श्रीमदपद्मपुराण के अनुसार योगिनी एकादशी का माहात्म्य
युधिष्ठिर ने पूछा – वासुदेव! आषाढ़ के कृष्णपक्ष में जो एकादशी होती है, उसका क्या नाम है ? कृपया उसका वर्णन कीजिये।
भगवान् श्रीकृष्ण बोले – नृपश्रेष्ठ ! आषाढ़ के कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम योगिनी एकादशी है। यह बड़े बड़े पातकों का नाश करने वाली है। संसार सागर में डूबे हुए प्राणियों के लिये यह सनातन नौका के समान है।
तीनों लोको में यह सारभूत व्रत है।
अलकापुरी में राजाधिराज कुबेर रहते हैं। वे सदा…
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आषाढ़ नवरात्रि के समापन की तिथि पर आप सबको नमस्कार और हार्दिक शुभकामनाएँ।
आशा है आप सब ने इस गुप्त नवरात्रि में साधना की है उस पर भगवती कृपा करे।
Happy Ashadh Gupt Navaratri to all of you.Hope you did good sadhna/s in this auspicious time and may Bhagwati be kind to you all.
जय शिव शक्ति
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12 जुलाई, 2024, लखनऊ | माह : आषाढ़, पक्ष : शुक्लपक्ष, तिथि : षष्ठी | पुण्यतिथि : 19 जुलाई, 2007
पिताजी स्वर्गीय श्री राजीव अग्रवाल जी की 17वीं पुण्यतिथि पर उन्हे नमन और श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं । उनकी यादें और सिखाए हुए जीवन मूल्य हमें हमेशा प्रेरित करते रहेंगे ।
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🐚 कामिका एकादशी व्रत कथा - Kamika Ekadashi Vrat Katha
कामिका एकादशी का महत्त्व:अर्जुन ने कहा: हे प्रभु! मैंने आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी का सविस्तार वर्णन सुना। अब आप मुझे श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी की कथा सुनाने की कृपा करें। इस एकादशी का नाम क्या है? इसकी विधि क्या है? इसमें किस देवता का पूजन होता है? इसका उपवास करने से मनुष्य को किस फल की प्राप्ति होती है?...
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🐚 ॐ जय जगदीश हरे आरती - Om Jai Jagdish Hare Aarti
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Jamshedpur madrasi sammelani diya puja : बिष्टुपुर मद्रासी सम्मेलनी में दीया पूजि आयोजित, सुख, सभी के लिए समृद्धि एवं स्वास्थ्य के लिए की गई प्रार्थना
जमशेदपुर : बिष्टुपुर स्थित मद्रासी सम्मेलनी की ओर से शुक्रवार को परंपरागत दीया पूजा का आयोजन किया गया. हर वर्ष आषाढ़ मास में आयोजित होने वाली यह पूजा सुख समृद्धि, स्वास्थ्य एवं खुशहाली के लिए आयोजित की जाती है. (नीचे भी पढ़ें)
इस पूजा में मद्रासी सम्मेलनी की अनेक महिलाओँ ने शिरकत की. इसमें ललिता सहस्रनाम अर्चना, श्री लक्ष्मी अष्टोत्तर अर्चना, श्री दुर्गा अष्टोत्तर अर्चना एवं श्री राम अष्टोत्तर…
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चातुर्मास में भूलकर भी ना करें ये कार्य वरना हो सकता है भारी नुकसान...
हिन्दू धर्म से कई मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हैं। हिन्दू धर्म में 33 कोटि देवी-देवता हैं, जिनमें से एक हैं भगवान विष्णु। भगवान विष्णु को जगत का पालनहार कहा जाता है। हर साल, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन से पूरे चार महीनों के लिए जगत के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं।
इस चार महीने की अवधी को चातुर्मास भी कहा जाता है। चातुर्मास के बाद भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं और फिर से सभी शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु निद्रालीन होने के लिए चार महीनों के लिए पाताल लोक चले जाते हैं। और हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कई कार्यों को करने की मनाही है। माना जाता है कि अगर व्यक्ति द्वारा वे कार्य किए जाते हैं, तो उसको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि कौन-से हैं वो कार्य जिनको चातुर्मास में करने की मनाही है।
भूलकर भी न करें ये कार्य
चातुर्मास की अवधि आषाढ़ शुक्ल एकादशी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलती है। इस दौरान हिन्दू धर्म से जुड़े मांगलिक कार्य, जैसे:- विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार आदि जैसे सभी 16 संस्कार नहीं करने चाहिए। मान्यता है कि चातुर्मास में इन कार्यों को करने से इसका शुभ फल नहीं मिलता।
चातुर्मास के सावन महीने में साग, भाद्रपद में दही, अश्विन महीने में दूध और कार्तिक महीने में उड़द दाल नहीं खानी चाहिए। शास्त्रों में इसके साथ ही पूरे चातुर्मास यानी चार महीनों में मांस, मदिरा, गुड़, मधु, बैंगन, सफेद नमक और तेल आदि के त्याग करने की बात कही गई है।
क्या करें चातुर्मास के दौरान?
चातुर्मास के दौरान भक्ति और निष्ठा के साथ पूजा पाठ करनी चाहिए और साथ ही व्रत कर उसका पूर्ण रूप से पालन भी करना चाहिए। क्योंकि माना जाता है कि चातुर्मास में किए गए व्रत और पूजन का कई गुणा फल मिलता है। कहा जाता है कि इन दिनों सुबह देर तक सोना भी नहीं चाहिए।
चातुर्मास में भक्त सभी मांगलिक कार्यों को रोककर हरि भजन तथा भगवान विष्णु के पूजन के साथ-साथ उनके निद्रा अवस्था से जागने की प्रतीक्षा में लगे रहते हैं। और उनकी यह प्रतीक्षा समाप्त होती है चार महीनों बाद आने वाली देवउठनी एकादशी पर, जब भगवान विष्णु निद्रा अवस्था से जागकर पाताल लोक से वापस आते हैं और एक बार फिर भक्तों में हर्षोल्लास का वातावरण होता है, क्योंकि वे फिर से अपने मांगलिक कार्य शुरू कर सकते हैं।
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आषाढ़ शुक्ल पक्ष देवशयनी एकादशी कब है?? इस दिन क्या न करे देवशयनी एकादशी...
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तोताद्रिमठ के पीठाधिपति दो दिन के लिए प्रतापगढ़ प्रवास पर
प्रतापगढ़, 16 जुलाई 2024। श्री संप्रदाय जिसे रामानुज संप्रदाय भी कहते हैं की विश्व की सर्वोच्च पीठ अष्ट भू वैकुंठो में एक तोताद्रिमठ नागूनेरी के पीठाधिपति जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्री श्री 1008 स्वामी मधुरकवि वानमामलई जियर 16 जुलाई 2024 दिन मंगलवार आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की दशमी को लगभग 3 बजे श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर चिलबिला प्रतापगढ़ में पधार रहे हैं।
श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर चिलबिला में उनके…
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गुप्त नवरात्रि दस देवियों के नाम | Gupt Navratri 2024 date
Gupt Navratri 2024 date
Gupt Navratri – गुप्त नवरात्रि वर्ष में दो बार मनाई जाती है - एक बार माघ (जनवरी-फरवरी) महीने में और दूसरी बार आषाढ़ (जून-जुलाई) महीने में। गुप्त नवरात्रि विशेष रूप से तंत्र साधना और गुप्त साधना के लिए जानी जाती है।
गुप्त नवरात्रि 2024 gupt navratri 2024 date
गुप्त नवरात्री 2024 में 6 जुलाई शनिवार 2024 को पर्व प्रारंभ होकर दिन 16 जुलाई, मंगलवार 2024 तक जारी रहेगा |
नवरात्रि हिंदुओं का एक मुख्य त्यौहार है | साल में चार नवरात्रि मनाई जाती है जो - चैत्र, माघ, आषाढ़, आश्विन माह में मनाई जाती हैं | गुप्त नवरात्रि की पूजा प्रत्यक्ष नवरात्रि से अलग होती है | प्रत्यक्ष नवरात्री में नो देवियो की पूजा की जाती है | और गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है |
गुप्त नवरात्रि दस देवियों के नाम
दस देवियों के नाम क्रम से इस प्रकार है - (1) काली, (2) तारा, (3) त्रिपुर-सुंदरी (सोदासी), (4) भुवनेस्वरी, (5) छिन्नमस्ता, ( 6) भैरवी, (7) धूमावती, (8) बगलामुखी, (9) मातंगी, और (10) कमला। अधिकांश स्रोतों में दस देवियो का वर्णन इस प्रकार किया गया है |
पूजन विधि -
गुप्त नवरात्रि पर्व के दिनों में सुबह जल्द उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें।
देवी पूजन की सभी सामग्री को एकत्रित करें। पूजा की थाल सजाएं।
मां दुर्गा की प्रतिमा को लाल रंग के वस्त्र में सजाएं।
मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं और नवमी तक प्रति दिन पानी का छिड़काव करें।
पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश को स्थापित करें
इसमें पहले कलश को गंगा जल से भरें, उसके मुख पर आम की पत्तियां लगाएं और उस पर नारियल रखें।
फिर कलश को लाल कपड़े से लपेटें और कलावा के माध्यम से उसे बांधें
अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें
फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ पंचोपचार पूजा करें
पूरे परिवार सहित माता का स्वागत करें, उनका पूजन, आरती करके भोग लगाएं और उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें।
नौ दिनों तक मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें।
अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें तरह-तरह के व्यंजनों (पूड़ी, चना, हलवा) का भोग लगाएं।
गुप्त नवरात्रि अंतिम दिन दुर्गा पूजा के बाद घट विसर्जन करें।
मां की आरती गाएं, उन्हें फूल, अक्षत चढ़ाएं और बेदी से कलश को उठाएं।
इस तरह नवरात्रि के पूरे दिनों में मां की आराधना करें।
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Guru Purnima 2024: आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। जो मनुष्य गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा-पाठ और व्रत करता है उसके जीवन में हमेशा सुख और समृद्धि बनी रहती है।
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🐚 कामिका एकादशी व्रत कथा - Kamika Ekadashi Vrat Katha
कामिका एकादशी का महत्त्व:
अर्जुन ने कहा: हे प्रभु! मैंने आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी का सविस्तार वर्णन सुना। अब आप मुझे श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी की कथा सुनाने की कृपा करें। इस एकादशी का नाम क्या है? इसकी विधि क्या है? इसमें किस देवता का पूजन होता है? इसका उपवास करने से मनुष्य को किस फल की प्राप्ति होती है?
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा: हे श्रेष्ठ धनुर्धर! मैं श्रावण माह की पवित्र एकादशी की कथा सुनाता हूँ, ध्यानपूर्वक श्रवण करो। एक बार इस एकादशी की पावन कथा को भीष्म पितामह ने लोकहित के लिये नारदजी से कहा था।…
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सुप्रभात संदेश दर्शन पंचांग राशिफल 26 जून 2024 बुधवार
जन जागृति संगम 9302003334
जय श्री गणेश
सिध्दी विनायक जय गणेश
महांकाल उज्जैन
बड़ा ही दयालु है बा्के बिहारी
दिं 26जून 2024*# आजकेमंगला आरती दर्शन*@jay_shree_sawaraseth
🙏🏻।। शुभप्रभात🌹जयमातादी ।।🙏🏻👏🏻….जय हो, भादवा कि राणी….👏🏻👏🏻….अमृत है, मैया थारो पाणी….👏🏻🚩जून 26 बुधवार प्रातःकालिन समयके माँ भादवा भवानी के दर्शन कीजिये🚩🎄। माह आषाढ़ बुदी पंचमी ।🎄======================
अज के दर्शन श्री…
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Krishnapingala Sankashti Chaturthi: कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी व्रत पर ऐसे करें गणेश जी का पूजन, दूर होंगे सारे विघ्न
सनातन धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। गणेश जी की पूजा के लिए चतुर्थी का दिन सबसे अच्छा माना जाता है। बता दें कि हर साल आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। मान्यता के अनुसार, जो लोग कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी के दिन सच्चे मन और पूरे श्रद्धा भाव भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत करते हैं। उनकी सभी मनोकामनाएं…
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स्कन्द षष्ठी व्रत के नियम: क्या करें और क्या न करें?
स्कन्द षष्ठी भगवान कार्तिकेय, जिन्हें स्कन्द भी कहा जाता है, की उपासना का व्रत है। यह व्रत षष्ठी तिथि को शुक्ल पक्ष में आषाढ़ या मारगशीर्ष मास में रखा जाता है। स्कन्द षष्ठी व्रत एक कठिन व्रत है, लेकिन इसके फल भी अत्यंत शुभ होते हैं। यह व्रत भगवान कार्तिकेय की कृपा प्राप्त करने का एक उत्तम तरीका है।
स्कन्द षष्ठी व्रत क्या करें:
व्रत की पूर्व संध्या को घर की सफाई करें और कलश की स्थापना करें।
षष्ठी तिथि के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या तस्वीर को पूजा स्थान पर स्थापित करें।
भगवान कार्तिकेय को षोडशोपचार विधि से पूजा करें।
व्रत कथा का पाठ करें।
भगवान कार्तिकेय आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
शाम को उद्यापन करें।
भोजन में सात्विक चीजों का सेवन करें।
दिन भर भगवान कार्तिकेय का स्मरण करें।
स्कन्द षष्ठी व्रत क्या न करें:
मांस, मदिरा और तमाम तरह के नशा का सेवन न करें।
झूठ न बोलें और बुराई के काम न करें।
विवाद और गुस्सा न करें।
ब्रह्मचर्य का पालन करें।
जमीन पर न सोएं।
काले रंग के कपड़े न पहनें।
स्कन्द षष्ठी व्रत का महत्व:
भगवान कार्तिकेय की कृपा प्राप्ति
बच्चों की आरोग्य और सुख-समृद्धि
शत्रुओं पर विजय
रोगों से मुक्ति
मनोकामना पूर्ति
स्कन्द षष्ठी व्रत की विधि:
व्रत की पूर्व संध्या को घर की सफाई करें और कलश की स्थापना करें।
षष्ठी तिथि के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या तस्वीर को पूजा स्थान पर स्थापित करें।
भगवान कार्तिकेय को षोडशोपचार विधि से पूजा करें।
व्रत कथा का पाठ करें।
आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
शाम को उद्यापन करें।
भोजन में सात्विक चीजों का सेवन करें।
दिन भर भगवान कार्तिकेय का स्मरण करें।
कुछ महत्वपूर्ण बातें:
स्कन्द षष्ठी व्रत 6 दिन का होता है।
पहले दिन भगवान गणेश की पूजा करें, दूसरे दिन भगवान शिव की पूजा करें, तीसरे दिन देवी पार्वती की पूजा करें, चौथे दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करें, पांचवें दिन स्कन्द षष्ठी व्रत कथा सुनें, और छठे दिन पारण करें।
स्कन्द षष्ठी व्रत विशेष रूप से बच्चों की आरोग्य और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है।
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आषाढ़ 2024 मैं योगनी एकादेशी कब हैं? इस दिन क्या करना चाहिए ? #traditio...
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♑️ मकर राशिफल जून आषाढ़ 2024 | Makar (Capricorn) Rashifal June 2024 | Ac...
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