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#पालक राइस
pratimamaurya · 1 year
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saniya1984 · 1 year
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तंदूरी वेजीस और पालक राइस | PAPRIKA SAUCE WITH SPINACH RICE| Saniya’s L...
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How to control uric acid levels naturally? यूरिक एसिड के स्तर को कंट्रोल करने के घरेलू उपाय
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How to control uric acid levels naturally? हमारे शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक बढ़ जाने से हमें गठिया जैसी गंभीर और कष्टदायक बीमारी का भी सामना करना पड़ सकता है. अगर आपको भी यह समस्या है तो आप अपनी डाईट में कुछ जरूरी बदलाव करके इस समस्या से निजात पा सकते हैं.
How to control uric acid levels naturally? आज के समय में हमारे समाज में लाखों लोग यूरिक एसिड की समस्या से जूझ रहे हैं ऐसे में हम सबको यूरिक एसिड के बारे में जानकारी लेना आवश्यक हो जाता है. आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे की यूरिक एसिड क्या होता है? वैसे तो यूरिक एसिड (How to control uric acid levels naturally?) हमारे खून में पाया जाने वाला एक वेस्ट मटेरियल है. आपको बताते चलें अगर हमारे शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा जरूरत से ज्यादा बढ़ जाए तो यह गठिया जैसी बीमारी का कारण बन सकता है तथा यूरिक एसिड बढ़ जाने की वजह से हमारे शरीर के हाथ-पैर,अंगूठे के जोड़ में तेज दर्द हो सकता है. इसके अलावा कई मामलों में किडनी फैलयर भी सामने आ सकता है. ऐसे में हम सबको यूरिक एसिड की समस्या को लेकर सावधान रहने की आवश्यकता है. अगर आपको यूरिक एसिड की समस्या (How to control uric acid levels naturally?) महसूस होती है तो इसे कभी भी हल्के मैं नहीं लेना चाहिए. यहां बताए गए नुस्खों की मदद से आप अपनी य���रिक एसिड की समस्या को को काफी हद तक कम कर सकते है
सही मात्रा में पानी पीने से कम होगा यूरिक एसिड- Drinking the right amount of water will reduce uric acid
बताते चलें जब हमारे शरीर में पानी की मात्रा बढ़ जाती है तो यह हमारे शरीर से यूरिक एसिड को बाहर निकालने का काम करता है. इसलिए अगर आपको यूरिक एसिड की समस्या (How to control uric acid levels naturally?)  महसूस होती है और आप अपनी यूरिक एसिड की समस्या से मुक्ति चाहते हैं तो आपको अपने शरीर में पानी के साथ साथ अन्य प्रकार के लिक्विड की मात्रा को बढ़ाना होगा. इसके लिए अगर आप चाहें तो अपने साथ एक पानी की बोतल हमेशा रख सकते हैं और कुछ घंटों के अंतराल पर आपको लगातार पानी पीते रहना चाहिए.
फाइबर वाले फूड्स होंगे फायदेमंद- Fiber rich foods will be beneficial
यूरिक एसिड को समाप्त करने के लिए हम कई तरह की चीजों का सेवन कर सकते हैं. इसके लिए हमें फाइबर वाली चीजें अपनी डाइट में शामिल करनी चाहिए. अगर आप अपने खाने में चने, दालें, अखरोट, ब्राउन राइस, पालक, ब्रोकली और सेब जैसी चीजें शामिल करते हैं तो काफी हद तक आप यूरिक एसिड की समस्या (How to control uric acid levels naturally?) से बच सकते हैं. इसके अलावा यूरिक एसिड से बचने के लिए विटामिन सी वाले फल जैसे संतरा, कीवी, स्ट्रॉबेरी के साथ-सथ टमाटर का भी इस्तेमाल करना चाहिए.
कॉफी पीने से मिलेगा आराम- You will get relief from drinking coffee
अगर आप यूरिक एसिड की समस्या से पीड़ित है तो आपको दिन में कम से कम एक या दो कप काफी जरूर पीना चाहिए. इससे यूरिक एसिड के स्तर Read Morehttps://dailyhealthguide.live/health-tips/how-to-control-uric-acid-levels-naturally/ Read the full article
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blogsbkr · 5 years
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मत्स्य बीज उत्पादन हेतु नर्सरी तालाब प्रबन्धन का उपयोग कैसे करें
(How to use nursery pond management for fish seed production)
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प्राय सभी तरह की खेती के लिये उत्तम गुणवत्ता के बीज की समुचित आपूर्ति अत्यन्त महत्वपू होती है। मत्स्य पालन भी इससे अछूता नही है। स्वस्थ एवं अधिक उत्तरजीविता प्राप्त हो, इसके लिये हैचरी आदि स्त्रोतों से प्राप्त मत्स्य बीज को उचित जलीय परिवेश युक्त प्राकृतिक आहार से परिपूर्ण  छोटे छोटे तालाबो में संचित किया जाता है। जिन्हें नर्सरी तालाब के नाम से जाना जाता है। अनुमानों के अनुसार स्पॉन से अंगुलिका आकार की अवस्था तक पहुचते पहुचते औसत केवल एक तिहाई या चौथाई मत्स्य बीज ही जीवित रह पाता हैं। जिसकी मुख्य वजह अपर्याप्त प्रबन्ध कार्य है। शिशु मीनो की जीवित रहने की दर को 50-70% तक आसानी से बढ़ाया जा सकता है। जिसके लिये निम्नलिखित कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण है।
·        मत्स्य बीज संचय के लिये स्थान का चयन (Selection of Location for Fish Seed Accumulation)
छोटे छोटे आयताकार मौसमी तालाब जिनका क्षेत्रफल 0.01-0.1 हे. के बीच तथा 1.0- 1.5 मी. तक रुकने की क्षमता हो, नर्सरी के रूप में उपयोग किये जा सकते है। मिट्टी की जांच संचय पूर्व करा लेनी आवश्यक है। एक सामान्य तालाब की मिट्टी में विभिन्न पोषक तत्वो की मात्रा निम्नलिखित रहती है। मिट्टी में यदि पोषक तत्वो की कमी हो तो इनका प्रयोग कर पूर्ण किया जा सकता है। मूलतः मिट्टी उपजाऊ रहनी चाहिए। नर्सरी तालाब बाढ़ इत्यादि के पानी मे डूबने वाले नही होने चाहिए। बहुत अधिक बृक्षों से अच्छादित नर्सरी भी उपयोगी नही होती है। जो क्षेत्र बाढ़ग्रस्त हो वहां सितम्बर माह के बाद जब पानी घटने लगे तब इस तरह के तालाबो का प्रयोग फ्राई से अंगुलिका पालन हेतु भी किया जा सकता है।
आकार (मिमी)
उम्र (दिन)
सामान्य नाम
6.0
3-4
स्पॉन
20-25
15-20
फ्राई
60-100
90-95
अंगुलिका
·        नर्सरी तालाब तैयारी (Nursery Pond Preparation)
संचय पूर्व नर्सरियों का पानी पूर्णतः बाहर कर सूखा लेना अच्छा है। यदि यह सम्भव नही हो तो महुआ की खली 2500 किग्रा/हे/मी के हिसाब से प्रयोग करने से अवांछनीय मछलियों का उन्मूलन हो जाता है। यह सड़ने के बाद खाद का काम भी करती है। महुआ कल्ली पादप प्लवक एवं जंतु प्लवक के संतुलित विकास में सहायता करता है जो नवजात फ्राई के अच्छी उत्तरजीविता को सुनिश्चित करता है। इसके प्रयोग के लगभग दो हप्ते बाद मत्स्य बीज का संचय किया जा सकता है। यह सुनिश्चित कर लेना आवश्यक है कि नर्सरी में हिसंक एवं तृणक मछलियां न रहे। नर्सरी में पानी के आवागमन एवं निकास द्वारा पर महीन जाली लगाना आवश्यक है जिससे बाहरी नुकसानदायक पदार्थ अथवा जीव नर्सरी में प्रवेश न कर सके।
तालाब के पी. एवं के अनुसार चुना का प्रयोग
क्र.सं.
मिट्टी का पी. एच
मिट्टी का प्रकार
(कैल्सियम आक्साइड) मात्रा/हे./मी. (कि. ग्रा.)
1
4.0-5.0
बहुत अधिक अम्लीय 
2000
2
5.0-6.0
सामान्य अम्लीय 
1000
3
6.0-6.5
उदासीन के पास
500
4
6.5-7.0
हल्की क्षारीयता
200
·        खादीकरण (Khadification)
खादीकरण की प्रकिया जीरा संचय के 4-5 दिन पहले करनी चाहिए। चुने का प्रयोग मिट्टी के पी.एच. अनुसार तालिका-2 में वर्णित मात्��ानुसार स्पॉन के संचय के 7 दिन पहले करना चाहिए। एक सामान्य उपजाऊ तालाब में गोबर 100 किग्रा./हे., सिगल सुपर फॉस्फेट 25 किग्रा/हे. तथा मुगफली या सरसो की खली 375 किग्रा/हे. के हिसाब से घोल बनाकर छिड़क दिया जाता है। इसके प्रयोग के 3-4 दिन बाद प्राकृतिक आहार सुक्ष्म पादप एवं जंतु प्लवकों के रूप में उपलब्ध हो जाता है। 15-20 दिन की पालन अवधि में प्लवकों की जांच करना भी उपयोगी है। यदि प्लवक कम दिखे तो ऊपर लिखित घोल की मात्रा का आधा भाग पुनः 6 एवं 11वां दिन फिर प्रयोग किया जाता है।
तालाब में खाद का प्रयोग
क्र.सं.
खादिकरण
स्पॉन संचय से 4-5 दिन पहले (कि. ग्रा.)/हे./मी.)
स्पॉन संचय से 6वां दिन बाद (कि. ग्रा.) / हे. /मी.)
स्पॉन संचय से 11वां दिन बाद (कि. ग्रा.) / हे. /मी.)
1
गोबर
100
50
50
2
सिंगल सुपर फास्फेट
25
12.5
12.5
3
सरसो/ मुगफली की खली
375
185
185
                    ·        जलीय किट-पंतगों की रोकथाम (Aquatic Insect Prevention)
नवजात शिशु मीन यानी स्पॉन (2.5-3.250 मिग्रा) अत्यंत छोटे एवं नाजुक होते है। जिन्हें जलीय किट अत्यधिक नुकसान पहुचाते है। संचय के एक दिन पूर्व इनका उन्मूलन कर लेना भी अत्यंत आवश्यक होता है। जलीय कीट-पतंग के नियंत्रन के लिए डीजल 75 लीटर/हेक्टेयर की दर से उपयोग किया जाता है। हालांकि कभी-कभी डीजल का उपयोग निरर्थक हो जाता है क्योंकि जलीय कीड़े पास के तालाब में निकलकर चले जाते है और बाद में पुनः वापस आ जाते है। इसलिए सबसे अच्छा तरीका स्पॉन संचय से पहले जलीय किडो को पकड़ने के लिए खीचा जाल (मच्छर दानी) का उपयोग करे। आधे पानी से भरी बाल्टी में किरासन तेल की अल्प मात्रा को डालकर तेल की पतली लेयर में जाल से एकत्रित कीड़ो को छोड़ दिया जाता है। कीड़ो के मरने के बाद उन्हें निकाल कर बाहर फेंक दिया जाता है।
·        मत्स्य बीज संचय (Fish Seed Accumulation)
मत्स्य बीज का संचय सुबह शाम ठण्डे मौसम में करना चाहिए। जल के तापमान में जल्दी जल्दी बढोतरी होने या घटने से स्पान बहुत अधिक प्रभावित होता है। कभी-कभी यह देखा गया है कि केवल तापमान अधिक होने की बजह से स्पॉन पूरा मर जाता है। संचय करते समय प्लास्टिक थैलियो को तालाब के पानी मे छोड़ने से पूर्व ऊपरी सतह के पानी को खूब हिला देना चाहिए। जब थैलियो और नर्सरी के जल का तापमान समान हो जाय तब धीरे धीरे स्पान/फ्राई छोड़ना चाहिए। नर्सरी में प्रति हेक्टेयर 30-50 लाख स्पॉन संचय किया जाता है। बीज उपलब्धता एवं अपनी आवश्यकता अनुसार मत्स्य पालक इससे कम भी संचय कर सकते है। अधिक संचय दर में अपेक्षित उत्तरजीविता दर प्राप्त नही होती है। साधारणतः नर्सरी में एक ही प्रजाति का पालन किया जाता है।
·        सम्पूरक आहार की आपूर्ति (Complementary Food Supplies)
अधिक संचय दर की वजह से नर्सरी में उपलब्ध प्राकृतिक जैव एवं पादक प्लवक शिशु मीनो के लिए पर्याय नही होते है। इस कमी को पूरा करने के लिए संतुलित सम्पूरक आहार नियमित रूप से पूरी पालन अवधि तक दिया जाता है। आहार में महीन पीसी मुगफली की खली एवं राइस पोलिस/आटा को 1:1 में मिलाकर दिया जाता है। यह मात्रा नर्सरियों में पाउड़र के रूप में समान रूप से नर्सरी तालाब में छिड़क दी जाती है। इससे स्पॉन को भोजन बराबर उपलब्ध होता रहता है। प्रति लाख स्पॉन को 600 ग्राम की दर से आहार दिया जाता है और उसके बाद इस खाद्द की मात्रा को प्रति दिन 100 ग्राम बढ़ा (600, 700, 800, ......, 2000 ग्राम 15वां दिन) कर 15-20 दिनों तक दिया जाता है। इस विधि द्वारा अच्छी बृद्धि होती है और अधिक से अधिक स्पॉन जीवित रहता है। यदि पालन अवधि 14-15 दिन तक रखनी हो तो 14 दिन खाना स्थगित कर 15 वे दिन इनको जाल द्वारा एकत्रित कर लिया जाता है। इस तरह की उचित देखरेख में इसकी औसत उत्तरजी दर 50-70% तक तथा आकार में 20-25 मिमी की हो जाती है। सामान्यत यह पालन अवधि बांछित आकार एवं उत्तरजीविता दर प्राप्त करने में सहायक होती है।
·        मत्स्य बीज आपूर्ति  (Fish Seed Supply)
आवश्यकनुसार मत्स्य बीज का (फ्राई) नर्सरियों में जाल चलाकर बड़े पालन तालाबो में संचय अथवा परिवहन किया जाता है। पैकिंग के लिए उसी जल का प्रयोग सर्वाधिक उचित है जहाँ से बीज प्राप्त किया गया हो। मत्स्य बीज के परिवहन एवं के संचय के लिये विशेष सावधानी अपनानी बहुत आवश्यक है। थोड़ी सी लापरवाई से बहुत नुकसान होता है। बीज परिवहन करते समय किसी जगह पर अधिक देर नही रुकना चाहिए इससे मच्छलीयो के मरने की आशंका बढ़ जाती है। अनुभव के आधार पर सामान्य परिस्थिति में 15-25 मि.मी. आकार के 400-500 फ्रीई एक पैलिथीन (70-75 से.मी.) में 24 घण्टे तक कि यात्रा तय कर सकते है। इनके अलावा ऐसे मत्स्य पालक जो बीज संवर्धन को व्यवसाय के रूप में अपनाना चाहते है। उत्पादित बीज की बिक्री कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते है। इस तरह के प्रवन्धन कार्यों से स्वस्थ एवं उच्च जीवन दर के मत्स्य बीज उत्पादन के साथ एवं आम जलकृषक को भी अच्छी गुणवत्ता का मत्सय बीज आसानी से प्राप्त हो जाता है।
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rudrjobdesk · 2 years
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बच्चे पालक नहीं खाते, तो आयरन के लिए ट्राई करें पालक राइस रेसिपी
बच्चे पालक नहीं खाते, तो आयरन के लिए ट्राई करें पालक राइस रेसिपी
  आपने अक्सर मटर पुलाव खाया होगा जोकि बहुत कॉमन है, लेकिन क्या आपने कभी पालक राइस (Spinach rice) की रेसिपी ट्राई की है? सर्दियों में घर में बच्चें हो या बड़े सबकी क���छ नया खाने की फरमाइश रहती है। ऐसे में अगर आपने कभी पालक राइस की रेसिपी नहीं आजमाई है तो आज हम इसी स्वादिष्ट और हेल्दी रेसिपी के बारे में आपको बताएंगे। इसको बनाना काफी आसान है और इसमें मौजूद पालक आपके परिवार के लिए आयरन की हेल्दी डोज…
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bhumikaskitchen · 2 years
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पालक पुलाव रेसिपी। पालक राइस रेसिपी।स्पिनच पुलाव रेसिपी (Spinach pulao Or Spinach Rice Recipe Palak Pulao Recipe Or Palak Rice Recipe In Hindi )
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Spinach Rice | पालक राइस - Healthy & Spicy | Instant Lunchbox | Iron Fiber Rich | Good Food https://youtu.be/AO6jTrZsfgE https://www.instagram.com/p/CLozvA6FzkL/?igshid=nrfjvzp21jwm
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वजन कम करने का तरीका
आज के भागती दौड़ती जिंदगी में खुद का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी हो जाता है। अगर आपका आज अच्छा है, तो कल को सही तरीके से बेहतर कर पाएंगे। आज के समय में शरीर को बीमारियों का घर कहा जा सकता है, तो ऐसे में सतर्क रहकर कार्य करें।
कई बीमारियों की वजह बढ़ता वजन  है। डॉक्टर के मुताबिक वजन कम कर लेने से भी कुछ हद तक समस्याओं से बचा जा सकता है। वजन कम करना आसान (wazan kam karne ka tarika) तो नहीं पर कोशिश जरूर की जा सकती है।
वजन कम करना क्यों है जरूरी
ऐसा माना जाता है कि बढ़ता हुआ वजन कई बीमारियों को बुलावा देता है। जिसमें मोटापा, शुगर ,हार्ट प्रॉब्लम मुख्य है। अगर आप के वजन प�� कंट्रोल नहीं रखा गया तो कहीं ना कहीं यह सारी बीमारियां अपने विकराल रूप में आ जाती हैं। वजन कम करने से हमारी दैनिक, शारीरिक गतिविधि सही तरीके से सही दिशा में अग्रसर होती है। वजन नियंत्रित रखने से मेटाबॉलिज्म रेट सही रहता है इसलिए वजन पर पूरा ध्यान दें।
अगर आप अपने बढ़ते वजन से परेशान हैं, तो हम आपको वजन कम करने के कारगर उपाय बताने जा रहे हैं आप जरूर उन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल कर लाभ लें।
कैसे करें वजन कम घरेलू तरीके से
अगर आप बढ़ते वजन से बहुत ज्यादा परेशान हैं, तो घरेलू रूप से उपाय किए जा सकते हैं। wazan kam karne ka tarika in hindi
1) नींबू और शहद
वजन कम करने (wazan kam karne) में इन दो सामग्री का मुख्य योगदान माना गया है। अगर आप सुबह खाली पेट गर्म नींबू पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर रोज पिएं इससे आपको जल्द ही फर्क महसूस होगा।
2) सेब का सिरका
फलों में सेब फायदेमंद है लेकिन अगर आप सेब के सिरके में थोड़ा सा शहद मिला कर पिए तो वजन घटाने में मदद मिल सकती है। सेब में पेपरिन फाइबर वजन घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
3) पत्ता गोभी
पत्तागोभी को ज्यादा से ज्यादा सब्जियों और सलाद के रूप में उपयोग किया जाता है ऐसा इसलिए क्योंकि पत्ता गोभी में उपस्थित टेरिटरिक एसिड कार्बोहाइड्रेट को वसा में परिवर्तित होने से रोक देता है। ऐसे में पत्ता गोभी को बहुत ज्यादा फ्राई नहीं करें तो बेहतर होगा।
4) अजवाइन पाउडर
अगर आप अजवाइन पाउडर को गर्म पानी में डालकर पिए तो इससे फायदा होगा। साथ में अगर शहद मिला लिया जाए तो और भी अच्छा होगा।
5) इलायची
अगर आप वजन कम करना चाहे तो रोजाना इलायची का सेवन करें। अगर रात में सोने से पहले इसे लिया जाए तो और भी फायदेमंद होगा। इलायची जमे हुए फैट को कम करती है और पाचन में सहायता करती है।
6) त्रिफला चूर्ण
इसमें त्रिफला चूर्ण आपके लिए फायदेमंद है। अगर आप  त्रिफला चूर्ण को रात में ही भीगा कर रख दे और सुबह तब तक उबालें जब तक वह आधा ना हो जाए। साथ ही इसमें एक चम्मच शहद भी मिलाएं। नियमित रूप से सेवन करने से वजन कम किया जा सकते हैं।
7) पुदीना
यह हमारी पाचन संबंधी समस्या को खत्म करती है। यदि पुदीना के रस  को पानी में घोलकर पिया जाए तो निश्चित रूप से ही आपको सफलता होगी।
8) आंवला
आंवला में विटामिन सी पाया जाता है और यह एंटी ऑक्सीडेंट भी है। यह मेटाबॉलिज्म को सही कर वजन कम करने में भी सहायक है। ऐसे में अगर आप रोजाना आंवले का सेवन करें तो आपके लिए फायदेमंद है।
9) हल्दी
हल्दी में बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर को मजबूती प्रदान करते हैं। यह पोषक तत्व आयरन, ओमेगा 3 फैटी एसिड, फाइबर होते हैं, जो शरीर से चर्बी को भी कम करते हैं।
10) सौफ
अगर आप सौफ हो बारीक पीस लें और उसे गुनगुने पानी के साथ पिए तो इससे बहुत ही ज्यादा फायदा होगा इसका उपयोग जरूर करें।
11) ग्रीन टी
अगर सोने से पहले ग्रीन टी पिया जाए तो इससे मेटाबॉलिज्म सही रहता है और वजन नियंत्रित रहता है लेकिन इसे बहुत ज्यादा सेवन करने से बचें।
वजन घटाने के बेहतरीन घरेलु नुस्खे
वजन कम करने के लिए खानपान का रखें ख्याल
अगर आप वजन कम करना (wazan kam karne) चाहते हैं, तो अपने खान-पान को व्यवस्थित रखें। कई सारे ऐसे आहार हैं, जो वजन बढ़ाने में सहायक हैं उन्हें पूरी तरह से त्याग दें।
1)  वजन कम करने के लिए यदि आप जौ, बाजरा ,रागी ,मसूर,  आंवला, अंकुरित अनाज, उबली हुई सब्जियों का उपयोग करें तो फायदेमंद होता है।
2) इसके अलावा ककड़ी, गाजर, सेब, चुकंदर आवश्यक रूप से ले।
3) हमेशा मौसमी फलों का सेवन करें इसमें आपको ऊर्जा मिलेगी।
4) हमेशा दूध का सेवन करें दूध में कैल्शियम हैं, जो वजन को कम करने में सहायक है।
5) जब भी रात्रि का भोजन करें तो वह हल्का ही करें। हल्का भोजन जल्दी पचता है और इससे पाचन शक्ति भी मजबूत होती है।
6) रात में भोजन के बाद तुरंत नहीं सोना चाहिए। कम से कम 2 घंटे का अंतराल जरूर रखें।
7) भोजन कभी भी जल्दबाजी में ना करें अच्छे से चबा चबा कर ही भोजन करें।
अपने जीवन शैली में करें बदलाव
अगर आप वजन कम करना (wazan kam karne) चाहते हैं, तो निरंतर रूप से खानपान के अलावा अपनी जीवनशैली में भी बड़ा बदलाव करें।
1) सुबह उठे, आलस त्यागे और सैर पर जाएं।
2) अगर आप सुबह सुबह योग का अभ्यास करें इससे निश्चित रूप से ही आपको फायदा होगा।
3) वजन घटाने के लिए वसा युक्त पदार्थों से दूरी बना ले।
4) ज्यादा से ज्यादा भोजन में हरी सब्जियां, दही, दाल का उपयोग करें।
5) गुनगुने पानी का सेवन करें।
6) अगर आप सप्ताह में 1 दिन उपवास करें तो इससे भी फायदा होगा।
7) आपके लिए अंकुरित अनाज का सेवन करना फायदेमंद होगा।
8) नींद हमेशा 6 से 8 घंटे की ही लें।
7 दिन में पेट की चर्बी कम करने के तरीके
खाना खाना ना छोड़े
कई बार लोग गलतियां कर बैठते हैं वह यह कि वजन कम करने के चक्कर में खाना खाना ही छोड़ देते हैं। शरीर को ऊर्जा की आवश्यकता होती है ऐसे में आप खाना छोड़ कर खुद को मुसीबत में डाल रहे हैं। आप खाना जरूर खाएं। आपको यह याद रखना है कि आप को संपूर्ण पोषक तत्वों से युक्त भोजन ही करना है। भले ही आप थोड़ा कम खाएं पर खाना छोड़ देना सही नहीं है।
अगर आप खाना छोड़ते हैं, तो शरीर में कमजोरी आ जाएगी। यह भी ध्यान रखने योग्य है खाना भरपेट न खाए बल्कि पेट से थोड़ा कम ही खाएं तब बेहतर फायदा देखा जा सकेगा।
वजन कम करने के लिए बनाए बेहतरीन जूस
अगर आप वजन कम करना चाह रहे हैं लेकिन अपने खानपान में नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं तो ऐसे में आप इस जूस से भी अपना वजन कम कर सकते हैं। इसे बनाना बेहद ही आसान है और सारी सामग्री घर में ही मिल जाती है।
जूस बनाने के लिए आवश्यक सामग्री
खीरा — एक, धनिया पत्ती — आधी कटोरी, नींबू का रस — एक चम्मच, एलोवेरा रस — 1 बड़ा चम्मच ,अदरक — कीसा हुआ, पानी — एक गिलास
आप सारी सामग्री को मिक्सी में पीस लें और उसे छानकर पी लें। इस बात का ध्यान रहे कि इसमें नमक ना मिला हो।
लौकी का जूस
इसी प्रकार लौकी के रस से भी आप अपना वजन कम कर सकते हैं। आयुर्वेदिक में भी लौकी के जूस को फायदेमंद बताया गया है।
सबसे पहले आप लोकी को छीलकर किस लें। एक गिलास पानी के साथ उसे मिक्सी में पीस लें।  अब उसे छान ले। आप चाहे तो उसमें सेंधा नमक डाला जा सकता है। इस जूस को रोजाना पीने से बहुत ही जल्द फायदा होता है इसे आप जरूर आजमाएं।
वजन कम करने के लिए महत्वपूर्ण डाइट
जब भी वजन कम करने की सोचते हैं, तो एक डाइट चार्ट का होना जरूरी है जो आपकी मदद कर सके।
1) सुबह का ड्रिंक — अगर आप सुबह-सुबह गुनगुना पानी पिए तो निश्चित रूप से फायदेमंद होगा।
2) नाश्ता — नाश्ता वजन कम करने के लिए कम कैलोरी का करें। जिसमें ओट्स, दलिया, ब्राउन ब्रेड, आमलेट लिया जा सकता है।
3) स्नैक्स — ऐसा भी होता है कि आपको स्नेक्स लेने का मन करें। ऐसे में आप दो बिस्किट और ग्रीन टी ले सकते हैं। वजन कम करने के लिए से तरबूज, केला, संतरा भी लिया जा सकता है।
4) लंच — दोपहर के खाने में भी कैलोरी का विशेष ध्यान रखना होगा। ऐसे में आप ब्राउन राइस, फिश, दाल ,ब्रोकली, उबली सब्जी, रोटी ले सकते हैं। साथ ही साथ रायता ,सलाद, हरी सब्जी और दाल लेना भी अनिवार्य है। ऐसे में आप व्हाइट ब्रेड ना ले और कम से कम तेल का उपयोग करें।
5) शाम का नाश्ता — कभी-कभी शाम को भी जोरों की भूख लग जाती है तो आप थोड़े ड्राई फ्रूट्स, उबले अंडे, ग्रिल्ड सेंडविच, फल ले सकते हैं।
6) डिनर — एक बात याद रखें कि डिनर  हल्का ही ले। इसके लिए आप चावल, चपाती, चिकन, राजमा ले सकते हैं।
7) सोने से पहले — अगर आप सोने से पहले ऐसा ड्रिंक ले जो वजन कम करने में सहायक हो तो अच्छा होगा।
उम्र के हिसाब से क्या हो सही डाइट चार्ट
वजन कम करने के लिए डाइट चार्ट का पालन करना जरूरी है लेकिन यदि उम्र के हिसाब से नया डाइट चार्ट बनाया जाए तो और भी फायदेमंद होगा।
1) 20 – 30  वर्ष — यह उम्र नाजुक उम्र है जिसमें सभी प्रकार का आहार लेना अनिवार्य है। इसमें कैल्शियम, आयरन, फालेट होना बहुत जरूरी है। अगर आप दूध, दही, पालक, दाल, मूंगफली, बींस को अपने आहार में शामिल करें, तो बहुत ही फायदेमंद होगा।
2) 30 – 40 वर्ष —  इस उम्र में थोड़ी शारीरिक परेशानी आ जाती है और अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो मैग्नीशियम की मात्रा का जरूर समावेश करें। आप बादाम, पालक, काजू, दही और सभी सब्जियों का उपयोग जरूर करें।
3) 40 — 50 वर्ष — बढ़ती उम्र में वजन करने में बहुत मुश्किल हो सकती हैं। ऐसे में आप विटामिन सी, विटामिन ई युक्त आहार के साथ सब फल, ब्रोकली,  टमाटर ,पीनट बटर, सनफ्लावर तेल, हरी सब्जी ,बादाम, गाजर ले तो बहुत ही फायदेमंद होगा।
4) 50 से ज्यादा वर्ष — इस उम्र में हड्डियां कमजोर हो जाती है इसलिए कैल्शियम और विटामिन डी आहार में जरूर शामिल करें। हड्डियों को मजबूत करने के लिए मछली, चिकन, लो फैट मिल्क, दही, चीज़ का भरपूर उपयोग करें। इस उम्र में वजन कम करने के बारे में गंभीरता से सोचते हुए निर्णय ले।
निष्कर्ष
वजन कम करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन अगर धैर्य और लगन के साथ इसे किया जाए तो निश्चित रूप से आपको सफलता मिलेगी। वजन कम करने में कुछ समय लग सकता है ऐसे में आप कोशिश करते रहिए।
हमारे बताएं सुझावों को अमल में लाकर आपको फायदा होगा। जीवन में आने वाली हर परेशानियों का सामना दृढ़ता से करें और आगे बढ़े। साथ ही अपने परिवार का पूरा ख्याल रखें।
Source : https://www.ghareluayurvedicupay.com/wazan-kam-karne-ka-tarika/
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kitchentadaka · 4 years
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काला चना और पालक ब्राउन राईस पुलाव रेसिपी | BLACK GRAM AND SPINACH BROWN RICE PULAO RECIPE काला चना और पालक ब्राउन राईस पुलाव एक काले छोले ,पालक, ब्राऊन राईस और सुगंधित मसालों के साथ बनाया गया एक पौष्टिक अहार है। BLACK GRAM AND SPINACH BROWN RICE PULAO RECIPE @https://www.kitchentadaka.in/2....020/08/black-gram-an यह उच्च प्रोटीन, उच्च फाइबर, कम वसा वाला एक पॉट भोजन एक त्वरित और सुविधाजनक विकल्प है जब आप जल्दी में होते हैं या सिर्फ एक विस्तृत भोजन पकाने के लिए थक जाते हैं, लेकिन फिर भी स्वादिष्ट भोजन खाना चाहते हैं। एक स्वस्थ, पौष्टिक भोजन के लिए हमारी आसान काला चना और पालक ब्राउन राइस पुलाव रेसिपी का पालन करें, जो स्वादिष्ट और संतोषजनक भी है। प्रतिरक्षा शक्ती को बढाता है: अपनी प्रतिरक्षा शक्ती को मजबूत करना चाहते हैं? यदि हाँ, तो अपने आहार में काला चना को शामिल करने पर विचार करें। एक प्रकार की बीन, पीले छोले के समान, यह लोहे, प्रोटीन, तांबा Iron, protein, copper और विटामिन जैसे पोषक तत्वों से भरा होता है, ये सभी आपकी प्रतिरक्षा शक्ती के निर्माण के लिए अच्छे हैं।काला चने फाइबर का एक बड़ा स्रोत हैं और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। BLACK GRAM AND SPINACH BROWN RICE PULAO RECIPE Kala Chana प्रोटीन में उच्चहै: ज्यादातर, मांसाहारी मछली और चिकन से प्रोटीन का हिस्सा प्राप्त करते हैं लेकिन शाकाहारियों के लिए, विकल्प सीमित हैं। सौभाग्य से, काले छोले, या काला चना के रूप में वे लोकप्रिय रूप से जाने जाते हैं, शाकाहारियों के लिए प्रोटीन का एक प्रमुख स्रोत के रूप में कार्य करते है। “फाइबर का एक बड़ा स्रोत, यह रक्त शर्करा के स्तर को विनियमित करने में मदद करता है। यह वजन कम करने में भी मदद करता है और शरीर में एसिड के निर्माण से बचने में मदद करता हैं। पालक खाने के फायदे: पोषक तत्वों से भरा हुआ है: पत्तेदार हरी सब्जियां, विशेष रूप से पालक, लगभग किसी भी अन्य सब्जी की तुलना में अधिक पोषक तत्व होते हैं। एक मात्र पके हुए पालक के प्याले में केवल 41 कैलोरी होती है और इसमें विटामिन K और A का असाधारण स्तर होता है। सब्जी में अन्य विटामिन और खनिजों के दैनिक मूल्यों का उच्च प्रतिशत होता है, जिसमें शामिल हैं: मैंगनीज (84 प्रतिशत) फोलेट (65.7 प्रतिशत) मैग्नीशियम (35.1 प्रतिशत) लोहा (35.7 प्रतिशत) तांबा (34.4 प्रतिशत) विटामिन B 2 (32.3 प्रतिशत) विटामिन B 6 (25.8 प्रतिशत) विटामिन E (24.9 प्रतिशत) कैल्शियम (24.4 प्रतिशत) पोटेशियम (23.9 प्रतिशत) विटामिन C (23.5 प्रतिशत) @https://www.kitchentadaka.in/2....020/08/black-gram-an वेबसाइट विसिट कर विस्तृत रेसिपी और एसी कई रेसिपीस पढे…
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pratimamaurya · 1 year
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हेअल्थी और टेस्टी पालक पुलाव जिसे बच्चे भी बड़े शौक से खाएंगे
पालक राइस या पालक पुलाव टेस्टी होने के साथ साथ एक हेअल्थी रेसिपी है पालक में कई तरह के विटामिंस मिनरल्स और आयरन होते हैं. जो कि सेहत के लिए बेहद जरूरी होते है पालक पुलाव को बनाने के लिए घर के मसाले का उपयोग किया गया है। घर में रखे चीजों से यह रेसिपी आसानी से बनकर तैयार हो जाता है। आप इसे लंच में या डिनर में कभी भी आसानी से बना कर खा सकते हैं। .बच्चो के साथ सभी की यही परेशानी रहती है की बच्चे पालक खाना पसंद नहीं करते है. आज आपकी ये परेशानी भी दूर हो जाएगी. आपके बच्चों के इलाज का एक दिलचस्प तरीका है जब वे एक अलग डिश मांगते हैं. इसके अलावा, अगर वे खाने में नखरे करते हैं, तो उन्हें यह चावल की रेसिपी खिलाना आसान हो जाएगा. तो चलिए देर किस बात कि हेअल्थी और टेस्टी पालक पुलाव  को बनाना शुरू करते हैं रेसिपी बनाने में बहुत आसान है
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kisansatta · 4 years
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स्वाद के साथ सेहत से भरी पालक-पनीर, जानें रेसिपी
अगर आपको पालक पनीर खाने का मन है और बहार से लाना नहीं चाहते तो घर पर ही बनाएं होटल जैसा पालक पनीर। तो आज बनाते है पालक पनीर-
पालक पनीर केलिए सामान:-
पालक- 1 गुच्छा पनीर- 150 ग्राम बारीक कटा प्याज- 2 बारीक कटी मिर्च- 2 जीरा- 1/2 चम्मच नीबू का रस- 2 चम्मच बारीक कटा लहसुन- 4 कलियां धनिया पाउडर- 11/2 चम्मच लाल मिर्च पाउडर- 1 चम्मच बटर+तेल- आवश्यकतानुसार घी- 1 चम्मच नमक- स्व��दानुसार
 तरीका:-
पालक की पत्तियों को अच्छी तरह से धो लें। एक बर्तन में उबालने के लिए पानी रखें और उसमें चुटकी भर नमक और बेकिंग सोडा डालें। जब पानी उबलने लगे तो उसमें पालक की पत्तियों को 20 सेकेंड के लिए डालें और तुरंत निकालकर ठंडे पानी में डाल दें। पालक की पत्तियों की प्यूरी बना लें। पैन में बटर और तेल के मिश्रण को गर्म करें और उसमें प्याज को सुनहरा होने तक भूनें। अब पैन में लहसुन डालें। लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर और नमक डालकर अच्छी तरह से मिलाएं। पैन को थोड़ा टेढ़ा करके तेल को एक किनारे करें और पैन के ऊपर हल्का-सा पानी छिड़कें। ऐसा करने से पैन में कुछ सेकेंड के लिए आग लग जाएगी और आपकी डिश में स्मोकी फ्लेवर आ जाएगा। पनीर के टुकड़ों को पैन में डालें और हल्के हाथों से मिलाएं। दो-तीन मिनट पकाएं। अब पालक की प्यूरी को पैन में डालें और एक उबाल आने के बाद गैस ऑफ कर दें। ग्रेवी को ज्यादा न उबालें नहीं, तो उसका प्राकृतिक हरा रंग गायब हो जाएगा। नीबू का रस डालकर मिलाएं। एक दूसरे पैन में घी गर्म करें और उसमें जीरा डालें। जब जीरा पकने लगे तो पैन में हरी मिर्च डालें और उसे तुरंत तैयार पालक पनीर में डाल दें। नान, परांठा या जीरा राइस के साथ सर्व करें।
https://kisansatta.com/healthy-spinach-paneer-with-taste-learn-recipe37888-2/ #HealthySpinachPaneerWithTaste, #LearnRecipe Healthy Spinach-Paneer with Taste, learn recipe Life, Trending #Life, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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onlinekhabarapp · 4 years
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सन्तुलित भोजन : कुन खानेकुरामा कस्तो पोषक तत्व ?
सामान्यतः खानपान र त्यसको पोषक तत्वबारे जानकारी भएमा सन्तुलित खाना तयार गर्न सकिन्छ । हामले एकैथरी खानेकुरा बढी खाएमा विकार बन्छ । किनभने शरीरका लागि विभिन्न पोषक तत्वको आवश्यक पर्छ । अतः धेरैजसो पोषक तत्व हामीले खानेकुराबाट प्राप्त गर्छौं ।
हाम्रो शरीरलाई भिटामिन, खनिज र फाइटोकेमिकल्स जस्ता केहि पोषक तत्वको आवश्यक हुन्छ, जसले अंग र प्रणालीको कार्यसंचालन गराउन सहयोग गर्छ । यी पोषक तत्वले हाम्रो शरीरलाई हानिकारक रोग पैदा गर्ने र पर्यवरणमा रहेको विषाक्त पदार्थको प्रभावबाट बचाउँछ । उचित पोषणले स्वास्थ्य राम्रो हुन्छ ।
अन्न– मटर, दाल, सिमी आदिमा उचित मात्रामा प्रोटिन पाइन्छ । गहँ, जौं, मकैं, चामल आदिमा कार्बोहाइड्रेट पाइन्छ । जौ, गहुँ, मकै, ब्राउन राइस आदिमा फाइबर पनि हुन्छ ।
सब्जी–मटर, पालक, च्याउ, फूलगोभी आदि सब्जी प्रोटिनको राम्रो श्रोत हो । आलु र जरा भएको सब्जीमा उचित मात्रामा कार्बोहाइड्रेट पाइन्छ । हरियो मटर, ब्रोकाउली, मूला, बन्दा गोभी आदिमा फाइबर पाइन्छ ।
फल– केरा, स्याउ, आरु आदि फलमा प्रोटिन पाइन्छ । केरा, आरु जस्ता फलमा कार्बोहाइड्रेट पाइन्छ । स्याउ, नासपति जस्ता फलमा फाइबर पाइन्छ ।
तेल– सरस्र्युको तेल, जैतुनको तेल, सोयाबिन तेल, सूर्यमुखी तेल आदिमा वोसो अधिक मात्रामा पाइन्छ ।
शरीरलाई आवश्यक पोषक तत्व
हाम्रो शरीरका लागि पाँच प्रकारको पोषक तत्व आवश्यक हुन्छ, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फ्याट, भिटामिन एवं मिनरल्स र फाइबर ।
प्रोटिन
प्रोटीनमा एमिनो एसिड हुन्छ, जो शरीरमा उर्जा बनाउन सहयोग गर्छ । हाम्रो शरीरमा २० प्रकारको एमिनो एसिड हुन्छ, जो शरीरको उचित कार्यप्रणालीका लागि आवश्यक हुन्छ । यसमा १२ एमिनो एसिडको निर्माण शरीरमा हुन्छ, बा“की एमिनो एसिड खानेकुराबाट प्राप्त हुन्छ ।
फ्याट
फ्याट अर्थात बोसोले आफ्नो विभिन्न कार्य पुरा गर्नका लागि शरीरलाई उर्जा दिन्छ । हाम्रो शरीरमा पोषक तत्व एक ठाउ“बाट अर्को ठाउ“मा लाने काम पनि बोसोले गर्छ । मूख्यत फ्याटी एसिड दुई प्रकारको हुन्छ, ओमेगा ३ फ्याटी एसिड र ओमेगा ६ फ्याटी एसिड ।
फाइबर
हाम्रो शरीरमा फाइबर पच्दैन । तर, फाइबरले पाचन यन्त्रलाइृ चुस्त बनाउ“छ । यसले कब्जियतबाट छुटकारा दिन्छ ।
भिटामिन र मिनरल्स
पाचन प्रक्रियालाई नियमित एवं शरीरको उचित विकासका लागि भिटामिन र खनिजको थोरै मात्रामा आवश्यक हुन्छ । यसैले हामीले आफ्नो आहारमा भिटामिन र खनिज पनि सेवन गर्नुपर्छ । यी पोषक तत्व अनज, सब्जी र तेलको माध्यामबाट मिल्छ ।
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zealthy · 5 years
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इन खाद्य पदार्थों से बढ़ाए शरीर में आयरन
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मासिक धर्म के दौरान होने वाले रक्त स्त्राव से खून की कमी हो सकती है, खासकर उन महिलाओं को जिन्हें हैवी पीरियड्स की शिकायत रहती है। प्रसव उम्र की महिलाएं जब मासिक धर्म से गुजरती हैं, तब कंप्लीट न्यूट्रिशन और खासकर, आयरन की कमी से बचना उनके लिए ज़रूरी हो जाता है। आयरन की कमी से पीरियड्स में मुश्किलें तो खड़ी होती ही हैं, साथ ही एनीमिया आदि रोगों का खतरा भी हो जाता है।
आयरन शरीर के लिए क्यों ज़रूरी है?/Why body needs iron? in hindi
जब शरीर में आयरन का स्तर भारी रक्तस्राव के कारण गिरता है तो यह एनीमिया का कारण बन सकता है। मासिक धर्म या पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग के कारण शरीर में आयरन की कमी हो जाना काफी आम है। शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए लाल रक्त कोशिकाओं (red blood cells) का उत्पादन करने के लिए आयरन की ज़रूरत होती है। एनीमिया के लक्षणों में चक्कर आना, कमजोरी, पीली त्वचा और घुटन महसूस होना शामिल हैं। यदि आपको एनीमिया है, तो आपका डॉक्टर आपको आयरन की गोलियां दे सकता है। इसके अलावा आप अपने आहार में बदलाव करके अपने आयरन के स्तर को बढ़ा सकती हैं। यहां कुछ ऐसे आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ हैं, जो आपके शरीर के आयरन लेवल को सही रखेंगे।
पत्तेदार साग होते है आयरन से भरपूर/Green leafy vegetables are rich in iron in hindi
ब्रोकोली, पालक और हरी पत्तेदार सब्जियाँ-
सभी आयरन और मिनरल्स से भरपूर हैं और इन्हें अपने रोज़ के भोजन में शामिल करना आसान है। इन सब्जियों को अपने भोजन का हिस्सा बनाएं। एक ज़रूरी जानकारी जो हम आपके साथ बांटना चाहेंगे और जिसके बारे में कम लोगों को मालूम है, वह यह है कि पका हुआ पालक कच्चे पालक से अधिक मात्रा में आयरन प्रदान करता है
फलियां होती है आयरन से भरपूर/Legumes are rich in iron in hindi
सेम मटर जैसी फलियां कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन बी से भरपूर होती हैं।
साथ ही ये लाल मांस (red meat) का एक अच्छा विकल्प भी हैं। इन्हें आप चाहे तो सलाद या सूप के रूप में भी ले सकती हैं।
स्ट्रॉबेरीज होती है आयरन से भरपूर/Strawberries are rich in iron in hindi
स्वादिष्ट स्ट्रॉबेरीज न केवल आयरन का एक बड़ा स्रोत होती हैं, बल्कि विटामिन-सी भी इनमें खूब पाया जाता है, जिससे यह शरीर को आयरन की अधिक मात्रा अवशोषित करने में मदद करती हैं।
इन्हें फल के रूप में, डेस्सर्ट और आइस-क्रीम के रूप में खूब पसंद किया जाता है।
सफ़ेद तिल होते है आयरन से भरपूर/White sesame is rich in iron in hindi
तांबा, फास्फोरस और विटामिन ई के साथ तिल के बीज आयरन का एक समृद्ध स्रोत हैं। सलाद और सैंडविच पर छिड़क कर इनका प्रयोग करना भी बेहद आसान है। भारत में तो यह सदियों से लड्डू और चिक्की के रूप में खाये और पसंद किए जाते हैं।
Read Also: अनियमित माहवारी और गर्भधारण के बारे में
ब्राउन राईस है आयरन में समृद्ध/Brown rice is rich in iron in hindi
ब्राउन राइस प्राकृतिक रूप से फाइबर से भरपूर होते हैं और सफेद चावल की तुलना में अधिक आयरन से युक्त होते हैं।
लाल और पीली शिमला मिर्च, टमाटर और ब्रोकोली जैसे विटामिन-सी से भरपूर खाद्य पदार्थों विटामिन-सी से भरपूर खाद्य पदार्थों के साथ इसे पकाकर आप एक आयरन से भरपूर भोजन आसानी से तैयार कर सकती हैं।
इन सबके अलावा एक और सुपर टिप जो हम आपको देना चाहेंगे वह यह है कि खाने को अधिक से अधिक लोहे के बर्तन जैसे कि लोहे की कढ़ाई में पकाएं। इससे भोजन में लौह तत्व की मात्रा अपने आप बढ़ जाएगी। आयरन की कमी से बचने के लिए इन उपायों को आज से ही अपनाएं और अपने अनुभव हमारे साथ शेयर करें।
Originally Published at Iron rich food
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gethealthy18-blog · 5 years
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क्रोहन (क्रोन) रोग के कारण, लक्षण और इलाज – Crohn’s Disease Causes, Symptoms and Treatment in Hindi
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क्रोहन (क्रोन) रोग के कारण, लक्षण और इलाज – Crohn’s Disease Causes, Symptoms and Treatment in Hindi
क्रोहन (क्रोन) रोग के कारण, लक्षण और इलाज – Crohn’s Disease Causes, Symptoms and Treatment in Hindi Soumya Vyas Hyderabd040-395603080 January 16, 2020
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि पेट से जुड़ी समस्याएं सामान्य भी हो सकती हैं और किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी। ऐसी ही एक बीमारी है क्रोहन। क्रोहन रोग, पेट में दर्द, दस्त या फिर लेख में बताए गए अन्य लक्षणों के साथ शरीर में दाखिल हो सकता है। इसलिए, जरूरी है कि इस रोग के विषय में आवश्यक जानकारी रखी जाए। स्टाइलक्रेज के इस लेख में जानिए कि क्रोहन रोग के कारण, लक्षण और जोखिम कारक क्या-क्या हो सकते हैं। इस लेख में क्रोहन रोग से बचने के उपाय के बारे में भी बताया गया है। साथ ही क्रोहन रोग का इलाज कैसे किया जा सकता है, इस विषय पर भी जानकारी दी गई है।
इस समस्या के बारे में बाकी जानकारी लेने से पहले यह जान लेना ज���ूरी है कि क्रोहन रोग होता क्या है।
विषय सूची
क्रोहन (क्रोन) रोग क्या है – What is Crohn’s Disease in Hindi
क्रोहन आंत से जुड़ा एक इंफ्लामेटरी रोग (Inflammatory Bowel Disease) है, जो क्रोनिक रोग की श्रेणी में गिना जाता है। यह सूजन और जलन के साथ व्यक्ति के डाइजेस्टिव ट्रैक्ट (Digestive Tract) को प्रभावित करता है। आमतौर पर यह रोग बड़ी आंत के शुरुआती भाग और छोटी आंत को प्रभावित करता है। लेकिन, क्रोन रोग व्यक्ति के डाइजेस्टिव ट्रैक्ट के किसी भी भाग (मुंह से लेकर गुदा) को अपनी चपेट में ले सकता है। यह रोग समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ता है। हालांकि, बीच बीच में कुछ समय के लिए इसके लक्षण हल्के हो जाते हैं (1)।
लेख में आगे जानिए क्रोहन रोग के प्रकार के बारे में।
क्रोहन (क्रोन) रोग के प्रकार – Types of Crohn’s Disease in Hindi
क्रोहन रोग के प्रकार को पांच भागों में बांटा जा सकता है –
इलोकैलाइटिस (Ileocolitis) : यह क्रोहन का आम प्रकार है। इस��ें पीड़ित व्यक्ति के कोलन (आंत का भाग) और इलीयम (छोटी आंत का अंतिम भाग) प्रभावित होता है।
जेजुनोइलाइटिस (jejunoileitis) : यह आमतौर पर छोटी आंत के बीच वाले भागे जेजुनम (Jejunum) को प्रभावित करता है।
इलाइटिस (Ileitis) : क्रोहन रोग का यह प्रकार इलीयम (ileum, छोटी आंत का अंतिम भाग) को प्रभावित करता है। इससे इलीयम में सूजन पैदा होती है।
गैस्ट्रोडोडोडेनल क्रोहन रोग (Gastroduodenal Crohn’s Disease) : क्रोहन रोग का यह प्रकार पेट और डूआडनल (Duodenal, छोटी आंत का शुरुआती भाग) को प्रभावित करता है।
क्रोहन (ग्रैनुलोमैटस) कोलाइटिस (Crohn’s (Granulomatous) Colitis) : क्रोहन रोग का यह प्रकार कोलन को प्रभावित करता है, जो बड़ी आंत का मुख्य हिस्सा होता है।
लेख के अगले भाग में आप जानेंगे कि क्रोहन रोग के कारण क्या-क्या हो सकते हैं।
क्रोहन रोग के कारण – Causes of Crohn’s Disease in Hindi
क्रोहन रोग के कारण के बारे में साफ तौर पर कुछ भी कहना मुश्किल होगा। अभी तक इसके सटीक कारण का पता नहीं लगाया जा सका है। डॉक्टर का मानना है कि नीचे बताए गए कारण इनमें शामिल हो सकते हैं (2) :
ऑटोइम्यून रिएक्शन : इस समस्या में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगती हैं। माना जाता है कि पाचन तंत्र के बैक्टीरिया ऐसे ऑटोइम्यून रिएक्शन की वजह हो सकते हैं, जिससे क्रोहन रोग के लक्षण जैसे आंत में सूजन जैसी समस्या हो सकती है।
आनुवंशिक: माना जाता है कि क्रोन रोग आनुवंशिक भी हो सकता है। अगर किसी के माता-पिता या भाई-बहन को क्रोहन रोग रहा हो तो उस व्यक्ति को भी यह हो सकता है।
अन्य कारण : क्रोहन रोग के कारण में धूम्रपान, नॉनस्टेरॉइडल एंटी इंफ्लामेटरी दवाइयां (जैसे बर्थ कंट्रोल पिल्स या एस्पिरिन ) और उच्च फैट युक्त आहार भी शामिल हो सकते हैं।
क्रोहन रोग के कारण जानने के बाद आइए अब आपको बताते हैं कि क्रोहन रोग के लक्षण क्या-क्या हो सकते हैं –
क्रोहन रोग के लक्षण – Symptoms of Crohn’s Disease in Hindi
क्रोहन रोग के लक्षण सभी में एक समान नहीं होते। यह इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि रोग डाइजेस्टिव ट्रैक्ट के किस भाग में है और कितना गंभीर है। कुछ ऐसे लक्षण हैं जो आम हो सकते हैं, जैसे (2) :
डायरिया
पेट में दर्द और मरोड़
वजन कम होना
इसके अलावा, क्रोहन रोग के लक्षण कुछ और भी हो सकते हैं, जैसे :
खून की कमी (एनीमिया)
आंखों का लाल होना या दर्द
थकान
बुखार
जोड़ों में दर्द या अकड़न
मतली या भूख न लगना
लेख के इस भाग में जानिए कि क्रोहन (क्रोन) रोग के जोखिम कारक क्या-क्या हो सकते हैं।
क्रोहन (क्रोन) रोग के जोखिम कारक – Risk Factors of Crohn’s Disease in Hindi
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि क्रोहन आंत से जुड़ा एक इंफ्लामेटरी रोग और इसके कई जोखिम कारक हो सकते हैं। क्रोहन (क्रोन) रोग के जोखिम कारक कुछ इस प्रकार हो सकते हैं (3) :
धूम्रपान।
अपेंडिक्स (बड़ी आंत से जुड़ी एक छोटी नली) की सर्जरी।
गर्भनिरोधक गोलियों या एंटीबायोटिक दवा।
शुगर और फैट से भरपूर डाइट।
किसी प्रकार का संक्रमण।
जिन्हे पहले गैस्ट्रोएंटेराइटिस (आंत से जुड़ा संक्रमण) की समस्या रही हो।
क्रोहन रोग के जोखिम कारक, कारण और लक्षण जानने के साथ यह जानना भी जरूरी है कि क्रोहन रोग का इलाज किस तरह किया जा सकता है। नीचे इससे जुड़ी जानकारी दी गई है।
क्रोहन (क्रोन) रोग का इलाज – Treatment of Crohn’s Disease in Hindi
क्रोहन रोग के उपचार के बारे में बात करें तो इसका इलाज सभी के लिए एक समान काम नहीं करता। इन उपचारों का उपयोग खासकर इसके लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है। ये उपचार तीन तरह से किए जा सकते हैं (4):
दवाइयों की मदद से
आंत को आराम देकर
सर्जरी
दवाइयों की मदद से :
निम्नलिखित दवाइयों की मदद से इसके लक्षणों को कम करके, क्रोहन रोग का इलाज किया जा सकता है :
अमीनोसिलिलेट्स (Aminosalicylates) : इन दवाइयों में एक खास तरह का एसिड (5-ASA) पाया जाता है, जो सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। इसके कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जैसे :
डायरिया
सिरदर्द
सीने में जलन
मलती और उल्टी
पेट दर्द
कॉर्टिकोस्टेरॉइड (Corticosteroids) : ये दवाइयां ऑटोइम्यून रिएक्शन और इन्फ्लेमेशन को कम करने में मदद करती हैं, जिससे क्रोहन रोग के लक्षण को कम करने में मदद मिल सकती है। इसके दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जैसे :
मुंहासे
उच्च रक्तचाप
हाई ब्लड शुगर
हड्डियों का घनत्व कम होना
संक्रमण का खतरा
मूड स्विंग
वजन बढ़ना
इम्यूनोमॉड्यूलेटर्स (Immunomodulators) : ये दवाइयां ऑटोइम्यून रिएक्शन को कम करती हैं, जिससे सूजन कम करने में मदद मिल सकती है। इन्हें ठीक से काम करने में कुछ हफ्तों से तीन महीने तक का समय लग सकता है। ये दवाइयां उन्हें दी जाती हैं, जिन पर कोई और दवा काम नहीं करती। इसके दुष्प्रभाव कुछ इस प्रकार हो सकते हैं :
सफेद रक्त कोशिकाओं का कम होना, जिसके कारण संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
थकान
उल्टी और मलती
पैन्क्रियाटाइटिस (अग्न्याशय में सूजन)
आंत को आराम देकर :
अगर किसी के लक्षण ज्यादा गंभीर हो तो दवाइयों के अलावा, क्रोहन रोग का इलाज आंत को आराम देकर भी किया जा सकता है। इसमें डॉक्टर कुछ खास पेय पदार्थों का सेवन करने की सलाह दे सकता है। यह कुछ इस प्रकार किया जा सकता है –
पोषक तत्वों से भरपूर पेय पदार्थों का सेवन।
ट्यूब के माध्यम से पोषक तत्वों से भरपूर पेय पदार्थों को पेट या छोटी आंत तक पहुंचाना।
खून के माध्यम से शरीर में कुछ खास पोषक तत्वों को पहुंचाना।
सर्जरी :
क्रोहन रोग का इलाज सर्जरी के जरिए भी किया जा सकता है। यह सर्जरी इस रोग के लक्षणों में सुधार और जटिलताओं को कम करने में मदद कर सकती है। क्रोहन रोग के उपचार के दौरान कुछ खास परिस्थितियों में डॉक्टर सर्जरी करने की सलाह देते हैं, जो निम्नलिखित हो सकती हैं :
फिस्टुला के कारण(शरीर के दो हिस्सों के बीच एक अप्राकृतिक जोड़)
जानलेवा रक्तस्त्राव
आंत में कसावट (खाना, पेय पदार्थ, हवा या मल का आंत से न गुजर पाना)
दवाइयों के जानलेवा दुष्प्रभाव
जब दवाइयों से लक्षण बेहतर न हो।
इलाज के साथ आहार का ध्यान रखना भी जरूरी है। इसलिए, क्रोहन रोग के उपचार के बाद जानिए क्रोहन रोग के दौरान कौन-कौन से खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल किया जा सकता है।
क्रोहन रोग आहार – Crohn’s Disease Diet in Hindi
क्रोहन रोग के प्रकार के अनुसार, आहार के क्या खाना है, इस बारे में सटीक जानकारी डॉक्टर ही दे पाएंगे। लेकिन इस दौरान आहार से जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखने से फायदा मिल सकता है (5)।
सोडा वाले पेय पदार्थों का सेवन न करें।
उच्च फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे पॉपकॉर्न, नट्स आदि खाने से बचें।
अधिक तरल पदार्थ का सेवन करें।
एक साथ बहुत सारा न खाएं।
समस्या के अनुसार डॉक्टर उच्च कैलोरी, लेक्टोस-फ्री, लो फैट, लो फाइबर या लो सॉल्ट युक्त आहार का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं।
इन बातों के अलावा यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि किन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचने की सलाह दी जाती है (6) :
श्रेणी क्या न खाएं दूध और दूध के उत्पाद क्रीम वाला दूध, क्रीम, बेरी/संतरे वाला दही, नट्स या फैट वाली आइसक्रीम मीट फ्राइड मीट, सॉसेज, बेकन, फ्राइड अंडे और  हॉट डॉग अधिक प्रोटीन नट्स,सूखे बीन्स और मटर अनाज होल ग्रेन, ब्राउन राइस और साबुत अनाज से बने सीरियल सब्जी ब्रोकली, गोभी, मक्का, पत्तेदार सब्जियां (जैसे पालक, सरसों और शलजम) प्याज, और मशरूम फल छिले हुए सेब, पके हुए केले और मेलन (खरबूजा/तरबूज) पेय पदार्थ  कैफीन युक्त पेय, शराब और कोला
शक्कर और कॉर्न सिरप से बने कोल्ड ड्रिंक्स, फ्रूट जूस आदि
फैट और तेल एक दिन में आठ चम्मच से ज्यादा न खाएं।
ऊपर बताए गए खाद्य पदार्थ उच्च फाइबर/लेक्टोस/फैट/ग्लूटेन से समृद्ध हैं, जो क्रोहन रोग के लक्षण जैसे डायरिया, पेट दर्द, सूजन, गैस आदि को बढ़ा सकते हैं। इस वजह से इन्हें आहार में शामिल न करने की सलाह दी जाती है (7)।
लेख के आखिरी भाग में जानिए क्रोहन रोग से बचने के उपाय से बारे में।
क्रोहन रोग से बचने के उपाय – Prevention Tips for Crohn’s Disease in Hindi
लेख में हम पहले भी बता चुके हैं कि क्रोहन एक प्रकार का आंत से जुड़ा इंफ्लेमेटरी रोग है। ऐसे में इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज से बचने की टिप्स क्रोहन रोग से बचने के उपाय के रूप में काम कर सकती हैं। इन टिप्स के बारे में नीचे बताया गया है (8) :
धूम्रपान न करें
जरूरी टीकाकरण करवाएं। इससे संक्रमण का खतरा कम हो सकता है।
हर रोज व्यायाम और कुछ शारीरिक गतिविधि करें।
संतुलित आहार लें।
एनीमिया से बचें
ऐसी दवाइयों से बचें जो क्रोहन रोग का कारण बन सकती हैं, जैसे नॉनस्टेरॉइडल एंटी इंफ्लामेटरी दवाइयां।
हम उम्मीद करते हैं कि लेख के माध्यम से आपको क्रोहन रोग के कारण, लक्षण और इससे जुड़ी अन्य जरूरी जानकारी मिल गई होंगी। इस बात को भी आप अच्छी तरह समझ गए होंगे कि क्रोन रोग आंत के साथ पूरे शरीर को किस तरह प्रभावित कर सकता है। इसलिए, क्रोहन रोग के लक्षण दिखने पर तुंरत डॉक्टर से संपर्क करें और इलाज करवाएं। इसके अलावा, अगर आपके मन में क्रोहन रोग के उपचार या अन्य संबंधित विषयों से जुड़ा कोई भी सवाल है, तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स की मदद ले सकते हैं।
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Soumya Vyas
सौम्या व्यास ने माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, भोपाल से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में बीएससी किया है और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ जर्नलिज्म एंड न्यू मीडिया, बेंगलुरु से टेलीविजन मीडिया में पीजी किया है। सौम्या एक प्रशिक्षित डांसर हैं। साथ ही इन्हें कविताएं लिखने का भी शौक है। इनके सबसे पसंदीदा कवि फैज़ अहमद फैज़, गुलज़ार और रूमी हैं। साथ ही ये हैरी पॉटर की भी बड़ी प्रशंसक हैं। अपने खाली समय में सौम्या पढ़ना और फिल्मे देखना पसंद करती हैं।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/crohn-rog-ke-karan-lakshan-aur-ilaj-in-hindi/
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rajatgarg79 · 6 years
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जाने कैसे अकेलेपन का कारण बन चुके मोटापे को अदिति ने किया कम
कभी कभी हमारे आसपास के लोग हमारे मन में इतनी उलझने पैद कर देते हैं कि हमारे लिए उन्हें बर्दाश्त करना मुश्किल हो जाता है। कुछ ऐसा ही 24 साल की अदिति के साथ था। अदिति अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से स्कूल व कॉलेज के दौरान अपने मोटापे को लेकर बहुत कुछ सुना करती थी। अधिक वजन के साथ-साथ, वो पीसीओएस से भी लड़ रही थी, जिसकी वजह से उनके लिए वजन कम करना और भी ज्यादा मुश्किल हो गया था।
(और पढ़ें - वजन घटाने के उपाय)
आइए इस लेख में जानते हैं कि कैसे अदिति ने अपना 58 किलो वजन कम किया:
आपने वजन घटाने का फैसला कब लिया?
जब मेरा वजन बहुत अधिक था, तो मुझसे बात करने के लिए हर कोई कतराता था। मेरे कोई दोस्त नहीं थे और इसकी वजह से मेरा आत्म विश्वास भी टूट गया था। मेरे अधिक वजन की वजह से हर कोई मेरा मजाक बनाता था। सबसे दुख की बात तब होती थी, जब मेरे रिश्तेदार मेरे मोटापे को देखकर हंसा करते थे। मुझे पीसीओएस भी था जिसकी वजह से वजन कम कर पाना और ज्यादा मुश्किल हो गया था। मैं अपने मोटापे को लेकर बेहद परेशान हो गयी थी और आखिर में मैंने चुनौती लेकर वजन कम करने का फैसला लिया। 
(और पढ़ें - संतुलित आहार चार्ट)
आप क्या खाती थी?
मेरा नाश्ता:  म्यूस्ली और एक कप दूध।  
मेरा दोपहर का खाना:  दो रोटी और एक कटोरी सब्जी या एक कटोरी दाल और कुछ चावल।  
मेरा रात का खाना:  दो रोटी और एक कटोरी सब्जी या एक कटोरी दाल और कुछ चावल।  
चीट डेस के समय:  मैं चीट डेस के दौरान पूरा दिन बाहर का खाना खाने पर विश्वास नहीं करती। मैं एक ही समय अपना पसंदीदा खाना चिली चिकन और फ्राइड राइस खाती थी।  
कम कैलोरी वाला खाना:  अंडे की सफेद जर्दी जो बटर में बनाती थी और पालक की स्मूथी बनाकर पीती थी।
(और पढ़ें - वजन कम करने के लिए डाइट टिप्स)
क्या आप वर्कआउट करती थीं?
शरीर के प्रत्येक अंग के लिए मैं रोजाना कार्डियो और वेट ट्रेनिंग मिलाकर व्यायाम किया करती थी और कभी-कभी सिर्फ 10 से 15 मिनट कार्डियो करती थी।
(और पढ़ें - फिट कैसे रहें)
आप इस दौरान कैसे प्रेरित रहीं?
जब भी मुझे महसूस होता था कि मेरी हिम्मत डगमगा रही है, तभी मैं अपनी पुरानी फोटो देख लिया करती थी। पुरानी फोटो देखकर मुझे प्रेरणा मिलती थी और यही सोचती थी कि मैंने अभी तक अपना इतना लक्ष्य तो हासिल कर लिया है, इसलिए मुझे अपनी इस मेहनत को बीच में नहीं छोड़ना है।
(और पढ़ें - पेट कम करने के लिए डाइट चार्ट)
आपने ये कैसे सुनिश्चित किया कि आप कभी अपने लक्ष्य से भटकेंगी नहीं?
प्रोत्साहन एक ऐसी चीज है जिसकी आपको हमेशा जरूरत होती है। तो मैं हमेशा अपने आपको प्रोत्साहित करती थी जिससे मैं अपने लक्ष्य से कहीं भटक न पाऊं।
(और पढ़ें - पेट कम करने के उपाय)
अधिक वजन की वजह से आपके लिए कौन सा हिस्सा सबसे मुश्किल भरा था?
जब लोग आपके ऊपर हँसते हैं और आपका मजाक बनाते हैं तो आपको बहुत दुःख होता है। लेकिन सबसे ज्यादा दुःख तब महसूस होता है जब आपके रिश्तेदार आपके बारें में बातें बनाते हैं। मेरे मोटापे की वजह से मैं लोगों के बीच कम बैठा करती थी।
(और पढ़ें - कमर पतली करने के योगासन)
आप खुद को कुछ सालों में किस आकार में देखना चाहती हैं?
मैं हमेशा फिट और इसी वजन को बनाए रखना चाहती हूं। मैं फिर से उसी आकार में नहीं जाना चाहती।
(और पढ़ें - वजन कम करने के लिए क्या खाएं)
जीवनशैली में बदलाव लाने के लिए आपने क्या-क्या किया?
वजन कम करने के लिए, मैंने पूरी तरह से अपनी जीवनशैली बदली। पहले मैं कुछ भी खा लिया करती थी, लेकिन अब मैं कुछ भी खाने से पहले कैलोरी गिनती हूं क्योंकि मुझे स्वस्थ जीवनशैली की अहमियत पता है।
(और पढ़ें - मोटापा कम करने के लिए एक्सरसाइज)
आपके लिए सबसे निराशाजनक बात क्या थी?
अधिक परिश्रम करने के बाद भी मेरा वजन उतना ही रहता था। तब मैंने महसूस किया कि रोजाना आपकी बॉडी को बदलाव की जरूरत होती है, इस तरह मैं अपने वर्कआउट रूटीन में रोज बदलाव करती थी। मैंने अपने वर्कआउट में स्विमिंग को भी शामिल किया और इस तरह मुझे अपने में बदलाव दिखने लगे।
(और पढ़ें - वजन कम करने के लिए योग)
वजन घटाने के बाद आपने क्या सीखा?
मैंने वेट लॉस के दौरान ये सीखा कि खुशहाल जीवन जीने के लिए स्वस्थ जीवनशैली को बनाए रखना बेहद जरूरी है।
(और पढ़ें - मोटापा कम करने के लिए डाइट चार्ट)
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आशा करते हैं कि आपको अदिति के बारे में पढ़ कर प्रेरणा मिली होगी और अब आप अपना वजन घटाने का सफर ज़रूर शुरू करें। 
अगर आपके पास भी अपनी या अपने किसी मित्र, परिवार के सदस्य या परिचित की कोई ऐसी ही प्रेरणा देने वाली कहानी है, तो हमसे ज़रूर शेयर करें। आप अपनी कहानी हमें [email protected] पर ईमेल कर सकते हैं।
from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख via https://www.myupchar.com/weightloss/how-aditi-lost-58-kg-to-overcome-loneliness
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surajbazar · 6 years
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महिलाओं की प्रजनन क्षमता को बढाने वाले ये प्राकृतिक 9 आहार  These natural 9 food enhancing the fertility of women
प्रत्येक स्त्री के लिए सबसे अधिक कीमती और मनचाहा पल मां बनना होता है. परन्तु जब किसी स्त्री को माँ बनने में कठिनाई होती है तो  वह तनावग्रस्त हो सकती है। लकिन महिलाओं में बांझपन कई कारणों से हो सकता है। परन्तु विशेषज्ञों का ऐसा मानना हैं कि उचित आहार व उचित तरीके से आहार लेना भी प्रभावी उपाय है। गर्भधारण में भोजन अपनी अहम भूमिका निभाता है, अधिकतर महिलाएं जिसका ध्यान ही नहीं देतीं। लेकिन, इसके  महत्व को नकारा नहीं जा सकता और भोजन के प्रति की गयी यह लापरवाही गर्भधारण के मद्देनजर काफी गंभीर व नुकसानप्रद सबित हो सकती हैं. आमतौर पर गर्भवती महिलाओं के भोजन को लेकर खास एहतियात बरती जाती है। उन्हें ऐसा भोजन ही करने को दिया जाता है। जिससे उनके स्वास्‍थ्‍य पर बुरा असर न पड़े। लेकिन, कुछ महिलाएं किन्हीं कारणों से गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। इसके पीछे कई अन्य कारणों के अतिरिक्त खराब जीवनशैली भी एक कारण होता है। 1. हरी पत्तेदार सब्जियां हरी पत्तेदार सब्जियां प्रजनन अंगों को स्वस्थ रखती हैं। खासकर पालक में मौजूद आयरन, फोलिक एसिड व एंटीऑक्सीडेंट्स इस मामले में  काफी मददगार साबित होते हैं। पालक में मिलने वाला फोलिक एसिड ना सिर्फ प्रेंगनेंट होने में मदद करता है बल्कि नवजात में होने वाली समस्याओं से भी बचाता है। 2. पीली व नारंगी सब्जियाँ--- महिलाओं को अपने भोजन में नारंगी व पीले रंग की सब्जियों को शामिल करना चाहिए। ये सब्जियां एंटी ऑक्सीडेंट व बीटा केरोटीन का अच्छा स्रोत होती हैं। बीटा केरोटीन महिलाओं में हार्मोन्स के असंतुलन को कम करता है जिससे उनको कंसीव करने में मदद मिलती है। इसके अलवा इनसे गर्भपात की संभावना भी कम हो जाती है। 3. रेशा युक्त आहार लें---- महिलाओं को अपने भोजन में साबुत अनाज, ब्राउन राइस, गेहूं की ब्रेड, बींस और फ्लैक्स सीड शामिल करना चाहिये। क्योंकि ये रेशे वाले आहार हैं जो पचने में आसान होते हैं, अगर पाचन क्रिया सही रहेगी तो शरीर में कोई भी विषैला तत्व भी नहीं रहेगा। 4. ज्यादा पानी पीएं---- स्वस्थ्य रहने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए यह तो सभी जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं ज्यादा पानी पीने से कंसीव करने भी मदद मिलती है। ज्यादा पानी पीने से प्रजनन अंग ठीक से कार्य करते हैं और उन तक प्राकृतिक तरल पदार्थ जिससे स्पर्म सर्विक्स तक आसानी से पहुंचते हैं. 5. गाजर खाएं---- महिलाओं को गर्भवती होने के लिए जरूरी है कि उनके मासिक धर्म नियमित हो. इसके लिए गाजर, मटर, स्वीट पटैटो  आदि का सेवन करें इससे मासिक धर्म नियमित रहेगा और आप जल्दा कंसीव कर पाएंगी। 6. विटामिन सी लें--- विटामिन सी वाले आहार, जैसे- संतरा, स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी व किवी फ्रूट का नियमित सेवन करने से महिलाओं को कंसीव करने में मदद मिलती है। 7. डेयरी प्रोडक्ट भरपूर लें--- डेयरी प्रोडक्ट महिलाओं में प्रजनन क्षमता को बढ़ाते हैं. इसलिए महिलाओं को दूध, दही खाना चाहिए इसके अलावा मछली में मिलने वाला एमीनो असिड भी फर्टिलिटी बढ़ाता है. इसलिए आप इसे भी अपने खाने में शामिल कर सकती हैं। 8. बादाम व ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त भोजन लें ---- गर्भवती होने के लिए महिलाएे बादाम, अखरोट और एप्रीकॉट भी खा सकती हैं. इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है, जो कि शरीर के लिए काफी जरूरी है। 9. ताजे और ऑरगेनिक फल---- प्रेगनेंसी की चाहत रखने वाली महिलाओं को अपनी डाइट में ताजे और ऑरगेनिक फल अवश्य ही शामिल करने चाहिये। इन्हैं ज्यादा से ज्यादा ताजे फल लेने चाहिये और ऐसे फल जो पैक या प्रिजर्व करके रखे रहते हैं, उनमें केमिकल मिला होता है। इन प्रीजर्व फलों से यथा संभव बचना चाहिये। और हाँ, अन्त में सबसे महत्व पूर्ण बात यह है कि एल्कोहल और धूम्रपान से करें तौबा कर लें। डॉक्टर भी मानते हैं कि धूम्रपान और एल्कोहल का गर्भधारण की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। चिकित्सक सलाह देते हैं, कि अगर आप गर्भधारण करना चाहती हैं तो बेहतर रहेगा कि आप इन सब चीजों से दूर रहें,अन्यथा आपको गर्भधारण में समस्या आ सकती है।
mahilaon kee prajanan kshamata ko badhaane vaale ye praakrtik 9 aahaar
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