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#होली के बाद क्यों होती है पूजा
pradeepdasblog · 1 year
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#ज्ञानगंगा_Part78
"भूतों व रोगों के सत्ताए परिवार को आबाद करना
भक्तमति अपलेश देवी पत्नी श्री रामेहर पुत्र श्री मांगेराम, गाँव-मिरच, तहसील चरखी दादरी, जिला भिवानी (हरियाणा) ।
मैं अपलेश देवी अपने दुःखी जीवन की एक झलक आपको बता रही हूँ। मैं और मेरे बच्चे - राहूल और ज्योति हैं जो बीते समय के बुरे हालातों को याद करके सिहर जाते हैं। जिनका वर्णन करते समय कलेजा मुंह को आता है।
6 दिसम्बर 1995 की रात्री में बदमाशों ने मेरे पति को ड्यूटी के दौरान जान से मार दिया था। लेकिन इस पूर्ण परमात्मा (कबीर साहिब) ने हमारा ध्यान रखा और मेरे पति को जीवन दान दिया जो आज हमें परिवार सहित बन्दी छोड़ गुरु रामपाल जी महाराज की दया से पूर्ण परमात्मा के चरणों में स्थान मिल गया है। हमारे परिवार में मेरे पति को साफ कपड़े पहनाते जो कुछ देर बाद अन्डर वियर के ऊपर के हिस्से पर जहाँ पर रबड़ या नाड़ा होता है वहाँ चारों ओर खून से कपड़े रंगीन हो जाते थे, तथा बच्चों को भी बलगम के साथ खून आता था और मैं भी एक वर्ष से हार्ट (दिल) की बीमारी से बहुत परेशान हो चुकी थी। जिसके लिए वर्षों से दवाईयाँ खा रही थी। मेरे पतिदेव दिल्ली पुलिस में हैं। मेरे सारे शरीर पर फोड़े-फुन्सी हो जाते थे। घर में परेशानियों के कारण मेरे पति रामेहर का दिमागी संतुलन भी बिगड़ गया था।
हमने इन परेशानियों के लिए सन् 1995 से जुलाई 2000 तक एक दर्जन से भी ज्यादा लंगड़े, लोभी व लालची गुरुवों के दरवाजे खटखटाए तथा भारत वर्ष में तीर्थ स्थानों जैसे जमुना, गंगा, हरिद्वार, ज्वाला जी, चामुन्डा, चिन्तपूरनी, नगर कोट, बाला जी, मेहन्दी पुर व गुड़गाँवा वाली माई तथा गौरख टीला राजस्थान वाले प्रत्येक स्थानों पर बच्चों सहित काफी बार चक्कर लगाते रहे लेकिन हमें कोई राहत नहीं मिली।
इस प्रकार हमारे परिवार की हालत यहाँ तक आ चुकी थी कि हम होली व दिवाली भी किसी मस्जिद में बैठकर बिताने लग गये थे। हम बड़े खुशनसीब हैं जो हमें संत रामपाल जी महाराज के द्वारा परम पूज्य कबीर परमेश्वर की शरण मिल गई। अब कहाँ गये वे काल के दूत तथा वे हमारी बीमारियाँ जिनका ईलाज आल इण्डिया हॉस्पीटल में चल रहा था, जो सतगुरुदेव के चरणों की धूल के आगे टिक नहीं पाई। 25 फरवरी 2001 को एक काल की पूजा करने वाले स्थाने ने फोन करके पूछा कि अपलेश तुम्हारा नाम है। मैंने कहा कि हाँ, आप अपना नाम बताओ। तब वह स्याना कहता है कि यह बलवान कौन है, आपका क्या लगता है? मैंने कहा कि तुम कौन हो, आपका क्या नाम है तथा यह सब क्यों पूछना चाहते हो ? तब वह स्याना कहता है कि बेटी तुम मेरा नाम मत पूछो। मैं बताना नहीं चाहता तथा मैं हांसी से बोल रहा हूँ। यह बलवान तथा इसके साथ एक आदमी आए और दोनों मुझे 3700 रूपए तुम पर घाल घलवाने के लिए दे गए थे। मैंने तुम्हारा फोन नं. भी बलवान से लिया था कि मैं पूछूंगा कि उनकी दुर्गति हुई या नहीं। मेरे पास आपका फोन नं. नहीं था, बलवान ने ही दिया था। जो मैंने यह बुरा कार्य रात्री में किया। लेकिन जैसे ही मैं सोने लगा तो मुझे सफेद कपड़ों में जिस गुरु की तुम पूजा करते हो वे दिखाई दिये, जिन्होंने मुझे बतला दिया कि इसका परिणाम तुम खुद भोगोगे । यह परिवार सर्व शक्तिमान सर्व कष्ट हरण परम पूज्य कबीर परमेश्वर की शरण में है । आपकी तो औकात ही क्या है ? यहाँ का धर्मराज भी अब इस परिवार का कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
गरीब, जम जौरा जासै डरै मिटें कर्म के लेख अदली अदल कबीर हैं, कुल के सद्गुरु एक ।।
परम पूज्य कबीर परमेश्वर जी से जम (काल तथा काल के दूत) तथा मौत भी डरती है। वे पूर्ण प्रभु पाप कर्म के दण्ड के लेख को भी समाप्त कर देते हैं। इसके बाद उस स्थाने ने कहा कि बेटी तुम्हें यह बतला दूँ कि तुम जिस देव पुरुषोत्तम की पूजा करते हो, वे बहुत प्रबल शक्ति हैं। मैं 25 वर्ष से यह घाल घालने का कार्य कर रहा हूँ। न जाने कितने परिवार उजाड़ चुका हूँ। परन्तु आज पहली बार हार खाई है। बेटी इस शक्ति को मत छोड़ देना, नहीं तो मार खा जाओगे। आपके विनाश के लिए बलवान आदि घूम रहे हैं। मैंने कहा कि हम पूर्ण परमात्मा की पूजा करते हैं, बलवान मेरे पति का बड़ा भाई है। हमारा जानी दुश्मन बना है।
हम आज इतने खुशनसीब हैं कि हमारे दिल में किसी वस्तु या कार्य की आवश्यकता होती है उसको यह सतगुरुदेव, सत कबीर साहिब पूर्ण कर देते हैं। आज गुरु गोविन्द दोनों खड़े, हम किसके लागे पाय । हम बलिहारी सतगुरुदेव रामपाल जी के चरणों में जिन्हें परमेश्वर दिया मिलाय ।
हे भाईयों और बहनों हम सारा परिवार मिलकर आपको यह सन्देश देते हैं कि अगर आपको सतलोक का मार्ग, पूर्ण मोक्ष व सर्व सुख प्राप्त करना हो और सांसारिक दुःखों से छुटकारा पाना हो तो बन्दी छोड़ संत रामपाल जी महाराज से सतनाम प्राप्त कर लेना और अपना अनमोल मनुष्य जन्म सफल कर लेना । ।।
सत साहिब ।।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे।
संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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nisthadhawani · 1 year
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शीतला अष्टमी का महत्त्व , होली के बाद क्यों होती है पूजा
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prabudhajanata · 2 years
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रंगों का त्योहार होली छातापुर प्रखण्ड मुख्यालय समेत ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत तरीके से हर्षोल्लास के साथ बुधवार को मनाया गया। छातापुर प्रखंड मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में होली खेले रघुवीरा अवध में होली खेलें रघुवीरा,  रंग बरसै चुनरवाली रंग बरसै, होली के दिन दिल मिल जाते हैं, रंगों में रंग खिल जाते हैं आदि गीतों की धुन पर मुख्यालय बाजार समेत अन्य स्थानों पर टोली में शामिल युवा थिरकते नजर आए। छातापुर में कई स्थानों पर होलेया टीम द्वारा होली के रंग गुलाल खेलने समेत होली गीत की प्रस्तुति दी गई। छातापुर सदर पंचायत में होलिका दहन के साथ ही होली गीतों की धूम रही। जो कि मंगलवार की रात मनाई गई। जबकि अगले दिन बुधवार को सुबह में ही लोग होलिका दहन स्थलों पर  होली गीत गाते हुए पहुंचे और विधि विधान से होलिका की धूल उड़ाई और मौके पर वाद्ययंत्रों के साथ होली गीत के कार्यक्रम हुए। इसके साथ शुरू होली गीतों का कार्यक्रम दोपहर तक चलता रहा। रंग का दौर थमने के बाद लोगों का एक दूसरे घरों आकर गले मिलने तथा बड़ों को प्रणाम करने का सिलसिला शुरू हुआ। जो देर शाम तक चलता रहा। घरों में होली का मुख्य पकवान पुआ के साथ दही बाड़े, पूड़ी, सब्जी, खीर तथा तरह-तरह के व्यंजन  पकाए गए। इन्हीं व्यंजनों से आगंतुकों का स्वागत किया गया। होली को लेकर खासकर बच्चों में व्यापक उत्साह दिख रहा था।  गली कूचों में फिल्मी धुन पर होली गीतों में बच्चे तथा युवा थिरकते दिखाई पड़े। होली को लेकर हर तबके में काफी उत्साह था। जबकि विधि व्यवस्था को लेकर पुलिस प्रशासन काफी सजग दिखे। मुख्यालय समेत ग्रामीण क्षेत्रों में समय समय पर निरीक्षण करते दिखे।  क्यों होती है होली पर्व:  ‘रंगों के त्यौहार’ के तौर पर मशहूर होली का त्योहार फाल्गुन महीने में पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। तेज संगीत और ढोल के बीच एक दूसरे पर रंग और पानी फेंका जाता है। भारत के अन्य त्यौहारों की तरह होली भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। प्राचीन पौराणिक कथा के अनुसार होली का त्योहार, हिरण्यकश्यप की कहानी जुड़ी है। बताया जाता है कि … हिरण्यकश्यप प्राचीन भारत का एक राजा था जो कि राक्षस की तरह था। वह अपने छोटे भाई की मौत का बदला लेना चाहता था जिसे भगवान विष्णु ने मारा था। इसलिए अपने आप को शक्तिशाली बनाने के लिए उसने सालों तक प्रार्थना की। आखिरकार उसे वरदान मिला। लेकिन इससे हिरण्यकश्यप खुद को भगवान समझने लगा और लोगों से खुद की भगवान की तरह पूजा करने को कहने लगा। इस दुष्ट राजा का एक बेटा था जिसका नाम प्रहलाद था और वह भगवान विष्णु का परम भक्त था। प्रहलाद ने अपने पिता का कहना कभी नहीं माना और वह भगवान विष्णु की पूजा करता रहा। बेटे द्वारा अपनी पूजा ना करने से नाराज उस राजा ने अपने बेटे को मारने का निर्णय किया। उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वो प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए क्योंकि होलिका आग में जल नहीं सकती थी। उनकी योजना प्रहलाद को जलाने की थी, लेकिन उनकी योजना सफल नहीं हो सकी क्योंकि प्रहलाद सारा समय भगवान विष्णु का नाम लेता रहा और बच गया पर होलिका जलकर राख हो गई। होलिका की ये हार बुराई के नष्ट होने का प्रतीक है। इसके बाद भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध कर दिया, इसलिए होली का त्योहार, होलिका की मौत की ��हानी से जुड़ा हुआ है। इसके चलते भारत के कुछ राज्यों में होली से एक दिन पहले बुराई के अंत के प्रतीक के तौर पर होली जलाई जाती है।
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stackumbrella1 · 2 years
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Rangbhari Ekadashi क्यों मनाई जाती है, इस दिन कौन से योग से खुल सकती है आपकी किस्मत..जानें पूरी खबर
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Rangbhari Ekadashi 2023: फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) कहते हैं। इस साल रंगभरी एकादशी 3 मार्च 2023, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
इस साल की रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) कुछ अलग ही योग बना रही है, इसलिए यह बहुत ही खास भी है। क्योंकि इस दिन सौभाग्य, शोभन और सर्वार्थ सिध्दि जैसे शुभ योग बन रहे हैं।
आपको बता दें कि रंगभरी एकादशी को आमलकी एकादशी भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है।
वहीं काशी में रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) से होली की शुरूआत होती है। और भगवान भोलेनाथ के साथ पार्वती माई की पूजा की जाती है।
Rangbhari Ekadashi और आमलकी एकादशी के उपाय
रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) के दिन भगवान शिव-गौरी और भगवान विष्णु-मां लक्ष्मी की कृपा पाने का विशेष दिन होता है। इस दिन किए गए कुछ उपाय जीवन में आर्थिक तंगी, रिश्तों की परेशानी, तरक्की की बाधाओं को दूर करते हैं।
ग्रह दोष को करें दूर
रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) के दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करें और 21 बेलपत्र पर सफेद चंदन लगाकर चढ़ाएं। इसके अलावा गुलाल-अबीर भी अर्पित करना चाहिए और शिव चालीसा का पाठ करें।
किस्मत का साथ ऐसे पाएं
रंगभरी एकादशीका व्रत रखना चाहिए और आंवले के पेड़ की पूजा करना चाहिए। फिर इसके बाद नौ परिक्रमा करके गुलाल अर्पित करना चाहिए।
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आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर ही विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और आंवला दान करें। हर काम में किस्मत का साथ मिलेगा और तेजी से तरक्की होगी।
Rangbhari Ekadashi धन की कमी होगी दूर
रंगभरी एकादशी के दिन दूध मिश्रित जल पीपल को चढ़ाएं। साथ ही गुलाल और सफेद मिठाई भी चढ़ानी चाहिए। इसके बाद धूप-दीप करें और 11 परिक्रमा करना चाहिए।
Also Read: 28 Day In February: आखिर क्यों फरवरी में होते हैं 28 दिन, क्या आपने कभी सोचा है? आइये जानें!
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abhay121996-blog · 3 years
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Hamirpur News: आज भी यवनों पर विजय का अहसास कराता है गरुण ध्वज, क्षत्रियों के लिए गर्व का दिन होता है Divya Sandesh
#Divyasandesh
Hamirpur News: आज भी यवनों पर विजय का अहसास कराता है गरुण ध्वज, क्षत्रियों के लिए गर्व का दिन होता है
पंकज मिश्रा, हमीरपुर उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में यवनों पर विजय का प्रतीक झंडा शोभायात्रा आज भी अहसास कराता है। झंडा शोभायात्रा में कई गांवों के बड़ी संख्या में क्षत्रिय शामिल होते हैं। जानिये झंडा शोभायात्रा क्यों निकाली जाती है।
जिले के कुरारा कस्बे में प्रति वर्ष की भांति ऐतिहासिक विजय का प्रतीक गरुण ध्वज (झंडा) डोल-नगाड़ों के साथ मंगलवार को निकाला गया। गरुण ध्वज की शोभायात्रा में आसपास के कई गांवों के क्षत्रिय बड़ी संख्या में शामिल हुए। शोभायात्रा में वाहनों पर सजी झांकियां आकर्षक का केन्द्र रहीं।
राजस्थान के अलवर के हमीरदेव ने बसाया था हमीरपुर राजस्थान के अलवर से निष्काषित हमीरदेव को यहां ग्यारहवीं शताब्दी में शरण मिली थी। उन्हीं के नाम पर हमीरपुर का विस्तार हुआ था। प्राचीन काल में यह भूभाग घने जंगलों से आच्छादित था, जिसमें विभिन्न जन जातियां रहती थीं। गुप्त साम्राज्य के बाद महाराज हर्षवर्धन का भी यहां शासन रहा है। गहरवार, परिहार और चंदेल राजाओं ने भी इस भूभाग में लम्बे समय तक शासन किया है।
हमीरदेव और यवनों में हुआ था भीषण संग्राम कुरारा कस्बे के वयोवृद्ध धर्मपाल सिंह गौर ने बताया कि हमीरपुर में जब हमीरदेव का शासन था तब यवनों ने उन पर चढ़ाई कर दी थी। हमीरदेव ने राजगढ़ स्टेट राजस्थान से मदद मांगी थी। तब वहां के युवराज सिंहलदेव और बीसलदेव ने अपनी सेना के साथ यहां आकर हमीरदेव के पक्ष में युद्ध किया था। युद्ध में हमीरदेव को विजय मिली। ने विजय निशान गरुण ध्वज सिंहलदेव को तथा नगाड़ा बीसलेदव को उपहार स्वरूप दिया था।
युद्ध के बाद हमीरदेव ने बीसलदेव को बनाया था दामाद युद्ध के बाद राजा हमीरदेव ने अपनी बेटी रामकुंवर की शादी बीसलदेव के साथ की थी, जबकि सिंहलेदव को हमीरपुर जिले के कुरारा क्षेत्र के 12 गांव भी उपहार में दिए थे। इनमें कोडार्क देव ने कुरारा, रिठारी, जल्ला, चकोठी, पारा, कण्डौर, पतारा, झलोखर, टीकापुर, वहदीना, कुम्हपुर, बेजेइस्लामपुर आदि गांवों में शासन किया था। ये गांव गौर वंश के हैं।
गौर वंश में नौ पीढ़ी तक हुई थी एक ही संता�� गौर वंश के वंशज वयोवद्ध धर्मपाल सिंह गौर ने बताया कि पूर्वजों से सुना गया है कि सिंहलेदव ने अपनी राजधानी बेतवा नदी के किनारे कुम्हूपुर को बनाया था। इस वंश में नौ पीढ़ी तक एक ही संतान हुई थी। इसके बाद नौ पीढ़ी में राजा हरिहर देव की नौ संतानें हुई थीं। इनमें 9 गांव का संचालन पुत्रों को दिया गया, जिसमें सबसे बड़े पुत्र कोडार्क देव को कुरारा दिया गया था।
गरुण ध्वज को यमुना नदी में स्नान कराकर होती है विशेष पूजा पूर्व में गौर वंश के समस्त गांव के लोग होली के बाद दूज को हरेहटा गांव में जसला कार्यक्रम में शामिल होने जाते थे। इसमें नौ गांव के गौर क्षत्रिय भी भाग लेते थे। इसके बाद यह विजय ध्वज कोडार्क के यहां आ गया, तभी से कुरारा में हर साल विजय के प्रतीक ध्वज निकालकर जलसा मनाया जाता है। इसे सुबह यमुना नदी में स्नान कराकर विशेष पूजा भी की जाती है। नये वस्त्र धारण कर गौर वंश के क्षत्रिय लोग कुरारा कस्बे में शोभायात्रा निकालते हैं।
गौर वंश के प्रत्येक गांवों में 8 दिन तक होता है विजय पर्व कण्डौर गांव के डॉ. देवेन्द्र सिंह गौर ने बताया कि कोडार्क देव की दो संतानें महलदेव और खान देव थी। इनमें महलदेव के चार पुत्र बलभद्र, नीर, हमीर, भीखम और खान देव के एक पुत्र रावदेव थे। इन्हीं के वंशज आज भी सैकड़ों साल पुरानी इस परम्परा को जीवित किए हुए हैं। प्रति वर्ष होली के बाद दूज को इस विजय निशान ध्वज को धूमधाम के साथ निकालकर विजय उत्सव मनाते हैं। रात्रि में संगीत महोत्सव होता है।
गौर वंश के क्षत्रिय कण्डौर में अष्टमी के दिन मनाएंगे विजय पर्व बताया कि कुरारा क्षेत्र के कण्डौर गांव बेतवा नदी किनारे बसा है। इस गांव में गौर वंश के क्षत्रिय रहते हैं। इस गांव की परम्परा है कि होली के बाद अष्टमी को होली का जलसा मनाया जाता है। होली की परेवा को यहां गांव में होली नहीं खेली जाती है। धर्मपाल सिंह गौर ने बताया कि होली के बाद गौर वंश के शासनकाल में प्रत्येक गांव में 8 दिनों तक विजय पर्व मनाया जाता है। इसमें क्षेत्र के 9 गांव हैं। कण्डौर में होली के आठवें दिन जलसा मनाने की परम्परा में सभी क्षत्रिय शामिल होते हैं।
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differentlandmaker · 4 years
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किसी भी तंत्र कर्म में सफलता दिलाने वाली ग्रहण में की जाने वाली महाकाली शाबर मंत्र साधना
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साल 2020 में 5 june को चन्द्र ग्रहण ( moon eclipse ) लगेगा. इस समय का बहुत से साधको को बेसब्री से इंतजार रहता है क्यों की ग्रहण काल में की गई साधना का प्रभाव बढ़ जाता है और सिद्धि में सफलता मिलती है. इस अवसर पर आप महाकाली शाबर साधना की सिद्धि कर सकते है जो की बेहद आसान उपाय है और कम समय में की जाने वाली साधना है जिसके लाभ बहुत ज्यादा है. महाकाली की सौम्य साधना का ये अभ्यास साधक की लाइफ में किसी भी तरह की बाधा को दूर कर तंत्र के किसी भी कर्म को करने की शक्ति प्रदान करता है.
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इस साधना में गुरु की अनिवार्यता है इसके बगैर अभ्यास कर रहे है तो शरीर सुरक्षा कवच और गणेश पूजन का पता होना चाहिए. साधना से पहले ये उपाय जरुर करना है. साधना में सिद्धि प्राप्त करने के बाद साधक इसका प्रयोग कर सकता है जिसके लिए पूजन सामग्री, यंत्र और आवश्यक जानकारी इस पोस्ट में share की है. इस शाबर मंत्र साधना के प्रभाव से साधक का पूरा जीवन बदल सकता है. 5 जून की रात्रि को 11 बजकर 15 मिनट से  6 जून को 2 बजकर 34 मिनट तक ये ग्रहण लागू रहेगा और ये भारत, यूरोप, अफ्रीक, एशिया और आस्ट्रेलिया जैसी जगहों पर दिखाई देगा. इस दौरान की गई साधना का फल 100 गुना बढ़ जाता है इसलिए आप अपने घर पर mahakali shabar mantra sadhna का अभ्यास करे. इस साधना की पूरी विधि यहाँ share की गई है.
महाकाली शाबर साधना
किसी भी तरह की सफलता और तंत्र कार्य में सफलता के लिए आप इस महाकाली शाबर साधना को कर सकते है. ये mahakali tantra sadhana in hindi किसी भी शुभ समय के अनुसार की जा सकती है और सिद्ध कर लेने के बाद तंत्र मंत्र के कार्य को किया जा सकता है. सात पूनम काल का, बारह बरस कवार एको देवी जानिए, चौदह भुवन द्वार द्वि पक्षे निर्मलिए, तेरह देवन देव अष्ट-भुजी परमेश्वरी, ग्यारह रूद्र देव सोलह कला सम्पूर्ण, तीन नयन भरपूर दसो द्वारी तू ही माँ, पांचो बाजे नूर नव निधि षड-दर्शनी, पंद्रह तिथि जान चारो युग में काल का, कर काली कल्याण इस mahakali mantra sadhana में आपको किसी भी तरह की तंत्र सामग्री की आवश्यकता नहीं होती है. जो भी सामग्री का जिक्र किया गया है उन्हें आप आसानी से किसी भी पंसारी की दुकान से हासिल कर सकते है. सामग्री काली चित्र काली यंत्र 7 भट कटैया का फूल 5 पीला कनेर का फूल 5 लौंग 5 इलायची पांच मेवा 3 निम्बू 1 ग्राम सिन्दूर 108 काले केवाच के बीज दीपक अगरबत्ती या फिर धूप एक नारियल महाकाली तंत्र साधना की विधि के लिए आप किसी भी खास समय का चुनाव कर सकते है. इस महाकाली शाबर साधना में आपको ज्यादा जप की आवश्यकता नहीं है बल्कि सिर्फ एक माला का जप मंत्र सिद्धि के लिए काफी है. दिन : होली, दीपावली, ग्रहण, अमावस या फिर पूर्णिमा जप : 108 बार समय : रात के 10 बजे बाद का समय ये mahakal siddhi sadhana पूर्ण रूप से सात्विक है और साधक के लिए साधना के बाद किसी भी तरह के तंत्र प्रयोग के लिए आवश्यक सामग्री मिल जाती है. पूजन के दौरान जो सामग्री काम में ली जाती है उन्हें हम अलग अलग तंत्र कर्म में काम में लेते है. महाकाली साधना से पहले की तैयारी mahakali siddhi sadhna में आपको पहले गुरु स्थापना मंत्र का उपाय करना चाहिए. किसी भी तांत्रिक साधना से पहले आपको 5 बत्ती वाला दीपक लेना है और निम्न मंत्र का जप करना है. गुरु दिन गुरु बाती गुरु सहे सारी राती वासतीक दीवना बार के गुरु के उतारो आरती 5 बत्ती वाले दीपक को अपने सामने जला ले और इस मंत्र का 7 बार जप करना है. इस गुरु स्थापना की क्रिया पूर्ण होती है और माना जाता है की जो लोग बिना गुरु के साधना कर रहे है उन्हें इससे फायदा होता है. शरीर सुरक्षा कवच मंत्र का जप करना भी साधना में आवश्यक है. बिना किसी सुरक्षा कवच के साधना करना साधक को भयभीत करता है इसलिए महाकाली शाबर साधना के अभ्यास से पहले आपको शरीर सुरक्षा कवच मंत्र body protection shield spell का उपाय भी कर लेना चाहिए. ॐ नमो आदेश गुरु का  जय हनुमान वीर हनुमान मै करथ हौ तोला प्रनाम भूत प्रेत मरी मसान भाग जाय तोर सुन के नाम मोर शरीर के रक्ष्या करिबे नहीं तो सीता मैया के सैयां पर पग ला धरबे ! मोर फूंके मोर गुरु के फूंके गुरु कौन ? गौरा महा-देव के फूंके जा रे शरीर बंधा जा इस मंत्र का 11 बार जप कर अपने शरीर के चारो और एक गोल घेरा बना ले. इससे किसी भी तरह के बाधा से साधक की रक्षा होती है. पढ़े : इस पूर्ण चंद्रग्रहण की रात्री का एक प्रयोग और कर पाओगे powerful vashikaran महाकाली साधना की विधि ये साधना भगवती देवी के मंदिर में की जाए तो उत्तम है लेकिन ऐसा ना हो तो एकांत या फिर घर पर भी की जा सकती है. सबसे पहले तो गणेश, गुरु और आत्म-रक्षा मंत्र का पूजन और जप करे. सबसे पहले साफ़ जगह पर एक बजोट के ऊपर लाल कपड़ा रखे और उस पर महाकाली यंत्र और फोटो की स्थापना करे. घी का चार मुखी दिया जलाए और पंचोपचार पूजन से पूजन करे.
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                                        महाकाली शाबर साधना यंत्र अष्ट गंध से उक्त चोंतिसा यंत्र का भी इसी विधि से पूजन करे. पूजन के दौरान भट कटैया के फूल का अर्पण करे. तीन निम्बू ले और उनपर सिन्दूर का टिका या बिंदी लगाए और अर्पित करे. अब नारियल, पांच मेवा और लौंग इलायची का भोग लगाए. काली मंत्र जप करते समय हर मंत्र जप के बाद केवाच के बीज को फोटो के सामने रखते जाए. जब मंत्र जप पूर्ण हो जाए तब 11 मंत्र आहुति घी और गुग्गल की दे. इसके बाद एक निम्बू काट ले और अपनी अनामिका अंगुली के रक्त को मिलाकर हवन में निचोड़ दे. हवन की राख, मेवा, केवाच के बीज, फूल और निम्बू को संभाल कर रखे. नारियल और अगरबत्ती को भगवती मंदिर में चढ़ा दे. एक ब्राह्मण को भोजन करवाए. महाकाली साधना पूर्ण हो जाएगी. पढ़े : बेताल साधना से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी और अगिया बेताल की मुख्य 2 विधि मंत्र साधना प्रयोग विधि जब भी mahakal siddhi sadhana का प्रयोग करना हो 21 बार मंत्र का जप करे और आपकी मनचाही मनोकामना पूर्ण होती है. महाकाली शाबर साधना के प्रभाव से साधक की मनोकामना पूर्ण होती है और उसका घर धन धान्य से परिपूर्ण रहता है. हर तरह की बाधा अपने आप दूर हो जाती है और साधक की उम्र में वृद्धि होती है. इस महाकाली शाबर साधना के कई प्रयोग है जिन्हें साधक कर सकते है जैसे की वशीकरण या मोहन का उपाय महाकाली मंत्र का 11 बार जप कर सिंदूर और हवन की भस्म को मिलाकर अभिमंत्रित कर माथे पर लगा ले. जो भी आपको देखेगा आप पर मोहित हो जाएगा. अगर आप लम्बे समय से easy love spell का इन्तजार कर रहे थे तो आपको ये उपाय जरुर करना चाहिए. खिला पिलाकर वशीकरण का उपाय पूजा में लिए गए पांच मेवे में से थोड़ा सा मेवा ले और 21 बार मंत्र का जप कर अभिमंत्रित कर ले. इस मेवे को जिस स्त्री या पुरुष को खिलाएंगे वो वशीकरण के प्रभाव में आ जायेगा. उच्चाटन का उपाय भट-कटैया के फूल में से एक फूल ले, केवाच का बीज और सिंदूर को 11 बार मंत्र पढ़ कर अभिमंत्रित कर ले. सिंदूर लगे इस फूल और बीज को जिसके घर पर भी फेकेंगे उसका उच्चाटन हो जायेगा. महाकाली साधना के जरिये स्तम्भन का उपाय हवन की भस्म, चिता की राख और 3 लौंग को 21 बार मंत्र जप पढ़कर अभिमंत्रित कर ले. जिसके घर में गाड़ देंगे उसका स्तम्भन हो जायेगा. 2 लोगो या परिवार के बिच झगडा करवाने का उपाय शमशान की राख, कलिहारी का फूल और केवाच के 3 बीज पर 21 बार मंत्र जप कर अभिमंत्रित कर ले. इसे काले कपड़े में बांध कर पोटली बना ले और इसे दुश्मन के आने जाने के रास्ते या घर के जगह पर गाड़ दे. इससे वहा रहने वाले लोगो के बिच मतभेद और झगड़ा होना शुरू हो जायेगा. पारलौकिक समस्याओ का समाधान शत्रु बाधा का निवारण अमावस के दिन निम्बू पर सिंदूर से दुश्मन का नाम लिखे. 7 सुई ले और इन्हें 21 बार निम्बू में मंत्र से अभिमंत्रित कर चुभो दे. इस निम्बू को शमशान में गाड़ दे और मघ की धार दे. आने वाले 3 दिन में शत्रु बाधा दूर होती है. भूत प्रेत बाधा का उपाय भूत प्रेत की बाधा होने की स्थिति में हवन की राख को 7 बार अभिमंत्रित कर माथे पर टिका लगा दे. चोतिंसा यंत्र को भोजपत्र पर बना ले और ताम्बे के ताबीज में भरकर पहना दे. हमेशा हमेशा के लिए भूत प्रेत बाधा दूर हो जाएगी. आर्थिक बाधा का निवारण महाकाली यंत्र को घर में स्थापित कर ले और इसके सामने घी का दीपक जलाकर 21 दिन तक 21 बार मंत्र का जप करे. इससे महाकाली की कृपा बढती है और आर्थिक तंगी दूर होती है. शारीरिक पीड़ा और रोग नाशक हवन की भस्म को 7 बार अभिमंत्रित कर ले. रोगी पर फूंक मारे और चौसठ के यंत्र को अष्ट गंध से भोजपत्र पर लिख ले. इसे धारण करने से रोगी को रोग और शारीरिक पीड़ा से मुक्ति मिलती है. विशेष : अगर महाकाली मंत्र के साथ साथ निचे दिए गए मंत्र का भी जाप होता है तो मंत्र का प्रभाव एयर भी ज्यादा बढ़ जाता है और ये उग्र होकर काम करता है. ॐ कंकाली महाकाली केलि कलाभ्यां स्वाहा इस मंत्र का एक माला जप हर रोज करने से आपको इसके दोगुने लाभ मिलना शुरू हो जाते है. पढ़े : आकर्षण के लिए मोहिनी वशीकरण मंत्र साधना Mahakali shabar mantra sadhna benefit महाकाली शाबर मंत्र साधना के कई फायदे है जिन्हें सिद्धि प्रयोग के बाद साधक की लाइफ में देखने को मिलते है जैसे की किसी भी तरह की आर्थिक तंगी को दूर किया जा सकता है. बड़े से बड़े तंत्र कर्म के प्रभाव को दूर किया जा सकता है. तंत्र कर्म के किसी भी कर्म को किया जा सकता है जैसे की वशीकरण, मोहन, मारण, स्तम्भन और उच्चाटन पारलौकिक समस्याओ यानि Paranormal activity को दूर किया जा सकता है. बड़े से बड़े शत्रु का शमन किया जा सकता है. Mahakali tantra sadhna siddhi in Hindi की ये साधना साधक के जीवन में कई बदलाव लाती है और साधक के लाइफ में आ रही किसी भी बाधा का निवारण करना आसान बन जाता है. महाकाली शाबर सिद्धि मंत्र पर मेरे अंतिम विचार साल 2020 में 5 जून को जो ग्रहण लग रहा है वो तंत्र साधना के लिए सही समय माना जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है की ग्रहण में की गई साधना का प्रभाव 100 गुना बढ़ जाता है इसलिए इस दौरान आप पीर की साधना, वशीकरण की साधना या फिर तंत्र सिद्धि साधना कर सकते है. इस article में share की गई महाकाली शाबर साधना का विधान सरल शाबर साधनाओ में से एक है जिन्हें आप किसी मंदिर, एकांत जगह या फिर घर में कर सकते है. ये साधना आसान है लेकिन इसके लाभ साधक की लाइफ बदलने वाले है. अगर आप ये साधना करना चाहते है तो विधान से पहले गुरु, गणेश और देह सुरक्षा कवच का विधान जरुर कर ले. किसी भी शाबर मंत्र की साधना को सिद्ध करने के लिए असावरी देवी की साधना करना जरुरी माना जाता है. जल्दी ही हम इनके बारे में जानकारी आपके साथ share करेंगे. Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years
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गुड़ी पड़वा पर्व आज, जानिए क्यों और कैसे मनाया जाता है यह त्योहार
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चैतन्य भारत न्यूज चैत्र नवरात्रि से हिंदुओं का नव वर्ष भी शुरू हो जाता है जिसे गुड़ी पड़वा के नाम से जाना जाता है। चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन को नवसंवत्सर के रुप में पूरे देश भर में मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इस पर्व को लेकर खास मान्यताएं हैं। इस साल गुड़ी पड़वा का पर्व 25 मार्च को मनाया जाएगा। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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क्या होता है गुड़ी पड़वा? गुड़ी ध्वज यानि झंडे को कहा जाता है और पड़वा, प्रतिपदा तिथि को। मान्यता है के इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण कार्य शुरू किया था।ये भी कहा जाता है कि, इस दिन भगवान श्री राम ने दक्षिण में लोगों को बाली के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी। इसी खुशी में हर घर में गुड़ी यानि कि विजय पताका फहराई गई। यह परंपरा कई स्थानों पर आज तक जारी है।
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कैसे मनाया जाता है गुड़ी पड़वा? सुबह स्नान आदि के बाद गुड़ी को सजाया जाता है। सूर्योदय के तुरंत बाद गुड़ी की पूजा का विधान है। चटख रंगों से रंगोली बनाने के साथ ही फूलों से घर को सजाया जाता है। इस दिन आमतौर पर मराठी महिलाएं नौवारी (9 गज लंबी साड़ी) पहनती हैं और पुरुष केसरिया या लाल पगड़ी के साथ कुर्ता-पजामा या धोती-कुर्ता पहनते हैं। इस दिन नए वर्ष का भविष्यफल सुनने-सुनाने की भी परंपरा है। गुड़ी पड़वा पर श्रीखंड, पूरन पोली, खीर आदि बनाए जाते हैं। शाम के समय लोग लेजिम नामक पारंपरिक नृत्य भी करते हैं। ये भी पढ़े... श्रीराम की विजय का प्रतीक है गुड़ी पड़वा, जानिए इस दिन का महत्व और कथा गुड़ी पड़वा से होती है हिन्दू नववर्ष की शुरुआत, जानिए इस त्योहार का महत्व होली-चैत्र नवरात्रि समेत मार्च में मनाएंगे जाएंगे ये बड़े तीज- त्योहार, यहां देखें पूरी लिस्ट Read the full article
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confectioneryvixen · 5 years
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Wr नागिन 4 ’14 और 15 मार्च को लिखे गए अपडेट: विश् ने नयनतारा को मुक्त कर दिया, वृंदा ने हर्ष को मार दिया
नागिन ४ बालाजी टेलीफिल्म्स के बैनर तले एकता कपूर द्वारा निर्मित एक भारतीय अलौकिक टेलीविजन श्रृंखला है। नागिन ४ एक चमत्कारी आकार-परिवर्तनशील साँप की कहानी को आगे बढ़ाते हैं, जो अपने गलत काम करने वालों से बदला लेने के लिए मनुष्य बनने की शक्ति रखता है। 14 मार्च और 15 एपिसोड के लिखित सप्ताहांत अपडेट पर एक नज़र डालें।
नागिन ४ लिखित अद्यतन: 14 मार्च, 2020
एपिसोड की शुरुआत विश के साथ सभी को बताती है कि बृंदा रजत के साथ चली गई है। बा इस तथ्य पर विश्वास नहीं करना चाहता है कि बृंदा कभी भी देव के परिवार के लिए ऐसा करेगी। देव क्रोधित हो जाता है और बा को बताता है कि उसे अब विश्वास करना चाहिए कि वृंदा ने अपने पोते के साथ ऐसा किया है।
पुरोहित जी मौनीता की मृत्यु के लिए वृंदा के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता है। वृंदा बताती है कि वह निश्चित रूप से इस दुनिया की सभी चालों को सीखकर बदला लेना चाहती है। स्वरा बताती हैं कि जब मोनिता ने बृंदा को बेल पत्र से दूर रहने के लिए कहा, तो उसने इसके बारे में अध्ययन किया और पता चला कि बेल पातर नागिन को परेशान करता है। स्वरा बृंदा से पूछती है कि उसके दुश्मन कौन हैं और वह किससे बदला लेना चाहती है। वृंदा पारिख परिवार से कहती है कि वे हत्यारे हैं और वह सभी को मार डालेगी।
देव कमरे में आता है और सब कुछ याद करता है। वह कमरे की चीजों को गुस्से में फेंक देता है और बृंदा के झुमकों को देखकर सवाल करता है कि उसने उसके साथ ऐसा क्यों किया। स्वरा पुरोहित से पूछती है जी अगर वह बृंदा को प्रशिक्षित करने के लिए तैयार है। स्वरा वहां कुछ पुरुषों को बुलाती है जबकि बृंदा को खंभे से बांध दिया जाता है। वे उस पर पेट पैट फेंक देते हैं। वृंदा उनसे लड़ती है।
विश मुंडलिका पर हमला करता है और उसे मार डालता है। वह फिर अपना अवतार लेती है और उस स्थान पर जाती है जहां नयनतारा को दफनाया गया है। वह नयनतारा को मुक्त करती है और उसे बृंदा से बदला लेने के लिए उससे हाथ मिलाने के लिए कहती है। नयनतारा सहमत हो जाती है और कहती है कि अब उसकी पहचान पूरी तरह से बदल जाएगी और वह अब शलाका होगी।
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एक साल बाद
वृषाली पूछती है कि क्या होली की व्यवस्था की गई है। बा आता है और बताता है कि एक साल पहले जो हुआ है वह अस्वीकार्य है। देव अपनी नई पत्नी को देखता है और केतकी कहती है कि उसने आज सुबह शादी कर ली। बृंदा वहां आती है और देव को अपनी नई पत्नी के साथ देखकर चौंक जाती है।
देव कमरे में आता है और शलाका से कहता है कि वह उसके साथ सहज होने में अपना समय ले सकती है। स्वरा, बृंदा से कहती है कि उसे देव से शादी करने के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। वृंदा कहती है कि वह कमजोर नहीं हो सकती और गलती को सुधार लेगी।
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नागिन ४ लिखित अद्यतन: 15 मार्च, 2020
इस एपिसोड की शुरुआत पारिख परिवार द्वारा एक दूसरे को होली की शुभकामनाएं देने के साथ होती है। बृंदा हर किसी के पेय में भंग को मिलाने का फैसला करता है। शलाका वहाँ आती है और सभी को शुभकामना देती है। शालक के रूप में नयनतारा बा को मारने का निर्णय लेती है और अपने छाछ में कुछ मिलाती है।
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बृंदा पूल से आती है और नृत्य करना शुरू कर देती है। वह देव को लुभाने की कोशिश करती है। देव तब सवाल करता है कि वह यहाँ क्यों है। वह उसे बताती है कि उसने केवल उसे पूजा में उसके साथ बैठने के लिए बुलाया था। बृंदा और देव एक दूसरे के साथ बहस करते हैं क्योंकि देव कहते हैं कि उनके बीच सब कुछ खत्म हो गया है। जब शालिका और देव एक दूसरे के साथ नाचने लगते हैं, जब बृंदा नयनतारा को खींचती है और कहती है कि देव के साथ उसकी शादी अवैध है। हर्ष बृंदा के पास आता है और उसके साथ फ्लर्ट करने की कोशिश करता है।
वृंदा हर्ष पर हमला करती है और फिर उसे अपने परिवार के पास चला देती है। वह फिर उसे एक झटका देती है और वह पूल में गिर जाती है। हर कोई उसके पास भागता है। वृंदा को लगता है कि उसने एक निर्दोष व्यक्ति को नहीं मारा होगा, लेकिन उसने नयनतारा को मार डाला। देव अपने झुमके ढूंढता है और वृंदा को देखता है।
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gd-vashist-blog · 6 years
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जानिए शीतला अष्टमी को क्यों करना पड़ता है बासी भोजन ? भारतीय हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष शीतला अष्टमी का व्रत गुरुवार 28 मार्च को किया जाएगा। इस दिन बासी भोजन किया जाता है इसीलिए ये पर्व बसोड़े के नाम से भी जाना जाता है। शीतला अष्टमी के व्रत और पूजन में शीतला माता की आराधना होती है जो देवी का एक स्वरूप है। ये होली के एक सप्ताह में बाद मनाई जाती है। वैसे तो शीतला देवी की पूजा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ही होती है, लेकिन कुछ स्थानों पर ये होली के बाद पड़ने वाले पहले सोमवार अथवा गुरुवार के दिन ही की जाती है। शीतला की पूजा का विधान भी खास होता है। शीतलाष्टमी के एक दिन पूर्व भोग के लिए बासी खाना बनाते है जिसे बसौड़ा कहा जाता है। अष्टमी के दिन बासी भोजन ही देवी को समर्पित किया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में खाया जाता है। इसलिए पूरे उत्तर भारत में शीतलाष्टमी का त्यौहार, बसौड़ा के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता भी है कि इस दिन के बाद से बासी भोजन करना बंद कर दिया जाता है। ये ऋतु का अंतिम दिन होता है जब बासी खाना खा सकते है। इस वर्ष शीतला अष्टमी 28 मार्च 2019, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। 28 तारीख को अष्टंमी प्रातः काल से ही लग जायेगी और पूजन का शुभ मुहूर्त सूर्योदय से लेकर दोपहर 1.29 तक रहेगा। इस दिन बसौड़ा यानि एक दिन पहले बना भोजन खाया जायेगा। इस भोजन को पूजन के बाद भोग लगाकर मुहूर्त बीतने से पहले ग्रहण करना सर्वोत्तम माना जायेगा। ऐसी मान्यता है कि इस प्रसाद को खाने से ज्वर, पीत ज्वर, फोड़े और नेत्र जनित समस्त रोग दूर होते हैं। For Free Prediction Call Now: 01246674671 कोई समस्या है या कोई सवाल है तो दिए हुए लिंक पे क्लिक कर आप अपनी समस्या और अपने सवाल भेज सकते है :- https://goo.gl/rfz1Cb **For more,Follow us on Instagram: https://goo.gl/cxgCkS/ **For more information, visit us: www.astroscience.com **You can contact us on whatsapp : 9821599237 #GdVashist #Astrology #LalKitab #VashistJyotish #SheetalaAshtami https://www.instagram.com/p/Bvia5WVlZ4S/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=1ei91k1fsccrm
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techindime · 5 years
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Holi(होली) कब और क्यों मनाते हैं ?
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होली रंगों का त्योहार है,यह तो सभी को पता होगा कि होली कब है, अगर नहीं पता है तो जान ले इस साल होली 9 मार्च को बनाया जाएगा ; पर क्या आपको पता है कि होली क्यों बनाया जाता है? होली(Holi)  का नाम सुनते ही मन में खुशी और उल्लास की भावना उत्पन्न हो जाती है । होली रंगों का त्योहार है जिसमें बच्चे से लेकर बूढ़े व्यक्ति तक शामिल होकर धूमधाम से इस दिन को सबके साथ मिलकर खुशियां से मनाते हैं,इसलिए होली को सब खुशियों का त्यौहार भी कहते हैं । क्या आपको पता है,भारत देश जैसा पूरे विश्व में कोई दूसरा देश नहीं है जहां लोग एक साथ मिलकर बिना किसी भेदभाव के इस त्यौहार को मनाते हैं ।          
      यह त्यौहार हिंदुओं का प्रमुख और प्रचलित त्यौहार है लेकिन फिर भी होली को हर धर्म के लोग एक साथ मिलकर प्रेम से बनाते हैं जिसकी वजह से यह त्यौहार एक दूसरे के प्रति स्नेह बढ़ाती है।
हमारे देश में जितने भी त्यौहार मनाए जाते हैं उन सब के पीछे एक पौराणिक और सच्ची कथा छुपी हुई होती है ठीक उसी तरह होली के रंग के साथ खेलने के पीछे भी बहुत सी कहानियां है आज इस लेख में हम यह जानेंगे कि होली क्या है और क्यों मनाते हैं ।
होली(Holi) क्या है (what is holi in Hindi)
 होली हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार में से एक है। होली का दिन बड़ा ही शुभ होता है, यह त्योहार हर साल वसंत ऋतु के समय फागुन यानी कि मार्च के महीने में आता है, जिसे पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और यह सबसे ज्यादा खुशी देने वाला त्यौहार में से एक है यह बसंत का त्यौहार है । इसके आने पर सर्दी खत्म हो जाती है और गर्मी की शुरुआत होती है ।
इस साल 9 मार्च को देशभर में होली का पर्व खेली जाएगी। होली के त्योहार उत्सव फागुन के अंतिम दिन होलिका दहन की शाम से शुरू होकर और अगले दिन सुबह सभी लोग आपस में मिलते हैं , एक दूसरे से गले लगते हैं और एक दूसरे को रंग और अबीर लगाते हैं। इस दौरान पूरा वातावरण बेहद सुंदर और रंगीन नजर आती है । इस पर्व को एकता प्यार खुशी सुखी और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में जाना जाता है।
होली(Holi) क्यों मनाई जाती है?अब हम लोग जानेंगे कि आखिर होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
     Holi के त्यौहार से अनेक पौराणिक कहानियां जुड़ी हुई है, जिसमें से सबसे प्रचलित कहानी है पहलाद और उनकी भक्ति को माना जाता है। कहानी यह है कि प्राचीन काल में हिरण कश्यप नाम का एक बलशाली अशुर हुआ करता था , जिसे ब्रह्मदेव द्वारा यह वरदान मिला था, कि उसे कोई इंसान या कोई जानवर न��ीं मार सकता, ना ही कोई अस्त्र या शस्त्र से ,ना घर के बाहर ना घर के अंदर, ना ही दिन में और ना ही रात में ,ना ही धरती पर और ना ही आसमान में ।
अशूर(हिरण्यकश्यप) को इन अश्मित शक्ति होने की वजह से वह घमंडी हो गया था और खुद को ही भगवान समझता था। अपने राज्य के सभी लोगों के साथ अत्याचार करता था, और सभी को भगवान विष्णु की पूजा करने से मना करता था और अपनी पूजा करने का निर्देश देता था क्योंकि वह अपने छोटे भाई की मौत का बदला लेना चाहता था जिसे भगवान विष्णु ने मारे थे।
      हिरण कश्यप का एक पुत्र था जिसका नाम पहला था।एक अशुर का पुत्र होने के बावजूद वह अपने पिता का बात ना सुनकर वह भगवान विष्णु की पूजा करता था।
हिरन कश्यप केक शॉप से सभी लोग उसे भगवान मानने के लिए मजबूर हो गए थे शिवाय उसके इकलौते पुत्र पहलाद के।
हिरण्यकश्यप ने काफी बार प्रयास किया कि उसके फिल्म भगवान विष्णु की भक्ति छोड़ दें, मगर वह हर बार अपने प्रयास में असफल होते रहें। स्क्रीन में उसने अपने ही पुत्र की मृत्यु करने का फैसला लिया।
अपनी इस घिनौने चाल में उसने अपनी बहन होलिका से सहयोग मांगी, होलिका को भी भगवान शिव द्वारा एक वरदान प्राप्त था जिसमें उसे एक वस्त्र मिला था। इस वस्त्र को तन पर लपेटे से आग से कोई भी होलिका को नहीं चला सकता था। हिरण्यकश्यप ने एक षड्यंत्र रचा और होलिका को यह आदेश दिया कि वह पहलाद को अपने गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए। आग में होली का नहीं चल सकती क्योंकि उसे यह वरदान मिला है। उसका पुत्र उस आग में जलकर भस्म हो जाएगा जिससे सब को यह सबक मिलेगा कि अगर उसकी बात किसी ने नहीं मानी तो उसके साथ भी यही होगा।
    जब होलिका प्रहलाद को लेकर आग में बैठी तब पहलाद भगवान विष्णु का जाप कर रहे थे। अपने भक्तों की रक्षा करने भगवान का सबसे बड़ा कर्तव्य होता है इसलिए उन्होंने उस समय एक ऐसा तूफान आया जिससे कि होलिका के शरीर से लिपटा वस्त्र उड़ गया। आग से ना जलने वाला वरदान खत्म और होलिका जलकर भस्म हो गई। दूसरी और भक्त पहलाद बच गया। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में देखते हैं और उसी दिन से होली का उत्सव की शुरुआत की गई और होली को मनाने के लिए लोग रंगों से खेलने लगे।
होली के ठीक 1 दिन पहले होलिका दहन होता है जिसमें लकड़ी, हंस और गाय का गोबर से बने ढेर में इंसान अपनी आपकी बुराई भी इसके चारों और घूम कर आग में जलाते हैं। और अगले दिन से नयी शुरुआत रंग से करते हैं ताकि पूरा ��ाल खुशियों से भरा हुआ रहे।
होली के दिन क्या नहीं करना है।
1. Chemical से बने रंगों या synthetic रंगों का इस्तेमाल बिल्कुल भी ना करें 2.आंखों को किसी भी व्यक्ति के आंख, नाक, मुंह और कान में ना डालें। 3. रंगो को किसी भी व्यक्ति पर भी जबरदस्ती ना डालें। 4. सस्ते Chinese रंगो से दूर रहें क्योंकि वह त्वचा के लिए बहुत हानिकारक है। 5.Eczema से पीड़ित व्यक्ति रंगों से दूर रहने की कोशिश करें होली के दिन क्या करना है। 1. होली के दिन Organic and naturals रंगों का इस्तेमाल करें। 2. अपने चेहरे,शरीर और बाल पर कोई भी तेल लगा ले ताकि जब आप रंग को नहाते वक्त छुड़ाने की कोशिश करें तो वह आसानी से छूट जाए। 3. इस दिन आप जो कपड़े पहने उससे पूरे शरीर ढका होना चाहिए ताकि जब कोई दूसरा व्यक्ति आपको chemical से बने रंग लगाए तो आपकी त्वचा कपड़ों की वजह से बच जाए। 4. रंगों से खेलने के बाद अगर आपको त्वचा परेशानी हो जाए तो तुरंत अपने नजदीकी अस्पताल में इलाज करवाएं। 5. Asthma पीड़ित व्यक्ति Facemask का उपयोग रंग खेलते वक्त जरूर करें ।
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तुलसी के 22 फायदे, उपयोग और नुकसान – Basil Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
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तुलसी के 22 फायदे, उपयोग और नुकसान – Basil Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
Anuj Joshi May 31, 2019
भारत के लगभग हर घर में आपको होली बेसिल यानी तुलसी का पौधा नजर आ जाएगा। जहां एक तरफ इसकी धार्मिक मान्यता है, वहीं कई बीमारियों के इलाज में भी इसका प्रयोग किया जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, जिस घर के आंगन में तुलसी का पौधा होता है, वहां बैक्टीरिया और जीवाणु प्रवेश नहीं कर पाते हैं। साथ ही घर का वातावरण भी शुद्ध होता है। स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे कि क्यों और किस प्रकार तुलसी हमारे लिए फायदे हैं। साथ ही इसे किस प्रकार उपयोग करें कि यह हमारे लिए नुकसानदायक साबित न हो।
अब सीधा हम मुद्दे पर आते हुए तुलसी के फायदों के बारे में बात करते हैं। यहां हम जानेंगे कि तुलसी व तुलसी के बीज का उपयोग कैसे किया जा सकता है।
विषय सूची
तुलसी के फायदे – Basil Leaves Benefits in Hindi
वैज्ञानिक भाषा में बात करें, तो तुलसी में एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीमाइक्रोबियल व एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं (1)। इन गुणों के चलते ही तुलसी आपके लिए लाभकारी साबित होती है। यह कैंसर, डायबिटीज व ह्रदय रोग जैसी कई बीमारियों का इलाज करने में सक्षम है। इतना ही नहीं सर्दी-जुकाम व श्वासनली से जुड़े रोग व शरीर में आई सूजन को भी तुलसी की मदद से ठीक किया जा सकता है। अगर यह कहा जाए कि तुलसी आयुर्वेदिक औषधि है, तो गलत नहीं होगा। इसे न सिर्फ पूजा के लिए इस्तेमाल किया जाता है, बल्कि यह दवा का काम भी कर सकती है। तुलसी किस प्रकार सेहत, त्वचा व बालों के लिए कारगर है, उस बारे में हम आगे विस्तार से बता रहे हैं।
सेहत के लिए तुलसी के फायदे – Health Benefits of Basil in Hindi
1. तनाव के लिए तुलसी के फायदे
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आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बेसिल लीव मानसिक तनाव को कम कर सकती है। इसमें एंटी-स्ट्रेस गुण पाया जाता है (1)। तुलसी इम्यून सिस्टम को बेहतर कर सकती है, जिससे काफी हद तक तनाव से राहत मिल सकती है। साथ ही तुलसी शरीर में कोर्टिसोल क�� स्तर को संतुलित करने में मदद करती है। कोर्टिसोल एक प्रकार का स्ट्रेस हार्मोन होता है। अगर इसका स्तर कम होता है, तो तनाव व थकान में कमी आती है।
बेसिल लीव ऊर्जा बढ़ाने में भी मदद करती हैं और आपके काम पर फोकस को बेहतर करती है। अगर इन दो मामलों में आप बेहतर होते हैं, तो न सिर्फ तनाव कम होगा, बल्कि काम पर भी अच्छी तरह से ध्यान दे पाएंगे। एक ऑस्ट्रेलियन अध्ययन के अनुसार भी तुलसी मानसिक तनाव को दूर कर सकती है। साथ ही यह विभिन्न प्रकार के केमिकल के दुष्प्रभाव से भी शरीर के अंगों को सुरक्षित रखती है (2)। वहीं, भारत में हुए रिसर्च में भी इस बात की पुष्टि की गई है कि तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो आपको तनाव से बचा सकते हैं (3)। तुलसी के पत्ते खाने के फायदे की लिस्ट में आप इसे शामिल कर सकते हैं।
2. बेहतर इम्यूनिटी के लिए तुलसी के फायदे
ऐसा माना जाता है कि रोज तुलसी के ताजे पत्ते खाने से इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर हो सकती है। इतना ही नहीं, यह श्वासनली से जुड़ी बीमारी अस्थमा तक में फायदेमंद साबित हो सकती है। साथ ही कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण होने वाली समस्याओं ब्रोंकाइटिस व फेफड़ों में संक्रमण से भी बचाव हो सकता है। इन तमाम बीमारियों में तुलसी कफ को पतला करके उसे शरीर से बाहर निकालती है। साथ ही फेफड़ों की कार्यक्षमता में भी सुधार होता है, जिससे आपको आराम मिलता है (4)।
बेसिल लीव के प्रयोग से सर्दी-जुकाम व बुखार को भी ठीक किया जा सकता है (5)। बुखार होने पर आप सिर्फ तुलसी की कुछ पत्तियों को पानी से धोकर चबा लें। साथ ही पत्तियों को पानी में उबालकर उस पानी को पीने से भी आपको आराम मिल सकता है। तुलसी की पत्तियां कटने व जलने से बने घावों को भी ठीक कर सकती हैं। साथ ही किसी भी तरह के संक्रमण से भी बचाती हैं। आप इम्यूनिटी सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए तुलसी का उपयोग कर सकते हैं।
3. वजन घटाने में तुलसी के फायदे
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तनाव में होने पर कुछ लोगों की भूख बढ़ जाती है और वो जरूरत से ज्यादा खाते हैं। इससे वजन बढ़ने लगता है। जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा कि तुलसी के सेवन से तनाव पैदा करने वाले कोर्टिसोल का स्तर कम होता है। इस लिहाज से हम कह सकते हैं कि वजन घटाने के लिए तुलसी का प्रयोग किया जा सकता है।
हाल ही में हुई एक स्टडी ने भी इस संबंध में तुलसी के प्रभाव की पुष्टि की है। स्टडी के अनुसार, मोटापे से ग्रस्त मरीज को प्रतिदिन 250 ग्राम तुलसी के पत्तों का रस दिया गया। इससे मरीज के लिपिड स्तर व बीएमआई में काफी सुधार देखा गया। इस आधार पर कहा जा सकता है कि वजन घटाने में तुलसी मददगार है (6)। इस प्रकार से तुलसी के पत्ते खाने के फायदे में वजन घटाना भी शामिल है।
4. मुंह के स्वास्थ्य के लिए तुलसी के फायदे
आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि होली बेसिल मुंह को साफ करके के काम भी आ सकती है। यह मुंह से आने वाली बदबू, पायरिया, मसूड़ों से जुड़ी बीमारियों को ठीक करने में मदद करती है। ऐसा तुलसी में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुणों के कारण है (7)। एक अन्य अध्ययन के अनुसार, तुलसी में एंटीमाइक्रोबियल गुण भी होते हैं। इन गुणों के कारण ही तुलसी को मुंह से संबंधित बीमारियों में इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही इसके प्रयोग से कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है (8)। मुंह के स्वास्थ्य के लिए तुलसी का उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है।
5. आंखों के लिए तुलसी के फायदे
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इन दिनों हर कोई आंखों से जुड़ी बीमारी से ग्रस्त है। अगर आपके साथ भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो आज से ही तुलसी का प्रयोग शुरू कर दें। तुलसी कंजक्टिवाइटिस जैसे संक्रमण के साथ-साथ अन्य रोगों से भी आंखों की रक्षा कर सकती है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो आंखों को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं। ऐसा माना जाता है कि तुलसी की पत्तियां मोतियाबिंद से भी आपको बचा सकती हैं। तुलसी में विटामिन-ए होता है, जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। इस लिहाज से भी आप तुलसी का प्रयोग कर सकते हैं (9) (10)।
नोट : बेशक तुलसी गुणकारी है, लेकिन आंखें बेहद कोमल होती हैं, इसलिए आंखों में कुछ भी डालने से पहले अच्छे नेत्र विशेषज्ञ से राय जरूर लें।
6. सिरदर्द में तुलसी के फायदे
अगर आपको सिरदर्द है, तो तुरंत राहत पाने के लिए बेसिल लीव पर भरोसा कर सकते हैं। भारत में सदियों से सिरदर्द के लिए तुलसी का प्रयोग किया जा रहा है। फिर चाहे आप इसे रस की तरह प्रयोग करें या फिर पाउडर की तरह। इसके अलावा, आप तुलसी की चाय बनाकर भी पी सकते हैं। चाय में तुलसी के अलावा आप अन्य जड़ी-बूटियां व शहद भी मिला सकते हैं (11)।
7. ह्रदय के लिए तुलसी के गुण
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तुलसी के प्रयोग से कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है। डायबिटीज, थायराइड व उच्च रक्तचाप से ग्रस्त मरीजों का कोलेस्ट्रॉल सामान्य होना जरूरी है, वरना इससे ह्रदय पर बुरा असर पड़ता है। तुलसी की पत्तियां खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करके अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाती हैं (12)। ऐसे में आप तुलसी का प्रयोग कर सकते हैं। तुलसी में विटामिन-सी व एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो ह्रदय को फ्री रेडिकल्स से बचाकर रखते हैं।
इसके अलावा, तुलसी में फ्लेवनॉएड नामक तत्व होता है, जो ह्रदय की धमनियों में खून के थक्के बनने नहीं देता। इससे हार्ट अटैक व अन्य ह्रदय रोग की आशंका कम हो जाती है। एक ऑस्ट्रेलियन अध्ययन के अनुसार भी तुलसी ह्रदय रोग से बचाने में सहायक साबित हो सकती है (1)। तुलसी के पत्ते खाने के फायदे में स्वस्थ ह्रदय भी शामिल है।
8. गले में खराश के लिए तुलसी के गुण
मौसम में बदलाव होने, कुछ भी ठंडा खाने, धूम्रपान करने या फिर एलर्जी के कारण गले में खराश होने लगती है। धूम्रपान को छोड़ दिया जाए, तो अन्य कारणों पर हमारा बस नहीं चल सकता। इसलिए, गले में खराश होने पर आप होली बेसिल की पत्तियों को औषधि के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। कुछ वैज्ञानिक शोध में भी पाया गया है कि तुलसी में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं (13)। श्वास व गले से संबंधित कोई भी समस्या होने पर तुलसी का प्रयोग किया जा सकता है। इसके लिए, आप पानी में तुलसी की पत्तियों को पानी में डालकर उबाल लें और फिर उसे पिएं। साथ ही आप इस पानी से गरारे भी कर सकते हैं।
9. कैंसर के लिए तुलसी के लाभ
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शरीर से जुड़ी सामान्य बीमारियों के साथ-साथ तुलसी कैंसर में भी लाभदायक साबित हो सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि तुलसी के रस में रेडियोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं, जो शरीर में पनपने वाले ट्यूमर सेल्स को खत्म कर सकते हैं। इसके अलावा, तुलसी में यूजेनॉल भी पाया जाता है, जिसमें एंटीकैंसर गुण होते हैं। साथ ही तुलसी में रोसमारिनिक एसिड, एपिगेनिन, ल्यूटोलिन, माय्रटेनल जैसे जरूरी फाइटोकेमिकल्स होते हैं। ये भी विभिन्न प्रकार के कैंसर से लड़ने में मदद कर सकते हैं (14)।
एक अन्य अध्ययन के अनुसार, तुलसी के सप्लीमेंट्स भी कैंसर एंजाइम को पनपने से रोक सकते हैं। इतना ही नहीं, तुलसी का रस पैंक्रियाज कैंसर सेल्स में ट्यूमरजेनिसिटी और मेटास्टेसिस के असर को कम कर सकता है (15)। साथ ही यह स्तन कैंसर के प्रभाव को भी धीरे-धीरे कम कर देता है (16)।
10. डायबिटीज के लिए तुलसी के फायदे
डायबिटीज के रोगियों के लिए भी तुलसी फायदेमंद है। तुलसी के सेवन से टाइप 2 डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन का प्रवाह सामान्य हो जाता है। साथ ही वैज्ञानिकों का मानना है कि तुलसी में एंटी-डायबिटीक गुण होते हैं। इसलिए, तुलसी भोजन से पहले और भोजन के बाद ब्लड ग्लूकोज के स्तर को कम कर सकती है (1)।
एक अन्य अध्ययन के अनुसार तुलसी में फ्लेवोनोइड्स, ट्राइटरपेन व सैपोनिन जैसे कई फाइटोकेमिकल्स होते हैं, जो हाइपोग्लाइसेमिक के तौर पर काम करते हैं। इससे शुगर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है (17)। तुलसी के पत्ते खाने के फायदे में डायबिटीज का उपचार भी शामिल है।
तुलसी की पत्तियों व तुलसी के बीज का उपयोग जानने के लिए पढ़ते रहें यह आर्टिकल।
11. खांसी व सर्दी के लिए तुलसी के बेनिफिट्स
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वैसे तो बाजार में खांसी के लिए ऐसे सिरप मिलते हैं, जिनमें तुलसी होती है, लेकिन इनके मुकाबले तुलसी के घरेलू उपचार ज्यादा फायदेमंद हैं। जैसा कि आप जान ही चुके हैं कि तुलसी में एंटीइंफ्लेमेटरी व एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो श्वासनली से जुड़ी समस्याओं में कारगर साबित हो सकते हैं। इसलिए, खांसी के लिए आप तुलसी पर भरोसा कर सकते हैं। इसके लिए आप तुलसी की कुछ पत्तियों को पानी में उबालकर इस पानी को पिएं। इससे आपको आराम मिल सकता है। वहीं, अगर आपको सर्दी लग रही है, तो आप तुलसी की पत्तियां चबा सकते हैं। इसके अलावा, तुलसी के पत्तों की चाय भी पी सकते हैं। इससे आपको सर्दी लगने में राहत मिल सकती है (18)। आप खांसी या फिर सर्दी होने पर तुलसी का उपयोग कर सकते हैं।
12. किडनी स्टोन के लिए तुलसी के फायदे
इन तमाम खूबियों के अलावा, तुलसी में एक गुण और भी है। यह शरीर को अच्छी तरह से डिटॉक्सीफाई कर सकती है। साथ ही इसमें हल्का मूत्रवर्धक गुण भी होता है, जिस कारण से यह किडनी में पथरी होने पर अपना असर दिखा सकती है। यह एक तरफ शरीर में यूरिक एसिड को कम करती है, तो दूसरी तरफ मूत्रवर्धक गुण के चलते किडनी से पथरी को निकालने में मदद करती है। साथ ही किडनी की कार्यक्षमता में भी वृद्धि होती है (19)।
13. पेट के लिए तुलसी के फायदे
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पेट सही नहीं, तो पूरे शरीर की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। इसलिए, पेट का ठीक रहना जरूरी है। इस मामले में तुलसी रामबाण इलाज है। यह पेट में दर्द, पेट का फूलना, एसिडिटी व कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिला सकती है। साथ ही अगर आप नियमित रूप से तुलसी का सेवन करते हैं, तो अल्सर जैसी समस्या से भी छुटकारा मिल सकता है (20)।
अगर आपके पेट में तेज दर्द हो रहा है, तो आप 10ml तुलसी के रस में 20ml नींबू का रस मिलाकर पी सकते हैं। इससे आपको तुरंत आराम मिल सकता है। वहीं, अगर एसिडिटी की समस्या है, तो तुलसी के बीजों को पानी में उबालकर पीने से राहत मिल सकती है।
14. लिवर के लिए तुलसी के बेनिफिट्स
एक वैज्ञानिक रिसर्च के दौरान तुलसी में हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण पाए गए थे। हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण के चलते लिवर को नुकसान होने से बचाया जा सकता है। इसलिए, खराब लिवर से पीड़ित चूहे को तुलसी का सेवन कराया गया था। इसके बाद चूहे में सकारात्मक बदलाव नजर आए थे। रिसर्च के दौरान पाया गया कि तुलसी के प्रयोग से चूहे के लिवर में आई सूजन कम हो गई है (21)। इतना ही नहीं, तुलसी के सेवन से शरीर को डिटॉक्सीफाई करने की लिवर की क्षमता में सुधार हो सकता है।
नोट : इन तमाम गुणों के बावजूद हम यही सलाह देंगे कि लिवर की समस्या होने पर तुलसी का सेवन करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
15. सूजन को कम करने में तुलसी के लाभ
जैसा कि हमने इस लेख के शुरुआत में बताया था कि तुलसी में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, इसलिए यह शरीर व जोड़ों में आई सूजन को कम करने में कारगर साबित हो सकती है। वैज्ञानिकों के अनुसार तुलसी में कई गुणकारी तत्व होते हैं, जो सूजन को कम कर सकते हैं। इनमें से मुख्य तत्व अर्सोलिक एसिड है, जो एंटी-इंफ्लेमेटरी की तरह काम करता है (22) (23)। यह कोर्टिसोल के कारण पैदा होने वाले हानिकारक एंजाइम को खत्म करने का काम करता है। तुलसी एनाल्जेसिक (दर्द निवारक दवा) के रूप में भी काम करती है।
16. रक्त वाहिकाओं के लिए तुलसी के बेनिफिट्स
यह तो आप समझ ही चुके हैं कि तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यही कारण है कि तुलसी के इस्तेमाल से रक्त वाहिकाएं ठीक प्रकार से काम कर पाती हैं। रक्त वाहिकाओं में किसी भी तरह की रुकावट पैदा नहीं होती है और न ही उन्हें किसी भी तरह की क्षति होती है। इस संबंध में वैज्ञानिक और शोध कार्य कर रहे हैं। तुलसी के पत्ते खाने के फायदे में रक्त वाहिकाओं की बेहतर कार्यप्रणाली भी शामिल है।
आगे हम बताएंगे कि आपकी स्किन के लिए तुलसी किस प्रकार फायदेमंद साबित हो सकती है।
त्वचा के लिए तुलसी के फायदे – Skin Benefits of Basil in Hindi
17. कील-मुंहासों के लिए तुलसी के लाभ
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तुलसी लिवर को डिटॉक्सीफाई करने के साथ-साथ रक्त को भी साफ करने का काम करती है। इसके पत्तों में मौजूद एंटीबैक्टीरियल व एंटीफंगल गुण खून में जमा विषैले जीवाणुओं को शरीर से बाहर निकाल देते हैं। यही कारण है कि तुलसी कील-मुंहासों को बाहर के साथ-साथ अंदर से भी ठीक करती है। थाइलैंड में हुए एक अध्ययन में भी इस बात को माना गया है कि तुलसी की मदद से कील-मुंहासों का उपचार किया जा सकता है (24)। आप कील-मुंहासों के लिए तुलसी को खाने के साथ-साथ तुलसी की चाय भी बनाकर पी सकते हैं। कील-मुंहासों के लिए तुलसी के पत्ते के फायदे प्राप्त करने के लिए इस फेस पैक का इस्तेमाल कर सकते हैं :
सामग्री :
तुलसी की कुछ पत��तियां
चंदन पाउडर (आवश्यकतानुसार)
गुलाब जल (आवश्यकतानुसार)
प्रयोग की विधि :
सबसे पहले तुलसी की पत्तियों को पीस लें।
फिर उसमें चंदन पाउडर व गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बना लें।
अब इस पेस्ट को चेहर पर लगाकर करीब 20 मिनट के लिए छोड़ दें।
इसके बाद चेहरे को ठंडे पानी से धो लें।
इस घरेलू उपचार की मदद से आप न सिर्फ कील-मुंहासों को ठीक कर सकते हो, बल्कि ब्लैकहैड्स व दाग-धब्बों से भी छुटकारा पा सकते हो।
18. त्वचा में संक्रमण के लिए तुलसी के पत्ते के फायदे
तुलसी के पत्तों में एंटीबायोटिक गुण भी पाए जाते हैं, जो संक्रमण के कारण होने वाले त्वचा रोग को ठीक कर सकते हैं। तुलसी की पत्तियां त्वचा रोग का कारण बनने वाले बी. एन्थ्रेसिस और ई. कोलाई जैसे बैक्टीरिया को पनपने नहीं देती हैं। इसके अलावा, तुलसी में एंटीफंगल व एंटीमाइक्रोबियल गुण भी होते हैं, जो त्वचा संक्रमण से बचाते हैं (25)। अगर आपकी त्वचा पर संक्रमण होता है, तो आप इस घरेलू उपचार का इस्तेमाल करें, ताकि तुलसी के पत्ते के फायदे आपको मिल सकें :
सामग्री :
250 ग्राम तुलसी की पत्तियां
250 ग्राम तिल का तेल
प्रयोग की विधि :
तुलसी की पत्तियों को तिल के तेल में डालकर उबाल लें।
फिर इसे पीसकर पेस्ट बना लें।
अब इस पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगाएं।
19. एक्जिमा और विटिलिगो के लिए तुलसी के पत्ते के फायदे
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एक्जिमा ऐसी बीमारी है, जिसमें त्वचा पर तेज जलन व खुजली होती है। कई बार इससे त्वचा पर गंभीर घाव भी हो जाते हैं। वहीं, विटिलिगो में त्वचा अपनी प्राकृतिक रंगत खोने लगती है। इसमें पूरे शरीर पर जगह-जगह बड़े-बड़े पैच नजर आते हैं। आम भाषा में इसे फुलवैरी या फिर सफेद दाग कहते हैं। इन दोनों अवस्थाओं में तुलसी फायदेमंद साबित हो सकती है।
अगर आप प्रतिदिन तुलसी की कुछ पत्तियों का सेवन करते हैं, तो उससे एक्जिमा व विटिलिगो से कुछ राहत मिल सकती है। एक शोध में भी कहा गया है कि तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो एक्जिमा को कुछ हद तक ठीक कर सकते हैं (26)।
नोट : एक्जिमा गंभीर त्वचा रोग है, इसलिए तुलसी का प्रयोग करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
सेहत व त्वचा के बाद अब बारी आती है बालों की, तो इस मामले में भी तुलसी के फायदे देख लेते हैं।
बालों के लिए तुलसी के फायदे – Hair Benefits of Basil in Hindi
20. झड़ते बालों के लिए तुलसी के पत्ते के फायदे
तुलसी की पत्तियां हेयर फॉलिकल्स को फिर से सक्रिय कर बालों को झड़ने से बचाती हैं। साथ ही बालों को जड़ों से मजबूत बनाती हैं। इसके अलावा, स्कैल्प को ठंडा करती हैं और सर्कुलेशन को बेहतर करती हैं। अगर आप झड़ते बालों से परेशान हैं, तो तुलसी पर भरोसा कर सकते हैं (27)। यहां जानिए कि झड़ते बालों से राहत पाने के लिए तुलसी का प्रयोग किस प्रकार करें :
सामग्री :
तुलसी की कुछ पत्तियां
थोड़ा-सा तेल
प्रयोग की विधि :
तुलसी की पत्तियों को पीसकर पेस्ट बना लें।
फिर इसे अपने हेयर ऑयल में मिक्स करके बालों पर लगाएं और हल्के-हल्के हाथों से मालिश करें।
तेल को करीब 30 मिनट तक लगा रहने दें और फिर सल्फेट फ्री शैंपू से बालों को धो लें।
21. डैंड्रफ के लिए तुलसी के गुण
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डैंड्रफ की समस्या सबसे ज्यादा सर्दियों में देखने को मिलती है। अगर आप भी डैंड्रफ से जूझ रहे हैं, तो एक बार तुलसी का प्रयोग करके देखें। तुलसी के इस्तेमाल से न सिर्फ स्कैल्प में रक्त का संचार बेहतर होता है, बल्कि डैंड्रफ व सिर में होने वाली खुजली से भी राहत मिलती है (28)। साथ ही स्कैल्प पर आया रूखापन भी दूर होता है। डैंड्रफ का कारण बनने वाले पांच प्रकार के फंगल को तुलसी की मदद से ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा, तुलसी लगाने से बालों में प्राकृतिक चमक आती है और बाल रूख व उलझे हुए नहीं रहते।
सामग्री :
तुलसी के तेल की कुछ बूंदें
कोई भी हेयर ऑयल
प्रयोग की विधि :
तुलसी के तेल को अपने हेयर ऑयल में मिक्स कर दें।
फिर इस तेल को बालों व स्कैल्प लगाकर हल्के-हल्के हाथों से मालिश करें।
बेहतर परिणाम के लिए आप इसे रात को लगाकर सोएं और अगली सुबह शैंपू से धो लें।
22. असमय सफेद बालों के लिए तुलसी के गुण
इन दिनों युवाओं के बाल समय से पहले ही सफेद होने लगे हैं। इस मामले में तुलसी का प्रयोग किया जा सकता है। तुलसी बालों को असमय सफेद होने से बचाती है। आप बालों को काला व घना बनाने के लिए इस विधि का इस्तेमाल कर सकते हैं :
सामग्री :
थोड़ा-सा तुलसी पाउडर
थोड़ा-सा आंवला पाउडर
प्रयोग की विधि :
दोनों पाउडर को रात भर के लिए पानी में भिगोकर रख दें।
अगली सुबह बालों को इस मिश्रण से धो लें।
तुलसी के इतने फायदे जानने के बाद अब जान लेते हैं कि इसका सेवन कैसे-कैसे कर सकते हैं।
तुलसी का उपयोग – How to Use Basil in Hindi
आप तुलसी को निम्न प्रकार से अपनी रोज की डाइट में शामिल कर सकते हैं :
आप रोज सुबह खाली पेट तुलसी की पत्तियां चबा सकते हैं। उससे पहले इसे पानी से जरूर धो लें।
आप तुलसी के पत्तों के साथ अदरक व शहद का इस्तेमाल करके हर्बल चाय बना सकते हैं। यह चाय न सिर्फ सेहत के लिए फायदेमंद है, बल्कि स्वाद में भी अच्छी होती है।
आप अपनी पसंदीदा डिश में तुलसी के पत्तों को काटकर डाल सकते हैं। इससे डिश का स्वाद भी बढ़ेगा और जरूरी पोषक तत्व भी मिलेंगे।
अगर आप खाना बनाते समय अंत में तुलसी के पत्तों को मिक्स कर देंगे, तो इससे खाने में अनोखा स्वाद आएगा और साथ ही खाने से मनमोहक खुशबू भी आएगी।
आप जूस या मॉकटेल में भी तुलसी के पत्तों को डाल सकते हैं। इससे आपको नया फ्लेवर मिलेगा।
आप सलाद में भी तुलसी के ताजे पत्तों को काटकर मिक्स कर सकते हैं।
तुलसी व तुलसी के बीज का उपयोग जानने के बाद आर्टिकल के अंत��म भाग में हम तुलसी के कुछ दुष्प्रभावों के बारे में बात कर लेते हैं।
तुलसी के नुकसान – Side Effects of Basil in Hindi
आप सोच रहे होंगे कि इतनी गुणकारी तुलसी के नुकसान क्या हो सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। आयुर्वेद भी कहता है कि हर चीज का सेवन सेहत व परिस्थितियों के अनुसार और सीमित मात्रा में ही करना चाहिए, तभी उसका फायदा होता है। इस लिहाज से तुलसी की भी कुछ सीमाएं हैं, जिनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं :
अगर आप गर्भवती हैं या अपने शिशु को स्तनपान करा रही हैं, तो इस परिस्थिति में तुलसी का सेवन सोच-समझ कर करना चाहिए। सबसे बेहतर यही है कि इन दोनों अवस्थाओं में तुलसी का सेवन न ही किया जाए। तुलसी में एंटीफर्टिलिटी प्रभाव हो सकता है, जिस कारण यह गर्भवती महिला के लिए सही नहीं और उसे इसका परहेज करना चाहिए (29)।
जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा था कि तुलसी शरीर में खून के थक्के नहीं बनने देती। इस कारण से कुछ मामलों में यह खून को जरूर से ज्यादा पतला कर सकती है, जिससे रक्तस्राव की समस्या हो सकती है। अगर आपको कभी ऐसा लगे, तो तुरंत तुलसी का सेवन बंद कर दें। साथ ही अगर आप खून को जमने से रोकने वाली दवा ले रहे हैं, तो फिर तुलसी का सेवन न करें।
तुलसी में पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है, जिस कारण से यह रक्तचाप को कम कर सकती है (30)। इसलिए, अगर कोई कम रक्तचाप से पीड़ित है या फिर कोई रक्तचाप को कम करने की दवा ले रहा है, तो उसे तुलसी का सेवन नहीं करना चाहिए। इसे रक्तचाप बेहद कम हो सकता है।
तुलसी व अदरक की चाय ज्यादा मात्रा में पीने से पेट व सीने में जलन हो सकती है और एसिडिटी भी बन सकती है।
जो लोग मधुमेह की दवा ले रहे हैं, उन्हें भी तुलसी नहीं खानी चाहिए। इससे रक्त शर्करा का स्तर कम हो सकता है।
तुलसी के इतने गुणों को जानने के बाद आप समझ ही गए होंगे कि क्यों तुलसी को इतना महत्व दिया गया है। इसकी मान्यता न सिर्फ धार्मिक आधार पर है, बल्कि वैज्ञानिक मापदंडों पर भी इसके चिकित्सीय लाभों को प्रमाणित किया गया है। अगर आपके घर में तुलसी का पौधा नहीं है, तो जल्द से जल्द से उसे अपने आंगन या फिर बालकॉनी में रखें, ताकि भविष्य में जरूरत पड़ने पर आपको इसके लिए इधर-उधर भागना न पड़े। यह आर्टिकल आपको कैसा लगा, अपने विचार हमारे साथ नीचे दिए कमेंट बॉक्स में शेयर करें।
स्वस्थ रहें, खुश रहें।
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Anuj Joshi
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अब्बास भाई मुझे माफ करना मैं आपके दर्द को दुनिया को बता रहा हूं: पुण्य प्रसून बाजपेयी
नाम -आसिफ उम्र-25 वर्ष शिक्षा-ग्रेजुएट पिता का नाम- अब्बास, उम्र 55 वर्ष, पेशा-पत्रकार मां का नाम-लक्ष्मी, उम्र 48 वर्ष पेशा-पत्रकारिता की शिक्षिका
जो नाम लिखे गये हैं, वे सही नहीं हैं. यानी नाम छिपा लिए गये हैं क्योंकि जिस घटना को मां-बाप ने ये कहकर छिपाया है और बेटे को समझा रहे हैं कि देश तो हमारा ही है तो दर्द हमें ही जब्त करना होगा उस घटना के पीछे शायद नाम ही हैं और नाम से जोड़कर देखे जाने वाला धर्म है और समाज के भीतर कितनी मोटी लकीर धर्म के नाम पर खींची जा चुकी है.
यह घटना उसका सबूत है कि मुस्लिम बाप बंद कमरे में सिर्फ आंसू बहा सकता है. मां हिन्दू है पर वह भी खामोश है दोनों उच्च शिक्षा प्राप्त ही नहीं बल्कि मुंबई-दिल्ली जैसी जगह में शानदार मीडिया हाउस में काम करते हुये उम्र गुजार चुके हैं. अब भी काम कर रहे हैं पर ये कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं कि उनके बेटे के साथ क्या हो गया.
तो ये सच देश के केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन के लिये है और जो हुआ है. वह इन दोनों सम्मानित जनों को इसलिये जानना चाहिए क्योंकि ये दोनों ही देश की सत्ताधारी पार्टी और सबसे ताकतवर सरकार से जुड़े हुए हैं.
दोनों ही महानुभावों को ये पढ़ते वक्त इस अहसास से गुजरना होगा कि उनका विवाह भी हिन्दू महिला से हुआ है पर दोनों ने अपने बच्चों के मुस्लिम नाम रखे हैं और जाहिर है दोनों के बच्चे भी अच्छे स्कूल कॉलेज से आधुनिक शिक्षा पा रहे होंगे और जो हादसा आसिफ के साथ हुआ है.
वह आज नहीं तो कल इनके बच्चों के साथ भी किसी भी जगह हो सकता है क्योंकि अगर देश में धर्म के नाम जहर फैलेगा और शिकार जब कोई इस तरह प्रबुद्द तबके का लड़का होगा जो कि सिंधिया स्कूल सरीखे स्कूल से पढ़कर निकला हो वहां का टॉपर हो और हादसे के बाद बेटे में गुस्सा हो और मां-बाप उससे कह रहे हों देश तो हमारा ही है गुस्से को जब्त करना सीखना होगा तो?
तो दिल्ली से सटा हुआ है नोएडा. आधुनिकतम शहर तमाम अट्टालिकाएं. दुनिया की नामी गिरामी कंपनियां, दो महीने पहले ही दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति भी इस��� नोएडा में पहुंचे थे साथ में देश के प्रधानमंत्री भी थे. दुनिया में सैमसंग मोबाइल का सबसे बडा प्लांट नोएडा में खुला तो उसका उद्घाटन करने पहुंचे थे.
जाहिर है जब प्लांट का उद्धाटन करने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून-जे-इन पहुंचे तो दुनिया ने जाना कि नोएडा भारत का आधुनिकतम शहर है पर इसी प्लांट से चंद फर्लांग की दूरी पर चार दिन पहले कुछ लड़के आसिफ को घेर लेते हैं. आसिफ को गांव में रहने वाले लड़के सिर्फ ��सलिये घेरते हैं.
क्योंकि आसिफ का एक दोस्त ये कहते हुए अपनी गाड़ी से रवाना होता है कि आसिफ कल मिलेंगे और घर पहुंच कर इकबाल को कहना कि प्रोजेक्ट रिपोर्ट जल्दी तैयार करे और उस जगह से गुजर रहे चंद लड़कों के कानों में सिर्फ आसिफ शब्द जाता है. जगह ऐसी कि लोगों की आवाजाही लगातार हो रही है प्रोफेशनल्स का आना जाना बना रहता है.
इलाके में रिहाइशी मकान बड़ी संख्या में हैं यानी मध्यम-उच्च मध्यम वर्ग के लोग बड़ी तादाद में रहते हैं. तो उनकी आवाजाही भी खूब होती है पर इन सब से बेफिक्र वे चार पांच लडके अचानक आसिफ के पास आते हैं घेर लेते हैं और उसके बाद सवाल करते हैं.
तुम्हारा नाम आसिफ है? -जी मुसलमान हो?
चंद सेकेंड के लिये आसिफ को समझ नहीं आता वह क्या कहे क्योंकि मां तो हिन्दू है और घर में रमजान या ईद के साथ साथ होली दीपावली ही नहीं सरस्वती पूजा तक मनायी जाती है.
चुप क्यों है मुसलमान हो? -हां तो बोलो जय माता दी. -क्या मतलब कोई मतलब नहीं बोलो जय माता दी. -क्यों -जब बोलना होगा तो बोल लूंगा लेकिन आप लोगों के कहने पर क्यों बोलूं. नहीं तुम पहले बोलो जय माता दी. -मैं तुम्हारे कहने पर तो नहीं बोलूंगा. तभी एक लड़का मुक्का मारता है. ये क्या मतलब है.
-वाट आर यू डूइंग. अरे ये तो अंग्रेजी भी बोलता है तो बोलो जय माता दी. -आई विल सी यू. अबे क्या बोल रहा है.
इसके बाद चारो पांचों लड़के आसिफ पर ताबड़तोड़ हमला कर देते हैं लात-घूंसे जमने लगते हैं. आसिफ सिर्फ विरोध कर पाता है सूजे हुए चेहरे के साथ घर पहुंचता है. क्या हुआ पिता देखकर चौकते हैं और सारी घटना सुनने के बाद पिता को भी समझ नहीं आता कि ये कौन सा वक्त है. आसिफ गुस्से में पुलिस में शिकायत करने की बात कहता है.
उन लड़कों को सबक सिखाने के लिये कहता है पिता किसी तरह बेटे का गुस्सा शांत करते हैं. शाम ढलते ढलते मां भी घर पहुंचती है. मां को भी समझ नहीं आता वह करे क्या. दोनों को डर है कि पुलिस में शिकायत करेंगे तो फिर होगा क्या? भरोसा ही नहीं जागता कि पुलिस कार्रवाई करेगी क्योंकि नोएडा जैसे आधुकितम शहर समाज में जब बेखौफ इस तरह उनके बेटे का साथ हो गया जो कि देश दुनिया घूमे हुये हैं.
उच्च शिक्षा प्राप्त किये हुये हैं हर हालात को जानते समझते हैं फिर भी इस तरह खुले तौर पर अगर ये सब हो गया तो क्या करें क्योंकि बेटे में गुस्सा है और पिता अपने बेटे से विनती करता है कि खामोश हो जाओ. गुस्से को जब्त करो. ये हमारी जमीन है. ये देश हमारा है अब अगर समाज को इस तरह बनाया जा रहा है तो फिर समाज बिगड़ने या बदला लेने के रास्ते तो हम नहीं चल सकते.
बीते तीन दिनों से मां बाप बारी बारी से घर में रहते हैं बेटे के साथ रहते हैं. लगातार समझा रहे हैं और बात बात में घर से ना निकलने को लेकर माता-पिता जब इस घटना का जिक्र कर देते हैं तो मैं भी सन्नाटे में आ जाता हूं. बाकायदा मुझे घटना बताकर घटना भूलने का जिक्र करते हैं.
मैं पुलिस थाने का जिक्र कर उन लड़कों की निशानदेही की बात करता हूं. पर जिस तरह मां बाप गुहार लगाने के अंदाज में कहते हैं कुछ मत कीजिए. हम बेटे को समझा रहे हैं गुस्सा जब्त करना सीखे, ये देश हमारा ही तो है. 
पर ये कैसा देश हम बना रहे हैं, जहां हमीं खामोश हो जाएं. नही. तो आप क्या कर लेंगे कैसे किसे समझाएंगे. कौन कार्रवाई करेगा. कानून का खौफ होता तो क्या इस तरह होता और कल्पना कीजिये जगह जगह से जब इस तरह की खबरें आती हैं तो क्या होता है लेकिन इस तरह शहर में पढ़े लिखे बेटे के साथ उसके भीतर क्या चल रहा होगा. ये भी तो सोचिए. क्या सोचे लड़ने निकल पड़े आपसे भी गुजारिश है इसका जिक्र किसी से ना करें.
बीते 24 घंटे से मैं भी इसी कश्मकश में रहा क्या वाकई हम इतने कमजोर हो चुके हैं या देश में कानून का राज है ही नहीं या फिर समाज में जहर इतना भर दिया गया है कि जहर निकालने की जगह जहर पीकर खामोश रहने का हमें आदी बनाया जा रहा है. मैं क्या करुं. अब्बास भाई मुझे माफ करना मैंने आपके दर्द को कागज पर उकेर दिया. सार्वजनिक कर रहा हूं दुनिया के सामने ला रहा हूं. कम से कम लेखन मुझे ये तो ताकत देता है.
यह लेख प्रसिद्ध और वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी द्वारा लिखित है.
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knockingnews-blog · 8 years
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होली पर नवाज शरीफ ने आडवाणी को क्यों याद किया? #PAKISTAN#HINDU#ISLAM इस्लामाबाद: सांप्रदायिकता राजनीति में बड़ा नफा देती है लेकिन आखिरकार सभी को स्वीकार करना पड़ता है कि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा है कि जबरन धर्मांतरण और दूसरे धर्मों के पूजा स्थलों पर हमला करने को इस्लाम में अपराध माना गया है. शरीफ ने यह बात होली पर आयोजित एक समारोह के दौरान कही. उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान किसी धर्म के खिलाफ नहीं है और यहां धर्म को लेकर कोई लड़ाई भी नहीं है. होली पर हिंदुओं को शुभकामनाएं देते हुए नवाज ने कहा कि कौन स्वर्ग में जाएगा और कौन नर्क में, यह तय करना किसी का काम नहीं है बल्कि पाकिस्तान को धरती का स्वर्ग बनाना असली काम है. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को संदेश देते हुए शरीफ ने कहा, 'इस्लाम में हर इंसान को महत्व दिया गया है, चाहे वह किसी भी जाति, संप्रदाय या धर्म का हो. मैं यह साफ कहना चाहता हूं कि किसी का जबरन धर्मांतरण करवाना अपराध है और यह हमारा फर्ज है कि हम अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा करें.' शरीफ ने आगे कहा कि पाकिस्तान में लड़ाई आतंकवादियों और ऐसे लोगों के बीच है जो देश की तरक्की चाहते हैं. उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान में धर्म को लेकर कोई लड़ाई नहीं है. अगर कोई लड़ाई है तो वह आतंकवादियों, धर्म के नाम पर लोगों को गुमराह करने वालों, मासूम लोगों को मारने वालों और देश का विकास न चाहने वालों के खिलाफ है.' सब कुछ नष्ट करने के बाद अब याद आ रहा है. ये सब दिखावा है एक आसिया बीबी को इस्लाम के बारे में कुछ अप शब्द कहने से जेल में डाल कर फांसी की सजा सुना दी है जिसने अपील पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट में की है.जो हिन्दुस्तान के मुसलमानों जो मुहाजिर कहलाते हैं उन पर जुल्म कर भेदभाव अभी तक रखते. शरीफ ने स्वीकार किया कि कुछ लोगों ने धर्म के आधार पर लोगों को बांटने की कोशिश जरूर की है, पर पाकिस्तान में हर इंसान को अपना धर्म मानने की छूट है. उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान इसलिए अस्तित्व में नहीं आया कि वह किसी धर्म के खिलाफ था. पाकिस्तान में किसी धर्म को छोटा या कम समझना गलत है. मैं ऐसा पाकिस्तान चाहता हूं जहां हर धर्म के लोगों के लिए समान अवसर हों और वे खुद को और अपने परिवार को एक अच्छी जिंदगी दे सकें. पाकिस्तान में सभी के लिए शांति और सुरक्षा हो.' पाकिस्तान के ग्रामीण इलाकों में हिंदू महिलाओं के अपहरण और जबरम धर्मांतरण की घटनाएं होती रही हैं. हालांकि पिछले दिनों हिंदू महिलाओं के जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए पाकिस्तान में हिंदू मैरेज ऐक्ट पास किया गया था, लेकिन फिर भी ऐसी घटनाएं पूरी तरह रुकी नहीं हैं. शरीफ ने दावा किया कि 2013 के बाद से ऐसे मामलों में कमी आई है. शरीफ ने कहा कि वह कराची में हर जगह बिना किसी रुकावट के होली के जश्न को देखकर काफी खुश हैं. समारोह में किसी ने जब किसी शख्स ने मोहम्मद रफी के मशहूर गाने 'बहारों फूल बरसाओ' का जिक्र किया तो शरीफ ने बीजेपी नेता एलके आडवाणी को भी याद किया.
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differentlandmaker · 4 years
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इस तरह श्री यन्त्र त्राटक साधना करने पर तीनो जगत वशीकरण की शक्ति मिलती है
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shree yantra tratak in hindi यानि tratak kriya जब एक यन्त्र पर की जाए तो क्या shree yantra tratak se jyada benefit milta h अगर हमें sammohan shakti chakra का लाभ लेना है तो shree yantra के किस चक्र ���र tratak meditation करना चाहिए। ऐसे कई सवाल है जो tratak on sree yantra से जुड़े है। shree chakra वास्तव में श्री यन्त्र के वो लेयर है जो अलग अलग बेनिफिट लिए है। किस चक्र पर tratak meditation कोनसा बेनिफिट दिलाता है आज जानते है। tratak sadhna in hindi में कई तरीको का वर्णन है जो अलग अलग महत्व लिए है। उनमे shakti chakra tratak in hindi और shree yantra tratak लगभग सबसे ज्यादा powerful माने गए है। shree yantra image par tratak करने से कैसे हमें सही लाभ मिलेगा और tratak benefit को ज्यादा से ज्यादा कैसे हासिल करे ऐसे कई सवालों का जवाब आज हम जानेंगे।
shree yantra tratak meditation in hindi :
श्री यन्त्र पर त्राटक ध्यान करने से हमें कई अनुभव ऐसे होते है जो आध्यात्मिक रूप से हमें मजबूत बनाते है। श्री यन्त्र की 9 लेयर में हमें सबसे ऊपरी और मध्य की लेयर पर त्राटक करना चाहिए। इससे ना सिर्फ हमें wealth मिलती है बल्कि triloki vashikaran यानि तीनो जगत का वशीकरण भी मिलता है। लेकिन sree yantra image par tratak करने से पहले आपको सबसे खास बात जान लेनी चाहिए की श्री यन्त्र कब हमें सही लाभ देगा। shree yantra benefit in hindi की बात करे तो श्री यन्त्र की स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा के बाद अगर हम shree yantra tratak करे तो हमें vashikaran और wealth यानी धन प्राप्ति होती है। लेकिन ये तभी होगा जब आप इससे जुड़े सभी नियमो का कड़ाई से पालन करेंगे। tratak on shree yantra : sree yantra tratak kriya vidhi हमारे पूजा पाठ के तरीको से जुडी है। जिस तरह हम देवी देवता की स्थापना करते है उसी तरह से श्री यन्त्र की स्थापना करनी चाहिए। इसके बाद श्री यन्त्र के सामने दीपक प्रज्ज्वलित कर मानसिक tratak meditation करना चाहिए तथा भगवान् शिव और माता पार्वती का ध्यान लगाना चाहिए जिससे की shree yantra me energy flow करने लगे। shree yantra par tratak करने के लिए इसके सबसे ऊपर वाली लेयर और मध्य वाली लेयर का चुनाव करे। इसका मंत्र श्रीम है जिसमे श्री लम्बा खिंचाव लिए हुए है। बाकि सभी विधि एक normal bindu tratak जैसी है। आइये जानते है श्री yantra से जुडी कुछ खास बातो को जिन्हे जान कर ही हमें घर में श्री यन्त्र की स्थापना करनी चाहिए। श्री यन्त्र और इसका उपयोग और मह्त्व shree yantra एक divine yantra है जो हिन्दू धर्म में symbol of wealth माना जाता है। घर में sree yantra ki sthapna हालाँकि लोग सिर्फ wealth यानि धन प्राप्ति के उदेश्य से करते है फिर भी समय के साथ tratak me shree yantra ka upyog किया जाने लगा क्यों की इसके experience spiritual थे। हिन्दू धर्म के सबसे खास यन्त्र यानि श्री यन्त्र की बनावट और इसके डिज़ाइन को समझ कर आप अंदाजा लगा सकते है की ये किस तरह से हमारे लिए खास है। sammohan shakti chakra पर त्राटक करना हमें shree yantra benefit दिलाता है। sri yantra image design and fact : shree yantra को symbol of wealth यानि धन का प्रतिक माना गया है। ज्यादातर लोग अपने घर और पर्स में श्री यन्त्र की स्थापना करते है ताकि धन का प्रवाह बना रहे। shree yantra image design की बात करे तो इसमें 9 खास चक्र होते है जिसके मध्य में त्रिपुरा-सुंदरी निवास करती है। ये चक्र अलग अलग benefit लिए होते है। shree chakra tratak in hindi में हमें किस चक्र पर त्राटक करना चाहिए आइये जानते है अलग अलग लेयर यानि चक्र के महत्व को। 9 chakra in shree yantra : sree yantra के ये 9 layer अलग अलग personality benefit से जुड़े है।
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पहली लेयर लाल रंग की है जिसका मंत्र श्रीम है और अगर हम इस लेयर पर त्राटक करते है तो धन की प्राप्ति होती है ऐसा जानकारों का मानना है। दूसरी लेयर या चक्र हमारे समृद्धि से जुड़ी है जिसके अनुसार इस पर नियमित मैडिटेशन करने से wealth और health में इजाफा होता है साथ ही हम जो चाहे वो पा सकते है। तीसरा चक्र : श्री यन्त्र की तीसरी लेयर में बीमारियों को रोकने की क्षमता होती है। चौथा चक्र सभी प्रकार के दोष का निवारण करता है। पांचवा चक्र आपके सभी रुके हुए काम सिद्ध करता है। sixth layer of shree yantra आपके भविष्य को ज्यादा बेहतर बनाती है। seventh layer of shree yantra आपके चारो और से negativity को दूर करती है। eightth layer आपकी सभी इच्छाओ की पूर्ति करती है। नौवे नंबर की लेयर यानि center of shree yantra पर त्राटक करना आपको triloki vashikaran ki sidhhi देता है। tratak se pahle shree yantra ki sthapna ka sahi trika : shree yantra ki sthapna करने से पहले आपको कुछ खास बातो का ध्यान रखना होता है क्यों की श्री यन्त्र पर त्राटक से पहले इसको ऊर्जावान बनाना बेहद जरुरी है। shree yantra image की स्थापना किस तरीके से करे : श्री यन्त्र की प्राण प्रतिष्ठा में ध्यान रखने योग्य कई ऐसी बाते होती है जिन्हे ध्यान ना दे पाने पर हम shree yantra को सही तरह से प्राण प्रतिष्ठित नहीं कर पाते है। इसके लिए निम्न 4 बातो का ध्यान रखे। shree yantra को energetic बनाने के लिए shree yantra meditation यानि पूर्व ध्यान करे जिससे आपकी ऊर्जा श्री यन्त्र से जुड़ जाए। श्री यन्त्र की sthapna घर में ऐसी जगह करे जो मंदिर लायक हो, अगर आप shree yantra par tratak in hindi करने की सोच रहे है तो घर में ऐसी जगह इसकी स्थापना करे जहा पर एकांत हो और स्थापित किया जा सके। shree yantra image की स्थापना के बाद अगर आपके घर में किसी तरह की लड़ाई झगड़ा या मीट और शराब का सेवन होता है तो श्री यन्त्र निस्तेज हो जाता है जिससे की इसका प्रभाव नहीं रहता। श्री यन्त्र की स्थापना ही नहीं प्राण प्रतिष्ठा भी बेहद आवश्यक है और ये हम भी कर सकते है लेकिन बेहतर होगा किसी शुभ मुहूर्त में ऐसे व्यक्ति जैसे पंडित से shree yantra pran pratishtha करवाई जाए जो ये विधि जानता हो। sree yantra के ऊपर हमेशा पीला कपड़ा रखे अगर मंदिर में स्थापित है तो इसके ऊपर पीला पर्दा हो। कही आने जाने में अगर श्री यन्त्र लाना ले जाना पड़े तो साफ पिले कपड़े से ढक कर लकड़ी के बॉक्स में इसे रखे। श्री यन्त्र से जुड़े फैक्ट - fact about shree yantra : श्री यन्त्र की स्थापना के बाद शुक्ल पक्ष के बुधवार, पूर्णिमा और होली दीवाली जैसे त्यौहार और खास दिन इसकी स्पेशल पूजा या ध्यान होना बेहद जरूरी है क्यों की इन दिनों में इसका प्रभाव और लाभ दोनों बढ़ जाते है। सबसे पहले श्री yantra को साफ करना बेहद जरुरी है इसके लिए सबसे पहले गुरु ध्यान करते हुए यन्त्र के सामने दीपक प्रज्ज्वलित करे और फिर शिव तथा माता पार्वती का मानसिक ध्यान करे। shree yantra tratak करने के लिए यन्त्र के मध्य पर tratak meditation करे और इसके बाद सूक्त पाठ भी। अगर ये नहीं कर सकते और यंत्र पूजा नियमित न हो तो बुधवार पूर्णिमा को जरूर करे। shree यन्त्र के 9 layer और 45 त्रिभुज अलग अलग 45 देवी देवताओ का प्रतिनिधित्व करते है। इस लिए अगर आप इसकी स्थापना घर में करते है तो पहले घर के माहौल को कण्ट्रोल कर ले। sree yantra की समय समय पर पूजा पाठ ना कर पाने से negative effect भी होने लगते है इसलिए अगर आपके घर में कोई इसकी टाइम पर पूजा न कर पाए तो इसकी स्थापना न करे। श्री यन्त्र सिद्धि : shree yantra ki sidhhi के लिए सिल्वर श्री यन्त्र को अपने पास रखे और इस पर त्राटक करते हुए om shrim hring shrim mahalakshmaye shrim hring shrim namah मंत्र का 108 बार जाप करे। 125, 000 बार जाप सिद्ध माना गया है, जो शुभ है। shree yantra और shakti chakra tratak अलग नहीं है दोनों ही most powerful tratak है। बदलाव सिर्फ माध्यम का है की हम किस माध्यम को ज्यादा मानते है यहाँ भावनाए हमें प्रेरित करती है की हम किस पर ज्यादा देर फोकस रह पाते है। जैसी हमारी भावनाए त्राटक के दौरान रहती है वैसे ही हमें अनुभव होते है। इसलिए जो माध्यम आपको बेहतर लगता है त्राटक उसी पर करना चाहिए। shree yantra tratak की आज की ये पोस्ट आपको कैसी लगी हमें जरूर बताए साथ ही लेटेस्ट अपडेट के लिए हमें सब्सक्राइब करे। Read the full article
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