कब है देवशयनी एकादशी व्रत 16 या 17 जुलाई, जानें सही तिथि व महत्व। Devshayani Ekadashi 2024 date
हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत महत्व माना जाता है।
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https://www.youtube.com/watch?v=866T50bsiuY
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Sawan 2024: सावन में भगवान शिव का जलाभिषेक करते समय इन मंत्रों का जाप करेंंSawan 2024: हिंदू धर्म में सावन महीने का विशेष महत्व है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी पड़ती है. इस दिन सृष्टि के रचयिता झीर सागर में योग निद्रा में चले जाते हैं
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देवशयनी एकादशी: भगवान विष्णु के दिव्य व्रत का अद्भुत महत्व और प्रमुख कारण | @dharmikjeevan
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आपका स्वागत है हमारे YouTube चैनल धार्मिक जीवन के इस नविन वीडियो में! इस वीडियो के जरिये हम आपको 'देवशयनी एकादशी' के वि��य की आध्यात्मिक ज्ञान की यात्रा पर लेकर चलेंगे। जानिए कि देवशयनी एकादशी व्रत हिन्दू समाज के लिए क्यों इतना महत्वपूर्ण है और भगवान विष्णु के इस अद्भुत व्रत के कारणों को भी जानिए। इस वीडियो में हम जानेंगे कि किन कारणों से भगवान विष्णु चार मास की योगनिद्रा में चले जाते है?
यह वीडियो आध्यात्मिक ज्ञान से संपन्न है, और हम इस आध्यात्मिक ज्ञान को भारतीय हिन्दुओं, अमेरिकी हिन्दुओं और अन्य देशों के हिन्दुओं तक पहुँचाना चाहते हैं। इस वीडियो के माध्यम से आप देवशयनी एकादशी व्रत के महत्वपूर्ण ज्ञान को अपने जीवन में शामिल करें और भगवान विष्णु की कृपा से आध्यात्मिकता और समृद्धि की प्राप्ति करें।
इसी प्रकार की आध्यात्मिक ज्ञान की गंगा में स्नान करने के लिए हमारे YouTube चैनल @dharmikjeevan को सब्सक्राइब करें और अपने धार्मिक सफर को बढ़ाएं।
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Devshayani Ekadashi 2022 : जानिए देवशयनी एकादशी का महत्व, शुभ मुहूर्त में करें पूजा पाठ
Devshayani Ekadashi 2022 : जानिए देवशयनी एकादशी का महत्व, शुभ मुहूर्त में करें पूजा पाठ
Image Source : INDIA TV
Devshayani Ekadashi 2022
Devshayani Ekadashi 2022: 10 जुलाई रविवार को यानी आज आषाढ़ शुक्ल एकादशी है। जिसे देवशयनी या हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से काफी लाभ मिलता है। आज से भगवान विष्णु चार महीने तक क्षीर सागर में योग निद्रा में रहेंगे। जिसके चलते अब किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किए जाएंगे। भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल एकादशी तक आराम करेंगे। इसके बाद…
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Shayani Ekadashi: Significance, Puja Vidhi and Shubh Muhurat
Shayani Ekadashi: Significance, Puja Vidhi and Shubh Muhurat
हिंदू महीने आषाढ़ के शुक्ल पक्ष के 11 वें दिन को देवशयनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इसे महा एकादशी, प्रथमा एकादशी और पद्मा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान विष्णु के भक्त वैष्णवों के लिए यह दिन काफी शुभ है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए शयन करने जाते हैं। यह दिन हिंदू कैलेंडर में चार महीने की पवित्र अवधि चातुर्मास की शुरुआत का भी प्रतीक है जो…
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चातुर्मास 2022 : क्यों करते हैं इन 4 पवित्र महीनों में व्रत, उपवास, नियम और दान
चातुर्मास 2022 : क्यों करते हैं इन 4 पवित्र महीनों में व्रत, उपवास, नियम और दान
Chaturmas: 10 जुलाई 2022 रविवार को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इसके बाद से ही चातुर्मास प्रारंभ हो जाएगा। चातुर्मास के 4 पवित्र महीनों में व्रत, उपवास, नियम और दान का महत्व क्यों है? आओ जानते हैं इस संबंध में कुछ खास।
1. व्रत, तप और साधना के माह : चातुर्मास में आषाढ़ माह के 15 और फिर श्रावण, भाद्रपद, आश्विन माह के बाद कार्तिक माह के 15 दिन जुड़कर कुल चार माह का समय पूर्ण होता है। इन…
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On this day Bhagwan Vishnu and Lakshmi are worshipped.
It is believed that Vishnu falls asleep in Ksheersagar - cosmic ocean of milk - on Shesha nāga, the cosmic serpent. That is why the day is also called Dev-Shayani Ekadashi.
हिंदू धर्म में आषाढ़ महीने में आने वाली दोनों एकादशी तिथियों का विशेष महत्व होता है। आषाढ़ महीने की पहली एकादशी को योगिनी और दूसरी या अंतिम एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इस साल देवशयनी एकादशी के दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं।
जैन धर्म में चातुर्मास सामूहिक वर्षायोग या चौमासा के रूप में भी जाना जाता है। भगवान महावीर ने चातुर्मास को इसिणां पसत्था कहा है। इस साल जैन चातुर्मास 11 जुलाई से प्रारंभ होने जा रहा है। इसी माह की 28 तारीख को रोहिणी व्रत भी पड़ेगा। हम सभी जानते हैं कि जैन साधु-संत जनकल्याण और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए पूरे वर्ष एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करते रहते हैं। अहिंसा और जीवों पर दया को ही जैन धर्म का आधार माना गया है। ऐसे में जैन मुनि इस चातुर्मास में एक जगह रुककर लोगों को सत्य, अहिंसा और ब्रम्हचर्य आदि विषयों पर सद्ज्ञान देते हैं।
चातुर्मास की शुरुआत देवशयनी एकादशी से मानी जाती है। इस बार चातुर्मास 10 जुलाई से आरंभ हो रहे हैं, क्योंकि इस दिन देवशयनी एकादशी भी है|
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देवशयनी एकादशी
क्या आप जानते हैं कि जून जुलाई के महीने में लोग शादियां क्यों नहीं करते या फिर जून जुलाई के महीने में अधिक शादियां नहीं होती इसके पीछे क्या कारण है?
इसके लिए देवशयनी एकादशी का संदर्भ भी दिया जाता है। जो लोग देवशयनी एकादशी, इसके महत्व इत्यादि के बारें में नहीं जानते, उनकी जानकारी में वृद्धि के लिए मैं आपके समक्ष देवशयनी एकादशी की कथा रख रहा हूँ।
पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने वामन का अवतार…
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आज का नक्षत्र: 21 जुलाई को द्वादशी की तिथि और ज्येष्ठा नक्षत्र है
आज का नक्षत्र: 21 जुलाई को द्वादशी की तिथि और ज्येष्ठा नक्षत्र है
Aaj Ka Panchang: पंचांग के अनुसार 21 जुलाई 2021, बुधवार को आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है. इस तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. द्वादशी की तिथि में ही एकादशी व्रत का पारण किया जाता है. एकादशी व्रत को सभी व्रतों में विशेष महत्व प्रदान किया गया है. आषाढ़ शुक्ल की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है.
देवशयनी एकदशी को महत्वपूर्ण एकादशी माना गया है. इस दिन भगवान विष्णु का शयनकाल आरंभ होता…
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Devshayani Ekadashi : देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु के इन मंत्रों का करें जाप, मिलेगा बहुत लाभ Devshayani Ekadashi : एकादशी का हिन्दु धर्म में बहुत अधिक महत्व है। आपको बता दें कि एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
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Devshayani Ekadashi Vrat : देवशयनी एकादशी आज, दान पुण्य का खास महत्व, ज्योतिषाचार्य से जानें सुख- समृद्धि के खास उपाय
Devshayani Ekadashi Vrat : देवशयनी एकादशी आज, दान पुण्य का खास महत्व, ज्योतिषाचार्य से जानें सुख- समृद्धि के खास उपाय
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी होती है। देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष देवशयनी एकादशी रविवार को है। मान्यता है कि इस दिन से आने वाले चार महीनों तक भगवान विष्णु निद्रा में चले जाते हैं। ऐसे में इन चार महीनों के दौरान सभी तरह के मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं।
क्षेत्र के पंडित अवधेश द्विवेदी के अनुसार देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु…
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जानिए देवशयनी एकादशी की व्रत कथा
जानिए देवशयनी एकादशी की व्रत कथा
आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार 20 जुलाई को देवशयनी एकादशी के लिए व्रत रखा जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह एकादशी बहुत महत्व रखती है। क्यों कि इसी दिन से चातुर्मास की भी शुरूआत हो जाएगी, जिसमें कई प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवशयनी एकादशी का व्रत सब व्रतों में उत्तम है। इस व्रत से समस्त पाप नष्ट…
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देवशयनी एकादशी कब है, जानिए कथा, देव को सुलाने का मंत्र, शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और उपाय
देवशयनी एकादशी कब है, जानिए कथा, देव को सुलाने का मंत्र, शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और उपाय
devshayani ekadashi
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार, इस दिन से चार महीने के लिए भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं। इस चार महीनों में मांगलिक कार्यों की मनाही होती है। कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान योग निद्रा से उठते हैं। इस एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इस साल देवशयनी एकादशी 10 जुलाई 2022 को आ रही है।
देवशयनी…
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Jagannath Puri Rath Yatra 2021: 12 जुलाई को निकाली जाएगी जगन्नाथ 'रथयात्रा' , जानिए इससे जुड़ी हर बात
जगन्नाथ रथ यात्रा का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व होता है। इस रथयात्रा का आयोजन उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर से होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा में भक्तों का तांता लग जाता है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस की वजह से भक्तों को इस यात्रा में शामिल होने का अवसर नहीं मिल पाएगा।
भगवान विष्णु के अवतार भगवान जगन्नाथ उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के साथ जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। भगवान जगन्नाथ उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा का विशाल रथ 10 दिनों के लिए बाहर निकलता है। इस यात्रा में सबसे आगे बलभद्र का रथ चलता है जिसे तालध्वज कहा जाता है। मध्य में सुभद्रा का रथ चलता है जिसे दर्पदलन या पद्म रथ कहा जाता है। सबसे अंत में भगवान जगन्नाथ का रथ चलता है जिसे "नंदी घोष" कहा जाता है।
इस साल 12 जुलाई से रथ यात्रा शुरू हो जाएगी और देवशयनी एकादशी यानी 20 जुलाई को समाप्त होगी। यात्रा के पहले दिन भगवान जगन्नाथ प्रसिद्ध गुंडिचा माता के मंदिर में जाते हैं।
महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस रथ यात्रा को देखने मात्र से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
4 धामों में से एक है जगन्नाथ मंदिर
जगन्नाथ मंदिर भारत के पवित्र 4 धामों में से एक है। यह मंदिर 800 वर्ष से भी अधिक प्राचीन है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
आपका दिन शुभ व मंगलमय हो।
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