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#किताबों
writerss-blog · 2 years
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किताबों की बातें
किताबों की हर बातें जिंदगी की हकीकत में सब सच नहीं होती कलयुग है भाई मुसीबतें कम नहीं होती सच बोलने वाला सदा बदनाम होता है सत्य की राह का कठिन अंजाम होता है, झूठ मक्कारी से ही इंसान नामवान होता है सच कहूं तो ईमानदार गुमनाम होता है । पलट गया है जीवन जीने का हर फलसफा मुखौटा लगाने वाला ही महान होता है ।।
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mwsnewshindi · 2 years
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एमबीबीएस इन हिंदी: एमपी कांग्रेस अध्यक्ष ने हिंदी में इंजीनियरिंग कोर्स बंद करने पर सवाल उठाया
एमबीबीएस इन हिंदी: एमपी कांग्रेस अध्यक्ष ने हिंदी में इंजीनियरिंग कोर्स बंद करने पर सवाल उठाया
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा यहां हिंदी में एमबीबीएस की पाठ्यपुस्तकों को जारी करने की पृष्ठभूमि में, मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने पूछा है कि इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम के साथ इसी तरह की पहल को क्यों स्थगित कर दिया गया। भारतीय जनता पार्टी (बी जे पी) – शासित राज्य। रविवार को, शाह ने हिंदी में पाठ्यपुस्तकों का विमोचन किया भारतीय भाषा में चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने के लिए मध्य प्रदेश…
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misti31 · 3 months
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अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
- अहमद फ़राज़
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chand-ki-priyatama · 2 months
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आखिर चाहिए क्या तुम्हें ?
यूं तो तुम्ह���रा सवेरा , तुम्हारी शाम चाहिए
हर वक्त तुम्हारा साथ चाहिए, तुम्हारी मुस्कान चाहिए
परंतु सिर्फ मुस्कान नहीं उसके पीछे छुपा गम भी चाहिए
यूं तो तुम्हारे आंसू और तुम्हारे गम चाहिए
बस तुम्हारे दिल मे घर बनाने का ख्वाब है
और तुम्हारे घर की लक्ष्मी बनने का रबाब
रोज़ सुबह तुम्हारा चेहरा और शाम में तुम्हारी बाहें
सुबह तुम्हारी बातें और शाम में तुम्हारी आहें
ज़्यादा कुछ नहीं चाहिए
बस तुम्हारे दिल में जगह चाहती हूँ
जब मैं थक कर आउ तो तुम्हारा साथ
और मेरे सर पर तुम्हारा हाथ चाहिए
बारिश में तुम्हारे लिए चाय बनाना चाहती हूँ
तुम्हारी किताबों की अलमारी मे अपनी किताबें
और तुम्हारे बटुए मे अपनी तसवीर सजाना चाहती हूँ
तुम्हें कहानियाँ सुनाना चाहती हूँ
तुम्हारे लिए कविताएँ लिखना चाहती हूँ
तुम्हें गाना सुनाना चाहती हूँ
तुम रूठो तो तुम्हें मनाना चाहती हूँ
तुम्हें तहे दिल से चाहना चाहती हूँ
तुम्हारे साथ एक कल का ख्वाब सजाना चाहती हूँ
तुम्हारे साथ घर बसाना चाहती हूँ
ज़्यादा कुछ नहीं
बस , तुम्हें अपना बनाना चाहती हूँ .... ~K.Y 💗
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natkhat-sa-shyam · 6 months
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विंसेंट वैन गॉग थियो से लिखे गए पत्र में कहते है,
अक्सर, किसी किताबों की दुकान पर जाना मुझे खुशी देता है और मुझे याद दिलाता रहेता है कि दुनिया में अच्छी चीजें भी हैं।
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With this I'm gonna add a book which i bought recently and I highly doubt getting a preface as beautiful as this.
i need moots with whom i can talk about literature, cinema, music and what not!!!
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patanahikyun · 5 months
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अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें ! 🥀
- अहमद फ़राज़
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wtfpremika · 3 months
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किताबों पर धूल जमने से कहानियां खत्म नही होती!!🥀
- गुलज़ार
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om-is-ok · 4 months
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Jo paḌhā hai use jiinā hī nahīñ hai mumkin
zindagī ko maiñ kitāboñ se alag rakhtā huuñ
जो पढ़ा है उसे जीना ही नहीं है मुमकिन
ज़िंदगी को मैं किताबों से अलग रखता हूँ —Zafar Sahbai
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oyeevarnika · 2 years
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मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं
- jaun eliya ki nazmon se
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aivysdiary · 3 months
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आशिकी और आशिक़ दोनों सिमट जाते हैं ग़ुलाबों में... किताबों में...
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talesoftaru · 6 months
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अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें
-अहमद फ़राज़
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hi-avathisside · 7 months
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"अब के हम बिछड़े तो शायद ख्वाबों में मिले, जैसे सूखे हुए फ़ूल किताबों में मिले।"
-Ahmad Faraz
From: hale_dil11 on instagram
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ughsahira · 5 months
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अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें,
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें|
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misti31 · 3 months
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तुम जब आओगी तो खोया हुआ पाओगी मुझे
मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं
मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं
इन किताबों ने बड़ा ज़ुल्म किया है मुझ पर
इन में इक रम्ज़ है जिस रम्ज़ का मारा हुआ ज़ेहन
मुज़्दा-ए-इशरत-ए-अंजाम नहीं पा सकता
ज़िंदगी में कभी आराम नहीं पा सकता
- जौन एलिया
This nazm speaks to my soul
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natkhat-sa-shyam · 3 months
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♡किताबों वाला प्यार चाहिए♡
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tired-yashika-core · 6 months
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मेरा मन था जैसे रेगिस्तान की लोमड़ी,
तलाशे एक आशा इस भरे काटों के बाज़ार मैं,
लकड़ी लकड़ी जोड़ कर,
एक नैया तो बना ली,
दो-चार नदियां तो पार कर ली,
फिर हमें दिखी वह खरगोश सी पल्खें,
भूरी, मेरी सारी प्यारी किताबों की तरह,
भूरी,, मेरे शरद से ख़्वाबों जैसी,
भूरी,,, उस वन की तरह, जहां वह मुझे ले चली|
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