खामोशी
खामोशी कोई गुनाह तो नहीं , सब्र का ही साथी है
खामोशी कोई कमजोरी नहीं , मौन का पर्यायवाची है
खामोशी शांति और प्रेम की चाह रखती है
दर्द देने वालों के लिए भी दुआ रखती है
खामोश को भी दर्द होता है
खामोश अंदर अंदर रोता है
बस आंखों को पढ़ना आना चाहिए
दर्द के दरिया से निकाल संभाल कर
आंखों के आसमान पर बिठाना चाहिए
लब सीना मायने जहर पीना , मर मर के जीना
जहर ♡ अमृत में बदलना सबके बस की बात…
View On WordPress
0 notes
कौन अपना कौन पराया
अपने होते यूं न बेगाने
बेदरद देते जब दरद अनजाने
अपने होते … तभी पराये
प���ठ पीछे जो छुरा चलाएं
धूप से चुभते छांव से सा़ये
चुभन भी ऐसी दिखा न पाये
अपनों से कहीं डर ना जाए
अपनों में से अपने कैसे पहचाने ?
कौन पराया कौन अपना माने ?
अपनों के नश्तर कैसे दिखाएं ?
विश्वासघात हंस हंस के दिखाएं
अपनेपन पर ना सवाल आ जाए !
अपनेपन की तो परिभाषा बदल गई
जब मतलब तब बने अपने.. अपने
गिरगिट की तरह रंग बदलते देखा
अपनों…
View On WordPress
0 notes
जंहा मे आने तो दो नवरातो पे कंजक ,राखी पे बहना तभी ही तो मिलेगीकोख की कली जब फूल बनकर जब जंहा में खिलेगी
0 notes
अपनों के तीर
अपने जब दरद देते इन्तेहा
पराये तब ये कहते हंसके हम पे
बेहद नाज करते थे तुम जिन पे
आज वही जुबां खामोश रुह घायल
मन को भिगो गये कोना – कोना ।
अश्क छुपाये और छुपाये रोना
किसको दिखाये दरद को ढोना
View On WordPress
0 notes