एक शांत रात: बच्चे की नींद की रणनीतियाँ
शांत सांस की हलकी आवाज़, बच्चे की नींद में आराम से सुते चेहरा… बच्चे की नींद। एक बड़ी खुशी और मातृत्व के भी सबसे बड़े चुनौतियों में से एक। अगर आप पहली बार मां बनी हैं या पहले से गुजर चुकी हैं, तो आपको पता है कि बच्चे की नींद एक जटिल परिदृश्य हो सकता है। अपने छोटे को कैसे मदद कर सकते हैं कि वह अच्छी तरह से सोता है और सभी को शांतिपूर्ण रातें मिल सकें? इस पूरी गाइड में, हम स्वास्थ्यपूर्ण नींद की…
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सूफी फकीर हसन जब मरा। उससे किसी ने पूछा कि तेरे गुरु कितने थे? उसने कहाः गिनाना बहुत मुश्किल होगा। क्योंकि इतने-इतने गुरु थे कि मैं तुम्हें कहां गिनाऊंगा! गांव-गांव मेेरे गुरु फैले हैं। जिससे मैंने सीखा, वही मेरा गुरु है। जहां मेरा सिर झुका, वहीं मेरा गुरु।’
फिर भी जिद्द की लोगों ने कि कुछ तो कहो, तो उसने कहा, ‘तुम मानते नहीं, इसलिए सुनो। पहला गुरु था मेरा--एक चोर।’ वे तो लोग बहुत चैंके, उन्होंने कहाः चोर? कहते क्या हो! होश में हो। मरते वक्त कहीं एैसा तो नहीं कि दिमाग गड़बड़ा गया है! चोर और गुरु?’
उसने कहाः हां, चोर और गुरु। मैं एक गांव में आधी रात पहंुचा। रास्ता भटक गया था। सब लोग सो गए थे, एक चोर ही जग रहा था। वह अपनी तैयारी कर रहा था जाने की। वह घर से निकल ही रहा था। मैंने उससे कहाः ‘भाई, अब मैं कहां जाऊं? रात आधी हो गई। दरवाजे सब बंद हैं। धर्मशालाएं भी बंद हो गईं। किसको जगाऊ नींद से? तू मुझे रात ठहरने देगा?’
उसने कहाः ‘स्वागत आपका।’ ‘लेकिन’, उसने कहाः ‘एक बात मैं जाहिर कर दंूः मैं चोर हूं। मैं आदमी अच्छे घर का नहीं हूं। तुम अजनबी मालूम पड़ते हो। इस गांव मंे कोई आदमी मेरे घर में नहीं आना चाहेगा। मैं दूसरों के घर में जाता हूं, तो लोग नहीं घुसने देते। मेेरे घर तो कौन आएगा? मुझे भी रात अंधेरे में जब लोग सो जात हैं, तब उनके घरों में जाना पड़ता हैं। और मेरे घर के पास से लोग बच कर निकलते हैं। मैं जाहिर चोर हूं। इस गांव का जो नवाब है, वह भी मुझसे डरता और कंपता है। पुलिसवाले थक आते हैं। तुम अपने हाथ आ रहे हो! मैं तुम्हंे वचन नहीं देता। रात-बेरात लूट लूं! तो तुम जानो। ’
हसन ने कहा कि मैंने इतना सच्चा और ईमानदार आदमी कभी देखा ही नहीं था, जो खुद कहे कि मैं चोर हूं! और सावधान कर दे। यह तो साधु का लक्षण है। तो रुक गया। हसन ने कहा कि मैं रुकूंगा। तू मुझे लूट ही लेे, तो मुझे खुशी होगी।
सुबह-सुबह चोर वापस लौटा। हसन ने दरवाजा खोला। पूछाः ‘कुछ मिला?’ उसने कहाः ‘आज तो नहीं मिला, लेकिन फिर रात कोशिश करूंगा।’ ऐसा, हसन ने कहा, एक महीने तक मैं उसके घर रुका, और एक महीने तक उसे कभी कुछ न मिला।
वह रोज शाम जाता, उसी उत्साह उसी उमंग से--औैर रोज सुबह जब मैं पूछता--कुछ मिला भाई? तो वह कहता, अभी तो नहीं मिला। लेकिन क्या है, मिलेगा। आज नहीं तो कल नहीं तो परसों। कोशिश जारी रहनी चाहिए।
तो हसन ने कहा कि जब मैं परमात्मा की तलाश में गांव-गांव, जंगल-जंगल भटकता था और रोज हार जाता था, और रोज-रोज सोचता था कि है भी ईश्वर या नहीं, तब मुझे उस चोर की याद आती थी,कि वह चोर साधारण संपत्ति चुराने चला था; मैं परमात्मा को चुराने चला हूं। मैं परम संपत्ति का अधिकारी बनने चला हूं। उस चोर के मन में कभी निराशा न आई; मेरे भी निराशा का कोई कारण नहीं है। ऐसे मैं लगा ही रहा। इस चोर न�� मुझे बचाया; नहीं तो मैं कई दफा भाग गया होता, छोड़ कर यह सब खोज। तो जिस दिन मुझे परमात्मा मिला, मैंने पहला धन्यवाद अपने उस चोर-गुरु को दिया।
तब तो लोग उत्सुक हो गए। उन्होंने कहा, ‘कुछ और कहो; इसके पहले कि तुम विदा हो जाओ। यह तो बड़ी आश्चर्य की बात तुमने कही; बड़ी सार्थक भी।
उसने कहाः और एक दूसरे गांव में ऐसा हुआ; मैं गांव में प्रवेश किया। एक छोटा सा बच्चा, हाथ में दीया लिए जा रहा था किसी मजार पर चढ़ाने को। मैंने उससे पूछा कि ‘बेटे, दीया तूने ही जलाया? उसने कहा, ‘हां, मैंने ही जलाया।’ तो मैंने उससे कहा कि ‘मुझे यह बता, यह रोशनी कहां से आती है? तूने ही जलाया। तूने यह रोशनी आते देखी? यह कहां से आती हैं?’
मैं सिर्फ मजाक कर रहा था--हसन ने कहा। छोटा बच्चा, प्यारा बच्चा था; मैं उसे थोड़ी पहेली में डालना चाहता था। लेकिन उसने बड़ी झंझट कर दी। उसने फूंक मार कर दीया बुझा दिया, और कहा कि सुनो, तुमने देखा; ज्योति चली गई; कहां चली गई?
मुझे झुक कर उसके पैर छूने पड़े। मैं सोचता था, वह बच्चा है, वह मेरा अहंकार था। मैं सोचता था, मैं उसे उलझा दंूगा, वह मेरा अहंकार था। उसने मुझे उलझा दिया। उसने मेरे सामने एक प्रश्न-चिह्न खड़ा कर दिया।
ऐसे हसन ने अपने गुरुओं की कहानियां कहीं।
तीसरा गुरु हसन ने कहा, एक कुत्ता था। मैं बैठा था एक नदी के किनारे--हसन ने कहा--और एक कुत्ता आया, प्यास से तड़फड़ाता। धूप घनी है, मरुस्थल है। नदी के किनारे तो आया, लेकिन जैसे उसने झांक कर देखा, उसे दूसरा कुत्ता दिखाई पड़ा पानी में, तो वह डर गया। तो वह पीछे हट गया। प्यास खींचे पानी की तरफ; भय खींचे पानी के विपरीत। जब भी जाए, नदी के पास, तो अपनी झलक दिखाई पड़े; घबड़ा जाए। पीछे लौट आए। मगर रुक भी न सके पीछे, क्योंकि प्यास तड़फा रही है। पसीना-पसीना हो रहा है। उसका कंठ दिखाई पड़ रहा है कि सूखा जा रहा है। और मैं बैठा देखता रहा। देखता रहा।
फिर उसने हिम्मत की और एक छलांग लगा दी--आंख बंद करके कूद ही गया पानी में। फिर दिल खोल कर पानी पीया, और दिल खोल कर नहाया। कूदते ही वह जो पानी में तस्वीर बनती थी, मिट गई।
*हसन ने कहा, ऐसी ही हालत मेरी रही। परमात्मा में झांक-झांक कर देखता था, डर-डर जाता था। अपना ही अहंकार वहां दिखाई पड़ता था, वही मुझे डरा देता था। लौट-लौट आता। लेकिन प्यास भी गहरी थी। उस कुत्ते की याद करता; उस कुत्ते की याद करता; सोचता। एक दिन छलांग मार दी; कूद ही गया; सब मिट गया। मैं भी मिट गया; अहंकार की छाया बनती थी, वह भी मिट गई; खूब दिल भर के पीया। कहै कबीर मैं पूरा पाया...।*
~PPG~
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पीसीओएस बीमारी के कारण क्या नींद भी होती है डिस्टर्ब? एक्सपर्ट ने बताया
पीसीओएस बीमारी के कारण क्या नींद भी होती है डिस्टर्बImage Credit source: : Dmitrii Marchenko/Moment/Getty Images
आज के समय में अनहेल्दी लाइफस्टाइल के चलते महिलाओं में सबसे आम समस्या पीरियड्स को लेकर है जिसमें महिलाओं के पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं और इससे आगे चलकर उन्हें बच्चा कंसीव करने में काफी मुश्किलें आती हैं, इसलिए इसे लाइफस्टाइल डिजीज भी कहा जाता है. इसे हम पीसीओएड यानी कि पॉलीसिस्टिक…
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क्या आपका बच्चा मोबाइल का शिकार है? लक्षणों पर ध्यान दें
मोबाइल की लत बच्चों की सेहत और विकास को प्रभावित कर सकती है। यहां कुछ प्रमुख लक्षण हैं जो संकेत देते हैं कि आपका बच्चा मोबाइल का शिकार हो सकता है:
1. अत्यधिक समय का उपयोग: यदि बच्चा दिन भर मोबाइल पर रहता है और अन्य गतिविधियाँ नजरअंदाज करता है। ⏳
2. व्यवहार में परिवर्तन: मोबाइल न मिलने पर चिढ़चिढ़ा या गुस्से में रहना।
3. नींद की समस्याएँ: देर रात तक मोबाइल का उपयोग और सुबह उठने में कठिनाई।
4.…
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और निढाल होकर बेड पर लेट गया.
आंटी भी थक गयी थीं, उन्होंने मेरे सीने पर सर रख दिया और हम दोनों को नींद आ गई.
हम दोनों नंगे ही सो गए.
करीब 4 घंटे बाद हम जागे, फिर हम दोनों बाथरूम में जाकर नहाए.
मैंने उन्हें शावर के नीचे फिर से एक बार चोदा.
इस बार मैंने आंटी की मोटी गांड भी चोद डाली.
उसके बाद करीब दो महीने तक मैंने आशा आंटी को हफ्ते में 4 बार चोदा.
कई बार तो बिना कंडोम के ही चोदा, जिससे दो महीने बाद आशा आंटी गर्भवती हो गईं.
किस्मत से उसी के दस दिन पहले उनके पति ने आंटी को चोदा था.
उन्होंने अपने पति को यह बात बताई, तो वे खुश हुए कि इस उम्र में भी वह अपनी बीवी को प्रेग्नेंट कर सकते हैं.
उन दोनों ने पहले तो बच्चा गिराने की सोची.
पर फिर अंकिता से बात करके उन्होंने उस बच्चे को जन्म दे दिया.
आशा आंटी ने मेरे और उनके प्यार की निशानी को 9 महीने बाद जन्म दिया.
वह बेबी एक खूबसूरत बेटी थी.
उसके बाद मेरा और अंकिता का ब्रेकअप हो गया.
पर आशा आंटी और मेरा प्यार अब भी जिन्दा है.
अब मैं 24 साल का हूँ और आशा आंटी मुझसे दुगनी बड़ी उम्र की हैं. पर अभी भी हम दोनों कई बार चुदाई करते हैं.
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बड़ी विडंबना है यहाँ, यहाँ से तात्पर्य भारत से, भारतीयों से l ओलिंपिक में भारत की तरफ से 117 खिलाड़ियों ने भाग लिया है l किन्तु, अभी तक एक भी स्वर्ण पदक भारत के खाते में नहीं आया है l ओलंपिक खेल पेरिस 2024 में कुछ लोगों से उम्मीद बरकरार थी, जैसे की नीरज चोपड़ा से, किन्तु यहाँ भी निराशा ही हाथ लगी, रजत पदक से ही संतुष्ट होना पड़ा, एक बड़ी उम्मीद महिला कुश्ती ओलंपिक में विनेश फौगाट
पेशेवर पहलवान से थी, किन्तु यहाँ भी दुर्भाग्य ने साथ नहीं छोड़ा,
आजकल मीडिया में पाकिस्तान के पाकिस्तानी अरशद नदीम की खूब चर्चा हो रही है, मैं भी जब पढ़ी तो ख़ुश ही हुई कि बिना किसी सुविधा के अपने बल पर यहाँ तक आना और स्वर्ण पदक हासिल करना कोई मामूली बात नहीं है, हम लोग तो सिर्फ बात ही करते रह गएँ, बाजी तो पड़ोसी देश पाकिस्तान ने मार लिया l
देखिए, खेलिए, खेल भावना के साथ किन्तु, स्वर्ण पदक के इतने करीब होकर यूँ किस्मत की बेरुखी मुझे भा नहीं रही है l न्यूज़ में, वीडियो में देख रही थी कि चीन में, जापान में और कई देशों में दो साल के बच्चों को अपने हाथ से, चम्मच के साथ खाना आता है l भारत में परवरिश की यह परम्परा नहीं है, इस आयु में तो बिलकुल नहीं, इस आयु में तो बच्चा केवल चलता, गिरता लुढ़कता है, माँ, बाप की गोदी में सुकून की नींद सोता है,वहीँ चीन में तीन, चार साल का लड़का-लड़की स्कूल से आकर स्वयं भोजन निकालता और खाता है l यहाँ बचपन से ही बच्चों को ट्रेनिंग दी जाती है, इन्हें बचपन से ही एक समय सारणी, समय की महत्ता, अनुशासन(आत्म-नियंत्रण) में रहना सिखाया जाता है l परिणामस्वरुप आप देख सकते हैं कि चीन भी एशिया में आता , भारत भी आता है, जनसंख्या में हम चीन को भी पीछे छोड़ रहे लेकिन पदक में ��ीन विश्व में दूसरे स्थान पर है l इतना भेद, बहुत बड़ा भेद है l
यह सब पेरेंटिंग की देन है l पेरेंटिंग का अर्थ है माता-पिता द्वारा बच्चे का पालन-पोषण करना। भारत में दो साल का बच्चा भले न बोल पाए किन्तु टीवी, मोबाइल कैसे चलाना है, रिमोट क्या होता, यह अवश्य जानता है l विदेशों में बच्चों को कार्टून के माध्यम से, कहानी की किताबों से, चित्रों के माध्यम से बेहतरीन तरीकों से सिखाया, पढ़ाया जाता है, यहाँ खेल के माध्यम का सदुपयोग भरपूर होता है l
भारत के लोग बस सभ्यता, संस्कृति के बड़बड़ में ही संतुष्ट हैं, इन्हें यूँही सहिष्णु नहीं कहा जाता है l इन्हें आमोद, प्रमोद के माध्यम भाते हैं, किन्तु इसमें भी सही माध्यम से आएं तो, सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग ले तो बहुत आगे तक जाया जा सकता है, किन्तु देसी भाषा में कहूँ तो सबको नचनिया बनना है, मैं यह स्वीकार करती हूँ कि कब किसकी किस्मत, किस क्षेत्र में बदल जाए, कहा नहीं जा सकता, लेकिन यह भी लिख लीजियेगा कि यदि हमारे बच्चे इसी तरह नाचते गाते रहे तो पदक में निल बटे सन्नाटा", जिसका अर्थ है 'कुछ भी न जानना' जारी रहेगा, इसलिए शुरू से बच्चों में देश भावना लाइए, विकसित कीजिए l सब माइकल जैकसन नहीं बन सकते, लता मंगेशकर नहीं बन सकते l खेल की तरफ मोड़ दीजिए बच्चों को l उनकी इच्छा का सम्मान कीजिए, किन्तु क़ाबिलियत भी होनी चाहिए l
©डॉ.मधुबाला मौर्या
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वसंत पंचमी मनाना: नवों के नवरंग और नवचेतन"(ड्रीमज़ोन देहरादून)
“सूरज की किरण में प्रतियोगी बच्चा, उड़ते पतंग तितली के पार।
जगमगाती सरस्वती माँ की कृपा से, हर एक धरा, हर एक बाल।”
प्रकृति शीत निद्रा से जाग उठी,
सुनहरे खेत और वादे निभाते हैं।
दिल की रोशनी के साथ, हम वसंत का स्वागत करते हैं,
नई शुरुआत, उम्मीदों को पंख लगते हैं।
वसंत पंचमी, उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाने वाला एक मनमोहक त्योहार, पूरे भारत में लाखों लोगों के दिलों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। वसंत के आगमन का प्रतीक यह जीवंत अवसर सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और शैक्षिक महत्व से जुड़ा है। जैसे-जैसे सर्दियों की ठंड कम होती जाती है, वसंत पंचमी प्रकृति की सुंदरता के खिलने और बुद्धि और ज्ञान की खोज की शुरुआत करती है।
इसके मूल में, वसंत पंचमी विद्या, कला और ज्ञान की प्रतिष्ठित देवी सरस्वती को श्रद्धांजलि है। इस शुभ दिन पर, भक्त अपने शैक्षणिक और रचनात्मक प्रयासों में ज्ञान और मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए, सरस्वती का आशीर्वाद लेते हैं। स्कूल, कॉलेज और सांस्कृतिक संस्थान उनकी मूर्तियों को चमकीले पीले परिधान से सजाते हैं, जो वसंत की जीवंतता और जीवंतता का प्रतीक है। हवा भजनों और मंत्रों से गूंजती है, क्योंकि छात्र और विद्वान अपनी पढ़ाई और कलात्मक गतिविधियों में सफलता के लिए प्रार्थना करते हैं।
वसंत पंचमी का पर्याय पीला रंग गहरा महत्व रखता है। यह वसंत के जीवंत रंगों का प्रतिनिधित्व करता है, जो विकास, समृद्धि और नई शुरुआत का प्रतीक है। सड़कों और घरों को पीले रंग की सजावट से सजाया जाता है, और लोग इस अवसर का सम्मान करने के लिए पीले कपड़े पहनते हैं। मंदिरों और घरों को सजाते हुए पीले फूलों को देखना खुशी और नवीनीकरण की भावना पैदा करता है, जो प्रकृति की सुंदरता के कायाकल्प को दर्शाता है।
जिस प्रकार वसंत पंचमी हमें यह याद दिलाने का तरीका है कि सबसे अंधेरी और सबसे ठंडी सर्दियो के बाद भी हमेशा एक नई शुरुआत सामने आने का इंतजार करती है उसी प्रकार ड्रीमजोन देहरादून एक ऐसी संस्था है जो युवाओं के आने वाले सुंदर भविष्य को उजागर करती है साथ ही उनके जीवन शैली को एक नई दिशा का मार्ग दर्शन कराती है
“आओ मिलकर गाएं गाना, बसंत पंचमी का मेला।
ये खुशियों का त्योहार है, मन को नई दुनिया का खुला लाया।”
वसंत पंचमी उत्सव के दौरान पतंग उड़ाना एक पोषित परंपरा के रूप में उभरती है। नीले आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें उत्सव के माहौल को और भी बढ़ा रही हैं। परिवार छतों पर एकत्र होते हैं, मैत्रीपूर्ण प्रतियोगिताओं और आनंदपूर्ण सौहार्द के बीच संबंध बनाते हैं। उड़ती पतंगें स्वतंत्रता, आशावाद और वसंत की शुरुआत के साथ आने वाली असीमित क्षमता का प्रतीक हैं।
वसंत पंचमी समारोह में पारंपरिक मिठाइयों और व्यंजनों के साथ खाने की मेजों पर पाक संबंधी व्यंजन एक अभिन्न भूमिका निभाते हैं। स्वादिष्ट लड्डुओं से लेकर स्वादिष्ट केसर युक्त व्यंजनों तक, प्रत्येक पाक रचना मौसम के सार से ओत-प्रोत है। परिवार और दोस्त इन व्यंजनों का स्वाद लेने, संबंधों को मजबूत करने और समुदाय की भावना को बढ़ावा देने के लिए एक साथ आते हैं।
“गुलाबों की किरणें, सूरज की किरणें, हर ओर बसंत का आनंद छाया।
इस प्रकृति की प्रकृति में, भव्यता का संगम आया।”
अपने सांस्कृतिक उल्लास से परे, वसंत पंचमी सीमाओं से परे है, नवीनीकरण, ज्ञानोदय और आशा के सार्वभौमिक विषयों को समेटे हुए है। यह जीवन की चक्रीय प्रकृति की मार्मिक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है, जहां अंत नई शुरुआत का मार्ग प्रशस्त करता है, और अंधकार ज्ञान के प्रकाश को जन्म देता है।
वसंत पंचमी वसंत के आगमन और अद्वितीय उत्साह के साथ ज्ञान की खोज का सार प्रस्तुत करती है। यह प्रकृति के परिवर्तन की सुंदरता और प्रत्येक व्यक्ति में निहित असीमित क्षमता का जश्न मनाता है। जैसे ही पूरे भारत में भक्त सरस्वती का सम्मान करने और मौसम की खुशियों को अपनाने के लिए एक साथ आते हैं, वसंत पंचमी जीवन, शिक्षा और नवीकरण के शाश्वत चक्र के एक कालातीत उत्सव के रूप में उभरती है।
“बसंत पंचमी अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है,
जैसे-जैसे दिन बड़े होते जाते हैं और दुनिया सूर्य की गर्म चमक से नहा उठती है।”
“यह रचनात्मकता और प्रेरणा की भावना को अपनाने का समय है,
क्योंकि हम ज्ञान, कला और बुद्धिमत्ता की देवी सरस्वती को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।”
बसंत पंचमी वसंत ऋतु के आनंद का सार प्रस्तुत करती है, जो नवीनीकरण, खुशी और उत्सव के मौसम की शुरुआत करती है। यह वह समय है जब प्रकृति अपनी नींद से जागती है, दुनिया को जीवंत रंगों से रंगती है और हवा को फूलों की मीठी खुशबू से भर देती है। जैसा कि हम देवी सरस्वती का सम्मान करने और सीखने और रचनात्मकता की भावना को अपनाने के लिए एक साथ आते हैं, बसंत पंचमी हमें नई शुरुआत की सुंदरता और आने वाले उज्जवल दिनों के वादे की याद दिलाती है। आइए हम परंपराओं को संजोएं, उत्सवों का आनंद लें और खुले दिल और हर्षित आत्माओं के साथ वसंत के आगमन का स्वागत करें। बसंत पंचमी का आशीर्वाद हमें आने वाले दिनों में विकास, ज्ञान और पूर्णता की यात्रा पर जाने के लिए प्रेरित करे।
“बसंत पंचमी जीवन के सरल सुखों को अपनाने,
हमारे चारों ओर मौजूद सुंदरता की सराहना करने और
प्रत्येक नए दिन का कृतज्ञतापूर्वक स्वागत करने के लिए
एक सौम्य अनुस्मारक के रूप में कार्य करती है।”
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Learn How Music Will Improve Your Health (Hindi)
तनाव की समस्या
दोस्तों आपने एक बात तो जरूर नोटिस करी होगी की जब भी आप स्ट्रेस में रहते है तो एक प्यारा सा गाना सुनने के बाद आपका स्ट्रेस काफी हद तक ख़त्म हो जाता है वह इसलिए होता है क्योकि जब आप गाना सुनते हो तब आपका दिमाग और कुछ नहीं सोचता है, और वह आपकी सभी दिक्कतों को थोड़ी देर के लिए भुला देता है जिससे आपका स्ट्रेस लेवल काफी काम हो जाता है और आप शांत हो जाते हो।
दोस्तों जिन लोगो को काफी ज्यादा स्ट्रेस रहता है उनको अच्छे - अच्छे डॉक्टर यही सला�� देते है की आप कोई मैडिटेशन म्यूजिक सुना करे जिससे आपका दिमाग थोड़ा शांत होगा और आपका स्ट्रेस अपने आप कम हो जाएगा। तो दोस्तों म्यूजिक से आपका स्ट्रेस ख़त्म होता है यह मेरी बतायी हुई पहली बिमारी थी चलिए अब अगली बिमारी के बारे में जानते है।
स्मृति हानि की समस्या
दोस्तों अगली बिमारी जो म्यूजिक ठीक करता है वह है भूलने की बिमारी। गाइस आज की जनरेशन में भूलने की बिमार आप हो गयी है क्योकि आज कल के लोग अपना ज्यादातर समय मोबाइल, टेलीविज़न, लैपटॉप आदि पर बिताते है और कोई भी फिजिकल एक्टिविटी न करने की वजह से उनका दिमाग ज्यादा काम नहीं करता और दिमाग के ज्यादा काम न करने की वजह से वह अपनी मेमोरी को ज्यादा समय तक याद नहीं रख पाते और उनको मेमोरी लोस की दिक्कत आने लगती है।
दोस्तों अगर आप रोज़ मैडिटेशन म्यूजिक या कोई सॉफ्ट म्यूजिक सुनते हो तो आपका दिमाग इससे तेज़ होता है और आपकी मेमोरी लोस की दिक्कत काफी कम हो जाती है। तो दोस्तों अगर आपको भी मेमोरी लोस की दिक्कत है तो आज से ही आप मैडिटेशन म्यूजिक या कोई और सॉफ्ट म्यूजिक सुने और हमे कमेंट करके बताये की आपको इससे कितनी मदत मिली है और आपकी याद्दाश में कितना इम्प्रूवमेंट हुआ है। तो दोस्तों यह थी दूसरी बिमारी जो म्यूजिक ठीक करती है, उम्मीद है आपको आर्टिकल पसंद आ रहा होगा।
नींद न आने की समस्या
गाइस अगली बिमारी जी म्यूजिक ठीक करती है वह है न सो पाने की बिमारी। आपने यह तो देखा ही होगा की अगर कोई बच्चा सोता नहीं है तो उसकी मम्मी उसे लोरी सुनाती है और लोरी ख़त्म होने तक बच्चा आराम से सो जाता है, ठीक उसी तरह अगर किसी इंसान को नींद सही से नहीं आती है या ��से नींद न आने की बिमारी हो जाती है तो उसे कोई ��च्छा सा सॉफ्ट म्यूजिक सुनाते है तो उसे नींद आ जाती है। यह इसलिए होता है क्योकि जब कोई इंसान मन लगाके एक सॉफ्ट गाना सुनता है तो उसका पूरा शरीर शांत हो जाता है जिसकी वजह उसे नींद आने लगती है और वह आराम से सो जाता है।
दोस्तों अगर आपको भी कभी नींद नहीं आती है तो आप यह करके जरूर देखना, में आपको गारंटी देता हूँ की आपको नींद आजायेगी, और आप आराम से सो जाओंगे। तो यह थी तीसरी बिमारी जो म्यूजिक ठीक करता है।
डिप्रेशन की समस्या
दोस्तों आज कल लोगो की ज़िन्दगी इतनी कॉम्प्लिकेटेड हो चुकी है की वह न चैन से खाना खा पा रहा है और न ही वह चैन से सो पा रहा है, किसी को घर वालो की चिंता, किसी को करियर की चिंता और किसी को गर्ल फ्रेंड की चिंता, हर इंसान को कोई न कोई चिंता लगी ही है जिसकी वजह से वह डिप्रेशन में चला जाता है जो की काफी बुरी बात है।
दोस्तों डिप्रेशन से इंसान एक दम टूट जाता है और वह न तो सही से काम कर पाता है और न ही सभी से मस्ती कर पाता है। लेकिन दोस्तों म्यूजिक से यह सब ठीक हो रहा है, जो लोग रोज़ अच्छा म्यूजिक सुनते है उनकी ज़िन्दगी में डिप्रेशन थोड़ा कम हो रहा है जो की काफी अच्छी बात है। म्यूजिक एक दवाई का काम कर रही है डिप्रेशन के लिए, तो दोस्तों अगर आपको भी किसी बात से डिप्रेशन हो रहा है तो आप अच्छा म्यूजिक सुन्ना शुरू करें आपका डिप्रेशन धीरे - धीरे का होने लगेगा। तो यह थी चौथी बिमारी जो म्यूजिक ठीक कर रही है।
श्वसन संबंधी समस्या
अगली बिमारी जो म्यूजिक ठीक कर रही है वह है सांस लेने की बिमारी। दोस्तों जिन भी लोगो को सांस लेने में दिक्कत जाती है उन्हें गाना सुन्ना तो चाहिए ही साथ में गाना गाना भी चाहिए क्योकि गाना गाने से उनकी सांस की बिमारी ठीक हो जाती है, यह इसलिए होता है क्योकि इससे उनके लंग्स अच्छे होता है और उनकी सांस की दिक्कत ठीक हो जाती है।
दोस्तों ख़ास तोर पर जिन लोगो को अस्थमा की दिक्कत है उन्हें गाना जरूर गाना चाहिए क्योकि गाने गाने से वह काफी अच्छे से सांस अंदर बाहर लेते है जिसकी वजह से उनकी अस्थमा की दिक्कत ठीक होने लगती है।
आर्टिकल की पूरी जानकारी जल्द से जल्द
चलिए दोस्तों अब इस आर्टिकल की जानकारी शार्ट में ले लेते है, तो सबसे पहले हमे बताया गया की म्यूजिक से हमारा स्ट्रेस ख़त्म होता है, फिर हमे बताया गया की जिन भी लोगो को मेमोरी लोस की दिक्कत है उन्हें भी सॉफ्ट म्यूजिक सुन्ना चाहिए फिर हमे पता चला की जिन भी लोगो की नींद न आने की दिक्कत है उन्हें मैडिटेशन म्यूजिक सुन्ना चाहिए जिससे उनकी नींद न आने की दिक्कत ठीक हो जायेगी, फिर हमे बताया गया की जो भी लोग डिप्रेशन में चले जाते है उन्हें भी म्यूजिक सुन्ना चाहिए और फिर आखिर में हमे पता चला की जिनको भी सांस की दिक्कत है उन्हें गाना गाना चाहिए।
तो दोस्तों उम्मीद है आपको यह पूरा आर्टिकल काफी पसंद आया होगा और हाँ गाइस यह में बता देता हूँ की यह पूरी जानकारी मैंने अपने पर्सनल एक्सपीरियंस से ली है। तो आजके लिए बस इतना ही मिलते है अगले आर्टिकल में किसी ओर नए टॉपिक के साथ, इस आर्टिकल को पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।
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15:12 31st August 2023
आज पापा ने सुबह साढ़े पांच बजे ही डाट डाट कर जगा दिया था क्योंकि आज राखी का त्योहार है और रक्षाबंधन मनाने का शुभ समय केवल साढ़े सात बजे तक का ही था।
उठने का मन बिलकुल नहीं था लेकिन पापा rude होकर जगा रहे थे तो डर के मारे उठना ही पड़ा।
सुबह उठकर ही मैंने नहा लिया और ब्रश भी कर लिया ताकि जल्दी से राखी बांधकर सो सकूं। सबसे पहले मैंने अपने पापा को राखी बांधा और फिर अपने भाई को। उसके बाद एक एक गुलाब जामुन खिलाया। पापा ने मुझे एक हज़ार रुपए दिए और मेरे भाई ने पांच सौ रुपए।
थोड़ी देर बाद मामा लोग भी राखी बंधवाने आ गए थे। बच्चा भैया भी आए थे जिन्होंने मुझे पांच सौ रुपए दिए। उसके बाद मैं सो गई और सीधे दोपहर में उठी जब खाना बनकर तैयार हो गया था।
खाना आज मम्मी ने काफी टेस्टी बनाया था। खाना खाकर मैं फिर से सो गई। अगर सुबह बिना नींद पूरी किए ही उठ जाओ तो दिन भर अजीब लगता है।
मेरे भाई ने बताया कि PCS J के रिजल्ट्स आ गए हैं और एक दो लोग उसके जान पहचान के सेलेक्ट हुए हैं। मैंने भी रिजल्ट्स खोजने की कोशिश की यह देखने के लिए कि शायद मेरे फ्रेंड्स का भी हुआ हो। लेकिन उनका नाम पूरी लिस्ट में नहीं था।
हालांकि मेरी अब उन दोस्तों से बात नहीं होती और टर्म्स खराब हो चुके हैं लेकिन फिर भी मेरे मन में था कि शायद उनका नाम दिख जाए पीसीएस J की फाइनल लिस्ट में में। मैं चाहती थी कि उनका भी selection हो जाए।
अभी साढ़े तीन बजे के करीब मैंने इंस्टाग्राम अकाउंट डीएक्टिवेट कर दिया है। जबकि मेरे बत्तीस हज़ार फॉलोअर्स हैं। पर मैं कुछ दिन सोशल मीडिया से ब्रेक लेकर किताबें पढ़ना चाहती हूं।
जब भी मैं अपना सोशल मीडिया डिएक्टिवेट करती हूं तो मुझे पता नहीं क्यों दो एक लोगों का खयाल आता है कि कहीं वह ऐसा न सोचे कि मैंने उसके घोस्ट कर दिया है। उन्हें पता होना चाहिए कि मैं ब्रेक ले रही हूं। पता नहीं ऐसा सब सोचते हैं कि केवल मैं ही।
मेरा फ़ोन चार्ज नहीं है।मैं इसे थोड़ी देर के लिए चार्ज में लगाकर..रात का बचा हुआ पिज़्ज़ा स्लाइस जो फ्रिज में रखा हुआ है उसे गरम करके खाना चाहती हूं।
मैंने लगभग दो हफ्ते से बाहर खाना बंद कर दिया है...केवल सन्डे को ही खाती हूं। लेकिन आज मैने सुबह सुबह पकौड़ी, आलू दम और जलेबी खा ली..बाहर से मंगा कर। बड़ी टेस्टी थी।
दरअसल सुबह हमारी maid नहीं आई थी और एक भी बर्तन साफ नहीं था घर में इसीलिए ब्रेकफास्ट भी नहीं बना था और मैं सुबह ही उठ गई थी तो मुझे बहुत भूख लगी थी तो मैंने सोचा है मैं चीट डे आज ही कर लूंगी और संडे को इसबार बाहर कुछ नहीं खाऊंगी..वैसे भी आज रक्षाबंधन है तो बढ़िया बढ़िया खाना तो बनता है। ✌🏻😻🪻
अभी तक मैंने कुछ पढ़ा नहीं है तो पिज़्ज़ा खाकर पढ़ने बैठूंगी सीधा।
Happy रक्षाबंधन 🌻🪻
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Panchtantra Ki Kahaniyan in Hindi,Moral Story,PDF- शेर और गाय की कहानी
बहुत बड़ी पहाड़ी के नीचे हनुमान गढ़ नाम का एक गांव बसा हुआ था। गांव के सभी जानवर हरी भरी घास खाने और अपना पेट भरने के लिए सुबह-सुबह उसी पहाड़ी के पास में बसे जंगल में जाते और शाम होते-होते घर की और वापस आ जाते थे।
रोजाना की तरह प्यारी नाम की एक गाय अन्य सभी गायों के साथ उसी पहाड़ी के जंगल में घास चरने के लिए जाती थी। वह हरी पर हरी घास और पत्तिया खाने में इतनी ज़्यादा व्यस्त थी और खाते खाते वह एक शेर की गुफा तक चली गयी
और उसे पता भी नहीं चला शेर अपनी गुफ़ा में बेफिकर सो रहा था और वह पिछले कुछ दिनों से भूखा भी था। जैसे ही प्यारी शेर की गुफ़ा के पास पहुँची, गाय की महक से शेर की नींद से जाग गया वह शेर धीमे कदमो के साथ गुफ़ा से बाहर आया और जैसे ही उसने गुफ़ा के बाहर गाय को देखा तो वह खुश हो गया।
शेर ने मन ही मन सोचा कि आज उसकी भूख ख़तम हो जाएगी। उसने सोचा आज गाय का ताज़ा ताजा मांस खाएगा और यह सोचकर उसने एक तेज़ दहाड़ लगायी। प्यारी शेर की दहाड़ सुनकर खबरा गयी उसके आस पास के जानवर भाग जाते है
और वहां दूर-दूर तक उसको कोई भी दूसरी गायें नहीं देखई देती है जब वह हिम्मत करके पीछे मुड़ी, तो उसके सामने शेर खड़ा हुआ था उस शेर ने प्यारी को देखकर फिर से दहाड़ लगायी है और शेर ने प्यारी से कहा, “मुझे कुछ दिनों से कोई शिकार नहीं मिल रहा था,
मैं बहुत भूखा हूँ शायद इसलिए भगवान ने मेरा पेट भरने के लिए तुम्हे मेरे पास भेजा है। आज मैं तुम्हे खाकर अपनी भूख को ख़तम करुगा शेर की बात सुनकर प्यारी बहुत डर जाती है। वह रोते हुए शेर से कहती है “मुझे जाने दो, मुझे मत खाओ। मेरा एक छोटा सा बच्चा है, जो अभी सिर्फ मेरा ही दूध पीता है और उसे घास खाना अभी तक सिखा नहीं है
प्यारी की बात सुनकर शेर हसता है और कहता है,“तो क्या मैं अपने हाथ में आए शिकार को ऐसे कसे जाने दूं? मैं तो आज तुझे खाकर ही अपनी भूख को ख़तम करुगा शेर के ऐसा कहने पर प्यारी शेर के सामने रोने लगती है और विनती करते हुए कहती है
कि शेर राजा “आज मुझे यहाँ से जाने दो। मैं आज अपने बछड़े को आखिरी बार दूध पिला दूंगी और घास खाना सिखा दूंगी और उसे बहुत सारा प्यारा करके, कल सुबह होते ही तुम्हारे पास आऊंगी फिर तुम मुझे खा लेना और अपनी भूख को मिटा लेना. शेर प्यारी की बात को सवीकार कर लेता है और धमकी देते हुए उससे कहता है कि,
“अगर कल तू नहीं आई, तो मैं तेरे गांव आऊंगा, फिर तुझे और तेरे बछड़े दोनों को खा जाऊंगा।” प्यारी शेर की यह बात सुनकर खुश हो जाती है और शेर को अपना वचन देकर गांव की तरफ वापस चली जाती है। भ��गते हुए सीधे अपने बछड़े के पास जाती है। उसे दूध पिलाती है और बहुत सारा प्यार भी करती है। फिर बछड़े को शेर के साथ हुई सारी घटना रो रो कर बताती है
और कहती है कि उसे अब अपना ख़्याल ख़ुद ही रखना पड़ेगा। वह कल सुबह होते ही लिए शेर का पेट भरने के लिय शेर के पास चली जाएगी। प्यारी मां की बातें सुनकर बछड़ा रोने लगता है। अगली सुबह होते ही प्यारी जंगल की ओर निकल जाती है और शेर की गुफ़ा के सामने पहुंचकर शेर पुकारती है और कहती है “अपने वचन के अनुसार मैं तुम्हारे पास आ गई हूँ। अब तुम मुझे खा कर अपना पेट भर लो” गाय की आवाज़ सुनकर शेर अपनी गुफ़ा से बाहर निकलकर आता है
और भगवान के रूप में प्रकट होते हैं। वह प्यारी से कहते हैं, “मैं तो बस तुम्हारी परीक्षा ले रहा था। तुम अपने वचन की बहुत पक्की हो। और तुम बहुत दयालु हो मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ तुम अब अपने घर जाओ
और बछड़े के पास जाकर उसको प्यार करो’ इसके बाद वे उस गाय को गौ माता होने का वरदान भी देते हैं और उसी दिन के बाद से दुनिया की सभी गायों को गौ माता कहना शुरू किया कहानी से सीख हमे हमेशा दयालु रहना चाहिए और कोई भी सच्चे दिल से करना चाहिए सच्चे दिल से किया गया काम कभी खली नहीं जाता है
कहानी से सिख:- कहानी से हमे यह सिख मिलती है की हमे हमेशा दयालु और सच्चे मनन वाला बन कर रहना चाहिए
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2. चार दोस्त की कहानी कौवा,हिरन,कछुवा,चूहा की मजेदार सिख कहानी
एक जंगल में तीन दोस्त रहते थे एक कछुए, कौआ और चूहा वे बहुत अच्छे थे
उन्होंने हमेशा एक-दूसरे की मदद की एक दिन जब वे साथ में झील के पास बैठे थे और बात कर रहे थे एक हिरण अचानक से वह चल कर आया
कछुए ने पूछा – मैंने तुम्हे यहाँ पहली बार देखा है
हिरन – हां मैं यह नया हूँ इस जंगल में पिछले जंगल जिसमें
मैं रहता था मेरा कोई दोस्त नहीं था, मैंने कोशिश की
अन्य जानवरों से दोस्ती करें लेकिन कोई नहीं चाहता था
मेरा दोस्त बनने के लिए इसलिए मैंने वो जंगल छोड़ दिया और
इस जंगल की और चला आया
कछुए ने पूछा- इसका मतलब तुम्हे दोस्तों की जरूरत है
हम तीन दोस्त है अब तुम भी हमारे दोस्त हो
अगले दिन वे चारों भोजन की तलाश के लिए अलग-अलग दिशाएँ
जंगल के अंदर गए और शाम को वे उसी जगह पर मिलते थे कुछ दिनों के लिए
सब कुछ उसी तरह जारी रहा
फिर एक दिन हिरण शाम को वापस नहीं आया
सूरज भी ढल गया था
हिरण अभी तक नहीं लौटा है हाँ वह
अब तक वापस आ जाना चाहिए था
हमें जाना चाहिए और उसकी तलाश करनी चाहिए हाँ चलो
और उसे खोजो कौवा बोला - नहीं तुम नहीं मैं हूँ
Panchtantra ki kahaniya in hindi short stories
इस प्रकार उड़ सकता हूँ मेरी नजरे बहुत तेज है और उसे जल्दी से खोज लूँगा
हिरण की खोज के लिए कौवा ने उड़ान भरी थोड़ी देर के लिए भटकते हुए
वह जमीन पर लगाकर देखा हिरण किसी के जाल में फंस गया है
हिरन ने कौवे से कहा - प्रिय मित्र
मुझे यहां से निकलने में मेरी मदद करो - तुम चिंता मत करो मुझे सोचने दो
समय बर्बाद किए बिना उसने उड़ान भरी
कछुए और चूहे के पास जो उसका इंतजार कर रहे थे वे सब भी वहा पहुच गये
चूहे ने अपने तेज दांतों के साथ जाल को अपने दन्त से कट कर दिया जैसे ही वे जाने वाले थे अचानक से शिकारी वह आ गया कछुआ भी वहाँ पहुँच गया तुम ठीक हो मेरे दोस्त हाँ, मैं ठीक हूँ तुम सब ने मुझे बचा लिया
हिरण को मुक्त देखा चूहे ने देखा शिकारी को देखकर शिकारी सभी के करीब आ गया उनमें से कौआ उड़ गया चूहे निकटतम छेद के लिए भाग गए
हिरन झाड़ियों के अंदर छिप गया कछुआ हालांकि न तो दौड़ सकता था और न ही
छिपाना शिकारी ने कछुए को पकड़ लिया उसे एक बोरी में ले गया और उसके बाद उसे ले गया कुछ समय हिरण चूहे और कौआ एक जगह पर इकट्ठा हुए वे बहुत दुखी थे कछुए को क्रम में कैद किया जा रहा है
मेरी जान बचाने के लिए कछुए को पकड़ लिया गया मेरे पास एक चाल है
जो कुल बचाया जा सकता है कि कैसे शिकारी अकेला है और हम तीन हैं
उन्हें समझाया और यह कैसे करना है चलो अब चलते हैं जब वे झील के किनारे पहुंचते हैं कौवे के अनुसार हिरण ने मृत होने का नाटक किया
कौवे की आंखें चूहे के इंतजार में तैयार थीं
सही समय के लिए झाड़ियों में शिकारी ने मौके पर पहुंचकर देखा
हिरण सड़क पर मृत पड़ा था उसने कहा वाह
जैसे ही हिरण को पकड़ने के लिए शिकारी आगे बड़ा और बोरी को निचे रख दिया तो चूहे ने बोरी को क़तर दिया और आगे शिकारी बोरी से दूर चला गया
और कछुआ भाग गया यह जानते हुए हिरण के करीब कि शिकारी आया था
कौआ उड़ गया हिरण उठकर भाग गया शिकारी यह समझने में विफल रहा
अब तक चूहा तुरंत झाड़ियों की ओर भाग गया
शिकारी निराश होकर वापस आया कछुआ बच गया था
शिकारी ने दूसरी ओर व्यथित महसूस किया
हिरण, चूहे और कौआ को कछुआ से खुशी सर्किट के साथ फिर से मिला
इस जूरी से हम एक सबक सीखते हैं जो
कहानी से सिख - एकता में ही ताकत होती है
Source link:- https://hindistoryok.com/panchtantra-ki-kahaniyan-in-hindi-moral-story-pdf/
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यदि किसी को मालूम पड़ जाए कि भोजन में जहर है, तो क्या वह उसे खाएगा? नहीं! तो क्या हम जानते नहीं कि देह की तीन ही गति हैं? या तो इसमें कीड़े पड़ेंगे, या पशु इसे खाकर विष्ठा बना देगा, या यह जल कर राख हो जाएगी। तब देह को दुख रूप जान कर भी मनुष्य क्यों देह की ओर ही दौड़ा जाता है? अरे भाई! देह और उसके सुखों में रुचि रखते हुए, कोई भगवान को पाना चाहे, तो प्राप्ति तो दूर रही, उनकी प्राप्ति का निश्चय तक नहीं हो सकता। जैसे पेट पर कपड़ा लपेट लेने से बच्चा नहीं पैदा हो जाता, स्वाँग भरने से भगवान नहीं मिलते। कुछ खो जाए, या हाथ से छूट जाए, या चोरी हो जाए, तब जो फूट फूट कर रोता है। उसे अपनी समझ पर रोना चाहिए। क्योंकि भगवान ही तो एकमात्र चोर है। उसके सिवा यहाँ आएगा कौन? वह चोरों का सरदार यदि नए नए बहानों से हमारा सब कुछ ले लेना चाहता है, तो रोना कैसा? जबकि जो विरक्त है, वह तो कहता है कि चुरा लो! चुरा लो! सब कुछ चुरा लो! मेरा मन भी चुरा लेना! इसे मत छोड़ देना! देखो, देहासक्त मनुष्य जिन दुखों की चक्की में पिसता है, वे ही दुख विरक्त के उद्धार का कारण बनते हैं। विरक्त तो दुखों को प्रारब्ध के माथे फोड़ता है। जितना ही अधिक दुख का पहाड़ टूटता है, वह और अधिक उत्साह से भजन में लगता है। वह तो अकारण ही भगवान की कृपा का अनुभव करता हुआ, हर समय प्रसन्न रहता है। और निरंतर मन को संभालते-समझाते हुए, व्यर्थ के चिंतन से दूर रहता है। उसके लिए तो व्यवहार काल में भी भजन करना ही मुख्य वृत्ति रहती है, जगत के कार्यों में गौण वृत्ति रहती है। विरक्त तो बिस्तर में पड़े पड़े भी भगवान का नाम ही जपता रहता है। उससे जो समय वह नींद में बिता डालता है, उसका भी सदुपयोग हो जाता है। लोग समझते हैं कि वह सो जाता है, पर वह उस समय परलोक बनाया करता है। देहासक्त विचार करे कि जिस मनुष्य के पास जितना संसार है, वह बैल की तरह उतना ही बोझा ढो रहा है। वह तो देह के छोटे छोटे सुखों की पूर्ति के लिए कुत्ते की तरह जीभ लटका कर लार टपकाता हुआ, दूसरे के मुंह की ओर ही ताकता है। फिर भी वह अपने आप को बहुत बड़ा समझता है, यह कितनी शर्म की बात है। उसे समझना चाहिए कि यदि देह सुख के अभाव से दुख होता, तब तो विरक्त संत को भी दुख होना चाहिए। क्योंकि सुख तो दूर रहा, उसके पास तो पेट भरने तक का प्रबंध नहीं होता। वास्तव में देह सुख का अभाव दुख नहीं देता, उस अभाव की अनुभूति दुख देती है, यह अनुभूति ही सबसे बड़ी मूढ़ता है। विरक्त संत तो भगवान के चिंतन में ही रत रहते हैं, उन्हें अभाव की अनुभूति कैसे हो? यही कारण है कि उनके चरणों में बैठ कर ... https://www.instagram.com/p/CpyuVmDywMu/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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होम्योपैथी दूर कर सकती है डिप्रेशन भी:_ आज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में 80% लोग डिप्रेशन में रहते हैं। जब यह तनाव या डिप्रेशन बहुत अधिक बढ़ जाता है तो इंसान बहुत निराश हो जाता है. कई बार आत्महत्या का विचार भी मन में आने लगता है. आखिर ये डिप्रेशन होता क्या है, इसे जानें, पहचानें और ऐसे ठीक करें. आपने अक्सर लोगों को यह कहते सुना होगा कि आज मूड नहीं है या आज मूड ख़राब है लेकिन यह मूड होता क्या है? जब किसी व्यक्ति के व्यवहार में कोई परिवर्तन आता है तो उसे मूड या मनोदशा कहते हैं और जब इन मनोभावों या मनोदशा में कि��ी प्रकार का विकार आ जाता हैं तो उसे डिप्रेशन कहते हैं. इस प्रकार से कह सकते हैं कि डिप्रेशन इंसान के मनोभावों या मनोदशा का एक प्रकार का विकार होता हैं क्यों होता हैं डिप्रेशन जब ब्रेन के कुछ निश्चित केमिकल जैसे सेरोटीन ,नोर-एपिनेफ्रीन और डोपामिन का संतुलन बिगड़ जाए। कुछ बीमारियां जैसे टायफाइड, इन्फ्लुएंजा आदि बीमारियां मूड को बदल देती हैं. एक हँसता खेलता बच्चा बीमारी के कारण चिड़चिड़ा, अधीर, क्रोधित, भययुक्त या उदास हो जाता है. इसी प्रकार से दुख, डर, गुस्सा, निराशा भी मूड को बदल देते हैं और इंसान मूडी हो जाता है और अपनी भावनाओं और व्यवहार का संतुलन खो देता है। अनुवांशिक कारण भी होते हैं. अक्सर माता -पिता के नर्वस सिस्टम के असंतुलन होने के कारण बच्चा भी मूडी हो जाता है. माँ में हताशा या निराशा के भाव होने पर उसका असर बच्चों पर भी होता है। कुछ केमिकल ड्रग्स भी शरीर में असंतुलन पैदा करते हैं। कई बार वातावरण भी मूड को चेंज करने में एक अहम भूमिका निभाता है. हार्मोन्स की गड़बड़ी भी मूड चेंज होने का एक कारण है. थायरॉइड, पिट्यूटरी, एड्रिनल तथा दूसरी ग्लेंड्स से स्त्रावित होने वाले हार्मोन्स की गड़बड़ी के कारण एक अच्छा भला इंसान मूडी हो जाता है। इसके अलावा भी डिप्रेशन के कई कारण हैं जैसे आर्थिक समस्या, नौकरी या पढाई से संबधित समस्या, पारिवारिक समस्या, रिलेशनशिप्स में समस्या, सेक्शुल प्रॉब्लम्स और शारीरिक कमजोरी। डिप्रेशन के लक्षण: निराशा और असहाय महसूस करना; चिड़चिड़ाहट होना; रोज के कार्यो में मन न लगना अकेलापन महसूस होना; एकाग्रता की कमी होना; छोटी -छोटी बातों पर गुस्सा होना नींद न आना या अत्याधिक नींद आना; डर लगना मन में हीनभावना आना या गिल्टी फील होना; अकेले में रोना; भूख-प्यास काम हो जाना या बहुत बढ़ जाना; अकेले रहना चाहे; मन में आत्महत्या के विचार आए; डिप्रेशन और होम्योपैथी होम्योपैथिक दवायें मन पर बहुत अच्छा असर करती हैं और होम्योपैथिक में डिप्रेशन की बहुत सारी दवाएं हैं जो (at Ghaziabad, India) https://www.instagram.com/p/Co6Pi5iJmNH/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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First Choice | CBN.com
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मैंने हाल ही में थैंक्सगिविंग के लिए अपने परिवार का दौरा किया और अपनी युवा भतीजी के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताया। हर दिन, उसकी झपकी और सोने से पहले, वह एक या दो किताबें पढ़ना चाहती थी, जिससे उसे आराम करने और नींद आने में मदद मिले। वह पहली किताब जो हमेशा मुझे पढ़ने के लिए इशारा करती थी वह यीशु और ईस्टर की कहानी के बारे में एक किताब थी। बेशक, यह बहुत छोटा बच्चा संस्करण था, लेकिन फिर भी वही महान…
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*एक दर्द पैदा करती पोस्ट- हमें बदलना होगा पीढ़ियों के लिये तुरंत* 😔🤔
एक *मुस्लिम महिला की कलम से*......
(हिजाब के सम्बन्ध में)
*भगवा धोती तिलक कौन रोक रहा है सर*?
*आप ही लोग तो पीछा छुड़ाएं बैठे है इन चीजों से ! मुस्लिमों ने अपनी जड़ें न कल छोड़ी थीं न आज छोड़ने को राजी हैं*!
*आप लोगों को तो खुद कुछ साल पहले तिलक, भगवा, शिखा, से शर्म आती थी, आप ही लोगों ने आधुनिकता के नाम पर सब कुछ त्याग दिया*!
*आप नहीं त्यागते तो स्कूल में धोती कुर्ता पहनना नॉर्मल माना जाता!*
*बीएचयू में डिग्री लेते वक्त बच्चों का भारतीय पारंपरिक पोशाक पहनना खबर बनता है, जबकि यह तो नॉर्मल होना चाहिए था न ?*
*खबर तो यह होती न कि हिंदू छात्रों ने गाउन पहन कर डिग्री ली*!
*आपने खुद अपनी संस्कृति, अपने रीति रिवाज अपनी जड़ों को पिछड़ेपन के नाम पर त्यागा है*!
*आज इतने साल बाद आप लोगों की नींद खुली है तो आप लोगो को उनकी जड़ों की तरफ लौटने के लिए कहते फिरते हैं*!
*अपनी नाकामी, अपनी लापरवाही का गुस्सा हमारी जड़ों को काट कर क्यों निकालना चाहते हैं आप?*
*आप के बच्चे कॉन्वेंट से पढ़ने के बाद पोएम सुनाते थे तो आपका सर ऊंचा होता था ! हमारे मुस्लिम घरों में बाप का सिर तब झुक जाता है जब बच्चा रिश्तेदार के सामने कोई दुआ न सुना पाए !*
*हमारे घरों में बच्चा बोलना सीखता है तो हम सिखाते हैं कि सलाम करना सीखो बड़ों से, आप लोगों ने नमस्कार को हैलो हाय से बदल दिया तो यह हमारी गलती है ?*
*हमारे यहां बच्चा चलना सीखता है तो बाप की उंगलियां पकड़ कर मस्जिद जाता है*!
*आप लोगो ने खुद मंदिरों की तरफ देखना छोड़ दिया तो बच्चे कैसे जानेंगे कि मंदिर के जाकर क्या करना है, यह हमारी गलती है*?
*आप लोगो ने नामकरण और मुंडन जैसे फंक्शन को बर्थ-डे और एनिवरसिरी से बदल दिया तो यह हमारी गलती है*?
*आप ने जब नया घर लिया तो पुराने घर से गीता लेकर नहीं आए तो यह भी हमारी गलती है?*
*आपके पास तो सब कुछ था- संस्कृति, इतिहास, परंपराएं*!
*आपने उन सब को पिछड़ेपन की निशानी मान कर त्याग दिया, हम ने नहीं त्यागा बस इतना फर्क है!क्या सिखा रहे हैं आप अपनी पीढ़ी को*?
*आपको देखकर, आपके आचरण, आपके रहन सहन , आपकी आदतों से क्या सीखेगी आपकी आने वाली पीढ़ी*?
*तिलक तो घर से निकलने से पहले लगाते थे न आप लोग? क्यों छोड़ दिया? किसने रोका आपको?*
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पालना और लोगों की लाइफस्टाइल -
आजकल के दौर में जो युवा माता -पिता बन रहे है |उनकी लाइफस्टाइल बच्चे के आने पर बहुत बदल जा रही है या कहे की बहुत प्रभावित हो रही है | अब तो माता -पिता दोनों काम करते हो वहाँ तो और भी समस्या आ जाती है | लेकिन टेक्नोलॉजी या कहे उपभोग्तावाद की वजह से वजह से कई कंपनी इन युवा माता -पिता को शुकुन और सुविधा के लिए बच्चों के लिए कई तरह के आइटम ला रहे है | उसी का ताज़ा उदाहरण है ये स्मार्ट पालना |अभी अमेरिका के स्टार्टअप क्रेडलवाइज ऐसा ही पालना विकसित किया है |ये पालना बच्चे के सोने के पैटर्न की निगरानी करेगा |बच्चे को अच्छी नींद लेने में मदद भी करेगा |नवजात बच्चे की नींद को लेकर उनका माता -पिता बहुत ही चिंतित रहते है | चाहे वो काम पर हो या नहीं | आये जानते है उसके बारे में आखिर ये पालना कैसे डिज़ाइन हुआ |
आधुनिक पालना कैसे काम करता है -
इस आधुनिक पालना में इनबिल्ट बेबी मॉनिटर का प्रयोग किया गया है |बच्चे जब कोई हलचल करता है या जगता है तो ये पता लगाता है उसकी नींद में क्या हलचल हुई है और तो और आप एक एप के जरिये इसे माता -पिता के स्मार्टफ़ोन से जोड़ा हो सकता है |इसमें स्लीप सेंसर का प्रयोग हुआ |जैसे ही बच्चा जगता है या कोई हलचल करता है |ये सेंसर के जरिये माता -पिता को एक सन्देश भेजता है |ये भी ये बताता है की बच्चा कितना घंटे सोया है |इसके साथ ही रोते हुए बच्चे के लिए इसमें संगीत भी है |ये एप भी एक युवा माता -पिता दवरा ही डिज़ाइन किया गया है | ये माता -पिता को कुछ घंटे चैन की नींद के आनंद लेने की अनुमती देता है |कंपनी ने बताया कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ ये बच्चे की निगरानी करता है |
नवजात बच्चे की नींद की चिंता -
जब भी युवा माता -पिता से आप करोगे तो वो आपसे बच्चे की नींद से चिंतित दिखाई देंगे |क्योकि नवजात बच्चे का सोने का तरीका का अलग होता है |उसके सोने की साइकिल अजीब होती है कब रोने लगते है कब सोते है उनकी टाइम अजीब होती है चाहे तो वो रातभर जागते है और कभी सुबह सोते है |इससे माता -पिता की दिनचर्या बहुत प्रभावित होती है | इस पालना के प्रयोग से आप निश्चिंत होंगे |और इस व्यस्त लाइफस्टाइल में आप को थोड़ा बेफिक्र भी बनाएगा |अमेरिका में वैसे ये बहुत काम करेगा |क्योकि वहाँ की पालिसी भारत से बिलकुल अलग है |अमेरिका में बच्चों को लेकर पालिसी अलग है |वहाँ के लिए ये स्मार्ट पलना मुफीद है |लेकिन भारत में भी लोग पश्चिमी लाइफस्टाइल को अपना रहे है या कहे ऐसे ही रूल -रेगुलशन भी बन रहे है |मिडिल क्लास में अब दोनों को काम करने से ही घर का खर्चा चल पा रहा है लोग पहले की तुलना में मत्वाकांक्षी है |हमारा काम आपके नजरियों को आपतक पहुँचाना है |अच्छा लगे तो हमे अपना समर्थन दे |
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