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देश की संसद में हुआ बड़ा पाप अश्विनी उपाध्याय || Parliament News || Ashw...
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महंगी तार फैंसिंग नहीं, कम लागत पर जानवर से ऐसे बचाएं फसल, कमाई करें डबल
नीलगाय, हिरन फटकेंगे नहीं पास
फसल सुरक्षा के साथ सेफ एक्स्ट्रा इनकम
जानिए मॉडर्न बिजूका संग कई फलदार तरीके
चीज अगर कीमती हो तो फिर उसकी सुरक्षा भी सर्वोपरि है। जीवन की सभी सुख सुविधाओं के उद्भव केंद्रबिंदु अनाज, फल, फसल जैसे बेशकीमती प्राकृतिक उपहार की रक्षा, उससे भी ज्यादा अहम होनी चाहिए। भारत में खेती किसानी की रक्षा के मामले में स्थिति जरा उलट है।
देश मे खेतों की नीलगाय, हिरन, जंगली शूकर, आवारा मवेशियों से सुरक्षा के लिए इन दिनों कंटीले तारों की फेंसिंग का चलन देखा जा रहा है। यह तरीका बाप-दादाओं के जमाने से चली आ रही खेत की सुरक्षा युक्ति के मुकाबले जरा महंगा है।
तार की बाउंड्री के अलावा और किस तरह फसल की जानवरों से रक्षा की जा सकती है, किस तरीके की सुरक्षा के क्या अल्प एवं दीर्घ कालिक लाभ हैं, कंटीले तार की फेंसिंग के क्या लाभ, हानि खतरे हैं, जानिये मेरीखेती के साथ।
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तार फेंसिंग लाभ, हानि, खतरे
शुरुआत करते हैं खेत के चारों ओर कटीले तारों को लगाने के मौजूदा प्रचलित तरीके से। इस तरीके से खेत की सुरक्षा में तारों की फेंसिंग के लिए सीमेंट के पिलर आदि से लेकर तारों की क्वालिटी के आधार पर सुरक्षा की लागत तय होती है। पिलर के लिए गड्ढे खोदने पर भी मजदूरी आदि पर व्यय करना पड़ता है।
तार चोरी का खतरा
तार फेंसिंग की एक टेंशन ये भी है कि, इस तरह की खेत की सुरक्षा में महंगी क्वालिटी के तारों के चोरी होने का डर रहता है। भारत में खेत से तारों के चोरी होने के कई मामले आए दिन प्रकाश में आते रहते हैं। कटीले तारों के मौसमी प्रभाव से खराब होने का भी खतरा रहता है। कटीले तारों से खेतों की सुरक्षा कई बार किसानों के लिए फायदे के बजाए नुकसान का सौदा साबित हुई है।
नीलगाय जैसे बलशाली एवं कुलाचें मारने में माहिर हिरणों के झुंड के सामने, तार फेंसिंग भी फेल हो जाती है। बलशाली नीलगाय के झुंड जहां तार फेंसिंग को धराशाई कर फसल चौपट कर देते हैं, वहीं हिरन झुंड छलांग मार खेत की फसल चट कर खेत से पलक झपकते ओझल हो जाते हैं।
तार की फेंसिंग में फंसने या फिर इसमें चूकवश प्रवाहित करंट की चपेट में आने से जन एवं पशुधन की हानि के कारण मामले थाना, कोर्ट, कचहरी से लेकर जेल की सैर तक जाते देखे गए हैं।
प्राकृतिक विकल्प श्रेष्ठ विचार
हालांकि प्राकृतिक तरीका एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है, लेकिन इसमें नुकसान के बजाए फायदे ही फायदे हैं। इस तरीके से खेत की बाड़, बागड़ या फेंसिंग के लिए तार जैसे कृत्रिम विकल्पों के बजाए प्रकृति प्रदत्त पौधों आधारित विकल्पों से खेत और फसल की सुरक्षा का प्रबंध किया जाता है।
कुछ पेड़, पौधे हैं जिन्हें खेत की सीमा पर लगाकर अतिरिक्त कृषि आमदनी से भरपूर बाड़ सुरक्षा तैयार की जा सकती है। इसमें किसी एक पेड़, पौधे, वृक्ष या फिर इनके मिश्रित प्रयोग से वर्ष भर के लिए मिश्रित कृषि जनित आय का भी कुशल प्रबंध किया जा सकता है।
तो शुरुआत करते हैं बिसरा दिए गए उन ठेठ देसी तरीकों से, जिनमें आधुनिक तकनीक का तड़का लगाकर और भी ज्यादा श्रेष्ठ नतीजे हासिल किए जा सकते हैं।
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मॉडर्न बिजूका (Scarecrow)
घर की छत पर बुरी नजर से बचाने टंगी काली मटकी या लटके पुराने जूते की ही तरह खेती किसानी की सुरक्षा का पीढ़ी दर पीढ़ी आजमाया जाने वाला खास टोटका है, बिजूका।
भारत का शायद ही ऐसा कोई खेत हो जहां बिजूका के हिस्से जमीन न छोड़ी जाती हो। मवेशी से फसल सुरक्षा के लिए इस युक्ति में खेत के चारों ओर सुरक्षा दायरा बनाने के बजाए महज बांस और मिट्टी की मटकी और पुराने कपड़ों से इंसान की मौजूदगी के लिए बिजूका जैसे भ्रम का ताना-बाना बुना जाता है।
ऐसी प्रयोगजनित मान्यता है कि हवा में बिजूका की मटकी अपने आप हिलती-डुलती है और कपड़े लहराते हैं, तो जानवरों को खेत में इंसान के होने का आभास होता है और वे दूसरे खेत की राह पकड़ लेते हैं। घासपूस और कपड़ों का बनाया गया पुतला जिसे बिजूका कहा जाता है, दिन रात बगैर थके, मुस्कुराते हुए किसान के गाढ़े पसीेने की कमाई की रक्षा में रत रहता है।
हालांकि बिजूका को अब तकनीक की सुलभता के कारण आधुनिक स्वरूप भी दिया जा सकता है। अब बिजूका को बाजार में सस्ती कीमत पर मिलने वाले एफएम या मैमोरी की सहायता से चलने वाले लाउड स्पीकर के जरिए मॉडर्न बनाया जा सकता है। लाउड स्पीकर के जरिए ऐसे जानवरों की रिकॉर्डेड आवाज जिनसे फसल को नुकसान पहुंचाने वाले जानवर डरते हैं, पैदा कर भ्रम में इंसान की मौजूदगी का और गहरा एवं असरकारक प्रभाव निर्मित किया जा सकता है। आप भी आजमा के देखिये। बस इसके लिए आपको जानवरों की डरावनी आवाज वाली ऑडियो लाइब्रेरी का जुगाड़ करना होगा।
नीलगाय समस्या का हर्बल इलाज
प्रकृति प्रदत्त संसाधनों से, बगैर कृत्रिम रासायनिक पदार्थों की मदद लिए प्राकृतिक तरीके से तैयार हर्बल घोल नीलगाय को भगाने का कारगर उपाय बताया जाता है। कृषि वैज्ञानिकों ने खेत से नीलगायों के झुंड को दूर रखने घरेलू और परंपरागत हर्बल नुस्ख़ों पर प्रकाश डाला है।
काफी कम लागत में तैयार हर्बल घोल खेत में उपलब्ध संसाधनों से ही अल्प समय में रेडी हो जाता है। गोमूत्र, मट्ठा और लालमिर्च के अलावा नीलगाय के मल, गधे की लीद इत्यादि के मिश्रण से तैयार हर्बल घोल की गंध से नीलगाय और दूसरे जानवर दूर रहते हैं। इस हर्बल घोल का खेत की परिधि के आसपास छिड़काव करने से जानवरों से खेत की सुरक्षा संभव है। इस तरीके से कम से कम 20 दिन तक खेत की नीलगायों के झुंड से सुरक्षा होने के अपने-अपने दावे हैं। रामदाने की खुशबू से भी नीलगाय दूर रहती है।
कृषि विज्ञान केंंद्र या कृषि समस्या समाधान संबंधी कॉल सेंटर से भी हर्बल घोल बनाने की विधि के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है।
खेत की मेढ़ के किनारे या आसपास करौंदा, जेट्रोफा, तुलसी, खस आदि लगाकर भी नीलगाय से फसल सुरक्षा की जा सकती है।
बांस का जंजाल
बांस के पौधे, खेत की मेढ़ किनारे नियोजित तरीके से कतार में रोपकर, खेत की जानवरों से सुरक्षा का अच्छा खाका तैयार किया जा सकता है। किसी भी तरह की मिट्टी पर विकसित होने मेें सक्षम बांस, हर हाल में भविष्य के लिए मुनाफे भरा निर्णय है।
बांस के पौधे सामान्यतः तीन से चार साल में परिपक़्व हो जाते हैं। इससे किसान मित्र कृषि आय का अतिरिक्त जरिया भुना सकते हैं। खेत की मेढ़ पर बैंबू कल्टीवेशन (Bamboo Cultivation), यानी बांस की पैदावार कर किसान को 40 सालों तक कमाई सुनिश्चित है। किसानों की आय में वृद्धि करने भारत सरकार ने बांस की खेती के लिए राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission) की शुरुआत की है। इसमें किसानों के लिए आर्थिक सहायता का प्रावधान किया गया है।
बांस के फायदों और सुनिश्चित लाभ के बारे में विस्तार से जानने के लिए शीर्षक को क्लिक करें: जानिये खेत में कैसे और कहां लगाएं बांस ताकि हो भरपूर कमाई
बेर से फेंसिंग
हरी, पीली, लाल, नारंगी, रंग-बिरंगी, खट्टी-मीठी बेर के पौधों को खेत की सीमा पर चारों ओर नियोजित कतार में लगाकर खेत की प्राकृतिक रूप से सुरक्षा की जा सकती है। आम तौर पर जंगली समझा जाने वाला यह फलदार पौधा, ज्यादा देखभाल के अभाव में भी अपना विस्तार करने में सक्षम है।
बारिश में यह खास तौर पर तेजी से बढ़ता है। नर्सरी में तैयार उच्च किस्म के बेर के पौधे कम समय में कृषि आय प्रदान करने में सक्षम होते हैं।
नर्सरी में तैयार पौधों पर अपने आप पनपने वाले पेड़ों की तुलना में अधिक मात्रा में बेर के फलों की पैदावार होती है। इनके कंटीले तनों के कारण खेत की भरपूर सुरक्षा होती है, क्योंकि जानवरों को इसमें प्रवेश करने में दिक्कत होती है।
मार्च अप्रेल में कच्चे फल बेचकर किसान जहां मौसमी कमाई कर सकता है, वहीं सूखे बेर के लिए चूरन, बोरकुट, गटागट जैसे उत्पादों के लिए निर्माताओं के बीच तगड़ी डिमांड रहती है।
करौंदा के पेड़
करौंदा भी बेर की ही तरह कंटीले पौधों की एक फलदार प्रजाति है। मौसमी फल का यह पौधा भी कृ़षि आय में वृद्धि के साथ ही खेत की सुरक्षा में कारगर प्रबंध हो सकता है। खेत की मेढ़ के पास नियोजित तरीके से करौंदा की बागड़ से जहां खेत की सुरक्षा हो सकती है, वहीं मौसम में फल से एक्स्ट्रा फार्म इनकम भी सुनिश्चित हो जाती है।
कांटा युक्त करौंदा का पौधा, झाडिय़ों के स्वरूप में अपना विस्तार करता है। गर्म जलवायु तथा सूखा माहौल सहने में सक्षम करौंदा विषम परिस्थितियों में भी जीवित रहता है। खास तौर पर किसी भी तरह की मिट्टी में करौंदा ग्रोथ करने लगता है।
विदेशी प्रजातियों की बात करें तो लागत और संसाधन की उपलब्धता के आधार पर जैपनीज़ होली, जहरीली बेल के अलावा गैर जहरीली इंगलिश आइवी बेल, अमेरिकन होली, फर्न्स, क्लीमेंटिस, सीडर्स ट्री लगाकर भी खेत की सुरक्षा का प्रबंध किया जा सकता है। हालांकि इन पौधों से अतिरिक्त कमाई के अवसर कम हैं, लेकिन पर्यावरण सुरक्षा की सौ फीसदी गारंटी जरूर है।
Source महंगी तार फैंसिंग नहीं, कम लागत पर जानवर से ऐसे बचाएं फसल, कमाई करें डबल
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गोंदिया स्टेशन परिसर में बांस से बने उत्पादकों की बिक्री, स्थानीय कला को बढ़ावा
गोंदिया स्टेशन परिसर में बांस से बने उत्पादकों की बिक्री, स्थानीय कला को बढ़ावा
गोंदिया : रेलवे की “एक स्टेशन एक उत्पाद” योजना के तहत गोंदिया स्टेशन पर बांस से बने वस्तुओं की बिक्री की जा रही है। केंद्र के पायलट प्रोजेक्ट के रूप में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, नागपुर मंडल के अंतर्गत गोंदिया स्टेशन प्लेटफार्म क्रमांक 1 पर नंदकिशोर साखरे (सालेकसा) द्वारा दिनांक 11/06/2022 से इस योजना के तहत बांस से बनी वस्तुओं की बिक्री 15 दिनों के लिए शुरू की गई है। (Sale of growers made of…
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Gyanvapi Masjid: तहखाने की दीवार तोड़कर नापेंगे गहराई शिवलिंग की, बांस-बल्ली और मलबे से ढंकी मिली यह जगह
Gyanvapi Masjid: तहखाने की दीवार तोड़कर नापेंगे गहराई शिवलिंग की, बांस-बल्ली और मलबे से ढंकी मिली यह जगह
Gyanvapi Masjid: तहखाने की दीवार तोड़कर नापेंगे गहराई शिवलिंग की, बांस-बल्ली और मलबे से ढंकी मिली यह जगह
ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने और उसके सील की कार्यवाही के अगले दिन मंगलवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने जोरदार बहस की। सुबह ही वादी पक्ष और प्रतिवादी पक्ष के आवेदनों के बाद न्यायालय की कार्यवाही ठीक दोपहर दो बजे शुरू हुई।
इसमें सबसे पहले वादी…
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गरीब, त्रिकुटी आगे झूलता, बिनहीं बांस बरत।
अजर अमर आनंद पद, परखे सुरति निरत।।
सरलार्थ :- परमात्मा बिना छत्र, मुकुट व सिंहासन के त्रिकुटी में सतगुरू रूप में रहते हैं। वह सुखदाई है, अजर-अमर है। उसको सत्यनाम के जाप से सुरति-निरति से भक्त परख (जाँच) करता है।
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चार बांस चौबीस गज,
अंगुल अष्ट प्रमाण,
ता ऊपर सुल्तान है,
मत चुके चौहान
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गरीब, त्रिकुटी आगे झूलता, बिनहीं बांस बरत।
अजर अमर आनंद पद, परखे सुरति निरत।।
सरलार्थ :- परमात्मा बिना छत्र, मुकुट व सिंहासन के त्रिकुटी में सतगुरू रूप में रहते हैं। वह सुखदाई है, अजर-अमर है। उसको सत्यनाम के जाप से सुरति-निरति से भक्त परख (जाँच) करता है।
#सत_भक्ति_संदेश
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( #MuktiBodh_Part115 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part116
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 227-228
वाणी नं. 134.141 :-
गरीब, कर्म लगे शिब बिष्णु कै, भरमें तीनौं देव।
ब्रह्मा जुग छतीस लग, कछू न पाया भेव।।134।।
गरीब, शिब कूं ऐसा बर दिया, अपनेही परि आय।
भागि फिरे तिहूं लोक में, भस्मागिर लिये ताय।।135।।
गरीब, बिष्णु रूप धरि छल किया, मारे भसमां भूत।
रूप मोहिनी धरि लिया, बेगि सिंहारे दूत।।136।।
गरीब, शिब कूं बिंदु जराईयां, कंदर्प कीया नांस।
फेरि बौहरि प्रकाशियां, ऐसी मनकी बांस।।137।।
गरीब, लाख लाख जुग तप किया, शिब कंदर्प कै हेत।
काया माया छाडिकरि, ध्यान कंवल शिब श्वेत।।138।।
गरीब, फूक्या बिंदु बिधान सैं, बौहर न ऊगै बीज।
कला बिश्वंभर नाथ की, कहां छिपाऊं रीझ।।139।।
गरीब, पारबती पत्नी पलक परि, त्रिलोकी का रूप।
ऐसी पत्नी छाडिकरि, कहां चले शिब भूप।।140।।
गरीब, रूप मोहनी मोहिया, शिब से सुमरथ देव।
नारद मुनि से को गिनै, मरकट रूप धरेव।।141।।
◆ वाणी नं. 134-136 का सरलार्थ :- सुक्ष्म मन की मार सर्व जीवों पर गिरती है। सब एक समान सुक्ष्म मन के सामने विवश हैं। जब तक पूर्ण सतगुरू नहीं मिलता, तब तक सुक्ष्म मन के सामने विवेक कार्य नहीं करता। हिन्दु धर्म के श्रद्धालु श्री शिव जी को तो सक्षम मानते हैं। सब देवों का देव यानि महादेव कहते हैं। सुक्ष्म मन के कारण वे भी मार खा गए।
◆ प्रमाण :- जिस समय भस्मासुर ने तप करके भस्मकण्डा श्री शिव जी से वचनबद्ध करके ले लिया था। तब भस्मासुर ने शिव से कहा कि मैं तेरे को भस्म करूँगा। तेरे को मारकर तेरी पत्नी पार्वती को अपनी पत्नी बनाऊँगा। तब भय के कारण श्री शिव जी भाग लिए। भस्मासुर में भी सिद्धियां थी। वह भी साथ दौड़ा। शिवजी भय के कारण अधिक गति
से दौड़ा तथा एक मोड़ पर मुड़ गया। उसी मोड़ पर एक सुंदर स्त्री खड़ी थी। उसने भस्मासुर की ओर अश्लील दृष्टि से देखा और बोली कि शिव तो आसपास रूकेगा नहीं, जाने दे। आजा मेरे साथ मौज-मस्ती कर ले। मैं तेरा ही इंतजार कर रही हूँ। तुम पूर्ण मर्द हो, शक्तिशाली हो। भस्मासुर पर काम वासना का भूत सवार था ही, उसे और क्या चाहिए था? उसी समय रूक गया। युवती ने उसका हाथ पकड़कर नचाया। गंडहथ नृत्य करते समय हाथ सिर पर करना होता है। भस्मासुर का भस्मकण्डे वाला हाथ भस्मासुर के सिर पर करने को युवती ने कहा कि इस नृत्य में दांया हाथ सिर पर करते हैं। यह नृत्य पूरा करके मिलन करेंगे। ज्यों ही भस्मासुर ने भस्मकण्डे वाला हाथ सिर पर किया तो युवती ने बोला भस्म। उसी समय भस्मासुर जलकर नष्ट हो गया। वह युवती भगवान स्वयं ही शिव शंकर की जान की रक्षा के लिए बने थे।, परंतु महिमा विष्णु को दी। विष्णु रूप में प्रकट होकर परमात्मा उस भस्मकण्डे को लेकर श्री शिव के सामने खडे़ हो गए तथा शिव से कहा हे शिव!
इतने तेज क्यों दौड़ रहे हो? शिव ने सब बात बताई कि आप भी दौड़ जाओ। भस्मासुर मुझे मारने को मेरे पीछे लगा है। तब विष्णु रूपधारी परमात्मा ने कहा कि देख! आपका
भस्मकण्डा मेरे पास है। शिव ने तुरंत पहचान लिया और रूककर पूछा कि यह आपको कैसे मिला? विश्वास नहीं हो रहा है। भगवान ने कहा यह न पूछ। अपना कण्डा लो और घर को जाओ। परंतु शिव को विश्वास नहीं हो रहा था कि उग्र रूप धारण किए भस्मासुर से कैसे ये भस्मकण्डा लिया। जिद कर ली। तब परमात्मा ने कहा कि फिर बताऊँगा। इतना कहकर अंतर्ध्यान (अदृश्य) हो गए। शिव कुछ आगे गया तो देखा कि एक अति सुंदर युवती
अर्धनग्न शरीर में मस्ती से एक बाग में टहल रही थी। दूर तक कोई व्यक्ति दिखाई नहीं दे रहा था। शिवजी ने इधर-उधर देखा और लड़की की ओर मिलन के उद्देश्य से चले। लड़की शिव को देखकर मुस्कुराकर आगे को कुछ तेज चाल से चटक-मटककर चल पड़ी।
शिव ने मुस्कट के बाद लड़की का हाथ पकड़ा। तब तक शिव का वीर्यपतन हो चुका था। उसी समय विष्णु रूप में परमात्मा खड़े थे और कहा कि मैंने भस्मासुर को इस प्रकार वश में करके गंडहथ नाच नचाकर भस्म किया है।
संत गरीबदास जी ने सुक्ष्म मन की शक्ति बताई है कि शिवजी की पत्नी पार्वती तीन लोक में अति सुंदर स्त्रियों में से एक थी। अपनी पत्नी को छोड़कर शिवजी ने चंचल माया
यानि बद नारी से मिलन (sex) करने के लिए उसे पकड़ लिया। यह सुक्ष्म मन की उत्पत्ति का उत्पात है।
◆ वाणी नं. 137-141 का सरलार्थ :-
◆ इन्हीं काल प्रेरित आत्माओं (देवियों) ने ब्रह्मादिक (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) को भी मोहित कर लिया यानि अपने जाल में फँसा रखा है। शेष यानि अन्य बचे हुए गणेश जी भी स्त्री से संग में रहे। गणेश जी के दो पुत्र थे। एक का नाम शुभम्=शुभ, दूसरे लाभम्=लाभ था। शंकर (शिव जी) की अडिग
(विचलित न होने वाली) समाधि
(आंतरिक ध्यान) लगी थी जो हमेशा (सदा) ध्यान में रहते हैं। उनको भी मोहिनी अप्सरा (स्वर्ग की देवी) ने मोहित करके डगमग कर दिया था।
क्रमशः_________
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आध���यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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।। साहेब कबीर द्वारा रामानन्द जी को सतज्ञान करवाना।।
इसी प्रकार स्वामी रामानन्द जी चारों पवित्र वेदों के ज्ञाता श्री मद्भागवत् गीता के मर्मज्ञ ज्ञाता जो केवल एक ऊँ मन्त्र के जाप में पूर्ण मुक्ति चाह रहे थे, को सतलोक दिखाया और सतपुरुष रूप में दर्शन सतलोक में दिए। तब स्वामी रामानन्द जी ने कहा कि हे कबीर भगवान् आप पूर्ण परमात्मा हैं तथा मुझे पार कर दिया।
दोहु ठोर है एक तूं, भया एक से दोय। गरीबदास मुझ कारने, उतरे हो मग जोय।।
मैं भक्ता मुक्ता भया, किया कर्म कुन्द नाश। गरीबदास अविगत मिले, मेटी मन की बांस।।
बोलत रामानंद जी, सुनि कबीर करतार। गरीबदास सब रूप में, तुम ही बोलनहार।।
तुम साहेब तुम संत हो, तुम सतगुरु तुम हंस। गरीबदास तुम रूप बिन, और न दूजा अंस।।
।।गीता का ज्ञान सुनने व सुनाने वाले भी काल जाल में।।
अध्याय 18 के श्लोक 67 से 71 में लिखा है कि अर्जुन यह मेरा गीता ज्ञान अश्रद्धालुओं को नहीं कहना चाहिए तथा जो भक्त श्रद्धा से सुने उन्हें सुनाने वाला व्यक्ति भी मुझे (काल के मुख में आजाएगा) ही प्राप्त होगा। क्योंकि इनका उपास्य देव (इष्ट) मैं (काल) ही होऊँगा। क्योंकि धार्मिक शास्त्र व ग्रन्थ पढ़ने से ज्ञान यज्ञ हो जाती है। उसका कुछ समय स्वर्ग में फल भोग कर फिर चैरासी लाख जूनियों व नरक का चक्र सदा बना रहेगा। अध्याय 18 के श्लोक 72 में काल भगवान कह रहा है कि क्या गीता को तूने एक चित हो कर सुना है? हे धनंजय! क्या तेरा अज्ञान जनित मोह नष्ट हो गया? भाव यह है कि क्या अर्जुन तुझे ज्ञान हो गया और तेरा संसार से मोह हटा या नहीं? क्या आया समझ में अर्थात् क्या फैसला किया?
अध्याय 18 के श्लोक 73 में अर्जुन कह रहा है कि आप की कृप्या से मेरा मोह नष्ट हो गया और मुझे ज्ञान हो गया है। संशय रहित हो कर स्थित हूँ और आप जो कहोगे वही करूँगा। अर्जुन (विवश तथा और कोई चारा न देख कर सोचा कि मरना तो है ही, युद्ध न करूंगा तो यह काल मारेगा। यदि एक बार फिर वही रूप दिखा दिया तो अभी भय से जीवन लीला समाप्त हो जाएगी। हो सकता है युद्ध जीत जाएँ तो राज तो करलेगें) बोला भगवान आ गई समझ में। आपकी शरण हूँ तथा आपकी जो आज्ञा वही करूंगा अर्थात् युद्ध करूंगा।
यहाँ एक बात विशेष विचारणीय है कि अर्जुन कह रहा है कि मैं आप की शरण में हूँ। जो आप कहोगे वही करूँगा। काल भगवान अध्याय 18 के श्लोक 65 में कह रहा है कि तू मेरी शरण रह। मुझे आदर पूर्वक प्रणाम कर। मेरे में मन वाला बन फिर मुझे ही प्राप्त होगा। मैं सत्य प्रतिज्ञा करता हूँ। तू चिंता मत कर। फिर महाभारत में प्रमाण है कि पाँचों पाण्डव नरक में डाले गए। युधिष्ठिर कम समय के लिए। फिर युधिष्ठिर ने पुण्य दिए तब वे नरक से छुटे। फिर भगवन वचन जो अध्याय 18 के श्लोक 65 में कहे थे, उनका क्या बना?
अध्याय 18 के श्लोक 74 से 78 तक संजय धृतराष्ट्र के दिल को धड़का रहा है, कह रहा है कि जिसके पक्ष में श्री कृष्ण है वे (पाण्डव) तो निःसंदेह विजयी होंगे। धृतराष्ट्र की छाती पर पहले ही पहाड़ रख दिया। गीता सुन कर धृतराष्ट्र कितना चिंतित हुआ होगा। शांति तो दूर रही चूंकि श्री कृष्ण पाण्डवों के पक्ष में थे जिसका परिणाम धृतराष्ट्र के पुत्रों की हार निश्चित थी।
विशेष:- गीता ज्ञान सुनने से न तो धृतराष्ट्र को शांति मिली, न अर्जुन को। घोर युद्ध करके परेशानी तथा अभिमन्यु वध की चिंता-दुःख तथा युद्ध में मारे व्यक्तियों की हत्या का पाप अर्जुन तथा पाण्डवों को मिला।
गीता ज्ञान में बताए अनुसार परम अक्षर ब्रह्म की साधना से संसार में सुख-शांति प्राप्ति होती है तथा सनातन परम धाम तथा परम शांति भी प्राप्त होती है जिसकी गवाही गीता ज्ञान दाता ने गीता अध्याय 18 के श्लोक 62 में दी है।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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विकीलीक्स का बड़ा खुलासा, अमेरिकी राजदूत से मिलकर राहुल गांधी ने रची शज़िश
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🎋 छठ पूजा > संध्या अर्घ्य - Chhath Puja 2023
दिल्ली में सूर्यास्त का समय: 5:26 PM
पटना में सूर्यास्त का समय: 5:00 PM
❀ छठ पर्व का तीसरा दिन जिसे संध्या अर्घ्य (अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य) के नाम से जाना जाता है।
❀ पूरे दिन सभी परिजन मिलकर पूजा की तैयारिया करते हैं।
❀ छठ पूजा के लिए विशेष प्रसाद जैसे *ठेकुआ, कचवनिया* (चावल के लड्डू) बनाए जाते हैं।
❀ छठ पूजा के लिए एक बांस की बनी हुयी टोकरी जिसे *दउरा* कहते है में पूजा के प्रसाद, फल डालकर देवकारी में रख दिया जाता है।
छठ पूजा के बारे में विस्तार से जानने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें.. 👇🏻
📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/chhath-puja
For Quick Access Download Bhakti Bharat APP:
📥 https://play.google.com/store/apps/details?id=com.bhakti.bharat.app
*छठ पूजा गीत* 👇🏻
🎋 हो दीनानाथ
📲 https://www.bhaktibharat.com/bhajan/ho-deenanath-chhath-puja-songs
🎋 पटना के घाट पर
📲 https://www.bhaktibharat.com/bhajan/patna-ke-ghat-par-chhath
🎋 छठि मैया बुलाए
📲 https://www.bhaktibharat.com/bhajan/chhathi-maiya-bulaye
🎋 मारबो रे सुगवा
📲 https://www.bhaktibharat.com/bhajan/marbo-re-sugwa-dhanukh-se-chhath-puja-song
🎋 कांच ही बांस के बहंगिया
📲 https://www.bhaktibharat.com/bhajan/chhath-kanch-hi-bans-ke-bahangiya
🎋 हाजीपुर केलवा महँग भेल हे धनिया
📲 https://www.bhaktibharat.com/bhajan/hajipur-kelwa-mahang-bhaile-dhaniya
🎋 छठी माई के घटिया पे
📲 https://www.bhaktibharat.com/bhajan/patna-ke-ghat-par-chhath
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1401.
साकार भी निराकार भी
देवों के देव आदिदेव महादेव
-© कामिनी मोहन पाण्डेय
शिव कल्याणकारी, आनंददायक, त्रिपुरारी, सभी के हृदय में वास करने वाले सत्य स्वरूप, सनातन साकार और निराकार है। एक कथा के अनुसार देवता और दानव द्वारा समुद्र मंथन के समय निकले हलाहल को जब शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए ग्रहण किया तो हलचल सी मच गई। अपने कंठ में विष को धारण करने के कारण ही वह नीलकंठ कहलाए। विष के प्रभाव से उनके देह में अतिरिक्त ताप उत्पन्न हुआ।
उच्च ताप के प्रभाव को कम करने के लिए इंद्रदेव ने लगातार जोरदार वर्षा की। यह वर्षा ऋतु सावन महीने में उसी नियत समय से आज भी होती है। आज भी परम पावन महादेव शिव के हलाहल विष के ताप को कम करने की धारणा को महसूस करते हुए भक्त सावन के पवित्र माह में शिव को शीतलता प्रदान करने के लिए उनके निराकार स्वरूप को जल अर्पित कर शीतलता प्रदान कर पुण्य के भागी बनते हैं। सावन महीने का महत्व इसीलिए अत्यधिक बढ़ जाता है। बांस के बने शिव की उपस्थिति को धारण किए कांवड़ की परंपरा में एक में घट में ब्रह्म-जल दूसरे में विष्णु-जल लेकर भक्त जब आगे बढ़ते हैं, तो त्रिदेव का सुखद संयोग सबके समक्ष उपस्थित हो जाता है।
हलाहल विष के प्रभाव को कम करने के लिए ही शीतल चंद्रमा को उन्होंने अपने मस्तक पर धारण किया है। हमें यह समझना होगा कि शिव हमारे शरीरों की तरह शरीर धारण करने वाले हैं भी और नहीं भी। वे सभी जीवों के देह में सूक्ष्म रुप से, आत्म स्वरूप में वास करते हैं। वे ही पूरी सृष्टि का प्रतिनिधित्व करते हैं। सब जगह सब तत्व उनमें ही समाहित दिखाई देते हैं। इसीलिए शिव देवों के देव महादेव हैं।
जीवन यात्रा सत्य स्वरूप तक पहुँचने की यात्रा है। जो हमें प्रेम, अनुशासन, सृष्टि को चलायमान रखने के लिए लोभ, मोह, क्रोध को छोड़कर वैराग्य धारण करते हुए ईश्वरी शक्ति से जुड़ने की प्रेरणा देता है। यह आत्मविश्वास को उत्पन्न करने में करोड़ों लोगों की मदद करने वाला है। कांवड़ यात्रा आत्मा से परमात्मा के योग करने की यात्रा है। यह यात्रा तभी पूर्ण होती है, जब हम शिव तत्व को अपने भीतर महसूस करते हुए उसकी प्रतिध्वनि को शिव के साथ ही ताल से ताल मिला कर महसूस करते हैं।
कांवड़ यात्री शिवालयों में जाकर जलाभिषेक करते हैं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने वाले व्यक्ति को मोक्ष की परम आनंद की प्राप्ति होती है। जीवन के कष्ट दूर होते हैं।मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। घर में धन धान्य की कभी कोई कमी नहीं रहती है।
महर्षि व्यास ने शिव को सबसे महान कहाँ है। उन्हें देवों के देव महादेव कहाँ है। क्योंकि जब कोई निस्वार्थ भाव से महादेव को याद करता है तो देवों के देव महादेव बिना देर किए वरदान देने को तत्पर हो जाते हैं। वे भक्ति से प्रसन्न होते हैं, कौन देवता है, कौन है असुर, वे भेदभाव नहीं करते हैं। सरलता और भोला भालापन उनका स्वरूप है, जो भी भोले भक्त हैं, वह भोले को ख़ूब भाते हैं। शिव, महादेव ही परमपिता परमात्मा कहलाते हैं।
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चार बांस चौबीस गज
अंगुल अष्ट प्रमाण
ता ऊपर सुल्तान है
मत चूके चौहान ।
वीर शिरोमणि - सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जयंती की हार्दिक शुभकामनाए!
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ग्रामीण क्षेत्रों में बांस की खेती पर जोर दे रहे हैं किसान, बन रहा स्थायी आमदनी का जरिया
ग्रामीण क्षेत्रों में बांस की खेती पर जोर दे रहे हैं किसान, बन रहा स्थायी आमदनी का जरिया
बांस की खेती को किसान स्थायी आमदनी का जरिया बना रहे हैं.
Image Credit source: TV9 (फाइल फोटो)
वर्तमान समय में ग्रामीण क्षेत्रों में किसान बांस की खेती कर रहे हैं और यह उनके लिए स्थायी आमदनी का जरिया बन रहा है. सरकार की कोशिशों की मदद भी उन्हें मिल रही है. बंजर जमीन पर बांस उगाकर किसान पारंपरिक फसलों के साथ बांस का उत्पादन कर रहे हैं और खुद को आर्थिक तौर पर सशक्त कर रहे हैं.
आज के समय में किसान…
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