सिव पद कमल जिन्हहि रति नाहीं। रामहि ते सपनेहुँ न सोहाहीं
बिनु छल बिस्वनाथ पद नेहू राम भगत कर लच्छन एहू
शिव के चरण कमलों में जिनकी प्रीति नहीं है, वे राम को स्वप्न में भी अच्छे नहीं लगते विश्वनाथ शिव के चरणों में निष्कपट (विशुद्ध) प्रेम होना यही रामभक्त का लक्षण है
पनु करि रघुपति भगति देखाई। को सिव सम रामहि प्रिय भाई
शिव के समान रघुनाथ (की भक्ति) का व्रत धारण करने वाला कौन है? जिन्होंने बिना ही पाप के सती जैसी स्त्री को त्याग दिया और प्रतिज्ञा करके रघुनाथ की भक्ति को दिखा दिया। हे भाई! राम को शिव के समान और कौन प्यारा है?
रामभक्त हनुमान जयंती इस बार 23 अप्रैल, मंगलवार के दिन है। इस दिन चित्रा नक्षत्र भी पड़़ रहा है। लोकवेद के अनुसार हनुमान जी को संकट मोचन भी कहते हैं क्योंकि बजरंगबली अपने भक्तों के संकटों को हर लेते हैं। परंतु शास्त्रों के अनुरूप हनुमान जी को पूर्ण परमात्मा अयोध्या त्यागने के बाद मिले थे। जानिए कौन है वे पूर्ण परमात्मा: bit.ly/3EfMgKa
हम सभी जानना चाहते है कि महावीर बजरंगबली यानी हनुमान जी का जन्म भारत में कहां हुआ था.....
आइये सबसे पहले आपको बताते है कि महाबली हनुमान कौन है और इनके माता-पिता कौन है..?
हनुमान जी को वीरता, शक्ति, स्वामीभक्ति और निस्वार्थ सेवा के लिए जाना जाता है। महाकाव्य तुलसी रामायण के वर्णन में हनुमान जी को भगवान रामजी का सबसे बड़ा और परम भक्त बताया गया है। और कहा जाता है कि इनकी रोजाना पूजा करने से मनोवांछित वरदान की प्राप्ति होती है। पुराणों के अनुसार हनुमान जी को भगवान शिवजी का 11वां अवतार माना गया है। हनुमान जी के माता का नाम अंजना है इसलिए उन्हे आंजनेय के नाम से भी जाना जाता है। और पिता का नाम केसरी है इसलिए महावीर को केसरीनंदन के नाम से भी जाना जाता है।
अब आप सबके मन में सवाल उठ रहा होगा कि जन्म स्थान कहां है?.. तो आइये हम आपको बताते है......
हनुमानजी के जन्मस्थान को लेकर कई सारे अलग-अलग मतभेद है हमारी रिसर्च और पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक चार ऐसी जगह है जहां हनुमानजी के जन्मस्थल होने का प्रामाण देती है।
पहला जन्मस्थान कुछ शास्त्रों के वर्णन के अनुसार हरियाणा राज्य के कैथल जिले में हुआ। यह पहले करनाल जिले का भाग था। यह कैथल ही पहले कपिस्थल था क्योंकि केसरीजी यानी हनुमान जी के पिता को कपिराज कहा जाता था, क्योंकि वे वानरों की कपि नाम की जाति से थे ।
दूसरे जन्मस्थान में ऐसा माना जाता है कि गुजरात में स्थित डांग जिला में हुआ रामायण के समय यह स्थान दंडकारन्य प्रदेश के रुप में जाना जाता था। मान्यता के अनुसार यह कहा जाता है कि यहीं भगवान राम और लक्ष्मण आये थे और शबरी ने बेर खिलाये थे। वर्तमान में यह स्थल शबरीधाम के नाम से जाना जाता है। डांग जिले के अंजनी पर्वत में एक गुफ़ा है और वहां के आदिवासियों का दावा है कि इसी गुफ़ा में ही हनुमानजी का जन्म हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि माता अजंनी ने इसी पर्वत पर घोर तपस्या की थी और इसी तपस्या के फलस्वरुप उन्हे पुत्ररत्न यानी हनुमान जी की प्राप्ति हुई थी।
तीसरे जन्मस्थान में धार्मिक मान्यताओं के दावों के अनुसार हनुमान जी का जन्म झारखंड राज्य के गुमला जिले में स्थित आंजन गांव में हुआ। मान्यताओं का दावा है कि आंजन गांव में ही माता अजंना रहा करती थी। और इसी गांव में एक पहाड़ी है और इसी पहाड़ी में एक गुफ़ा है और कहा जाता है कि इसीगुफ़ा में रामभक्त हनुमान जी का जन्म हुआ था। इसी दावे और विश्वास के साथ यहां की जनजाति भारी संख्या में भक्ति और श्रद्धा के साथ माता अंजनी और महाबली हनुमान जी की पूजा अर्चना करती है। यहां एक प्रचीन मूर्ती भी है माता अंजनी अपने पुत्र हनुमान को गोद में लिए हुए स्थापित है। वहां के लोगों के कथित बातों के अनुसार अद्भुत मंदिर के पास जब भी बिजली चमकती है तो साक्षात प्रभु श्रीराम नजर आते है।
चौथे जन्मस्थान में अभी तक का सबसे बड़ा दावा यह दावा बड़े-बड़े जानकारों ने किया है। यह दावा महाराष्ट्र के नासिक अंजनेरी पर्वत के लिए किया जाता है कहा जाता है कि इस पर्वत पर हनुमान जी से जुड़े कई सच्ची निशानियां आज भी मौजूद है। जानकारों के मुताबिक इसी पहाड़ी पर स्थित गुफ़ा में माता अजंना ने महादेव की तपस्या कर हनुमान जी को जन्म दिया था।
हनुमान को बजरंगबली, अंजनी पुत्र, पवन पुत्र, रामभक्त जैसे अनेकों नामों से जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मारुती नंदन का नाम हनुमान कैसे पड़ा... पौराणिक कथा के अनुसार हनुमान जी के बचपन का नाम मारुति था।
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हनुमानजी हमेशा इन राशियों पर रखते हैं विशेष कृपा, धन की ���हीं होती कमी, कहीं आपकी राशि तो नहीं है
हिंदू मान्यताओं के अनुसार हनुमानजी आज भी पृथ्वी पर भ्रमण करते हैं। हनुमान जी अष्ट चिरंजीवों में से एक हैं और कलयुग में सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले देवता है। जो व्यक्ति हनुमानजी का आराधना करता है उसकी सारी मनोकामना बहुत जल्द पूर्ण होती है। बजरंगबली की कृपा से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। रामभक्त हनुमान की कृपा से व्यक्ति को हर एक तरह के भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है। ज्योतिष के…
कल #श्री_हनुमान_जन्मोत्सव के शुभ अवसर पर #विश्व_हिन्दू_परिषद् (बजरंग दल) जिला मुखर्जी नगर की तरफ से भव्य शोभा यात्रा में अपने भ्राता के साथ जाकर इस यात्रा का हिस्सा बनें ।
जहांगीर पूरी के हर ब्लॉक से सभी रामभक्त अपने घर से चलकर इस भव्य शोभा यात्रा का हिस्सा बनें और श्री राम की भक्ति में खोकर जय जय जय श्री राम के नारें लगाकर हिन्दू सनातन धर्म का मान बढ़ाया ।
जिसमें हमारे बड़े भाईया @vikramkashyap3579 जी ने सभी श्री रामभक्तों के साथ मिलकर यह यात्रा सम्पन्न की ।
Hanuman Jayanti 2024: हनुमान कोई साधारण बालक नहीं थे। कबीर सागर में वर्णित पूजनीय सर्वशक्तिमान कबीर जी की वाणी कहती है कि हनुमान भगवान शिव के 11 वें रुद्र अवतार थे। साधु रूप धरि शिव बन आये, जहँ अंजनी को मंडप छाये। छलकर बीज सीख तब डारी, ऐसे उपजे देह हमारी। हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि पर रामभक्त हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। राम नवमी के छः दिन बाद हनुमान जयंती मनाई जाती है। इस साल यह 23 अप्रैल, दिन मंगलवार को मनाई जाएगी जिससे इसका महत्व भगवान हनुमान जी को ईष्ट मानकर पूजा करने वालों के लिए और अधिक बढ़ जाएगा। हनुमान जी को संकटमोचन भगवान भी कहा जाता है परंतु वास्तविकता में ख़ुद हनुमान जी को अयोध्या त्यागने के बाद मिले थे संकटमोचन पूर्ण परमात्मा! जानिए कैसे?