🐚 देवशयनी एकादशी व्रत कथा - Devshayani Ekadashi Vrat Katha
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🐚 कृष्ण भजन - Krishna Bhajan
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🐚 एकादशी - Ekadashi
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*🌞~ आज दिनांक - 06 अगस्त 2024 का वैदिक और सटीक हिन्दू पंचांग आप के शुभ कार्य के लिए ~🌞*
*⛅दिनांक - 06 अगस्त 2024*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - द्वितीया शाम 07:52 तक तत्पश्चात तृतीया*
*⛅नक्षत्र - मघा शाम 05:44 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी*
*⛅योग - वरीयान प्रातः 11:00 तक तत्पश्चात परिघ*
*⛅राहु काल - शाम 04:02 से शाम 05:40 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:13*
*⛅सूर्यास्त - 07:18*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:45 से 05:29 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:19 ���े दोपहर 01:12*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:24 अगस्त 07 से रात्रि 01:07 अगस्त 07 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - मंगला गौरी व्रत*
*⛅विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹 चातुर्मास्य व्रत की महिमा🌹*
*🔸 चतुर्मास में प्रतिदिन एक समय भोजन करने वाला पुरुष अग्निष्टोम यज्ञ के फल का भागी होता है । पंचगव्य सेवन करने वाले मनुष्य को चन्द्रायण व्रत का फल मिलता है । यदि धीर पुरुष चतुर्मास में नित्य परिमित अन्न का भोजन करता है तो उसके सब पातकों का नाश हो जाता है और वह वैकुण्ठ धाम को पाता है । चतुर्मास में केवल एक ही अन्न का भोजन करने वाला मनुष्य रोगी नहीं होता ।*
*🔸 जो मनुष्य चतुर्मास में केवल दूध पीकर अथवा फल खाकर रहता है, उसके सहस्रों पाप तत्काल विलीन हो जाते हैं ।*
*🔸 पंद्रह दिन में एक दिन संपूर्ण उपवास करने से शरीर के दोष जल जाते हैं और चौदह दिनों में तैयार हुए भोजन का रस ओज में बदल जाता है । इसलिए एकादशी के उपवास की महिमा है । वैसे तो गृहस्थ को महीने में केवल शुक्लपक्ष की एकादशी रखनी चाहिए, किंतु चतुर्मास की तो दोनों पक्षों की एकादशियाँ रखनी चाहिए ।*
*🔸 जो बात करते हुए भोजन करता है, उसके वार्तालाप से अन्न अशुद्ध हो जाता है । वह केवल पाप का भोजन करता है । जो मौन होकर भोजन करता है, वह कभी दुःख में नहीं पड़ता । मौन होकर भोजन करने वाले राक्षस भी स्वर्गलोक में चले गये हैं । यदि पके हुए अन्न में कीड़े-मकोड़े पड़ जायें तो वह अशुद्ध हो जाता है । यदि मानव उस अपवित्र अन्न को खा ले तो वह दोष का भागी होता है । जो नरश्रेष्ठ प्रतिदिन ‘ॐ प्राणाय स्वाहा, ॐ अपानाय स्वाहा, ॐ व्यानाय स्वाहा, ॐ उदानाय स्वाहा, ॐ समानाय स्वाहा’ – इस प्रकार प्राणवायु को पाँच आहुतियाँ देकर मौन हो भोजन करता है, उसके पाँच पातक निश्चय ही नष्ट हो जाते हैं ।*
*🔸चतुर्मास में जैसे भगवान विष्णु आराधनीय हैं, वैसे ही ब्राह्मण भी । भाद्रपद मास आने पर उनकी महापूजा होती है । जो चतुर्मास में भगवान विष्णु के आगे खड़ा होकर ‘पुरुष सूक्त’ का पाठ करता है, उसकी बुद्धि बढ़ती है ।*
*🔸 चतुर्मास सब गुणों से युक्त समय है । इसमें धर्मयुक्त श्रद्धा से शुभ कर्मों का अनुष्ठान करना चाहिए ।*
*सत्संगे द्विजभक्तिश्च गुरुदेवाग्नितर्पणम् ।*
*गोप्रदानं वेदपाठः सत्क्रिया सत्यभाषणम् । ।*
*गोभक्तिर्दानभक्तिश्च सदा धर्मस्य साधनम् ।*
*🔸 ‘सत्संग, भक्ति, गुरु, देवता और अग्नि का तर्पण, गोदान, वेदपाठ, सत्कर्म, सत्यभाषण, गोभक्ति और दान में प्रीति – ये सब सदा धर्म के साधन हैं ।’*
*🔸 देवशयनी एकादशी से देवउठी एकादशी तक उक्त धर्मों का साधन एवं नियम महान फल देने वाला है । चतुर्मास में भगवान नारायण योगनिद्रा में शयन करते हैं, इसलिए चार मास शादी-विवाह और सकाम यज्ञ नहीं होते । ये मास तपस्या करने के हैं ।*
*🔸 चतुर्मास में योगाभ्यास करने वाला मनुष्य ब्रह्मपद को प्राप्त होता है । ‘नमो नारायणाय’ का जप करने से सौ गुने फल की प्राप्ति होती है । यदि मनुष्य चतुर्मास में भक्तिपूर्वक योग के अभ्यास में तत्पर न हुआ तो निःसंदेह उसके हाथ से अमृत का कलश गिर गया । जो मनुष्य नियम, व्रत अथवा जप के बिना चौमासा बिताता है वह मूर्ख है ।*
*🔸बुद्धिमान मनुष्य को सदैव मन को संयम में रखने का प्रयत्न करना चाहिए । मन के भलीभाँति वश में होने से ही पूर्णतः ज्ञान की प्राप्ति होती है ।*
*🔸 ‘एकमात्र सत्य ही परम धर्म है । एक सत्य ही परम तप है । केवल सत्य ही परम ज्ञान है और सत्य में ही धर्म की प्रतिष्ठा है । अहिंसा धर्म का मूल है । इसलिए उस अहिंसा को मन, वाणी और क्रिया के द्वारा आचरण में लाना चाहिए ।’*
*(स्कं. पु. ब्रा. 2.18-19)*
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कब है देवशयनी एकादशी व्रत 16 या 17 जुलाई, जानें सही तिथि व महत्व। Devshayani Ekadashi 2024 date
हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत महत्व माना जाता है।
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https://www.youtube.com/watch?v=866T50bsiuY
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July festival Calendar 2024: जानें जुलाई 2024 में आने वाले व्रत त्योहारों की लिस्ट और तिथिJuly Festival Calendar 2024: जुलाई अंग्रेजी कलैंडर का सातवां महीना है, इस महीने में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार आते हैं आपको बता दें कि जुलाई महीने में योगिनी एकादशी,जगन्नाथ रथ, यात्रा,कामिका एकादशी,देवशयनी एकादशी, जैसे व्रत और त्योहार आएंगे
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Devshayani Ekadashi fast Story: Know the benefits and mythology of this Fast. @dharmikjeevan
Devshayani Ekadashi Fast Story
In this video we will discuss the benefits of Devshayani Ekadashi fast and the welfare story of this fast. This fasting story of Devshayani Ekadashi is taken from Brahma Vaivarta Purana.
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Devshayani Ekadashi is one of the most important fasts in the Hindu calendar. It is believed that one can attain moksha (liberation from the cycle of birth and death) by observing this fast.
In this video we are also telling the legend of Devshayani Ekadashi fast. The devotee who listens to this story after fasting and worshiping Devshayani Ekadashi with rituals, such a devotee becomes blessed by Lord Vishnu.
Devshayani Ekadashi Vrat is a time for spiritual introspection and purification. By observing this fast one can purify his mind and body and prepare himself for the spiritual journey ahead.
If you are looking for a way to improve your spiritual well-being, then Devshayani Ekadashi Vrat is a great option for you. This video will provide you all the information about this important fast.
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aaj ka panchang 29 जून 2023: देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ, जानें शुभ मुहूर्त, सिद्धि योग, राहुकाल, दिशाशूल
aaj ka panchang आज का पंचांग 29 जून 2023: आज आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि, स्वाति नक्षत्र, सिद्धि योग, करण वणिज और दिन गुरुवार है. देवशयनी एकादशी व्रत है. आज से चातुर्मास का प्रारंभ हुआ है. देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु 4 माह योग निद्रा में रहते हैं, इस वजह से उन 4 माह को चातुर्मास कहा जाता है. चातुर्मास में भगवान विष्णु और शिव जी की विशेष पूजा होती है. (aaj ka panchang) इसमें…
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Today panchang 29 जून: देवशयनी एकादशी आज, शुभ पंचांग से जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त
देवशयनी एकादशी। चातुर्मास व्रत। यम-नियमादि प्रारंभ। सूर्य उत्तरायण। सूर्य उत्तर गोल। ग्रीष्म ऋतु। मध्याह्न 01.30 बजे से 03 बजे तक राहुकालम्। 29 जून, गुरुवार, 08, आषाढ़ (सौर) शक 1945, 15, आषाढ़ मास प्रविष्टे, 2080, 10, जिलहिज सन् हिजरी 1444, आषाढ़ शुक्ल एकादशी रात्रि 02.42 मिनट तक उपरांत द्वादशी, स्वाति नक्षत्र सायं 04.29 बजे तक तदनंतर विशाखा नक्षत्र, शिव योग प्रात 05.15 बजे तक, वणिज करण, चंद्रमा…
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Devshayani Ekadashi 2022: इस तारीख को है देवशयनी एकादशी, नवंबर तक नहीं होंगे शुभ कार्य
Devshayani Ekadashi 2022: इस तारीख को है देवशयनी एकादशी, नवंबर तक नहीं होंगे शुभ कार्य
Devshayani Ekadashi 2022: देवशयनी एकादशी से देव सो जाते हैं। देवशयनी एकादशी के साथ 10 जुलाई से भगवान विष्णु चार माह की निंद्रा में चले जाएंगे। इसके साथ चातुर्मास शुरू हो जाएंगा। इसके बाद चार महीने तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। नवंबर तक देवउठनी एकादशी से शुभ कार्य होंगे। इस एकादशी से अगले चार महीने के लिए भगवान विष्णु विश्राम करते हैं। इन दिनों को चातुर्मास कहा जाता है। इसमें मांगलिक काम…
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देवशयनी एकादशी पर हनुमान जी की पूजा का बन रहा है विशेष संयोग
देवशयनी एकादशी पर हनुमान जी की पूजा का बन रहा है विशेष संयोग
देवशयनी एकादशी 2021: पंचांग के हिसाब से 20 नवंबर 2021, कल आषाढ़ मास की कल की तारीख है। इस एकादशी शास्त्र की तिथि समाप्त हो गई है। आषाढ़ शुक्ल की एकादशी को देवशय एकादशी है। इस व्यक्ति को विष्णु की विशेष देखभाल है।
देवशयनी एकादशी का महत्वदेवशय एकादशी आषाढ़ मास की आखिरी एकादशी है। एंडोर्समेंट के लिए देवशयनीदाशी से चातुर्मास एक शुरुआत है। देवशयनी एकादशी से विष्णु का शयनकाल प्रभामंडल है। भगवान विष्णु…
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🐚 कामिका एकादशी व्रत कथा - Kamika Ekadashi Vrat Katha
कामिका एकादशी का महत्त्व:अर्जुन ने कहा: हे प्रभु! मैंने आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी का सविस्तार वर्णन सुना। अब आप मुझे श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी की कथा सुनाने की कृपा करें। इस एकादशी का नाम क्या है? इसकी विधि क्या है? इसमें किस देवता का पूजन होता है? इसका उपवास करने से मनुष्य को किस फल की प्राप्ति होती है?...
..कामिका एकादशी व्रत कथा को पूरा पाठ करने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें 👇
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🐚 ॐ जय जगदीश हरे आरती - Om Jai Jagdish Hare Aarti
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*🌞~ आज दिनांक - 26 जुलाई 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - षष्ठी रात्रि 11:30 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद दोपहर 02:30 तक तत्पश्चात रेवती*
*⛅योग - सुकर्मा रात्रि 01:32 जुलाई 27 तक तत्पश्चात धृति*
*⛅राहु काल - प्रातः 11:07 से दोपहर 12:46 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:08*
*⛅सूर्यास्त - 07:24*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:42 से 05:25 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:20 से दोपहर 01:13*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:25 जुलाई 27 से रात्रि 01:08 जुलाई 27 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - सर्वार्थ सिद्धि योग एवं अमृत सिद्धि योग (दोपहर 02:30 जुलाई 26 से प्रातः 06:08 जुलाई 27 तक)*
*⛅विशेष - षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹 आध्यात्मिक कोष भरने का काल – चतुर्मास 🌹*
*🔸देवशयनी एकादशी से देवउठी एकादशी तक के ४ महीने भगवान नारायण ध्यानमग्न रहते हैं । अत: ये मास सनातन धर्म के प्रेमी लोगों के बीच आराधना-उपासना के लिए विशेष महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं । चतुर्मास में अन्न, जल, दूध, दही, घी, मट्ठा व गौ का दान तथा वेदपाठ, हवन आदि महान फल देते हैं ।*
*स्कंद पुराण ( ब्राह्म खंड, चातुर्मास्य माहात्म्य : ३.११) में लिखा हैं :*
*सद्धर्म: सत्कथा चैव सत्सेवा दर्शनं सताम ।*
*विष्णुपूजा रतिर्दाने चातुर्मास्यसुदुर्लभा ।।*
*‘सद्धर्म (सत्कर्म), सत्कथा, सत्पुरुषों की सेवा, संतों का दर्शन-सत्संग, भगवान का पूजन और दान में अनुराग – ये सब बातें चौमासे में दुर्लभ बतायी गयी हैं ।’*
*🔹चतुर्मास में करणीय🔹*
*🔸चतुर्मास में प्रतिदिन सुबह नक्षत्र दिखे उसी समय उठ जाय और नक्षत्र-दर्शन करे । इन दिनों २४ घंटे में एक बार भोजन करनेवाले व्यक्ति को अग्निष्टोम यज्ञ का फल मिल जाता है । यज्ञ में जो आहुति दे सकें सात्विक भोजन की, वैसा ही यज्ञोचित भोजन करें । ब्रह्मचर्य का पालन करें । चतुर्मास में पलाश की पत्तल पर भोजन बड़े-बड़े पातकों का नाशक है, ब्रह्मभाव को प्राप्त करनेवाला होता है । वटवृक्ष के पत्तों या पत्तल पर भोजन करना भी पुण्यदायी कहा गया है । पुरे चतुर्मास में पलाश की पत्तल पर भोजन करें तो धनवान, रूपवान और मान योग्य व्यक्ति बन जायेगा ।*
*🔸पंचगव्य का शरीर के सभी रोगों और पापों को मिटाने तथा प्रसन्नता देने में बड़ा प्रभाव है । चातुर्मास में केवल दूध पर रहनेवाले को साधन-भजन में बड़ा बल मिलता है अथवा केवल फल-सेवन बड़े-बड़े पापों को नष्ट करता है ।*
*🔸इस समय पित्त-प्रकोप होता है । गुलकंद या त्रिफला का सेवन, मुलतानी मिट्टी से स्नान, दूध पीना पित्त-शमन करता है । हवन आदि में यदि तिल-चावल की आहुति देते हैं तो आप निरोग हो जाते हैं ।*
*🔹चतुर्मास में त्यागने योग्य🔹*
*🔸चतुर्मास में गुड़ व भोग-सामग्री का त्याग कर देना चाहिए । जो दही का त्याग करता है उसको गोलोक की प्राप्ति होती है । नमक का त्याग कर सकें तो अच्छा है । परनिंदा त्यागने की बहुत प्रशंसा शास्त्रों में लिखी है । चतुर्मास में परनिंदा महापाप है, महाभय को देनेवाली है । इन ४ महीनों में शादी और सकाम यज्ञ, कर्म आदि करना मना है ।*
*🔹आध्यात्मिक कोष अवश्य भरें🔹*
*🔸 चतुर्मास में बादल, बरसात की रिमझिम, प्राकृतिक सौंदर्य का लहलहाना यह सब साधन-भजनवर्धक है, उत्साहवर्धक है । अत: तपस्या, साधन-भजन करने का यह मौका चूकना नहीं चाहिए । अपनी योग्यता के अनुसार व्यक्ति कोई-न-कोई छोटा-बड़ा नियम ले सकता है । इन दिनों ज्यादा भूख नहीं लगती । उपवास, ध्यान, जप, शांति, आनंद, मौन, भगवत्स्मृति,सात्विक खुराक, स्नान-दान ये विशेष हितकारी, पुण्यदायी, साफल्यदायी है । चतुर्मास में संकल्प कर लें कि ८ महीने तो संसार का धंधा-व्यवहार करते हैं, सर्दी में शरीर की तंदुरुस्ती और दिनों में धन का कोष भरा जाता है किंतु इन ४ महीनों में साधना का खजाना, आध्यात्मिक कोष भरेंगे ।’*
Har Har Mahadev #motivation #akshayjamdagni #shorts #ytshorts #youtubeshorts #Youtubeshortsviral
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देवशयनी एकादशी क्यों मनाई जाती है, जाने क्या है व्रत कथा | Devshayani Ekadashi kab hai
देवशयनी एकादशी क्यों मनाई जाती है, जाने क्या है व्रत कथा | Devshayani Ekadashi kab hai
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देवशयनी एकादशी व्रत कथा: जानें इस व्रत के लाभ और पौराणिक कथा | @dharmikjeevan
देवशयनी एकादशी व्रत कथा
इस वीडियो में हम देवशयनी एकादशी व्रत के लाभ और इस व्रत की कल्याणकारी कथा पर चर्चा करेंगे। देवशयनी एकादशी की यह व्रत कथा ब्रह्म वैवर्त पुराण से ली गई है।
अधिक जानकारी के लिए: यहां क्लिक करें!
देवशयनी एकादशी हिंदू कैलेंडर में सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से मोक्ष (जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति) प्राप्त हो सकता है।
इस वीडियो में हम देवशयनी एकादशी व्रत की पौराणिक कथा को भी बता रहे हैं। जो साधक देवशयनी एकादशी का व्रत एवं विधि-विधान से पूजन करने के उपरांत इस कथा को श्रवण करता है, ऐसा भक्त भगवान विष्णु का कृपा पात्र बनता है।
देवशयनी एकादशी व्रत आध्यात्मिक आत्मनिरीक्षण और शुद्धि का समय है। इस व्रत को करने से व्यक्ति अपने मन और शरीर को शुद्ध कर सकता है और आगे की आध्यात्मिक यात्रा के लिए खुद को तैयार कर सकता है।
यदि आप अपने आध्यात्मिक कल्याण को बेहतर बनाने का कोई रास्ता तलाश रहे हैं, तो देवशयनी एकादशी व्रत आपके लिए एक बढ़िया विकल्प है। यह वीडियो आपको इस महत्वपूर्ण व्रत के बारे में सारी जानकारी प्रदान करेगा।
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पुत्रदा एकादशी 2021: पुत्रदा एकादशी व्रत के नियम और शुभ मुहूर्त, जानें संतान प्राप्ति की कामना के लिए क्या करें
पुत्रदा एकादशी 2021: पुत्रदा एकादशी व्रत के नियम और शुभ मुहूर्त, जानें संतान प्राप्ति की कामना के लिए क्या करें
: पौष पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें।
: व्रत से एक दिन पहले सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।
: पुत्रदा एकादशी इस बार 24 जनवरी को मनाई जाएगी।
हर महीने में पड़ने वाली दो एकादशी के हिसाब से साल में 24 एकादशी का व्रत किया जाता है। व्रतों में सबसे महत्वपूर्ण व्रत एकादशी का व्रत माना जाता है, उसी में एकादशियों में से पौष मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी पौष पुत्रदा एकादशी कहलाती है। जो इस बार…
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