हिंदी की प्रसिद्ध पुस्तकें, ज्ञान और मनोरंजन का अद्भुत संगम
हिंदी साहित्य का अनमोल धरोहर है, जिसमें पुस्तकों का विशेष स्थान है। “हिंदी की प्रसिद्ध पुस्तकें: ज्ञान और मनोरंजन का अद्भुत संगम” इस विषय पर आज हम चर्चा करेंगे। यह लेख हमें हिंदी साहित्य के विभिन्न पहलुओं और प्रसिद्ध पुस्तकों के बारे में जानकारी देगा, जो ज्ञान और मनोरंजन का अद्भुत संगम प्रस्तुत करते हैं। हिंदी साहित्य अपनी समृद्ध परंपरा और विविधता के लिए जाना जाता है। अनेक प्रतिभाशाली लेखकों ने…
Sadhna TV Satsang || 18-08-2024 || Episode: 3002|| Sant Rampal Ji Mahara...
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रामचरित मानस के उत्तरकांड के दोहा 42 की चौपाई 4 में तुलसीदास जी ने कहा है:
बड़े भाग मानुष तन पावा, सुर दुर्लभ सब ग्रंथन्हि गावा।
साधन धाम मोच्छ कर द्वारा, पाइ न जेहिं परलोक सँवारा॥
यानि मनुष्य जन्म प्राप्त करने के लिए देवता लोग भी तरसते हैं। क्योंकि मनुष्य जन्म में ही सतभक्ति करके पूर्ण मुक्ति संभव है। इसलिए मनुष्य को आत्महत्या करके अपने मानव जीवन को व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
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🔮"वह अवतार जिसकी लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं, वह 20 वर्ष का हो चुका है।" - जयगुरुदेव
जय गुरुदेव पंथ के संस्थापक तुलसीदास जी द्वारा 7 सितंबर 1971 को लिखी उपरोक्त भविष्यवाणी सिर्फ संत रामपाल जी महाराज पर ही सही बैठती है क्योंकि 8 सितंबर 1951 को अवतरित हुए संत रामपाल जी महाराज 7 सितंबर 1971 को पूरे 20 वर्ष के हो गए थे।
मथुरा के जयगुरूदेव (तुलसीदास) द्वारा सन् 7 सितम्बर 1971 में की गई भविष्यवाणी, "वह अवतार जिसकी लोग प्रतिक्षा कर रहे है वह 20 वर्ष का हो चुका है।"
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 को हुआ और 7 सितम्बर 1971 को सतगुरू रामपाल जी महाराज पूरे 20 वर्ष के हो गए थे। जिससे स्पष्ट है कि संत रामपाल जी महाराज ही वह पूर्ण अवतारी संत हैं।
जिस महापुरुष के विषय में जयगुरुदेव पंथ के संस्थापक तुलसीदास जी ने शाकाहारी पत्रिका (जयगुरुदेव की अमरवाणी भाग 2) के पृष्ठ 50 पर 7 सितंबर 1971 को भविष्यवाणी करी कि
'वह अवतार जिसकी लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं वह 20 वर्ष का हो चुका है। यदि उसका पता बता दूँ तो लोग उसके पीछे पड़ जाएंगे, अभी ऊपर से बताने का आदेश नहीं हुआ है।'
वह अवतार यानि महापुरुष संत रामपाल जी महाराज जी हैं जिनका जन्म 8 सितंबर 1951 को गाँव धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा में हुआ था जो 7 सितंबर 1971 को 20 वर्ष के हो चुके थे।
हिंदी की प्रसिद्ध पुस्तकें, ज्ञान और मनोरंजन का अद्भुत संगम
हिंदी साहित्य का अनमोल धरोहर है, जिसमें पुस्तकों का विशेष स्थान है। “हिंदी की प्रसिद्ध पुस्तकें: ज्ञान और मनोरंजन का अद्भुत संगम” इस विषय पर आज हम चर्चा करेंगे। यह लेख हमें हिंदी साहित्य के विभिन्न पहलुओं और प्रसिद्ध पुस्तकों के बारे में जानकारी देगा, जो ज्ञान और मनोरंजन का अद्भुत संगम प्रस्तुत करते हैं। हिंदी साहित्य अपनी समृद्ध परंपरा और विविधता के लिए जाना जाता है। अनेक प्रतिभाशाली लेखकों ने…
जिस महापुरुष के विषय में जयगुरुदेव पंथ के संस्थापक तुलसीदास जी ने शाकाहारी पत्रिका (जयगुरुदेव की अमरवाणी भाग 2) के पृष्ठ 50 पर 7 सितंबर 1971 को भविष्यवाणी करी कि
'वह अवतार जिसकी लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं वह 20 वर्ष का हो चुका है। यदि उसका पता बता दूँ तो लोग उसके पीछे पड़ जाएंगे, अभी ऊपर से बताने का आदेश नहीं हुआ है।'
वह अवतार यानि महापुरुष संत रामपाल जी महाराज जी हैं जिनका जन्म 8 सितंबर 1951 को गाँव धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा में हुआ था जो 7 सितंबर 1971 को 20 वर्ष के हो चुके थे।
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि
बरनऊं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन कुमार
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर
रामदूत अतुलित बल धामा
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुंडल कुंचित केसा
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजै
संकर सुवन केसरीनंदन
तेज प्रताप महा जग बन्दन
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
बिकट रूप धरि लंक जरावा
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचंद्र के काज संवारे
लाय सजीवन लखन जियाये
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोबिद कहि सके कहां ते
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना
लंकेस्वर भए सब जग जाना
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहू को डर ना
आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हांक तें कांपै
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत निरंतर हनुमत बीरा
संकट तें हनुमान छुड़ावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै
सब पर राम तपस्वी राजा
तिन के काज सकल तुम साजा
और मनोरथ जो कोई लावै
सोइ अमित जीवन फल पावै
चारों जुग परताप ��ुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा
साधु संत के तुम रखवारे
असुर निकंदन राम दुलारे
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा
तुम्हरे भजन राम को ��ावै
जनम-जनम के दुख बिसरावै
अन्तकाल रघुबर पुर जाई
जहां जन्म हरि भक्त कहाई
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बंदि महा सुख होई
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा
पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप.
🔮"वह अवतार जिसकी लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं, वह 20 वर्ष का हो चुका है।" - जयगुरुदेव
जय गुरुदेव पंथ के संस्थापक तुलसीदास जी द्वारा 7 सितंबर 1971 को लिखी उपरोक्त भविष्यवाणी सिर्फ संत रामपाल जी महाराज पर ही सही बैठती है क्योंकि 8 सितंबर 1951 को अवतरित हुए संत रामपाल जी महाराज 7 सितंबर 1971 को पूरे 20 वर्ष के हो गए थे।
जिस महापुरुष के विषय में जयगुरुदेव पंथ के संस्थापक तुलसीदास जी ने शाकाहारी पत्रिका (जयगुरुदेव की अमरवाणी भाग 2) के पृष्ठ 50 पर 7 Sep. 1971 को भविष्यवाणी की कि वह महापुरुष 20 वर्ष का हो चुका है वह कोई और नहीं संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं।
🔮 जयगुरुदेव पंथ के संस्थापक तुलसीदास जी द्वारा 7 सितंबर 1971 को लिखी उपरोक्त भविष्यवाणी सिर्फ संत रामपाल जी महाराज जी पर ही सही बैठती है। क्योंकि 8 सितंबर 1951 को अवतरित हुए संत रामपाल जी महाराज जी 7 सितंबर 1971 को पूरे 20 वर्ष के हो गए थे ।
"वह अवतार जिसकी लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं, वह 20 वर्ष का हो चुका है।" - जयगुरुदेव
जय गुरुदेhttps://surveyheart.com/form/637ce8e58f7bbd42071adfbcव पंथ के संस्थापक तुलसीदास जी द्वारा 7 सितंबर 1971 को लिखी उपरोक्त भविष्यवाणी सिर्फ संत रामपाल जी महाराज पर ही सही बैठती है क्योंकि 8 सितंबर 1951 को अवतरित हुए संत रामपाल जी महाराज 7 सितंबर 1971 को पूरे 20 वर्ष के हो गए थे।