प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए स्पेन में बैठने का अधिकार
प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए स्पेन में बैठने का अधिकार
एक्सप्रेस न्यूज सर्विस
पुराने बार्सिलोना में गोथिक क्वार्टरों की भूलभुलैया वाली सड़कों से गुजरते हुए – कैफे में परिवर्तित इमारतों और फर्न और फूलों से भरी बालकनियों से घिरे हुए – पर्यटकों के एक समूह के सामने आता है, जो अपनी पैंट के नीचे एक आदमी पुतले को देखकर दिल खोलकर हंसता है। केवल पूपिंग। में एक दुकान पर हैं बैरी गॉटिकजो स्मृति चिन्ह बेचता है जो समान रूप से विचित्र और प्रफुल्लित करने वाले हैं –…
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कोचिंग सेंटर में सीट पर बैठने के विवाद में एक छात्र ने दूसरे छात्र को मारी गोली, घायल की हालत चिंताजनक
कोचिंग सेंटर में सीट पर बैठने के विवाद में एक छात्र ने दूसरे छात्र को मारी गोली, घायल की हालत चिंताजनक
नवादा। नगर के नवीन नगर के एक कोचिंग सेंटर में सीट पर बैठने के विवाद में एक छात्र ने एक अन्य छात्र को गोली मार दी। गोली लगने के बाद घायल छात्र को चिंताजनक हालत में सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से बेहतर इलाज के लिए विम्स पावापुरी रेफर किया गया है। वही एक अन्य छात्र को मारपीट कर जख्मी कर दिया गया। दोनों घायलों को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां गोली लगने से जख्मी छात्र को बेहतर इलाज…
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कारा/कृपाण पहनने वाले सिखों को 1 घंटे पहले पहुंचने पर DSSSB परीक्षा देने की अनुमति दी जाएगी: दिल्ली HC
कारा/कृपाण पहनने वाले सिखों को 1 घंटे पहले पहुंचने पर DSSSB परीक्षा देने की अनुमति दी जाएगी: दिल्ली HC
द्वारा पीटीआई
नई दिल्ली: दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (DSSSB) ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि उसने सिख उम्मीदवारों को धातु कारा (चूड़ी) या कृपाण (डैगर) के साथ परीक्षा में बैठने की अनुमति देने का फैसला किया है, बशर्ते कि वे कम से कम एक केंद्र पर पहुंचें। रिपोर्टिंग समय से एक घंटे पहले।
डीएसएसएसबी के वकील की दलीलों को ध्यान में रखते हुए, मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और…
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उन दोस्तों के लिए जिन्होंने कभी वादे किए थे बिछड़ने से पहले कि हम हर रोज बात करेंगे, साथ रहेंगे, बाकी सबकी तरह नहीं जो सिर्फ एक दूसरे का हाल पूछते हैं, हम हमेशा सच्चे वाले दोस्त रहेंगे ।
आज दोस्त की याद बहुत आ रही है, वो सब छोटे-छोटे लम्हें जो गुज़रे थे साथ में, सब जैसे खुली किताब के पन्नों की तरह मुझे वापस याद आ रहे हैं। एक बार फिर काश मुझे बुला लो उस क्लास में एक बार फिर बैठने दो अपने साथ,
काश, ये जिंदगी ऐसी ना होती,
काश ऐ जिंदगी तू मुझे ऐसे परेशान ना करती ,
काश तू मुझे ऐसे हताश ना करती ।
"किसी शाम मुझे भी याद कर लिया करो, मैं दोस्त पुराना हूँ मगर ज़िंदा हूँ । "
-अहमद फ़राज़
"तुमने कहा था हर शाम तेरा हाल पूछेंगे, तुम बदल गए हो क्या या तुम्हारे शहर में शाम ही नहीं होती ?"
-परवीन शाकिर
missing school so bad. Just take me back once more. Once more.
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क्या हठयोग अथवा व्रत आदि शास्त्र अनुकूल साधना है?
गीता अध्याय 6 श्लोक 16
न, अति, अश्नतः, तु, योगः, अस्ति, न, च, एकान्तम्, अनश्नतः,
न, च, अति, स्वप्नशीलस्य, जाग्रतः, न, एव, च, अर्जुन।।
भावार्थ : हे अर्जुन! उस पूर्ण परमात्मा को प्राप्त करने वाली भक्ति न तो एकान्त स्थान पर विशेष आसन या मुद्रा में बैठने से तथा न ही अत्यधिक खाने वाले की और न बिल्कुल न खाने वाले अर्थात् व्रत रखने वाले की तथा न ही बहुत सोने वाले की तथा न ही हठ करके अधिक जागने वाले की सिद्ध होती है। जिससे स्पष्ट है कि व्रत, उपवास रखना गीता विरुद्ध क्रिया है
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अक्सर सोचती हूँ यूँ ही चलते चलते ज़िन्दगी जिस मुकाम पर ले चलेगी?
अक्सर पूछना चाहती हूँ ज़िन्दगी से ये उलझन भरे फैसले,.ये वक़्त की कश्मकश, ये होठों की ख़ामोशी, ये कुछ उधेड़बुन के ख्यालों से बचने के तरीके आखिर कहां तक ले जायेंगे ?
ये सपने जो रोज़ देखती हूँ क्या ये कभी सच हो पाएंगे?
सपने तो हम अक्सर देखते हैं पर उन तक पहुँचने के ज़रिये नहीं देख पाते |
वक़्त के साथ रास्ते तो ढूंढ लिए पर वो राश्ता आखिर कौनसा मोड़ लेकर सपनों तक पहुँचते हैं ये जरिया नहीं ढूंढ पायी|
मंजिल शायद बहुत दूर नहीं पर थककर बैठने का अक्सर मन करता है वहीँ मष्तिष्क चलते रहने के रिश्ते खोज लेता है|
अक्सर मन सवाल करता है कि क्या मैं सही हूँ पर यह सोचकर कि इन सवालों ने अक्सर रास्ते रोके हैं तो फिर मन खुद को रोक करता है.
अक्सर ऐसे पेहेर में फसे रहते हैं जहां न नाराज़गी जता सकते हैं, न सवाल पूछ सकते हैं, न हस् सकते हैं न रो केवल एक चलते रहने की जूझ लगी रहती है|
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कैसे अजामेल मृत होने के बाद फिर से जिवित हों गया!!
वैश्या मैनका के पास जाने लगा। दोनों को नगर से निकाल दिया गया। दोनों लगभग 40-45 वर्ष की आयु के हो गए थे। संतान कोई नहीं थी। परमेश्वर कबीर जी कहते हैं, गरीबदास जी ने बताया है :-
गोता मारूं स्वर्ग में, जा पैठूं पाताल। गरीबदास ढूंढ़त फिरूं, हीरे मानिक लाल।।
कबीर, भक्ति बीज विनशै नहीं, आय पड़ो सो झोल। जे कंचन बिष्टा पड़े, घटै न ताका मोल।।
भावार्थ :- कबीर परमेश्वर जी ने संत गरीबदास जी को बताया कि मैं अपनी अच्छी आत्माओं को खोजता फिरता हूँ। स्वर्ग, पृथ्वी तथा पाताल लोक में कहीं भी मिले, मैं वहीं पहुँच जाता हूँ। उनको पुनः भक्ति की प्रेरणा करता हूँ। मनुष्य जन्म के भूले उद्देश्य की याद
दिलाकर भक्ति करने को कहता हूँ। वे अच्छी आत्माऐं पूर्व के किसी जन्म में मेरी शरण में आई होती हैं, परंतु पुनः जन्म में कोई संत न मिलने के कारण वे भक्ति न करके या तो धन संग्रह करने में व्यस्त हो जाती हैं या बुराईयों में फँसकर शराब, माँस खाने-पीने में जीवन
नष्ट कर देती हैं या फिर अपराधी बनकर जनता के लिए दुःखदाई बनकर बेमौत मारी जाती हैं। उनको उस दलदल से निकालने के लिए मैं कोई न कोई कारण बनाता हूँ। वे आत्माऐं तत्वज्ञान के अभाव से बुराईयों रूपी कीचड़ में गिर तो जाती हैं, परंतु जैसे कंचन (स्वर्ण) टट्टी में गिर जाए तो उसका मूल्य कम नहीं होता। टट्टी (बिष्टा) से निकालकर साफ कर ले। उसी मोल बिकता है। इसी प्रकार जो जीव मानव शरीर में एक बार मेरी (कबीर परमेश्वर जी की) शरण में किसी जन्म में आ जाता है। प्रथम, द्वितीय या तीनों मंत्रों में से कोई भी प्राप्त कर लेता है। किसी कारण से नाम खंडित हो जाता है, मृत्य हो जाती है तो उसको मैं नहीं छोडूंगा। कलयुग में सब जीव पार होते हैं। यदि कलयुग में भी कोई उपदेशी रह जाता है तो सतयुग, त्रोतायुग, द्वापरयुग में उन्हीं की भक्ति से मैं बिना नाम लिए, बिना धर्म-कर्म किए आपत्ति आने पर अनोखी लीला करके रक्षा करता हूँ। उसको फिर भक्ति पर लगाता हूँ। उनमें परमात्मा में आस्था बनाए रखता हूँ।
एक दिन नारद जी काशी में आए तथा किसी से पूछा कि मुझे अच्छे भक्त का घर बताओ। मैंने रात्रि में रूकना है। मेरा भजन बने, उसको सेवा का लाभ मिले। उस व्यक्ति ने मजाक सूझा और कहा कि आप सामने कच्चे रास्ते जंगल की ओर जाओ। वहाँ एक बहुत अच्छा भक्त रहता है। भक्त तो एकान्त में ही रहते हैं ना। आप कृपा जाओ। लगभग एक मील (आधा कोस) दूर उसकी कुटी है। गर्मी का मौसम था। सूर्य अस्त होने में 1) घंटा शेष था। नारद जी को द्वार पर देखकर मैनका अति प्रसन्न हुई क्योंकि प्रथम बार कोई मनुष्य उनके घर आया था, वह भी ऋषि। पूर्व जन्म के भक्ति-संस्कार अंदर जमा थे, उन पर जैसे बारिश का जल गिर गया हो, ऐसे एकदम अंकुरित हो गए। मैनका ने ऋषि जी का अत्यधिक सत्कार किया। कहा कि न जाने कौन-से जन्म के शुभ कर्म आगे आए हैं जो हम पापियों के घर भगवान स्वरूप ऋषि जी आए हैं। ऋषि जी के बैठने के लिए एक वृक्ष के नीचे चटाई बिछा दी। उसके ऊपर मृगछाला बिछाकर बैठने को कहा। नारद जी को पूर्ण विश्वास हो गया कि वास्तव में ये पक्के भक्त हैं। बहुत अच्छा समय बीतेगा। कुछ देर में अजामेल आया और जो तीतर-खरगोश मारकर लाया था, वह लाठी में टाँगकर आँगन में प्रवेश हुआ। अपनी पत्नी से कहा कि ले रसोई तैयार कर। सामने ऋषि जी को बैठे देखकर दण्डवत् प्रणाम किया और अपने भाग्य को सराहने लगा। कहा कि ऋषि जी! मैं स्नान करके आता हूँ, तब आपके चरण चम्पी करूँगा। यह कहकर अजामेल निकट के तालाब पर चला गया।
नारद जी ने मैनका से पूछा कि देवी! यह कौन है? उत्तर मिला कि यह मेरा पति अजामेल है। नारद जी को विश्वास नहीं हो रहा था कि यह क्या चक्रव्यूह है? विचार तो भक्तों से भी ऊपर, परंतु कर्म कैसे? नारद जी ने कहा कि देवी! सच-सच बता, माजरा क्या है? शहर में मैंने पूछा था कि किसी अच्छे भक्त का घर बताओ तो आपका एकांत स्थान वाला घर बताया था। आपके व्यवहार से मुझे पूर्ण संतोष हुआ कि सच में भक्तों के घर आ गया हूँ।
यह माँसाहारी आपका पति है तो आप भी माँसाहारी हैं। मेरे साथ मजाक हुआ है। ऋषि नारद उठकर चलने लगा। मैनका ने चरण पकड़ लिये। तब तक अजामेल भी आ गया। अजामेल भी समझ गया कि ऋषि जी गलती से आये हैं। अब जा रहे हैं। पूर्व के भक्ति संस्कार के कारण ऋषि जी के दोनों ने चरण पकड़ लिए और कहा कि हमारे घर से ऋषि भूखा जाएगा तो हमारा नरक में वास होगा। ऋषि जी! आपको हमें मारकर हमारे शव के ऊपर पैर रखकर जाना होगा। नारद जी ने कहा कि आप तो अपराधी हैं। तुम्हारा दर्शन भी अशुभ है।
अजामेल ने कहा कि हे स्वामी जी! आप तो पतितों का उद्धार करने वाले हो। हम पतितों का उद्धार करें। हमें कुछ ज्ञान सुनाओ। हम आपको कुछ खाए बिना नहीं जाने देंगे। नारद जी ने सोचा कि कहीं ये मलेच्छ यहीं काम-तमाम न कर दें यानि मार न दें, ये तो बेरहम होते हैं, बड़ी संकट में जान आई। कुछ विचार करके नारद जी ने कहा कि यदि कुछ खिलाना चाहते हो तो प्रतिज्ञा लो कि कभी जीव हिंसा नहीं करेंगे। माँस-शराब का सेवन नहीं करेंगे। दोनों ने एक सुर में हाँ कर दी। सौगंद है गुरूदेव! कभी जीव हिंसा नहीं करेंगे, कभी शराब-माँस का सेवन नहीं करेंगे। नारद जी ने कहा कि पहले यह माँस दूर डालकर आओ और शाकाहारी भोजन पकाओ। तुरंत अजामेल ने वह माँस दूर जंगल में डाला। मैनका ने कुटी की सफाई की। फिर पानी छिड़का। चूल्हा लीपा। अजामेल बोला कि मैं शहर से आटा लाता हूँ। मैनका तुम सब्जी बनाओ। नारद जी की जान में जान आई। भोजन खाया। गर्मी का मौसम था। एक वृक्ष के नीचे नारद जी की चटाई बिछा दी। स्वयं दोनों बारी-बारी सारी रात पंखे से हवा चलाते रहे। नारद जी बैठकर भजन करने लगे। फिर कुछ देर निकली, तब देखा कि दोनों अडिग सेवा कर रहे हैं। नारद जी ने कहा क�� आप दोनों भक्ति करो।
राम का नाम जाप करो। दोनों ने कहा कि ऋषि जी! भक्ति नहीं कर सकते। रूचि ही नहीं बनती। और सेवा बताओ।
परमेश्वर कबीर जी ने कहा है कि :-
कबीर, पिछले पाप से, हरि चर्चा ना सुहावै। कै ऊँघै कै उठ चलै, कै औरे बात चलावै।।
तुलसी, पिछले पाप से, हरि चर्चा ना भावै। जैसे ज्वर के वेग से, भूख विदा हो जावै।।
भावार्थ :- जैसे ज्वर यानि बुखार के कारण रोगी को भूख नहीं लगती। वैसे ही पापों के प्रभाव से व्यक्ति को परमात्मा की चर्चा में रूचि नहीं होती। या तो सत्संग में ऊँघने लगेगा या कोई अन्य चर्चा करने लगेगा। उसको श्रोता बोलने से मना करेगा तो उठकर चला जाएगा।
यही दशा अजामेल तथा मैनका की थी। नारद जी ने कहा कि हे अजामेल! एक आज्ञा का पालन अवश्य करना। आपकी पत्नी को लड़का उत्पन्न होगा। उसका नाम ‘नारायण’ रखना। ऋषि जी चले गए। अजामेल को पुत्र प्राप्त हुआ। उसका नाम नारायण रखा। इकलौते पुत्र में अत्यधिक मोह हो गया। जरा भी इधर-उधर हो जाए तो अजामेल अरे नारायण आजा बेटा करने लगा। ऋषि जी का उद्देश्य था कि यह कर्महीन दंपति इसी बहाने परमात्मा को याद कर लेगा तो कल्याण हो जाएगा। नारद जी ने कहा था कि अंत समय में यदि यम के दूत जीव को लेने आ जाऐं तो नारायण कहने से छोड़कर चले जाते हैं।
भगवान के दूत आकर ले जाते हैं। एक दिन अचानक अजामेल की मृत्यु हो गई। यम के दूत आ गए। उनको देखकर कहा कि कहाँ गया नारायण बेटा, आजा।
{पौराणिक लोग कहते हैं कि ऐसा कहते ही भगवान विष्णु के दूत आए और यमदूतों से कहा कि इसकी आत्मा को हम लेकर जाऐंगे। इसने नारायण को पुकारा है। यमदूतों ने कहा कि धर्मराज का हमारे को आदेश है पेश करने का। इसी बात पर दोनों का युद्ध हुआ। भगवान के दूत अजामेल को ले गए।}
वास्तव में यमदूत धर्मराज के पास लेकर गए। धर्मराज ने अजामेल का खाता खोला तो उसकी चार वर्ष की आयु शेष थी। फिर देखा कि इसी काशी शहर में दूसरा अजामेल है। उसके पिता का अन्य नाम है। उसको लाना था। उसे लाओ। इसको तुरंत छोड़कर आओ।
अजामेल की मृत्यु के पश्चात् उसकी पत्नी रो-रोकर विलाप कर रही थी। विचार कर रही थी कि अब इस जंगल में कैसे रह पाऊँगी। बच्चे का पालन कैसे करूंगी? यह क्या बनी भगवान? वह रोती-रोती लकडि़याँ इकट्ठी कर रही थी। कुटी के पास में शव को खींचकर ले गई। इतने में अजामेल उठकर बैठ गया। कुछ देर तो शरीर ने कार्य ही नहीं किया।
कुछ समय के बाद अपनी पत्नी से कहा कि यह क्या कर रही हो? पत्नी की खुशी का ठिकाना नहीं था। कहा कि आपकी मृत्यु हो गई थी। अजामेल ने बताया कि यम के दूत मुझे धर्मराज के पास लेकर गए। मेरा खाता देखा तो मेरी चार वर्ष आयु शेष थी। मुझे छोड़ दिया और काशी शहर से एक अन्य अजामेल को लेकर जाऐंगे, उसकी मृत्यु होगी। अगले दिन अजामेल शहर गया तो अजामेल के शव को शमशान घाट ले जा रहे थे, तुरंत वापिस आया। अपनी पत्नी से बताया कि वह अजामेल मर गया है, उसका अंतिम संस्कार करने जा रहे हैं। अब अजामेल को भय हुआ कि भक्ति नहीं की तो ऊपर बुरी तरह पिटाई हो रही थी, नरक में हाहाकार मचा था। नारद जी आए तो अजामेल ने कहा कि गुरू जी! मेरे साथ ऐसा हुआ। मेरी आयु चार वर्ष की बताई थी। एक वर्ष कम हो चुका है। बच्चा छोटा है, मेरी आयु बढ़ा दो। नारद जी ने कहा कि नारायण-नारायण जपने से किसी की आयु नहीं बढ़ती। जो समय धर्मराज ने लिखा है, उससे एक श्वांस भी घट-बढ़ नहीं सकता।
कथा सुनाई...........
शेष अगले भाग में.......
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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Are you suffring from Back pain
क्या आप पीठ के दर्द से पीड़ित हैं ?
क्या आपका पीठ दर्द आपके काम में अर्चन डाल रहा है ?
क्या आपका पीठ दर्द आपको सोने नहीं दे रहा है ?
जैसे की चोट लगने, भारी वजन उठाने, खराब ढंग से बैठने या देर तक बेड पर लेटे रहने से पीठ में दर्द रहना बहुत आम बात है।
इन सारी परेशानियॉं से राहत और छुटकारा पाने के लिए संपर्क करें :-
डॉ. हर्षित गोयनका
साइटिका और स्लिप डिस्क स्पेशलिस्ट
Contact Us :- 9111911811
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