विशेष: विश्व प्रीमैच्योरिटी दिवस - प्रीमैच्योर शिशुओं की देखभाल कैसे करें; जटिलताओं, पालन करने के लिए कदम
विशेष: विश्व प्रीमैच्योरिटी दिवस – प्रीमैच्योर शिशुओं की देखभाल कैसे करें; जटिलताओं, पालन करने के लिए कदम
17 नवंबर को, विश्व समयपूर्व जन्म के बारे में जागरूकता बढ़ाने और दुनिया भर में समय से पहले बच्चों और उनके परिवारों की चिंताओं को बढ़ाने के लिए विश्व प्रीमेच्योरिटी दिवस मनाया जाता है। ज़ी न्यूज़ डिजिटल ने डॉ. व्रुषाली बिचकर, कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन और नियोनेटोलॉजिस्ट, मदरहुड हॉस्पिटल, लुल्लानगर, पुणे से समय से पहले प्रसव, समय से पहले बच्चों में स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं, यदि कोई हो, और उनकी…
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समय पूर्व जन्मे शिशुओं के लिए वरदान बना के.डी. हॉस्पिटल
समय पूर्व जन्मे शिशुओं के लिए वरदान बना के.डी. हॉस्पिटल
शिशु का जन्म हर मां के लिए बहुत ही खूबसूरत अहसास है। हर मां और शिशु का सम्बन्ध गर्भ से ही शुरू हो जाता है। लेकिन कुछ शिशु मां की अस्वस्थता या दीगर कारणों से नौ महीने पूरे होने से पहले ही जन्म ले लेते हैं ऐसे बच्चे को प्रीमैच्योर बेबी कहा जाता है। प्रीमैच्योर बेबी मां के गर्भ में पर्याप्त समय तक नहीं रह पाता इसलिए जन्म के बाद ऐसे शिशुओं को अन्य शिशुओं के मुकाबले अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है। ऐसे शिशुओं की देखभाल और उपचार के लिए के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर इस समय वरदान साबित हो रहा है।
के.डी. हॉस्पिटल प्रीमैच्योर शिशुओं के उपचार और देखभाल के लिए इसलिए भी उपयुक्त है क्योंकि यहां सुयोग्य चिकित्सकों और नर्सेज की टीम होने के साथ ही अत्याधुनिक वेंटीलेटर, सीपैप, फोटोथेरेपी, इंक्यूवेटर, सरफेक्टेंट आदि सुविधाएं उपलब्ध हैं। डॉ. के.पी. दत्ता के मार्गदर्शन और डॉ. संध्या लता, डॉ. उमेश, डॉ. सुप्रिया, डॉ. मुदासिर तथा डॉ. दिव्यांशु अग्रवाल की देखरेख में इस समय यहां के एनआईसीयू में एक दर्जन शिशुओं का उपचार किया जा रहा है। इन शिशुओं में छह शिशु तो डेढ़ किलो से भी कम वजन के हैं।
विभागाध्यक्ष शिशु रोग डॉ. के.पी. दत्ता का कहना है कि समय पूर्व जन्मे बच्चे का विकास ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है, इसलिए उन पर कई प्रकार के स्वास्थ्य खतरे रहते हैं। इनमें से कुछ खतरे तो कुछ समय के अंतराल में ही लुप्त हो जाते हैं लेकिन कुछ जीवन भर के लिए शिशु के साथ जुड़ सकते हैं। डॉ. दत्ता का कहना है कि ऐसे शिशुओं को गहन एनआईसीयू में देखभाल की जरूरत पड़ती है। समय पूर्व जन्मे शिशुओं के फेफड़े पूर्ण रूप से विकसित नहीं होने के कारण वे प्राय: सांस सम्बन्धी बीमारियों से पीड़ित रहते हैं। ऐसे शिशु जीवन के पहले वर्ष तक सांस लेने की समस्या से जूझ सकते हैं। भविष्य में ऐसे शिशुओं में अस्थमा होने की सम्भावना भी ज्यादा होती है।
विशेषज्ञ शिशु रोग डॉ. संध्या लता का कहना है कि प्रीटर्म शिशुओं में अपरिपक्व मस्तिष्क एक आम बात है। ऐसे शिशु जो गर्भावस्था के 30-32 हफ्तों की समयावधि में जन्मे होते हैं, उनके मस्तिष्क का वजन सामान्य अवधि में जन्मे शिशु के मुकाबले केवल दो-तिहाही ही होता है जो आगे जाकर कई प्रकार के न्यूरोलॉजिकल विकार जैसे एडीएचडी, सेरेब्रल पाल्सी और ऑटिज्म को बढ़ावा दे सकता है। डॉ. संध्या लता का कहना है कि समय पूर्व जन्मे कुछ शिशुओं में एपनिया नाम की बीमारी भी पायी जाती है। यह आमतौर पर 20 सेकेंड या उससे अधिक समय के लिए सांस रुकने की स्थिति को कहते हैं। यदि बार-बार आपके शिशु की सांस आना बंद हो रही है, तो उसे शिशु रोग विशेषज्ञ को जरूर दिखा लें।
डॉ. संध्या लता बताती हैं कि गर्भावस्था के 34 सप्ताह से पहले पैदा होने वाले बच्चों में श्वसन संकट सिंड्रोम या आरडीएस एक आम बात है। आरडीएस से पीड़ित शिशुओं में सर्फेक्टेंट नामक प्रोटीन नहीं होता है जिसमें ��ेफड़ों में हवा का आदान-प्रदान ठीक ढंग से नहीं हो पाता। प्रीटर्म शिशु में इंट्रावेंट्रिकुलर हेमोरेज या आईवीएच होने की सम्भावना भी ज्यादा होती है। यह वह अवस्था होती है जिसमें मस्तिष्क में लगातार खून बह रहा होता है। खून को बहने से रोकने का
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समय से पहले जन्म क्या है? What is premature birth?
समय से पहले जन्म या प्रीमेच्योरिटी एक ऐसा जन्म है जो बच्चे की अनुमानित नियत तारीख से तीन सप्ताह से अधिक समय पहले होता है। दूसरे शब्दों में, समय से पहले जन्म वह होता है जो गर्भावस्था के 37वें सप्ताह की शुरुआत से पहले होता है। गर्भावस्था की सामान्य अवधि (भ्रूण का विकास) लगभग 40 सप्ताह की होती है। शिशु का समय से जन्म को प्रीटर्म या अपरिपक्व जन्म (Preterm birth), प्रीमेच्योर (premature birth) या प्रीमी बच्चा (preemie baby) के नाम से भी पुकारा जाता है। बच्चों का समय से पहले जन्म काफी सामान्य बात है।
समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं, विशेष रूप से बहुत जल्दी पैदा होने वाले बच्चों को अक्सर जटिल चिकित्सा समस्याएं होती हैं। आमतौर पर, प्रीमैच्योरिटी की जटिलताएं (complications of prematurity) अलग-अलग होती हैं। लेकिन आपके बच्चे का जन्म जितना जल्दी होगा, जटिलताओं का जोखिम उतना ही अधिक होगा।
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गर्भावस्था के दौरान कोविद को समय से पहले जन्म के उच्च जोखिम से जोड़ा जाता है: अमेरिकी अध्ययन
गर्भावस्था के दौरान कोविद को समय से पहले जन्म के उच्च जोखिम से जोड़ा जाता है: अमेरिकी अध्ययन
शोधकर्ताओं ने कहा कि गर्भवती लोगों को COVID संक्रमण के लिए एक उच्च जोखिम वाली आबादी माना जाता है
लॉस एंजिलस:
द लैंसेट रीजनल हेल्थ – अमेरिकाज जर्नल में प्रकाशित एक बड़े अमेरिकी अध्ययन के अनुसार, जो लोग वायरस से संक्रमित होते हैं, जो गर्भवती होने पर COVID-19 का कारण बनते हैं, उन्हें समय से पहले जन्म के साथ-साथ किसी भी समय से पहले जन्म होने का खतरा अधिक होता है।
अमेरिका में कैलिफोर्निया…
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काव्यस्यात्मा 1033
" परमात्मा की विशालतर
एकता के प्रति अंधत्व "
-© कामिनी मोहन पाण्डेय।
बांग्लादेश में दुर्गापूजा पंडालों पर जिस तरह से हमले हुए वह दर्शाता है कि मनुष्य अभी भी आध्यात्मिक रूप से अपरिपक्व है और परमात्मा की चारों तरफ व्याप्त एकता के प्रति अंधा भी है। बांग्लादेश के नोआखाली स्थिति इस्कॉन मंदिर पर भी हमला किया गया। इससे यह साबित हो जाता है कि यह हिंदू धर्म को मानने वालों के प्रति सीधा हमला है। धर्म कोई भी हो उस धर्म में परमात्मा की ही बातें कही जा रही है। देश, स्थान, भाषा और समय अलग होने के कारण परमात्मा की एकता कम नहीं होती। अपने धर्म को ऊँचा समझना दूसरे धर्म को नीचा समझना यह अहंवाद का परिणाम है। यह परमात्मा के प्रति नासमझी है।
प्रेम होने पर ही सद्भाव और सत्कर्म प्रकट होते हैं। परमात्मा से प्रेम परमात्मा का संग है। किसी को भी तकलीफ न हो, यह विचार हो जाय तो प्रेम हो जाएगा। किसी भी जीव को हमारे कारण कष्ट हुआ नहीं कि दुख का बीज बोया गया। किसी को बुरा न समझना भी प्रेम है। किसी का बुरा न चाहना, किसी को बुरा न मानना और किसी का बुरा न करने से ही प्रेम की राह पर चलने की प्रक्रिया शुरु होती है। यह सच है कि मनुष्य के अहंकार के कारण ही संसार है। जब तक यह रहेगा तब तक संसार मिटने वाला नहीं है।
इस संबंध में भगवद्गीता के दूसरे अध्याय के 24 वें श्लोक में श्रीकृष्ण ने आत्मा को नित्य, सर्वव्यापी, अचल, स्थिर और सनातन कहा है। अहंकार के कारण ही मनुष्य अ��ने को बहुदेशीय देखता है। अपने को सर्वव्यापी नहीं समझ पाता है। जबकि वह एकदेशीय है। सनातन है और सर्वव्यापी भी है।
यह वास्तव में मौलिक सत्य का अंतिम प्रमाण है। इसी के द्वारा सभी शिक्षाओं का मूल्य मापा जाता है। क्योंकि ज्ञान को कभी भी गढ़ा नहीं जा सकता है। इस समय जो ज्ञान विद्यमान है, वह पहले भी इसी रुप में विद्यमान था, और सदा ही विद्यमान रहेगा। सदा से सबके लिए सत्य रहेगा।
गौतम बुद्ध ने कहा कि वह बीते हुए युगों में असंख्य बोधिसत्वों के गुरु रह चुके है। ईसा ने कहा था जब अब्राहम हुआ था, उससे पहले से मैं हूँ। श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं, हे अर्जुन, मेरा और तुम्हारा बहुत सा जन्म हो चुका है। मैं सबको जानता हूँ पर तू नहीं जानता। यद्यपि मैं अजन्मा हूँ और मेरी आत्मा अनश्वर है, मैं सब प्राणियों का स्वामी हूँ, फिर भी मैं अपनी प्रकृति में स्थिर होकर अपनी माया द्वारा अनुभव योग्य अस्तित्व धारण करता हूँ।
मानव प्राणियों का देह धारण करना स्वैच्छिक नहीं है। अज्ञान के कारण अपनी प्रकृति सत, रज और तम से प्रेरित होकर सभी बारम्बार जन्म लेते हैं। प्राणियों के जन्म का निर्धारण प्रकृति सत, रज और तम की शक्तियों द्वारा होता है जबकि परमात्मा स्वयं अपनी शक्ति द्वारा जन्म लेते हैं। वे इन तीनों प्रकृति के गुणों से परे निर्गुण है। धर्म सही और अधर्म गलत के बीच का प्रश्न हमेशा से निर्णायक प्रश्न रहा है। परमात्मा धर्म के पक्ष में खड़े होंगे।
प्रेम और दया, द्वेष और क्रूरता की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली है। धर्म, अधर्म को जीत लेगा और सत्य की असत्य पर विजय होगी। इसीलिए धर्म का शाब्दिक अर्थ है वस्तु या प्राणी के वैशिष्टय की धारणा। यह संप्रदाय रूपी धर्म की बात नहीं है।
प्राणी का मूल स्वभाव उसके वैशिष्ट्य की धारणा, व्यवहार के रुप का निर्धारण करता है। जब तक हमारा आचरण हमारे स्वभाव के अनुकूल है, तब तक हम सही ढंग से कार्य कर रहे होते हैं। अपनी प्रकृति सत, रज और तम के साथ अनुकूल न होना अधर्म है। ईश्वर के जितने भी अवतार हुए है। सभी हमें वह बनने में सहायता करते हैं, जो बन पाना हमारे लिए असंभव बिल्कुल नहीं है। हिन्दू और बौद्ध विचारधाराओं में किसी एक ऐतिहासिक तथ्य के प्रति दासता का भाव नहीं है।
उदयनाचार्य ने लिखा है कि शैव लोग जिसको शिव मानकर अराधना करते हैं, वेदान्ती जिसे ब्रह्म मानते हैं, बौद्ध जिसे बुद्ध मानते हैं। प्रमाणों के ज्ञान में पटुनैयायिक जिसे कर्ता मानते हैं। जैन धर्म के अनुयायी जिसे अर्हत मानते हैं, कर्मकाण्डी मीमांसक जिसे कर्म मानते हैं, उन सबका स्वामी परमात्मा मनोवांछित फल प्रदान करें।
इस समग्रता में वर्तमान को यदि हम जोड़ दे तो हम पाएंगे कि कर्म के प्रति निष्ठा रखने वाले ईसाई जिसे ईसा मानते हैं और मुसलमान जिसे अल्लाह। परमात्मा उन सबको फल देने वाला है। आध्यात्मिक रुप से अपरिपक्व व्यक्ति अपने देवता के प्रति प्रेम में विश्वास के कारण परमात्मा की विशालतर एकता के प्रति अंधा हो जाता है। इसी कारण वे अपने देवताओं से भिन्न देवताओं को मानने के लिए तैयार नहीं होते।
धार्मिक विचारधाराओं में सदा से यह अपरिपक्वता अहंवाद का परिणाम रही है। श्रीमद्भगवद्गीता इस बात की स्थापना करती है कि भले ही लोगों के विश्वास और व्यवहार अनेक और विविध रुपी हों, फिर भी आध्यात्मिक उपलब्धि जिसके लिए ये सब साधन मात्र है, एक ही है।
अथर्ववेद में आया है कि ‘एकं ज्योतिर्बहुधाविभाति’ एक ही ज्योति अपने आपको विविधरुपों में प्रकट करती है। हम सब उस दिव्य ज्योति के स्तर तक उठ सकते हैं। ईश्वर के स्वरुपों ने हमारे सम्मुख आध्यात्मिक जीवन का उदाहरण प्रस्तुत करके हमें वह मार्ग दिखाया है, जिस पर चलकर हम अस्तित्व के पाशविक स्वरुप से ऊपर उठकर आध्यात्मिक स्वरुप तक पहुंच सकते हैं।
दिव्य ईश्वर अपने सौंदर्य में दिखाई नहीं पड़ते, बल्कि मनुष्यता के उपकरणों द्वारा वह ध्यान में आते हैं। यह ध्यान तभी सफल होता है जब भेद की भावना समाप्त हो जाय, और हमारा कर्म बंधनकारी न रह जाय। तो इस्लाम को मानने वाले कुछ अपरिपक्व मनुष्यों को यह समझना पड़ेगा कि वे जो कर रहे हैं। वह परमात्मा यानी अल्लाह की राह नहीं है। परमात्मा के विपरीत कार्य कर रहे हैं। इसकी प्रेरणा उन्हें जहॉं से भी मिल रही है। यह पाप कर्म है। यह उन सब��े लिए बंधन का कारण है ऐसा बंधन जो नरक गामी ही होगा।
#kaminimohan
#काव्यस्यात्मा
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श्री कृष्ण अर्जुन को कर्म करने के लिए कह रहे हैं। बिना कुछ किए बैठे से कुछ करना बेहतर है। जैसे पूर्वजों ने किया और मैं भी कर रहा हूं वैसे ही तुम भी कर्म करो। मुझे कुछ भी लेना देना नहीं है फिर भी मैं कर्म कर रहा हूं। कर्म चाहे आसक्तत हो कर करें या.अनासक्त हो कर , कर्म लगने को तो एक सा ही लगेगा लेकिन अंतर्मन की स्थिति में जमीन आसमान का अंतर होगा।
अनासक्त हो कर कर्म करने का मतलब यह नहीं है कि जैसे तैसे किसी कर्म को पूरा कर दिया जाए। यह अनासक्त योग नहीं है। कर्म आसक्ति से कर रहे हैं या अनासक्ति से कर्म कर रहे हैं, यह कोई नहीं बता सकता परंतु भीतर की स्थिति अलग रहेगी। जब कर्म विफल हो जाए तो अनासक्त व्यक्ति को जरा भी शोक न होगा। वह फिर भी मस्कुराता रहेगा। किंतु वहीं आसक्त व्याक्ति टूट जाएगा।कर्म योग की बात हमारे देश के हर बच्चे को जाननी चाहिए। कर्म योग विश्व को दिया हुआ एक अदभुत उपहार है। कहीं और ये नहीं कहा गया है कि अनासक्त हो कर काम करो। विद्यार्थी परीक्षा में असफल हो जाने पर टूट जाते हैं क्योंकि अनासक्ति की बात कभी समझाई ही नहीं गई। सफल वही होते हैं जो अनासक्ति से कर्म करते हैं। ये रहस्य है।आसक्त व्यक्ति कर्म का फल मिलने पर भी उसका भोग नहीं कर पाता, दुखी रहता है। कर्मयोग का अर्थ है प्रसन्नता से काम करना। जब हम किसी आशा से कोई कर्म करते हैं तो हम बस उसे करते हैं। 100% नहीं लगाते तो फल भी वैसा ही मिलता है। अनासक्त व्यक्ति सोचता है कि सबका भला हो।हम अपने जीवन में यह विश्लेषण कर सकते हैं कि हम आसक्त हो कर कर्म कर रहे हैं या अनासक्त हो कर। भगवान कृष्ण अर्जुन को बार बार याद दिला रहे हैं कि हे अर्जुन तुम कर्म करो। श्री कृष्ण आगे कहते हैं कि अगर अज्ञानी व्यक्ति कोई कार्य कर रहा है तो ज्ञानी व्यक्ति उसकी बुद्धि में भेद, कोई शंका उत्पन्न नहीं करता । आधा ज्ञान रखने वाले व्यक्ति अपरिपक्व वैराग्य लेकर आते है।
हमारे समाज में पिछड़ेपन का एक कारण यह भी है।
यदि कोई एक बात समझने में असमर्थ हैं तो उनको वही बात समझाने की चेष्टा करना ही अज्ञान है। अगर कर्म हानिकारक न हो तो एक सच्चा ज्ञानी सबको अपना कर्म करने में प्रेरणा देगा।
हम वात पित्त और कफ इन प्रकृतियों से तथा 3 गुणोँ, सत्त्व रजस और तमस से बने हैं। कर्म गुण के अनुसार होते हैं। कफ- प्रकृति वालों को आप काम दें तो वे इसे आराम से करेंगे। वात और पित्त प्रकृति वाले लोग सदैब बेचैन रहते हैं। तो कर्म आपकी प्रकृति के अनुसार होते हैं।
बुद्धिमान व्यक्ति प्रकृति के कारण होने वाले कर्मों की पहचान कर लेते हैं।एक साधु था जो एक राजा के राज्य में आया तो राजा ने उसे रोज भोजन के लिए आमंत्रित किया। एक दिन उसने एक सोने का पात्र चुरा लिया और वहाँ से चला गया। जब राजा को यह पता चला तो वह हैरान रह गया। उन्होंने जांच की कि ऐसा क्यों हुआ तो पता चला कि साधु ने जो अनाज खाया था, वह डकैतों के पास से आया था। तो भोजन का आपके मन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। जहां बहुत अधिक मित्रता होती है तो शत्रुता भी आती है और इसके विपरीत भी सत्य है।
मैं कर रहा हूं यह सोचने वाला व्यक्ति मूर्ख है। यह रहस्य की बात है। जब भी किसी व्यक्ति द्वारा कोई महत्वपूर्ण कार्य होता है तो उसे समझ आता है कि सब कुछ बस अपने आप हो गया। उसे कुछ करना ही नहीं पडा़। यह बात केवल एक भक्त, एक ज्ञानी जान सकता है। कोई घोर कर्म करने वाला व्यक्ति भी यही कहता है कि उसने वह कर्म नहीं किया, उससे हो गया।
अच्छा काम हो या बुरा काम हो ,जब काम हो जाता है तब समझ आता है कि मैंने कुछ नहीं किया यह प्रकृति की वजह से कार्य हुआ है। सत्व रजस और तमोगुण की वजह से हुआ। तमोगुण प्रकृति ज्यादा हो तो कर्म उस प्रकार से होने लगेगा। सत्वगुण अधिक हो तो सुख और शांति मिलती है। इसलिए सत्त्व को बढ़ाना है। तब सब कर्म अपने आप होने लगेंगे। कर्तापन छोड़ कर देखना चाहिए। जो तत्व ज्ञानी हैं,. निर्लिप्त हैं वे साक्षी होकर अपने भीतर भावनाओं की उठने वाली तरंगों को देखते रहते हैं। जैसे क्रोध की तरंग उठे तो साक्षी भाव में होने के कारण तुरंत शांत हो जाते हैं,बच्चों की भांति मुस्कुराने लगते हैं। शिव को भोलेनाथ कहा जाता है और जब वे क्रोधित हो जाते हैं और अपने रुद्र अवतार में आते हैं फिर भी वे क्षणभर में शांत भी हो जाते हैं। शिव का दूसरा नाम सद्योजाता है। हर क्षण में जन्म लेने वाले, हर क्षण में जानने वाले। तुम्हारी चेतना में ऐसी शक्ति है । होश में होने का अर्थ यही है कि उठने वाली तरंगों से आप बाधित नहीं होते । बाधित हो भी जाए तो एक क्षण से ज्यादा ना रहे । श्री कृष्णा कहते हैं कि यह शरणागति से संभव है।
श्री कृष्ण कहते हैं कि ज्वर छोड़ के युद्ध करो अर्जुन। ज्वर कमजोरी का संकेत है। ज्वर का कारण आशा, इच्छा है। जो शरणागत होते हैं उनमें कोई इच्छा नहीं होती। सरल सुलभ उपाय है ईश्वर को मानना, उसे समर्पण करना, गुरु को समर्पण करना। आध्यात्मिक चेतना का उगम तभी होगा जब कर्मों का समर्पण होगा। अपने सभी कार्यों को ,सकारात्मक और नकारात्मक दोनों गुणों को परमात्मा को अर्पण कर दें तब आप अहंकारी नहीं बनेंगे। अवगुण को समर्पण करने से आत्मग्लानि से बचोगे। अच्छा बुरा जो भी कर्म तुमसे हुआ है उसे ईश्वर को समर्पण करो तब तुम में अध्यात्म चेतना जागेगी अर्जुन।
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Studies: COVID linked to poor maternal, neonatal outcomes
Studies: COVID linked to poor maternal, neonatal outcomes
दो नए अध्ययनों के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान COVID-19, मातृ मृत्यु, प्रीक्लेम्पसिया, अपरिपक्व जन्म और संक्रमण और नवजात शिशुओं में गंभीर परिणामों की नाटकीय रूप से उच्च दर से बंधा है।
मातृ मृत्यु का जोखिम 22.3 गुना अधिक है
पहली बार में अध्ययनमें कल प्रकाशित हुआ JAMA बाल रोग, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में एक दल ने 181 देशों में मार्च और अक्टूबर 2020 तक 18 संस्थानों में 43…
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Regional Marathi Text Bulletin, Aurangabad Date – 10 May 2019 Time 20.00 to 20.05
आकाशवाणी औरंगाबाद प्रादेशिक बातम्या दिनांक १० मे २०१९ सायंकाळी २०.०० **** लोकसभा निवडणुकीच्या सहाव्या टप्प्यासाठीचा प्रचार आज थांबला. या टप्प्यात परवा म्हणजे येत्या रविवारी सात राज्यातल्या ५९ जागांसाठी मतदान होणार आहे, सातव्या आणि अखेरच्या टप्प्यासाठी येत्या १९ मे रोजी मतदान होणार असून, त्यानंतर २३ मे रोजी देशभरात एकाच दिवशी मतमोजणी होणार आहे. दरम्यान आज प्रचाराच्या अखेरच्या दिवशी विविध राजकीय पक्षांच्या नेत्यांनी ठिकठिकाणी प्रचार सभा घेऊन, आरोप प्रत्यारोपांच्या फेरी झाडल्या. **** पाकिस्तानसह अनेक निरर्थक मुद्यांवर सतत बोलत असणारे पंतप्रधान, सर्वसामान्यांच्या समस्यांवर कधीही बोलत नसल्याची टीका काँग्रेसच्या महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा यांनी केली आहे. त्या आज उत्तर प्रदेशात सिद्धार्थनगर इथं, एका प्रचारसभेत बोलत होत्या. देशातले शेतकरी अडचणीत असताना, भाजप सरकारनं देशभरातल्या बड्या उद्योजकांचे साडे पाच लाख कोटी रुपये माफ केल्याचा आरोप प्रियंका गांधी वाड्रा यांनी केला. **** १९८४ च्या शीख दंगल प्रकरणावरून, पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी काँग्रेस पक्षावर टीका केली आहे. ते आज हिमाचल प्रदेशात मंडी इथं, प्रचार सभेत बोलत होते. समान पद समान वेतनश्रेणी च्या मुद्यावरुनही मोदी यांनी काँग्रेसवर माजी सैनिकांना फसवल्याचा आरोप केला. **** भारतीय जनता पक्ष २०१४ च्या निवडणुकीत जिंकलेल्या जागांपेक्षा नवीन ५५ जागा अधिक जिंकेल, असा विश्वास, भाजप अध्यक्ष अमित शहा यांनी व्यक्त केला आहे. ते वाराणसीत पीटीआयला दिलेल्या मुलाखतीत बोलत होते. निवडणूक निकालानंतर आणखी काही प्रादेशिक पक्ष राष्ट्रीय लोकशाही आघाडीत सहभागी होऊ शकतात, असं शहा यांनी सांगितलं. काँग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तसंच महासचिव प्रियंका गांधी, त्यांच्या वडिलांच्या भूतकाळापासून पळ काढू शकत नाहीत, असं शहा म्हणाले. **** १९८४ च्या शीख दंगलप्रकरणी काँग्रेसचे अध्यक्ष राहुल गांधी आणि माजी अध्यक्ष सोनिया गांधी यांनी शीख समुदायाची हात जोडून माफी मागावी, अशी मागणी भारतीय जनता पक्षानं केली आहे. पक्षाचे प्रवक्ते संबित पात्रा यांनी आज नवी दिल्लीत पत्रकार परिषद घेऊन ही मागणी केली. काँग्रेस नेते सॅम पित्रोदा यांनी या दंगलीबाबत ‘जे झालं तर झालं’, अशा आशयाचं विधान काल केलं होतं, त्या पार्श्वभूमीवर पात्रा बोलत होते. ही दंगल काँग्रेसनं स्वार्थापोटी घडवली असल्याचा आरोप करत, संबित पात्रा ���ांनी सॅम पित्रोदा यांची काँग्रेस पक्षातून तात्काळ हकालपट्टी करण्याची मागणी केली. दरम्यान, अशा आक्षेपार्ह विधानासाठी काँग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, आपले गुरु सॅम पित्रोदा यांची पक्षातून हकालपट्टी करतील का, असा प्रश्न भाजपचे ज्येष्ठ नेते अरूण जेटली यांनी विचारला आहे. काँग्रेस पक्षाला या घटनेबद्दल काहीही पश्चात्ताप नसल्याचं, यावरून स्पष्ट होतं, असं जेटली यांनी एका ट्वीटमध्ये म्हटलं आहे. दरम्यान, सॅम पित्रोदा यांनी केलेले शीख दंगलीसंदर्भात विधान, हे पक्षाचं मत नसल्याचं काँग्रेसनं म्हटलं आहे. पक्ष आणि पक्षांचे नेते या दंगलग्रस्तांना न्याय मिळावा म्हणून सदैव त्यांच्या पाठिशी असून दोषींना कडक शासन व्हावे अशी त्यांची भूमिका आहे. अशा प्रकरणात पक्षाच्या नेत्यांनी काळजीपूर्वक आणि संवेदनशीलता बाळगण्याचा सल्लाही पक्षानं दिला आहे. **** देशातलं राजकारण खालच्या पातळीवर घसरलं असल्याची टीका काँग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी यांचे पती रॉबर्ट वाड्रा यांनी केली आहे. पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी माजी पंतप्रधान दिवंगत राजीव गांधी यांच्यावर युद्ध नौकेचा, सुटीच्या सागरी सफरीसाठी वापर केल्याच्या आरोपाच्या अनुषंगानं, वाड्रा यांनी सामाजिक संपर्क माध्यमांवरून हे मत व्यक्त केलं आहे. नौदलाच्या माजी प्रमुखांसह अन्य एका अधिकाऱ्यानं पंतप्रधानांचे हे आरोप फेटाळले आहेत. **** बहुजन समाज पक्ष आणि समाजवादी पार्टीची आघाडी ही जातीयवादी आघाडी असल्याचं पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांचं विधान, हास्यास्पद तसंच अपरिपक्व असल्याची टीका, बसप प्रमुख मायावती यांनी केली आहे. लोकसभा निवडणुकीत भाजपचा पराभव दिसत असल्यामुळे आलेल्या नैराश्यातून अशी विधानं होत असल्याचं, मायावती यांनी एका ट्वीटमध्ये म्हटलं आहे. मागासप्रवर्गात जन्म झाला नसल्यामुळे मोदी यांना कधीच जातीयवादाचा सामना करावा लागलेला नाही, मोदी हे जन्मजात मागास समाजाचे असते, तर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघाने त्यांना कधीही पंतप्रधान होऊ दिलं नसतं, कल्याणसिंह यांच्यासारख्या नेत्यांना संघाने कशी वागणूक दिली, हे सर्वज्ञात असल्याची टीकाही मायावती यांनी केली. ****
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पारस हॉस्पिटल द्वारा जानें सेरेब्रल पाल्सी के लक्षण। सेरेब्रल पाल्सी, मुद्रा या मांसपेशी टोन का विकार है जो जन्म से पहले, एक अपरिपक्व और विकासशील मस्तिष्क के कारण होने वाली क्षति से होता है।
सेरेब्रल पाल्सी वाले व्यक्तियों में निगलने में समस्या हो सकती है और आमतौर पर आंख की मांसपेशियों का असंतुलन होता है, जिसमें कौन सी आंखें एक ही वस्तु पर ध्यान केंद्रित नहीं करती हैं। सेरेब्रल पाल्सी वाले व्यक्तियों को मांसपेशियों की कठोरता के कारण शरीर में विभिन्न जोड़ों पर आंदोलन की एक कम श्रृंखला का सामना करना पड़ सकता है।
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हमारी सरकार सबको सुरक्षा की गांरटी देने,किसी का भी तुष्टिकरण न हो इसके लिए प्रतिबद्ध है-योगी लखनऊ 18 सितम्बर 2018, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज सामाजिक प्रतिनिधि बैठक में उपस्थित जाट समाज के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में किसी की हिम्मत नहीं है कि कैराना और कांधला जैसी घटनाओं को दोहरा सके। उन्होंने पूर्ववर्ती सपा सरकार के कार्यकाल में हर सप्ताह कहीं न कहीं दंगे होने का आरोप लगाते हुए कहा कि हमारी सरकार सबको सुरक्षा की गांरटी देने के साथ ही किसी का भी तुष्टिकरण न हो इसके लिए प्रतिबद्ध है। राज्य में सुरक्षा का वातावरण कायम हुआ है। मुख्यमंत्री जी आज स्थानीय विश्वसैरया सभागार में भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा द्वारा आयोजित सामाजिक प्रतिनिधि बैठक को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने जाटों की गौरवशाली परम्परा का जिक्र करते हुए कहा कि मुगल आक्रमणकारियों और अंग्रेजी शासकों के जुल्म और आंतक के आगे भी जाट समाज के लोग कभी नहीं झुके। जाट समाज ने कभी भी अपनी सांस्कृतिक परम्परा को नहीं छोड़ा। जाट आरक्षण के मुद्दे पर माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हम जाट आरक्षण के पक्षधर है और हमने इसके लिए सामाजिक न्याय समिति का गठन किया है। आरक्षण को लेकर पूर्ववर्ती सपा सरकारे दोषी है। फिलहाल मामला न्यायलय में लंबित है लेकिन राज्य सरकार इसके लिए लगातार प्रभावी ढंग से पैरवी कर रही है। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए कर्जमाफी प्रदेश में सफलतापूर्वक लागू किया गया। आजादी के बाद से ही किसान अनवरत न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग करते रहे हैं। यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में किसान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा पहली बार की गई है जिसमें अधिक से अधिक किसान लांभवित हो रहे है। किसानों की खुशहाली व समृद्धि में ही देश की खुशहाली व समृद्धि है, इस खुशहाली व समृद्धि के रास्ते को निकालने के लिए हमने कर्जमाफी, न्यूनतम समर्थन मूल्य, गन्ना भुगतान जैसी किसानों की हित की रणनीति बनाई। उन्होंने कहा कि 2016-17 में प्रदेश में गन्ना किसानों का 16 हजार करोड़ रूपये का भुगतान हुआ था जबकि इस वर्ष गन्ना किसानों को 36 हजार करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चुका है और बाकी भुगतान अक्टूबर के अंत में हर हाल में करवाने का प्रयास किया जायेगा। 2012 से 2016 तक बकाया 25 हजार करोड़ का गन्ना भुगतान तथा इस वर्ष भुगतान को मिला कर 36 हजार करोड़ का भुगतान दिया जा चुका है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में बिजली वितरण में भेदभाव होता था जबकि आज किसानों, गरीबों, गांव, शहरों में सभी जगह बिजली देने का काम हमने किया। श्री योगी अदित्यनाथ जी ने कहा कि आज कुछ लोग भारत में अस्थिरता का वातावरण बना रहे है। उन्होंने सपा, बसपा, कांग्रेस पर आरोप लगाया कि ये दल चाहते है कि भारत कमजोर हो, गठबंधन-महागठबंधन के नाम पर अपरिपक्व राजनीति को जन्म देना चाहते है। जो देश के हित में सोचता है, जनकल्याणकारी योजनाओं के पक्षधर है उन्हें यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत को मजबूत करना चाहिए तथा उन्हें मजबूती के साथ खड़ा होना पड़ेगा। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा0 महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली की सत्ता परिवर्तन में जाट समाज की सदैव से अग्रणी भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की सत्ता बदलने में जाटों का प्रभाव हमेशा रहा है। उन्होंने कहा कि जाट ने जब कमर कसी तब भाजपा मजबूत हुई। चैधरी चरण सिंह को यादव करते हुए कहा कि जब वह कांग्रेस 17 विधायक लेकर अलग हुए थे तब जनसंघ ने उन्हंे यूपी का सीएम बनाने में मदद की थी। उन्होंने कहा कि सपा-बसपा की वजह से कांग्रेस केन्द्र में दस साल तक बनी रही, यूपी में वहीं सपा-बसपा दस साल तक शासन कर अपनी सम्पत्ति बढ़ाने, परिवारवाद, जातिवाद बढ़ाने के लिए अलावा कोई काम नहीं किया। जबसे आपने मोदी जी को केन्द्र में पीएम और योगी जी को राज्य में सीएम बनाया तबसे जनता की चिन्ता की गई न कि जाति और परिवार की, बल्कि पूरे देश और प्रदेश की चिन्ता की गई। डा0 पाण्डेय ने कहा कि देश की राजनीति एक निर्णायक दौर से गुजर रही है देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को रोकने के लिए आज कई गठबंधन बन रहे है। उन्होंने कहा परिवारवाद, जातिवाद और व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए राजनीति करने वाले बेमेल गठबंधन कर किसी भी तरह मोदी जी को रोकना चाहते है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष जाट समाज का आहवाहन किया कि देश को सशक्त और मजबूत नेतृत्व प्रदान करने में हमेशा से आपने अपनी भूमिका का बखूबी निर्वाहन किया है। इसी का परिणाम था कि 2014 के लोकसभा चुनाव में और फिर 2017 के विधानसभा चुनाव अपका भरपूर समर्थन भारतीय जनता पार्टी को मिला। एक बार फिर से 2019 में माननीय नरेन्द्र मोदी जी को अपना समर्थन देकर अवसरवादी दलों की राजनीतिक दुकान बंद करने का काम करना होगा। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सामाजिक प्रतिनिधि बैठक में एससी-एसटी एक्ट का जिक्र करते हुए कहा कि प्रदेश में योगी सरकार के राज्य में एक भी फर्जी मुकदमा नहीं लिखा जायेगा। किसी का उत्पीड़न किया जाये यह भी बर्दास्त नहीं किया जायेगा, लेकिन यदि कोई गुनाहगार होगा तो उसे छोड़ा भी नहीं जायेगा। उन्होंने सपा-बसपा गठबंधन पर प्रहार करते हुए कहा कि कभी च��चा-भतीजा तो कभी बुआ-भतीजा का रिस्ता गडबड़ हो जाता है, लेकिन मोदी जी को रोकने के लिए गठबंधन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास प्रधानमंत्री पद के लिए कोई भी चेहरा नहीं है, लेकिन मोदी जी को रोकने के लिए लगे विपक्षी दलों में 100 से भी अधिक प्रधानमंत्री पद के दावेदार है। श्री मौर्य ने कहा कि मुजफ्फरनगर के दंगों को कौन भूल सकता है, निर्दोषो पर फर्जी मुकदमें लिखे गये। आज वहीं निर्दोष जिनका पिछली सरकारों में उत्पीड़न किया गया भाजपा के साथ मजबूती से खड़े हैं जबकि विपक्षी पार्टियां उनके वोटों के लिए तरस रही है। श्री मौर्य ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश व प्रदेश को नम्बर वन बनाने के लिए क्या कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि किसानों के बारे में चैधरी चरण सिह के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने ही किसानों के हित में योजनाएं बनवाकर उन्हें लागू करवाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में वोट की ताकत सबसे बड़ी ताकत होती है और जाट समाज के लोगों ने अपनी इसी ताकत का उपयोग कर केन्द्र में माननीय नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार गठन का मार्ग प्रशस्त किया था। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि गठबंधन बने या न बने 2019 में मोदी जी की दूसरी पारी होनी तय है। केन्द्र में भेजने की जिम्मेदारी समाज के सभी वर्गो की है, मोदी को रोकने के लिए विरोधी पार्टी चुनाव आते ही राज्य का महौल खराब करते है। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने अगर काम नहीं किया तो विपक्षीयों को आखिर गठबंधन करने की जरूरत क्यों पड़ गई। श्री मौर्य ने मिशन 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी जी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने के लिए सभी से समर्थन की अपील करते हुए कहा कि भारत को एक सशक्त और यशस्वी नेतृत्व माननीय नरेन्द्र मोदी जी ही दे सकते है। बैठक को संबोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री डा0 सत्यपाल सिंह, प्रदेश के कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चैधरी, भूपेन्द्र चैधरी, सांसद चैधरी बाबूलाल व कुंवर भारतेन्दु सिंह सहित कई अन्य प्रमुख लोगों ने संबोधित किया। इस अवसर पर वित्त विकास आयोग के अध्यक्ष बाबू राम निषाद, भोला सिंह, उमेश मलिक, कमल मलिक, वीरेन्द्र सिंह सिरोही, केपी मलिक, राजेश चुन्नू, योगेश धावा, मंजू सिवास सहित बड़ी संख्या में अन्य गणमान्य प्रतिनिधि उपस्थित थे।
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जानें, रात्रि में झाड़ू लगानी चाहिए या नहीं?
सद्गुरु स्वामी आनंदजी (आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषीय चिंतक) टिप्स ऑफ द वीक * उत्तर दिशा के पक्ष में यथासंभव लाल या मरून रंग के पर्दों व चादर का प्रयोग करने से बचें, अन्यथा आर्थिक हानि जे साथ संबंधों में तनाव संभव है। * घर के मुख्य द्वार पर अंदर और बाहर की ओर लाल कपड़े की पोटली में फिटकरी रखना नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने में सहायक होता है। ये भी जानें- सदैव नकारात्मक परिस्थितियों का चिंतन मनन और रोना गाना, आपको मुसीबत से बाहर निकलने नहीं देता। यह आपके स्वभाव में उग्रता पैदा कर आपके आभामंडल को निस्तेज बनाकर आपकी प्रगति को बुरी तरह बाधित करता है। बुरे समय में मुस्कुराहट, विनम्रता, मीठे वचन, अशक्तों की सहायता और स्वयं की योग्यता में इजाफा से बेहतर कोई उपाय नहीं है। प्रश्न: आर्थिक कष्ट विकराल हो गया है। हमारे घर का मुख्य द्वार दक्षिण में है और खिड़कियां पश्चिम में हैं। किसी ने इसे ही हमारी समस्या की जड़ बताया है। क्या ये सही है? यदि हां, तो उपाय क्या है? - स्वयं प्रकाश सिंह उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि यदि पिछले हमारे पिछले किसी अज्ञात नकारात्मक कर्मों से भाग्य प्रभावित होता है, तो यकीनन उसका अक्स हमें हमारे वास्तु में भी नजर आता है। वास्तु के नियमों के अनुसार आपके गृह के वास्तु की स्थिति निश्चित रूप से सकारात्मक नहीं है। यदि घर के अंदर की योजना वास्तुसंगत न हुई, तो यह वास्तु आपके कष्टों में कुछ इजाफा कर सकता है। चिंता बिलकुल न करें। यथासंभव उत्तराभिमुख रहने, उत्तर पूर्व दिशा में दर्पण स्थापित करने से लाभ होगा। यदि रसोई घर आग्नेय कोण में और स्नानघर उत्तर या पूर्व में हो, तो कष्ट में कमी होगी, ऐसा मैं नहीं वास्तु के सिद्धांत कहते हैं। प्रश्न: क्या मैं सफलता के शिखर पर पहुंच सकता हूं? जन्म तिथि -12.08.1992, जन्म समय-4.05 प्रातः, जन्म स्थान-मंडवा, झुनझुनू (राजस्थान) -मनीष कुमार खेमानी उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि मकर और लग्न कर्क है। लग्न में धनेश सूर्य और पराक्रमेश व व्ययेश बुध विराजमान है। केंद्र का सूर्य और बुध जहां कुलदीपक योग निर्मित कर रहा है, वहीं बुद्धादित्य नामक उत्तम से भी विभूषित कर रहा है। इस वक्त आप शनि की साढ़ेसाती के भी अधीन हैं, पर शनि के स्वघर में आसीन होने से यह योग सुख प्रदायक हो जाता है। हां, आपकी कुंडली जीवन सफल लोगों में शुमार होने की पूर्ण क्षमता से लबरेज हैं। प्रश्न: हाथ में जब विवाह रेखा हृदय रेखा में मिल जाती है, तो इसका क्या अर्थ है? -प्रियंका पालिवाल उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि कनिष्ठा उंगली के नीचे बुध पर्वत पर उपस्थित आड़ी रेखा विवाह रेखा कहलाती है। यदि विवाह रेखा नीचे की ओर झुकती हो, तो यह दांपत्य जीवन में तनाव का संकेत निर्मित करती है, लेकिन यदि यह रेखा नीचे झुककर हृदय रेखा में मिल जाए, तो यह अलगाव की परिस्थिति उत्पन्न करती है। अगर यह रेखा हृदय रेखा को चीरती हुई नीचे आ जाए, तो यह योग जीवनसाथी के विछोह या संबंध विच्छेद का संकेत देता है। प्रश्न: मैंने कहीं पढ़ा था कि घर में संगमरमर का फर्श अशुभ है। इसे केवल मंदिर में ही इस्तेमाल करना चाहिए। क्या यह सत्य है? -अनुपमा मेहरोत्रा उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि वास्तु के नियम ऐसी कोई ताकीद नहीं करते है। किसी भी फर्श का चुनाव उपलब्धता, उपयोगिता, रख-रखाव सहित व्यक्तिगत दायरों के तहत होता है। वास्तु के सिद्धांत उत्तर-पूर्व में चमकीली फर्श और दक्षिण-पूर्व में चमक रहित गहरे रंग के फर्श की अनुशंसा करते हैं। संगमरमर के सिर्फ मंदिर में प्रयोग की बात पूर्णतया असत्य, अपरिपक्व, अतार्किक और अवैज्ञानिक है। आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि ठंडे स्थानों में मंदिरों में भी लकड़ी की फर्श का प्रयोग होता रहा है। प्रश्न: दक्षिण पूर्व के कक्ष में किस रंग के पर्दों और चाद��� का प्रयोग करना चाहिए? -रितिका केडिया उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि दक्षिण पूर्व दिशा अग्नि से संबंधित है और अग्नि का सीधा संबंध जीवन, ऊर्जा, उत्पादन और सम्मान से है। इस कोण के कमरों में लाल, मरून, गुलाबी और हरे रंग की उपस्थिति आनंद में वृद्धि करेगी। चाहें तो, श्वेत और भूरे रंग का भी प्रयोग कर सकते हैं, ऐसा वास्तु के सिद्धांत कहते हैं। किसी भी प्रकार से इस जगह नीले और काले रंग की उपस्थिति से बचना चाहिए, अन्यथा हानि हो सकती है। प्रश्न: क्या रात्रि में झाड़ू नहीं लगानी चाहिए? -निहारिका शर्मा उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि सूर्यास्त के पश्चात झाड़ू के प्रयोग के निषेध का विवरण किसी ग्रंथ में प्राप्त नहीं होता, न ही इसका कोई वैज्ञानिक आधार है। इसके सूत्र सिर्फ कही-सुनी बातों और पारंपरिक मान्यताओं में ही प्राप्त होते हैं। मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट। http://dlvr.it/QC5K8R
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हॉर्मोन्स समन्वय
हार्मोनल समन्वय
सभी जानवरों को एक्सोक्राइन या अंतःस्रावी ग्रंथियों द्वारा निर्मित रासायनिक घटकों से बना होता है। एक्सोक्राइन ग्रंथियां अपने रसायनों को नलिकाओं में मुक्ति देती हैं। अंतःस्रावी ग्रंथियों ने उनके स्राव, हार्मोन को खुले तौर पर रक्त प्रवाह में छोड़ दिया।
ये हार्मोन बाद में शरीर के अन्य भागों में ले जाते हैं जिसे लक्ष्य अंग कहा जाता है, जहां बहुत मात्रा में वे सेलुलर प्रतिक्रियाएं लाते हैं।
हार्मोन विशेष रूप से क्रियाशील कार्बनिक यौगिकों के साथ बदलते रासायनिक संरचनाएं, अक्सर स्टेरॉयड, प्रोटीन, पेप्टाइड या अमीनो एसिड होते हैं। उनकी आम भूमिकाओं के आधार पर, हार्मोन चयापचयी होते हैं।
वे या तो चयापचय गतिविधियों को उत्तेजित या ढाल देते हैं। ये ट्रॉफिक हैं - वे दूसरे एंडोक्राइन ग्रंथियों और morphogenetic के दर और स्राव को विनियमित करते हैं- वे प्रभाव दर और मिश्रित भागों के विकास।
हार्मोन समन्वय और संचार के एक अतिरिक्त साधन हैं। तंत्रिका तंत्र के साथ, अंतःस्रावी तंत्र एक संयुक्त तंत्रिका-अंतःस्रावी तंत्र बनाता है। हार्मोन मार्ग रक्त की धारा से होता है, जबकि तंत्रिका पथ न्यूरॉन-रिफ्लेक्स आर्क द्वारा होता है।
ग्रंथियों को दो में वर्गीकृत किया जाता है:
• बहिर्स्रावी ग्रंथियाँ
• अंत: स्रावी ग्रंथियां
एक्सोक्राइन और एंडोक्रिन ग्रैंड की आकृति का स्राव जारी है
एक्सोक्राइन ग्रंथियां उन ग्रंथियों हैं जो अपने स्राव को एक वाहिनी में डालते हैं। उदाहरण के लिए, पसीना ग्रंथियां, आंसू ग्रंथियां, और इतने पर।
अंतःस्रावी ग्रंथियां उन ग्रंथियों हैं जो रक्त वाहिकाओं से भरपूर मात्रा में भर जाती हैं और अपने स्राव को रक्त वाहिकाओं में सीधे छोड़ देते हैं। स्राव रक्त के माध्यम से अपने लक्ष्य तक पहुंच जाता है इन ग्रंथियों को डक्टलेस ग्रंथियों के रूप में जाना जाता है क्योंकि उनके पास नलिकाएं नहीं होती हैं। नलीहीन ग्रंथियों के उदाहरण हैं: थायरॉयड, अधिवृक्क आदि।
अंतःस्रावी तंत्र की सहायता से विभिन्न शारीरिक कार्यों का नियंत्रण और समन्वय भी किया जाता है। एंडोक्राइन सिस्टम गतिविधियों पर रासायनिक शक्ति का इस्तेमाल करता है। इन रसायनों को अंतःस्रावी ग्रंथियों के रूप में जाने वाले अंगों से स्रावित किया जाता है।
अंत: स्रावी ग्रंथियों के स्राव को हार्मोन कहा जाता है। हार्मोन में निम्नलिखित लक्षण हैं:
• वे प्रोटीनसियस या गैर-प्रोटीनसियस -मिनो एसिड या स्टेरॉयड हो सकते हैं
• उन्हें आवश्यकतानुसार स्रावित किया जाता है और संग्रहीत नहीं, केवल उत्सर्जित किया जाता है
• उनके स्राव को नसों या प्रतिक्रिया प्रभाव द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है
• वे रक्त के माध्यम से ले जाया जाता है
• वे मुख्य रूप से लंबी अवधि के प्रभाव को जन्म देते हैं, जैसे कि विकास, व्यवहार में बदलाव आदि।
• वे किसी भी प्रतिक्रियाओं को उत्प्रेरित या तेज नहीं करते हैं
• वे लक्ष्य अंगों को प्रेरित या बाधित करके कार्य करते हैं
हार्मोन को स्राव के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो किसी विशेष लक्ष्य अंग को प्राप्त करने के लिए रक्त में छोड़ दिया जाता है।
मानव अंतःस्रावी तंत्र निम्नलिखित ग्रंथियों से बना है:
• हाइपोथैलेमस
• पीनियल
• थायराइड
• पैराथाइरॉइड
• पिट्यूटरी
• थाइमस
• अधिवृक्क
• अग्न्याशय
• महिला में अंडाशय
• पुरुष में परीक्षण
मानव शरीर में विभिन्न अंतःस्रावी ग्रंथियों की स्थिति
पीयूष ग्रंथि
पिट्यूटरी ग्रंथि को हाइपोफिसिस के रूप में भी जाना जाता है, मस्तिष्क के नीचे स्थित एक बड़े मटर के आकार के बारे में है, क्रेन की तल पर नाक गुहा के पीछे। यह मस्तिष्क के हाइपोथेलेमस भाग से मस्तिष्क के अंडरसफेफ पर एक डंठल से चिपका जाता है।
यह खोपड़ी की स्फेनेयॉइड हड्डी में स्थित है और इसे संयोजी ऊतक कैप्सूल द्वारा निवेश किया जाता है।

पिट्यूटरी ग्रंथि का स्थान
पिट्यूटरी ग्रंथि को मास्टर एंडोक्राइन ग्रंथि के रूप में जाना जाता है क्योंकि इसके नियंत्रण के कारण कुछ अन्य अंतःस्रावी ग्रंथियों पर नियंत्रण होता है।
फिर भी, शरीर की वास्तविक मास्टर ग्रंथि मस्तिष्क के हाइपोथेलेमस है जो निर्वहन और अवरुद्ध हार्मोन द्वारा पूर्वकाल पिट्यूटरी के स्राव का प्रभार लेती है। इसके अलावा, पिट्यूटरी ही अन्य ग्रंथियों से प्रतिक्रिया द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
पिट्यूटरी ग्रंथि की पूर्वकाल पालि छह असमान हार्मोन बनाती है। उनमें से, शरीर के ऊतकों (somatotrophic) पर सीधे दो समारोह और अन्य चार अन्य अंतःस्रावी अंगों की कार्रवाई को नियंत्रित करते हैं।
पार इंटरमीडिया के रूप में जाना जाने वाला मध्य लोब केवल एक हार्मोन को अंतरित करता है जिसे इंटरमीडिन कहा जाता है। यह हार्मोन त्वचा के निचले रीढ़ों के नियंत्रण के प्रभारी है, लेकिन स्तनधारियों में निहित है, और मनुष्य में कोई कार्य नहीं है।
पीछे की ओर का उद्देश्य हाइपोथैलेमस-न्यूरोसेनट्रेरी कोशिकाओं द्वारा स्रावित दो हार्मोनों के लिए भंडारण और निर्वहन बिंदु के लिए है और न्यूरोहाइपॉफिसिस के रूप में निर्दिष्ट एक लिंकिंग वाहिनी के माध्यम से लोब तक ले जाता है)।
पिट्यूटरी ग्रंथि के हार्मोन
पीयूषिका ग्रंथि की पूर्वकाल पालि छः हार्मोन को गुप्त करता है। वो हैं:
1. थायरॉयड उत्तेजक हार्मोन (टीएसएच) या थेरेट्रोपिन:
य��� हार्मोन थायरॉयड ग्रंथियों से थायरॉक्सीन का स्राव उत्तेजित करता है।
2. समोटोट्रोपिक या विकास हार्मोन:
यह हार्मोन ऊतक, हड्डी, मांसपेशियों और आंतरिक अंगों के विकास को नियंत्रित करता है, और साथ ही चयापचय प्रक्रियाओं को प्रभावित करता है। जीवन के प्रारंभिक समय में हाइपर स्राक्रिटी एक स्थिति को जन्म देती है जो कि जायंटिज़्म के रूप में जाना जाता है, और वयस्क जीवन की विकास अवधि के बाद यह एक्रोमगाली की ओर जाता है।
अक्रोमगाली में, लंबे समय तक हड्डियां कठोर हो गई हैं और कुछ हड्डियों में वृद्धि जारी रहती है, जिससे आगे बढ़ने के लिए आगे बढ़ते हैं, पिछड़ेपन, और बढ़े हुए जबड़े और चेहरे का विस्तार होता है।
विकास के वर्षों के दौरान Hypo स्राव, पिट्यूटरी इन्फंटिलिज़्म, एक प्रकार का बौनावाद होता है, जिसमें एक वयस्क तीन या चार फीट लंबा नहीं है, और आमतौर पर यौन अपरिपक्व है।
3. फुफ्फुसीय उत्तेजक हार्मोन (एफएसएच):
कूप उत्तेजक हार्मोन उत्तेजना अंडाशय और वृषण। महिलाओं में, यह ग्रॉफीन फूलिकल्स या ओवा के विकास को नियंत्रित करता है। पुरुषों में, एफएसएच शुक्राणुजनन को प्रभावित करता है। यह वृषण के शल्यक्रिया के नलिकाओं द्वारा शुक्राणु का उत्पादन होता है।
4. एड्रोनोकोर्टिकोट्रोपिक हार्मोन (एसीटीएच):
यह हार्मोन अधिवृक्क प्रांतस्था को प्रेरित करता है और अधिवृक्क ग्रंथियों से स्राव को नियंत्रित करता है।
5. लोशनिंग हार्मोन (एलएच) एफएसएच के साथ:
एफएसएच के अतिरिक्त यह हार्मोन डिम्बग्रंथि के रोमियों के विकास, परिपक्व ओवा या अंडे की रिलीज, कॉर्पस लिट्यूम का विकास, प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन और महिलाओं में मासिक धर्म चक्र के विनियमन के लिए जिम्मेदार है। पुरुषों में, एचएच टेस्टोस्टेरोन या आईसीएसएच-सर्जिकल सेल उत्तेजक हार्मोन को लपेटने के लिए टेस्ट्स को रोकता है।
6. प्रोलैक्टिन एक बच्चे के जन्म के बाद स्तन ग्रंथियों द्वारा दूध का स्राव बंद कर देता है। प्रोलैक्टिन की मौजूदगी में, दूध के स्राव को रोकने के लिए रखा जाता है

पिट्यूटरी और अन्य अंतःस्रावी ग्रंथियों के बीच संबंध
(--------- फ़ीड बैक या निषेध के आरोप में)
(--------- पिट्यूटरी हार्मोन जो अन्य ग्रंथियों को प्रोत्साहित करते हैं
पिट्यूटरी ग्रंथि के मध्यवर्ती लोब:
मध्यवर्ती लोब केवल एक हार्मोन, मेलेनोफोरे उत्तेजित हार्मोन (एमएसएच) या इंटरमीडिन को गुप्त करता है, जो कि रीढ़ की किस्मों में त्वचा के रंगद्रव्य को नियंत्रित करता है। यह त्वचा के रंग को काला कर देता है फिर भी यह मनुष्यों में कोई महत्वपूर्ण उद्देश्य नहीं है
पिट्यूटरी ग्रंथि के पीछे की कड़ी
पीछे के पालि निम्न हार्मोन को गुप्त करता है:
1. ऑक्सीटोसिन: यह हार्मोन प्रसव के दौरान महिलाओं में गर्भाशय के संकुचन के लिए ज़िम्मेदार है और दुग्ध या दूध की रिहाई को भी नियंत्रित करता है।
2. एंटिडायरेक्टिक हार्मोन (एडीएच) या वासोप्रेशिन: यह हार्मोन, गुर्दे को अधिक पानी का पुन: संयोजन करने के लिए उत्तेजित करता है, पेशाब से बहुत अधिक पानी के नुकसान को रोकता है। एडीएच की गंभीर कमी के कारण डायबिटीज एसिडिडस (पॉलीयूरिया) का कारण बनता है, जिसमें रोगी बेहद प्यास लगता है और बड़ी मात्रा में पतला मूत्र गुजरता है।
थायराइड ग्रैंड

थायरॉइड ग्रंथि की स्थिति और संरचना:
सभी कशेरुकाओं में थायरॉयड ग्रंथियों की एक जोड़ी होती है, गले में गला में या एडम्स सेब के नीचे स्थित है। इंसान में, थायरॉयड ग्रंथि दो लोब-एच-आकार से बना है जो ट्रेकिआ के दोनों तरफ स्थित है।
दोनों लोबें एक संकीर्ण इस्तमास से जुड़ी होती हैं जो श्वासनली के सामने होती हैं। ग्रंथि, यौन विकास, आहार और आयु में भिन्नता के साथ आकार में भिन्न है।
थायरॉइड ग्रंथि का ऊतक विज्ञान:
थायरॉइड ग्रंथि बड़ी संख्या में रक्त वाहिकाओं के साथ संयोजी ऊतक द्वारा संलग्न गोल या अंडाकार follicles से बना है। कूप में से हर एक एक सेल मोटीक्यूबायडल उपकला कोशिकाओं द्वारा पंक्तिबद्ध है।
रोम के छिद्रों को चिपचिपा प्रोटीन सामग्री के साथ पैक किया जाता है जिसे कोलाइड कहा जाता है। थायराइड हार्मोन, थायरॉक्सीन में आयोडिन परमाणु होते हैं। यह थायराइड की कोशिकाओं में संग्रहीत नहीं है, लेकिन follicles समृद्ध colloid में
थायराइड कोशिकाओं का कार्य खून से आयोडीन निकालने के लिए है। यह तब प्रोटीन थाओरोग्लोबुलिन में एकीकृत होता है, जिसे बाद में ऊर्जावान हार्मोन थायरॉक्सीन में हाइड्रोलाइज किया जाता है।
थायराइड ग्रंथि के माध्यम से अनुक्रम अनुभाग
थायराइड हार्मोन के हार्मोन
थायराइड ग्रंथियां एक हार्मोन का निर्माण करती हैं जिसे थायरोक्सिन कहा जाता है। थायरॉक्सीन का स्राव टीएसएच द्वारा प्रतिबंधित है जो पिट्यूटरी में निर्मित होता है। Hypo स्राव या एक बच्चे में thyroxine के स्राव के तहत cretinism के रूप में जाना जाता है एक हालत की ओर जाता है
यह स्थिति मंद विकास और विकास (बौनावाद), एक अतिरंजित पेट, मानसिक मंदता, झोंका त्वचा और दानेदार चयापचय दर से ही प्रदर्शित होती है।
मैक्सिडेमा में वयस्कों के हाइपो फ़ंक्शन परिणाम में; लक्षण एक कम चयापचय दर, मानसिक और शारीरिक गतिविधि में कमी, वजन में वृद्धि, झोंका त्वचा, हृदय की धड़कन और शरीर के तापमान में कमी, और बालों की कमी।
जब hypofunction या स्राव के तहत आहार में आयोडीन की कमी की ओर जाता है, थायराइड की सूजन जो एक सरल गलियारे के रूप में जाने वाली स्थिति की ओर जाता है
खून से अधिक आयोडीन को प्राप्त करने के लिए, ग्रंथि फर्कल बढ़ाता है और अधिक से अधिक बढ़ता है। Hypofunction, आयोडीनयुक्त नमक, समुद्री भोजन की आपूर्ति और अधिक थायरॉयड ऊतक से छुटकारा पाने के उद्देश्य से सर्जरी के खाद्य पदार्थों द्वारा ठीक किया जा सकता है।
उभयचर में, कायापलट के दौरान थायरॉक्सीन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि थायराइड का भ्रूण या युवा ताड़पालन का उदाहरण था तो थायरॉयड ग्रंथि को निकालने के लिए दमन किया जाता है, तो पशु स्थायी रूप से एक तिपतिया घास बना रहता है।
इसके विपरीत, यदि एक युवा ताड़पालन को थायरोक्सिन की अधिक मात्रा में पेश किया जाता है, तो लार्वा समय से पहले एक लघु फ्रेगेट में परिवर्तन करता है।
Hyperfunction के बारे में 40% की चयापचय दर, प्रचुर मात्रा में पसीना, संवर्धित भोजन का सेवन लेकिन वजन, उच्च रक्तचाप, तंत्रिका तनाव और मांसपेशियों की कमजोरी के नुकसान की दर को बढ़ावा देता है।
हाइपरथायरायडिज्म के कुछ रोगी आंखों के फैल गए हैं, एक ऐसी स्थिति जिसे एक्सफोथलमोस कहा जाता है। हाइपरस्क्रिशन के परिणामस्वरूप थायरॉयड ग्रंथि की सूजन ने एक्स्टेंप्लिकल गिटार को जन्म दिया।
थायरॉयड ग्रंथि द्वारा निर्मित एक और हार्मोन कैल्सीटोनिन है यह रक्त कैल्शियम का स्तर नियंत्रित करता है कैल्सीटोनिन को थायरॉयड द्वारा छुट्टी दे दी जाती है जब रक्त में कैल्शियम का ऊंचा स्तर होता है अधिशेष कैल्शियम अगले हड्डियों में कम और गिरा दिया जाता है।
हमने जिन सभी पर चर्चा की है, संक्षेप करने के लिए:
• कशेरुकी के बहुसंख्यक प्रणालियों को नियंत्रित करने वाले रसायन स्रावी कोशिकाओं से बने होते हैं, जो एक्सोक्राइन और एंडोक्राइन ग्रंथियों में संरचित होते हैं। अंतःस्रावी ग्रंथियों का काम रक्त में हार्मोन को छिपाना है। हार्मोन एक जैविक अणु (रासायनिक ट्रांसमीटर) है जो लक्ष्य अंगों पर काम करता है और बहुत सेलुलर गतिविधियों को दर्शाता है।
• प्रमुख अंतःस्रावी अंग हैं हाइपोथेलेमस, पिट्यूटरी ग्रंथि, थायरॉयड ग्रंथि, पैराथायरिड्स, अधिवृक्क ग्रंथियां, लंगेरहांस, वृषण और अंडाशय के आइलेट्स।
• पि��्यूटरी ग्रंथि को मास्टर एंडोक्राइन ग्रंथि के रूप में जाना जाता है यह मस्तिष्क के नीचे स्थित है, और तीन डिवीजनों के पास स्थित है - पूर्वकाल लोब, मध्य लोब ��र पीछे के लोब।
• पूर्वकाल पालि छः हार्मोन-टीएसएच, सोमाटोोट्रॉफिक हार्मोन, एफएसएच, एसीटीएच, एलएच और प्रोलैक्टिन को गुप्त करता है, जबकि पीछे की लोब ऑक्सीटोसिन और एंटीडियरेक्टिक हार्मोन (एडीएच) को गुप्त करता है। मध्य लोब के मनुष्यों में कोई फ़ंक्शन नहीं है
• पिट्यूटरी के दुष्प्रभाव कई शर्तों जैसे कि गीगातिवाद, एक्रोमगाली, पिट्यूटरी इन्न्टिबिलाज़, और डायबिटीज एसिडिडस और इसी तरह के कारण होते हैं
• थायरॉइड ग्रंथि गर्दन में स्थित है और थायराइड फेलिक्स से बना है जिसमें कोलाइड होता है।
• थायराइड ग्रंथि हार्मोन थायरोक्सिन को गुप्त करती है; हाइपोफैंक्टीन हाइपरथायराइडिज्म एक्सफोथ्लोमोस और एक्सपोथेलिक गिटार की ओर जाता है।
• हार्मोन कैल्सीटोनिन रक्त कैल्शियम स्तर को नियंत्रित करता है।
• जैविक या रासायनिक नियंत्रण प्रणालियों के बहुमत फ़ीड वापस पर कार्य करते हैं ।
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