प्राणी की जाति जीव है क्योंकि मानव, देवता तथा अन्य पशु-पक्षी सब जंतु जीव हैं।
यह हमारी जाति है। मानव श्रेणी के जीव होने के नाते मानवता हमारा धर्म है यानि परमात्मा ने मानव को समझ दी है। उसको शुभ कर्म करने चाहिए। पशुओं-पक्षियों की तरह एक-दूसरे से छीनकर, दुर्बल को मारकर अपना स्वार्थ सिद्ध नहीं करना चाहिए। एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए। यह हमारा धर्म है। जितने धर्म विश्व में हैं, सबमें मानव हैं। किसी में भी अन्य प्राणी नहीं हैं। इसलिए हम सबको मानव धर्म का पालन करना चाहिए। एक परम पिता की हम सब संतान हैं।
इस उद्धरण का नतीजा यह है कि संत रामपाल जी व उनके करोड़ों अनुयायी किसी प्रकार का किसी के साथ जातीय या धार्मिक भेदभाव नहीं करते। इससे समाज में प्रेम और भाईचारा बढ़ रहा है।
प्राणी की जाति जीव है क्योंकि मानव, देवता तथा अन्य पशु-पक्षी सब जंतु जीव हैं।
यह हमारी जाति है। मानव श्रेणी के जीव होने के नाते मानवता हमारा धर्म है यानि परमात्मा ने मानव को समझ दी है। उसको शुभ कर्म करने चाहिए। पशुओं-पक्षियों की तरह एक-दूसरे से छीनकर, दुर्बल को मारकर अपना स्वार्थ सिद्ध नहीं करना चाहिए। एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए। यह हमारा धर्म है। जितने धर्म विश्व में हैं, सबमें मानव हैं। किसी में भी अन्य प्राणी नहीं हैं। इसलिए हम सबको मानव धर्म का पालन करना चाहिए। एक परम पिता हम सब संतान हैं।
आज पूरे विश्व में जिस कार्य को करने के 6लिए सरकारें अरबों-खरबों रुपये खर्च करके भी नहीं कर पा रही हैं, उसी कार्य को संत रामपाल जी महाराज जी ने सहज रूप से अपने आध्यात्मिक ज्ञान से करके दिखाया है। समाज में फैली बुराइयों जैसे दहेज प्रथा, मृत्यु भोज, पाखंड पूजा, अंधविश्वास, नशा, व्याभिचार, रिश्वतखोरी,
भ्रष्टाचार, भ्रूण हत्या, जातिवाद, धार्मिक भेदभाव आदि हमारे दु:ख को जड़ से खत्म करके संत रामपाल जी महाराज एक स्वच्छ समाज का निर्माण कर रहे हैं। जिससे मानव समाज सुखी होगा!
2🌀मदिरा पीवै कड़वा पानी! सत्तर जन्म श्वान के जानी!!
भांग तम्बाकू छोतरा, आफु और शराब!
गरीबदास कौन करे, ये तो पाँचों करें खराब!!
अमल आहारी आत्मा, कबहु न उतरे पार!!
संत रामपाल जी महाराज के शिष्य भांग, तम्बाकू, शराब आदि किसी भी तरह के नशे को किसी को लाकर देना तो दूर रहा उसे हाथ तक नहीं लगाते? इस तरह संत रामपाल जी महाराज ने नशे की लत से लाखों उजड़े परिवारों को मात्र ज्ञान आधार से एक बार पुनः नशा मुक्त कर उन्हें सुखी बनाया है!
3🌀धार्मिक भेदभाव से आज़ादी
संत रामपाल जी कहते हैं:
कबीर वाणी'
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
हिंदू-मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई, आपस में सब भाई-भाई।
आर्य-जैनी और बिश्नोई, एक प्रभू के बच्चे सोई।।
इसी कारण संत रामपाल जी व उनके करोड़ों अनुयायी किसी प्रकार का किसी के साथ जातीय या धार्मिक भेदभाव नहीं करते! इससे समाज में प्रेम और भाईचारा बढ़ रहा है!
इस उद्धरण का नतीजा यह है कि संत रामपाल जी व उनके करोड़ों अनुयायी किसी प्रकार का किसी के साथ जातीय या धार्मिक भेदभाव नहीं करते। इससे समाज में प्रेम और भाईचारा बढ़ रहा है।
इस उद्धरण का नतीजा यह है कि संत रामपाल जी व उनके करोड़ों अनुयायी किसी प्रकार का किसी के साथ जातीय या धार्मिक भेदभाव नहीं करते। इससे समाज में प्रेम और भाईचारा बढ़ रहा है।
इस उद्धरण का नतीजा यह है कि संत रामपाल जी व उनके करोड़ों अनुयायी किसी प्रकार का किसी के साथ जातीय या धार्मिक भेदभाव नहीं करते। इससे समाज में प्रेम और भाईचारा बढ़ रहा है।
इस उद्धरण का नतीजा यह है कि संत रामपाल जी व उनके करोड़ों अनुयायी किसी प्रकार का किसी के साथ जातीय या धार्मिक भेदभाव नहीं करते। इससे समाज में प्रेम और भाईचारा बढ़ रहा है।
Satsang Ishwar TV | 02-09-2024 | Episode: 2499 | Sant Rampal Ji Maharaj ...
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धार्मिक भेदभाव से आज़ादी
संत रामपाल जी कहते हैं:
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
हिंदू-मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई, आपस में सब भाई-भाई।
आर्य-जैनी और बिश्नोई, एक प्रभू के बच्चे सोई।।
इस उद्धरण का नतीजा यह है कि संत रामपाल जी व उनके करोड़ों अनुयायी किसी प्रकार का किसी के साथ जातीय या धार्मिक भेदभाव नहीं करते। इससे समाज में प्रेम और भाईचारा बढ़ रहा है।
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प्राणी की जाति जीव है क्योंकि मानव, देवता तथा अन्य पशु-पक्षी सब जंतु जीव हैं।
यह हमारी जाति है। मानव श्रेणी के जीव होने के नाते मानवता हमारा धर्म है यानि परमात्मा ने मानव को समझ दी है। उसको शुभ कर्म करने चाहिए। पशुओं-पक्षियों की तरह एक-दूसरे से छीनकर, दुर्बल को मारकर अपना स्वार्थ सिद्ध नहीं करना चाहिए। एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए। यह हमारा धर्म है। जितने धर्म विश्व में हैं, सबमें मानव हैं। किसी में भी अन्य प्राणी नहीं हैं। इसलिए हम सबको मानव धर्म का पालन करना चाहिए। एक परम पिता की हम सब संतान हैं।
प्राणी की जाति जीव है क्योंकि मानव, देवता तथा अन्य पशु-पक्षी सब जंतु जीव हैं।
यह हमारी जाति है। मानव श्रेणी के जीव होने के नाते मानवता हमारा धर्म है यानि परमात्मा ने मानव को समझ दी है। उसको शुभ कर्म करने चाहिए। पशुओं-पक्षियों की तरह एक-दूसरे से छीनकर, दुर्बल को मारकर अपना स्वार्थ सिद्ध नहीं करना चाहिए। एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए। यह हमारा धर्म है। जितने धर्म विश्व में हैं, सबमें मानव हैं। किसी में भी अन्य प्राणी नहीं हैं। इसलिए हम सबको मानव धर्म का पालन करना चाहिए। एक परम पिता की हम सब संतान हैं।🌺
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