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#पीसीओडी का इलाज
sushainwellness · 3 months
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पीसीओडी का इलाज संभव है आमतौर पर समय लगता है। यह व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक स्थिति पर निर्भर करता है। किसी के लिए यह शीघ्र हो सकता है, जबकि किसी के लिए यह अधिक समय ले सकता है। इसलिए, सब्र और नियमित उपचार के साथ संतुलित आहार और जीवनशैली का पालन करना महत्वपूर्ण है। PCOD का इलाज आयुर्वेदिक दवाओं और सही आहार-विहार के साथ संभव है, लेकिन इसे समय और संयम के साथ किया जाना चाहिए। संवेदनशीलता और अनुभवी आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह लेना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। अपनी स्वास्थ्य का ध्यान रखने और नियमित चेकअप करवाने से आप अपनी स्वास्थ्य को बेहतर बना सकती हैं।
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क्या है पीसीओडी के मुख्य लक्षण? और जाने उपचार (PCOD Symptoms In Hindi)
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पीसीओडी क्या होता है? (What is PCOD?)
क्या आपने कभी पीसीओडी के बारे में सुना है? अगर नहीं, तो आज हम इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे। पीसीओडी, यानी बहुत्विक अंडाशय रोग, एक सामान्य हार्मोनल समस्या है जो बहुत सी महिलाओं को प्रभावित करती है। इसका प्रभाव महिला के प्रजनन अंगों पर पड़ता है, जिससे कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। पीसीओडी के लक्षणों में पीरियड्स ना आना या अनियमित मासिक चक्र, गर्भधारण में कठिनाई, Mood Swings, चेहरे पर अनचाहे बाल, बाल झड़ना और पतला होना, वजन बढ़ना, त्वचा में परिवर्तन, मुंहासे, पेल्विक दर्द शामिल है और इन बीमारियों मे टाइप 2 डायबिटीज, हृदय की बीमारी, मोटापा और एंडोमेट्रियल कैंसर भी हो सकता है।
पीसीओडी का पूरा नाम हिंदी में (Full Form of PCOD in Hindi)
पीसीओडी का पूरा नाम या फिर full form “Polycystic Ovary Disease” है, जिसे हिंदी में “बहुत्विक अंडाशय व्याधि कहा जाता है। इसे ‘पीसीओडी” के नाम से अधिक जाना जाता है, और यह महिलाओं में बहुत पाया जाता है।
पीसीओडी के कारण (Why PCOD Occurs?)
अब आप सोच रहे होंगे, पीसीओडी आखिर होता कैसे है? चलिए, इसे और अधिक विस्तार से समझते हैं।
पीसीओडी कैसे होता है?
पीसीओडी तब होता है जब अंडाशय में अनेक छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं। ये सिस्ट वास्तव में अंडाणु होते हैं जो सही तरह से परिपक्व नहीं हो पाते हैं।
पीसीओडी क्यों होता है?
इसका मुख्य कारण हार्मोन्स का असंतुलन होता है। जब एक महिला के शरीर में विशेष प्रकार का हार्मोन अधिक मात्रा में उत्पन्न होता है, तो यह समस्या उत्पन्न हो सकती है।
पीसीओडी के लक्षण (Symptoms of PCOD)
पीसीओडी या पॉलीसिस्टिक ओवरी रोग अंडाशय हार्मोन का एक विकार है जो प्रजनन आयु की महिलाओं में आम है। इस बीमारी का पता लगाने के लिए ऐसे लक्षण हैं जो किसी भी महिला में दिखाई दे सकते हैं।
पीसीओडी के प्रमुख लक्षण (Main Symptoms of PCOD)
अनियमित मासिक धर्म: मासिक धर्म चक्र में लंबे समय तक रुकावट या इसमें देरी।
ओवर हेयर: पीठ, पेट और चेहरे पर प्रचुर मात्रा में बाल।
 वजन बढ़ना: अचानक वजन बढ़ना या वजन घ��ाने में कठिनाई।
त्वचा समस्याएँ: मुँहासे और चेहरे पर तेलीयपन।
अधिक थकान महसूस होना: बिना किसी कारण के थकान महसूस करना।
पीसीओडी महिलाओं में कैसे पहचानें (Identifying PCOD in Females)
यह सवाल लगभक सभी महिलाओं के मन में आता है की, “क्या मुझे पीसीओडी है हुआ है?” तो आइए जानते हैं ऐसे कुछ लक्षण जिनसे आप इस समस्या को जान सकते हैं।
जानिए पीसीओडी की समस्या और उसके लक्षण (Know PCOD Issues and Their Indications)
•                  उल्टी की भावना: बहुत बार उल्टी आने जैसा feel हो सकता हैं।
•                  सीने में जलन होना: भोजन के बाद सीने में जलन होना ये भी कई बार हो सकता है।
•                  बालों का झड़ना या फिर कम होना: इसमे बालों का झड़ना, कम होना और पतला होना ये भी शामिल है।
•                  अधिक थकान याफिर नींद की भावना: रोज के दिनकर्म में भी अधिक थकान जैसा लगना या फिर नींद जैसा feel होना।
पीसीओडी और पीसीओएस में अंतर (Difference between PCOD and PCOS)
अधिकतर लोग पीसीओडी और पीसीओएस को एक ही समस्या मानते हैं, लेकिन ये दोनों अलग होते हैं। पीसीओडी (Polycystic Ovary Disease) एक स्थिति है जहां अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट होते हैं। पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) एक अधिक गंभीर विकार है, जिसमें हार्मोनल असंतुलन, मेटाबोलिक समस्याएं, और प्रजनन संबंधी जटिलताएं शामिल होती हैं।
उपचार और सलाह (Treatment and Advice)
पीसीओडी का समय पर इलाज और सही सलाह से प्रबंधन संभव है। अगर आपको पीसीओडी के लक्षण महसूस होते हैं, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
यशोदा आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटर: पीसीओडी और प्रजनन संबंधी अन्य समस्याओं के लिए सही परामर्श और उपचार के लिए, नवी मुंबई के यशोदा आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटर से संपर्क करें। यहां के विशेषज्ञ डॉक्टर आपको उचित मार्गदर्शन और देखभाल प्रदान करेंगे। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: 8655442184.
पीसीओडी का परीक्षण (PCOD Testing)
स्वस्थ जीवन की कुंजी है सही जानकारी और सही समय पर उचित उपचार। पीसीओडी, जो महिलाओं में होने वाली एक सामान्य समस्या है, का पता लगाने के लिए परीक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है।
जानिए PCOD परीक्षण कैसे होता है? (Know How is PCOD Testing Done?)
जब आप इस समस्या के लिए डॉक्टर के पास जाती हैं, तो वह कुछ प्रकार की जाँचें की सलाह देते है:
•                  अल्ट्रासाउंड (Ultrasound): इसमें डॉक्टर आपके अंडाशय की स्थिति की जाँच करते हैं और सिस्ट्स  है या नही ये को जांच करते हैं।
•                  रक्त परीक्षण (Blood test): इससे डॉक्टर अंडा उत्सर्जन संबंधित हार्मोन्स की मात्रा की जाँच करते है।
•                  शारीरिक परीक्षण: इसमें डॉक्टर आपके शरीर के सारे हिस्सों, जैसे त्वचा, बाल आदि की जाँच करते है।
जानिए क्या है PCOD परीक्षण में ध्यान देने योग्य बातें (Know Things to Consider in PCOD Testing)
जब आप डॉक्टर के पास PCOD के परीक्षण के लिए जाती हैं, तो कुछ बातों का हमे अच्छे से ध्यान रखना चाहिए:
•                  डॉक्टर से सलाह: अच्छे डॉक्टर से सलाह लेने से आपको अच्छे से सहायता मिलती है।
•                  परीक्षण का समय: डॉक्टर से सलाह ले की किस महीने मे परीक्षण या जांच करनी है।
•                  जाँच की सटीकता: अगर आपको पहिली जांच मै कुछ गडबड जैसा लगा तो आप दुबारा जांच कर सकते हैं
क्या है पीसीओडी का इलाज (What is Treatment for PCOD)
पीसीओडी समस्या की पहचान होने के बाद आवश्यक हैं की उसका जल्द से जल्द इलाज किया जाए।
जानिए पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज का उपचार (Polycystic Ovarian Disease Treatment)
•                  हार्मोन थेरेपी: इसमें डॉक्टर हार्मोन्स की मात्रा को संतुलित करते है।
•                  औषधियां: कुछ प्रकार की दवाओं से हार्मोन असंतुलन को दूर किया जा सकता है।
•                  लाइफस्टाइल परिवर्तन: संतुलित आहार और व्यायाम से भी PCOD पर नियंत्रण पाया जाता है।
जानिए PCOD की समस्या का समाधान या निवारण क्या है (Solution to PCOD Problem)
PCOD  ऐसी समस्या है जिसका निवारण या समाधान सिर्फ और सिर्फ औषधियों में नहीं है  हमे अपने जीवनशैली में सुधार करना चाहिए, संतुलित आहार लेना चाहिए और नियमित व्यायाम करना चाहिए, तो हम PCOD से मुक्ति पा सकते हैं।
हमारे की विशेषज्ञ सहायता प्राप्त करें (Seek Our Expert Help)
आज के टाईम मै महिलाओं में पीसीओडी की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। अगर इसका सही समय पर और सही तरीके से इलाज नहीं होता, तो ये समस्या और भी बढ़ सकती है या जटिल हो सकती है। इसके लिए हमारे आईवीएफ और विशेषज्ञों की सलाह ले और सही उपचार जल्द ही करे।यशोदा आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटर
यशोदा आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटर पीसीओडी और प्रजनन संबंधित समस्याओं के उपचार के लिए Best IVF Centre In Navi Mumbai माना जाता है। यहां के अनुभवी डॉक्टर आपको सही मार्गदर्शन और देखभाल प्रदान करते हैं। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: 8655442184.
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पीसीओडी: आपको क्या जानना चाहिए (PCOD in Hindi)
मासिक धर्म पैटर्न में लगातार बदलाव के पीछे एक सामान्य कारण पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) है जिसे पीसीओडी के रूप में जाना जाता है। किसी डेट पर पीरियड्स न आने पर अक्सर युवतियां परेशान हो जाती हैं। लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है। जबकि मासिक धर्म चक्र 21 से 40 दिनों तक होता है, औसतन 28 दिनों के साथ, ये चक्र महिला से महिला में भिन्न हो सकते हैं।
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Source: https://www.freepik.com/
पीसीओडी के लक्षण (Symptoms of PCOD):
पीसीओडी एक एंडोक्रिनोलॉजिकल स्थिति है जो मासिक धर्म, प्रजनन क्षमता और आपके समग्र रूप को प्रभावित करती है। यह हार्मोन की शिथिलता के कारण होने वाली एक आनुवंशिक स्थिति है। भारत में, 5 में से 1 महिला PCOD से प्रभावित है। महिलाओं को अन्य लक्षणों का अनुभव हो सकता है जिनमें तैलीय त्वचा या मुहांसे, बालों का पतला होना, या गर्भवती होने में कठिनाई ऐसी समस्याएं शामिल हैं।
पीसीओडी के साथ दीर्घकालिक बीमारियाँ (Diseases with PCOD) पीसीओडी वाली महिलाओं को मधुमेह होने का अधिक खतरा होता है यदि उनके रिश्तेदार को मधुमेह है, अधिक वजन है, 40 वर्ष से अधिक आयु के हैं, या गर्भावधि मधुमेह है।
पीसीओडी उपचार (Treatment of PCOD):
हालांकि पीसीओडी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन जीवनशैली में कुछ बदलाव करके इस स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है।
आहार (Diet):
"पीसीओडी का पता चलने के बाद, मुझे प्रोटीन और फाइबर युक्त आहार लेने और चॉकलेट, चिप्स और बिस्कुट कट आउट की सलाह दी गई।" आपके मुख्य भोजन में प्रोटीन जैसे टोफू / पनीर, चिकन या मछली और साबुत अनाज जैसे ब्राउन चावल, पूरे गेहूं या जई शामिल होना चाहिए। जब नाश्ता करने का मन हो तो बादाम, सूरजमुखी के बीज या संतरे, कीवी और बेरी जैसे फल खाये।
व्यायाम (Exercise):
"मेरे डॉक्टर ने भी हर दिन कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करने या चलने की सलाह दी। व्यायाम वजन कम करने, तनाव कम करने में मदद करता है और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। आप हल्के एरोबिक व्यायाम, तैराकी या मध्यम गति से साइकिलिंग भी कर सकते हैं।
गर्भावस्था और पीसीओडी (Pregnancy and Pcod):
गर्भवती होने की कोशिश कर रही महिलाओं के लिए दवाएं उपलब्ध हैं। इन्हें कई चक्रों के लिए मासिक धर्म चक्र की शुरुआत में लिया जा सकता है। यदि ये मदद नहीं करते हैं, तो हम आईवीएफ IVF ट्रीटमेंट की सिफारिश कर सकते हैं। पीसीओडी से पीड़ित अधिकांश महिलाएं सही उपचार और जीवनशैली में बदलाव के साथ गर्भधारण करने में सक्षम हैं।
पीसीओडी का इलाज (Dealing With PCOD):
अपनी जीवनशैली को बदलने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाने से आपके समग्र दृष्टिकोण में बड़ा अंतर आ सकता है। "शुरुआत में यह पसंदीदा खाद्य पदार्थों से दूर रहने और खुद को व्यायाम करने के लिए मजबूर करने का संघर्ष है। लेकिन एक सप्ताह चलने के बाद, आप वास्तव में आगे की राह के बारे में अधिक आश्वस्त और आशावादी महसूस करने लगोगे ।
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sabkuchgyan · 2 years
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PCOD PCOS Health Tips: पीसीओडी और पीसीओएस का अचूक इलाज, कोई साइड इफेक्ट नहीं
PCOD PCOS Health Tips: पीसीओडी और पीसीओएस का अचूक इलाज, कोई साइड इफेक्ट नहीं
PCOD PCOS Health Tips: पीसीओडी और पीसीओएस महिलाएं आज जीवन की सबसे बड़ी बीमारी है इससे न तो पीरियड्स ठीक से आते हैं और न ही गर्भधारण हो पाता है। आज 5 में से 2 महिलाएं इस बीमारी से जूझ रही हैं हालांकि इसके लक्षण हर महिला में अलग-अलग होते हैं जैसे: किसी के चेहरे और शरीर पर अधिक बाल आने लगते हैं, किसी के अधिक बाल झड़ने लगते हैं। शरीर सुस्त महसूस करता है। पिंपल्स दिखने लगते हैं और स्वभाव में जलन होने…
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jagdishivf · 5 years
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mwsnewshindi · 2 years
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EXCLUSIVE: क्या पीसीओडी और पीसीओएस अलग हैं? कारण, लक्षण, उपचार - डॉक्टर क्या कहते हैं
EXCLUSIVE: क्या पीसीओडी और पीसीओएस अलग हैं? कारण, लक्षण, उपचार – डॉक्टर क्या कहते हैं
पीसीओडी बनाम पीसीओएस: जैसा कि हम में से बहुत से लोग अब जानते हैं, पॉलीसिस्टिक अंडाशय आज महिलाओं में आम हैं और जीवनशैली को अक्सर इसके पीछे का कारण माना जाता है। पॉलीसिस्टिक अंडाशय होने का अर्थ है हार्मोन का असंतुलन, मासिक धर्म में देरी या मिस्ड पीरियड्स, मोटापा, चेहरे के बालों का बढ़ना और सबसे बड़ी, बांझपन। लेकिन फिर हमने पीसीओडी और पीसीओएस दोनों के इस्तेमाल के बारे में सुना है। जबकि पहला…
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गर्भधारण नहीं कर पा रही महिलाएं  आशा आयुर्वेदा  में  आयुर्वेदिक तकनीक स���   बाँझपन  का इलाज  करवाएं
गर्भधारण नहीं होने के बाद सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि निःसंतानता के कारण क्या हैं । सामान्यतया कुछ कारण जैसे     जैसे बच्चे न बनना  टुबल ब्लॉकेज  होना   , अण्डेदानी  एग न बनना  से निःसंतानता के कारण सामने आ जाते हैं”। कई निःसंतान महिलाओं में पीसीओडी, हार्मोनल इमबेलेन्स, टीबी की बीमारी रही हो या वंशानुगत समस्या रही हो तो इसका सीधा संबंध असर अण्डों के निर्माण और क्वालिटी पर होता है।
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ओवुलेशन के लक्षण
शादी के कुछ सालों बाद हर महिला मां बनना चाहती है। मां बनना प्रकृति की अनुपम सौगात है, जो स्त्री को पूर्णता की ओर ले जाती हैं। किसी कारणवश महिला मां नहीं बन पाती तो कई प्रकार की उलझनें घर करने लगती हैं। ऐसी स्थिति में अपने ओवुलेशन पीरियड पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी तभी सफलता भी मिल पाएगी।
ओवुलेशन क्या है | Ovulation Kya Hai
किसी भी महिला के जीवन में महत्वपूर्ण प्रक्रिया मासिक चक्र की होती है। मासिक चक्र की प्रक्रिया के तहत ही एक महिला मां बनने में सक्षम होती है। मां बनने के लिए ओवुलेशन को समझना भी अनिवार्य है।
ओवुलेशन को मासिक धर्म का हिस्सा भी समझा जा सकता है। हर मासिक धर्म के समय ओवरी में एग रिलीज होते हैं और वही समय ओवुलेशन होता है। यदि एग ओवरी में आ जाए तो वह स्पर्म से मिल ही जाते हैं और किसी स्थिति में वह मिलने से बच भी जाते हैं। इस दौरान महिला का एग किसी गर्भाशय में आकर वृद्धि करने लगे तो प्रेगनेंसी शुरू हो जाती है लेकिन यह जरूरी नहीं होता कि हर बार ऐसा हो जब कभी एग फर्टिलाइज ना हो सके तो एक टूट भी सकते हैं।
ओवुलेशन की शुरुआत
महिलाओं का मासिक चक्र 28 से 30 दिनों का होता है। विषम परिस्थिति में यह चक्र का समय कम या ज्यादा भी हो सकता है। जब भी मासिक चक्र की शुरुआत हो तो मध्य के 4 दिन पहले और बाद में ओवुलेशन शुरू हो जाता है। जब शरीर में एसएचएच हार्मोन रिलीज होता है। यह प्रक्रिया मासिक चक्र के 6 से 14 दिन के बीच होते हैं जो एलएच की उपस्थिति के कारण होते हैं। जैसे ही शरीर में एलएच का स्तर बढ़ने लगता है तो 28 से 36 घंटे के बाद ओवुलेशन शुरू हो जाता है।
ओवुलेशन नियमित होना है जरूरी
ओवुलेशन पीरियड मासिक धर्म के दौरान ही आते हैं और उनका नियमित होना भी जरूरी है। इसके वजह से कहीं ना कहीं प्रेग्नेंसी के चांस बढ़ जाते हैं। अगर किसी कारणवश नियमित रूप से पीरियड ना आ रहे हैं ऐसे में ओवुलेशन अनियमित हो सकता है और प्रेगनेंसी मे देर हो सकती है। ऐसे में आप चिकित्सक से सलाह लेना ना भूलें।
ओवुलेशन के लक्षण | Ovulation Ke Lakshan in Hindi
अगर आप सही से आपने ओवुलेशन के लक्षण समझ सके तो यह आपके लिए बहुत ही फायदेमंद हो जाएगा।
1) शरीर का तापमान परिवर्तित होना
शरीर के तापमान के बढ़ने पर बुखार के लक्षण ही माना जाता है लेकिन अगर पिछले कुछ दिनों से शरीर का तापमान में परिवर्तन देखा गया है तो अब ओवुलेशन का लक्षण हो सकता है जो कि प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के कारण होता है। यह हार्मोन अंडाशय से मुक्त होने पर स्थित होते हैं और अपनी मुख्य भूमिका निभाते हैं।
2) पेट में दर्द होना
कभी-कभी पेट के निचले हिस्से में अजीब सा दर्द होता है, जो कुछ समय में ही खत्म हो जाता है। लेकिन महिलाएं अपने काम के कारण इस दर्द को ध्यान नहीं दे पाती। यह दर्द भी ओवुलेशन का लक्षण हो सकता है।
3) सिर दर्द होना
कुछ महिलाओं में ओवुलेशन के समय सिर दर्द भी देखा गया है। यह सेक्स हार्मोन के अत्यधिक बढ़ जाने के कारण होता है।
4) होने वाले स्त्राव में परिवर्तन
मासिक धर्म के समाप्त होने के बाद एक अलग स्त्राव होता है जिसमें परिवर्तन ही देखा जा सकता है। योनि में मिलने वाला म्यूकस पतला और चिपचिपा हो जाता है।
5) स्तन संवेदनशील होना
ओवुलेशन का यह लक्षण महिलाओं को कम ही समझ आता है पर स्तनों का संवेदनशील होना ओवुलेशन को दर्शाता है। ओवुलेशन के समय सारी कोशिकाएं सक्रिय होकर संवेदनशील हो जाती है और ओवुलेशन की पुष्टि होती है।
ओवुलेशन टेस्ट कैसे करें | Ovulation Test Kaise Kare
अगर आपको ओवुलेशन के लक्षण समझ आ गए हो,तो इसके टेस्ट को घर में भी किया जा सकता है। जो आसान भी है साथ ही साथ यह भी समझा जा सकता है कि वह ओवुलेशन सही से हो रहा है या नहीं।
1) बेसल बाडी टेंपरेचर
इसके माध्यम से सही ओवुलेशन पता लगाया जा सकता है। मासिक चक्र के दौरान थर्मामीटर में तापमान लिया जाता है। ऐसा देखा जा सकता है कि शरीर का तापमान तीन-चार दिनों तक ज्यादा रहे तो इस बात की पुष्टि होती है कि ओवुलेशन हुआ है।
2) ओवुलेशन किट | Ovulation Kit
इस किट के माध्यम से सुबह के मूत्र से आज की उपस्थिति के द्वारा पता लगाया जा सकता है जो ओवुलेशन की सही जानकारी भी देगा।
Ovulation के बारे में जाननें के तरीके
ओवुलेशन दर्द क्या है | Ovulation Dard Kya Hai
ओवुलेशन का होना सामान्य सी बात है लेकिन कई बार महिलाओं को इस ओवुलेशन के समय दर्द का अनुभव होता है। शुरू में तो वे इस बारे में समझ नहीं पाती पर धीरे-धीरे दर्द की वजह समझ आती है। कभी-कभी तो यह दर्द ज्यादा हो जाता है ,तो थोड़ा आराम कर लेने पर ठीक भी हो जाता है। हर महिला में ओवुलेशन अलग-अलग प्रकार का होता है। कई बार यह दर्द एक जगह भ�� नहीं टिकता जगह-जगह बदलता रहता है।
क्या हो सकते हैं ओवुलेशन दर्द के कारणओवुलेशन दर्द के कई प्रकार के कारण हो सकते हैं
1) जब भी कभी ओवुलेशन के समय अचानक एग बाहर निकले तो ऐसे में दर्द का होना लाजमी है। 2) जब भी कभी ओवुलेशन होने लगता है, तो उसके बाद फेलोपियन ट्यूब एग के लिए सिकुडती है और इस वजह से भी दर्द का अनुभव होता है। 3) कई बार ओवुलेशन के समय आसपास की मांसपेशियों में खिंचाव होने पर भी दर्द की स्थिति बन सकती है। 4) कभी-कभी  ओवुलेशन के दोनों ओर फॉलिकल्स के प्रभावी और परिपक्व होने पर भी दर्द का अनुभव होता है।
ओवुलेशन दर्द का इलाज | Ovulation Dard Ka Ilaj In Hindi
अगर ओवुलेशन के समय दर्द हो तो इसका इलाज भी संभव है।
1) अगर ज्यादा तकलीफ हो रही है, तो चिकित्सक से जरूर सलाह ले। 2) इसके लिए  एंटी इन्फ्लेमेटरी का उपयोग किया जा सकता है। 3) अपने चिकित्सक से बात कर हारमोंस गर्भनिरोधक गोली भी लिया जा सकता है। 4) आप थोड़ा आराम करें और किसी काम से दूर ही रहे। 5) अगर आप गुनगुने पानी में अजवाइन डालकर पिए तो भी फायदा होगा।
ओवुलेशन ना होने का क्या है कारण | Ovulation Na Hone Ka Kya Hai Karan In Hindi
अगर आप पिछले कुछ दिनों से प्रेग्नेंट होना चाहती हैं पर हो नहीं पा रही है तो इसके पीछे भी कारण ओवुलेशन का ना होना ही पाया गया है। ओवुलेशन ना होने पर बच्चे के जन्म में देर हो सकती है।
ओवुलेशन होने की स्थिति में एग सही तरीके से विकसित नहीं हो पाते हैं ऐसा उस समय भी देखा जाता है जब अंडाशय के द्वारा एग नहीं बन पाता। जब ओवुलेशन की प्रक्रिया बंद हो जाए वह अनओवुलेशन कहलाता है। कभी-कभी पीरियड नियमित ना हो पाए ऐसी स्थिति में भी ओवुलेशन नहीं हो पाता है।
1) एस्ट्रोजन का कम होना
ओवरी पर्याप्त मात्रा में एस्ट्रोजन पैदा करती है अगर सीमित मात्रा से कम एस्ट्रोजन उत्पन्न करें तो भी ओवुलेशन में समस्या आने लगती है।
2) मेल हार्मोन बढ़ना
यदि किसी भी कारणवश आपके शरीर में मेल हार्मोन टेस्टोस्टेरोन स्वता ही बढ़ गया हो तो इससे भी ओवुलेशन नहीं हो पाता है।
3) सही खानपान जरूरी
प्रेगनेंसी के लिए बहुत सी सावधानियां रखनी होती है जिनमें सही खान-पान भी आवश्यक है। अगर आपने ऐसा कुछ खा लिया हो जो आप के ओवुलेशन के लिए सही नहीं हो, तो उसे तुरंत छोड़ दें। इस कड़ी में जंक फूड का नाम आता है अगर आप जल्द ही प्रेग्नेंट होना चाहती हैं, तो जंक फूड से से दूरी बना ले।
4) तनाव ना करें
किसी भी प्रकार का तनाव आपको नहीं लेना है। ज्यादा तनाव लेने से पीरियड भी नियमित नहीं रहते और ओवुलेशन में भी दिक्कत आ जाती है।
5) पीसीओडी की समस्या
कई सारी महिलाओं को पीसीओडी की समस्या होती है। इस समस्या के कारण प्रेगनेंसी में समस्या उत्पन्न होती है और ओवुलेशन में दिक्कत आती है अतः पहले अपनी पीसीओडी की समस्या को दूर करने की कोशिश करें।
6)  प्रोलेक्टिन का बढ़ना
प्रोलैक्टिन हार्मोन का ज्यादा बढ़ जाना भी ओवुलेशन में दिक्कत लाता है। जो भी हार्मोन ओवुलेशन सहायक है वे प्रोलैक्टिन के बढ़ने में कम होने लगते हैं इसलिए बेहतर होगा यदि प्रोलेक्टिन ना बढ़ने पाए।
ओवुलेशन को नियमित करने के प्राकृतिक तरीके
ओवुलेशन की दिक्कत होने पर कई प्रकार के मनोभाव मन में आने लगते हैं, जो कि स्वभाविक भी है। आप अगर नियमित रूप से प्राकृतिक तरीके अपनाएं तो निश्चित रूप से आराम प्राप्त होगा।
1) एक्सरसाइज करें
अगर आप प्रतिदिन सुबह कम से कम आधा घंटा एक्सरसाइज करें तो इससे आपको फायदा होगा। एक्सरसाइज से ओवुलेशन को सही किया जा सकता है और आप चाहे तो विशेषज्ञ से सलाह ले सकते हैं।
2) तनाव से बचें
तनाव ऐसी समस्या है जिससे शरीर बहुत ज्यादा प्रभावित होता है। स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल हार्मोन को रोकता है और यह वजह भी हो सकती है कि जब ओवुलेशन में दिक्कत आती है अतः किसी प्रकार के तनाव से बचे।
3) धूम्रपान से बचें
अगर आप खुद में ओवुलेशन की समस्या नहीं चाहती हो, तो धूम्रपान से दूर ही रहे। धूम्रपान कहीं ना कहीं ये ओवुलेशन में बाधक है। जल्दी प्रेग्नेंट होने के लिए भी धूम्रपान से दूर होना ही बेहतर है।
4) भरपूर नींद लें
रात रात भर जाग कर कोई काम नहीं करें। भरपूर नींद लेने से सभी हार्मोन सही तरीके से कार्य कर पाते हैं और ओवुलेशन में दिक्कत नहीं आ पाती है।
5) अपना वजन बढ़ाएं
ओवुलेशन को नियमित करने के लिए अपना वजन बढ़ाएं इसके लिए आप ज्यादा कैलोरी युक्त भोजन ले।
धैर्य रखें
ऐसा देखा जाता है कि जब प्रेगनेंसी ना हो, तो महिलाएं अपना धैर्य खोने लगती हैं। उनके मन में बेचैनी व डर हो जाता है ऐसे में धैर्य बनाए रखें और सही समय का इंतजार करें। अपना खानपान और सही जीवन शैली से आप अपनी ओवुलेशन संबंधित समस्या को भी दूर कर सकेंगी बस हौसला रखें और खुश रहिए।
निष्कर्ष
एक प्यारे से बच्चे का जीवन में आगमन होना हर्ष और उल्लास का विषय है। इस लेख में हमने ओवुलेशन संबंधी दिक्कतों को दूर करने का प्रयत्न किया है उम्मीद है आपके काम आएंगे। जीवन में उलझनों को कम करना हमारे हाथ में है जरूरत है तो हिम्मत ना हारने की। खुश रहिए और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़े।
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healthy-life-blog3 · 4 years
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"पीसीओडी का इलाज संभव है (Home Remedies for PCOD&PCOS".
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sushainwellness · 8 months
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पीसीओडी कितने दिन में ठीक होता है?: PCOD का इलाज समय लेता है और इसमें रोगी की स्थिति की निगरानी, आयुर्वेदिक चिकित्सा, और स्वस्थ जीवनशैली का पालन शामिल होता है। सही दिशा में इलाज के लिए स्वास्थ्य पेशेवर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
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पीसीओएस क्यों और कैसे होता है? जानिए विस्तार मै (PCOS kya hai in Hindi)
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पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) तब होता है जब आपके अंडाशय, आपके शरीर का वह हिस्सा जो अंडे बनाता है, बहुत अधिक हार्मोन द्वारा अवरुद्ध हो जाता है। सामान्य महिला हार्मोन के बजाय, आपका शरीर अधिक पुरुष हार्मोन (एण्ड्रोजन) बनाने लगता है, जिससे आपके अंडाशय में छोटे तरल पदार्थ से भरी थैली, जिन्हें सिस्ट कहा जाता है, बनने लगती हैं। इससे आपके हार्मोन का संतुलन गड़बड़ा जाता है और गर्भधारण करना मुश्किल हो सकता है। हालाँकि, पीसीओएस केवल अंडाशय के बारे में नहीं है; इसका चयापचय स्वास्थ्य, प्रजनन क्षमता और मनोवैज्ञानिक कल्याण पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है।
पीसीओएस का अर्थ (The Meaning of PCOS)
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) एक ऐसी स्थिति है जो एक महिला के हार्मोन के स्तर को प्रभावित करती है, जिससे मासिक धर्म चक्र में अनियमितताएं और डिम्बग्रंथि अल्सर सहित कई अन्य लक्षण हो सकते हैं। सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन शीघ्र निदान और उपचार, साथ ही वजन घटाने से टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग जैसी दीर्घकालिक जटिलताओं के जोखिम को कम किया जा सकता है।
पीसीओएस अंडाशय और हार्मोन को कैसे प्रभावित करता है (How PCOS affects ovaries and hormones)
पीसीओएस क्या होता है ये तो अभी आपने जान ही लिया है तो अब इस स्थिति की विशेषता अंडाशय पर कई छोटे रोमों की वृद्धि है। यह हार्मोन असंतुलन का कारण बनता है, जिससे कई लक्षण हो सकते हैं, जैसे अनियमित मासिक धर्म, मुँहासा और हिर्सुटिज़्म (शरीर पर अत्यधिक बाल)।
पीसीओएस के लक्षण (Symptoms of PCOS)
पीसीओएस के लक्षण अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन सबसे आम लक्षणों में शामिल हैं:
•        मासिक धर्म की अनियमितता या अनुपस्थिति
•        ओव्यूलेशन की कमी या अनियमित ओव्यूलेशन के कारण गर्भवती होने में कठिनाई
•        चेहरे या शरीर पर अत्यधिक बाल उगना, जिसे हिर्सुटिज़्म कहा जाता है
•        वजन बढ़ना
•        बालों का पतला होना और सिर के बालों का झड़ना
•        मुँहासे और तैलीय त्वचा
•        अवसाद, चिंता और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव कर रहे हैं, तो चिकित्सकीय सलाह लेना महत्वपूर्ण है। किफायती उपचार विकल्पों के लिए नवी मुंबई के सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र best IVF centre in Navi Mumbai पर जाएँ।
संभावित भावनात्मक लक्षण (Possible Emotional Symptoms)
पीसीओएस सिर्फ एक प्रजनन स्वास्थ्य समस्या नहीं है; यह किसी महिला की भावनात्मक भलाई पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। पीसीओएस से पीड़ित कई महिलाएं अवसाद, कम आत्मसम्मान, चिंता और खाने संबंधी विकारों का अनुभव करती हैं।
डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए? (When to See a Doctor)
आपको डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए? यदि आप ऐसे लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं जो पीसीओएस का संकेत दे सकते हैं, तो चिकित्सा सलाह लेना महत्वपूर्ण है। शीघ्र निदान और इलाज कराने से लक्षणों को प्रबंधित करने और मधुमेह और हृदय रोग जैसी संभावित दीर्घकालिक समस्याओं से बचने में बड़ा अंतर आ सकता है। साथ ही जाने पीसीओडी क्या है और कैसे होता है। यदि अनियमित मासिक धर्म, बालों का अत्यधिक बढ़ना या गर्भधारण करने में कठिनाई जैसे लक्षण आपके दैनिक जीवन को प्रभावित कर रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से मिलने में संकोच न करें। बेहतर उपचार विकल्पों के लिए, नवी मुंबई में हमारे विशेषज्ञ आईवीएफ विशेषज्ञों (IVF specialists in Navi Mumbai) से परामर्श करने पर विचार करें।
पीसीओएस के कारण (Causes of PCOS)
पीसीओएस का सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन कई कारक इसमें भूमिका निभा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
•        अतिरिक्त इंसुलिन: इंसुलिन वह हार्मोन है जो अग्न्याशय द्वारा स्रावित होता है और कोशिकाओं को ऊर्जा के लिए चीनी का उपयोग करने की अनुमति देता है; जाहिर तौर पर आपने यह पहले भी सुना होगा, लेकिन वास्तव में इसका मतलब क्या है? आनुवंशिकता: कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि शायद पीसीओएस का विकास आनुवंशिक कारकों पर आधारित है। जब इंसुलिन कोशिकाओं में ठीक से काम नहीं कर पाता है, तो रक्त शर्करा के साथ-साथ इंसुलिन का उत्पादन भी बढ़ सकता है। इंसुलिन का असामान्य उत्पादन तब एण्ड्रोजन का उत्पादन भी शुरू कर सकता है, जो संभवतः ओव्यूलेशन समस्या में योगदान दे सकता है।
•        निम्न-श्रेणी की सूजन: यह तब होता है जब श्वेत रक्त कोशिकाएं संक्रमण से लड़ने के लिए पदार्थों का उत्पादन करती हैं। यह सूजन एण्ड्रोजन के स्तर को बढ़ाने में योगदान कर सकती है।
•        आनुवंशिकता: अध्ययनों से पता चलता है कि कुछ विशेष जीन पीसीओएस का कारण बन सकते हैं।
पीसीओएस का निदान और उपचार (Diagnosis and treatment of PCOS)
पीसीओएस का निदान करने के लिए, डॉक्टरों को अन्य स्थितियों को बाहर करने की आवश्यकता होती है जो समान लक्षण पैदा कर सकती हैं। यह आमतौर पर मासिक धर्म चक्र और लक्षणों सहित एक विस्तृत चिकित्सा इतिहास लेने और पीसीओएस के लक्षणों, जैसे शरीर पर अतिरिक्त बाल और उच्च रक्तचाप, को देखने के लिए एक शारीरिक परीक्षा करके किया जाता है। तो, यदि आप नवी मुंबई में हैं और सर्वोत्तम देखभाल की तलाश में हैं, तो शहर में सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र की जांच करने पर विचार क्यों न करें? हमारा यशोदा आईवीएफ और फर्टिलिटी सेंटर बिल्कुल वही हो सकता है जिसकी आपको विशेषज्ञ मार्गदर्शन और सहायता के लिए आवश्यकता है।
सामान्य उपचार दृष्टिकोण (General Treatment Approach)
हालाँकि पीसीओएस (PCOS) का कोई इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। उपचार व्यक्ति की चिंताओं के आधार पर भिन्न हो सकता है, जैसे कि बांझपन, बालों का झड़ना, मुँहासा, या मोटापा। सामान्य उपचारों में शामिल हैं:
•        मासिक धर्म को नियंत्रित करने के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं
•        एण्ड्रोजन स्तर को कम करने के लिए जन्म नियंत्रण गोलियाँ
•        त्वचा पर एण्ड्रोजन के प्रभाव को रोकने के लिए एंटी-एण्ड्रोजन दवाएं
•        इंसुलिन के स्तर को प्रबंधित करने के लिए मेटफॉर्मिन
•        यदि गर्भावस्था वांछित हो तो प्रजनन उपचार
•        आहार और व्यायाम सहित जीवनशैली में संशोधन
पीसीओएस के लिए प्रतिबंध रणनीतियाँ (Prevention Strategies for PCOS)
हालाँकि आप पीसीओएस को रोकने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, लेकिन आप पीसीओएस के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद के लिए कदम उठा सकते हैं। उदाहरण के लिए:
•        हृदय-स्वस्थ आहार लें
•        नियमित व्यायाम की आदत लगाए और स्वस्थ वजन पर स्थित रहे
•        धूम्रपान से बचें
•        अपने स्वास्थ्य पर नज़र रखने के लिए नियमित जांच कराते रहें
•        जोखिम कारकों को शीघ्र पहचानें और उनका उपचार करें
पीसीओएस के प्रकार (Types of PCOS)
पीसीओएस क्या है और पीसीओएस कई प्रकार के होते हैं, और ये विविधताएं लक्षणों और उपचार विकल्पों को प्रभावित कर सकती हैं। यह समझने से कि आपकी स्थिति किस प्रकार की हो सकती है, आपकी स्थिति को प्रबंधित करने के लिए अधिक अनुकूलित दृष्टिकोण में मदद मिल सकती है:
•        इंसुलिन प्रतिरोधी पीसीओएस
•        अधिवृक्क पीसीओएस
•        सूजन संबंधी पीसीओएस
पीसीओएस विविधताएँ लक्षणों को कैसे प्रभावित कर सकती हैं (How PCOS variations can affect traits)
पीसीओएस से पीड़ित कुछ महिलाओं में इस स्थिति का पारिवारिक इतिहास होता है, जो आनुवंशिक प्रवृत्ति का संकेत देता है। कुछ लोगों में मेट��बॉलिक सिंड्रोम या इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है, जिससे अन्य स्थितियों के अलावा मधुमेह और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
पीसीओएस और आहार (PCOS and Diet)
अच्छा पोषण पीसीओएस के प्रबंधन में बड़ी भूमिका निभा सकता है। एक स्वस्थ आहार इंसुलिन के नियमन में सुधार कर सकता है और वजन को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। नियमित शारीरिक गतिविधि के साथ-साथ फलों, सब्जियों और दुबले प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार फायदेमंद होता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
निष्कर्ष में पीसीओएस (PCOS) सामान्य होने के साथ-साथ बहुत जटिल स्थिति है जो महिलाओं के जीवन पर भारी प्रभाव डाल सकती है। इस गाइड में साझा की गई जानकारी पीसीओएस को समझने और उससे प्रबंधन की शुरुआत मात्र है। यदि आपको लगता है कि आपको पीसीओएस हो सकता है, तो व्यक्तिगत योजना के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।
अतिरिक्त सहायता और संसाधनों के लिए, अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करें या पीसीओएस समुदाय से जुड़ें। याद रखें, आप इस यात्रा में अकेले नहीं हैं, और सही ज्ञान और समर्थन के साथ, पीसीओएस का प्रबंधन संभव है।
इसके अलावा, किफायती उपचार और विशेषज्ञ देखभाल चाहने वालों के लिए, नवी मुंबई में सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र (Best IVF centre in Navi Mumbai) के रूप में मान्यता प्राप्त यशोदा आईवीएफ सेंटर का दौरा करने पर विचार करें। डॉक्टरों की हमारी विशेष और अनुभवी टीम आपको पीसीओएस में चुनौतियों से उबरने और प्रजनन के संबंध में अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करेगी।
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mp3lyricsstuff · 5 years
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Easy And Quick Weight Loss Diet Tips in Hindi | Diabetes and Weight Loss | Vajan Kaise Kam Kare | How To Lose Weight Fast | Eat These Foods for Breakfast to Lose Weight Faster
Easy And Quick Weight Loss Tips: अगर आप भी तेजी से वजन कम करना चाह रहे हैं, लेकिन वजन कम करने के लिए भोजन (Weight Loss Diet) में खूब सारे बदलाव करने के बाद भी आप वजन कम करने में सफल नहीं हो पा रहे हैं, तो यकीनन आप वजन कम करने के लिए घरेलू नुस्‍खे (Home Remedies) या उपाय तलाशने लगे होंगे. तेजी से वजन कम (Lose Weight Fast) करने का लक्ष्‍य उस समय और भी मुश्‍किल हो जाता है जब आप ब्‍लड शुगर (Blood Sugar) से जुड़ी समस्‍या यानी की डायबिटीज से (Diabetes) जूझ रहे हों. डायबिटीज को कंट्रोल (Control Diabetes) करने और वजन घटाने (How To Lose Weight) के लिए अगर आप भी संघर्ष कर रहे हैं, तो यहां है एक ऐसा उपाय, ज‍िसे अपनाकर आप तेजी से वजन भी घटा पाएंगे और ब्‍लड शुगर लेवल भी कंट्रोल (Control Blood Sugar Level) रहेगा. 
What Is PCOD, PCOS: क्या है पीसीओडी या पीसीओएस, प्रकार, लक्षण और कारण
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तेजी से वजन कम करने और ब्‍लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए कैसा हो नाश्‍ता और डिनर ( For Weight Loss and Better Glucose Control Eat a Big Breakfast)
यदि आप रात में भरपेट खाना करने के बजाए इसे हल्का करें और सुबह हल्का नाश्ता करने के बजाए अगर इसे भरपेट करें, तो आप वजन कम (Weight Loss) करने के साथ-साथ हाई ब्लड शुगर (High Blood Sugar) को भी नियंत्रित कर सकते हैं. एक नए शोध में यह बात सामने आई है. जर्मनी स्थित लुबेक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि रात्रि के स्थान पर सुबह शरीर खाना अच्छे से पचाने में मदद करता है. यह शोध द जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित हुआ है.
शोधकर्ताओं के अनुसार, जब हम एब्जॉर्पशन, डाइजेशन, ट्रांस्पोट और पोषक तत्वों के भंडारण के लिए भोजन पचाते हैं तब हमारा शरीर ऊर्जा का विस्तार करता है.
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Weight Loss and Better Glucose Control: तेजी से वजन कम करने और ब्‍लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए खाएं हेवी ब्रेकफास्‍ट.
डाइट-इंड्यूस्ड थर्मोजेनेसिस (डीआईटी) के रूप में चर्चित इस प्रक्रिया में इस बात का माप होता है कि हमारा चयापचय कितनी अच्छी तरह काम कर रहा है और कैसे यह भोजन के आधार पर भिन्न हो सकता है.
लुबेक विश्वविद्यालय की कॉरेस्पोंडेंस लेखक जूलियन रिचटर ने कहा, “हमारे परिणामों से पता चलता है कि नाश्ते में खाया जाने वाला भोजन, इसमें मौजूद कैलोरी की मात्रा की परवाह किए बिना, डिनर में किए गए भोजन की तुलना में दो बार उच्च आहार-प्रेरित थर्मोजेनेसिस बनाता है.”
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उन्होंने कहा, “इस शोध से अच्छे से नाश्ता करने के महत्व का पता चलता है.”
तेजी से वजन कम करने के लिए नाश्‍ते में क्‍या खाएं (Eat These Foods for Breakfast to Lose Weight Faster)
1. तेजी से वजन घटाने के लिए अपने आहार में दालों को शामिल करें. दालों में कोलेस्ट्रॉल और वसा भी कम या न के बराबर हैं. इनमें फाइबर और प्रोटीन होता है जो वजन कम करने में मददगार है. 
2. वजन घटाने और मोटापा करने के लिए अपनी डाइट में फलों को जगह दें. वजन कम करने के लिए आहार में फलों को शामिल किया जा सकता है. फलों में कम फैट होता है या फिर बिलकुल ही फैट नहीं होता. यह आपकी वेट लॉस डाइट में बहुत अच्‍छी तरह फ‍िट हो सकते हैं.
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3. तेजी से वजन कम करने के लिए भोजन में शामिल करें सब्‍ज‍ियां. हरी पत्तेदार सब्जियां में वसा नहीं होती और यह आयरन व फाइबर से भरपूर होती हैं. जो पेट भरा रहने का अहसास कराते हैं. यह ब्रेकफास्‍ट और लंच के बीच क्रेविंग को कंटोल करने मे मदद करते हैं. 
(इनुपट-आईएएनएस) 
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gethealthy18-blog · 5 years
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पीसीओएस (पीसीओडी) के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Polycystic Ovary Syndrome (PCOS/PCOD) in hindi
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पीसीओएस (पीसीओडी) के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Polycystic Ovary Syndrome (PCOS/PCOD) in hindi
महिलाओं के हार्मोनल स्तर में बदलाव होना सामान्य है। ऐसे में हार्मोनल परिवर्तन से संबंधित कई जोखिम भी उत्पन्न हो सकते हैं। उनमें से एक पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) भी है। इसे पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज (पीसीओडी) के नाम से भी जाना जाता है। एक मेडिकल रिसर्च की माने, तो महिला जनसंख्या में से 6-10 प्रतिशत महिलाएं इस समस्या का शिकार होती हैं (1)। अगर किसी महिला को यह समस्या है, तो उन्हें बिना किसी झिझक के इस बारे में डॉक्टर से बात करनी चाहिए। स्टाइलक्रेज का यह आर्टिकल आपको पीसीओएस से जुड़ी हर तरह की जानकारी देगा। हम बताएंगे कि पीसीओडी के कारण क्या हो सकते हैं और पीसीओएस के लक्षण किस तरह से नजर आ सकते हैं। इसके अलावा, पीसीओएस के लिए घरेलू उपाय पर विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे।
अधिक जानकारी के लिए करें स्क्रॉल
इस आर्टिकल में सबसे पहले पीसीओएस क्या है, इसकी जानकारी दी जा रही हैं।
विषय सूची
पीसीओएस क्या है? – What is PCOS in Hindi
यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब हार्मोंस असंतुलित हो जाएं व मेटाबॉलिज्म की समस्या होने लगे। हार्मोंस असंतुलित होने से मासिक धर्म चक्र पर असर पड़ता है। आमतौर पर प्रति माह मासिक धर्म चक्र में ओवरी (अंडाशय) में अंडाणु बनते हैं और बाहर निकलते हैं, लेकिन पीसीओएस होने पर अंडाणु विकसित नहीं हो पाते हैं। साथ ही बाहर नहीं निकल पाते हैं (2)।
इसके अलावा, महिलाओं के शरीर में पुरुष हार्मोन (एंड्रोजन) का विकास होने पर भी पीसीओएस की समस्या उत्पन्न हो सकती है। महिलाओं में इस हार्मोन की वृद्धि के परिणामस्वरूप कई समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं, जिनमें मासिक धर्म की अनियमितता, बांझपन (Infertility) और त्वचा की समस्याएं जैसे मुंहासे और बालों का बढ़ना शामिल हैं (3)। आगे हम आपको बताएंगे कि महिलाओं के शरीर में किन कारणों से पीसीओएस को बढ़ावा मिल सकता है।
पीसीओएस क्या है, यह जानने के बाद अब पीसीओएस के कारण पर चर्चा करते हैं।
पीसीओएस के कारण – Causes of PCOS in Hindi
पीसीओएस का मुख्य कारण हार्मोन के स्तर में परिवर्तन होना है, जिस कारण ओवरी में अंडाणु पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते और उनका ओवरी से बाहर निकलना भी कठिन हो जाता है। हालांकि, वैज्ञानिक तौर पर सटीक रूप से यह कहना मुश्किल है कि पीसीओएस किस कारण से होता है, लेकिन इसे लेकर आम धारणाएं इस प्रकार हैं (3):
आनुवंशिक कारण: कुछ महिलाओं में पीसीओएस की समस्या आनुवंशिक हो सकती है। यह समस्या एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी की महिला को हो सकती है। हालांकि, इस संबंध में वैज्ञानिक शोध का अभाव है, लेकिन जिनकी मां को यह समस्या रही हो, उन्हें अधिक सावधानी बरतनी चाहिए (4)।
पुरुष हार्मोन की वृद्धि: कई बार महिलाओं की ओवरी अधिक मात्रा में पुरुष हार्मोन (एंड्रोजन) का उत्पादन करने लगती है। पुरुष हार्मोन के ज्यादा मात्रा में उत्पादन होने पर ओव्यूलेशन प्रक्रिया के समय अंडाणु को बाहर निकलने में मुश्किल होती है। इस अवस्था को मेडिकल भाषा में हाइपरएंड्रोजनिसम कहा जाता है (5)।
इंसुलिन असंतुलन: शरीर में पाया जाने वाला इंसुलिन हार्मोन भी पीसीओएस कारण बन सकता है। दरअसल, हार्मोन आहार में पाए जाने वाले शुगर और स्टार्च को ऊर्जा में बदलने का काम करते हैं। वहीं, जब इंसुलिन का संतुलन बिगड़ जाता है, तो एंड्रोजन हार्मोन की वृद्धि होने लगती है। इससे ओव्यूलेशन प्रक्रिया पर प्रभाव पढ़ने लगता है और महिलाओं में पीसीओएस की समस्या उत्पन्न हो जाती है (6)।
खराब जीवनशैली : खराब जीवनशैली के कारण भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। जंक फूड का सेवन ज्यादा करने से शरीर को पर्याप्त पौष्टिक तत्व नहीं मिल पाते हैं। साथ ही नशीले पदार्थों और सिगरेट का सेवन करना भी इस बीमारी का एक कारण है।
ऊपर आपने पीसीओएस के कारण पढ़े, आगे हम पीसीओएस के लक्षण बता रहे हैं।
पीसीओएस के लक्षण – Symptoms of PCOS in Hindi
पीसीओएस का सबसे प्रमुख लक्षण मासिक धर्म चक्र में परिवर्तन शामिल है, इसके अलावा अन्य लक्षण इस प्रकार हैं (3):
युवावस्था के दौरान सामान्य रूप से पीरियड शुरू होने के बाद उनका बंद हो जाना। इसे सेकंडरी एमेनोरिया कहा जाता है।
अनियमित पीरियड का आना और बंद हो जाना।
पीसीओएस के अन्य लक्षणों में शामिल हैं:
शरीर के कई हिस्सों में बालों का उगना, जैसे छाती, पेट, चेहरे व निपल्स।
चेहरे, छाती या पीठ पर मुंहासे होना।
त्वचा में परिवर्तन, जैसे कि त्वचा पर काले निशान नजर आना। खासकर बगल, कमर, गर्दन और स्तनों के आसपास।
पीसीओएस के कारण और लक्षण की जानकारी देने के बाद, अब हम पीसीओएस के लिए घरेलू उपाय बता रहे हैं।
पॉलीसायस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) के लिए घरेलू उपाय – Home Remedies for Polycystic Ovary Syndrome (PCOS) in Hindi
पॉलीसायस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक ऐसी समस्या है, जिसे घरेलू उपचार के मदद से दूर करना पूरी तरह संभव नहीं है, लेकिन घरेलू उपचार की मदद से इसके लक्षणों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। आइए, इन घरेलू उपचारों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
1. विटामिन डी
सामग्री:
विटामिन-डी कैप्सूल
उपयोग करने का तरीका:
इसे सीधे सेवन किया जा सकता है।
इसे डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिए।
कैप्सूल की जगह विटामिन-डी से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे टूना, सैल्मन, मैकेरल मछली, पनीर, अंडे का पीला भाग और मशरूम भी लिए जा सकते हैं (7)।
कैसे है लाभदायक:
एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में बताया गया है कि विटामिन डी का उपयोग पीसीओएस से राहत पाने में सहायक हो सकता है। इस शोध के मुताबिक विटामिन-डी असामान्य रूप से बढ़ रहे सीरम एंटी-मुलरियन हार्मोन (एएमएच) के स्तर को कम करने का काम कर सकता है। एएमएच एक तरह का हार्मोन है, जिसके बढ़ने पर पीसीओएस की समस्या हो सकती है। इसके अलावा, पीसीओएस वाली महिलाओं में मेटफार्मिन थेरेपी (मधुमेह के इलाज लिए अपनाई जाने वाली थेरेपी) के साथ-साथ विटामिन-डी और कैल्शियम की खुराक देने पर मासिक धर्म को नियमित करना और ओव्यूलेशन प्रक्रिया को सही करने में मदद मिलती है। ऐसे में कहा जा सकता है कि विटामिन-डी के सेवन से पीसीओएस के लक्षणों को दूर किया जा सकता है (8)।
2. सेब का सिरका
सामग्री:
दो चम्मच सेब का सिरका
एक गिलास पानी
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले पानी को हल्का गर्म कर लें।
फिर उसमें सेब के सिरके डाल लें और अच्छे से मिक्स करें।
फिर इसे पी लें।
कैसे है लाभदायक:
सेब के सिरके का सेवन पीसीओएस से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। इस विषय पर एक शोध किया गया है। शोध के तहत पीसीओएस में हार्मोनल और ओव्यूलेटरी फंक्शन पर सिरके के प्रभाव जानने के लिए सात रोगियों को 90-110 दिन तक रोजाना 15 ग्राम सेब के सिरका दिया गया। इससे यह साबित हुआ कि सेब के सिरके के सेवन से इस समस्या के इलाज में कुछ हद मदद मिल सकती हैं। शोध के अनुसार ऐसा इसलिए संभव है, क्योंकि सिरके के सेवन से पीसीओएस से प्रभावित रोगी में इंसुलिन संवेदनशीलता बेहतर होती है (9)।
3. नारियल तेल
सामग्री:
एक चम्मच नारियल तेल
उपयोग करने का तरीका:
नारियल तेल का सीधे सेवन किया जा सकता है या इसे स्मूदी में मिलाकर पिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
नारियल के तेल का उपयोग करने पर पीसीओएस के उपचार में मदद मिल सकती है। इस संबंध में किए गए एक वैज्ञानिक शोध से पता चलता है कि डेकोनिक एसिड युक्त आहार के सेवन से एंड्रोजन के उत्पादन को कम करके पीसीओएस की समस्या को कुछ कम किया जा सकता है। डेकोनिक एसिड एक तरह का नॉन-टॉक्सिक फैटी एसिड होता है, जिसमें 10 कार्बन अणु होते हैं। वहीं, नारियल तेल में डेकोनिक एसिड प्राकृतिक रूप से पाया जाता है (10)। फिलहाल, इस पर और शोध किए जाने की जरूरत है, ताकि पता चल सके कि यह किस तरह काम करता है।
4. इवनिंग प्रिमरोज ऑयल
सामग्री:
ईवनिंग प्रिमरोज ऑयल कैप्सूल
उपयोग करने का तरीका:
इस कैप्सूल को सीधे सेवन किया जा सकता है।
प्रतिदिन एक कैप्सूल लिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
एनसीबीआई में पब्लिश एक शोध के मुताबिक ईवनिंग प्रिमरोज ऑयल के उपयोग से पीसीओएस के इलाज में मदद मिल सकती है। इस शोध में कुछ महिलाओं को 12 हफ्ते तक विटामिन-डी और ईवनिंग प्रिमरोज ऑयल दिया गया। इससे उनमें ट्राइग्लीसेराइड (एक तरह का फैट), वेरी लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (वीएलडीएल) के स्तर में सुधार पाया गया। साथ ही ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस में भी कमी आई, जिस कारण मरीज को पीसीओएस के लक्षणों से कुछ राहत मिली (11)।
5. ग्रीन टी
सामग्री:
एक चम्मच ग्रीन टी पाउडर
एक कप पानी
एक चम्मच शहद
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले पानी में ग्रीन टी पाउडर को मिलाएं और कुछ देर तक गर्म करें।
कुछ मिनट गर्म होने के बाद इस चाय को छान कर कप में डाल लें।
फिर ऊपर से शहद डाल लें और चाय के स्वाद का आनंद लें।
इसे दिन में दो से तीन बार तक पी सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
एक अध्ययन के अनुसार, ग्रीन टी के सेवन से शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को कम किया जा सकता है, जिससे पीसीओएस के लक्षण को दूर किया जा सकता है। यह इंसुलिन को भी कम करने में मदद कर सकता है। जैसा कि ऊपर लेख में बताया गया है कि इंसुलिन की असंतुलित मात्रा पीसीओएस का कारण बन सकती है। ऐसे में कहा जा सकता है कि पीसीओएस में ग्रीन टी का उपयोग सहायक हो सकता है। यह जानकारी एनसीबीआई की वेबसाइट में प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध में दी गई है (12)।
6. रॉयल जेली
सामग्री:
दो चम्मच रॉयल जेली
उपयोग करने का तरीका:
इसे सामान्य तरीके से सेवन किया जाता है।
प्रतिदिन सुबह कुछ मात्रा में लिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
रॉयल जेली एक तरह का शहद होती है। वहीं, पीसीओएस एक हार्मोन से संबंधित समस्या होती है, जिसके इलाज में रॉयल जेली के सेवन की सलाह दी जा सकती है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर रॉयल जेली के 200 से 400 मिलीग्राम के सेवन से सीरम एस्ट्राडियोल (फीमेल हार्मोन) के स्तर में वृद्धि हो सकती है। यह मासिक धर्म चक्र को रेगुलेट करने का काम करता है। साथ ही रॉयल जेली सीरम प्रोजेस्टेरोन (महिलाओं से संबंधित एक तरह का हार्मोन) के स्तर में वृद्धि कर सकता है। प्रोजेस्टेरोन में वृद्धि होने से मासिक धर्म चक्र नियमित हो सकता है, जिससे पीसीओएस के उपचार में मदद मिल सकती है। यह सब रॉयल जेली में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट और एस्ट्रोजेनिक प्रभाव के कारण होता है, जिसका प्रभाव प्रजनन प्रणाली (रिप्रोडक्टिव सिस्टम) पर होता है (13)।
7. एलोवेरा जूस
सामग्री:
एक गिलास एलोवेरा जूस
उपयोग करने का तरीका:
ताजा एलोवेरा जूस को सुबह खाली पेट पिएं।
इसे प्रत्येक सुबह पिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
पीसीओएस के इलाज में एलोवेरा जूस का उपयोग किया जा सकता है। एक वैज्ञानिक शोध से पता चलता है कि एलोवेरा जेल में पीसीओएस से बचाने की क्षमता होती है। इस अध्ययन के अनुसार, एलोवेरा जेल पीसीओएस से जूझ रही महिलाओं में हाइपरग्लाइसेमिक (उच्च रक्त शुगर) स्थिति को सामान्य करने में मदद कर सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि एलोवेरा जेल में हाइपोग्लाइसेमिक यानी रक्तचाप को कम करने का प्रभाव होता है। साथ ही एलोवेरा में फाइटोस्टेरॉल (एक तरह का प्लांट स्टेरॉल) और फाइटो-फिनोल होता है। यह जानकारी एनसीबीआई की वेबसाइट पर मौजूद है (14)।
8. आंवला जूस
सामग्री:
एक चम्मच आंवले का रस
एक कप पानी
उपयोग करने का तरीका:
आंवले के रस को पानी में अच्छे से घोल लें।
फिर इस मिश्रण को पी लें।
इसे दिन में एक बार पी सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
पीसीओएस के मरीज को कई खाद्य पदार्थ से दूर रखा जाता है और कई खाद्य पदार्थ उनके आहार में शामिल करने की सलाह दी जाती है। जिन खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल किया जाता है, वो पीसीओएस के लक्षण को कम करने में मदद कर सकते हैं। ऐसे में जिन खाद्य पदार्थ को पीसीओएस के मरीज की दिनचर्या में शामिल किया जा सकता है, उनमें आंवला का जूस भी शामिल है (15)। अभी इस संबंध में और वैज्ञानिक शोध की आवश्यकता है कि यह किस गुण के कारण पीसीओएस में लाभदायक होता है।
9. जीरा पानी
सामग्री:
आधा चम्मच जीरा पाउडर
एक कप पानी
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले पानी को हल्का गर्म करें।
फिर उसमें जीरा पाउडर को मिलाएं और कुछ देर तक गुनगुना होने दें।
पानी के गुनगुना होने पर इसे कप में निकाल कर पिएं।
इसे दिन में दो बार पिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
कई समस्याओं से निपटने के लिए हर्बल उपचारों का सहारा लिया जाता है। वैसे ही पीसीओएस के इलाज में जीरा का उपयोग किया जा सकता है। यह शरीर में हार्मोन के स्तर को सामान्य बनाने का काम कर सकता है और वजन कम करने में भी सहायता कर सकता है। इससे मासिक चक्र के अनियमित होने की समस्या कम हो सकती है। इसके अलावा, जीरे में हाइपोग्लाइसेमिक और एंटी-ओबेसिटी गतिविधि भी होती हैं, जो ब्लड शुगर और मोटापे को सामान्य करने का काम कर सकती है (16)। ध्यान रहे कि कम रक्त शुगर वाले इसका अधिक मात्रा में सेवन न करें, इसमें हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव होता है, जो रक्त में शुगर की मात्रा को जरूरत से ज्याद कम कर सकता है।
10. सीड्स
कलौंजी के बीज
सामग्री:
एक चम्मच कलौंजी के बीज
एक चम्मच शहद
उपयोग करने का तरीका:
दोनों सामग्रियों को मिलाएं और इस मिश्रण का सेवन करें।
इसे प्रतिदिन सुबह खाया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
एनसीबीआई की ओर से प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, कलौंजी के अर्क का उपयोग टाइप-2 मधुमेह रोगियों पर हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव के लिए किया जाता है। इसमें एंटी-डायबिटिक गतिविधि होती है। इसके अलावा, यह प्रजनन प्रणाली (रिप्रोडक्टिव सिस्टम) पर भी सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। साथ ही कलौंजी में थाइमोक्विनोन (एक तरह का यौगिक) पाया जाता है, जो पीसीओएस से संबंधित लक्षणों को रोकने के साथ-साथ कम करने और ओव्यूलेशन प्रक्रिया को बेहतर करने का काम कर सकता है (17)।
चिया बीज
सामग्री:
आधा चम्मच चिया बीज
एक गिलास दूध
उपयोग करने का तरीका:
दूध को हल्का गर्म करें और उसमें चिया बीज को मिलाएं।
फिर इस मिश्रण का सेवन कर लें।
कैसे है लाभदायक:
चिया बीज के सेवन से पीसीओएस की समस्या को दूर रखा जा सकता है। दरअसल, यह हार्मोन को संतुलित रखने का काम कर सकता है। साथ ही इसके इस्तेमाल से वजन भी घट सकता है, जिससे मासिक चक्र को सामान्य बनाए रखने में मदद मिल सकती है। इससे पीसीओएस की समस्या कुछ कम हो सकती है (16)। अभी इस संबंध में और वैज्ञानिक शोध की जरूरत है, जिससे कि पीसीओएस पर इसका असर पूर��� तरह से स्पष्ट हो सके।
मेथी के बीज
सामग्री:
दो चम्मच मेथी बीज
आधा कप पानी
एक चम्मच शहद
उपयोग करने का तरीका:
मेथी के बीज को रात भर पानी में भिगोकर रखें।
फिर भीगे हुए मेथी के बीज को शहद में मिलाकर खाएं।
इसका सेवन रोज सुबह किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
मेथी के बीज को लेकर एक वैज्ञानिक शोध किया गया, जिसका उद्देश्य पीसीओएस पर मेथी का प्रभाव जानना था। इस शोध में 50 पूर्व-रजोनिवृत्त (प्रीमीनोपॉज) महिलाओं को लिया गया है, जिनकी उम्र 18 से 45 वर्ष थी। इनमें से 42 महिलाओं को पीसीओएस की समस्या थी। शोध से प्राप्त हुए परिणामों से पता चला है कि मेथी के बीज का अर्क ओवेरियन वॉल्यूम यानी साइज में कमी ला सकता है। कुछ हद तक डॉक्टर पीसीओएस का निदान ओवेरियन वॉल्यूम से ही करते हैं। इसके अलावा, यह लुटेइनीजिंग हार्मोन और फॉलिकल-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (महिलाओं से संबंधित हार्मोन) के स्तर को भी बढ़ा सकता है। साथ ही मेथी के बीज का अर्क पीसीओएस के लक्षणों को कम करने के लिए प्रभावी हो सकता है (18) (19)।
सामग्री:
एक चम्मच तिल
एक गिलास पानी
गुड़ का छोटा टुकड़ा
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले पानी में तिल के बीज को मिलाएं और कुछ देर तक उबालें।
फिर इसमें स्वाद के लिए गुड़ को मिलाएं और कप में निकाल लें।
अब इस काढ़े का सेवन कर लें।
इसे प्रतिदिन एक से दो कप तक पी सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
तिल के बीज के सेवन से पीसीओएस को दूर रख सकता है। दरअसल, तिल के बीज के उपयोग से ओलिगोमेनोरिया का इलाज किया जा सकता है। ओलिगोमेनोरिया ऐसी स्थिति है, जिसमें मासिक धर्म प्रवाह में कमी आ जाती है (20)। इसलिए, ओलिगोमेनोरिया की समस्या में अक्सर पीसीओएस का जोखिम उत्पन्न हो जाता है (21)। ऐसे में ओलिगोमेनोरिया का इलाज होने पर पीसीओएस के जोखिम से बचा जा सकता है।
सौंफ
सामग्री:
दो चम्मच सौंफ
एक गिलास पानी
उपयोग करने का तरीका:
सौंफ को रातभर आधा गिलास पानी में भिगोकर रखें।
फिर सुबह इसमें आधा गिलास पानी और डालें।
उसके बाद इसे लगभग 5 मिनट के लिए गर्म करें।
फिर इसे छानकर पी लें।
इसे प्रतिदिन सुबह खाली पेट पिया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
सौंफ के उपयोग से पीसीओएस की समस्या में कुछ हद तक सुधार हो सकता है। दरअसल, सौंफ में रीनोप्रोटेक्टिव प्रभाव पाए जाते हैं, जो पीसीओएस के इलाज में मदद कर सकते हैं। पीसीओएस की समस्या को कम करने के लिए सौंफ का सेवन करने से इस समस्या में कुछ हद तक सुधार हो सकता है (18)।
कद्दू के बीज
सामग्री:
5 से 10 कद्दू के बीज
उपयोग करने का तरीका:
कद्दू के बीज को छिल लें और इसका सेवन कर लें।
इसे कुछ ड्राई फ्रूट के साथ मिलाकर भी खाया जा सकता है।
प्रतिदिन कद्दू के कुछ बीज लिए जा सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
कद्दू के बीज में एसेंशियल फैटी एसिड (EFA) पाया जाता है, जो शरीर के लिए जरूरी होते हैं। ईएफए हार्मोन की प्रक्रिया को संतुलित करने में मदद कर सकता है। साथ ही यह इंसुलिन के नियंत्रित करके रक्त शर्करा को संतुलित करता है और पीरियड्स को नियमित कर सकता है (22)। इससे पीसीओएस जैसी समस्या को दूर रखा जा सकता है।
11. दालचीनी
सामग्री:
एक चम्मच दालचीनी पाउडर
एक चम्मच शहद
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले दोनों सामग्रिया को आपस में अच्छी तरह से मिला लें।
फिर इसका सेवन कर लें।
इसका दिन में एक बार सेवन किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक:
एक वैज्ञानिक रिसर्च के मुताबिक दालचीनी के उपयोग से शरीर में इंसुलिन के स्तर को कम किया जा सकता है। वहीं, 40 दिन तक दालचीनी का प्रतिदिन सेवन करने पर मधुमेह के रोगियों में रक्त शर्करा के स्तर को भी कम किया जा सकता है। दालचीनी को 8 हफ्ते तक रोज उपयोग करने से पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में इंसुलिन प्रतिरोध कम हो जाता है। साथ ही पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में पीरियड्स को नियमित रूप से बनाए रखने में भी मदद मिल सकती है (23)।
12. मुलेठी की जड़
सामग्री:
एक चम्मच मुलेठी की जड़ का पाउडर
एक कप पानी
उपयोग करने का तरीका:
सबसे पहले पानी को गर्म करें और उसमें मुलेठी पाउडर को डालें।
कुछ देर तक पानी को गर्म होने दें।
फिर इसे छान कर एक कप में डाल लें।
इसे ताजा ही पिएं।
इसे दिन में दो बार पी सकते हैं।
कैसे है लाभदायक:
मुलेठी के उपयोग से भी पीसीओएस की समस्या को कम किया जा सकता है। इस संबंध में प्रकाशित एक मेडिकल शोध में बताया गया है कि मुलेठी के अर्क असंतुलित हार्मोनल स्तर और अनियमित ओवेरियन फॉलिकल को ��ेगुलेट करते हैं, जिससे पीसीओएस के लक्षणों को दूर किया जा सकता है (24)। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि पीसीओडी के लिए घरेलू उपाय में मुलेठी को भी शामिल किया जा सकता है।
13. चेस्टबेरी
सामग्री:
चेस्टबेरी सप्लीमेंट
उपयोग करने का तरीका:
डॉक��टर की सलाह पर इसका सेवन करें।
कैसे है लाभदायक:
एक क्लिनिकल शोध में बताया गया है कि चेस्टबेरी के इस्तेमाल से प्रोलैक्टिन (एक तरह का हार्मोन) कम हो सकता है। प्रोलैक्टिन का स्तर ज्यादा होने से मासिक धर्म व प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। इसके अलावा, चेस्टबेरी से मासिक धर्म की अनियमितता और बांझपन में भी सुधार हो सकता है (25)। इससे पीसीओएस की समस्या को पनपने से रोका जा सकता है।
और जानकारी के लिए लेख को पढ़ते रहें
चलिए, अब जानते हैं कि पीसीओएस का इलाज कैसे किया जा सकता है।
पीसीओएस का इलाज – Treatment of PCOS in Hindi
पीसीओएस का संपूर्ण इलाज संभव नहीं है। दवाइयों के माध्यम से सिर्फ इसके लक्षणों को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। इसके लक्षणों को दूर करने के लिए डॉक्टर नीचे बताए जा रही दवाइयां दे सकते हैं (2): 
हार्मोनल बर्थ कंट्रोल (जो गर्भवती नहीं होना चाहती):
यह मासिक धर्म को नियमित कर सकता है।
एंडोमेट्रियल कैंसर के जोखिम को कम करने में मददगार हो सकता है।
मुंहासे में सुधार कर सकता है और चेहरे व शरीर के अन्य अंगों पर आए अतिरिक्त बालों को कम करने में मदद कर सकता है।
एंटी-एंड्रोजन दवाई: यह दवाई एंड्रोजन के प्रभाव को कम करती है, जिससे सिर के बाल झड़ने की समस्या कम हो सकती है और चेहरे व शरीर के बालों के विकास में कमी आ सकती है। साथ ही मुंहासे को कम करने में भी मदद मिल सकती हैं। फिलहाल, फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने दवा को अनुमति नहीं दी है, क्योंकि यह दवाई गर्भावस्था के दौरान समस्या पैदा कर सकती हैं।
मेटफॉर्मिन: इस दवाई का उपयोग टाइप 2 मधुमेह के इलाज और कुछ महिलाओं में पीसीओएस के लक्षणों को दूर करने में किया जाता है। यह दवाई इंसुलिन में सुधार कर रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) को कम कर सकती है। साथ ही यह इंसुलिन और एंड्रोजन दोनों के स्तर को भी कम कर सकती है, जिससे पीसीओएस की समस्या दूर हो सकती है।
अन्य जानकारी के लिए पढ़ें नीचे
इस लेख के अगले भाग में हम पीसीओएस से बचने के उपाय बता रहे हैं।
पीसीओएस से बचने के उपाय – Prevention Tips for PCOS in Hindi
पीसीओएस की समस्या आनुवंशिक भी हो सकती है। ऐसे में इस समस्या से बचना आसान नहीं है, लेकिन इन सावधानियों को ध्यान में रखने से इस समस्या को बढ़ने से रोका जा सकता है।
नियमित रूप से योग व्यायाम करने पर शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखा जा सकता है, जिससे कई समस्याएं दूर रह सकती हैं।
नियमित रूप से डॉक्टरी चेकअप कराएं, ताकि किसी भी समस्या का समय रहते पता चल सके और उसका इलाज किया जा सके। इससे पीसीओएस की समस्या को उत्पन्न होने से रोकने में मदद मिल सकती है।
कई बार वजन का अधिक बढ़ना या कम होने पर कुछ समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। ऐसे में वजन को नियंत्रित रख कर उन समस्याओं को उत्पन्न होने से रोका जा सकता है।
अगर किसी के पीरियड्स लंबे समय से नियमित समय पर नहीं आ रहे हैं, तो ऐसे में उन्हें इस बारे में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
अगर किसी को अधिक तनाव की समस्या है, तो इससे भी पीसीओएस की समस्या हो सकती है। ऐसे में तनाव मुक्त रहने पर कई समस्याओं से बचा जा सकता है।
यह बात भलीभांती समझ आ गई कि पीसीओएस किस तरह की समस्या है। अगर किसी महिला में ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो वो एक बार इस बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर करें। इसके लक्षण को अनदेखा करना गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। आप इस आर्टिकल को अपने परिवार व अन्य महिलाओं के साथ शेयर कर सकते हैं, ताकि वो भी इस बीमारी के प्रति जागरूक हो सकें। हम उम्मीद करते हैं कि इस आर्टिकल में दिए गए जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
लंबे समय तक अनुपचारित पीसीओएस का प्रभाव?
लंबे समय तक पीसीओएस का इलाज नहीं करने पर एंडोमेट्रियल कैंसर का जोखिम उत्पन्न हो सकता है (26)।
अगर मुझे पीसीओएस है, तो मुझे क्या खाना चाहिए?
अगर आपको पीसीओएस की समस्या है, तो आप इन्हें आहार में शामिल कर सकती हैं (15):
कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले अनाज
कम कैलोरी वाले भोजन
साबुत अनाज
फलियां (legumes)
पीसीओएस गर्भावस्था क्या है और पीसीओएस गर्भावस्था को कैसे प्रभावित करता है?
पीसीओएस के कारण महिलाओं के शरीर में कई बदलाव हाेते हैं। इस कारण गर्भधारण करने में समस्या आती है, लेकिन कुछ उपचार की मदद से गर्भधारण किया जा सकता है। इसके बावजूद पीसीओएस के चलते गर्भावस्था में कई समस्याएं हो सकती है, जिनमें गर्भपात, गर्भावधि मधुमेह और गर्भवस्था में उच्च रक्तचाप (pre-eclampsia) आदि शामिल है। यहां तक कि इसके कारण सी-सेक्शन यानी सिजेरियन डिलीवरी की आशंका पैदा हो सकती है (2)।
क्या पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम खतरनाक है?
वैसे तो पीसीओएस सामान्य स्थिति में खतरनाक नहीं होता है, लंबे समय तक इलाज न करवाने पर गंभीर रूप जरूर ले सकता है।
आप कैसे जान सकते हैं कि आपको पीसीओएस है या नहीं?
पीसीओएस की समस्या को जानना आसान हो सकता है। इसके लिए आपको इसके लक्षण का पता होना जरूरी है। हमने ऊपर लेख में इसके लक्षण बताए हैं, जो पीसीओएस के बारे में अंदाजा लगाने में मदद कर सकते हैं।
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भूपेंद्र वर्मा ने सेंट थॉमस कॉलेज से बीजेएमसी और एमआईटी एडीटी यूनिवर्सिटी से एमजेएमसी किया है। भूपेंद्र को लेखक के तौर पर फ्रीलांसिंग में काम करते 2 साल हो गए हैं। इनकी लिखी हुई कविताएं, गाने और रैप हर किसी को पसंद आते हैं। यह अपने लेखन और रैप करने के अनोखे स्टाइल की वजह से जाने जाते हैं। इन्होंने कुछ डॉक्यूमेंट्री फिल्म की स्टोरी और डायलॉग्स भी लिखे हैं। इन्हें संगीत सुनना, फिल्में देखना और घूमना पसंद है।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/pcos-ke-karan-lakshan-aur-ilaj-in-hindi/
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ajitnehrano0haryana · 5 years
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कोटा। गोखरू भले दिखने में कितना भी छोटा क्‍यों न हो लेकिन बीमारियों पर रामबाण असर करता है। इसे लेने का तरीका भी काफी सिंपल है। आयुर्वेदिक औषधियों में इसका नाम सबसे ऊपर आता है। आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी बूटियां और पेड-पौधे हैं जो औषधीय का काम करते हैं। इन्‍हीं औषधीय जड़ी बूटियों में से एक है ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस या गोक्षुर या गोखरू का एक पौधा है।
यह पौधा स्‍किन, बाल सहित अनेक बीमारियों को ठीक करने में काम आता है। यह पौधा भले की दिखने में कितना छोटा क्‍यों न हो लेकिन असर जबरदस्‍त करता है। इस पौधे का फूल, बीज, टहनियां और जड़ आदि सभी कुछ औषधी बनाने के काम आता है। यहां जानें आयुर्वेद सुधींद्र श्रृंगी से गोखरू के उपयोग के बारे में –
बढ़ाए टेस्‍टोस्‍टेरोन इस पौधे को पुरुषों में मेल हार्मोन बढ़ाने के लिये भी जाना जाता है। यही नहीं यह पुरुष कामेच्छा, स्तंभन दोष आदि रोग को दूर करने में मदद करता है। प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिये यह जड़ी बूटी की तरह काम करता है।
बांझपन को दूर करे गोखरू महिलाओं में पीसीओडी को ठीक करता है। यह बांझपन का सबसे बड़ा कारण माना जाता है। यही नहीं यह मासिक धर्म के दर्द को भी कम करने में सहायक है। इससे महिलाओं में मेनोपॉज के लक्षण भी काफी कम होते हैं।
एक्‍जिमा में लाभकारी एक्‍जिमा की वजह से जब स्‍किन पर खुजली होने लगती है तब गोखरू बड़ा काम आता है। एक्जिमा एक इंफ्लेमेटरी त्वचा समस्या की श्रेणी में आता है, जबकि गोखरू के फल में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है, जो एक्जिमा के खतरे को कम कर सकता है।
दिल से जुड़ी बीमारियों को करे दूर गोखरू का सेवन हृदय से जुड़ी बीमारियों को दूर करने में मददगार है। यह खून में कोलेस्‍ट्रॉल, ब्‍लड शुगर और बीपी की समस्‍या को भी दूर करता है। इसे व्‍यक्‍ति को नियमित सेवन करना चाहिये।
किडनी स्‍टोन के लिए किडनी की बीमारी काफी आम हो चुकी है मगर गोखरू गुर्दे में पड़ी पथरी को खत्‍म करने और उसके इलाज में सहायक है। इस पौधो को आयुर्वेद में यूरीन रिटेंशन, बुखार और गुर्दे की पथरी के लिए किया जाता है। यूरिनरी ट्रैक इंफेक्‍शन काफी आम समस्‍या है। गोखरू में मौजूद कुछ ऐसे तत्‍व पाए जाते हैं जो इस समस्‍या को कुछ ही पल में ठीक कर देते हैं।
कैसे करें गोखरू का सेवन?
गोखरू के पाउडर को पानी के साथ उबालकर पी सकते हैं।
गोखरू के अर्क का सेवन भी किया जा सकता है।
गोखरू का अर्क त्वचा पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
गोखरु के तने से काढ़ा बनाकर, उसे पिया जा सकता है।
​गोखरू का सेवन कब करें
गोखरू का सेवन सुबह और शाम को करना चाहिये।
इसका सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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पीसीओडी क्या होता है जानिये कारण, लक्षण, इलाज और प्रबंधन
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पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज या (PCOD) पीसीओडी क्या होता है, जैसा कि इसे भारत में कहा जाता है, एक जटिल स्थिति है जिसमें महिलाओं को प्रभावित करने वाले कई लक्षण शामिल होते हैं। जबकि पीसीओडी को सबसे आम हार्मोनल बीमारी के रूप में पहचाना जाता है, यह प्रजनन क्षमता, चयापचय स्वास्थ्य और यहां तक ​​कि मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य सहित महिलाओं के स्वास्थ्य के कई पहलुओं के लिए चुनौती पैदा कर ���कता है। यह मार्गदर्शिका पीसीओडी को सरल बनाने, इसके निदान के लिए स्पष्टीकरण प्रदान करने और महिलाओं को उनके जीवन में इस स्थिति के प्रबंधन के बारे में शिक्षित करने के लिए तैयार की गई है। उन्नत उपचार विकल्पों और विशेषज्ञ देखभाल के लिए, नवी मुंबई में सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ केंद्र (Best IVF Centre in Navi Mumbai) के रूप में प्रसिद्ध यशोदा आईवीएफ सेंटर पर जाने पर विचार करें।
पीसीओडी क्या होता है : मूल बातें समझिए
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, या पीसीओडी, एक हार्मोनल विकार है जो दो तीन प्रमुख विशेषताओं द्वारा चिह्नित है:
•        अनियमित पीरियड्स (मासिक धर्म संबंधी विकार)
•        पुरुष हार्मोन के उच्च स्तर के परिणामस्वरूप अत्यधिक बाल बढ़ना (अतिरोमण), मुँहासे, और पुरुष-पैटर्न गंजापन जैसे शारीरिक लक्षण हो सकते हैं
•        पॉलीसिस्टिक अंडाशय - बढ़े हुए अंडाशय जिनमें बाहरी किनारे पर स्थित कई छोटे सिस्ट होते हैं
पीसीओडी के कारण वजन बढ़ना, मुंहासे और गर्भवती होने में कठिनाई सहित कई लक्षण हो सकते हैं। यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि पीसीओडी का कारण क्या है, लेकिन यह संभवतः आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों का एक संयोजन है।
पीसीओडी और इसके प्रभाव को समझिए
पीसीओडी एक डिम्बग्रंथि विकार है जो एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के उत्पादन के लिए जिम्मेदार महिला प्रजनन प्रणाली में हस्तक्षेप करता है जो उन्हें मासिक धर्म चक्र को विनियमित करने में सहायता करता है। अंडाशय इन महिला-विशिष्ट हार्मोनों और कुछ पुरुष हार्मोनों का भी उत्पादन करते हैं, जिन्हें एण्ड्रोजन कहा जाता है।
जिन महिलाओं को पीसीओडी है, उनमें टेस्टोस्टेरोन सामान्य से अधिक बढ़ जाता है। यह इस प्रतिकूल और अक्सर अस्थिर हार्मोनल संतुलन के कारण है कि मासिक धर्म चक्र में अधिक अनियमितताएं आम हैं, और इस प्रकार महिलाओं को गर्भवती होने में कठिनाई होती है। इसके अतिरिक्त, सबसे आम चिंता पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं में उच्च-इंसुलिन प्रतिरोध है, जिसमें शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति सामान्य रूप से प्रतिक्रिया नहीं करती हैं और परिणामस्वरूप, रक्त शर्करा बढ़ जाती है। यह एण्ड्रोजन उत्पादन को ट्रिगर कर सकता है और परिणामस्वरूप, पीसीओडी के लक्षणों को फिर से मजबूत कर सकता है।
पीसीओडी के लक्षणों को पहचानिये
पीसीओडी के लक्षण और पीसीओडी क्या होता है ये हर महिला में काफी भिन्न हो सकते हैं। कुछ को हल्के लक्षणों का अनुभव हो सकता है, जबकि अन्य के जीवन की गुणवत्ता पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
•        अनियमित मासिक धर्म
•        मासिक धर्म के दौरान भारी रक्तस्राव
•        लंबे समय तक मासिक धर्म चक्र 35 दिनों से अधिक, या एक वर्ष में आठ मासिक धर्म चक्र से कम
•        पुरुष हार्मोन के ऊंचे स्तर के परिणामस्वरूप अत्यधिक बाल बढ़ना, मुँहासे और पुरुष-पैटर्न गंजापन जैसे शारीरिक लक्षण हो सकते हैं
•        अल्ट्रासाउंड में पॉलीसिस्टिक अंडाशय का पता चला
•        सिर पर बालों का पतला होना
•        वजन बढ़ना या वजन कम करने में कठिनाई होना
•        त्वचा का काला पड़ना, त्वचा संबंधी समस्याएं, जिनमें त्वचा टैग, और मुँहासे शामिल हैं
•        •मनोदशा में बदलाव
पीसीओडी के कारण
वास्तविक में पीसीओडी क्या होता है या फीर उसका सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन कई कारक इसके विकास को प्रभावित कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
•        अतिरिक्त इंसुलिन: पीसीओडी से पीड़ित कई महिलाओं में इंसुलिन प्रतिरोध होता है, विशेष रूप से वे जो अधिक वजन वाली या मोटापे से ग्रस्त हैं, अस्वास्थ्यकर आहार लेती हैं, पर्याप्त शारीरिक गतिविधि नहीं करती हैं और मधुमेह का पारिवारिक इतिहास रखती हैं।
•        निम्न-श्रेणी की सूजन: पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं में भी अक्सर एक प्रकार की निम्न-श्रेणी की सूजन होती है जो पॉलीसिस्टिक अंडाशय को एण्ड्रोजन का उत्पादन करने के लिए उत्तेजित करती है।
•        आनुवंशिकता: हालाँकि, अध्ययनों से पता चला है कि कुछ जीन पीसीओडी से जुड़े हो सकते हैं।
पीसीओडी का इलाज/निदान
पीसीओडी क्या होता है ये तो आपने समझ लिया हैं तो अब जानिए की पीसीओडी का निदान करना कुछ जटिल हो सकता है और इसमें अक्सर कई चरण शामिल होते हैं:
•        रोगी के व्यक्तिगत लक्षणों को समझने के लिए चिकित्सा इतिहास का विश्लेषण।
•        शारीरिक परीक्षण जिसमें शरीर पर अतिरिक्त बाल, रक्तचाप और बॉडी मास इंडेक्स (BMI) जैसे संकेतों की जांच शामिल है।
•        हार्मोन स्तर, ग्लूकोज, कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स की जांच के लिए रक्त परीक्षण।
•        अंडाशय की स्थिति और आकार को देखने के लिए अल्ट्रासाउंड, यह देखने के लिए कि क्या वे बढ़े हुए हैं या उनमें सिस्ट हैं।
पीसीओडी का निदान हल्के में नहीं लिया जाता है और इसमें अन्य संभावित बीमारियों का बहिष्कार शामिल होता है जो पीसीओडी के लक्षणों की नकल कर सकते हैं।
पीसीओडी के उपचार और प्रबंधन के दृष्टिकोण
हालाँकि पीसीओडी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन कई उपचार लक्षणों और जटिलताओं को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं। किसी महिला की प्राथमिकताएं क्या हैं, इसके आधार पर उपचार के विकल्प अलग-अलग हो सकते हैं, चाहे वह गर्भवती हो रही हो या बालों के बढ़ने जैसे किसी विशिष्ट लक्षण का प्रबंधन कर रही हो।
·         जीवन शैली में परिवर्तन: पीसीओडी के लक्षणों को सही सावधान आदतों के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है। महत्वपूर्ण उपायों में नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और उचित वजन प्रबंधन शामिल है।
·         पीसीओडी के लिए दवाएं: मासिक धर्म चक्र को विनियमित करने, अत्यधिक बालों के विकास को कम करने और मुँहासे का इलाज करने के लिए विभिन्न दवाओं का उपयोग किया जा सकता है। इनमें संयोजन जन्म नियंत्रण गोलियाँ, प्रोजेस्टिन थेरेपी, एंटी-एंड्रोजन दवाएं और बहुत कुछ शामिल हो सकते हैं।
·         प्रजनन उपचार: यदि गर्भावस्था वांछित है, तो कुछ दवाएं ओव्यूलेशन को प्रेरित करने में मदद कर सकती हैं। अधिक जटिल मामलों में, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन जैसी सहायक प्रजनन तकनीक (एआरटी) की सिफारिश की जा सकती है।
पीसीओडी को प्रजनन क्षमता को मात देने वाली बीमारी के रूप में समझिए
पीसीओडी, महिला बांझपन के सबसे अधिक पहचाने जाने वाले कारणों में से एक है, जो महिलाओं की भलाई के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। इस हार्मोन असंतुलन के कारण अंडाशय पर छोटे फूलों की थैली का निर्माण होता है जो परिपक्व अंडे को बाहर निकलने से रोकता है। ऑलिगोमेनोरिया के साथ भी गर्भावस्था आगे बढ़ सकती है, लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान चिकित्सा सहायता की आवश्यकता हो सकती है। Yashoda IVF में IVF (In vitro fertilization) उपचार एक विशेषता है जो म���िलाओं को इस समस्या से निपटने में मदद करता है।
पीसीओडी में प्रजनन उपचार को समझना
पीसीओडी से पीड़ित महिलाएं जो गर्भधारण करना चाहती हैं, उनके लिए सबसे आम थेरेपी ओव्यूलेशन इंडक्शन है, जो एक प्रजनन उपचार है जिसमें अंडाशय को केवल एक अंडा देने के लिए उत्तेजित करने के लिए दवाओं का उपयोग शामिल है। पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं को कभी-कभी अपने प्रजनन प्रयासों में सहायता के लिए अतिरिक्त प्रजनन उपचार की आवश्यकता होगी। इस प्रक्रिया में चिकित्सा सहायता के लिए Yashoda IVF Centre का आवश्यक सहयोग प्राप्त करें।
पीसीओडी में आहार एवं व्यायाम
पीसीओडी के संदर्भ में, दैनिक कसरत के साथ-साथ स्वस्थ आहार आदतों का पालन करना भी उतना ही महत्वपूर्ण पहलू है। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा के मिश्रण के साथ संतुलित आहार के मामले में, इसका लक्ष्य रखें। भोजन पिरामिड में चीनी और परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट की कमी इंसुलिन प्रतिरोध की प्रगति में सहायता कर सकती है।
वज़न प्रबंधन
स्वस्थ संतुलित वजन प्राप्त करके अपने पीसीओडी लक्षणों को नियंत्रित रखने में सक्षम होने से उनकी गंभीरता काफी कम हो जाएगी। यहां तक ​​कि वजन में कुछ मामूली कमी के परिणामस्वरूप भी खुशहाल स्थिति आती है।
तनाव में कमी
आराम की तकनीकों और सही नींद के माध्यम से तनाव पर काम करने से लक्षणों को लाभदायक तरीके से राहत देने में मदद मिलती है।
मुख्य तथ्य और निष्कर्ष
पीसीओडी क्या होता है का मतलब जो की पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज है और यह व्यापक है। हालांकि, लक्षण इतने गंभीर और जटिल हो सकते हैं कि किसी महिला की सामान्य जीवनशैली जैसे स्वास्थ्य और खुशी को प्रभावित कर सकते हैं। महिला द्वारा शीघ्र निदान के माध्यम से पीसीओडी को दूर करना बधाई की बात है क्योंकि महिला को शरीर के संकेतों को पहचानना चाहिए और अगर उसे लगता है कि वह इस स्थिति से जूझ रही है तो डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। यशोदा आईवीएफ सेंटर उन महिलाओं के सहारे है जो पीसीओडी की इस चुनौती से निपट रही हैं और स्वस्थ जीवन की दिशा में कदम बढ़ाना चाहती हैं।
पशु अध्ययनों से पता चला है कि कुछ पौधों में एंटीऑक्सीडेंट और सुरक्षात्मक गुण होते हैं जो गर्भधारण करने की इच्छुक महिलाओं की मदद कर सकते हैं। हालांकि इस बात के प्रमाण अनिर्णायक हैं कि क्या इन खाद्य पदार्थों के सेवन से गर्भधारण में मदद मिलेगी, लेकिन इन्हें संतुलित आहार में शामिल करने से कोई नुकसान नहीं होता है। इन तरीकों से, ज्ञान और उचित नियंत्रण आपको पीसीओडी के साथ रहते हुए भी एक पूर्ण, पूर्ण जीवन जीने में सक्षम बनाएगा।
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