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Avatar The Approach of Water: 'अवतार 2' देख अक्षय कुमार का खुला रह गया था मुंह, वरुण धवन बोले- 'फिर से करूंगा...'
Avatar The Approach of Water: ‘अवतार 2’ देख अक्षय कुमार का खुला रह गया था मुंह, वरुण धवन बोले- ‘फिर से करूंगा…’
अवतार पानी का दृष्टिकोण: जेम्स कैमरून की फिल्म ‘अवतार द अप्रोच ऑफ वॉटर’ का इंतजार बस कुछ ही घंटों में खत्म होने वाला है। यह फिल्म शुक्रवार 16 दिसंबर को भारतीय सिनेमा हॉल में दस्तक देने के लिए पूरी तरह से तैयार है। और मंगलवार को मुंबई में सेलेब्स के लिए स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई, जिसमें बॉलीवुड के कई सितारे शामिल हुए. वहीं इस फिल्म को देखने के बाद अक्षय कुमार और वरुण धवन इस बारे में बात कर रहे हैं.…
वरुण धवन ने कहा- वो ओटीटी पर सिर्फ सलमान खान को नहीं देखना चाहते, जानिए एक्टर ने ऐसा क्यों कहा
वरुण धवन ने कहा- वो ओटीटी पर सिर्फ सलमान खान को नहीं देखना चाहते, जानिए एक्टर ने ऐसा क्यों कहा
वरुण धवन एक प्रतिभाशाली और लोकप्रिय बॉलीवुड अभिनेता हैं। सलमान खान वह जल्द ही हॉरर कॉमेडी फिल्म भेदिया में नजर आने वाले हैं। अब हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान वरुण से पूछा गया कि ऐसे कौन से अभिनेता हैं जो कभी ओटीटी पर नहीं आएंगे और कौन से 2 अभिनेता हैं जिन्हें ओटीटी पर आना चाहिए। उस पर वरुण ने कहा कि वह चाहते हैं कि सिद्धार्थ मल्होत्रा और शाहिद कपूर अपना ओटीटी डेब्यू करें। सिद्धार्थ अब रोहित…
स्वामी रामानंद जी विष्णु जी की काल्पनिक मूर्ति बनाकर मानसिक पूजा करते थे। एक समय ठाकुर की मूर्ति पर माला डालनी भूल गए। तब कबीर परमात्मा जो कि 5 वर्ष के बालक की लीला कर रहे थे बोले कि माला की गांठ खोल कर गले में डाल दो स्वामी जी, पूजा खंडित नहीं होगी। तब रामानंद जी जो पर्दे के भीतर मन में पूजा कर रहे थे, कबीर परमात्मा को सबके सामने गले लगा लिया।
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार एवं उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) के संयुक्त तत्वावधान में "धरोहर” कार्यक्रम का आयोजन दिनांक 07 मई, 2023, दिन रविवार, सायं 04:30 बजे से 06:00 बजे तक, स्थान: ऑडिटोरियम, शेरवुड अकैडमी, सेक्टर-25, इंदिरा नगर, लखनऊ में किया जा रहा है l
"धरोहर” कार्यक्रम के अंतर्गत भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित नाटक "काकोरी ट्रेन एक्शन" का मंचन किया जाएगा |
नाटक, काकोरी ट्रेन एक्शन की क्रांतिकारी घटना पर आधारित है । भारत के स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में काकोरी ट्रेन एक्शन एक महत्वपूर्ण घटना है, काकोरी ट्रेन एक्शन के बाद क्रांतिकारियों पर मुकदमा चलाए जाने के दौरान क्रांतिकारियों द्वारा अदालत में दिए गए बयानों से पूरा देश अंग्रेजों के विरुद्ध आक्रोश से उबल पड़ा था तथा इसी एक्शन से क्रांतिकारी आंदोलनों का पुनर्जागरण हुआ व देश में एक नए उत्साह का संचार हुआ और नव युवकों में देश के लिए मर मिटने की भावना जागृत हुई। बात उस समय की है जब गांधी जी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया, 5 फरवरी 1922 को चौरी चौरा गोरखपुर में शांतिपूर्ण जुलूस पर गोली चलाने के कारण नाराज लोगों ने थाने में आग लगा दी थी, जिसमें कई पुलिसकर्मी मारे गए । हिंसा से क्षुब्ध गांधी जी ने अपना आंदोलन वापस ले लिया, इसकी देशभर में व्यापक प्रतिक्रिया हुई, विशेषकर युवाओं की भावनाओं को अत्यधिक ठेस पहुंची और वे क्रांतिकारी आंदोलनों में से जुड़ने के लिए उतावले हो गए। तभी क्रांतिकारी दल हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन हुआ और देखते-देखते तमाम युवा इस दल में शामिल हो गए जिसमें चंद्रशेखर आजाद, मुकुंदी लाल, सुरेश चंद्र भट्टाचार्य, सचिंद्र नाथ बक्शी, राजेन्द्र नाथ लाहड़ी, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, सचिन दा प्रमुख थे। क्रांतिकारी युवा से भली-भांति समझ चुके थे कि अब हमें आजादी शांति के रास्ते पर नहीं मिल सकती , हमें सशस्त्र क्रांति करनी पड़ेगी, जिसके लिए शस्त्रों की आवश्यकता पड़ेगी और शस्त्र खरीदने के लिए धन की आवश्यकता है । इसी कार्य को पूरा करने के लिए क्रांतिकारियों ने एक योजना बनाई । शाहजहांपुर से लखनऊ जाने वाली 8 डाउन पैसेंजर ट्रेन जिसमें की अंग्रेजी सरकार का खजाना जाता था, उसे लूटने की योजना बनाई और उसे 10 क्रांतिकारियों ने बिना किसी हिंसा के अंजाम दे दिया । इससे क्रांतिकारियों के दो प्रमुख उद्देश्य पूरे हुए, शासन को खुली चुनौती और जनता को संदेश, संस्था को मजबूती प्रदान करने हेतु लूटे गए धन से बड़े पैमाने पर आवश���यक वस्तुओं की खरीद।इस घटना से पूरे देश में सनसनी फैल जाना स्वभाविक था शासन ने तो कुछ समय तक हतभ्रम रह गया। अभियुक्त को पकड़ने के लिए रूपये 5000 इनाम की घोषणा की गई, इस घोषणा इस्तिहार टांग दिए गए । परंतु इससे उत्साहित जनता की क्रांतिकारियों के प्रति सहानभूति और गहरी हो गई । 26 सितंबर 1925 की रात को पूरे उत्तर भारत में लोगों के घर छापे डाले गए जिसमें अनेकों क्रांतिकारी पकड़े गए । उनका मुकदमा लखनऊ चला और फैसले में ठाकुर रोशन सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, राजेन्द्र नाथ लाहड़ी व अशफाक उल्ला खां को फांसी की सजा सुनाई गई और अंततः 17 दिसंबर 1927 को क्रांतिवीर राजेंद्र नाथ लाहडी को गोंडा जेल में तथा 19 दिसंबर 1927 को शेष तीनों क्रांतिकारी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल अशफाक उल्ला खान एवं ठाकुर रोशन सिंह को क्रमशः गोरखपुर जिला जेल, फैजाबाद जिला जेल व इलाहाबाद जिला जेल में बड़ी दिलेरी के साथ हंसते-हंसते फांसी का वरण कर क्रांति इतिहास में सदा-सदा के अमर हो गए, और इस घटना के बाद से पूरे देश में क्रांतिकारी घटनाओं ने जोर पकड़ लिया ।
आप "धरोहर” कार्यक्रम में सपरिवार सादर आमंत्रित है |
या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ॥
यह देवी पार्वती का विवाहित रूप है। माता अपने माथे पर अर्ध-गोलाकार चंद्रमा धारण किए हुए हैं। उनके माथे पर यह अर्ध चाँद घंटा के समान प्रतीत होता है, अतः माता के इस रूप को माता चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है।
तिथि: अश्विन शुक्ल तृतीया
सवारी: बाघिन
अत्र-शस्त्र: दस हाथ - त्रिशूल, गदा, तलवार और कमंडल तथा वरण मुद्रा। कमल का फूल, तीर, धनुष और जप माला तथा पांचवें अभय मुद्रा में।
मुद्रा: शांतिपूर्ण और अपने भक्तों के कल्याण हेतु।
ग्रह: शुक्र
शुभ रंग: लाल
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स्वामी रामानंद जी विष्णु जी की काल्पनिक मूर्ति बनाकर मानसिक पूजा करते थे। एक समय ठाकुर की मूर्ति पर माला डालनी भूल गए। तब कबीर परमात्मा जो कि 5 वर्ष के बालक की लीला कर रहे थे बोले कि माला की गांठ खोल कर गले में डाल दो स्वामी जी, पूजा खंडित नहीं होगी। तब रामानंद जी जो पर्दे के भीतर मन में पूजा कर रहे थे, कबीर परमात्मा को सबके सामने गले लगा लिया।
भेड़िया अवलोकन, अश्विनी कुमार: वरुण धवन और कृति सेनन ने फिल्म भेदिया में कांड किया है। वहीं इस फिल्म को देखने से पहले इसका रिव्यू पढ़ना जरूरी है।
1- जंगल को बचाना होगा।
2- नॉर्थ ईस्ट के लोगों के साथ भेदभाव खत्म करना होगा।
3- लोगों और जानवरों के बीच संबंध को स्पष्ट करने के लिए।
4- लोगों की कहानियों और जंगल की मान्यताओं को परिभाषित किया जाना चाहिए।
5- वर्ल्ड क्लास वीएफएक्स को साबित करने की जरूरत…
jamshedpur rural bjp- पूर्व सीएम चंपाई सोरेन और सांसद विद्युत वरण महतो ने शहीद साबुआ हांसदा को दी श्रद्धांजलि, परिजनों से मिले, और भी सुविधा उपलब्ध कराने का दिया आश्वासन, देखिए video
चाकुलिया: जंगल बचाओ अभियान के नायक शहीद साबुआ हांसदा के शहादत दिवस पर गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और सांसद विद्युत वरण महतो अपने हजारों समर्थकों के साथ धालभूमगढ़ से बाइक रैली के चाकुलिया प्रखंड के जामुआ पंचायत के बामनडीह गांव पहुंचकर शहीद साबुआ हांसदा की स्मारक स्थल पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. इसके पूर्व उन्होंने नयाग्राम चौक और केरूकोचा चौक पर स्थापित शहीद की मूर्ति पर…
गेलेत हो ते दिवसआलोय मी कुठे ।परत नाही येणारदिवस तेच इथे ।
हसणे रडणे खेळणेदिवसभर भटकणे ।मोठा मी झालो नादिवस होते ते जुने ।
आईचा तो मारबाबांचा होता धाक ।भ्यायचो ना कितीऐकताच ती हाक ।
शाळा असो वा घरमस्ती करायची खूप ।वरण भातावर वाढेआईच जास्त तूप ।
हवे ते मिळायचेचिंता नव्हती कशाची ।बाबाही किती झटायचेनसे काळजी खिशाची ।
पावसात मस्त भिजायचोउन्हा तान्हात खेळायचो ।मित्रांसोबत आम्ही तेव्हापेरुही कसे…
एक बार स्वामी रामानंद जी के संशय को दूर करने के लिए उनके आश्रम में सैंकड़ों लोगों के सामने पांच वर्ष की आयु में कबीर परमेश्वर एक ढाई वर्ष के बालक का दूसरा रुप बनाकर चारपाई पर लेट गए। फिर रामानंद जी के सामने ही ढाई वर्ष के बालक वाला शरीर पांच वर्षीय बालक के शरीर में समा गया।
वहां केवल पांच वर्ष के बालक रूप में कबीर परमेश्वर रह गए।
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कबीर परमेश्वर ने स्वामी रामानंद जी को गुरु धारण कर सत्यज्ञान से परिचित कराया जिससे स्वामी रामानंद जी का उद्धार हुआ।
प्रमाण कबीर सागर, अगम निगम बोध पृष्ठ 38,
मेरा नाम कबीरा हूँ जगत गुरू जाहिरा।
तीन लोक में यश है मेरा त्रिकुटी है अस्थाना।
पाँच-तीन हम ही ने किन्हें जातें रचा जिहाना।।
गगन मण्डल में बासा मेरा नौवें कमल प्रमाना।
ब्रह्म बीज हम ही से आया, बनी जो मूर्ति नाना।।
संखो लहर मेहर की उपजें, बाजे अनहद बाजा।
गुप्त भेद वाही को देंगे, शरण हमरी आजा।।
भव बंधन से लेऊँ छुड़ाई, निर्मल करूं शरीरा।
सुर नर मुनि कोई भेद न पावै, पावै संत गंभीरा।। बेद-कतेब में भेद ना पूरा, काल जाल जंजाला।
कह कबीर सुनो गुरू रामानन्द, अमर ज्ञान उजाला।।
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कबीर परमेश्वर जी की अजब लीला
पांच वर्ष की आयु के कबीर परमेश्वर ने रामानंद के ब्राह्मण शिष्य को प्रमाण सहित ज्ञान चर्चा के दौरान बताया कि तीनों देवताओं की जन्म-मृत्यु होती है ।
इस बात पर वाद विवाद हुआ और परमेश्वर कबीर जी को पड़कर रामानंद जी के आश्रम ले जाया गया, जहां परमेश्वर कबीर जी ने काल्पनिक पूजा कर रहे रामानंद जी के मन की बात बता दी। इसके बाद रामानंद जी ने परमेश्वर कबीर जी को गले लगा लिया और दीक्षा लेकर अपना कल्याण करवाया। लेकिन परमात्मा कबीर जी ने रामानंद जी को समाज की नजर में अपना गुरु बना रहने को कहा ताकि आने वाले समय में लोग ये ना कहें की कबीर जी ने कौनसा गुरु बनाया था।
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ऋषि रामानन्द का उद्धार
स्वामी रामानंद जी विष्णु जी की काल्पनिक मूर्ति बनाकर मानसिक पूजा करते थे। एक समय वे ठाकुर जी की मूर्ति पर माला डालना भूल गए। तब कबीर परमात्मा जो कि 5 वर्ष के बालक की लीला कर रहे थे बोले कि माला की गांठ खोल कर गले में डाल दो स्वामी जी, पूजा खंडित नहीं होगी। तब रामानंद जी ने जो पर्दे के भीतर मन में पूजा कर रहे थे, कबीर परमात्मा को सबके सामने गले लगा लिया।
स्वामी रामानंद जी श्री विष्णु जी की मानसिक पूजा करते थे। उस दौरान मूर्ति में माला अटक गई जिसका समाधान भी कबीर परमेश्वर ने स्वामी रामानंद जी को बताया और अपनी समर्थता का परिचय दिया।
बोलत रामानंदजी, हम घर बड़ा सुकाल। गरीबदास पूजा करें, मुकुट फही जदि माल।।
सेवा करौ संभाल करि, सुनि स्वामी सुर ज्ञान। गरीबदास शिर मुकुट धरि माला अटकी जान।।
स्वामी घुडी खोलि करि, फिरि माला गल डार। गरीबदास इस भजन कूं जानत है करतार।।