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#पीसीओएस का इलाज
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जानिए क्या है बल्कि युटेरस हिंदी में। कारण, लक्षण और उपचार (Bulky Uterus in Hindi)
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बल्कि यूटेरस क्या है? What is a Bulky Uterus?
बल्कि यूटेरस (Bulky Uterus)  एक ऐसी स्थिति है जहां गर्भाशय अपने सामान्य आकार से बड़ा हो जाता है। गर्भाशय, जिसे कोख या ” बच्चेदानी ” भी कहा जाता है, महिलाओं में मुख्य प्रजनन अंग है। इसका आकार नाशपाती जैसा है और इसकी लंबाई लगभग 8 सेंटीमीटर, चौड़ाई 5 सेंटीमीटर और मोटाई 4 सेंटीमीटर (8 सेमी x 5 सेमी x 4 सेमी) है। बल्कि यूटेरस में, यह सामान्य आकार बढ़ जाता है।
यह विभिन्न कारणों से हो सकता है, जिनमें हार्मोनल असंतुलन, फाइब्रॉएड (गैर-कैंसरयुक्त वृद्धि), एडेनोमायोसिस adenomyosis (जहां गर्भाशय की आंतरिक परत इसकी मांसपेशियों की दीवार में बढ़ती है), या अन्य स्वास्थ्य स्थितियों की उपस्थिति शामिल है। बल्कि यूटेरस  के कारण भारी मासिक धर्म रक्तस्राव, पैल्विक दर्द और प्रजनन में समस्याएं जैसे लक्षण हो सकते हैं, जिससे महिला की प्रजनन क्षमता और जीवन की समग्र गुणवत्ता प्रभावित होती है।
बल्कि यूटेरस के कारण Causes of a Bulky Uterus
प्रभावी उपचार के लिए बल्कि यूटेरस  के कारणों को समझना महत्वपूर्ण है। कुछ प्राथमिक कारणों में शामिल हैं:
 फाइब्रॉएड: ये गैर-कैंसरयुक्त वृद्धि हैं जो गर्भाशय में या उसके आसपास विकसित होती हैं। वे आकार और संख्या में भिन्न हो सकते हैं, जो गर्भाशय के समग्र विस्तार में योगदान करते हैं।
एडेनोमायोसिस: यह स्थिति तब होती है जब गर्भाशय की आंतरिक परत गर्भाशय की मांसपेशियों की दीवार से टूट जाती है, जिससे गर्भाशय बड़ा हो जाता है और गंभीर मासिक धर्म में ऐंठन होती है।
 हार्मोनल असंतुलन: पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) जैसी स्थितियां हार्मोनल व्यवधान पैदा कर सकती हैं जिसके परिणामस्वरूप गर्भाशय भारी हो सकता है।
एंडोमेट्रियोसिस: यह एक ऐसी स्थिति है जहां गर्भाशय के अंदर की परत के समान ऊतक गर्भाशय के बाहर बढ़ने लगते हैं, जिससे दर्द होता है और संभावित रूप से गर्भाशय भारी हो जाता है।
गर्भावस्था: गर्भावस्था के दौरान, बढ़ते भ्रूण को समायोजित करने के लिए गर्भाशय स्वाभाविक रूप से बड़ा हो जाता है। हालाँकि, कुछ मामलों में, बच्चे के जन्म के बाद गर्भाशय अपने सामान्य आकार में वापस नहीं आ पाता है, जिसके परिणामस्वरूप गर्भाशय भारी हो जाता है।
बल्कि यूटेरस गर्भावस्था को कैसे प्रभावित करता है? How does the Uterus affect pregnancy?
भ्रूण के विकास में बाधा: बल्कि यूटेरस की स्थिति भ्रूण के सामान्य विकास में रुकावट डाल सकती है।
इन्फ्लेमेशन की वजह से अड़चन: गर्भाशय में सूजन की वजह से गर्भ के बढ़ने में मुश्किल हो सकती है।
ब्लड सप्लाय में कमी: बल्कि यूटेरस की स्थिति में भ्रूण को पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं मिल पाता है।
मिसकैरेज या प्रीमैच्योर बर्थ का खतरा: अगर यूटेरस फाइब्रॉइड की वजह से बड़ा होता है, तो मिसकैरेज या समय से पहले जन्म का खतरा बढ़ जाता है।
बल्कि यूटेरस के लक्षण Symptoms of a Bulky Uterus
बल्कि यूटेरस  के लक्षण अंतर्निहित कारण और वृद्धि की सीमा के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
        भारी या लंबे समय तक मासिक धर्म में रक्तस्राव
        पैल्विक दर्द या दबाव
        मूत्राशय पर दबाव के कारण बार-बार पेशाब आना
        संभोग के दौरान दर्द होना
        पीठ के निचले हिस्से में दर्द
        गर्भधारण करने में कठिनाई या बार-बार गर्भपात होना
बल्कि यूटेरस का निदान Diagnosis of a Bulky Uterus
यशोदा आईवीएफ सेंटर में, हम बल्कि यूटेरस और इसके अंतर्निहित कारणों की सटीक पहचान करने के लिए उन्नत नैदानिक ​​तकनीकों का उपयोग करते हैं। हमारी निदान प्रक्रिया में शामिल हैं:
चिकित्सा इतिहास और शारीरिक परीक्षण: रोगी के चिकित्सा इतिहास की गहन समीक्षा और किसी भी असामान्यता की जांच के लिए शारीरिक परीक्षण।
अल्ट्रासाउंड: पेल्विक अल्ट्रासाउंड का उपयोग आमतौर पर गर्भाशय के आकार और संरचना को देखने और फाइब्रॉएड, एडिनोमायोसिस या अन्य असामान्यताओं की उपस्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है।
चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एमआरआई): कुछ मामलों में, गर्भाशय और आसपास के ऊतकों का अधिक विस्तृत दृश्य प्राप्त करने के लिए एमआरआई की सिफारिश की जा सकती है।
रक्त परीक्षण: हार्मोनल परीक्षण किसी भी असंतुलन की पहचान करने में मदद कर सकते हैं जो इस स्थिति में योगदान दे सकता है।
बल्कि यूटेरस के लिए उपचार Treatment for a Bulky Uterus
बल्कि यूटेरस  तब होता है जब गर्भाशय अपने सामान्य आकार से बड़ा हो जाता है। इस स्थिति का इलाज करने के कई तरीके हैं:
निगरानी: यह एक पारंपरिक उपचार पद्धति है। इसमें स्थिति पर नज़र रखना शामिल है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह बदतर न हो या अधिक समस्याएं पैदा न करें।
दवाएं: आपके लक्षणों को कम करने में मदद के लिए डॉक्टर आपको दवाएं दे सकते हैं।
सर्जरी: यदि स्थिति बहुत गंभीर है और अन्य उपचार काम नहीं कर रहे हैं, तो डॉक्टर सर्जरी का सुझाव दे सकते हैं।
मायोमेक्टोमी: यह सर्जरी गर्भाशय से फाइब्रॉएड (गैर-कैंसरयुक्त वृद्धि) को हटा देती है। इन फाइब्रॉएड को हटाने से गर्भवती होने में आने वाली समस्याओं को हल करने में मदद मिल सकती है, जिससे आप प्राकृतिक रूप से गर्भधारण कर सकती हैं।
हिस्टेरेक्टॉमी: यह सर्जरी गर्भाशय को हटा देती है। यदि आपने अपना परिवार पूरा कर लिया है और आप अधिक बच्चे पैदा नहीं करना चाहते हैं तो यह एक विकल्प है।
यदि बल्कि यूटेरस  प्रजनन संबंधी समस्याओं का कारण बन रहा है, तो भी आप सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (एआरटी) ART विधियों की मदद से माँ बन सकती हैं:
 
आईयूआई (अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान): यह प्रक्रिया निषेचन में मदद करने के लिए शुक्राणु को सीधे गर्भाशय में रखती है।
आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन): इस प्रक्रिया में शरीर के बाहर अंडे और शुक्राणु का संयोजन होता है और फिर निषेचित अंडे को गर्भाशय में रखा जाता है।
बल्कि यूटेरस उपचार के लिए यशोदा आईवीएफ केंद्र क्यों चुनें? Why Choose Yashoda IVF Centre for Bulky Uterus Treatment?
बल्कि यूटेरस  के प्रभावी उपचार और सकारात्मक परिणामों के लिए सही प्रजनन केंद्र चुनना महत्वपूर्ण है। यशोदा आईवीएफ सेंटर क्यों खास है:
अनुभवी विशेषज्ञ: हमारी टीम में उच्च योग्य और अनुभवी प्रजनन विशेषज्ञ शामिल हैं जो बल्कि यूटेरस के निदान और उपचार में विशेषज्ञ हैं।
उन्नत प्रौद्योगिकी: हम न्यूनतम असुविधा और डाउनटाइम के साथ सटीक निदान और प्रभावी उपचार प्रदान करने के लिए नवीनतम तकनीक और तकनीकों का उपयोग करते हैं।
व्यापक देखभाल: निदान से लेकर उपचार और अनुवर्ती देखभाल तक, हम यह सुनिश्चित करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करते हैं कि हमारे रोगियों को उनकी यात्रा के हर चरण में सर्वोत्तम संभव देखभाल प्राप्त हो।
मरीज़–केंद्रित दृष्टिकोण: हम दयालु देखभाल प्रदान करने में विश्वास करते हैं जो प्रत्येक रोगी की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार की गई है। हमारी टीम आपके उपचार के दौरान भावनात्मक और शारीरिक रूप से आपका समर्थन करने के लिए समर्पित है।
उच्च सफलता दर: उत्कृष्टता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और उन्नत उपचार विकल्पों का उपयोग बल्कि यूटेरस जैसी स्थितियों के इलाज में हमारी उच्च सफलता दर में योगदान देता है और महिलाओं को उनके प्रजनन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।
निवारक उपाय और जीवनशैली में बदलाव Preventive Measures and Lifestyle Changes
चिकित्सीय उपचारों के अलावा, कुछ जीवनशैली में बदलाव और निवारक उपाय बल्कि यूटेरस के लक्षणों को प्रबंधित करने और समग्र प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकते हैं। यहाँ कुछ युक्तियाँ हैं:
स्वस्थ आहार: फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और दुबले प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार खाने से हार्मोन को विनियमित करने और सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है।
नियमित व्यायाम: नियमित शारीरिक गतिविधि में शामिल होने से रक्त परिसंचरण में सुधार हो सकता है, तनाव कम हो सकता है और स्वस्थ वजन बनाए रखा जा सकता है, ये सभी प्रजनन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं।
तनाव प्रबंधन: लंबे समय तक तनाव से हार्मोनल संतुलन ख़राब हो सकता है। तनाव के स्तर को कम करने में सहायता करने वाली गतिविधियों में योग, ध्यान और गहरी साँस लेना शामिल हैं।
 नियमित जांच: नियमित स्त्री रोग संबंधी जांच किसी भी असामान्यता का जल्द पता लगाने में मदद कर सकती है और समय पर हस्तक्षेप और उपचार की अनुमति दे सकती है।
निष्कर्ष Conclusion
बल्कि यूटेरस एक महिला के जीवन की गुणवत्ता और प्रजनन क्षमता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। हालांकि, सही निदान और उपचार के साथ, लक्षणों को प्रबंधित करना और सकारात्मक परिणाम प्राप्त करना संभव है। नवी मुंबई में हमारे सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र (Best IVF Center in Navi Mumbai), यशोदा आईवीएफ में, हम इस स्थिति का सामना करने वाली महिलाओं के लिए व्यापक, दयालु और उन्नत देखभाल प्रदान करने के लिए समर्पित हैं। हमारी अनुभवी टीम, अत्याधुनिक सुविधाएं और रोगी-केंद्रित दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करते हैं कि आपको माता-पिता बनने की यात्रा में सर्वोत्तम संभव देखभाल मिले।
यदि आप या आपका कोई प्रियजन बल्कि यूटेरस के लक्षणों का अनुभव कर रहा है या बांझपन की चुनौतियों का सामना कर रहा है, तो यशोदा आईवीएफ सेंटर से संपर्क करने में संकोच न करें। माता-पिता बनने के आपके सपने को हकीकत में बदलने में मदद करते हुए, हम हर कदम पर आपका समर्थन करने के लिए यहां हैं।
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PCOS (पीसीओएस) एक Hormonal Condition है जो दुनिया भर में कई महिलाओं पर प्रभाव डालती है। इसके इलाज के लिए मेडिकल विशेषज्ञों के द्वारा विभिन्न प्रकार की जांचें तथा परीक्षण किये जातें हैं । इस लेख में हमने PCOS के निदान और उपचार के लिए उपयुक्त जानकारी प्रस्तुत की है, साथ ही हम इसके लक्षणों और परीक्षणों का विवरण देंगे। दिल्ली में सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र (Best IVF Centre in Delhi) की सहायता से हम PCOS के लक्षणों, कारणों, निदान और उपचार के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। इस रोग के संबंध में समय रहते उपचार प्रारंभ करना, महिलाओं के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता को सुधारने में महत्वपूर्ण है। For more details visit https://www.babyjoyivf.com/top-5-best-ivf-centre-in-delhi-with-high-success-rate/ or call us at 8800001978.
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पीसीओडी: आपको क्या जानना चाहिए (PCOD in Hindi)
मासिक धर्म पैटर्न में लगातार बदलाव के पीछे एक सामान्य कारण पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) है जिसे पीसीओडी के रूप में जाना जाता है। किसी डेट पर पीरियड्स न आने पर अक्सर युवतियां परेशान हो जाती हैं। लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है। जबकि मासिक धर्म चक्र 21 से 40 दिनों तक होता है, औसतन 28 दिनों के साथ, ये चक्र महिला से महिला में भिन्न हो सकते हैं।
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Source: https://www.freepik.com/
पीसीओडी के लक्षण (Symptoms of PCOD):
पीसीओडी एक एंडोक्रिनोलॉजिकल स्थिति है जो मासिक धर्म, प्रजनन क्षमता और आपके समग्र रूप को प्रभावित करती है। यह हार्मोन की शिथिलता के कारण होने वाली एक आनुवंशिक स्थिति है। भारत में, 5 में से 1 महिला PCOD से प्रभावित है। महिलाओं को अन्य लक्षणों का अनुभव हो सकता है जिनमें तैलीय त्वचा या मुहांसे, बालों का पतला होना, या गर्भवती होने में कठिनाई ऐसी समस्याएं शामिल हैं।
पीसीओडी के साथ दीर्घकालिक बीमारियाँ (Diseases with PCOD) पीसीओडी वाली महिलाओं को मधुमेह होने का अधिक खतरा होता है यदि उनके रिश्तेदार को मधुमेह है, अधिक वजन है, 40 वर्ष से अधिक आयु के हैं, या गर्भावधि मधुमेह है।
पीसीओडी उपचार (Treatment of PCOD):
हालांकि पीसीओडी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन जीवनशैली में कुछ बदलाव करके इस स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है।
आहार (Diet):
"पीसीओडी का पता चलने के बाद, मुझे प्रोटीन और फाइबर युक्त आहार लेने और चॉकलेट, चिप्स और बिस्कुट कट आउट की सलाह दी गई।" आपके मुख्य भोजन में प्रोटीन जैसे टोफू / पनीर, चिकन या मछली और साबुत अनाज जैसे ब्राउन चावल, पूरे गेहूं या जई शामिल होना चाहिए। जब नाश्ता करने का मन हो तो बादाम, सूरजमुखी के बीज या संतरे, कीवी और बेरी जै���े फल खाये।
व्यायाम (Exercise):
"मेरे डॉक्टर ने भी हर दिन कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करने या चलने की सलाह दी। व्यायाम वजन कम करने, तनाव कम करने में मदद करता है और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। आप हल्के एरोबिक व्यायाम, तैराकी या मध्यम गति से साइकिलिंग भी कर सकते हैं।
गर्भावस्था और पीसीओडी (Pregnancy and Pcod):
गर्भवती होने की कोशिश कर रही महिलाओं के लिए दवाएं उपलब्ध हैं। इन्हें कई चक्रों के लिए मासिक धर्म चक्र की शुरुआत में लिया जा सकता है। यदि ये मदद नहीं करते हैं, तो हम आईवीएफ IVF ट्रीटमेंट की सिफारिश कर सकते हैं। पीसीओडी से पीड़ित अधिकांश महिलाएं सही उपचार और जीवनशैली में बदलाव के साथ गर्भधारण करने में सक्षम हैं।
पीसीओडी का इलाज (Dealing With PCOD):
अपनी जीवनशैली को बदलने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाने से आपके समग्र दृष्टिकोण में बड़ा अंतर आ सकता है। "शुरुआत में यह पसंदीदा खाद्य पदार्थों से दूर रहने और खुद को व्यायाम करने के लिए मजबूर करने का संघर्ष है। लेकिन एक सप्ताह चलने के बाद, आप वास्तव में आगे की राह के बारे में अधिक आश्वस्त और आशावादी महसूस करने लगोगे ।
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mwsnewshindi · 2 years
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EXCLUSIVE: क्या पीसीओडी और पीसीओएस अलग हैं? कारण, लक्षण, उपचार - डॉक्टर क्या कहते हैं
EXCLUSIVE: क्या पीसीओडी और पीसीओएस अलग हैं? कारण, लक्षण, उपचार – डॉक्टर क्या कहते हैं
पीसीओडी बनाम पीसीओएस: जैसा कि हम में से बहुत से लोग अब जानते हैं, पॉलीसिस्टिक अंडाशय आज महिलाओं में आम हैं और जीवनशैली को अक्सर इसके पीछे का कारण माना जाता है। पॉलीसिस्टिक अंडाशय होने का अर्थ है हार्मोन का असंतुलन, मासिक धर्म में देरी या मिस्ड पीरियड्स, मोटापा, चेहरे के बालों का बढ़ना और सबसे बड़ी, बांझपन। लेकिन फिर हमने पीसीओडी और पीसीओएस दोनों के इस्तेमाल के बारे में सुना है। जबकि पहला…
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rudrjobdesk · 2 years
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जानिए, PCOS से जुड़े उन मिथकों के बारे में, जिन पर आपको नहीं करना चाहिए विश्वास
जानिए, PCOS से जुड़े उन मिथकों के बारे में, जिन पर आपको नहीं करना चाहिए विश्वास
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome), जिसे आमतौर पर पीसीओएस (PCOS) के रूप में जाना जाता है, महिलाओं में होने वाली सबसे आम बीमारियों में से एक है. पीसीओएस अक्सर अनहेल्दी लाइफस्टाइल, मेंटल व फिजिकल स्ट्रेस और जेनेटिक (आनुवंशिकी) कारणों की वजह से होता है. सही सावधानियां, दवाएं और उचित लाइफस्टाइल में परिवर्तन करके इसे मैनेज किया जा सकता है. पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं इस डिजीज से पूरी…
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doonitedin · 3 years
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महिलाओं में बांझपन का कारण बनती है यह गंभीर बीमारी, सोनम कपूर कर चुकी हैं सामना, ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान!
महिलाओं में बांझपन का कारण बनती है यह गंभीर बीमारी, सोनम कपूर कर चुकी हैं सामना, ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान!
Sonam Kapoor is suffered from polycystic ovary syndrome (PCOS): प्रेम रत्न धन पायो, नीरजा, दिल्ली 6, खूबसूरत, रांझणा, संजू, डौली की डोली, जैसी हिट फिल्मों में अपनी एक्टिंग से सबको प्रभावित करने वाली सोनम कपूर सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहती हैं. पिछले साल ही उन्होंने इंस्टाग्राम के जरिए अपनी बीमारी के बारे में खुलासा किया था. उन्होंने बताया था कि वह कई सालों से एक बीमारी से गुजर रही हैं. इस…
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onlythefitness · 4 years
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सावधान! इन 5 वजहों से हो रही है यंग लड़कियां PCOS की शिकार
सावधान! इन 5 वजहों से हो रही है यंग लड़कियां PCOS की शिकार
आजकल का गलत खान-पान, व्यस्त जीवनशैली, तनाव आदि की वजह से लड़कियों और महिलाओं को कई स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है। वे थाइरोइड, डायबिटीज, रक्तचाप बीमारियों की शिकार हो रही हैं। ऐसे में कई महिलाएं ऐसी हैं जो PCOS (Polycystic ovary syndrome) नामक रोग का सामना कर रही हैं। शोध के अनुसार लगभग 70% महिलाएं इसका शिकार हो चुकी हैं। अब तो यह परेशानी कम उम्र की लड़कियों में भी काफी देखने को…
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jagdishivf · 5 years
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untitled59750 · 3 years
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क्या आपको पीसीओएस है? यहां 5 युक्तियां दी गई हैं जिनका उपयोग आप गर्भवती होने के लिए कर सकती हैं
क्या आपको पीसीओएस है? यहां 5 युक्तियां दी गई हैं जिनका उपयोग आप गर्भवती होने के लिए कर सकती हैं
क्या आपको पीसीओएस है? यहां 5 युक्तियां दी गई हैं जिनका उपयोग आप गर्भवती होने के लिए कर सकती हैं पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) एक हार्मोनल स्थिति है जिसमें अंडाशय में असामान्य मात्रा में एण्ड्रोजन का उत्पादन होता है। पीसीओएस भारत में 5 मिलियन से अधिक महिलाओं को प्रभावित कर रहा है और यह महिलाओं में बांझपन के सबसे सामान्य कारणों में से एक है। यदि आपको पीसीओएस के कोई लक्षण हैं, तो आपको…
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sabkuchgyan · 2 years
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PCOD PCOS Health Tips: पीसीओडी और पीसीओएस का अचूक इलाज, कोई साइड इफेक्ट नहीं
PCOD PCOS Health Tips: पीसीओडी और पीसीओएस का अचूक इलाज, कोई साइड इफेक्ट नहीं
PCOD PCOS Health Tips: पीसीओडी और पीसीओएस महिलाएं आज जीवन की सबसे बड़ी बीमारी है इससे न तो पीरियड्स ठीक से आते हैं और न ही गर्भधारण हो पाता है। आज 5 में से 2 महिलाएं इस बीमारी से जूझ रही हैं हालांकि इसके लक्षण हर महिला में अलग-अलग होते हैं जैसे: किसी के चेहरे और शरीर पर अधिक बाल आने लगते हैं, किसी के अधिक बाल झड़ने लगते हैं। शरीर सुस्त महसूस करता है। पिंपल्स दिखने लगते हैं और स्वभाव में जलन होने…
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ivfjunction · 3 years
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जानिये ! आईवीएफ से पहले आपको किन बातो का ध्यान रखने की आवश्यकता है?
आईवीएफ (IVF) प्रक्रिया  के लिए खुद को तैयार करना किसी भी दंपत्ति के लिए एक बहुत ही बड़ा निर्णय होता है। यह जानते हुए कि हमारा समाज इस प्रक्रिया को ले कर कितना पिछड़ा हुआ है (सबसे पहले आईवीएफ इलाज होने के 40 साल बाद भी), यह एक बहुत बड़ी बात है कि आप इस सब से आगे बड़ कर सही इलाज लेने का कदम उठा रहें हैं। 
पूरा इंटरनेट आईवीएफ की जानकारी से भरा हुआ है परंतु बहुत कम स्त्रोत हैं जो सही तरह से बताते हैं कि आईवीएफ के लिए कैसे तैयारी की जाती है। किसी भी दंपत्ति के लिए बहुत ही मुश्किल होता है कई ऐसे लेख पढ़ना जो आईवीएफ के बारे में बड़ी बड़ी बातें लिखते हैं लेकिन आपको इस बात का उत्तर नहीं देते कि इस प्रक्रिया के लिए तैयार कैसे होते हैं। 
हम आशा करते हैं कि इस लेख से आपको सभी सवालों जैसे – मैं अपने शरीर को आईवीएफ के लिए कैसे तैयार करूं? मानसिक रूप से आईवीएफ के लिए कैसे तैयारी करते हैं? और आईवीएफ प्रिक्रिया के दौरान क्या क्या सवाल पूछने चाहिए? आदि के जवाब मिलेंगे। ये सभी सवाल बहुत महत्वपूर्ण हैं और हम आशा करते हैं कि आपको इन सभी के बारे में पता लग जाएगा, तो आईये जानते हैं हमे आईवीएफ से पहले आपको किन चीजें का ध्यान रखने की आवश्यकता है?
आईवीएफ के लिए खुद को कैसे तैयार करें? 
अगर आप पहले ही समझ गए हैं की आईवीएफ हर शरण पर कैसे काम करता है, तो आप जानते होंगे कि आईवीएफ प्रक्रिया में कई शरण होते हैं जिसमें डॉक्टर से परामर्श, खून जांचें, अंडों की उत्तेजना (ovarian stimulation), अंडों को शरीर से निकालना (Transvaginal Oocyte Retrieval), अंडों और स्पर्म को तैयार करना (Egg and Sperm Preparation), अंडों और स्पर्म को मिलाना (Egg Fertilizations), और इस मेल से बनने वाले एंब्रियो को महिला के गर्भ में रखना (Embryo transfer), आदि शामिल हैं। यह सब होने के दो हफ्ते बाद महिला का प्रेगनेंसी टेस्ट किया जाता है। यह सारे चरण सुनने में बहुत लम्बे और डरावने लग सकते हैं परंतु आप निश्चिंत रहिए कि आपके डॉक्टर के लिए यह सभी प्रक्रियाँ उनकी विशेषता हैं और उन्होंने इनमें महारत पाने के लिए कई साल मेहनत की है। 
आईवीएफ में बहुत से चारण होते हैं, इसलिए इसके लिए शारीरिक, मानसिक, और आर्थिक रूप से तैयार होना बहुत जरूरी है। इसके लिए बेहतर है कि आप एक ऐसे प्रदाता चुने जो आपको हर चरण में मदद करे और आपके ऊपर से यह बोझ हटा दे। आईवीएफ जंक्शन यह समझता है की यह प्रक्रिया आपके लिए कितनी डरावनी और मुश्किल हो सकती है और आपको पूरी प्रक्रिया के दौरान मदद करता है। हम आपको बहुत से रूप में मदद करते हैं जैसे – मानसिक तनाव को संभालना, आपके खान पान का ध्यान रखना, आर्थिक रूप में मदद करना और आपको हर चरण पर सही राय देना। इस सबसे आपको इस प्रक्रिया से गुजरने में बहुत सहायता मिलती है। 
पूरी प्रक्रिया होने में कुछ हफ्तों से कुछ महीनें भी लग सकते हैं और इसलिए यह जरूरी है कि आप एक सही आईवीएफ क्लिनिक चुने। इसके साथ साथ यह जानना कि इस प्रक्रिया से आपको क्या उम्मीद करनी चाहिए आपको इसके लिए भी तैयार बनाता है। 
·         आईवीएफ के लिए शारीरिक तैयारी
·         आईवीएफ के लिए आर्थिक तैयारी
·         आईवीएफ के लिए मानसिक तैयारी
·         टेक आवे
आईवीएफ के लिए शारीरिक तैयारी
आईवीएफ की प्रक्रिया के लिए जाने से पहले आप और आपके साथी को कुछ जांचें करवानी पड़ेंगी। यह सब जांचें सुनिश्चित करती हैं कि आपके डॉक्टर आपके लिए सही इलाज ढूंढ सके। इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि डॉक्टर आपके बच्चा ना होने के कारण को ढूंढ कर ठीक कर पाए। इनसे यह भी पता चलता है कि आपका खुद का बच्चा हो सकता है या फिर आपको एक डोनर की आवश्यकता है। 
अंडों की संख्या की जांच (ovarian reserve testing) 
आम भाषा में बोलें तो ओवेरियन रिजर्व टेस्टिंग से यह पता चलता है कि महिला के शरीर में कितने अंडे हैं जो एक कामयाब प्रेगनेंसी में बदल सकते हैं। सभी महिलाएं अंडों की एक संख्या ले कर पैदा होती हैं और इन अंडों को संख्या और क्वालिटी बढ़ती उम्र के साथ कम होती जाती है। ओवेरियन रिजर्व टेस्टिंग आपके डॉक्टर को आपका सही इलाज करने में मदद करती है। 
ओवेरियन रिजर्व टेस्टिंग में फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर��मोन (Follicle Stimulating Hormone), एंटी मुलेरियन हॉर्मोन (Anti Mullerian Hormone), इनहिबिन बी (Inhibin B), बेसल एस्ट्राडियोल (Basal estradiol) और एंट्रल फॉलिकल काउंट ( Antral follicle count) का टेस्ट किया जाता है। इन जांचों से पता चलता है की क्या आपके अंडे प्रेग्नेंसी में बदल सकते हैं या नही। 
संक्रामक रोगों की जांच
आपके (और अगर कोई डोनर हो तो) खून की जांच की जाती है ताकि किसी संक्रामक बीमारी का पता चल सके। 
गर्भ का परीक्षण
अगर आपके डॉक्टर को लगता है की आपके बांझपन का कारण गर्भ से संबंधित हो सकता है तो वो गर्भ का परीक्षण करने के लिए कुछ जांच कर सकते हैं जैसे – 
·         ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड
·         हिस्टेरोस्कोपी
·         सेलाइन हिस्टेरोसोनोग्राफी
·         और हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राफी
यह सारी जांचें कई बीमारियों का पता लगा सकती हैं जैसे – पॉलीप्स (polyps), अंतर्गर्भाशयी आसंजन, एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया (endometrial hyperplasia), गर्भाशय सेप्टा (septate uterus) और सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड (submucosal fibroids)। 
स्पर्म का परीक्षण
इस जांच में पुरुष के शुक्राणु का परीक्षण किया जाता है। इस टेस्ट में स्पर्म की संख्या, आकार, गतिशीलता, आदि का परीक्षण किया जाता है। एक आदर्श सीमिन सैंपल में 15 मिलियन शुक्राणु एक मिली लीटर सैंपल में होते हैं और इनमें से 50 प्रतिशत शुक्राणु की गतिशीलता अच्छी होनी चाहिए और कम से कम 4 प्रतिशत शुक्राणु का आकार सही होना चाहिए। इसके अलावा और कई चीजों की जांच की जाती है जिससे आपके डॉक्टर को पता चलता है की क्या यह स्पर्म प्रेगनेंसी को जन्म दे सकते हैं या नहीं। 
इन सभी जांचों के बाद आपके डॉक्टर को यह पता चल जाता है की आपके अंडे और स्पर्म से एक प्रेगनेंसी बन सकती है या नहीं, या आपको एक डोनर की जरूरत है।
इसके अलावा जरूरी है की आप एक सामान्य डॉक्टर और एक स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श कर लें ताकि अगर बांझपन का कोई और कारण है तो वों भी सामने आ जाएं। पीसीओएस ( PCOS) जैसे कई बीमारियां हैं जिससे महिला को बांझपन हो सकता है। 30 प्रतिशत दंपत्ति में बच्चे नहीं होने का कारण  पीसीओएस हो सकता है इसलिए यह बहुत जरूरी है की यह सारी जांचें की जाएं। 
आईवीएफ जंक्शन आपको सर्वश्रेष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञों, भारत के सबसे अच्छे आईवीएफ डॉक्टरों, आईसीएमआर अनुमोदित केंद्रों, आईवीएफ उपचार परामर्श और उपचार सहायता से विशेषज्ञ परामर्श प्रदान करता है। हम ऐसे केंद्रों के साथ साझेदारी करते हैं जिन्होंने सफलता दर स्थापित की है और सर्वोत्तम विशेषज्ञता, विशेष प्रयोगशालाएं, नैतिक अभ्यास और रोगी-केंद्रित हितों की पेशकश करते हैं।
हमारा फर्टिलिटी लाइफस्टाइल मैनेजमेंट प्रोग्राम आईवीएफ जंक्शन द्वारा विशेष रूप से डिजाइन किया गया एक प्रोग्राम है जो आपको आईवीएफ इलाज शुरू करने से पहले अपनी जीवन शैली को बदलने करने में मदद करता है।
सबसे पहले एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना शुरू करें –
·         धूम्रपान और शराब का सेवन करना बंद कर दें। 
·         रात को एक अच्छी और पर्याप्त नींद लें।
·         रोजाना कसरत करें।
·         स्वस्थ भोजन ही खाएं। 
·         खूब सारा पानी पीएं।
·         अपनी सभी दवाएं ठीक से लें।
·         अपने वजन का ध्यान रखें।
·         ऐसे पदार्थों से दूर रहें जो आपके हॉरमोन के स्तर को बिगड़ सकते हैं।
धूम्रपान और शराब का सेवन करना बंद कर दें। 
धूम्रपान और शराब का सेवन आईवीएफ प्रक्रिया शुरू करने से पहले बंद कर देना चाहिए। यह आदतें आपके स्वास्थ्य के लिए बुरी होने के साथ साथ आपके अंडों या स्पर्म पर भी बुरा असर करती हैं। अगर आप बहुत समय से धूम्रपान करते हैं तो यह आदत छोड़ने का सही समय अभी है। आपके डॉक्टर धूम्रपान छोड़ने में आपकी मदद करेंगे। 
रात को एक अच्छी और पर्याप्त नींद लें।
नींद की कमी आपके शरीर में बहुत तरह के असंतुलन पैदा कर सकती है जैसे शरीर के सोने जागने की प्रकिया, हार्मोन्स का संतुलन, आपका मन, और आपके शरीर के नॉर्मल काम करने की क्षमता। रोज रात को अच्छी नींद लेना हार्मोन्स का स्तर ठीक रखने के लिए बहुत आवश्यक है। 
रोजाना कसरत करें।
आपको कुछ हल्की फुल्की कसरत जैसे टहलना, रोज करना चाहिए अगर आपके डॉक्टर आपको अनुमति देते हैं तो। आप ऐसी कसरत से शुरू कर सकते हैं जो आपको सक्रिय और प्रेरित रखें। कसरत करना आपके मूड को अच्छा रखता है और मानसिक तनाव को कम करता है। ताज़ी हवा सेहत के लिए अच्छी होती है और थोड़ा टहलना भी आपके मूड को अच्छा कर सकता हैं। लेकिन याद रखें कि अपने डॉक्टर से पूछे बिना कोई नई कसरत न शुरू करें। 
स्वस्थ भोजन ही खाएं। 
अपने डॉक्टर द्वारा बताया गया अच्छा भोजन ही खाएं। कुछ खाद्य पदार्थ आपका स्वस्थ बनाते हैं और आपको सभी जरूरतमंद पोषण देते हैं। आपके शरीर को कभी भी आवश्यक पोषक तत्वों जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट्स, विटामिंस, मिनरल्स और फाइबर की कमी नहीं होनी चाहिए। नियमित रूप से स्वस्थ खाद्य पदार्थ खाना यह निश्चित करेगा की आपको कभी भी किसी पोषक तत्व की कमी न हो। बाहर के पैकेज्ड खाने को कम ही खाएं क्युकी ऐसे खाद्य पदार्थों में ट्रांस – फैट्स की मात्रा ज्यादा होती है। एक नियमित आहार लेना, एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए बहुत आवश्यक है। 
खूब सारा पानी पीएं।
आप जानते हो होंगे की हमारे शरीर का लगभग 60 प्रतिशत भाग पानी से बना हुआ है। नियमित रूप से पानी पीना हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है ताकि शरीर में पानी की कमी न हो। आपको कोशिश करनी चाहिए की आप केफीन (caffeine) से भरी हुई चीज से दूर रहें और ज्यादा स्वस्थ चीजों को चुने। 
अपनी सभी दवाएं ठीक से लें।
आपके डॉक्टर आपको कुछ सप्लीमेंट्स दे सकते हैं अगर उनको लगता है कि आपको उनसे फायदा होगा। और यह बहुत जरूरी है कि आप उन्हें सही तरह से लेते रहें। दवाएं जैसे जिंक, फोलिक एसिड, कैल्शियम, और मैग्नीशियम आपको दी जा सकती हैं। इस बात का ध्यान रखें की यह बहुत जरूरी है कि आप यह दवाएं बिलकुल वैसे ही ल���ं जैसे आपके डॉक्टर ने बताया है। सप्लीमेंट ओवरडोज (supplement overdose) एक ऐसी स्तिथि है जिसमे इन दवाओं की मात्रा शरीर में बढ़ जाती है और यह बहुत हानिकारक हो सकती है। अपने डॉक्टर के मुताबिक दवाओं को लेना आपको इस स्तिथि से सुरक्षित रखेगा। 
अपने वजन का ध्यान रखें।
सही वजन में रहना बहुत जरूरी हैं। अपने डॉक्टर से बात करिए कि आपके लिए सही वजन कितना है और उसी स्तर में रहने की कोशिश करें। आपके डॉक्टर आपको वजन बढ़ाने या घटाने में मदद कर सकते हैं। 
ऐसे पदार्थों से दूर रहें जो आपके हॉरमोन के स्तर को बिगाड़ सकते हैं। 
कुछ पदार्थ जैसे बीपीए (BPAs) और थेलेट्स (phthalates) शरीर में हार्मोन्स के स्तर को अंसांतुलित करते हैं। जरूरी है की आप इन पदार्थों के बारे में जाने और इनसे दूर रहें। 
आईवीएफ जंक्शन में नेटवर्क पार्टनर हैं जो आहार प्रबंधन प्रदान करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि आपको पता है कि आपके स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए वास्तव में क्या खाना चा��िए। आईवीएफ जंक्शन के आहार प्रबंधन भागीदार सुनिश्चित करते हैं कि आपके आहार संबंधी लक्ष्य आपकी आईवीएफ यात्रा के अनुरूप हों।
आईवीएफ के लिए आर्थिक तैयारी
·         आईवीएफ एक महंगी प्रक्रिया है और अकसर इस प्रक्रिया के आर्थिक पहलू के बारे में कोई बात नही करता। अगर आप पहले से इस आर्थिक पहलू के बारे में सोचे तो जब तक आपका बच्चा इस दुनिया में आएगा तब तक आपकी आर्थिक स्तिथि ठीक होगी।
·         आईवीएफ का खर्चा भारत और बाहर के देशों में कुछ चीजों पर निर्भर करता है।
·         आईवीएफ एक बहुत ही विशेषज्ञ प्रक्रिया है और इसमें बहुत सारे विशेषज्ञों की जरूरत होती है, जैसे – सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ विशेषज्ञ, प्रजनन एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, नर्स, भ्रूणविज्ञानी और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक टीम। यह सारे बहुत साल बिता देते हैं इन सब में महारत पाने में ताकि वो आईवीएफ कर सकें। 
·         एंड्रोलॉजी लैब को चलाने में बहुत सारे पैसे लगते हैं और इसलिए इनके द्वारा दी जाने वाली प्रक्रियां भी महंगी होती है।
·         आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान कई सारे टेस्ट्स, जैसे – खून की जांच, सोनोग्राफी, स्पर्म का परीक्षण, हिस्टेरोस्कोपी, आदि किए जाते हैं ताकि बच्चा होने की संभावना बढ़ जाए। 
·         आईवीएफ प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के खर्चे के बारे में भी सोचना होगा। इस भाग में खर्चा कम करना सही नहीं होगा। 
·         जब आप आईवीएफ प्रक्रिया के आर्थिक स्तिथि के बारे में सोचे, तो यह सवाल खुद से जरूर करें कि क्या पैसे कम करने से मेरे स्वास्थ्य को कोई नुकसान तो नही पहुंचेगा? खर्चा कम करने के चक्कर में आपको कभी भी अपने स्वास्थ्य के साथ समझौता नहीं करना चाहिए और हमेशा अच्छे और समर्थ विशेषज्ञों को ही चुनना चाहिए। कोई भी कीमत आपके स्वास्थ्य से ज्यादा नहीं है।
·         आईवीएफ जंक्शन ने एक लागत कैलकुलेटर प्रदान किया है जो आपको शामिल वित्त का अनुमान लगाने में मदद कर सकता है।
·         हांलांकि पैसे के बारे में सोचना जरूरी है, कुछ रास्ते हैं जिससे आप इसका हिसाब लगा सकते हैं। आप कुछ विकल्पों के बारे में सोच सकते हैं जैसे ईएमआई (EMI) और लोन। आईवीएफ जंक्शन फर्टिलिटी  प्रोग्राम और अनुभवी काउंसलर की मदद से आपकी सामर्थ्य के अनुसार ईएमआई योजना का लाभ उठाने में आपकी मदद कर सकता है।
आईवीएफ के लिए मानसिक तैयारी
जब आईवीएफ प्रक्रिया की बात आती है तो सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले दो सवाल हैं कि मैं खुद को आईवीएफ के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से कैसे तैयार करूं? ज्यादातर लोगों ने आईवीएफ चुनने से पहले सभी घरेलू नुस्खे अपना लिए होते हैं। इसके साथ साथ यह प्रक्रिया बहुत लंबी और कठिन होती है, इसलिए यह आवश्यक है कि आप अपने मानसिकता का भी ध्यान रखें।
·  इसके लिए आपको खुद से कुछ सवाल करने चाहिए, जैसे – 
·  क्या मैं मानसिक रूप में आईवीएफ के लिए तैयार हूं?
·  क्या हम इस प्रक्रिया को पर्याप्त वक्त देने के लिए तैयार हैं?
·  अगर आईवीएफ के दौरान हम अंडे या स्पर्म डोनर की जरूरत पड़ती है तो क्या उस स्तिथि से सहमत हैं?
·  आईवीएफ प्रक्रिया के कई चरणों, जैसे पेग्नेंसी टेस्ट करते समय, के दौरान घबराहट हो सकती हैं क्या हम उसके लिए तैयार हैं?
·   हमें सरोगेट की जरूरत भी पढ़ सकती है। क्या हम इस बात से सहमत हैं?
·  आईवीएफ में कई बार एक से ज्यादा प्रेगनेंसी भी हो सकती है। क्या हम ऐसी स्तिथि के लिए तैयार हैं?
·  क्या मेरे पास अपने तनाव को कम करने के लिए कुछ उपाय हैं?
·  आईवीएफ प्रक्रिया में अकसर बहुत समय लग सकता है। क्या हम इतने लंबे समय तक उपचार लेने के लिए तैयार हैं?
इन सब सवालों के जवाब देते वक्त यह बहुत जरूरी है की आप अपने आप से बिलकुल सच बोलें। साथ साथ यह भी ध्यान रहें की इस प्रक्रिया के दौरान आपके डॉक्टर हमेशा आपके साथ हैं। आईवीएफ की सफलता उन पर भी निर्भर करती है और वो हर चरण में आपके साथ होंगें। आईवीएफ डॉक्टरों ने हजारों दंपत्ति को अपना बच्चा पाने में मदद की है और वो समझते हैं की आईवीएफ मानसिक स्तर को कैसे प्रभावित करता है। इसलिए आपकी मदद के लिए कई सारी मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं। इसके साथ साथ आप ऐसे समूह में शामिल हो सकते हैं जिसमे और दंपत्ति हो जो आईवीएफ इलाज ले रहे हो। ऐसे दंपत्तियों से आपको बहुत मदद और टिप्पणी मिल सकती है।
आईवीएफ जंक्शन में नेटवर्क पार्टनर हैं जो तनाव प्रबंधन में मदद करते हैं। आईवीएफ जंक्शन का फर्टिलिटी ग्रुप आपको अपने आईवीएफ प्रश्नों को साझा करने के लिए एक जगह प्रदान करता है, जिसका जवाब विशेषज्ञों द्वारा दिया जाता है। 
निष्कर्ष
हम आशा करते हैं की इस लेख से आपको अपने इस प्रश्न का उत्तर मिल गया हो की – आईवीएफ के लिए कैसे तैयारी करते हैं? आईवीएफ एक ऐसी प्रक्रिया है जो आपको शारीरिक, मानसिक, और आर्थिक तरीके से चुनौती देती है। इसलिए बहुत जरूरी होता है की आप अपने डॉक्टर और इस प्रक्रिया पर भरोसा रखें। 
आप अपनी और मदद करने के लिए इस विषय में किताबें पढ़ सकते हैं। अपने आप को हर चरण पर याद दिलाएं की इतना लंबा और कठिन प्रक्रिया होने के बावजूद उसने सांकड़ों दंपत्ति को मां बाप बनने में मदद की है और विज्ञान में तरक्की की वजह से यह प्रक्रिया और बेहतर भी हुई है। 
इसके अलावा अपने डॉक्टर की सलाह को हमेशा माने। उन्होंने अपने जीवन के कई साल लगाने के बाद इस में महारत हासिल की है। अच्छे से जान बूझ कर ही अपने लिए एक आईवीएफ डॉक्टर को चुने। साथ साथ अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का बहुत ध्यान रखें।
जब आप विश्वास की यह छलांग लगाते हैं, तो हम भारत में उच्च योग्य आईवीएफ विशेषज्ञों की एक टीम के साथ इस प्रक्रिया में आपकी मदद करने के लिए मौजूद हैं।
 Source: https://ivfjunction.com/blog/how-to-prepare-for-ivf-in-hindi/
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क्या है पीसीओडी के मुख्य लक्षण? और जाने उपचार (PCOD Symptoms In Hindi)
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पीसीओडी क्या होता है? (What is PCOD?)
क्या आपने कभी पीसीओडी के बारे में सुना है? अगर नहीं, तो आज हम इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे। पीसीओडी, यानी बहुत्विक अंडाशय रोग, एक सामान्य हार्मोनल समस्या है जो बहुत सी महिलाओं को प्रभावित करती है। इसका प्रभाव महिला के प्रजनन अंगों पर पड़ता है, जिससे कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। पीसीओडी के लक्षणों में पीरियड्स ना आना या अनियमित मासिक चक्र, गर्भधारण में कठिनाई, Mood Swings, चेहरे पर अनचाहे बाल, बाल झड़ना और पतला होना, वजन बढ़ना, त्वचा में परिवर्तन, मुंहासे, पेल्विक दर्द शामिल है और इन बीमारियों मे टाइप 2 डायबिटीज, हृदय की बीमारी, मोटापा और एंडोमेट्रियल कैंसर भी हो सकता है।
पीसीओडी का पूरा नाम हिंदी में (Full Form of PCOD in Hindi)
पीसीओडी का पूरा नाम या फिर full form “Polycystic Ovary Disease” है, जिसे हिंदी में “बहुत्विक अंडाशय व्याधि कहा जाता है। इसे ‘पीसीओडी” के नाम से अधिक जाना जाता है, और यह महिलाओं में बहुत पाया जाता है।
पीसीओडी के कारण (Why PCOD Occurs?)
अब आप सोच रहे होंगे, पीसीओडी आखिर होता कैसे है? चलिए, इसे और अधिक विस्तार से समझते हैं।
पीसीओडी कैसे होता है?
पीसीओडी तब होता है जब अंडाशय में अनेक छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं। ये सिस्ट वास्तव में अंडाणु होते हैं जो सही तरह से परिपक्व नहीं हो पाते हैं।
पीसीओडी क्यों होता है?
इसका मुख्य कारण हार्मोन्स का असंतुलन होता है। जब एक महिला के शरीर में विशेष प्रकार का हार्मोन अधिक मात्रा में उत्पन्न होता है, तो यह समस्या उत्पन्न हो सकती है।
पीसीओडी के लक्षण (Symptoms of PCOD)
पीसीओडी या पॉलीसिस्टिक ओवरी रोग अंडाशय हार्मोन का एक विकार है जो प्रजनन आयु की महिलाओं में आम है। इस बीमारी का पता लगाने के लिए ऐसे लक्षण हैं जो किसी भी महिला में दिखाई दे सकते हैं।
पीसीओडी के प्रमुख लक्षण (Main Symptoms of PCOD)
अनियमित मासिक धर्म: मासिक धर्म चक्र में लंबे समय तक रुकावट या इसमें देरी।
ओवर हेयर: पीठ, पेट और चेहरे पर प्रचुर मात्रा में बाल।
 वजन बढ़ना: अचानक वजन बढ़ना या वजन घटाने में कठिनाई।
त्वचा समस्याएँ: मुँहासे और चेहरे पर तेलीयपन।
अधिक थकान महसूस होना: बिना किसी कारण के थकान महसूस करना।
पीसीओडी महिलाओं में कैसे पहचानें (Identifying PCOD in Females)
यह सवाल लगभक सभी महिलाओं के मन में आता है की, “क्या मुझे पीसीओडी है हुआ है?” तो आइए जानते हैं ऐसे कुछ लक्षण जिनसे आप इस समस्या को जान सकते हैं।
जानिए पीसीओडी की समस्या और उसके लक्षण (Know PCOD Issues and Their Indications)
•                  उल्टी की भावना: बहुत बार उल्टी आने जैसा feel हो सकता हैं।
•                  सीने में जलन होना: भोजन के बाद सीने में जलन होना ये भी कई बार हो सकता है।
•                  बालों का झड़ना या फिर कम होना: इसमे बालों का झड़ना, कम होना और पतला होना ये भी शामिल है।
•                  अधिक थकान याफिर नींद की भावना: रोज के दिनकर्म में भी अधिक थकान जैसा लगना या फिर नींद जैसा feel होना।
पीसीओडी और पीसीओएस में अंतर (Difference between PCOD and PCOS)
अधिकतर लोग पीसीओडी और पीसीओएस को एक ही समस्या मानते हैं, लेकिन ये दोनों अलग होते हैं। पीसीओडी (Polycystic Ovary Disease) एक स्थिति है जहां अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट होते हैं। पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) एक अधिक गंभीर विकार है, जिसमें हार्मोनल असंतुलन, मेटाबोलिक समस्याएं, और प्रजनन संबंधी जटिलताएं शामिल होती हैं।
उपचार और सलाह (Treatment and Advice)
पीसीओडी का समय पर इलाज और सही सलाह से प्रबंधन संभव है। अगर आपको पीसीओडी के लक्षण महसूस होते हैं, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
यशोदा आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटर: पीसीओडी और प्रजनन संबंधी अन्य समस्याओं के लिए सही परामर्श और उपचार के लिए, नवी मुंबई के यशोदा आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटर से संपर्क करें। यहां के विशेषज्ञ डॉक्टर आपको उचित मार्गदर्शन और देखभाल प्रदान करेंगे। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: 8655442184.
पीसीओडी का परीक्षण (PCOD Testing)
स्वस्थ जीवन की कुंजी है सही जानकारी और सही समय पर उचित उपचार। पीसीओडी, जो महिलाओं में होने वाली एक सामान्य समस्या है, का पता लगाने के लिए परीक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है।
जानिए PCOD परीक्षण कैसे होता है? (Know How is PCOD Testing Done?)
जब आप इस समस्या के लिए डॉक्टर के पास जाती हैं, तो वह कुछ प्रकार की जाँचें की सलाह देते है:
•                  अल्ट्रासाउंड (Ultrasound): इसमें डॉक्टर आपके अंडाशय की स्थिति की जाँच करते हैं और सिस्ट्स  है या नही ये को जांच करते हैं।
•                  रक्त परीक्षण (Blood test): इससे डॉक्टर अंडा उत्सर्जन संबंधित हार्मोन्स की मात्रा की जाँच करते है।
•                  शारीरिक परीक्षण: इसमें डॉक्टर आपके शरीर के सारे हिस्सों, जैसे त्वचा, बाल आदि की जाँच करते है।
जानिए क्या है PCOD परीक्षण में ध्यान देने योग्य बातें (Know Things to Consider in PCOD Testing)
जब आप डॉक्टर के पास PCOD के परीक्षण के लिए जाती हैं, तो कुछ बातों का हमे अच्छे से ध्यान रखना चाहिए:
•                  डॉक्टर से सलाह: अच्छे डॉक्टर से सलाह लेने से आपको अच्छे से सहायता मिलती है।
•                  परीक्षण का समय: डॉक्टर से सलाह ले की किस महीने मे परीक्षण या जांच करनी है।
•                  जाँच की सटीकता: अगर आपको पहिली जांच मै कुछ गडबड जैसा लगा तो आप दुबारा जांच कर सकते हैं
क्या है पीसीओडी का इलाज (What is Treatment for PCOD)
पीसीओडी समस्या की पहचान होने के बाद आवश्यक हैं की उसका जल्द से जल्द इलाज किया जाए।
जानिए पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज का उपचार (Polycystic Ovarian Disease Treatment)
•                  हार्मोन थेरेपी: इसमें डॉक्टर हार्मोन्स की मात्रा को संतुलित करते है।
•                  औषधियां: कुछ प्रकार की दवाओं से हार्मोन असंतुलन को दूर किया जा सकता है।
•                  लाइफस्टाइल परिवर्तन: संतुलित आहार और व्यायाम से भी PCOD पर नियंत्रण पाया जाता है।
जानिए PCOD की समस्या का समाधान या निवारण क्या है (Solution to PCOD Problem)
PCOD  ऐसी समस्या है जिसका निवारण या समाधान सिर्फ और सिर्फ औषधियों में नहीं है  हमे अपने जीवनशैली में सुधार करना चाहिए, संतुलित आहार लेना चाहिए और नियमित व्यायाम करना चाहिए, तो हम PCOD से मुक्ति पा सकते हैं।
हमारे की विशेषज्ञ सहायता प्राप्त करें (Seek Our Expert Help)
आज के टाईम मै महिलाओं में पीसीओडी की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। अगर इसका सही समय पर और सही तरीके से इलाज नहीं होता, तो ये समस्या और भी बढ़ सकती है या जटिल हो सकती है। इसके लिए हमारे आईवीएफ और विशेषज्ञों की सलाह ले और सही उपचार जल्द ही करे।यशोदा आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटर
यशोदा आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटर पीसीओडी और प्रजनन संबंधित समस्याओं के उपचार के लिए Best IVF Centre In Navi Mumbai माना जाता है। यहां के अनुभवी डॉक्टर आपको सही मार्गदर्शन और देखभाल प्रदान करते हैं। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: 8655442184.
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sonita0526 · 5 years
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गोखरू लाभ: गोखरू ब्लड शुगर नियंत्रक करने, किडनी रोगों से राहत पाने, यौन क्षमता बढ़ाने के साथ पीसीओएस में कमाल है यह आयुर्वेदिक औषधि!
गोखरू लाभ: गोखरू ब्लड शुगर नियंत्रक करने, किडनी रोगों से राहत पाने, यौन क्षमता बढ़ाने के साथ पीसीओएस में कमाल है यह आयुर्वेदिक औषधि!
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गोखरू स्वास्थ्य लाभ: क्या आपने पहले गोखरू (गोखरू) का नाम सुना था! यह एक अत्यंत ही दुलर्भ जड़ी-बूटी (हर्ब) है। गोखरू का सेवन करने से शरीर के कई रोगों को दूर करने में मदद मिल सकती है। गोखरू किड़नी की बीमारियों (गोखरू फॉर किडनी) से राहत पाने में लाभदायक माना जाता है। किड़नी की पथरी (किडनी स्टोन) के लिए गोखरू देसी इलाज (गोखरू देसी उपचार) माना जाता है। किड़नी स्टोन के दर्द (किडनी स्टोन दर्द) से राहत…
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mp3lyricsstuff · 5 years
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Easy And Quick Weight Loss Diet Tips in Hindi | Diabetes and Weight Loss | Vajan Kaise Kam Kare | How To Lose Weight Fast | Eat These Foods for Breakfast to Lose Weight Faster
Easy And Quick Weight Loss Tips: अगर आप भी तेजी से वजन कम करना चाह रहे हैं, लेकिन वजन कम करने के लिए भोजन (Weight Loss Diet) में खूब सारे बदलाव करने के बाद भी आप वजन कम करने में सफल नहीं हो पा रहे हैं, तो यकीनन आप वजन कम करने के लिए घरेलू नुस्‍खे (Home Remedies) या उपाय तलाशने लगे होंगे. तेजी से वजन कम (Lose Weight Fast) करने का लक्ष्‍य उस समय और भी मुश्‍किल हो जाता है जब आप ब्‍लड शुगर (Blood Sugar) से जुड़ी समस्‍या यानी की डायबिटीज से (Diabetes) जूझ रहे हों. डायबिटीज को कंट्रोल (Control Diabetes) करने और वजन घटाने (How To Lose Weight) के लिए अगर आप भी संघर्ष कर रहे हैं, तो यहां है एक ऐसा उपाय, ज‍िसे अपनाकर आप तेजी से वजन भी घटा पाएंगे और ब्‍लड शुगर लेवल भी कंट्रोल (Control Blood Sugar Level) रहेगा. 
What Is PCOD, PCOS: क्या है पीसीओडी या पीसीओएस, प्रकार, लक्षण और कारण
Attention Girls! ये हैं वो 6 काम जो पीरियड्स में नहीं करने चाहिए…
तेजी से वजन कम करने और ब्‍लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए कैसा हो नाश्‍ता और डिनर ( For Weight Loss and Better Glucose Control Eat a Big Breakfast)
यदि आप रात में भरपेट खाना करने के बजाए इसे हल्का करें और सुबह हल्का नाश्ता करने के बजाए अगर इसे भरपेट करें, तो आप वजन कम (Weight Loss) करने के साथ-साथ हाई ब्लड शुगर (High Blood Sugar) को भी नियंत्रित कर सकते हैं. एक नए शोध में यह बात सामने आई है. जर्मनी स्थित लुबेक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि रात्रि के स्थान पर सुबह शरीर खाना अच्छे से पचाने में मदद करता है. यह शोध द जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित हुआ है.
शोधकर्ताओं के अनुसार, जब हम एब्जॉर्पशन, डाइजेशन, ट्रांस्पोट और पोषक तत्वों के भंडारण के लिए भोजन पचाते हैं तब हमारा शरीर ऊर्जा का विस्तार करता है.
Irregular Periods: क्‍या हैं अनियमित माहवारी के कारण और इसका इलाज
छह महीने के बच्चे को कोरोनावायरस, तस्‍वीरें हो रहीं Viral, पिता हैं विदेश में, मां भी संक्रमित…
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Weight Loss and Better Glucose Control: तेजी से वजन कम करने और ब्‍लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए खाएं हेवी ब्रेकफास्‍ट.
डाइट-इंड्यूस्ड थर्मोजेनेसिस (डीआईटी) के रूप में चर्चित इस प्रक्रिया में इस बात का माप होता है कि हमारा चयापचय कितनी अच्छी तरह काम कर रहा है और कैसे यह भोजन के आधार पर भिन्न हो सकता है.
लुबेक विश्वविद्यालय की कॉरेस्पोंडेंस लेखक जूलियन रिचटर ने कहा, “हमारे परिणामों से पता चलता है कि नाश्ते में खाया जाने वाला भोजन, इसमें मौजूद कैलोरी की मात्रा की परवाह किए बिना, डिनर में किए गए भोजन की तुलना में दो बार उच्च आहार-प्रेरित थर्मोजेनेसिस बनाता है.”
क्यों होता है कैंसर, कैसे पहचानें कैंसर के लक्षण और क्या है इसका इलाज और उपाय
करें ये 7 काम दुबलेपन और कमजोरी से मिलेगा छुटकारा, आसानी से बढ़ेगा वजन मिलेगा हेल्दी शरीर!
कमर दर्द के साथ पीरियड्स, पेट दर्द के लिए कमाल हैं ये योगासन, जानें पीठ दर्द से बचाव के उपाय और योग करने का तरीका!
उन्होंने कहा, “इस शोध से अच्छे से नाश्ता करने के महत्व का पता चलता है.”
तेजी से वजन कम करने के लिए नाश्‍ते में क्‍या खाएं (Eat These Foods for Breakfast to Lose Weight Faster)
1. तेजी से वजन घटाने के लिए अपने आहार में दालों को शामिल करें. दालों में कोलेस्ट्रॉल और वसा भी कम या न के बराबर हैं. इनमें फाइबर और प्रोटीन होता है जो वजन कम करने में मददगार है. 
2. वजन घटाने और मोटापा करने के लिए अपनी डाइट में फलों को जगह दें. वजन कम करने के लिए आहार में फलों को शामिल किया जा सकता है. फलों में कम फैट होता है या फिर बिलकुल ही फैट नहीं होता. यह आपकी वेट लॉस डाइट में बहुत अच्‍छी तरह फ‍िट हो सकते हैं.
Fatty Liver Disease: एक्सरसाइज के साथ ग्रीन टी का सेवन करने से फैटी लीवर की बीमारी हो सकती है दूर: Study
3. तेजी से वजन कम करने के लिए भोजन में शामिल करें सब्‍ज‍ियां. हरी पत्तेदार सब्जियां में वसा नहीं होती और यह आयरन व फाइबर से भरपूर होती हैं. जो पेट भरा रहने का अहसास कराते हैं. यह ब्रेकफास्‍ट और लंच के बीच क्रेविंग को कंटोल करने मे मदद करते हैं. 
(इनुपट-आईएएनएस) 
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वजन कम करने के लिए क्या करना चाहिए! यह दो चीजें करेंगी पेट की चर्बी को दूर, घटाएंगी मोटापा
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पेट की चर्बी, जांघों का फैट और बाजुओं पर झूलती चर्बी को कम करने में कमाल है यह सुपरफूड! रोजाना सेवन कर घटाएं वजन 
6 आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां घटाएंगी पेट की चर्बी और मोटापा, रोजाना करेंगे सेवन तो तेजी से घटेगा वजन!
जिम जाने का नहीं है समय? इस फुल-बॉडी वर्कआउट को कर सकते हैं कभी भी, कहीं भी, तेजी से घटेगी चर्बी!
हड्डियों में कैल्शियम की कमी को दूर करेंगी ये 5 चीजें, रोजाना खाएंगे तो जोड़ों के दर्द से मिलेगी राहत!
क्या पीरियड के दौरान सेक्स सही है या ग़लत? डॉक्टर से जान��ं क्या करें और क्या नहीं
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gethealthy18-blog · 5 years
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पीसीओएस (पीसीओडी) के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Polycystic Ovary Syndrome (PCOS/PCOD) in hindi
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पीसीओएस (पीसीओडी) के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Polycystic Ovary Syndrome (PCOS/PCOD) in hindi
महिलाओं के हार्मोनल स्तर में बदलाव होना सामान्य है। ऐसे में हार्मोनल परिवर्तन से संबंधित कई जोखिम भी उत्पन्न हो सकते हैं। उनमें से एक पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) भी है। इसे पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज (पीसीओडी) के नाम से भी जाना जाता है। एक मेडिकल रिसर्च की माने, तो महिला जनसंख्या में से 6-10 प्रतिशत महिलाएं इस समस्या का शिकार होती हैं (1)। अगर किसी महिला को यह समस्या है, तो उन्हें बिना किसी झिझक के इस बारे में डॉक्टर से बात करनी चाहिए। स्टाइलक्रेज का यह आर्टिकल आपको पीसीओएस से जुड़ी हर तरह की जानकारी देगा। हम बताएंगे कि पीसीओडी के कारण क्या हो सकते हैं और पीसीओएस के लक्षण किस तरह से नजर आ सकते हैं। इसके अलावा, पीसीओएस के लिए घरेलू उपाय पर विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे।
अधिक जानकारी के लिए करें स्क्रॉल
इस आर्टिकल में सबसे पहले पीसीओएस क्या है, इसकी जानकारी दी जा रही हैं।
विषय सूची
पीसीओएस क्या है? – What is PCOS in Hindi
यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब हार्मोंस असंतुलित हो जाएं व मेटाबॉलिज्म की समस्या होने लगे। हार्मोंस असंतुलित होने से मासिक धर्म चक्र पर असर पड़ता है। आमतौर पर प्रति माह मासिक धर्म चक्र में ओवरी (अंडाशय) में अंडाणु बनते हैं और बाहर निकलते हैं, लेकिन पीसीओएस होने पर अंडाणु विकसित नहीं हो पाते हैं। साथ ही बाहर नहीं निकल पाते हैं (2)।
इसके अलावा, महिलाओं के शरीर में पुरुष हार्मोन (एंड्रोजन) का विकास होने पर भी पीसीओएस की समस्या उत्पन्न हो सकती है। महिलाओं में इस हार्मोन की वृद्धि के परिणामस्वरूप कई समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं, जिनमें मासिक धर्म की अनियमितता, बांझपन (Infertility) और त्वचा की समस्याएं जैसे मुंहासे और बालों का बढ़ना शामिल हैं (3)। आगे हम आपको बताएंगे कि महिलाओं के शरीर में किन कारणों से पीसीओएस को बढ़ावा मिल सकता है।
पीसीओएस क्या है, यह जानने के बाद अब पीसीओएस के कारण पर चर्चा करते हैं।
पीसीओएस के कारण – Causes of PCOS in Hindi
पीसीओएस का मुख्य कारण हार्मोन के स्तर में परिवर्तन होना है, जिस कारण ओवरी में अंडाणु पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते और उनका ओवरी से बाहर निकलना भी कठिन हो जाता है। हालांकि, वैज्ञानिक तौर पर सटीक रूप से यह कहना मुश्किल है कि पीसीओएस किस कारण से होता है, लेकिन इसे लेकर आम धारणाएं इस प्रकार हैं (3):
आनुवंशिक कारण: कुछ महिलाओं में पीसीओएस की समस्या आनुवंशिक हो सकती है। यह समस्या एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी की महिला को हो सकती है। हालांकि, इस संबंध में वैज्ञानिक शोध का अभाव है, लेकिन जिनकी मां को यह समस्या रही हो, उन्हें अधिक सावधानी बरतनी चाहिए (4)।
पुरुष हार्मोन की वृद्धि: कई बार महिलाओं की ओवरी अधिक मात्रा में पुरुष हार्मोन (एंड्रोजन) का उत्पादन करने लगती है। पुरुष हार्मोन के ज्यादा मात्रा में उत्पादन होने पर ओव्यूलेशन प्रक्रिया के समय अंडाणु को बाहर निकलने में मुश्किल होती है। इस अवस्था को मेडिकल भाषा में हाइपरएंड्रोजनिसम कहा जाता है (5)।
इंसुलिन असंतुलन: शरीर में पाया जाने वाला इंसुलिन हार्मोन भी पीसीओएस कारण बन सकता है। दरअसल, हार्मोन आहार में पाए जाने वाले शुगर और स्टार्च को ऊर्जा में बदलने का काम करते हैं। वहीं, जब इंसुलिन का संतुलन बिगड़ जाता है, तो एंड्रोजन हार्मोन की वृद्धि होने लगती है। इससे ओव्यूलेशन प्रक्रिया पर प्रभाव पढ़ने लगता है और महिलाओं में पीसीओएस की समस्या उत्पन्न हो जाती है (6)।
खराब जीवनशैली : खराब जीवनशैली के कारण भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। जंक फूड का सेवन ज्यादा करने से शरीर को पर्याप्त पौष्टिक तत्व नहीं मिल पाते हैं। साथ ही नशीले पदार्थों और सिगरेट का सेवन करना भी इस बीमारी का एक कारण है।
ऊपर आपने पीसीओएस के कारण पढ़े, आगे हम पीसीओएस के लक्षण बता रहे हैं।
पीसीओएस के लक्षण – Symptoms of PCOS in Hindi
पीसीओएस का सबसे प्रमुख लक्षण मासिक धर्म चक्र में परिवर्तन शामिल है, इसके अलावा अन्य लक्षण इस प्रकार हैं (3):
युवावस्था के दौरान सामान्य रूप से पीरियड शुरू होने के बाद उनका बंद हो जाना। इसे सेकंडरी एमेनोरिया कहा जाता है।
अनियमित पीरियड का आना और बंद हो जाना।
पीसीओएस के अन्य लक्षणों में शामिल हैं:
शरीर के कई हिस्सों में बालों का उगना, जैसे छाती, पेट, चेहरे व निपल्स।
चेहरे, छाती या पीठ पर मुंहासे होना।
त्वचा में परिवर्तन, जैसे कि त्वचा पर काले निशान नजर आना। खासकर बगल, कमर, गर्दन और स्तनों के आसपास।
पी��ीओएस के कारण और लक्षण की जानकारी देने के बाद, अब हम पीसीओएस के लिए घरेलू उपाय बता रहे हैं।
पॉलीसायस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Polycystic Ovary Syndrome (PCOS) in Hindi
पॉलीसायस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक ऐसी समस्या है, जिसे घरेलू उपचार के मदद से दूर करना पूरी तरह संभव नहीं है, लेकिन घरेलू उपचार की मदद से इसके लक्षणों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। आइए, इन घरेलू उपचारों के ��ारे में विस्तार से जानते हैं।
1. विटामिन डी
सामग्री:
विटामिन-डी कैप्सूल
उपयोग करने का तरीका:
इसे सीधे सेवन किया जा सकता है।
इसे डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिए।
कैप्सूल की जगह विटामिन-डी से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे टूना, सैल्मन, मैकेरल मछली, पनीर, अंडे का पीला भाग और मशरूम भी लिए जा सकते हैं (7)।
कैसे है लाभदायक:
एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में बताया गया है कि विटामिन डी का उपयोग पीसीओएस से राहत पाने में सहायक हो सकता है। इस शोध के मुताबिक विटामिन-डी असामान्य रूप से बढ़ रहे सीरम एंटी-मुलरियन हार्मोन (एएमएच) के स्तर को कम करने का काम कर सकता है। एएमएच एक तरह का हार्मोन है, जिसके बढ़ने पर पीसीओएस की समस्या हो सकती है। इसके अलावा, पीसीओएस वाली महिलाओं में मेटफार्मिन थेरेपी (मधुमेह के इलाज लिए अपनाई जाने वाली थेरेपी) के साथ-साथ विटामिन-डी और कैल्शियम की खुराक देने पर मासिक धर्म को नियमित करना और ओव्यूलेशन प्रक्रिया को सही करने में मदद मिलती है। ऐसे में कहा जा सकता है कि विटामिन-डी के सेवन से पीसीओएस के लक्षणों को दूर किया जा सकता है (8)।
2. सेब का सिरका
सामग्री:
दो चम्मच सेब का सिरका
एक गिलास पानी
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले पानी को हल्का गर्म कर लें।
फिर उसमें सेब के सिरके डाल लें और अच्छे से मिक्स करें।
फिर इसे पी लें।
कैसे है लाभदायक:
सेब के सिरके का सेवन पीसीओएस से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। इस विषय पर एक शोध किया गया है। शोध के तहत पीसीओएस में हार्मोनल और ओव्यूलेटरी फंक्शन पर सिरके के प्रभाव जानने के लिए सात रोगियों को 90-110 दिन तक रोजाना 15 ग्राम सेब के सिरका दिया गया। इससे यह साबित हुआ कि सेब के सिरके के सेवन से इस समस्या के इलाज में कुछ हद मदद मिल सकती हैं। शोध के अनुसार ऐसा इसलिए संभव है, क्योंकि सिरके के सेवन से पीसीओएस से प्रभावित रोगी में इंसुलिन संवेदनशीलता बेहतर होती है (9)।
3. नारियल तेल
सामग्री:
एक चम्मच नारियल तेल
उपयोग करने का तरीका:
नारियल तेल का सीधे सेवन किया जा सकता है या इसे स्मूदी में मिलाकर पिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
नारियल के तेल का उपयोग करने पर पीसीओएस के उपचार में मदद मिल सकती है। इस संबंध में किए गए एक वैज्ञानिक शोध से पता चलता है कि डेकोनिक एसिड युक्त आहार के सेवन से एंड्रोजन के उत्पादन को कम करके पीसीओएस की समस्या को कुछ कम किया जा सकता है। डेकोनिक एसिड एक तरह का नॉन-टॉक्सिक फैटी एसिड होता है, जिसमें 10 कार्बन अणु होते हैं। वहीं, नारियल तेल में डेकोनिक एसिड प्राकृतिक रूप से पाया जाता है (10)। फिलहाल, इस पर और शोध किए जाने की जरूरत है, ताकि पता चल सके कि यह किस तरह काम करता है।
4. इवनिंग प्रिमरोज ऑयल
सामग्री:
ईवनिंग प्रिमरोज ऑयल कैप्सूल
उपयोग करने का तरीका:
इस कैप्सूल को सीधे सेवन किया जा सकता है।
प्रतिदिन एक कैप्सूल लिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
एनसीबीआई में पब्लिश एक शोध के मुताबिक ईवनिंग प्रिमरोज ऑयल के उपयोग से पीसीओएस के इलाज में मदद मिल सकती है। इस शोध में कुछ महिलाओं को 12 हफ्ते तक विटामिन-डी और ईवनिंग प्रिमरोज ऑयल दिया गया। इससे उनमें ट्राइग्लीसेराइड (एक तरह का फैट), वेरी लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (वीएलडीएल) के स्तर में सुधार पाया गया। साथ ही ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस में भी कमी आई, जिस कारण मरीज को पीसीओएस के लक्षणों से कुछ राहत मिली (11)।
5. ग्रीन टी
सामग्री:
एक चम्मच ग्रीन टी पाउडर
एक कप पानी
एक चम्मच शहद
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले पानी में ग्रीन टी पाउडर को मिलाएं और कुछ देर तक गर्म करें।
कुछ मिनट गर्म होने के बाद इस चाय को छान कर कप में डाल लें।
फिर ऊपर से शहद डाल लें और चाय के स्वाद का आनंद लें।
इसे दिन में दो से तीन बार तक पी सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
एक अध्ययन के अनुसार, ग्रीन टी के सेवन से शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को कम किया जा सकता है, जिससे पीसीओएस के लक्षण को दूर किया जा सकता है। यह इंसुलिन को भी कम करने में मदद कर सकता है। जैसा कि ऊपर लेख में बताया गया है कि इंसुलिन की असंतुलित मात्रा पीसीओएस का कारण बन सकती है। ऐसे में कहा जा सकता है कि पीसीओएस में ग्रीन टी का उपयोग सहायक हो सकता है। यह जानकारी एनसीबीआई की वेबसाइट में प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध में दी गई है (12)।
6. रॉयल जेली
सामग्री:
दो चम्मच रॉयल जेली
उपयोग करने का तरीका:
इसे सामान्य तरीके से सेवन किया जाता है।
प्रतिदिन सुबह कुछ मात्रा में लिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
रॉयल जेली एक तरह का शहद होती है। वहीं, पीसीओएस एक हार्मोन से संबंधित समस्या होती है, जिसके इलाज में रॉयल जेली के सेवन की सलाह दी जा सकती है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर रॉयल जेली के 200 से 400 मिलीग्राम के सेवन से सीरम एस्ट्राडियोल (फीमेल हार्मोन) के स्तर में वृद्धि हो सकती है। यह मासिक धर्म चक्र को रेगुलेट करने का काम करता है। साथ ही रॉयल जेली सीरम प्रोजेस्टेरोन (महिलाओं से संबंधित एक तरह का हार्मोन) के स्तर में वृद्धि कर सकता है। प्रोजेस्टेरोन में वृद्धि होने से मासिक धर्म चक्र नियमित हो सकता है, जिससे पीसीओएस के उपचार में मदद मिल सकती है। यह सब रॉयल जेली में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट और एस्ट्रोजेनिक प्रभाव के कारण होता है, जिसका प्रभाव प्रजनन प्रणाली (रिप्रोडक्टिव सिस्टम) पर होता है (13)।
7. एलोवेरा जूस
सामग्री:
एक गिलास एलोवेरा जूस
उपयोग करने का तरीका:
ताजा एलोवेरा जूस को सुबह खाली पेट पिएं।
इसे प्रत्येक सुबह पिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
पीसीओएस के इलाज में एलोवेरा जूस का उपयोग किया जा सकता है। एक वैज्ञानिक शोध से पता चलता है कि एलोवेरा जेल में पीसीओएस से बचाने की क्षमता होती है। इस अध्ययन के अनुसार, एलोवेरा जेल पीसीओएस से जूझ रही महिलाओं में हाइपरग्लाइसेमिक (उच्च रक्त शुगर) स्थिति को सामान्य करने में मदद कर सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि एलोवेरा जेल में हाइपोग्लाइसेमिक यानी रक्तचाप को कम करने का प्रभाव होता है। साथ ही एलोवेरा में फाइटोस्टेरॉल (एक तरह का प्लांट स्टेरॉल) और फाइटो-फिनोल होता है। यह जानकारी एनसीबीआई की वेबसाइट पर मौजूद है (14)।
8. आंवला जूस
सामग्री:
एक चम्मच आंवले का रस
एक कप पानी
उपयोग करने का तरीका:
आंवले के रस को पानी में अच्छे से घोल लें।
फिर इस मिश्रण को पी लें।
इसे दिन में एक बार पी सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
पीसीओएस के मरीज को कई खाद्य पदार्थ से दूर रखा जाता है और कई खाद्य पदार्थ उनके आहार में शामिल करने की सलाह दी जाती है। जिन खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल किया जाता है, वो पीसीओएस के लक्षण को कम करने में मदद कर सकते हैं। ऐसे में जिन खाद्य पदार्थ को पीसीओएस के मरीज की दिनचर्या में शामिल किया जा सकता है, उनमें आंवला का जूस भी शामिल है (15)। अभी इस संबंध में और वैज्ञानिक शोध की आवश्यकता है कि यह किस गुण के कारण पीसीओएस में लाभदायक होता है।
9. जीरा पानी
सामग्री:
आधा चम्मच जीरा पाउडर
एक कप पानी
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले पानी को हल्का गर्म करें।
फिर उसमें जीरा पाउडर को मिलाएं और कुछ देर तक गुनगुना होने दें।
पानी के गुनगुना होने पर इसे कप में निकाल कर पिएं।
इसे दिन में दो बार पिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
कई समस्याओं से निपटने के लिए हर्बल उपचारों का सहारा लिया जाता है। वैसे ही पीसीओएस के इलाज में जीरा का उपयोग किया जा सकता है। यह शरीर में हार्मोन के स्तर को सामान्य बनाने का काम कर सकता है और वजन कम करने में भी सहायता कर सकता है। इससे मासिक चक्र के अनियमित होने की समस्या कम हो सकती है। इसके अलावा, जीरे में हाइपोग्लाइसेमिक और एंटी-ओबेसिटी गतिविधि भी होती हैं, जो ब्लड शुगर और मोटापे को सामान्य करने का काम कर सकती है (16)। ध्यान रहे कि कम रक्त शुगर वाले इसका अधिक मात्रा में सेवन न करें, इसमें हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव होता है, जो रक्त में शुगर की मात्रा को जरूरत से ज्याद कम कर सकता है।
10. सीड्स
कलौंजी के बीज
सामग्री:
एक चम्मच कलौंजी के बीज
एक चम्मच शहद
उपयोग करने का तरीका:
दोनों सामग्रियों को मिलाएं और इस मिश्रण का सेवन करें।
इसे प्रतिदिन सुबह खाया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
एनसीबीआई की ओर से प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, कलौंजी के अर्क का उपयोग टाइप-2 मधुमेह रोगियों पर हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव के लिए किया जाता है। इसमें एंटी-डायबिटिक गतिविधि होती है। इसके अलावा, यह प्रजनन प्रणाली (रिप्रोडक्टिव सिस्टम) पर भी सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। साथ ही कलौंजी में थाइमोक्विनोन (एक तरह का यौगिक) पाया जाता है, जो पीसीओएस से संबंधित लक्षणों को रोकने के साथ-साथ कम करने और ओव्यूलेशन प्रक्रिया को बेहतर करने का काम कर सकता है (17)।
चिया बीज
सामग्री:
आधा चम्मच चिया बीज
एक गिलास दूध
उपयोग करने का तरीका:
दूध को हल्का गर्म करें और उसमें चिया बीज को मिलाएं।
फिर इस मिश्रण का सेवन कर लें।
कैसे है लाभदायक:
चिया बीज के सेवन से पीसीओएस की समस्या को दूर रखा जा सकता है। दरअसल, यह हार्मोन को संतुलित रखने का काम कर सकता है। साथ ही इसके इस्तेमाल से वजन भी घट सकता है, जिससे मासिक चक्र को सामान्य बनाए रखने में मदद मिल सकती है। इससे पीसीओएस की समस्या कुछ कम हो सकती है (16)। अभी इस संबंध में और वैज्ञानिक शोध की जरूरत है, जिससे कि पीसीओएस पर इसका असर पूरी तरह से स्पष्ट हो सके।
मेथी के बीज
सामग्री:
दो चम्मच मेथी बीज
आधा कप पानी
एक चम्मच शहद
उपयोग करने का तरीका:
मेथी के बीज को रात भर पानी में भिगोकर रखें।
फिर भीगे हुए मेथी के बीज को शहद में मिलाकर खाएं।
इसका सेवन रोज सुबह किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
मेथी के बीज को लेकर एक वैज्ञानिक शोध किया गया, जिसका उद्देश्य पीसीओएस पर मेथी का प्रभाव जानना था। इस शोध में 50 पूर्व-रजोनिवृत्त (प्रीमीनोपॉज) महिलाओं को लिया गया है, जिनकी उम्र 18 से 45 वर्ष थी। इनमें से 42 महिलाओं को पीसीओएस की समस्या थी। शोध से प्राप्त हुए परिणामों से पता चला है कि मेथी के बीज का अर्क ओवेरियन वॉल्यूम यानी साइज में कमी ला सकता है। कुछ हद तक डॉक्टर पीसीओएस का निदान ओवेरियन वॉल्यूम से ही करते हैं। इसके अलावा, यह लुटेइनीजिंग हार्मोन और फॉलिकल-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (महिलाओं से संबंधित हार्मोन) के स्तर को भी बढ़ा सकता है। साथ ही मेथी के बीज का अर्क पीसीओएस के लक्षणों को कम करने के लिए प्रभावी हो सकता है (18) (19)।
सामग्री:
एक चम्मच तिल
एक गिलास पानी
गुड़ का छोटा टुकड़ा
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले पानी में तिल के बीज को मिलाएं और कुछ देर तक उबालें।
फिर इसमें स्वाद के लिए गुड़ को मिलाएं और कप में निकाल लें।
अब इस काढ़े का सेवन कर लें।
इसे प्रतिदिन एक से दो कप तक पी सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
तिल के बीज के सेवन से पीसीओएस को दूर रख सकता है। दरअसल, तिल के बीज के उपयोग से ओलिगोमेनोरिया का इलाज किया जा सकता है। ओलिगोमेनोरिया ऐसी स्थिति है, जिसमें मासिक धर्म प्रवाह में कमी आ जाती है (20)। इसलिए, ओलिगोमेनोरिया की समस्या में अक्सर पीसीओएस का जोखिम उत्पन्न हो जाता है (21)। ऐसे में ओलिगोमेनोरिया का इलाज होने पर पीसीओएस के जोखिम से बचा जा सकता है।
सौंफ
सामग्री:
दो चम्मच सौंफ
एक गिलास पानी
उपयोग करने का तरीका:
सौंफ को रातभर आधा गिलास पानी में भिगोकर रखें।
फिर सुबह इसमें आधा गिलास पानी और डालें।
उसके बाद इसे लगभग 5 मिनट के लिए गर्म करें।
फिर इसे छानकर पी लें।
इसे प्रतिदिन सुबह खाली पेट पिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
सौंफ के उपयोग से पीसीओएस की समस्या में कुछ हद तक सुधार हो सकता है। दरअसल, सौंफ में रीनोप्रोटेक्टिव प्रभाव पाए जाते हैं, जो पीसीओएस के इलाज में मदद कर सकते हैं। पीसीओएस की समस्या को कम करने के लिए सौंफ का सेवन करने से इस समस्या में कुछ हद तक सुधार हो सकता है (18)।
कद्दू के बीज
सामग्री:
5 से 10 कद्दू के बीज
उपयोग करने का तरीका:
कद्दू के बीज को छिल लें और इसका सेवन कर लें।
इसे कुछ ड्राई फ्रूट के साथ मिलाकर भी खाया जा सकता है।
प्रतिदिन कद्दू के कुछ बीज लिए जा सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
कद्दू के बीज में एसेंशियल फैटी एसिड (EFA) पाया जाता है, जो शरीर के लिए जरूरी होते हैं। ईएफए हार्मोन की प्रक्रिया को संतुलित करने में मदद कर सकता है। साथ ही यह इंसुलिन के नियंत्रित करके रक्त शर्करा को संतुलित करता है और पीरियड्स को नियमित कर सकता है (22)। इससे पीसीओएस जैसी समस्या को दूर रखा जा सकता है।
11. दालचीनी
सामग्री:
एक चम्मच दालचीनी पाउडर
एक चम्मच शहद
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले दोनों सामग्रिया को आपस में अच्छी तरह से मिला लें।
फिर इसका सेवन कर लें।
इसका दिन में एक बार सेवन किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
एक वैज्ञानिक रिसर्च के मुताबिक दालचीनी के उपयोग से शरीर में इंसुलिन के स्तर को कम किया जा सकता है। वहीं, 40 दिन तक दालचीनी का प्रतिदिन सेवन करने पर मधुमेह के रोगियों में रक्त शर्करा के स्तर को भी कम किया जा सकता है। दालचीनी को 8 हफ्ते तक रोज उपयोग करने से पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में इंसुलिन प्रतिरोध कम हो जाता है। साथ ही पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में पीरियड्स को नियमित रूप से बनाए रखने में भी मदद मिल सकती है (23)।
12. मुलेठी की जड़
सामग्री:
एक चम्मच मुलेठी की जड़ का पाउडर
एक कप पानी
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले पानी को गर्म करें और उसमें मुलेठी पाउडर को डालें।
कुछ देर तक पानी को गर्म होने दें।
फिर इसे छान कर एक कप में डाल लें।
इसे ताजा ही पिएं।
इसे दिन में दो बार पी सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
मुलेठी के उपयोग से भी पीसीओएस की समस्या को कम किया जा सकता है। इस संबंध में प्रकाशित एक मेडिकल शोध में बताया गया है कि मुलेठी के अर्क असंतुलित हार्मोनल स्तर और अनियमित ओवेरियन फॉलिकल को रेगुलेट करते हैं, जिससे पीसीओएस के लक्षणों को दूर किया जा सकता है (24)। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि पीसीओडी के लिए घरेलू उपाय में मुलेठी को भी शामिल किया जा सकता है।
13. चेस्टबेरी
सामग्री:
चेस्टबेरी सप्लीमेंट
उपयोग करने का तरीका:
डॉक्टर की सलाह पर इसका सेवन करें।
कैसे है लाभदायक:
एक क्लिनिकल शोध में बताया गया है कि चेस्टबेरी के इस्तेमाल से प्रोलैक्टिन (एक तरह का हार्मोन) कम हो सकता है। प्रोलैक्टिन का स्तर ज्यादा होने से मासिक धर्म व प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। इसके अलावा, चेस्टबेरी से मासिक धर्म की अनियमितता और बांझपन में भी सुधार हो सकता है (25)। इससे पीसीओएस की समस्या को पनपने से रोका जा सकता है।
और जानकारी के लिए लेख को पढ़ते रहें
चलिए, अब जानते हैं कि पीसीओएस का इलाज कैसे किया जा सकता है।
पीसीओएस का इलाज – Treatment of PCOS in Hindi
पीसीओएस का संपूर्ण इलाज संभव नहीं है। दवाइयों के माध्यम से सिर्फ इसके लक्षणों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। इसके लक्षणों को दूर करने के लिए डॉक्टर नीचे बताए जा रही दवाइयां दे सकते हैं (2): 
हार्मोनल बर्थ कंट्रोल (जो गर्भवती नहीं होना चाहती):
यह मासिक धर्म को नियमित कर सकता है।
एंडोमेट्रियल कैंसर के जोखिम को कम करने में मददगार हो सकता है।
मुंहासे में सुधार कर सकता है और चेहरे व शरीर के अन्य अंगों पर आए अतिरिक्त बालों को कम करने में मदद कर सकता है।
एंटी-एंड्रोजन दवाई: यह दवाई एंड्रोजन के प्रभाव को कम करती है, जिससे सिर के बाल झड़ने की समस्या कम हो सकती है और चेहरे व शरीर के बालों के विकास में कमी आ सकती है। साथ ही मुंहासे को कम करने में भी मदद मिल सकती हैं। फिलहाल, फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने दवा को अनुमति नहीं दी है, क्योंकि यह दवाई गर्भावस्था के दौरान समस्या पैदा कर सकती हैं।
मेटफॉर्मिन: इस दवाई का उपयोग टाइप 2 मधुमेह के इलाज और कुछ महिलाओं में पीसीओएस के लक्षणों को दूर करने में किया जाता है। यह दवाई इंसुलिन में सुधार कर रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) को कम कर सकती है। साथ ही यह इंसुलिन और एंड्रोजन दोनों के स्तर को भी कम कर सकती है, जिससे पीसीओएस की समस्या दूर हो सकती है।
अन्य जानकारी के लिए पढ़ें नीचे
इस लेख के अगले भाग में हम पीसीओएस से बचने के उपाय बता रहे हैं।
पीसीओएस से बचने के उपाय – Prevention Tips for PCOS in Hindi
पीसीओएस की समस्या आनुवंशिक भी हो सकती है। ऐसे में इस समस्या से बचना आसान नहीं है, लेकिन इन सावधानियों को ध्यान में रखने से इस समस्या को बढ़ने से रोका जा सकता है।
नियमित रूप से योग व्यायाम करने पर शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखा जा सकता है, जिससे कई समस्याएं दूर रह सकती हैं।
नियमित रूप से डॉक्टरी चेकअप कराएं, ताकि किसी भी समस्या का समय रहते पता चल सके और उसका इलाज किया जा सके। इससे पीसीओएस की समस्या को उत्पन्न होने से रोकने में मदद मिल सकती है।
कई बार वजन का अधिक बढ़ना या कम होने पर कुछ समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। ऐसे में वजन को नियंत्रित रख कर उन समस्याओं को उत्पन्न होने से रोका जा सकता है।
अगर किसी के पीरियड्स लंबे समय से नियमित समय पर नहीं आ रहे हैं, तो ऐसे में उन्हें इस बारे में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
अगर किसी को अधिक तनाव की समस्या है, तो इससे भी पीसीओएस की समस्या हो सकती है। ऐसे में तनाव मुक्त रहने पर कई समस्याओं से बचा जा सकता है।
यह बात भलीभांती समझ आ गई कि पीसीओएस किस तरह की समस्या है। अगर किसी महिला में ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो वो एक बार इस बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर करें। इसके लक्षण को अनदेखा करना गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। आप इस आर्टिकल को अपने परिवार व अन्य महिलाओं के साथ शेयर कर सकते हैं, ताकि वो भी इस बीमारी के प्रति जागरूक हो सकें। हम उम्मीद करते हैं कि इस आर्टिकल में दिए गए जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
लंबे समय तक अनुपचारित पीसीओएस का प्रभाव?
लंबे समय तक पीसीओएस का इलाज नहीं करने पर एंडोमेट्रियल कैंसर का जोखिम उत्पन्न हो सकता है (26)।
अगर मुझे पीसीओएस है, तो मुझे क्या खाना चाहिए?
अगर आपको पीसीओएस की समस्या है, तो आप इन्हें आहार में शामिल कर सकती हैं (15):
कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले अनाज
कम कैलोरी ��ाले भोजन
साबुत अनाज
फलियां (legumes)
पीसीओएस गर्भावस्था क्या है और पीसीओएस गर्भावस्था को कैसे प्रभावित करता है?
पीसीओएस के कारण महिलाओं के शरीर में कई बदलाव हाेते हैं। इस कारण गर्भधारण करने में समस्या आती है, लेकिन कुछ उपचार की मदद से गर्भधारण किया जा सकता है। इसके बावजूद पीसीओएस के चलते गर्भावस्था में कई समस्याएं हो सकती है, जिनमें गर्भपात, गर्भावधि मधुमेह और गर्भवस्था में उच्च रक्तचाप (pre-eclampsia) आदि शामिल है। यहां तक कि इसके कारण सी-सेक्शन यानी सिजेरियन डिलीवरी की आशंका पैदा हो सकती है (2)।
क्या पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम खतरनाक है?
वैसे तो पीसीओएस सामान्य स्थिति में खतरनाक नहीं होता है, लंबे समय तक इलाज न करवाने पर गंभीर रूप जरूर ले सकता है।
आप कैसे जान सकते हैं कि आपको पीसीओएस है या नहीं?
पीसीओएस की समस्या को जानना आसान हो सकता है। इसके लिए आपको इसके लक्षण का पता होना जरूरी है। हमने ऊपर लेख में इसके लक्षण बताए हैं, जो पीसीओएस के बारे में अंदाजा लगाने में मदद कर सकते हैं।
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भूपेंद्र वर्मा ने सेंट थॉमस कॉलेज से बीजेएमसी और एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी से एमजेएमसी किया है। भूपेंद्र को लेखक के तौर पर फ्रीलांसिंग में काम करते 2 साल हो गए हैं। इनकी लिखी हुई कविताएं, गाने और रैप हर किसी को पसंद आते हैं। यह अपने लेखन और रैप करने के अनोखे स्टाइल की वजह से जाने जाते हैं। इन्होंने कुछ डॉक्यूमेंट्री फिल्म की स्टोरी और डायलॉग्स भी लिखे हैं। इन्हें संगीत सुनना, फिल्में देखना और घूमना पसंद है।
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Infertility is a major problem for women’s in North India – Dr Shivani Sachdev Gour. Read full in hindi- सभी महिलाओं के लिए यह खबर बहुत जरुरी ,देखें लाईव वीडियो और शेयर भी करें ! करनाल फैडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनोकोलाॅजी सोसाइटी ऑफ इंडिया (एफओजीएसआई) करनाल शाखा और अमृतधारा अस्पताल की ओर से होटल नूर महल में (पीसीओएस) बांझपन विषय पर सम्मेलन का आयोजन किया ! इसमें दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान और यूपी से डॉक्टर शामिल हुए !
 करनाल के नूर महल में हुए इस सम्मेलन में महिलाओं में बांझपन की समस्या और उसके निवारण पर विचार सांझा किए गए ! सम्मेलन की आयोजक अमृतधारा हॉस्पिटल से डाॅ. ज्योति गुप्ता ने कहा कि पहले सि���्फ 10 प्रतिशत महिलाओंं में यह समस्या होती थी, लेकिन अब 30 से 40 प्रतिशत महिलाओं में पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि रोग सामने आ रहा है !
 यहां तक कि 13 वर्ष की उम्र की किशोर लड़कियों पीसीओएस की समस्या से ग्रस्त हो रही हैं, उन्होंने कहा कि इस समस्या के चलते अंडे ठीक से नहीं बनते और मच्योर नहीं होते हैं ! इसके कई कारण है, जिनमें जेनेटिक, एनवायरमेंट और एंजाइम की कमी तथा जंक फूड का अधिक सेवन और एक्सरसाइज का न करना है !
 उत्तर भारत की महिलाओं में एक बड़ी समस्या
ईएसएआर दिल्ली की सचिव डॉ. शिवानी सचदेव गौर ने कहा कि बांझपन विशेष रूप से उत्तर भारत में महिलाओं की एक बड़ी समस्या है, यह हार्मोनल पैटर्न में परिवर्तन होता है, जो महिलाओं में अधिक पुरुष हार्मोन / एंड्रॉन्स के साथ बदलता है ! इस स्थिति का इलाज करना मुश्किल है, महिलाओं को ठोड़ी और होंठों से ऊपर बाल होते हैं, मुंहासे, बालों का झड़ना और मधुमेह और उच्च कोलेस्ट्रॉल मिलता है !
 इस समस्या से निपटने के उपाए
इस समस्या से निपटने का सबसे अच्छा तरीका वजन घटाना है मेटाफॉर्मिन जैसी एंटीबायोटिक दवाएं और इनोसिटोलॉज जैसी दवाएं मदद कर सकती हैं ,गोनाडोट्रोपिन जैसी इंजेक्शन बांझपन की महिलाओं की मदद कर सकती हैं ! गर्भवती होने के लिए कुछ महिलाओं को आईवीएफ या टेस्ट ट्यूब बेबी उपचार की आवश्यकता होती है, अनियमित जीवनशैली और अत्यधिक जंक फूड पीसीओ बीमारी को पैदा करने में एक कारण बनता है, इसलिए आहार और जीवन शैली में बदलाव जरूरी है !
 सम्मेलन में इनकी रही विशेष उपस्थिति
सम्मेलन में मुख्य रूप से डॉ. आभा मजूमदार गंगा राम अस्पताल, पुणे से डॉ. भारती डोरे पाटिल, डॉ ज्योति मलिक सचिव हरियाणा राज्य ईएसएआर, आज़ामगढ़ से डॉ. सीम पांडे, कोटा से डॉ अरशी इकबाल व मेरठ के डॉ. अंशु जिंदल व डॉ सुनील जिंदल आदि उपस्थित रहे! Source
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