धर्म बोध पृष्ठ 178(1522) पर:-
कबीर कोटिन कंटक घेरि ज्यों नित्य क्रिया निज कीन्ह।
सुमिरन भजन एकांत में मन चंचल गह लीन।।
भावार्थ:- भक्त के ऊपर चाहे करोड़ों कष्ट पड़े, परंतु अपनी नित्य की क्रिया (तीनों समय की संध्या) अवश्य करनी चाहिए तथा चंचल मन को रोककर एकान्त में परमात्मा की दीक्षा वाले नाम का जाप करें।
So senseless poetry with no rhythm is my thing so continue at your own risk.
This month I realised that "एकांत ही सत्य है".
That despite how much you spend yourself on someone, a friend, a lover, your family. Most times no one really would be there in the way you wish they were. "Expectations are your worst enemy."
When earlier that person understood from one syllable even ur words will become foreign to them after sometime. "People change."
When you are there for someone, be completely there for them by either being with them or letting them go. Give them the love they deserve without expecting any back and if they are happy away from your existence, then be it. "Let go of people for yourself and them."
Only your perception of yourself will matter. No affirmation or words from other can ever change it. You're nobody's and nobody is yours. "Your view of yourself matters."
It will hurt to move on and enjoy detachment for a while but slowly you will be accustomed. Detachment doesn't mean isolation though.
At the end stay away from people who generalise your pain and your suffering or compare them to their own. "Your stories are as valid as theirs."
कबीर कोटिन कंटक घेरि ज्यों नित्य क्रिया निज कीन्ह।
सुमिरन भजन एकांत में मन चंचल गह लीन।।
भावार्थ:- भक्त के ऊपर चाहे करोड़ों कष्ट पड़े, परंतु अपनी नित्य की क्रिया (तीनों समय की संध्या) अवश्य करनी चाहिए तथा चंचल मन को रोककर एकान्त में परमात्मा की दीक्षा वाले नाम
God tells that he’s not where people are looking for him — temples, churches, pilgrimages, idols, etc. Rather he’s with us, with everyone, in everyone. Later he tells that if he’s truly looked for with faith, he’ll be found at once. More literal translation of this beautiful poem goes as follows.
Where are you looking for me, man?
I am with you.
Neither in pilgrimage nor in idol,
Nor in a secluded residence.
Neither in the temple, nor in the mosque,
Not in Kaba or Kailash.
I am with you.
…
If you truly look for me, I’ll be found instantly,
यदि 12वें भाव में 4 ग्रह सूर्य, मंगल, शुक्र, बुध इक्कठें हों और कर्क लग्न की कुंडली हो, तो इसका क्या मतलब और प्रभाव होता है?
कर्क लग्न की कुंडली में 12वें भाव में यदि सूर्य, मंगल, शुक्र, और बुध ग्रह इकट्ठा होते हैं, तो इसका मतलब और प्रभाव निम्नलिखित हो सकता है:
सूर्य (Sun) का प्रभाव: 12वें भाव में सूर्य का स्थान समय के अंत में समाप्ति, अंतिम प्राप्ति और अंतिम समाधान का प्रतीक हो सकता है। इस स्थिति में व्यक्ति को अधिक सामग्री और आध्यात्मिक उत्थान की उत्कृष्टता के लिए प्राप्त करने का प्रारंभ करने की प्रेरणा हो सकती है।
मंगल (Mars) का प्रभाव: मंगल का 12वें भाव में स्थान अकेलेपन, आत्मा के अंतिम आत्मा की खोज और आत्मा के साथ एकांत का प्रतीक हो सकता है। इस प्राणी को ध्यान और तप के माध्यम से अधिक आत्म-संज्ञान और स्वाध्याय का अवसर मिल सकता है।
शुक्र (Venus) का प्रभाव: शुक्र का 12वें भाव में स्थान सामाजिक सेवा, कल्याण कार्यों, धर्मिक कार्यों और साधारणतः आत्मा की समाज सेवा के लिए प्रवृत्ति को दर्शाता है। यह व्यक्ति को औरों की सेवा में संलग्न होने के लिए प्रेरित कर सकता है।
बुध (Mercury) का प्रभाव: 12वें भाव में बुध की स्थिति मानवता की सेवा, अन्यों के लाभ के लिए शिक्षा और ज्ञान के अध्ययन का प्रोत्साहन करती है। इस स्थिति में व्यक्ति अन्यों के साथ साझा ज्ञान और अनुभवों को संचारित करने की क्षमता को विकसित कर सकता है।
इस प्रकार, कर्क लग्न की कुंडली में 12वें भाव में इन चार ग्रहों का संयोजन व्यक्ति को आत्म-संज्ञान, सामाजिक सेवा, ध्यान, और आत्मा के साथ सम्बंधित कार्यों के लिए प्रेरित कर सकता है। और अधिक जानकरी के लिए कुंडली चक्र प्रोफेशनल २०२२ सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है।
अपनी कालजयी कविताओं एवं रचनाओं के माध्यम से आम जनमानस के जीवन में उत्साह और ऊर्जा का संचार करने वाले हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के महान कवि, प्रसिद्ध साहित्यकार व लेखक तथा पद्मभूषण से सम्मानित हरिवंश राय बच्चन जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि ।
मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, सतरंगीनी, एकांत संगीत जैसी आपकी कालजयी रचनाएँ सदैव हिंदी साहित्य का मानवर्धन करती रहेंगी ।
अपनी कालजयी कविताओं एवं रचनाओं के माध्यम से आम जनमानस के जीवन में उत्साह और ऊर्जा का संचार करने वाले हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के महान कवि, प्रसिद्ध साहित्यकार व लेखक तथा पद्मभूषण से सम्मानित हरिवंश राय बच्चन जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि ।
मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, सतरंगीनी, एकांत संगीत जैसी आपकी कालजयी रचनाएँ सदैव हिंदी साहित्य का मानवर्धन करती रहेंगी ।
आज से लगभग 600 वर्ष पहले काशी में धर्मगुरुओं द्वारा मोक्ष प्राप्ति के लिए गंगा दरिया के किनारे एकांत स्थान पर एक नया घाट बनाया गया और वहां पर एक करौत लगाई गयी। इस मिथ्या धारणा का खण्डन करते हुए कबीर साहेब जी ने बताया कि प्राणी को अपने कर्मों के आधार से स्वर्ग या नरक मिलता है चाहे वह कहीं भी रहे या शरीर छोड़े। अच्छे कर्म करने वाला स्वर्ग प्राप्त करता है और बुरे व नीच काम करने वाला नरक भोगता है, चाहे वह कहीं भी प्राण त्यागे, वह दुर्गति को ही प्राप्त होगा ।