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#स्वस्थ नींद की आदतें
guiasmaternos · 11 months
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एक शांत रात: बच्चे की नींद की रणनीतियाँ
शांत सांस की हलकी आवाज़, बच्चे की नींद में आराम से सुते चेहरा… बच्चे की नींद। एक बड़ी खुशी और मातृत्व के भी सबसे बड़े चुनौतियों में से एक। अगर आप पहली बार मां बनी हैं या पहले से गुजर चुकी हैं, तो आपको पता है कि बच्चे की नींद एक जटिल परिदृश्य हो सकता है। अपने छोटे को कैसे मदद कर सकते हैं कि वह अच्छी तरह से सोता है और सभी को शांतिपूर्ण रातें मिल सकें? इस पूरी गाइड में, हम स्वास्थ्यपूर्ण नींद की…
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सर्दियों में सेहत का ख्याल कैसे रखें
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इस मौसम में स्किन, बालों के साथ हेल्थ का भी विशेष तौर पर ख्याल रखना पड़ता है क्योंकि इस मौसम में चलने वाली ठंडी हवाओं की वजह से आप आसानी से बीमार हो सकते हैं। इस मौसम में अधिकतर व्यक्तियों की इम्यूनिटी भी कमजोर हो जाती हैं। ऐसे मे इस मौसम में शरीर का ख्याल रखने के लिए डाइट में विटामिन सी फूड्स को अवश्य शामिल करना चाहिए। इन फूड्स के सेवन से मौसमी बीमारियों का खतरा कम होगा। सर्दी में अक्सर लोग अपने आसपास का, तो ख्याल रखते हैं। लेकिन कई बार जल्दबाजी में अपना ख्याल रखना भूल जाते हैं, जिस कारण कई बार वह बीमार हो जाते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी सर्दी से बचाव टिप्स के बारे में बताएंगे, जो आपको सर्दी के मौसम में बीमार होने से बचाएंगी।
ऊनी कपड़े पहनें
सर्दी में बीमार होने से बचने के लिए यह जरूरी होता हैं कि ऊनी कपड़े पहने। ऊनी कपड़े पहनने से शरीर गर्म रहता है, जिससे आप सर्दी से बच सकते हैं। सर्दी में ट्रैवलिंग के दौरान  अपने साथ एक अतिरिक्त जैकेट/श्रग/कार्डिगन और एक ऊनी टोपी रखें ताकि तापमान गिरने पर आप इन्हें पहन सकें। साथ ही ध्यान रखें कि ज्यादा कपड़े भी न पहनें क्योंकि इसे शरीर का ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित हो सकता है।
हेल्दी डाइट लें
सर्दियों में स्वस्थ भोजन खाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। खासकर, ऐसा आहार जो आपको गरम रखे, यही सबसे अधिक आवश्यक है। अपने आहार में, साबुत अनाज, लीन मांस, अंडे, वसायुक्त मछली, गुड़, नट्स, और भरपूर मात्रा में ताजे फलों और सब्जियों को शामिल करें। मसा���े और जड़ी-बूटियां भी इसमें शामिल होने चाहिए, जो आपकी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देकर आपको स्वस्थ रखने में सहायक हो सकती हैं।
व्यायाम ज़रूर करें
अपनी फिटनेस को बनाए रखने के लिए सर्दियों में अपने आपको फिट रखने के लिए अपनी दिनचर्या में किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधियों जैसे योग, वॉकिंग आदि को शामिल करें। नियमित व्यायाम आपको अधिक कैलोरी बर्न करने में मदद करेगा। यह आपको गर्म रखेगा और आपकी प्रतिरक्षा में सुधार करेगा, जिससे खांसी और सर्दी जैसी मौसमी बीमारियों से शरीर की रक्षा भी बढ़ेगी। यदि आपको अस्थमा या हृदय रोग जैसी कोई समस्या है, तो हवा में प्रदूषकों और एलर्जी से बचने के लिए बाहर जाने पर मास्क पहनें।
हाइड्रेट रहें 
सुनिश्चित करें कि आप हर दिन पर्याप्त पानी पिएं। यह आपको हाइड्रेटेड रहने और हानिकारक विषाक्त पदार्थों से आपके सिस्टम को साफ करने में मदद करेगा। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर में तरल पदार्थ को संतुलित करने के साथ-साथ पोषक तत्वों को शरीर की कोशिकाओं तक ले जाने में भी मदद मिलेगी। यह कब्ज और अन्य पाचन समस्याओं को रोकने में भी मदद करता। पानी त्वचा को मॉइस्चराइज रखने और उसकी बनावट और उपस्थिति को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पर्याप्त नींद लें
नींद के महत्व को कम नहीं आंकना चाहिए। अच्छी नींद लेना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि व्यायाम करना और स्वस्थ भोजन करना। नींद की कमी से वजन बढ़ता है और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है, जिससे बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। वास्तव में, नींद की कमी अवसाद और शारीरिक कमजोरी जैसी बीमारियों का कारण बन सकती है, और उत्तम नींद आपकी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करती है।
हाइजीन बनाए रखें
सही हाइजीन का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है। साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोना, आंख, नाक और मुंह को छूने से बचना आवश्यक है। ये सभी आदतें बैक्टीरिया और कीटाणुओं के खिलाफ सबसे अच्छे बचाव के तरीकों में से एक हैं। कोविड-19 का खतरा अभी भी है, इसलिए इन सभी बातों का खास ध्यान रखें। साथ ही, सामाजिक दूरी और मास्क जैसी अन्य सुरक्षा के उपायों का भी पालन करें।
लापरवाही कर सकती है बीमार
मौसम के साथ तालमेल बनाए रखना जरूरी है, ताकि बीमारियां दूर रहें। बदलते मौसम में डाइट और फिटनेस पर खास ध्यान दें। अखरोट और बादाम जरूर खाएं। यह व्यक्ति को हेल्दी रखने में मदद करेंगे। इन दिनों मौसम में काफी उतार-चढ़ाव हो रहा है। ऐसे में सेहत प्रभावित होती है। खुली हवा में सिर और माथा ढंक कर निकलें। सुबह भर पेट नाश्ता करें, ताकि इन्फेक्शन न हो। हल्का गुनगुना पानी पिएं। सूप, हरी सब्जियां, फल और ग्रीन टी शामिल करें। ये इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती हैं। साफ सफाई का ध्यान रखें।
निष्कर्ष
सर्दियों में सेहत का ख्याल रखना व्यक्ति के सम्पूर्ण विकास और सुखद जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस मौसम में सही आहार, उचित व्यायाम, नियमित नींद, व्यस्त और सक्रिय जीवनशैली, और हाइजीन का पालन करना आवश्यक है। ये सभी उपाय सर्दियों के मौसम में बीमारियों से बचाव में मदद करते हैं और व्यक्ति को स्वस्थ और सुरक्षित रखने में साहायक होते हैं। सही सेहत का ध्यान रखने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है।
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वास्तव में जो भी अच्छा मतलब कहा जा सकता है। यह अच्छे व्यायाम, अच्छे आहार और अच्छे स्वास्थ्य का आनंद ले सकता है। यह आनंद लेना और आप जैसे हैं वैसे ही स्वयं को स्वीकार करना हो सकता है। हो सकता है कि यह आपके मानसिक स्वास्थ्य का जश्न मना रहा हो, जिसे सुधारने के लिए आपने इतने लंबे समय तक और इतनी कड़ी मेहनत की है।
यह अपने आप को प्यार करना और संजोना हो सकता है, भले ही आपके मन की उथल-पुथल आप पर क्या प्रभाव डाल रही हो। यह आपकी नींद का आनंद लेना, व्यक्तिगत या रचनात्मक लक्ष्यों की दिशा में काम करना, अपना फोन दूर रखकर सीखना, केवल अपनी देखभाल और लाभ के लिए थोड़ा समय निकालना, या बस सुबह 6 बजे उठकर जॉगिंग के लिए जाना हो सकता है
जब दुनिया शांत हो और रोशनी सुनहरी और हलचल भरी हो। चाहे यह उपचार हो, दीर्घकालिक लक्ष्य पूरा करने पर संतुष्टि हो, या हर दिन के आनंद में संतुष्टि हो, #तंदुरुस्ती के लिए बहुत कुछ कहा जा सकता है, चाहे वास्तव में इसका जो भी अर्थ कहा जा सकता है।
आपकी परिभाषा जो भी हो, अच्छा महसूस करना अच्छा लगता है। शायद यह कुछ ऐसा है जो हर किसी को थोड़ा अलग लगता है, और यह ठीक भी है। किसी भी स्थिति में, #वेलनेस के बारे में बहुत सारे लोग पोस्ट कर रहे हैं, और यह देखना अच्छा है।
यदि आप अपने कल्याण को बेहतर बनाने में रुचि रखते हैं, तो यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
* नियमित रूप से व्यायाम करें.
* स्वस्थ आहार खाएं.
* पर्याप्त नींद लें.
* अपने मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करें.
* अपने सामाजिक संबंधों को मजबूत करें.
* अपने शौक का पालन करें.
* अपने जीवन में आध्यात्मिकता को शामिल करें.
* अपने स्वास्थ्य और कल्याण के बारे में जागरूक रहें.
* अपने स्वास्थ्य और कल्याण के लिए समय निकालें.
* अपने स्वास्थ्य और कल्याण के लिए प्रयास करें.
#आज टम्बलर पर #वेलनेस#स्वास्थ्य और कल्याण#स्वस्थ जीवनशैली#कल्याण#स्वस्थ आदतें#स्वस्थ जीवन#स्वस्थ#पोषण#स्वास्थ्य
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newsdeets · 2 years
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रात के खाने की कुछ आदतें जो आपके जीवन को छोटा कर सकती हैं (Bad Dinner Habits)
रात के खाने की कुछ आदतें जो आपके जीवन को छोटा कर सकती हैं (Bad Dinner Habits)
Bad Dinner Habits: रात का खाना दिन का वह समय होता है जिसमें हमारा शरीर सबसे कम सक्रिय होता है। इसलिए, हल्का भोजन करने की सलाह दी जाती है जो पाचन को उत्तेजित करता है और भारी भोजन के कारण अपच का कारण नहीं बनता है। साथ ही डिनर में लाइट जाने से आपको अच्छी नींद लेने में मदद मिलेगी। कुल मिलाकर हल्का डिनर स्वस्थ जीवन शैली के लिए अच्छा होता है। लेकिन, बहुत से लोग रात के खाने के समय जघन्य गलतियाँ करते हैं…
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ivfjunction · 3 years
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जानिये ! आईवीएफ से पहले आपको किन बातो का ध्यान रखने की आवश्यकता है?
आईवीएफ (IVF) प्रक्रिया  के लिए खुद को तैयार करना किसी भी दंपत्ति के लिए एक बहुत ही बड़ा निर्णय होता है। यह जानते हुए कि हमारा समाज इस प्रक्रिया को ले कर कितना पिछड़ा हुआ है (सबसे पहले आईवीएफ इलाज होने के 40 साल बाद भी), यह एक बहुत बड़ी बात है कि आप इस सब से आगे बड़ कर सही इलाज लेने का कदम उठा रहें हैं। 
पूरा इंटरनेट आईवीएफ की जानकारी से भरा हुआ है परंतु बहुत कम स्त्रोत हैं जो सही तरह से बताते हैं कि आईवीएफ के लिए कैसे तैयारी की जाती है। किसी भी दंपत्ति के लिए बहुत ही मुश्किल होता है कई ऐसे लेख पढ़ना जो आईवीएफ के बारे में बड़ी बड़ी बातें लिखते हैं लेकिन आपको इस बात का उत्तर नहीं देते कि इस प्रक्रिया के लिए तैयार कैसे होते हैं। 
हम आशा करते हैं कि इस लेख से आपको सभी सवालों जैसे – मैं अपने शरीर को आईवीएफ के लिए कैसे तैयार करूं? मानसिक रूप से आईवीएफ के लिए कैसे तैयारी करते हैं? और आईवीएफ प्रिक्रिया के दौरान क्या क्या सवाल पूछने चाहिए? आदि के जवाब मिलेंगे। ये सभी सवाल बहुत महत्वपूर्ण हैं और हम आशा करते हैं कि आपको इन सभी के बारे में पता लग जाएगा, तो आईये जानते हैं हमे आईवीएफ से पहले आपको किन चीजें का ध्यान रखने की आवश्यकता है?
आईवीएफ के लिए खुद को कैसे तैयार करें? 
अगर आप पहले ही समझ गए हैं की आईवीएफ हर शरण पर कैसे काम करता है, तो आप जानते होंगे कि आईवीएफ प्रक्रिया में कई शरण होते हैं जिसमें डॉक्टर से परामर्श, खून जांचें, अंडों की उत्तेजना (ovarian stimulation), अंडों को शरीर से निकालना (Transvaginal Oocyte Retrieval), अंडों और स्पर्म को तैयार करना (Egg and Sperm Preparation), अंडों और स्पर्म को मिलाना (Egg Fertilizations), और इस मेल से बनने वाले एंब्रियो को महिला के गर्भ में रखना (Embryo transfer), आदि शामिल हैं। यह सब होने के दो हफ्ते बाद महिला का प्रेगनेंसी टेस्ट किया जाता है। यह सारे चरण सुनने में बहुत लम्बे और डरावने लग सकते हैं परंतु आप निश्चिंत रहिए कि आपके डॉक्टर के लिए यह सभी प्रक्रियाँ उनकी विशेषता हैं और उन्होंने इनमें महारत पाने के लिए कई साल मेहनत की है। 
आईवीएफ में बहुत से चारण होते हैं, इसलिए इसके लिए शारीरिक, मानसिक, और आर्थिक रूप से तैयार होना बहुत जरूरी है। इसके लिए बेहतर है कि आप एक ऐसे प्रदाता चुने जो आपको हर चरण में मदद करे और आपके ऊपर से यह ���ोझ हटा दे। आईवीएफ जंक्शन यह समझता है की यह प्रक्रिया आपके लिए कितनी डरावनी और मुश्किल हो सकती है और आपको पूरी प्रक्रिया के दौरान मदद करता है। हम आपको बहुत से रूप में मदद करते हैं जैसे – मानसिक तनाव को संभालना, आपके खान पान का ध्यान रखना, आर्थिक रूप में मदद करना और आपको हर चरण पर सही राय देना। इस सबसे आपको इस प्रक्रिया से गुजरने में बहुत सहायता मिलती है। 
पूरी प्रक्रिया होने में कुछ हफ्तों से कुछ महीनें भी लग सकते हैं और इसलिए यह जरूरी है कि आप एक सही आईवीएफ क्लिनिक चुने। इसके साथ साथ यह जानना कि इस प्रक्रिया से आपको क्या उम्मीद करनी चाहिए आपको इसके लिए भी तैयार बनाता है। 
·         आईवीएफ के लिए शारीरिक तैयारी
·         आईवीएफ के लिए आर्थिक तैयारी
·         आईवीएफ के लिए मानसिक तैयारी
·         टेक आवे
आईवीएफ के लिए शारीरिक तैयारी
आईवीएफ की प्रक्रिया के लिए जाने से पहले आप और आपके साथी को कुछ जांचें करवानी पड़ेंगी। यह सब जांचें सुनिश्चित करती हैं कि आपके डॉक्टर आपके लिए सही इलाज ढूंढ सके। इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि डॉक्टर आपके बच्चा ना होने के कारण को ढूंढ कर ठीक कर पाए। इनसे यह भी पता चलता है कि आपका खुद का बच्चा हो सकता है या फिर आपको एक डोनर की आवश्यकता है। 
अंडों की संख्या की जांच (ovarian reserve testing) 
आम भाषा में बोलें तो ओवेरियन रिजर्व टेस्टिंग से यह पता चलता है कि महिला के शरीर में कितने अंडे हैं जो एक कामयाब प्रेगनेंसी में बदल सकते हैं। सभी महिलाएं अंडों की एक संख्या ले कर पैदा होती हैं और इन अंडों को संख्या और क्वालिटी बढ़ती उम्र के साथ कम होती जाती है। ओवेरियन रिजर्व टेस्टिंग आपके डॉक्टर को आपका सही इलाज करने में मदद करती है। 
ओवेरियन रिजर्व टेस्टिंग में फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन (Follicle Stimulating Hormone), एंटी मुलेरियन हॉर्मोन (Anti Mullerian Hormone), इनहिबिन बी (Inhibin B), बेसल एस्ट्राडियोल (Basal estradiol) और एंट्रल फॉलिकल काउंट ( Antral follicle count) का टेस्ट किया जाता है। इन जांचों से पता चलता है की क्या आपके अंडे प्रेग्नेंसी में बदल सकते हैं या नही। 
संक्रामक रोगों की जांच
आपके (और अगर कोई डोनर हो तो) खून की जांच की जाती है ताकि किसी संक्रामक बीमारी का पता चल सके। 
गर्भ का परीक्षण
अगर आपके डॉक्टर को लगता है की आपके बांझपन का कारण गर्भ से संबंधित हो सकता है तो वो गर्भ का परीक्षण करने के लिए कुछ जांच कर सकते हैं जैसे – 
·         ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड
·         हिस्टेरोस्कोपी
·         सेलाइन हिस्टेरोसोनोग्राफी
·         और हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राफी
यह सारी जांचें कई बीमारियों का पता लगा सकती हैं जैसे – पॉलीप्स (polyps), अंतर्गर्भाशयी आसंजन, एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया (endometrial hyperplasia), गर्भाशय सेप्टा (septate uterus) और सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड (submucosal fibroids)। 
स्पर्म का परीक्षण
इस जांच में पुरुष के शुक्राणु का परीक्षण किया जाता है। इस टेस्ट में स्पर्म की संख्या, आकार, गतिशीलता, आदि का परीक्षण किया जाता है। एक आदर्श सीमिन सैंपल में 15 मिलियन शुक्राणु एक मिली लीटर सैंपल में होते हैं और इनमें से 50 प्रतिशत शुक्राणु की गतिशीलता अच्छी होनी चाहिए और कम से कम 4 प्रतिशत शुक्राणु का आकार सही होना चाहिए। इसके अलावा और कई चीजों की जांच की जाती है जिससे आपके डॉक्टर को पता चलता है की क्या यह स्पर्म प्रेगनेंसी को जन्म दे सकते हैं या नहीं। 
इन सभी जांचों के बाद आपके डॉक्टर को यह पता चल जाता है की आपके अंडे और स्पर्म से एक प्रेगनेंसी बन सकती है या नहीं, या आपको एक डोनर की जरूरत है।
इसके अलावा जरूरी है की आप एक सामान्य डॉक्टर और एक स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श कर लें ताकि अगर बांझपन का कोई और कारण है तो वों भी सामने आ जाएं। पीसीओएस ( PCOS) जैसे कई बीमारियां हैं जिससे महिला को बांझपन हो सकता है। 30 प्रतिशत दंपत्ति में बच्चे नहीं होने का कारण  पीसीओएस हो सकता है इसलिए यह बहुत जरूरी है की यह सारी जांचें की जाएं। 
आईवीएफ जंक्शन आपको सर्वश्रेष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञों, भारत के सबसे अच्छे आईवीएफ डॉक्टरों, आईसीएमआर अनुमोदित केंद्रों, आईवीएफ उपचार परामर्श और उपचार सहायता से विशेषज्ञ परामर्श प्रदान करता है। हम ऐसे केंद्रों के साथ साझेदारी करते हैं जिन्होंने सफलता दर स्थापित की है और सर्वोत्तम विशेषज्ञता, विशेष प्रयोगशालाएं, नैतिक अभ्यास और रोगी-केंद्रित हितों की पेशकश करते हैं।
हमारा फर्टिलिटी लाइफस्टाइल मैनेजमेंट प्रोग्राम आईवीएफ जंक्शन द्वारा विशेष रूप से डिजाइन किया गया एक प्रोग्राम है जो आपको आईवीएफ इलाज शुरू करने से पहले अपनी जीवन शैली को बदलने करने में मदद करता है।
सबसे पहले एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करना शुरू करें –
·         धूम्रपान और शराब का सेवन करना बंद कर दें। 
·         ��ात को एक अच्छी और पर्याप्त नींद लें।
·         रोजाना कसरत करें।
·         स्वस्थ भोजन ही खाएं। 
·         खूब सारा पानी पीएं।
·         अपनी सभी दवाएं ठीक से लें।
·         अपने वजन का ध्यान रखें।
·         ऐसे पदार्थों से दूर रहें जो आपके हॉरमोन के स्तर को बिगड़ सकते हैं।
धूम्रपान और शराब का सेवन करना बंद कर दें। 
धूम्रपान और शराब का सेवन आईवीएफ प्रक्रिया शुरू करने से पहले बंद कर देना चाहिए। यह आदतें आपके स्वास्थ्य के लिए बुरी होने के साथ साथ आपके अंडों या स्पर्म पर भी बुरा असर करती हैं। अगर आप बहुत समय से धूम्रपान करते हैं तो यह आदत छोड़ने का सही समय अभी है। आपके डॉक्टर धूम्रपान छोड़ने में आपकी मदद करेंगे। 
रात को एक अच्छी और पर्याप्त नींद लें।
नींद की कमी आपके शरीर में बहुत तरह के असंतुलन पैदा कर सकती है जैसे शरीर के सोने जागने की प्रकिया, हार्मोन्स का संतुलन, आपका मन, और आपके शरीर के नॉर्मल काम करने की क्षमता। रोज रात को अच्छी नींद लेना हार्मोन्स का स्तर ठीक रखने के लिए बहुत आवश्यक है। 
रोजाना कसरत करें।
आपको कुछ हल्की फुल्की कसरत जैसे टहलना, रोज करना चाहिए अगर आपके डॉक्टर आपको अनुमति देते हैं तो। आप ऐसी कसरत से शुरू कर सकते हैं जो आपको सक्रिय और प्रेरित रखें। कसरत करना आपके मूड को अच्छा रखता है और मानसिक तनाव को कम करता है। ताज़ी हवा सेहत के लिए अच्छी होती है और थोड़ा टहलना भी आपके मूड को अच्छा कर सकता हैं। लेकिन याद रखें कि अपने डॉक्टर से पूछे बिना कोई नई कसरत न शुरू करें। 
स्वस्थ भोजन ही खाएं। 
अपने डॉक्टर द्वारा बताया गया अच्छा भोजन ही खाएं। कुछ खाद्य पदार्थ आपका स्वस्थ बनाते हैं और आपको सभी जरूरतमंद पोषण देते हैं। आपके शरीर को कभी भी आवश्यक पोषक तत्वों जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट्स, विटामिंस, मिनरल्स और फाइबर की कमी नहीं होनी चाहिए। नियमित रूप से स्वस्थ खाद्य पदार्थ खाना यह निश्चित करेगा की आपको कभी भी किसी पोषक तत्व की कमी न हो। बाहर के पैकेज्ड खाने को कम ही खाएं क्युकी ऐसे खाद्य पदार्थों में ट्रांस – फैट्स की मात्रा ज्यादा होती है। एक नियमि��� आहार लेना, एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए बहुत आवश्यक है। 
खूब सारा पानी पीएं।
आप जानते हो होंगे की हमारे शरीर का लगभग 60 प्रतिशत भाग पानी से बना हुआ है। नियमित रूप से पानी पीना हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है ताकि शरीर में पानी की कमी न हो। आपको कोशिश करनी चाहिए की आप केफीन (caffeine) से भरी हुई चीज से दूर रहें और ज्यादा स्वस्थ चीजों को चुने। 
अपनी सभी दवाएं ठीक से लें।
आपके डॉक्टर आपको कुछ सप्लीमेंट्स दे सकते हैं अगर उनको लगता है कि आपको उनसे फायदा होगा। और यह बहुत जरूरी है कि आप उन्हें सही तरह से लेते रहें। दवाएं जैसे जिंक, फोलिक एसिड, कैल्शियम, और मैग्नीशियम आपको दी जा सकती हैं। इस बात का ध्यान रखें की यह बहुत जरूरी है कि आप यह दवाएं बिलकुल वैसे ही लें जैसे आपके डॉक्टर ने बताया है। सप्लीमेंट ओवरडोज (supplement overdose) एक ऐसी स्तिथि है जिसमे इन दवाओं की मात्रा शरीर में बढ़ जाती है और यह बहुत हानिकारक हो सकती है। अपने डॉक्टर के मुताबिक दवाओं को लेना आपको इस स्तिथि से सुरक्षित रखेगा। 
अपने वजन का ध्यान रखें।
सही वजन में रहना बहुत जरूरी हैं। अपने डॉक्टर से बात करिए कि आपके लिए सही वजन कितना है और उसी स्तर में रहने की कोशिश करें। आपके डॉक्टर आपको वजन बढ़ाने या घटाने में मदद कर सकते हैं। 
ऐसे पदार्थों से दूर रहें जो आपके हॉरमोन के स्तर को बिगाड़ सकते हैं। 
कुछ पदार्थ जैसे बीपीए (BPAs) और थेलेट्स (phthalates) शरीर में हार्मोन्स के स्तर को अंसांतुलित करते हैं। जरूरी है की आप इन पदार्थों के बारे में जाने और इनसे दूर रहें। 
आईवीएफ जंक्शन में नेटवर्क पार्टनर हैं जो आहार प्रबंधन प्रदान करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि आपको पता है कि आपके स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए वास्तव में क्या खाना चाहिए। आईवीएफ जंक्शन के आहार प्रबंधन भागीदार सुनिश्चित करते हैं कि आपके आहार संबंधी लक्ष्य आपकी आईवीएफ यात्रा के अनुरूप हों।
आईवीएफ के लिए आर्थिक तैयारी
·         आईवीएफ एक महंगी प्रक्रिया है और अकसर इस प्रक्रिया के आर्थिक पहलू के बारे में कोई बात नही करता। अगर आप पहले से इस आर्थिक पहलू के बारे में सोचे तो जब तक आपका बच्चा इस दुनिया में आएगा तब तक आपकी आर्थिक स्तिथि ठीक होगी।
·         आईवीएफ का खर्चा भारत और बाहर के देशों में कुछ चीजों पर निर्भर करता है।
·         आईवीएफ एक बहुत ही विशेषज्ञ प्रक्रिया है और इसमें बहुत सारे विशेषज्ञों की जरूरत होती है, जैसे – सर्वश्रेष्ठ आईवीएफ विशेषज्ञ, प्रजनन एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, नर्स, भ्रूणविज्ञानी और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक टीम। यह सारे बहुत साल बिता देते हैं इन सब में महारत पाने में ताकि वो आईवीएफ कर सकें। 
·         एंड्रोलॉजी लैब को चलाने में बहुत सारे पैसे लगते हैं और इसलिए इनके द्वारा दी जाने वाली प्रक्रियां भी महंगी होती है।
·         आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान कई सारे टेस्ट्स, जैसे – खून की जांच, सोनोग्राफी, स्पर्म का परीक्षण, हिस्टेरोस्कोपी, आदि किए जाते हैं ताकि बच्चा होने की संभावना बढ़ जाए। 
·         आईवीएफ प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के खर्चे के बारे में भी सोचना होगा। इस भाग में खर्चा कम करना सही नहीं होगा। 
·         जब आप आईवीएफ प्रक्रिया के आर्थिक स्तिथि के बारे में सोचे, तो यह सवाल खुद से जरूर करें कि क्या पैसे कम करने से मेरे स्वास्थ्य को कोई नुकसान तो नही पहुंचेगा? खर्चा कम करने के चक्कर में आपको कभी भी अपने स्वास्थ्य के साथ समझौता नहीं करना चाहिए और हमेशा अच्छे और समर्थ विशेषज्ञों को ही चुनना चाहिए। कोई भी कीमत आपके स्वास्थ्य से ज्यादा नहीं है।
·         आईवीएफ जंक्शन ने एक लागत कैलकुलेटर प्रदान किया है जो आपको शामिल वित्त का अनुमान लगाने में मदद कर सकता है।
·         हांलांकि पैसे के बारे में सोचना जरूरी है, कुछ रास्ते हैं जिससे आप इसका हिसाब लगा सकते हैं। आप कुछ विकल्पों के बारे में सोच सकते हैं जैसे ईएमआई (EMI) और लोन। आईवीएफ जंक्शन फर्टिलिटी  प्रोग्राम और अनुभवी काउंसलर की मदद से आपकी सामर्थ्य के अनुसार ईएमआई योजना का लाभ उठाने में आपकी मदद कर सकता है।
आईवीएफ के लिए मानसिक तैयारी
जब आईवीएफ प्रक्रिया की बात आती है तो सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले दो सवाल हैं कि मैं खुद को आईवीएफ के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से कैसे तैयार करूं? ज्यादातर लोगों ने आईवीएफ चुनने से पहले सभी घरेलू नुस्खे अपना लिए होते हैं। इसके साथ साथ यह प्रक्रिया बहुत लंबी और कठिन होती है, इसलिए यह आवश्यक है कि आप अपने मानसिकता का भी ध्यान रखें।
·  इसके लिए आपको खुद से कुछ सवाल करने चाहिए, जैसे – 
·  क्या मैं मानसिक रूप में आईवीएफ के लिए तैयार हूं?
·  क्या हम इस प्रक्रिया को पर्याप्त वक्त देने के लिए तैयार हैं?
·  अगर आईवीएफ के दौरान हम अंडे या स्पर्म डोनर की जरूरत पड़ती है तो क्या उस स्तिथि से सहमत हैं?
·  आईवीएफ प्रक्रिया के कई चरणों, जैसे पेग्नेंसी टेस्ट करते समय, के दौरान घबराहट हो सकती हैं क्या हम उसके लिए तैयार हैं?
·   हमें सरोगेट की जरूरत भी पढ़ सकती है। क्या हम इस बात से सहमत हैं?
·  आईवीएफ में कई बार एक से ज्यादा प्रेगनेंसी भी हो सकती है। क्या हम ऐसी स्तिथि के लिए तैयार हैं?
·  क्या मेरे पास अपने तनाव को कम करने के लिए कुछ उपाय हैं?
·  आईवीएफ प्रक्रिया में अकसर बहुत समय लग सकता है। क्या हम इतने लंबे समय तक उपचार लेने के लिए तैयार हैं?
इन सब सवालों के जवाब देते वक्त यह बहुत जरूरी है की आप अपने आप से बिलकुल सच बोलें। साथ साथ यह भी ध्यान रहें की इस प्रक्रिया के दौरान आपके डॉक्टर हमेशा आपके साथ हैं। आईवीएफ की सफलता उन पर भी निर्भर करती है और वो हर चरण में आपके साथ होंगें। आईवीएफ डॉक्टरों ने हजारों दंपत्ति को अपना बच्चा पाने में मदद की है और वो समझते हैं की आईवीएफ मानसिक स्तर को कैसे प्रभावित करता है। इसलिए आपकी मदद के लिए कई सारी मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं। इसके साथ साथ आप ऐसे समूह में शामिल हो सकते हैं जिसमे और दंपत्ति हो जो आईवीएफ इलाज ले रहे हो। ऐसे दंपत्तियों से आपको बहुत मदद और टिप्पणी मिल सकती है।
आईवीएफ जंक्शन में नेटवर्क पार्टनर हैं जो तनाव प्रबंधन में मदद करते हैं। आईवीएफ जंक्शन का फर्टिलिटी ग्रुप आपको अपने आईवीएफ प्रश्नों को साझा करने के लिए एक जगह प्रदान करता है, जिसका जवाब विशेषज्ञों द्वारा दिया जाता है। 
निष्कर्ष
हम आशा करते हैं की इस लेख से आपको अपने इस प्रश्न का उत्तर मिल गया हो की – आईवीएफ के लिए कैसे तैयारी करते हैं? आईवीएफ एक ऐसी प्रक्रिया है जो आपको शारीरिक, मानसिक, और आर्थिक तरीके से चुनौती देती है। इसलिए बहुत जरूरी होता है की आप अपने डॉक्टर और इस प्रक्रिया पर भरोसा रखें। 
आप अपनी और मदद करने के लिए इस विषय में किताबें पढ़ सकते हैं। अपने आप को हर चरण पर याद दिलाएं की इतना लंबा और कठिन प्रक्रिया होने के बावजूद उसने सांकड़ों दंपत्ति को मां बाप बनने में मदद की है और विज्ञान में तरक्की की वजह से यह प्रक्रिया और बेहतर भी हुई है। 
इसके अलावा अपने डॉक्टर की सलाह को हमेशा माने। उन्होंने अपने जीवन के कई स���ल लगाने के बाद इस में महारत हासिल की है। अच्छे से जान बूझ कर ही अपने लिए एक आईवीएफ डॉक्टर को चुने। साथ साथ अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का बहुत ध्यान रखें।
जब आप विश्वास की यह छलांग लगाते हैं, तो हम भारत में उच्च योग्य आईवीएफ विशेषज्ञों की एक टीम के साथ इस प्रक्रिया में आपकी मदद करने के लिए मौजूद हैं।
 Source: https://ivfjunction.com/blog/how-to-prepare-for-ivf-in-hindi/
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chaitanyabharatnews · 3 years
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लॉकडाउन: 7 घंटे से कम नींद लेकर आप कर रहे हैं स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़, जानिए कैसी होनी चाहिए आपकी दिनचर्या
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चैतन्य भारत न्यूज लॉकडाउन के दौरान सभी अपने-अपने घरों के अंदर बंद है। कुछ लोग तो घर में रहकर भी सेहत का ख्याल रख रहे हैं लेकिन कुछ लोगों की घर में रहकर आदतें बिगड़ रही हैं और इसका असर शरीर पर पड़ रहा है। सबसे ज्यादा प्रभावित नींद हो रही है। रात में देर तक जागने से नींद पूरी नहीं होती जिसके कारण लोग तनाव, अनिद्रा और अवसाद की ओर जा रहे हैं। कम नींद से स्वास्थ्य पर बुरा असर मनोचिकित्सकों का कहना है कि रात को सात घंटे की नींद व दिनचर्या के पालन से ही स्वस्थ रह सकते हैं। उनका यह भी कहना है कि यदि दिन में अधिक सो लेते हैं तो सामान्य दिनों में रात में जितनी नींद लेते होंगे उससे 30 से 45 मिनट बाद ही सो पाएंगे। यदि आपने दिन में सोना शुरू कर दिया तो ये आदत आपकी बॉडी क्लॉक खराब होने के शुरुआती लक्षण है, जिसका मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
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कितने घंटे नींद आवश्यक विशेषज्ञों के मुताबिक, एक वयस्क व्यक्ति को रात को सात से साढ़े सात घंटे की नींद लेनी चाहिए। जब आप रात में गहरी नींद में सोते हैं तो आपके मस्तिष्क न्यूरोट्रांसमीटर बनाता है जिससे व्यक्ति जब सुबह उठता है तो वह खुद को ऊर्जावान और तरोताजा महसूस करता है। यदि आप तय समय से पहले ही सोने चले गए तो आपका दिमाग आपको उठे रहने के लिए ही कहेगा क्योंकि उस वक्त वो उतने न्यूरोट्रांसमीटर नहीं ��ने होते हैं। इस कारण आपको अच्छी नींद नहीं आएगी और जब आप उठेंगे तो थकावट महसूस करेंगे। दिन में सोने की आदत बढ़ाएगी परेशानी डॉक्टर्स का कहना है कि वर्क फ्रॉम होम के बाद भी कुछ लोग दिन में सो रहे हैं जोकि गलत आदत है। बेहतर यह होगा कि आप दिन में खुद को व्यस्त रखें और रात में अच्छी नींद लें। क्योंकि जब आप दिन में सोने की आदत बना लेंगे तो आने वाले समय में जब स्थितियां सामान्य होंगी और आप ऑफिस में रहेंगे तो आपको परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
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सोने जाने से पहले स्क्रीन टाइम कम करें जब आप रात में सोने जा रहे हैं तो उस समय आप मोबाइल या अन्य गैजेट से दूरी बना लें। लंबे समय तक टीवी, लैपटॉप, आईपैड, मोबाइल का इस्तेमाल करने से आंखों में दर्द की शिकायत भी हो सकती है। इसलिए समय-समय पर आंखों को आराम देते रहें।
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इस तरह रखें खुद को व्यस्त सुबह समय से दैनिक क्रिया को करें। व्यायाम और योग करें मन शांत रहेगा। नहाने के बाद पूजा-पाठ कर कुछ समय ध्यान लगाएं। घर-परिवार के लोगों के साथ समय बिताएं। उनसे बातचीत करें। जो अकेले हैं वो अपने पसंदीदा काम करें। आलस्य त्यागकर कुछ नया सीखने की कोशिश करें। ये भी पढ़े... लॉकडाउन में घर में हो रहे हैं बोर? कुछ इस तरह करें समय का सदुपयोग लॉकडाउन में इस तरह बिताएं अपना दिन, हर वर्ग के लोगों के लिए टिप्स लॉकडाउन: घर में बैठे-बैठे बच्चें हो रहे हैं बोर, इन तरीकों से बनाएं उन्हें क्रिएटिव और एक्टिव Read the full article
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omthedevinename · 4 years
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हम अपनी नजर को तेज और स्वस्थ कैसे रख सकते हैं? सब्जियां, फल और ओमेगा थ्री फैटी एसिड, विटामिन-ए, सी और ई के साथ बीटाकैरोटिन अच्छी मात्रा में लें, भरपूर नींद लें और सूरज की सीधी रोशनी से बचें. मतलब यह कि अच्छी आदतें और अपने स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान देने का आंखों की देखभाल में बहुत बड़ा योगदान है. आंखें हमारे शरीर की खिड़की हैं, हम इस खिड़की के जरिए बाहर की दुनिया देखते हैं तो इन्हीं आंखों के भीतर झांककर डॉक्टर हमारे समझने से पहले ही मोतियाबिंद, रक्तचाप में गड़बड़ी, मधुमेह, हृदय रोग और स्वास्थ्य की अन्य समस्याओं को भांप लेते हैं और उनसे बचने में हमारी मदद करते हैं. (at ताज नगरी) https://www.instagram.com/p/CFYt5vtMloW/?igshid=f7kgr1200ive
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बच्चा जो दिन में तीन घंटे टीवी देखते हैं, वे पांच साल की उम्र तक अपने साथियों की तुलना में कम व्यायाम करते हैं
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टोडलर जो टीवी के सामन��� घंटों बिताते हैं या गोलियां देख रहे हैं वे कुछ साल बाद अधिक निष्क्रिय हैं, शोधकर्ताओं ने पाया है। कम उम्र में निर्धारित की गई दो खोज की आदतों से 500 बच्चों का अध्ययन बचपन में बाद में निगला गया। जो लोग दिन में तीन घंटे से अधिक समय टीवी देखते थे या दो साल की उम्र में गोलियां देखते थे और पांच साल की उम्र में कम व्यायाम करते थे। उन्होंने हर दिन 40 मिनट अधिक बैठे जब उन्होंने स्कूल जाना शुरू किया, एक सप्ताह में चार घंटे तक। पांच साल की उम्र तक अपने साथियों की तुलना में हर हफ्ते टीवी के सामने या स्क्रीन पर तीन घंटे बिताने वाले टॉडलर्स अपने साथियों की तुलना में चार घंटे कम व्यायाम करते हैं। लैंसेट चाइल्ड एंड अडोलेसेंट हेल्थ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर द्वारा आयोजित किया गया था। परिणाम विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों का पालन करते हैं, जो दो से पांच साल के बच्चों के बीच प्रति दिन एक घंटे या उससे कम की सीमा तय करते हैं, जीवन में बाद के लिए स्वस्थ पैटर्न को बढ़ावा दे सकते हैं। शोधकर्ता प्रोफेसर फॉक मुलर-रीमेन्सशाइनडर ने कहा: 'हमने यह निर्धारित करने की कोशिश की कि क्या दो से तीन साल की उम्र में स्क्रीन देखने की आदतें प्रभावित हुईं कि बच्चों ने पांच साल की उम्र में अपना समय कैसे बिताया। 'विशेष रूप से हमें इस बात में दिलचस्पी थी कि क्या स्क्रीन को देखने से नींद के पैटर्न और गतिविधि के स्तर बचपन में प्रभावित होते हैं।' बच्चों के विकास के विकास के जोखिम को दूर करने में मदद करता है? एक दिन में तीन या अधिक घंटों के लिए टीवी देखने से बच्चे के टाइप 2 मधुमेह के विकास का खतरा बढ़ सकता है, यह जुलाई 2017 में सुझाया गया शोध है। एक अध्ययन में पाया गया कि जो बच्चे स्क्रीन के सामने कम से कम तीन घंटे बिताते हैं वे भारी होते हैं और उनमें इंसुलिन प्रतिरोध अधिक होता है। ये दोनों हालत के लिए जोखिम कारक हैं। इस तरह के युवा हार्मोन लेप्टिन के बिगड़ा हुआ मात्रा का उत्पादन करते हैं, अनुसंधान कहते हैं। लेप्टिन भूख को नियंत्रित करने में शामिल है। अध्ययन के प्रतिभागी के गतिविधि के स्तर को ध्यान में रखने के बाद भी ये परिणाम बने रहे, अध्ययन में पाया गया। लंदन विश्वविद्यालय के सेंट जॉर्ज के अध्ययन लेखक डॉ। क्लेयर नाइटिंगेल ने कहा: 'हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि कम उम्र से ही, लड़कों और लड़कियों दोनों में टाइप 2 डायबिटीज जोखिम कारकों को कम करने में स्क्रीन का समय कम करना फायदेमंद हो सकता है। 'यह विशेष रूप से प्रासंगिक है, टाइप 2 मधुमेह के बढ़ते स्तर को देखते हुए, टाइप 2 मधुमेह जोखिम का प्रारंभिक उद्भव और हाल ही में स्क्रीन से संबंधित गतिविधियों का सुझाव देने वाले रुझान बचपन में बढ़ रहे हैं।' शोधकर्ताओं ने नौ और 10 साल की उम्र के 4,495 बच्चों का विश्लेषण किया। बच्चों को उन कारकों के लिए मूल्यांकन किया गया था जो उनके मधुमेह के विकास के जोखिम को प्रभावित करते हैं। उनके शरीर का अनुपात, गतिविधि का स्तर और स्क्रीन के सामने समय बिताने की मात्रा - या तो टीवी देखना या कंप्यूटर का उपयोग करना - हर दिन भी रिकॉर्ड किया गया था। माता-पिता को यह रिपोर्ट करने के लिए कहा गया कि बच्चों ने टीवी पर वीडियो गेम देखने, या कंप्यूटर का उपयोग करने, या मोबाइल फोन या टैबलेट जैसे हैंडहेल्ड डिवाइस का उपयोग करके या तो औसतन कितना समय बिताया। इन स्क्रीन आदतों को तब दर्ज किया गया था जब बच्चे दो साल की उम्र में और फिर तीन साल की उम्र में थे। पांच साल की उम्र में, बच्चों ने अपनी नींद, गतिहीन व्यवहार और शारीरिक गतिविधि की निगरानी के लिए लगातार सात दिनों तक एक गतिविधि ट्रैकर पहना। अध्ययन में शामिल बच्चों ने औसतन ढाई घंटे दो से तीन साल की उम्र में स्क्रीन पर देखे। टेलीविज़न सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण था और सबसे लंबे समय तक देखने के समय से जुड़ा था। अध्ययन में कम संख्या में बच्चे प्रति दिन या उससे कम एक घंटे की डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों को पूरा करते हैं। जो बच्चे दो और तीन साल की उम्र में दिन में तीन घंटे स्क्रीन के सामने थे, उन्होंने हर दिन 30 मिनट कम लाइट फिजिकल एक्टिविटी की और पांच मिनट की उम्र तक हर दिन 10 मिनट कम वेजिटेबल एक्टिविटी की। हालांकि कुछ वर्षों के बाद अधिक परिश्रम ने गतिहीन व्यवहार में महत्वपूर्ण वृद्धि का कारण बना, यह बाद की नींद की आदतों को प्रभावित नहीं करता था। इंग्लैंड के पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डेम सैली डेविस ने पिछले फरवरी में प्रकाशित मार्गदर्शन में कहा कि माता-पिता को सोशल मीडिया पर घंटों बिताने से होने वाले नुकसान से बचने के लिए डिनर टेबल और अपने बच्चों के बेडरूम से मोबाइल फोन पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों को हर दो घंटे में छुट्टी देनी चाहिए। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की सलाह है कि 18 महीने से छोटे बच्चे वीडियो-चैटिंग के अलावा सभी स्क्रीन मीडिया से बचें। 18 से 24 महीने के बच्चों के माता-पिता जो डिजिटल मीडिया को पेश करना चाहते हैं, उन्हें उच्च-गुणवत्ता वाले कार्यक्रमों का चयन करना चाहिए, और अपने बच्चों के साथ यह देखने में मदद करना चाहिए कि वे क्या देख रहे हैं। दो से पांच साल की उम्र के बच्चों के लिए, माता-पिता को प्रति दिन एक घंटे के लिए स्क्रीन उपयोग को सीमित करना चाहिए - और उनके साथ देखना जारी रखें। जनवरी में प्रकाशित कैलगरी विश्वविद्यालय द्वारा किए गए पिछले शोध में पाया गया कि दो साल की उम्र में सबसे अधिक चौकसी के साथ तीन साल की उम्र में गरीबों का विकास हुआ।
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नशा मुक्ति केंद्र
नशा करने से मानव शरीर का लगभग हरेक अंग प्रभावित होता है, यही नहीं बल्कि मानसिकता, विचार और सोच पर भी नशे का दुष्प्रभाव देखने को मिलता है। हालाँकि ये भी निर्भर करता है की इंसान किस किस चीज का नशा करता है? कितने वक़्त से नशा करता है? नशा करने की बारम्बारता कैसी रही है? किस उम्र से नशे का शिकार हुआ? या क्यों ही नशा करता है? इस प्रकार हमें कई पहलुओं को समझना होगा ताकि दुष्प्रभाव का आंकलन करने में आसानी हो। सामान्यतया जो देखा गया है वो है शराब, सिगरेट, गुटका, तम्बाकू, अफीम, ड्रग्स, सिलोचन, नींद की दवा, दर्द निवारक दवा, जुए का नशा, TV देखने की लत, इंटरनेट और सोशल मीडिया की लत या इस तरह के अनगिनत और फ़िज़ूल की चीजें जो की एक स्वस्थ इंसान का समय, पैसे, ऊर्जा और मानसिकता के लिए हर हल में हानिकारक सिद्ध हुआ है। Nasha Mukti  Kendra Bhopal सबसे पहले तो जो इंसान नशे का आदि हो चूका है उसकी मानसिकता प्रभावित होती है। उसके आक्रामकता, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, हमेशा हड़बड़ में रहना, बातें और चीजें छुपाना, अकेले रहने की आदत, चिंताग्रस्त, असामान्य भावुकता या क्रोध जैसी आदतें पनपने लगती है और ये दिनों दिन बढ़ता जाता है, दूसरे शब्दों में यही चीजें बाद में कारण बन जाती है नसेड़ी के नशा करने की बारम्बारता का। गौर कीजिये तो समझ में आएगा की इनमें से एक भी आदत सामान्यतया स्वस्थ इंसान से कोशों दूर पाया जाता है।   लगातार नशा करने से मनुष्य का मस्तिष्क धीरे धीरे संकुचित होने लगता है, ठीक से सोचना और निर्णय नहीं लेना एकआम बात होती है। मानसिक रूप से नशे पर और परनिर्भरता आ जाती है है नशेड़ियों में। आंखों में लालिमा या पीलापन होना सुरु हो जाता है। फिर कम दिखना या धुंधला दिखने लगता है। चेहरे पर झुर्रियां और असमय वृद्ध दिखने लगता है।दांतों में दर्द और दांत की समस्याएं होने  लगती है। मुँह में लार कम बनने लगता है जिसके कारण पाचन क्रिया प्रभावित होती है। मनुष्यों में जिह्वा छोटी और मोती हो जाती है, जो सामान्य रूप से मुँह के अंदर घूम भी नहीं पाती। भोजन तथा स्वांस नलिका दोनों सामान रूप से विकृत होने लगता है जो बाद में कई बिमारियों का कारण बन जाती है। सांस लेने की प्रक्रिया दिनों दिन छोटी और  असामान्य हो जाती है। लगातार नशे के कारण मनुष्य का फेंफड़ा, ह्रदय, अमाशय,अग्न्याशय, जठरग्रंथि,  पित्ताशय, यकृत तथा गुर्दे की बीमारियां होती है जिसका इलाज बड़े अस्पतालों में बड़ा ही महंगा है। कभी कभार बात इतनी बिगड़ जाती है की अंग प्रत्यारोपण की भी आवस्यकता पड़ती है। कुल मिलकर बात ये समझ में आती है की जो इंसान रोज रोज और लगातार नशा करेगा उसका शारीरिक और मानसिक क्रियान्वन असंतुलित होगा।  श्री शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र भोपाल एवं इंदौर में मध्यप्रदेश के लगभग सभी जिलों से नशा पीड़ित आते हैं नशा मुक्ति के इलाज के लिए। जैसे अगर आप दमोह में नशा मुक्ति केंद्र (nasha mukti kendra in Damoh), दातिया में नशा मुक्ति केंद्र (nasha mukti kendra in Datia), देवास में नशा मुक्ति केंद्र (nasha mukti kendra in Dewas), धार में नशा मुक्ति केंद्र (nasha mukti kendra in Dhar), डिंडोरी में नशा मुक्ति केंद्र (nasha mukti kendra in Dindori), गुना में नशा मुक्ति केंद्र (nasha mukti kendra in Guna), ग्वालियर में नशा मुक्ति केंद्र (nasha mukti kendra in Gwalior), हरदा में नशा मुक्ति केंद्र (nasha mukti kendra in Harda)या होशंगाबाद में नशा मुक्ति केंद्र (nasha mukti kendra in Hoshangabad) की तलाश कर रहे हों तो बस एक बार हमें कॉल कीजिये ताकि हम आपको हर तरह से सहायता प्रदान कर सकें। हमारे श्री शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र भोपाल एवं इंदौर में हम चौबीसों घंटे एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध रखते हैं। हमारे लिए नशा पीड़ित का सफल इलाज और उसकी पूरी गोपनीयता सर्वोपरि है।
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motivationwithpvm · 4 years
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Osho What is Meditation?Meditation by Osho
 Osho What is Meditation?Meditation by Osho
आप सभी ने हमारे और आर्टिकल्स को इतना पसंद किया जिसके लिए आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद !
Rajneesh Osho
Osho ka Pravachan 
पहला सूत्र आपको देता हूँ उस शक्ति को जगाने का जो सबसे निकटतम और सरल , उपाय आदमी के पास उपलब्ध है , वो स्वांस है |
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सुबह उठते ही जैसे होश आया बिस्तर पर , गहरी सांस लेना शुरू करो , रास्ते पर चलते हों तो गहरी सांस ले , जितनी गहरी हो सके उतनी गहरी लें , परेशान नहीं हो जाना है , गहरी लें , शांति से लें , आनंद से लें पर लेनी गहरी है और पूरे वक्त ख्याल रखना है जितनी ज्यादा प्राणवायु भीतर जा सके , आपके खून में , आपकी सांस  में , आपके ह्रदय में जितनी प्राणवायु जा सके और जितनी कार्बन डाई ऑक्साइड बाहर फेंकी जा सके , उतना ही वो ध्यान जो हम करने जा रहे हैं , उसमे सरलता हो जाएगी | जितनी ही प्राणवायु भीतर होती है , उतनी ही शारीरिक अशुद्धि कम हो जाएगी और बड़े मज़े की बात , शारीरिक अशुद्धि का आधार अगर छूट जाये तो मन को अशुद्ध होने में कठिनाई शुरू हो जाए | जितनी ताज़ी हवा भीतर होगी , उतने आपके मन के दूषित विचार के पनपने की सम्भावना कम हो जाएगी |osho what is meditation meditation by osho,osho what is meditation,meditation by osho,what is meditation by osho,what is meditation osho
तो पहला..
 HyperOxigenic प्राणवायु आधिक्य - 
 प्राणवायु आधिक्य , इस पर ध्यान रखें सात दिन पूरे | इसमें दो तीन बातें होंगी , उनसे घबराएं न !
अगर गहरी सांस लेंगे तो नींद कम हो जाएगी उससे जरा भी चिंता न करें |
नींद कम हो जाती है , जब भी नींद गहरी हो जाती है , तो जितनी गहरी स्वांस लेंगे , सांस की गहराई के साथ नींद की गहराई बढ़ती है | इसलिए तो जो लोग मेहनत करते हैं वो रात गहरी नींद सोते हैं , जो मेहनत नहीं कर पाते , वो रात गहरी नींद नहीं सो पाते | जितनी सांस की गहराई होगी भीतर , उतनी नींद की गहराई बढ़ जाएगी लेकिन नींद की अगर गहराई बढ़ेगी , इंटेंसिटी बढ़ेगी तो extension कम हो जायेगा , लम्बाई कम हो जाएगी | उसकी चिंता नहीं लेनी है अगर आप सात घंटे सोते हैं तो चार घंटे में पूरी हो जाएगी , पांच घंटे में पूरी हो जाएगी , इसकी  कोई फिकर नहीं लेकिन पांच घंटे में , आप आठ घंटे की बजाय ज्यादा ताज़े और ज्यादा आनंदित और ज्यादा स्वस्थ सुबह उठेंगे | जब सुबह नींद टूट जाए और जल्दी नींद टूट जाए और जल्दी नींद टूटने लगेगी | अगर आपने गहरी सांस ली तो जल्दी नींद टूटने लगेगी तो जब नींद टूट जाए , उठ आयें | सुबह के उस आनंपूर्ण क्षण को न खोंये | उसका ध्यान के लिए उपयोग करें |पहली बात !
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और दूसरी बात , जितना कम भोजन ल��� सकें और जितना हल्का ले सकें , उतना हितकर जितना अल्प ले सकें और जितना हल्का ले सकें जो जितना कर सके जिसको जितनी सुविधा हो वो उतना कम करे | जितना कम कर लेंगे ध्यान की गति उतना सुगम और तीव्र हो जाएगी , क्यों ? 
कुछ गहरे कारण हैं , हमारे शरीर की कुछ , सुनिश्चित आदतें हैं | ध्यान हमारे शरीर की आदत नहीं है , ध्यान हमारे लिए नया काम है | शरीर के बंधे हुए association , शरीर की बंधी हुई आदतों को अगर , कहीं से तोड़ दिया जाए तो शरीर और मन नई आदत को पकड़ने में आसानी पायेगा | कई दफे तो आप हैरान होंगे की अगर आप चिंतित होते हैं और सिर खुजलाने लगते हैं | अगर आपका हाँथ बाँध दिया जाये और आप सिर न खुजला पाएं तो आप चिंतित न हो सकेंगे 
अब आप कहेंगे की सिर खुजलाने से चिंता का क्या association शरीर की निश्चित आदत हो गयी है  वो अपनी  पूरी की पूरी अपनी आदत को , अपनी  व्यवस्था को  पकड़कर पूरा कर लेता है | शरीर की जो  सबसे गहरी आदत है , वो भोजन है , सबसे गहरी , क्योंकि उसके बिना तो जीवन नहीं हो सकता है | Deep Most The Deepest ध्यान रहे सेक्स भी ज्यादा गहरी  | जीवन में जितनी भी गहराईयाँ है हमारे , उनमे सबसे ज्यादा गहरी आदत भोजन है | जन्म के पहले दिन से शुरू होती है  और मरने के आखिरी दिन तक चलती है | जीवन का अस्तित्व उसपर खड़ा है , शरीर उस पर खड़ा है  इसलिए अगर आपको अपने मन और शरीर की आदतें बदलनी है  तो उसकी गहरी आदत को एकदम शिथिल कर दें | उसके शिथिल होते ही ,शरीर का जो कल तक का इंतजाम था ,अस्त व्यस्त हो जायेगा  और उसकी अस्त व्यस्त हालत में आप , नई दिशा में प्रवेश करने में  आसानी पाएंगे  अन्यथा आप आसानी नहीं पाएंगे | तो जितना कम बन सके किसी को  उपवास करना है , उपवास कर सकता है | किसी को एक बार भोजन लेना है , एक बार ले सकता है  | आपकी मर्जी पर है , नियम बनाने की जरुरत नहीं है  | अपनी मर्जी से चुपचाप , जितना  कम से कम न्यूनतम मिनिमम  का ख्याल रखें |
दूसरी बात - स्वल्पाहार 
तीसरी बात - एकाग्रता  
चौबीस घंटे में आप , गहरी सांस् लेंगे ही , साथ ही श्वांस पर ध्यान भी रखें  तो एकाग्रता स्वतः ही फलित हो जाएगी  | रास्ते पर चल रहें हैं , श्वांस ले रहे हैं  , श्वांस बाहर से भीतर गयी तो देखते रहें ! चौकन्ने रहें देखते रहें की श्वांस भीतर  गई  | श्वांस बाहर जा रही है तो बाहर गई , भीतर जा रही है तो भीतर गई , ध्यान रखेंगे तो गहरा भी ले पाएंगे , नहीं तो जैसे ही भूलेंगे वैसे ही श्वांस धीमी हो जाएगी  और गहरा लेते रहेंगे तो ध्यान भी रख पाएंगे  क्योंकि गहरा लेने के लिए ध्यान रखना ही पड़ेगा , तो ध्यान को श्वांस के साथ जोड़ लें | कुछ काम करते वक़्त अगर ऐसा लगे की अभी ध्यान श्वांस पर नहीं रखा जा सकता  तो जिन कामों को करते वक़्त ऐसा लगे की  अभी ध्यान श्वांस पर नहीं रखा जा सकता  तब उन कामों पर Concentration एकाग्रता रखें  और एकाग्र रहें | खाना खा रहें हैं तो खाना पूरी एकाग्रता से खायें  | एक एक कौर  पूरे ध्यानपूर्वक उठायें  | स्नान कर रहें हैं तो एक एक पानी का कतरा भी ऊपर पड़े  तो पूरे ध्यानपूर्वक | रास्ते पर चल रहें  हैं तो पैर एक - एक उठे तो ध्यान पूर्वक | ये सात दिन , आपका चौबीस घंटा , ध्यान में  लीन हो जाये  | ये  ध्यान करने की पृष्ठिभूमि  बनाने की बात है , ध्यान तो अभी बाकी है | इसलिए जो भी करें बहुत ध्यानपूर्वक , बहुत एकाग्रचित से करें  और ज्यादातर तो श्वांस पर ही एकाग्रता रखें  क्योंकि  वो चौबीस घंटे चलने वाली चीज है | न तो चौबीस घंटे खाना खा सकते है , न स्नान कर सकते हैं , न चल सकते हैं | श्वांस चौबीस घंटे चलेगी , उस पर चौबीस घंटे ध्यान रखा जा सकता है , उस पर ध्यान रखें | भूल जायें दुनिया में  कुछ और  हो रहा है  बस एक ही काम हो रहा है  ,श्वांस भीतर आ रही है और श्वांस बाहर जा रही है , बस ये श्वांस का बाहर और भीतर आना  , आपके लिए माला की गुरिया बन जाए | इस पर ही ध्यान को ले जायें |osho what is meditation meditation by osho,osho what is meditation,meditation by osho,what is meditation by osho,what is meditation osho
चौथा सूत्र 
इन्द्रिय उपवास - तीन बातें इसमें करनी हैं | एक तो जो लोग पूरे दिन मौन रह सकें ,वो पूरे दिन के मौन हो जायें | जिनको कठिनाई मालूम पड़े वो भी टेलीग्राफिक हो जायें | जो भी बोलें तो समझे की एक - एक शब्द की कीमत चुकानी पड़ रही है तो दिन में दस बीस शब्द से ज्यादा नहीं | बहुत जरूरी मालूम पड़े , जान पर ही आ बने तो ही बोलें | जो पूरा मौन रख सकें उनके फायदे का तो कोई हिसाब ही नहीं | पूरा मौन रख सकें कोई कठिनाई नहीं , एक कागज पेन्सिल रख लें , जरुरत पड़ी तो लिख दें | बता दें कुछ जरुरत पड़े तो ,पूरे मौन हो जायें |
मौन से आपकी सारी शक्ति भीतर इकट्ठी हो जाएगी जिसे हमें ध्यान में आगे ले जाना है | आदमी की कोई आधे से ज्यादा शक्ति , उसके शब्द ले जातें हैं , शब्द को तो बिलकुल छोड़ दें , तो ख्याल कर ��ें जिसकी जितनी सामर्थ्य हो उतने मौन हो जायें और इतना तो ध्यान ही  रखें की आपके द्वारा किसी का मौन न टूटे | आपका टूटे , आपकी किस्मत आप जिम्मेवार ! अकारण बातें किसी से न पूछें , अकारण जिज्ञासायें न करें | व्यर्थ के सवाल न उठायें , किसी को बातचीत में डालने की , आप कोशिश न करें |
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yourwellnes · 4 years
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क्यों आप अपने कीस्टोन की आदतें विकसित करने की आवश्यकता है
इससे मुझे yst कीस्टोन आदतों के बारे में सोचने को मिला। '
कीस्टोन की आदतें अन्य आदतों के विकास और अभ्यास की ओर ले जाती हैं जो आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव के एक लहर प्रभाव को बनाने में मदद कर सकती हैं।
लोग अक्सर मुझसे सटीक विवरण मांगते हैं कि मैं साल भर स्वस्थ जीवन जीने के लिए कैसे प्रेरित रहूं। ईमानदारी से, यह कुछ स्वस्थ आदतों का अभ्यास करने के लिए नीचे आता है और फिर सकारात्मक परिवर्तनों के लहर प्रभाव का आनंद ले रहा है। इन आदतों में हर रात एक अच्छे घंटे में खुद को बिस्तर पर रखना जैसे शामिल हैं!
मुझे अपनी ���दतों के बारे में सोचना और रोकना पड़ा क्योंकि वे वर्षों के अभ्यास के साथ दूसरी प्रकृति बन गए हैं। यही लक्ष्य है- आदतें जो फिटनेस को एक जीवन शैली से अधिक और एक घर का काम करती हैं, सही है?
उदाहरण के लिए, यह फिटनेस के बारे में आसान नहीं है। स्वस्थ आदतों को स्थापित करके और अपनी जीवनशैली को उन आदतों के परिणामस्वरूप बदलने में मदद करने से यह सहज महसूस करता है।
मेरे कीस्टोन की कुछ आदतें
1. कार्यदिवस पर मेरे स्क्रीन समय (फोन और टेलीविजन) को सीमित करना- मुझे संडे नेटफ्लिक्स की बोली बहुत पसंद है, लेकिन सप्ताह के दिनों में, मैं अपने फोन पर टीवी टाइम और माइंडलेस स्क्रॉलिंग को कम से कम रखता हूं। मैं इस आदत के बारे में तब और गंभीर हो गया जब मैंने अपने iPhone को अपग्रेड किया और इसने मुझे अपने स्क्रीन टाइम की साप्ताहिक रिपोर्ट भेजनी शुरू कर दी। मैं हर दिन औसतन 3.5 घंटे एप्स और टेक्स्टिंग के साथ खेलता था और कौन जानता है-क्या-और। यह सप्ताह में लगभग 24.5 घंटे है, जो अंशकालिक नौकरी के बराबर है! हर दिन मेरी स्क्रीन का समय 2 घंटे से कम करने के परिणामस्वरूप, मेरे पास समय है:
विभिन्न प्रकार की शैलियों से अधिक पुस्तकें पढ़ें
सुबह मेरे फोन के लिए पहली बात नहीं है
और काम करो। अवधि!
पहले बिस्तर पर जाओ और अधिक ताज़ा जगाओ
मेरी पत्रिका में अधिक समय बिताना, शोध करना, अध्ययन करना और आपके लिए महान सामग्री तैयार करना
2. हर दिन कम से कम 10 मिनट तक स्ट्रेचिंग करें-
 कभी-कभी मैं अपने दिन के दौरान 10 मिनट का ब्रेक अप करता हूं — मैं बिस्तर से पहले खिंचाव करता हूं, कभी-कभी मैं इसे सुबह या दिन के बीच में करता हूं। क्योंकि मैं हर दिन, मैं…
कम दर्द, दर्द और कठोरता है
अधिक खड़े रहें और मेरे पूरे दिन में जानबूझकर आगे बढ़ें
हर एक दिन, केवल 5 मिनट के लिए, भले ही सांस लेने और अभ्यास करने का समय निकालें!
3. बिस्तर से पहले एक कप गर्म हर्बल चाय पीना-
 यह मेरे लिए एक अनुष्ठान बन गया है कि मैं हर एक रात के लिए तत्पर हूं। आप खड़ी प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकते हैं और आपको धीमी गति से घूंट पीना पड़ता है ... यह बहुत दिन बाद सुखदायक है। मैं अपनी पत्रिका में पढ़ना या लिखना पसंद करता हूं क्योंकि मैं अपनी चाय पीता हूं और बिस्तर से पहले लगभग 30 मिनट का समय बिताता हूं।
ये कुछ आदतें उस नींव का हिस्सा हैं जिस पर मेरी पूरी फिटनेस यात्रा, स्व-देखभाल अभ्यास और स्वस्थ जीवन शैली का निर्माण किया जाता है।
कैसे अपने कीस्टोन की आदतें खोजने के लिए
आपकी जीवनशैली आपकी आदतों का प्रत्यक्ष प्रतिबिंब है। जैसा कि आप अपने लक्ष्यों और इरादों को लिख रहे हैं, उन आदतों के बारे में सोचें जो उन लक्ष्यों और इरादों को पूरा करने में मदद करेंगे। उदाहरण के लिए:
स्वस्थ भोजन के अनुरूप रहने में मदद करने के लिए सप्ताह में 1-2x भोजन की योजना बनाएं।
अपनी ताकत बढ़ाने और अपने कपड़ों में अधिक आरामदायक महसूस करने में मदद करने के लिए सप्ताह में 2-3x का प्रशिक्षण लें।
अपने ध्यान अभ्यास के निर्माण में मदद करने के लिए हर एक दिन काम से 5 मिनट का ब्रेक लेना।
अपनी ऊर्जा को बढ़ाने के लिए हर दिन 2 लीटर पानी पीना।
जैसा कि आप अपनी सूची के बारे में सोचते हैं, विशिष्ट रहें और दो या तीन कीस्टोन आदतों पर ध्यान केंद्रित करें जिन्हें आप हर एक दिन लागू कर सकते हैं।
नई स्वस्थ आदतें तब आसानी से बन सकती हैं, जब अन्य पहले से मौजूद हों। आपकी कीस्टोन आदतें क्या हैं?
लोगों की आदतें जो बीमार नहीं होती हैं
आप उस व्यक्ति को जानते हैं। वह जो हर जगह उनके साथ सैनिटाइज़र की एक बोतल ले जाता है। हमेशा आराम किया जाता है। नियमित रूप से जिम हिट करता है। और वे कभी बीमार नहीं होते।
कुछ लोग बीमार होने के लिए प्रतिरक्षा महसूस करते हैं। लेकिन वे मौसम के तहत होने से बचने के लिए कुछ कर रहे होंगे, चाहे वह जानबूझकर हो या नहीं।
इन सुझावों का पालन करें और देखें कि क्या आप उनके जैसे हो सकते हैं। हां, कुछ बीमारी से बचना असंभव है। मामलों को अपने हाथों में लेने की कोशिश करें।
उन्होंने जिम मारा।
हम सभी जानते हैं कि व्यायाम आपके लिए अच्छा है। फिटनेस लाभों के अलावा, यह संक्रमण के प्रति आपकी प्रतिक्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है, जिससे आपकी प्रतिरक्षा कार्य में सुधार होता है। यह वायुमार्ग और फेफड़ों से बैक्टीरिया को बाहर निकालने में मदद कर सकता है और तनाव से संबंधित हार्मोन (जो आपकी बीमारी का खतरा बढ़ा सकता है) की रिहाई को धीमा कर सकता है। जिम में रोगाणु से बचने के लिए इन सरल तरीकों का अभ्यास करना सुनिश्चित करें
उन्हें भरपूर नींद आती है।
अध्ययन में पाया गया है कि जब आप पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं, तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान होता है, और आप बीमार होने की अधिक संभावना रखते हैं। नींद शरीर को खुद को पुन: व्यवस्थित और मरम्मत करने का मौका देती है। इसीलिए अपने सामाजिक जीवन या काम पर एक अच्छी रात की नींद को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है। अच्छी नींद वालों के रहस्यों के बारे में जानें।
वे बाहर जाते हैं।
जब आप बाहर होते हैं, तो आप अपने विटामिन डी के स्तर को बढ़ाते हैं। यह पोषक तत्व आपकी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय करने में मदद करता है। दिन में पंद्रह मिनट की धूप आपके विटामिन डी के स्तर को स्वाभाविक रूप से बढ़ा सकती है और चिंता लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है, जिससे आपके समग्र स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। यहां तक ​​कि छाया में रहने से भी मदद मिलती है। बस ज़्यादा गरम मत करो; आप आराम से रहना चाहते हैं। बाहरी व्यायाम के लिए इन सुझावों की जाँच करें।
वे सकारात्मक हैं।
आधा खाली के बजाय गिलास को आधा भरा हुआ देखने से शरीर अच्छा होता है। आशावादी होने से हृदय रोग से लड़ने में मदद मिल सकती है, वायरस से बचाव, रक्तचाप कम हो सकता है और आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।
उन्हें फ्लू की गोली मिलती है।
इन्फ्लुएंजा एक संभावित गंभीर बीमारी है जो अस्पताल में भर्ती हो सकती है - यहां तक ​​कि मृत्यु भी। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार, वार्षिक मौसमी फ्लू वैक्सीन फ्लू से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है। टीकाकरण से बच्चों में फ्लू की बीमारियों, अस्पताल में भर्ती होने और फ्लू से संबंधित मौतों के जोखिम को कम करने के लिए दिखाया गया है। फ्लू को पकड़ने से बचने के तरीके के बारे में अधिक जानें।
वे हाथ धोते हैं।
आपको बाहर निकालने के लिए नहीं, लेकिन आपकी उंगलियां बैक्टीरिया का घर हैं। और सिर्फ इस बारे में सोचें कि आप कितनी बार उन उंगलियों का उपयोग अपने मुंह, नाक और आंखों को छूने के लिए करते हैं। अपने हाथों को अक्सर साबुन और गर्म पानी से धोएं। जब आप एक सिंक के लिए नहीं मिल सकता है, कुछ हाथ प्रक्षालक पकड़ो।
वे योग करते हैं।
योग आपके दिमाग और आपके शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है। ऐसे मूव्स जिनकी आवश्यकता होती है, आपके थायरॉयड और पाचन क्रिया को उत्तेजित करते हैं। गहरी, लंबी साँसें आपके शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने की प्रक्रिया को बढ़ावा देने में मदद करती हैं।
वे पानी पीते हैं।
आपके शरीर की प्राकृतिक डिटॉक्स प्रक्रिया यकृत में होती है। इसे ठीक से काम करने में मदद करने का एक तरीका है कि पानी से हाइड्रेटेड रहना और शराब और सोडा पर गुजरना। चिंता न करें, पानी बुनियादी और उबाऊ नहीं है। इसमें नींबू, खीरा, पुदीना या कोई अन्य फल या वेजी डालकर जैज करें। जब आप इसे "विशेष" बनाते हैं, तो आप पानी पीने की अधिक संभावना रखते हैं।
उन्होंने चाय पी।
जबकि सभी चाय स्वस्थ हैं, हरी चाय स्वास्थ्यप्रद है। ग्रीन टी एंटीऑक्सिडेंट से भरी हुई है और इसे लगभग हर बीमारी से लड़ने के लिए जोड़ा गया है। दिन में सिर्फ 2.5 कप पीने से इसके लाभ प्राप्त करें। सोने के लिए सबसे अच्छी चाय के बारे में जानें।
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margdarsanme · 3 years
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नव वर्ष को खास बनायें New Year Resolution in Hindi
New Year Resolution kya hota hai : नव वर्ष के आगाज पर नव वर्ष की शुभकामनाऐं सभी लोग अपने घर, परिवार, मित्रों, रिश्तेदारों जानने वालों प्यार स्नेह से सभी को देते हैं। परन्तु नये साल की शुभकामानाऐं देने का असली सही मतलब और मकसद लगभग केवल 50 प्रतिशत लोग जानते हैं। 
नव वर्ष की शुभकामनाओं का सही मतलब नये साल से पाॅजिटव सोच के साथ, लक्ष्य, उपलब्धियों को हासिल करने के लिए और बुराईयों को छोड़कर नये सिरे से जोश, उमंग और दृढ संकल्प, प्रण लेकर लक्ष्य की ओर कार्य आरम्भ करना न्यू ईयर रेजुलेशन कहा जाता है। जिसे हम न्यू ईयर शुभकामनाओं से आरम्भ करते हैं। 
अधिकत्तर सफल व्यक्ति नये साल आरम्भ में ही पूरे साल को प्लान बनाकर लक्ष्य की ओर कार्य करना आरम्भ कर देते हैं। और निरंतर कार्य कर बुलंदियां पर पहुंच जातेे हैं। और बीते साल में रह गये अधूरे लक्ष्यों उपलब्धियों को पूरा करने का दृढ प्रण करते हैं। कई सफल व्यक्ति पुराने साल में आये उतार उढ़ाव से सीखकर पाॅजिट सोच Positive Thinking के साथ सुधार करते हैं। 
न्यू ईयर रेजुलेशन में हर व्यक्ति के अलग-अलग लक्ष्य हो सकते हैं। जिसमें हेल्थ स्वास्थ्य, बुरी आदतें छोड़ना से लेकर खास उपलब्धि हासिल करना हो सकता है। अपने लक्ष्यों उपलब्धियों को पेपर पर लिख कर रखें और लक्ष्य उपलब्धियों को पूरा करने के लिए उन पर जोश उत्साह लग्न ईमानदारी के साथ निरन्तर कार्य करें। यह सफलता की सबसे बड़ी कुंजी है।
नए साल के संकल्प / नव वर्ष को खास बनायें / नये साल से बुरी आदतों का छोड़ना / नए साल पर प्रेरणादायक विचार / New Year Resolution in Hindi / Naye Saal ke Sankalp 
नये साल पर 10 खास बातों पर दृढ़ सकल्प कर लक्ष्य उपलब्धियों सफलता को आसानी से हासिल किया जा सकता है।
समय का सदपुयोग करना  समय अनमोल है। बीता समय वापस नहीं आता। परन्तु व्यक्ति आने वाले समय को सही तरह से सदपयोग कर उपलब्धियां लक्ष्य हासिल कर सकता है। नये वर्ष से समय की कीमत को और भी ज्यादा समझकर समय फालतू बातों, चीजों पर नष्ट नहीं करें। वक्त वैल्यू समझें और समय वक्त के अनुसार कार्य करें, अपने आप को ढालें और जीवन सफल बनायें। हेल्थ रेजुलेशन  शरीर को स्वस्थ निरोग रखने के लिए रोज 15-20 मिनट व्यायाम योगा करे। रोज सुबह शाम सैर करें। रोगों विकारों से शरीर को दूर रखने का सबसे अच्छा तरीका व्यायाम, योगा, सैर है। नये साल से रूटीन में हेल्थ रेजुलेशन बनायें। अच्छे स्वास्थ्य के साथ जीने की आदत बनायें।
खाना-पान, सोना, समय निर्धारण  रोज लगभग 7-8 घण्टे की प्यारी नींद लें। रात को समय पर साये और प्रातःकाल सूर्य उदय से पहले उठने की आदत डालें। और सैर पर जायें। नित्य समय पर एक ही वक्त पर नाश्ता, दोपहर खाना, रात्रि भोज करें। एक ही समय पर खाना पेट पाचन स्वास्थ्य दुरूस्त रहता है। भोजन उपरान्त नियमित सैर करें। सैकड़ों तरह की बीमारियों विकार खाने, पीने, साने से जुड़ी हुई हैं। पाॅजिटिव सोच रखना हमेशा पाॅजिटिव सोच रखें। नेगिटिव होने से बचें। कोई कार्य, बात गलत होने पर परिणाम खुद नहीं निकालें। शांत मन से दूसरों की सुने, समस्या पर विचार विर्मश करें। बिना बिचारे समझे किसी बात के निर्णय, नतीजे पर नहीं पहुंचे। कई बार व्यक्ति किसी गलत फहमी का शिकार हो जाता है। जिससे परिणाम घातक होते हैं। और व्यक्ति को बाद में पछतावा होता है। बुराई छोड़ें  बुराईयां हर व्यक्ति के अन्दर किसी न किसी रूप में मौजूद होती हैं। नये साल से मौजूद बुराईयों को त्याग कर पाॅजिटिव सोच रखें। बुरी आदतों में नेगेटिव सोच, शराब, सिगरेट, तम्बाकू, नशीले पदार्थ सेवन, अन्दर की बुराईयां, मन मुटाव, द्वेष भावना इत्यादि गलत आदतें हो सकती हैं। सभी बुरी आदतों को निकालने के लिए दृढ़ संकल्प करें और प्रण करे आगे से बुरी आदतें दोबारा से नहीं करेगें। गुस्सा, क्रोध पर पर नियत्रंण करना  अचानक आने वाले क्रोध, गुस्से को काबू करना सीखें। बात बात पर गुस्सा करना ठीक नहीं। गुस्सा मन, चित को अशान्त ग्रसित कर देता है। इन्सान का सबसे बड़ा दुश्मन गुस्सा, क्रोध होता है। संयम से काम लें। और हमेशा प्रसन्नचित रहें। दूसरों में बुराईयां और गलितयां ढूढ़ना छोड़ें  संसार में लगभग 80 प्रतिशत लोग दूसरों में बुराईयां ढूढ़ना, गलतियां निकालना पसन्द करते हैं। दूसरों की बुराईयों, गलतियों को दरकिनार करें। अपने खुद के अन्दर की बुराईयों, गलतियों को ढूढ़ें और उन पर सुधार करें। दूसरों से अच्छाईयां सीखें और अच्छाईयां अपने जीवन में अपनायें। सफल होने के लिए रोज कुछ अच्छा नया करना छोटी हो या बड़ी उपलब्धियां हासिल करने का उत्तम तरीका है। दूसरों पर ताने मारने, गलतियां, बुराईयों पर अपना बहुमूल्य समय नष्ट ना करें। क्योंकि समय एक बार बीत जाने पर दोबारा वापस नहीं आता। परिवार, खुद के लिए वक्त निकाले  दैनिक दिनचर्या का साप्���ाहिक, मासिक कलैण्डर बनायें। साप्ताहिक, मासिक कलैण्डर के हिसाब से दिनयर्चा समय सारणी रखें। आॅफिस, कार्य के साथ-साथ घर, परिवार, खुद के लिए समय निकालें। दौड़भाग, व्यस्त दिनचर्या को आरामदायक सफल बानाने के लिए बनाये गये साप्ताहिक, मासिक टाईम टेवल कलैण्डर फोलो करें। इस तरह के रूटीन दिनचर्या को सिस्टम में लाकर घर परिवार में खुशहाली लायी जा सकते हैं।
रोज पढ़ने की आदत डालें  रोज ई-बुक, सक्सेस हिस्टोरीज, नोबल, ज्ञानवर्धक किताबें पढ़ें। उत्तम विचारों वाली पाठन सामग्री और सफल व्यक्तियों की जीवनी पढ़ने से व्यक्ति अपने आप अन्दर से मोटिवेटिव और सोच पाॅजिटिव बन जाता है। ई-बुक पढ़ने से मोटिवेशन के साथ-साथ ज्ञान, मस्तिक स्वस्थ रहता है। आलस्य त्याग  आलस्य त्याग दें। किसी भी कार्य को पूरा करने का दृढ़ संकल्प लें। अपने कार्य को खूद करें। दूसरों पर नहीं थोपें। खुद पर निर्भर रहने की आदत डालें। अपने कार्य का खुद उत्तरदायी होना एक सफल स्टोरी की ओर ले जाता है। अपने जिम्मेवारियां समझें और उन पर निरंतर ईमादारी के साथ कार्य करें। जीवन सफल बनाने के लिए नये साल से आलस्य छोड़कर जिम्मवार बनें और अपने लक्ष्य को सफल बनायें। सफल लक्ष्य प्लान  पुराने साल में रह गये अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए नये सिरे से सोच समय विचार कर नया प्लान बनायें। लक्ष्य नहीं बदलें। प्लान को सफल बनाने के लिए निरंतर कार्य करें और नये-नये आईडिया बनायें। दिमाग में  आईडिया जनरेट करना और लक्ष्य सफल बनाने के लिए निरंतर कार्यरत रहना सफल लक्ष्य पाने की ओर साफ संकेत करता है।
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selfcarehealth · 4 years
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Get Healthier With a Mental Reset
स्वस्थ रहने का निर्णय लेने में अक्सर महत्वपूर्ण कदम शामिल होते हैं जैसे कि वजन कम करना और अधिक व्यायाम करना। ये महत्वपूर्ण लक्ष्य और रोजमर्रा की जीवनशैली की आदतें हैं, जिनके लिए आपको प्रतिबद्ध होना चाहिए। लेकिन "मेकओवर" का एक और प्रकार है जो आपको समान रूप से महत्वपूर्ण तरीकों से लाभान्वित कर सकता है।
यह सकारात्मकता को बढ़ाकर जीवन पर आपके सामान्य दृष्टिकोण को बदल रहा है। यह मानसिक ट्विक आपको आपके शारीरिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए दिमाग के बेहतर फ्रेम में डाल देगा। यहाँ कैसे शुरू करने के लिए है।
अपने जीवन में अधिक अर्थ खोजने के तरीकों की तलाश करें। आप अपनी नौकरी बदलने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, लेकिन आप काम की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो सकते हैं जो आपको उद्देश्य की एक मजबूत भावना देते हैं। यदि व्यक्तिगत और व्यावसायिक प्रतिबद्धताएँ आपके पास एक लाख दिशाओं में चल रही हैं, जिनमें से कोई भी भावनात्मक रूप से पुरस्कृत नहीं करता है, तो अपने दायित्वों को पुनः निर्धारित करें और जहाँ आप कर सकते हैं उसे वापस करने का आश्वासन दें। उन कार्यों को प्राथमिकता दें जो आपको एक मजबूत उपलब्धि प्रदान करते हैं।
अगला, पहचानें कि आपके लक्ष्यों तक पहुंचने के रास्ते में क्या है। यह जटिल नहीं हो सकता है। हो सकता है कि आप बेहतर खाना चाहते हैं और अधिक व्यायाम करते हैं, लेकिन आप पूरे भोजन को पकाने या जिम जाने का समय नहीं बनाते हैं। फिर से, प्राथमिकता दें और यह सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई करें कि आपके लिए क्या महत्वपूर्ण है। अटकने के बहाने के रूप में बाधाओं का उपयोग न करें।
और क्योंकि लोग तुरंत संतुष्टि चाहते हैं, अपने आप को एक बदलाव देकर बढ़ावा दें जो आप तुरंत प्राप्त कर सकते हैं, बर्कले वेलनेस के विशेषज्ञों का सुझाव दें। विचारों में प्रत्येक दिन कुछ मिनटों का ध्यान करना, अपने कदमों को अपने स्मार्टफोन पर देखना या काम पर हर घंटे 2 मिनट खड़े रहना शामिल है। ये बच्चे के कदम हैं जिनसे आप तनाव कम कर सकते हैं, अधिक सक्रिय हो सकते हैं और अपने स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं।
स्लीप एपनिया मधुमेह नेत्र रोग से जुड़ा हुआ है
गंभीर नींद की बीमारी मधुमेह नेत्र रोग के लिए एक जोखिम कारक है जो दृष्टि हानि और अंधापन का कारण बन सकता है, शोधकर्ताओं की रिपोर्ट।
डायबिटीज के खराब नियंत्रण के परिणामस्वरूप आंख के पीछे छोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान हो सकता है, एक स्थिति जिसे डायबिटिक रेटिनोपैथी कहा जाता है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका में अंधेपन का एक प्रमुख कारण है।
कुछ मामलों में, छोटे उभार रक्त वाहिकाओं से फैलते हैं और द्रव और रक्त को रेटिना में रिसाव करते हैं। यह द्रव रेटिना के एक क्षेत्र में सूजन (एडिमा) पैदा कर सकता है जो स्पष्ट दृष्टि को सक्षम करता है और इसे मैक्यूलर एडिमा कहा जाता है।
इस अध्ययन में, ताइवान के शोधकर्ताओं ने ताइपे के चांग गंग मेमोरियल अस्पताल में आठ वर्षों में 51 रोगियों के डेटा की जांच की।
उन्होंने पाया कि डायबिटिक मैक्युलर एडिमा वाले मरीजों में आंखों की स्थिति (45.5%) की तुलना में गंभीर स्लीप एपनिया की उच्च दर (80.6%) थी।
अध्ययन के अनुसार, स्लीप एपनिया जितना खराब होता है, उतनी ही गंभीर मैक्यूलर एडिमा होती है।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि गंभीर स्लीप एपनिया अधिक आम मरीज थे जिन्हें अपने मैक्यूलर एडिमा को नियंत्रित करने के लिए अधिक उपचार की आवश्यकता होती है। अध्ययन के अनुसार इन रोगियों को कम से कम तीन चिकित्सा या लेजर थेरेपी उपचार की आवश्यकता थी। इसे सोमवार को सैन फ्रांसिस्को में अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी (AAO) की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किया जाना था।
एएओ समाचार विज्ञप्ति में कहा गया है कि इन परिणामों के आधार पर, हमें उम्मीद है कि अधिक चिकित्सा पेशेवर मधुमेह अपच संबंधी बीमारी के लिए स्लीप एपनिया के जोखिम कारक के रूप में संपर्क करेंगे।
"यह पहले चिकित्सा हस्तक्षेप के लिए अनुमति दे सकता है ताकि मरीज अपनी दृष्टि को अधिक रख सकें और अपने समग्र स्वास्थ्य को यथासंभव सुरक्षित रख सकें," चियांग ने कहा।
स्लीप एपनिय��� वाले लोग बार-बार रुकते हैं और रात में सांस लेना शुरू कर देते हैं, जिससे उनकी नींद बाधित होती है और रक्त ऑक्सीजन का स्तर गिर जाता है।
रक्त में ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट से शरीर में रक्त वाहिका क्षति हो सकती है, जिससे उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा, स्ट्रोक और टाइप 2 मधुमेह के जोखिम वाले स्लीप एपनिया वाले लोगों में परिवर्तन हो सकता है।
वैज्ञानिक बैठकों में प्रस्तुत निष्कर्ष प्रारंभिक-समीक्षात्मक पत्रिका में प्रकाशित होने तक प्रारंभिक माना जाता है।
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jainyupdates · 4 years
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लॉकडाउन में रहना है स्वस्थ तो सात घंटे की नींद जरूरी, जानें कैसी होनी चाहिए आपकी दिनचर्या 
लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली, Updated Sun, 19 Apr 2020 12:10 PM IST
लॉकडाउन की अपनी मुश्किलें हैं, पर अच्छी बात ये है कि इससे जान सुरक्षित है। मनोचिकित्सकों का कहना है कि लोगों की आदतें बिगड़ रही हैं, जिसका असर बॉडी क्लॉक पर पड़ रहा है। सबसे अधिक रात की नींद प्रभावित हो रही है, जिसके कारण वे तनाव, अनिद्रा और अवसाद की ओर जा रहे हैं। रात को सात घंटे की नींद व दिनचर्या के पालन से ही…
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gyanyognet-blog · 5 years
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किडनी खराब होने के लक्षण और उपचार
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किडनी खराब होने के लक्षण और उपचार
किडनी खराब होने के लक्षण और आयुर्वेदिक जडी बुटी से उपचार
शरीर के कुछ अंग बहुत ही अहम होते हैं क्योंकि उनसे ही पूरे शरीर का सिस्टम सुचारू रूप से चलता है जिनमे से एक है गुर्दा होता है. गुर्दा यानी किडनी जो शरीर के अन्य अंगों की तरह बेहद अहम और नाज़ुक होती हैं, इसके असन्तुलित हो जाने से पूरे शरीर की स्थिति बिगड़ जाती है, इसलिए इनका खास ध्यान रखने की जरूरत होती है. आज के दौर में जैसे जैसे उन्नति होती जा रही है वैसे-वैसे किडनी रोग से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. जबकि बहुत सी छोटी-छोटी बातों को अपनाकर किडनी खराब होने के लक्षण या किडनी की बीमारी से बचाव कर सकते है.
किडनी इंसान की मुट्ठी के साइज की होती हैं. यह रीढ़ की हड्डी के दोनों तरफ पाई जाती हैं. किडनी स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इनका सबसे महत्वपूर्ण काम खून को फ़िल्टर करके उसमें से खराब पदार्थों को यूरिन के रूप में शरीर से बाहर निकालना होता है और शारीरिक संतुलन बनाए रखना होता है. किडनी खून को साफ़ करके और उसमें से खराब पदार्थ , क्रियेटिनिन, यूरिया, पोटैशियम, जहरीले पदार्थ और आवश्यकता से अधिक पानी को बाहर कर देता है. जब किडनी खून में उपलब्ध अधिक पानी को बाहर नहीं निकाल पाते हैं, तो उसकी वज़ह से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है तथा हृदय को अधिक काम करना पड़ जाता है.
किडनी से तीन हार्मोन रेनिन, ऐरिथ्रोपोयटिन और कैल्सिट्रियाल निकलते हैं. रक्तचाप सामान्य होने पर रेनिन का स्राव होता है. ऐरिथ्रोपोयटिन खून के तत्वो को प्रेरित करता है, यह खून बनाने के लिए अति आवश्यक होते है. कैल्स्ट्रियाल हड्डियों में कैल्सियम तथा रासायनिक संतुलन बनाए रखती है. अगर ऐसा न हो, तो समझ जाए यह किडनी खराब होने के लक्षण हो सकते है. ऐसे में सामान्य रूप से वह 24 घंटे में से 1 से 2 लीटर जितना मूत्र बनाकर शरीर को निरोग रखता है. किसी वजह से यदि एक किडनी कार्य करना बंद कर दे अथवा दुर्घटना में खो देना पड़े तो उस व्यक्ति की दूसरी किडनी पूरा कार्य सँभालती है एवं शरीर को कमज़ोर होने से बचाकर स्वस्थ रखती है.
किडनी फेलियर क्या है
शरीर मे किडनी का मुख्य कार्य शुद्धिकरण का होता है. लेकिन शरीर में किसी रोग की वजह से जब दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य करने मे अक्षम हो जाते हैं तो इस स्थिति को हम किडनी फेलियर कहते हैं.
कैसे जानें किडनी खराब होने के लक्षण
खून मे क्रिएट्नीन और यूरिया की मात्रा की जांच से किडनी की कार्यक्षमता का पता किया जा सकता है. वैसे तो किडनी की क्षमता शरीर की आवश्यकता से ज्यादा होती है इसलिए किडनी को थोड़ा नुकसान हो भी जाए, तो भी खून की जाँच मे कोई खराबी देखने को नहीं मिलती है. जब रोग के कारण किडनी 50 प्रतिशत से ज्यादा खराब हो जाती तभी खून की जांच मे यूरिया और क्रिएट्नीन की बढ़ी हुई मात्रा का प्रदर्शन होता है, जो किडनी खराब होने के लक्षणों में प���रमुख है.
किडनी का विशेष संबंध हृदय, फेफड़ों, लिवर एवं प्लीहा के साथ होता है. ज्यादातर हृदय एवं किडनी परस्पर सहयोग के साथ कार्य करते हैं. इसलिए जब किसी को हृदयरोग होता है तो उसके किडनी खराब होने के लक्षण दिखते है, तब उस व्यक्ति का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और वह रोगी धीरे-धीरे कमज़ोर भी हो जाता है. किडनी के रोगियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. इसका मुख्य कारण हमारे द्वारा हृदय रोग, दमा, श्वास, टीबी, मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसे रोगों में किया जा रहा अंग्रेजी दवाओं का लम्बे समय तक अथवा आजीवन इस्तेमाल है.
किडनी खराब करने वाली आदतें
पेशाब आने पर करने न जाने से किडनी खराब हो सकती है.
पानी कम मात्रा में पीने से किडनी को खतरा रहता है.
बहुत ज्यादा नमक खाने से भी किडनी खराब हो सकती है.
यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर है और अगर आप उसके ईलाज मे लापरवाही करते है तो उसका सीधा असर आपकी किडनी पर होता है.
शुगर के ईलाज मे लापरवाही करने से भी किडनी पर असर होता है.
अधिक मात्रा में मांस खाने से किडनी कमज़ोर हो सकती है.
दर्द नाशक दवाएं लगातार लेना किडनी के लिए बेहद हानिकारक होता है.
ज्यादा शराब पीने से लिवर के साथ साथ किडनी भी खराब होने लगती है.
काम के बाद जरूरी मात्रा मे आराम नहीं करने से किडनी पर बुरा असर पड़ता है.
अधिक मात्रा में साफ्ट ड्रिंक्स और सोडा पीने से आपकी किडनी फेल हो सकती है.
किडनी फेलियर के लक्षण
यदि आपको लगातार उल्टी हो रही हो तो आपकी किडनी खराब हो सकती है.
भूख न लगाना किडनी खराब होने के लक्षणों में से मुख्य है.
थकावट और कमजोरी महसूस होना भी किडनी के कमजोर होने का संकेत देती है.
यदि आपको नींद न आने की परेशानी लगातार होना.
पेशाब की मात्रा कम हो जाना भी किडनी खराब होने के लक्षण देती है.
दिमाग ठीक से काम नहीं करना या कुछ समझने में मुश्किल का सामना करना भी किडनी की कमज़ोरी का संकेत है.
मांसपेशयों मे खिंचाव और आक्षेप आना किडनी खराब होने का एक संकेत है.
पैरों और टखने मे सूजन आना भी किडनी कमज़ोर होने का लक्षण है.
लगातार खुजली होने की समस्या को आप किडनी के कमजोर होने का लक्षण समझिए.
हार्ट मे पानी जमा होने पर छाती मे दर्द होना आपकी किडनी खराब होने के लक्षण है.
हाई ब्ल प्रेशर जिसे कट्रोल करना कठिन हो तो समझ लीजिए आपकी किडनी कमज़ोर हो सकती है.
जैसा कि आप ऊपर बताई गई बातों से किडनी की अहमियत तो समझ ही गए होंगे. इसलिए किडनी से संबंधित बातों में कभी लापरवाही ना करें और अगर आपको किडनी की परेशानी महसूस हो तो बिना किसी देरी के घरेलू नुस्खों, जीवनशैली में बदलाव लाकर और चिकित्सक से संपर्क करके अपनी किडनी हेल्थ का ध्यान रख सकते है अथवा किडनी खराब होने के लक्षण या फेल होने के बाद पूरे शरीर का संतुलन काबू के बाहर हो जाता है जिससे जीवन हानि का खतरा बन जाता है.
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