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#बच्चे की नींद की विकास
guiasmaternos · 1 year
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एक शांत रात: बच्चे की नींद की रणनीतियाँ
शांत सांस की हलकी आवाज़, बच्चे की नींद में आराम से सुते चेहरा… बच्चे की नींद। एक बड़ी खुशी और मातृत्व के भी सबसे बड़े चुनौतियों में से एक। अगर आप पहली बार मां बनी हैं या पहले से गुजर चुकी हैं, तो आपको पता है कि बच्चे की नींद एक जटिल परिदृश्य हो सकता है। अपने छोटे को कैसे मदद कर सकते हैं कि वह अच्छी तरह से सोता है और सभी को शांतिपूर्ण रातें मिल सकें? इस पूरी गाइड में, हम स्वास्थ्यपूर्ण नींद की…
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prideivf11 · 2 months
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7 Month Pregnancy Symptoms In Hindi: Signs of Pregnancy
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गर्भावस्था एक अद्भुत और चुनौतीपूर्ण यात्रा है, जिसमें हर महीने कई बदलाव होते हैं।  Pregnancy symptoms month by month लक्षण महसूस होते हैं। इस ब्लॉग में हम सातवें महीने के प्रेगनेंसी लक्षणों के बारे में चर्चा करेंगे और जानेंगे कि प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए।
1. शारीरिक लक्षण
1.1. बढ़ा हुआ पेट
सातवें महीने में, आपका पेट काफी बड़ा हो जाता है। यह गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास का संकेत है। पेट के बढ़ने के साथ-साथ, आपको चलने में थोड़ी कठिनाई महसूस हो सकती है।
1.2. थकान और नींद की समस्या
इस महीने में थकान एक सामान्य लक्षण है। कई महिलाएं नींद की समस्याओं का सामना करती हैं, जैसे कि रात में बार-बार जागना या आराम से सोने में कठिनाई। यह हार्मोनल बदलावों और बढ़ते वजन के कारण हो सकता है।
1.3. पीठ और कमर में दर्द
जैसे-जैसे आपका पेट बढ़ता है, आपकी पीठ और कमर पर अधिक दबाव पड़ता है। इससे पीठ में दर्द और असहजता हो सकती है। सही मुद्रा बनाए रखना और हल्का व्यायाम करना इस दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।
2. मानसिक लक्षण
2.1. मूड स्विंग्स
गर्भावस्था के इस चरण में हार्मोनल परिवर्तन के कारण मूड स्विंग्स आम हैं। आप खुशी, चिंता, और उदासी के बीच तेजी से बदल सकते हैं। यह सामान्य है, लेकिन अगर आपको अत्यधिक चिंता महसूस हो रही है, तो अपने डॉक्टर से बात करें।
2.2. चिंता और तनाव
गर्भावस्था के अंतिम चरण में, कई महिलाएं बच्चे के जन्म और उसकी देखभाल के बारे में चिंतित होती हैं। यह चिंता सामान्य है, लेकिन इसे प्रबंधित करना महत्वपूर्ण है। योग, ध्यान, और अपने प्रियजनों के साथ समय बिताना मददगार हो सकता है।
3. प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए
सातवें महीने में, प्रेगनेंसी में क्या खाना चाहिए। यहाँ कुछ खाद्य पदार्थ हैं जो आपको अपने आहार में शामिल करने चाहिए:
प्रोटीन: दालें, अंडे, और चिकन जैसे प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ बच्चे के विकास में मदद करते हैं।
फलों और सब्जियों: ताजे फल और हरी सब्जियाँ विटामिन और मिनरल्स का अच्छा स्रोत हैं। ये आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं।
दूध और डेयरी उत्पाद: कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे दूध, दही, और पनीर आपके और आपके बच्चे की हड्डियों के लिए आवश्यक हैं।
अखरोट और बीज: ये स्वस्थ वसा और प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं, जो आपके बच्चे के मस्तिष्क के विकास में मदद करते हैं।
4. निष्कर्ष
सातवें महीने की गर्भावस्था में कई शारीरिक और मानसिक लक्षण होते हैं। इस समय में, अपने शरीर के संकेतों को समझना और सही पोषण लेना महत्वपूर्ण है। अगर आप किसी भी लक्षण को लेकर चिंतित हैं, तो अपने डॉक्टर से सलाह लेना न भूलें। सही जानकारी और देखभाल के साथ, आप अपनी गर्भावस्था के इस चरण का आनंद ले सकती हैं और अपने बच्चे के स्वास्थ्य का ध्यान रख सकती हैं।
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mnaasilveira · 3 months
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समकालीन मानसिक बीमारी
_______________________________________________________________ मानसिक बीमारी आनुवंशिक रूप से सामान्य मस्तिष्क में विकास के दौरान या बाद में तनाव, आघात या नींद की कमी के कारण हो सकती है। अगर गर्भवती माँ अत्यधिक या लंबे समय तक तनाव में रहती है, तो उसके बच्चे को भावनात्मक या संज्ञानात्मक समस्याओं का सामना करने की अधिक संभावना होती है, क्योंकि तनाव के कारण माँ की प्रोफ़ाइल बदल जाती है, जिससे भ्रूण…
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Why magnesium is important for bone and brain || हड्डी और ब्रेन के लिए क्यों जरूरी होती है मैग्नीशियम
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why-magnesium-is-important-for-bone-and-brain - मैग्नीशियम शरीर की मजबूती और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए जरूरी है । ज्यादातर लोगों को इसकी कमी का पता ही नहीं चलता है, जिससे उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सेहतमंद रहने और शरीर को कारगर तरीके से चलाने के लिए जरूरी है, संतुलित आहार इससे प्रोटीन ,विटामिन आयरन के साथ-साथ हमारे शरीर को मैग्नीशियम की भी जरूरत होती है। जो हमें आहार से मिलती है। शरीर में 50 फीसदी मैग्निशियम हड्डियों में पाया जाता है। इसकी कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती है और ओस्टियोपोरोसिस हो जाता है. मैग्निशियम की कमी से शारीरिक और मानसिक वीकार भी आ सकते हैं, जैसे याददाश्त का कम होना ,नाखूनों में सफेद धब्बे का पड़ना,कमजोरी थकान और तनाव जैसी स्थिति आदि गर्भवती महिलाओं को पैर में दर्द रहता है इसकी कमी की वजह से महिलाओं को पीरियड के दौरान पैरों में दर्द की शिकायत रहती है। मैग्निशियम शरीर में आराम पहुंचा कर अच्छी नींद लाने में मददगार है। यह शरीर में ATP(Adenosine triphosphate) ऊर्जा का उत्पादन करता है इसकी कमी से थकावट और शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होती है। याददाश्त होती है मजबूत: सेहत के साथ हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए शरीर को मैग्नीशियम की जरूरत होती है। इसकी कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती है एवं लगातार सिर दर्द की शिकायत रहती है। मैग्नीशियम की पर्याप्त मात्रा से याददाश्त मजबूत होती है .विज्ञान पत्रिका न्यूरॉन में छपी एक शोध के अनुसार यादाश्त को बढ़ाने के लिए मैग्निशियम का सेवन भरपूर मात्रा में करना चाहिए . इसकी पर्याप्त शरीर को ओस्टियोपोरोसिस से बचाती है कोरोनरी हार्ट डिजीज से बचाव के लिए भी मैग्नीशियम का सेवन लगातार करना चाहिए, इसकी कमी से दिल के दौरे का खतरा अधिक हो जाता है ।इसलिए दिल को मजबूत बनाए रखने के लिए मैग्निशियम सेवन जरूरी है यह शरीर को उच्च रक्तचाप से बचाता है। एक शोध में यह भी पाया गया कि अगर शरीर में मैग्नीशियम की कमी हो जाए तो इसके कारण टाइप -2 डायबिटीज होने की आशंका बढ़ जाती है। फल व सब्जियों में मौजूद होती है मैग्निशियम मैग्नीशियम की डेफिशियेंसी से बचने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां टोफू राजमा काजू ,बादाम ,तिल, पालक और अन्य साबुत अनाज खासकर साबुत गेहूं में एक कप में 160 एमजी मैग्निशियम पाया जाता है ।गर्भावस्था में मां और गर्व में पल रहे बच्चों के लिए भी मैग्निशियम बहुत जरूरी है. गर्भ में पल रहे बच्चे के उत्त को के निर्माण व मरम्मत के लिए 350 से 400 एमजी अतिरिक्त मैग्नीशियम की जरूरत होती है इसकी कमी से भ्रूण के विकास में बाधा होती है प्रतिदिन एक केले के सेवन से 30 से 32 एमजी मैग्निशियम शरीर को मिल जाता है. इससे शरीर के धमनियों में खून पतला रहने के कारण खून का बहाव सही रहता है खजूर पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है एक सौ ग्राम खजूर में 43 एमजी मैग्नीशियम पाया जाता है खजूर में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन ,कैल्शियम, पोटेशियम आयरन, फास्फोरस आदि भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं प्रतिदिन पांच से छह बादाम खाने से 75 mg तक मैग्नीशियम होता है इसके अलावा बदाम में कैल्शियम विटामिन E जिंक ओमेगा 3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में मौजूद होता है दही में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम और मैग्नीशियम पाए जाते हैं जो शरीर को ओस्टियोपोरोसिस की समस्या से बचाता है प्रतिदिन के आहार में इसे लेना चाहिए। सोयाबीन भी मैग्नीशियम की कमी को पूरा कर सकता है इससे भिगोकर अंकुरित करके खाने से बहुत फायदे मिलते हैं नियमित रूप से पालन करने से आयरन की पूर्ति होती है बल्कि मैग्निशियम भी प्राप्त होती है। पालक डायबिटीज और कैंसर के रोगियों के लिए भी बहुत गुणकारी है एक चम्मच अलसी प्रतिदिन देने से उन 39mg मैग्नीशियम की प्राप्ति होती है। मैग्नीशियम की कमी को पूरा करने के लिए सप्ताह में कम से कम 1 दिन मछली का सेवन जरूर करना चाहिए विटामिन बी बी - 12 ओमेगा- 3 फैटी एसिड और मैग्नीशियम से भरपूर मछली में 53 एमजी मैग्नीशियम पाया जाता है। Read the full article
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medtalksblog · 2 years
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arayurvedafitness · 3 years
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महिलाये पाए  सूंदर, सुडौल और आकर्षित बॉडी।
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महिलाये कई प्रयत्न करती है अपना वजन बढ़ाने ,  बॉडी को तंदुरस्त और आकर्षित बनाने के लिए। पर अभी के समय में महिलाओं को घर का काम, बच्चे को संभालना में अपनी बॉडी का ख्याल नहीं रख पाती है, जिसकी वजह से महिलाये (weight gain powder for women) दुबलीपतली रहती है। समय पर भोजन न लेना, नींद पूरी न होना , वीकनेस रहना यह सब  कारणों की वजह से भी महिलायो का वजन नहीं बढ़ सकता।
इस तरह की समस्या के लिए (weight gain powder for females) महिलाये ज्यादातर परेशान रहती है। इसलिए वजन बढ़ाने के लिए रासायनिक दवाई (पाउडर) का भी इस्तेमाल करने लगते है जो बॉडी बनाने और महिलाओं का बॉडी आकर्षित और फिट बनाने में मदद करता है। महिलाओं को अपना बॉडी अट्रैक्टिव दिखे और (ayurvedic powder for weight gain) फंक्शन या पार्टी में जाये तब किसी के सामने शर्मिंदा महसूस नहीं हो।
रासायनिक दवाई का (best body grow powder) इस्तेमाल ज्यादा करने से आगे जाकर बॉडी में दुष्प्रभाव का खतरा भी रहता है क्योकि इस दवाई से थोड़े समय के लिए अच्छा असर रहता है। यह सब दवाई का इस्तेमाल नहीं करके हमारे आयुर्वेदाचार्य ने अनेक जड़ी-बूटियों का मिश्रण करके आयुर्वेदिक प्रोडक्ट बनाया है। (Weight Gainer for girl) जिस में मौजूद अश्वगंधा , विदारी , कौचा , शतावरी जैसी अनेक जड़ी-बुटिया उपलब्ध है।
जरुर पढ़े :- The traditional ayurvedic powder to gain weight naturally
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यह आयुर्वेदिक प्रोडक्ट का नाम बी-ग्रो पाउडर है। जो बॉडी को फिट और आकर्षित रखता है , मासपेशिया मजबूत बनाने ��ें मदद करता है। (ayurvedic weight gainer) जो १००% शुद्ध आयुर्वेदिक पाउडर है।
यह आयुर्वेदिक प्रोडक्ट का नाम बी-ग्रो पाउडर है। जो बॉडी को फिट और आकर्षित रखता है , मासपेशिया मजबूत बनाने में मदद करता है। (ayurvedic weight gainer) जो १००% शुद्ध आयुर्वेदिक पाउडर है।
जानते है बी-ग्रो पाउडर के फायदे :-
मांशपेशियों का विकास करने में मदद करती है।
वजन बढाती है।
महिला हार्मोनल प्रणाली (best ayurvedic weight gainer) और सम्पूर्ण शरीर को संतुलित करती है।
फिगर आकर्षक और खूबसूरत दिखता है।        
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Disclaimer: – The result of this product may vary from person to person
For More Information Call Now: +919558128414 Visit Please:- https://www.arayurveda.com/ Email:- [email protected] Content Source:- arayurveda.com/blogs
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sablogpatrika · 3 years
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हूल का साहित्यिक परिदृश्य
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  30 जून 1855 ई. का वह दिन, जिसके बाद न संताल परगना का, न झारखण्ड और न देश का इतिहास वैसा रहा जैसा उससे पहले था। महाजनों और अंग्रेजों के शोषण से उपजी इतिहास के गर्भ की छटपटाहट हूल का रूप लेकर जंगल की आग की तरह फ़ैल गयी थी। जिसने अंग्रेजों को अपनी साम्राज्यवादी नीतियों पर फिर से सोचने के लिए मजबूर कर दिया था। भारतीयों को कमजोर और डरपोक मानने की उनकी सोच को संताल हूल से बड़ा झटका लगा था। चार भाई और दो बहनों के नेतृत्व में संतालों के साहस और जज्बे ने ब्रिटिश सरकार की नींव हिला डाली थी। इसी हूल ने बाद में उलगुलान का रूप लिया और फिर आज़ादी की लड़ाई की मजबूत सड़क की बुनियाद रची।         संताली हूल के इतिहासकार कल्याण हाड़ाम ने पश्चिम बंगाल संताली अकादेमी से प्रकाशित अपनी किताब ‘होड़कोरेन मारी हापड़ामको रेयाक् कथा’ में संताल हूल को याद करते हुए लिखा है कि सिदो-कान्हू का यह नारा कि ‘राजा-महाराजा को ख़त्म करो’, ‘दिकुओं को गंगा पार भेजो’ और हमारा राज्य हमारा शासन’ (आबुआ राज आबुआ दिसोम) का नारा संताल परगना के जंगल-पहाड़ में चारों तरफ गूँज रहा था। संताल, पहाड़िया और गैर आदिवासी जातियाँ जो यहाँ पहले से रह रही थीं वह सिदो-कान्हू के नेतृत्व में बाहर से आये महाजनों और अंग्रेजों के खिलाफ मुकम्मल लड़ाई के लिए तैयार हो रहीथीं।         साहित्य के परिप्रेक्ष्य से संताली लोकगीतों-लोककथाओं में सिदो,कान्हू, चाँद,भैरव, फूलो और झानो के साथ-साथ हूल विद्रोह के कई अन्य लड़ाकों से सम्बंधित साहित्य दिखाई पड़ता है। आधुनिक संताली साहित्य में भी हूल और उनके शहीदों को लेकर रचनाएँ दिखाई पड़ती हैं। हिन्दी कविता या हिन्दी साहित्य पर अगर विचार किया जाए तो इस दृष्टि से थोड़ी निराशा हाथ लगती है। एक तरफ बिरसा और उनके आन्दोलन उलगुलान पर आधारित प्रचुर लेखन दिखाई पड़ता है। न सिर्फ हिन्दी में बल्कि मराठी,बांग्ला सहित अन्य भारतीय भाषाओँ में भी बिरसा की उपस्थिति गौरतलब है। भुजंग मेश्राम ने मराठी में बिरसा पर कविता लिखी तो महाश्वेता देवी ने बिरसा के आन्दोलन पर ‘अरण्येर अधिकार’ जैसा प्रसिद्ध उपन्यास लिखा। अंग्रेजी में भी बिरसा पर आधारित लेखन दिखाई पड़ जाता है। दूसरी तरफ हिन्दी साहित्य में सिदो-कान्हू और उनके हूल पर आधारित लेखन बहुत कम दिखाई पड़ता है। जबकि यह सच है कि सिदो-कान्हू के हूल की विरासत के बिना बिरसा का उलगुलान संभव न था। हूल का ही अगला कदम उलगुलान था और उसका परिणाम तात्कालिक तौर पर संताल परगना टेनेंसी एक्ट और छोटा नागपुर टेनेंसी एक्ट के रूप में दिखाई पड़ता है।
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        ऐसा नहीं है कि हूल पर आधारित या हूल से प्रेरित साहित्य बिलकुल नहीं है। हिन्दी कविता में झारखण्ड के अब जो कुछ नये नाम अपनी जगह बना रहे हैं वे अपनी कविताओं में हूल की क्रांतिधर्मिता को जगह दे रहे हैं। जसिंता केरकेट्टा और अनुज लुगुन कुछ ऐसे ही नाम हैं। बिनोद सोरेन संताली के एक समकालीन कवि हैं जिनकी कविताएँ संताली के साथ हिन्दी में भी प्रकाशित होती हैं। उनकी एक कविता ‘कुल्ही के धुल में हूल’ में वह बच्चों के खेल के माध्यम से यह बताते हैं कि संताल परगना की मिट्टी और धुल तक में हूल की आग बरकरार है और लगातार जल रही रही है। वे लिखते हैं कि खेलने के लिए बच्चे तय करते हैं कि-‘तय हुआ खेलेंगे ‘हुल’... /खड़े हो गये वे दो कतारों में/ एक तरफ गोरों की पलटन/ दूसरे सिदो-कान्हु के हूलगरिया’। उनके अनुसार ये बच्चे भी सिदो-कान्हू की विद्रोही सेना के हुलगरिया यानि हूल में शामिल होने वाले दस्ते के ही सदस्य हैं। आदिवासी अपने इतिहास और उसके सबक को हमेशा नये-नये तरीके से संजो कर रखते हैं और अपनी अगली पीढ़ी को सौंपते जाते हैं। इस नजरिए से इनका इतिहासबोध आपको चौंका सकता है। हूल की आग जो निरंतर बोरसी के आग की तरह लगातार जलती रही इसे चंद्रमोहन किस्कू अपनी कविता में इस तरह दर्ज करते है –‘जब छीन-उजाड़ रहे थे / लोगों का घर-आंगन / कपड़े-लत्ते / हरियाली जंगल / खेत-खलिहान / और मिट्टी के अंदर का पानी/ तब हूल की आग जली।’         हूल को अक्सर सामाजिक और राजनीतिक असंतोष से जोड़कर देखा जाता है, जो इसका सबसे बड़ा पहलू भी है। परन्तु हूल को प्रकृति के साथ होने वाले विनाश की पृष्ठभूमि में भी देखा जाना चाहिए। 1819ई की अपनी रिपोर्ट में सदरलैंड ने 1855 के हूल को देशी महाजनों और जमीदारों के अत्याचार का परिणाम बताया है। उसका मानना था कि अंग्रेजी सरकार आदिवासियों तक नहीं पहुँच पा रही थी इसलिए संतालों के साथ छल कपट और अन्याय हो रहा था। इसी कारण दामिन-ए-कोह यानि संताल परगना में विद्रोह फूट पड़ा। बड़ी चालाकी से सदरलैंड ने अपनी रिपोर्ट में हूल को भारतीयों द्वारा भारतीयों के खिलाफ किया गया षड्यंत्र बता दिया। 8 जून 1819 को सौंपे अपनी रिपोर्ट में लिखा-अंग्रेज आधिकारियों की अनुपस्थिति में बंगाली तथा अन्य दिकुओं का शोषण चक्र तेज हो गया था। रेजिडेंट मजिस्ट्रेट जिसे दामिन-ए- कोह की जिम्मेदारी दी गयी थी वह सिर्फ देवघर में बैठता था और संताल इतनी दूर अपनी शिकायत उस तक पहुंचा नहीं पाते थे। इसलिए हूल जैसा विद्रोह हुआ। दूसरी तरफ इन्हीं अंग्रेजों ने सिदो-कान्हू को उपद्रवी के रूप में प्रचारित किया। अन्य आदिवासी शहीदों के प्रति भी इनका यही रवैया था।पर संताली भाषा के साहित्यकारों ने इस राजनीति का पर्दाफाश अपने रचनाओं में बखूबी किया है। जदुनाथ टुडू का ‘लो बीर’, रबीलाल टुडू का ‘बीर बिरसा’, कालीराम सोरेन का ‘सिदो-कान्हू हूल’ ऐसी ही कुछ प्रमुख रचनाएँ हैं।
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सामाजिक एवं आर्थिक शोषण के साथ प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ और इससे आदिवासियों के जीवन का प्रभावित होना भी हूल का एक प्रमुख कारण था। इस दृष्टि से हूल की प्रासंगिकता पर विचार किया जाना अभी शेष है। परन्तु ये कई इतिहासकार स्वीकार करते हैं कि राजमहल की पहाड़ियों में रेल की पटरी निर्माण और और उससे होने वाले प्रकृति के विनाश का सम्बन्ध भी हूल से था। हूल सिर्फ बरहेट के भोगनाडी या सिदो-कान्हू और उनके भाई बहनों तक सीमित कोई आंदोलन नहीं था। इसमें पूरा संताल परगना और इसके लोग शामिल थे। इसलिए हूल की आग 1855 तक भी महदूद नहीं है बल्कि विकास के लिए होने वाले विनाश का प्रतिकार के रूप में आज भी जीवित है। चंद्रमोहन किस्कू अपनी इसी कविता में लिखते हैं कि हूल की आग तब भी जलती है या जलनी चाहिए ‘जब छीन रहे थे/विकास के नाम पर/लोगों का हक़ और अधिकार/ जब कुचल रहे थे/निर्धन-गरीब लोगों को/ चौड़ी सड़क पर’। प्रकृति के साथ आदिवासियों का अटूट सम्बन्ध होता है। उसे भी हूल के आलोक में समझे और विश्लेषित करने की जरुरत है।         आज संताल परगना के साथ तमाम झारखण्ड और यहाँ के आदिवासियों की स्थिति बदहाल है। विकास की रफ़्तार जितनी भी तेज़ हो इन आदिवासियों तक नहीं पहुंची और पहुंची भी तो धक्का देने का ही काम ज्यादा किया। आज हूल की क्रांतिधर्मिता की लगतार हत्या यहाँ दिखाई पड़ रही है। जसिंता केरकेट्टा अपनी कविता ‘हूल की हत्या’ में लिखती हैं, “हाँ मैं वही गाछ हूँ / पंचकठिया-बरहेट के क्रांति स्थल का / वक़्त की अदालत में खड़ा / एक जीवित गवाह / जो पहचानता है / हूल के हत्यारों के चेहरे’। वह बरगद का पेड़ आज भी वहीँ खड़ा है जिस पर वीर सिदो को अंग्रेजों ने बेरहमी से फांसी पर चढ़ा दिया था। जसिंता के अनुसार बरगद का पेड़ हूल की उस सच्चाई का जिंदा सबूत है जो इतिहास को नींद में भी जगाये रखता है। यह भी पढ़ें - स्वाधीनता आन्दोलन की पूर्वपीठिका ‘संथाल हूल विद्रोह’ (1855-1856) अदालत द्वारा हत्यारों के चेहरों के बारे में पूछे जाने पर पेड़ बताता है कि उनका चेहरा हर काल में एक सा ही होता है और यह सुनकर अदालत की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी जाती है। आज भी अपने राज्य में आदिवासियों को कितना न्याय मिल रहा है इस पर भी विचारे जाने और इसके वजहों को कायदे से खंगाले जाने की जरुरत है। हूल की आग हल्की जरूर पड़ी है पर मिटाई नहीं जा सकी है। हूल की हत्या संभव भी नहीं है। जब तक राजमहल की पहाड़ियों में आखिरी पेड़ और आखिरी आदिवासी बचा हुआ है तब तक यह लौ जलती रहेगी। इसलिए कवयित्री भी गहरे भरोसे के साथ यह लिखती हैं, ‘उसकी (सिदो) देह से अंतिम बार निकली पसीने की गंध / कुचले हूल की सिर उठाती गंध बन / बह रही जंगल की शिराओं में /पारे की तरह आज भी’।   इस एक पहलू पर भी विचार करना जरुरी है कि क्या कारण है कि संताल हूल या सिदो-कान्हू से प्रेरित या उन पर आधारित रचनाओं का हिन्दी में अभाव दिखाई पड़ता है। छोटानागपुर अंचल की तुलना में संताल परगना से बहुत कम ही साहित्यकार हिन्दी की पटल पर अपनी पहचान बना पाए हैं। पर ऐसा नहीं है कि संताल परगना से हिन्दी में लिखने वाले हुए ही नहीं। संताल परगना के पत्थरगामा के कवि ज्ञानेंद्रपति को साहित्य अकादेमी जैसा प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुका है। संताल परगना के कई नाम आज हिन्दी में सक्रिय हैं,पर उनकी रचनाओं में हूल की प्रतिध्वनि सुनाई नहीं देती। आश्चर्य तो निर्मला पुतुल जैसी संताली कवियत्री के रचना संसार को देख कर होता है। उनके तीन कविता संग्रह के सौ से भी ज्यादा कविताओं में मात्र एक कविता सिदो -कान्हू की मूर्ति से हुई छेड़-छाड़ की एक घटना पर आधारित है। हूल की विरासत और प्रेरणा का इनके यहाँ भी अभाव ही दिखाई पड़ता है।  हिन्दी साहित्य का यह परिदृश्य थोड़ा निराशाजनक है पर उम्मीद की जानी चाहिए की निकट भविष्य में इससे प्रभावित साहित्य हिन्दी में भी दिखाई पड़ेगा। हाल के वर्षों में झारखण्ड के साथ देश भर में संताल हूल को लेकर नये तौर पर विचार-विमर्शों का दौर शुरू हुआ है। हूल के राष्ट्रीय और ऐतिहासिक महत्त्व को स्वीकार किया जा रहा है और इतिहास के पन्नों को शिद्दत से टटोला जा रहा है। इससे इस उम्मीद को बल मिलता है कि हूल की आग, फूल बनकर जो जून 1855 में खिला था वह आगे और भी लहलहाएगा। समकालीन कवि अनुज लुगुन के शब्दों में इस उम्मीद को बेहतर ढंग से प्रकट किया जा सकता है, जिसमें अनुज हूल को फूल की संज्ञा देते हुए लिखते हैं – ‘तू फूल सिदो, कान्हू, तिलका, बिरसा, गोविन्द, तांत्या बाबा का / तुझे खोंसता हूँ तो उलगुलान नाचता है / तुझे पूजता हूँ तो जंगल लहलहाता है / खिला रहे यह फूल जंगल जंगल/ हूल हूल हूल हूल’। . Read the full article
#‘दिकुओंकोगंगापारभेजो’#‘राजा-महाराजाकोख़त्मकरो’#30जून1855ई.कावहदिन#कालीरामसोरेनका‘सिदो-कान्हूहूल’#चंद्रमोहनकिस्कू#छोटानागपुरअंचलकीतुलनामेंसंतालपरगना#जदुनाथटुडूका‘लोबीर’#दामिन-ए-कोहकीजिम्मेदारी#दामिन-ए-कोह#दिकुओंकाशोषणचक्र#देहसेअंतिमबारनिकलीपसीनेकीगंध#प्रकृतिकेसाथआदिवासियोंकाअटूटसम्बन्ध#बरहेटकेभोगनाडीयासिदो-कान्हू#रबीलालटुडूका‘बीरबिरसा’#संतालपरगना#संतालपरगनामेंविद्रोह#संतालहूलकोलेकरनयेतौरपरविचार-विमर्शोंकादौरशुरूहुआ#समकालीनकविअनुजलुगुन#सामाजिकएवंआर्थिकशोषण#हमाराराज्यहमाराशासन’#हिन्दीसाहित्यकायहपरिदृश्य#हूलकाएकप्रमुखकारण#हूलकासाहित्यिकपरिदृश्य#हूलकीआग1855तकभीमहदूदनहींहै#हूलकीआगतबभीजलतीहैयाजलनीचाहिए#हूलकीआगहल्कीजरूरपड़ीहैपरमिटाईनहींजासकी#हूलकीक्रांतिधर्मिता#हूलकीप्रासंगिकतापरविचारकियाजाना#हूलकेराष्ट्रीयऔरऐतिहासिकमहत्त्व#हूलकोअक्सरसामाजिकऔरराजनीतिकअसंतोषसेजोड़करदेखाजाताहै
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घर पर गर्भावस्था (Pregnancy) का परीक्षण कैसे करें
मां का नाम सुनते ही हमारी दुनिया साकार नजर आती है। ऐसा लगता है मानो हमारी सारी उलझन  एक मां के सामने छोटी हो गई हो। मां बनना एक स्त्री को संपूर्णता की ओर ले जाता है। जब स्त्री गर्भवती होती है, तो उसे खुद का ध्यान रखने की नसीहत दी जाती है।
कभी-कभी मन में गर्भावस्था को लेकर कई बार असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो जाती है ऐसे में समझ नहीं आता कि गर्भावस्था है भी या नहीं। प्रकृति के इस अनुपम सौगात से कोई भी स्त्री मरहूम नहीं होना चाहती। ऐसे में स्त्रियां बिना किसी कष्ट के घर में ही अपनी गर्भावस्था का परीक्षण आसानी से कर सकती हैं।
घरेलू गर्भावस्था परीक्षण क्या है
घरेलू गर्भावस्था परीक्षण में मां बनने के सपने को पूरा होते देखा जा सकता है जिसमें एचसीजी  (Human chorionic gonadotropin) के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। इस परीक्षण के माध्यम से गर्भावस्था के समय उत्पन्न हार्मोन का पता लगाया जाता है, जो कि  बढे़ हुए स्तर में होता है। जैसे ही गर्भावस्था शुरू होती है तो शरीर में एचसीजी का उत्पादन शुरू हो जाता है। घरेलू गर्भावस्था परीक्षण में यूरिन के माध्यम से एक  परीक्षण होता है जो सुबह  होना अनिवार्य होता है। जब गर्भावस्था शुरुआती दौर में होती है, तो ऐसे में शरीर में एचसीजी का हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि घरेलू गर्भावस्था परीक्षण नकारात्मक आ जाए तो ऐसे में घबराने से अच्छा है कि कुछ दिनों बाद फिर से परीक्षण करें। कई बार एचसीजी के बदलते स्तर की वजह से भी एक बार में परीक्षण सही नहीं आ पाता है।
जाने क्या है घरेलू गर्भावस्था परीक्षण के तरीके ( Ghar Par Pregnancy Test Kaise Kare)
आज हम गर्भावस्था परीक्षण के कुछ घरेलू उपाय बताने जा रहे हैं जो आपको सही परिणाम बताएंगे और इसके लिए आपको कोई परेशानी भी नहीं उठानी पड़ेगी। 1) आप सभी के घर में कांच का गिलास या बर्तन अवश्य रूप से होगा। यदि आप उसमें अपनी सुबह का यूरिन डाले तो कुछ ही देर में उसमें आपको सफेद परत दिखाई देने लगेगी। यदि यथासंभव आपको सफेद परत दिखाई दे, तो आप गर्भवती हैं। 2) इसी प्रकार यदि आप साबुन में कुछ बूंदे अपने यूरिन की डाले तो उस पर बुलबुले दिखाई देते हैं। बुलबुलों के दिखाई देने पर आप गर्भवती प्रमाणित होती है अन्यथा नहीं। 3) किसी सफेद टूथपेस्ट में यूरिन की बूंदे डालने पर यदि टूथपेस्ट सफेद से रंग परिवर्तित करके नीला हो जाए तो यह गर्भावस्था का प्रमाण है। 4) डेटॉल का उपयोग हम सभी अपने घरों में करते हैं लेकिन इससे आप अपने गर्भावस्था का भी परीक्षण कर सकती हैं। इसके लिए कांच के बर्तन में बराबर रूप से यूरीन और डेटॉल लेंगे। यदि उस पर यूरिन तैरने लगे तो आप गर्भवती हैं और यदि यूरिन और डेटॉल घुल जाए तो आप गर्भवती नहीं हैं। 5) विनेगर  भी इस परीक्षण में आपकी मदद कर सकता है। यदि आप विनेगर में यूरिन में मिलाएं और विनेगर का रंग परिवर्तित होने लगे तो इसका मतलब  है कि आप गर्भवती हैं।
गर्भावस्था परीक्षण के लिए नमक भी है महत्वपूर्ण
अभी तक आप लोगों ने नमक का बहुत से महत्वपूर्ण उपयोग के बारे में सुना और देखा होगा। जो हमारी सेहत के लिए भी बहुत ही फायदेमंद है। पर आपको जानकार आश्चर्य होगा कि नमक का उपयोग गर्भावस्था परीक्षण में भी किया जा सकता है। इसके लिए सुबह के पहले यूरिन का सैंपल लेना होगा उस यूरिन में तीन चौथाई चम्मच नमक मिला लेंगे। कम से कम 5 मिनट का इंतजार करें अगर आप गर्भवती हैं तो नमक से झाग उत्पन्न होगा अन्यथा नहीं। यह प्रयोग घर पर ही बड़ी ही आसानी से किया जा सकता है।
शक्कर से भी किया जा सकता है गर्भावस्था का परीक्षण
हमारे रसोई में बहुत से ऐसे पदार्थ हैं जिनका उपयोग कई प्रकार से किया जा सकता है जिनमें से एक है शक्कर। शक्कर का उपयोग घर में गर्भावस्था परीक्षण में भी किया जाता है। इसमें एक कटोरी में शक्कर ले और उसमें थोड़ा सा यूरिन मिला ले। कुछ मिनट तक इंतजार करें उसके बाद आप देखेंगे कि यूरिन के संपर्क में शक्कर के आने पर बढ़े हुए एचसीजी हार्मोन शक्कर को खोलने से रोक देता है। इस तरह से आपकी गर्भावस्था कंफर्म हो जाती है यदि शक्कर यूरिन में घुल जाए तो इसका मतलब यही है कि गर्भावस्था नेगेटिव है। इस तरह शक्कर के माध्यम से भी आसानी से घर में ही रहकर गर्भावस्था का परीक्षण किया जा सकता है।
प्रेगनेंसी किट भी है कारगर
अगर किसी कारणवश महिला बाहर नहीं जा सकती और उसे शुरुआती समय में गर्भ अवस्था का पता लगाना हो तो प्रेगनेंसी किट का भी उपयोग किया जा सकता है। जिसमें सुबह के यूरिन को उस प्रेगनेंसी किट में रखने पर प्रदर्शित होने वाली दो लाइनों के माध्यम से गर्भ अवस्था को समझा जा सकता है। ज्यादातर महिलाएं इस तकनीक के माध्यम से ही अपने गर्भावस्था का पता आसानी से लगा लेती हैं।
प्रेगनेंसी किट खरीदते समय रखे इन सावधानियों को
किसी महिला का मां बनना अनमोल पलों में से एक होता है। ऐसे में हार्मोन बदलाव के कारण स्वभाव में परिवर्तन देखा जा सकता है। घर में यह गर्भावस्था किट का उपयोग करना आसान है फिर कुछ सावधानियां बहुत ही आवश्यक है।
1) जब भी घरेलू गर्भावस्था किट का उपयोग करें तो पहले किसी की सही दिशा निर्देश पर ही इसका उपयोग करें।
2) इस बात को सुनिश्चित कर लें कि पैकेट पूरा बंद हो।
3) गर्भावस्था किट की समाप्ति की तारीख को जांच परख लें ऐसा ना करने पर कभी-कभी गलत परिणाम भी देखे जा सकते हैं।
4) अगर एक बार में परिणाम सही नहीं आए तो कुछ देर के बाद फिर से करके देखें यह आपके लिए फायदेमंद होगा।
कब किया जा सकता है घरेलू गर्भावस्था परीक्षण
घरेलू गर्भावस्था परीक्षण तब किया जाना सही माना जाता है जब मासिक धर्म का समय निकले 1 से 2 सप्ताह हो गए हो। ऐसे समय में महिला के शरीर में एचसीजी हार्मोन का निर्माण होता है जिसके माध्यम से ही गर्भावस्था की सत्यता पता चलती है। कुछ मुख्य परिस्थितियों के होने पर ही घरेलू गर्भावस्था परीक्षण किया जाना सही रहता है।
1) यदि मासिक धर्म आने में देर हो रही हो– प्रत्येक महिला में मासिक धर्म का चक्र अलग अलग होता है। समानता यह 28 से 30 दिनों का होता है। यदि मासिक धर्म आने की तारीख आगे बढ़ चुकी हो ऐसे में घरेलू गर्भावस्था  परीक्षण करना सही रहता है।
2) यदि आपको बेचैनी लग रही हो — गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में बहुत ही अजीब सी बेचैनी लगने लगती है। जब भोजन के प्रति अरुचि, थकान, चक्कर, बार-बार यूरिन आना जैसी दिक्कतें देखी जा सकती है। ऐसे समय में भी एक बार घरेलू गर्भावस्था परीक्षण करना उचित रहता है।
3) पेट में ऐंठन का होना — यदि मासिक धर्म ना आने की स्थिति में पेट में ऐठन हो। यह अंडे के प्रत्यारोपण से भी होता है। बार-बार ऐसा होने पर गर्भावस्था परीक्षण किया जा सकता है।
4) स्तनों में दर्द होना– महिलाओं में हार्मोन की अधिकता से गर्भ अवस्था के शुरुआती दिनों में स्तनों में पीड़ा होती है। कभी-कभी स्तन कठोर  भी हो सकते हैं ऐसी स्थिति में भी गर्भावस्था परीक्षण किया जा सकता है।
घरेलू गर्भावस्था परीक्षण की सटीकता
ज्यादातर ऐसा देखा जाता है कि घरेलू गर्भावस्था की पुष्टि सही ही होती है सिर्फ 1% ही ऐसे मामले होते हैं जब गर्भावस्था का परीक्षण सही नहीं हो पाता। ऐसे हार्मोन में एचसीजी का लेवल कम होने से होता है। ऐसे में पूरी सतर्कता और सावधानी से ही गर्भावस्था का परीक्षण किया जा सकता है।
घरेलू सामग्री भी है फायदेमंद
कई बार ऐसा देखने में भी आता है कि हम बाहरी दिखावे में रह जाते हैं पर घरेलू सामग्रियों के माध्यम से भी हम अपनी समस्या का सामना आसानी से कर सकते हैं। कई बार गर्भावस्था के बार-बार खरीदने में भी हमें हिचक महसूस होने लगती है और सही तरह से हम अपनी बात नहीं कह पाते हैं। गर्भावस्था परीक्षण की बात भी आसानी से हर किसी से करना सही नहीं होता। और कभी-कभी तो बाजार जा कर बार-बार किट लेना भी मुश्किल काम ही लगता है।
ऐसे समय में घरेलू सामग्रियों के माध्यम से अपने गर्भावस्था का परीक्षण किया जा सकता है जिसे करने में झिझक भी महसूस नहीं होती और ना ही किसी को बताने की आवश्यकता होती है। हमने जो भी घरेलू टिप्स दिए हैं उन के माध्यम से आप आसानी से गर्भावस्था परीक्षण कर सकती हैं और सही परिणाम भी प्राप्त किया जा सकता है जिसे कम खर्च में आसानी से घर पर ही  किया जाता है।
घरेलू गर्भावस्था परीक्षण और डॉक्टर के परीक्षण के मध्य अंतर
महिलाएं घरेलू तरीकों के माध्यम से ही खुद ही अपनी गर्भावस्था का परीक्षण कर लेती हैं, तो कई बार तो डॉक्टर के पास जाना ही बेहतर समझा जाता है। ऐसा देखा जाता है कि डॉक्टर भी किट के माध्यम से ही परीक्षण करते हैं। कभी-कभी तो गर्भावस्था के लिए यूरिन टेस्ट, हार्मोन टेस्ट और ब्लड टेस्ट भी किया जाता है। किए गए ब्लड टेस्ट में भी सही तरीके से बच्चे में होने वाले सक्रिय वृद्धि को देखा जा सकता है। बाद में डॉक्टर द्वारा अल्ट्रासाउंड की जांच भी होती है जो गर्भावस्था को प्रमाणित कर बच्चे की वृद्धि पर जोर देती है। ऐसा माना जाता है कि  एक बार घरेलू परीक्षण के बाद डॉक्टर के पास जाना भी आवश्यक परीक्षण अवश्य करवा लेना चाहिए जो अपने आने वाले बच्चे के लिए लाभप्रद हो।
घरेलू गर्भावस्था परीक्षण के लाभ (ghar par pregnancy check karne ke labh)
घरेलू गर्भावस्था परीक्षण से महिलाओं को कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं 1) इस परीक्षण में ज्यादा समय नहीं लगता आप आसानी से ही घर पर गर्भावस्था परीक्षण कर सकती हैं।
2) घरेलू परीक्षण बार-बार बाजार जा कर किट लाने के झंझट से भी बचाता है।
3) इस घरेलू परीक्षण को आप घर मे उपलब्ध सामग्रियों से ही कर सकते हैं।
4) घरेलू गर्भावस्था परीक्षण आप बिना किसी की मदद से स्वयं ही कर सकते हैं।
5) इस गर्भावस्था परीक्षण से आप अपनी गर्भावस्था को गुप्त भी रख सकते हैं।
6)  इस परीक्षण में कम खर्च होता है, तो अच्छा विकल्प हो सकता है।
गर्भावस्था है महिलाओं के लिए खास
पूरे जीवन चक्र में महिला के गर्भावस्था का समय ही सबसे खास रहता है। इस समय में महिलाओं को अपने ऊपर भरपूर ध्यान देने की सलाह दी जाती है ताकि आने वाले बच्चे को सही पोषण मिल सके। ऐसे समय में महिलाओं को उचित आहार, पर्याप्त नींद लेना आवश्यक है तभी बच्चे में सही वृद्धि व विकास हो पाता है ।
घरेलू परीक्षण से महिलाएं गर्भावस्था को सुरक्षित कर सही दिशा निर्देश में रहते हुए आगे बढ़ सकती हैं। यह परीक्षण आसानी से किया जा सकता है। यह समय महिलाओं को खुद पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि प्रकृति की अनुपम सौगात को प्रकृति से शुरू किया जा सके। महिलाओं को बिना किसी परेशानी के इस अवस्था का भी आनंद लेना चाहिए और बेहतर भविष्य का आकलन करते हुए आगे बढ़ना चाहिए।
Reference: https://www.ghareluayurvedicupay.com/ghar-par-pregnancy-test-kaise-kare/
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guiasmaternos · 1 year
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helphindime01 · 4 years
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दक्षिण कोरिया के बारे में रोचक तथ्य - Help Hindi Me
दक्षिण कोरिया के बारे में रोचक तथ्य | Interesting & Amazing facts about South Korea
दक्षिण कोरिया, कोरियाई प्रायद्वीप का दक्षिणी हिस्सा है। यह पूर्वी एशिया में एक विकसित देश है। सियोल दक्षिण कोरिया की राजधानी है। यह दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा महानगरीय शहर है। दक्षिण कोरिया अपनी पॉप संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है, विशेष रूप से संगीत, टीवी, नाटक और सिनेमा में। कोरियन दक्षिण कोरिया की आधिकारिक भाषा है।
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति का नाम/South Korea president name
मून जे-इन(Moon Jae-in)
दक्षिण कोरिया की आबादी/South Korea population
5.16  crores (2018)
दक्षिण कोरिया की मुद्रा/South Korea currency
कोरियाई वॉन(Korean  won)
दक्षिण कोरिया का झंडा कहा जाता है/South Korea flag is called
Taegeukgi  (teh-GUK-key)
दक्षिण कोरिया की राजधानी/South Korea capital
सियोल(Seoul)
दक्षिण कोरिया का स्वतंत्रता दिवस/South Korea Independence Day
15  August
दक्षिण कोरिया धर्म/South Korea religion
दक्षिण कोरियाई (लगभग  56.1% लोग  ) किसी  धर्म को नहीं  मानते हैं. कुछ लोग  बौद्ध अन्य कुछ ईसाई  धर्म को मानने वाले  हैं।
कोरियाई कोरियाई भाषा/South Korean language
कोरियन
दक्षिण कोरिया का राष्ट्रीय खेल/South Korea national game
तायक्वोंडो(Taekwondo)
दक्षिण कोरिया के बारे में कुछ रोचक और मजेदार तथ्य इस प्रकार हैं:
01-10 Interesting & Amazing facts about South Korea in Hindi
दक्षिण कोरिया का राष्ट्र्रीय ध्वज ताओवाद और बुद्ध के प्रतीकों और दर्शन को दर्शाता है।
दक्षिण कोरिया के झंडे में 4 प्रतीकों से घिरा लाल और नीला यिन-यांग है। चार प्रतीक स्वर्ग, पृथ्वी, अग्नि और जल का प्रतिनिधित्व करते हैं।
दक्षिण कोरिया की कुल जनसंख्या 51.4 मिलियन हैं।
शहर सियोल (Seoul), दक्षिण कोरिया का सबसे अधिक आबादी वाला शहर है जो सबसे बड़ा शहर भी है। सियोल की आबादी 10 मिलियन है।
कोरियाई भाषा में 14 व्यंजन और 11 स्वर हैं। कोरियाई लेखन प्रणाली को हंगुल के रूप में जाना जाता है।
2013-2017     में, Park Geun-hye (पार्क ग्युन-हे) दक्षिण कोरिया की पहली महिला राष्ट्रपति     बनीं थी।
दुनिया की सबसे पुरानी खगोलीय प्रयोगशाला दक्षिण कोरिया के Jiangsu (जिआंगसू) में स्थित है। इसे “चेमोसेन्गैडे वेधशाला” (Cheomseongdae) के रूप में जाना जाता है।
दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल है और कोरियाई भाषा में, सियोल का मतलब वास्तव में राजधानी शहर है।
दक्षिण कोरिया में प्लास्टिक सर्जरी का सबसे बड़ा बाजार है। वास्तव में, प्रत्येक 5 महिलाओं में से कम से कम 1 ने अपने जीवन में एक बार कॉस्मेटिक सर्जरी करवाई है।
टोक्यो के साथ, सियोल दुनिया में सबसे अधिक नींद से वंचित शहर है।         11-20 Interesting     & Amazing facts about South Korea in Hindi
दक्षिण कोरिया का राष्ट्रीय व्यंजन “किमची” है। किमची की लगभग 100     किस्में हैं।
किमची दक्षिण कोरिया में इतनी लोकप्रिय है कि तस्वीरें लेते समय लोग “किम्ची” कहते हैं।
पलक की प्लास्टिक सर्जरी दक्षिण कोरिया में सबसे आम है।
उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच का क्षेत्र दुनिया में सबसे अधिक सैन्यीकृत क्षेत्र है। इसे डिमिलिट्राइज़्ड ज़ोन के रूप में जाना जाता है।
तीन साल के कोरियाई युद्ध के बाद, 1.2 मिलियन लोगों की हत्या के बाद डिमिलिट्राइज़्ड ज़ोन बनाया गया था।
विखंडित क्षेत्र, दुनिया में सबसे अच्छी तरह से संरक्षित क्षेत्रों में से एक है। कोरियाई युद्ध के बाद, न तो उत्तरी कोरिया और न     ही दक्षिण कोरिया ने इस क्षेत्र का विकास किया।
पुरातनपंथी के अनुसार, मानव ने 500 हजार साल पहले कोरियाई प्रायद्वीप में निवास किया था।
अमेरिका के न्यूयॉर्क, शिकागो और सिएटल शहरों में लगभग दक्षिण कोरिया के 2.1 मिलियन लोग रहते हैं।
दक्षिण कोरिया का 64 प्रतिशत हिस्सा पेड़ों से ढका है।
किम, ली और पार्क दक्षिण कोरिया में लोगों के बीच प्रसिद्ध     सबसे आम नाम हैं।         21-30 Interesting     & Amazing facts about South Korea in Hindi
दक्षिण कोरिया में दुनिया में सबसे अधिक अनुमानित आईक्यू है।
अधिकांश कोरियाई शब्दावली चीनी शब्दावली से ली गई है।
दक्षिण कोरियाई के 99.2 प्रतिशत में ब्रॉडबैंड का उपयोग करते हैं ।
दक्षिण कोरिया में एक अद्वितीय आपराधिक न्याय प्रणाली है जहां अपराधों के दृश्यों को फिर से बनाया जाता है और अभिनय किया जाता है ताकि जनता और मीडिया तस्वीरें और सार्वजनिक विवरण ले सकें।
दक्षिण कोरिया में केवल 3.2 प्रतिशत लोग अधिक वजन वाले हैं। इसलिए, यह दुनिया में सबसे कम मोटापे वाला देश है।
दक्षिण कोरिया में, सदियों से कुत्ते का मांस खाया जाता रहा है। और आज भी कुछ रेस्टोरेंट्स कुत्ते का मांस परोसते हैं।
2012     में, दक्षिण कोरिया का पोहांग (Pohang) रोबोट जेल गार्ड पेश करने वाला दुनिया का पहला शहर बना।
दक्षिण कोरियाई लोगों द्वारा माना जाने वाला एक अंधविश्वास यह है कि रात भर चलता पंखा छोड़ने से किसी की भी मौत हो जाएगी। हालांकि ऐसा कभी नहीं हुआ और इसका कोई प्रमाण भी नहीं है।
2012     में, “गंगनम स्टाइल” (Gang am Style)     1 बिलियन दर्शकों द्वारा देखा जाने वाला यूट्यूब पर पहला गीत बन गया। यह दक्षिण कोरिया में लिखा और प्रदर्शित किया गया था।
क्रिसमस दक्षिण कोरिया में एक आधिकारिक अवकाश है
        31-40 Interesting     & Amazing facts about South Korea in Hindi
दक्षिण कोरिया के लोगों का मानना ​​है कि किसी व्यक्ति का रक्त प्रकार उसके चरित्र और सामाजिक संगतता के बारे में बता सकता है।
दक्षिण कोरिया में ग्रह पर सबसे तेज वायरलेस गति है। दक्षिण कोरिया में औसत डाउनलोडिंग गति 33.5 Mb प्रति सेकंड है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार,     दक्षिण कोरिया में अन्य विकसित देशों में आत्महत्या की दर सबसे अधिक है।
दक्षिण कोरिया में दुनिया में सबसे ज्यादा स्मार्टफोन उपभोक्ता घनत्व हैं। स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं की दर 78.5 प्रतिशत है।
दक्षिण कोरिया के पुरुष मेकअप का उपयोग करते हैं। दक्षिण कोरिया में,     हर 5 में से 1 पुरुष नियमित रूप से मेकअप का उपयोग करते हैं।
दक्षिण कोरिया में 9-12 वर्ष की आयु के बच्चे इंटरनेट के आदी हैं। 2012 में, सरकार ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कुछ साइटों पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून पारित किया था ।
2015     में दक्षिण कोरिया में व्यभिचार     को वैध किया गया था। इससे पहले, पति/पत्नी को धोखा देने के लिए 2 साल की सजा थी।
कोरिया का नाम “गोरियो” से लिया गया है। “गोरियो” कोरियाई प्रायद्वीप     का एक शक्तिशाली प्राचीन साम्राज्य था जिसने 700 वर्षों तक शासन किया था।
दक्षिण कोरिया में देश के दक्षिणी तट पर स्थित 3000 द्वीप शामिल हैं।
दक्षिण कोरिया अमेरिकी राज्य इंडियाना के समान आकार का है।         41-45 Interesting     & Amazing facts about South Korea in Hindi
दक्षिण कोरिया में, नंबर चार को दुर्भाग्य माना जाता है।
दक्षिण कोरिया में, ऊर्ध्वाधर चॉपस्टिक को पकड़ना मृत्यु के साथ जुड़ा हुआ है, क्योंकि यह अंत्येष्टि के समय अगरबत्ती जैसा दिखता है।
दक्षिण कोरिया में अभिवादन करने का सबसे आम तरीका यह पूछना है कि क्या उन्होंने अच्छी तरह से खाना खाया था।
Hibiscus (गुड़हल) दक्षिण कोरिया का राष्ट्रीय     फूल है और यह उनके राष्ट्रगान में भी वर्णित है।
दक्षिण कोरिया के लोग दुनिया में सबसे अधिक काम करने वाले लोग हैं। 2018     में, सरकार ने एक विधेयक पारित किया जिसमें अधिकतम काम का समय घटाकर 52 घंटे/week कर दिया गया था। इससे पहले, वह एक हफ्ते में 68 घंटे काम करते थे।
https://helphindime.in/interesting-amazing-facts-about-south-korea-in-hindi/
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its-axplore · 4 years
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कोरोना संक्रमण, डेंगू-डायरिया जैसे रोगों के प्रसार ने हर माता-पिता की चिंता बढ़ा दी है। नवजातों में रोग प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे विकसित होती है। इसलिए माता को उनके स्वास्थ्य के प्रति हमेशा सजग रहना पड़ता है। त्यौहारों का सिलसिला शुरू होने वाला है।
इस दौरान ख़रीदारी, घर की साफ-सफाई, मेहमानों का स्वागत जैसे अतिरिक्त कामों से माताओं की व्यस्तता बढ़ जाने से शिशुओं का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। इसलिए दूसरी जिम्मेदारियाँ निभाते हूए बच्चे के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी नजरअंदाज़ न करें।
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ मीना कुमारी ने बताया माँ का दूध नवजात के लिए अमृत समान है। क्योंकि माँ के दूध में एंटीबॉडी होते हैं। जो बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। उन्होंने बताया जन्म के 1 घन्टे के भीतर शिशुओं को स्तनपान कराने से नवजात शिशु मृत्यु दर में 20% की कमी लायी जा सकती है।
6 माह तक सिर्फ स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया से 11% एवं निमोनिया से 15% तक कम मृत्यु की संभावना होती है। माताओं को यह ध्यान देना आवश्यक है कि स्तनपान कराने से पहले अपने व्यक्तिगत और आस-पास की साफ सफाई का ध्यान रखें। स्तनपान कराने से पहले और बाद में या किसी भी तरह के गंदे और धूल जमे वस्तु को छूने के बाद हाथों को पानी एवं साबुन से 40 सेकंड तक धोएं। अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
एसीएमओ ने बताया कोरोना उपचारधीन माताएँ भी सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए शिशु को स्तनपान करा सकती हैं। स्तनपान कराने वाली माताएँ बेहद जरूरी होने पर हीं घर से बाहर निकलें। बाहर निकलने पर मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग करें। शारीरिक दूरी का पालन करें। नवजात को घर से बाहर या भीड़ भाड़ से दूर रखें। मास्क का प्रयोग उनके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
शिशु के स्वभाव में बदलाव दिखे तो हो जाएँ सचेत
डॉ मीना कुमारी ने बताया कोरोना संक्रमण और मौसमी बदलाव को देखते हुये नवजात के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। यदि बच्चे में अस्वस्थता, बुखार, पेट दर्द, नींद नहीं आना, बिना कारण रोते रहना या चिड़चिड़ापन जैसे कोई भी लक्षण दिखे तो घरेलू इलाज में समय बर्बाद नहीं करते हुए अविलम्ब आशा कार्यकर्ता, नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र, एएनएम या चिकित्सक से संपर्क करें।
उन्होंने बताया सामान्य तौर पर शिशु के सम्पूर्ण मानसिक और शारीरिक विकास के लिए दिन भर में 8 से 10 बार स्तनपान कराने और माँ के साथ और देखभाल की जरूरत होती है। इसके अभाव में उसके स्वभाव में बदलाव आ सकते हैं। इसलिए उसके स्वास्थ्य पर भी नजर रखें।
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shaileshg · 4 years
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लीजा डैमोर. कोरोनावायरस महामारी के दौर में बच्चे हों या बड़े, सभी उम्र के लोग मानसिक रूप से परेशान ही हैं। स्कूल बंद होने, घर से दफ्तरों का काम चलने और दोस्तों से नहीं मिल पाने के कारण टीनएजर्स और बच्चों का विकास प्रभावित हुआ है।
इसके अलावा रुटीन बिगड़ना, महीनों से घर में रहकर एक ही काम को दोहराना, कोरोना का डर जैसी कई चीजें बच्चों को मानसिक रूप से परेशान कर रही हैं। हालांकि, पैरेंट्स की थोड़ी सी मदद टीनएजर्स को भावनात्मक रूप से मजबूत बना सकती हैं। कुछ टिप्स जो आपके लिए मददगार हो सकती हैं।
1. जो पसंद हो वह काम करें
इन हालात में टीनएजर्स भी बड़ों की ही तरह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की चीजें महसूस कर रहे हैं। इस वजह से मानसिक तौर पर असहजता बढ़ती जा रही है। इसका एक मतलब यह भी हो सकता है कि टीनएजर्स को सुख नहीं मिल पा रहा है और इस माहौल में खुशी पाने के मौके बहुत कम ही मिल रहे हैं।
ऐसे में अगर आप अपना मूड बेहतर करना चाहते हैं तो अपनी इमोशनल सुपरपावर का पूरा इस्तेमाल करें। हो सकता है कि आपको वीडियो गेम्स, पेट के साथ मस्ती करना, कोई खास रेसिपी, घूमना-फिरना पसंद हों। अपनी पसंदीदा चीजों को करते रहें और उसका मजा लें।
2. अपने एहसासों पर भरोसा रखें
जब भी आप चिंतित, दुखी, तनाव में हों, इस बात पर भरोसा रखें कि आप गलत महसूस नहीं कर रहे हैं। मायूसी भरे माहौल में दुखी होना इस बात का सबूत है कि आपके एहसास ठीक उसी तरह से काम कर रहे हैं, जैसा उन्हें करना चाहिए। आप असलियत का सामना कर रहे हैं। अपने अच्छे मूड का भी भरोसा करें।
3. खुद पर भरोसा करें
कभी-कभी हम बुरे एहसासों के लिए दिमाग में जगह बना लेते हैं। जबकि, कई बार हमारा साइकोलॉजिकल डिफेंस खुद ही इन्हें बाहर कर देता है। हालांकि, साइकोलॉजिकल डिफेंस मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। ये आमतौर पर स्वस्थ्य होते हैं और यह बताते ह��ं कि एक बार में हम कितनी मायूसी झेल सकते हैं। आपका दिमाग इस बुरे वक्त में आपकी मदद करने के लिए बना है। अपने दिमाग की क्षमताओं को इकट्ठा करें और भावनात्मक स्तर को सुधारें।
4. मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखें
अच्छी नींद और बेहतर फिजिकल एक्टिविटी आपके मूड को बेहतर, स्ट्रेस को कम करेगा। उन लोगों की संगत का मजा लें जो आपको शांत और ऊर्जावान रखते हैं। कोविड 19 को लेकर आपको दुखी या नाराज होने का पूरा हक है। खुद को दुखी होने का वक्त दें।
इसके बाद अपनी एनर्जी के बड़े हिस्से को उस हिस्से की तरफ मोड़े, जिसे आप कंट्रोल कर सकते हैं। इस बात पर फोकस करें कि आपके नियंत्रण में क्या है। क्योंकि यह शक्ति आपको बेहतर महसूस करने में मदद करेगी।
5. यह जानें कि कब दुखी होना है
अगर दुख, चिंता, नाराजगी, मायूसी कुछ पलों के लिए है तो ठीक, लेकिन अगर यह एक या दो दिन से ज्यादा बनी हुई है तो चिंता की बात है। चिंता का दूसरा कारण यह हो सकता है, जब आप रोज परेशान महसूस करने लगें। लोगों को नजरअंदाज करना, नाराज रहना, नशा करना या सोशल मीडिया के उपयोग के लिए नींद को दांव पर लगाना कुछ समय के लिए तो सुकून देता है, लेकिन यह लंबे समय में परेशानियां भी खड़ी कर सकता है।
इसके बाद अगर आप खुद को नुकसान पहुंचाने के बारे में सोचने लगें या खुद को असुरक्षित महसूस करने लगें तो यह चिंता की बात है। अपने पैरेंट्स, स्कूल के शिक्षक या घर के ऐसे बड़े लोगों को इस बात की जानकारी दें, जो आपकी बात को गंभीरता से ले सकें।
इस बुरे माहौल ने सभी को प्रभावित किया है, लेकिन टीनएजर्स को अपनी खास शक्तियों को कम नहीं समझना चाहिए। इस बुरे वक्त में मेंटल हेल्थ का ध्यान रखना आपको अभी और भविष्य में बेहतर रखेगा।
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In any case, trust your feelings, parents help mentally disturbed children ; 5 tips that will improve mental health
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kisansatta · 5 years
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डाइट में शामिल करें अखरोट, इन बीमारियों से रहेंगे कोसों दूर, फिटनेस भी रहेगी बरकरार
शोधकर्ताओं का दावा है कि अखरोट सेहत से जुड़ी कई बड़ी समस्या को जड़ से खत्म कर सकता है। साल 2019 में पेंसिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में शोधकर्ताओं ने इसे लेकर एक रिसर्च भी किया था। इस रिसर्च में शोधार्थियों सैचुरेटेड फैट की जगह अखरोट का सेवन करने वाले लोगों का स्वास्थ्य ज्यादा बेहतर पाया।अखरोट के फायदे के बारे में लोग नहीं जानते आप इसे डाइट में शामिल करें जिससे दिल की बीमारियां रहेंगी कोसों दूर|अखरोट खाना हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है।
साथ ही ये हमें कई तरह की बीमारियों से दूर रखता है। इसको खाने से हमारी फिटनेस बरकार रहती है|अखरोट में मौजूद अनसैचुरेटेड फैट ब्लड प्रेशर को संतुलित कर हृदय संबंधी रोगों को शरीर से दूर रखता है. रोजाना 60-80 ग्राम अखरोट खाने से आपकी सेहत में सुधार आ सकता है| न्यूट्रिशन से भरपूर बादाम को सेहत के लिए अच्छा माना जाता है. इसे रोजाना डाइट में शामिल कर आप सेहतमंद रह ���कते हैं|
अखरोट में प्रोटीन और फैट होता है जो शरीर को कैल्शियम और आयरन देने का काम करता है|एक शोध के मुताबिक, जो महिलायें सप्ताह में 2 बार 28 ग्राम अखरोट खाती हैं। उन्हें टाइप टू डायबिटीज होने का खतरा 24 फीसदी कम होता है। जर्नल ऑफ न्यूट्रीशन में प्रकाशित इस शोध में यह भी कहा गया कि हालांकि यह शोध महिलाओं पर किया गया था, लेकिन विशेषज्ञों का यह मानना है कि पुरुषों को भी अखरोट के इसी प्रकार के लाभ मिलने की उम्मीद है।
वजन कम करने में अखरोट मदद करता है। एक औंस यानी करीब 28 ग्राम अखरोट में 2।5 ग्राम ओमेगा थ्री फैटी एसिड, 4 ग्राम प्रोटीन और 2 ग्राम फाइबर होता है जिससे लंबे समय तक तृप्ति की भावना बनी रहती है। वजन कम करने के लिए जरूरी है कि आपका पेट भरा रहे।आपको बता दे एक अखरोट आपकी नींद सुधार सकते हैं इनमें मेलाटोनिन हॉरमोन होता है, जो नींद के लिए प्रेरित करना और नींद को नियंत्रित करता है। अगर आप सोने से पहले अखरोट खाए तो इससे आपकी नींद में सुधार आए।
अखरोट आपके बालों के लिए भी अखरोट फायदेमंद होता है। अखरोट में मौजूद विटामिन बी7 होता है जो आपके बालों को मजबूत बनाने का काम करता है।और बालों को गिरने से रोकता है|इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स और ओमेगा थ्री फैटी एसिड भरपूर मात्रा में होता है, जो इसे दिल की बीमारियों से लड़ने में काफी असरदार बनाता है।
इसके साथ ही यह बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल में इजाफा करने का भी काम करता है, जो इसे आपके दिल के लिए और भी उपयोगी बनाता है।आपके हेल्थ को बनाये रखता है|अखरोट पुरुषों के लिए वरदान सामान है| शुक्राणु की गुणवत्ता बढ़ता है |अगर पुरूष इसे रोज 2।5 औंस यानी करीब 75 ग्राम अखरोट रोजाना खाने से स्वस्थ युवा पुरुषों के शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार होता है।
यूसीएल के शोधकर्ताओं का कहना है कि रोजाना अखरोट का पर्याप्त सेवन करने से 21 से 35 वर्ष की आयु के पुरुषों के शुक्राणुओं में अधिक जीवनशक्ति और गतिशीलता आती है।खूबसूरत की चाह कर किसी को होती है खूबसूरत त्वचा पाने के लिए आप अखरोट का सेवन कर सकती है। अखरोट में विटामिन- बी और एंटी-ऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो आपकी त्वचा को फ्री-रेडिकल्स से बचाते हैं। इससे आपकी त्वचा को उम्र के निशान और झुर्रियों के प्रभाव से भी बचाया जा सकता है।
अगर आपको तनाव है तो आप अखरोट का सेवन जरूर करे|अखरोट अथवा उसके तेल को आहार में शामिल करने से तनाव के लिए जिम्मेदार रक्तचाप को दूर करने में मदद मिलती है। अखरोट में फाइबर, एंटी-ऑक्सीडेंट्स और असंतृप्त फैटी एसिड विशेषकर अल्फा लिनोलेनिक एसिड और ओमेगा थ्री फैटी एसिड मौजूद होते हैं। अगर आपको कोई चीज़ याद नहीं रहती जल्दी भूल जाते है तो आप अखरोट का सेवन करे बेस्ट उपाय है|
रोजाना अखरोट का सेवन आपको डिमेंशिया से दूर रखने में मदद करता है। शोध के मुताबिक अखरोट में मौजूद विटामिन ई और फ्लेवनॉयड डिमेंशिया उत्पन्न करने वाले हानिकारक फ्री-रेडिकल्स को नष्ट करने में मदद करते हैं। इसके साथ ही अखरोट सीखने की क्षमता को भी बढ़ाता|महिलाओं में स्तन कैंसर की बीमारी का खतरा बढ़ता जा रहा है जिसे रोकने के लिए स्तन कैंसर मार्शल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया रोजाना दो औंस यानी करीब 56 ग्राम अखरोट का सेवन स्तन कैंसर से बचाने में मदद करता है।
रोजाना अखरोट का सेवन करने वालों को स्तन कैंसर का खतरा काफी कम होता है। गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद होता है अखरोट| गर्भवती महिलाएं जो फैटी एसिड युक्त अखरोट सेवन करती हैं। उनके बच्चों को फूड एलर्जी होने की आशंका बहुत कम होती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि मांओं के आहार में पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड (पूफा) होता है। उनके बच्चे का विकास अच्छी तरह होता है।
पूफा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली कोशिकाओं को मजबूत बनाता है।जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट में भी अखरोट को हेल्दी डाइट बताया गया है जो कि हृदय और आंतों के लिए काफी अच्छा होता है. रोजाना 60-80 ग्राम अखरोट खाने से आपकी सेहत में सुधार आ सकता है.
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बच्चा जो दिन में तीन घंटे टीवी देखते हैं, वे पांच साल की उम्र तक अपने साथियों की तुलना में कम व्यायाम करते हैं
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टोडलर जो टीवी के सामने घंटों बिताते हैं या गोलियां देख रहे हैं वे कुछ साल बाद अधिक निष्क्रिय हैं, शोधकर्ताओं ने पाया है। कम उम्र में निर्धारित की गई दो खोज की आदतों से 500 बच्चों का अध्ययन बचपन में बाद में निगला गया। जो लोग ���िन में तीन घंटे से अधिक समय टीवी देखते थे या दो साल की उम्र में गोलियां देखते थे और पांच साल की उम्र में कम व्यायाम करते थे। उन्होंने हर दिन 40 मिनट अधिक बैठे जब उन्होंने स्कूल जाना शुरू किया, एक सप्ताह में चार घंटे तक। पांच साल की उम्र तक अपने साथियों की तुलना में हर हफ्ते टीवी के सामने या स्क्रीन पर तीन घंटे बिताने वाले टॉडलर्स अपने साथियों की तुलना में चार घंटे कम व्यायाम करते हैं। लैंसेट चाइल्ड एंड अडोलेसेंट हेल्थ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर द्वारा आयोजित किया गया था। परिणाम विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों का पालन करते हैं, जो दो से पांच साल के बच्चों के बीच प्रति दिन एक घंटे या उससे कम की सीमा तय करते हैं, जीवन में बाद के लिए स्वस्थ पैटर्न को बढ़ावा दे सकते हैं। शोधकर्ता प्रोफेसर फॉक मुलर-रीमेन्सशाइनडर ने कहा: 'हमने यह निर्धारित करने की कोशिश की कि क्या दो से तीन साल की उम्र में स्क्रीन देखने की आदतें प्रभावित हुईं कि बच्चों ने पांच साल की उम्र में अपना समय कैसे बिताया। 'विशेष रूप से हमें इस बात में दिलचस्पी थी कि क्या स्क्रीन को देखने से नींद के पैटर्न और गतिविधि के स्तर बचपन में प्रभावित होते हैं।' बच्चों के विकास के विकास के जोखिम को दूर करने में मदद करता है? एक दिन में तीन या अधिक घंटों के लिए टीवी देखने से बच्चे के टाइप 2 मधुमेह के विकास का खतरा बढ़ सकता है, यह जुलाई 2017 में सुझाया गया शोध है। एक अध्ययन में पाया गया कि जो बच्चे स्क्रीन के सामने कम से कम तीन घंटे बिताते हैं वे भारी होते हैं और उनमें इंसुलिन प्रतिरोध अधिक होता है। ये दोनों हालत के लिए जोखिम कारक हैं। इस तरह के युवा हार्मोन लेप्टिन के बिगड़ा हुआ मात्रा का उत्पादन करते हैं, अनुसंधान कहते हैं। लेप्टिन भूख को नियंत्रित करने में शामिल है। अध्ययन के प्रतिभागी के गतिविधि के स्तर को ध्यान में रखने के बाद भी ये परिणाम बने रहे, अध्ययन में पाया गया। लंदन विश्वविद्यालय के सेंट जॉर्ज के अध्ययन लेखक डॉ। क्लेयर नाइटिंगेल ने कहा: 'हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि कम उम्र से ही, लड़कों और लड़कियों दोनों में टाइप 2 डायबिटीज जोखिम कारकों को कम करने में स्क्रीन का समय कम करना फायदेमंद हो सकता है। 'यह विशेष रूप से प्रासंगिक है, टाइप 2 मधुमेह के बढ़ते स्तर को देखते हुए, टाइप 2 मधुमेह जोखिम का प्रारंभिक उद्भव और हाल ही में स्क्रीन से संबंधित गतिविधियों का सुझाव देने वाले रुझान बचपन में बढ़ रहे हैं।' शोधकर्ताओं ने नौ और 10 साल की उम्र के 4,495 बच्चों का विश्लेषण किया। बच्चों को उन कारकों के लिए मूल्यांकन किया गया था जो उनके मधुमेह के विकास के जोखिम को प्रभावित करते हैं। उनके शरीर का अनुपात, गतिविधि का स्तर और स्क्रीन के सामने समय बिताने की मात्रा - या तो टीवी देखना या कंप्यूटर का उपयोग करना - हर दिन भी रिकॉर्ड किया गया था। माता-पिता को यह रिपोर्ट करने के लिए कहा गया कि बच्चों ने टीवी पर वीडियो गेम देखने, या कंप्यूटर का उपयोग करने, या मोबाइल फोन या टैबलेट जैसे हैंडहेल्ड डिवाइस का उपयोग करके या तो औसतन कितना समय बिताया। इन स्क्रीन आदतों को तब दर्ज किया गया था जब बच्चे दो साल की उम्र में और फिर तीन साल की उम्र में थे। पांच साल की उम्र में, बच्चों ने अपनी नींद, गतिहीन व्यवहार और शारीरिक गतिविधि की निगरानी के लिए लगातार सात दिनों तक एक गतिविधि ट्रैकर पहना। अध्ययन में शामिल बच्चों ने औसतन ढाई घंटे दो से तीन साल की उम्र में स्क्रीन पर देखे। टेलीविज़न सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण था और सबसे लंबे समय तक देखने के समय से जुड़ा था। अध्ययन में कम संख्या में बच्चे प्रति दिन या उससे कम एक घंटे की डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों को पूरा करते हैं। जो बच्चे दो और तीन साल की उम्र में दिन में तीन घंटे स्क्रीन के सामने थे, उन्होंने हर दिन 30 मिनट कम लाइट फिजिकल एक्टिविटी की और पांच मिनट की उम्र तक हर दिन 10 मिनट कम वेजिटेबल एक्टिविटी की। हालांकि कुछ वर्षों के बाद अधिक परिश्रम ने गतिहीन व्यवहार में महत्वपूर्ण वृद्धि का कारण बना, यह बाद की नींद की आदतों को प्रभावित नहीं करता था। इंग्लैंड के पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डेम सैली डेविस ने पिछले फरवरी में प्रकाशित मार्गदर्शन में कहा कि माता-पिता को सोशल मीडिया पर घंटों बिताने से होने वाले नुकसान से बचने के लिए डिनर टेबल और अपने बच्चों के बेडरूम से मोबाइल फोन पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों को हर दो घंटे में छुट्टी देनी चाहिए। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की सलाह है कि 18 महीने से छोटे बच्चे वीडियो-चैटिंग के अलावा सभी स्क्रीन मीडिया से बचें। 18 से 24 महीने के बच्चों के माता-पिता जो डिजिटल मीडिया को पेश करना चाहते हैं, उन्हें उच्च-गुणवत्ता वाले कार्यक्रमों का चयन करना चाहिए, और अपने बच्चों के साथ यह देखने में मदद करना चाहिए कि वे क्या देख रहे हैं। दो से पांच साल की उम्र के बच्चों के लिए, माता-पिता को प्रति दिन एक घंटे के लिए स्क्रीन उपयोग को सीमित करना चाहिए - और उनके साथ देखना जारी रखें। जनवरी में प्रकाशित कैलगरी विश्वविद्यालय द्वारा किए गए पिछले शोध में पाया गया कि दो साल की उम्र में सबसे अधिक चौकसी के साथ तीन साल की उम्र में गरीबों का विकास हुआ।
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bhaskarhindinews · 5 years
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Today Is World Health Day And WHO Establishment Day Celebration
World Health Day: सभी को मिले बेहतर हेल्थ केयर, इसलिए मनाया जाता है यह खास दिन
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'हेल्थ इज वेल्थ' आपने ये कहावत तो सुनी होगी। अगर आपके पास बेहतर स्वास्थ्य है तो दुनिया की सारी दौलत आपके पास है। अगर आपका स्वास्थ्य ही ठीक नहीं होगा तो दुनिया की कोई भी दौलत आपके काम की नहीं है। लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरुक करने के लिए ही तो हर साल 7 ​अप्रैल को वर्ल्ड हेल्थ डे मनाया जाता है। आज ही के दिन सन् 1948 में  ''World Health Organisation'' की स्थापना हुई थी। इसके दो साल बाद से ही यानी 7 अप्रैल 1950 से वर्ल्ड हेल्थ डे के रूप में इस दिन को मनाने की शुरुआत की गई। ताकि लोग अपने स्वास्थ के प्रति अवेयर हो सकें।
इस बार है यह ​थीम इस दिन को सेलिब्रेट करने के लिए  ''World Health Organisation'' हर साल किसी न किसी थीम का आयोजन करता है। हर साल की तरह इस साल भी वर्ल्ड हेल्थ डे की थीम खास है। इस बार इसकी थीम है ''एवरीवन एवरीवेयर हेल्थ फॉर ऑल।'' इसका मतलब हर व्यक्ति को हर जगह हेल्थ केयर मिले। जिससे उसका स्वास्थ बेहतर हो सके। वह भी बिना किसी वित्तीय परेशानी के।
इसलिए मनाया जाता है यह दिन 7 ​अप्रैल को वर्ल्ड हेल्थ डे सेलिब्रेट करने का कारण यह है कि हमारे देश के लाखों करोड़ों लोग कई बीमारियों का शिकार है। जैसे किसी को टीवी, एनीमिया, एड्स, कैंसर, पोलियो, दिल, अल्जाइमर, डिप्रेशन, पैनिक अटैक, एंजायटी आदि। इन बीमारियों को कम करने के लिए, जड़ से खत्म करने और लोगों को इन बीमारियों के प्रति जागरुक करने के लिए इस दिन की शुरुआत की गई थी। ताकि लोग अपना बेहतर ख्याल रख सकें। अक्सर देखा गया है कि जिंदगी ​की व्यवस्था के चलते लोग अपने स्वास्थ्य का ख्याल नहीं रख पाते, इसलिए जागरुकता के उद्देश्य के लिए विश्व स्वास्थ्य दिवस प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है।
ऐसी है भारत में स्वास्थ्य स्थिति स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार तीन वर्ष की अवस्था वाले 3.88 प्रतिशत बच्चों का विकास अपनी उम्र के हिसाब से नहीं हो सका है और 46 प्रतिशत बच्चे अपनी अवस्था की तुलना में कम वजन के हैं जबकि 79.2 प्रतिशत बच्चे एनीमिया रक्ताल्पता से पीडि़त हैं। गर्भवती महिलाओं में एनीमिया 50 से 58 प्रतिशत बढ़ा है। कहा जाता है कि बेहतर स्वास्थ्य से आयु बढ़ती है। इंडिया हेल्थ रिपोर्ट 2010 के मुताबिक सार्वजनिक स्वास्थ्य की सेवाएं अभी भी पूरी तरह से मुफ्त नहीं हैं और जो हैं उनकी हालत अच्छी नहीं है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रशिक्षित लोगों की काफी कमी है। अस्पतालों में बिस्तर की उपलब्धता भी काफी कम है। केवल 28 प्रतिशत लोग ही बेहतर साफ-सफाई का ध्यान रखते हैं।
ऐसे रह सकते हैं फिट अपनी जिंदगी में छोटे छोटे बदलाव करके आप ​अपनी फिटनेस का ख्याल रख सकते हैं। जैसे आप हरी सब्जियों को सेवन करें, बाहर के खाने को अवाइड करें, भरपूर नींद लें, एक्सरसाइज करें, डाइट में चीनी और नमक की मात्रा कम करें। इन छोटी छोटी चीजों को ध्यान में रखकर आप अपने स्वास्थ्य का ख्याल रख सकते हैं। Source: https://www.bhaskarhindi.com/news/today-is-world-health-day-and-who-establishment-day-celebration-64568
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वचन देह में प्रकट होता है
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भाग एक
आरंभ में मसीह के कथन और गवाहियाँ
—कलीसियाओं के लिए पवित्र आत्मा के वचन
(11 फरवरी, 1991 से 20 नवम्बर, 1991)
                                                 अध्याय 35
सिंहासन से सात गर्जनें निकलती हैं, वे ब्रह्मांड को हिला देती हैं, स्वर्ग और पृथ्वी को उलट-पुलट कर देती हैं, और आकाश में गूँजती हैं! यह आवाज़ इतनी भेदक है कि लोग न तो इससे बचकर भाग सकते हैं, और न ही इससे छिप सकते हैं। बिजली की चमक और गरज की गूँजें भेजी जाती हैं, जो एक क्षण में स्वर्ग और पृथ्वी को उलट देती हैं, और लोग मृत्यु की कगार पर हैं। फिर, आकाश से बरसता एक प्रचंड तूफ़ान बिजली की रफ़्तार से समस्त ब्रह्माण्ड को अपनी लपेट में ले लेता है! धरती के सुदूर कोनों तक, जैसे कि सब कोनों और दरारों में बहती कोई मूसलाधार वर्षा हो, कहीं एक दाग़ तक बाक़ी नहीं रहता है, और जब यह तूफ़ान हर किसी को सिर से पैर तक धो डालता है, उससे तब कुछ भी छिपा नहीं रहता है और न ही कोई व्यक्ति इससे बचाया जा सकता है। बिजली की सर्द चकाचौंध की तरह ही, उसके गर्जन की गड़गड़ाहट, मनुष्यों को भय से थरथरा देती है। तेज दुधारी तलवार विद्रोह के पुत्रों को मार गिराती है, और शत्रुओं को घोर विपत्ति का सामना करना पड़ता है, ऐसा कोई भी कोई आश्रय नहीं बचता है जहाँ वे भाग कर जा सकें, उनके सिर तूफ़ान की उग्रता में चकराते हैं, और वे तुरंत बेहोश होकर बहते पानी में गिर जाते हैं और बहा लिए जाते हैं। वे बस मर जाते हैं, उनके पास बचाए जाने का कोई रास्ता नहीं होता है। सात गर्जनें मुझसे निकलती हैं, और मिस्र के ज्येष्ठ पुत्रों को मार गिराने, दुष्टों को दंडित करने और मेरी कलीसियाओं को शुद्ध करने के मेरे इरादे को व्यक्त करती हैं, ताकि सभी कलीसियाएँ एक-दूसरे से निकटता से जुड़ी रहें, वे एक ही तरह सोचें और काम करें, और वे मेरे साथ एक ही दिल की हों, और ब्रह्मांड की सभी कलीसियाओं को एक ही सूत्र में बाँधा जा सके। यह मेरा उद्देश्य है।
जब गर्जन होती है, रोने-चीखने की आवाज़ें फूट निकलती हैं। कुछ अपनी नी��द से जगा दिए जाते हैं, और, बहुत घबड़ा कर, वे अपने आत्माओं में गहरी खोज करते हैं और सिंहासन के सामने वापस भाग आते हैं। वे चालाकी, धोखेबाज़ी और अपराध करना रोक देते हैं, और ऐसे लोगों के जाग जाने में अभी देर नहीं हुई है। मैं सिंहासन से देखता हूँ। मैं लोगों के दिलों में गहराई से झाँकता हूँ। मैं उन लोगों को बचाता हूँ जो मुझे नेकी और उत्कंठा से चाहते हैं, और मैं उन पर दया करता हूँ। मैं अनंत काल तक उन लोगों को बचाऊँगा जो अपने दिलों में मुझे सब से अधिक प्यार करते हैं, जो मेरी इच्छा को समझते हैं, और जो मार्ग के अंत तक मेरा अनुसरण करते हैं। मेरा हाथ उन्हें सुरक्षित रखेगा ताकि वे इस परिस्थिति का सामना न करें और उन्हें कोई भी नुकसान न पहुँचे। जब कुछ लोग चमकती बिजली के इस दृश्य को देखते हैं, तो उनके दिल में एक ऐसा क्लेश होता है जिसे व्यक्त करना उनके लिए बहुत कठिन होता है, और उन्हें अफ़सोस बहुत देर से हुआ है। अगर वे इस तरह के व्यवहार में बने रहते हैं, तो उनके लिए बहुत देर हो चुकी है। ओह, सब कुछ, सब कुछ! यह सब कुछ किया जाएगा। यह उद्धार के मेरे साधनों में से एक है। मैं उन लोगों को बचाता हूँ जो मुझसे प्यार करते हैं और मैं दुष्टों को मार गिराता हूँ। तो मेरा राज्य पृथ्वी पर सधा हुआ और सुस्थिर रहेगा और पूरे विश्व में हर देश के सभी लोगों को पता चलेगा कि मैं प्रताप हूँ, मैं भड़कती आग हूँ, मैं वो परमेश्वर हूँ जो हर व्यक्ति के अंतरतम हृदय की तलाशी लेता है। इस समय से, महान श्वेत सिंहासन का न्याय लोगों के सामने सार्वजनिक रूप से प्रकट किया जाता है और सभी लोगों के सामने यह घोषणा की जाती है कि न्याय शुरू हो गया है! यह बात संदेह से परे है कि जो लोग अपने दिल की बात नहीं कहते हैं, वे जो अनिश्चित महसूस करते हैं और निश्चित होने की हिम्मत नहीं रखते हैं, जो अपने समय को आलस में बर्बाद करते हैं, जो मेरी इच्छाओं को समझते तो हैं लेकिन उन्हें अभ्यास में लाने के इच्छुक नहीं हैं, उनका न्याय किया जाना चाहिए। तुम लोगों को अपने इरादों और उद्देश्यों की सावधानी से जाँच करनी चाहिए, और अपना उचित स्थान लेने चाहिए, जो कुछ भी मैं कहता हूँ, उसका पूरी तरह से अभ्यास करना चाहिए, अपने जीवन के अनुभवों को महत्व देना चाहिए, बाहर से ही जोश के साथ कार्य मत करो, बल्कि अपने जीवन का विकास करो, उसे परिपक्व, स्थिर और अनुभवी बनाओ, और केवल तब ही तुम मेरे दिल के अनुसार होगे।
शैतान के अनुचरों को और उन दुष्ट आत्माओं को जो मेरे निर्माण को बाधित और नष्ट करते हैं, चीज़ों को अपने हित में शोषित करने का कोई भी मौका न दो। उन्हें गंभीर रूप से सीमित और नियंत्रित किया जाना चाहिए और उनके साथ केवल तेज़ तलवारों से निपटा जा सकता है। उनमें जो सबसे बुरे हैं, उन लोगों को तत्काल जड़ से उखाड़ देना चाहिए ताकि वे भविष्य में कोई खतरा पैदा न करें। और कलीसिया को पूर्ण किया जाएगा, वहाँ कोई निर्बलता न होगी, और वह स्वास्थ्य, जीवनशक्ति और ऊर्जा से भरपूर होगी। चमकती बिजली के बाद, गड़गड़ाहटें गूँज उठती हैं। तुम लोगों को उपेक्षा नहीं करनी चाहिए, और हार नहीं माननी चाहिए, बल्कि जो छूट गया है उसे पकड़ने का अपना पूरा प्रयास करना चाहिए, और तुम सब निश्चित रूप से देख सकोगे कि मेरा हाथ क्या करता है, मैं क्या हासिल करता हूँ, किसे हटा देता हूँ, किसे सिद्ध करता हूँ, किसे जड़ से उखाड़ फेंकता हूँ, और किसे मार गिराता हूँ। यह सब तुम लोगों की आँखों के सामने घटित होगा ताकि तुम सब स्पष्ट रूप से मेरी सर्वशक्तिमत्ता को देख सको।
सिंहासन से लेकर पूरे ब्रह्मांड के सिरों तक, सात गर्जनें गूँज उठती हैं। लोगों का एक बड़ा समूह बचाया जाएगा और मेरे सिंहासन के सामने समर्पित होगा। जीवन के इस प्रकाश के बाद, लोग जीवित रहने के साधनों को तलाशते हैं और वे स्वयं को मेरे पास आने से सम्मान में घुटने टेकने से रोक नहीं पाते हैं, उनके मुंह सर्वशक्तिमान सच्चे परमेश्वर के नाम को पुकारते हैं, और अपनी प्रार्थनाओं को व्यक्त करते हैं। लेकिन जो लोग मेरा विरोध करते हैं, जो अपने दिल को कठोर कर लेते हैं, उनके कानों में गर्जन गूँजती है और बिना किसी संदेह के, उन्हें मरना ही होगा। उनके लिए केवल यही अंतिम परिणाम है। मेरे प्यारे पुत्र जो विजयी हैं, सिय्योन में रहेंगे और सभी लोग देखेंगे कि वे क्या प्राप्त करेंगे, और तुम सब के सामने विशाल महिमा प्रकट होगी। यह सचमुच एक विशेष रूप से महान आशीर्वाद है, जिसकी मधुरता को शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल है।
जब सात गर्जनों की गड़गड़ाहट गूँजती है, तो जो मुझसे प्यार करते हैं, जो मुझे सच्चे दिल से चाहते हैं, उन लोगों का उद्धार होता है। जो मेरे हैं और जिन्हें मैंने पूर्वनिर्धारित किया और चुना है, वे सभी मेरे नाम की शरण में आ पाते हैं। वे मेरी आवाज़ सुन सकते हैं, जो परमेश्वर की पुकार है। पृथ्वी के सिरों पर रहने वालों को देखने दो कि मैं धर्मी हूँ, मैं वफ़ादार हूँ, मैं प्रेम हूँ, मैं करुणा हूँ, मैं प्रताप हूँ, मैं प्रचंड अग्नि हूँ, और अंततः मैं निर्मम न्याय हूँ।
दुनिया में सभी को देखने दो कि मैं खुद ही वास्तविक और पूर्ण परमेश्वर हूँ। सभी मनुष्य ईमानदारी से आश्वस्त हैं और फिर से कोई भी मेरा विरोध, मेरी आलोचना करने की, या मेरी निंदा करने की हिम्मत नहीं करता है। अन्यथा, उन्हें तुरंत शाप मिलेगा और उन पर विपत्ति आएगी। वे केवल रोएंगे और अपने दांत पीसेंगे और वे खुद अपना विनाश ले आएँगे।
सभी लोगों को जान लेने दो, और ब्रह्मांड के सिरों तक ज्ञात करा दो, ताकि प्रत्येक व्यक्ति को पता चल सके। सर्वशक्तिमान परमेश्वर एकमात्र सच्चा परमेश्वर है, सभी लोग एक के बाद एक घुटने टेक कर उसकी आराधना करेंगे और यहाँ तक कि वे बच्चे भी जिन्होंने अभी बात करना सीखा ही है, वे भी "सर्वशक्तिमान परमेश्वर" बोल उठेंगे! सत्ता को सम्भालने वाले अधिकारी अपनी ही आँखों के सामने सच्चे परमेश्वर को प्रकट होते देखेंगे और वे उपासना में साष्टांग करेंगे, दया और क्षमा की भीख माँगेंगे, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है क्योंकि उनकी मृत्यु का समय हो चुका है; उनके लिए यह किया ही जाना चाहिए: उन्हें असीम रसातल की सज़ा देनी ही होगी। मैं पूरे युग को समाप्त कर दूँगा, और अपने राज्य को और भी मजबूत करूँगा। सभी राष्ट्र और समस्त लोग अनंत काल के लिए मेरे सामने समर्पण कर देंगे!
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