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#शीतला अष्टमी का महत्व
nisthadhawani · 1 year
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शीतला अष्टमी का महत्त्व , होली के बाद क्यों होती है पूजा
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ragbuveer · 2 years
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15 मार्च 2023 शीतला अष्टमी व्रत कल, जानिए बसौड़ा पूजन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
🚩🔱ॐगं गणपतये नमः🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी व्रत का विशेष महत्व है। ये व्रत सप्तमी तिथि के साथ शुरू हो जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। इसे बसौड़ा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाताहै। इस दिन मां शीतला की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। माना जाता है कि ऐसा करने से रोग-दोष से छुटकारा मिलने के साथ लंबी आयु का वरदान मिलता है। जानिए शीतला अष्टमी की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
मां शीतला का स्वरूप : शास्त्रों के अनुसार, मां शीतला के स्वरुप को कल्याणकारी माना जाता है। माता गर्दभ में विराजमान होती है। जिसके हाथों में झाड़ू, कलश, सूप और नीम की पत्तियां होती है।
शीतला अष्टमी 2023 तिथि और शुभ मुहूर्त
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आरंभ- 15 मार्च को सुबह 12 बजकर 09 मिनट से
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त- 16 मार्च को रात 10 बजकर 04 मिनट पर
शीतला अष्टमी पूजन का उत्तम मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 20 मिनट से शाम 06 बजकर 35 मिनट तक
मां शीतला को लगाएं बासी भोजन का भोग
शास्त्रों के अनुसार, शीतला अष्टमी के साथ मां शीतला को बासी भोजन का भोग लगाने का विधान है। यह भोजन सप्तमी तिथि की शाम को बनाया जाता है। यह भोग चावल-गड़ या फिर चावल और गन्ने के रस से मिलकर बनता है। इसके साथ ही मीठी रोटी का भोग बनता है।
शीतला अष्टमी 2023 पूजा विधि
शीतला अष्टमी के एक दिन पहले यानी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को स्नान आदि करने के बाद किचन को साफ कर लें। जिससे कि मां शीतला के लिए भोग शुद्धता के साथ बना सके। इसके बाद प्रेम, श्रद्धा के साथ मीठी रोटी और मीठे चावल बना लें।
अष्टमी के दिन सूर्योदय में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साथ-सूथरे वस्त्र धारण कर लें। अब मां शीतला का ध्यान करके हुए व्रत का संकल्प लें। संकल्प लेने के लिए मां शीतला के सामने बैठकर हाथों में फूल, अक्षत और एक सिक्का लेकर इस मंभ को बोलते हुए संकल्प लें।
मंत्र
श्मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्येश्'।
अब सभी चीजों मां को समर्पित कर दें। इसके बाद मां शीतला को फूल, माला, सिंदूर, सोलह श्रृंगार आदि अर्पित करने के साथ बासी भोजन का भोग लगाएं। इसके बाद जल अर्पित करें। फिर घी का दीपक और धूप जलाकर शीतला स्त्रोत का पाठ करें। विधिवत पूजा करने के बाद आरती कर लें और अंत में भूल चूक के लिए माफी मांग लें। रात को दीपमालाएं और जगराता करें। इसके साथ ही बासी भोजन को प्रसाद के रूप ग्रहण कर लें।
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ruman123blog · 3 years
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शीतला अष्टमी 2021: शीतला अष्टमी व्रत कल, उपवास और पूजा विधि का महत्व जानें
शीतला अष्टमी 2021: शीतला अष्टमी व्रत कल, उपवास और पूजा विधि का महत्व जानें
शीतला अष्टमी 2021: शीतला और शक्ति की देवी मां शीतला को समर्पित शीतला अष्टमी व्रत कल 4 मई 2021 को मनाया जाएगा। मान्यता कहा जाता है कि इस दिन पूजा करने और व्रत रखने से मां शीतला प्रसन्न होती हैं। माता शीतला का उपवास शरीर को स्वस्थ बनाता है। त्वचा संबंधी मां शीतला भक्तों को बीमारियों और चेचक जैसी बीमारियों से बचाती हैं। भक्तों को कई प्रकार के दुख हैं जो सच्चे दिल से माता शीतला की पूजा करते हैं। इससे…
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everynewsnow · 3 years
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शीतला अष्टमी 2021: जानें इस दिन का महत्व, पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि
शीतला अष्टमी 2021: जानें इस दिन का महत्व, पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। होली के आठवें दिन उत्तर भारत के अधिकांश घरों में शीतला अष्टमी मनाई जाती है। इस त्योहार को बुढ़ा बसोरा या लसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन घर में ताजा खाना बनाना वर्जित माना जाता है। शीतलाष्टमी जो इस बार 04 अप्रैल 2021, रविवार को पड़ रही है। यह त्योहार शीतला माता को समर्पित है। शीतला माता चेचक, हैजा जैसे रोगों से रक्षा करती हैं। शीतला माता की महिमा का उल्लेख…
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vilaspatelvlogs · 3 years
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ठंडा खाना खाने वाला व्रत: रविवार को अष्टमी तिथि में होगी शीतला माता की पूजा, सेहत के लिए फायदेमंद होता है ये व्रत
ठंडा खाना खाने वाला व्रत: रविवार को अष्टमी तिथि में होगी शीतला माता की पूजा, सेहत के लिए फायदेमंद होता है ये व्रत
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप एक घंटा पहले कॉपी लिंक स्कंद पुराण में बताया गया है शीतला माता की पूजा का महत्व, इनके व्रत में खाया जाता है ठंडे भोजन का प्रसाद स्कंद पुराण में देवी शीतला माता का महत्व बताया गया है। इसलिए चैत्र महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि पर इनकी पूजा और व्रत किया जाएगा। इस बार ये तिथि 4 अप्रैल को रहेगी। कुछ लोग इसे सप्तमी के दिन…
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col-life23 · 4 years
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शीतला अष्टमी 2021 तिथि: 2021 में शीतला अष्टमी कब है। शीतला अष्टमी महत्व महत्व और शुभ मुहूर्त
शीतला अष्टमी 2021 तिथि: 2021 में शीतला अष्टमी कब है। शीतला अष्टमी महत्व महत्व और शुभ मुहूर्त
शीतला अष्टमी 2021: हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी का विशेष महत्व है। यह हर साल होली के आठवें दिन मनाया जाता है। इस वर्ष शीतला अष्टमी 4 अप्रैल को है। कृष्ण पक्ष की इस शीतला अष्टमी को बसोड़ा और शीतलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। शीतला अष्टमी पर घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। शीतला अष्टमी में बासी भोजन माता को चढ़ाया जाता है और प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि बासी भोजन…
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संक्रमण और बीमारियों से बचने के लिए किया जाता है शीतला माता व्रत
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शीतला माता के हाथ में झाड़ू और कलश देते हैं सफाई से रहने और बीमारियों से बचने का संकेत
दैनिक भास्कर
Mar 15, 2020, 05:51 PM IST
जीवन मंत्र डेस्क. आज शीतलाष्टमी व्रत किया जा रहा है। शीतला सप्तमी और अष्टमी का धार्मिक महत्व तो है ही इसके साथ ही वैज्ञानिक नजरिये से भी ये पर्व महत्वपूर्ण है। ये समय ऋतुओं का संधिकाल है। यानी शीत ऋतु के जाने का और गर्मियों के आने का समय है। दो ऋतुओं के संधिकाल…
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jainyupdates · 5 years
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Sheetala Ashtami Vrat: 16 मार्च को रखा जाएगा शीतलाष्टमी व्रत, जानिए महत्व और मान्यताएं
चैत्र माह की कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को शीतलाष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस बार यह व्रत 16 मार्च को है। शीतलाष्टमी का त्योहार होली संपन्न होने के आठवें दिन बाद मनाया जाता है। शीतला अष्टमी पर मां शीतला देवी की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। शीतला अष्टमी को बसौड़ा, लसौड़ा आदि नामों से जाना जाता है। यह व्रत विशेषकर राजस्थान में बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।
रोगों से मुक्ति प्रदान करता है…
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artijaihind · 6 years
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जानें- क्या है शीतला अष्टमी का महत्व, ऐसे करें शीतला माता की पूजा
जानें- क्या है शीतला अष्टमी का महत्व, ऐसे करें शीतला माता की पूजा
जानें- क्या है शीतला अष्टमी का महत्व, ऐसे करें शीतला माता की पूजा
इस बार शीतला माता की अष्टमी 28 मार्च 2019 गुरुवार को पड़ी है. शीतला माताबच्चों की सेहत की रक्षा करती हैं. साथ ही धन दौलत का अंबार भर देती हैं. होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी की पूजा होती है. वहीं, कुछ लोग होली के बाद आने वाले पहले सोमवार को शीतला माता की पूजा करते हैं. चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतला माता की पूजा होती है. शीतला…
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Sheetala Ashtami Ki Vrat Katha शीतला अष्टमी 2019 व्रत कथा महत्व स्टोरी
Sheetala Ashtami Ki Vrat Katha शीतला अष्टमी 2019 व्रत कथा महत्व स्टोरी
Sheetala Ashtami Ki Vrat Katha : सभी पाठकों को शीतला अष्टमी 2019 पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं. शीतला माँ हिन्दू धर्म की एक प्राचीन देवी हैं, जिनका बहुत बड़ा महत्व रहा हैं. स्कन्द पुराण में माता शीतला के बारें में विस्तृत विवरण मिलता हैं. इन्हें चेचक की देवी भी कहा जाता हैं. इनका वाहन गधा है तथा ठंडे भोजन का इन्हें भोग लगाया जाता हैं. माताजी का सबसे बड़ा मंदिर तथा मेला चाकसू जयपुरमें भरता हैं.…
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chaitanyabharatnews · 5 years
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चैत्र नवरात्रि : नौ दिन मां दुर्गा के इन स्वरूपों की होगी आराधना, पूजा के दौरान करें सिद्ध मंत्रों का जाप
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चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि व्रत एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। नौ दिनों तक चलने वाला यह पर्व देवी शक्ति मां दुर्गा को समर्पित है। इस साल चैत्र नवरात्र 25 मार्च से शुरू होने जा रहे हैं। इस धार्मिक पर्व में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं माता के नौ स्वरूप और उनके विशेष मंत्रों के बारे में… देवी शैलपुत्री देवी शैलपुत्री की आराधना से सभी तरह के सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। माता शैलपुत्री की कृपा पाने के लिए पूजा के दौरान आप इस मंत्र का जाप करें। वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशंस्विनिम।। देवी ब्रह्मचारिणी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मानव को तप, त्याग, सदाचार और संयम की शक्ति मिलती है। देवी ब्रह्मचारिणी की कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।। देवी चंद्रघण्टा देवी चंद्रघण्टा की साधना से सुखों की प्राप्ति के बाद परलोक में मोक्ष मिलता है। पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें। पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते महयं चंद्रघण्टेति विश्रुता।। देवी कूष्माण्डा देवी कूष्माण्डा की उपासना से मानव को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। माता कूष्माण्डा की विशेष कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तुमे।। देवी स्कंदमाता देवी स्कंदमाता की साधना से मानव को समस्त प्रकार की सिद्धि मिलती है। स्कंदमाता की कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।। देवी कात्यायनी देवी कात्यायनी की उपासना से मानव को अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है। माता कात्यायनी की विशेष कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। चंद्रहासोज्ज्वलकरा शाईलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।। देवी कालरात्रि देवी कालरात्रि की आराधना करने से दुष्टों का नाश होता है और कष्टों से मुक्ति मिलती है। माता कालरात्रि की कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। एक वेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरणी।। वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा। वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयड्करी।। देवी महागौरी देवी महागौरी की उपासना से सभी प्रकार के दुखों का नाश होता है और सुखों की प्राप्ति होती है। महागौरी की कृपा पाने के लिए पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें। श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।। देवी सिद्धिदात्री देवी सिद्धिदात्री की उपासना से मानव को समस्त प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है। देवी सिद्धिदात्री की कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।। ये भी पढ़े... इस दिन से हो रही चैत्र नवरात्रि और हिंदू नववर्ष की शुरुआत, जानें कैसा रहेगा नए साल पर बुध का प्रभाव होली-चैत्र नवरात्रि समेत मार्च में मनाएंगे जाएंगे ये बड़े तीज- त्योहार, यहां देखें पूरी लिस्ट इस दिन है शीतला सप्तमी या अष्टमी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years
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चैत्र नवरात्रि : नौ दिन मां दुर्गा के इन स्वरूपों की होगी आराधना, पूजा के दौरान करें सिद्ध मंत्रों का जाप
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चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि व्रत एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। नौ दिनों तक चलने वाला यह पर्व देवी शक्ति मां दुर्गा को समर्पित है। इस साल चैत्र नवरात्र 25 मार्च से शुरू होने जा रहे हैं। इस धार्मिक पर्व में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं माता के नौ स्वरूप और उनके विशेष मंत्रों के बारे में… देवी शैलपुत्री देवी शैलपुत्री की आराधना से सभी तरह के सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। माता शैलपुत्री की कृपा पाने के लिए पूजा के दौरान आप इस मंत्र का जाप करें। वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशंस्विनिम।। देवी ब्रह्मचारिणी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मानव को तप, त्याग, सदाचार और संयम की शक्ति मिलती है। देवी ब्रह्मचारिणी की कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।। देवी चंद्रघण्टा देवी चंद्रघण्टा की साधना से सुखों की प्राप्ति के बाद परलोक में मोक्ष मिलता है। पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें। पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते महयं चंद्रघण्टेति विश्रुता।। देवी कूष्माण्डा देवी कूष्माण्डा की उपासना से मानव को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। माता कूष्माण्डा की विशेष कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तुमे।। देवी स्कंदमाता देवी स्कंदमाता की साधना से मानव को समस्त प्रकार की सिद्धि मिलती है। स्कंदमाता की कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। स���ंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।। देवी कात्यायनी देवी कात्यायनी की उपासना से मानव को अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है। माता कात्यायनी की विशेष कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। चंद्रहासोज्ज्वलकरा शाईलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।। देवी कालरात्रि देवी कालरात्रि की आराधना करने से दुष्टों का नाश होता है और कष्टों से मुक्ति मिलती है। माता कालरात्रि की कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। एक वेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरणी।। वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा। वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयड्करी।। देवी महागौरी देवी महागौरी की उपासना से सभी प्रकार के दुखों का नाश होता है और सुखों की प्राप्ति होती है। महा��ौरी की कृपा पाने के लिए पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें। श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।। देवी सिद्धिदात्री देवी सिद्धिदात्री की उपासना से मानव को समस्त प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है। देवी सिद्धिदात्री की कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।। ये भी पढ़े... इस दिन से हो रही चैत्र नवरात्रि और हिंदू नववर्ष की शुरुआत, जानें कैसा रहेगा नए साल पर बुध का प���रभाव होली-चैत्र नवरात्रि समेत मार्च में मनाएंगे जाएंगे ये बड़े तीज- त्योहार, यहां देखें पूरी लिस्ट इस दिन है शीतला सप्तमी या अष्टमी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years
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चैत्र नवरात्रि : नौ दिन मां दुर्गा के इन स्वरूपों की होगी आराधना, पूजा के दौरान करें सिद्ध मंत्रों का जाप
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चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि व्रत एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। नौ दिनों तक चलने वाला यह पर्व देवी शक्ति मां दुर्गा को समर्पित है। इस साल चैत्र नवरात्र 25 मार्च से शुरू होने जा रहे हैं। इस धार्मिक पर्व में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं माता के नौ स्वरूप और उनके विशेष मंत्रों के बारे में… देवी शैलपुत्री देवी शैलपुत्री की आराधना से सभी तरह के सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। माता शैलपुत्री की कृपा पाने के लिए पूजा के दौरान आप इस मंत्र का जाप करें। वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशंस्विनिम।। देवी ब्रह्मचारिणी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मानव को तप, त्याग, सदाचार और संयम की शक्ति मिलती है। देवी ब्रह्मचारिणी की कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।। देवी चंद्रघण्टा देवी चंद्रघण्टा की साधना से सुखों की प्राप्ति के बाद परलोक में मोक्ष मिलता है। पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें। पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते महयं चंद्रघण्टेति विश्रुता।। देवी कूष्माण्डा देवी कूष्माण्डा की उपासना से मानव को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। माता कूष्माण्डा की विशेष कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्मा��्यां कूष्माण्डा शुभदास्तुमे।। देवी स्कंदमाता देवी स्कंदमाता की साधना से मानव को समस्त प्रकार की सिद्धि मिलती है। स्कंदमाता की कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।। देवी कात्यायनी देवी कात्यायनी की उपासना से मानव को अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है। माता कात्यायनी की विशेष कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। चंद्रहासोज्ज्वलकरा शाईलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।। देवी कालरात्रि देवी कालरात्रि की आराधना करने से दुष्टों का नाश होता है और कष्टों से मुक्ति मिलती है। माता कालरात्रि की कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। एक वेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरणी।। वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा। वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयड्करी।। देवी महागौरी देवी महागौरी की उपासना से सभी प्रकार के दुखों का नाश होता है और सुखों की प्राप्ति होती है। महागौरी की कृपा पाने के लिए पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें। श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।। देवी सिद्धिदात्री देवी सिद्धिदात्री की उपासना से मानव को समस्त प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है। देवी सिद्धिदात्री की कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें। सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।। ये भी पढ़े... इस दिन से हो रही चैत्र नवरात्रि और हिंदू नववर्ष की शुरुआत, जानें कैसा रहेगा नए साल पर बुध का प्रभाव होली-चैत्र नवरात्रि समेत मार्च में मनाएंगे जाएंगे ये बड़े तीज- त्योहार, यहां देखें पूरी लिस्ट इस दिन है शीतला सप्तमी या अष्टमी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years
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इस दिन है शीतला सप्तमी या अष्टमी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
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चैतन्य भारत न्यूज होली के सातवें या आठवें दिन शीतला सप्तमी या शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है और ठंडा भोजन किया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश और गुजरात में मनाया जाता है। उत्तर भारत में शीतला सप्तमी/अष्टमी को बसौड़ा, लसौड़ा या बसियौरा भी कहा जाता है। इस साल शीतला सप्तमी 15 मार्च और शीतला अष्टमी 16 मार्च को पड़ रही है। शीतला सप्तमी/अष्टमी पर सुहागिन महिलाएं शीतला माता की पूजा कर अपने परिवार की सुख शांति की कामना करती हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); शीतला सप्तमी का शुभ मुहूर्त शीतला सप्तमी 2020 तिथि 15 मार्च शीतला सप्तमी पूजा मुहूर्त - सुबह 6:31 मिनट से शाम 6:30 मिनट तक सप्तमी तिथि प्रारम्भ और समाप्त - सुबह 4 :25 मिनट से प्रारम्भ होकर अगले दिन सुबह 03:19 मिनट तक (16 मार्च 2020) शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त शीतला अष्टमी 2020 तिथि 16 मार्च शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त - अष्टमी तिथि प्रारम्भ और समाप्त - 16 मार्च को सुबह 03:19 बजे से प्रारम्भ होकर 17 मार्च को सुबह 02:59 बजे तक कैसे की जाती है शीतला सप्तमी/अष्टमी की पूजा शीतला माता की पूजा सूर्योदय से पहले होती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान किया जाता है। फिर शीतला माता के मंदिर में जाकर देवी को ठंडा जल अर्पित कर उनकी विधि-विधान से पूजा की जाती है। देवी को श्रीफल (नारियल) अर्पित करते हैं और एक दिन पूर्व पानी में भिगोई हुई चने की दाल चढ़ाई जाती है। शीतला माता को ठन्डे भोजन का नैवेद्य लगता है इसलिए भोजन एक दिन पहले ही बनाकर रख लिया जाता है। मंदिर में शीतला माता की पूजा कर उनकी कथा सुनने के बाद घर आकर मुख्य प्रवेश द्वार के दोनों ओर हल्दी से हाथ के पांच पांच छापे लगाए जाते हैं। शीतला माता को जो जल अर्पित किया जाता है उसमें से थोड़ा-सा बचाकर उसे पूरे घर में छींट देते हैं। ऐसा करने से देवी की कृपा हमेशा बनी रहती है। शीतला सप्तमी/अष्टमी के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। इस दिन लोग खाने में भी एक दिन पूर्व बना हुआ ठंडा भोजन करते हैं। ये भी पढ़े... होली-चैत्र नवरात्रि समेत मार्च में मनाएंगे जाएंगे ये बड़े तीज- त्योहार, यहां देखें पूरी लिस्ट पाना चाहते हैं माता लक्ष्मी की कृपा, तो शुक्रवार को इस विधि से करें पूजा-अर्चना सुख, शांति और समृद्धि के लिए शुक्रवार को ऐसे करें मां संतोषी की पूजा शुक्रवार की शाम इस तरह करें माता लक्ष्मी की पूजा, दूर होगी धन से जुड़ी समस्या Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years
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आज है कालाष्टमी, काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए इस विधि से करें पूजा, सब कष्ट होंगे दूर
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चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म में कालाष्टमी का काफी महत्व है। हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन कालभैरव की पूजा की जाती है। कालभैरव के भक्त साल की सभी कालाष्टमी के दिन उनकी पूजा और उनके लिए उपवास करते हैं। इस बार कालाष्टमी 16 मार्च को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं कालाष्टमी का महत्व और पूजा-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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कालाष्टमी का महत्व कालभैरव को भगवान शिव का पांचवा अवतार माना गया है। मान्यता है कि, इस दिन जो भी भक्त कालभैरव की पूजा करता है वो नकारात्मक शक्तियों से दूर रहता है।  इसे कालाष्टमी, भैरवाष्टमी आदि नामों से जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की कथा और भजन करने से भी घर में सुख और समृद्धि आती हैं। माना जाता है कि, इस व्रत को करने से व्यक्ति के रोग दूर होने लगते हैं और उसे हर काम में सफलता भी प्राप्त होती है।
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कालाष्टमी की पूजा-विधि कालाष्टमी के दिन सुबह जल्‍दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत का सकंल्प लें। इसके बाद शिव जी के स्‍वरूप कालभैरव की पूजा करें। भैरव के मंदिर में जाकर अबीर, गुलाल, चावल, फूल और सिंदूर चढ़ाएं। भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ता माना गया है, इसलिए कालाष्टमी के दिन उसे खाना जरूर खिलाना चाहिए। कालाष्टमी मंत्र अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!! ये भी पढ़े... आज है शीतला सप्तमी, जानिए रोगों को दूर करने वाली इस देवी की पूजा-विधि और महत्व शीतला सप्तमी या अष्टमी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व होली-चैत्र नवरात्रि समेत मार्च में मनाएंगे जाएंगे ये बड़े तीज- त्योहार, यहां देखें पूरी लिस्ट Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years
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आज है कालाष्टमी, काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए इस विधि से करें पूजा, सब कष्ट होंगे दूर
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चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म में कालाष्टमी का काफी महत्व है। हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन कालभैरव की पूजा की जाती है। कालभैरव के भक्त साल की सभी कालाष्टमी के दिन उनकी पूजा और उनके लिए उपवास करते हैं। इस बार कालाष्टमी 16 मार्च को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं कालाष्टमी का महत्व और पूजा-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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कालाष्टमी का महत्व कालभैरव को भगवान शिव का पांचवा अवतार माना गया है। मान्यता है कि, इस दिन जो भी भक्त कालभैरव की पूजा करता है वो नकारात्मक शक्तियों से दूर रहता है।  इसे कालाष्टमी, भैरवाष्टमी आदि नामों से जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की कथा और भजन करने से भी घर में सुख और समृद्धि आती हैं। माना जाता है कि, इस व्रत को करने से व्यक्ति के रोग दूर होने लगते हैं और उसे हर काम में सफलता भी प्राप्त होती है।
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कालाष्टमी की पूजा-विधि कालाष्टमी के दिन सुबह जल्‍दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत का सकंल्प लें। इसके बाद शिव जी के स्‍वरूप कालभैरव की पूजा करें। भैरव के मंदिर में जाकर अबीर, गुलाल, चावल, फूल और सिंदूर चढ़ाएं। भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ता माना गया है, इसलिए कालाष्टमी के दिन उसे खाना जरूर खिलाना चाहिए। कालाष्टमी मंत्र अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!! ये भी पढ़े... आज है शीतला सप्तमी, जानिए रोगों को दूर करने वाली इस देवी की पूजा-विधि और महत्व शीतला सप्तमी या अष्टमी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व होली-चैत्र नवरात्रि समेत मार्च में मनाएंगे जाएंगे ये बड़े तीज- त्योहार, यहां देखें पूरी लिस्ट Read the full article
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