चस्तरीय शिक्षा प्राप्त कर लेते हैं तो गार्जियन को लगता है अब बच्चे समझदार हो चुके हैं, क्योंकि उनके पास जीवनयापन के लिए एक परमानेंट नौकरी है, और उनके चुने हुये साथी के साथ विवाह करवा देते हैं, यूपी-बिहार में अभी भी प्रेम विवाह में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है प्रेमियों को, किंतु अब बच्चें कही भाग ना जाये या आत्महत्या ना कर ले उस विवशता में बच्चों के फैसले को स्वीकार कर लेते हैं गार्जियन, उनको लगता हैं बच्चे खुश रहेंगे तो हम खुश रहेंगे, पर गार्जियन को इस बात का तनिक भनक नहीं होता इस विवाह से पहले उनके बच्चों ने काफी शर्त पहले ही मनवा लिया है एक-दूसरे से!!
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विवाह दो आत्माओं का मेल है ऐसा कहा जाता है किंतु ना तो ये त्रेता युग है ना ही कोई यहाँ पर शिव, फिर भी प्रेम अभी भी अपने मर्यादा और संस्कार के वजह से जीवित है, नहीं तो  87% प्रेम तो वासनाओं से घिरा है और जिसका आंखों देखा हाल आपको आपके आस-पास ही देखने को मिलेगा, और ना जाने इस चक्कर में लाखों लड़कियों और हजारों लड़कों ने अपने जीवन को मृत्यु में तब्दील कर लिया है इसका एक अहम विषय स्वत्रंत रहना भी है!!
अब आते हैं मुद्दे पर प्रेम में पड़े लड़के और लड़कियाँ इतना केयर एक दूसरे को करते हैं मानो प्रेम का मतलब सिर्फ ख़ुशियाँ ही हो,  लड़के हर बात पर हाँ भरने लगते हैं मतलब लड़की को पाने के लिए और अगर उसके संग भविष्य देख रहे हैं तो, नहीं बुझे मने विवाह करने लिए लड़की को इतना भाव देते हैं जिससे लड़की को भी लगता है सच में जीवन इसके संग बिताने के अलावा और कोई दूसरा लड़का हो ही नहीं सकता, उधर लड़की सब लड़को को इतना केयर, बातों में सहमति, घर-परिवार के संग रिश्ता, मतलब लगता है जैसे फ़िल्म सीरियल में होता है कुछ भी हो जाये पर परिवार के संग रहूंगी और कुछ इमोशनल लड़के उनके इन सब केयर को देख जुट जाते हैं परिवार को मनाने में, आग दोनों तरफ लग जाती है शादी की, फिर सैकडों योजन का कष्ट दोनों उठा कर मना ही लेते हैं अपने परिवार को, जहां नहीं मानते हैं परिवार वाले वहाँ हम जैसे लफंडर दोस्त है ना पेपर पर सिग्नेचर करने के लिए!!
विवाह तो जैसे-तैसे हो जाता है किंतु प्रेम का जूस तब निकलता है जब घर के छोटे-छोटे झगड़े, आपसी मन-मुटाव और सोशल मीडिया पर समय व्यतीत, मतलब जो काम पहले बढ़िया लग रहा था अब उसी काम के कारण दोनों के रिश्तों में दरार भी शुरू होने लगता है, किंतु इसका खामियाजा यहाँ भी परिवार ही भरता है, अगर लड़की/लड़का समझदार है तो वो समाज के बीच एक उदाहरण हो जाते हैं किंतु जहाँ लड़का अपना सब कुछ लड़की के प्रति समर्पित कर दे पर लड़की को सिर्फ अपने बच्चें और पति संग रहने का फैसला हो, या अपने मायके वालों को ज्यादा तबज्जो देना, ससुराल वालों के प्रति सिर्फ दिखावा, उसी का उल्टा लड़का करने लगे तब वहाँ से शुरू होती है दरारें और फिर लड़की के बार-बार कहने पर अगर लड़का उसके हिसाब से ना चले तो तानों से शुरू लड़ाई, गली-गलौज फिर थाना-पुलिस होते कोर्ट वाली आर्केस्ट्रा तक पहुँच जाती है, क्योंकि गलती लड़के का है, उसने पहले इतने सपने दिखा दिये जो लड़की को लगा अब उसके साथ गलत हो रहा है, और अपने दोस्त या परिवार के सहारे वो उसी व्यक्ति से दूर होना चाहती है जिसके संग उसने बुन रखे थे मृत्युकाल तक के सपने!!
गलतियाँ कभी एक तरफा नहीं होता है, यहाँ लड़कियाँ भी गलत होती है, शुरू में अपने व्यवहार और प्रेम से लड़को का दिल जीतती है, हर काम के लिए संग खड़ी रहती है, चाहे वो एकता हो या जोड़ना, मतलब ऐसा रूप दिखाती है मानों कोई देवी हो, अगर वो बाहर वालों के लिए इतना कर रही है तो घरवालों के संग कितना प्रेम करेंगी, और लड़कियाँ भी वो हर काम करती है जिससे लगता है समाज में हम एक उदाहरण बनेंगे किंतु कुछ समय उपरांत उसका उल्टा होता है जो एक-दूसरे के मनमुटाव का अहम कारण बनता है, वैसे प्रेम में पैसों का भी एक अहम किरदार है पर जो समझदार जोड़े होते हैं वो उसमें भी निर्वहन करते हैं वो कभी भी पैसों के वजह से तलाक को अहम कारण नहीं बनने देते हैं, इन्ही छोटी-छोटी बातों को दोनों विवाह उपरांत संभाल नहीं पाते हैं जो दो परिवारों को दुश्मन भी बनाती है और प्रेम के प्रति लोंगो को घृणित करती है, अगर हम थोड़ा समझदार हो जाये और परिस्थितियों को खुद समझे देखे कहाँ-कहाँ हम गलत जा रहे हैं, पहले हमने ऐसा क्या किया जो अब चूक हो रही है तो प्रेम विवाह में तलाक दर की संख्या को हम घटाने में काफी कामयाब रहेंगे और प्रेम का जो ओहदा है समाज में उसमें चार चांद भी लगायेंगे!!
ज्यादा लिखना मतलब बकलोली करने जैसा लगेगा, हमें हर रिश्ते में कुछ ना कुछ कमी मिलेगा इसलिए रिश्तों से भागने की वजह हमें उसी रिश्ते को अगर ठीक करने से खुशी मिले तो जरूर कोशिश करे,अरे सिंपल सी बात है भाई अगर बाहर लड़ाई-झगड़ा, मारा-पीट हो जाता है तो उनसे फिर से हम जुड़ जाते हैं, फिर अपने परिवार के लोंगो के संग चंद शब्द से आखिर दूरी क्यों? मिलबैठकर और बातें समझकर ही हम किसी भी रिश्ते को एक मजबूती से स्थापित कर सकते हैं , नहीं तो रिश्तों का शतरंज युगों से चला आ रहा है चाहे वो पांडव-कौरवों का हो या राम-कैकेय माते का, क्योंकि हर रिश्ते में कुछ ना कुछ खोना पड़ता है, पर अगर हम उसको जोड़कर रखने में सक्षम है तो फिर उसके बाद कि खुशी आपको शायद एक ऐसा एहसास जरूर करवा देगी जो  जोड़ना ही प्रेम का पहला और आखिरी पड़ाव है!!
" अकेले रहने में कोई गुनाह नहीं है
किंतु हम कभी अकेले रह नहीं पाते हैं
रोटी भी अकेले नहीं फूलती है
उसको भी आग-चूल्हे और हथेली की जरूरत है"
   Vipin Jha
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trendingwatch · 2 years
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सीट आवंटन के दूसरे दौर में 15,500 से अधिक छात्रों ने डीयू के कॉलेजों में प्रवेश लिया
सीट आवंटन के दूसरे दौर में 15,500 से अधिक छात्रों ने डीयू के कॉलेजों में प्रवेश लिया
रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने शुक्रवार को कहा कि सीट आवंटन के दूसरे दौर में दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में स्नातक पाठ्यक्रमों में 15,500 से अधिक छात्रों को प्रवेश दिया गया है। इसके साथ ही विश्वविद्यालय में अब तक दाखिल छात्रों की कुल संख्या 61,500 के पार हो गई है। विश्वविद्यालय में 70,000 स्नातक सीटें हैं। दूसरे दौर में दाखिल हुए 15,550 अभ्यर्थियों में से 9,626 को पहली सूची में आवंटित सीटों से…
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dayaramalok · 9 months
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iammanhar · 9 months
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Day☛1064✍️+91/CG10☛In Home☛ 23/09/23 (Sat) ☛ 23:05
जब आदमी का बुरा दौर चलता है तो चीजे उनके विपरीत हो जाती है, आज शाम में बारिश में बहुत भीगे, घर तक भीगा बदन 🥳
एक ऑटो वाला बोला 20₹ चार्ज करूंगा, उसे मना कर दिया,
दूसरा वाला जाने से मना कर दिया,
तीसरा वाला 50₹
.... अब सोचा ऑटो से जाउंगा ही नहीं....
एक लिफ्ट लेकर बिना किराया दिए, सीधा ऑफीस पहुंच गया..🥳👍🥰👌🙂💪😂
Gn
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aijaz3130 · 9 months
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( हजरत मुहम्मद ﷺ के अल्लाह के पैग़म्बर होने के सबूत।
अबू-लहब और उसकी बीवी के बारे में पेशनगोई )
जब मुहम्मद ﷺ ने मक्का में अपने करीबी लोगों को दावत देनी शुरू की तो उनमें मुहम्मद ﷺ की सबसे ज्यादा मुखालिफत आप ﷺ के सगे चचा ने की, जिसका नाम अबू-लहब था और ये मुहम्मद ﷺ की दुश्मनी में हद से गुज़र गया था और उसका रवैया इस्लाम की राह में एक बड़ी रुकावट बन रहा था। और अबू लहब का साथ उसकी बीवी भी बखूबी दे रही थी।
ऐसे माहौल में कुरआन दावा करता है कि अबू लहब और उसकी बीवी आग में जाने वाली है। यानी वह दोनो मुहम्मद ﷺ पर ईमान नहीं लाएंगे और जहन्नुम का ईंधन बनेंगे।
تَبَّتۡ یَدَاۤ اَبِیۡ لَہَبٍ وَّ تَبَّ ؕ﴿۱﴾ مَاۤ اَغۡنٰی عَنۡہُ مَالُہٗ وَ مَا کَسَبَ ؕ﴿۲﴾ سَیَصۡلٰی نَارًا ذَاتَ لَہَبٍ ۚ﴿ۖ۳﴾ وَّ امۡرَاَتُہٗ ؕ حَمَّالَۃَ الۡحَطَبِ ۚ﴿۴﴾ فِیۡ جِیۡدِہَا حَبۡلٌ مِّنۡ مَّسَدٍ
"टूट गए अबू-लहब के हाथ और नामुराद हो गया वो। उसका माल और जो कुछ उसने कमाया वो उसके किसी काम न आया। ज़रूर वो शोलाज़न आग में डाला जाएगा और (उसके साथ) उसकी जोरू भी, लगाई-बुझाई करनेवाली, उसकी गर्दन में मूँझ की रस्सी होगी।"
[कुरआन 111:1-5]
कुरआन में इन आयतों के नाजिल होने के कई साल बाद तक अबू लहब और उसकी बीवी दोनो जिंदा रहे लेकिन दोनों में से एक भी मुहम्मद ﷺ पर ईमान लाकर आप ﷺ की पेशनगोई को झूठा साबित नहीं कर सके। यहां तक की अबू लहब को मक्का के सरदारों ने मशवरा भी दिया था कि आप मुहम्मद ﷺ पर सिर्फ झूठा ईमान ले आए यानी कि सिर्फ ज़बान से कह दे और उसको दिल से तस्लीम न करें जिससे मुहम्मद ﷺ की पेशनगोई झूठी साबित हो जायेगी और लोग उन पर भरोसा नहीं करेंगे और लोग मुहम्मद ﷺ पर ईमान नहीं लाएंगे जिससे हमारा दीन बचा रह जायेगा। लोगों के इस मशवरे के बाद भी अबू लहब मुहम्मद ﷺ पर ईमान नहीं लाया और मरते दम तक अपने मुशरीकाना दीन पर कायम रहा।
इन आयतों के नाजिल होने के इतने साल बाद तक भी अबू लहब का ईमान न लाना इस बात का सबूत है कि ये पेशनगोई अल्लाह की तरफ से थी जो कि मुहम्मद ﷺ के सच्चे पैगम्बर होने का जीता जागता सबूत है।
अब आइए उस दौर के पसमंज़र पर भी एक नजर डाल लेते है जब अबू लहब के बारे में ये आयतें नाजिल हुई।
क़ुरआन मजीद में ये एक ही मक़ाम है जहाँ इस्लाम दुश्मनों में से किसी शख़्स का नाम लेकर उसकी मज़म्मत की गई है, हालाँकि मक्के में भी, और हिजरत के बाद मदीना में भी बहुत-से लोग ऐसे थे जो इस्लाम और मुहम्मद (ﷺ) की दुश्मनी में अबू-लहब से किसी तरह कम न थे। सवाल ये है कि इस शख़्स की वो क्या ख़ुसूसियत थी जिसकी बिना पर उसका नाम लेकर उसकी मज़म्मत की गई? इस बात को समझने के लिये ज़रूरी है कि उस वक़्त के अरबी मुआशरे को समझा जाए, और उसमें अबू-लहब के किरदार को देखा जाए।
पुराने ज़माने में चूँकि पूरे मुल्के-अरब में हर तरफ़ बदअमनी, ग़ारत गरी और अनारकी फैली हुई थी, और सदियों से हालत ये थी कि किसी शख़्स के लिये उसके अपने ख़ानदान और ख़ूनी रिश्तेदारों की हि��ायत के सिवा जान व माल और इज़्ज़त व आबरू के तहफ़्फ़ुज़ की कोई ज़मानत न थी, इसलिये अरबी समाज की अख़लाक़ी क़दरों में रिश्तेदारों के साथ हुस्ने-सुलूक को बड़ी अहमियत हासिल थी, और रिश्तों के काटने को बहुत बड़ा पाप समझा जाता था। अरब की इन्हीं रिवायतों का ये असर था कि मुहम्मद ﷺ जब इस्लाम की दावत लेकर उठे तो क़ुरैश के दूसरे ख़ानदानों और उनके सरदारों ने तो मुहम्मद ﷺ की शदीद मुख़ालिफ़त की, मगर बनी-हाशिम और बनी-मुत्तलिब (हाशिम के भाई मुत्तलिब की औलाद) ने न सिर्फ़ ये कि आपकी मुख़ालिफ़त नहीं की, बल्कि वो खुल्लम-खुल्ला आपकी हिमायत करते रहे, हालाँकि उनमें से अक्सर लोग आपकी नुबूवत पर ईमान नहीं लाए थे। क़ुरैश के दूसरे ख़ानदान ख़ुद भी मुहम्मद ﷺ के इन ख़ूनी रिश्तेदारों की हिमायत को अरब की अख़लाक़ी रिवायतों के ठीक मुताबिक़ समझते थे, इसी वजह से उन्होंने कभी बनी-हाशिम और बनी-मुत्तलिब को ये ताना नहीं दिया कि तुम एक-दूसरा दीन पेश करनेवाले शख़्स की हिमायत करके अपने बाप-दादा से चले आ रहे दीन से फिर गए हो। वो इस बात को जानते और मानते थे कि अपने ख़ानदान के एक फ़र्द को वो किसी हालत में उसके दुश्मनों के हवाले नहीं कर सकते, और उनका अपने रिश्तेदार की पीठ को मज़बूत करना क़ुरैश और अहले-अरब, सबके नज़दीक बिलकुल एक फ़ितरी मामला था।
इस अख़लाक़ी उसूल को, जिसे ज़मानाए-जाहिलियत में भी अरब के लोग एहतिराम के लिए ज़रूरी समझते थे, सिर्फ़ एक शख़्स ने इस्लाम की दुश्मनी में तोड़ डाला, और वो था अबू-लहब-बिन-अब्दुल-मुत्तलिब। ये मुहम्मद ﷺ का चचा था। मुहम्मद ﷺ के वालिद मोहतरम और ये एक ही बाप के बे��े थे। अरब में चचा को बाप की जगह समझा जाता था, ख़ुसूसन जबकि भतीजे का बाप वफ़ात पा चुका हो तो अरबी मुआशरे में चचा से ये उम्मीद की जाती थी कि वो भतीजे को अपनी औलाद की तरह प्यारा रखेगा। लेकिन इस शख़्स ने इस्लाम की दुश्मनी और कुफ़्र की मुहब्बत में इन तमाम अरबी रिवायतों को पामाल कर दिया।
इब्ने-अब्बास (रज़ि०) से बहुत-सी सनदों के साथ ये रिवायत मुहद्देसीन ने नक़ल की है कि जब मुहम्मद (ﷺ) को दावते-आम पेश करने का हुक्म दिया गया और क़ुरआन मजीद में ये हिदायत नाज़िल हुई कि आप अपने क़रीब तरीन रिश्तेदारों को सबसे पहले अल्लाह के अज़ाब से डराएँ तो आपने सुबह सवेरे सफ़ा पहाड़ी पर चढ़कर बुलन्द आवाज़ से पुकारा, "हाय सुबह की आफ़त!"
मक्का में अबू-लहब मुहम्मद (ﷺ) का सबसे क़रीबी पड़ौसी था। दोनों के घर के बीच में एक दीवार थी। उसके अलावा हकम-बिन-आस (मरवान का बाप), उक़्बा-बिन-मुऐत, अदी-बिन-हम्रा और इब्नुल-असदाइल-हुज़्ली भी आपके पड़ौसी थे। ये लोग घर में भी हुज़ूर को चैन नहीं लेने देते थे। मुहम्मद ﷺ कभी नमाज़ पढ़ रहे होते तो ये ऊपर से बकरी का ओझ आपपर फेंक देते। कभी सेहन में खाना पक रहा होता तो ये हंडिया पर गन्दगी फेंक देते। मुहम्मद (ﷺ) बाहर निकलकर उन लोगों से फ़रमाते ऐ बनी-अब्द-मनाफ़! ये कैसा पड़ौस है? अबू-लहब की बीवी उम्मे-जमील (अबू-सुफ़ियान की बहन) ने तो ये मुस्तक़िल आदत ही बना ली थी कि रातों को आपके घर के दरवाज़े पर ख़ारदार झाड़ियाँ लाकर डाल देती, ताकि सुबह सवेरे जब आप या आपके बच्चे बाहर निकलें तो कोई काँटा पाँव में चुभ जाए। [बैहक़ी, इब्ने-अबी-हातिम, इब्ने-जरीर, इब्ने-असाकिर, इब्ने-हिशाम]
नुबूवत से पहले मुहम्मद ﷺ की दो बेटियाँ अबू-लहब के दो बेटों उत्बा और उतैबा से बियाही हुई थीं। नुबूवत के बाद जब मुहम्मद (ﷺ) ने इस्लाम की तरफ़ दावत देनी शुरू की तो इस शख़्स ने अपने दोनों बेटों से कहा कि मेरे लिये तुमसे मिलना हराम है अगर तुम मुहम्मद (ﷺ) की बेटियों को तलाक़ न दे दो। चुनांचे दोनों ने तलाक़ दे दी। और उतैबा तो जहालत में इतना आगे बढ़ गया कि एक दिन हुज़ूर के सामने आकर उसने कहा कि मैं 'अन-नजमि इज़ा हवा' और 'अल-लज़ी दना फ़तदल्ला' का इनकार करता हूँ, और ये कहकर उसने मुहम्मद ﷺ की तरफ़ थूका जो आप पर नहीं पड़ा।
मुहम्मद ﷺ ने फ़रमाया: "ख़ुदाया, इस पर अपने कुत्तों में से एक कुत्ते को मुसल्लत कर दे।"
इसके बाद उतैबा अपने बाप के साथ शाम के सफ़र पर रवाना हो गया। दौराने-सफ़र में एक ऐसी जगह क़ाफ़ले ने पड़ाव किया जहाँ मक़ामी लोगों ने बताया कि रातों को दरिन्दे आते हैं। अबू-लहब ने अपने साथ क़ुरैश के लोगों से कहा कि मेरे बेटे की हिफ़ाज़त का कुछ इन्तिज़ाम करो, क्योंकि मुझे मुहम्मद ﷺ की बद्दुआ का डर है। इस पर क़ाफ़िले वालों ने उतैबा के चारों तरफ़ ऊँट बिठा दिये और पड़कर सो गए। रात को एक शेर आया और ऊँटों के हलक़े में से गुज़रकर उसने उतैबा को फाड़ खाया।
अबू लहब के नफ़्स की गन्दगी का ये हाल था कि जब मुहम्मद ﷺ के बेटे हज़रत क़ासिम के बाद दूसरे बेटे हज़रत अब्दुल्लाह का भी इन्तिक़ाल हो गया तो ये अपने भतीजे के ग़म में शरीक होने के बजाय ख़ुशी-ख़ुशी दौड़ा हुआ क़ुरैश के सरदारों के पास पहुँचा और उनको ख़बर दी कि लो आज मुहम्मद ﷺ बेनामो-निशाँ हो गए।
मुहम्मद ﷺ जहाँ-जहाँ भी इस्लाम की दावत देने के लिये तशरीफ़ ले जाते, ये आपके पीछे-पीछे जाता और लोगों को मुहम्मद ﷺ की बात सुनने से रोकता।
रबीआ-बिन-अब्बादुद्देली बयान करते हैं कि मैं नई उम्र का लड़का था जब अपने बाप के साथ ज़ुल-मजाज़ के बाज़ार में गया। वहाँ मैंने मुहम्मद ﷺ को देखा कि, "आप कह रहे थे लोगो, कहो, अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं है, फ़लाह पाओगे। और आपके पीछे-पीछे एक शख़्स कहता जा रहा था कि ये झूठा है, बाप-दादा के दीन से फिर गया है। मैंने पूछा ये कौन शख़्स है? लोगों ने कहा ये इनका चचा अबू-लहब है।" [मुसनद अहमद, बैहक़ी]
दूसरी रिवायत इन्हीं हज़रत रबीआ से ये है कि मैंने मुहम्मद ﷺ को देखा कि आप एक-एक क़बीले के पड़ाव पर जाते हैं और फ़रमाते हैं, "ऐ बनी फ़ुलॉ, मैं तुम्हारी तरफ़ अल्लाह का रसूल हूँ। तुम्हें हिदायत करता हूँ कि सिर्फ़ अल्लाह की इबादत करूँ जिसके लिये अल्लाह ने मुझे भेजा है। आपके पीछे-पीछे एक और शख़्स आता है और वो कहता है कि ऐ बनी-फ़ुलां, ये तुम को लात और उज़्ज़ा से फेर कर उस बिदअत और गुमराही की तरफ़ ले जाना चाहता है जिसे ये लेकर आया है। इसकी बात हरगिज़ न मानो और इसकी पैरवी न करो। मैंने अपने बाप से पूछा ये कौन है। उन्होंने कहा ये इनका चचा अबू-लहब है।" [मुसनद अहमद, तबरानी]
तारिक़-बिन-अब्दुल्लाह अल-मुहारिबी की रिवायत भी इसी से मिलती-जुलती है। वो कहते हैं मैंने ज़ुल-मजाज़ के बाज़ार में देखा कि मुहम्मद ﷺ लोगों से कहते जाते हैं कि, "लोगो, ला-इलाहा इल्लल्लाह कहो, फ़लाह पाओगे। और पीछे एक शख़्स है जो आपको पत्थर मार रहा है, यहाँ तक कि आप की एड़ियाँ ख़ून से तर हो गई हैं, और वो कहता जाता है कि ये झूठा है, इसकी बात न मानो। मैंने लोगों से पूछा ये कौन है? लोगों ने कहा ये इनका चचा अबू-लहब है।" [तिर्मिज़ी]
नुबूवत के सातवें साल जब क़ुरैश के तमाम ख़ानदानों ने बनी-हाशिम और बनी-अब्दुल-मुत्तलिब का मुआशरती और मुआशी मुक़ातिआ किया और ये दोनों ख़ानदान मुहम्मद ﷺ की हिमायत पर साबित क़दम रहते हुए शेबे-अबी-तालिब में क़ैद हो गए तो अकेला यही अबू-लहब था जिसने अपने ख़ानदान का साथ देने के बजाए क़ुरैश के काफ़िरों का साथ दिया। ये बॉयकॉट तीन साल तक जारी रहा और इस दौरान में बनी-हाशिम और बनी-अल-मुत्तलिब पर फ़ाक़ों की नौबत आ गई। मगर अबू-लहब का हाल ये था कि जब मक्का में कोई तिजारती क़ाफ़िला आता और शेबे-अबी-तालिब के क़ैदियों में से कोई ख़ुराक का सामान ख़रीदने के लिये उसके पास जाता तो ये ताजिरों से पुकार कर कहता कि इनसे इतनी क़ीमत माँगो कि ये ख़रीद न सकें, तुम्हें जो ख़सारा भी होगा उसे में पूरा करूँगा। चुनांचे वो बेतहाशा क़ीमत तलब करते और ख़रीदार बेचारा अपने भूख से तड़पते हुए बाल-बच्चों के पास ख़ाली हाथ पलट जाता। फिर अबू-लहब उन्हीं ताजिरों से वही चीज़ें बाज़ार के भाव ख़रीद लेता। [इब्ने-सअद , इब्ने-हिशाम]
ये अबू लहब की हरकतें थीं जिनकी बिना पर उपर की आयतों में नाम लेकर इसकी मज़म्मत की गई। ख़ास तौर पर इसकी ज़रूरत इसलिये थी कि मक्का से बाहर के अहले-अरब जो हज के लिये आते, या मुख़तलिफ़ मक़ामात पर लगने वाले बाज़ारों में जमा होते, उनके सामने जब मुहम्मद ﷺ का अपना चचा आपके पीछे लग कर आपकी मुख़ालिफ़त करता, तो वो अरब की जानी पहचानी रिवायत के लिहाज़ से ये बात उम्मीद के ख़िलाफ़ समझते थे कि कोई चचा बिलावजह दूसरों के सामने ख़ुद अपने भतीजे को बुरा भला कहे और उसे पत्थर मारे और इस पर इलज़ाम तराशियाँ करे। इस वजह से वो अबू-लहब की बातों से मुतास्सिर होकर मुहम्मद ﷺ के बारे में शक में पड़ जाते। मगर जब ये सूरा नाज़िल हुई और अबू-लहब ने ग़ुस्से में बिफर कर ऑल-फॉल बकना शुरू कर दिया तो लोगों को मालूम हो गया कि मुहम्मद ﷺ की मुख़ालिफ़त में इस शख्स का क़ौल क़ाबिले-ऐतिबार नहीं है, क्योंकि ये अपने भतीजे की दुश्मनी में दीवाना हो रहा है।
ये था वो पूरा पसमंजर जिसने मुहम्मद ﷺ के जरिए अबू लहब के बारे में पेशनगोई कराई गई जो कि बिल्कुल ठीक साबित हुई।
अल्लाह से दुआ है कि हमे हक़ (सत्य) कुबूल करने वाला बनाएं।
आमीन।
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sirjitendrayadav · 10 months
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