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#कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए दवाएं
dks91 · 2 years
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Today Healthtips ! Today Lifestyles ! Today news ! Health foods ! Healthy diet ! Health news !healthcare ! In Hindi.
Today Healthtips ! Today Lifestyles ! Today news ! Health foods ! Healthy diet ! Health news !healthcare ! In Hindi.
खराब कोलेस्ट्रॉल, जिससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ सकता है। यह हार्ट अटैक और स्ट्रोक के लिए एक महत्वपूर्ण कारक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि एक सक्रिय जीवन शैली और एक स्वस्थ आहार कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है, लेकिन कभी-कभी इसका कोई फायदा नहीं होता है। उच्च कोलेस्ट्रॉल एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनता जा रहा है। बहुत से लोग इस समस्या से पीड़ित होते हैं जिससे दिल का दौरा पड़ने का…
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Today's Horoscope -
बुधवार को सिंह राशि के जिन लोगों की करियर की शुरुआत हुई है, उन्हें खुद को नए माहौल के अनुसार ढालने का प्रयास करना चाहिए. वहीं, कुंभ राशि के लोगों को बिजनेस से जुड़े मामलों में हो सकता है कि आज अधिक भागदौड़ करनी पड़ जाए, जो शाम तक शारीरिक थकावट के रूप में सामने आ सकती है.
मेष- मेष राशि के नौकरी से जुड़े लोग कार्य में सफलता मिलने से प्रसन्नता का अनुभव करेंगे. इसके साथ ही उनका खोया हुआ आत्मव���श्वास भी जागेगा. मेडिकल लाइन से जुड़े व्यापारियों को किसी नर्सिंग होम क्लीनिक में सर्जिकल इक्विपमेंट्स सप्लाई करने का आर्डर मिल सकता है. विद्यार्थियों के लिए आज का दिन उत्तम है. यदि कोई परीक्षा या टेस्ट दिया था तो उसमें अच्छी रैंक आने की प्रबल संभावना है. जीवनसाथी की बातों पर ध्यान दें, अन्यथा उनकी बातों को इग्नोर करना विवादों को जन्म दे सकता है. ग्रहों की स्थिति कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के संकेत दे रही है. जिन लोगों का वजन अधिक है, वह विशेष सचेत हो जाएं.
वृष- इस राशि के लोग ऑफिस की दिक्कतों को ऑफिस तक ही सीमित रखें, इसे घर पर लाने से बचना चाहिए. कारोबार से संबंधित यदि कोई भी सरकारी कार्यवाही बाकी रह गई है, तो उसे समय रहते ही पूरा करा ले. जो युवा सोशल नेटवर्किंग साइट पर एक्टिव नहीं है, उन्हें अब एक्टिव हो जाना चाहिए क्योंकि इसके माध्यम से आपको नेटवर्क बढ़ाने में सहायता मिलेगी. पारिवारिक सदस्यों के साथ यदि यात्रा पर जा रहे हैं तो पूरी सावधानी बरतें, अन्यथा परिणाम घातक होंगे. सेहत की बात करें तो यदि अधिक मात्रा में चिकनाई खाते हैं तो अब खाना बंद कर दीजिए.
मिथुन- मिथुन राशि की नौकरीपेशा लोगों को गैर जिम्मेदार रवैये को त्यागना होगा, अन्यथा आपकी इस हरकत पर बॉस क्लास लगा सकते हैं. जिन लोगों की मिठाई की दुकान है, उन्हें प्रोडक्ट रेंज बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए जिससे ग्राहकों की आवाजाही ज्यादा हो सके. युवाओं की बात करें तो आज का दिन उनके लिए मौज मस्ती से भरा बीतने वाला है. घर में पिता या पिता तुल्य के स्वास्थ्य का ध्यान रखें, आगे बढ़कर उनकी सेवा करें और उनकी दवाएं उन्हें समय पर देने का प्रयास करें. हेल्थ में अगर किसी बीमारी का इलाज चल रहा है, तो नियमित तरीके से जीवन को बचाने की कोशिश करें.
कर्क- इस राशि के लोग ऑफिशियल कार्यों को करने में तेजी लाएं, जिससे आज की कार्य सूची के साथ-साथ पेंडिंग कार्य भी खत्म हो सके. व्यापारियों को कैश की जगह ऑनलाइन पेमेंट लेने का प्रयास करना चाहिए, जिससे वह होने वाली धोखाधड़ी से बच सकें. युवाओं को एकेडमिक अध्ययन के साथ धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने के लिए समय निकालना चाहिए, जिससे आपके धार्मिक आध्यात्मिक ज्ञानार्जन में वृद्धि हो सके. परिवार साथ यात्रा पर जाने की योजना बन सकती है, यात्रा की शुरुआत तीर्थ स्थल से करना शुभ रहेगा. खानपान को लेकर सजगता दिखाएं, बिगड़ा खान पान स्वास्थ्य में गिरावट ला सकता है.
सिंह- सिंह राशि के जिन लोगों की करियर की शुरुआत हुई है, उन्हें खुद को नए माहौल के अनुसार ढालने का प्रयास करना चाहिए. जनरल स्टोर का व्यापार करने वाले लोगों को स्टॉक कम न होने पाए इस बात का खास ध्यान रखना है, अन्यथा दुकान आया ग्राहक खाली हाथ लौट सकता है. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे, युवाओं को टाइम टेबल के अनुसार स्टडी करने पर फोकस करना चाहिए. सामाजिक रीति-रिवाज और नियमों का पालन करने के चक्कर में अपनों की खुशियों को अनदेखा न करें. हेल्थ में यदि वजन अधिक है तो बहुत देर तक खड़े होकर कार्य करना कमर के लिए घातक हो सकता है.
कन्या- इस राशि के लोग यदि ऑफिस में सीनियर है तो आपका फर्ज बनता है कि जूनियर की गतिविधियों पर नजर रखें और उन्हें ऑफिस की नियमावली से अवगत कराएं. जिन लोगों ने अभी नया व्यापार शुरू किया है उन्हें बहुत अधिक निवेश से बचना चाहिए, कुछ लाभ कमाने के बाद ही निवेश की योजना बनाएं. युवाओं के भाई बहनों और मित्रों के साथ कुछ तनातनी होने के आशंका है, जिस कारण आज आपका मूड खराब रह सकता है. यदि आप घर के मुखिया है तो क्रोध पर नियंत्रण रखते हुए बहुत ही संभलकर शब्दों का चयन करें, अन्यथा आपकी बातें घर के अन्य सदस्यों का दिल दुखा सकती है. जो लोग लैपटॉप, मोबाइल एवं टीवी आदि का प्रयोग करते हैं उन्हें आंखों से संबंधित शिकायतें हो सकती हैं.
तुला- तुला राशि के लोगों को जहां एक ओर सह-कर्मचारियों का साथ मिलेगा तो दूसरी ओर अधिकारियों के प्रति आदर भाव बढ़ाकर रखना है. ग्रहों की स्थिति रोजमर्रा के सामानों का व्यापार करने वाले लोगों के लिए शुभ संकेत लेकर आई है. फायरी प्लैनेट युवाओं के शब्दों को कठोर कर रहें हैं, जिससे सामने वाला आपकी सही बात को भी गलत समझ सकता है. लक्ष्य पर अडिग रहने का समय है, मन में भटकाव की आशंका है. अपनों के सहयोग से रुके हुये कार्यों में प्रगति होगी तो वहीं आपकी मेहनत से कार्य पूरे होंगे. हेल्थ में लम्बे समय से चल रही स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही इम्यून सिस्टम को कमजोर कर रही है.
वृश्चिक- इस राशि के लोगों को पिछले कुछ समय से चल रही भागदौड़ से आज कुछ राहत मिलेगी और आप अपने व्यक्तिगत कार्यों पर ध्यान दे पाएंगे. ऑफिस में महिला सहकर्मियों से विवाद करने से बचें. गिफ्ट आइटम्स का व्यापार करने वाले लोगों को डिस्प्ले पर फोकस करना चाहिए, जितना अच्छा डिस्प्ले होगा ग्राहकों की संख्या उतनी ही बढ़ेगी. युवाओं को अपने व्यवहार की कमियों को दूर करना होगा अन्यथा अंत में न तो उनका कोई साथी होगा और न ही सहारा. घरेलू खर्चों को लेकर अनावश्यक रूप से क्रेडिट कार्ड उपयोग करने से बचना चाहिए. ग्रहों के साथ मौसम का बदलाव आलस्य को जन्म देगा, जिससे आपको बचने के पूरे प्रयास करने हैं.
धनु- धनु राशि के जो लोग टारगेट बेस्ड नौकरी करते हैं, उन्हें टारगेट पूरा करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ सकता है. कारोबार को बढ़ाने के लिए व्यापारी वर्ग को धन की आवश्यकता पड़ सकती है, यदि आप चाहे तो लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं. खेल से जुड़े युवा प्रदर्शन पर विशेष ध्यान दें, तभी प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त हो सकेगी. पारिवारिक सदस्यों के साथ संवाद में कमी न होने दे, इसे किसी न किसी बहाने से बनाए रखने का प्रयास करें. स्वास्थ्य की दृष्टि से त्वचा एवं कान से संबंधित दिक्कतें सामने आ सकती हैं, समय रहते डॉक्टर से संपर्क करें.
मकर- इस राशि के लोगों के मन में विचारों का आदान-प्रदान अधिक रहेंगा, इसलिए ध्यान रहें अच्छे विचारों को रख कर नकारात्मक विचारों को दूर धकेलना है. ऑफिस की तरफ से टूर पर जाना पड़ेगा. व्यापारी वर्ग उन लोगों पर निगाह बनाकर रखें, जिन्होंने उधारी पर सामान ले रखा है ऐसे में समय-समय पर उन्हें रिमाइंडर भी देते रहें. आज के दिन युवा वर्ग भविष्य की कल्पनाओं में व्यस्त हो सकते हैं. संतान यदि आपसे दूर रहती है तो उसकी संगत को लेकर चिंतित हो सकते हैं, ऐसे में बच्चों से बात करके उन्हें अपने संस्कारों और व्यवहार से अवगत कराते रहें. हेल्थ में खासकर महिलाएं अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें, हार्मोन से संबंधित बीमारी होने की आशंका है.
कुंभ- कुंभ राशि के जो लोग सरकारी सेवा में कार्यरत हैं, उनकी बड़े पद पर नियुक्ति हो सकती है. बिजनेस से जुड़े मामलों में हो सकता है आज अधिक भागदौड़ करनी पड़ जाए. पुराने मित्रों और अपनों से मुलाकात युवाओं को प्रसन्न रखेगी, आज के दिन उनके साथ बिताया गया पल यादगार रहने वाला है. संतान बहुत छोटी है, तो उसकी सेहत को लेकर काम के साथ-साथ एक नजर उसके स्वास्थ्य पर भी बनाए रखें. सेहत की बात करें तो आज के दिन नसों में खिंचाव और कमर दर्द को लेकर परेशान हो सकते हैं. शाम तक शारीरिक थकावट से भी स्वास्थ्य कुछ नरम रहेगा, भरपूर नींद लेने से आप अच्छा महसूस कर सकते हैं.
मीन- इस राशि के लोग ऑफिशियल कार्य को सतर्कता के साथ करें, जिससे काम में गलती की गुंजाइश न रहें. बड़े व्यापारी आवश्यक पेपर्स को संभालकर रखें, डील करने के दौरान इनकी जरूरत पड़ सकती है. युवा वर्ग भावनाओं पर नियंत्रण रखें और गलतियो�� को पुनः दोहराने से बचें. बच्चों के साथ समय व्यतीत करें. यदि संभव हो तो उनके साथ कोई आउटडोर एक्टिविटी करें, इससे उनका मनोरंजन तो होगा ही, साथ ही वह सामाजिक परिवेश से परिचित भी होंगे. हेल्थ में गिरकर चोट लग सकती है. उम्रदराज महिलाओं को अधिक सचेत रहने की आवश्यकता है.
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।
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speechhindi · 1 year
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कोलेस्ट्रॉल कम करने की होम्योपैथिक दवा
कोलेस्ट्रॉल कम करने की होम्योपैथिक दवा: "होम्योपैथिक चिकित्सा में, कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने के लिए कई दवाइयों का उपयोग किया जाता है। यहां कुछ होम्योपैथिक दवाएं हैं जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायता कर सकती हैं, लेकिन इन्हें लेने से पहले किसी प्रमाणित होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह लेना सुनिश्चित करें:
Allium Sativum (लहसुन): लहसुन कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। इसे दिन में कई बार खाने में शामिल करें या होम्योपैथिक रूपांतरण (tincture) के रूप में उपयोग करें।
Cholesterinum (कोलेस्टेरिनम): यह दवा उच्च कोलेस्ट्रॉल से जुड़ी समस्याओं को सुधारने में मदद कर सकती है। इसे दिन में एक या दो बार लें।
Lycopodium (लाइकोपोडियम): यह दवा कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है, विशेषकर जब व्यक्ति को वजन बढ़ाने, पेट में गैस, और तंग पहनावे जैसी समस्याएं होती हैं। होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार इसे उपयोग करें।"
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medtalks01 · 1 year
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मेटाबोलिक सिंड्रोम क्या है? What is metabolic syndrome?
मेटाबोलिक सिंड्रोम यानि उपापचयी सिंड्रोम हृदय रोग जोखिम कारकों (heart disease risk factors) का एक संग्रह है जो हृदय रोग, स्ट्रोक (stroke) और मधुमेह (diabetes) के विकास की संभावना को बढ़ाता है। इस स्थिति को सिंड्रोम एक्स (syndrome X), इंसुलिन प्रतिरोध सिंड्रोम (insulin resistance syndrome) और डिसमेटाबोलिक सिंड्रोम (dysmetabolic syndrome) सहित अन्य नामों से भी जाना जाता है। उपापचयी सिंड्रोम वाले लोगों की संख्या उम्र के साथ बढ़ती है, जो 60 और 70 के दशक में 40% से अधिक लोगों को प्रभावित करती है। 
मेटाबोलिक सिंड्रोम का क्या कारण बनता है? What causes metabolic syndrome?
मेटाबोलिक सिंड्रोम का सटीक कारण ज्ञात नहीं है। चयापचय सिंड्रोम की कई विशेषताएं "इंसुलिन प्रतिरोध" (insulin resistance) से जुड़ी हैं। इंसुलिन प्रतिरोध का मतलब है कि शरीर ग्लूकोज (body glucose) और ट्राइग्लिसराइड (triglyceride) के स्तर को कम करने के लिए कुशलता से इंसुलिन का उपयोग नहीं करता है। अनुवांशिक और जीवनशैली कारकों के संयोजन के परिणामस्वरूप इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है। जीवनशैली के कारकों में आहार संबंधी आदतें, गतिविधि और शायद बाधित नींद पैटर्न (जैसे स्लीप एपनिया – sleep apnea) शामिल हैं।
मेटाबोलिक सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं? What are the symptoms of metabolic syndrome?
आमतौर पर, तत्काल कोई शारीरिक लक्षण नहीं होते हैं। चयापचय सिंड्रोम से जुड़ी चिकित्सा समस्याएं समय के साथ विकसित होती हैं। यदि आप सुनिश्चित नहीं हैं कि आपको उपापचयी सिंड्रोम है, तो अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से मिलें। वह रक्तचाप (blood pressure), लिपिड प्रोफाइल (lipid profile) (ट्राइग्लिसराइड्स और एचडीएल – Triglycerides and HDL) और रक्त ग्लूकोज (blood glucose) सहित आवश्यक परीक्षण प्राप्त करके निदान करने में सक्षम होंगे।
मेटाबोलिक सिंड्रोम का निदान कैसे किया जाता है? How is metabolic syndrome diagnosed?
यदि आपके पास निम्न में से तीन या अधिक हैं तो आपको मेटाबोलिक सिंड्रोम का निदान किया जाता है :-
पुरुषों के लिए 40 इंच या उससे अधिक की कमर और महिलाओं के लिए 35 इंच या उससे अधिक (पेट भर में मापा जाता है)
130/85 mm Hg या उससे अधिक का रक्तचाप या रक्तचाप की दवाएं ले रहे हैं
150 mg/dl से ऊपर ट्राइग्लिसराइड का स्तर (triglyceride levels)
उपवास रक्त ग्लूकोज स्तर (fasting blood glucose) 100 mg/dl से अधिक या ग्लूकोज कम करने वाली दवाएं ले रहे हैं 
एक उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन स्तर (lipoprotein level) (HDL) 40 mg/dl (पुरुष) से ​​कम या 50 mg/dl (महिला) से कम 
मेटाबोलिक सिंड्रोम के जोखिम कारक क्या है? What are the risk factors for metabolic syndrome?
निम्नलिखित कारक आपके मेटाबोलिक सिंड्रोम होने की संभावनाओं को बढ़ाते हैं:
आयु (age) :- मेटाबोलिक सिंड्रोम का आपका जोखिम उम्र के साथ बढ़ता है। 
मोटापा (obesity) :- बहुत अधिक वजन उठाना, विशेष रूप से आपके पेट में, मेटाबोलिक सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है।
मधुमेह (diabetes) :- यदि आपको गर्भावस्था के दौरान मधुमेह (गर्भावधि मधुमेह – gestational diabetes) था या यदि आपके पास टाइप 2 मधुमेह का पारिवारिक इतिहास है, तो आपको चयापचय सिंड्रोम होने की अधिक संभावना है।
अन्य रोग (any health issues) :- यदि आपको कभी भी गैर-मादक वसायुक्त लीवर रोग (non-alcoholic fatty liver disease), पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (polycystic ovary syndrome) या स्लीप एपनिया (sleep apnea) हुआ हो तो आपके मेटाबोलिक सिंड्रोम का जोखिम अधिक होता है। 
मेटाबोलिक सिंड्रोम से क्या ज��िलताएँ हो सकती है? What complications can result from metabolic syndrome?
मेटाबोलिक सिंड्रोम होने से आपको निम्न जटिलताएँ हो सकती हैं :-
मधुमेह प्रकार 2 (type 2 diabetes) :- यदि आप अपने अतिरिक्त वजन को नियंत्रित करने के लिए जीवनशैली में बदलाव नहीं करते हैं, तो आप इंसुलिन प्रतिरोध विकसित कर सकते हैं, जिससे आपके रक्त शर्करा का स्तर बढ़ सकता है। आखिरकार, इंसुलिन प्रतिरोध से टाइप 2 मधुमेह हो सकता है।
हृदय और रक्त वाहिका रोग (heart and blood vessel diseases) :- उच्च कोलेस्ट्रॉल (high cholesterol) और उच्च रक्तचाप (high blood pressure) आपकी धमनियों में सजीले टुकड़े (plaques) के निर्माण में योगदान कर सकते हैं। ये सजीले टुकड़े आपकी धमनियों को संकीर्ण और सख्त कर सकते हैं, जिससे दिल का दौरा या स्ट्रोक हो सकता है।
मेटाबोलिक सिंड्रोम का इलाज कैसे किया जाता है? How is metabolic syndrome treated?
यदि आक्रामक जीवनशैली में परिवर्तन जैसे आहार और व्यायाम पर्याप्त नहीं हैं, तो आपका डॉक्टर आपके रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और रक्त शर्करा (blood sugar) के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए दवाओं का सुझाव दे सकता है। 
मेटाबोलिक सिंड्रोम से बचाव कैसे किया जाता है? How is metabolic syndrome prevented?
चूंकि शारीरिक निष्क्रियता और अतिरिक्त वजन चयापचय सिंड्रोम के विकास के लिए मुख्य अंतर्निहित योगदानकर्ता हैं, इसलिए व्यायाम करना, स्वस्थ भोजन करना और, यदि आपका अधिक वजन या मोटापा है, तो आपके लिए स्वस्थ वजन की दिशा में काम करना इस स्थिति से जुड़ी जटिलताओं को कम करने या रोकने में मदद कर सकता है। मेटाबोलिक सिंड्रोम से जुड़ी आपकी समस्याओं के कुछ पहलुओं को प्रबंधित करने के लिए आपका डॉक्टर दवाएं भी लिख सकता है। अपने जोखिम को कम करने के कुछ तरीके निम्न हैं :-
यदि आप अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं तो स्वस्थ भोजन करना और ऐसा वजन प्राप्त करना जो आपके लिए स्वस्थ हो: स्वस्थ भोजन और मध्यम वजन घटाने, शरीर के वजन के 5% से 10% की सीमा में, आपके शरीर की इंसुलिन को पहचानने की क्षमता को बहाल करने में मदद कर सकता है और बहुत कम कर सकता है। संभावना है कि सिंड्रोम अधिक गंभीर बीमारी बन जाएगा। यह आहार, व्यायाम, या वजन कम करने वाली दवाओं की मदद से भी किया जा सकता है, अगर आपके डॉक्टर ने इसकी सिफारिश की हो।
व्यायाम: अकेले बढ़ी हुई गतिविधि आपकी इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार कर सकती है। रोजाना 30 मिनट की तेज सैर जैसे एरोबिक व्यायाम वजन घटाने, रक्तचाप और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर में सुधार और मधुमेह के विकास के जोखिम को कम कर सकते हैं। अधिकांश स्वास्थ्य सेवा प्रदाता प्रत्येक सप्ताह 150 मिनट एरोबिक व्यायाम करने की सलाह देते हैं। वजन कम किए बिना भी व्यायाम हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकता है। शारीरिक गतिविधि में कोई भी वृद्धि मददगार है, यहां तक ​​कि उन लोगों के लिए भी जो प्रति सप्ताह 150 मिनट की गतिविधि करने में असमर्थ हैं।
आहार परिवर्तन: ऐसा आहार बनाए रखें जो कार्बोहाइड्रेट को कुल कैलोरी के 50% से अधिक न रखे। कार्बोहाइड्रेट का स्रोत साबुत अनाज (जटिल कार्बोहाइड्रेट – complex carbohydrates) होना चाहिए, जैसे कि साबुत अनाज की ब्रेड (whole grain bread) और ब्राउन राइस (brown rice)। फलियां (उदाहरण के लिए, बीन्स), फल और सब्जियों के साथ साबुत अनाज उत्पाद आपको उच्च आहार फाइबर की अनुमति देते हैं। रेड मीट और पोल्ट्री कम खाएं। इसके बजाय, अधिक मछली खाएं (बिना छिलके वाली और तली हुई नहीं)। आपके दैनिक कैलोरी का तीस प्रतिशत वसा से आना चाहिए। कैनोला तेल (canola oil), जैतून का तेल (olive oil), अलसी के तेल (linseed oil) और ट्री नट्स (tree nuts) जैसे स्वस्थ वसा (healthy fats) का सेवन करें।  
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parichaytimes · 3 years
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क्या लोगों को कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए दवाएं लेनी चाहिए? | द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया
क्या लोगों को कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए दवाएं लेनी चाहिए? | द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया
कई कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों से जुड़े होने के कारण कोलेस्ट्रॉल ने खुद को एक खराब नाम दिया है। हालांकि, यह पदार्थ ही खराब नहीं है, बल्कि इसका उच्च स्तर है जो आपके हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ाता है। . Source link
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onlyhindinewstoday · 4 years
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Keep These Things In Mind If You Want To Avoid Brain Stroke - ब्रेन स्ट्रोक से बचना है तो मधुमेह, हाईबीपी के मरीज को इन बातों का रखना होगा ध्यान
Keep These Things In Mind If You Want To Avoid Brain Stroke – ब्रेन स्ट्रोक से बचना है तो मधुमेह, हाईबीपी के मरीज को इन बातों का रखना होगा ध्यान
तला-भुना भोजन व नमक कम ही खाएं। हृदय संबंधी रोगों से भी बे्रन स्ट्रोक हो सकता है। इसलिए चेकअप कराएं।
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Keep these things in mind if you want to avoid brain stroke
बे्रन स्ट्रोक दोबारा न हो, क्या सावधानी बरतें? सबसे पहले पैरालिटिक स्ट्रोक (शरीर के एक तरफ लकवे की स्थिति) क्लॉट जमने की प्रवृत्ति को कम करने के लिए रक्तपतला करने की दवाएं लें। यदि रोगी हाई बीपी, मधुमेह या कोलेस्ट्रॉल कम करने की…
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merisahelimagazine · 4 years
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कैंसर से बचाएंगी ये किचन रेमेडीज़ (Cancer Prevention: Best Home Remedies To Lower Your Risk)
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कैंसर से बचाएंगी ये किचन रेमेडीज़ (Cancer Prevention: Best Home Remedies To Lower Your Risk)
पूरी दुनिया में ही नहीं, भारत में भी कैंसर (Cancer) के रोगी लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन हमारे किचन में ही ऐसी बहुत सारी चीज़ें उपलब्ध हैं, जिनका नियमित सेवन कैंसर से लड़ने में सहायता कर सकता है. एक नजर किचन में मौजूद कुछ ऐसी ही एंटी कैंसर चीज़ों पर.
हल्दीःखाने में हल्दी का इस्तेमाल ज़रूर करें. इसमें मौजूद करक्यूमिन तत्व कैंसर से लड़ने में मदद करता है. हल्दी ख़ासकर ब्रेस्ट कैंसर, पेट के कैंसर और त्वचा के कैंसर में ज़्यादा प्रभावी है.
केसरःकेसर में क्रोसेटिन नाम का तत्व होता है, जो कैंसर से लड़ने में प्रभावी है. ये ना स़िर्फ कैंसर को स्प्रेड होने से रोकता है, बल्कि ट्यूमर के साइज़ को भी कम करता है.
जीराःजीरा खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ ही कैंसर से भी बचाता है. इसमें थाइमोक्वीनोन नाम का पदार्थ होता है, जो प्रोस्टेट कैंसर बनानेवाले सेल्स को बढ़ने से रोकता है. लिहाज़ा अगर कैंसर से बचना है और हेल्दी रहना है, तो अपने डेली डायट में जीरा शामिल करें.
दालचीनीःआयरन और कैल्शियम से भरपूर दालचीनी शरीर में ट्यूमर के साइज़ को कम करने में मदद करती है. हर रोज़ अपने दिन की शुरुआत दालचीनी की चाय से करें और सोने से पहले शहद और दालचीनी के साथ एक ग्लास दूध का सेवन करें. इससे आप कैंसर से सुरक्षित रहेंगे.
ऑरिगेनोःऑरिगेनो का इस्तेमाल स़िर्फ पिज़्ज़ा, पास्ता की टॉपिंग के रूप में ही नहीं होता, बल्कि ये प्रोस्टेट कैंसर के ख़िलाफ़ भी एक सशक्त एजेंट का काम करता है.
अदरक:औषधीय गुणों से भरपूर अदरक के सेवन से कोलेस्ट्रॉल कम होता है, मेटाबॉलिज़्म बढ़ता है और कैंसर सेल्स भी ख़त्म होते हैं. अदरक का अर्क कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी से होनेवाली परेशानी को भी कम कर सकता है. ये अन्य कई बीमारियों से भी बचाता है.
तुलसीःतुलसी की पत्तियों में यूजेनॉल नामक तत्व होता है, जो कैंसर से सुरक्षा देता है. इस तत्व का इस्तेमाल एंटी कैंसर दवाएं बनाने के लिए भी किया जाता है.
नारियल तेलःरोज़ खाली पेट एक चम्मच नारियल तेल का सेवन करने से कैंसर से बचाव होता है. इसमें मौजूद लॉरिक एसिड कैंसर की कोशिकाओं को ख़त्म करने में सहायक होता है.
लहसुन और प्याज़ःलहसुन और प्याज़ में मौजूद सल्फर कंपाउंड बड़ी आंत, बे्रस्ट कैंसर, लिवर और प्रोस्टेट कैंसर की कोशिकाओं को मार देते हैं. यह इंसुलिन के प्रोडक्शन को कम करके शरीर में ट्यूमर नहीं बनने देते.
एंटी कैंसर सब्ज़ियां:फूलगोभी और ब्रोकोली कैंसर की कोशिकाओं को मारती हैं और ट्यूमर को बढ़ने से रोकती हैं. ये लिवर, प्रोस्टेट, मूत्राशय और पेट के कैंसर के ख़तरे को कम करती हैं.
फलियां और दाल:दाल और फलियां प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत होने के साथ ही फाइबर और फोलेट से भरपूर होती हैं, जो पैंक्रियाज़ के कैंसर के ख़तरे को कम कर सकती हैं.
यह भी पढ़ें: दिशा पटानी के फिटनेस मंत्र (Fitness Mantra Of Disha Patani)
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jodhpurnews24 · 6 years
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रेगुलर ग्रीन टी लें तो नाश्ते, भोजन की टाइमिंग का ध्यान रखें
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एंटीऑक्सीडेंट, पॉलीफेनोल युक्त ग्रीन टी से वजन और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने के साथ, बालों, त्वचा, हृदय, बीपी, डिप्रेशन और कैंसर संबंधी रोगों में फायदेमंद है लेकिन बिना डॉक्टर की परामर्श से न लें। मात्रा से अधिक ग्रीन टी लेने से स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है।
ज्यादा पीने से बचें ग्रीन टी पीने से मोटापा नियंत्रित रहने के साथ त्वचा, पाचन क्रिया संबंधी समस्या में भी फायदेमंद है। ग्रीन टी ज्यादा लेने से कैफीन धडक़न अनियमित करता है। व्यवहार में चिड़चिड़ापन, घबराहट, अनिद्रा व पेट खराब होने जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। पोस्ट प्रेग्नेंसी फैट कम करने के लिए इसका प्रयोग करने वाली मां और बच्चे के लिए नुकसानदायक हो सकता है। टैनिन की वजह से इसे खाने से पहले लेने से पेट दर्द, कब्ज हो सकता है। इसलिए इसे २-३ कप से ज्यादा नहीं लेना चाहिए।
नाश्ते व लंच के आधे घंटे बाद लें सुबह खाली पेट और नाश्ते से ठीक पहले न लें। नाश्ते और लंच के आधे घंटे के बाद ले सकते हैं। देर रात पीने से अनिद्रा की समस्या हो सकती है। ग्रीन टी दूध के साथ लेने से एसिड बनना कम होगा। एंटीबायोटिक्स दवाएं लेते हैं तो इसके साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। दवाइयां के साथ भी ग्रीन टी का इस्तेमाल नुकसानदायक हो सकता है।
ये लोग रखें खयाल ग्रीन टी का अधिक प्रयोग करने से ऑक्जेलिक एसिड से गुर्दे में पथरी, कैल्शियम, यूरिक एसिड और फॉस्फेट से भी पथरी होने की आशंका बढ़ जाती है। गर्भवती महिला और हड्डियों संबंधी समस्या के रोगी चिकित्सक की परामर्श से लें। ग्रीन टी में मौजूद तत्त्व टैनिन, खाद्य पदार्थों और पोषक तत्वों से होने वाले आयरन के अवशोषण में दिक्कत करता है। इससे आयरन की कमी होती है जिससे खून की कमी होने लगती है।
डॉ.पुनीत रिझवानी फिजिशियन, महात्मा गांधी अस्पताल, जयपुर
सुरभि पारीक डायटीशियन, एसडीएमएच, जयपुर
Hindi News Latest Hindi News
The post रेगुलर ग्रीन टी लें तो नाश्ते, भोजन की टाइमिंग का ध्यान रखें appeared first on Hindi News.
source http://hindi-news.krantibhaskar.com/latest-news/hindi-news/health-news/11013/
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speechhindi · 1 year
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कोलेस्ट्रॉल की आयुर्वेदिक दवा
कोलेस्ट्रॉल की आयुर्वेदिक दवा: "आयुर्वेद में कई प्राकृतिक उपचार और दवाएं हैं जो कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं। यहां कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक दवाओं का उल्लेख किया गया है:
अर्जुन छाल: अर्जुन की छाल का पाउडर कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकता है। इसे पानी के साथ लेना चाहिए।
गुग्गुल: गुग्गुल कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए उपयोगी हो सकता है। इसे ताड़े पानी के साथ लेना चाहिए।
अलसी बीज: अलसी के बीज का सेवन कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकता है। इसे पीसकर पानी में मिलाकर रात भर भिगोएं और सुबह खाली पेट लें।
त्रिफला: त्रिफला कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकता है और शरीर को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है।"
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womenscreenings · 4 years
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आपके लिए निवारक देखभाल कार्य कैसे करें
आपको फ़्लू शॉट मिल जाता है, इसलिए आपको सर्दियों में सोने की आदत नहीं है। आप यह सुनिश्चित करने के लिए अपने कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जाँच करवाएँ कि वे आपके हृदय को प्रभावित नहीं करेंगे। आप कैविटी को रोकने में मदद करने के लिए डेंटिस्ट के पास जाएँ। निवारक देखभाल आपके स्वास्थ्य का प्रबंधन करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चरणों में से एक है।
अपने स्वास्थ्य के शीर्ष पर बने रहने से आप अच्छा महसूस कर सकते हैं, बीमारी से बच सकते हैं और बड़ी समस्या बनने से पहले मुद्दों को पकड़ सकते हैं। जब किसी स्थिति का निदान जल्दी हो जाता है, तो आमतौर पर इसका इलाज आसान होता है। और नियमित जांच से आपको और आपके स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता को उन जीवनशैली परिवर्तनों की पहचान करने में मदद मिल सकती है जो आप कुछ स्थितियों से बचने के लिए कर सकते हैं।
दो मुख्य चीजें हैं जो आपकी निवारक देखभाल के साथ मिल सकती हैं: अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता को पसंद नहीं करना और निवारक स्वास्थ्य देखभाल नियुक्तियों के माध्यम से पालन करने के लिए पर्याप्त समय नहीं देना।
आपको अपनी निवारक देखभाल के शीर्ष पर बने रहने के लिए इन चीजों को स्क्वैश करने में मदद करने के लिए, यहाँ पर कुछ मार्गदर्शन है कि आप किस तरह से स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर को प्यार करते हैं और उन्हें देखने का समय कैसे बना सकते हैं।
कैसे एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर खोजने के लिए जो आपकी आवश्यकताओं को पूरा करता है सही स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर एक सफल निवारक देखभाल दिनचर्या का हिस्सा है। आपको आश्चर्य नहीं होना चाहिए, "क्या यह मेरे लिए सही स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता है?" स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर को देखकर आप सवाल कर रहे हैं कि आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। हां, वे एक सफेद कोट और स्टेथोस्कोप पहन सकते हैं, अपनी माँ से प्यारे हो सकते हैं और फैंसी मेडिकल डिग्री पकड़ सकते हैं- लेकिन वे आपके लिए सही नहीं हो सकते हैं।
आप अपने सपने की स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर को खोजने के लिए इसका श्रेय खुद को देते हैं। यह विशेष रूप से सच है जब यह एक व्यवसायी है जिसे आप और आपका परिवार अक्सर देखते हैं, जैसे कि प्रसूति / स्त्री रोग विशेषज्ञ या प्राथमिक देखभाल प्रदाता। यहां कुछ संकेत दिए गए हैं जो आगे बढ़ने और एक नई स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर खोजने का समय है।
कार्यालय गंदा या गंदा है। आप कीटाणुओं को नहीं देख सकते हैं, लेकिन एक कार्यालय जो बिना दिखता है और आपको एक बुरा वाइब देता है इसका मतलब यह हो सकता है कि इसे ठीक से पवित्र नहीं किया जा रहा है।
आपकी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर दूसरी राय का विरोध करती है। एक अच्छी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर को आपके निदान और उपचार योजना को दोबारा जांचने के बारे में खुला और आश्वस्त होना चाहिए। आप दूसरी राय के हकदार हैं।
कार्यालय अब आपके बीमा को स्वीकार नहीं करता है। यदि आप अपने प्रदाता के साथ शुरू करने के बारे में दूसरे विचार कर रहे हैं, तो अब आपके बीमा को स्वीकार करने वाले व्यक्ति को देखने का समय हो सकता है।
यात्राओं से पहले आपके पास अक्सर एक लंबा इंतजार होता है। यदि आप बार-बार महीनों के इंतजार या घंटों इंतजार करते हैं, तो यह आपके रिश्ते को नुकसान पहुंचा सकता है।
आपका स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर एंटीबायोटिक दवाओं का अधिक सेवन करता है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में तीन एंटीबायोटिक नुस्खों में से एक अनावश्यक है। यदि वे अनुचित तरीके से ��पयोग किए जाते हैं तो ये जीवनदायी दवाएं अपनी प्रभावशीलता खो सकती हैं।
आपकी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर आपकी बात नहीं सुन रही है। जब वे फ़ाइलों में जानकारी दर्ज कर रहे हों या आपके चार्ट को स्कैन कर रहे हों, तब भी उन्हें अच्छी नज़र, संपर्क बनाए रखना और आपका सामना करना चाहिए।
आपका स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर आदेश भी कई परीक्षण करता है। उन्हें वही करना चाहिए जो आपके हित में हो। यदि किसी नए स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर को खोजने का समय है, तो इसके बारे में और जानें।
स्क्रीनिंग शेड्यूल करने का समय कैसे तय करें
खुद का ख्याल रखना स्वार्थी या खुदगर्ज नहीं है। अपने स्वयं के स्वास्थ्य और भलाई पर ध्यान केंद्रित करने से आपका तनाव कम होगा, न कि इससे जोड़ें। आपके स्वास्थ्य और आपके परिवार का प्रबंधन गैर-परक्राम्य है।
एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर खोजें जो आप दिन-प्रतिदिन की समस्याओं के लिए नियमित रूप से देख सकते हैं और जो ज़रूरत पड़ने पर विशेषज्ञों के साथ आपकी देखभाल के समन्वय में मदद कर सकते हैं। आप अपने बच्चों के साथ एक परिवार के स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता को साझा करने पर विचार कर सकते हैं। यह एक घरेलू वायरस के इलाज के लिए सरल बनाता है या उस दिल की स्थिति पर नज़र रखता है जिसे आपने अपनी बेटी को दिया था। यहां तक ​​कि अगर आप अपने स्वयं के स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर को रखते हैं, तो अपने बच्चों के चेकअप को बुक करते समय अपनी कल्याण परीक्षा का शेड्यूल करें।
स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर का चयन करते समय, कुछ बुनियादी नीतियों की गुंजाइश रखें: चाहे एक ही दिन की यात्रा करना संभव हो, कितने समय तक रोगियों को आमतौर पर एक रूटीन चेकअप के लिए इंतजार करना पड़ता है और क्या आप उन नियुक्तियों को बना सकते हैं और अपने रिकॉर्ड को ऑनलाइन एक्सेस कर सकते हैं। स्क्रीनिंग शेड्यूल करने के लिए समय निकालकर देखें।
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gethealthy18-blog · 4 years
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धातु (धात) रोग के कारण, लक्षण और इलाज – Spermatorrhea (Dhat Rog) Causes, Symptoms and Treatment in Hindi
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धातु (धात) रोग के कारण, लक्षण और इलाज – Spermatorrhea (Dhat Rog) Causes, Symptoms and Treatment in Hindi
धातु (धात) रोग के कारण, लक्षण और इलाज – Spermatorrhea (Dhat Rog) Causes, Symptoms and Treatment in Hindi vinita pangeni Hyderabd040-395603080 December 20, 2019
कुछ स्वास्थ्य समस्याएं ऐसी होती हैं, जिनके बारे में खुलकर बात करने में शर्मिंदगी महसूस होती है। उन्हीं समस्या में से एक है, धात रोग। यह यौन संबंधी ऐसी समस्या है, जो खुद के प्रति बरती गई लापरवाही की वजह से होती है। इस बीमारी से ग्रसित होने पर आत्मविश्वास इस कदर डगमगा जाता है कि व्यक्ति की दिनचर्या पूरी तरह से प्रभावित होने लगती है। अगर भारत की बात करें, तो यहांं इस समस्या को आम माना गया है (1)। यही वजह है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम धातु रोग को समझाने के साथ ही धातु रोग के कारण, लक्षण और बचाव से जुड़ी जानकारी देंगे। साथ ही धात रोग का इलाज और टिप्स के बारे में भी चर्चा करेंगे।
चलिए, सबसे पहले यह जान लेते हैं कि धातु रोग क्या है?
विषय सूची
धातु रोग क्या है? – What is Spermatorrhea in Hindi
धात व धातु रोग, जिसे अंग्रेजी में स्पर्मेटर्रिया (Spermatorrhea) कहा जाता है, यह एक तरह की यौन समस्या है। इसमें बिना किसी यौन गतिविधि या इच्छा के वीर्यपात हो जाता है। कई बार पेशाब करते समय मूत्र के साथ भी वीर्य निकल जाता है (2)। इस स्थिति को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है (3)।
मेंग यी (Meng Yi): इसमें सपने देखते हुए नींद में ही वीर्यपात हो जाता है।
हुआ जिंग (Hua Jing): इसमें बिना सपने देखे नींद में या दिन में सचेत रहते हुए वीर्यपात हो जाता है।
धातु रोग क्या है, यह जानने के बाद आगे हम धातु रोग के कारण के बारे में बात करेंगे।
धातु रोग के कारण – Causes of Spermatorrhea in Hindi
धातु रोग यानी स्पर्मेटर्रिया एक गंभीर समस्या है, जिससे बचाव के लिए धात रोग के कारण के बारे में जानना जरूरी है। नीचे, हम धातु रोग के अनुमानित कारणों के बारे में बता रहे हैं (3) (4) (5) (6)।
भावनात्मक असंतुलन।
अधिक यौन गतिविधि।
शराब का सेवन।
Qi की कमी (ऊर्जा की कमी)।
ह्रदय, लिवर, व किडनी में असंतुलन।
दवाओं का सेवन, जैसे – टोपिरामेट (Topiramate)।
एक्जिमा व दाद।
आंत में होने वाले कीड़े (Worm Infestation)।
अधिक हस्तमैथुन
आगे हम, धात रोग के लक्षण के बारे में बता रहे हैं।
धात रोग के लक्षण – Symptoms of Spermatorrhea in Hindi
सिर्फ पुरुषों को ही नहीं, बल्कि महिलाओं को भी धात रोग हो सकता है। इसके कुछ लक्षण समय के साथ गंभीर होते जाते हैं। इसके कुछ आम लक्षण हम नीचे बता रहे हैं (7) (8) (9)।
मूड में अचानक बदलाव होना।
हर समय आलस महसूस होना।
एंहीडोनीय (Anhedonia) यानी किसी भी तरह के काम में मन न लगना।
एकाग्रता में कमी।
निराशाजनक अवसाद (उदासीन विचार, खुद को व्यर्थ समझना)।
नींद में कमी।
कम भूख लगना।
शारीरिक दुर्बलता।
घबराहट महसूस होना।
असमय वीर्यपात।
मनोरोग।
योनि स्राव (Vaginal Discharge)।
पेशाब के साथ वीर्य निकलना।
धात रोग के लक्षण के बाद आगे हम धातु रोग के जोखिम कारक के बारे में बता रहे हैं।
धातु रोग के जोखिम कारक – Risk Factors of Spermatorrhea in Hindi
किसी भी तरह की शारीरिक समस्या या रोग की चपेट में व्यक्ति यूं ही नहीं आ जाता है। उसके पीछे कई कारण छुपे होते हैं। इसी तरह धातु रोग होने के पीछे भी कई कारक हैं। इन्हीं कुछ आम जोखिम कारकों के बारे में नीचे क्रमवार बताया गया है (10) (11) (12) (9):
वीर्यपात के नुकसान से संबंधित मिथकों पर भरोसा करना।
कामुक साहित्य पढ़ना या चित्र देखना।
एडल्ट फिल्में देखना।
दोस्ती या प्यार में विश्वासघात।
कुछ अधूरी कामोत्तेजक इच्छाएं।
बुरी संगत।
चिंता करना।
यौन इच्छा संबंधी (Venereal) रोग।
यूरेनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) के कारण।
अधिक भोजन करना।
नींद खराब होना।
आनुवंशिक कारक।
पारिवारिक माहौल।
अपर्याप्त आहार का सेवन।
महिला नसबंदी (Tubectomy)।
अधिक हस्तमैथुन।
कब्ज।
लेख के अगले हिस्से में हम धातु रोग का इलाज क्या हो सकता है, यह विस्तार से बताएंगे।
धातु रोग का इलाज – Treatment of Spermatorrhea in Hindi
धात रोग का इलाज इसके कारण पर निर्भर करता है। ऐसे में धातु रोग का इलाज करने के लिए इसकी वजह का पता लगाना जरूरी है। डॉक्टर प्रभावित व्यक्ति से उसकी दिनचर्या, जीवन और किसी अन्य बीमारी से संबंधित दवाओं के बारे में जानकारी ले सकते हैं। अगर किसी दवा के साइड इफेक्ट की वजह से धात रोग हुआ है, तो उन दवाओं को बदलने की सलाह ���े सकते हैं। वहीं, अगर धातु रोग तनाव की वजह से हुआ है, तो डॉक्टर एंटी-एंजाइटी दवाएं लेने के साथ ही तनाव को कम करने की एक्सरसाइज करने की सलाह दे सकते हैं (7)।
एक केस स्टडी के मुताबिक, धात रोग से ग्रसित व्यक्ति की डॉक्टर ने काउंसलिंग की, साथ ही कुछ व्यायाम करने को कहा और आहार संबंधी बदलाव करने की सलाह दी गई। इन बदलावों और काउंसलिंग के बाद धात रोगी में सुधार देखा गया (12)। वहीं, आयुर्वेद में धातु रोग का इलाज सिडा कॉर्डिफोलिया (Sida cordifolia) यानी बाला जड़ी बूटी के उपयोग से भी किया जाता है (13)।
धात रोग का इलाज जानने के बाद नीचे धातु रोग से संबंधित आहार के बारे में चर्चा करेंगे। इन आहार को शामिल करने से धात रोग के लक्षण से बचा जा सकता है।
धातु (धात) रोग आहार – Spermatorrhea (Dhat Rog) Diet in Hindi
जैसा कि हम ऊपर बता ही चुके हैं कि पोषण की कमी की वजह से भी धातरोग हो सकता है, इसलिए धात रोग के उपचार में खान-पान पर ध्यान देना भी जरूरी है। आहार पर ध्यान देते वक्त बीन्स से परहेज जरूर करना चाहिए (5)। धात रोग के लिए प्रोटीन, आयरन व बी-कॉम्प्लेक्स से भरपूर आहार का सेवन कर सकते हैं (10)।
नीचे, हम धात रोग के लिए घरेलू नुस्खे बता रहे हैं, जो धातु रोग का इलाज करने में तो नहीं, लेकिन धात रोग के लक्षण कम करने में मदद जरूर कर सकते हैं (14) (15) (16) :
5 ग्राम बादाम, 5 ग्राम काली मिर्च, 2 ग्राम सौंठ और 5 ग्राम मिश्री को 250 ml गाय के दूध के साथ एक माह तक लिया जा सकता है।
25-25 ग्राम सेमल की छाल और मिश्री को 250 ml गाय के दूध के साथ दिनभर में दो बार सेवन करें। सुबह और शाम को खाना खाने से पहले।
50 ग्राम चना और 5 बादाम को रातभर पानी में भीगोकर रखें और अगले दिन दूध के साथ एक महीने तक सेवन किया जा सकता है।
अर्जुन पेड़ (Terminalia arjuna) की छाल व जड़ के अर्क का सेवन चंदन के साथ किया जा सकता है।
माना जाता है कि ऑर्किड नामक फूल धातु रोग का इलाज करने में सहायक हो सकता है। इसलिए, इसका सेवन भी धातु रोग के लक्षण को दूर करने में किया जा सकता है।
चलिए, अब धातु रोग से बचने के उपाय के बारे में जान लेते हैं।
धातु रोग से बचने के उपाय – Prevention Tips for Spermatorrhea in Hindi
धात रोग का बचाव कैसे किया जाए, यह तो स्पष्ट नहीं है, लेकिन इसके कारण और जोखिम कारक से दूर रहकर जरूर इससे बचा जा सकता है। नीचे, हम धातु रोग के लक्षण कम करने और इससे बचने के कुछ उपाय बता रहे हैं (17) (10)।
योग और व्यायाम।
स्ट्रेस से दूर रहें।
मादक पदार्थों के सेवन से बचें।
तम्बाकू व अवैध दवाओं का उपयोग न करें।
उत्तेजक किताबों को न पढ़ें।
किसी भी तरह की उत्तेजक वीडियो देखने से भी बचें।
मन में गंदे ख्याल न लाएं।
अधिक हस्तमैथुन न करें।
इस आर्टिकल से यह तो स्पष्ट हो गया कि धातु रोग कोई लाइलाज बीमारी नहीं है। यहां बताए गए आहार और घरेलू उपचार को अपनाकर इस रोग के लक्षणों से बचा जा सकता है। साथ ही ध्यान रखें कि धात रोग के इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क किया जाना जरूरी है। आर्टिकल को पढ़ने के बाद भी अगर धात रोग से संबंधित कुछ सवाल आपके जहन में उठ रहे हैं, तो उन्हें नीचे दिए कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम तक पहुंचा सकते हैं। आपको यह लेख कैसा लगा यह भी हमें जरूर बताएं और अगर आपका कोई जानने वाला इस रोग से ग्रसित है, तो उसके साथ भी इस आर्टिकल को जरूर साझा करें।
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vinita pangeni
विनिता पंगेनी ने एनएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय से मास कम्यूनिकेशन में बीए ऑनर्स और एमए किया है। टेलीविजन और डिजिटल मीडिया में काम करते हुए इन्हें करीब चार साल हो गए हैं। इन्हें उत्तराखंड के कई पॉलिटिकल लीडर और लोकल कलाकारों के इंटरव्यू लेना और लेखन का अनुभव है। विशेष कर इन्हें आम लोगों से जुड़ी रिपोर्ट्स करना और उस पर लेख लिखना पसंद है। इसके अलावा, इन्हें बाइक चलाना, नई जगह घूमना और नए लोगों से मिलकर उनके जीवन के अनुभव जानना अच्छा लगता है।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/dhat-rog-ke-karan-lakshan-aur-ilaj-in-hindi/
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python121-blog · 6 years
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Bp Kam Karne Ka Upay - बीपी कम करने के उपाय
आज के दौर में ब्लड प्रेशर के मरीजों की तादाद दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। दौड़- भाग भरी जिंदगी, फॉस्ट फूड और अनियमित दिनचर्या की वजह से आजकल हर उम्र के लोगों में पाया जाने लगा है। और वैसे तो ब्लड प्रेशर की बीमारी साधारण लगती है पर अगर इसपर काबू न पाया गया तो यह बीमारी दिल की बीमारी, स्ट्रोक और गुर्दे की बीमारी होने का भी खतरा रहता है। और एक बात ब्लड प्रेशर कम हो या ज्यादा ख़तरनाक दोनों ही होते हैं।
अब समस्या है तो समाधान तो ढूंढना ही पड़ेगा। पर इसके भी दो तरीके है एक रोज अंग्रेजी दवाएं खाकर राहत ली जाए पर इसके साइड इफ़ेक्ट होना तय है, और दूसरा है घरेलू उपचार जो जिसे अपनाकर आप ब्लड प्रेशर पर तो काबू पा ही जाएंगे साथ ही शरीर की और कई बीमारियों में लाभ पहुंचाएगा और साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होगा। तो आइए आज हम जानते हैं बढ़े हुए बीपी को कम करने के घरेलू टिप्स।
1. चोकर युक्त आटा गेहूं व चने के आटे को बराबर मात्रा में लेकर बनाई गई रोटी खूब चबा-चबाकर खाएं, आटे से चोकर न निकालें। यह ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में काफी कारगर नुस्खा है।
2. ब्राउन राइस ब्राउन चावल उपयोग में लाए। इसमें नमक, कोलेस्टरोल और चर्बी नाम मात्र की होती है। यह उच्च रक्त चाप रोगी के लिये बहुत ही लाभदायक भोजन है।
3. लहसुन लहसुन में एलिसीन होता है, जो नाइट्रिक ऑक्साइड के उत्पादन को बढ़ाता है और मांसपेशियों को आराम पहुंचाता है। ब्लड प्रेशर के डायलोस्टिक और सिस्टोलिक सिस्टम में भी राहत देता है। यही कारण है कि ब्लड प्रेशर के मरीजों को रोजाना खाली पेट एक लहसुन की कली निगलनी चाहिए।
4. आंवला वैसे तो आंवला काफी बीमारियों में मदद करता है पर आज से आप जानलें की आंवला ब्लड प्रेशर के लिए भी बहुत राहत पहुंचाने वाला है। आंवला में विटामिन सी होता है। यह ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करता है और कोलेस्ट्रॉल को भी कंट्रोल में रखता है।
5. मूली वैसे तो मूली एक साधारण सब्जी है। पर इसे खाने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। इसे पकाकर या कच्चा खाने से बॉडी को मिनरल्स व सही मात्रा में पोटैशियम मिलता है। यह हाइ-सोडियम डाइट के कारण बढ़ने वाले ब्लड प्रेशर पर भी असर डालता है।
6. तिल और चावल की भूसी तिल का तेल और चावल की भूसी को एक साथ खाने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। यह हाइपरटेंशन के मरीजों के लिए भी लाभदायक होता है। माना जाता है कि यह ब्लड प्रेशर कम करने वाली अन्य औषधियों से ज्यादा बेहतर होता है।
7. अलसी अलसी में एल्फा लिनोनेलिक एसिड काफी मात्रा में पाया जाता है। यह एक प्रकार का महत्वपूर्ण ओमेगा - 3 फैटी एसिड है। कई स्टडीज में भी पता चला है कि जिन लोगों को हाइपरटेंशन की शिकायत होती है, उन्हें अपने भोजन में अलसी का इस्तेमाल शुरू करना चाहिए। इसमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है और इसे खाने से ब्लड प्रेशर भी कम हो जाता है
8. इलायची जानकारों के मुताबिक इलायची के नियमित सेवन से ब्लड प्रेशर प्रभावी ढंग से कम होता है। इसे खाने से शरीर को एंटीऑक्सीडेंट मिलते हैं। साथ ही, ब्लड सर्कुलेशन भी सही रहता है।
9. प्याज नियमित प्याज खाने से कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है। इसमें क्योरसेटिन होता है। यह एक ऐसा ऑक्सीडेंट फ्लेवेनॉल है, जो दिल को बीमारियों से बचाता है।
10. दालचीनी दालचीनी के सेवन से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है यह ब्लड सर्कुलेशन को सुचारू रखता है।
11. नामक कम खाएं नमक ब्लड प्रेशर बढाने वाला प्रमुख कारक है। इसलिए यह बात सबसे महत्वपूर्ण है कि जिनकी बीपी हाई हो उन्हें नामक खाने से बचना चाहिए।
12. रक्त गाढ़ा ना होने दें लहसुन ब्लड प्रेशर ठीक करने में बहुत मददगार घरेलू उपाय है। यह रक्त का थक्का नहीं जमने देती है। धमनी की कठोरता में लाभदायक है। रक्त में ज्यादा कोलेस्ट्ररोल होने की स्थिति का समाधान करती है। उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण होता है रक्त का गाढा होना। रक्त गाढा होने से उसका प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे धमनियों और शिराओं में दवाब बढ जाता है।
13. आंवले का रस एक बड़ा चम्मच आंवले का रस उसी मात्रा में हनी मिलाकर सुबह-शाम लेने से हाई ब्लड प्रेशर में राहत मिलती है।
14. काली मिर्च जब ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ हो तो आधा ग्लास हल्का गर्म पानी में एक चम्मच काली मिर्च पाउडर घोलकर 2-2 घंटे के डिस्टेंस पर पीते रहें। यह ब्लड प्रेशर सही करने का बढिया उपचार है।
15. नींबू हाई हुए ब्लड प्रेशर को जल्दी कंट्रोल करने के लिये आधा गिलास पानी में आधा नींबू का रस 2-2 घंटे के अंतर से पीते रहें। इससे तुरन्त फायदा होगा।
16. तुलसी कुछ तुलसी के पत्ते और दो नीम की पत्तियों को पीसकर 20 ग्राम पानी में घोलकर खाली पेट सुबह पिएं। 15 दिन में असर महसूस होने लगेगा।
17. पपीता हाई ब्लडप्रेशर के मरीजों के लिए पपीता भी बहुत लाभ करता है, इसे प्रतिदिन खाली पेट चबा-चबाकर खाएं।
18. शर्बत सौंफ़, जीरा, शक्कर तीनों बराबर मात्रा में लेकर पाउडर बना लें। एक गिलास पानी में एक चम्मच मिश्रण घोलकर सुबह-शाम पिएं।
19. अदरक बुरा कोलेस्ट्रोल धमनियों की दीवारों पर प्लेक यानी कि कैल्शियम युक्त मैल पैदा करता है जिससे रक्त के प्रवाह में अवरोध खड़ा ह�� जाता है और नतीजा उच्च रक्तचाप के रूप में सामने आता है। अदरक में बहुत हीं ताकतवर एंटीओक्सीडेट्स होते हैं जो कि बुरे कोलेस्ट्रोल को नीचे लाने में काफी असरदार होते हैं। अदरक से आपके रक्तसंचार में भी सुधार होता है, धमनियों के आसपास की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है जिससे कि उच्च रक्तचाप नीचे आ जाता है।
20. मेथी तीन ग्राम मेथीदाना पावडर सुबह-शाम पानी के साथ लें। इसे पंद्रह दिनों तक लेने से लाभ जरूर फायदा होगा।
21. वॉक नंगे पैर हरी घास पर रोजाना 10-15 मिनट वॉक करें। इसे नियम में लाने से ब्लड प्रेशर नार्मल रहता है।
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raghav-shivang · 4 years
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फिटनेस मेंटेन करने की कोई उम्र नहीं होती है। ये बात 74 साल की जोन मैकडोनल्ड को देखकर समझी जा सकती है। जोन जब 70 साल की थी तब हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और एसिड रिफ्लक्स की वजह से परेशान रहने लगीं। तब उन्होंने अपने डॉक्टर की सलाह से वजन कम करने की शुरुआत की।
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जोन ने स्ट्रीक्ट वर्कआउट के जरिये 20 किलो वजन कम किया। वे कहती हैं ''मैंने मेरी मां को बढ़ती उम्र में बीमारियों से परेशान रहते देखा है। वे इस सब तकलीफों से निजात पाने के लिए सिर्फ दवाएं खाती रहती थीं''। जोन ने अपनी बेटी की मदद से एक्सरसाइज करने की शुरुआत की। उनकी बेटी का नाम मिशेल है।
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वे योग एक्सपर्ट, पावरलिफ्टर और प्रोफेशनल शेफ है। जोन ने मिशेल के ऑनलाइन वर्कआउट प्रोग्राम को जॉइन किया। इसके लिए उन्होंने आई फोन खरीदा और उसे चलाना भी सीखा। जोन के फिटनेस रिजीम में कार्डियो, योगा और वेट लिफ्टिंग शामिल है।
जोन को इस बात की खुशी है कि अपना वजन कम करने के बाद अब उन्हें दवाएं खाने की जरूरत नहीं पड़ती। वे एक हफ्ते पांच दिन वर्कआउट करती हैं।
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साथ ही दिन मे पांच बार कम मात्रा में खाना खाती हैं। वजन कम करने के लिए जोन ने म��क्रो बेस्ड मील प्लान फॉलो किया। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिये अपने खाने की मनपसंद चीजों को भी बताया।
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फिलहाल जोन वजन कम करने के साथ ही ऐसे वर्कआउट पर ध्यान दे रही हैं जिससे उन्हें एनर्जी मिले। जोन कहती हैं ''मेरी उम्र की महिलाओं को इस बात का पछतावा रहता है कि वे अब कभी जवान नहीं दिखेंगी। लोग उन्हें देखने में भी कोई रूचि नहीं लेते। लेकिन ऐसी सभी महिलाओं से मैं कहना चाहती हूं कि आप अपनी बढ़ती उम्र को रोक नहीं सकती। लेकिन अपने प्रयासों से फिटनेस तो मेंटेन कर ही सकती हैं''।
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John McDonald, who lost 20 kg at the age of 70, is a fitness influencer with the help of his daughter, his 772,000 followers on social media
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globalexpressnews · 6 years
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मेमोरी लॉस ही नहीं इस बीमारी के हैं और 5 लक्षण, 40 के पार लोग हो रहे हैं पीड़ित खास बातेंदुनिया भर में 4.4 करोड़ लोग इससे प्रभावितइस बीमारी की पहचान करने के लिए अरबों डॉलरों का खर्चयह एक प्रोग्रेसिव, डिजेनेरेटिव मस्तिष्क रोगनई दिल्ली: अल्जाइमर रोग की पहचान करने के लिए मेमोरी लॉस के लक्षणों की बजाए जैविक तरीकों पर गौर करना चाहिए. दुनिया भर में 4.4 करोड़ लोग इससे प्रभावित हैं. अल्जाइमर रोग की पहचान करने के लिए अनुसंधान पर अरबों डॉलर खर्च किए जा रहे हैं, उसके बावजूद इसका कोई प्रभावी उपचार उपलब्ध नहीं हो सका है. इसे ठीक से समझा भी नहीं जा सका है. इसलिए समय की जरूरत है कि जागरूकता बढ़ाई जाए और लोगों को शिक्षित किया जाए. रोजाना की ये 5 आदतें आपको कर रही हैं बीमार, अच्छी डाइट और एक्सरसाइज भी फेल हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, "अल्जाइमर एक प्रोग्रेसिव, डिजेनेरेटिव मस्तिष्क रोग है जो याददाश्त, व्यवहार और सोच को उस लेवल तक प्रभावित करता है, जहां से पीड़ित अतीत की किसी भी घटना को याद करने में सक्षम नहीं हो पाता है." कब्ज में दिलाए राहत और बवासीर करे खत्म, ये हैं सस्ते, पौष्टिक और स्वादिष्ट बेलपत्र जूस के 5 फायदे​ उन्होंने कहा, "उम्र के साथ याददाश्त कमजोर होना अकेले एक कारक नहीं है, बल्कि बढ़ती उम्र में व्यक्ति अपने मस्तिष्क का भरपूर प्रयोग नहीं करता जो इसका दूसरा प्रमुख कारण है. इसलिए ऐसे क्रियाकलापों में भाग लेकर दिमाग को सक्रिय रखना महत्वपूर्ण है जिनसे मन व शरीर को तेज रखने में मदद मिलती है. ऐसा करने पर मेमोरी लॉस नहीं होता है." अल्जाइमर रोग हालांकि आम तौर पर 65 वर्ष से अधिक आय��� के लोगों में होता है, लेकिन यह 40 और 50 की उम्र के लोगों को भी प्रभावित कर सकता है. इस स्थिति को अर्ली-ऑनसेट अल्जाइमर कहते हैं. घर के बुजुर्गों में घबराहट और बेचैनी, इस बीमारी का है संकेत डॉ. अग्रवाल ने बताया, "बिना दवा वाली रणनीति हमेशा पहले ट्राई करनी चाहिए. बड़ी उम्र के रोगियों के लिए दवाएं सावधानी से तैयार की जानी चाहिए. इसमें दवा का विकल्प और उसे कितनी देर तक देना चाहिए, आदि बातों पर गौर करने की जरूरत है. कुछ अन्य चीजें जो ध्यान में रखनी चाहिए, वे हैं एक व्यक्ति के लक्षण और परिस्थितियां, खासकर टाइप-2 मधुमेह वाले लोगों के मामले में." अल्जाइमर के जोखिम को कम करने के लिए टिप्स : 1. उचित वजन बनाए रखें, अपनी कमर की चैड़ाई जांचें. 2. सोच समझ कर खाएं, विटामिन युक्त सब्जियों और फलों पर जोर दें. 3. साबुत अनाज, मछली, लीन पोल्ट्री, टोफू और सेम व अन्य फलियां जैसे प्रोटीन स्रोतों से मिली स्वस्थ वसा पर ध्यान दें. 4. मिठाई, सोडा, सफेद ब्रेड या सफेद चावल, अस्वास्थ्यकर वसा, तले और फास्ट फूड, नासमझीपूर्ण स्नैकिंग जैसी अनावश्यक कैलोरी कम करें, अपनी थाली के साइज पर भी गौर करें, नियमित रूप से व्यायाम करें. 5. तेज चलने के लिए हर सप्ताह ढाई से 5 घंटे का लक्ष्य रखें, जॉगिंग जैसे व्यायाम करने की कोशिश करें, अपने कोलेस्ट्रॉल, ट्रायग्लिसराइड्स, रक्तचाप और ब्लड शुगर के आंकड़ों पर भी नजर रखें." (इनपुट - आईएएनएस) टिप्पणियां
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gethealthy18-blog · 4 years
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कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण और कम करने के घरेलू उपाय – Cholesterol Symptoms and Remedies in Hindi
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कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण और कम करने के घरेलू उपाय – Cholesterol Symptoms and Remedies in Hindi
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण और कम करने के घरेलू उपाय – Cholesterol Symptoms and Remedies in Hindi Saral Jain Hyderabd040-395603080 November 29, 2019
व्यस्त दिनचर्या और खराब खान-पान की वजह से शरीर कई परेशानियों की चपेट में आ जाता है। कोलेस्ट्रॉल का स्तर अंसतुलित होना भी इसमें शामिल है। कोलेस्ट्रॉल के स्तर में गड़बड़ी होने से हृदय रोग व रक्तचाप जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं। यूं तो कोलेस्ट्रॉल को घटाने के लिए डॉक्टर कई तरह की दवाएं देते हैं, लेकिन अगर दिनचर्या में कुछ बदलाव किए जाएं व कोलेस्ट्रॉल कम करने के घरेलू उपाय को इस्तेमाल में लाया जाए, तो इस समस्या से बचा जा सकता है। स्टाइलक्रेज के इस आर्टिकल में हम कोलेस्ट्राॅल के बारे में विस्तार से बताएंगे। इस लेख में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण और इसे कम करने के घरेलू उपायों की जानकारी देंगे।
लेख में सबसे पहले हम बता रहे हैं कि कोलेस्ट्रॉल क्या है।
विषय सूची
कोलेस्ट्रॉल क्या है? – What is Cholesterol in Hindi 
अक्सर लोगों के जहन में यह सवाल आता है कि कोलेस्ट्रॉल क्या है? दरअसल, शरीर की प्रत्येक कोशिकाओं में पाए जाने वाले मोम जैसे फैटी पदार्थ को कोलेस्ट्रॉल कहते हैं। इसे हाइपरकोलेस्ट्रॉलमिया (Hypercholesterolemia), हाइपरलिपिडिमिया (Hyperlipidemia) और हाइपरलिपोप्रोटीनेमिया (Hyperlipoproteinemia) के नाम से भी जाना जाता है। कोलेस्ट्रॉल शरीर में हार्मोन, विटामिन-डी व अन्य प्रकार के पदार्थ का निर्माण करने में मदद करता है, जिससे भोजन को पचाना आसान हो जाता है। वहीं, रक्त में अधिक कोलेस्ट्रॉल होने पर आर्टरी (धमनियों) से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है (1) (2)।
कोलेस्ट्रॉल क्या है, यह तो आप जान गए हैं। चलिए, अब कोलेस्ट्रॉल के प्रकार के बारे में जान लेते हैं।
कोलेस्ट्रॉल के प्रकार – Types of Cholesterol in Hindi 
वैसे तो कोलेस्ट्रॉल के दो ही प्रकार माने गए हैं, लेकिन यहां हम कोलेस्ट्रॉल के सभी प्रकारों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं (2) (3): 
लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (LDL): इसे खराब या फिर हानिकारक कोलेस्ट्रॉल के नाम से भी जाना जाता है। एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर हृदय रोग और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है। यह कोलेस्ट्रॉल का प्रकार धमनियों को ब्लॉक करने का मुख्य स्रोत होता है। इसकी वजह से कई अन्य परेशानियां और बीमारियों का खतरा भी बना रहता है।
हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (HDL): इस कोलेस्ट्रॉल को अच्छा कोलेस्ट्रॉल जाना जाता है। एचडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य रहने से हृदय रोग और अन्य समस्याओं से निजात पाने में मदद मिल सकती है।
कुल (टोटल) कोलेस्ट्रॉल: यह रक्त में मौजूद कुल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बताता है। इसमें कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल और उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल दोनों शामिल होते हैं।
ट्राइग्लिसराइड्स: यह रक्त में पाया जाने वाला एक प्रकार का वसा है। कुछ अध्ययनों के अनुसार, ट्राइग्लिसराइड्स के उच्च स्तर से महिलाओं में हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है।
वेरी लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (VLDL): बहुत कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन यानी VLDL एक और प्रकार का खराब कोलेस्ट्रॉल है। वीएलडीएल का उच्च स्तर होने पर धमनियों पर प्लाग बनने लगता है।
नॉन-एचडीएल: यह बहुत कम घनत्व वाला कोलेस्ट्रॉल होता है। इसमें एचडीएल के अलावा सभी अन्य कोलेस्ट्रॉल शामिल होते हैं। 
आगे लेख में हम कोलेस्ट्रॉल के कारण के बारे में बता रहे हैं। 
कोलेस्ट्रॉल के कारण – Causes of Cholesterol in Hindi 
उच्च कोलेस्ट्रॉल का सबसे आम कारण अव्यवस्थित और खराब जीवनशैली है। कोलेस्ट्राॅल बढ़ने के इसके अलावा भी कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं (1):
खराब खानपान: ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना, जिसमें वसा की मात्रा अधिक होती है, जैसे – मांस, तले हुए खाद्य पदार्थ, डेयरी उत्पाद व चॉकलेट आदि। वसा युक्त इन पदार्थों को खाने से एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है।
शारीरिक गतिविधि का अभाव: रोजमर्रा की जीवनशैली में शारीरिक गतिविधियों, योग और व्यायाम के अभाव से भी कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। इस प्रकार की जीवनशैली एचडीएल (अच्छे) कोलेस्ट्रॉल को कम करती है।
धूम्रपान करने से: धूम्रपान से एचडीएल (अच्छा) कोलेस्ट्रॉल कम और एलडीएल (हानिकारक) कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि होती है। स्मोकिंग की वजह से यह समस्या खासकर महिलाओं में देखी जाती है।
आनुवंशिक कारण: जेनेटिक्स के कारण भी लोगों को उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या होती है। फैमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रॉलेमिया (Familial Hypercholesterolemia) आनुवंशिक व विरासत में मिले हुए उच्च कोलेस्ट्रॉल का एक प्रकार है।
चलिए, अब कोलेस्ट्रॉल के लक्षण पर एक नजर डाल लेते हैं। 
कोलेस्ट्रॉल के लक्षण – Cholesterol Symptoms in Hindi
कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कितनी है, यह कोलेस्ट्रॉल टेस्ट से ही स्पष्ट हो सकती है, क्योंकि उच्च कोलेस्ट्रॉल की वजह से किसी तरह के लक्षण सामने नहीं आते। अगर किसी को लंबे समय से उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या है, तो उसे हृदय रोग – जैसे एनजाइना (Angina – सीने में दर्द), दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा ज्यादा हो जाता है। कुछ मामलों में व्यक्तियों को स्ट्रोक या दिल का दौरा पड़ने के बाद ही उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर के बारे में पता चलता है। इसलिए, लोगों को समय-समय पर कोलेस्ट्रॉल टेस्ट के लिए रक्त परीक्षण कराने की सलाह दी जाती है (1) (4)।
कोलेस्ट्रॉल के लक्षण जानने के बाद यहां हम जानेंगे कि शरीर में कोलेस्ट्रॉल कितना होना चाहिए।
कोलेस्ट्रॉल लेवल कितना होना चाहिए? – Cholesterol Levels in Hindi
कोलेस्ट्रॉल के बारे में इतना कुछ जानने के बाद जहन में ये सवाल उठना लाजमी है कि आखिर कोलेस्ट्रॉल कितना होना चाहिए? नीचे हम उम्र और लिंग के आधार पर कोलेस्ट्रॉल के स्वस्थ स्तर के बारे में बता रहे हैं। कोलेस्ट्रॉल कितना होना चाहिए इससे पहले यह जान लीजिए कि कोलेस्ट्रॉल टेस्ट के दौरान कोलेस्ट्रॉल को मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (मिलीग्राम/डीएल) में मापा जाता है (2):
आयु कुल कोलेस्ट्रॉल एलडीएल एचडीएल नॉन – एचडीएल 19 वर्ष व उससे कम 170 मिलीग्राम / डीएल से कम 100 मिलीग्राम / डीएल से कम 45 मिलीग्राम / डीएल से अधिक 120 मिलीग्राम / डीएल से कम 20 व उससे अधिक उम्र के पुरुष 125 से 200 मिलीग्राम / डीएल से कम 100 मिलीग्राम / डीएल से कम 40 मिलीग्राम / डीएल से अधिक 130 मिलीग्राम / डीएल से कम 19 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं 125 से 200 मिलीग्राम / डीएल से कम 100 मिलीग्राम / डीएल से कम 50 मिलीग्राम / डीएल से अधिक 130 मिलीग्राम / डीएल से कम
 कोलेस्ट्रॉल के बारे में तमाम जानकारी के बाद यहां हम बता रहे हैं इससे बचने के कुछ घरेलू उपाय।
कोलेस्ट्रॉल कम करने के घरेलू उपाय – Home Remedies for Cholesterol in Hindi
कोलेस्ट्रॉल का इलाज यूं तो डॉक्टरों की दवाई से ही संभव है, लेकिन घरेलू उपचार की मदद से कोलेस्ट्रॉल को कम या फिर नियंत्रित किया जा सकता है। नीचे हम आपको कॉलेस्ट्रॉल कम करने के घरेलू उपाय के बारे में बता रहे हैं।
1. नारियल का तेल 
कोलेस्ट्रॉल कम  करने के लिए वर्जिन नारियल के तेल का सेवन फायदेमंद हो सकता है। इसमें लोरिक एसिड (lauric acid) की मात्रा पाई जाती है। यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल यानी एचडीएल को बढ़ाने में मदद कर सकता है (5)। इसलिए, यह कहा जा सकता है कि नारियल का तेल कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। इसे खाना बनाते समय अन्य तेल की जगह उपयोग कर सकते हैं।
2. आंवला
आंवले का सेवन करने से कई बीमारियों को दूर करने के साथ ही कोलेस्ट्राॅल काे नियंत्रित रखने में भी मदद मिल सकती है। आंवले में भरपूर विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा, आंवले के रस में हाइपोलिपिडेमिक गुण भी होते हैं। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफार्मेशन) में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, आंवले के ये सभी गुण खराब कोलेस्ट्राॅल व टोटल कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। साथ ही अच्छे कॉलेस्ट्रॉल (एचडीएल) को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं (6)। कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए इसके जूस और चूर्ण का सेवन किया जा सकता है।
3. प्याज
प्याज का इस्तेमाल भोजन के स्वाद को बढ़ाने के साथ ही कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए भी किया जा सकता है। प्याज एंटीऑक्सीडेंट और हाइपोलिपिडेमिक गुण से भरपूर होता है (7)। ये गुण अच्छे काेलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाकर खराब कोलेस्ट्रॉल को कम व नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए लाल रंग के प्याज का सेवन भी किया जा सकता है (8)। सूखे हुए प्याज में भी हाइपोलिपिडेमिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकते हैं (9)। प्याज का उपयोग सलाद के रूप में या फिर सब्जी बनाते समय उसमें किया जा सकता है।
4. संतरे का रस
आयुर्वेद में कोलेस्ट्रॉल का इलाज करने के लिए संतरे के रस का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है। दरअसल, संतरे में मौजूद विटामिन-सी और फोलेट में भरपूर एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। इनके साथ संतरे का रस हाइपोलिपिडेमिक गुणों से भी संपन्न होता है। संतरे में पाए जाने वाले ये गुण और फ्लेवोनोइड्स कंपाउंड रक्त में मौजूद खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा काे कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं (10)। संतरे के रस का उपयोग नाश्ते में किया जा सकता है। कोलेस्ट्रॉल से बचे रहने का यह बेहतरीन विकल्प हो सकता है।
5. सेब का सिरका
कोलेस्ट्रॉल दूर करने के लिए सेब के सिरके का उपयोग भी फायदेमंद माना जाता है। सेब के सिरके में एसेटिक एसिड होता है, जो बढ़े हुए कोलेस्���्रॉल को सामान्य करने में मदद कर सकता है। माना जाता है कि इसे आहार में शामिल करने वालों में हृदय रोग की समस्या में भी कमी आ सकती है। हालांकि, सेब का सिरका कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित कर सकता है या नहीं, इसे स्पष्ट करने के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है (11) (12)। सेब का सिरका पानी में मिलाकर आप भोजन के पहले सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा, इसे सलाद पर भी डाला जा सकता है। ध्यान रहे कि इसे सीमित मात्रा में ही अपनी डाइट में शामिल करें।
6. धनिया पाउडर
धनिया पाउडर खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ ही स्वास्थ्य का भी ख्याल रख सकता है। इसमें मौजूद हाइपोलिपिडेमिक, एंटीहाइपोकोलेस्ट्रॉलमिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण रक्त में मौजूद हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकते हैं। जानवरों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि धनिया के अर्क को इस्तेमाल करने से कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद मिल सकती है (13)। सब्जियों और सलाद में इसका उपयोग स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है।
7. मछली का तेल
मछली के तेल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। मछली के तेल में पाया जाने वाला ओमेगा-3 पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करके अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल का इलाज करने में मदद भी कर सकता है (14)। मछली के तेल को भोजन बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है। संभव है कि कुछ लोगों को इसका स्वाद पसंद न आए, तो ऐसे में बाजार में उपलब्ध इसके कैप्सूल का भी सेवन किया जा सकता है। बेहतर यही होगा कि इसे उपयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ली जाए।
8. लहसुन 
वैसे तो लहसुन का उपयोग आमतौर पर सब्जी या फिर चटनी बनाने के काम आता है, लेकिन लहसुन के अर्क में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण के साथ ही कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले गुण भी पाए जाते हैं, जो बढ़ते हुए कोलेस्ट्राॅल में फायदेमंद हो सकते हैं (15)। ये टोटल कोलेस्ट्रॉल और कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (हानिकारक) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में फायदेमंद हो सकते हैं। माना जाता है कि लहुसन का इस्तेमाल कोलेस्ट्रॉल रोगी विकल्प के तौर पर कर सकते हैं (16)। इसे चटनी बनाने या फिर सब्जी बनाते समय इस्तेमाल किया जा सकता है।
9. ग्रीन टी
कई लोग कोलेस्ट्रॉल का इलाज करने के लिए ग्रीन टी का उपयोग करते हैं। दरअसल, इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। ये गुण रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। एंटीऑक्सीडेंट अच्छे (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में सहायक माना गया है (17)। कोलेस्ट्रॉल से बचने के लिए दिनभर में करीब दो कप ग्रीन टी का सेवन किया जा सकता है। रोज इसकी कितनी मात्रा लेनी चाहिए, इस बारे में एक बार आहार विशेषज्ञ से सलाह ली जा सकती है।
10. नींबू का जूस
पोषक तत्वों से भरपूर नींबू के रस में भी कोलेस्ट्रॉल को कम करने की क्षमता पाई जाती है। नींबू जैसे खट्टे फलों में फ्लेवोनोइड नामक यौगिक पाया जाता है। ये फ्लेवोनोइड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड को कम करने में मदद कर सकते हैं (18)। अगर नींबू के रस को शहद के साथ पानी में मिक्स करके पिया जाए, तो शरीर का वजन कम करने में मदद मिल सकती है। वजन कम होने से कोलेस्ट्रॉल को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसा इसलिए संभव है, क्योंकि नींबू के रस में विटामिन-सी और शहद में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है (19)।
11. अलसी के बीज
अलसी के बीज का सेवन कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है। अलसी के बीज में फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इसमें मौजूद फाइबर टोटल कोलेस्ट्रॉल और एलडीएल (हानिकारक) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है (20)। कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए इसके पाउडर का इस्तेमाल किया जा सकता है। अलसी के बीज से बने पाउडर को सलाद की ड्रेसिंग के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
12. अंगूर का रस
अंगूर के जूस का सेवन कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने के खतरे को कम कर सकता है। दरअसल, इसमें रेसवेरेट्रॉल (resveratrol), फेनोलिक एसिड (phenolic acids), एन्थॉकायनिन (anthocyanins) और फ्लेवोनोइड (flavonoids) जैसे पॉलीफेनोल्स (polyphenol) कंपाउंड होते हैं। ये बतौर एंटीऑक्सीडेंट शरीर में काम करते हैं। इसलिए, इनकी मदद से अंगूर का रस हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकता है (21)। इसे जूस के रूप में दोपहर या शाम को ले सकते हैं। संभव है कि कुछ लोगोंं को अंगूर का रस सूट न करे, इसलिए यह रस पीने से पहले आहार विशेषज्ञ की सलाह लेना उचित रहेगा।
13. अनार का रस
अनार का रस कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर सकता है। इसमें पॉलीफेनोलिक, टैनिन और एंथोसायनिन (Anthocyanin) जैसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। ये अच्छे (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने और हानिकारक यानी एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं (22)। अनार के रस का सेवन सीधे या फिर अन्य जूस में मिक्स करके पी सकते हैं।
14. दही 
दही में लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस (Lactobacillus acidophilus) और बिफिदोबैक्टीरियम लैक्टिस (Bifidobacterium lactis) घटक मौजूद होते हैं। ये दोनों घटक रक्त में मौजूद हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए फायदेमंद माने जाते हैं (23)। इसलिए, कोलेस्ट्रॉल के इलाज में दही को भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है। आप दिनभर में दही की एक कटोरी खा सकते हैं।
15. चिया सीड्स
चिया के बीज का उपयोग कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर हृदय संबंधी कई बीमारियों से छुटकारा दिला सकता है। चिया के बीज में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। ये रक्त में मौजूद हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सक्षम माने जाते हैं। साथ ही ये अच्छे कोलेस्ट्रॅल के स्तर को भी बढ़ाने में मदद कर सकते हैं (24)। चिया के बीज, पाउडर और तेल का उपयोग कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए किया जा सकता है। इसका उपयोग पानी में भिगोकर, दही के साथ या फिर इसका पाउडर बना कर सकते हैं।
16. सेलेरी (Celery) जूस
सेलेरी के जूस का उपयोग कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए भी किया जा सकता है। इसमें एंटीआक्सीडेंट के साथ ही फाइबर की मात्रा भरपूर होती है। ये गुण रक्त में मौजूद खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को कम करके अच्छे कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं (25)। इसका सेवन सलाद, जूस या फिर सूप किसी भी रूप में कर सकते हैं।
17. ओट्स 
कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने के लिए ओट्स का सेवन फायदेमंद हो सकता है। ओट्स में बीटा- ग्लूकन (β-glucan) नामक घटक पाया जाता है। प्रतिदिन कम से कम 3 ग्राम बीटा-ग्लूकन का सेवन हानिकारक (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकता है। साथ ही यह अच्छे (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ावा देने में भी लाभदायक माना जाता है (26)। इसका उपयोग दूध के साथ नाश्ते में, सूप के रूप में या फिर दलिया बनाकर कर सकते हैं।
18. एसेंशियल ऑयल
ऐसे कई तेल बाजार में उपलब्ध हैं, जिनके सेवन से कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसे ही कुछ खास एसेंशियल ऑयल के बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं:
जैतून का तेल: स्वाद और पौष्टिकता दोनों के लिए जैतून के तेल को उपयोग में लाया जा सकता है। इसमें मौजूद पॉलीफेनोल्स लिपोप्रोटीन से संबंधित ऑक्सीडेटिव डैमेज को रोकते हैं। इससे हानिकारक (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड (एक तरह का वसा) का स्तर कम हो सकता है। साथ ही शरीर में अच्छे (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने में मदद मिल सकती है (27)। 
पाम ऑयल: पाम ऑयल भी कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। इसमें पाया जाने वाला टोकोट्रिनॉल (tocotrienol) यौगिक कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। ये (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल पर बिना कोई प्रभाव डाले हानिकारक (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकता है (28)।
स्पियरमिंट ऑयल: इस तेल का उपयोग करके कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित किया जा सकता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, स्पियरमिंट के पत्तों से तैयार अर्क में फेनोलिक यौगिक होता है। जब इस यौगिक का चूहों पर प्रयोग किया गया, तो इसने शरीर में एंटीऑक्सीडेंट प्रक्रिया को बढ़ा दिया। इससे प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर करने के साथ-साथ रक्त में मौजूद हानिकारक ग्लूकोज और कोलेस्ट्राॅल को कम करने में भी मदद मिली (29)। 
नीम का तेल: नीम के फूल के अर्क (तेल, पाउडर, रस) में कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले प्रभाव होते हैं। ये आंतों में कोलेस्ट्रॉल के अवशोषण को रोकते हैं। साथ ही कोलेस्ट्रॉल को बनने से भी रोकने में मदद करते हैं। दरअसल, नीम में मौजूद हाइपोकोलेस्टेरोलेमिक (Hypocholesterolemic) गुण की वजह से इसे कोलस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकने में सहायक माना जाता है (30)। 
लेमन ऑयल: कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए लेमन ऑयल का भी उपयोग किया जा सकता है। लेमन ऑयल में लाइमोनीन (Limonene), एंटीऑक्सीडेंट और गामा टरपीन (γ-terpinene) कंपाउंड पाए जाते हैं। ये गुण रक्त में मौजूद एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करके एचडील को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं (31)। 
बादाम का तेल: इसमें पाया जाने वाला मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड शरीर में हानिकारक (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल, टोटल कोलेस्ट्रॉल और प्लाज्मा ट्राइग्लिसराइड को कम कर सकता है। साथ ही यह फैटी एसिड अच्छे (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर में भी वृद्धि करने में लाभदायक हो सकता है (32)। 
19. विटामिन
ऊपर बताई सामग्रियों के अलावा विटामिन को भी कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में फायदेमंद माना जाता है। दरअसल, विटामिन-बी की उच्च खुराक को शरीर में मौजूद कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड (Triglyceride) लिपिड के स्तर को संतुलित करने में सहायक माना गया है।
वहीं, विटामिन-बी यानी नियासिन (Niacin) में एंटी-एथेरोस्क्लोरोटिक गुण होता है। यह गुण उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल) को बढ़ाने में लाभदायक माना जाता है। साथ ही विटामिन-ई को भी इस मामले में जरूरी माना गया है। यह कोलेस्ट्रॉल की वजह से आर्टरी (धमनी) में जमने वाले प्लाग को कम करने और कोलेस्ट्रॉल की वजह से होने वाली धमनी से संबंधित बीमारियों को दूर करने में मदद करता है (33)। ध्यान रखें कि डॉक्टर की सलाह के बिना विटामिन के सप्लीमेंट्स का सेवन न करें।
नोट: लेख में ऊपर बताए गए शोध में से कुछ इंसानों पर, तो कुछ जानवरों पर किए गए हैं। 
कोलेस्ट्रॉल कम करने के घरेलू उपाय जानने के बाद यहां हम इससे बचने के लिए जरूरी डाइट के बारे में बता रहे हैं। 
कोलेस्ट्रॉल में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए 
चाहे कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखना हो या फिर बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करना, दोनों ही स्थिति में डाइट अहम भूमिका निभाती है। इसलिए, नीचे हम विस्तार से बता रहे हैं कि कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने के लिए क्या खाना चाहिए और क्या नहीं (34)।
फाइबर युक्त आहार का सेवन करें: घुलनशील फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल को कम किया जा सकता है। यह कोलेस्ट्रॉल को अवशोषित होने से रोकते हैं। कोलेस्ट्रॉल कम करने में फाइबर से समृद्ध साबूत अनाज, दलिया और जई मदद कर सकते हैं। इनके अलावा, फलों में सेब, केला, संतरा, नाशपाती और सूखे बेर का सेवन करके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ने से रोका जा सकता है। कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में किडनी बीन्स, दाल, छोले, काले मटर और लिमा बीन्स भी लाभदायक हो सकते हैं।
सब्जियों और फल को करें सेवन: फल के साथ ही सब्जियां भी कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाती हैं। ये शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाले कंपाउंड को बढ़ाने में मदद करती हैं। दरअसल, इनमें स्टैनोल या स्टेरोल यौगिक मौजूद होते हैं, जो घुलनशील फाइबर की तरह शरीर में काम करते हैं।
ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य का सेवन करें: ओमेगा-3 फैटी एसिड हानिकारक (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के साथ ही अच्छे (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड के लिए मछली का तेल, चिया सीड्स, अलसी का तेल, अखरोट, कनोला तेल, सोया तेल, सोयाबीन और टोफू अच्छे स्रोत हो सकते हैं (35)। 
कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों से बचें: एक दिन में कोलेस्ट्रॉल का स्तर 200 मिलीग्राम से कम होना चाहिए। साथ ही स्तर के बारे में हमने लेख के शुरुआत में विस्तार से बताया है। मांस में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा ज्यादा पाई जाती है। इसके अलावा, अंडे की जर्दी, झींगा मछली और डेयरी उत्पादों में कोलेस्ट्रॉल अधिक हो सकता है। इसलिए, इनका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।
अल्कोहल का सेवन न करें : अल्कोहल का सेवन शरीर में अतिरिक्त कैलोरी बढ़ा सकता है। इसकी वजह से वजन बढ़ता है और वजन बढ़ने पर एलडीएल का स्तर भी बढ़ने लगता है। साथ ही बढ़ता वजन अच्छे (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकता है। अल्कोहल का सेवन कोलेस्ट्रॉल के साथ ही हृदय संबंधित बीमारियों का खतरा भी बढ़ा सकता है।
नमक की मात्रा सीमित करें: नमक मतलब सोडियम की मात्रा को सीमित करने की कोशिश करनी चाहिए। एक दिन में 2,300 मिलीग्राम (लगभग 1 चम्मच नमक) से अधिक नहीं खाना चाहिए। नमक सीमित करने से कोलेस्ट्रॉल कम नहीं होगा, लेकिन यह रक्तचाप को कम करके हृदय रोगों के जोखिम को कम कर सकता है। 
चलिए, अब बढ़ते कोलेस्ट्रॉल की समस्या से बचने के लिए कुछ टिप्स भी जान लेते हैं।
कोलेस्ट्रॉल से बचाव – Prevention Tips for Cholesterol in Hindi 
कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए नीचे दिए कुछ टिप्स की मदद ली जा सकती है (36) (37)।
वजन को नियंत्रित करें: कोलेस्ट्राॅल की समस्या से बचने के लिए बढ़ते हुए वजन को नियंत्रित करना जरूरी है, क्योंकि मोटापा कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण में से एक हो सकता है। इससे बचने के लिए अतिरिक्त वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करना चाहिए।
व्यायाम और योग: रोजमर्रा की जिंदगी में योग और व्यायाम के साथ ही शारीरिक गतिविधियों की ओर ध्यान देना भी जरूरी है। ये न सिर्फ मोटापे को कम करेंगे, बल्कि कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के साथ ही इससे संबंधित समस्याओं को दूर करने में भी मदद कर सकते हैं।
धूम्रपान से दूर रहें: धूम्रपान करने से स्वस्थ रक्त कोशिकाओं को क्षति पहुंचती है। साथ ही यह बढ़ते कोलेस्ट्रॉल का एक कारण भी बन सकता है। इसलिए, कोलेस्ट्रॉल और इससे जुड़ी हुई समस्याओं से बचने के लिए धूम्रपान से बचने की कोशिश करें।
कोलेस्ट्रॉल टेस्ट: शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कितना है, यह जानने के लिए समय-समय पर कोलेस्ट्रॉल टेस्ट करवाना भी जरूरी है। 
कोलेस्ट्रॉल के इस आर्टिकल में हम बता चुके हैं कि यह समस्या नहीं, बल्कि एक ऐसी स्थिति है, जिसकी वजह से अन्य बीमारियां घेर सकती हैं। इसलिए, लेख में दिए हुए घरेलू उपचारों का उपयोग करके कोलेस्ट्रॉल को कम करने का काम किया जा सकता है। यहां हम स्पष्ट कर दें कि बढ़ते कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए पूरी तरह से घरेलू उपचार पर निर्भर रहना सही नहीं है। गंभीर अवस्था में चिकित्सकीय परामर्श भी जरूर है। अगर आप कोलेस्ट्रॉल के संबंध में कोई अन्य जानकारी चाहते हैं, तो नीचे दिए कमेंट बॉक्स के माध्यम से उसे हम तक पहुंचा सकते हैं।
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Saral Jain
सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ से पत्रकारिता में बीए किया है। सरल को इलेक्ट्रानिक मीडिया का लगभग 8 वर्षों का एवं प्रिंट मीडिया का एक साल का अनुभव है। इन्होंने 3 साल तक टीवी चैनल के कई कार्यक्रमों में एंकर की भूमिका भी निभाई है। इन्हें फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, एडवंचर व वाइल्ड लाइफ शूट, कैंपिंग व घूमना पसंद है। सरल जैन संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी व कन्नड़ भाषाओं के जानकार हैं।
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फैटी लिवर के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Fatty Liver Causes, Symptoms and Remedies in Hindi
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फैटी लिवर के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Fatty Liver Causes, Symptoms and Remedies in Hindi
Ankit Rastogi Hyderabd040-395603080 July 23, 2019
भागदौड़ भरी जिंदगी में ज्यादातर लोग अपने खान-पान और सेहत का सही से ख्याल नहीं रख पाते हैं। इसका सीधा असर इंसान के स्वास्थ्य पर पड़ता है। अनियमित दिनचर्या और असंतुलित आहार के कारण कई गंभीर बीमारियां आपको अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं। इन्हीं बीमारियों में से एक है फैटी लिवर की समस्या। वैसे तो यह समस्या बहुत आम है, लेकिन सही समय पर इसका पता न चल पाने के कारण यह भविष्य में गंभीर रूप धारण कर सकती है। स्टाइल क्रेज के इस लेख के माध्यम से हम फैटी लिवर से जुड़े करक, कारण और लक्षणों के बारे में बताएंगे। साथ ही यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि इस समस्या से निजात पाने के लिए किन-किन घरेलू उपायों को अपनाया जा सकता है।
लक्षणों और कारकों को जानने से पहले हम बात करेंगे फैटी लिवर के कारणों के बारे में।
विषय सूची
फैटी लिवर के कारण – What Causes Fatty Liver in Hindi
बता दें कुछ मुख्य कारण हैं, जो फैटी लिवर की समस्या को बढ़ावा देने का काम करते हैं। इन कारणों को हम कुछ बिन्दुओं के माध्यम से समझने का प्रयास करेंगे(1)।
एक्ट्रा कैलोरी- खाने में एक्ट्रा कैलोरी वाले आहार का अधिक उपयोग लिवर में वसा का निर्माण करता है। लिवर में वसा की यही अधिकता फैटी लिवर की समस्या को जन्म देती है।
लिवर की कार्यक्षमता कम होना- फैटी लिवर होने के प्रमुख कारणों में यह वजह काफी अहम है। जब किसी कारण से लिवर की प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है, तो वह वसा को तोड़ने की प्रक्रिया को अंजाम नहीं दे पाता। फलस्वरूप लिवर में अतरिक्त वसा का जमाव होने लगता है। इस कारण फैटी लिवर की समस्या पैदा हो जाती है।
विशेष बीमारियां- मोटापा, डायबिटीज और हाई-ट्राइग्लिसराइड्स (खून में पाया जाने वाला एक प्रकार का फैट) जैसी समस्याएं लिवर संबधी जोखिमों को बढ़ाने का कारण बनती हैं। नजीतन इन स्थितियों में फैटी लिवर होने की संभावना अत्यधिक प्रबल हो जाती है।
शराब का सेवन- शराब का अधिक सेवन करने से भी फैटी लिवर की समस्या हो जाती है। समय रहते इस पर कंट्रोल न किया जाए, तो लिवर की पूरी तरह से खराब होने की आशंका प्रबल हो जाती हैं।
तेजी से वजन घटाना- कई लोग तेजी से वजन घटाने के चक्कर में फैटी लिवर की समस्या को न्योता दे जाते हैं। कारण यह है कि लिवर पाचन प्रक्रिया में प्रमुख भूमिका निभाता है। जरूरी आहार न मिल पाने की स्थिति में लिवर की प्रक्रिया प्रभावित होती है। फलस्वरूप लिया जाने वाला आहार सीधे वसा के रूप में लिवर में जमा होने लगता है।
नोट– कुछ लोगों में उपरोक्त दिए किसी भी कारण के न होने के बावजूद भी फैटी लिवर की समस्या पाई जा सकती है।
फैटी लिवर के कारणों के बाद अब बात करते हैं इसके लक्षणों के बारे में।
फैटी लिवर के लक्षण – Symptoms of Fatty Liver in Hindi
आपको लेख में पहले ही बताया जा चुका है कि फैटी लिवर की समस्या बहुत आम है। इसलिए शुरुआती दिनों में इसके कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते। जब फैटी लिवर के लक्षण नजर आते हैं तो बहुत देर हो चुकी होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज कई सालों या दशकों तक बिना किसी लक्षण के लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है। समस्या हद से ज्यादा बढ़ने की स्थिति में ही इससे संबंधित लक्षण दिखाई पड़ते हैं। इन्हें कुछ इस तरह पहचाना जा सकता है(1)।
थकान– फैटी लिवर के लक्षण में से एक यह है कि इसमें रोगी को अधिक थकान महसूस होती है। कारण यह है कि इस समस्या की वजह से रोगी में ऊर्जा की कमी होने लगती है।
वजन का घटना– फैटी लिवर पाचन प्रक्रिया को प्रभावित करता है। इस कारण शरीर में आहार से मिलने वाले जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। नतीजतन फैटी लिवर के लक्षण के रूप में रोगी का वजन तेजी से गिरने लगता है।
पेट की परेशानी– फैटी लिवर की समस्या पाचन प्रक्रिया में अवरोध पैदा करने का काम करती है। इस वजह से रोगी में पेट संबंधी कई परेशानियां देखी जा सकती हैं।
कमजोरी– पोषक तत्वों की उचित मात्रा न मिल पाने के कारण फैटी लिवर से ग्रस्त व्यक्ति को हर समय कमजोरी का एहसास होता रहता है।
भ्रम का अनुभव– फैटी लिवर के लक्षण में कभी-कभी इस बीमारी से ग्रस्त रोगी में भ्रम (confusion) की स्थिति भी देखी जा सकती है।
आगे लेख में हम जानेंगे फैटी लिवर से संबंधित जोखिम कारकों के बारे में।
फैटी लिवर के जोखिम कारक – Risk Factors of Fatty Liver in Hindi
फैटी लिवर के जोखिम कारकों की बात की जाए तो यह कई प्रकार के हैं। सही जानकारी और इनके प्रति सावधानी बरतने से काफी हद तक फैटी लिवर को बढ़ने से रोका जा सकता है। आइए इन कारकों पर डालते हैं एक नजर(2)(3)।
मोटापा– मोटापा फैटी लिवर के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक बढ़ता मोटापा इस समस्या को और ��ी अधिक गंभीर बना सकता है।
डायबिटीज– फैटी लिवर और डायबिटीज यह दोनों समस्याएं एक दुसरे से जुड़ी हुई हैं। कई मामलों में फैटी लिवर बल्ड में शुगर की अधिक मात्रा का कारण बनता है। वहीं डायबिटीज की समस्या भी फैटी लिवर के जोखिम को बढ़ा सकती है।
हाई कोलेस्ट्रॉल– ब्लड में हाई कोलेस्ट्रॉल की मात्रा फैटी लिवर की समस्या को अधिक बढ़ा सकती है। इसलिए समय रहते इसे कंट्रोल किया जाना जरूरी है।
हाई ट्राइग्लिसराइड्स– फैटी लिवर की समस्या के लिए हाई ट्राइग्लिसराइड्स बड़ा जोखिम कारक साबित हो सकता है। इसकी अधिक मात्रा को नियंत्रित किया जाना बहुत जरूरी है, अन्यथा लिवर फेलियर की स्थिति भी पनप सकती है।
हाई ब्लड प्रेशर– फैटी लिवर एसिड के जोखिम कारकों में से एक हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी है। फैटी लिवर की समस्या से निजात पाने के लिए जरूरी होगा कि बीपी को कंट्रोल किया जाए।
तेजी से वजन घटाना– वजन घटाने की तीव्र इच्छा भी आपको फैटी लिवर की समस्या से ग्रस्त बना सकती है। कारण यह है कि वजन घटाने की लालसा में व्यक्ति संतुलित आहार को भी छोड़ देता है। इस वजह से पाचन प्रक्रिया प्रभावित होकर लिवर पर बुरे असर डालती है।
गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी– विशेषज्ञों के मुताबिक कई मामलों में गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी के बाद रोगी में फैटी लिवर की समस्या को देखा जाता है।
आंतो से संबंधित बीमारी– आंतो की बीमारी भी फैटी लिवर की समस्या का कारण बन सकती है।
विशेष दवाओं का असर– विशेषज्ञों के मुताबिक कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स और कैंसर ड्रग्स जैसी कुछ विशेष दवाएं फैटी लिवर होने का कारण बन सकती हैं।
आगे लेख में हम जानेंगे फैटी लिवर से छुटकारा दिलाने वाले कुछ घरेलू नुस्खों के बारे में।
फैटी लिवर के घरेलू इलाज – Home Remedies To Cure Fatty Liver in Hindi
आपके किचन में कई ऐसी चीजें पाई जाती हैं, जो फैटी लिवर का इलाज करने में आपकी मदद कर सकती हैं। आइए उनके बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं।
1. हल्दी से फैटी लिवर का उपचार
Shutterstock
सामग्री
एक गिलास दूध
एक चम्मच हल्दी
कैसे करें इस्तेमाल
पहले दूध को गर्म करें।
उसमें एक चम्मच हल्दी डालें।
उसे अच्छे से मिला लें।
फिर हल्दी के इस दूध को पी लें।
इस प्रक्रिया को प्रतिदिन दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
हल्दी मेंएंटी इन्फ्लामेट्री, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीफंगल, एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। हल्दी में पाए जाने वाले यही गुण लिवर संबंधित बीमारियों की रोकथाम करने में मदद करते हैं। साथ ही यह गुण ऑक्सीडेटिव तनाव, लिपिड को संतुलित करने और इंसुलिन की प्रक्रिया में सुधार करने में भी लाभदायक साबित होते है। इसलिए हल्दी को लिवर संबंधी सभी विकारों को दूर करने में सहायक माना जा सकता है(4),(5)।
2. ग्रीन-टी फैटी लिवर में मददगार
सामग्री
एक चम्मच ग्रीन-टी
दो कप पानी
कैसे करें इस्तेमाल
पहले पैन में दो कप पानी डाल कर उसे उबलने के लिए रख दें।
एक बार उबाल आ जाने पर उसमें एक चम्मच ग्रीन-टी डालें।
एक बार फिर उबाल आने का इंतजार करें।
उबाल आने के बाद गैस बंद कर दें और ग्रीन टी को कप में छान लें।
मिठास के लिए इसमें आधा चम्मच शहद मिलाएं।
ग्रीन टी का सेवन दिन में 2 से 3 बार तक किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक
आपको पहले ही बताया जा चुका है कि ग्रीन टी में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट गुण कई तरह से स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। वहीं सबसे अहम और खास हैं, इसमें पाए जाने वाले पॉलीफिनोल्स (ऑर्गेनिक केमिकल्स)। विशेषज्ञों के मुताबिक इसमें पाए जाने वाले यह पॉलीफिनोल्स लिवर संबंधित सभी जोखिमों को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं। इसलिए फैटी लिवर का इलाज करने के लिए ग्रीन-टी को उपयोग में लाया जा सकता है(6)(7)।
3. सेब का सिरका फैटी लिवर में सहायक
सामग्री
एक चम्मच सेब का सिरका
एक चम्मच शहद
एक गिलास गर्म पानी
कैसे करें इस्तेमाल
एक गिलास गर्म पाने में एक चम्मच सेब का सिरका मिलाएं।
इसके बाद उसमें एक चम्मच शहद डालें।
उसे अच्छी तरह मिलाएं।
अब इस मिश्रण का सेवन करें।
दिन में 1 से 2 बार इस प्रक्रिया को दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
बता दें सेब के सिरके में एसिटिक एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है(8)। यह उपापचय (Metabolism) की क्रिया को तेज कर शरीर में मौजूद अतिरिक्त वसा को गलाने का काम करता है। साथ ही इसमें पाए जाने वाले एंटीटॉक्सिन गुण लिवर में मौजूद विषैले पदार्थों को दूर करने में सहायक साबित होते हैं। इस कारण सेब के सिरके को फैटी लिवर से निजात पाने का एक सटीक उपाय माना जा सकता है(9)।
4. फैटी लिवर में नींबू
सामग्री
आधा नींबू
एक गिलास पानी
कैसे करें इस्तेमाल
एक गिलास गुनगुना पानी लें।
उसमें नींबू का रस मिलाएं।
नींबू मिले इस पानी को पी जाएं।
इस प्रक्रिया को दिन में 1 से 2 बार दोहराया जा सकता है।
आप नींबू का इस्तेमाल सलाद के साथ भी कर सकते हैं।
कैसे है लाभदायक
नींबू में सिट्रिक एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो एक कारगर एंटीऑक्सीडेंट है। शोधकर्ताओं के मुताबिक नींबू में पाया जाने वाला यह गुण फैटी लिवर के दौरान होने वाली ऑक्सीडेशन प्रक्रिया को रोकने का काम करता है। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि फैटी लीवर का इलाज करने के लिए नींबू को नियमित प्रयोग में लाया जा सकता है(10)।
5. फैटी लिवर में आंवला
सामग्री
दो आंवलें
एक गिलास पानी
एक चम्मच शहद
कैसे करें इस्तेमाल
आंवले के बीज निकाल कर उसके टुकड़े कर लें।
आंवले के टुकड़े और पानी को ग्राइंडर में डाल कर अच्छे से ग्राइंड कर लें।
फिर इसे छानकर अलग कर लें।
इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पी जाएं।
इस प्रक्रिया को दिन में 1 से 2 बार दोहराया जा सकता है।
आप सीधे कच्चा आंवला या आंवले का मुरब्बा भी खा सकते हैं।
कैसे है लाभदायक
विशेषज्ञों के मुताबिक आंवले में कुछ ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो लिवर के लिए सहायक प्रोटीन को बढ़ाने का काम करते हैं। यह सहायक प्रोटीन लिपिड संबंधी उपापचय (मेटाबोलिज्म) क्रिया को तेज कर लिवर संबंधी जोखिमों को कम करने में मदद प्रदान करते हैं। इसलिए ऐसा माना जा सकता है कि आंवले का उपयोग फैटी लिवर की समस्या से निजात पाने का एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है(11)।
6. करेला का उपयोग (Bitter Gourd)
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सामग्री
दो करेले
नींबू का रस (आवश्यकतानुसार)
नमक स्वादानुसार
1 गिलास पानी
कैसे करें इस्तेमाल
करेले के छोटे-छोटे कर लें।
इन टुकड़ों में से बीज निकाल कर अलग कर दें।
अब इन टुकड़ों पर नमक लगाएं, ताकि इनकी कड़वाहट कुछ कम हो सके।
इसे आधे घंटे के लिए ऐसे ही छोड़ दें।
इसके बाद करेले को ग्राइंडर या जूसर में डाले और अच्छे से ग्राइंड कर लें।
बाद में तैयार हुए पेस्ट को कपड़े या छन्नी की मदद से छान लें।
इसमें आवश्यकतानुसार नींबू का रस और नमक मिलाकर पी जाएं।
इस प्रक्रिया को प्रतिदिन एक बार दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
विशेषज्ञों के मुताबिक करेला में इन्फ्लामेशन और ऑक्सीडेटिव तनाव को रोकने के चमत्कारिक गुण पाए जाते हैं। साथ ही इसमें फैटी लिवर के विकास में सहायक लिपिड को नियंत्रित करने की क्षमता होती है। इसलिए इसका उपयोग फैटी लीवर का इलाज करने के लिए किया जा सकता है(12)।
7. व्हीट ग्रास फैटी लिवर में लाभकारी
सामग्री
8 से 10 व्हीट ग्रास
एक गिलास पानी
कैसे करें इस्तेमाल
व्हीट ग्रास और पानी को ग्राइंडर में डालें और अच्छे से ग्राइंड कर लें।
बाद में इसे सूती कपड़े की मदद से छान लें।
अब इसे तुरंत पी जाएं।
ध्यान रहे, इसमें नींबू या नमक बिलकुल न डालें।
इस प्रक्रिया को दिन में 2 से 3 बार दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
विशेषज्ञों ने किए गए शोध में पाया कि व्हीट ग्रास में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण फैटी लिवर की समस्या से जूझ रहे मरीजों के लिए लाभदायक साबित हो सकता है। साथ ही किए गए शोध में यह भी पाया गया कि शराब के सेवन से उत्पन्न फैटी लिवर की समस्या को दूर करने में व्हीट ग्रास का उपयोग काफी लाभदायक साबित हो सकता है(13)।
8. अलसी का बीज
सामग्री
एक चम्मच अलसी के बीज का पाउडर
एक गिलास गर्म पानी
नींबू का रस (स्वाद के लिए)
शहद (स्वाद के लिए)
कैसे करें इस्तेमाल
अलसी के बीज के पाउडर को गर्म पानी में डालें।
उसे अच्छे से मिलाएं।
इस मिश्रण में स्वादानुसार नींबू का रस और शहद मिलाएं।
फिर इसे पी जाएं।
इस प्रक्रिया को दिन में 2 से 3 बार दोहराया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक
एक शोध में विशेषज्ञों ने पाया कि अलसी के बीज में पाए जाने वाले खास पोषक तत्व फैटी लिवर की समस्या को दूर करने में सहायक साबित हो सकते हैं। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि फैटी लिवर का उपचार करने में अलसी का बीज मददगार साबित हो सकता है(14)।
9. फलों का उपयोग
Shutterstock
फैटी लिवर की समस्या में फलों के उपयोग की बात करें तो इनका इस्तेमाल आपको इस समस्या से छुटकारा दिलाने में मददगार साबित हो सकता है। कारण यह है कि फलों में पाए जाने वाले डायट्री फाइबर्स मोटापे की समस्या से निजात दिलाने में सहायक होते हैं। वहीं लेख में आपको पहले ही बताया जा चुका है कि मोटापा फैटी लिवर के लिए एक बड़ा जोखिम कारक माना जाता है। ऐसे में फलों के इस्तेमाल से मोटापे को कंट्रोल कर काफी हद तक फैटी लिवर की समस्या से राहत पाई जा सकती है(15)।
10. फैटी लिवर में अदरक फायदेमंद
सामग्री
अदरक का एक टुकड़ा
एक कप गर्म पानी
शहद (स्वादानुसार)
कैसे करें इस्तेमाल
एक कप गर्म पानी में अदरक के टुकड़े को डालें।
पांच से दस मिनट के लिए उसे ऐसे ही छोड़ दें।
अदरक की कड़वाहट को कम करने के लिए स्वादानुसार शहद डालें।
शहद को अच्छे से मिलाने के बाद उसे पी लें।
इस प्रक्रिया को दिन में तीन से चार बार दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
विशेषज्ञों के मुताबिक अदरक में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और हाइपोलिपिडेमिक (वसा को तोड़ने वाले) प्रभाव पाए जाते हैं। इसलिए ऐसा माना जाता है कि फैटी लिवर का उपचार करने में यह प्रभाव लाभकारी साबित हो सकते हैं(16)।
11. फैटी लिवर में एलोवेरा
सामग्री
एलोवेरा की दो पत्तियां
आधा गिलास पानी
नमक (स्वादानुसार)
कैसे करें इस्तेमाल
एलोवेरा की पत्तियों से गूदे वाले भाग को अगल कर लें।
उसे ग्राइंडर में डालें और उसमें आधा गिलास पानी मिलाएं।
उसे अच्छे से ग्राइंड करें।
तैयार हुए जूस में स्वादानुसार नमक डाल कर पी जाएं।
इस प्रक्रिया को प्रतिदिन दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
विशेषज्ञों के मुताबिक एलोवेरा में हाइपोग्लाइसेमिक (ब्लड शुगर कम करने) और एंटीओबेसिटी (मोटापा घटाने वाले) गुण पाए जाते हैं। इन्हीं गुणों पर किए गए शोध से इस बात की पुष्टि हुई कि एलोवेरा का नियमित उपयोग फैटी लिवर की समस्या से छुटकारा दिलाने में मददगार साबित हो सकता है(17)।
12. फैटी लिवर में पपीता का इस्तेमाल
सामग्री
पपीते के पांच से छह टुकड़े
आधा गिलास दूध
कैसे करें इस्तेमाल
पपीते के टुकड़ों को ग्राइंडर में दूध के साथ डालें।
उसे अच्छे से मिक्स होने दें।
फिर तैयार हुए शेक पी लें।
इस प्रक्रिया को प्रतिदिन दोहराएं।
नोट– आप चाहें तो पपीता के टुकड़ों को सीधा खाने के लिए उपयोग कर सकते हैं।
कैसे है लाभदायक
विशेषज्ञों के मुताबिक पपीता में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो कि फैटी लिवर की समस्या में लाभदायक सिद्ध होता है। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि पपीते का उपयोग इस समस्या में फायदेमंद साबित हो सकता है(18)।
13. प्याज फैटी लिवर में मददगार
सामग्री
प्याज के चार टुकड़े
कैसे करें इस्तेमाल
प्याज के चार टुकड़े सुबह शाम खाने के साथ इस्तेमाल करें।
किसी भी सामान्य आहार को तैयार करने में प्याज को शामिल करें।
खाने के साथ सलाद बनाकर भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक
विशेषज्ञों के मुताबिक प्याज में पाए जाने वाले कुछ विशेष तत्व फैटी लिवर के जोखिम को कम करने में सक्षम होते हैं। इस संबंध में किए गए एक शोध में भी इस बात की पुष्टि हुई है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि फैटी लिवर का उपचार करने में प्याज का उपयोग लाभकारी साबित हो सकता है(19)।
14. मुलेठी (लिकोरिस) का फैटी लिवर में उपयोग
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सामग्री
आधा चम्मच (छोटा) मुलेठी के बीज का चूर्ण
आधा कप गर्म पानी
कैसे करें इस्तेमाल
आधे कप गर्म पानी में मुलेठी के बीज का चूर्ण डालें।
उसे 10 मिनट के लिए ऐसे ही छोड़ दें।
फिर उसे छान कर पी लें।
इस प्रक्रिया को एक सप्ताह तक प्रतिदिन दोहराएं।
फिर कुछ हफ्ते के अंतराल के बाद इस प्रक्रिया को दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
इस संबंध में किए गए शोध के आधार पर विशेषज्ञों का मानना है कि मुलेठी या उसके बीज का प्रयोग शराब के अधिक सेवन से पैदा हुई फैटी लिवर की समस्या से राहत दिलाने का काम कर सकता है। बताया जाता है कि इसमें पाए जाने वाले एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण इस समस्या से निजात दिलाने में सक्षम माने जाते हैं(20)।
नोट– मुलेठी का उपयोग सर्दियों के दिनों में करने से बचना चाहिए। कारण है इसकी ठंडी तासीर। अधिक जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें।
15. टमाटर का उपयोग
सामग्री
दो टमाटर
कैसे करे इस्तेमाल
टमाटर को सलाद के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
टमाटर के टुकड़े काटकर इसे सीधे भी खाया जा सकता है।
खाद्य पदार्थों को बनाते वक्त इसे शामिल करें।
सूप या चटनी बनाकर भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
कैसे है लाभदायक
विशेषज्ञों के मुताबिक टमाटर में पाया जाने वाला खास तत्व लाइकोपीन (lycopene) शराब के उपयोग से लिवर में आने वाली सूजन और क्षति को ठीक करने में सहायक साबित होता है। इस कारण यह कहा जा सकता है कि फैटी लिवर की समस्या को दूर करने में टमाटर का उपयोग लाभकारी साबित होता है(21)।
नोट– विशेषज्ञों का मानना है कि शराब के सेवन के साथ टमाटर का उपयोग हानिकारक साबित हो सकता है।
16. मिल्क थिसल
Shutterstock
सामग्री
एक से दो चम्मच (छोटा) मिल्क थिसल टी
एक कप गर्म पानी
शहद (स्वाद के लिए)
कैसे करें इस्तेमाल
आधे कप गर्म पानी में एक या दो चम्मच मिल्क थिसल टी डालें।
पांच से 10 मिनट के लिए उसे ऐसे ही छोड़ दें।
उसमें थोड़ा शहद (स्वाद के लिए) मिलाएं और पी लें।
इस प्रक्रिया को दिन में दो से तीन बार दोहराएं।
कैसे है लाभदायक
विशेषज्ञों के मुताबिक मिल्क थिसल में सिलीमरीन नाम का एक खास तत्व पाया जाता है। इस तत्व में एंटीऑक्सीडेंट और डिटॉक्सिफाइंग गुण होते हैं, जो सिरोसिस (लिवर संबंधित बीमारी) के जोखिम को कम करने में सहायक साबित हो सकते हैं। इस वजह से ऐसा कहा जा सकता है कि मिल्क थिसल का उपयोग फैटी लिवर की समस्या से निजात पाने में लाभकारी सिद्ध हो सकता है(22)।
फैटी लिवर से संबंधित घरेलू उपचारों को जानने के बाद अब हम बात करेंगे फैटी लिवर के इलाज के बारे में।
फैटी लिवर का इलाज – Treatment of Fatty Liver in Hindi
फैटी लिवर ट्रीटमेंट की बात की जाए तो अभी तक इसकी कोई निश्चित दवा या इलाज नहीं पाया गया है। चिकित्सक केवल इस समस्या से बचने के तरीके और उपाय की जानकारी दे सकता है। वहीं समस्या बढ़ जाने की स्थिति में आपको ऑपरेशन या लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी जा सकती है, क्योंकि लास्ट स्टेज पर यही मात्र विकल्प शेष रह जाते हैं। आइए कुछ बिन्दुओं के माध्यम से उन उपायों के बारे में जानते हैं, जिन्हें फैटी लिवर ट्रीटमेंट के दौरान चिकित्सक द्वारा अपनाने की सलाह दी जाती है(23)(24)।
यदि शराब पीने के आदि है तो उसका उपयोग बंद कर दें या कम करें।
बढ़े हुए केलेस्ट्रोल को कम करने के तरीकों अपना कर उसकी मात्रा को नियंत्रित करें।
यदि आप मोटापे के शिकार हैं तो वजन घटाने का प्रयास करें।
फिजिकल एक्टिविटी की सलाह दी जा सकती है।
कुछ खानों से परहेज करने की सलाह दी जा सकती है।
वजन कम करने के चक्कर में खाना-पीना न छोड़ें अन्यथा जोखिम बढ़ सकता है।
यदि शुगर के मरीज है तो आपको उसे नियंत्रित करने वाली दवा लेने की सलाह दी जा सकती है।
यदि आप डायबिटिक नहीं है और नॉ��� एल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या से परेशान है तो विटामिन ई लेने की सलाह दी जा सकती है।
आहार संबंधित सलाह दी जा सकती है, जिसे अपना कर फैटी लिवर की समस्या में राहत पाई जा सकती है।
फैटी लिवर ट्रीटमेंट के बारे में जानने के बाद हम इस समस्या के निदान के बारे में बात करेंगे।
फैटी लिवर का निदान – Diagnosis of Fatty Liver in Hindi
फैटी लिवर का निदान आसान नहीं है। कारण यह है कि शुरुआती दिनों में फैटी लिवर के कोई भी लक्षण नजर नहीं आते। हां यह जरूर हो सकता है कि किसी समस्या के लिए आप डॉक्टर के पास जाएं और उसे उस समस्या को देखकर शक हो जाए कि आप फैटी लिवर की समस्या से परेशान हैं। इस बात की पुष्टि के लिए वह कुछ टेस्ट करा सकता है। जिनके माध्यम से इस बीमारी के होने का पता आसानी से लगाया जा सकता है। आइए फैटी लिवर के निदान के लिए किए जाने वाले सभी टेस्ट को क्रमवार समझते हैं(23)।
मेडिकल हिस्ट्री का परीक्षण।
ब्लड टेस्ट, इमेजिंग टेस्ट का परीक्षण।
लिवर में वसा की मात्रा और कठोरता संबंधी जांच।
संदेह गहरा होने पर पुष्टि के लिए बायोप्सी सहित विभिन्न परीक्षण।
पुष्टि होने की स्थिति में शराब सेवन से संबंधित सवाल ताकि पता कर सके कि बीमारी एल्कोहलिक फैटी लिवर है या नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर।
यदि आप पहले से किसी दवा का नियमित सेवन कर रहे हैं तो उससे बारे में आपसे पूछा जाएगा। यह जानने के लिए कि कहीं कोई खास दवा इस बीमारी का कारण न बन रही हो।
शारीरिक जांच में वजन और ऊंचाई का परीक्षण किया जाएगा। यह जाने के लिए कि कहीं मोटापा इसकी वजह तो नहीं।
अब बात करते हैं फैटी लिवर की समस्या से राहत पाने के लिए की जाने वाली एक्सरसाइज के बारे में।
फैटी लिवर के लिए एक्सरसाइज – Exercises For Fatty Liver in Hindi
इस संबंध में किए गए शोध में पाया गया कि हाई इंटेंसिटी के साथ कम मात्रा में की गई एक्सरसाइज (एरोबिक्स) फैटी लिवर की समस्या में सुधार के लक्षण प्रदर्शित करती है। वहीं दूसरी ओर इसके उलट यदि कम इंटेंसिटी के साथ अधिक एक्सरसाइज (एरोबिक्स) की जाती है, तो उसका भी पहले की तरह बेहतर असर दिखाई देता है। इस संबंध में निष्कर्ष और निचोड़ की बात की जाए तो ऐसा माना जा सकता है कि अन्य एक्सरसाइज के मुकाबले एरोबिक्स की सहायता से फैटी लिवर की समस्या से राहत पाई जा सकती है(24)(25)।
अब समय है फैटी लिवर से बचने के उपाय के बारे में जानने का।
फैटी लिवर से बचने के उपाय – Prevention Tips for Fatty Liver in Hindi
फैटी लिवर से बचने के उपाय कुछ इस प्रकार हैं(1)।
शारीरिक पोषण का ध्यान रखते हुए मोटापा कम करें।
आहार और दवा दोनों के माध्यम से बढ़ी हुई ट्रिगलिसिराइड की मात्रा को कम करें।
शराब से दूरी बनाकर रखें।
डायबिटीज की समस्या को नियंत्रित करें।
संतुलित और स्वस्थ आहार का इस्तेमाल करें।
शारीरिक गतिविधियों (फिसिकल एक्टिविटी)पर ध्यान दें।
अपने चिकित्सक से लगातार संपर्क में रहें।
अब तो आप फैटी लिवर की समस्या, लक्षण और इलाज के बारे में अच्छे से जान गए होंगे। लेख में आपको इस समस्या से निजात पाने के कई घरेलू उपचारों के बारे में बताया गया है। वहीं इसके निदान और इससे बचाव के भी विस्तृत तरीके आपको लेख के माध्यम से सुझाए गए हैं। ऐसे में यदि आप भी फैटी लिवर की समस्या से झूझ रहे हैं और इससे निजात पाने के तरीके ढूंढ रहे हैं, तो लेख में दी गई सभी जानकारियों को अच्छे से पढ़ें और फिर उन्हें अमल में लाएं। आशा करते हैं कि यह लेख आपको फैटी लिवर की समस्या से राहत पाने में मददगार साबित होगा। इस विषय में किसी अन्य प्रकार के सुझाव और सवालों के लिए आप हमसे नीचे दिए कमेंट बॉक्स के माध्यम से जुड़ सकते हैं।
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Ankit Rastogi
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/fatty-liver-ke-karan-lakshan-aur-gharelu-ilaj-in-hindi/
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