RISK FACTORS AND REALITY: READ AND UNDERSTAND THE ROOT CAUSES OF UNSAFE SEX THAT LEADS TO TEENAGE PREGNANCY
Teenage Pregnancy is an issue that the Philippines still carries, and time goes by the age of the pregnant teenagers are becoming younger and younger. There are several factors that lead or influence the teens to engage on unsafe sexual activities and these factors are what turns the world of the teenagers upside down.
The lack of information about sexual and reproductive health and rights refers to a situation where individuals, communities, or societies are lack of access to comprehensive education about various aspects of sexual health, reproduction, and the rights associated with these matters. Inadequate access to services tailored to young people is where young individuals face challenges in obtaining support, resources, and facilities that address their needs and concerns. Family, community, and social pressure to marry denote the societal expectations and it influence from relatives and the community forcing individuals to enter marriage, impacting personal choices and the timing of such life decisions. Sexual Violence refers to any non-consensual sexual act where force, or manipulation is used to exert control over another person. Lastly, child/early forced marriage, this is where teens are left with no choice but to obey their parents will and submit to a commitment at a young age, thus getting pregnant early.
In conclusion, teenage pregnancy in the Philippines is a significant issue due to factors such as lack of information about sexual and reproductive health, limited access to services, societal expectations, sexual violence, and forced marriage. These factors contribute to the rising trend of pregnancies occurring at younger ages. Addressing these challenges requires education, access to services, and empowerment for young individuals to make informed choices.
#PREVENTEENS
#EducateToEmpower
#AwarenessForChange
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Good morning...
DAY 15 OF MY 21day Health and Wellness Challenge
Continued...Benefits of supplements: Why they're important
💐They’ll give your immune system a big boost
Due to the spread of Coronavirus, it made a lot of people know the importance and the big part the Immune System plays in our well being.
You and I need to do whatever we can to give our immune system a boost, so that it is able to ward off invaders. If you’re making a strong push to get your immune system firing on all cylinders, taking supplements will be the answer to your prayers and I can be of help. Just chat me up.
The best of them all comes from plants, especially the seeds and roots.
💐They’ll let you get to sleep easier at night
30% of the population suffer from sleep disruptions on an almost nightly basis.
If you’re someone who struggles to get to sleep and stay asleep every night, you should do something about it quickly.
Supplements help a lot in getting to sleep naturally without using medications. They are preferred because they are not addictive.
Medications are generally not the best for controlling sleep disorders because you can get addicted to them so much that you won't be able to sleep if you do not take them.
Supplements on the other hand have corrective measures. Chat me up to know more.
To be continued....
#21DayChallenge #educatetoempower #healthandwellness #supplements #immunehealth
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युवाओं को खेलों को भी दूसरे पेशों की तरह देखना चाहिए: मेरठ, उत्तर प्रदेश में पीएम मोदी.
भारत माता की, जय।
भारत माता की, जय।
यूपी की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी, यहां के लोकप्रिय और ऊर्जावान मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्री संजीव बाल्यान जी, वीके सिंह जी, मंत्री श्री दिनेश खटीक जी, श्री उपेंद्र तिवारी जी, श्री कपिल देव अग्रवाल जी, संसद में मेरे साथी श्रीमान सत्यपाल सिंह जी, राजेंद्र अग्रवाल जी, विजयपाल सिंह तोमर जी, श्रीमती कांता कर्दम जी, विधायक भाई सोमेंद्र तोमर जी, संगीत सोम जी, जितेंद्र सतवाल जी, सत्य प्रकाश अग्रवाल जी, मेरठ ज़िला परिषद अध्यक्ष गौरव चौधरी जी, मुज़फ्फरनगर जिला परिषद अध्यक्ष वीरपाल जी, अन्य सभी जनप्रतिनिधिगण और मेरठ-मुजफ्फरनगर, दूर-दूर से आए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, आप सभी को वर्ष 2022 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
साल की शुरुआत में मेरठ आना, अपने आप में मेरे लिए बहुत अहम है। भारत के इतिहास में मेरठ का स्थान सिर्फ एक शहर का नहीं है, बल्कि मेरठ हमारी संस्कृति, हमारे सामर्थ्य का भी महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। रामायण और महाभारत काल से लेकर जैन तीर्थंकरों और पंज-प्यारों में से एक भाई, भाई धर्मसिंह तक, मेरठ ने देश की आस्था को ऊर्जावान किया है।
सिंधु घाटी की सभ्यता से लेकर देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम तक इस क्षेत्र ने दुनिया को दिखाया है कि भारत का सामर्थ्य क्या होता है। 1857 में बाबा औघड़नाथ मंदिर से आज़ादी की जो ललकार उठी, दिल्ली कूच का जो आह्वान हुआ, उसने गुलामी की अंधेरी सुरंग में देश को नई रोशनी दिखा दी। क्रांति की इसी प्रेरणा से आगे बढ़ते हुए हम आज़ाद हुए और आज गर्व से अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। मेरा सौभाग्य है कि यहां आने से पहले मुझे बाबा औघड़नाथ मंदिर जाने का अवसर मिला। मैं अमर जवान ज्योति भी गया, स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय में उस अनुभूति को महसूस किया, जो देश की आजादी के लिए कुछ कर गुजरने वालों के दिलों में लालायित थी।
भाइयों और बहनों,
मेरठ और आसपास के इस क्षेत्र ने स्वतंत्र भारत को भी नई दिशा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राष्ट्ररक्षा के लिए सीमा पर बलिदान हों या फिर खेल के मैदान में राष्ट्र के लिए सम्मान, राष्ट्रभक्ति की अलख को इस क्षेत्र ने सदा-सर्वदा प्रज्जवलित रखा है। नूरपुर मड़ैया ने चौधरी चरण सिंह जी के रूप में देश को एक विजनरी नेतृत्व भी दिया। मैं इस प्रेरणा स्थली का वंदन करता हूं, मेरठ और इस क्षेत्र के लोगों का अभिनंदन करता हूं।
भाइयों और बहनों,
मेरठ, देश की एक और महान संतान, मेजर ध्यान चंद जी की भी कर्मस्थली रहा है। कुछ महीने पहले केंद्र सरकार ने देश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार का नाम दद्दा के नाम पर कर दिया। आज मेरठ की स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी मेजर ध्यान चंद जी को समर्पित की जा रही है। और जब इस यूनिवर्सिटी का नाम मेजर ध्यानचंद जी से जुड़ जाता है तो उनका पराक्रम तो प्रेरणा देता ही है, लेकिन उनके नाम में भी एक संदेश है। उनके नाम में जो शब्द है ध्यान, बिना ध्यान केंद्रित किए, बिना फोकस एक्टिविटी किए, कभी भी सफलता नहीं मिलती है। और इसलिए जिस यूनिवर्सिटी का नाम ध्यानचंद से जुड़ा हुआ हो वहां पूरे ध्यान से काम करने वाले नौजवान देश का नाम रोशन करेंगे, ये मुझे पक्का विश्वास है।
मैं उत्तर प्रदेश के नौजवानों को यूपी की पहली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। 700 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली ये आधुनिक यूनिवर्सिटी दुनिया की श्रेष्ठ स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटीज़ में से एक होगी। यहां युवाओं को खेलों से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय सुविधाएं तो मिलेंगी ही, ये एक करियर के रूप में स्पोर्ट्स को अपनाने के लिए ज़रूरी स्किल्स का निर्माण करेगी। यहां से हर साल 1000 से अधिक बेटे-बेटियां बेहतरीन खिलाड़ी बनकर निकलेंगे। यानि क्रांतिवीरों की नगरी, खेलवीरों की नगरी के रूप में भी अपनी पहचान को और सशक्त करेगी।
साथियों,
पहले की सरकारों में यूपी में अपराधी अपना खेल खेलते थे, माफिया अपना खेल खेलते थे। पहले यहां अवैध कब्जे के टूर्नामेंट होते थे, बेटियों पर फब्तियां कसने वाले खुलेआम घूमते थे। हमारे मेरठ और आसपास के क्षेत्रों के लोग कभी भूल नहीं सकते कि लोगों के घर जला दिए जाते थे और पहले की सरकार अपने खेल में लगी रहती थी। पहले की सरकारों के खेल का ही नतीजा था कि लोग अपना पुश्तैनी घर छोड़कर पलायन के लिए मजबूर हो गए थे।
पहले क्या–क्या खेल खेले जाते थे, अब योगी जी की सरकार ऐसे अपराधियों के साथ जेल-जेल खेल रही है। पांच साल पहले इसी मेरठ की बेटियां शाम होने के बाद अपने घर से निकलने से डरती थीं। आज मेरठ की बेटियां पूरे देश का नाम रौशन कर रही हैं। यहां मेरठ के सोतीगंज बाजार में गाड़ियों के साथ होने वाले खेल का भी अब द एंड हो रहा है। अब यूपी में असली खेल को बढ़ावा मिल रहा है, यूपी के युवाओं को खेल की दुनिया में छा जाने का मौका मिल रहा है।
साथियों,
हमारे यहां कहा जाता है - महाजनो येन गताः स पंथाः
अर्थात्, जिस पथ पर महान जन, महान विभूतियां चलें वही हमारा पथ है। लेकिन अब हिंदुस्तान बदल चुका है, अब हम 21वीं सदी में हैं। और इस 21वीं सदी के नए भारत में सबसे बड़ा दायित्व हमारे युवाओं के पास ही है। और इसलिए, अब मंत्र बदल गया है- 21वीं सदी का तो मंत्र है - युवा जनो येन गताः स पंथाः।
जिस मार्ग पर युवा चल दें, वही मार्ग देश का मार्ग है। जिधर युवाओं के कदम बढ़ जाएं, मंजिल अपने-आप चरण चूमने लग जाती है। युवा नए भारत का कर्णधार भी है, युवा नए भारत का विस्तार भी है। युवा नए भारत का नियंता भी है, और युवा नए भारत का नेतृत्वकर्ता भी है। हमारे आज के युवाओं के पास प्राचीनता की विरासत भी है, आधुनिकता का बोध भी है। और इसीलिए, जिधर युवा चलेगा उधर भारत चलेगा। और जिधर भारत चलेगा उधर ही अब दुनिया चलने वाली है। आज हम देखें तो साइंस से लेकर साहित्य तक, स्टार्ट-अप्स से लेकर स्पोर्ट्स तक, हर तरफ भारत के युवा ही छाए हुए हैं।
भाइयों और बहनों,
खेल की दुनिया में आने वाले हमारे युवा पहले भी सामर्थ्यवान थे, उनकी मेहनत में पहले भी कमी नहीं थी। हमारे देश में खेल संस्कृति भी बहुत समृद्ध रही है। हमारे गांवों में हर उत्सव, हर त्यौहार में खेल एक अहम हिस्सा रहता है। मेरठ में होने वाले दंगल और उसमें जो घी के पीपे और लड्डुओं की जीत का पुरस्कार मिलता है, उस स्वाद के लिए किसका मन मैदान में उतरने के लिए ना हो। लेकिन ये भी सही है कि पहले की सरकारों की नीतियों की वजह से, खेल और खिलाड���ियों को उनकी तरफ देखने का नजरिया बहुत अलग रहा। पहले शहरों में जब कोई युवा अपनी पहचान एक खिलाड़ी के रूप में बताता था, अगर वो कहता था मैं खिलाड़ी हूं, मैं फलाना खेल खेलता हूं, मैं उस खेल में आगे बढ़ा हूं, तो सामने वाले क्या पूछते थे, मालूम है? सामने वाला पूछता था- अरे बेटे खेलते हो ये तो ठीक है, लेकिन काम क्या करते हो? यानी खेल की कोई इज्जत ही नहीं मानी जाती थी।
गांव में यदि कोई खुद को खिलाड़ी बताता- तो लोग कहते थे चलो फौज या पुलिस में नौकरी के लिए खेल रहा होगा। यानि खेलों के प्रति सोच और समझ का दायरा बहुत सीमित हो गया था। पहले की सरकारों ने युवाओं के इस सामर्थ्य को महत्व ही नहीं दिया। ये सरकारों का दायित्व था कि समाज में खेल के प्रति जो सोच है, उस सोच को बदल करके खेल को बाहर निकालना बहुत जरूरी है। लेकिन हुआ उल्टा, ज्यादातर खेलों के प्रति देश में बेरुखी बढ़ती गई। परिणाम ये हुआ कि जिस हॉकी में गुलामी के कालखंड में भी मेजर ध्यानचंद जी जैसी प्रतिभाओं ने देश को गौरव दिलाया, उसमें भी मेडल के लिए हमें दशकों का इंतज़ार करना पड़ा।
दुनिया की हॉकी प्राकृतिक मैदान से एस्ट्रो टर्फ की तरफ बढ़ गई, लेकिन हम वहीं रह गए। जब तक हम जागे, तब-तक बहुत देर हो चुकी थी। ऊपर से ट्रेनिंग से लेकर टीम सेलेक्शन तक हर स्तर पर भाई-भतीजावाद, बिरादरी का खेल, भ्रष्टाचार का खेल, लगातार हर कदम पर भेदभाव और पारदर्शिता का तो नामोनिशान नहीं। साथियो, हॉकी तो एक उदाहरण है, ये हर खेल की कहानी थी। बदलती टेक्नॉलॉजी, बदलती डिमांड, बदलती स्किल्स के लिए देश में पहले की सरकारें, बेहतरीन इकोसिस्टम तैयार ही नहीं कर पाईं।
साथियों,
देश के युवाओं का जो असीम टैलेंट था, वो सरकारी बेरुखी के कारण बंदिशों में जकड़ा हुआ था। 2014 के बाद उसे जकड़न से बाहर निकालने के लिए हमने हर स्तर पर रिफॉर्म किए। खिलाड़ियों के सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए हमारी सरकार ने अपने खिलाड़ियों को चार शस्त्र दिए हैं। खिलाड़ियों को चाहिए- संसाधन, खिलाड़ियों को चाहिए-ट्रेनिंग की आधुनिक सुविधाएं, खिलाड़ियों को चाहिए- अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर, खिलाड़ियों को चाहिए- चयन में पारदर्शिता। हमारी सरकार ने बीते वर्षों में भारत के खिलाड़ियों को ये चार शस्त्र जरूर मिलें, इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। हमने स्पोर्ट्स को युवाओं की फिटनेस और युवाओं के रोज़गार, स्वरोज़गार, उनके करियर से जोड़ा है। टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम यानि Tops ऐसा ही एक प्रयास रहा है।
आज सरकार देश के शीर्ष खिलाड़ियों को उनके खाने-पीने, फिटनेस से लेकर ट्रेनिंग तक, लाखों-करोड़ों रुपए की मदद दे रही है। खेलो इंडिया अभियान के माध्यम से आज बहुत कम उम्र में ही देश के कोने-कोने में टैलेंट की पहचान की जा रही है। ऐसे खिलाड़ियों को इंटरनेशनल लेवल का एथलीट बनाने के लिए उनकी हर संभव मदद की जा रही है। इन्हीं प्रयासों की वजह से आज जब भारत का खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय मैदान पर उतरता है, तो फिर उसका प्रदर्शन दुनिया भी सराहती है, देखती है। पिछले साल हमने ओलंपिक में देखा, हमने पैरालंपिक में देखा। जो इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ, वो पिछले ओलंपिक में मेरे देश के वीर बेटे-बेटियों ने करके दिखाया। मेडल की ऐसी झड़ी लगा दी कि पूरा देश कह उठा, एक स्वर से वो बोल उठा- खेल के मैदान में भारत का उदय हो गया है।
भाइयों और बहनों,
आज हम देख रहे हैं कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के अनेक छोटे-छोटे गांवों-कस्बों से, सामान्य परिवारों से बेटे-बेटियां भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। ऐसे खेलों में भी हमारे बेटे-बेटियां आगे आ रहे हैं, जिनमें पहले संसाधन संपन्न परिवारों के युवा ही हिस्सा ले पाते थे। इसी क्षेत्र के अनेक खिलाड़ियों ने ओलंपिक्स और पैरालंपिक्स में देश का प्रतिनिधित्व किया है। सरकार गांव-गांव में जो आधुनिक स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रही है, उसका ही ये परिणाम है। पहले बेहतर स्टेडियम, सिर्फ बड़े शहरों में ही उपलब्ध थे, आज गांव के पास ही खिलाड़ियों को ये सुविधाएं दी जा रही हैं।
साथियों,
हम जब भी एक नई कार्य संस्कृति को बढ़ाने का प्रयास करते हैं, तो इसके लिए तीन चीजें जरूरी होती हैं- सानिध्य, सोच और संसाधन! खेलों से हमारा सानिध्य सदियों पुराना रहा है। लेकिन खेल की संस्कृति पैदा करने के लिए खेलों से हमारे पुराने संबंध से ही काम नहीं चलेगा। हमें इसके लिए एक नई सोच भी चाहिए। देश में खेलों के लिए जरूरी है कि हमारे युवाओं में खेलों को लेकर विश्वास पैदा हो, खेल को अपना प्रॉफ़ेशन बनाने का हौसला बढ़े। और यही मेरा संकल्प भी है, और ये मेरा सपना भी है! मैं चाहता हूँ कि जिस तरह दूसरे प्रॉफ़ेशन्स हैं, वैसे ही हमारे युवा स्पोर्ट्स को भी देखें। हमें ये भी समझना होगा कि जो कोई स्पोर्ट्स में जाएगा, वो वर्ल्ड नंबर 1 बनेगा, ये जरूरी नहीं है। अरे, देश में जब स्पोर्ट eco-system तैयार होता है तो स्पोर्ट्स मैनेजमेंट से लेकर स्पोर्ट्स राइटिंग और स्पोर्ट्स साइक्लॉजी तक, स्पोर्ट्स से जुड़ी कितनी ही संभावनाएं खड़ी होती हैं। धीरे-धीरे समाज में ये विश्वास पैदा होता है कि युवाओं का स्पोर्ट्स की तरफ जाना एक सही निर्णय है। इस तरह का eco-system तैयार करने के लिए जरूरत होती है- संसाधनों की। जब हम जरूरी संसाधन, जरूरी इनफ्रास्ट्रक्चर विकसित कर लेते हैं तो खेल की संस्कृति मजबूत होने लगती है। अगर खेलों के लिए जरूरी संसाधन होंगे तो देश में खेलों की संस्कृति भी आकार लेगी, विस्तार लेगी।
इसीलिए, आज इस तरह की स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटीज़ इतनी ही जरूरी हैं। ये स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटीज़ खेल की संस्कृति के पुष्पित-पल्लवित होने के लिए नर्सरी की तरह काम करती हैं। इसलिए ही आज़ादी के 7 दशक बाद 2018 में पहली नेशनल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी हमारी सरकार ने मणिपुर में स्थापित की। बीते 7 सालों में देशभर में स्पोर्ट्स एजुकेशन और स्किल्स से जुड़े अनेकों संस्थानों को आधुनिक बनाया गया है। और अब आज मेजर ध्यान चंद स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी, स्पोर्ट्स में हायर एजुकेशन का एक और श्रेष्ठ संस्थान देश को मिला है।
साथियों,
खेल की दुनिया से जुड़ी एक और बात हमें याद रखनी है। और मेरठ के लोग तो इसे अच्छी तरह जानते हैं। खेल से जुड़ी सर्विस और सामान का वैश्विक बाज़ार लाखों करोड़ रुपए का है। यहां मेरठ से ही अभी 100 से अधिक देशों को स्पोर्ट्स का सामान निर्यात होता है। मेरठ, लोकल के लिए वोकल तो है ही, लोकल को ग्लोबल भी बना रहा है। देशभर में ऐसे अनेक स्पोर्ट्स क्लस्टर्स को भी आज विकसित किया जा रहा है। मकसद यही है कि देश स्पोर्ट्स के सामान और उपकरणों की मैन्यूफैक्चरिंग में भी आत्मनिर्भर बन सके।
अब जो नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी लागू हो रही है, उसमें भी खेल को प्राथमिकता दी गई है। स्पोर्ट्स को अब उसी श्रेणी में रखा गया है, जैसे साईंस, कॉमर्स, मैथेमेटिक्स, ज्योग्रॉफी या दूसरी पढ़ाई हो। पहले खेल को एक्स्ट्रा एक्टिविटी माना जाता था, लेकिन अब स्पोर्ट्स स्कूल में बाकायदा एक विषय होगा। उसका उतना ही महत्व होगा जितना बाकी विषयों का।
साथियों,
यूपी के युवाओं में तो इ��नी प्रतिभा है, हमारे यूपी के युवा इतने प्रतिभावान हैं कि आसमान छोटा पड़ जाए। इसलिए यूपी में डबल इंजन सरकार कई विश्वविद्यालयों की स्थापना कर रही है। गोरखपुर में महायोगी गुरू गोरखनाथ आयुष यूनिवर्सिटी, प्र���ागराज में डॉ राजेन्द्र प्रसाद विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ में स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फारेंसिक साइंसेज़, अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय, सहारनपुर में मां शाकुँबरी विश्वविद्यालय और यहां मेरठ में मेजर ध्यानचंद स्पोर्टस यूनिवर्सिटी, हमारा ध्येय साफ है। हमारा युवा ना सिर्फ रोल मॉडल बने वो अपने रोल मॉडल पहचाने भी।
साथियों,
सरकारों की भूमिका अभिभावक की तरह होती है। योग्यता होने पर बढ़ावा भी दें और गलती होने पर ये कहकर ना टाल दें कि लड़कों से गलती हो जाती है। आज योगी जी की सरकार, युवाओं की रिकॉर्ड सरकारी नियुक्तियां कर रही है। ITI से ट्रेनिंग पाने वाले हजारों युवाओं को बड़ी कंपनियों में रोज़गार दिलवाया गया है। नेशनल अप्रेंटिसशिप योजना हो या फिर प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, लाखों युवाओं को इसका लाभ दिया गया है। अटल जी की जयंती पर यूपी सरकार ने विद्यार्थियों को टेबलेट और स्मार्टफोन देने का भी अभियान शुरू किया है।
साथियों,
केंद्र सरकार की एक और योजना के बारे में भी यूपी के नौजवानों को जानना जरूरी है। ये योजना है- स्वामित्व योजना। इस योजना के तहत केंद्र सरकार, गांवों में रहने वाले लोगों को, उनकी प्रॉपर्टी के मालिकाना हक से जुड़े कागज- घरौनी दे रही है। घरौनी मिलने पर, गांव के युवाओं को, अपना काम-धंधा शुरू करने लिए बैंकों से आसानी से मदद मिल पाएगी। ये घरौनी, गरीब, दलित, वंचित, पीड़ित, पिछड़े, समाज के हर वर्ग को अपने घर पर अवैध कब्ज़े की चिंता से भी मुक्ति दिलाएगी। मुझे खुशी है कि स्वामित्व योजना को योगी जी की सरकार बहुत तेजी से आगे बढ़ा रही है। यूपी के 75 जिलों में 23 लाख से अधिक घरौनी दी जा चुकी है। चुनाव के बाद, योगी जी की सरकार, इसी अभियान को और तेज करेगी।
भाइयों और बहनों,
इस क्षेत्र के ज्यादातर युवा ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए भी हमारी सरकार निरंतर काम कर रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के माध्यम से कल ही, यूपी के लाखों किसानों के बैंक खातों में करोड़ों रुपए ट्रांसफर किए गए हैं। इसका बहुत बड़ा लाभ, इस क्षेत्र के छोटे किसानों को भी हो रहा है।
साथियों,
जो पहले सत्ता में थे, उन्होंने आपको गन्ने का मूल्य, किस्तों में तरसा-तरसा कर दिया। योगी जी सरकार में जितना गन्ना किसानों को भुगतान किया गया है, उतना पिछली दोनों सरकार के दौरान किसानों को नहीं मिला था। पहले की सरकारों में चीनी मिलें कौड़ियों के भाव बेची जाती थीं, मुझसे ज्यादा आप जानते हैं, जानते हैं कि नहीं जानते हैं? चीनी मिलें बेची गईं कि नहीं बेची गईं? भ्रष्टाचार हुआ कि नहीं हुआ? योगी जी की सरकार में मिलें बंद नहीं होतीं, यहां तो उनका विस्तार होता है, नई मिलें खोली जाती हैं। अब यूपी, गन्ने से बनने वाले इथेनॉल के उत्पादन में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। बीते साढ़े 4 साल में लगभग 12 हज़ार करोड़ रुपए का इथेनॉल यूपी से खरीदा गया है। सरकार कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर और फूड प्रोसेसिंग, ऐसे उद्योगों को भी तेज़ी से विस्तार दे रही है। आज ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर पर, भंडारण की व्यवस्था बनाने पर, कोल्ड स्टोरेज पर एक लाख करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
भाइयों और बहनों,
डबल इंजन की सरकार युवाओं के सामर्थ्य के साथ ही इस क्षेत्र के सामर्थ्य को भी बढ़ाने के लिए काम कर रही है। मेरठ का रेवड़ी-गजक, हैंडलूम, ब्रास बैंड, आभूषण, ऐसे कारोबार यहां की शान हैं। मेरठ-मुज्जफरनगर में छोटे और लघु उद्योगों का और विस्तार हो, यहां बड़े उद्योगों का मज़बूत आधार बने, यहां के कृषि उत्पादों, यहां की उपज को नए बाज़ार मिले, इसके लिए भी आज अनेकविध प्रयास किए जा रहे हैं। इसलिए, इस क्षेत्र को देश का सबसे आधुनिक और सबसे कनेक्टेड रीजन बनाने के लिए काम हो रहा है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे की वजह से दिल्ली अब एक घंटे की दूरी पर रह गई है। अभी कुछ दिन पहले ही जो गंगा एक्सप्रेसवे का काम शुरू हुआ है, वो भी मेरठ से ही शुरू होगा। ये मेरठ की कनेक्टिविटी यूपी के दूसरे शहरों से और संबंधों को, व्यवहार को आसान बनाने में काम करेगी। देश का पहला रीजनल रेपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम भी मेरठ को राजधानी से जोड़ रहा है। मेरठ देश का पहला ऐसा शहर होगा जहां मेट्रो और हाई स्पीड रैपिड रेल एक साथ दौड़ेंगी। मेरठ का आईटी पार्क जो पहले की सरकार की सिर्फ घोषणा बनकर रह गया था, उसका भी लोकार्पण हो चुका है।
साथियों,
यही डबल बेनिफिट, डबल स्पीड, डबल इंजन की सरकार की पहचान है। इस पहचान को और सशक्त करना है। मेरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग जानते हैं कि आप उधर हाथ लंबा करोगे तो लखनऊ में योगीजी, और इधर हाथ लंबा करोगे तो दिल्ली में मैं हूं ही आपके लिए। विकास की गति को और बढ़ाना है। नए साल में हम नए जोश के साथ आगे बढ़ेंगे। मेरे नौजवान साथियो, आज पूरा हिंदुस्तान मेरठ की ताकत देख रहा है, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ताकत देख रहा है, नौजवानों की ताकत देख रहा है। ये ताकत देश की ताकत है और इस ताकत को और बढ़ावा देने के लिए एक नए विश्वस के साथ एक बार फिर आपको मेजर ध्यानचंद स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के लिए बहुत-बहुत बधाई!
भारत माता की जय! भारत माता की जय!
वंदे मातरम! वंदे मातरम!
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